‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ न छोड़ेंगे...’ श्रुति और राधिका बचपन से साथ रही थीं. दोनों का परिवार भी एकदूसरे को काफी अच्छी तरह जानता था. दोनों ने अपनी पढ़ाई भी एकसाथ पूरी की और अब दोनों नौकरी भी एक ही कंपनी में करती थीं. इन की दोस्ती को देख कर लोग हैरान रह जाते थे.

मगर फिर दोनों में न जाने ऐसा क्या हुआ कि उन की दोस्ती भी टूट गई और साथ भी छूट गया.

दरअसल, 20 साल की दोस्ती में उन दोनों ने किसी तीसरे को कभी अपने बीच नहीं आने दिया था. वैसे श्रुति और राधिका की बहुत सी आदतें मेल खाती थी, लेकिन राधिका की एक आदत ऐसी थी जिसे श्रुति बचपन से झेलती आ रही थी. राधिका हमेशा लेट हो जाती थी. श्रुति हमेशा टाइम पर तैयार हो कर राधिका के घर पर पहुंच जाती थी और दोनों वहीं से औफिस जाती थीं. एक दिन श्रुति औफिस निकलने वाले टाइम पर उस के घर पहुंच गई. लेकिन राधिका फिर से लेट थी.

‘‘राधिका, तू अपनी आदत कब सुधारेगी? हद होती है किसी चीज की. अब हम स्कूलकालेज में नहीं पढ़ते हैं,’’ राधिका ने चिढ़े स्वर में कहा.

‘‘अरे सौरी... तू इतना गुस्सा क्यों हो रही है? बस 5 मिनट ही तो लेट हुए हैं. पहुंच जाएंगे,’’ राधिका औफिस पहुंचने तक श्रुति को मनाने का प्रयास करती रही. लेकिन श्रुति बहुत ज्यादा नाराज हो गई थी.

औफिस पहुंच दोनों अपनेअपने काम में लग गईं. राधिका का ध्यान काम में बिलकुल नहीं था. वह बारबार अपनी दोस्त की तरफ देखे जा रही थी. उधर हंसतेहंसते काम करने वाली श्रुति बहुत सीरियस हो कर काम कर रही थी.

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