कसक- भाग 2: क्या प्रीति अलग दुनिया बसा पाई

शुरूशुरू  में वह क्लब में डांस करने में हिचकिचाती थी. उस समय मैं ने ही उसे बहुत संबल दिया. मेरे प्रोत्साहित करने पर धीरेधीरे वह खुलने लगी और जल्द ही वह पार्टी में आकर्षण का केंद्र बनती चली गई. तब मुझे बुरा नहीं लगा था.

मैं अपने सहकर्मियों के बीच गर्व महसूस करने लगा था, यह सोच कर कि सब की बीवियों में मेरी बीवी ही इतनी सुंदर और आकर्षक है.

अब सोचता हू कि शायद मैं ने वहीं गलती कर दी. यदि मैं उसे वहीं रोक देता, मैं उसे वहीं समझ जाता, तो शायद इतनी बात नहीं बढ़ती. परंतु नहीं मुझे बाद में समझ आया कि प्रीति बंध कर रहने वाली इंसान नहीं थी, वह तो स्वतंत्र आकाश में उड़ान भरने वाला परिंदा थी. उस ने घर की परिधि में रहना नहीं सीखा था. यहां आ कर उसे उड़ने के लिए खुला आसमान मिल गया था.

उसे सजनासंवरना, मौजमस्ती करना, सैरसपाटे, होटलों में खाना और शौपिंग करना बहुत पसंद था. शुरूशुरू में उस के मोह में यह सब मुझे भी गलत नहीं लगता था. लेकिन हर बात की जब अति हो जाती है तब वही बात बुरी लगने लगती है.

यहां आए अभी कुछ दिन ही हुए थे. एक दिन उस ने कहा, ‘‘जानू हम शादी के बाद कहीं हनीमून पर नहीं गए.’’

‘‘चलो न कहीं चलते हैं,’’ मैं भी उसे मना नहीं कर सका, ‘‘तुम बताओ कहां चलना है.’’

‘‘जहां तुम कहो, चलते हैं,’’ और उस के कहने पर हम दोनों ने कश्मीर का ट्रिप प्लान किया.

फिरदौस ने सच ही कहा है कि कश्मीर धरती का स्वर्ग है. यह वहां जा कर ही जाना. हरीभरी वादियां, कलकल बहती नदियां, बर्फ से ढके पर्वत मन मोह लेते. श्रीनगर में डलझल, शिकारे और गुलमर्ग, सोनमर्ग के बर्फीले पहाड़, फूलों से लदे बगीचे, देवदार के ऊंचेऊंचे वृक्ष आदि सभी कुछ बहुत ही मनमोहक. वह उन नजारों में खो कर रह गई. जगहजगह घूमना, फोटो खिंचाना उस का शौक था.

मैं ने भी उसे बहुत घुमाया, ढेरों तोहफे दिए, जी भर कर प्यार किया. उस के प्रेम में डूबा हुआ था मैं.

तभी फिर अचानक मुझे उस के व्यवहार पर संदेह होने लगा. मैं जब भी औफिस से घर लौट कर आता तो वह कभीकभी घर पर नहीं मिलती थी. पूछने पर बहाने बना देती थी. धीरेधीरे वह मुझे इग्नोर करने लगी. फिर कई बार उसे किसी और के साथ हाथ में हाथ डाले हंसतेबतियाते देख संदेह गहराने लगा था.

जब मैं उस से पूछता कि वह कौन था तो जवाब में कहती कि तुम बेकार ही शक करते हो. वह तो मेरा दोस्त था.

इस बात से मैं क्षुब्ध रहने लगा. वह मुझे धोखा दे रही थी. मैं उस के प्रेम में इतना पागल था कि उस के द्वारा दिए जा रहे धोखे को धोखा मानने को तैयार ही नहीं था. मेरा प्यार मुझ से दूर होता जा रहा था. उस के व्यवहार में, मैं बदलाव महसूस कर रहा था. ऐसा लगता कि वह मुझ से बोर हो चुकी है और अब कोई दूसरा तलाश रही है.

कई बार मन करता कि पूंछूं कि प्रीति मेरे प्यार में क्या कमी रह गई थी? तुम किस बात का मुझ से बदला ले रही हो? अब मुझ से पहले जैसा प्यार नहीं रहा तुम्हें. आखिर क्यों?

उस की तरफ से किसी भी क्यों का कोई जवाब नहीं था. मेरा मन बहुत दुखी था और सांत्वना देने वाला कोई नहीं था.

कई बार घर में अकेले बैठे सोचता रहता था कि मुझ से कहां गनती हो गई? क्या प्रीति को चुनने में मुझ से कोई भूल हुई? कभीकभी बहुत गुस्सा भी आता. आखिर मैं एक मर्द हूं, प्रीति का मुझे अनदेखा करना, उस का बेगानापन, पराए लोगों के साथ उस का घूमना, कईकई घंटे घर से गायब रहना अब सहन नहीं हो रहा था. मेरा दिल टूट चुका था. फिर भी मैं ने सब्र किया यह सोच कर कि सब ठीक हो जाए.

एक रात क्लब में पार्टी थी. उस समय प्रीति बहुत खूबसूरसूत लग रही थी. थोड़ी देर

में मैं ने देखा वह अपने होश में नहीं थी. उस ने शायद ज्यादा पी ली थी. यह मैं ने पहली बार देखा, उस के हाथ में सिगरेट भी थी और वह अफसरों के बीच में बेतरह पश्चिमी संगीत पर नाच रही थी. मेरी सहनशक्ति जवाब दे चुकी थी.

मैं ने उस के पास जा कर कहा, ‘‘प्रीति चलो घर चलते हैं.’’

उस ने मेरा हाथ झटक दिया. मैं ने फिर कोशिश की, परंतु नाकामयाब रहा. मैं वहां कोई तमाशा नहीं करना चाहता था, पर जब पानी सिर से ऊपर निकलने लगा तब अंत में मैं उसे घसीटता हुआ घर ले आया.

उसी दिन से वह मुझ से नाराज रहने लगी क्योंकि पार्टी में मैं ने उस का अपमान जो कर दिया था. घर आते ही वह मुझ पर बरस पड़ी, ‘‘तुम होते कौन हो मुझे रोकने वाले? हर किसी को अपना जीवन अपने तरीके से जीने का हक है. तुम मुझ से यह हक नहीं छीन सकते.’’

यहां कोई फिल्म का दृश्य नहीं फिल्माया जा रहा था, यहां हकीकत में मेरी जिंदगी पर बन आई थी. स्थिति मेरे हाथ से निकलती जा रही थी.

इसी बीच मम्मीपापा का फोन आया, ‘‘बहुत दिन हो गये तुम लोगों से मिले. बड़ी याद आ रही है, सो हम कल आ रहे हैं.’’

सुन कर मुझेे बेहद खुशी हुई. मैं ने उन के आने की खबर जब प्रीति को सुनाई तो उस ने कोई खुशी जाहिर नहीं की. उस के माथे की त्योरियां चढ़ गईं क्योंकि उस की स्वतंत्रता में खलल पड़ने वाला था. यह वही प्रीति थी जो अपने सासससुर का बहुत आदर करती थी और वे भी उसे बेहद चाहते थे. उस का ऐसा मन देख कर मुझे बहुत दुख पहुंचा.

मैं ने उसे बहुत समझया, ‘‘वे तो कुछ ही दिनों के लिए आ रहे हैं. तुम उन से प्यार से मिलोगी तो उन्हें अच्छा लगेगा.’’

मगर वह नहीं मानी. उस ने न उन से निभाया न ही उन का मानसम्मान किया. मैं ने सोचा था कि मम्मी आ कर उसे समझ लेंगी और पापा के सामने शर्म से प्रीति भी सही राह पर आ जाएगी, परंतु उस का व्यवहार देख कर मुझे बहुत शर्मिंदगी उठानी पड़ी.

मम्मी उसे हर तरह से समझने की कोशिश कर रही थीं. विवाह के बंधन, पतिपत्नी के

बीच के अटूट संबंध, समाज का डर, रिश्तेनाते उसे कुछ न बांध सका. मम्मी उसे व्रत, तीजत्योहार, रीतिरिवाज समझने के प्रयत्न करतीं, तो वह उलटीसीधी बातें कर के उन का अपमान करती, तर्कवितर्क करती. मम्मी ने भी हथियार डाल दिए.

दिनप्रतिदिन झगड़े बढ़ते चले गए. सासससुर उसे बोझ लग रहे थे. इस स्थिति में जीना दूभर हो गया था. मेरे गले में जैसे फंदा सा कसता जा रहा था. मम्मीपापा से मेरी हालत देखी नहीं जा रही थी. उन का प्रीति के साथ रहना भी मुश्किल हो रहा था और वे मुझे इस हालत में छोड़ कर भी जाना नहीं चाहते थे.

सीलन- भाग 4: दकियानूसी सोच से छटपटाती नवेली

दुबई जा कर मोहित ने एक घर किराए पर ले लिया था. मोहित को घर का खाना पसंद है. मोहित घर के काम नहीं कर सकता है. मगर, नवेली प्यार के कारण सारे काम बिना किसी शिकायत के करती रही थी. नवेली को लगता था, ऐसा करने से वह अपने प्यार को सीमेंट की  दीवार की तरह मजबूत बना रही है. वक्त के थपेड़े उस दीवार को चाह कर भी गिरा नही पाएंगे.

रात को सैक्स करते समय मोहित ने प्रोटेक्शन इस्तेमाल करने से मना कर दिया.

“क्या तुम मुझ पर शक करती हो?” मोहित गुस्से से बोला.

नवेली बोली नहीं, मगर मैं अभी मां नहीं बनना चाहती हूं.

मोहित बोला, “विश्वास रखो, मैं तुम्हें किसी मुसीबत में नहीं डालूंगा.”

मगर जब नवेली के यूरिन में इंफेक्शन हो गया, तो डाक्टर ने कंडोम यूज करने की सलाह दी थी, मगर डाक्टर की सलाह के बावजूद भी मोहित प्रोटेक्शन यूज करने को तैयार न था.

“मैं तुम्हारे और अपने मध्य किसी तीसरे को बरदाश्त नहीं कर सकता.”

नवेली को लगता कि क्या प्यार ये ही होता है?

जब नवेली ने ये बात मोहित के दोस्त की पत्नी अनुकृति को बताई, तो उस ने कहा, “अरे, मोहित पागल है क्या?

वह बस तुम्हें दबा रहा है.”

जब रात में नवेली ने मोहित से बात करनी चाही, तो मोहित बोला, “अगर तुम मुझ पर शक करती हो, तो मैं आज से तुम्हें छुऊंगा भी नहीं.”

एक हफ्ता हो गया था. मोहित नवेली से दूरदूर रहता. वह ऐसे जताता जैसे नवेली ने कोई अपराध कर दिया हो.

नवेली को लगता, जैसे उस ने कुछ गलत कर दिया हो और फिर नवेली ने ही माफी मांगी. मोहित ने कुछ नहीं

कहा. बस उस रात फिर से बिना प्रोटेक्शन के ही

सैक्स किया. नवेली बस अपने शरीर को प्यार के नाम पर कुरबान करती रही.

नवेली अपना प्यार साबित करने के लिए सब करती, मगर मोहित और अधिक की दरकार करता. नवेली

अपने प्यार की दीवार से एक ईंट निकाल कर

मोहित के प्यार की दीवार को पूरा करती रही, मगर अंदर से वो खोखला होती चली गई थी.

मोहित का प्यार सीलन की तरह उस के अंदर पनप रहा था और उस के पूरे वजूद को फफूंदी की तरह गला रहा था. जैसे फफूंदी सड़ेगले पदार्थों से अपना पोषण लेती है, वैसा ही कार्य मोहित का प्यार नवेली के लिए कर रहा था.

आज मोहित ने बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाया था. नवेली जैसे ही तैयार हो कर बाहर आई, तो मोहित ने चिल्ला कर कहा, “ये टौप अभी के अभी बदल कर आओ. मैं नहीं चाहता कि लोग तुम्हारे जिस्म को देखें.”

मोहित का दोस्त अंकित और उस की पत्नी अनुकृति भी वहीं थे. मोहित ने इस बात का भी लिहाज नहीं किया.

आंखों में आंसू भरे हुए नवेली सूट पहन कर बाहर आई, तो मोहित फिर से बोला, “ये मुंह पर 12 क्यों बजा रखे हैं?”

ना जाने क्यों औरतों को सब को रिझाने में क्या मजा आता है?

रात में भी मोहित नवेली को कुछकुछ सुनाता रहा था, “तुम्हारी गलती नहीं है. तुम तो अच्छी लड़की हो, मगर तुम्हारे परिवार के संस्कार कुछ अलग हैं.”

नवेली मोहित के प्यार में ऐसी अंधभक्त हो चुकी थी कि उसे सही और गलत के बीच का फर्क ही समझ नहीं आ रहा था.

आज फिर से नवेली के पेट मे बहुत दर्द हो रहा था. डाक्टर ने आज उसे बहुत डांटा. पढ़ीलिखी हो कर भी तुम्हें क्यों समझ नहीं आ रहा है? तुम्हारा एरिया सेंसिटिव है. बारबार इंफेक्शन होना सही संकेत नहीं है.

रात में जब मोहित ने यह बात सुनी, तो उस ने फिर से अबोला कर लिया. सुबह नवेली की आंखें थोड़ी देर से खुली, तो मोहित बिना नाश्ता करे ही दफ्तर चला गया.

रात में नवेली ने बिरयानी और्डर कर दी थी, तो मोहित फिर से चिल्लाने लगा, “कैसी पत्नी हो? पति सुबह से भूखा अब घर आया है. और तुम ने बाहर से खाना मंगवा लिया. तुम्हें तो इतना भी नहीं पता कि मुझे चावल पसंद नहीं हैं.

“मगर, तुम्हारे घर में तो ऐसा ही चलता है.”

मोहित ने बेहद मानमनोव्वल के बाद भी खाना नहीं खाया था. नवेली भी उस रात भूखी ही सो गई थी.

सुबह उठ कर नवेली ने मोहित की पसंद के पोहे और हलवा बनाया. मोहित ने नवेली को खुशी से चूम लिया.

मोहित ने अच्छे से नाश्ता किया और गुनगुनाते हुए काम पर चला गया. एक बार भी मोहित ने ये नहीं पूछा कि नवेली ने नाश्ता किया है या नहीं.

रात में जब नवेली ने ये बात मोहित से कही, तो मोहित बोला, “तुम तो क्लेश करती रहती हो. अरे, तुम्हारा घर

है. मैं कौन होता हूं पूछने वाला?

“तुम्हें क्या समझ में आएगा, तुम्हारी परवरिश ही ऐसी हुई है.”

नवेली से रहा नहीं गया और बोल उठी, “तुम्हारी परवरिश  कैसी हुई है? बातबात पर दूसरों को नीचे दिखाना, बस अपने बारे में सोचना.”

मोहित ये सुनते ही आगबबूला हो उठा और गुस्से में तकिए को पटकने लगा. नवेली को ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मोहित तकिए को नहीं उसे पटक रहा है.

नवेली रातभर सोचती रही, क्या सब शादियों में ऐसा ही होता है? क्या उस के परिवार में ही कुछ अलग तरीका है, जैसे मोहित कहता है. क्या वाकई में उस की मम्मी पापा की

कद्र नहीं करती हैं? क्या उस के परिवार में प्यार की परिभाषा ही गलत है? क्या प्यार में सांस लेने की भी जगह नहीं होती है?

नवेली बारबार अतीत में झांकने लगी, क्या हर बात पर पापा का मम्मी से सलाह लेना उन का दब्बूपन

दर्शाता है या उन का प्यार दर्शाता है? मम्मी को या उसे कभी भी किसी बात पर ना टोकना, क्या दर्शाता है? उन्हें बस सलाह दे कर फैसला उन पर छोड़ देना, इन सारी बातों में क्या मम्मीपापा के बीच प्यार की मजबूती नहीं झलकती है, जो उन के प्यार को सीमेंट की तरह मजबूत करता है?

क्यों मोहित का प्यार बस लेना जानता है? मोहित का प्यार तभी तक नवेली के लिए बरकरार रहता है, जब

तक नवेली मोहित के अनुसार काम करती है. जैसे ही नवेली थोड़ा सा इधरउधर होती है, मोहित नवेली को उस की गलत परवरिश और उस के स्वार्थी होने की दुहाई देना आरंभ कर देता है.

काफी सोचसमझ कर नवेली ने खुद को इस सीलन भरे प्यार से छुटकारा लेने का फैसला ले लिया था. नवेली ने अपनी मम्मी को फोन किया, “मम्मी, मैं घर आ रही हूं.”

राशि को नवेली की आवाज से समझ आ गया था कि नवेली खुश नहीं है. राशि ने बस इतना कहा, “तुम्हारा ही

घर है. जब मरजी तब आ जाओ.”

नवेली ने पैकिंग आरंभ कर दी थी. मोहित जब शाम को घर आया, तो नवेली को सामान बांधते देख कर

बोला, “तुम्हारे मम्मीपापा से मुझे ये ही उम्मीद थी. अपनी मरजी से जा रही हो और अपनी मरजी से ही आना.”

नवेली आंखों में आंसू भरते हुए बोली, “क्या तुम्हें मेरा दर्द समझ नहीं आता है? हां, मैं ने तुम्हें अपना समझ कर कुछ बातें बताई थीं, मगर इस का ये मतलब नहीं है कि तुम उन बातों को पकड़ कर मुझे रातदिन जलील करते रहो.”

मोहित जोरजोर से रोने लगा, “अरे नवी, यह क्यों नहीं बोलती कि तुम्हें आजादी पसंद है. तुम्हारा मन भर गया है मेरे प्यार से. तुम्हें तो डालडाल पर फुदकने की आदत पड़ गई है.”

नवेली ने चिल्लाते हुए कहा, “चुप. अब बस एक शब्द और नहीं. तुम्हारे इस सीलन भरे प्यार से मैं अपने वजूद को फफूंदी नहीं बनने दूंगी. मैं तुम्हारे इस खोखले इश्क के ताजमहल को हमेशाहमेशा के लिए छोड़ कर जा रही हूं.”

बाहर अचानक से बादलों को चीरते हुए तेज सूरज की किरणें जगमगा रही थीं. ये किरणें शायद कुछ सालों

तक नवेली के वजूद को तपा जरूर सकती हैं, मगर इस सीलन से छुटकारा अवश्य दिलाएंगी.

सीलन- भाग 3: दकियानूसी सोच से छटपटाती नवेली

मोहित ने गिफ्ट लिया और कहा कि मैं ने तो तुम्हारे लिए कुछ नहीं लिया है. मुझे ये चोंचलेबाजी पसंद नहीं है.

नवेली कुछ नहीं बोली. मगर उस रात मोहित ने नवेली को जी भर कर प्यार किया. नवेली का तनमन प्यार से भीग गया था.

अगली सुबह मोहित नवेली को बांहों में भरते हुए बोला, “ये गिफ्ट तो वो मर्द देते हैं, जो दब्बू होते हैं. मैं तो तुम्हें अपने बच्चों का तोहफा दूंगा, वह भी एक नहीं पूरे तीन. घर भराभरा सा लगना चाहिए.”

नवेली इस से पहले कुछ बोलती, मोहित ने उस के होंठों पर उंगली रखते हुए कहा, “परिवार के निर्णय मैं लूंगा, तुम क्यों दिमाग पर जोर देती हो. तुम बस घर का और अपना ध्यान रखो.”

नवेली को मोहित का ये रवैया पसंद भी था और नापसंद भी.

बचपन से नवेली ने अपने पापा को मम्मी से हर छोटीबड़ी बात पर दबते देखा था, इसलिए उसे मोहित का ये रूखापन ना जाने क्यों आकर्षित करता था. नवेली को लगता था कि अब उस की जिंदगी मोहित के प्यार के साए में महफूज है.

शाम को नवेली के मम्मीपापा का फोन आया था. नवेली की मम्मी राशि बोली, “बेटा, हनीमून के लिए कहां जा रहे हो?”

नवेली बोली, “मम्मी, मोहित ने अभी निर्णय नहीं लिया है.”

राशि बोली, “तुम्हारी कोई इच्छा नही है?”

नवेली बोली, “अरे मम्मी, मैं तो बड़े आराम से हूं. मैं आप के और पापा द्वारा दिए गए स्पेस से बहुत बोर हो गई हूं.”

राशि ने बिना कुछ बोले फोन रख दिया था.

अगले दिन मोहित ने नवेली से कहा, “नवेली, मुझे बिजनैस के सिलसिले में जरूरी काम से दुबई जाना होगा.”

नवेली बोली, “मैं भी साथ चलूंगी ना.”

मोहित कुछ सोचता हुआ बोला, “अरे, अगर तुम चलोगी, तो परिवार के साथ समय कैसे बिताओगी?मौसी, मामी, बूआ, नानी सब यहीं हैं, ऐसे में तुम्हें साथ ले कर जाना ठीक रहेगा क्या?”

नवेली बेचैन होते हुए बोली, “हम बिजनैस ट्रिप और हनीमून एकसाथ नहीं कर सकते क्या?”

मोहित बोला, “तुम को और मुझे हमेशा एकसाथ ही रहना है, फिर इतनी बेचैनी क्यों?

“यहां रुको और सब से रिश्ते बनाओ, ताकि तुम इस परिवार का हिस्सा बन पाओ.

“तुम्हारी मम्मी की तरह नहीं बस मैं और मेरे हस्बैंड.”

नवेली के चेहरे का रंग उतर गया. वह धीमे से बोली, “तुम हर बात पर मेरे मम्मीपापा को बीच में क्यों लाते हो?”

मोहित प्यार से बोला, “क्योंकि, मैं नहीं चाहता कि तुम किसी भी टेस्ट में फेल हो जाओ. मैं तुम्हें एक सफल पत्नी और बहू के रूप में देखना चाहता हूं. यह एक पति के रूप में मेरी जिम्मेदारी भी है. तुम्हें क्या पता होगा, क्योंकि तुम्हारे घर से तो रिश्तों से अधिक दोस्ती को महत्व दिया जाता है.”

उस रात नवेली ने मोहित के सामान की पैकिंग कर दी. ढेर सारी हिदायतें दे कर मोहित चला गया था.

दिनभर नवेली महिलाओं में घिरी रहती, पर रात होते ही उसे मोहित की याद आ जाती थी. मोहित रात में एक बार ही फोन करता था, जहां वो सब से बात करने के पश्चात ही उस से 2-3 मिनट बात कर के फोन रख देता था.

नवेली के कुछ बोलने से पहले ही वह बोल देता, ऐसे ही रोमांस बरकरार रहेगा.

सारी बातें अभी कर लोगी, तो बाद में क्या करोगी?

नवेली कुछ बोल नहीं पाती थी, मगर उसे मोहित की बात समझ नहीं आती थी.

मोहित चार दिन की बोल कर गया था, मगर एक हफ्ता हो गया था.

नवेली जब भी पूछती, एक ही उत्तर आता कि परिवार के साथ समय बिताओ, पूरे 22 साल अकेली रही हो.

नवेली के सासससुर और बाकी परिवार उस के साथ ठीकठाक ही थे, मगर नवेली के सारे शौक मन ही मन में रह गए थे.

कितने शान से वह सभी सहेलियों से कहती थी कि हनीमून के लिए तो यूरोप ट्रिप ही प्लान करेंगे. पर, यहां वह शादी के 5 दिन बाद से ही अकेली रह रही है.

नवेली को आज पहली बार रसोई में कुछ बनाना था. नवेली को तो बस थोड़ाबहुत ही कुछ बनाना आता था. सास ने कहा, “नवी, हलवा बना दो.”

नवेली ने कोशिश की, मगर हलवे में ना मीठा ठीक था और ना ही वो ठीक से भुना हुआ था.

सास ने कड़वा सा मुंह

बनाते हुए कहा, “अरे, कम से कम हलवा तो सीख लेती.”

शिप्रा मुसकराते हुए बोली, “भाभी, आप तो मुझ से भी कम जानती हो.”

नवेली बोली, “हमारे घर में कुक हैं ना.”

तभी सास बोली, “हमारे घर में खाना घर की लक्ष्मी ही बनाती है.”

नवेली बोली, “मैं धीरेधीरे सीख लूंगी.”

रात में नवेली की मम्मी राशि का फोन आया और वह शिकायत करते हुए बोली, “तुम अपनी फ्रैंड्स को फोन क्यों नहीं करती हो?”

“बेटा, शादी का मतलब ये नहीं कि तुम पुराने रिश्ते तोड़ दो.”

नवेली झुंझलाते हुए बोली, “मम्मी, नई जगह रिश्ते बनाने में थोड़ा समय तो लगता है.”

नवेली फोन रखते हुए सोच रही थी कि उस की मम्मी परिवार के लिए कभी कुछ नहीं करती हैं. उन्हें तो हमेशा अपने दोस्त, अपनी जिंदगी प्यारी लगती है.

आज अगर नवेली अपने नए परिवार के लिए कुछ करना चाहती है, तो उन्हें इस में भी दिक्कत है.

रात को नवेली ने सब के लिए खाना बनाया. मोहित को कल आना था. नवेली सोच रही थी कि क्या मोहित भी उसे मिस करता होगा.

देर रात मोहित आया और आते ही पहले अपने मम्मीपापा के कमरे में चला गया. नवेली प्रतीक्षा करती रही और जब मोहित कमरे में आया तो सो गया.

पूरी रात नवेली तकिए को आंसुओं से भिगोती रही थी.

सुबह जब वह सो कर उठी, तो सूरज सिर पर आ गया था. मोहित बिस्तर पर नहीं था. नीचे देखा तो मोहित अपनी मम्मी के साथ चाय पी रहा था.

मोहित नवेली को देख कर बोला, “तुम्हारे होते हुए मम्मी को काम करना पड़े, ये ठीक नहीं है.”

नवेली बिना कुछ बोले नहाने चली गई. उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोहित क्यों उसे प्यार के लिए तरसा रहा है?

दोपहर खाने के बाद मोहित ने अपनी जिस्म की भूख भी मिटाई और फिर सो गया. रात को भी वही प्रक्रिया दोहराई गई. जब नवेली कुछ बोलती, तो मोहित कहता, “अरे, तुम्हारे साथ तो हमेशा रहूंगा, मगर

परिवार के साथ भी तो समय बिताना जरूरी है. जिस प्यार में परिवार नहीं होता, वो सीलन की तरह पूरी जिंदगी को खोखला कर देता है.

“परिवार का प्यार ही तो सीमेंट की तरह हर रिश्ते को मजबूती देता है.”

एक हफ्ते बाद नवेली को मोहित के साथ दुबई जाना था. वह बेहद खुश थी. जब नवेली पैकिंग कर रही थी, तो मोहित बोला, “ये शॉर्ट्स, क्रौप टौप सब घर पर ही पहनना. मैं नहीं चाहता कि तुम्हारे शरीर पर किसी और की नजर पड़े.”

नवेली ऐसी बातें सुन कर रोमांचित हो उठती थी. कितना प्यार करता है मोहित उस को.

सीलन- भाग 2: दकियानूसी सोच से छटपटाती नवेली

मोहित लड़कियों की पवित्रता को ले कर बहुत बातें करता था. नवेली को

लगता कि वह मोहित से धोखा कर रही है. नवेली ने अपने फोन नंबर को बदल लिया और अपने सारे सोशल मीडिया एकाउंट्स डिलीट कर दिए थे.

मोहित का प्यार धीरेधीरे नवेली के अंदर सीलन की तरह पनप रहा था. नवेली ने अपने सारे छोटे कपड़े इधरउधर बांट दिए थे. नवेली को लगने लगा था कि मोहित के प्यार में इतना तो वो कर सकती है.

मोहित अकसर फोन पर  नवेली को बताता था कि कैसे वो उस के लिए रातदिन मेहनत कर रहा है, ताकि वो लोग यूरोप के लिए हनीमून जा पाएं. तुम्हें मैं जमीन पर पैर नहीं रखने दूंगा, पर बस मेरे घर और दिल की रानी बन कर रहना.

नवेली मोहित की ऐसी बात सुन कर रोमांचित हो उठती थी. उस की जिंदगी में कभी ऐसा कोई नहीं आया था, जो उस पर इतनी रोकटोक करे.

नवेली ने एक बार फोन पर कह भी दिया था, “मोहित, तुम्हारे जितनी रोकटोक तो मेरे अपने पापा ने भी नहीं की है.”

मोहित बोला, “मैं तुम्हें बेहद प्यार करता हूं, इसलिए किसी और के साथ बांट नहीं सकता हूं.”

नवेली को मोहित का व्यवहार रोमांचित भी करता, पर साथ ही साथ डराता भी था.

नवेली एक अजीब सी दुविधा में फंस गई थी. मोहित अच्छा कमाता था, देखने में बेहद अच्छा था. बस, उस के विचार कुछ अलग थे. नवेली को समझ नहीं आ रहा था कि वह अपने अंदर की दुविधा किसे समझाए.

मोहित कभी भी विवाह से पहले नवेली से मिलने नहीं आया था. मोहित के शब्दों में अगर पास रहना है, तो थोड़ी दूरी भी जरूरी है. अगर सबकुछ जान जाओगी, तो शादी का मजा चला जाएगा.

मोहित की इन्हीं बातों ने नवेली को एक सूत्र में बांध रखा था. नवेली को यह तो समझ आ गया था कि इस रिश्ते का गणित और रिश्तों से कुछ अलग ही होगा.

नवेली कभीकभी सोचती, ‘क्या वह इस सवाल को सुलझा पाएगी?’

विवाह धूमधाम से संपन्न हो गया था, मगर नवेली को वह लाड़दुलार नहीं मिला, जिस की वह प्रतीक्षा कर रही थी.

फेरों के समय मोहित ने वधू पक्ष के देवताओं की पूजा करने को मना कर दिया था. दोनों परिवार में इस बात को ले कर थोड़ी कहासुनी हो गई थी.

विदाई के बाद जब नवेली ससुराल पहुंची, तो उसे एक कमरे में बैठा दिया था. उस ने तो सुना था कि ससुराल में नईनवेली दुलहन को एक मिनट के लिए भी अकेला नहीं छोड़ते हैं. करीब आधे घंटे बाद नवेली की सास कमरे में आईं और उस के बराबर में आ कर बैठ गईं. उस के कड़े को देख कर

बोलीं, “पापा के पैसों से सोने के कड़े लिए हैं और मोहित के पैसे होते तो हीरे के खरीदती. मेरा मोहित थोड़ा स्वभाव का सख्त है, मगर दिल से मोम है.

“बारबार उसे मैसेज मत करो. जब तक हमारी कुलदेवी की पूजा नहीं होगी, वह तुम्हारे पास नहीं आएगा.”

फिर तेज कदमों से नवेली की सास कमरे से चली गईं.

नवेली का मुंह अपमान से लाल हो गया था. क्या मोहित अपनी हर बात अपनी मां के साथ शेयर करता है?

तभी मोहित की मौसी आई और खाने की थाली रखते हुए रूखे स्वर में बोली, “खाने के बाद ये लहंगा उठाकर रख देना. इतना महंगा लहंगा है. हर साल करवाचौथ पर पहन लेना.” फिर वह भी दन से चली गई.

नवेली को समझ नहीं आ रहा था कि ये कौन सा तरीका है नई बहू के स्वागत करने का. हर कोई क्यों उसे सुना रहा है? और मोहित, जिस के साथ उस ने सात फेरे लिए हैं, वह कहां छिप कर बैठ गया है?

न मोहित की बहन शिप्रा नवेली के पास आई और न ही मोहित. नवेली के पास मम्मीपापा का फोन आया था, पर वह क्या बोलती. ये शादी की जिद भी उस की अपनी ही थी. मोहित पर नवेली इतनी अधिक मोहित हो गई थी कि नवेली ने झटपट शादी का निर्णय ले लिया था.

हालांकि नवेली की मम्मी ने कहा भी था कि नवी, ये कोई शादी की उम्र नहीं है.

मगर वह अपनी जिद पर अड़ गई थी. मेरे पास कोई कंपैनियन नहीं है. मुझे एक नई फैमिली चाहिए.

नवेली एक पब्लिशिंग हाउस में काम कर रही थी. आगे पढ़ने की उस की कोई इच्छा नहीं थी. इन्हीं सब बातों को मद्देनजर रखते हुए नवेली का प्रोफाइल भिन्नभिन्न मैरिज की साइट्स पर डाल दिया गया था. इस तरह से नवेली को यह परिवार मिला था.

आज कंगना खुलने की रस्म थी. नवेली ने सी ग्रीन रंग की साड़ी पहनी थी. मोहित ने बड़े अनमने ढंग से कंगना खेला और फिर उठ कर चला गया.

रात में जब मोहित नवेली के पास आया, तो नवेली शिकायती लहजे में बोली, “कल से तो तुम ने मुझे इग्नोर कर दिया है. शादी होते ही बदल गए हो.”

मोहित गुस्से में बोला, “शादी हो गई है ना. अब पूरी उम्र साथ ही रहना है ना.”

यह सुन कर नवेली एकाएक हक्कीबक्की रह गई थी. तभी मोहित रंग बदलते हुए बोला, “नवेली, तुम ही तो बोलती थी कि तुम्हें अपने पापा जैसा पप्पी हसबैंड नहीं चाहिए.”

नवेली इस बात का कुछ जवाब नहीं दे पाई थी.

एक बार कुछ अंतरंग पलों में नवेली ने मोहित को अपने पापा के दब्बूपन और मम्मी के दबंग व्यक्तिव के

बारे में जिक्र किया था, पर उस ने कभी नहीं सोचा था कि मोहित इस बात को उस के खिलाफ ऐसे इस्तेमाल करेगा.

मधुयामिनी में भी मोहित अपने मन की करता रहा, जैसे ही नवेली ने अपनी इच्छा जताई, तो मोहित उस के जिस्म को रौंदते हुए बोला, “पहले कितनी बार ये अनुभव कर चुकी हो?”

ऐसा सुनते ही नवेली सकपका गई थी. एकाएक उस का जिस्म ठंडा पड़ गया.

“यार, तुम तो बर्फ हो एकदम, मर्द भी तो तभी सुख दे सकता है, जब औरत में दम हो,” फिर मुसकराते हुए मोहित बोला, “नवी,, तुम्हारे पापा की तरह मैं दब्बू नहीं हूं.”

सुबह मुंहदिखाई की रस्म थी. कोई नवेली के बालों की तारीफ करता, तो कोई उस की आंखों की.

अभी नवेली इन तारीफों को पचा ही रही थी कि नवेली की सास हंसते हुए बोलीं, “अरे, मोहित की दादी तो

बोल रही हैं कि नवेली की नाक मोटी है.”

नवेली भीड़ में कट कर रह गई थी.

रात को नवेली को उम्मीद थी कि शायद मोहित उसे कोई गिफ्ट देगा. वह खुद भी उस के लिए एक महंगी घड़ी लाई थी.

फेस्टिवल्स पर आई मेकअप से दिखें ग्लैमरस 

त्योहारों का सीजन हो और सजना सवारना न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. क्योंकि त्योहार जहां मन में उमंग लाते हैं , वहीं त्योहार सजने सवरने का भी मौका देते हैं. खासकर महिलाओं को, क्योंकि मेकअप महिलाओं की खूबसूरती को बढ़ाने का काम जो करता है. ऐसे में त्योहारों पर मेकअप की बात हो और आई मेकअप न किया जाए तो सारे मेकअप पर पानी फिर जाता है. इसलिए इन त्योहारों मेकअप से अपनी आंखों को खूबसूरत बनाकर करें त्योहारों को एंजोय.

कैसे करें अलगअलग तरह के आई मेकअप 

–  सिंपल आई मेकअप 

अगर आपको सिंपल लुक ज्यादा पसंद है और आप अपनी आंखों को ज्यादा तड़कभड़क लुक नहीं देना चाहतीं तो सिर्फ अपनी आंखों को दो चीजों से निखारें. काजल और दूसरा आई लाइनर.  बस आपको अपनी आंखों के नीचे काजल लगाकर अपनी पसंद के अनुसार आंखों के ऊपर पतला या मोटा लाइनर अप्लाई करना होगा. यकीन मानिए मिनटों में आपका लुक चेंज हो जाएगा.

आप चाहें तो इसके लिए मल्टी पर्पस पेंसिल काजल या लाइनर का इस्तेमाल कर सकती हैं या फिर जैल फोर्म में भी यूज़ कर सकती हैं . जिसे आप काजल के रूप में भी इस्तेमाल कर सकती हैं , लाइनर के रूप में भी और बिंदी के लिए भी.  आपको मार्केट में अलगअलग वैरायटी के साथ साथ डिफरेंट कलर्स के लाइनर व काजल मिल जाएंगे, जिन्हें आप अपनी पसंद के अनुसार खरीद कर बढ़ाएं अपनी खूबसूरती को.

2. कैट आई लुक 

कैट आई लुक काफी डिमांड में है, जो न सिर्फ आंखों को खूबसूरत बनाता है बल्कि आपके कोन्फिडेन्स को भी कई गुणा बढ़ाने का काम करता है. वैसे इस लुक को खुद से करना थोड़ा मुश्किल जरूर है लेकिन एक दो बार प्रैक्टिस करके आप खुद से अपनी आंखों को कैट आई लुक दे सकती हैं.  बस इसके लिए आपको  जैल आई लाइनर, पेंसिल आई लाइनर या वाटरप्रूफ लिक्विड आई लाइनर के साथ  ब्रश की जरूरत होगी, जिससे आप अपनी आंखों को क्लासिक लुक ले पाएंगी.

जब भी आप अपनी आंखों को कैट लुक दें,. तो सबसे पहले ध्यान रखने वाली बात है कि आप ऊपर से व नीचे से विंग की तरह बाहर की तरफ बराबर एक डोट लगा लें, ताकि आपको कैट लुक देने में आसानी हो. फिर ऊपर से बीचोबीच से मोटी लाइन बनाते हुए बाहर की और मिलाएं , फिर नीचे से उसे जोड़े , फिर खाली भाग को डार्क करके बाकी खाली बचे भाग की ओर लाइनर से पतली लाइन बनाएं .  बस आपको स्टेप्स का ध्यान रखना है, मिनटों में  आपको  कैट आई लुक मिल जाएगा. जो आपको खूबसूरत बनाने का काम करेगा.

3. शिमरी आइज़

अगर आप अपने मेकअप को सिंपल रख रही हैं तो आप अपनी आंखों को शिमरी टच देकर ग्लैमरस लुक पा सकती हैं.  क्योंकि ये आपके मेकअप को उभारने का काम करता है. इसके लिए आप सबसे पहले अपनी आंखों के ऊपर तीन एरिया यानि लिड एरिया, क्रीज़ एरिया और ब्रो बोन पर फोकस करके उस पर कंसीलर या फाउंडेशन अप्लाई करें . उसके बाद आप स्किन टोन से मैच करता बेस कोड ब्रश की मदद से लगाएं, ताकि अच्छे से वो ब्लेंड हो सके . अब आप कोई भी मिडटोन लेकर उसे क्रीज़ एरिया पर अच्छे से लगाते हुए फिर लिड एरिया में अच्छे से ब्लेंड करें. अब अपनी आंखों के लोअर लिड एरिया पर कंटूर अप्लाई करें.  फिर इस एरिया पर ग्लिटर ग्लू अप्लाई करें. आखिर में डार्क ग्लिटर लेकर उसे लिड पर आराम से अप्लाई करें.  फिर ब्रश से फिनिशिंग दें. ये आई मेकअप आपकी आंखों के साथसाथ आपके पूरे लुक को मस्त बना देगा.

4. ग्रेडिएंट आइज़ 

इन दिनों ग्रेडिएंट आइज़ काफी चलन में है. तो जब बात फेस्टिवल्स की है तो आप भी इस लुक को अप्लाई कर सकती हैं. इसमें पहले अच्छे से आंखों के ऊपर प्राइमर अप्लाई करके उसे स्पोंज की मदद से ब्लेंड करें. इसके लिए आंखों के शुरू वाले एरिया में लाइट कलर के आईशैडो का इस्तेमाल किया जाता है, उसके बाद बचे एरिया से किनारे तक डार्क आईशैडो का इस्तेमाल करके आंखों को आसानी से  ग्रेडिएंट लुक दिया जा सकता है. इस तरह का लुक पार्टीज में व नाईट मेकअप में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है.

5. गोल्ड फेस्टिव आइज़ 

ये लुक ब्राउन आंखों वाली लड़कियों व महिलाओं पर खूब जंचता है. साथ ही उन्हें ये यंग लुक देने का काम करता है. इसके लिए आप सबसे पहले ब्राउन आईलाइनर पेंसिल लेकर उससे आंखों के ऊपर क्रीज़ एरिया पर सेमीसर्किल बनाएं. फिर सिर्फ आउटर कार्नर को ही फिल करें. फिर फ्लैट ब्रश की मदद से उसे ब्लेंड करें, ताकि कोई भी हार्श लाइन्स न दिखें. इसके बाद बीच में गोल्डन आईशैडो अप्लाई करके उसे अच्छे से ब्लेंड करें. फिर ऊपर लैशलाइन पर ब्लैक लिक्विड लाइनर से सिंपल विंगड लाइन बनाएं. आखिर में बेहतर रिजल्ट के लिए पलकों पर मस्कारा अप्लाई करें. यकीन मानिए ये लुक आप पर से लोगों की नजरों को हटने नहीं देगा.

लिवइन रिलेशनशिप- भाग 3: क्यों अकेली पड़ गई कनिका

‘ओह मां, जब भी घर आती हूं आप यह शादीशादी की रट लगानी शुरू कर देती हो. आगे से मैं आना बंद कर दूंगी. मु झे नहीं करनी शादी. शादी, बच्चे, ससुराल, मायका, मैं ये सब मैनेज नहीं कर सकती. मैं जैसी हूं वैसी ही रहूंगी. मैं बस कमाओ, खाओ, पिओ और मौज करो में यकीन करती हूं और शायद मैं इसी के लिए बनी भी हूं.’

‘पर बेटा, ऐसा नहीं है, शादीब्याह कोई  झं झट नहीं है. शादी तो प्यार का दूसरा नाम है. एकदूसरे के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत होती है. विवाह समाज द्वारा मान्यताप्राप्त है जो आप को एक पार्टनर देता है जिस से एक ओर जहां आप अपनी शारीरिक जरूरतें पूरी करते हो वहीं दुखसुख को बांटते हो और जहां आप अपना सुरक्षित भविष्य प्राप्त करते हो. विवाह करने में ही जीवन का असली सुख है, बेटा,’ मां ने अपना अनुभवयुक्त ज्ञान उसे देने की कोशिश की थी.

‘इन सब दकियानूसी बातों में मु झे यकीन नहीं. यह कहां की तुक है कि एक आदमी को ही पूरी जिंदगी हवाले कर दो.’

मां आगे और भी कुछ बोलना चाहती थीं पर वह उन की बातों को अनसुना कर के कमरे से बाहर चली गई. पहली बार उसे लगा कि वह मां की नजरों का सामना नहीं कर पाई.

सोचतेसोचते कब उस की आंख लग गई, उसे पता ही नहीं चला. दरवाजे की घंटी की आवाज से उस की नींद खुली. दरवाजा खोला तो सामने रोनित खड़ा था. कनिका 2 कप कौफी ले आई. और बोली, ‘‘रोनित, अब हम क्या करेंगे?’’

‘‘हां कनु, मु झे भी सम झ नहीं आ रहा. डाक्टर ने प्रैग्नैंसी के साथसाथ और भी तो कितनी बीमारियां बताईं तुम्हें, डायबिटीज, मोटापा, बीपी आदि. और ये बीमारियां तो पूरी जिंदगी तुम्हारा साथ नहीं छोड़ने वालीं. अब तुम सोच लो, क्या करना है?’’

‘‘क्या करना है, मतलब? जो करना है हम दोनों को करना है,’’ कनिका ने लगभग  झुं झलाते हुए कहा.

‘‘तो क्या करूं, तुम से शादी कर लूं? यह मौजमस्ती तुम ने अपने से की थी. मैं ने तुम्हें फोर्स नहीं किया था. जो तुम मु झ पर अपना गुस्सा निकाल रही हो. जो किया है, अब भुगतो. जिस लड़की ने शादी से पहले ही सबकुछ मु झे सौंपने में तनिक भी संकोच नहीं किया, वह लड़की तो शादी के बाद भी न जाने किसकिस को…’’ कह कर रोनित अपना बैग उठा कर कमरे से बाहर निकल गया. कनिका रोनित के बदले रूप को अचरज से देखती रह गई. निढाल हो कर वह बिस्तर पर गिर गई. उस की आंखों से आंसू बह निकले. तभी फोन की घंटी बजी. उठाया, तो उस की सहेली आयशा थी.

‘‘हैलो कनु, क्या हुआ 2 दिनों से औफिस क्यों नहीं आ रही हो?’’

उस की आवाज सुनते ही कनिका अपनेआप को रोक नहीं सकी और फूटफूट कर रोने लगी. उसे रोता सुन कर आयशा घबरा गई और बोली, ‘‘चल, मैं आधे घंटे में तेरे पास पहुंचती हूं.’’

आधे घंटे में आयशा उस के सामने थी. कनिका के बिखरे बाल, सूजी आंखें और अस्तव्यस्त कपड़े देख कर वह हैरत से बोली, ‘‘क्या हुआ? यह क्या हालत बना रखी है? लग रहा है जैसे महीनों से बीमार है.’’

‘‘आयशा, सब खत्म हो गया. मु झे कुछ सम झ नहीं आ रहा क्या करूं. लग रहा है खुद को ही खत्म कर लूं,’’ कहते हुए कनिका ने रोतेरोते सारी दास्तान आयशा को कह सुनाई.

उस की बातें सुन कर आयशा बोली, ‘‘अच्छा, यह बात है, तभी 2 दिनों से रोनित कुछ अपसैट है और तेरे बारे में पूछने पर भी कुछ नहीं बोला. पर कनु, इस में गलती तो तेरी ही है. मैं ने कितना सम झाया था. पर तु झे तो लिवइन रिलेशनशिप का जनून चढ़ा था. कनु, आजादी और उच्छृंखलता में बहुत बारीक सा अंतर होता है. तू ने तो हमेशा ही आजादी का गलत मतलब निकाल कर मस्ती और ऐयाशी का जीवन जिया है.

‘‘कनु, जिम्मेदारियों से भागना जिंदगी नहीं है. विवाह जिम्मेदारी निभाना नहीं है, बल्कि सम्मानसहित जीवन जीने का नाम है. तू ने चंद जिम्मेदारियों के डर से अपना पूरा जीवन ही दांव पर लगा दिया. अब बता कहां गई तेरी बिंदास और मस्तीभरी जिंदगी और कहां गया लिवइन रिलेशनशिप में साथ देने वाला तेरा वह मस्तीखोर साथी. तेरे साथ दिनरात रहने के बाद भी आज तु झे मुसीबत में छोड़ कर भाग गया न. कनु, कुछ भी हो, अंत में भोगना स्त्री को ही पड़ता है.’’

‘‘आयशा, तू सही कह रही है. आज मु झे इस हालत में छोड़ कर रोनित खुद बड़े आराम से घूम रहा है. फंस तो मैं गई. अब क्या करूं? ऊपर से मु झे ताना दे रहा है कि मैं ने जो किया, अपनी मरजी से किया. ठीक है, मैं ने मरजी से किया, पर क्या इस में रोनित का कोई दोष नहीं?’’ कनिका ने आयशा का हाथ पकड़ कर दर्दभरी नजरों से पूछा.

‘‘कनु, जब हम घर से बाहर आते हैं तो अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारे ऊपर स्वयं होती है. भले ही मर्द कितना भी दोषी क्यों न हो, हमारे भारतीय समाज में दोषी स्त्री को ही माना जाता है. अब तेरे पास इस बच्चे को जन्म देने के अलावा चारा भी क्या है. रोनित ने अपने व्यवहार से जता दिया है कि वह अब तु झे पूछेगा भी नहीं,’’ आयशा ने कहा तो कुछ देर तक शांत रहने के बाद कनिका किसी तरह हिम्मत कर के उठी और हाथमुंह धो कर आयशा से बोली, ‘‘तू सही कह रही है. जो मैं ने किया है उसे भोगना तो मु झे पड़ेगा ही. अब इसे जन्म तो देना ही होगा.’’

कनिका ने अगले दिन से औफिस जाना शुरू कर दिया. इस बीच उस ने कई बार रोनित से संपर्क करने का प्रयास किया, परंतु कोई नतीजा नहीं निकला. बाद में उस के साथियों से पता चला कि उस ने दूसरी कंपनी जौइन कर ली है.

9 माह बाद कनिका ने एक खूबसूरत सी बेटी को जन्म दिया. उसे पालने के साथसाथ उस ने एक एनजीओ भी प्रारंभ किया जो अनाथ बच्चों को शिक्षित करने के साथसाथ स्कूल और कालेज जा कर बालिकाओं को उन के कैरियर बनाने की शिक्षा तो देता ही था, साथ ही, महानगरों में रह कर उन्हें कैसे अपने अस्तित्व की रक्षा करनी है, के प्रति जागरूक भी करता था. वहां वह बालिकाओं को बताती थी कि आजादी का मतलब उच्छृंखलताभरी जिंदगी, अस्तव्यस्त लाइफस्टाइल और ऊलजलूल कपड़े पहनना नहीं, बल्कि अपने विचारों की आजादी है. जिंदगी का असली मजा जीवन में आने वाली चुनौतियों से भागना नहीं, बल्कि उन का सामना करने में है.

फेस्टिवल स्पेशल: जैसा फेस वैसी बिंदी

पहले के समय में हीरोइन तरहतरह के बिंदी लगाया करतीथीं जो किएक ट्रैंड बन जाया करता था.यहां तक की बौलीवुड में कई ऐसे गाने हैं जो सिर्फ बिंदी पर ही फिल्माया गया है. बिंदी की चमक वाकई चेहरे पर चार चांद लगा देती है.आज बिंदी का ट्रैंड फिर से लौट आया है. सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि लड़कियां भी बिंदी की बहुत शौकीन होती है. एथनिक हो या साड़ी दोनों पर ही बिंदी बहुत फबता है.लेकिनआप बिंदी फैशन और चेहरे के शेप के अनुसार लगाएंगी तो आप पर ज्यादा फबेगा. आइएजानते हैं, चेहरे के अनुसार कौन सी बिंदी ज्यादा अच्छी लगेगी.

बिंदी को सिलेक्ट करते वक्त हम सबसे सुंदर बिंदी ही चुनते हैं लेकिन यह सोचना भूल जाते हैंकि वह हमारे चेहरे पर कैसी लगेगी. बिंदी के सुंदर दिखने से ज्यादा जरूरी है आपका चेहरा खूबसूरत दिखे. इसलिए बिंदी हमेशा अपने फेस कट के अनुसार ही लगाएं.

1. जब चेहरा हो गोल

यदि आपका चेहरा गोल है तो गोल बिंदी न लगाएं. गोल चेहरा ज़्यादातर छोटा दिखता है. अगर इस पर आप गोल बिंदी लगाएंगी तो आपका चेहरा और छोटा दिखेगा. कई बार कई महिलाएं चेहरे को बड़ा दिखने के लिए बड़े आकार की गोल बिंदी लगा लेती हैंगोल चेहरे पर लंबी आकार की बिंदी लगा सकती हैं. इससे आपके चेहरे की गोलाई छिप जाएगी और चेहरा लंबा नजर आएगा.

2. ओवल फेस

ओवल फेस शेप में फोरहेड और चिन एक ही अनुपात के होते हैं. इस में गला उभर हुआ होता है.यदि आपका फेस ओवल यानी अंडाकार शेप में है तो आपको ज्यादा सोचनेकी जरूरत नहीं है. ओवल फेस कट वाली महिलाओंपर सभी आकार की बिंदी अच्छी लगती हैं.आप किसी भी फंक्शन या पार्टी में अपनी मनपसंद की बिंदी लगा सकती हैं. ओवल शेप वाली महिलाओं को एक बात ध्यान में रखना बहुत जरूरी है कि अगर आपका माथा चौड़ा है तो आप लंबी बिंदी न लगाएं.

3. जब चेहरा हो हार्ट शेप

चौड़ा माथा, उभरे हुए गाल और नुकीली चीन वाले फेस को हार्ट शेप कहा जाता है.यदि आपका चेहरा हार्ट शेप का है, तो आप छोटी बिंदी लगाएं. छोटी बिंदी आपकी खूबसूरती और बढ़ा देगी.बड़ी बिंदी को अवॉइड करें. इससे माथा बहुत बड़ा दिखाई देगा.

4. जब चेहरा हो त्रिकोण शेप

यदि चिन नुकीली और माथा छोटा हो तो उसे त्रिकोण यानी ट्राएंगल शेप वाला फेस कहते हैं.अगर आपका फेस शेप ट्राएंगल है तो आप पर बिंदी सिलेक्ट करने में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं. आप कोई भी आकार की अपनी मनपसंद बिंदी लगा सकती हैं.

5. जब चेहरा हो स्क्वेयर शेप (चौकोर शेप)

जब माथा, गालों की हड्डियां और जौ लाइन एक बराबर हो तो उसे स्क्वैयर शेप कहते हैं.इसे चौकोर चेहरा भी कहा जाता है.इस चेहरे पर गोल, अंडाकार शेप और वी शेप वाली बिंदी बहुत अच्छी लगती है. बस एक बात का ध्यान रखें कि बिंदी ज्यादा पतली या लंबी न हों.

फेस्टिवल स्पेशल: पहने सिल्क साड़ी और पाए रौयल लुक

राजा-महाराजाओं का समय हो या आज काबदलता फैशन, सिल्क अभी भी लोगो की पहली पसंद है.सिल्क यानी रेशम एक ऐसा रेशा है जिसके बने कपड़े को पहनने के बाद पहनने वाले की खूबसूरती दोगुना निखर जाती है.सदाबाहर फैशन में शामिल सिल्क को महिलाएं हर फंक्शन में पहनना पसंद करती हैं. दरअसल, सिल्क एक ऐसा फेब्रिक है जिसकी खूबसूरती की तुलना  किसी अन्य फेब्रिक से नहीं कर सकते. एक समय था जब सिल्क सिर्फ रईसों के बदन पर ही चमकता था लेकिन 1990 के शुरुआती दौर में सैंडवाश्ड सिल्क के आगमन ने इसे मध्यवर्गीय लोगों तक पहुंचा दिया.इसके बाद सिल्क के क्षेत्र में कई प्रकार के बदलाव देखने को मिलें. सिल्क को अन्य फेब्रिक के साथ मिक्स किया गया, जिससे कृत्रिम फेब्रिक्स को अधिक लोकप्रियता मिलने लगी.

दिलचस्प है इसको बनाने की विधि

सिल्क के परिधानों को तैयार करना बेहद ही दिलचस्प है. इसे रेशम कीट नमक जीव से तैयार किया जाता है. जिसको BombyxMori भी कहा जाता है.यह सिर्फ 1 से 3 दिन तक ही जीवित रहता है.रेशम के कीड़े सिर्फ शहतूत के पत्तेखाते हैं. इन कीडों के भोजन के लिए शहतूत के बाग लगाये जाते हैं. शहतूत के पत्ते तोड़कर कीड़ों को खिलाए जाते हैं. इसे खाने से वे जल्दी बड़े हो जाते हैं. इसे खाते समय इनके मुंह से धागा या रेशा निकलता है जिन्हें यह अपने चारों तरफ लपेट लेते हैं. इस धागे की लम्बाई 1000 से 1300 मीटर तक हो सकती है.इस प्रक्रिया से कीड़ा धागे के गुच्छे में बंद हो जाता है.कीड़े द्वारा धागे से बनाया गया यह गुच्छा ककून कहलाता है .

ककून को गर्म पानी में डाला जाता है जिससे वह धागा या रेशा खुलने योग्य हो जाता है . इसे मशीनों से खोलकर सही तरीके से लपेट लिया जाता है. यह रेशाया धागा ही रेशम सिल्क होता है. इन धागों के इस्तेमाल से रेशम के कपड़े बनाए जाते हैं.आइएजानते हैफैशन डिज़ाइनर रुकसार से सिल्क को सही ढंग से रखने का तरीका, सिल्क की खूबिया और फैशन के बारे में-

तरह-तरह के सिल्क

सिल्क एक ऐसा फेब्रिक है जिसको पाट, पट्टु और रेशम जैसे नामों से भी जाना जाता है.इत्यादि.यह चार प्रकार के होते हैंशहतूत रेशम,तसर सिल्क,मूंगा रेशम,इरी रेशम.

शतूत रेशम का कपड़ा बहुत हल्का और मुलायम होता है. बाजार में अत्यधिक रेशम इसी से तैयार किए जाते हैं. वहीं तसर,मूंगा और इरी जंगलों में पाएं जाते हैं यानी यह वन्य रेशम के श्रेणी में आते हैं.इनके अलावा कई ऐसे सिल्क हैं जो कीटों द्वारा उत्पन्न नहीं होते.

फैशन के मामले में सिल्क का जवाब नहीं

फैशन डिज़ाइनर रुकसार ने बताया- ‘सिल्क हमेशा से ही भारतीय महिलाओं की पसंद रहा है. कोई भी फंक्शन हो महिलाएं साड़ीपहनना ज्यादा पसंद करती हैं. शादी विवाह व अन्य खास अवसर पर सिल्क की साड़ियां खासा मशहूर है और इस खास दिन को यादगार बनाने के लिए महिलाएं सिल्क की साड़ी पहनना पसंद करती हैं.सिल्क की साड़ियां बहुत जल्दी महिलाओं को पसंद आ जाती है. अलग अलग सिल्क में अलग अलग डिज़ाइन आते हैं. कुछ सिल्क की साड़ियां बहुत सिंपल होती है तो कुछ साड़ियां हैवी डिज़ाइन की होती हैं.

कई महिलाओं को पार्टी-फंक्शन में ज्यादा हैवी साड़ी पहनना पसंद नहीं होता. उन महिलाओं के लिए सिल्क की साड़ी सबसे बेस्ट है. सिल्क की साड़ियों के साथ गोल्डन ज्वैलरी बहुत फबती है. यदि साड़ी सिंपल है तो गोल्ड की ज्वैलरी जरूर पहने.सिल्क की साड़ियों में एक नैचुरल चमक होती है जो पहनने वाली की खूबसूरती को और निखार देती है.

लड़कियों के लिए भी बेस्ट है सिल्क

लड़कियां, युवतियां हमेशा कुछ लग दिखना चाहती है. ऐसे में सिल्क की साड़ियां उनके लिए एक बेहतर ऑप्शन है. फ्लावर प्रिंट सिल्क की साड़ी लड़कियों पर बहुत खूबसूरत लगती है. फ्लावर प्रिंट आपको तसर सिल्क में मिल जाएगा. इस लुक को स्टाइलिश बनाने के लिए आप स्लीव लेस ब्लाउज़ ट्राई करें. इसके साथ आप कोई भी हैवी झुमका कैरी कर सकती हैं.

न्यूली मैरेज वुमेन के लिए बेहतर औप्शन

नई शादी शुदा महिलाओं पर सिल्क की साड़ियां चार चाँद लगा देती है. इनके लिए कांचीपुरम, बनारसी सिल्क,भागलपुरी सिल्क बहुत अच्छा औप्शन है. अधिकतर शादियों के समय इन साड़ियों की ख़रीदारी ज्यादा होती है. इन साड़ियों के रंग भी लाल, पीला, हरा, ब्लू शेड के होते है, जो नई दुल्हन पर बहुत सुंदर लगता है.

रोशनी के फेस्टिवल में घोलें सपनों के रंग

आप जब भी किसी दोस्त या रिश्तेदार के घर में प्रवेश करते हैं, तो सब से पहले आप की नजर उस कमरे की दीवारों पर पड़ती है. और अगर दीवारों का रंग अच्छा लगता है तो उसे ऐप्रिशिएट भी करते हैं.

दरअसल, रंग हमारी आंखों को सब से पहले प्रभावित करते हैं, इसलिए घर में रंगरोगन करवाते वक्त सही रंगों का चुनाव बहुत जरूरी होता है. रंग न सिर्फ व्यक्तित्व को उजागर करते हैं, घर में एक सुकून भरा वातावरण भी बनाते हैं. दिन भर की भागदौड़ के बाद व्यक्ति जब घर लौटता है, तो उसे पूरी तरह से रिलैक्स होना जरूरी होता है ताकि वह अगले दिन के लिए अपनेआप को तैयार कर सके. ऐसे में अगर घर की दीवारों का रंग अच्छा और सुकून देने वाला होता है तो उस से बहुत चैन और आराम मिलता है.

सफेद रंग का क्रेज

मुंबई की नाबार प्रोजैक्ट्स की इंटीरियर डिजाइनर मंजूषा नाबार कहती हैं कि मैं पिछले 24 सालों से इस क्षेत्र में हूं. पहले 90 के दशक में अधिकतर लोग औफ व्हाइट या सफेद रंग ही पसंद करते थे, लेकिन धीरेधीरे लोगों का टेस्ट बदला. उन का ध्यान सफेद से हट कर ब्राइट कलर्स पर ध्यान गया.

रंगों के ट्रैंड में बदलाव पेंट की कंपनियों की वजह से आता है. बड़ीबड़ी कंपनियां हर बार नएनए रंग और उन्हें प्रयोग करने के तरीके बाजार में उतारती हैं, जिन्हें देख कर उपभोक्ता उत्साहित हो कर वैसे ही रंग अपने कमरों में करवाने लगते हैं. लेकिन सफेद रंग का के्रज हमेशा रहा है और रहेगा भी. समयसमय पर कुछ फेरबदल अवश्य होते हैं पर सीलिंग पर सफेद रंग हमेशा सही रहता है.

सफेद रंग से घर बड़ा और खुला दिखता है क्योंकि इस रंग से रोशनी रिफ्लैक्ट होती है. गहरे रंग से तो रोशनी के साथसाथ जगह भी कम दिखती है.

सभी रंगों का महत्त्व

आमतौर पर घरों में रंग उस के क्षेत्र के अनुसार कराए जाते हैं. अगर मुंबई और दिल्ली की हम तुलना करें तो मुंबई के मौसम में नमी अधिक होती है, इसलिए वहां थोड़ा डार्क कलर चलता है, जबकि दिल्ली का मौसम ऐसा नहीं रहता, इसलिए वहां हलके रंग अधिक पसंद किए जाते हैं. लेकिन सभी रंगों का अपना महत्त्व तो होता ही है.

आप अपने घर में रंग करवाते वक्त कुछ बातों पर अवश्य ध्यान दें:

– गहरे रंग डिप्रैशन लाते हैं, इसलिए हमेशा लाइट औरेंज, ग्रीन, सफेद आदि रंगों का प्रयोग करें.

– नई तकनीक के अंतर्गत रिफाइंडमैंट टैक्सचर, वालपेपर, फैब्रिक पेंट, ग्लौसी पेंट और मैट फिनिश आदि अधिक लगाना अच्छा होता है.

– बच्चों के कमरे में प्राइमरी रैड, ग्रीन, यलो और ब्लू कलर अच्छा लगता है, तो बुजुर्गों के कमरे के लिए लाइट पिंक, लाइट ब्लू व लाइट औरेंज कलर अच्छे होते हैं, क्योंकि ये रंग रिलैक्सेशन का एहसास कराते हैं. यंगस्टर्स और नवविवाहितों के लिए वाइब्रैंट कलर अधिक अच्छे रहते हैं. इन में रैड, ग्रीन व औरैंज कलर काफी लोकप्रिय हैं, क्योंकि वे ऐक्टिव होने का एहसास कराते हैं.

रंगों का चयन

रंगों का चयन तो व्यक्ति के व्यक्तित्व, प्रोफैशन और स्थिति वगैरह को ध्यान में रख कर करना चाहिए, क्योंकि रंगों का व्यक्ति के जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है.

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कौरपोरेट क्षेत्र के अधिकतर लोग लाइट कलर अधिक पसंद करते हैं तो अध्यापक वर्ग अधिकतर लोग यलो व ग्रीन कलर पसंद करते हैं. व्यवसायी अपने स्टेटस के हिसाब से रंग चुनते हैं, तो अधिकतर फिल्मी लोग सफेद रंग ही पसंद करते हैं. बुद्धिजीवी लोग अधिकतर ‘अर्थ कलर’ करवाते हैं.

रंगों की पसंदनापसंद के अलावा जरूरी बात यह है कि घर को घर के जैसा ही रहने देना चाहिए. उसे आर्टिफिशियल नहीं बनाना चाहिए. घर को हमेशा वैलकमिंग होना चाहिए.

प्रोजैक्ट- भाग 2: कौन आया था शालिनी के घर

अगले दिन सुबह किचन में खटपट की आवाज से शालिनी की आंख खुली, तो चैंक गई. किचन में जा कर देखा तो हमेशा देर से उठने वाला समीर आज नहाधो कर नाश्ता बनाने लगा है.

‘क्यों मैडम पूरे 3 घंटे लेट उठी हो. लगता है, कल रात कुछ ज्यादा ही मेहनत कर ली थी,‘ शालिनी को देख कर समीर बोला.‘मेहनत न करती तो तुम्हारा प्रोजैक्ट कैसे पूरा होता.‘

‘मैं इस मेहनत की नहीं उस मेहनत की बात कर रहा हूं,‘ यह सुन कर शालिनी शरमा कर बाथरूम की ओर चल दी.जब तक वह बाहर निकली, तब तक समीर नाश्ता कर चुका था. और आज शाम थोड़ी देर से आने की कह कर वह औफिस के लिए निकल गया.

औफिस पहुंच कर जब उस ने मीटिंग में बौस के सामने अपना प्रोजैक्ट पेश किया, तो बौस ने बाहर से आए उन अफसरों के सामने उस प्रोजैक्ट को रखा.

कुछ देर की बातचीत, जांचपरख और नफानुकसान देखने के बाद समीर के उस महत्वाकांक्षी प्रोजैक्ट को सलैक्ट करने का डिसीजन ले लिया गया.

बौस ने उसे अगले ही दिन लखनऊ से नोएडा जाने का टिकट थमाते हुए कहा, ‘2 दिन बाद कंपनी के हैड औफिस नोएडा में एक मीटिंग है, जिस में तुम्हें देशविदेश से आए लोगों के सामने इसी प्रोजैक्ट को एक बार फिर से पेश करना होगा. यह लो टिकट. कल दोपहर 3 बजे की ट्रेन है. अब तो दोदो पार्टियां बनती हैं.‘

‘जी सर जरूर, लौट के आने पर 2 नहीं 4 पार्टियां दे दूंगा एकसाथ,‘ समीर खुशीखुशी बोला.घर पहुंच कर समीर ने शालिनी को यह खुशखबरी दी. इस प्रोजैक्ट में उस ने भी तो अपना सहयोग दिया था. यह सुन कर वह भी बहुत खुश हुई. समीर ने जब बताया कि कल वह 2 दिन के लिए दोपहर 3 बजे की ट्रेन से कंपनी के काम से नोएडा जा रहा है, इसलिए पैकिंग कर देना. तब से शालिनी पैकिंग में जुट गई.

अगले दिन समीर शालिनी को काम खत्म होते ही जल्द लौट आने का वादा कर के निश्चित समय पर स्टेशन की ओर घर से निकल गया.

लेखक-पुखराज सोलंकी

शाम 4 बजे के आसपास शालिनी किचन में चाय बना रही थी कि डोरबेल बजी. दरवाजा खोल कर देखा, तो वह भौचक्की रह गई. सामने वही 2 अफसर खड़े थे, जो थिएटर में समीर के बौस के साथ मौजूद थे. उन्हें हिलते हुए देख शालिनी को यह समझने में जरा भी देर नहीं लगी कि वे दोनों शराब के नशे में हैं. वह तो उन्हें बाहर से ही रवाना करने वाली थी, लेकिन वे अंदर आ गए तो उस ने उन्हें अनमने मन से बैठने की कह कर खुद किचन में चली गई.

जब शालिनी चाय ले कर आई, तो उन्हें चाय का कप पकड़ाते हुए पूछा, ‘समीर ने बताया नहीं कि आप आने वाले हो, और आप ने घर कैसे पहचान लिया? आप तो किसी दूसरे शहर ‘दरअसल, उस दिन हम लोग थिएटर से लौटते समय इसी रास्ते से हो कर गए थे, तो बौस ने ही हमें बताया था कि यह समीर का घर है. बस इसीलिए इधर से गुजरते हुए सोचा कि आप को बधाई देते चलें,‘ एक अफसर बोला.

‘वैसे, आप का बहुतबहुत धन्यवाद, जो आप ने समीर के प्रोजैक्ट को सलैक्ट किया. बहुत मेहनत की है उस ने इस पर,‘ शालिनी उन का अहसान जताते हुए बोली.‘अजी सलैक्ट तो उसी दिन कर लिया था जब आप को थिएटर में पहली दफा देखा था,‘ दूसरा अफसर बोला.

‘क्या मतलब…?‘ शालिनी तपाक से बोली‘जी, सच कहा है. जिसे ले कर वह गया है, वह तो कंपनी का प्रोजैक्ट है, लेकिन हमारा प्रोजैक्ट तो आप ही हो न भाभीजी,‘ कहते हुए उस ने शालिनी के हाथ पर झपट्टा मारा.

अब तक शालिनी उन की मंशा अच्छी तरह समझ चुकी थी. उस ने झटक कर अपना हाथ छुड़ाया और सीधे बाहर की ओर भागी. वे लड़खड़ाते हुए दरवाजे तक पहुंचे, तब तक शालिनी ने बाहर की कुंडी लगा कर उन्हें घर में बंद कर दिया.

बाहर निकल कर शालिनी ने मदद के लिए दाएंबाएं देखा, लेकिन कोई नजर नहीं आया. मोबाइल भी घर के अंदर छूट गया. तभी उसे सामने से एक आटोरिकशा आता दिखा, वह उस ओर दौड़ी. आटोरिकशा जब उस के पास आ कर रुका, तो वह भौंचक्की रह गई. उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ, लेकिन ये सच था.

उस आटोरिकशा में समीर ही बैठा हुआ था. शालिनी को इस हालत में देख समीर कुछ समझ नहीं पाया कि आखिर माजरा क्या है. शालिनी ने उसे सारी बात बताई और उस के वापस लौट आने की वजह भी पूछी, तो समीर ने कहा, ‘स्टेशन पहुंचने पर मुझे मालूम चला कि गाड़ी 3 घंटे देरी से चल रही है, इसीलिए सोचा कि यहां भीड़भाड़ में रहने से अच्छा है, घर पर ही आराम किया जाए. खैर, जो होता है अच्छे के लिए होता है,‘ कह कर उस ने मोबाइल निकाला और अपने बौस को फोन लगा कर इस पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया.

‘तुम लोग बाहर ही रुके रहो समीर, मैं जल्दी ही वहां पहुंचता हूं,’ कह कर बौस ने फोन रखा. उधर वे दोनों अफसर भद्दी गालियां देते हुए अंदर से लगातार दरवाजा पीट रहे थे. कुछ देर बाद सामने से बौस की कार आती दिखाई दी. पीछेपीछे पुलिस की जीप भी आ रही थी.

जब कार पास आ कर रुकी, तो बाहर निकल कर बौस ने कहा, ‘घबराओ मत समीर. ऐसे लोगों की अक्ल ठिकाने लगाना मुझे अच्छे से आता है. ये लोग समझते हैं कि अनजान शहर में हम कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन ऐसे लोगों के पर मुझे अच्छे से काटने आते हैं. पुलिस को मैं ने ही फोन किया है.’

पुलिस की जीप आ कर रुकी, तो झट से 4-5 पुलिस वाले बाहर निकले. समीर ने अपने घर की ओर इशारा किया, जिस में से उन दोनों अफसरों की भद्दी गालियों की आवाज आ रही थी. पुलिस ने दरवाजा खोला और उन दोनों को वहीं पर ही दबोच लिया और ले जा कर जीप में बिठाया.

बौस ने समीर से कहा, ‘शालिनी बेटी ने एक काम तो अच्छा किया कि इन्हें घर में बंद कर दिया, वरना आज अगर ये भाग जाते तो इन को पकड़ पाना थोड़ा मुश्किल होता, क्योंकि आज रात 9 बजे की फ्लाइट से ये दोनों मुंबई जाने वाले थे.‘

बौस ने आगे कहा, ‘दरअसल, गलती मेरी ही है, उस दिन थिएटर से लौटते  वक्त हम लोग इधर से गुजर रहे थे, तो मैं ने यों ही इन्हें कह दिया था कि हमारे औफिस में आप के सामने जो अपना प्रोजैक्ट पेश करेगा, उस समीर का घर यही है. लेकिन मुझे क्या पता था कि ये लोग शराब के नशे में अपना विवेक भूल कर ऐसी नीच हरकत कर बैठेंगे. इन्हें सिर्फ पुलिस को सौंपने से कुछ नहीं होगा. जब तक दोनों को नौकरी से न निकलवा दूं, मैं चैन की सांस नहीं लेने वाला. खैर, जो होता है अच्छे के लिए होता है.

‘तुम लोग आओ, मेरी गाड़ी में बैठो. थाने चल कर शालिनी के बयान दर्ज करवाने हैं.‘

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