जब चेन्नई में एक व्यक्ति ने एटीएम से 27 नकली नोट निकाले तब एटीएम सिक्यॉरिटी पर फिर से लोगों और अधिकारियों का ध्यान जा रहा है. जिन ग्राहकों को एटीएम से नकली नोट मिलते हैं उनके लिए कोई ऐसी कानूनी सहायता मौजूद नहीं है क्योंकि यह साबित करना बहुत मुश्किल होता है कि नकली नोट कहां से आया है.

एक साइबर क्राइम अधिकारी ने बताया, 'जब आपको किसी एटीएम से नकली नोट मिलता है तो आप उसका स्रोत नहीं साबित कर सकते. इसमें बैंक नेटवर्क की गलती है न कि ग्राहक की. बैंक कभी भी कस्टमर के दावे पर असली नोट नहीं देते. वास्तव में यह चिंता की बात क्योंकि महीनेभर में ही शहर में नकली नोटों का यह दूसरा मामला सामने आया है.'

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इसके लिए स्पष्ट गाइडलाइंस घोषित कर रखी हैं जिसके मुताबिक, बैंकों को जमाकर्ताओं से करेंसी लेते समय सावधानीपूर्वक जांच कर लेना चाहिए कि नोट नकली तो नहीं है. इसके साथ ही, बैंक को एटीएम में पैसा डालते समय दोबारा करेंसी की पूरी जांच करनी चाहिए.

आमतौर पर कोई बैंक एक शहरी एटीएम में 3-4 लाख जबकि अर्ध-शहरी इलाको में 1-2 लाख रुपये डालता है. हालांकि, भीड़भाड़ वाली जगहों पर बैंक एक दिन में 10 लाख रुपये तक डालते हैं. पुलिस ने ग्राहकों को सलाह दी है कि जिसे भी एटीएम से नकली नोट मिलें वह सीसीटीवी कैमरे के सामने नकली नोट को दिखाएं. अगर कैमरा काम नहीं कर रहा है तो हर एटीएम पर एक गार्ड भी रहता है. यह बेहतर होगा कि इसकी शिकायत तुरंत एटीएम पर ही की जाए क्योंकि एक बार एटीएम से बाहर आने के बाद यह साबित करना बहुत कठिन होगा कि वह नोट एटीएम मशीन से ही निकला है.

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