कामसूत्र का नाम आते ही कुछ झिझक, कुछ शर्मिंदगी सा अहसास होता है. यह दरअसल नजरिया भर है. हकीकत में 2000 वर्ष पुराना यह ग्रंथ खुद में पूर्ण है. यह अच्छा खुशहाल जीवन जीने के तरीके बताता है. यह भी बताता है कि किस तरह सेक्स ऊर्जा, संतुष्टि और आनंद की अनुभूति कराता है.

समाज को दिशा देना ही है कामसूत्र का उद्देश्य

सेक्स से संबंधित कुछ हिस्सों को छोड़ दें तो कामसूत्र में अधिकतर रहन-सहन, समाज में उठने-बैठने, पहनने, सजने-संवरने और आकर्षित दिखने के नुस्खे बताए गए हैं. बताया गया है कि सुंदर और योग्य युवा कैसा होना चाहिए. इसी तरह गुणी युवती जो सभी के मन को भा जाए में क्या-क्या विशेषताएं अपेक्षित हैं. यह शास्त्र बताता है कि ज्ञान होने और उस पर अमल करने पर इन खूबियों को सीखा जा सकता है. जब अधिक से अधिक लोग इस शास्त्र के ज्ञान से लाभ उठाएंगे तो व्यक्ति के साथ ही सभ्य समाज का निर्माण होगा. ऐसा समाज जो शिक्षा, संस्कृति, उत्सव, कला और आनंद से भरा होगा.

खुशहाल वैवाहिक जीवन की नींव है

ऋषि वात्सयायन का यह प्राचीन ग्रंथ बताता है कि जीवन में सृजन और आनंद की अनुभूति देने वाला सेक्स कोई बुरी चीज नहीं है. यह तो खुशहाल वैवाहिक जीवन की नींव है. सेक्स के दौरान पति-पत्नी का एक दूसरे के प्रति पूर्ण समर्पण होता है. जिसमें शरीर से शरीर और आत्मा से आत्मा का मिलन होता है. इस मिलन से ही आनंद की अनुभूति और बच्चों का जन्म होता है. परिवार बढ़ता है, खुशहाली आती है. एक दूजे के प्रति समर्पण और निरंतर आनंद पति-पत्नी के साथ ही परिवार के लिए खुशी का आधार साबित होता है.

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