GHKKPM: सई को घर से निकालेगी पाखी, वारिस के लिए भवानी करेगी ये काम

सीरियल ‘गुम हैं किसी के प्यार में’ की कहानी दिलचस्प मोड़ लेती नजर आ रही है. जहां सम्राट की मौत के बाद पाखी का दिल टूट गया है तो वहीं सई की प्रैग्नेंसी ने भवानी के अरमान जगा दिए हैं. इसी बीच सीरियल में पाखी औऱ भवानी के बीच जंग होते हुए नजर आने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा सीरियल में आगे…

सम्राट की मौत से टूटा परिवार

अब तक आपने देखा कि चौह्वाण परिवार, सम्राट के अंतिम संस्कार करता है. जहां भवानी और पूरा परिवार टूटता हुआ नजर आथा है. वहीं सम्राट की मां की हालत बिगड़ जाती है, जिसके चलते सई उसका इलाज करने की कोशिश करती है. लेकिन पाखी की तरह मानसी भी सई को सम्राट की मौत का जिम्मेदार मानती है और उसे जाने के लिए कहती है. हालांकि सई, सम्राट से किए वादे के चलते उनका ख्याल रखती हुई दिखती है.

सई को दोषी मानेगी पाखी

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि सम्राट की शांति सभा में पाखी, सम्राट से आखिरी मुलाकात याद करेगी, जिसके चलते वह सई पर भड़क जाएगी और उसे सम्राट की फोटो पर हार चढ़ाने से रोकेगी और उसे घर से निकल जाने के लिए कहेगी. वहीं उसे धक्का भी देगी. हालांकि विराट उसे रोक लेगा. हालांकि पाखी पूरे को पूरा परिवार समझाएगा. लेकिन वह सई को कसूरवार ठहराएगी. इसी बीच भवानी, विराट और परिवार को सई का समर्थन करना बंद करने के लिए कहेगी और पाखी की तरह वह भी सई को सम्राट की मौत का दोषी ठहराएगी.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by seema (@seema_yadav22)

भवानी के कारण बढ़ेगा पाखी का गुस्सा

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Ayesha singh (@ayeshaaaa.singh19)

इसके अलावा आप देखेंगे कि पाखी, सई को घसीटते हुए दरवाजे की ओर ले जाएगी. जहां भवानी, सई का हाथ पकड़कर उसे रोकेगी और कहती है कि सई चव्हाण परिवार के वारिस को जन्म देने वाली है और इसलिए वह सई को घर से बाहर नहीं जाने देगी. भवानी की ये बात सुनकर पाखी का गुस्सा और ज्यादा बढ़ जाएगा.

ये भी पढ़ें- Kundali Bhagya को Dheeraj Dhoopar ने कहा अलविदा! होगी नई एंट्री

नाराजगी- भाग 2: बहू को स्वीकार क्यों नहीं करना चाहती थी आशा

दोनों अपनी बात पर अड़े हुए थे. संध्या का नाम सुनते ही आशा फोन काट देतीं.शाम को सुमित ने मम्मी को फोन मिलाया.‘‘हैलो मम्मी, क्या कर रही हो?’’‘‘कुछ नहीं. अब करने को रह ही क्या गया है बेटा?’’ आशा बु झी हुई आवाज में बोलीं.‘‘आप के मुंह से ऐसे निराशाजनक शब्द अच्छे नहीं लगते. आप ने जीवन में इतना संघर्ष किया है, आप हमेशा मेरी आदर्श रही हैं.’’‘‘तो तुम ही बताओ मैं क्या कहूं?’’‘‘आप मेरी बात क्यों नहीं सम झती हैं? शादी मु झे करनी है. मैं अपना भलाबुरा खुद सोच सकता हूं.’’‘‘तुम्हें भी तो मेरी बात सम झ में नहीं आती. मैं तो इतना जानती हूं कि संध्या तुम्हारे लायक नहीं है.’’‘‘आप उस से मिली ही कहां हो जो आप ने उस के बारे में ऐसी राय बना ली? एक बार मिल तो लीजिए. वह बहू के रूप में आप को कभी शिकायत का अवसर नहीं देगी.’’‘

‘जिस के कारण शादी से पहले मांबेटे में इतनी तकरार हो रही हो उस से मैं और क्या अपेक्षा कर सकती हूं. तुम्हें कुछ नहीं दिख रहा लेकिन मु झे सबकुछ दिखाई दे रहा है कि आगे चल कर इस रिश्ते का अंजाम क्या होगा?’’‘‘प्लीज मम्मी, यह बात मु झ पर छोड़ दें. आप को अपने बेटे पर विश्वास होना चाहिए. मैं हमेशा से आप का बेटा था और रहूंगा. जिंदगी में पहली बार मैं ने अपनी पसंद आप के सामने व्यक्त की है.’’‘‘वह मेरी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं है. तुम इस बात को छोड़ क्यों नहीं  देते बेटे.’’‘‘नहीं मम्मी, मैं संध्या को ही अपना जीवनसाथी बनाना चाहता हूं. मु झे उस के साथ ही जिंदगी बितानी है. मैं जानता हूं मु झे इस से अच्छी और कोई नहीं मिल सकती.’’

आशा में अब और बात सुनने का सब्र नहीं था. उस ने फोन कट कर दिया. सुमित प्यार और ममता की 2 नावों पर सवार हो कर परेशान हो गया था. वह इस द्वंद्व से जल्दी छुटकारा पाना चाहता था. उस ने कुछ सोच कर कागजपेन उठाया और मम्मी के नाम चिट्ठी लिखने लगा.‘मम्मी, ‘आप मु झे नहीं सम झना चाहतीं, तो कोई बात नहीं पर यह पत्र जरूर पढ़ लीजिएगा. पता नहीं क्यों संध्या में मु झे आप की जवानी की छवि दिखाई देती है.‘आप ने जिस तरीके से जिंदगी बिताई है वह मु झे याद है. उस समय मैं बहुत छोटा था और यह बात नहीं सम झ सकता था लेकिन अब वे सब बातें मेरी सम झ में आ रही हैं. परिवार की बंदिशों के कारण आप की जिंदगी घर और मु झ तक सिमट कर रह गई थी.

आप का एकमात्र सहारा मैं ही तो था जिस के कारण आप को नौकरी करनी पड़ रही थी और लोगों के ताने सुनने पड़ते थे. यह बात मु झे बहुत बाद में सम झ  में आई.‘जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ तो मु झे लगता मेरी मम्मी इतनी सुंदर हैं फिर भी वे इतनी साधारण बन कर क्यों रहती हैं? पता नहीं, उस समय आप ने अपनी भावनाओं को कैसे काबू में किया होगा और कैसे अपनी जवानी बिताई होगी? समाज का डर और मेरे कारण आप  ने अपनेआप को बहुत संकुचित कर  लिया था. संध्या बहुत अच्छी है. वह मु झे पसंद है. मैं उसे एक और आशा नहीं बनने देना चाहता.

मैं उस के जीवन में फिर से खुशी लाना चाहता हूं. जो कसर आप के जीवन में रह गई थी मैं उसे दूर करना चाहता हूं. हो सके आप मेरी बात पर जरूर ध्यान दें.‘आप का बेटा, सुमित.’पत्र लिखने के बाद सुमित ने उसे पढ़ा और फिर पोस्ट कर दिया. आशा ने वह पत्र पढ़ा तो उन के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया. उन्होंने तो कभी ऐसा सोचा तक न था जो कुछ सुमित के दिमाग में चल रहा था. उसे याद आ रहा था कि सुमित की दादी जरा सा किसी से बात करने पर उन्हें कितना जलील करती थीं. किसी तरह सुमित से लिपट कर वे अपना दर्द कम करने की कोशिश करती थीं.आज पत्र पढ़ कर रोरो कर उन की आंखें सूज गई थीं. उन्हें अच्छा लगा कि उन का बेटा आज भी उन के बारे में इतना सबकुछ सोचता है. बहुत सोच कर उन्होंने सुमित को फोन मिलाया.

‘‘हैलो बेटा.’’उस ने पूछा, ‘‘कैसी हो मम्मी?’’मां की आंसुओं में डूबी आवाज सुन कर वह सम झ गया कि उस की चिट्ठी मम्मी को मिल गई है.‘‘बेटा. मैं मुंबई आ रही हूं तुम से मिलने…’’ इतना कहतेकहते उन  की आवाज भर्रा गई और उन्होंने फोन रख दिया. यह सुन कर सुमित की खुशी का ठिकाना न रहा. उस ने यह बात संध्या को बताई तो वह भी खुश हो गई. एक हफ्ते बाद वे मुंबई पहुंच गई. आशा ने संध्या से मुलाकात की. दोनों के चेहरे देख कर उस का मन अंदर से दुखी था. उम्र की रेखाएं संध्या के चेहरे पर स्पष्ट दिखाई दे रही थीं और उस के मुकाबले सुमित एकदम मासूम सा लग रहा था. दिल पर पत्थर रख कर आशा ने शादी की इजाजत दे दी.

यह जान कर संध्या के परिवार के सभी लोग बहुत खुश थे. उस के बड़े भैया अशोक ने संध्या से पहले भी कहा था कि संध्या तू कब तक ऐसी जिंदगी काटेगी. कोई अच्छा सा लड़का देख कर शादी कर ले. अर्श की खातिर तब उस ने दूसरी शादी करने का खयाल भी अपने जेहन में नहीं आने दिया था. इधर सुमित की बातों और व्यवहार से वह बहुत प्रभावित हो गई थी. आशा की स्वीकृति मिलने पर उस ने शादी के लिए हां कर दी.संध्या की मम्मी सीमा ने जब यह बात सुनी तो उन्हें भी बड़ा संतोष हुआ, बोलीं, ‘‘संध्या, तुम ने समय रहते बहुत अच्छा निर्णय लिया है.’’‘‘मम्मी, मेरा दिल तो अभी भी घबरा रहा है.’’‘‘तुम खुश हो कर नए जीवन में प्रवेश करो बेटा. अभी कुछ समय अर्श को मेरे पास रहने दो.’’ ‘‘यह क्या कह रही हो मम्मी?’’‘‘मैं ठीक कह रही हूं बेटा. तुम्हारी दूसरी शादी है, सुमित की नहीं. उस के भी कुछ अरमान होंगे. पहले उन्हें पूरा कर लो, उस के बाद बेटे को अपने साथ ले जाना.’’ बहुत ही सादे तरीके से संध्या और सुमित की शादी संपन्न हो गई थी. आशा एक हफ्ते मुंबई में रह कर वापस लौट गई थीं.

अभी उन के रिटायरमैंट में 4 महीने का समय बाकी था. संध्या ने उन से अनुरोध किया था, ‘मम्मीजी, आप यहीं रुक जाइए.’ तो उन्होंने कहा था कि वे 4 महीने बाद आ जाएंगी जब तक वे लोग भी अच्छे से व्यवस्थित हो जाएंगे. वे अभी तक इस रिश्ते को मन से स्वीकार नहीं कर पाई थीं. इकलौते बेटे की खातिर उन्होंने उस की इच्छा का मान रख लिया था. 4 महीने यों ही बीत गए थे. सुमित बहुत खुश था और संध्या भी. वह शाम को रोज अर्श से मिलने चली जाती और देर तक अपनी मम्मी व बेटे से बातें करती. अर्श मम्मी को मिस करता था. सुमित के जोर देने पर वह कुछ दिनों के लिए मम्मी के पास आ गई थी ताकि अर्श को पूरा समय दे सके.रिटायरमैंट के बाद आशा के मुंबई आ जाने से संध्या की घर की जिम्मेदारियां कम हो गई थीं. उस ने अपना घर पूरी तरह से आशा पर छोड़ दिया था.

मोटा होने के लिए क्या करुं?

सवाल-

मैं 17 साल की युवती हूं. मेरा शरीर बहुत दुबलापतला है, जिस कारण मुझ पर कोई भी ड्रैस सुंदर नहीं लगती. अगले महीने मेरी बहन का विवाह है. कुछ ऐसे उपाय बताएं जिन से शादी तक मेरा वजन 5-6 किलोग्राम बढ़ जाए?

जवाब-

आप की यह इच्छा कि आप बहन के विवाह पर सुंदर दिखें बिलकुल प्रासंगिक है, किंतु इतने कम समय में इतना वजन बढ़ाने की चाहत ठीक नहीं है. हालांकि कुछ दवाएं जैसे स्टेराइड, ऐपेटाइट स्टीम्यूलैंट और विटामिन दे कर इसे पूरा करने की कोशिश की जा सकती है, लेकिन कोई भी डाक्टर इस का पक्षधर नहीं हो सकता. आप की उम्र में बहुत से किशोर शरीर से दुबलेपतले होते हैं, लेकिन उन की पर्सनैलिटी फिर भी मनमोहक और अतिआकर्षक होती है. इस उम्र में त्वचा का लावण्य तो सुंदर और लुभावना होता ही है, मन और तन जिस रचनात्मक ऊर्जा से खिले रहते हैं उस की कोई तुलना ही नहीं हो सकती. अत: आप मन में आ रही हीनभावना को दरकिनार कर दें और किसी क्रिएटिव ड्रैस डिजाइनर से अपनी कदकाठी के अनुरूप उपयुक्त पोशाकें तैयार करवा लें. यकीनन आप अपनी बहन के विवाह में बहुत सुंदर दिखेंगी. इस के अलावा संतुलित आहार जिस में प्रोटीन, विटामिन और खनिज पर्याप्त मात्रा में हों जैसे दाल, दूध, दही, पनीर, अंडे, मांस, हरी तरकारियां और ताजे फल प्रचुर मात्रा में लें. नियमित व्यायाम करें. समय से सोएं और जागें. स्वस्थ दिनचर्या रखें. इस से आप का स्वास्थ्य ठीक रहेगा.

ये भी पढ़ें- कच्चे चावल खाने की आदत से कैसे छुटकारा पाएं?

ये भी पढ़ें- 

वजन आज हर उम्र की एक बड़ी समस्या बन गया है. इसी का फायदा उठा कर वजन घटाने का दावा करने वाली हर तरह की आयुर्वेदिक और ऐलोपैथिक दवाओं का बाजार गरम हो गया है. लेकिन क्या आप ने कभी सोचा है कि ब्लड ग्रुप आधारित डाइट भी आप का वजन घटाने में मदद कर सकती है?

चौंक गए न? दरअसल, यह मामला ब्लड ग्रुप के हिसाब से डाइटिंग के जरीए अपनी काया को छरहरा बनाने का है. यह खास तरह की डाइट ‘ब्लड ग्रुप डाइट’ कहलाती है. क्या है यह ब्लड ग्रुप डाइट? आइए, जानते हैं कोलकाता, यादवपुर स्थित केपीसी मैडिकल कालेज व हौस्पिटल की  न्यूट्रिशनिस्ट और डाइटिशियन, रंजिनी दत्त से.

रंजिनी दत्त का इस संबंध में कहना है कि मैडिकल साइंस में ब्लड ग्रुप डाइट एक अवधारणा है. हालांकि अभी इस अवधारणा को पुख्ता वैज्ञानिक आधार नहीं मिला है, लेकिन ब्लड ग्रुप आधारित डाइट से बहुतों को फायदा भी हुआ है, यह भी सच है. पश्चिमी देशों में इस अवधारणा को मान कर डाइट चार्ट बहुत चलन में है.

रंजिनी दत्त का यह भी कहना है कि वजन कम करने के इस नुसखे को ‘टेलर मेड ट्रीटमैंट’ कहा जाता है. अब सवाल यह उठता है कि यह काम तो पर्सनलाइज्ड डाईट चार्ट या रूटीन कर ही सकता है. फिर ब्लड ग्रुप डाइट क्यों?

हर व्यक्ति की पाचन और रोगप्रतिरोधक क्षमता उस के ब्लड ग्रुप पर निर्भर करती है. बाकायदा जांच में यह पाया गया है कि ‘ओ’ ब्लड ग्रुप के व्यक्ति आमतौर पर एग्जिमा, ऐलर्जी, बुखार आदि से ज्यादा पीडि़त होते हैं.

‘बी’ ब्लड गु्रप वालों में रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होती है. इस ब्लड ग्रुप वाले ज्यादातर थकेथके से रहते हैं. कोई गलत फूड खाने से इन्हें ऐलर्जी हो जाती है, तो ‘एबी’ ब्लड ग्रुप वालों की समस्या अलग किस्म की होती है. इन्हें छोटीछोटी बीमारियां लगभग नहीं के बराबर होती हैं. लेकिन इस ब्लड ग्रुप के लोगों को कैंसर, ऐनीमिया या फिर दिल की बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है.

खुशी का गम: क्या परिवार को दोबारा पा सका वह

family story in hindi

इन 7 नेचुरल टिप्स से स्किन को बनाएं और भी खूबसूरत

प्राचीन काल से ही हमारे देश में लोग अपनी खुबसूरती बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक तत्वों का इस्तेमाल करते हैं. आज मार्केट में कई तरह के कॅास्मेटिक प्रोडक्ट्स छाए हुए हैं. जो कि इंसान को काफी खुबसूरत बना सकते हैं. लेकिन वह चेहरे पर सही तरह से यदि सूट ना करे तो उससे इंफेक्शन भी हो सकता है.

जो निखार प्राकृतिक और आयुर्वेदिक नुस्खे से आ सकता है वो निखार किसी भी और प्रोडक्ट से नहीं आ सकता है. आज हम आपको कुछ ऐसे प्राकृतिक नुस्खों के बारे में बता रहें हैं जिससे आपको नेचुरल सौंदर्य भी मिलेगा और आपके चेहरे भी चमक उठेंगे.

1. खीरा

खीरा आपको हर मौसम में उपलब्ध रहते हैं. इन्हें खाना और चेहरे पर लगाना दोनों ही फायदेमंद होता है. खीरा गुणों से भरपूर आयुर्वेदिक नुस्खा होता है. इसका सेवन हमेशा करना चाहिए. इसे चेहरे पर लगाने से दाग-धब्बे खत्म हो जाते हैं और चमक आती हैं.

2. आलू

कहा जाए तो आलू एक गुणकारी तत्व है जो न सिर्फ खाने के लिए बल्कि चेहरे पर लगाने के लिए भी काम में आते हैं. यदि आपके त्वचा पर कोई दाग-धब्बे हैं तो आलू को थोड़ा काटकर उसे अपने चेहरे पर लगाएं. इससे दाग-धब्बों के साथ आपके चेहरे का झुर्रियां भी धीरे-धीरे खत्म होती जाएंगी.

3. नारियल

रोजाना नारियल पानी पीने से भी आपकी त्वचा चमकदार बनती है. वहीं नारियल पानी से चेहरे को धोने से दाग-धब्बे खत्म होते हैं. इसका पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से रंग निखरता है.

4. टमाटर

एक तरफ जहां टमाटर खाने के लिए बेहतर माना जाता है वहीं इसका इस्तेमाल चेहरे को चमकदार और खुबसूरत बनाने के लिए भी किया जाता है. टमाटर के रस को शहद के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाएं इससे आपकी आयली स्किन धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी.

5. शहद

शहद एक प्राकृतिक नुस्खा है जो कि आपको हर तरीकों से फायदा करता है. इसे बेसन, जैतून और मलाई के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाएं. आपके चेहरे को ज्यादा चमकदार बनाएगा.

6. केला 

केला फल के साथ ही फेसपैक का भी अच्छा काम करता है. पके हुए केले को अच्छी तरह से मैश करके फिर उसे चेहरे पर लगाएं और फिर उसे धोने के बाद चंदन का लेप लगा लें. इससे आपकी त्वचा में जबरदस्त निखार आएगा.

7. नींबू

कहते हैं कि नींबू घर में रखना बहुत फायदेमंद होता है. नींबू सेहत के लिए भी अच्छा होता है. वहीं इसे चेहरे पर लगाने से भी फायदा होता है. कच्चे दूध में नींबू काटकर लगाने से बेजान और रुकी त्वचा से चुटकारा मिलता है.

ये भी पढ़ें- 7 टिप्स: खूबसूरत स्किन और बालों के लिए वोदका

‘सम्राट पृथ्वीराज’ की रिलीज के बीच छाए Manushi Chhillar के लुक्स, फैंस कर रहे तारीफ

Miss World 2017 का खिताब अपने नाम कर चुकीं मॉडल और एक्ट्रेस मानुषी छिल्लर (Manushi Chhillar) इन दिनों अक्षय कुमार के साथ अपनी फिल्म सम्राट पृथ्वीराज को लेकर चर्चा में हैं. जहां फिल्म की तारीफ हो रही है तो वहीं एक्ट्रेस के इंडियन लुक्स के फैंस कायल हो गए हैं. इसी के चलते आज हम आपको बॉलीवुड में अपनी डेब्यू फिल्म सम्राट पृथ्वीराज के प्रमोशन में पहने मानुषी के इंडियन लुक्स की झलक दिखाएंगे.

अनारकली सूट में पहुंची मंदिर

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Manushi Chhillar (@manushi_chhillar)

अपनी डेब्यू फिल्म की रिलीज के बीच एक्ट्रेस मानुषी छिल्लर सिद्धिविनायक मंदिर पहुंची. जहां वह सफेद अनारकली में बेहद खूबसूरत लग रही थीं. फुल स्लीव्स औऱ हल्की एम्बौयडरी के साथ बालों में गजरा लगाए एक्ट्रेस बेहद खूबसूरत लग रही थीं.

प्रमोशन के दौरान दिखी सादगी

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Manushi Chhillar (@manushi_chhillar)

इसके अलावा एक्ट्रेस मानुषी बेहद सादगी भरे अंदाज में अपनी फिल्म का प्रमोशन करती नजर आईं. औफशोल्डर अनारकली में वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं फोटोज देखकर फैंस उनकी तारीफें करते नहीं थक रहे थे.

साड़ी में भी दिखाई अदाएं

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Manushi Chhillar (@manushi_chhillar)

हाल ही में एक्ट्रेस मानुषी छिल्लर ने साड़ी पहनी थी. फ्यूशिया पिंक कढ़ाईदार साड़ी में गोल्डन बॉर्डर एक्ट्रेस बेहद सिंपल लेकिन एलिगेंट लग रही थीं. फैंस को एक्ट्रेस का ये सादगी भरा अंदाज काफी पसंद आ रहा है.

इंडियन लुक्स में आती हैं नजर

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Manushi Chhillar (@manushi_chhillar)

फिल्म के प्रमोशन के दौरान ही नहीं एक्ट्रेस मानुषी छिल्लर कई बार इंडियन लुक्स में नजर आ चुकी हैं. रफ्फल साड़ी हो या लहंगा, हर लुक में वह बेहद स्टाइलिश लगती है. हालांकि फैंस को उनकी सादगी काफी पसंद है. इसके अलावा फिल्म सम्राट पृथ्वीराज में एक्ट्रेस की अक्षय कुमार संग कैमेस्ट्री फैंस का दिल जीत रही है. वहीं सोशलमीडिया पर उनकी एक्टिंग के भी चर्चे जोरों पर हैं. हालांकि देखना होगा की एक्ट्रेस की डेब्यू फिल्म दर्शकों के दिलों पर कितना राज कर पाती है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Manushi Chhillar (@manushi_chhillar)


ये भी पढ़ें- Anupama बनने के बाद काफी बदल चुकी हैं Rupali Ganguly, देखें फोटोज

विरासत: क्या हुआ था शादी के बाद कामना के साथ

आती है तो खोईखोई सी रहती है, भाईबहन के साथ की वह धींगामस्ती भी अब नजर नहीं आती. छोटे भाईबहन को कभीकभार आइसक्रीम खिलाने ले जाना, कोई पिक्चर दिखाना या शापिंग के लिए ले जाना, सब ‘रुटीन वे’ में होता है. आज तो उस ने हद ही कर दी. मैं उस की पसंद का मूंग की दाल का हलवा बनाने में व्यस्त थी तभी मैं ने सुना वह अपनी छोटी बहन भावना से कह रही थी, ‘‘भानु, अब की बार मैं जल्दी चली जाऊंगी. तेरे जीजाजी आने वाले हैं. कैंटीन का खाना उन को बिलकुल सूट नहीं करता. आज शाम को बाजार चलते हैं, मुझे मम्मीजी की साड़ी भी लेनी है.’’

यह मम्मीजी कौन हैं? आप को बताने की जरूरत नहीं है. वही हैं जो ससुराल जाने पर हर लड़की की अधिकारपूर्वक मम्मीजी बन जाती हैं, चाहे वह उसे असली मम्मी की तरह मानें या न मानें.

मैं गलत नहीं कह रही हूं. पिछले 10 दिनोें से मुझे वायरल फीवर भी था. थोड़ी कमजोरी भी महसूस कर रही थी, पर उस कालिज से, जहां मैं पढ़ा रही थी, मैं ने छुट््टी ले ली थी. मुझे बस एक ही धुन थी कि बेटी को वह सब चीजें खिला दूं जो उसे पसंद थीं और वह थी कि अपनी बहन से जाने की जल्दी बता रही थी. जैसे मैं अब उस के लिए कुछ नहीं थी.

तभी मैं ने यह भी सुना, ‘‘भानु, इस सितार पर तो धूल जम गई है, तू क्या इसे कभी नहीं बजाती? मैं तो पहले ही जानती थी कि तू साइंस की स्टूडेंट है, भला तुझे कहां समय मिलेगा सितार बजाने का? मां से कह कर मैं इस बार यह सितार लेती जाऊंगी. मैं वहां क्लास ज्वाइन कर के सितार बजाना सीख लूंगी, वैसे भी अकेले बोर होती हूं.’’

हलवा बन चुका था पर कड़ाही कपड़े से पकड़ कर उतारना भूल गई तो उंगलियां जल गईं. अब किसी को बुला कर सितार पैक कराना होगा, जिस से लंबे सफर में कुछ टूटेफूटे नहीं. बेटी है न, उस के जाने के खयाल से ही मेरी आंखें भर आई थीं. मैं ने जल्दी से आंखें आंचल से पोंछ लीं. लगता है, मेरी बेटी अपनी सारी चीजें जिन से मेरी यादें जुड़ी हुई हैं, मुझ से दूर कर ही देगी.

पिछली बार जब वह आई थी, मैं उस के रूखे, घने, लंबे केशों में तेल लगा रही थी कि अचानक ही मैं ने सुना, ‘मां, मैं वह मसूरी वाली ‘पोट्रेट’ ले जाऊं जो आप ने ‘एम्ब्रायडरी कंपीटीशन’ के लिए बनाई थी. वही वाली जो आप ने प्रथम पुरस्कार पाने के बाद मुझे मेरे जन्मदिन पर प्रेजेंट कर दी थी. मम्मीजी उसे देख कर बहुत खुश होंगी. आप ने कितनी सुंदर कढ़ाई की है. पहाड़ लगता है बर्फ से भरे हैं.’’

मैं हां कहने में थोड़ी हिचकिचाई. कितने पापड़ बेलने पड़े थे उस तसवीर को काढ़ने में. कितने प्रकार की स्टिचेज सीखनी पड़ी थीं उसे पूरा करने में, और वह मुझ से ले कर उसे अपनी उन मम्मीजी को दे देगी. पर कोई बात नहीं, मैं तो उसे खुश देखने के लिए अपनी कोई भी प्रिय वस्तु देने को तैयार थी, यह तो फ्रेम में जड़ी केवल एक तसवीर ही थी.

अनुराग उसे लेने सुबह ही आ गया था. शाम को जब मैं दोनों को चाय के लिए बुलाने गई तो देखा दोनों दीवार से तसवीर उतार कर यत्नपूर्वक ब्राउन पेपर  के ऊपर अखबार लपेट रहे थे.

मैं ने दीवार की तरफ देखा, कितनी सूनी, बदरंग सी लग रही थी. ठीक उसी तरह जैसे कामना के चले जाने के बाद उस का कमरा लगता था. मैं बिना कुछ बोले तेज कदमों से वापस लौट आई. कब सुबह हुई, जल्दीजल्दी नाश्ता हुआ फिर साथ ले जाने का खाना पैक हुआ और कामना विदा हो गई, पता ही न चला. भावना सिसक रही थी, ‘‘दीदी, जल्दी आना.’’ मैं चुपचाप उसे देखती रही जब तक कि वह आंखों से ओझल न हो गई.

हर बार की तरह तीसरेचौथे महीने कामना नहीं आई. मैं सोचसोच कर परेशान थी कि क्या कारण हो सकता है उस के न आने का. तभी उस की मम्मीजी का एक छोटा सा पत्र मुझे मिला.

‘अत्यंत प्रसन्नता से आप को सूचित कर रही हूं कि हम दोनों की पदोन्नति हो गई है, यानी कि आप नानी और मैं दादी बनने वाली हूं. कामना को एकदम डाक्टर ने बेड रेस्ट बताया है, इसलिए कुछ महीने बाद ही जा सकेगी वह. हां, गोदभराई के लिए आप को हमारे यहां आना होगा क्योंकि हमारे घर की परंपरा है कि पहला बच्चा ससुराल में ही होता है. अत: डिलीवरी भी यहीं होगी. आप बिलकुल निश्ंिचत रहिएगा क्योंकि मैं भी तो कामना की मम्मी हूं.’

पत्र पढ़ कर कामना के न आने का दुख तो मैं भूल ही गई और खुशी से भावना को जोर से आवाज दी. खबर सुन कर वह भी नाच उठी. घर में कितनी ही देर तक हर्षोल्लास का वातावरण बना रहा. कामना के पापा जहां पोस्टेड थे वहां से घर वह छुट््टियों में ही आते थे. इस बार हमसब एकसाथ गए रस्म अदा करने. बेटी को देख कर उतनी ही खुशी हुई जितनी अपने हाथों से लगाए वृक्ष को फूलतेफलते देख कर होती है.

रस्म अदा करने के बाद कामना मेरा हाथ पकड़ कर बोली, ‘‘मां, चलो, तुम्हें कुछ दिखाते हैं.’’

एक कमरे के पास आ कर वह रुक गई और बोली, ‘‘देखो मां, यह बच्चे की नर्सरी है.’’ अंदर जा कर मैं चकित रह गई. दीवार पर हलके रंग का प्लास्टिक पेंट, फूलपत्तियां बनी हुईं, छोटेछोटे बच्चे ऐंजेल बने हुए थे. एक तरफ ‘क्रिब’ में बिछी हुई गुलाबी प्रिंटेड और गुलाबी उढ़ाने की चादर भी. दूसरे कोने में तरहतरह के खिलौने, नर्सरी राइम्स की किताबें करीने से सजी हुईं.

‘‘मां, तुम मेरी वह छोटी कुरसीमेज भेज देना जिस पर मैं बचपन में पढ़ती थी.’’

मैं ने प्यार से उस के गाल पर हलकी सी चपत लगाई, ‘‘हां, मैं जाते ही शिबू से तुम्हारी मेजकुरसी पहुंचवा दूंगी.’’

कहना नहीं होगा, शिबू ही उस की देखभाल करता था जब मैं कालिज पढ़ाने चली जाती थी. घर पहुंचते ही कामना का कमरा खोला, दीवार पर उस के बचपन की कितनी ही तसवीरें लगी हुई थीं. एक कोने में उस की छोटी कुरसीमेज, मेज पर उस का एक छोटा सा बाक्स भी रखा हुआ था. बाक्स नीचे रखा और कुरसीमेज पेंट करा के उसे कामना की ससुराल पहुंचाने की बात मैं ने शिबू को बताई.

वह दिन भी आया कि कामना अपने छोटे से बेटे को साथ लिए आई. साथ में उस का पति अनुराग भी था. मैं तो कब से तीनों की राह देखती दरवाजे पर खड़ी थी. आगे बढ़ कर मैं ने बच्चे को गोद में ले लिया और चूम लिया.‘‘मां, तुम मुझे प्यार करना भूल गईं.’’

‘‘अब तुम बड़ी जो हो गई हो,’’ मैं ने हंस कर कहा.

हंसीखुशी के बीच महीना कैसे बीत गया, पता ही न चला. कामना अकसर बच्चे को अपने कमरे में ले जाती, खिलाती, सुलाती.

कल ही उस की ट्रेन थी. मैं बरामदे की आरामकुरसी पर लेटी ही थी कि कामना आ पहुंची.

‘‘मां, बहुत थक गई हो न. लाओ न पैर दबा दूं थोड़ा,’’ और हाथ में ली हुई फाइल उस ने पास की कुरसी पर रख दी, पर मैं ने अपने पैर समेट लिए थे.

‘‘अरे, मैं तो ऐसे ही लेट गई थी’’ तभी बेटे के रोने की आवाज सुन कर वह चल दी. उत्सुकतावश मैं ने फाइल उठा ली. देखने में पुरानी किंतु नए रंगीन ग्लेज  पेपर, रिबन से बंधी हुई. मैं सीधे बैठ गई. अंदर लिखाई जानीपहचानी सी लग रही थी. फाइल में कितनी ही कटिंग थीं, समाचारपत्रों की, कालिज की पत्रिकाओं की. मेरी लिखी हुई टिप्पणियां भी थीं.

हां, वह पहली कटिंग भी थी जब कामना 8वीं में पढ़ती थी. मुझे याद आ गया, कामना 100 मीटर की रेस में भाग लेने वाली थी, कितनी ही बार वह खेलों में भाग ले कर पुरस्कार भी पा चुकी थी. पर उस दिन उस के पैर में भयानक दर्द था. कुछ मलहम मला, सिंकाई की, दवाई खिलाई, पैर में कस कर पट््टी बांध दी, पर उस के पैर के ‘क्रैंप’ न गए. उधर उस की जिद थी कि वह रेस में भाग जरूर लेगी. मुझे भी अपने कालिज पहुंचना जरूरी था. मैं ने शिबू द्वारा थर्मस में गरम दूध में कौफी डाल कर और एक नोट लिख कर भेजा, ‘बेटी कामना, रेस में हार कर दुखी मत होना. जीवन में ऐसी बहुत सी रेस आएंगी और तुम जरूर ही जीतोगी. तुम मेरी रानी बेटी हो न, हारने पर मन छोटा मत करना.’

मैं जब कालिज का काम खत्म कर कामना के स्कूल के सालाना स्पोर्ट्स देखने पहुंची तो कामना अपनी कक्षा की लड़कियों के साथ पिरामिड बनाने में लगी थी. सब से ऊपर वही थी. तालियों से मैदान गूंज उठा.

मुझे सुकून हुआ कि मेरी बेटी हार कर भी निराश नहीं थी. खेल खत्म होने पर जब वह मेरे पास आई तो उस की आंसू भरी आंखों को मैं ने चूम लिया था, इस की कटिंग भी थी.

ऐसी ही कितनी कटिंग काट कर उस ने संजो कर करीने से लगाई थीं. अकसर हम दोनों ही व्यस्त हो जाते थे, दूर हो जाते. मैं कभी परीक्षा लेने दूसरे शहर चली जाती तो मेरी अनुपस्थिति में उसे ही घर सुचारु रूप से चलाना है, मैं उसे लिख कर भेजती. लौट कर देखती कि वह थोड़े ही दिनों में और भी बड़ी हो गई है. किसी को मेरी याद तक न आती थी. कामना, जो घर में थी उन्हें संभालने के लिए.

मैं तल्लीन हो कर पेज पलटने में लगी थी तभी कामना आ पहुंची. एक शरारत भरी हंसी उस के अधरों पर फैल गई, ‘‘मां, अपनी फाइल ले जाऊं मैं,’’ मैं ने उठ कर कामना को सीने से लगा लिया. कौन कहता है कि बेटियां अपने उस घर के लिए बटोरती ही रहती हैं? सच तो यह है कि ये बेटियां ही तो मांबाप की सिखाई हुई अच्छीअच्छी बातों की विरासत से अपने उस दूसरे घर को भी प्रकाशमान करती हैं. मेरी इस बेटी ने इस विरासत को अपना कर मेरा सिर कितना ऊंचा कर दिया था.

ये भी पढ़ें- जाल: अनस के साथ क्या हुआ था

संडे को कर लें ये 6 काम, हफ्ते भर रहेगा आराम

संडे का दिन यानी कि आराम का दिन. आप कुछ ऐसा ही सोचती होंगी, है न? सुबह कुछ ज्यादा देर बिस्तर पर बिता लेना, या फिर कहीं घूमने जाना और रात का खाना भी बाहर ही खाना. आमतौर पर रविवार को लोगों का यही प्लैन रहता है ताकि परिवार के साथ एक पूरा दिन बिता सकें. पर लेजी संडे को भी घर का काम काज तो रहता ही है.

हम भी चाहते हैं कि आपको आराम करने के लिए हफ्ते का एक दिन जरूर मिले. पर हम यह भी चाहते हैं कि संडे को ही आप कुछ काम जरूर निपटा लें, जिससे आने वाले हफ्ते में आप पर काम का ज्यादा बोझ न आए और आपका टाइम भी सेव हो. अगर आप वर्किंग वुमन है तो टाइम सेव करना और भी जरूरी है.

आप इन टिप्स को आजमाकर आने वाले हफ्ते के लिए खुद को और अपने घर को तैयार कर सकती हैं. तो संडे को निपटा लें ये काम, ताकि बाकि दिन आप करें आराम

1. बदल डालें सारे बेडशीट

रविवार के दिन सारे बिस्तरों की बेडशीट बदल डालें. वैसे तो आप 2-3 दिन में ऐसा करती ही हैं. पर रविवार को ऐसा करने से बुधवार तक आपको यह काम नहीं करना पड़ेगा. आपके 10-15 मिनट सेव हो गए.

2. लॉन्डरी के लिए परफेक्ट है संडे का दिन

कपड़े धोने, सुखाने, इस्त्री करने के लिए बेस्ट है संडे का दिन. पर हफ्ते भर के कपड़ों को संडे को धोने के लिए न बचायें. ऐसा करने से आपके पास एक दिन में बहुत सारे कपड़ें हो जायेंगे. अगर आपके पास सिर्फ संडे का ही दिन फ्री है, तो पार्टनर को इस काम में हाथ बंटाने के लिए कहें. काम के साथ ही आप कुछ पल साथ भी बिता लेंगे.

3. आने वाले हफ्ते के आउटफिट सेलेक्ट कर लें

महिलाओं के बारे में यह एक आम धारणा है कि वे तैयार होने में काफी वक्त लगाती हैं. और आमतौर पर ऐसा होता भी है, अपने स्वभाव को ऐक्सेप्ट करें. इस लेट-लतीफी से बचने का आसान तरीका है कि आप संडे को ही आने वाले दिनों में पहनने के लिए कपड़ें सेलेक्ट कर लें. इससे आपका काफी समय बचेगा.

4. संडे को बना लें ऐक्सट्रा खाना

अगर आप संडे का डिनर बना रही हैं. तो आप अगले दिन को ध्यान में रखकर खाना बना सकती हैं. इससे आपका मंडे मोर्निंग का थोड़ा सा टाइम सेव होगा. पर इस काम को आदत न बनायें. अगर आपके घर में बच्चे हैं तो उन्हें बासी खाना खिलाना अच्छा नहीं है. पर कभी कभी ऐसा किया जा सकता है, खासकर सर्दियों में.

5. घर की सफाई

पूरे घर को सफाई के काम में लगायें. बच्चों को बचपन से ही सफाई की आदत डलवायें. साथ ही घर की सफाई एक फैमिली ऐक्टिविटी की तरह होगा, जिसे पूरा परिवार साथ कर सकता है. यह भी साथ वक्त बिताने और मजे करने का अच्छा तरीका है.

6. कोई ऐसा काम करें जिसे आप कई हफ्तों से टाल रही हैं

यह रूटीन बना लें. हमारे पास ऐसे कई काम होते हैं, जिन्हें करना जरूरी होता है पर जिन्हें हम बेवजह टालते रहते हैं. इस रविवार से ही, अपनी एक नई आदत बना लें. हर संडे एक जरूरी काम निपटा लें. इस तरह एक-एक काम हो जायेंगे और ज्यादा वक्त भी नहीं लगेगा.

ये भी पढ़ें- Customized Furniture से घर को सजाएं कुछ ऐसे

औनलाइन रिश्ता बनाते वक्त रहें सतर्क

कभी-कभी डिजिटल रिश्तों के जाल में कुछ लोग इस तरह फंस जाते है कि उनका रिश्तों से विश्वास उठ जाता या जिंदगी से हाथ धोना पड़ जाता है. तीन साल पहले एक मैचमेकिंग साईट पर मुंबई की रहने वाली कोमल वैभव नाम के एक लड़के से मिली. दोनों के बात विचार एक दुसरे से मिले तो बात आगे बढ़ी. दो-तीन बार मिलने के बाद, वैभव व्यस्त और लाइफ इशू बताकर बहाने बनाने शुरू कर दिया. मीटिंग में हूँ, शहर से बाहर हूँ, जल्दी मिलेंगे का झांसा देता रहा और कोमल भी उसकी बातों में विश्वास करती रही. लेकिन एक दिन कोमल ने उसे किसी और साईट पर देखा और छानबीन की तो पता चला कि वैभव ना कहीं व्यस्त था ना ही कोई लाइफ इशू थे, बल्कि वह 7 साल का शादीशुदा और खुशहाल जीवन जी रहा था. उसकी बीवी का कहना था कि वह डेटिंग और मत्रिमोनिअल साईटो पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर कई लड़कियों के साथ रिलेशन में था जिसका मकसद केवल सेक्सुअल फैंटेसी पूरी करना था.

आज के समय में मत्रिमोनिअल और डेटिंग साइटें वैभव जैसा इरादा रखने वाले बहुरूपियों के लिए एक आसान विकल्प बन गई है. एक अंतर्राष्ट्रीय डेटिंग एप्लीकेशन हिन्ज के मुताबिक, डेटिंग की दुनिया दिन-प्रतिदिन क्रूर होती जा रही है. ऐसे में ऑनलाइन रिलेशन में घोस्टिंग, मूनिंग और ब्रेडक्रम्बिंग इत्यादि धोखेबाजी के तरीके के बाद किटेनफिशिंग एक नया टर्म आया है जिससे आपको सतर्क रहने की जरूरत है.

क्या है किटेनफिशिंग?

यदि आप सोच रहे हैं, किटेनफिशिंग का सम्बन्ध डेट पर पालतू जानवर ले जाने या मछली पकड़ने से है तो आप गलत हैं. किटेनफिशिंग, “ऑनलाइन डेटिंग की दुनिया में अपनाया जाना वाला एक हथकंडा है जहाँ एक व्यक्ति वैसा बनने या दिखाने का नाटक करना है जो वास्तव में नहीं है”. यहाँ किटेनफिशर्स पुरानी और भ्रामक फोटो के जरिये स्वयं को अवास्तविक रूप में पेश कर सामने वाले को लुभाने का हरसंभव प्रयास करते है. जैसे उम्र, लम्बाई, पसंद इत्यादि के बारे में गलत जानकारी देकर आकर्षित करना.

असल जिन्दगी में भी होती है किटेनफिशिंग

किटेनफिशिंग कोई नया ट्रेंड नहीं है. ऐसे में यह कहना गलत होगा कि किटेनफिशिंग केवल उनके साथ होती है जो ऑनलाइन रिश्ते बनाते है. हमारे आसपास अक्सर ऐसे लोग और किस्से कहानियां देखने-सुनने को मिल जाएंगी. एक कंपनी में कार्यरत प्रतिभा दुबे बताती है कि वो एक लड़के को डेट करती थी, जिसने बताया था कि उसके पास घर है और वो कंस्ट्रक्शन का काम करता है. लेकिन कुछ महीनों बाद पता चला, जिस घर में लड़का रहता है वो उसके कजिन का है जो दुबई रहता है. जिसके बाद उसने रिश्ता ख़त्म कर लिया. कई बार देखा गया है कि शादी से पहले जो फोटो या जानकारी दी गई रहती है सच्चाई उससे विपरीत होती है. फर्क यह है कि आज की डिजिटल मीडिया इस ट्रेंड को खूब हवा दे रही है, जहाँ एक पक्ष दुसरे की भावनाओं को पूरी तरह से नजरअंदाज़ करके अपना उद्देश्य पूरा करता है.

मानसिक तौर पर हानिकारक

पहली नजर में देखे तो यह हानिकारक नहीं लगता है. लेकिन जब कोई जान बुझकर, एक योजना के तहत करे, तो सामने वाले पर मानसिक रूप से बुरा असर हो सकता है. भोपाल के मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी बताते है कि हर व्यक्ति के मन में खुद को लेकर असुरक्षा की भावना होती है और यह एक मानवीय प्रवृत्ति है. जब कोई अपनी असुरक्षा से बाहर नहीं निकल पाता है तो नकली मुखौटे का सहारा लेता है जिसे “एंटी सोशल मल्टीपर्सनालिटी डिसऑर्डर” कहते है. ये लोग काफी शार्प माइंड के होते है. विशेष बात यह है कि इन लोगों को दुसरे की भावनाओं या तकलीफ से कोई फर्क नहीं पड़ता.

क्यों फंस जाते है लोग

डॉ. त्रिवेदी के अनुसार, ऑनलाइन डेटिंग के जाल में ज्यादातर वे लोग फंस जाते है जो डिजिटल वर्ल्ड में पहली बार कदम रखते है और इमोशनल होते हैं. और ऐसे लोग सामने वाले की बातों में आसानी से आ जाते है. इसके अलावा ऐसे लोग भी फंस जाते हैं जो बाहरी दुनिया से कम लगाव रखते है और अकेलेपन से छुटकारा पाना चाहते है. ऐसे में ऑनलाइन डेटिंग एप्लीकेशन और साईटो पर दोस्ती करना या साथी ढूँढना एक आसान विकल्प के रूप में उनके सामने उपलब्ध होता है.

किटेनफिशर्स को कैसे पहचाने

हमारे आसपास ऐसी मानसिकता के कई लोग मिल जाएंगे है, जो अपने सकारात्मक गुणों को बढ़ा-चढ़ा कर आपको प्रभावित करने की कोशिश करते है, जिन्हें आप नजरअंदाज़ कर देते है या समझ नहीं पाते है. डॉ. त्रिवेदी कहते हैं, ये लोग आसानी से पहचान में नहीं आते. यदि थोड़ी सी सतर्कता बरती जाए तो बहुत जल्दी इस तरह की मानसिकता को समझ सकते है.

-यदि आप किसी से ऑनलाइन मिले हो, और उसके फोटो एक दुसरे से भिन्न हो. जैसे फोटो पुरानी या एडिटेड हो.

-यदि कहे, मीटिंग में है, ऑफिस के काम से बाहर है इत्यादि, लेकिन ऑफिस के बारे में कोई जानकारी ना दे.

-बात करते वक़्त यदि अपने परिवार या दोस्तों की बात ना करें. उनसे मिलाने के नाम पर बहाने करे.

-किसी सार्वजानिक जगह पर मिलने के बजाय अकेले में मिलने की बात करे.

-ऑनलाइन बात करते वक्त विदेश घुमने, जिम जाने, किताबे पढने की बात करें, लेकिन मिलने पर उससे सम्बंधित जानकारी या लक्षण ना दिखाई दे.

कैसे बचें

ऐसे लोगों से बचने के लिए हमें स्वयं सतर्क रहने की जरूरत है जिसके लिए आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए. जैसे- यदि आप ऑनलाइन रिश्ता देख रहे है तो एकदम से सामने वाले पर विश्वास ना करें. उनकी बात सुनकर उत्साहित ना हो, ना ही मिलने की जल्दीबाजी करे. मिलने से पहले फ़ोन पर बात करें, विडिओ कालिंग करे. मिलने के बाद भी उसे जांचना परखना ना छोड़े. उसके घर-परिवार और दोस्तों के बारे में जाने और उनसे मिलने की बात करें. साथ ही उसे भी अपने परिवार और दोस्तों से मिलाये.

यदि आप इन बातों का ध्यान रखते हुए सतर्कता बरतते हैं तो सही साथी के तलाश में ऑनलाइन डेटिंग या मत्रिमोनिअल साईटें भी काफी उपयोगी साबित हो सकती है. ऐसे ना जाने कितने लोग हैं जिन्हें ऑफ़लाइन से बेहतर जीवनसाथी ऑनलाइन मिल जाते है. ऐसे में कहना गलत ना होगा, इरादा साफ रखे तो कोई भी जरिया गलत नहीं होता है, बस हमें सतर्कता और जल्दीबाजी नहीं करनी चाहिए.

ऑनलाइन या ऑफलाइन हो, वे मॉडर्न डेटिंग टर्म जिसको हममे से कई लोगों ने अनुभव किया होगा

घोस्टिंग यानी जब कोई फ्रेंड और प्रेमी आपके जिन्दगी से अचानक से बिना कुछ कहे गायब हो जाए और कांटेक्ट के सारे रास्ते बंद कर ले.

स्लोफेड यानी जब कोई किसी उभरते हुए रिश्ते को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हो, तो धीरे-धीरे बातचीत और संपर्क कम करके रिश्ता तोड़ता हो.

-ब्रेडक्रम्बिंग एक ऐसा डेटिंग टर्म है जहाँ एक व्यक्ति रिश्ता बनाने के बिना किसी इरादे के प्यार भरे संदेश भेजकर भावनाओं के साथ खेलता हो.

शिपिंग यानी एक रिश्ते में रहते हुए कई लोगों के साथ रोमांटिक रिलेशन रखना.

कैच और रिलीज टर्म में एक व्यक्ति दुसरे व्यक्ति का तब तक पीछा या प्रभावित करने का प्रयास करता है जब तक वो उसे मिल नहीं जाता है और मिलते ही छोड़ देता है.

बेंचिंग एक ऐसा टर्म है जहाँ एक व्यक्ति अपने संभावित प्रेमी के इंतज़ार में हो, साथ ही विकल्प भी खुले रखे हों.

-कुशनिंग यानी एक साथी के रहते हुए डेटिंग के सभी विकल्प खुले रखना. सिर्फ इसलिए कि मुख्य रिश्ता ठीक से ना चल रहा हो.

ये भी पढ़ें- घर संभालता प्यारा पति

खाने के बारे में यह मिथ भी जानें

मानव शरीर में 95 फीसदी से ज्यादा बीमारियां पोषणयुक्त तत्त्वों की कमी और शारीरिक श्रम में कमी के चलते होती हैं. आइए, भोजन से जुड़े कुछ मिथकों की सचाई के बारे में जानते हैं:

मिथक: किसी वक्त का भोजन न करने पर अगले भोजन में उस की कमी पूरी हो जाती है.

सचाई: किसी भी समय का भोजन मिस करना ठीक नहीं माना जाता है और इस की कमी अगले वक्त के भोजन करने से पूरी नहीं होगी. एक दिन में 3 बार संतुलित भोजन लेना जरूरी होता है.

मिथक: यदि खाने के पैकेट पर ‘सब प्राकृतिक’ लिखा हो तो वह खाने में सेहतमंद होता है.

सचाई: अगर किसी चीज पर ‘सब प्राकृतिक’ का लैबल चस्पा हो तो भी उस में चीनी, असीमित वसा या फिर दूसरी चीजें शामिल होती हैं, जो सेहत के लिए खतरनाक हो सकती है. ‘सब प्राकृतिक’ लैबल वाले कुछ स्नैक्स में उतनी ही वसा शामिल होती है जितनी कैंडी बार में. पैकेट के पिछले हिस्से पर लिखी हिदायतों को पढ़ना जरूरी होता है, जो आप को सब कुछ बयां कर देती है.

मिथक: अगर वजन जरूरत से ज्यादा नहीं है, तो अपने खाने के बारे में परवाह करने की जरूरत नहीं है.

सचाई: अगर आप को अपने वजन से समस्या नहीं है, तो भी हर दिन सेहतमंद भोजन का चुनाव करना जरूरी होता है. अगर आप अपने शरीर को एक मशीन की तरह से देखते हैं, तो भी उस मशीन को पूरी मजबूती के साथ चलाने के लिए आप सब से अच्छे ईंधन का इस्तेमाल करते हैं. जंक फूड से दूर रहने का भी यही मकसद है. अगर आप खराब खाने की आदतें विकसित कर लेंगे, तो आप को भविष्य में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

मिथक: चीनी की जगह शहद से अपने खाने को मनचाहे तरीके से मीठा कर सकते हैं.

सचाई: रासायनिक लिहाज से शहद और चीनी बिलकुल बराबर हैं. यहां तक कि नियमित चीनी के सेवन के मुकाबले शहद में ज्यादा कैलोरी हो सकती है. इसलिए बिलकुल चीनी की ही तरह शहद का भी कम मात्रा में इस्तेमाल करने का प्रयास करें.

मिथक: जब तक हम प्रत्येक दिन विटामिन का सेवन कर रहे हैं, हम क्या खा रहे हैं, उस के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है.

सचाई: कुछ पोषण विशेषज्ञों का कहना है कि विटामिन की गोलियां लेना अच्छी बात है, लेकिन ये गोलियां हर उस चीज को पूरा कर देंगी, जिस की लंबे समय से आप को जरूरत है, यह कोई जरूरी नहीं. सेहतमंद खाना आप को प्रोटीन, ऊर्जा और बहुत सारी ऐसी जरूरी चीजें मुहैया कराता है जो विटामिन की गोलियां नहीं करा सकती हैं. इसलिए एक विटामिन और चिप्स का एक पैकेट अभी भी एक खतरनाक लंच है. इस के बजाय आप को संतुलित और पोषणयुक्त भोजन की जरूरत है.

मिथक: चीनी आप को ऊर्जा देती है. अगर आप को दोपहर या फिर खेल खेलने से पहले ऊर्जा बढ़ाने की जरूरत है, तो एक कैंडी बार खाएं.

सचाई: चौकलेट, कैंडी और केक जैसी खाद्यसामग्री में चीनी की मात्रा पाई जाती है, जो यकीनन आप के खून में शर्करा की मात्रा बढ़ा देगी और फिर इस के जरीए आप के शरीर की प्रणाली में जल्द ही ऊर्जा के संचार का एहसास होगा. लेकिन बाद में ब्लड शुगर में बहुत तेजी से गिरावट आती है और फिर आप को ऐसा महसूस होगा कि शुरू के ऊर्जा के स्तर में भी कमी आ गई है.

मिथक: विटामिन और खनिज की जरूरत को पूरा करने के लिहाज से ऊर्जा बार सब से बेहतर रास्ता है.

सचाई: ऊर्जा बार कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा के बेहतर स्रोत हो सकते हैं, लेकिन दूसरे खाने की तरह इन का भी बेजा इस्तेमाल हो सकता है. ज्यादा तरह के खाने का मतलब है आप अपने शरीर को उतना ही नुकसान पहुंचा रहे हैं जितना कैंडी, केक और कुकी के खाने से होता है.

मिथक: कार्बोहाइड्रेट आप को मोटा करता है.

सचाई: अगर आप औसत और संतुलित मात्रा में इन का सेवन करते हैं, तो आप के शरीर के लिए ये सब से बेहतर ऊर्जा के स्रोत साबित हो सकते  हैं.

 – डा. नीलम मोहन, मेदांता मैडिसिटी

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें