‘‘मां,देखो यह रिफ्ट जींस कैसी लग रही है?’’

‘‘उफ, यह फटी जींस का बाजार में बिकना तो मेरी समझ से बाहर है. तुम दूसरी जींस देखो.’’

‘‘मां, आप को तो मेरी पसंद की कोई ड्रैस पसंद ही नहीं आती. मेरी सभी सहेलियां ऐसे ही कपड़े पहनती हैं.’’

‘‘यहां और भी कपड़े हैं. तुम उन्हें ट्राई करो. मैं लेने से मना तो नहीं कर रही,’’ अपनी टीनऐजर बेटी को समझाते हुए मां बोलीं. हो सकता है आप को भी अपने बच्चों से ऐसा सुनने को मिलता हो. दरअसल, टीनऐजर्स सुंदर दिखना चाहते हैं. उन पर इस उम्र में फिल्मों का प्रभाव इतना अधिक हो जाता है कि हर टीनऐजर फिल्मी हीरोहीरोइन की तरह आकर्षक दिखना चाहता है.टीनऐजर्स के रोल मौडल सुंदरसुंदर कपड़े पहने हीरोहीरोइन ही होते हैं. वे भी उन के जैसा स्टाइलिश दिखना चाहते हैं. अभिभावक भी अपने बच्चों को सुंदर देखना चाहते हैं, पर उन के फैशन की वजह से वे कई बार चिंता में पड़ जाते हैं.

मातापिता का नजरिया

टीनऐजर्स बेटों की मां पूनम कहती हैं, ‘‘जैसेजैसे दोनों बेटे बड़े हो रहे हैं वैसेवैसे उन के पहनावे को ले कर हम में विरोधाभास उत्पन्न होता जा रहा है. बड़ा बेटा राहुल सारा दिन शौर्ट्स में रहना पसंद करता है. यहां तक कि पारिवारिक फंक्शन में भी वह ऐसे ही कपड़ों में जाना पसंद करता है. जबकि मैं चाहती हूं कि वह पैंटकमीज भी पहने जैसे और बच्चे पहनते हैं. पर वह हमारे टोकने पर नाराज हो कर अपने को कमरे में बंद कर लेता है. दूसरे बेटे ऋषभ ने खूब लंबे बाल रखे हैं और उन्हें रबड़बैंड से लड़कियों की तरह बांधे रखता है. उसे ऐसा करना कूल लगता है पर नातेरिश्तेदार इस का सारा दोष मुझे देते हैं. समझ में नहीं आता क्या करूं?’’

यह कहानी पूनम की ही नहीं, बल्कि लगभग हर मातापिता की है. इसी को जैनरेशन गैप कहते हैं. पहले बच्चे अपने कपड़ों के चयन पर मातापिता पर निर्भर रहते थे. उन्होंने जो कपड़े खरीद दिए जाते थे वे उन्हें पहन लेते थे. परंतु अब समय बदल गया है. कपड़ों के चयन को ले कर बच्चे काफी सजग हो गए हैं. इंटरनैट की दुनिया ने उन्हें घर पर हर नए फैशन ट्रैंड की जानकारी उपलब्ध करवा दी है. आजकल ज्यादातर मातापिता दोनों कामकाजी होते हैं, इसलिए आर्थिक रूप से वे सक्षम होते हैं. सभी अपने बच्चों को बेहतर चीजें ले कर देना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक संपन्नता ने उन्हें सामाजिक रूप से अक्षम बना दिया है. नातेरिश्तेदारों में बच्चों की उपस्थिति काफी कम हो गई है. बच्चे अपने दोस्तों में मस्त हैं और वे सभी एकदूसरे की नकल करते हैं.

अलगअलग नजरिया

सपना अपनी इकलौती बेटी सुप्रिया से अकसर परेशान रहती है. सुप्रिया, सुप्रिया से कब सु हो गई सपना को पता ही नहीं चला. उस के सभी दोस्त उसे सु कह कर पुकारते हैं. अपने उलझे बालों का जूड़ा बनाए ही वह कालेज चली जाती है. अपने इसी स्टाइल की वजह से वह अपने दोस्तों में लोकप्रिय है. सपना को उस का यह फंकी पहनावा फूटी आंख नहीं भाता है, इसलिए वह उसे अपने साथ किसी फैमिली फंक्शन में नहीं ले जाती है. सपना को हमेशा यह डर लगा रहता है कि लोग क्या कहेंगे. धीरेधीरे सुप्रिया और सपना ने अपनी अलगअलग दुनिया बसा ली. अकसर मातापिता सपना जैसी गलती कर बैठते हैं. इस से अलगाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और कुछ हासिल नहीं होता.

दिशा दें

विजयलक्ष्मी तमिल ब्राह्मण परिवार से हैं. उन के यहां पारिवारिक फंक्शन होते रहते हैं जिन में ट्रैडिशनल ड्रैस पहनना अनिवार्य समझा जाता है. उन की बेटी पारिवारिक फंक्शनों में ट्रैडिशनल ड्रैस में ही जाती है, मगर अपने कालेज और दोस्तों के साथ रहने पर जींस टीशर्ट पहनती है. विजयलक्ष्मी कहती हैं कि शुरूशुरू में वह विरोध करती थी, परंतु जब मैं ने उसे इंडोवैस्टर्न तरीके से ड्रैसअप होने का सुझाव दिया, तो उस ने उसे मान लिया. फिर जब उस ने उस परिधान में खींचा गया अपना फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड किया तो उसे बहुत पसंद किया गया. अब जहां वह ऐसे परिधान में ऐंजौय फील करती है, वहीं उस की रचनात्मकता को भी नया आयाम मिलता है. उस की सहेलियां उस के इस अंदाज की कायल हैं. मातापिता को बच्चों को समझने और समझाने की जरूरत होती है. इस के लिए उन्हें उन के नजदीक आना होगा. थोड़ा सा प्रयत्न कर के वे बच्चों का विश्वास जीत सकते हैं. रवीना कहती हैं कि उन की बेटी को सैक्सी दिखना पसंद है. वह अकसर ऐसे कपड़ों का चयन करती है, जो मौडल पहनती हैं और उन्हें पहन कर घंटों पोज बना कर फोटो खींचती है. रवीना ने उसे समझाया कि ऐसे कपड़े पहन कर बाहर जाने से उसे तरहतरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए जब भी बाहर जाए तो स्टोल आदि डाल लिया करे. धीरेधीरे उसे समझ में आने लगा कि समाज में रहने के कुछ कायदे होते हैं, हर जगह एकजैसे कपड़े पहन कर नहीं जाया जा सकता. विनय अपने टीनऐजर बेटे के साथ जम कर शौपिंग करते हैं. अपने कपड़ों को भी खरीदने के लिए बेटे की सहायता लेते हैं. वे बेटे की तरह ही जींस और टीशर्ट पहनते हैं. कूल पापा से बेटा भी खुश रहता है.

अभिभावक निम्न टिप्स पर गौर कर अपने टीनऐजर्स बच्चों के साथ बेहतर तालमेल बना सकते हैं: 

बच्चों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ें और उन का नजरिया समझने का प्रयास करें.

कभीकभी उन्हें भी मौका दें अपने अनुसार तैयार होने का.

उन्हें पारिवारिक फंक्शनों का हिस्सा बनाएं. उन के साथ बैठ कर यह निर्णय लें कि फंक्शन में सब के लिए किस प्रकार के कपड़े खरीदे जाएं.

उन्हें खूबसूरती का असली अर्थ समझाएं. उन्हें व्यावहारिक बनाने का प्रयत्न करें.

इंडोवैस्टर्न कपड़ों का महत्त्व समझाएं.

आजकल बहुत से ब्रैंड ऐसी ड्रैसेज बाजार में ला रहे हैं, जो इंडोवैस्टर्न फैशन से प्रेरित हैं और उन्हें टीनऐजर्स पसंद भी कर रहे हैं.

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