आज की महिला मल्टी टैलेनटिड है, लेकिन जहां एक ओर दफ्तर में उससे उम्मीद रखी जाती है, वहीं घर को अच्छे ढंग से रखना, बच्चों को समुचित मार्गदर्शन देना, उन्हें प्यार व देखभाल से पालना, पढ़ाई-लिखाई व खेलकूद में सहयोग देना, सोसायटी में पति के कंधे से कंधा मिलाकर चलना, फैमिली और फ्रैंड्स के रिलेशनशिप निभाना जैसे कार्य भी उसी से अपेक्षित होते हैं. ऐसे में शारीरिक व मानसिक थकावट कब तनाव का रूप ले लेती है, पता ही नहीं चलता.

परिस्थिति का मुकाबला

आज जब आप इंटैलिजैंस और अवेयरनैस यानी बुद्धिमत्ता व जागरूकता को अपने व्यक्तित्व का एक अहम पहलू मानती हैं, तो यह अति आवश्यक है कि इमोशनल स्मार्टनैस का भी ध्यान रखें. घर हो या दफ्तर, आप को हर रोज कई तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. याद रखें की विपरीत परिस्थितियां तो रहेंगी, कहीं न कहीं ऐसे लोग भी आप के आसपास रहेंगे, जो सिर्फ दूसरों के लिए परेशानियां और कठिनाइयां उत्पन्न करना ही अपना फर्ज मानते हैं. दफ्तर में बौस अगर आप को बेवजह डांटते हैं या आप के सहकर्मी आप से व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा रखते हैं अथवा किसी प्रोजैक्ट की डैड लाइन तक आप काम पूरा नहीं कर पा रही हैं, तो समस्या की जड़ पर ध्यान दें. यह आप का नितांत व्यक्तिगत निर्णय होता है कि दुख, तनाव और परेशानी में घिर कर रोनाबिसूरना है या शांत व तटस्थ रह कर समस्या का हल ढूंढ़ना है.

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यही इमोशनल स्मार्टनैस है, जिस के अभाव में आप अपनी अक्षमताओं, असफलताओं और बेबसी पर बैठ कर आंसू बहाते हुए सब के सामने ‘इमोशनल फूल’ बन कर रह जाएंगी.

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