लेखक- पारूल श्री

कीर्तिके होस्टल का पहला दिन था. 22 साल की कीर्ति इस से पहले कभी घर से दूर किसी दूसरे शहर जा कर होस्टल में नहीं रही थी. इसलिए वह काफी नर्वस थी, लेकिन साथ ही उत्साहित भी थी. शाम के 4 बजे जब वह होस्टल के कमरे में सामान ले कर पहुंची तो वहां पहले से एक लड़की मौजूद थी.

औपचारिक परिचय के बाद कीर्ति ने अपना सामान रख कर कमरे का जायजा लिया. कमरे में  3 बैड थे. एक कीर्ति का, दूसरा रिद्धिमा का, जो वहां पहले से थी और तीसरा रूहाना नाम की लड़की का था, जो उस समय वहां नहीं थी. कीर्ति से कुछ देर बातचीत के बाद रिद्धिमा किसी काम से बाहर चली गई. उस के जाने के बाद कीर्ति ने अपने कपड़े और सामान अलमारी में लगाया और बिस्तर पर लेट गई. वह थकी हुई थी, लिहाजा लेटते ही सो गई.

अचानक गेट पर हुई खटखट से उस की नींद खुली. घड़ी पर नजर डाली तो रात के 8 बज रहे थे. कमरे के दरवाजे पर रिद्धिमा थी. कुछ देर बाद रिद्धिमा उसे अपने साथ डिनर के लिए होस्टल के मैस में ले गई.

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रिद्धिमा 19 साल की शांत और सरल स्वभाव की लड़की थी और फर्स्ट ईयर में थी. इसलिए कीर्ति को भी उस के साथ घुलनेमिलने में ज्यादा वक्त नहीं लगा. रिद्धिमा कीर्ति को दीदी कह कर बुलाने लगी. खाना खा कर कुछ देर दोनों होस्टल के कैंपस में टहलने लगीं. रात के 10 बज चुके थे. कमरे पर लौटने के बाद रिद्धिमा पढ़ने बैठ गई और कीर्ति ने भी अपनी किताबें खोल ली.

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