प्यार एक खूबसूरत एहसास है. प्यार से सुंदर कुछ नहीं पर जिद या ग्रांटेड ले कर प्यार करना बेकार है. प्यार को प्यार की नजर से करना ही सही है. कई बार व्यक्ति प्यार समझ नहीं पाता. प्यार अचानक होता है और इस में कोई एज फैक्टर, कास्ट, क्रीड आदि कुछ मायने नहीं रखता.

प्रेम बन सकता है तनाव का सबब

प्यार किसी के लिए दवा का काम करता है तो किसी के लिए तबाही और बदले का सबब भी बन जाता है. हर इंसान अपने व्यक्तित्व और परिस्थितियों के हिसाब से प्यार को देखता है. प्यार अंधा होता है पर कितना यह बाद में पता चलता है. इस लिए फौल इन लव कहते हैं यानी आप प्यार में गिर जाते हैं. गिर जाना यानी अपनी आईडेंटिटी, अपना सब कुछ भूल जाते हैं. इस के अंदर आप खुद को भूल कर दूसरे को सिर पर चढ़ा लेते हैं. इस लिए प्यार में बहुत से लोग पागल हो जाते हैं तो कुछ आत्महत्या कर लेते हैं.

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प्यार किस तरह की पर्सनैलिटी वाले शख्स ने किया है इस पर काफी कुछ डिपेंड करता है. इमोशनली अनस्टेबल पर्सनैलिटी के लिए प्यार हमेशा डिपेंडेंट फीचर रहता है. उस की सोच होती है कि दूसरा शख्स मेरा ध्यान रखेगा, मुझे प्यार करेगा, मुझे संभालेगा. वह एक तरह से दूसरे बंदे पर पैरासाइट की तरह चिपक जाता है. इस तरह के लोग काफी कमजोर होते हैं. वे बहुत जल्द खुश हो जाते हैं तो जल्द डिप्रेशन में भी आ जाते हैं.

प्यार में 3 फैक्टर्स बहुत हाई लेवल पर रहते हैं; पहला त्याग, दूसरा कंपैटिबिलिटी और तीसरा दर्द. दूसरा बंदा आप को किस तरह से देख रहा है, आप को कितने अंको पर आंक रहा है यह भी काफी महत्वपूर्ण है. वह आप से किस लेवल तक क्या चाहता है यह देखना भी जरुरी है.

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