देश में जैसेजैसे अनलौक की प्रक्रिया गति पकड़ रही है वैसेवैसे स्वच्छता और सैनिटाइजेशन का महत्त्व भी बढ़ता जा रहा है. अनलौक का दूसरा चरण शुरू हो चुका है, जिस के साथ काफी गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं. औफिस, मौल, रैस्टोरैंट, मार्केट आदि सार्वजनिक स्थानों पर लोगों का आनाजाना फिर से शुरू हो चुका है. ऐसे में संक्रमण से बचाव के लिए इन स्थानों को हर 2-3 घंटे में सैनिटाइज करना जरूरी है. सही माने में अब सब से ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता है.

कई अध्ययनों से इस बात की पुष्टि हुई है कि यदि कोरोना का मरीज पहले से डायबिटीज और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से ग्रस्त हो तो जान का खतरा 8 गुना ज्यादा होता है. इस का सीधा संबंध कमजोर इम्यूनिटी और बढ़ती उम्र से है. ऐसे में मृत्यु का खतरा 60 से अधिक उम्र के लोगों में 4 गुना, 70 से अधिक उम्र के लोगों में 9 गुना और 80 से अधिक उम्र के लोगों में 15 गुना ज्यादा है.

एक तरफ जहां अधिकतर देशों का मुख्य लक्ष्य कोविड-19 के लिए वैक्सीन बनानी है, तो दूसरी ओर लोगों को बारबार इस की रोकथाम के तरीकों के बारे में भी बताया जा रहा है जैसेकि सोशल डिस्टैंसिंग, सैनिटाइजेशन, हाथ धोना, मास्क पहनना, ग्लव्स पहनना, किसी से हाथ न मिलाना आदि.

अनलौक की प्रक्रिया के साथ सभी स्थानों पर लोगों को थर्मल स्कैनिंग और सैनिटाइजेशन के बाद ही अंदर जाने की अनुमति दी जा रही है, जो बेहद जरूरी प्रक्रिया है. सरकार भी बारबार सैनिटाइजेशन और हाथों की सफाई पर जोर दे रही है ताकि लोगों को इस घातक संक्रमण से बचाया जा सके.

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