नए दौर की मां को मौडर्न मौम कह सकते हैं क्योंकि मौडर्न होने का अर्थ है बदलते वक्त के साथ सही तालमेल बैठाते हुए आगे बढ़ना. आज की मां भी कुछ ऐसा ही कर रही है इसलिए वह मां नहीं बल्कि मौडर्न मौम कही जा रही है. आज के बदलते समय में वह सिर्फ घर के प्रति अपने सारे दायित्व ही नहीं निभा रही बल्कि बाहर जा कर नौकरी भी कर रही या अपना व्यवसाय भी संभाल रही है.

मौडर्न मौम की इस दोहरी भूमिका ने साबित कर दिया है कि वह मौडर्न या स्मार्ट जमाने की मौडर्न या स्मार्ट मौम है. एक मौडर्न या स्मार्ट मौम को कम समय में बहुत सारी जिम्मेदारियां निभाना हैं जैसे बच्चों को अच्छे संस्कार देना, उन के हर सवाल का जवाब भी देना, संतुष्ट भी करना है, नई तकनीक भी सीखनी है एवं उस का सही इस्तेमाल भी सिखाना है.

बच्चों के साथसाथ खुद को एवं परिवार को भी स्वस्थ रखना है, हार से सीखना भी है एवं प्रतियोगिता के इस दौर में उन के आत्मविश्वास को भी बढ़ाना है. एक मौडर्न मौम इन नई चुनौतियों के साथ आगे बढ़ रही है और अपने सारे दायत्व, कर्तव्य बखूबी निभा रही है.

मौडर्न मौम्स की चुनौतियां

आजकल की अधिकतर मौम्स वर्किंग हैं जिस के कारण उन के पास समय का अभाव बना रहता है इसलिए उन को बच्चों के लिए अलग से समय निकलना कई बार किसी चुनौती से कम नहीं होता जिस के चलते उन के पास बच्चों के साथ अच्छा समय गुजारने, साथ में हंसनेखेलने का वक्त नहीं मिलता. इस कारण बच्चे मां से धीरेधीरे इमोशनली डिटैच होने लगते हैं. फैमिली बौंडिंग का अभाव, बातचीत की कमी से आपसी सहानुभूति, प्यार और पारिवारिक मूल्यों का अभाव देखने को मिलता है.

साथ ही यह समस्या तब और भी गहरी हो जाती है जब वे किसी समस्या या उलझन में होते हैं तो इस वक्त को अकेले झेलने की वजह से बच्चों के मानसिक और शारीरिक सेहत पर भी बुरा असर पड़ने लगता है इसलिए जरूरी है कि बच्चों की परवरिश में मातापिता केवल पोषण और खर्च को ही प्राथमिकता न दें बल्कि उन्हें अपने साथ हमेशा होने का एहसास कराते रहें ताकि वे इमोशनली अटैच रहें, साथ ही वे बच्चों के साथ जो समय बिताएं वे क्वालिटी समय हो.

डिजिटल दुनिया से दूर रखना

पहले के समय बच्चे केवल टीवी देखते थे और वह भी एक निश्चित समय के लिए लेकिन आजकल इस डिजिटल इंटरनैट की दुनिया में बच्चों के हाथ में हर वक्त मोबाइल रहता है जिस के कारण उन के पास वेब पर सभी प्रकार की सामग्री असीमित और अप्रतिबंधित पहुंचती है इसलिए बच्चों को मोबाइल से दूर रखना किसी चुनौती से कम नहीं. ऐसे में आज की मौडर्न मौम बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखना है, साथ ही उन्हें यह भी बताना है कि डिजिटल इंटरनैट की दुनिया में क्या देखना है और क्या नहीं क्योंकि उन को नहीं पता होता है कि उन्हें क्या कंटैंट देखना और क्या नहीं. उन की एक गलती भारी पड़ सकती है.

कई बार बच्चे जानकारी के आभाव में कुछ गलत फोटो, वीडियो और जानकारी शेयर कर देते हैं और कमैंट्स भी कर देते हैं. उन पर नजर बनाए रखने के लिए आज की मां ने हाईटैक तकनीकों का इस्तेमाल करना सीखा है ताकि बच्चे संस्कारों से दूर न हों और किसी गलत आदत का शिकार न बन जाएं इस से बचने के लिए उन्हें इस का सही इस्तेमाल करना सिखाएं.

बच्चों को स्वस्थ रखना एवं जागरूक करना

बच्चों के लालनपालन व परिवार की सेहत का खयाल रखना प्राय: मां की ही जिम्मेदारी कही जाती है. आज जिस तेजी से समय व परिस्थितियां बदल रही हैं, उसी तेजी के साथ बच्चों की खानपान संबंधी आदतें भी बदल रही हैं.

आज वे रोटी और परांठे की जगह बर्गर, सैंडविच और पिज्जा को बढ़ावा दे रहे हैं. जंक फूड कुछ ज्यादा ही खाना पसंद कर रहे हैं. इस का सीधा असर उन की सेहत पर पड़ रहा है. वे मोटापे के शिकार हो रहे हैं इसलिए आज की मौडर्न मौम ने भी समय के अनुरूप खुद को ढालते हुए भोजन के साथ नएनए ऐक्सपैंरिमैंट कर नए तरीकों से बच्चों और परिवार वालों की पौष्टिक जरूरतें पूरी करना शुरू कर दिया है साथ ही बच्चों को बचपन से ही पौष्टिक आहार के बारे में जानकारी देना शुरू कर रही है, कौन सा आहार उन के लिए अच्छा है और उसे खाने से क्या फायदा हो सकता है इस के लिए उन्हें फलों और सब्जियों में मौजूद पौष्टिक तत्त्वों के बारे में बता रही है.

इस के लिए मातापिता भी अच्छे पौष्टिक आहार का सेवन कर रहे हैं ताकि बच्चे आप को देख कर उन्हें खाने की आदत डाल सकें और स्वस्थ खाने को अपनाएं. बच्चों, सर्वांगीण विकास के लिए उन्हें बैलेंस डाइट देना बहुत जरूरी है क्योंकि बच्चों के साथसाथ पूरे परिवार व खुद को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी भी मां के कंधों पर ही होती है.

आउट डोर ऐक्टिविटीज को बढ़ाना

आजकल बच्चों की आउट डोर ऐक्टिविटी बहुत कम हो गई हैं उन का अधिकतर फ्री समय मोबाइल स्क्रीन के सामने गुजरता है. वे गेम्स खेलने के लिए घर के बाहर जाने के बजाय मोबाइल पर खेलना पसंद कर रहे हैं जिस के कारण उन का सही तरीके से शारीरिक विकास होना रुक गया है. इस का प्रभाव उन के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ा है और वे कम उम्र में ही मोटापा, तनाव और अवसाद जैसी समस्याओं से ग्रस्त हो रहे हैं इसलिए एक मौडर्न मौम बच्चों को आउटडोर गेम्स के फायदे बता कर एवं उन के साथ खेल कर उन्हें बढ़ावा दे रही है.

उन की पसंदनापसंद की गेम्स की पहचान कर उन में उन की रुचि बनाए रखने के लिए उन का उचित मार्गदर्शन भी कर रही है.

बच्चे को संतुष्ट करना

मातृत्व की परिभाषा आज के बच्चों के लिए बहुत अलग हो गई है. बच्चे इन दिनों एक डिजिटल बचपन जी रहे हैं और एक डिजिटल वातावरण में बड़े हो रहे हैं. वे फोन चलाना पहले सीख रहे हैं और बोलना बाद में. आज के बच्चे किसी भी चीज के बारे में अस्पष्ट या जानकारी के आभाव में नहीं हैं. हजारों प्रश्न पूछ रहे हैं. उन को संतुष्ट करना मां के लिए व्यस्त जीवन में बहुत कठिन होता जा रहा है क्योंकि आजकल के बच्चों को बहलानाफुसलाना बहुत ही मुश्किल हैं. उन के सवालों की संख्या बढ़ती जा रही हैं.

मां रोजाना अपने बच्चे के साथ ज्यादा समय बिताने की कोशिश करती है इसलिए उन्हें सिखाने और अनुशासन देने का उसे ज्यादा मौका मिलता है.

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