एक समय था जब प्यार सिर्फ प्यार ही होता था. लेकिन आज के समय में रिश्तों में प्यार के अलावा सब है. ऐवलांचिंग डेटिंग भी इसी का आधुनिक रूप है. प्यार, पार्टनरशिप, अपनापन, लगाव, समर्पण, त्याग जैसे शब्द अधिकांश रिश्तों में अब सिर्फ नाम के रह गए हैं. इन सभी प्यारे शब्दों की जगह अब मतलब, पहुंच, स्वार्थ, दिखावे जैसे शब्द लेते जा रहे हैं. यही कारण है कि कभी जनमजनम तक चलने वाली साझेदारी अब कुछ सालों तक भी नहीं चल पाती है. साथी के होते हुए भी दूसरे लोगों की तरफ आकर्षित होना, हमेशा बेहतर की तलाश में जुटे रहना, एकसाथ 2-3 रिश्तों में रहना जैसी बातें अब बहुत ही आम होती जा रही हैं.

रिश्तों के इसी भंवर में अब नया शब्द उभरा है ऐवलांचिंग डेटिंग.

क्या है ऐवलांचिंग डेटिंग

इस फैंसी शब्द के पीछे का उद्देश्य धोखे और स्वार्थ में डूबा हुआ है. इस में शख्स साथी की तलाश में लगातार डेटिंग ऐप्स खंगालने में जुटा रहता है. वह दूसरों को लगातार प्यारभरे संदेश भेजता है और उस के इस कदर पीछे पड़ जाता है कि ‘हां’ कहना सामने वाले की मजबूरी बन जाता है.

हालांकि सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि वह शख्स ऐसा किसी का प्यार पाने के लिए नहीं करता, बल्कि इसलिए करता है जिस से वह उस साथी के साथ किसी पार्टी, सैलिब्रेशन आदि में दिखावा कर सके. वह दुनिया को यह बता सके कि वह अकेला नहीं है, उस के पास भी एक अच्छा साथी है.  वैलेंटाइन डे, न्यू ईयर, क्रिसमस जैसे समय तो ऐसे लोगों की बाढ़ सी आ जाती है.

नुकसान का सौदा है

पिछले कुछ सालों में भारत में औनलाइन डेटिंग ऐप्स का चलन काफी ज्यादा बढ़ गया है. इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 5 सालों में औनलाइन डेटिंग ऐप्स के उपयोग में 293% तक की वृद्धि हुई है.

साल 2023 में यह संख्या 82.4 लाख के पार पहुंच गई. इस बड़े प्लेटफौर्म के कारण ऐवलांचिंग डेटिंग करना काफी आसान हो गया है. हालांकि शुरुआत में लोगों को शानदार लगने वाला यह तरीका उन के लिए बड़ी परेशानी भी बन सकता है.

दरअसल, पार्टनर ढूंढ़ने की जल्दबाजी में अकसर लोग सामने वाले की पूरी पड़ताल करना ही भूल जाते हैं. वे न तो उन की उम्र देखते हैं और न ही परिदृश्य. ऐसेे में यह रिश्ता सिर्फ एक समझौता बन कर रह जाता है. उद्देश्य पूरा होने के बाद साथी एकदूसरे के प्रति उदासीन हो जाते हैं. यही कारण है कि ऐसे रिश्ते लंबे समय तक नहीं चल पाते.

व्यक्तित्व का आईना है ऐवलांचिंग डेटिंग

आप जो भी काम करते हैं, वह कहीं न कहीं आप के व्यक्तित्व का आईना होता है. ऐवलांचिंग डेटिंग के साथ भी कुछ ऐसा ही है. आमतौर पर ऐसी डेटिंग करने वाले लोगों में आत्मविश्वास की कमी होती है. वे हमेशा इसी बात को सोचते रहते हैं कि लोग क्या कहेंगे और इन्हीं के चक्कर में वे जल्दबाजी में पार्टनर की खोज में जुट जाते हैं.

ऐसे लोग हमेशा अपनी खुशियों के लिए दूसरों पर ही निर्भर रहते हैं. वे खुद से प्यार करना नहीं जानते हैं. वे हमेशा चिंताग्रस्त रहते हैं.

क्यों न अपनाएं सही रास्ता

ऐवलांचिंग डेटिंग करने वाला शख्स हमेशा से इस बात को जानता है कि वह यह सब जल्दबाजी में कर रहा है. ऐसे में सब से जरूरी है कि आप अपनी प्राथमिकता को बदलें. सब से पहले खुद से प्यार करें और फिर शांति से प्यार की तलाश में जुटें.​

किसी को अपना साथी सिर्फ इसलिए नहीं बनाएं कि साथी दिखना जरूरी है बल्कि इसलिए बनाएं कि साथी को आप सच में जिंदगी चाहते हैं. अगर आप के दोस्त और अन्य लोग आप को पार्टनर बनाने के लिए बाध्य कर रहे हैं तो उस के पीछे उन की मंशा को पहचानना भी जरूरी है.

 

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