बॉलीवुड की दुल्हनों को पीछे छोड़ रहा है साउथ की Nayanthara का ब्राइडल लुक, देखें फोटोज

साउथ की पौपुलर एक्ट्रेसेस में से एक नयनतारा (Nayanthara) हाल ही में शादी के बंधन में बंध चुकी हैं, जिसकी फोटोज और वीडियो सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं. वहीं उनके ब्राइडल लुक (Nayanthara Bridal Look) की फैंस तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. नयनतारा का लुक देखकर हर कोई बौलीवुड एक्ट्रेस के लुक को पानी कम बता रहा है. आइए आपको दिखाते हैं साउथ की एक्ट्रेस के ब्राइडल लुक की झलक…

ब्राइडल लुक के लिए चुना लाल रंग  

 

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बॉयफ्रेंड विग्नेश शिवन (Vignesh Shivan) से 9 जून को शादी करने वाली एक्ट्रेस नयनतारा की वेडिंग फोटोज बेहद खूबसूरत हैं. शादी के लिए एक्ट्रेस ने लाल रंग चुना था. लहंगे की जगह एक्ट्रेस लाल कलर की नेट वाली साड़ी और फुल स्लीव्ज ब्लाउज में नजर आई. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो ग्रीन एमराल्ड ज्वैलरी और चोकर से उन्होंने अपना पूरा ब्राइडल लुक सजाया था. साउथ इंडियन स्टाइल की साड़ी छोड़ एक्ट्रेस ने नेट की साड़ी पहनकर बौलीवुड और साउथ की एक्ट्रेस के वेडिंग लुक से हटकर बनाया था.

 

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पति ने लिखा खास मैसेज

 

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एक्ट्रेस के पति विग्नेश शिवन ने अपनी वेडिंग फोटोज फैंस के साथ शेयर करते हुए लिखा नयन मैम से कादम्बरी तक… Thangamey से मेरी बेबी तक. फिर Uyir और मेरी कनमनी भी… अब मेरी पत्नी. विग्नेश का पोस्ट देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि नयनतारा से शादी करके वह कितने खुश हैं. वहीं शादी की रस्मों की इन फोटोज देखकर फैंस दोनों की तारीफ कर रहे हैं. हालांकि एक्ट्रेस के वेडिंग लुक की चर्चा इन दिनों सोशलमीडिया पर छाई हुई है.

 

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बता दें, एक्ट्रेस नयनतारा की शादी में कई बड़े सितारे पहुंचे थे, जिनमें कोरोना से ठीक हुए एक्टर शाहरुख खान का नाम भी शामिल हैं. वहीं साउथ और बौलीवुड इंडस्ट्री के कई नामी सितारे भी इस शादी में शिरकत करते हुए नजर आ चुके हैं.

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OTT को लेकर क्या कहती हैं एक्ट्रेस रुपाली सूरी, पढ़ें संघर्ष की कहानी

थिएटर से अभिनय की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री रुपाली सूरी ने इंटरनेशनल फीचर फिल्म ‘डैड होल्ड माय हैंड’ से की थी.  इस फिल्म में उन्हें रत्ना पाठक शाह के साथ काम करने का मौका मिला. निर्देशन के साथ-साथ विक्रम गोखले ने खुद ही इस फिल्म को एडिट और कम्पोज भी किया है. इसमें उन्होंने बड़ी ही खूबसूरती से लॉकडाउन की कहानी को शूट किया है. रुपाली अभी कुछ वेब सीरीज और फिल्मों में काम कर रही है. व्यस्त समय के बीच उन्होंने गृहशोभा के लिए खास बात की, आइये जाने उनकी कहानी.

सवाल –अभिनय की प्रेरणा कहाँ से मिली?

जवाब –मेरे परिवार में कोई भी इस इंडस्ट्री से नहीं है, लेकिन छोटी उम्र में मेरी फीचर मॉडल की तरह होने की वजह से कई फैशन शोज में भाग लिया. इसके अलावा उस दौरान घर में कुछ तंगी होने की वजह से माँ ने मुझे आये हुए प्रोजेक्ट को करने के लिए कहा, उस प्रोजेक्ट के पूरा होते ही दूसरा प्रोजेक्ट आ गया, इस तरह से काम छूटा नहीं. काम करने बाद  मैं इस क्षेत्र में प्रेरित हुई और कॉलेज के बाद ही मैंने निश्चय कर लिया था किमुझे एक्टिंग करनी है, क्योंकि तब तक मैं काम सीख चुकी थी.

मॉडलिंग का काम मैंने दूसरी कक्षा से कर दी थी और स्कूल में काम कम था, लेकिन कॉलेज में इसकी रफ़्तार तेज हुई, मॉडलिंग के अलावा मैंने कई सीरियल्स में भी काम किये. फिर धीरे-धीरे वेब सीरीज, फिल्मे आदि मिलती गयी, क्योंकि अभिनय को समझने के लिए इफ्टामें ज्वाइन किया उनके साथ कई शोज किये. मेरा वह शुरूआती दौर था, जिसमे कला, अभिनय के साथ बहुत सारी बातों को सीखना था. मुझे ये समझना जरुरी था कि मैं खुद क्या और कितना काम कर सकती हूं. इसलिए मैंने थिएटर के मंच पर कई एक्सपेरिमेंटल शोज किये. वहां तालियों की गडगडाहट, दर्शकों का तुरंत रिएक्शन मिलता था. अभी भी मैं स्टेज की दुनिया को मिस करती हूं.मुझे कई बार ऐसा लगता है कि इंडस्ट्री ने मुझे चुन लिया है, मैंने नहीं चुना है.

सवाल – कितना संघर्ष रहा?

जवाब – संघर्ष का स्तर हमेशा अलग होता है, एक समय जब मैंने आर्थिक तंगी के कारण काम शुरू किया था, दूसरे स्तर के संघर्ष में मेरे पास बस, टैक्सी, ऑटो के पैसे नहीं थे. कैसे मैं आगे बढ़ी हूं, ये मैं जानती हूं. तीसरा संघर्ष फैशन शो में जाने के लिए मेरे पास जूते खरीदने के पैसे नहीं थे. ये सब मेरे लिए कोई संघर्ष नहीं कह सकती, क्योंकि ऐसा करते हुए आगे बढ़ने में मज़ा आया था. आज पीछे मुड़कर देखने पर मुझे महसूस होता है कि इतनी स्ट्रगल के बाद ही मुझमे आत्मविश्वास आ पाया और मैंने जो अपनी छोटी एक सफल दुनिया बनाई है वह बन नहीं पाती. मेरी बड़ी बहन भी अभिनय से जुडी है. दोनों के रास्ते एक है, लेकिन अप्रोच अलग-अलग है.

सवाल – क्या आपको बड़ी बहन का सहयोग मिला ?

जवाब – सहयोग से अधिक मैं उससे प्रेरित अवश्य हुई हूं. उन्होंने अपने जीवन में मेहनत कर एक जगह बनायीं है. उनके सही कदम और गलतियों से मैंने बहुत कुछ सीखा है. वह मेरे लिए ‘लाइव लेसन’ है. मैं साधारण परिवार से हूं, मेरे पिता गारमेंट के व्यवसाय में थे, अब रिटायर्ड है और मेरी माँ गुजर चुकी है. मेरी माँ बहुत कम उम्र में बिछड़ गई. इस वजह से हम दोनों बहने बहुत ही हम्बल बैकग्राउंड से है.

सवाल – इंडस्ट्री में गॉडफादर न होने पर काम मिलना मुश्किल होता है, क्या आपको काम मिलने में परेशानी हुई ?

जवाब – ये तो होता ही रहता है, क्योंकि पेरेंट्स के काम से उनके बच्चों कोलाभ मिलता है. ये केवल इंडस्ट्री के लिए नहीं हर जगह लागू होता है. पहला मौका उन्हें जल्दी मिलता है, लेकिन काम के ज़रिये उन्हें भी प्रूव करना पड़ता है कि वे इस इंडस्ट्री के लिए सही है.

सवाल – कई बार काम होते-होते कलाकार रिजेक्ट हो जाते है, क्या आपको रिजेक्शन का सामना करना पड़ा? उसे कैसे लिया?

जवाब – बहुत बार मुझे इन चीजो का सामना करना पड़ा, कई बार मैंने रात 10 बजे मैनेजर को जगाकर पूछती थी कि मैंने क्या गलत किया. कई बार तो साइनिंग अमाउंट मिलने के बाद भी रिजेक्ट हुई. कई बार सेट पर पहुँचने के बाद मुझे अगले दिन नहीं बुलाया गया. इसकी वजह समझना मुश्किल होता है, कभी कोई कहता है कि इस रोल के लिए मैं ठीक नहीं, तो कोई कुछ दूसरा बहाना बनाते है. सामने कोई कुछ अधिक नहीं कहता. एक बार मैं निर्देशक अनीस बज्मी की फिल्म में कास्ट हुई, लेकिन उन्होंने साफ कह दिया था कि नए कलकार के साथ वे काम नहीं करते, उन्हें एक अनुभवी कलाकार चाहिए.

सवाल – स्ट्रेस होने पर रिलीज कैसे करती है?

जवाब – मैं आधी रात को मैनेजर से घंटों बात करती हूं और वह मुझे समझाती है. अगर वह नहीं है तो मैं कथक डांस कर सारा स्ट्रेस निकाल देती हूं. मैं एक कलाकार हूं और हर इमोशन को फील करती हूं, लेकिन एक बार उससे निकलने पर वापस मैं उसमे नहीं घुसती और आगे बढ़ जाती हूं.

सवाल – किस शो ने आपकी जिंदगी बदली?

जवाब – टीवी ने मुझे बहुत सहयोग दिया है, उसकी शोज से मुझे आज भी लोग याद करते है. मेरी वेब सीरीज, फिल्मों की अलग और टीवी की एक अलग पहचान है. शो ‘शाका लाका बूम-बूम’ में मेरे चरित्र, विज्ञापनों आदि को लोग आज भी याद रखते है, इस तरह बहुत सारे ऐसी टीवी शो है, जिससे मैं सबके घरों तक पहुँच पाई.

सवाल – ओटीटी आज बहुत अधिक दर्शकों के बीच में पोपुलर है, इसका फायदा नए कलाकारों को कितना मिल पाता है?

जवाब – ओटीटी आने से इंडस्ट्री में लोगों के काम और वेतन काफी बढ़ गयी है. जिस तरह टीवी ने आज से कुछ साल पहले कलाकारों को अभिनय करने का एक बड़ा मौका दिया था, वैसी ही ओटीटी के आने से काम बहुत बढ़ा है. काम और पैसे का बढ़ना ही इंडस्ट्री के लोगों के लिए निश्चित रूप से एक प्रोग्रेस है. इससे ये भी कलाकारों को पता चला है कि केवल फिल्म ही नहीं, आप ओटीटी पर अभिनय कर संतुष्ट हो सकते है. ये एक प्रोग्रेसिव दौर है.

सवाल – परिवार का सहयोग कितना रहा ?

जवाब – परिवार के सहयोग के बिना आप कुछ भी नहीं कर सकते. पहले दिन से मुझे ये आज़ादी मिली है, मुझे कभी कुछ रोका या टोका नहीं गया है. एक ट्रस्ट और कॉंफिडेंट दिया गया है, जो मेरे लिए जरुरी था.

सवाल – आपके ड्रीम क्या है?

जवाब – मेरी ड्रीम्स बहुत छोटी -छोटी है, मैं छोटी चीजों को पाकर खुश हो जाती हूं. ये छोटी चीजे मिलकर एक दिन बड़ी हो जाती है. मैं हमेशा प्रेजेंट में रहती हूं. डांस मेरा पैशन है, लेकिन कब ये जरुरत बन गयी पता नहीं चला. मैं अपनी सुविधा के लिए शो करती हूं, रियाज करती हूं, ये मुझे संतुलित रखती है. मेरे कथक गुरु राजेंद्र चतुर्वेदी है.

सवाल – खाना बनाने का शौक है?

जवाब – मुझे खाना बनाना पसंद है, माँ की रेसिपी को मैं हमेशा नए अंदाज में बनाती हूं.

सवाल – आपके जीवन जीने का अंदाज क्या है?

जवाब – आसपास के सबको खुश रखना और वर्तमान में जीना.

मेरी एक दादी है, जो हर मगज़ीन में मुझे खोजती है, उसे खरीदती रहती है और एक शेल्फ पर अलग से रख देती है. किसी को हाथ लगाने नहीं देती,

सवाल – क्या आप एनिमल लवर है?

जवाब – मुझे जानवरों से बहुत प्यार है. मेरे निर्देशक भरतदाभोलकर भी एक एनिमल लवर है. मेरा उनसे जुड़ाव भी जानवरों की वजह से हुआ है, मेरी डौगी डॉन सूरी भी 15 साल साथ रहने के बाद उसकी डेथ हो गयी. मुझे उसकी बहुत याद आती रहती है.

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नौर्मल डिलीवरी के लिए क्या करना चाहिए?

सवाल-

मेरी उम्र 35 साल है. मैं अभी भी अविवाहित हूं. यदि बाद में मैं गर्भधारण करती हूं तो क्या मेरी सामान्य डिलिवरी हो सकती है और एक सामान्य बच्चा हो सकता है?

जवाब-

जैसेजैसे उम्र बढ़ती है वैसेवैसे ओवेरियन रिजर्व कम हो जाता है, आरोपण दर कम हो जाती है और इसलिए आनुवंशिक रूप से असामान्य शिशुओं का जोखिम बढ़ जाता है. आज के समय में एग फ्रीजिंग एक बहुत ही अच्छा विकल्प है और दुनियाभर के लोग इस का लाभ ले रहे हैं. मेरी सलाह है कि अंडे को फ्रीज करें तब आप अपनी गर्भावस्था में देरी कर सकती हैं. सामान्य डिलिवरी संभव है, लेकिन उम्र के साथ जोखिम बढ़ता जाता है. इसलिए कुछ मामलों में सीसैक्शन डिलिवरी की सलाह दी जा सकती है.

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स्ट्रैंथनिंग

कमर के लिए : पैरों को एकसाथ मिला कर कमर के आगे की तरफ लाते हुए आसन पर बैठ जाएं, फिर घुटनों को धीरेधीरे जमीन से छुआने की कोशिश करें. इस क्रिया को भी कई बार करें.

गले के लिए : इसे करने के लिए सीधे बैठें, फिर एक हाथ को मोड़ कर सिर के पीछे की तरफ का हिस्सा पकड़ें और कुहनियों को ऊपर की ओर उठाएं. यही क्रिया दूसरे हाथ से भी दोहराएं. आसन पर बैठ कर दोनों हाथों को आगे की ओर ले जाएं. फिर धीमी गति से सांस लेते हुए हाथों को दोनों ओर फैलाएं. इस क्रिया को 10-12 बार दोहराएं.

 पीठ के लिए : पैरों को जमीन पर टिकाते हुए कुरसी पर सीधी बैठ जाएं. फिर दोनों हाथों से कमर को पकड़ें. आसन पर धीरे से हाथों और घुटनों के बल टेक लगाते हुए झुकें, फिर धीरेधीरे पीछे के मध्य भाग को ऊपर और नीचे की ओर ले जाएं.

गले की पीछे की पेशियों के लिए : इस क्रिया को करने के लिए घर की किसी दीवार के पास खड़ी हो जाएं. कंधों के बराबर दोनों हथेलियों को जोड़ कर रखें. दोनों पैरों के बीच थोड़ी दूरी बना कर रखें यानी पैर मिलें नहीं. फिर दीवार से 30 सैंटीमीटर की दूरी पर खड़े हो कर कुहनियों को मोड़ कर धीरेधीरे नाक से दीवार छूने की कोशिश करें. यह क्रिया फिर दोहराएं. यह व्यायाम प्रसव को भी आसान बनाता है.

जांघों की पेशियों के लिए : इसे करने के लिए सीधी लेट जाएं और फिर एक मोटे तकिए को बारीबारी से घुटनों के बीच 10 मिनट तक दबाए रखें. ऐसा कई बार करें.

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Summer Special: लंच में परोसें गट्टे का पुलाव

गट्टे की सब्जी तो आपने कई बार खाई होगी. लेकिन क्या आपने गट्टे का पुलाव ट्राय किया है. ये हैल्दी और आसानी से बनने वाली रेसिपी है, जो लंच में आप अपनी फैमिली को परोस सकते हैं.

सामग्री

2 कप बेसन 

 1/2 छोटा चम्मच अजवाइन

1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च 

 1 बड़ा चम्मच प्याज चौकोर कटा 

 2 प्याज पिसे द्य  4-5 कलियां लहसुन पिसी? 

 1 इंच टुकड़ा अदरक का कसा हुआ 

 4-5 बड़ी इलायची 

4-5 छोटी इलायची 

 2 छोटे टुकड़े दालचीनी 

 4-5 लौंग

5-6 साबुत कालीमिर्च 

 चुटकीभर हींग

2 छोटे चम्मच धनिया पाउडर 

 1/2 छोटा चम्मच गरममसाला 

 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर 

 1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर 

 थोड़ी सी धनियापत्ती कटी 

 थोड़ी सी हरीमिर्च कटी हुई 

 घी या तेल आवश्यकतानुसार 

 1/4 कप घी

1 कप चावल 

 नमक स्वादानुसार.

विधि

बेसन को छान कर उस में नमक, लालमिर्च, अजवाइन और इच्छानुसार चौकोर कटी प्याज डाल कर पानी की मदद से बेसन का रोल बना कर भाप में पकाएं. पानी से निकाल कर अलग रखें व ठंडा होने पर गोलगोल कतले काटें. घी गरम करें व सुनहरा लाल होने तक तल कर अलग रखें. घी गरम करें व लालमिर्च व साबूत खड़ा गरममसाला डाल कर चटकाएं. दही में सारा पाउडर मसाला व नमक डालें. पिसी प्याज, लहसुन व अदरक डाल कर अच्छी तरह से भूनें. दही में मिला मसाला डाल कर अच्छी तरह भूनें. गट्टों वाला उबला पानी लगभग 21/2 प्याले डाल कर उबालें व गट्टे गलाएं. 1 बड़ा चम्मच तेल या घी गरम करें2-3 तेजपत्ते डाल कर करारे करें फिर चावल और गट्टे डाल कर ढक कर पुलाव तैयार करें. कटी हरीमिर्चों व धनियापत्ती से सजा कर परोसें.

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कथनी को मानें या करनी को

भारतीय जनता पार्टी आजकल जोरशोर से परिवारवादी पािटयों पर मोर्चा खोले हुए हैं. जहां उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत के कई राज्यों में भाजपा का असर बना हुआ है, कई राज्यों में दूसरी तीसरी पीढ़ी के नेता जो पािटयां चला रहे हैं वे भाजपा की आंखों में किरकिरी बने हुए हैं.

भारतीय जनता पार्टी परिवार के विरुद्ध है या परिवारवादी पार्टियों के, पता नहीं चलता. अगर राजनीति में परिवार के लोगों का दखल खराब है. जनहित में नहीं तो फिर उद्योगों, व्यापारों में भी नहीं होगा. अगर परिवार का सदस्य होना किसी तरह की डिस्क्वालिफिकेशन है तो यह दूसरी पीढ़ी के टीचर, वकील, जज, आॢटस्ट, फिल्म स्टार, वक्ता, लेखक, संपादक प्रकाशक, महंताई, वैधवी, अफसरी सब पर लागू होना चाहिए.

यह भी समय नहीं आ रहा कि यदि पारिवार  का नाम लेना गलत है तो रामायण में दशरथ के पुत्रों को क्यों राज मिला, महाभारत में कुरूवंश क्यों कई पीढिय़ों से राज करता दिखाया गया था और क्यों भारतीय जनता पार्टी समर्थक उन्हीं को आदर्श क्यों मानती है?

भाजपा में कई पीढिय़ों के नेता हैं. यह भी सब को मालूम है. अब संशय है कि हम भाजपा के नेताओं की कथनी को मानें या करनी को. उन के भाषण सुनें या पुराणों की कहानियां, संयुक्त परिवार की महत्ता पर दादानाना का प्रवचन सुनें या राजनीति की बयानबाजी.

अगर राजनीति की तरह घरों में भी परिवारवाद न हो तो नई बहूओं को तो मजा ही आ जाएगा. इस का अर्थ होगा कि न सास की सेवा करना जरूरी है न ससुर की जी हजूरी. अगर हो सके तो अलग गृहस्थी बनाओ, अपने सुखदुख में रहो और भाजपा के मार्गदर्शकों को आदर्श मान कर परिवार को भूल जाओ क्योंकि उन के अनुसार तो परिवारवाद कोई कोरोना है जो देश के तंत्र को खा रहा है. भाईबहन को कहीं साथ काम नहीं करना चाहिए, यह मंचों पर खड़े हो कर जो कह रहे हैं वे उन बहनों को भरोसा दिला रहे हैं कि भाई से अपने हकों के लिए लड़ों, सरकार आप के साथ है.

इस ज्ञान के लिए धन्यवाद.

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व्यावहारिकता की खुशबू बिखेरते रिश्ते

नीता अपने मातापिता की इकलौती संतान है. नीता के पापा इस दुनिया में नहीं हैं, इसलिए अब उस की मां उसी के पास रहती हैं. नीता एक कामकाजी महिला है. उस का पति विकास भी नीता की मां की जिम्मेदारियां बखूबी निभाता है. वह यह जानता है कि अगर नीता की मां खुश रहेंगी तो बदले में उस के मातापिता को नीता से उचित सम्मान मिलेगा.

बदलते परिवेश में बदलते रिश्तों का यह स्वरूप वाकई तारीफ के काबिल है. अब जब संयुक्त परिवारों का तेजी से विघटन हो रहा है और एकल परिवार तेजी से अपने पांव जमा रहे हैं, तब ऐसे में लोगों की परिपक्व होती सोच हमारे समाज के लिए एक अच्छा संकेत है.

आज हम सभी इस बात को गहराई से महसूस कर रहे हैं कि जब तक हमारा जीवन है तब तक रिश्तों की अहमियत भी है. माना कि अब हमारे रिश्तों का दायरा सिकुड़ता जा रहा है पर बचे हुए रिश्तों को बचाने की पुरजोर कोशिश करना एक सुखद पहल है.

आयशा, जो एक मल्टीनैशनल कंपनी में उच्चपद पर कार्यरत है, किसी से खास मतलब नहीं रखती थी. पर जब वह बीमार पड़ी तब उसे महंगी चिकित्सा के साथसाथ प्यार के दो मीठे बोल सुनने की आवश्यकता भी महसूस हुई. बस, फिर तो ठीक होते ही उस ने अपने बिगड़े रिश्तों को जिस तरह संभाला, वह सभी के लिए अनुकरणीय बन गया.

रिश्तों को संजोना : 

रिश्तों में अहं की भावना की जगह अब जिम्मेदारी ने ले ली है. हर कोई अपनी परिपक्व सोच का परिचय देता हुआ रिश्तों की सारसंभाल में लगा है. अब जब सभी ही कामकाजी हैं और सभी के पास समय की कमी है, तब ऐसे में एकदूसरे के प्रति पनपती केयरिंग की भावना ने रिश्तों को एक नए कलेवर में ढाला है. इसलिए ही तो आज की सास अपनी कामकाजी बहू की परेशानियां भलीभांति समझने लगी है और शायद इसी के चलते वह अपनी सुबह की पूजा के आडंबरों को छोड़, किचन की अन्य जिम्मेदारियां भी बखूबी निभाने लगी है. और इसलिए ही सुबह की सैर से लौटते ससुरजी भी सब्जी व फलों की खरीदारी से गुरेज नहीं करते. इस तरह घर के कामों में हाथ बंटा कर दोनों ही मुख्यधारा से जुड़ने को प्रयासरत हैं.

अगर सासससुर बेहिचक घर की सारी जिम्मेदारियों में भागीदार बनते हैं तो बदले में उन के बेटेबहू भी उन्हें किसी चीज की कमी का एहसास नहीं होने देते. इसलिए ही तो इस बार जब नीरा को शिमला में कंपनी का गैस्टहाउस रहने को मिला तो वह अपने सासससुर को भी साथ ले गई. दिल्ली की उमसभरी गरमी से नजात पा कर उस के सासससुर को बहुत अच्छा लगा और साथ ही, नीरा की बदलती सोच के कारण उन लोगों की आपसी नजदीकियों में भी इजाफा हुआ. आपस में पनप रही छोटीमोटी गलतफहमियां भी दूर हो गईं.

बदलता नजरिया : 

रीमा ने इस बार राखी का गैटटुगैदर अपने यहां करने का मन बनाया था क्योंकि उस की भाभी भी वर्किंग हैं और कोई प्रोजैक्ट वर्क चलने के कारण वे इस बार राखी पर व्यस्त थीं. रीमा की इस पहल से उस के भाईभाभी खुश थे. पर, रीमा की सास उस के यहां रहने आई हुई थीं, इसलिए वह थोड़ी हिचक रही थी. पर जब रीमा की सास को यह सब पता चला तो न सिर्फ उन्होंने रीमा को प्यारभरी झिड़की दी बल्कि खुद आगे बढ़ कर सारे कामों में उस की मदद भी की. गैटटुगैदर के बाद जब सभी ने रीमा की सास की पाककला सराही तब रीमा का भी मन भर आया.

आज जब सभी पुरानी विचारधारा को छोड़ कर खुद को परिस्थितियों के अनुसार ढालने की भावना से आगे बढ़ रहे हैं, तब ऐसे में सीमित होते रिश्तों को सहेजना ज्यादा आसान होता जा रहा है. शायद अब सभी इस बात को महसूस करने लगे हैं कि अच्छे लोगों का हमारी जिंदगी में आना अच्छा होता है. पर उन्हें संभाल कर रखना हमारा हुनर होता है.

पीछे छूटती परंपरागत सोच :

  आज इस तरह की पुरानी सोच कि, बेटी के घर का पानी पीना भी हराम है या भाईबहन के घर खाना अच्छा नहीं लगता, पर विराम लगा है. अब लोग अपनी सुविधा के अनुसार अपनी बेटी या बहन के घर जाने लगे हैं. आज अगर 1-2 बच्चों के साथ भी तथाकथित पुरानी सोच चलती रही तो हम डिप्रैशन का शिकार अवश्य ही हो जाएंगे क्योंकि सपनों का साथ व अपनों का प्यार हमें पगपग पर चाहिए और अब जब संयुक्त परिवार समाज के हाशिए पर सिमट कर रह गए हैं, तब ऐसे में ऐसी दकियानूसी सोच हमारे दिमाग का दिवालियापन ही घोषित करेगी.

काव्या की लवमैरिज है. अब चूंकि उस का मायका उस की ससुराल के पास ही है तब ऐसे में उस की मां अकसर ही उस की ससुराल आती रहती हैं क्योंकि काव्या अपने मातापिता की इकलौती संतान जो है. काव्या की शादी के बाद उस की मां अकेलेपन के कारण डिप्रैशन की शिकार हो गई थीं, इसलिए काव्या की सास खुद ही उन से मिलने चली जाती हैं या उन्हें अपने यहां बुला लेती हैं. कभीकभी तो दोनों साथसाथ लंच पर भी बाहर चली जाती हैं. 2 समधिनों को यों सहेलियों की तरह घूमते देख न सिर्फ सभी को अच्छा लगता है, बल्कि सभी की परंपरागत सोच में भी बदलाव लाता है.

आत्मकेंद्रित सोच पर लगता विराम: 

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट यह बात मानते हैं कि अब रिश्तों में निरंतर बढ़ रही आत्मकेंद्रित सोच पर विराम लगा है और शायद इसी वजह से रिश्तों का यह बदला हुआ स्वरूप उभरा है. अब हर कोईर् अपने ईगो को एकतरफ रख कर सामने वाले के बारे में सोच कर उस की सहायता करने लगा है, जो कि आज के बदलते परिवेश के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है. मालिनी और नेहा सगी बहनें हैं. उन का कोई भाई नहीं है. पिता की मृत्यु के बाद उन दोनों ने अपने घरों के पास अपनी मां को एक छोटा सा फ्लैट दिलवा दिया ताकि जरूरत पड़ने पर उन की मदद करने में उन्हें आसानी हो.

वैसे तो बड़ी होने के कारण मालिनी ही अपनी मां की ज्यादा सहायता करती थी पर इस बार जब उस की मां अचानक बीमार पड़ीं तब उस की छोटी बहन नेहा ने अपनी बीमार मां को संभाला. इस बार मालिनी मार्च माह की क्लोजिंग की वजह से अपने बैंक के कामों में बेहद बिजी थी. नेहा का खुद आगे बढ़ कर मां की सारी सारसंभाल देख मालिनी का दिल भर आया और जानेअनजाने ही उन दोनों की नजदीकियां भी बढ़ गईं.

रमेश इस बार सैलरी समय पर न मिलने पर अपने नए फ्लैट की ईएमआई नहीं भर पाया तो उस की छोटी बहन पारुल ने चुपचाप औनलाइन ईएमआई भर दी. जब रमेश को यह सब पता चला तो वह पारुल के प्रति कृतज्ञ हो उठा. बाद में जब रमेश ने पारुल को पैसे लौटाने चाहे तब पारुल गुस्सा हो गई और अपने से 8 साल बड़े भाई

रमेश से लगभग झिड़कती हुई बोली, ‘‘क्या भाई, क्या आप का घर मेरा घर नहीं है? और फिर, क्या घर की सारी जिम्मेदारियां निभाने का ठेका आप ने ही ले रखा है?’’

पारुल की इस प्यारभरी झिड़की से न सिर्फ रमेश को अच्छा लगा बल्कि उन के रिश्तों में भी एक नई ऊर्जा का संचार हुआ. आज के बदलते परिवेश में रिश्तों का यह बदला स्वरूप वाकई ही हमारे प्रगतिशील समाज की सही व सटीक तसवीर प्रस्तुत करता है. अब सभी का एकदूसरे की परेशानियों को समझते हुए आपस में सहायक बनना क्या रिश्तों में गर्मजोशी नहीं बढ़ाएगा?

समय चाहे कैसा हो, पर रिश्तों की मिठास ताउम्र बनी रहनी चाहिए क्योंकि रिश्तों के बिना हम अपने अस्तित्व की कल्पना नहीं कर सकते. इसलिए रिश्तों को बचाने के लिए कुछ समझौते भी करने पड़ें तो पीछे न हटें. हमेशा समझौता करना सीखिए क्योंकि थोड़ा सा झुक जाना किसी रिश्ते को हमेशा के लिए छोड़ देने से बहुत बेहतर है. किसी ने क्या खूब कहा है :

जिंदगी में किसी का साथ काफी है,

कंधे पर किसी का हाथ काफी है,

दूर हो या पास फर्क नहीं पड़ता,

रिश्तों का बस एहसास काफी है.

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GHKKPM: पाखी के सफर को ऐश्वर्या शर्मा ने बताया Suffer, देखें वीडियो

सीरियल गुम हैं किसी के प्यार में (Ghum Hai Kisi Ke Pyaar Mein) कहानी इन दिनों दिलचस्प मोड़ लेते हुए नजर आ रही है. जहां सई सरोगेट मदर के जरिए विराट के बच्चे की मां बनने के बारे में सोच रही है तो वहीं पाखी, सई को बर्बाद करने का प्लान बना रही है. हालांकि रियल लाइफ में आयशा सिंह और ऐश्वर्या शर्मा मस्ती करते हुए नजर आ रहे हैं. कई बार ट्रोलिंग का शिकार हो चुकीं पाखी यानी ऐश्वर्या शर्मा भट्ट ने अपना रील शेयर किया है, जिसमें वह अपने सफर को बयां करती हुई दिख रही हैं.

पाखी का सफर किया बयां

 

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हाल ही में पाखी के सफर को बयां करते हुए एक्ट्रेस ऐश्वर्या शर्मा ने वीडियो शेयर किया था, जिसमें वह पाखी की कहानी को सफर से Suffer बताती नजर आ रही हैं. वहीं वीडियो में वह दूसरों को भी Suffer होने की बात कहती नजर आ रही हैं. ऐश्वर्या शर्मा की इस वीडियो पर जहां फैंस तारीफ कर रहे हैं तो वहीं ट्रोलर्स उन्हें ट्रोल करते दिख रहे हैं. हालांकि यह पहली बार नहीं हैं, जो एक्ट्रेस ऐश्वर्या शर्मा ट्रोल हुईं हैं. दरअसल, वह कई बार सीरियल गुम हैं किसी के प्यार में के ट्रैक और रोल के चलते ट्रोलिंग का शिकार हुई हैं.

 

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औनस्क्रीन मां संग मस्ती करती दिखीं ऐश्वर्या

 

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सम्राट की मौत और सई के मिसकैरिज के बाद अपनी मां संग रह रही पाखी जहां औनस्क्रीन प्लान बनाती नजर आ रही है तो वहीं औफस्क्रीन वह अपनी औनस्कीन मां मानसी संग मस्ती करती नजर आ रही हैं, जिसकी फोटोज एक्ट्रेस ने अपने सोशलमीडिया अकाउंट पर शेयर की है. दोनों की ये फोटोज देखकर मां-बेटी की बौंडिंग का अंदाजा लगाया जा सकता है.

दूसरी शादी करेगी पाखी!

 

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सीरियल के लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो भवानी और सई सरोगेसी के लिए राजी हो गए हैं. हालांकि विराट इसके लिए तैयार नही है. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में वह सरोगेसी के फैसले के लिए तैयार हो जाएगा. वहीं इसके लिए वह पाखी का सहारा लेते हुए नजर आएंगे. हालांकि सई-विराट को अलग करने के लिए पाखी भी सरोगेट मदर बनने के लिए राजी हो जाएगी और दोनों को अलग करने की कोशिश करती हुई नजर आएगी.

 

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परदे पर हीरो, पढ़ाई में जीरो

एक इंटरव्यू में अभिनेत्री जाह्नवी कपूर से जब उन की शिक्षा के बारे में पूछा गया, तो पहले तो उन्होंने गर्व से कहा कि उन्होंने केवल 9वीं कक्षा तक पढ़ाई की है क्योंकि बचपन से उन्हें पढ़ाई पसंद नहीं थी और 5 साल की उम्र से वे अपनी मां और अभिनेत्री श्रीदेवी के साथ उन के शूटिंग सैट पर जाती रहती थी. उन्हें ये सब देखना पसंद था क्योंकि उन्हें भी अभिनेत्री बनना था. फिर अचानक कहती हैं कि क्या अभिनय के लिए शिक्षा जरुरी है? ऐसा मैं नहीं मानती. क्रिएटिविटी के लिए शिक्षा कहीं पर भी आवश्यक नहीं होती. पुराने कलाकर तो अधिकतर कम पढ़ेलिखे या बिलकुल भी शिक्षित नहीं थे. फिर भी सब ने अच्छा काम किया और सफल रहे.

यह सही है कि जाह्नवी जैसी कई आर्टिस्ट शिक्षा को अभिनय में जरूरी महसूस नहीं करते क्योंकि उन्हें पता होता है कि उन्हें अच्छा काम मिलने में कोई संघर्ष नहीं है क्योंकि वे सेलेब्स के बच्चे हैं और उन के पिता ही फिल्म के प्रोड्यूसर हैं. इन से अलग कुछ कलाकार ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी कर इंडस्ट्री में काम शुरू किया है.

एक इंटरव्यू में अभिनेता विकी कौशल से उन का इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद अभिनय में उतरना क्या सही है, पूछने पर उन का कहना है कि पढ़ेलिखे होने पर चरित्र के ग्राफ को सम झने में आसानी होती है क्योंकि अभिनय में भी चरित्र का खाका बनाया जाता है, जिस के अनुसार यह पूरी फिल्म बनती है, साथ ही आज की तकनीक को सम झना भी बहुत जरूरी है.

समाज में शिक्षा और शिक्षितों का महत्त्व बहुत अधिक होता है, फिर चाहे वह बौलीवुड हो या आम इंसान. हर व्यक्ति के जीवन में शिक्षा की मुख्य भूमिका होती है. जैसा कहा जाता है कि शिक्षा के बिना जीवन का कोई महत्त्व नहीं होता क्योंकि इस के द्वारा ही व्यक्ति को सफलता की सीढ़ी चढ़ने से कोई नहीं रोक सकता.

शिक्षा केवल कैरियर के लिए ही नहीं, बल्कि व्यक्ति के मार्गदर्शन, एक योजनाबद्ध और संवेदनशील के साथ आगे बढ़ने में सहायक होती है. कई बार कुछ कारणों से सेलेब्स की शिक्षा अधूरी रह जाती है, लेकिन इस का खमियाजा उन्हें आगे चल कर भुगतना पड़ता है.

करते हैं खुद को अपडेट

पुराने कई कलाकारों ने एक समय के बाद खुद को अपडेट करने के लिए अंगरेजी सीखी ताकि विदेश में उन्हें किसी प्रकार की समस्या न हो. इस के अलावा यह देखा गया है कि जिन सेलेब्स के बच्चों को आसानी से ऐक्टिंग फील्ड में आने का मौका मिलता है, वे खासकर कम पढ़ाई करते हैं. इस के अलावा उन की एक फिल्म सफल न होने पर भी उन्हें कई बार मौका मिलता है, जिस से वे आगे जा कर अभिनय सीख जाते हैं.

ऐसे में वे ग्लैमर से आकर्षित हो कर इंडस्ट्री में आ जाते हैं और खुद को स्थापित नहीं कर पाते, जबकि आउटसाइडर को बहुत मुश्किल से एक मौका मिलता है और उस में वह अगर सफल नहीं होता है, तो दूसरा औफर मिलना मुश्किल होता है. इसलिए उन का पढ़ालिखा होना बहुत जरूरी होता है क्योंकि अभिनय में सफल न होने पर उन्हें दूसरे काम करने पड़ते हैं क्योंकि मुंबई जैसे शहर में बिना जौब के रहना कठिन होता है.

आज फिल्म मेकिंग में भी तकनीक का बहुत प्रयोग होता है. ऐसे में शिक्षित कलाकारों को किसी भी निर्देशन को फौलो करने में आसानी होती है. आइए, जानते हैं, वे सेलेब्स जो कालेज नहीं गए,

सोनम कपूर

सोनम कपूर ने 12वीं कक्षा तक पढ़ने के बाद पत्राचार के जरीए ग्रैजुएशन करने के लिए एडमिशन लिया, लेकिन बीच में पढ़ाई छोड़ अपने फिल्मी सफर की शुरुआत कर ली. एक इंटरव्यू में सोनम ने कहा, ‘‘मैं ने 12वीं कक्षा की पढ़ाई बीच में छोड़ दी और अभिनेत्री बन गई क्योंकि मैं 4 साल तक इंतजार नहीं कर सकती थी, लेकिन आज शिक्षा का महत्त्व सम झती हूं. मेरे पिता अनिल कपूर ने मु झे कई बार पढ़ाई पूरी करने के लिए कहा, पर मेरा मन पढ़ाई से ऊब चुका था. आज के दौर मैं सभी का शिक्षित होना आवश्यक है.’’

काजोल

काजोल ने बौलीवुड में एक से बढ़ कर एक फिल्मों में काम किया है और आज भी वे बौलीवुड में पूरी तरह से सक्रिय हैं. काजोल ने 17 साल की उम्र में बौलीवुड में कदम रख लिया था जिस के चलते उन्होंने बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी. एक इवेंट में काजोल ने कहा, ‘‘मैं ने कभी दिल लगा कर पढ़ाई नहीं की है. स्कूल की शिक्षा समाप्त कर मैं ने फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन आज मैं शिक्षा के महत्त्व को जानती हूं. मु झे दुख इस बात का है कि मैं ने एक बहुत बड़ी गलती की है. आज मैं अपने बच्चों को पूरी शिक्षा देने की कोशिश कर रही हूं.’’

कंगना रनौत

अपने बयानों की वजह से अकसर सुर्खियों में रहने वाली कंगना 12वीं कक्षा में ही फेल हो गई थीं. इस हिसाब से वे 10वीं कक्षा पास ही हैं. वे कहती हैं, ‘‘मैं असल पढ़ाई तो नहीं कर पाई, पर इंडस्ट्री ने मु झे अच्छी तरह से पाठ पढ़ा दिया है. मैं जानती हूं कि बड़े शहरों में रहने वाली लड़कियों को अपनी शिक्षा पूरी करने का मौका मिलता है क्योंकि वे कौन्फिडैंट और चेतनाशील होती हैं, लेकिन छोटे शहरों में लोग लड़कियों के अधिक पढ़ने पर जोर नहीं देते, उन की इच्छा को दबा दिया जाता है और उन की शादी कर दी जाती है. महिलाओं को उन की आजादी के साथ रहने देना जरूरी है और उन से किसी भी प्रकार की आशा रखना ठीक नहीं जैसाकि शादी के बाद परिवार वाले करते हैं.’’

आलिया भट्ट

अपने हुस्न और अपनी अदाकारी से लोगों का दिल जीतने वाली एक्ट्रैस आलिया भट्ट भी केवल 12वीं कक्षा पास हैं. वे कहती हैं, ‘‘शिक्षा को ले कर मु झे किसी प्रकार का रिग्रैट नहीं है. मैं आगे पढ़ाई के लिए कभी कालेज जाना नहीं चाहती थी और न ही आगे पढ़ाई को फिर से जारी रखना चाहूंगी क्योंकि मैं 100% कैरियर इस क्षेत्र में ही बनाऊंगी.

अर्जुन कपूर

अभिनेता अर्जुन कपूर की पढ़ाई में कभी दिलचस्पी नहीं थी. उन्होंने मुंबई के एक स्कूल में 11वीं कक्षा तक पढ़ाई की है, पढ़ाई छोड़ने की वजह 11वीं कक्षा की परीक्षा क्लियर न कर पाना था, जिस के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी. एक संस्था के उद्घाटन पर उन्होंने बताया, ‘‘शिक्षा सभी के लिए बहुत जरूरी है, जितना एक बच्चा पढ़ेगा उतना ही वह बच्चा भविष्य में देश के लिए अच्छा काम करेगा. एक ऐक्टर के तौर पर मैं अनुभव करता हूं कि मेरी शिक्षा, मेरा लालनपालन और मेरी लाइफ उस का ही अस्तित्व है, जिसे मैं शिक्षा के द्वारा अच्छा बना सकता था.’’

करिश्मा कपूर

90 के दशक की पौपुलर अभिनेत्री करिश्मा कपूर ने टीनऐज में फिल्मों में कदम रखा था. ऐसा उन्होंने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति के खराब हो जाने पर किया था. उन्होंने पढाई छोड़ कैरियर पर अधिक बल दिया ताकि परिवार को आर्थिक रूप से कुछ सहायता मिले. करिश्मा कहती हैं, ‘‘मैं अपने कैरियर को ले कर आश्वस्त नहीं थी, लेकिन धीरेधीरे सब सही हुआ. मेरी मां ने हमेशा हम दोनों बहनों को ग्लैमर से दूर आम बच्चों की तरह पाला है. शिक्षा का महत्त्व हमेशा रहता है, जिसे मैं आज फील करती हूं.’’

टाइगर श्रौफ

जैकी श्रौफ के बेटे टाइगर ने भी 12वीं के बोर्ड एग्जाम के बाद पढ़ाई छोड़ दी और मार्शल आर्ट सीखने विदेश चले गए. वे कहते हैं, ‘‘मेरा आगे पढ़ने का मन नहीं था. अगर पहली फिल्म ‘हीरोपंती’ सफल नहीं होती, तो मु झे आगे पढ़ाई के लिए सोचना पड़ता. यह सही है कि आज शिक्षित होना सभी के लिए आवश्यक है.

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कर्तव्य पालन- भाग 3: क्या रामेंद्र को हुआ गलती का एहसास

श्वेता उन्हें राजेश व त्रिशाला से अधिक समझदार मालूम पड़ने लगी. काम पर आते वक्त अधिकतर महिला श्रमिक अपने साथ बच्चों को ले आती थीं जो इधरउधर घूम कर गंदगी फैलाते व लोगों की डांट खाते रहते थे. इस बाबत श्वेता ने सुझाव दिया, ‘‘क्यों न फैक्टरी के पीछे की खाली पड़ी जमीन पर एक टिनशेड डाल कर इन बच्चों के रहने, सोने, खेलने एवं थोड़ाबहुत पढ़नेलिखने की व्यवस्था कर दी जाए?’’ सुझाव सभी को पसंद आया. तत्काल टिनशेड की व्यवस्था कर दी गई. साथ ही, बच्चों की देखरेख के लिए एक आया व अक्षरज्ञान के लिए एक सेवानिवृत्त वृद्ध अध्यापिका की व्यवस्था कर दी गई. अपने बच्चों को प्रसन्न व साफसुथरा देख कर महिला श्रमिक दोगुने उत्साह से काम करने लगीं व सभी के मन में श्वेता के प्रति सम्मान के भाव उत्पन्न हो गए.

रामेंद्र ने श्वेता के कार्य से संतुष्ट हो कर उस का वेतन बढ़ा दिया, पर हृदय से वे उस को नापसंद ही करते रहे. उन के मन से यह कभी नहीं निकल पाया कि वह एक अवैध संतान है, जिस के पिता का कोई अतापता नहीं है. उन के मन में उस की मां के प्रति भी नफरत के भाव पनपते रहते, जिस ने अपने कुंआरे दामन पर कलंक लगा कर श्वेता को जन्म दिया था. श्वेता ने कई बार उन्हें अपने घर आने का निमंत्रण दिया पर रामेंद्र ने उन लोगों के प्रति पनपी वितृष्णा के कारण वहां जाना स्वीकार नहीं किया. वे श्वेता के मुंह से यह भी सुन चुके थे कि उस का सौतेला शराबी बाप उस की मां को मारतापीटता है, पर फिर भी उन्होंने उस के घर जाना उचित नहीं समझा.

ऐसे निम्नश्रेणी के लोगों के पचड़े में पड़ना उन्हें कतई स्वीकार नहीं था. एक दिन अलका व त्रिशाला घूमने के उद्देश्य से फैक्टरी में आईं तो श्वेता को घर आने का निमंत्रण दे गईं. छुट्टी के दिन कुछ संकोच के साथ श्वेता घर आई व औपचारिक बातचीत के पश्चात तुरंत जाने को उद्यत हुई मगर त्रिशाला ने जिद कर के उसे रोक लिया व उस के सामने मेज पर चाय के प्याले व भांतिभांति का नाश्ता लगा दिया. रामेंद्र मन मसोस कर देखते रहे कि घर के लोग किस प्रकार विशिष्ट अतिथि की भांति श्वेता को खिलापिला रहे हैं.

फिर तीनों लौन में जा कर बैडमिंटन खेलने लगे. श्वेता के लंबेलंबे हाथों में तैरता रैकेट हवा में उड़ता नजर आ रहा था. वह कभी राजेश के साथ तो कभी त्रिशाला के साथ देर तक खेलती रही. फिर राजेश रात हो जाने के कारण श्वेता को छोड़ने उस के साथ चला गया. उस के जाते ही रामेंद्र पत्नी पर बरस पड़े, ‘‘फैक्टरी की साधारण सी नौकर को घर में बुला कर आवश्यकता से अधिक मानसम्मान करना क्या उचित है?’’

‘‘वह त्रिशाला के साथ पढ़ी हुई, उस की सहेली भी तो है.’’

‘‘इस वक्त वह हमारी नौकर है. उस के साथ नौकरों जैसा ही व्यवहार करना चाहिए.’’

‘‘ठीक है, मैं त्रिशाला को समझा दूंगी.’’

‘‘इसी वक्त समझाओ. बुलाओ उसे,’’ रामेंद्र क्रोध से सुलग रहे थे.

अलका ने कमरे में आराम कर रही त्रिशाला को आवाज दे कर बुलाया. जब वह कमरे में आई तो रामेंद्र अलका के कहने से पूर्व ही उसे डांटने लगे कि उस ने श्वेता से फालतू की मित्रता क्यों कर रखी है. आइंदा कभी उस से बात करने की आवश्यकता नहीं है.

त्रिशाला ने सहम कर कहा, ‘‘ठीक है, मैं आगे से श्वेता से दूर रहूंगी.’’ राजेश वापस लौटा तो रामेंद्र ने उसे भी डांटा कि वह श्वेता को कार से छोड़ने क्यों गया? उस के लिए किराए का आटोरिकशा क्यों नहीं कर दिया.

जब सिर उठा कर राजेश ने अपनी गलती की माफी मांगी तभी रामेंद्र संतुष्ट हो पाए. पर शयनकक्ष में अलका ने उन्हें आड़े हाथों लिया, ‘‘यह तुम्हारे अंदर ऊंचनीच का भेदभाव कब से पनप उठा? तुम्हारी फैक्टरी की गाडि़यां भी तो श्रमिकों को लाने, ले जाने का काम करती हैं. कई बार तुम ने गाडि़यों से महिला श्रमिकों को उन के घर व अस्पताल पहुंचाया है.’’ कोई उत्तर न दे कर रामेंद्र विचारों के भंवरजाल में डूबतेउतराते रहे कि अलका कहां समझ पाएगी कि श्वेता में व अन्य महिला श्रमिकों में जमीनआसमान का अंतर है. श्वेता खूबसूरत है, उच्च शिक्षित है. उस में राजेश जैसे लड़कों को अपनी तरफ आकर्षित करने की क्षमता है. राजेश फैक्टरी में आने लगा, यह देख कर रामेंद्र संतुष्ट हुए कि वह काम में रुचि लेने लगा है. पर जब उन्होंने उसे चोरीछिपे श्वेता से बातें करते देखा तो उन का माथा ठनक गया. उन्हें दाल में काला नजर आया. वे शुरू से अब तक की कडि़यां जोड़ने लगे तो उन्हें ये सब राजेश की गहरी चाल नजर आई.

उन्हें लगा, वह फैक्टरी में श्वेता के कारण ही आता है. जरूर दोनों में गहरा प्यार है, जिसे दोनों अभी प्रकट नहीं करना चाहते. वक्त आने पर अवश्य प्रकट करेंगे. कहीं दोनों छिप कर ‘कोर्ट मैरिज’ न कर लें. कहीं ऐसा तो नहीं, श्वेता ही राजेश को अपने रूपजाल में फंसा रही हो. कोठी, कार, दौलत का लालच कम तो नहीं होता. मन का संदेह उन्होंने अलका के सामने प्रकट किया तो वह बिगड़ उठी, ‘‘अपनी युवावस्था में तुम जैसे रहे हो, बेटे को भी वैसा ही समझते हो. पता नहीं क्यों तुम्हारे मन में इकलौते बेटे के प्रति बुराइयां पनपती रहती हैं? तुम उसे गलत समझते हो, जबकि वह श्वेता को बहन के अतिरिक्त और कुछ नहीं समझता. तुम ऐसा करो कि श्वेता को नौकरी से ही निकाल दो. न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी,’’ कह कर वह मुंह फेर कर सो गई.

अलका के व्यवहार से रामेंद्र के मन को भारी ठेस लगी. यदि उन्होंने इरा से प्यार कर के गलती की तो क्या बेटे को भी वही गलती करने की छूट दे दें? मन रोंआसा हो कर फिर से इरा के इर्दगिर्द जा पहुंचा. वे फिर विचारों में खो गए कि पता नहीं कहां होगी इरा. उस की कोख में पलने वाले उन के खून का क्या हुआ. क्या मालूम जीवित भी है या नहीं. यदि राजेश फैक्टरी की जिम्मेदारी संभाल ले तो वे एक बार फिर से उस की खोज करने जाएंगे. अपने बच्चे का पता करेंगे. हो सका तो उसे अपनाने का प्रयास भी करेंगे ताकि इरा के मन से उन के प्रति वर्षों का जमा मैल निकल जाए. उस के सारे दुख, लांछन, सुख में बदल जाएं. वे उस वक्त अपने मातापिता व समाज से डरने वाले कायर युवक थे, पर अब एक जिम्मेदार पुरुष हैं. लाखों के मालिक हैं. इरा को अलग से एक मकान में रख कर उस का संपूर्ण खर्चा उठा सकते हैं अपने पुराने विचारों से निकल कर वे सोचने लगे कि राजेश अब विवाहयोग्य हो चुका है, उस का विवाह कर देना ही उचित रहेगा. पत्नी आ कर उस पर अंकुश रखेगी तो वह सही रास्ते पर आ जाएगा.

उधर, वे इस वक्त श्वेता को भी निकालने के लिए तैयार नहीं थे. कारण कि उस ने जिस खूबी से काम संभाला था वह हर किसी के वश का नहीं था. वे सोचने लगे कि हो सकता है राजेश व श्वेता के प्रति मैं भारी गलतफहमी का शिकार होऊं, अलका सही कह रही हो. अगले दिन उन्होंने अवसर पाते ही श्वेता के मन को टटोलना शुरू कर दिया, ‘‘तुम शादी क्यों नहीं कर लेतीं? तुम्हारी आयु की लड़कियां कभी का घर बसा चुकी हैं.’’ श्वेता के चेहरे पर भांतिभांति के भाव तैर उठे. वह आवेश से भर कर बोली, ‘‘अपनी मां की दुर्दशा देख कर भी क्या मैं विवाह के बारे में सोच सकती हूं? आप मर्द हैं, नारी मन को क्या समझ पाएंगे.

Pandya Store: धरा की सासूमां के साथ हुई छेड़छाड़, एक्ट्रेस ने शेयर किया वीडियो

महिलाओं के लिए छेड़छाड़ होना आम बात हो गई है. वहीं स्टार्स भी इनसे अछूते नहीं रह गए हैं. हाल ही में ‘पंड्या स्टोर’ (Pandya Store) सीरियल में धरा की सासूमा के रोल में नजर आ रहीं एक्ट्रेस कृतिका देसाई खान (Kruttika Desai) भी छेड़छाड़ का शिकार हुई हैं, जिसका वीडियो उन्होंने फैंस के साथ शेयर किया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

एक्ट्रेस के साथ हुई छेड़छाड़

 

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धरा की सास यानी कृतिका देसाई खान (Kruttika Desai) ने अपने सोशलमीडिया अकाउंट पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, मुझे यकीन नहीं हो रहा है. मैं शूटिंग खत्म करके अपने घर जा रही थी. तभी बाइक सवार तीन लोगों ने मुझे रास्ते में रोक लिया और मेरे ड्राइवर को रुकने के लिए कहा. इसी के साथ उन्होंने दावा किया कि वो मेरी कार में ड्रग्स को सर्च करेंगे. इसीलिए मैंने उनसे आई मांगी और उन्होंने मुझे अपनी नकली आईडी दिखाई. उन लोगों ने मेरे साथ बादतमीजी करनी शुरू कर दी. मैंने उनसे लेडी कॉन्सटेबल को लाने के लिए कहा. जब इन लोगों ने मेरी नहीं सुनी तो मैंने इनकी वीडियो बना ली. ये घटना फिल्मसिटी के पास हुई थी. ये लोग मुझसे रुपए लूटना चाहते थे. जब मैंने हंगामा मचाना शुरू किया तो ये लोग भाग गए. मैं कल इन लोगों की शिकायत पुलिस थाने में करने वाली हूं. मैं आप सबसे कहना चाहती हूं कि इस तरह के फ्रॉड लोगों से सावधान रहें. ये लोग मुंबई की और जगहों पर भी लोगों को लूटने की कोशिश करेंगे.

वीडियो में नजर आए लोग

 

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एक्ट्रेस की शेयर की गई वीडियो में लीन लोग नजर आ रहे हैं, जो उनसे बहस कर रहे हैं. फैंस और स्टार्स ये वीडियो देखकर हैरान हो गए हैं और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. बता दें, एक्ट्रेस कृतिका देसाई खान 54 साल की हैं और कई हिट सीरियल्स का हिस्सा रह चुकी हैं. वहीं सीरियल पांड्या स्टोर में भी उनकी एक्टिंग को काफी पसंद किया जाता है.

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