Monsoon Care Tips : मौनसून के दिनों बारिश की तेज बौछारें गरमी से तपते तन और मन दोनों को जितनी राहत पहुंचाती हैं उस से कहीं ज्यादा परेशानियां भी ले कर आती हैं क्योंकि अकसर बारिश के कारण घरों की दीवारों में सीलन आ जाती है या फिर कभीकभी पानी भी टपकने लगता है जिस से बारिश के बाद उस स्थान पर फफूंद लगने की समस्या हो जाती है और वह स्थान दिखने में तो अच्छा लगता नहीं, उसे सही करवाने में भी अतिरिक्त खर्चा करना पड़ता है.
यदि बारिश के आने से पहले ही घर की वाटरप्रूफिंग कर ली जाए तो काफी हद तक मौनसून के बाद इस तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है. आजकल बाजार में भांतिभांति वाटरप्रूफिंग मैटीरियल उपलब्ध हैं. आप अपने बजट और पसंद के अनुसार इन का चुनाव कर सकते हैं.
आइए, जानते हैं कि आप अपने घर में कितनी तरह से वाटरप्रूफिंग कर सकते हैं :
लिक्विड वाटरप्रूफिंग
इस में एक तरह से पेंट जैसा तरल पदार्थ होता है जो पौलियूथेरेन, ऐक्रेलिक या रबर से बना होता है. इस मैटीरियल को दीवारों, छतों, बालकनी और बाथरूम जैसी जगहों पर पेंट की तरह ही किया जाता है. इसे जिस स्थान पर लगाया जाता है वहां पर एक वाटरप्रूफ परत बन जाती है जिस से उस स्थान की सभी दरारें भर जाती हैं और फिर बारिश होने पर वहां से पानी की लीकेज नहीं होती है.
शीट मैंब्रेन वाटरप्रूफिंग
इस में डामर या पीवीसी जैसी बड़ी चादरों को सतह पर बिछा कर चिपकाया जाता है. ये बड़ेबड़े रोल्स में आती हैं और फिर आवश्यकतानुसार इन्हें काट कर बिछाया जाता है। इन्हें आमतौर पर बड़ी छतों, पोडियम्स और नींव की वाटरप्रूफिंग के लिए प्रयोग किया जाता है. ये काफी ड्यूरेबल और लौंग लास्टिंग होती हैं.
इंटीग्रल वाटरप्रूफिंग
इंटीग्रल वाटरप्रूफिंग के अतंर्गत घर या छत को बनाते समय कंक्रीट या सीमेंट में ही कुछ खास वाटरप्रूफिंग मैटीरियल्स मिला दिए जाते हैं जिस से भविष्य में कभी भी पानी के लीकेज की समस्या न हो. यह तरीका दीवारों और छतों की इंटरनल वाटरप्रूफिंग के लिए बहुत अच्छा रहता है पर घर बन जाने के बाद इसे अप्लाई नहीं किया जा सकता.
सीमेंट से वाटरप्रूफिंग
यह एक बहुत ही पारंपरिक, सस्ता व सुंदर टिकाऊ तरीका है जिस में सीमेंट के पतले घोल को दीवारों और छतों पर लगा दिया जाता है जिस से क्रेक्स भर जाते हैं और फिर वहां से पानी का लीकेज नहीं होता है. इसे लगाना भी काफी आसान होता है पर कई बार सीमेंट के काले रंग के कारण लोग इसे प्रयोग करने से बचते हैं क्योंकि दिखने में यह बहुत अधिक अच्छा नहीं लगता.
पेंट से वाटरप्रूफिंग
आजकल बाजार में ऐक्रेलिक और सिलिकौन से बने भांतिभांति के पेंट्स उपलब्ध हैं जिन्हें लगाना भी काफी आसान होता है साथ ही ये दिखने में भी काफ़ी अच्छे लगते हैं। छोटी और पतली दरारों के लिए ये काफी उपयुक्त रहते हैं. बाजार में छत, दीवार और फर्श आदि के लिए अलगअलग पेंट्स उपलब्ध हैं। आप अपनी आवश्यकतानुसार इन्हें खरीद सकते हैं. वाटरप्रूफिंग के क्षेत्र में डाक्टर फिक्सइट एक जानामाना ब्रैंड है.
रखें इन बातों का भी ध्यान
● किसी भी स्थान की वाटरप्रूफिंग करने से पहले उस स्थान की अच्छी तरह सफाई अवश्य करें ताकि दरारें स्पष्ट रूप से दिखें और उस स्थान पर आप ध्यान से वाटरप्रूफिंग कर सकें.
● किसी भी प्रकार की वाटरप्रूफिंग को करने से पहले आप उस स्थान की दरारें और छेदों को पहले थोड़ा सा खुरच लें और फिर अच्छी तरह से पैक कर दें। जब ये सूख जाएं तो आप वाटरप्रूफिंग करें ताकि बारिश होने पर लीकेज की संभावना न रहे.
● वाटरप्रूफिंग के लिए हमेशा अच्छे और ब्रैंडेड प्रोडक्ट का ही यूज करें ताकि आप की मेहनत और पैसा व्यर्थ होने से बचा रहे.
● चूंकि सभी वाटरप्रूफिंग मैटीरियल विभिन्न प्रकार के कैमिकल्स से बने होते हैं इसलिए वाटरप्रूफिंग करते समय दस्ताने, मास्क और आंखों को सुरक्षित करने के लिए चश्मा अवश्य पहनें.
● वाटरप्रूफिंग के लिए दिन का समय चुनें और कोशिश करें कि उस दिन या समय पर खिली हुई धूप हो ताकि वाटरप्रूफिंग भलीभांति सूख जाए। यदि वाटरप्रूफिंग के दौरान पानी बरस जाए तो उस स्थान को पोलीथीन शीट से कवर कर दें.
● संभव हो तो वाटरप्रूफिंग करने के पहले ऐक्सपर्ट की सलाह ले लें ताकि आप परफैक्ट वाटरप्रूफिंग कर सकें और यदि संभव हो सके तो आप इसे करवाने के लिए किसी प्रोफैशनल की भी मदद ले सकते हैं.