Vaping : वेपिंग यानी ई सिगरेट एक नया और कम समझ गया खतरा बन चुका है खासकर युवाओं और किशोरों के बीच.
इस कहानी में हम 3 पात्रों के माध्यम से वेपिंग की सचाई, इस से होने वाले नुकसान और इस की लत से बाहर निकलने के उपायों को समझेंगे.
कहानी शुरू होती है…
एक दिन अनुष्का और उस की दोस्त रिया सुबह पार्क में टहल रही थीं. रास्ते में वेपिंग की महक आती है. अनुष्का चौंक कर पूछती है.
अनुष्का: रिया, क्या तुम्हें भी यह अजीब सी महक आ रही है? कहीं कोई वेपिंग तो नहीं कर रहा?
रिया (मुसकराते हुए): हां, शायद. आजकल यह बहुत कौमन हो गया है खासकर टीनएजर्स के बीच. लेकिन लोग समझते नहीं कि यह कितनी खतरनाक है.
अनुष्का: हां, मेरे कजिन ने भी वेप पेन खरीद लिया है. कहता है इस से सिगरेट की लत छूट जाएगी.
रिया: यही सब से बड़ा भ्रम है. शाम को डा. निधि की हैल्थ टौक भी है जो टोबैको सैंसेशन स्पैशलिस्ट हैं.
वेपिंग क्या है
वेपिंग का मतलब है ई सिगरेट से निकले ऐरोसोल को सांस के साथ अंदर लेना. इस में निकोटिन, फ्लेवर और कई जहरीले कैमिकल होते हैं.
वेपिंग डिवाइस के 3 पार्ट्स
कार्ट्रिज: निकोटिन और फ्लेवर वाला लिक्विड हीटर/एटोमाइजर लिक्विड को ऐरोसोल में बदलता है.
बैटरी: डिवाइस को पावर देती है.
निकोटिन का जादू या जाल?
रिया: निकोटिन सीधे दिमाग पर असर करता है और डोपामिन रिलीज कराता है यानी वह कैमिकल जो खुशी का एहसास देता है. धीरेधीरे यह दिमाग को यह यकीन दिला देता है कि यह खानापानी से भी ज़्यादा ज़रूरी है.
निकोटिन दिमाग की प्राथमिकताएं बदल देता है. इसे कहते हैं ‘सर्वाइवल आफ हराकी’ का हाइजैक?
किशोर सब से ज्यादा खतरे में क्यों हैं?
किशोरों का दिमाग अभी विकसित हो रहा होता है, इसलिए निकोटिन उसे जल्दी अपनी पकड़ में ले लेता है. 21 साल की उम्र तक दिमाग स्थिर नहीं होता, जिस से लत लगने का खतरा बहुत ज्यादा होता है.
शाम को हैल्थ टौक में रिया और अनुष्का हैल्थ सेमिनार में जाती हैं जहां मंच पर डा. निधि बोल रही हैं:
डा. निधि: नमस्कार दोस्तो. आज हम बात करेंगे एक ऐसी आदत की जो हमें लगती है कूल पर अंदर ही अंदर हमारी सेहत को खा रही है और यह है वेपिंग.
वेपिंग के प्रमुख स्वास्थ्य जोखिम
फेफड़ों की बीमारी (पौपकार्न लंग डिजीज).
दिल के रोग (ब्लड क्लौट्स, हार्ट अटैक).
मुंह की बीमारियां (सड़न, कैंसर).
हारमोनल गड़बड़ी (बांझपन, इरैक्टाइल डिस्फंक्शन).
कैंसर (फोर्मल्डिहाइड जैसे तत्त्व).
इम्यूनिटी पर असर.
थर्ड हैंड स्मोक से बच्चों और पालतू जानवर को नुकसान.
क्या वेपिंग तनाव दूर करता है? बहुत से लोग सोचते हैं कि वेपिंग स्ट्रैस कम करता है पर असल में निकोटिन पहले स्ट्रैस बढ़ाता है और फिर थोड़ा आराम देता है और वह भी सिर्फ विथड्रावल सिंपटम्स (नशा वापसी लक्षण) रोकने के लिए.
यहां कुछ सामान्य नशा वापसी लक्षण दिए गए हैं:
चिंता और घबराहट: नशा छुड़ाने के दौरान व्यक्ति अकसर चिंतित, घबराया हुआ या बेचैन महसूस कर सकता है.
पसीना आना: कुछ लोगों को अचानक पसीना आने की समस्या हो सकती है.
मतली और उलटी: नशा छुड़ाने के दौरान कुछ लोगों को मतली और उलटी का अनुभव हो सकता है.
तेज हृदय गति: नशा छुड़ाने के दौरान हृदय गति तेज हो सकती है.
अनिद्रा: नशा छुड़ाने के दौरान नींद न आने की समस्या हो सकती है.
दर्द और मांसपेशियों में दर्द: नशा छुड़ाने के दौरान व्यक्ति को दर्द और मांसपेशियों में दर्द हो सकता है.
अन्य लक्षण: अन्य लक्षणों में भूख में बदलाव, वजन में बदलाव और मनोदशा में बदलाव शामिल हो सकता है.
यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि नशा वापसी लक्षण हर व्यक्ति में अलगअलग होते हैं. कुछ लोगों को हलके लक्षण अनुभव होते हैं, जबकि कुछ लोगों को गंभीर लक्षण अनुभव होते हैं. यदि आप को नशा छुड़ाने के लक्षणों का अनुभव हो रहा है तो तुरंत डाक्टर से परामर्श करना महत्त्वपूर्ण है. वेपिंग तनाव का इलाज नहीं वह खुद तनाव का कारण है.
कैसे पता करें कि बच्चा वेप कर रहा है?
रिया: अनुष्का, अगर तुम्हें अपने कजिन की आदत पर शक है तो ये लक्षण पहचानो :
वेपिंग के संकेत
मीठी/फ्रूटी खुशबू.
बारबार गला साफ करना या खांसी.
मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन.
बारबार प्यास लगना या नाक से खून आना.
वेपिंग कैसे छोड़ें
डा निधि की सलाह: याद रखें,
निकोटिन की लत सिर्फ आदत नहीं, ब्रेन डिजीज है. इसे छुड़ाने के लिए पूरा सिस्टेमैटिक प्लान चाहिए जिस में आप की मदद तंबाकू के स्पैशलिस्ट करेंगे.
गहरी सांस लें.
हाथ ऊपर उठाएं.
मुट्ठी बांधें, तनाव समेटें.
‘आह’ कह कर फेंकें.
इस ऐक्सरसाइज से स्ट्रैस दूर होता है.
तंबाकू छोड़ने के उपचार के लिए गैरऔषधीय व्यायाम:
हंसी चिकित्सा.
निर्देशित कल्पना.
गहरी सांस लेने के व्यायाम.
संगीत चिकित्सा.
पर्यावरण संशोधन
छोड़ने के बाद क्या फायदे मिलते हैं?
फायदे टाइमलाइन के अनुसार: 20 मिनट बीपी और पल्स सामान्य.
8 घंटे: कार्बन मोनोऔक्साइड घटती है.
48 घंटे स्वाद और गंध लौटती है.
1 साल: हार्ट डिजीज का रिस्क आधा.
5 साल: कैंसर और स्ट्रोक का खतरा बहुत घटता है.
15 साल: आप की उम्र एक नौनस्मोकर जैसी हो जाती है.
अनुष्का: अब समझ आया कि एक छोटी सी डिवाइस कितनी बड़ी मुसीबत बन सकती है. सही समय है बदलाव का. छोड़ने का फैसला सबसे बड़ी जीत होती है. जिंदगी निकोटिन की गुलाम नहीं, सफलता और आजादी की कहानी होनी चाहिए. स्वस्थ रहें, मुसकराते रहें.
-डा. रिया गुप्ता
(डैंटल सर्जन, टोबैको सैंसेशन स्पैशलिस्ट)