किशोरावस्था के दौरान बच्चे और मातापिता के बीच का रिश्ता बड़े ही नाजुक दौर से गुजर रहा होता है. इस समय जहां बच्चे का साक्षात्कार नए अनुभवों से हो रहा होता है वहीं भावनात्मक उथलपुथल भी हावी रहती है. बच्चे इस उम्र में खुद को साबित करने और अपना व्यक्तित्व निखारने की जद्दोजहद में लगे होते है. विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण भी बढ़ रहा होता है. अगर आप जान लें कि आप के बच्चे के दिमाग में क्या चल रहा है तो इस स्थिति से निपटना शायद आप के लिए आसान हो जाएगा .किशोरावस्था की शुरूआत अपने साथ बहुत से शारीरिक बदलावों के साथसाथ हार्मोनल बदलाव भी लाती है जो मिजाज में उतारचढ़ाव और बिल्कुल अनचाहे बर्ताव के रूप में सामने आता है. ऐसे में बच्चे के साथ बेहतर तालमेल बैठाने के लिए पेरेंट्स को कुछ बातों का ख़याल जरूर रखना चाहिए.

1. दें अच्छे संस्कार

घर में एकदूसरे के साथ कैसे पेश आना है, जिंदगी में किन आदर्शों को अहमियत देनी है, अच्छाई से जुड़ कर कैसे रहना है और बुराई से कैसे दूरी बढ़ानी है जैसी बातों का ज्ञान ही संस्कार हैं. इस की बुनियाद एक परिवार ही रखता है. पेरेंट्स ही बच्चों में इस के बीज डालते हैं. ये कुछ भी हो सकते हैं जैसे ईमानदारी, बड़ों का आदर करना, जिम्मेदार बनना, नशे से दूर रहना ,हमेशा सच बोलना, घर में दूसरों से कैसे पेश आना है आदि , इन सभी बातों को लिख कर अपने बच्चे के कमरे में चिपका दें ताकि ये बातें बारबार उस के दिमाग में चलती रहे और वह इन बातों को जल्दी याद कर पाये.

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