Genz New Trend: नौकरी की तलाश की बात करते हैं, तो दिमाग में सब से पहले आता है रिज्यूमे बनाना, एचआर को मेल भेजना या लिंक्डइन, इंडीड जैसी ऐप्स में जा कर प्रोफाइल अपडेट करना. लेकिन आजकल एक नया ट्रैंड सामने आ रहा है, जिसे जान कर कोई भी चौंक सकता है. नौकरी के लिए युवा अब लिंक्डइन छोड़ कर डेटिंग ऐप्स का सहारा ले रहे हैं.
जी हां, अब बंबल, टिंडर और हिंज जैसी ऐप्स सिर्फ डेटिंग तक सीमित नहीं रहीं. युवा प्रोफैशनल्स इन्हें नैटवर्किंग और कैरियर कनैक्शन के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. यह बदलाव सोशल मीडिया के बदलते यूज पैटर्न, जेनरेशन जेड की सोच के नए तरीकों को साफ दिखाता है.
नैना, जो कि एक ग्राफिक डिजाइनर है, ने लौकडाउन के दौरान बंबल पर एक लड़के से बात शुरू की. बात करतेकरते उसे पता चला कि वह लड़का एक क्रिएटिव एजेंसी में काम करता है और उस की कंपनी में ग्राफिक डिजाइनर की जरूरत है. नैना ने अपने काम के कुछ सैंपल भेजे और कुछ हफ्तों में उसे जौब मिल गया.
नैना कहती है, “बंबल पर मैं डेटिंग के लिए नहीं, लोगों से बात करने और टाइम पास करने के लिए थी. पर सोचा नहीं था कि वहां से नौकरी भी मिल सकती है.”
यह एक तरह से जानपहचान बनाने का जरिया है, जिस का फायदा कैरियर में भी हो रहा है. जैसे, पहले के समय में होता था जब लोग जानपहचान का सहारा ले कर कहीं काम पर लग जाया करते थे या अप्रोच करते थे.
डेटिंग ऐप्स: अब सिर्फ ‘डेट‘ के लिए नहीं
अब डेटिंग ऐप्स सिर्फ रोमांटिक पार्टनर ढूंढ़ने की जगह नहीं रह गई हैं. यहां लोग दोस्त बना रहे हैं, प्रोफैशनल कनैक्शन खोज रहे हैं, उसी हिसाब से अपने मैच की प्रिफरैंस देखते हैं जो उन के कैरियर में मददगार हो सकता है और कई बार वहां लोग बिजनैस आइडियाज तक डिस्कस कर रहे होते हैं.
इस की खास वजहें हैं
कम फौर्मेलिटी : लिंक्डइन पर बात शुरू करना कई बार किसी इंटरव्यू जैसा लगता है. फौर्मल भाषा पर प्रोफैशनल टोन. कई बार डेटिंग ऐप्स पर लोग अधिक खुल कर बात करते हैं. आमतौर पर दोस्ती हो ही जाती है. खासकर, यंग लड़कियां इन ऐप्स को अपने फायदे के लिए भुना सकती हैं. ये ऐप्स न सिर्फ कौन्फिडैंस देती हैं बल्कि अपनी पहचान छिपा कर लड़कों के साथ घुलनेमिलने का मौका भी देती है.
बायो में बदलती सोच : अब लोग टिंडर या बंबल की बायो में ‘लुकिंग फौर क्रिएटिव कोलैब’ जैसे प्रोफैशनल हिंट डालने लगे हैं. ऐसा ही इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफौर्म पर होता है. यूथ अपनी प्रोफैशनल आइडैंटिटी को भी डालते हैं. इस से वे बताते हैं कि कैरियर पौइंट औफ व्यू से वे किस दिशा में बढ़ रहे हैं.
कम कंपीटिशन वाला माहौल : लिंक्डइन पर एक जौब पोस्ट पर सैकड़ों एप्लिकेशन होती हैं. डेटिंग ऐप्स पर कोई जब कहता है, ‘हे, आई एम रनअप अ स्टार्टअप’ तो उस से सीधे बातचीत का मौका बनता है, बिना किसी भीड़ के.
फटाफट कनैक्शन : डेटिंग ऐप्स का इंटरफेस सुपरफास्ट है. दो मिनट में स्वाइप कर के किसी से कनैक्ट हो जाओ. लिंक्डइन पर तो जौब ढूंढने में घंटों लग जाते हैं, वह भी तब जब कोई रिस्पौंस दे. हां, लिंक्डइन प्रोफैशनल है और जौब्स की अधिकतर पोस्ट वहीँ होती हैं. कंपनी के एचआर डायरैक्ट वहां से एप्लिकैंट को शौर्टलिस्ट करते हैं. मगर लिंक्डइन में अप्रोच नहीं चलता. लेकिन डेटिंग ऐप्स में ऐसी कंपनियों में काम करने वाले कईयों होते हैं. उन से जानपहचान बन जाती है.
आदित्य एक सौफ्टवेयर डैवलपर है, जो अपने स्टार्टअप आइडिया के लिए कोफाउंडर ढूंढ़ रहा था. उस ने हिंज पर अपनी प्रोफाइल में लिखा- “Coder by profession, looking to build something exciting. DM if you’re into tech & startups.”
हफ्तेभर में ही उसे एक लड़की का मैसेज आया जो प्रोडक्ट डिजाइनर थी और उसी तरह का आइडिया सोच रही थी. अब दोनों ने मिल कर एक ऐप लौंच कर दी है.
आदित्य हंसते हुए कहता है, “प्यार तो नहीं मिला, लेकिन पार्टनर जरूर मिल गया वह भी प्रोफैशनल वाला.”
क्या यह ट्रैंड आगे बढ़ेगा
जेनजी और मिलेनियल्स उन प्लेटफौर्म्स पर जाना पसंद करते हैं जहां वे खुद को एक्सप्रैस कर सकें, बायो मजेदार रख सकें और बातचीत में कोई दबाव न हो. आज का यूथ प्रोफैशनली नहीं लिख सकता. अब ऐसा भी नहीं रहा कि उन के स्कूलों में प्रोफैशनल लैटर लिखना सिखाया जा रहा हो. वह अपने स्लैंग में लिखता है. प्रोफैशनल चीजों के लिए यूथ एआई भरोसे है. वह एआई को कमांड देता है और झटपट लैटर, मेल या ड्राफ्ट लिखवा लेता है.
डेटिंग ऐप्स धीरेधीरे इस ट्रैंड को समझ रही हैं. बंबल ने ‘बंबल बिज’ और ‘बंबल बीएफएफ’ जैसे सैक्शन लौंच किए हैं, जो खासतौर पर नैटवर्किंग और फ्रैंडशिप के लिए हैं.
कुछ बातें जो ध्यान रखने वाली हैं
* आप डेटिंग ऐप पर सिर्फ प्रोफैशनल नैटवर्किंग चाहते हैं, तो अपने बायो में यह साफसाफ लिखें.
* सीमा बना कर रखें. ये प्लेटफौर्म डेटिंग के लिए बनाए गए हैं, इसलिए बातचीत में प्रोफैशनल और पर्सनल का फर्क समझना जरूरी है.
आज की जेनरेशन प्रोफैशनल कनैक्शन के लिए अलग रास्ते खोज रही है. वह सिर्फ ‘डिग्री और सीवी’ पर भरोसा नहीं करती, बल्कि ‘इंप्रैशन और बातचीत’ को भी उतना ही महत्त्व देती है.
जब वे लिंक्डइन पर भीड़ देख कर निराश होते हैं, तो ऐसे प्लेटफौर्म्स की ओर मुड़ जाते हैं जहां उन्हें इंसान के तौर पर जाना जाए, न कि सिर्फ एक प्रोफाइल या स्किल के रूप में.
और शायद यही वजह है कि डेटिंग ऐप्स, जो कभी सिर्फ ‘डेट खोजने’ के लिए बनाए गए थे, अब कैरियर बिल्डिंग का एक अनोखा रास्ता बनते जा रहे हैं खासकर उन के लिए जो क्रिएटिव फील्ड में कुछ करना चाहते हैं.
नौकरी पाने या नैटवर्किंग करने के लिए रास्ते अब सिर्फ औफिस या कौर्पोरेट मीटिंग तक सीमित नहीं हैं. जहां कभी प्यार के लिए राइट स्वाइप किया जाता था, आज वहां कैरियर के नए दरवाजे भी खुल रहे हैं.
इस बदलते ट्रैंड को देख कर कह सकते हैं– “Swipe right for opportunity”.
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