मां बेटी का रिश्ता बहुत ही प्यारा होता है. हर मां की चाह होती है कि उस की बेटी ससुराल में खुश रहे. यदि बेटी इकलौती है तो वह उस के भविष्य के लिए कुछ ज्यादा ही फिक्रमंद होती है. इसी वजह से मां अपनी बेटी को बचपन से ही अच्छे संस्कार देती है परंतु परिवर्तनशील समाज में अब मान्यताएं बदल रही हैं.

आजकल अधिकतर घरों के टूटने की वजह अभिभावकों का बेटी की गृहस्थी में अनावश्यक हस्तक्षेप और उन के द्वारा दी जाने वाली शिक्षा है. नीना की शादी को 2 वर्ष बीत चुके हैं. उस के पति सोमेश बैंक में अधिकारी हैं, अच्छी तनख्वाह है. ससुर को भी पैंशन मिलती है. सोमेश की अविवाहित बहन है. बेटी के लिए चिंता करना हर मां का फर्ज है. नीना अपनी ननद के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करती. उस की मां नीना को गलत व्यवहार के लिए उकसाती रहती है. यही वजह है कि घर में अशांति बनी रहती है. आपसी रिश्तों में तनाव रहने का मूल कारण नीना की अपनी मां ही है.

यदि बेटी अपनी ससुराल में खुश है, उसे अपने पति और ससुराल वालों से शिकायत नहीं है, तो मां का फर्ज यही होता है कि वह बेटी और  उस के ससुराल वालों के साथ मजबूत रिश्ते बनाए.

भावनात्मक जुड़ाव

इकलौती बेटी जन्म से ही अपने घर की दुलारी और अपने पेरैंट्स की राजकुमारी होती है. इस कारण उस के पेरैंट्स अपनी बेटी के लिए ओवर प्रोटैक्टिव होते हैं. वे उस की हर इच्छा को यथासंभव पूरा करने का प्रयास करते हैं.

इकलौती बेटियां अपने पेरैंट्स से इतनी ज्यादा जुड़ी होती हैं कि वे ससुराल जा कर भी हर समय उन के लिए टेंशन महसूस करती रहती हैं. उन के लिए दूसरों के साथ तालमेल बैठाना, शेयरिंग करना मुश्किल पड़ता है. अपने पेरैंट्स से उन्हें विशेष ध्यान मिलता था तो वे ससुराल में भी वही अपेक्षा करती हैं और नहीं मिलने पर अकसर अपने मन का दर्द अपनी मां को सुनाने लग जाती हैं.

वीडियोकौल या औडियोकौल के जरीए बेटी हर पल की खबर अपनी मां तक पहुंचाती है और मां की आक्रोशित प्रतिक्रिया उस के व्यवहार और जबान में घुल कर प्रकट हो कर आपसी कलह का कारण या आगे चल कर रिश्तों में कड़वाहट पैदा कर देती है.

इकलौती मीता की शादी उस की मां ने अपने ही शहर में करवाई थी. इस वजह से ज्यादातर रात में पति मेहुल औफिस से लौटते हुए लेता हुआ चला जाता था.

एक दिन माइके वालों के साथ पिकनिक का प्रोग्राम था. वह पिकनिक के लिए बहुत खुश और एक्साइटेड थी, लेकिन उसी दिन उस की सासूमां को बहुत तेज बुखार चढ़ गया तो उदास मन से उस ने अपनी मां को मना करने के लिए फोन किया पर उस की मां आशा उस पर बरस पड़ी और सासूमां को भलाबुरा बोलने लगी.

मीता को अच्छा नहीं लगा और उस ने अपनी मां को सम?ाने की कोशिश भी की. मगर पिकनिक पर न जा पाने की वजह से उस का मूड भी खराब था, ऊपर से मां की उलटीसीधी बातों ने उस के मन में अपनी सासूमां के साथ रिश्तों के धागों में एक महीन सी गांठ डालने का काम अवश्य कर दिया.

पैरों तले जमीन खिसक गई

सीमा अपनी तलाकशुदा मां आरती की इकलौती बेटी थी. चूंकि वह अपने ननिहाल में रहती थी, उस की मां को उस के नानानानी या मामा दुखियारी सम?ाते हुए हमेशा स्पैशल ट्रीटमैंट देते थे. प्यारदुलार के कारण उसे पूरी तरह मोम की गुडि़या बना दिया था. चूंकि सीमा काफी सुंदर और संपन्न परिवार से थी, इसलिए शहर के कईर् परिवार उसे बहू बनाने के लिए रिश्ता ले कर आए, लेकिन आईएएस के ख्वाब के कारण आरती ने किसी को भी पसंद नहीं किया.

जब उस की उम्र 30 के पार पहुंचने लगी, तो लोगों के दबाव में, अपनी इज्जत बचाने के लिए कहीं भी शादी तय करने को तैयार हो गई और जल्दबाजी में एक साधारण परिवार के लड़के के साथ रिश्ता तय कर दिया.

खूब सारा दहेज, गाड़ी और कैश दे कर धूमधाम से शादी की. अब जब सीमा ने ससुराल की पथरीली धरती पर अपने कदम रखे तो वहां के तौरतरीके देख कर उस के पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गई थी. चूंकि उस ने कभी घर का काम ही नहीं किया था सो उसे कोई अभ्यास नहीं था. वहां पर तो एक भी नौकर नहीं था. उस ने कभी किसी के साथ अपनी चीजें शेयर नहीं की थीं. यहां पर उस की मां की दी हुई गाड़ी की चाबी देवर के पास ही रहती.

आरती समयबेसमय पर बेटी को फोन खटकाती और वीडियोकौल में, जब बेटी सीमा को बरतन धोते देखती तो उस का खून खौल उठता. उसे लगता कि उस की तो सारी दुनिया ही लुट गई. बेटी के बिना उन्हें अपना जीवन अधूरा सा लगता.

बेटी सीमा भी अपने ससुराल वालों की शिकायतों का पिटारा खोल कर बैठ जाती. सीमा का देवर सुकेश अपनी भाभी के साथ हंसीमजाक और मीठीमीठी छेड़खानी करता. सीमा को यह सब अच्छा नहीं लगा, तो उस ने छोटी सी बात का बतंगड़ बना दिया. तमाम शिकायतों का दौर चला. मांबेटी दोनों को ही रिश्ता बचाने के लिए हाथ जोड़ कर माफी मांगनी पड़ी. सास से अलग रहने पर मामला सुलझा.

बेटी की परेशानियां

बेटी की परेशानियां सुनसुन आरती बिलख उठती. उस के घर वाले सम?ाते लेकिन अब उसे अपना दामाद ही विलेन लगता क्योंकि शादी कर के उस के सपने भी मिट्टी में मिल गए थे. उसे नाश्ते में आमलेट चाहिए उधर सीमा को प्याज से भी परहेज था. न समय पर सुकेश चाय मिलती और न ही खाना, क्योंकि मोम की गुडि़या घर का काम कर ही नहीं पाती थी. नाराज हो कर एक दिन सुकेश ने गुस्से में उस पर हाथ उठा दिया.

बस आरती को बहाने की तलाश थी. प्रैगनैंट बेटी को घर ले आई. रिश्तों में कड़वाहट तो शादी के दिन से ही शुरू हो गई थी, लेकिन अब ऐसी गांठ पड़ी जो कभी सुल?ा नहीं पाई. अब सीमा उस घड़ी को कोसती है जब वह मां का हाथ पकड़ कर मायके आई थी.

नोएडा की स्मिता की शादी को 2 साल हो चुके हैं, एक बेटा भी है. किसी छोटी सी बात पर पति के साथ ?झगड़ा हुआ तो उस ने तुरंत अपनी मां से बढ़ाचढ़ा कर शिकायत कर दी. छोटीछोटी बातों में कहासुनी भला किस पतिपत्नी में नहीं हुआ करती. लेकिन स्मिता की रोजरोज की कहासुनी और अनबन की बात सुन कर उस की मां ने उसे अपने पास बुला लिया. उस के बाद उत्पीड़न का केस कर दिया. दरअसल, स्मिता संयुक्त परिवार में नहीं रहना चाहती थी. इसी वजह से घर में आए दिन क्लेश होता रहता था. वह बच्चे को ले कर मायके आ गई और दहेज उत्पीड़न का आरोप लगा कर अदालत में मुकदमा दायर कर दिया.

इस तरह से शादी के बाद बेटी का परिवार बिखरने के करीब 40 फीसदी मामलों में लड़की की मां का हस्तक्षेप प्रमुख कारण बनता है. पिछले 4 वर्षों में महिला परिवार परामर्श केंद्र में पहुंचे हुए मामलों में यह हकीकत सामने आई है. 4 सालों में यहां 1647 मामले पहुंचे, इन में से करीब 600-700 मामलों में लड़की की मां के हस्तक्षेप के कारण बात बिगड़ी. काउंसलिंग के बाद कई परिवार बिखरने से बच गए तो कुछ परिवार मां के अनुचित हस्तक्षेप के कारण बिखर गए.

मातापिता का हस्तक्षेप

परिवारों में देखा जाता है कि इकलौती बेटी की हर इच्छा या जरूरत को पेरैंट्स पूरी करने की बहुत ज्यादा कोशिश करते हैं क्योंकि वह उन के जीवन की सब से कीमती चीज होती है. भाईबहनों के न होने से इकलौती बेटियां अपने कंधे पर बहुत बड़ा बोझ लिए होती हैं. पेरैंट्स और बेटियां दोनों एकदूसरे के लिए चिंतित और परेशान रहते हैं. इकलौती बेटियों को केवल अपनी खुद की जरूरतों पर ध्यान देने की आदत होती है. ऐसे में दूसरों के लिए सहानुभूति महसूस करने में उन्हें मुश्किल होती है.

चूंकि मातापिता लगातार उन की समस्याओं का हल करते रहे हैं, इसलिए किसी भी परेशानी के समय वे उन्हीं की सलाह मांगती हैं. चूंकि चीजें आसानी से मिलती रहीं, इसलिए किसी भी मुश्किल के आते ही घबरा जाती हैं. इकलौती बेटी का चूंकि घर में सब चीजों पर हक होता है, इसलिए उस के मन में यह प्रवृत्ति जन्म ले लेती है कि वह जो चाहती है, उसे पाना उस का अधिकार है. इकलौती बेटी अपने पेरैंट्स की उम्मीदों और महत्त्वाकांक्षाओं के लिए ही जीने की कोशिश में लगी रहती है.

तोहफे

तोहफे हर किसी को अच्छे लगते हैं. बहुत अधिक तोहफे दे कर आप अपनी बेटी की आदतों को बिगाड़ रही हैं. अगर ससुराल वाले आप की बेटी के शौकों को पूरा नहीं कर सकते तो आप आर्थिक सहायता देने का बिलकुल भी कष्ट न करें. इस तरह से आप उस के ससुराल वालों को नीचा दिखा रहे हैं और आपसी रिश्तों को खराब करने की शुरुआत कर रहे हैं.

आप बेटी के गृहस्थ जीवन में हस्तक्षेप न करें. अगर आप उस की ससुराल वालों और अपने दामाद से कुछ कहना भी चाहते हैं, तो इस तरह कहें कि उन्हें बुरा न लगे वरना इस वजह से आप और उन के संबंधों में खटास पड़ सकती है.

आज सुनने में भले ही अटपटा लगे लेकिन बात शतप्रतिशत सही है कि मांबाप के छोटीछोटी बातों में दखल देने से ही परिवार बहुत तेजी से टूट रहे हैं. मामला मनमुटाव और कहासुनी शुरू हो कर नौबत तलाक तक पहुंच रही है. अधिकांश मामलों में संबंध टूटने का मुख्य कारण बेटी की शादीशुदा जिंदगी में मां का अनुचित हस्तक्षेप करना होता है. इस वजह से इकलौती बेटियां अपनी ससुराल की उपेक्षा और मायके के प्रति अधिक झुकाव रखती हैं. मायके के प्रति समर्पित इकलौती लाडली पति और रिश्तेदारों को सम्मान नहीं देना चाहती.

दानदहेज ले कर आई इकलौती बेटी के मन में यह बात घर कर जाती है कि पति से रिश्तेदारी न हो कर उस की खरीदारी हुई हो और पति पर सिर्फ और सिर्फ उस का मालिकाना हक है. उस के बाद तो ससुराल में मनमानी और दुर्व्यवहार भी करने से नहीं चूकती और बढ़तेबढ़ते 7 फेरों का पवित्र बंधन कोर्टकचहरी के चक्करों में उलझ जाता है.

पारिवारिक रिश्तों में हो रहे क्षय के प्रमुख कारणों में से एक पतिपत्नी के दांपत्य जीवन में मां का अनुचित हस्तक्षेप देखा जा रहा है.

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