हमारे पड़ोस में रहने वाली 8 वर्षीया अविका कुछ दिनों से बहुत परेशान सी लग रही थी. कल जब मैं उसके घर गयी तो उसकी मम्मी कहने लगीं,"आजकल पूरे समय एक ही बात कहती रहती है मुझे मिस वर्ल्ड बनना है जिसके लिए सुंदर होना होता है मम्मा मुझे बहुत सुंदर बनना है..आप मुझे गोरा करने के लिए ये वाली क्रीम लगा दो, वो वाला फेसपैक लगा दो."

क्रिकेट का शौकीन 10 साल का सार्थक जब तब नाराज होकर घर से बाहर चला जाता है, अपनी बड़ी बहनों को मारने पीटने लगता है, मन का न होने पर जोरजोर से रोना प्रारम्भ कर देता है, उसे सचिन तेंदुलकर बनना है और वह बस क्रिकेट ही खेलना चाहता है.

कुछ समय पूर्व तक तनाव सिर्फ बड़ों को ही होता है ऐसा माना जाता है परन्तु आजकल बड़ों की अपेक्षा बच्चे बहुत अधिक तनाव में जीवन जी रहे हैं और उनके जीवन में समाया यह तनाव उनके स्वास्थ्य और पढ़ाई को भी प्रभावित कर रहा है. बच्चों में पनप रहे इस तनाव पर प्रकाश डालते हुए समाज कल्याण विभाग उज्जैन की वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक श्रीमती निधि तिवारी कहतीं हैं,"जिस उम्र में उन्हें मस्ती करते हुए जिंदगी का आनंद उठाना चाहिए उस उम्र में बच्चे तनाव झेल रहे हैं, बोर हो रहे हैं. बच्चों का इस तरह का व्यवहार बहुत चिंतनीय है." उनके अनुसार बच्चों के इस प्रकार के व्यवहार के लिए काफी हद तक अभिभावक ही जिम्मेदार हैं. यहां पर प्रस्तुत हैं कुछ टिप्स जिन पर ध्यान देकर आप अपने बच्चों को इस तनाव से बचा सकते हैं-

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...