कुछ साल पहले तक लड़केलड़की या पुरुषमहिला के बीच प्यार के माने अलग थे. रिश्ते की शुरुआत बात करने से होती थी. उस के बाद दोस्ती होना, एकदूसरे के लिए अट्रैक्शन और फीलिंग्स महसूस करना, फिर डेटिंग और प्यार में पड़ना बहुत सहज और इमोशनल घटना होती थी. इस के बाद दोनों शादी के सपने देखते थे और पूरी जिंदगी साथ गुजारने का वादा करते थे. तब अपने पेरैंट्स से मिलवाने का शगल शुरू होता था.

वह ऐसा वक्त था जब लोग प्यार के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते थे और रिश्ता भावनाओं से भरपूर होता था. मगर आज के डिजिटल युग में सबकुछ बदलने लगा है. तेज रफ्तार मौडर्न जैनरेशन को हर चीज बदलने और कुछ नया पिक करने की आदत है. आज जो मोबाइल बहुत उत्साह से खरीदा है एकडेढ़ साल के अंदर वही मोबाइल आंखों में खटकने लगता है. उसे किनारे कर नए मौडल का मोबाइल लेने की होड़ लग जाती है. इसी तरह उन्हें रिश्ते भी बदलने की लत लगती जा रही है. एक ही रिश्ते को जिंदगीभर कौन ढोए?

क्या पता कल कोई और खूबसूरत लड़की मिल जाए, कल कोई ज्यादा पसंद आ जाए, ज्यादा कूल, रिच और स्मार्ट मिल जाए. बस इसी चक्कर में वे रिश्तों में भी कमिटमैंट से बचने लगे है.

रोमांचकारी अनुभव

लोगों को सबकुछ तुरंत चाहिए और मन भर जाए तो तुरंत स्क्रौल करते हुए आगे बढ़ जाते हैं. डिजिटल युग की वजह से आज औप्शन बहुत हैं इसलिए एक के पीछे समय बरबाद करना नहीं चाहते. यही वजह है कि आज रिलेशनशिप ट्रैंड में काफी बदलाव आए हैं. आज युवाओं की रिलेशनशिप्स में कमिटमैंट की कमी दिखने लगी है. वे सिचुएशनशिप के कौंसैप्ट को फौलो करने लगे हैं.

2011 में जस्टिन टिम्बरलेक और मिला कुनिस की फिल्म ‘फ्रैंड्स विद बैनिफिट्स’ आई और इस के साथ रिलेशनशिप में फ्रैंड्स विद बैनिफिट्स का कौंसैप्ट युवाओं में लोकप्रिय बन गया था. उसी साल एश्टन कचर और नताली पोर्टमैन ने भी युवा मिलेनियल्स को नौनकमिटल रिलेशनशिप का स्वाद दिया यानी बिना ज्यादा तनाव लिए या इमोशनल हुए रोमांस या प्यार के संबंधों में आगे बढ़ना.

यह नया और रोमांचकारी अनुभव था. सार्वजनिक रूप से एक जोड़े की तरह न तो साथ होने का दिखावा करना, न कोई रोमांटिक डायलौग बोलना, न इमोशनली जुड़ना और न ही कुछ और लागलपेट. बस सीधे संबंध बनाना और जिंदगी ऐंजौय करना.

इस नौनकमिटल रिलेशनशिप का एक नया रूप हाल ही में सामने आया है. जेन जेड और मिलेनियल्स ने अपने रोमांटिक संबंधों को परिभाषित करने के लिए अन्य कई भ्रामक शब्दों के एक समूह के बीच हमें एक और नया शब्द दिया है और वह है सिचुएशनशिप. यह शब्द 2019 में खासा लोकप्रिय हुआ. रिएलिटी टीवी शो लव आइलैंड की प्रतिभागी अलाना मौरिसन ने अपनी डेटिंग हिस्ट्री बताने के लिए इस ‘सिचुएशनशिप’
शब्द का इस्तेमाल किया था.

एक नया ट्रैंड

यही वजह है कि युवा पीढ़ी के बीच रिलेशनशिप का एक नया ट्रैंड बहुत तेजी से पौपुलर हो रहा है और वह है सिचुएशनशिप जिस में रिलेशनशिप में की जाने वाली किसी भी चीज का कोई प्रैशर नहीं होता खासतौर से कमिटमैंट का. रिश्ते तभी तक टिकते हैं जब तक सब सही चल रहा हो.

आज पुरुषों से ले कर महिलाओं तक डेटिंग ऐप का इस्तेमाल कर रही हैं. लोग सिंगल रहना ज्यादा पसंद कर रहे हैं और अगर शादी के बाद आपस में बन नहीं रही तो एकदूसरे को ?ोलने के बजाय अलग होने में बिलकुल संकोच नहीं कर रहे हैं. मतलब सबकुछ एकदम क्लीयर कट.

ऐसे ही नए नए ट्रैंड्स में एक और टर्म बहुत तेजी से पौपुलर हो रही है और वह है सिचुएशनशिप.

क्या है सिचुएशनशिप

सिचुएशनशिप हिंदी के 2 शब्दों ‘सिचुएशन’ और ‘रिलेशनशिप’ को मिला कर बनाया गया है. सिचुएशनशिप में सबकुछ परिस्थिति पर निर्भर करता है. रोमांस और फिजिकल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 2 लोग साथ में आ सकते हैं. दोनों एकदूसरे के साथ घूमने जा सकते हैं, लंच या डिनर कर सकते हैं. इस रिश्ते को कोई नाम नहीं दिया जाता है. कई बार लोग सिचुएशनशिप में एकदूसरे के साथ सिर्फ वक्त बिताने के लिए भी साथ आ सकते हैं. इस रिश्ते में साथी बिना कुछ ऐक्सप्लेन किए दूसरे साथी को छोड़ सकता है.

सरल शब्दों में कहें तो सिचुएशनशिप एक अपरिभाषित रिश्ता है जहां लोग अंतरंग होते हैं लेकिन एक व्यक्ति तक सीमित होने या उस के साथ रिश्ते में बंधना पसंद नहीं करते हैं. यानी सिचुएशनशिप एक ऐसी डेटिंग है जिस में 2 लोग बिना किसी वादे या कमिटमैंट के एकसाथ रहते हैं.

वे इस रिश्ते के बारे में न तो किसी को बताना चाहते और न ही इसे कोई नाम देना चाहते हैं.
2 लोग एकदूसरे की जरूरत को पूरा करने के लिए साथ में रहते हैं. सिचुएशनशिप में कुछ भी परिभाषित नहीं है. आप इसे गोइंग विथ फ्लो कह सकते हैं. मिजाज बदला और पार्टनर भी बदल गए. कुछ ऐसा ही फलसफा है इस रिश्ते का. कुछ मामलों में यह सही है तो कुछ मामलों में बहुत गलत.

क्यों पसंद कर रहे हैं सिचुएशनशिप में रहना

नई जैनरेशन किसी भी शर्त पर अपनी आजादी के साथ सम?ाता नहीं करना चाहती है. युवा अपने मुताबिक जीवन जीना चाहते हैं और खुद को स्वतंत्र रखना चाहते हैं. दरअसल, जब आप किसी रिश्ते में होते हैं तो अपने साथी की बातों पर ध्यान देना होता है जिस से उन की आजादी छिन जाती है. इस के साथ ही लव रिलेशनशिप एक जिम्मेदारी भरा रिश्ता होता है.

इसलिए जब कोई इंसान कमिटमैंट या जिम्मेदारी जैसी चीजों से बचना चाहता है तो वह सिचुएशनशिप में रहना पसंद करता है क्योंकि इस में साथी से कोई वादा या कमिटमैंट करने की आवश्यकता नहीं होती है. इस में 2 लोग केवल एकदूसरे के साथ लव रिलेशनशिप के फायदों को शेयर करने के लिए साथ होते हैं.
इस के अलावा जब किसी इंसान को अपने पहले प्यार में धोखा या सफलता नहीं मिलती तो वह मात्र ऐंजौयमैंट के लिए सिचुएशनशिप में आना पसंद करता है.

सिचुएशनशिप और रिलेशनशिप में क्या अंतर

जब 2 लोगों के बीच गहरा प्यार होता है तो वे रिलेशनशिप में आते हैं यानी इस में 2 लोगों के रिश्ते को प्यार का नाम दिया जाता है. जो लोग इस रिश्ते में होते हैं वे एकदूसरे को अपने दोस्तों और परिवार वालों से मिलाना पसंद करते हैं. वे एकदूसरे को गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड के रूप में मिलवाते हैं. इस में दोनों लोगों के बीच प्यार होता है और वे फ्यूचर के बारे में बात करना पसंद करते हैं.

वे एकदूसरे के साथ अपना जीवन बिताना चाहते हैं. जब 2 लोग रिलेशनशिप में होते हैं तो उन का रिश्ता शादी तक पहुंच सकता है. इस में दोनों को एकदूसरे के सवालों के जवाब देने होते हैं. एकदूसरे की जिम्मेदारियां उठानी पड़ती है, एकदूसरे की जरूरतों का खयाल रखना होता है.

वहीं आज के डिजिटल युग में ‘सिचुएशनशिप’ वर्ड काफी ट्रैंड कर रहा है. इस का मतलब है कि 2 लोग किसी सिचुएशन में एकसाथ रहते हैं.  इस में 2 अनजान लोग भी एकदूसरे के साथ जुड़ सकते हैं. सिचुएशनशिप की सब से बड़ी विभिन्नता है कि इस में कोई वादा नहीं होती है. सिचुएशनशिप में दोनों ही पार्टनर पर्सनल सवालों से मुक्त रहते हैं.

इस रिश्ते में दोनों लोग बिना किसी शर्त के एकसाथ रहते हैं और अच्छा समय बिताते हैं. रिलेशनशिप में 2 लोग प्यार की वजह से एकदूसरे के साथ जुड़े होते हैं, जबकि सिचुएशनशिप में 2 लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जुड़े होते हैं. सिचुएशनशिप में दोनों भविष्य के बारे में बातचीत से बचते हैं. लंबे समय के लिए योजनाओं, वादों या सपनों की चर्चा नहीं करते क्योंकि वे उस रिश्ते को लंबे समय तक निभाने की नहीं सोचते. सिचुएशनशिप में भावनात्मक संबंध और इंटिमेसी हो सकती है लेकिन यह प्यार के नौर्मल रिश्तों में अकसर पाई जाने वाली गहराई के स्तर तक नहीं पहुंच सकती है.

सिचुएशनशिप के फायदे

फ्लैक्सिबिलिटी: सिचुएशनशिप में फ्लैक्सिबिलिटी होती है मतलब कोई वादा, दिखावा नहीं करना पड़ता और न ही एकदूसरे से सवालजवाब का चक्कर होता है. इस माने में यह अच्छा है. आप अपने हिसाब से रिश्ते को मोल्ड कर सकते हैं. कमिटमैंट के दबाव के बिना कनैक्शन तलाशने की स्वतंत्रता होती है.
कम दबाव: सिचुएशनशिप में आप के ऊपर कोई बर्डन नहीं होता कि ऐसा ही करना पड़ेगा या रिश्ता निभाना ही पड़ेगा यानी इस में किसी के ऊपर किसी भी तरह का प्रैशर नहीं होता. आप अपनी मरजी और खुशी से इस रिश्ते में होते हैं. सम?ा न आए तो साथी को बिना कुछ ऐक्सप्लेन किए छोड़ भी सकते हैं. यह उन व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से आकर्षक है जिन के जीवन में अन्य प्राथमिकताएं होती हैं. जो अपने
कैरियर या लाइफस्टाइल से सम?ाता नहीं करना चाहते या किसी और की वजह से जिंदगी का मकसद या जीने का तरीका नहीं बदलते.

नुकसान: मगर सच यह भी है कि भले ही साथ रहने का प्रैशर और जिम्मेदारियों के बो?ा से दूर सिचुएशनशिप एक बहुत सुखद स्थिति लग सकती है लेकिन यह बहुत कठिन रास्ता होता है जिस पर अगर सावधानी से न चला जाए तो जख्मी होने का खतरा रहता है. मुश्किल तब आती है जब इस में शामिल 2 लोगों में से किसी एक की भावनाएं गंभीर होने लगें और वह अपनेआप से कमिटमैंट चाहने लगे.

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