बिना विवाह के मां बनने, मां बनने से पहले पति से अलगाव होने या बच्चे के पैदा होने के समय मां की मृत्यु के कारण बच्चे को अकेले पालने की आवश्यकता हो जाती है. मानसिक, आर्थिक समस्याओं के साथ छोटे बच्चे को अकेले पालना कठिन काम है.

पेश हैं, सिंगल पेरैंटिंग के लिए कुछ सुझाव:

गोद में उठाना: आप का नवजात बहुत नाजुक होता है, लेकिन उसे छूने या गोद में उठाने से घबराएं नहीं. उस की गरदन की पेशियां कमजोर होती हैं, इसलिए उसे गोद में उठाते समय उस की गरदन को सहारा दें. अपने कंधे पर उस का सिर टिकाएं और दूसरे हाथ से गोद में पकड़ें.

दूध पिलाना: बच्चे को दूध पिलाने से जहां एक ओर उस का विकास होता है, वहीं दूसरी ओर आप के और बच्चे के बीच का रिश्ता मजबूत होता चला जाता है. अपने दोस्तों से बात करें, जिन्हें नर्सिंग का अच्छा अनुभव हो. अगर आप सिंगल फादर हैं तो पीडिएट्रिशियन से सलाह ले सकते हैं और लैक्टेशन के विकल्पों के बारे में जान सकते हैं.

बच्चे की मालिश: मालिश करने से बच्चे को आराम मिलता है, उसे अच्छी नींद आती है, वह शांत रहता है. रोजाना अपने हाथ से बच्चे की मालिश करने से आप का बच्चे के साथ रिश्ता भी मजबूत होता है. उसे बिस्तर पर कभी अकेला न छोड़ें ताकि वह गिरे नहीं.

नहलाना: बच्चे को नहलाना नई मां के लिए बहुत मुश्किल काम है. उसे नहलाने का तरीका सीखें. नहलाना शुरू करने से पहले सभी जरूरी चीजें तैयार कर लें ताकि बच्चे को अकेला छोड़ यहां वहां न भागना पड़े. बच्चे के शरीर के नाजुक अंगों को हलके हाथों से साफ करें.

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