अगर आप जान लें कि आप के बच्चे के दिमाग में क्या चल रहा है तो इस स्थिति से निबटना आप के लिए आसान होगा. बच्चे के साथ बेहतर तालमेल बैठाने के लिए पेरैंट्स को इन बातों का खयाल रखना चाहिए:

सिखाएं अच्छी आदतें

घर में एकदूसरे के साथ कैसे पेश आना है, जिंदगी में किन आदर्शों को अहमियत देनी है, अच्छाई से जुड़ कर कैसे रहना है और बुराई से कैसे दूरी बढ़ानी है जैसी बातों का ज्ञान ही संस्कार हैं. इस की बुनियाद एक परिवार ही रखता है. पेरैंट्स ही बच्चों में इस के बीज बोते हैं.

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थोड़ी आजादी भी दें

घर में आजादी का माहौल पैदा करें. बच्चे को जबरदस्ती किसी बात के लिए नहीं मनाया जा सकता. मगर जब आप सहीगलत का भेद समझा कर फैसला उस पर छोड़ देंगे तो वह सही रास्ता ही चुनेगा. उस पर किसी तरह का दबाव डालने से बचें. बच्चा जितना ज्यादा अपनेआप को दबाकुचला महसूस करेगा उस का बरताव उतना ही उग्र होगा.

खुद मिसाल बनें

बच्चे के लिए खुद मिसाल बनें. बच्चे से आप जो भी कुछ सीखने या न सीखने की उम्मीद करते हैं पहले उसे खुद अपनाएं. ध्यान रखें बच्चे मातापिता के नक्शेकदम पर चलते हैं. आप उन्हें सफलता के लिए मेहनत करते देखना चाहते हैं तो पहले खुद अपने काम के प्रति समर्पित रहें. बच्चों से सचाई की चाह रखते हैं तो कभी खुद झूठ न बोलें.

सजा भी दें और इनाम भी

जहां बच्चों को बुरे कामों के लिए डांटना जरूरी है वहीं वे कुछ अच्छा करते हैं तो उन की तारीफ करना भी न भूलें. आप उन्हें सजा भी दें और इनाम भी. अगर आप ऐसा करेंगे तो बच्चे को निश्चित ही इस का फायदा मिलेगा. वह बुरा करने से घबराएगा और अच्छा कर इनाम पाने को उत्साहित रहेगा. यहां सजा देने का मतलब शारीरिक तकलीफ देना नहीं है, बल्कि यह उसे मिलने वाली छूट में कटौती कर के भी दी जा सकती है जैसे टीवी देखने के समय को घटा या घर के कामों में लगा कर.

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