जिंदगी में आखिर क्या मिस करते है हिमेश रेशमिया, पढ़े इंटरव्यू

तेरा सुरूर….. सिंगर हिमेश रेशमिया के ये गाना हर कोई सुनना पसंद करते है, क्योंकि इस गाने में हिमेश ने प्यार की भावना को बहुत ही सुंदर तरीके से गाने की कोशिश की है. हिमेश एक इमोशनल सिंगर है, इसलिए उनके गीतों में मेलोडी अधिक होती है. हिमेश रेशमिया का जन्म 23 जुलाई 1973 को गुजरात में हुआ था. उनके पिता का नाम विपिन रेशमियां है और उनकी माँ का नाम मधु रेशमियां है. हिमेश के पिता की इच्छा थी कि उनका बड़ा बेटा संगीत की दुनिया में कुछ करें, लेकिन अचानक एक एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गयी और तब हिमेशकेवल 11 वर्ष के थे.उन्होंने अपने पिता की इच्छा को पूरा करने की वजह से संगीत में अपना कैरियर बनाया.केवल 16 साल की उम्र में हिमेश ने दूरदर्शन अहमदाबाद से अपने कैरियर की शुरुआत की थी.

मिली सफलता

 

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सलमान खान की फिल्म ‘प्यार किया तो डरना क्‍या’से उन्होंनेहिंदी फिल्मों के लिए संगीतकार का काम किया, फिल्म काफी हिट साबित हुई और इस फिल्म के बाद रेशमियां ने सलमान की कई फिल्मों में अपना संगीत दिया, जो हमेश सुपरहिट रहा. हिमेश को बतौर संगीत निर्देशक सफलता फिल्म तेरे नाम से वर्ष 2003 में मिली थी. सफल निर्देशन के बाद उन्होंने अपनी किस्मत गायकी में फिल्म ‘आशिक बनाया आपने’ से किया. इस फिल्म के गाने उस दौर में काफी हिट साबित हुए थे. साथ ही उन्हें इस फिल्म के बेहतरीन गानों के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ गायक के पुरुस्कार से भी नवाजा गया था. हिमेश हिंदी सिनेमा के पहले ऐसे गायक और संगीत निर्देशक हैं जिन्हें उनके पहले डेब्यू गाने के फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ नवोदित गायक के अवार्ड से नवाजा गया.

अभिनय करना पड़ा भारी

फिल्मों में कैरियर शुरू होने से पहले हिमेश संगीत के कई शो किया करते थे,जिन्हें लोग काफी पसंद करते थे. हिमेश का संगीत निर्देशन और गायकी का कैरियर हिंदी सिनेमा में सुपरहिट रहा, लेकिन उनका अभिनय कैरियर अच्छा नहीं था. उन्होंने बतौर अभिनेता कई फिल्मों में काम किया, लेकिन उनकी एक भी फिल्म सिनेमाघरों में दर्शकों का दिल नहीं जीत सकी. हिमेश की पहली शादी 21 वर्ष की उम्र में कोमल से हुई, उनसे उनका एक बेटा स्वयं रेशमिया है. कुछ सालों साथ रहने के बाद हिमेश ने कोमल को तलाक देकर दूसरी शादी सोनिया कपूर से की, जो उनकी लॉन्ग टर्म गर्लफ्रेंड रही है.

दिए अवसर

 

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हिमेश बड़े पर्दे के अलावा छोटे पर्दे पर भी कई रियलिटी शोज के जज बने और हर काबिल प्रतियोगी को गाने का अवसर भी देते रहे. इतना ही नहीं उन्होंने बंगाल की राणाघाट रेलवे स्टेशन पर गाना गाकर भीख मांगती हुई रानू मंडल को भी गाने का अवसर दिया, जिसकी वजह से आज वह स्टेज शो कर अच्छा कमाती है. हिमेश इन दिनों सोनी टीवी पर रियलिटी शो इंडियन आइडल 13 में एक बार फिर जज बनें है और अपने अनुभवों को उन्होंने वर्चुअल इंटरव्यू के जरिये बयान किया कि वे अभी भी इस रियलिटी शो से बहुत कुछ सीखते आ रहे है, जो उन्हें जीवन की हकीकतों से रूबरू करवाता है.

जीता हूँ बचपन

हिमेश कहते है कि इस शो के ज़रिये मैं अपने बचपन की उन पलों को जीता हूँ, जिसे अब मैं भूल चुका हूँ, ये बहुत बड़ा भावनात्मक पल मेरे लिए होता है, लेकिन अच्छा भी लगता है. इसका प्रेशर केवल ऑडिशन, शूटिंग और जज करने तक ही होता है, जिसे इन छोटे-छोटे बच्चों को देखने पर ख़त्म हो जाता है. पहले किसी भी प्रतिभा को आगे आने का कम अवसर मिलता था, लेकिन अब इस मंच के द्वारा ये बच्चे आगे बढ़कर संगीत को एक अच्छा प्रोफेशन बना सकते है. इसबार का सीजन बहुत अच्छा, और प्रतिभायुक्त है. कोविड के बाद इस बार काफी संख्या में बच्चों ने भाग लिया है, जिसमे सही प्रतिभा को चुनना बहुत मुश्किल हुआ.

फिटनेस पर ध्यान

हिमेश हमेशा अपने लुक्स को लेकर बहुत सजग रहते है और इसकी जिम्मेदारी वे अपनी पत्नी को देते है, जो हमेशा डाइटिशियन के हिसाब से होता है, खाना वे सब खाते है, लेकिन समय से उन्हें खाना पड़ता है. वे कहते है कि समय से खाना जरुरी है, लेकिन इस तरह के डाइट में टेस्ट कही रह जाता है. ऐसा मुझे कुछ विडियो सॉंग और प्रोजेक्ट के लिए करना पड़ता है, जिसे मेरी पत्नी लगन से करती है, पर ऐसा करना कठिन होता है.

जरुरी मेहनत करने का जज्बा

हिमेश हमेशा नए टैलेंट को मौका देते है और ये वे ऑडिशन के समय ही प्रतियोगी से कह देते है, जिससे उन्हें अच्छा गाने का प्रोत्साहन मिलता है. इसकी वजह के बारें में पूछे जाने पर उनका कहना है कि अगर ये बच्चे पुराने गाने इतने सुंदर गाते है तो ये नए गानों को भी सही तरीके से गा सकते है, और उन सभी ने मेरी आने वाली फिल्मों और वेब सीरीज में अच्छा प्रदर्शन दिया है. मेहनत करने का जज्बा बच्चों में होने की जरुरत होता है, क्योंकि आज भी जब कोई गाना किसी शुक्रवार को किसी फिल्म के रिलीज के बाद आती है, तो मेरी मेहनत वैसी ही रहती है, जितना पहले हुआ करती थी.

जरुरी पर्सनल एपिअरेंस

हिमेश आगे कहते है कि मैं विश्वास करता हूँ कि हर इंसान में कुछ न कुछ प्रतिभा होती है, जिसे बाहर निकालना पड़ता है. एक जमाना था जब सिर्फ प्लेबैक हुआ करता था, वहां एक आर्टिस्ट, गायक कलाकार की आवाज कोसुनते थे, किसी प्रकार की पर्सनल कनेक्शन गायक के साथ एक्टर्स का नहीं था.आवाज से जज किया जाता था, अगर एक्टर ने उस गाने को सही से निभा दिया है तो आप उससे कनेक्ट हो पाते थे, पर आज का जमाना एपीयरेंस का है, सोशल मीडिया एक्टिव हुआ है, उसमे सभी के आँखों का रिएक्शन,गाने का ढंग, ओवर आल प्रस्तुति सब सामने आती है. आवाज के अलावा उनके आसपास के लोगों का प्रभाव पड़ता है. जो कुछ के लिए आसान और कुछ को कठिन लगता है.

करता हूँ मिस

गायक हिमेश का कहना है कि मैंने अपने पिता के साथ बहुत छोटी उम्र से संगीत सीखना शुरू कर दिया था. पहले मैंने अधिक लाइव शूट नहीं किया है. बड़े स्टूडियों में सभी का एक साथ होने वालाइंटरेक्शन बहुत अच्छा था, वह अब कम होता है, अभी ट्रैक दिया जाता है और तकनीक का प्रयोग बहुत होता है. मेरे पिता ने 100 से अधिक म्यूजिशियन के साथ बड़े स्टूडियों में गाया है. 8 घंटे की रिहर्सल के बाद एक टेक में गाने को रिकॉर्ड करवाना,अब एक एपिक बन चुका है. वह प्रोसेस अब नहीं है और दर्शक भी उसे पसंद नहीं करेंगे, लेकिन उस प्रोसेस में जो वाइब्सथी उसे मैं बहुत मिस करता हूँ. उन पुराने गानों को अभी भी सब सुनते है और उनसे प्रेरित होकर नया गाना बनाते है.

GHKKPM: सई को चौह्वाण निवास ले जाएगी पाखी, प्रोमो वायरल

सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hain KisiKay Pyaar Mein) की कहानी लीप के बाद दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब हो रही है. जहां हाल ही में विराट और सई आमने सामने आए थे तो वहीं जल्द ही शो में सई का पाखी और चौह्वाण परिवार से भी सामना होने वाला है, जिसके चलते शो का नया प्रोमो सामने आ गया है. आइए आपको बताते हैं क्या है प्रोमो में खास (Ghum Hain KisiKay Pyaar Mein Promo)…

आमने-सामने आए सई-पाखी

 

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सीरियल के मेकर्स ने हाल ही में शो का नया प्रोमो शेयर कर दिया है, जिसमें पाखी और सई आमने सामने नजर आ रही हैं. दरअसल, सई प्रोमो में पाखी से मिलती हुई दिखाई दे रही है. वहीं घर में घुसते ही पत्रलेखा, सई से कहती है कि हम अपनी जिंदगी में कितना भी आगे क्यों न बढ़ जाएं, लेकिन अतीत हमें पीछे खींच ही लेता है, जिसके जवाब में सई कहती है, “अब मैं वो सई नहीं हूं जिसे आप जानती हैं. लेकिन वह आज भी पुरानी पाखी है, जो विराट से प्यार करती थी और अब तो वह उनकी पत्नी भी बन चुकी हैं.” सई की बातें सुनकर पाखी उससे कहती है कि “विराट की दूसरी पत्नी, पहली पत्नी से कुछ मांगना चाहती है. क्या तुम मेरे साथ विराट के घर चलोगी.” ‘

 

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सई करेगी फैसला

प्रोमो देखकर फैंस जहां सई के फैसले का इंतजार कर रहे हैं तो वहीं खबरें हैं कि सवि का सच जानने के बाद विराट उसे अपने साथ घर ले जाने की कोशिश करता दिखेगा. हालांकि सई ऐसा नहीं होने देगी. लेकिन कहानी में ट्विस्ट के चलते वह चौह्वाण निवास एक बार फिर जाने के लिए तैयार हो जाएगी. हालांकि सीरियल के लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो विराट के एक्सीडेंट की खबर सुनकर पाखी और पूरा परिवार अस्पताल पहुंचेगा. जहां उनकी मुलाकात सई और उसकी बेटी सवि से होने वाली है.

समस्या का अंत- भाग 2: अंबर का क्या था फैसला

दीदी की सास भी अपनी कर्कश आवाज को नरम कर के  ‘बेटा, बेटा’ करने लगी हैं. अंबर को खतरे की घंटी सुनाई दी. उस रात सब खाने बैठे. पनीर कोफ्ता मुंह में रखते ही जीजाजी चौंके.

‘‘वाह, यह तो तुम्हारे हाथ के कोफ्ते हैं. मां तुम रसोई में कैसे पहुंच गईं?’’

दीदी की सास ने मुंह बनाया और बोलीं, ‘‘चल हट, मैं तो कमर दर्द में पड़ी हूं. लाली ने बनाए हैं कोफ्ते.’’

‘‘अच्छा, लाली को पता है कि रसोई का दरवाजा किधर खुलता है.’’

लाली ने अदा के साथ कंधे झटके और बोली, ‘‘ओह, भइया…’’

‘‘तू क्या जानता है,’’ दीदी की सास बोलीं, ‘‘मुझ से अच्छा खाना मेरी बेटी बनाती है. इस ने तो मन लगा कर पकवान, मिठाई बनाना भी मुझ से सीखा है,’’ फिर अंबर की तरफ मुड़ कर बोलीं, ‘‘अंबर बेटा, मैं इतना काम करती थी कि सब देख कर हैरान होते थे. मेरी सास कहती थीं कि अरी, थोड़ा आराम कर ले, मरेगी क्या काम करतेकरते. अब तो कमर दर्द ने अपाहिज बना दिया है. और अपनी दीदी को देखो, इतनी सुस्त कि 10 मिनट के काम में 2 घंटे लगा देगी.’’

यह सुन कर अंबर की आत्मा जल उठी, स्वादिष्ठ कोफ्ता कड़वा हो गया.

2 दिन के लिए अंबर फिर घर गया, तो रूपाली का गुस्सा और भी बढ़ा हुआ पाया. भाभी से रूठते हुए बोला,  ‘‘भाभी, तुम कुछ नहीं कर रही हो. मां को समझाओ.’’

‘‘मांजी टेढ़ी खीर हैं भैया, फिरभी देखती हूं, बर्फ को थोड़ाथोड़ा कर के ही पिघलाना होगा. देखती हूं कब तक सफलता मिलती है.’’

अंबर खाली हाथ लौट आया था. इधर घर में दीदी की सासननदों की खातिरदारी का आतंक. वह आराम से अपने गेस्ट हाउस में रह सकता है पर मां की डांट, दीदी के आंसू, जीजाजी का आग्रह, जाए तो कैसे?

कभीकभी अंबर को लगता है कि वह यहां से भाग जाए. उस दिन ऐसे ही भारी मन से आफिस में बैठा काम कर रहा था कि मोबाइल बज उठा :

‘‘क्या कर रहे हो?’’

‘‘इस समय और क्या करूंगा, काम कर रहा हूं.’’

‘‘लंच में निकल पाओगे?’’

‘‘निकल लूंगा पर जाऊंगा कहां?’’

‘‘तुम्हारे दफ्तर के सामने, रेस्तरां है, उस में आ जाओे. मैं वहीं तुम्हारा इंतजार करूंगी.’’

‘‘रूपाली, तुम यहां… इंदौर में… कैसे?’’

‘‘मैं ने भी अपना ट्रांसफर करवा लिया है जनाब, और पिछले 1 सप्ताह से मैं यहीं हूं.’’

‘‘और मुझे नहीं बताया.’’

‘‘बता तो दिया, बाकी बातें मिलने के बाद,’’ इतना कह कर रूपाली ने फोन रख दिया.

अंबर का समय मानो काटे नहीं कट रहा था. लंच के समय उस ने आधे दिन की छुट्टी ले ली और महक रेस्तरां पहुंच गया. रूपाली दरवाजे पर खड़ी थी. दोनों कोने की एक सीट पर जा बैठे. बैरा पानी रख गया तो रूपाली ने गिलास उठाया. पानी का घूंट गले के नीचे उतार कर बोली, ‘‘और सुनाओ, क्या हाल है जनाब का.’’

‘‘अभी तक तो बेहाल था पर अब तुम्हारे आने से हाल सुधर जाएगा.’’

‘‘अंबर, तुम ने मुझे क्या समझ रखा है? मैं तमाम उम्र कुंआरी रह कर तुम को इसी तरह रिझाती रहूंगी. अब मैं अपने घर वालों को ज्यादा दिन रोक नहीं पाऊंगी. तुम हमारी शादी को गंभीरता से लो और कुछ करो.’’

‘‘रूपाली, विश्वास करो मेरा, मैं जल्दी ही कुछ करूंगा.’’

‘‘मैं तुम पर पूरा विश्वास करती हूं लेकिन मुझे लगता है तुम पर विश्वास रख कर मुझे कुंआरी ही बूढ़ी होना पड़ेगा.’’

यह सुन कर अंबर का मुंह उतर गया.

‘‘छोड़ो इन बातों को, यह बताओ, बिन्नी दीदी, बच्चे व जीजाजी कैसे हैं?’’

‘‘दीदी पर तरस आता है. सासननद ने मिल कर उन के जीवन को नरक बना दिया है. जीजाजी दुखी तो होते हैं पर बोल कुछ नहीं पाते.’’

इतने में बैरा आया और चाय के साथ पकौड़ों का आर्डर ले गया.

‘‘कुछ दिनों से घर में बड़ी अजीब सी बात हो रही है. मैं परेशान हूं.’’

‘‘क्या हुआ?’’

‘‘रूपाली, जब मैं यहां आया था तो दीदी के साथसाथ मुझे भी उस की सास के ताने मिलते थे पर अब, अचानक ही दीदी की सास मुझ पर जान छिड़कने लगी हैं.’’

‘‘समझ गई,’’ रूपाली बोली, ‘‘अरे, वह बुढि़या तुम को अपना दामाद बनाना चाहती है.’’

‘‘क्या वो भैंस…असंभव. रूपाली, मुझे तो लगता है कि मुसीबत के साथ मेरा गठबंधन हो गया है.’’

‘‘इतने परेशान क्यों हो रहे हो?’’

‘‘और क्या करूं. कितनी बार तुम को समझाया कि चलो, कोर्ट मैरिज कर लें पर तुम भी सब की आज्ञा, आशीर्वाद ले पारंपरिक विवाह कीजिद पर अड़ी हो. अभी भी मान जाओ तो मैं कल ही अर्जी लगा दूं.’’

‘‘नहीं, कागज की पत्नी बनना मुझे पसंद नहीं. पारंपरिक ढंग से विवाह, हंसीठिठोली, आशीर्वाद, इन सब का मेरे लिए बहुत मूल्य है. भले ही ऊपर से बहुत आधुनिक दिखती हूं.’’

‘‘तब मुझ से अब एक शब्द भी मत कहना. बैठी रहो मेरे इंतजार में या अपने घर वालों की पसंद से कहीं और शादी कर लो.’’

‘‘शांति…शांति…मैं ने तुम को इतना समय दिया, अब तुम भी मुझे थोड़ा समय दो.’’

अंबर घर लौटा तो उसे लगा कहीं कुछ गड़बड़ है. आज जीजाजी की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए वह घर में ही थे. दीदी की सास का कमरा भी उसे बंद दिखा. आज दीदी ही चायनाश्ता लाई थीं. आंखें सूजी देख कर अंबर को लगा कि वह खूब रोई हैं.

‘‘मुन्ना, चाय ले.’’

‘‘दीदी, कुछ हुआ है क्या?’’

दीदी के मुंह खोलने से पहले ही उन की सास आ गईं.

‘‘बहू, अपने भाई से बात की…’’

आज पहली बार देखा कि मां की बात को बीच में काटते हुए जीजाजी ने पत्नी की तरफ मुंह खोला था, ‘‘काम से थक कर लौटा है. दम तो लेने दो.’’

‘‘इसे कौन से पहाड़ ढोने पड़ते हैं. चाय पीतेपीते बात कर लो.’’

‘‘देखो मां, मैं पहले भी कह चुका हूं, फिर कह रहा हूं कि जिस घर से बेटी लाए हैं वहां अपनी बेटी नहीं देंगे.’’

‘‘वह सब परंपरा अब नहीं मानी जाती. फिर कौन सा यह सगा भाई है.’’

‘‘इस के घर में कोई तैयार न हुआ तो?’’

‘‘तेरी सास इस की सगी बूआ है, रिश्ते के लिए उन से दबाव डलवा.’’

जीजाजी भड़के, ‘‘बेटी के लिए मतलब? ब्याह नहीं हुआ तो क्या बिन्नी को मार डालोगी?’’

बिन्नी ने डरतेडरते कहा, ‘‘बूआ को ढेर सारा दहेज चाहिए.’’

‘‘हम से दहेज मांगा तो भतीजी मरी.’’

‘‘होश में तो हो? बिन्नी को कुछ भी हुआ तो मैं ही सब से पहले पुलिस बुलाऊंगा, उस का भाई भी यहां है.’’

मां पैर पटकती, धमकी देती अपने कमरे में चली गईं तो जीजाजी चिंतित से बोले, ‘‘अंबर, मान ही जाओ…दोनों मिल कर बिन्नी का जीवन नरक बना देंगी.’’

बिन्नी दीदी झल्ला कर बोलीं, ‘‘हरगिज नहीं, अगर लाली के साथ मेरे भाई का ब्याह हुआ तो उस का जीवन नरक बन जाएगा. मैं अपने भाई के जीवन को ऐसे बरबाद नहीं होने दूंगी. चाहे मैं मर ही क्यों न जाऊं. आप अपनी बहन को नहीं जानते हैं क्या?’’

बिजी वूमन के लिए ये हैं 8 ईजी मेकअप टिप्स

बिजी शैड्यूल के चलते औफिस गोइंग वूमन और फैस्टिव सीजन में गृहिणी के पास इतना वक्त नहीं होता कि वह फाउंडेशन से मेकअप की शुरुआत कर सैटिंग पाउडर से मेकअप कंप्लीट कर सके, लेकिन प्रेजैंटेबल लुक के लिए उस का मेकअप करना भी जरूरी है. कौन से मेकअप टिप्स बिजी वूमन को दे सकते हैं कम समय में प्रेजैंटेबल लुक? यह बता रहे हैं मेकअप आर्टिस्ट मनीष केरकर:

1. बीबी या सीसी क्रीम यूज करें

मेकअप तभी उभर कर दिखाई देता है जब बेस मेकअप अच्छी तरह किया जाए. इसलिए ज्यादातर महिलाएं मौइश्चराइजर, प्राइमर, कंसीलर आदि का इस्तेमाल बेस मेकअप के लिए करती हैं, जिस से उन का काफी समय बेस मेकअप में चला जाता है. समय की बचत के लिए बीबी या सीसी क्रीम का इस्तेमाल बेस मेकअप के लिए करें. ऐसी क्रीम मल्टीटास्किंग होती है. यह फाउंडेशन, प्राइमर और मौइश्चराइजर तीनों का काम करती है.

2. फैल्ट टिप आईलाइनर लगाएं

बिना आईलाइनर के आई मेकअप कंप्लीट नहीं हो सकता, लेकिन यह भी सच है कि आईशैडो, मसकारा लगाने में जितना समय लगता है उस से दोगुना समय आईलाइनर लगाने में लगता है. अगर आप अपना समय बचाना चाहती हैं तो पैंसिल या ब्रश से लिक्विड आईलाइनर लगाने के बजाय फैल्ट टिप आईलाइनर (पैननुमा आईलाइनर) इस्तेमाल करें. इस से खींची गई सिर्फ एक लाइन आई मेकअप के लिए काफी है.

3. चीक स्टेन से चीकबोंस करें हाईलाइट

चीक बोंस को हाईलाइट करने के लिए अगर आप भी ब्रश से ब्लशऔन या ब्लशर लगाती हैं तो अब अपने वैनिटी बौक्स में इन की जगह चीक स्टेन रखें. इसे एक बार गालों पर टच करें और फिर उंगली से चीकबोंस पर फैला दें.

4. मल्टीपल मेकअप प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करें

जितना समय चेहरे पर मेकअप करने में लगता है, उस से कहीं ज्यादा समय अलगअलग मेकअप प्रोडक्ट्स को खोलने और इस्तेमाल के बाद फिर से बंद करने में बरबाद हो जाता है. इसलिए तरहतरह के प्रोडक्ट्स यूज करने के बजाय मल्टीपल प्रोडक्ट्स को वैनिटी बौक्स में जगह दें. जैसे:

– मौइश्चराइजर और सनस्क्रीन खरीदने के बजाय सनस्क्रीन युक्त मौइश्चराइजर खरीदें. इस से आप को दोनों बारीबारी से लगाने की जरूरत नहीं होगी.

– पैंसिल आईलाइनर खरीदें, जो काजल का भी काम करे और आईलाइनर का भी. ऐसा करने से समय के साथसाथ पैसों की भी बचत होगी.

– बाजार में ऐसे भी प्रोडक्ट्स हैं, जो चीक पर ब्लशर, आईलिड पर आईशैडो और लिप पर लिपस्टिक का काम करते हैं. इस थ्री इन वन प्रोडक्ट को वैनिटी बौक्स में जरूर रखें.

– लिपस्टिक के बाद लिप ग्लौस लगाने में कीमती समय बरबाद करने के बजाय लिपस्टिक विद लिप ग्लौस खरीदें. इसे लगाने के बाद लिप ग्लौस लगाना नहीं पड़ेगा.

5. स्टाइलिश हेयर कट लें

चूंकि आप जानती हैं कि रोजाना मेकअप के लिए आप के पास ज्यादा समय नहीं है, इसलिए स्टाइलिश लुक के लिए अपने फेस कट को ध्यान में रख कर कोईर् अच्छा सा हेयर कट लें. एक अच्छा हेयरस्टाइल आप की पर्सनैलिटी को पूरी तरह बदल सकता है. इसी तरह अगर आप के पास बाल धोने का वक्त नहीं है तो आप ड्राई शैंपू भी यूज कर सकती हैं. इसे बालों की जड़ों में लगा कर 3 मिनट के लिए बालों को यों ही छोड़ दें. इस के इस्तेमाल से बालों को वौल्यूम मिलता है, जिस से वे घने नजर आते हैं और उन्हें मैनेज करना भी आसान हो जाता है.

6. ब्यूटी ट्रीटमैंट भी है जरूरी

माना कि आप के पास रोजाना मेकअप के लिए वक्त नहीं है, लेकिन महीने में 1 बार ब्यूटी ट्रीटमैंट के लिए तो आप वक्त निकाल ही सकती हैं. जैसे-आईब्रोज, ब्लीच, फेशियल आदि. अगर आप की आईब्रोज शेप में होंगी, अपर लिप क्लीन और चेहरे के रोएं भूरे रंग के होंगे तो खुदबखुद आप का चेहरा खूबसूरत नजर आएगा और आप को मेकअप के लिए ज्यादा वक्त निकालने की जरूरत नहीं होगी.

7. त्वचा को बनाएं अंदर से स्वस्थ

त्वचा जितनी रूखी या मुरझाई हुई होती है, उसे मेकअप से निखारने में उतना ही ज्यादा समय लगता है. इसलिए अपनी त्वचा का खास ध्यान रखें. अच्छी त्वचा के लिए हैल्दी डाइट लें, भरपूर पानी पीएं और पूरी नींद लें. रात में सोने से पहले मेकअप उतारना न भूलें. मेकअप उतारने के बाद चेहरा धो लें और त्वचा पर स्लीपिंग सीरम लगा कर मौइश्चराइज करें. अगर आप रात के समय क्लीनिंग और मौइश्चराइजिंग कर लेंगी, तो सुबह आप का चेहरा काफी फ्रैश नजर आएगा, जिस से मेकअप की परतें चेहरे पर चढ़ाने की जरूरत नहीं होगी.

8. सही तरीके से अरेंज करें ब्यूटी प्रोडक्ट्स

कई बार चेहरे पर मेकअप लगाने से ज्यादा वक्त मेकअप प्रोडक्ट्स को ढूंढ़ने में लग जाता है. अत: अपना कीमती समय बचाने के लिए सारे मेकअप प्रोडक्ट्स को वैनिटी बौक्स में अच्छी तरह अरेंज कर के रखें और इस्तेमाल के बाद

इन्हें फिर से वहीं रख दें. इस से अगली बार आप को इसे ढूंढ़ना नहीं पड़ेगा. इसी तरह पुराने या खत्म हो चुके ब्यूटी प्रोडक्ट्स को भी वैनिटी बौक्स से हटा दें.

ताकि न टूटे बसी बसाई गृहस्थी

पतिपत्नी के बीच जब ‘वो’ आ जाए तो आपसी विश्वास खत्म हो जाता है और रिश्तों को दरकते देर नहीं लगती. अगर ‘वो’ सास हो या अपनी ही मां जो छोटीछोटी बातों का बतंगड़ बनाए तो भी बसीबसाई गृहस्थी को आग लगते देर नहीं लगती. ऐसे कई परिवार हैं जहां पतिपत्नी के बीच संबंध आपसी तकरार की वजह से नहीं टूटते बल्कि सास या मां की बेवजह की रोकटोक, जरूरत से ज्यादा हुक्म जताने और परिवार के बीच फूट डालने से टूटते हैं. सास और मां का कहर बाहरी औरत से ज्यादा ही होता है.

जरूरी नहीं हमेशा सास ही गलत हो और यह भी जरूरी नहीं कि हमेशा बहू की ही गलती हो. आखिर अधिकतर मामलों में इन के रिश्ते सुल?ो हुए क्यों नहीं होते? क्यों बहू अपनी सास को मां का दर्जा नहीं दे पाती और सास अपनी बहू को बेटी का दर्जा देने से कतराती हैं?

क्योंकि सास सास होती है

आजकल लड़कियों के मन में पहले से ही ससुराल के प्रति नकारात्मक छवि बना दी जाती है. अब मांएं समझदार हो गई हैं पर फिर भी एक मां का अपने बेटे की चिंता रहती है. मन में कई सवाल दौड़ रहे होते हैं कि पता नहीं मेरी बहू कैसी होगी, कहीं कुछ समय बाद हमें अलग न कर दे, कहीं बेटा बदल न जाए आदि. शादी के बाद वह बेटे को बातबात पर भड़काने लगती है यह उस से बहू की छोटीछोटी शिकायतें करने लगती है.

बेटी की गृहस्थी में मां बनी विलेन

सास और बहू के अलावा लड़की की मां का भी अहम किरदार होता है. हर मां चाहती है कि उस की बेटी राजकुमारी बन कर रहे. जब मां अपनी बेटी को ससुराल में थोड़ाबहुत काम करते देखती या सुनती है, तो उसे लगता है कि उस के पैसे बरबाद हो गए, शादी में जितना पैसा खर्च किया था वह बेटी के लिए ही तो किया था कि वह राजकुमारी बन कर रहे. मगर वहां तो उसे नौकरानी बना कर रखा हुआ है. ये सब देख कर वह बेटी को यह सिखाती है कि किस तरह ससुराल में अपना रुतबा बनाना है.

अब श्रेया को ही देख लीजिए. मांबाप की इकलौती बेटी श्रेया की शादी बहुत अच्छे परिवार में हुई. वह अपनी शादी से बहुत खुश थी. उस की मां अकसर उस का हालचाल पूछने के लिए फोन करती रहती थी.

एक दिन मां ने श्रेया को फोन किया. उस वक्त श्रेया कहीं जाने की तैयारी में थी. बोली, ‘‘हैलो, हां मां.’’

‘‘कैसी हो तुम? क्या चल रहा

है वहां?’’

‘‘मैं ठीक हूं मां, कपड़े प्रैस कर रही हूं.’’

‘‘कपड़े प्रैस? क्यों तुम्हारे घर में धोबी नहीं आता क्या?’’

‘‘नहीं, मां यहां सब अपने कपड़े खुद प्रैस करते हैं और टाइम भी ज्यादा नहीं लगता. फिर वैसे भी धोबी के प्रैस किए कपड़े किसी को पसंद नहीं आते. इसलिए हम प्रैस खुद ही कर लेते हैं.’’

‘‘अरे, तुम ने तो यहां कभी कपड़े प्रैस नहीं किए और वहां तुम प्रैस करने लगी हुई हो. यहां तुम रानी बन कर रहती थी?’’

अब श्रेया की मां ने अपनी बेटी के मन में ससुराल वालों के प्रति गांठ डालने का काम शुरू कर दिया.

याद आती हैं मां की बातें

उस दिन के बाद से श्रेया जब भी कपड़े प्रैस करती उसे अपनी मां की बात याद आने लगती, जिस से उसे कपड़े प्रैस करना अखरने लगा. सिर्फ कपड़े प्रैस करना ही नहीं वरन घर के दूसरे काम करने के लिए भी मुंह बनाने लगी. उस के व्यवहार में बदलाव शुरू हो गया. अब श्रेया जब भी कोई काम करती तो चिड़चिड़ी हो कर. इस से उस की सास और उस के बीच संबंध खराब होने लगे. जब उस का पति उसे समझने की कोशिश करता तो वह अपनी ससुराल और मायके के बीच तुलना करने लगती. अपनी पत्नी के बदले व्यवहार से पति भी तंग आ गया और फिर दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं.

अकसर इस तरह की छोटीछोटी बातें आपस में कटुता पैदा कर देती हैं. कपड़े प्रैस करना कोई बहुत बड़ा काम नहीं है. लेकिन श्रेया की मां ने उसे इतना बड़ा काम बता दिया जैसे श्रेया अपनी ससुराल में कोई मजदूरी का काम कर रही हो. अगर श्रेया की मां चाहती तो वह अपनी बेटी के इस काम से खुश हो सकती थी क्योंकि जिस लड़की ने अपने मायके में कोई काम नहीं किया, वह आज अपनी जिम्मेदारी समझ रही है. लेकिन यहां तो उलटा ही देखन को मिला.

दूसरों की बात में न आएं

ऊष्मा की मां ने भी उस की गृहस्थी में कुछ ऐसे ही जहर घोला. ऊष्मा और उस की सास में बहुत बनती थी. घर में 2 नौकरानियां थीं. ऊष्मा की सास खाना बहुत अच्छा बनाती है, इसलिए ज्यादातर खाना वही बनाती थी. खाना बनाते समय ऊष्मा अपनी सास की मदद कर देती थी. एक दिन ऊष्मा की मां ने वीडियोकौल की और ऊष्मा बात करतेकरते रसोई में चली गई.

‘‘चाय तुम बना रही हो? लगता है आज तुम्हारी मेड नहीं आई.’’

‘‘नहींनहीं मां, मेड आई है, लेकिन सामान लेने बाजार गई है.’’

‘‘अरे काम के समय बाजार चली गई. उसे तो इस समय रसोई में होना चाहिए था. मैं जब भी तुम्हें फोन करती हूं, तुम हमेशा बिजी मिलती हो. तुम से 2 मिनट बात करना भी मुश्किल हो गया है. क्या यही दिन देखने के लिए इतना पैसा खर्च कर के हम ने तुम्हारी शादी इतने बड़े परिवार में की थी?’’

‘‘क्या मौम कुछ भी बोलती रहती हो. यहां सब लोग मु?ो बहुत प्यार करते हैं.’’

‘‘तुम्हारी सास को तो पूरा आराम है. खूब ऐश कर रही है न?’’

‘‘अरे मां, ऐसे क्यों बोल रही हो? वे भी तो कुछ न कुछ करती रहती हैं.’’

‘‘अच्छा तुम्हें उन का पक्ष लेने की ज्यादा जरूरत नहीं है. वह महारानी की तरह ऐसी में बैठ कर आराम फरमाए और तुम नौकरानी बन कर रसोई में लगी रहो. मेरी बात ध्यान से सुनो, अगर ऐसा ही चलता रहा तो ये लोग तुम्हें अपने पैरों तले रखेंगे. तुम ने अपने घर पर आज तक एक पानी का गिलास नहीं उठाया और वहां सभी के लिए चाय बना रही हो?’’

‘‘अरे मौम…’’

‘‘मैं तुम्हारी मां हूं ऊष्मा. तुम्हारे भले के लिए बोल रही हूं.’’

ऊष्मा की हंसतीखेलती गृहस्थी में अचानक तूफान आ गया. उस की मां ने चिनगारी जो लगा थी.

सासबहू के बीच बढ़ती है दरार

एक दिन ऊष्मा ने अपने पति से बंटवारे की बात कह दी. उस का कहना था कि वह और उस का पति अलग रहेंगे. यह सुन कर सब हक्काबक्का रह गए. सास और बहू के बीच बढ़ती दरार को देख उस के पति ने अलग होने का फैसला ले लिया.

यहां ऊष्मा की ससुराल वालों की कोई गलती नहीं थी. उस की ससुराल वाले ऊष्मा को बेटी की तरह मानते थे. थोड़ाबहुत घर का काम तो हम सभी करते हैं और करना भी चाहिए. इस का मतलब यह नहीं कि आप नौकरानी हो. ऊष्मा की सास सब के लिए खाना बनाती थी. आज ऊष्मा खुद अपने और अपने पति के लिए अकेले खाना बनाती है और घर के दूसरे सब काम भी खुद करती है. ऊष्मा का पति उस के साथ रहता तो है, लेकिन दोनों के बीच अब पहले जैसा प्यार नहीं है.

जब पति घुन की तरह पिसने लगे

आजकल ससुराल में नई शादीशुदा लड़कियां छोटीछोटी बातों का इशू बना लेती हैं. यदि सास या ननद किसी भी बात पर थोड़ा भी कुछ कह दे तो वे झट से मायके फोन कर देती हैं और ससुराल की शिकायतें मां से करने लगती हैं. ऐसे मामलों में पति बेचारा चक्की के दो पाटों में पीसा जाता है.

घर पर लड़के की मां अपने लड़के को बहू के खिलाफ भड़काती है. यदि बेटा जरूरत से ज्यादा समय बीवी को देता है तो इस में भी मां को दिक्कत होने लगती है. उसे लगता है कि बेटा हाथ से निकल रहा है. दोनों ही स्थितियों में पति की स्थिति दयनीय बन जाती है. वह बीवी और घर के बीच पिस कर रह जाता है.

सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे

सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे मतलब रिश्तों के बीच कड़वाहट भी खत्म हो जाए और रिश्ते भी न टूटें. बेटे की शादी के बाद अकसर मां में बेटे को ले कर ज्यादा पजैसिवनैस आने लगती है. ऐसे में बेटे को अपनी मां को पहले की ही तरह समय देना चाहिए. जिन बातों को वह अपनी मां से शेयर करता था उन्हें शादी के बाद भी शेयर करते रहना चाहिए. यदि मां को अपने बेटे में थोड़ा भी बदलाव दिखता है तो उस का सीधा निशाना उस की बीवी बनती है और फिर सासबहू के बीच दरार आने लगती है.

बहू को भी अपनी सास को मां की तरह पूरा सम्मान देना चाहिए. पति को अपनी बीवी को घर के सभी सदस्यों की पसंदनापसंद के बारे में बताना चाहिए ताकि वह उन्हें आसानी से समझ सके और सभी के दिल में जगह बना सके.

बेटी को मां और सास दोनों को बराबर मानसम्मान देना चाहिए. पति के विश्वास के साथसाथ घरपरिवार का विश्वास जीतने की कोशिश भी करनी चाहिए. ससुराल में जितना जरूरी पति का प्यार है उतना ही जरूरी बाकी सदस्यों का भी है.

हमारे समाज में सास और बहू के रिश्ते को हमेशा नकारात्मक रूप से दिखाया जाता है. फिर चाहे वह सीरियल हों या हिंदी सिनेमा. ऐसे कई सीरियल्स और फिल्में हैं, जिन में सास को विलेन के रूप में दिखाया गया है, जिस से हमारी मानसिकता वैसी ही हो गई है. हम यही मानते हैं कि सास मां की जगह कभी नहीं ले सकती. इसलिए हम रिश्ते से तो उन्हें अपना मान लेते हैं, लेकिन दिल से मानने में बहुत वक्त लग जाता है. ऐसा सिर्फ सास और बहू के बीच ही नहीं, बल्कि मां और बेटी के बीच भी होता है, जिस से रिश्ते में कड़वाहट आने लगती है और दूरियां बढ़ने लगती हैं.

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बोन हैल्थ की लापरवाही करना पड़ सकता है भारी

पूरी ऊर्जा के साथ अपना काम करने और सही माने में जिंदगी जीने के लिए हड्डियों का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है. हड्डियों में होने वाली समस्या के कारण आप के जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है. आप अपने परिवार और घर के काम को ठीक से मैनेज नहीं कर सकेंगी. वैसे तो उम्र के साथ हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है जिस से वे कमजोर हो जाती हैं. लेकिन इस स्थिति से निबटने के लिए पहले से ही तैयार रहना और बोन हैल्थ के बारे में जानकारी रखना बहुत आवश्यक है.

दरअसल, हड्डियां हमारे शरीर में कई भूमिकाएं निभाती हैं. ये हमें एक निश्चित संरचना प्रदान करती हैं, अंगों की सुरक्षा करती हैं और मांसपेशियों को सही रखने के साथ कैल्सियम का भंडार करती हैं. जिन लोगों की हड्डियां मजबूत रहती हैं वे स्वस्थ और सक्रिय जीवन जीते हैं. शरीर में पुरानी हड्डियां टूटती हैं और नई हड्डियां बनती रहती हैं.

इस की वजह से हमारा बोन मास या वेट बढ़ता है. 30 की उम्र तक व्यक्ति की पुरानी हड्डियां धीरेधीरे टूटती हैं और नई हड्डियां जल्दी बनती है. इस उम्र के बाद नई हड्डियों के बनने की प्रक्रिया धीमी होती जाती है, जिस की वजह से हड्डियां कमजोर होती रहती हैं. खास तौर पर महिलाओं में औस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. पर अगर एक सही जीवनशैली, खानपान और ऐक्सरसाइज की जाए तो इस से आप की हड्डियां हमेशा मजबूत बनी रह सकती हैं.

बोन हैल्थ का खास खयाल

आइए जानते हैं कि महिलाओं को अपने हड्डियों के स्वास्थ्य के बारे में अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता क्यों है:

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की हड्डियां कमजोर और छोटी होती हैं. उन में छोटे शरीर के कारण फ्रैक्चर का जोखिम ज्यादा रहता है. पश्चिम की महिलाओं की तुलना में भारतीय महिलाओं में हड्डियां की ताकत कम होती है. जिन महिलाओं की हड्डियां छोटी और पतली होती हैं उन में औस्टियोपोरोसिस से संबंधित फ्रैक्चर का खतरा भी अधिक होता है. जाहिर है अपनी शारीरिक संरचना की वजह से भी भारतीय महिलाओं को अपनी हड्डियों का खास खयाल रखना चाहिए.

महिलाओं में मेनोपौज उन की हड्डियों को जल्दी और तेजी से कमजोर कर सकता है: महिलाओं में ऐस्ट्रोजन हारमोन के कारण मासिकधर्म होता है. यह हारमोन हड्डियों के विकास और मजबूती के लिए बहुत जरूरी है. सामान्यतया 45-50 की उम्र तक मेनोपौज की शुरुआत हो जाती है. जब इस हारमोन का स्तर कम हो जाता है तो महिलाओं को मेनोपौज हो जाता है और इस उम्र के बाद महिलाओं में हड्डियों की ताकत तेजी से घटती है. यही वजह है कि मेनोपौज के समय उन्हें अपनी हड्डियों का खास खयाल रखना चाहिए.

महिलाओं की कमजोर डाइट: पुरुषों की तुलना में भारतीय महिलाओं को कैल्सियम युक्त खाद्यपदार्थों जैसे दूध और दही का नियमित रूप से सेवन करने की आदत कम होती है. इस के अतिरिक्त पुरुषों की तुलना में महिलाएं मांस, मछली और अंडे का सेवन करने से भी अधिक परहेज करती हैं. जबकि ये ऐसे खाद्यपदार्थ हैं जो मजबूत हड्डियों के लिए पोषक तत्त्व प्रदान करते हैं. इन की कमी से महिला को बोन से संबंधित प्रौब्लम्स होने की संभावना ज्यादा रहती है.

महिलाओं में बोन हैल्थ के संदर्भ में जानकारी की कमी: अध्ययनों से पता चलता है कि भारतीय महिलाओं में हड्डियों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता की कमी है. यह कमी उन्हें इस संदर्भ में आवश्यक कदम उठाने से रोकती है. वे अपने बच्चों और परिवार के दूसरे सदस्यों की सेहत का तो पूरा खयाल रखती हैं, मगर अपनी सेहत के प्रति लापरवाह हो जाती हैं. इस से उन की हड्डियां कम उम्र में ही कमजोर होने लगती हैं.

हड्डियों को ऐसे रखें मजबूत

एक उम्र के बाद हड्डियों का कमजोर होना स्वाभाविक बात है, लेकिन अगर आप के लाइफस्टाइल में कुछ गलत आदतें शामिल हैं तो उम्र से पहले ही आप की हड्डियां कमजोर हो सकती हैं. हड्डियां कमजोर होने पर कई तरह की दूसरी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है. इसलिए इन बातों का खयाल जरूर रखें:

कैफीन और कार्बोनेटेड पेयपदार्थों से दूरी जरूरी: चाय, कौफी या फिर कार्बोनेटेड पेयपदार्थ जैसे कि सौफ्ट ड्रिंक, शैंपेन आदि हड्डियों से कैल्सियम खींच सकते हैं. हार्वर्ड में हुई एक रिसर्च के मुताबिक 16 से 20 साल की महिलाओं को सौफ्ट ड्रिंक के अधिक सेवन के कारण हड्डियों को क्षति पहुंचने की बात सामने आई थी. इन में फास्फेट ज्यादा होता है जो कैल्सियम को कम करने लगता है.

जरूरत से ज्यादा प्रोटीन लेना: जरूरत से ज्यादा प्रोटीन लेना भी अच्छा नहीं होता. अधिक मात्रा में प्रोटीन लेने से शरीर में ऐसिडिटी हो सकती है, जिस की वजह से पेशाब के जरीए शरीर से कैल्सियम बाहर निकल सकता है. अधिकतर लोगों को दिनभर में 0.12 कि.ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है. इस से ज्यादा मात्रा में प्रोटीन लेना हड्डियों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.

ऐसिडिटी की दवाएं बढ़ा सकती हैं मुश्किलें: कई लोग शरीर में गैस महसूस होने या ज्यादा तीखा भोजन करने के बाद सावधानीवश ऐसिडिटी की दवाओं का सेवन करते हैं. कैल्सियम, मैग्नीशियम और जिंक जैसे खनिजपदार्थों के अवशोषण के लिए पेट में ऐसिड होना जरूरी होता है. अगर आप ऐसिड बनने से रोकने की कोई दवा ले रहे हैं तो इस से आप में औस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है. अगर आप कौर्टिकोस्टेरौइड दवाओं का सेवन लंबे समय से कर रहे हैं तो इस से भी औस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है.

कौफी से दूर रहें: 1 कप कौफी पीने से पेशाब के जरीए 150 मि.ग्रा कैल्सियम शरीर से बाहर निकल जाता है. कौफी में और भी कई हानिकारक रसायन होते हैं जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में रुकावट पैदा कर सकते हैं. अगर आप कौफी पीना ही चाहते हैं तो प्रत्येक कप के बदले 150 मि.ग्रा से ज्यादा कैल्सियम लेने की आदत भी डाल लें.

सप्लिमैंट्स लें: अगर आप के शरीर में कैल्सियम और विटामिन डी की कमी है तो इस से आप की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं. ऐसे में कैल्सियम से भरपूर खाद्यसामग्री का सेवन करना बेहद जरूरी है. विटामिन डी कैल्सियम के अवशोषण और उसे हड्डियों तक पहुंचाने में मदद करता है. जब आप धूप लेते हैं तो स्किन के जरीए शरीर में विटामिन डी का निर्माण होता है. धूप नहीं ले सकते हैं तो इस की जगह विटामिन डी के सप्लिमैंट भी ले सकते हैं. इसी तरह चूंकि आप का दैनिक आहार आप की कैल्शियम की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकता है, इसलिए कैल्सियम सप्लिमैंट और विटामिन डी सप्लिमैंट लेने का विकल्प चुनें.

तनाव: स्ट्रैस से कौर्टिसोल हारमोन का स्तर बढ़ता है. अगर लंबे समय तक इस का स्तर बढ़ा हुआ रहे तो हड्डियों को नुकसान पहुंच सकता है. इस की वजह से ब्लड शुगर लैवल भी बढ़ सकता है और पेशाब के जरीए शरीर से कैल्सियम बाहर निकल सकता है. तनाव से दूर रहने के लिए ध्यान करें और पर्याप्त नींद लें.

व्यायाम: शारीरिक निष्क्रियता बढ़ने के कारण हड्डियों की सेहत प्रभावित हो सकता है जिस के कारण गठिया जैसी बीमारियों का भी खतरा बढ़ जाता है. महिलाओं को पोस्टमेनोपौजल अवस्था के बाद खासकर शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नियमित योगव्यायाम करते रहना आवश्यक है.

ऐक्सरसाइज के दौरान जब मांसपेशियां हड्डियों के विपरीत खिंचती हैं तो इस से हड्डियों में उत्तेजना पैदा होती है. पैदल चलने, साइक्लिंग, सीढि़यां चढ़ने और वेट लिफ्टिंग से हड्डियों के घनत्व में इजाफा होता है. दिनभर में 15 से 30 मिनट की ऐक्सरसाइज भी जरूरी होती है.

हड्डियों के लिए सुपर फूड

अगर आप अपना जीवन पूरी तरह स्वस्थ रह कर बिताना चाहती हैं तो आप को अपनी हड्डियों का खयाल रखना ही पड़ेगा. इस के लिए आप कुछ खाद्यसामग्री को अपनी डाइट में शामिल कर सकती हैं.

रोजाना 2 भीगे अखरोट से होंगी हड्डियां मजबूत: अखरोट को कच्चा खाने के बजाय अगर भिगो कर खाया जाए तो इस के फायदे कई गुणा बढ़ जाते हैं. इस के लिए रात में 2 अखरोट भिगो कर रख दें और सुबह खाली पेट खा लें. अखरोट में कई ऐसे घटक और प्रौपर्टीज पाई जाती हैं जो आप की हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाती हैं. अखरोट में अल्फालिनोलेनिक ऐसिड पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूत करने में मदद करता है.

प्रूंस फल का सेवन लाभकारी: हाल ही में हुए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने एक ऐसे फाइबर युक्त फल के बारे में बताया है जिस का सेवन करना हड्डियों की क्षति को रोकने में मददगार हो सकता है. एडवांस्ड इन न्यूट्रिशन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार डेयरी उत्पादों के साथ प्रूंस का सेवन करना भी लाभदायक माना जाता है. हड्डियों के घनत्व को बनाए रखने और उन्हें कमजोर होने से बचाने के लिए प्रूंस का सेवन लाभदायक हो सकता है.

आंकड़े बताते हैं कि पोस्टमेनोपौजल में महिलाओं में हड्डियों के कमजोर होने की समस्या अधिक होती है. 1 वर्ष तक दिन में लगभग 10 प्रूंस का सेवन करने वाली महिलाओं में इस से लाभ देखा गया. यह फल हड्डियों के घनत्व को कम होने से बचाने में काफी मददगार हो सकता है.

सोयाबीन: सोयाबीन के अंदर कैल्सियम पोटैशियम और प्रौटीन जैसे पोषक तत्त्व पाए जातेहैं. ये आप की हड्डियों को मजबूत बनाए रखते हैं. आप सोयाबीन या सोया प्रोडक्ट्स कई रूपों में यूज कर सकती हैं.

दही: दही आप की हड्डियों के लिए बेहद फायदेमंद है. इस के अंदर पाए जाने वाले पोषक तत्व जैसे प्रौटीन, कैल्सियम, फास्फोरस, पोटैशियम और विटामिन डी आप की हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करता और औस्टियोपोरोसिस से भी बचा कर रखते हैं.

ड्राई फ्रूट्स: नट्स या सूखे मेवे आप की हड्डियों को तो मजबूत करते ही हैं, साथ ही ये आप के हृदय और मस्तिष्क का भी खयाल रखते हैं. इसलिए रोजाना बादाम अंजीर, काजू, अखरोट, किशमिश जैसे ड्राई फ्रूट अपने भोजन में शामिल करें.

हरी सब्जियां: हरी पत्तेदार सब्जियों में कई पोषक तत्त्व समेत ऐंटीऔक्सीडैंट गुण भी पाए जाते हैं जो आप की हड्डियों के लिए फायदेमंद हैं, हरी सब्जियों में आप ब्रोकली, पालक, पार्सले आदि का सेवन कर सकते हैं.

ग्रीन टी: ग्रीन टी का सेवन वैसे तो ओवरऔल हैल्थ के लिए फायदेमंद होता है, मगर बोन हैल्थ के लिए यह खासतौर पर लाभकारी है. यह न केवल आप को आर्थ्राइटिस से बचाकर रखती है बल्कि कमजोर हड्डियों को मजबूत भी बनाती है.

हलदी: हलदी का सेवन आप की हड्डियों के लिए लाभदायक होता है. दरअसल हल्दी में एक ऐंटीइनफ्लैमेटरी गुण होता है जिसे करक्यूमिन कहा जाता है. यह आप की हड्डियों को सेहतमंद रखेगा. आप सब्जी या दूध में मिला कर इस का सेवन कर सकते हैं.

Festive Special: घर पर बनाएं स्वादिष्ट गुलाब जामुन

फेस्टिवल सीजन में मार्केट से कई मिठाईयां आती हैं, जो कई बार पुरानी या खराब होती हैं. इसीलिए इस फेस्टिव सीजन हम आपको गुलाब जामुन की टेस्टी रेसिपी बताने वाले हैं, जिसे आप अपनी फैमिली के लिए बना सकते हैं.

सामग्री चाशनी बनाने की

– 1 कप चीनी

– 1 कप पानी

– थोड़ा सा इलायची पाउडर

– 1 बड़ा चम्मच नीबू का रस

– 2 बड़े चम्मच गुलाब जल.

सामग्री गुलाबजामुन बनाने की

– 1 कप मिल्क पाउडर – 4 बड़े चम्मच मैदा

– 1 बड़ा चम्मच सूजी

– चुटकीभर बेकिंग सोडा

– 1 बड़ा चम्मच घी

– 1 बड़ा चम्मच दही

– 4-5 बड़े चम्मच दूध.

अन्य सामग्री

– तलने के लिए घी या तेल

– गार्निशिंग के लिए ड्राईफूट्स.

विधि

– एक पैन में चीनी व पानी मिला कर धीमी आंच पर तब तक चलाती रहें जब तक वह स्टिकी न हो जाए. फिर इलायची पाउडर डालें.

– अब क्रिस्टल बनने से रोकने के लिए नीबू का रस डाल ढक कर एक तरफ रख दें.

– फिर गुलाबजामुन बनाने के लिए एक मिक्सिंग बाउल में मैदा, मिल्क पाउडर, सूजी और बेकिंग सोडा डाल कर अच्छी तरह मिक्स करें.

– फिर इस में घी व दही मिला कर अच्छी तरह चलाते हुए इस में दूध मिला कर सौफ्ट डो तैयार करें.

– इस डो की छोटीछोटी बौल्स बना कर उन्हें सुनहरा होने तक तल कर उन्हें गरम चाशनी में डाल कर 40 मिनट के लिए ढक कर रख दें.

– फिर ड्राईफूट्स से सजा कर सर्व करें.

बड़े काम आती है छिपा कर की गई बचत

पटना के कदमकुआं मोहल्ले की रागिनी पटेल बताती हैं कि एक रात अचानक उन की सास की तबीयत खराब हो गई, तो उन के इलाज में काफी रुपए खर्च हो गए. उसी दौरान उन के बेटे की स्कूल की फीस भी जमा करनी थी. उन के पति परेशान हो उठे. अस्पताल और दवा के खर्चे के साथसाथ 12 हजार स्कूल फीस जमा करना मुमकिन नहीं था. रागिनी बताती हैं कि पति को परेशान देख कर वे भी परेशान हो उठीं. उन के पति ने कहा कि इलाज में काफी रुपए खर्च हो गए हैं. अब स्कूल फीस कहां से जमा होगी? अगर स्कूल फीस जमा नहीं की गई तो बेटे को इम्तिहान में बैठने नहीं दिया जाएगा. अत: किसी दोस्त से कर्ज लेना पड़ेगा. जब पति ने कर्ज लेने की बात कही तो रागिनी ने अपनी अलमारी खोली और 12 हजार पति के हाथों पर रख दिए. पति ने जब हैरत से पूछा कि इतने रुपए कहां से आए तो रागिनी ने बताया कि घर के खर्च से थोडे़थोड़े रुपए बचा कर जमा किए थे. यह सुन पति ने उन की ओर गर्व से देखा. रागिनी कहती हैं कि पति से छिपा कर की गई बचत इमरजैंसी में काम आती है.

इसी तरह रांची की पूनम दयाल बताती हैं कि उन की बेटी रोशनी की तबीयत अचानक खराब हो गई. उस समय घर में दो-ढाई हजार रुपए ही थे. उन के पति भी शहर से बाहर थे. पूनम के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं. वे पड़ोसियों से कुछ रुपए उधार लेने की सोचने लगीं. तभी अचानक उन्हें अपने गुल्लक की याद आई, जिस में वे पति से छिपा कर थोड़ेथोड़े रुपए डालती रहती थीं. उन्होंने गुल्लक तोड़ा तो उस में करीब क्व6 हजार निकले. पूनम ने अपनी बेटी का अच्छी तरह इलाज कराया. जब पति लौटे तो उन्होंने हैरानी से पूछा कि तुम्हारे पास पैसे कहां से आए? हर महीने जितने रुपए देता हूं वे तो खर्च ही हो जाते होंगे. तब पूनम ने बताया कि हर महीने के खर्च के दिए पैसे से वे कुछ बचा लेती थीं. यह सुन पति ने उन्हें गले से लगा लिया.

कैसे डालें बचत की आदत

फाइनैंस कंपनी चलाने वाले अशोक मोदी कहते हैं कि छोटी बचत से बड़ी परेशानी से निबटा जा सकता है. हमारे आसपास इस की कई मिसालें मिल जाती हैं. पुराने जमाने में गुल्लक का इस्तेमाल इसी के लिए किया जाता था. हमें अपने बच्चों में भी बचत करने की आदत डालनी चाहिए. उन्हें बताना चाहिए कि उन्हें जो भी जेबखर्च मिलता है उस का 5 से 10% गुल्लक में डालने की आदत डालें. भारतीय समाज में मिडल और लोअर मिडल महिलाएं अपने पति से छिपा कर अच्छीखासी रकम जमा कर लेती हैं. वहीं दूसरी ओर कई महिलाएं ऐसी भी होती हैं, जो पारिवारिक खर्चों के बढ़ते बोझ का हवाला देते रोती रहती हैं कि आज महंगाई के जमाने में बचत करना मुमकिन ही नहीं है. जब घर का खर्च ही ठीक से नहीं चलता है तो ऐसे में बचत की बात सोचना ही बेकार है. किराने का सामान, दूध, गैस, बच्चों की स्कूल की फीस, मकान का किराया आदि के बाद हाथ में कुछ बचता ही नहीं है. बचत कहां से करें? ऐसी सोच वाली महिलाओं के लिए एक बड़ी कंपनी के फाइनैंस मैनेजर रजनीश सिन्हा कहते हैं कि बचत करने की आदत और सोच से ही बचत की जा सकती है. हर महीने के तयशुदा खर्चे के बाद एक मिडल क्लास फैमिली के हाथ में सच में कुछ नहीं बचता, पर रोज 10-20 या हर महीने क्व500 से क्व5,000 रुपए तक की बचत की ही जा सकती है.

वक्त पर सहारा

कई महिलाएं परिवार के तमाम खर्चों के बाद भी कुछ न कुछ बचत कर ही लेती हैं. खर्च का कोई अंत नहीं है. हर महीने कोई न कोई नया खर्च आ जाता है. इस के बाद भी बचत करने की सोच हो तो कुछ न कुछ बचत की ही जा सकती है, जो मौकेबेमौके काम दे जाती है. जिन महिलाओं को बचत करने की आदत है वे किसी न किसी तरह पति से छिपा कर कुछ बचत कर ही लेती हैं. हर औरत को कुछ न कुछ बचत करने की आदत डालनी ही चाहिए. औरत ही क्यों मर्द और बच्चों को भी बचत करने की आदत डाल लेनी चाहिए. मिडल और लोअर मिडल क्लास के लोगों के लिए यह बहुत ही जरूरी है. छोटीछोटी बचत कर के बड़ी रकम जमा कर अचानक आई किसी परेशानी के समय किसी के आगे हाथ फैलाने से बचा जा सकता है. इस के अलावा अपने किसी शौक या फिर जरूरत का कोई सामान आसानी से खरीदा जा सकता है.

शादी के रिश्ते में पत्नी कोई गुलाम नहीं

वैवाहिक विवादों में पति क्याक्या आर्गुमैंट पत्नी का कैरेक्टर खराब दिखाने के लिए ले सकते हैं इस का एक उदाहरण अहमदाबाद में दिखा. 2008 में जोड़े का विवाह हुआ पर 2010 में पत्नी अपने मायके चली गई. बाद में पति दुबई में जा कर काम करने लगा.

पत्नी ने जब डोमैस्टिक वायलैंस और मैंटेनैंस का मुकदमा किया तो और बहुत सी बातों में पति ने यह चार्ज भी लगाया कि उस की रूठी पत्नी के अब पौलिटिशियनों से संबंध हैं और वह लूज कैरेक्टर की है.

सुबूत के तौर पर उस ने फेसबुक पर पत्नी और भाजपा के एक विधायक के फोटो दर्शाए.

कोर्ट ने पति की औब्जैक्शन को नकार दिया और 10 हजार मासिक का खर्च देने का आदेश दिया पर यह मामला दिखाता है कि कैसे पुरुष छोड़ी पत्नी पर भी अंकुश रखना चाहते हैं और उस के किसी जानेअनजाने के साथ फोटो को उस का लूज कैरेक्टर बना सकते हैं.

पत्नियों की सफलता किसी भी फील्ड में हो, पतियों को बहुत जलाती है क्योंकि सदियों से उन के दिमाग में ठूंसठूंस कर भरा हुआ है कि पत्नी तो पैर की जूती है. कितनी ही पत्नियां आज भी कमा कर भी लाती हैं और पति से पिटती भी हैं.

ऐसे पतियों की कमी नहीं है जो यह सोच कर कि पत्नी आखिर जाएगी कहां, उस से गुलामों का सा व्यवहार करते हैं. जो पत्नी के काम करने की इजाजत दे देते हैं, उन में से अधिकांश पत्नी का लाया पैसा अपने कब्जे में कर लेते हैं.

यह ठीक है कि आज के अमीर घरों की पत्नियों के पास खर्चने को बड़ा पैसा है. वे नईनई ड्रैसें, साडि़यां, जेवर खरीदती हैं, किट्टी पार्टियों में पैसा उड़ाती हैं पर ये सब पति मन बहलाने के लिए करने देते हैं ताकि पत्नी पूरी तरह उन की गुलाम रहे. ऐशोआराम की हैबिट पड़ जाए तो पति की लाख जबरदस्ती सहनी पड़ती है.

गनीमत बस यही है कि आजकल लड़कियों के मातापिता जब तक संभव होता है, शादी के बाद भी बेटी पर नजर रखते हैं, उसे सपोर्ट करते हैं, पैसा देते हैं, पति की अति से बचाते हैं. यहां पिता मां के मुकाबले ज्यादा जिम्मेदार होते हैं. मांएं साधारण या अमीर घरों में गई बेटियों को ऐडजस्ट करने और सहने की ही सलाह देती हैं.

पति को आमतौर पर कोई हक नहीं है कि वह अपनी पत्नी के कैरेक्टर पर उंगली भी उठाए खासतौर पर तब जब पत्नी घर छोड़ चुकी हो और पति देश. पति ने अगर क्व10 हजार मासिक की मामूली रकम दे दी तो कोई महान काम नहीं किया.

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