क्या कीमती गहने मामूली नजर आने लगे हैं?

अगर आपको गहनों का शौक है तो आपके पास हो न हो सोने, चांदी और मोती के गहने तो होंगे ही. कई बार ऐसा होता है कि हम गहने खरीद तो लेते हैं लेकिन सही से नहीं रखने की वजह से कुछ ही दिनों में या तो उनका रंग फीका पड़ जाता है या फि‍र वो पुराने और नकली नजर आने लगते हैं.

ऐसे में अगर आप चाहती हैं कि आपकी ज्वैलरी हमेशा नई और चमकदार बनी रहें तो कुछ बातों को गांठ बांध लें. कोशि‍श कीजिए कि घर का काम करते समय, झाड़ू-पोंछा करते समय, बर्तन धोते समय या फिर बर्तन साफ करते समय इन्हें उतार दें. इससे उन पर धूल नहीं जमेगी और उनकी चमक फीकी नहीं पड़ेगी.

इन टिप्स को अपनाकर आप भी अपने गहनों को लंबे समय तक सुरक्षि‍त और चमकदार रख सकती हैं.

1. हीरे की ज्वैलरी:

हीरे के गहनों को ड्रॉयर या ड्रेसर के ऊपर नहीं रखना चाहिए क्योंकि इससे उनपर निशान पड़ सकते हैं और उनकी कटिंग खराब हो सकती है. इन्हें साफ करने के लिए बाजार में मिलने वाले क्लीनिंग सॉल्यूशन का इस्तेमाल करना चाहिए. आप घर में अमोनिया और पानी को मिलाकर भी हीरे के गहनों को साफ कर सकती हैं.

2. सोने के गहने:

अगर सोने के गहनों की उचित देखभाल न की जाए तो इनकी चमक फीकी पड़ सकती है. इन्हें हमेशा सॉफ्ट डिटर्जेट, हल्के गुनगुने पानी और मुलायम कपड़े से साफ करना चाहिए.

सोने की चेन और कंगन को अलग-अलग रखना चाहिए क्योंकि एकसाथ रखने से ये उलझ सकते है. स्वीमिंग के दौरान इन्हें हटा देना चाहिए, क्योंकि स्वीमिंग पुल के पानी में मौजूद क्लोरीन से सोने के गहनों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. यह केमि‍कल इन्हें कमजोर कर सकता है.

3. मोती के गहने:

जैसे सूरज की हानिकारक किरणें हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचाती है, उसी तरह तेज रोशनी और गर्मी कीमती स्टोन्स और मोती को भी समय से पहले बेकार और रंगहीन बना देती है. वक्त बीतने के साथ ये फीके और धुंधले पड़ने लग जाते हैं, इसलिए इन्हें तेज रोशनी से बचाना चाहिए.

मोती के गहनों को मुलायम कपड़े से साफ करके एयरटाइट डिब्बे में रखना चाहिए. मेकअप करने के बाद ही इन्हें पहनना चाहिए. इन्हें परफ्यूम, मेकअप, हेयरस्प्रे से ये फीके पड़ सकते हैं. इन्हें साफ करने के लिए बेकिंग सोडा या ब्लीच का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

4. चांदी के आभूषण:

चांदी के आभूषणों को भी खतरनाक केमिकल्स से बचाना चाहिए क्योंकि केमिकल्स के प्रभाव से ये कमजोर हो सकते हैं. इन्हें स्वीमिंग के दौरान और घरेलू काम करते समय कभी नहीं पहनना चाहिए. चांदी को किसी दूसरे धातु के साथ रखने से ये जल्दी काले हो जाते हैं.

गाइनेकोलौजिस्ट को ऐसे बताएं अपनी समस्या

सफल स्त्रीरोग विशेषज्ञा वह है जिस के मरीज उस से अपनी पारिवारिक समस्याएं, जीवनसाथी के साथ अपनी यौन समस्या व पतिपत्नी संबंधों आदि विषयों पर भी बातचीत कर सकें.

सैक्सुअल ऐजुकेशन ऐंड पेरैंटहुड के लिए ‘वर्ल्ड एसोसिएशन औफ हैल्थ ऐंड काउंसिल’ भी बनी हुई है क्योंकि यह यौनविज्ञान की समस्या हर जगह, हर नर्सिंगहोम में एक ही छत के नीचे यौन और प्रजनन दोनों की जानकारी मिलनी चाहिए.

सैक्सुअल मैडिसिन में यौन समस्याओं के साथ सभी निजी समस्याओं पर बातचीत जरूरी है. लोगों को बिना झिझक अपनी निजी समस्याओं पर बात करने का मौका मिलना चाहिए ताकि वे जानें कि उन की यौन समस्याएं भी दूसरी बीमारियों की ही तरह हैं जो शरीर से जुड़ी होने के कारण कष्ट देती हैं. यौन समस्याओं को प्राइवेट या गंदा समझना गलत है.

जांचें व उपचार

आजकल प्रसूति में नएनए आविष्कार हो रहे हैं और इन के बहुत लाभ हैं. अन्य सभी क्षेत्रों की तरह अब प्रसूति विज्ञान और स्त्रीरोग विज्ञान में भी तकनीकी उन्नति देखी जा सकती है. उत्तम दवाएं, नई मैडिकल मशीनें जांच करने व लैबोरटरी इनवैस्टीगेशंस में मददगार हैं. गर्भावस्था की नाजुक स्थितियों जैसे मधुमेह ब्लड प्रैशर आदि में तकनीक में नई उन्नति की सहायता से बच्चे को बचा सकते हैं.

न्यू बौर्न इंटैंसिव केयर यूनिट हर नर्सिंगहोम में होनी जरूरी है. 800, 900 ग्राम वजन वाले जन्मे बच्चों को भी बचाना अब संभव है.

कुछ कारणों से कई दंपतियों को बच्चा नहीं हो पाता. मगर अब नए मैडिकल आविष्कारों के द्वारा उन की सहायता करने के कई मौके मिलते हैं. अब कई तरह की जांचें व उपचार किए जा सकते हैं.

यदि नए साधनों से भी उन की प्रैगनैंसी न हो पाए या चांस कम नजर आएं तो डोनर सीमन, डोनर अंडे देने वालों और सैरोगेट मदर के द्वारा सहायता कराई जा सकती है.

अच्छी सलाह क्यों जरूरी

डाक्टर कुछ दंपतियों की मदद नहीं कर पाते तो उन के मन से बच्चा गोद लेने के प्रति गलत धारणा को निकाल कर उन्हें बच्चा गोद लेने की सलाह दी जाती है.

हालांकि हमारे कानून बहुत सख्त हैं जिस  वजह से बच्चा गोद लेने सालों तक इंतजार करते हैं. कई तो अब खरीदते तक हैं. इस से वे मातृत्व व पितृत्व का सुखद एहसास पाते हैं और बच्चे को भी अच्छा जीवन मिल जाता है.

तनावभरी जिंदगी, पर्यावरण, प्रदूषण, कैमिकल स्प्रे की हुई सब्जियां अनाज, फल आदि शारीरिक असंतुलन लाते हैं. हारमोंस की समस्या, अंडाणुओं के निकलने की समस्या, व्यावसायिक तनाव, पैसे की कमी इन सब कारणों से सीमन प्रभावित होता है. इस से बांझपन की दर बढ़ रही है.

सैरोगेट मदर की जरूरत तब पड़ती है जब यूटरस की सही ग्रोथ न हो. गर्भाशय के निष्कासन, स्त्री को तोड़ देने वाली बीमारियां जैसे कैंसर, हृदय रोग आदि में दंपती के अंडाणु और वीर्य को अन्य स्त्री के भ्रूण में विकसित कराया जाता है. यह कार्य करने वाली महिला ‘सैरोगेट मदर’ कहलाती है. उस की जिम्मेदारी गर्भधारण करने से ले कर डिलिवरी तक होती है और डिलिवरी हो जाने के बाद उसे वह बच्चा दंपती को देना पड़ता है. इस तरह ‘सैरोगेट मदर’ दंपती के जीन को विकसित करने में उन की मदद करती है. इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि कुछ हद तक यह व्यापारीकरण का नेतृत्व भी कर रहा है. भारत में अब तक इस के लिए जो नियमकानून बना है वह उसे ब्लैक मार्केट में धकेल रहा है.

समस्या आने के कम चांस

यह मैडिकल टूरिज्म में बहुत सहायक है. विदेशों मेें सैरोगेट मदर का बंदोबस्त करना महंगा पड़ता है, इसलिए विदेशी यहां भी आते हैं और गरीब लोग जो आर्थिक समस्या का सामना कर रहे होते हैं उन में से महिलाएं ‘सैरोगेट मदर’ बनने के लिए तैयार हो जाती हैं. विदेशियों के बच्चा साथ ले जाने में बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं. देशी मांओं को भी बर्थ सर्टिफिकेट मुश्किल से मिलता है. रिश्तेदार, दोस्त भी कटाक्ष करने से नहीं चूकते.

अब सीमन बैंक बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. इन बैंकों में अच्छे नमूने उपलब्ध हैं. सीमनदाताओं का सीमन इन बैंकों में प्रिजर्व कर रखा जाता है और यह उन पुरुषों के लिए उपयोगी होता है जो सीमन की समस्या का सामना करते हैं. यह कृत्रिम गर्भाधान में भी सहायक है. सीमन बैंक इन नमूनों की जांच करते हैं इसलिए समस्या आने के बहुत कम चांस होते हैं.

दूसरी तरफ हमारे यहां कम जानकारी होने के बावजूद परिवार नियोजन में बहुत सुधार हुआ है. कौंट्रासैप्टिव पिल्स ने अपने 50 वर्ष पूरे कर लिए हैं. आज बाजार में कम हारमोंस और कम साइड इफैक्ट वाली दवाएं मौजूद हैं इसलिए इस के असफल होने की दर बहुत कम है. अब बचाव का नया रास्ता है इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव स्त्री कंडोम भी हैं.

शादी के बाद की दिक्कतें

साधारण बीमारियों में स्त्रीरोग विशेषज्ञों को महिलाओं में यूरिन इन्फैक्शन की सामान्य से बहुत जूझना पड़ता है. यूरिन इंफैक्शन होने की संभावना पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में होती है क्योंकि औरत का गर्भाशय जननांग के बहुत पास होता है. इसलिए उन में मासिकधर्म, डिलिवरी या गर्भधारण के समय इन्फैक्शन होने का डर रहता है. महिलाओं में शादी के बाद उन के पहले सैक्सुअल इंटरकोर्स के दौरान भी इन्फैक्शन हो सकता है. सामान्यतया कम लिक्विड डाइट लेने पर इन्फैक्शन हो सकता है और जब मूत्राशय के विकास की समस्या, स्टोन इत्यादि हो तब भी परेशानी हो सकती है.

बहुत सी स्कूलों और कालेजों में शौचालय की अच्छी सुविधा न होने के कारण इस समस्या का सामना करती हैं. पेशाब रोकने से भी इन्फैक्शन होता है.

विदेशों में बहुत कम दूरी पर ही फूड आउटलेट्स देखे जा सकते हैं. वहां खाने की और शौचालयों की सुविधा ले सकते हैं, लेकिन हमारे यहां जो लोग लंबी यात्रा पर निकालते हैं उन्हें सुविधाओं की कमी के कारण बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है. बसों, निजी तौर पर यात्रा करने वाले यात्रियों को यात्रा के दौरान कम से कम 2 या 3 बार रुकना चाहिए और सरकार को यात्रा के दौरान अच्छी शौचालय सुविधा मुहैया कराने की ओर पूरा ध्यान देना चाहिए.

विशेषज्ञता क्यों है अनिवार्य

आजकल लड़कियों को 9 वर्ष की उम्र में ही पीरियड्स होने लगे हैं. पर वे बहुत सी बातों को स्पष्टत: खोल कर रखने लगती हैं और इन की जानकारी का स्तर बढ़ने लगता है. इस उत्तेजन प्रक्रिया के मस्तिष्क में बहुत तेजी से होने के कारण हारमोंस बनने लगते हैं. पर्यावरणीय प्रदूषण से फैलने वाले कैमिकल्स शरीर में हारमोंस को प्रभावित करते हैं, जिस से जल्द ही मैच्योरिटी आ जाती है.

छोटी उम्र में पीरियड्स को मेनेज करना समस्या बन जाता है. मातापिता भी इस से चिंतित रहते हैं. पीरियड्स के शुरू होते ही प्रकृति शरीर को प्रजनन के लिए तो तैयार कर देती है पर रजोधर्म का समय घट रहा है और शादी की उम्र बढ़ती जा रही है. बिना शादी किए अनचाहे सैक्सुअल रिलेशन, अनचाहा गर्भ, गर्भपात तथा शादी से पहले गर्भधारण करने से बहुत सी समस्याएं उत्पन्न हो रही है. ये सब स्त्रीरोग विशेषज्ञा को जीवन में अनिवार्य बनाते हैं. ऐसे में उन से सैक्सुअलिटी पर खुली बातचीत की बहुत आवश्यकता होती है.

परंपरागत रूप से घर के बड़े इस विषय पर छिप कर बात करते हैं. बच्चों के सामने ऐसी बातें नहीं की जातीं. वहीं दूसरी तरफ फिल्मों और मीडिया के द्वारा इस का खुलासा किया जाता है. बच्चे इस उलझन में होते हैं कि आखिर सही क्या है? सैक्स की अधूरी व गलत जानकारी बच्चों को उत्तेजित करती है.

उपयुक्त जानकारी की जरूरत

आवश्यक है कि बच्चों को उन की उम्र के अनुसार उपयुक्त जानकारी, यौन शिक्षा दी जाए. यदि यह ज्ञान उन्हें उन के घर से मिलना शुरू हो और आगे स्कूलकालेज में भी मिले तो वे शादी के लिए, मातृत्व और अच्छे नागरिक बनने के लिए तैयार हो सकेंगे, लेकिन समाज में यह बड़ी ही गलत धारणा है कि सैक्स ऐजुकेशन तो इंटरकोर्स की ऐजुकेशन है. बच्चों को उन की छोटी उम्र में ही मानसिक और शारीरिक वृद्धि, यौवन, स्त्रीपुरुष संबंध, लिंग, समानता, लिंग भेद, पारस्परिक प्रेम आदि ये सभी यौन शिक्षा (सैक्स ऐजुकेशन) का हिस्सा हैं, इसलिए यह शिक्षा दी जानी जरूरी है. इस के लिए गाइनोकोलौजिस्ट सब से ज्यादा उपयोगी है.

विवाहपूर्ण काउंसलिंग इंटरकोर्स और उस से जुड़ी समस्याओं के विषय में गलत धारणाओं को दूर करती है. कई मामलों में सैक्स संबंध के विषय में जानकारी की कमी के कारण विवाह का पहला दिन ही आखिरी दिन बन जाता है. कुछ ही समय में तलाक हो जाता है.

आज के जमाने में लोगों के कितने ही वैकल्पिक संबंध बनते रहते हैं और चाहे किसी न किसी तरह ये विवाह व्यवस्था को भी प्रभावित करें पर इन्हें बंद नहीं करा जा सकता. जब कोई पुरुष और महिला जो एकसाथ काम करते हों या पास रहते हों अथवा पढ़ते हों तब वे दोनों एकदूसरे का ज्यादा साथ देना पसंद करेंगे. कुछ मकान का किराया बचाने के लिए एक ही मकान को भी शेयर करने लगते हैं. ऐसे में दोनों को सैक्स संबंधों में बहुत सी सावधानियां बरतनी होती हैं और इन में गाइनेकोलौजिस्ट का बड़ा रोल होता है.

गर्भपात और सुप्रीम कोर्ट का फैसला

जुलाई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के मामले में एक महत्वपूर्ण जजमैंट दिया कि शादी होना या न होना एक गर्भवती के अधिकारों को कमबढ़ती नहीं करता अगर वह गर्भपात कराना चाहे गर्भवती का गर्भपात कराना न जाने क्यों आज भी सरकारों के हाथों में है, मरीजों और डाक्टरों के हाथों में नहीं. मेडिकल टर्मिनेशन औफ प्रैगनैंसी एक्ट और इस के अंतर्गत बने रूल्स गर्भवती को दरदर ठोकरें खाने को मजबूर करते हैं और कितनी बार गर्भवती को सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ता है जहां उस की इज्जत भी तारतार होती है और जमापूंजी स्वाह होती है.

सैक्स करना मौलिक व मूलभूत प्राक्रतिक अध्धिककार है और जो सरकार, समाज, घर, रीतिरिवाज इस के बीच में आड़े आता है वह अपने को प्रकृति के ऊपर खुद को काल्पनिक भगवान का सा दर्जा देता है. दुनिया के कितने ही देशों में, जिस मेंं  वैज्ञानिक सोच के लिए जाना जाने वाला अमेरिका भी शामिल है, औरतों के इस हक पर खुलेआम डाका डालते हैं.

शादी अपनेआप में एक लीगल फिक्शन. है, यानी समाज व सरकार के कानूनों द्वारा दिया नकली प्रमाणपत्र है कि अब 2 जने सैक्स कर सकते हैं. यह बदलाव नया नहीं है पर सदियों से इस की गाज आदमी पर नहीं औरतों पर ज्यादा पड़ती रही हैं. सदियों से तलाकशुदा, विधवा, कुआंरियों के सैक्स संबंधों पर समाज सिर्फ इसलिए नाकमौं चढ़ाता रहा है कि उन्होंने सैक्स का सामाजिक, कानूनी, धार्मिक लाइसेंस नहीं लिया. सैक्स की वजह से गर्भ हो जाए तो सजा औरतों को मिलती है आदमियों को नहीं.

पहले गर्भपात का अठलन तरीकों में कूएं में कूदना, नदी में बह जाना या रस्सी गले में बांध कर लटक जाना था. आज सेफ एबोर्शन मिल रहा है. यह चिकित्सा जगत का औरतों को उपहार है पर जैसे पंडेपादरी हर खुशी के मौके पर टांग अड़ाते हैं, इस खुशी में भी टांग अड़ाने आ गए. अमेरिका में प्रेमनाटक मूवमैंट चर्च जीवन रहा है और वह काफी अफैक्टिव है. औरतों को चर्च की शरण में जाना पड़ रहा है और इस मूवमैंट से चर्च को डोनेशन भी बढ़ गई है.

भारत में कानून लगातार लिबरल और लचीला हो रहा है और यह खुशी की बात है. इस फैसले से कि अविवाहित गर्भवती को भी शादीशुदा गर्भावती जैसे राइट्स हैं. एक राहत की बात है. इस में आपत्ति बस यही है कि एक भी वजह हो तो बताएं कि मेडिकल टॢमनेशन औफ प्रैगनैंसी एक्ट है क्यों? यह हक हर औरत का प्राकृतिक है कि वह सैक्स करे और अगर गर्भ ठहर जाए तो वह डाक्टर की सलाह पर उसे गिरा दे.

अगर अनैतिक काम हो रहा है तो वह पुरुष कर रहा है. कानून तो बनना चाहिए इम्प्रैग्नैंट प्रोहीबिशन एक्ट जिस में वह पुरुष दोषी हो जिस ने औरत को प्रैग्नैंट किया. यह कानून नहीं बनेगा. यह रेप कानून से अलग होगा क्योंकि यह सिर्फ सैक्स के बारे में नहीं गर्भ ठहरने पर लागू होगा. दरदर ठोकरे पुरुष खाए. उस ने प्रैग्नैंट किया है तो आप से ज्यादा दोष उस का है, यह पति पर भी लागू होगा, प्रेमी होगा, लिव इन पार्टनर पर भी, शिकायत लेने का काम पुरुष का है. प्यार में भी पुरुष का काम है देखना कि उस के पैनट्रेशन से प्रैग्नैंसी तो नहीं होगी.

कानून चाहे संसद का बना हो या धर्म का या समाज का, अब औरतों के बराबर समझे. सदियों से औरतों को जो बच्चे पैदा करने की और खाना बनाने की गुलामी औरतें सह रही हैं, उस के खिलाफ विद्रोह करें. आधुनिक तर्क, वह तकनीक व तथ्य औरतों को पूरी तरह बराबर का हक देते हैं, वही हक जो प्रकृति में हर अन्य प्रजाति का मादा का है.

मम्मियां: जब रिश्तों में दूरी बढ़ाएं

मां बेटी का रिश्ता बहुत प्यारा रिश्ता है. हर मां दिल से चाहती है कि उस की बेटी अपनी ससुराल में बहुत खुश रहे, इसलिए वह बचपन से ही अच्छे संस्कार देती है परंतु समय के साथ इस सीख में बहुत फर्क आ गया है. आधुनिक परिवेश में विवाह के माने बदल गए हैं. जहां पहले समस्या लड़की के एक नए व अनजाने ससुराल के माहौल को समझने और तालमेल बैठाने में आती थी, वहीं अब लड़केलड़की की आपस में ही बन जाए तो शादी सफल मानी जाती है.

आजकल नई पीढ़ी के पास किताबी ज्ञान और डिगरियां तो बहुत हैं परंतु व्यावहारिक बुद्धि का अभाव है. शादी के बाद पतिपत्नी दोनों को ही काफी जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं, इस के लिए दोनों का आपसी सहयोग बेहद आवश्यक है, परंतु देखा यह जा रहा है कि लड़कियां पतिपत्नी के पवित्र रिश्ते को भूल कर बातबात पर एकदूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश में लग जाती हैं.

शादी को सफल बनाने में जहां पतिपत्नी दोनों की समझदारी काम देती है वहीं घर वालों का सकारात्मक रवैया भी काफी मददगार होता है.

मतभेद बढ़ाता है मोबाइल

पतिपत्नी के रिश्ते में फोन के कारण अकसर कड़वाहट आ जाती है. आजकल फोन के माध्यम से लड़की के मायके वाले, दोस्त आदि लगातार संपर्क में रहते हैं. हर समय बेटी का फोन बजता ही रहता.

न्यायाधिकारी मालिनी शुक्ला का कहना है कि आजकल बेटी ससुराल पक्ष की हर छोटीछोटी बात अपनी फ्रैंड या दूसरों से डिस्कस करती है और फिर वे अपनी राय भी थोपते है, अपनी सलाह भी देते हैं कि तुम्हें जरा भी दबने की जरूरत नहीं है. तुम घूमने चली जाया करो.

सारी जिम्मेदारी तुम्हारी थोडे़ ही है आदि भड़काऊ बातें कर के उस के मन में उलटासीधा भरते रहते हैं. इस तरह की बातें पतिपत्नी के बीच में गलतफहमियां पैदा कर के रिश्ते में दरार डाल देती हैं.

हर घर का अपना तरीका होता है, अपना बजट होता है और अपनी प्राथमिकताएं होती हैं. संपन्न परिवार से आई आरुषि ससुराल मैं कदम रखते ही कभी परदे बदलने की बात करती तो कभी सोफा तो कभी पति से गाड़ी लेने की डिमांड करती. पति अमोल उसे प्यार से समझने का प्रयास करता रहा. लेकिन उस की फ्रैंड्स और रिश्तेदारों का रोज कौल पर कहना. परदे कितने पुराने हैं. सोफा तो जाने किस जमाने में खरीदा गया होगा आदि बातों ने दोनों के प्यारभरे रिश्ते में दरार पैदा कर दी.

झगड़ों के छोटेछोटे कारण

अमोल की अपनी सोच थी कि वह कर्ज ले कर घी पीयो पर विश्वास नहीं करता. वह अपने भविष्य के प्रति जागरूक था. वह अपना फ्लैट खरीदने की योजना के अनुसार बचत कर रहा था. परंतु आरुषि की रोजरोज की अनावश्यक डिमांड्स की वजह से दोनों के रिश्ते बिगड़ गए. आज आरुषि मायके में रह रही है और उस घड़ी को कोस रही है, जब उस ने फुजूल की बातों में आ कर अपने सुखी संसार में आग लगा ली.

डिस्ट्रिक जज रूपा महर्षि कहती हैं कि फोन के कारण दूसरों के अनाधिकृत हस्तक्षेप ने बेटियों के जीवन में कटुता घोल दी है. यह बीमारी अब शहरों से गांवों तक पहुंच चुकी है. घरेलू हिंसा के मुकदमों में सुलहसमझते के प्रयास में झगड़ों के छोटेछोटे कारण सामने आते हैं, जिन की वजह दूसरों का लगातार संपर्क में रहना होता है.

उन का कहना है कि आजकल की वीडियोकौल के कारण घर के हर कोने में मायके वालों की नजर पड़ने लगी है और बेटी को किचन में देखते ही हितैषी बन कर बहन या भाभी कहेगी, ‘‘तुम्हारी सास का मैनेजमैंट बिलकुल अच्छा नहीं है. खुद तो एसी में बैठी गप्पें मार रही हैं, मेरी लाडली बेचारी गरमी में पसीना बहा रही है.’’

‘‘पार्टी में तेरी ननद ने तेरी ड्रैस पहन रखी थी. उस ने पहन कर पुरानी कर दी, अब जब तुम पहनोगी तब सोचेंगे कि तुम ने नीरजा से मांग कर पहनी है.’’

‘‘रोहन तो दिनभर अपनी मां और भाईभाभी के आगेपीछे घूमता रहता है. तुझे प्यार भी करता है कि नहीं?’’

‘‘लवी तुम ने अपना हार सास को क्यों पहनने को दिया?’’

‘‘उन्हें अच्छा लग रहा था. मैं भी तो मम्मीजी का हार पहना था… दीदी बेमतलब की बात मत किया करो,’’ कह कर उस ने फोन काट दिया.

इन्हें कौन समझाए

ममतामए मोह से भरे हितचिंतक का दिखावा करने वालों को कौन समझए कि बेटी स्वयं समझदार है. उस के मुंह में भी जबान है. वह खुद मैनेज कर लेगी. हर घर के अपने तौरतरीके होते हैं. वह यदि खुश है, उसे काम ज्यादा करना पड़ रहा है, तो वह ससुराल वालों के दिल में सदा के लिए जगह बना लेगी और इस के लिए उन्हें भी तो तारीफ मिलेगी कि बेटी को कितने अच्छे संस्कार दिए हैं.

उन्नाव निवासी उर्वशी की शादी 6 महीने पहले लखनऊ के सुदेश से खूब धूमधाम से हुई थी, लेकिन कुछ महीनों में ही दोनों का झगड़ा कोर्ट तक पहुंच गया. जब समझते के लिए प्रोबेशन अधिकारी के पास पहुंचा तो काउंसलिंग के दौरान उर्वशी ने बताया कि भाभी ने नया लहंगा खरीदा तो उन के सामने वह नीचा नहीं देखना चाहती थी. उस के चचेरे भाई की शादी थी, तो वह जबरदस्ती नया लहंगा खरीदने के लिए जोर डाल रही थी. सुदेश का कहना था कि शादी वाला लहंगा या दूसरी कोई साड़ी पहन लो, लेकिन लहंगे पर 40-50 हजार रुपए खर्च करना सरासर बेवकूफी है. शादी का लंहगा एक बार ही पहना है इसलिए वही पहन लो.

बस बहस बढ़ती चली गई और वह रूठ कर मायके चली गई. फिर तो वकील जो कहते रहे वही सारे इलजाम लगाए जाते रहे.

कानून का बेजा इस्तेमाल

कानपुर के किदवई नगर की उच्चशिक्षित सोमा की शादी प्रयागराज के दिलीप से हुई. दोनों ने लव मैरिज की थी. घर वाले भी काफी सुलझे हुए थे. दोनों बहुत प्यार से 1 साल तक रहते रहे, फिर दूसरों की बातों में आ कर आपस में झगड़ा शुरू हो गया.

एक दिन किसी बात पर दिलीप ने नाराज पत्नी का हाथ पकड़ लिया. बस घरेलू हिंसा का मामला दर्ज करवा दिया गया. काउंसलिंग के समय सोमा ने बताया कि दिलीप उसे बहुत प्यार करता है. उस ने उसे कभी भी नहीं मारा. सब लोग कहते हैं कि हर समय तुम काम में ही लगी रहती हो. तुम्हें मुझ से बात करने की भी फुरसत नहीं रहती. दिन भर के लिए कामवाली रख लो और आराम से रहो. धीरेधीरे दूसरों की सीख की वजह से घर के काम करने बंद कर दिए और फिर इसी कारण घर में तनाव, अव्यवस्था और झगड़े होने लगे. हंसताखेलता परिवार टूटने की कगार पर पहुंच गया.

‘‘गूंज… गूंज कहां हो? सुबहसुबह फोन पर लग जाती हो. मेरी शर्ट प्रैस नहीं है. बटन भी तुम ने नहीं लगाया,’’ राहुल जोर से चिल्ला रहा था.

गूंज के कुलीग का फोन था. उसे बहुत बेइज्जती महसूस हुई. वह गुस्से में बोली, ‘‘तुम

से मैं ने कितनी बार कहा है कि जब मैं फोन पर रहूं तो तुम चिल्लाया मत करो, लेकिन तुम भला क्यों मानो.’’

राहुल नाराज हो कर औफिस चला गया. गूंज का मूड खराब था. उधर सास ने नाश्ता बनाया था और राहुल नाराज हो कर गया तो वाजिब था, उन्होंने भी चार बातें सुनाईं उस का मूड दिनभर खराब रहा. औफिस में भी उस का मन नहीं लगा और काम में गलती होने की वजह से बौस की डांट और पड़ गई.

अपनी गलती मानने के बजाय वह सोचती रही कि क्या राहुल अपनी शर्ट प्रैस नहीं कर सकता? अब गूंज हर समय राहुल से अपने काम खुद करने को कहती. राहुल को बिलकुल भी नहीं अच्छा लगता. वह गूंज के रवैए से आहत हो जाता. धीरेधीरे दोनों के रिश्ते में कड़वाहट बढ़ने लगी. आपस की जरा सी नासमझ के कारण रिश्ते में दरार पड़ गई. पति को इतना तो समझना ही चाहिए कि पत्नी फोन पर किसी जरूरी कौल पर ही होगी.

बेटी की हर तकलीफ पर दूसरों का दुखी होना स्वाभाविक और उचित है परंतु ससुराल की छोटीछोटी बातों पर अपनी बेटी का पक्ष लेने पर रिश्तों में कड़वाहट आने में देर नहीं लगती.

एक नई समस्या

एक नई समस्या देखने में आ रही है कि आजकल लड़कियों को घर संभालने की जिम्मेदारी उठाना यह कह कर नहीं सिखाया जाता कि दूसरे घर जाना है. वहां तो काम करना ही होगा, इसलिए अभी आराम करो. जिंदगी भर काम ही करना है.

यही वजह है कि लड़कियां शादी को अपने सपने पूरे करने का साधन मानने लगी हैं. मगर यथार्थ के धरातल पर जब उन के सपने जिम्मेदारियों के नीचे धराशायी हो जाते हैं तो वैवाहिक जीवन से चिढ़ होने लगती है और ससुराल पक्ष का हर व्यक्ति अपना दुश्मन सा दिखने लगता है, जिस का शिकार मुख्य रूप से सास या पति बन जाता है क्योंकि लड़कियों का ज्यादा समय उस के साथ ही बीतता है. लड़कियां आते ही पति और घर पर अपना पूरा अधिकार जमाना चाहती हैं, ऐसे में लड़का यदि मां, बहन, भाई किसी को भी कुछ दिनों तक प्राथमिकता देता है या आर्थिक सहायता करना चाहता है तो लड़की परेशान हो कर बात का बतंगड़ बना कर घर में अशांति फैला देती है. शादी का अर्थ ही है जिम्मेदारी और आपसी तालमेल, इसलिए लड़की को पति और परिवार की जिम्मेदारी और तालमेल से रहते देख कर खुश होने की जरूरत है न कि परेशान होने की.

दूसरों को समझदारी दिखाते हुए बेटी और उस के ससुराल वालों के घर में दखलंदाजी न कर के बेटी को तालमेल बना कर रहने की सीख देनी चाहिए.

हां, यह आवश्यक है कि बेटी को अपने साथ अन्याय या अत्याचार, दुर्व्यवहार सहन नहीं करना है और उस के विरोध में अवश्य आवाज उठानी है, यह समझने की जरूरत है.

तीज 2022: मेकअप से लेकर ड्रेस तक ऐसे करें तैयारी

भादो के महीने साथ ही आती है तीज. नई-नवेली दुल्हनों और लड़कियों के लिए तीज में पीले, हरे, लाल रंगों के साथ ही एथनिक लुक का खास महत्व होता है. ऐसे में कैसा हो आपका मेकअप आइये जानते हैं एल्प्स अकेडमी और ब्यूटी क्लिनिक की फाउंडर डायरेक्टर डौक्टर भारती तनेजा से…

ड्रेस हो कैसी

भारती जी के अनुसार अधिकतर महिलाएं त्योहारों पर ट्रेडिशनल लुक पाना चाहती है. वे ट्रेडिशनल आउटफिट को ही प्राथमिकता देती है. ऐसे में उनका मेकअप भी उनकी ड्रेस से मैच करता हुआ होना चाहिए ताकि परफेक्ट लुक मिल सके.अगर आप ट्रेडिशनल आउटफिट के साथ हैवी जूलरी कैरी कर रही है तो आपको ज्यादा मेकअप करने की जरुरत नहीं है. मेकअप बहुत ही लाइट रखें. परफेक्ट मेकअप के साथ ही आप बेहतरीन लुक पा सकती है.

मेकअप हो लाइव

इस मौसम में वाटर प्रूफ मेकअप करें. इतना ही नहीं, मेकअप भी लाइव होना चाहिए. इस मौसम में उमस और नमी होती है, जिससे मेकअप के बाद आपका चेहरा औयली लग सकता है, इसलिए बेहतर है कि हल्का मेकअप करें. पहले स्किन को अच्छे से साफ कर लें. मेकअप करने से पहले 5-10 अपनी स्किन पर मलमल के कपड़े मे लपेट कर बर्फ रगड़ें. इससे आपका मेकअप लंबे समय तक बरकरार रहेगा. अगर आपकी स्किन औयली है तो मेकअप से पहले एस्ट्रिंजर लगाएं. अगर स्किन ड्राई है तो बर्फ के बाद स्किन पर टोनर लगाएं.

हमेशा पहले बेस लगाए इससे स्किन स्मूथ और इवन टोन दिखेगा. बेस लगाने के बाद फाउंडेशन लगाए. ध्यान रहे कि फाउंडेशन हमेशा आप अपने स्किन टोन के अकौर्डिंग लें. स्किन पर अब फेस पाउडर लगाए लेकिन ध्यान दे कि ज्यादा ना लगाए बस टचअप करें क्योंकि फिर इससे मेकअप ओवर दिखने लगता है.

मेकअप का जरूरी हिस्सा है आंखें. लेकिन दिन के समय लाइट मेकअप करना बेहतर होगा. आप इलेक्ट्रिक ब्लर आईलाइनर के इस्तेमाल करने से भी अच्छा लुक पा सकती हैं.आईमेकअप को पूरा करने के लिए ही नहीं बल्कि उसे बेहतर फिनिशिंग देने का काम करता है मसकारा. इससे पलकें घनी, काली नजर आती हैं और आंखों की खूबसूरती भी बढ़ जाती है,लेकिन आपका मस्कारा भी वाटर प्रूफ होना चाहिए.

आंखों के बाद आते हैं लिप्स मेकअप पर. अगर पौसिबल हो तो इस मौसम में मैट लिपस्टिक लगाएं . होंठों पर लगने वाले रेड, फुशिया, औरेंज और बरगंडी जैसे कलर्स हर एक स्किन टोन को सूट करते हैं.

हेयर स्टाइल पर भी दें ध्यान

ड्रेस के बाद बारी आती है हेयर स्टाइल की. आप चाहे कितना भी अच्छा मेकअप कर लें या ज्वेलरी पहन लें जब तक आपका हेयर स्टाइल सही नहीं होगा आपका लुक परफेक्ट नहीं लग सकता. इसलिए अपने बालों को अच्छा सा हेयर स्टाइल दें.अगर आपके बाल छोटे हैं, तो उन्हें खुला ही छोड़ दें. खुले बालों में भी काफी स्टाइल दिए जा सकते हैं. जैसे कि आप अपने बालों को सामने की ओर से पफ दे सकती हैं या क्लिप्स की मदद से सामने के बाल थोड़े-थोड़े लेकर पीछे की ओर घुमाकर पिनअप कर सकती हैं. अगर आपके बाल लंबे हैं, तो उन्हें कोई स्टाइल दें जैसे चोटी या जूड़ा ही इस मौसम में सुंदर लगता है.

भारती तनेजा, डौयरेक्टर औफ एल्पस ब्यूटी क्लीनिक एंड एकेडमी

hariyali

वनराज को गिरफ्तार करने पहुंचेगी पुलिस, बरखा को सबक सिखाएगी Anupama

सीरियल अनुपमा (Anupama) में जल्द ही जन्माष्टमी सेलिब्रेशन देखने को मिलने वाला है, जिसमें मेकर्स एक के बाद एक नए ट्विस्ट लाने हैं. जहां एक तरफ बरखा अपनी प्लानिंग के चलते वनराज (Sudhanshu Panday) को जेल भेजती दिखेगी तो वहीं अनुपमा (Rupali Ganguly) के सब्र का बांध टूट जाएगा, जिसके चलते सीरियल में बड़ा फैमिली ड्रामा होते हुए नजर आएगा. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे  (Anupama Written Update)…

अनुपमा के कारण गुस्से में आई बरखा

 

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अब तक आपने देखा कि अनुपमा के चैक पर साइन ना करने के कारण बरखा और अंकुश गुस्से में नजर आते हैं. वहीं अधिक, पाखी से मिलकर उसे अपनी बातों में बहकाने की कोशिश करता दिखता है. हालांकि इन सबके बीच अनुपमा, जीके के साथ मिलकर जन्माष्टमी और अनुज के जन्मदिन की तैयारी करती नजर आती है.

 

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बरखा का बढ़ेगा पारा

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि बरखा, अनुज के कमरे में सीसीटीवी लगवाएगी, जिसके लिए अनुपमा उसका शुक्रिया करेगी. हालांकि बरखा का गुस्सा फिर भी शांत नहीं होगा. वहीं वनराज, अनुज से मिलने की कोशिश करता दिखेगी. इसी बीच बरखा अपने वकील के साथ मिलकर कुछ कानूनी कागजात तैयार करवाएगी, जिससे अनुपमा को कपाड़िया हाउस से बाहर किया जा सके.

 

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अनुपमा देगी धमकी

 

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इसके अलावा सीरियल में आप देखेंगे कि अनुपमा, अनुज को उसकी बर्थडे पार्टी के लिए तैयार करेगी. वहीं बरखा इस बात से खुश होगी कि वह अनुपमा से उसकी खुशी छीन लेगी. दरअसल, बरखा की शिकायत पर वनराज को गिरफ्तार करने पुलिस पहुंचेगी. तो दूसरी तरफ बरखा की हरकत पर अनुपमा को गुस्सा आएगा और वह उसे चेतावनी देगी कि कहीं उसकी जन्माष्टमी उनके लिए दुर्गाष्टमी न बन जाए. अनुपमा का ये गुस्सा देखकर बरखा और अंकुश हैरान रह जाएंगे.

बता दें, सीरियल में इन दिनों अनुज यानी गौरव खन्ना को पैरालाइज देखकर फैंस काफी नाखुश हैं और मेकर्स से अनुज को दोबारा ठीक करने की बात कह रहे हैं. वहीं मेकर्स से अनुज की बहन मालविका को वापस लाने की बात कहते दिख रहे हैं.

REVIEW: Web Series दुरंगा में गुलशन देवैय्या का शानदार अभिनय

रेटिंगः साढ़े तीन स्टार

निर्माताः गोल्डी बहल

निर्देशकः प्रदीप सरकार और एजाज खान

कलाकारः गुलशन देवैय्या, दृष्टि धामी, दिव्या सेठ, राजेश खट्टर, अभिजीत खंडेलकर, बरखा बिस्ट, किरण श्रीनिवास, स्पर्श वालिया व अन्य.

अवधिः लगभग पौने पांच घंटे,  तीस से पैंतिस मिनट के नौ एपीसोड

ओटीटी प्लेटफार्मः जी 5

बौलीवुड की ही तरह अब ओटीटी पर भी रीमेक का चलन बढ़ता जा रहा है. अब मशहूर कोरियन सायकोपाथ अपराध कथा वाली वेब सीरीज ‘‘फ्लावर आफ इविल’’ का भारतीय करण करते हुए गोल्डी बहल  वेब सीरीज ‘‘दुरंगा’’ लेकर आए हैं, जो कि 19 अगस्त से ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘जी 5’’ पर स्ट्रीम हो रही है. इस अपराध कथा वाली कहानी में सतत दो प्रेम कहानियां भी चलती रहती हैं.

कहानीः

इसकी कहानी का केंद्र बिंदु  एक आदर्श इंसान, एक समर्पित पिता,  देखभाल करने वाले पति और एक आदर्श रसोइए समित पटेल के इर्द गिर्द घूमती है. हकीकत में यह कहानी सारंगवाड़ी, गोवा के अभिषेक बन्ने (गुलशन देवैया)े की है, जो कि पिछले सत्रह वर्ष से समित पटेल के नाम से मंुबई रह रहा है. पर वह अपने गहरे अंधेरे अतीत के साथ एक भावनाहीन मनोरोगी है. उसने ग्यारह वर्ष पहले मुंबई क्राइम ब्रांच की वरिष्ठ अधिकारी इरा जयकर पटेल (दृष्टि धामी) के साथ प्रेम विवाह किया था और अपनी शादी में संतुष्ट है. एक प्यारी बेटी अन्या उर्फ कैटरपिलर (हेरा मिश्रा) के साथ समित सामान्य स्थिति में नजर आते हैं. अचानक एक वृद्ध महिला की उसके घर में हुई हत्या से सनसनी पैदा होती है. एक यूट्यूब चैनल का ब्लागर विकास सरवदेकर शंका जाहिर करता है कि 17 वर्ष बाद यह हत्या उसी तरह से हुई है, जिस तरह से अभिषेक बन्ने के पिता बाला बन्ने (जाकिर हुसैन) किया करते थे. अभिषेक बन्नेे खुद गांव के सरपंच की हत्या का आरोपी है. पर पुलिस रिकार्ड के अनुसार उसने 2005 में आत्महत्या कर ली थी. इसी के साथ दर्शकों  को पता चल जाता है कि यह समित पटेल ही अभिषेक बन्ने है. इतना ही समित पटेल के हिंसक स्वभाव का नजारा भी सामने आ जाता है. उधर ईरा हत्याकांड की जांच कर रही है. ईरा के साथ पुलिस इंस्पेक्टर निखिल प्रधान(किरण श्रीनिवास ) और इंस्पेक्टर लक्ष्य रानाडे (स्पर्श वालिया ) भी अपराधी की तलाश में लगे हैं. कहानी ज्यों ज्यों आगे बढ़ती है, त्यांे त्यों कहानी की परते सामने आती है. पता चलता है कि विकास सरोदे (अभिजीत खांडकेकर) भी सारंगवाड़ी का ही रहने वाला है . अभिषेक व विकास सहपाठी हैं. तो वहीं अभिषेक की बहन प्राची(बरखा बिष्ट) बतौर सहायक निर्देशक काम कर रही है. सत्रह वर्षों से अभिषेक व प्राची की मुलाकात नही हुई है. सारंगवाड़ी मंे रहने के दौरान प्राची और विकास के बीच प्रेम संबंध थे. बहरहाल, अपने सच को छिपाने व उसके अपराध से जुड़े जितने भी सबूत विकास के पास हैं, उन्हे समाप्त करने के लिए समित पटेल चरम सीमा तक जाता है. कहानी में अचानक कई अन्य पात्र भी आते हैं. अभिषेक के पिता के अपराध में उनके भागीदार का चेहरा भी सामने आता है, जो कि अब शहर की बड़ी हस्ती है. एपीसोड दर एपीसोड कहानी में कई नए मोड़ आते रहते हैं. अंततः कहानी नौंवे एपीसोड में खत्म जरुर होती है, पर इस इशारे के साथ कि इसका दूसरा सीजन आएगा.

लेखन व निर्देशनः

कोरियन अपराध सीरीज ‘‘फ्लावर आफ इविल’’मैने देखी नही है, इसलिए उसके संग ‘‘दुरंगा’’ की तुलना नहीं कर सकता. मगर इसकी पटकथा काफी हद तक अच्छे ढं गसे लिखी गयी है. निर्देशक द्वय प्रदीप सरकार और एजाज खान ने रोमांटिक कथा के अलावा पुलिस व अपराधी के बीच की चूहा दौड़ को काफी बेहतरीन तरीके से परदे पर उभारा है. कुछ दृश्यों में दर्शक भ्रमित जरुर होता है, जो कि पटकथा व निर्देशक की कमजोरी का परिणाम है. इसकी दूसरी कमजोरी इसकी धीमी गति है. कहानी हर एपीसोड में अतीत व वर्तमान के बीच झूलती रहती है. वर्तमान की कहानी के साथ ही अभिष् ोक के अतीत और समित व ईरा की मुलाकात व विवाह के प्रसंग भी आते जाते रहते हैं.

समित के अतीत से अंजान ईरा जब सारंगवाड़ी गांव में लगभग समित को पकड़ लेती है,  तो दर्शकों को आभास होता है कि उसका खेल खत्म हो गया है. लेकिन फिर वह बच निकलता है और कहानी आगे बढ़ती है. मगर धीरे धीरे ईरा के सामने कुछ सबूत ऐसे आते हैं, जिससे उसे शक होने लगता है कि समित ही अभिषेक है. यह  लेखक व निर्देशक की खूबी है. कहानी की जटिलता में खोने की बनिस्बत रोमांस, ड्ामा व एक्शन से भरपूर एक अच्छी रोमांचक अपराध कथा के रूप उभर कर ‘दुरंगा’आती है. इस वेब सीरीज की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह दर्शक कों अंत तक बांधकर रखती है.

अभिनयः

समित पटेल के बहुआयामी किरदार में गुलशन देवैया का अभिनय काफी प्रभावशाली है. गुलशन ने मानसिक उथलपुथल व छिपे हुए इरादे वाले समित पटेल के किरदार को शानदार अभिनय से संवारा है. वह एक ऐसा पात्र है, जो कि प्यार, खुशी या दुःख को महसूस ही नही करता है. वह तो मुस्कुराने के लिए भी आॅनलाइन ट्यूटोरियल की मदद लेता है.  तो वहीं ईरा के किरदार में दृष्टि धामी का अभिनय प्रभावशाली है. दृष्टि धामी के चेहरे पर हर तरह के भाव आते हैं. पर निर्देशक ने उन्हे एक्शन करने का अवसर नही दिया. इंस्पेक्टर निखिल प्रधान के किरदार में किरण श्रीनिवास और लक्ष्य रानाडे के किरदार में स्पर्श वालिया भी अपनी छाप छोड़ जाते हैं. कहानी को दिलचस्प मोड़ देेने वाले क्राइम रिपोर्टर कम यूट्यूब ब्लॉंगर विकास सरोदे के किरदार को अभिजीत खंाडकेकर ने शानदार तरीके से परदे पर जिया है.  समित पटेल के माता पिता के किरदार में दिव्या सेठ शाह और राजेश खट्टर ठीक ठाक हैं.

Monsoon Special: मौनसून में क्या पहनें क्या नहीं

बारिश के मौसम में फैशन सिंपल होना चाहिए यानी कपड़े ऐसे पहनने चाहिए जो लहराएं नहीं वरना वे जल्दी गंदे हो जाएंगे. ऐसे में कैसा हो कपड़ों का चुनाव आइए, जानते हैं:

– इन दिनों आप चाहें तो अपने वार्डरोब में लाल, पीला, हरा, नारंगी आदि रंग शामिल कर सकती हैं.

– इस मौसम में इंडोवैस्टर्न लुक कैरी कर सकती हैं. कालेज गर्ल्स चाहें तो कैप्री व शौर्ट पैंट के साथ कलरफुल और स्टाइलिश टौप पहन सकती हैं.

– बारिश के दिनों में लहरिया बेहद खूबसूरत लगती है, गर्ल्स लहरिया स्टाइल का सलवार सूट, कुरती, ट्यूनिक पहन सकती हैं.

– अगर साड़ी पहनती हैं तो लहरिया साड़ी के साथ मौडर्न स्टाइल का ब्लाउज पहनें. प्लेन लहरिया साड़ी के साथ भारी कढ़ाई का ब्लाउज भी ट्राई कर सकती हैं.

– अगर बारिश में बाहर जाती हैं तो डार्क कलर के कपड़े पहनने से बचें, क्योंकि बारिश में उन का कलर उतरने का डर रहता है.

– बारिश के मौसम में होने वाली नमी से बचने के लिए ऐसे कपड़े पहनें जो शरीर से चिपकें नहीं. इस मौसम में लाइट वेट या स्ट्रैचेबल लाइक्रा और कौटन को तवज्जो दें. पौलिएस्टर और सिंथैटिक के कपडे़ इस मौसम में बिलकुल न पहनें.

– इस मौसम में कपड़ों के रंग से मैच करती ऐक्सैसरीज भी पहनें. अगर औफिस जाने वाली महिला हैं या कालेज जाने वाली गर्ल्स, तो पौप और ऐक्सैसरीज पहनी जा सकती है.

– इस सीजन में फैशनेबल दिखना चाहती हैं, तो इन दिनों बाजार में गहरे हलके कौंबिनेशन के कलरफुल स्कार्प या लहरिया, बंधेज स्टाइल का स्कार्प इस्तेमाल करें.

– सलवारकुरती पहननी हो तो सिंथैटिक की ही पहनें.

– बौटम ड्रैसेज डार्क कलर में हों तो बेहतर है. ये ट्रांसपैरेंट नहीं होतीं और न ही इन पर धब्बे दिखते हैं. इन के साथ अपर वियर में ब्राइट और फंकी कलर्स चुन सकती हैं. औरेंज, पिंक, टर्क्वाइज, लैमन यलो, ब्लू, ग्रीन जैसे कलर्स मूड को एनहांस करते हैं. फ्लोरल और स्ट्राइप्स भी पहन सकती हैं.

– फैब्रिक की बात करें, तो इस समय लाइक्रा को अवौइड करें. यह बौडी पर चिपकती है. ह्यूमिडिटी भी पैदा करती है. इस के बजाय कौटन निट, सिल्क, पौलिनायलोन और कौटन ब्लैंड का यूज कर सकती हैं. ये जल्दी क्रश नहीं होते.

– कौटन और पौलिएस्टर से बचें. ये जल्दी क्रश हो जाते हैं.

– लैदर के शूज हों या हैंड बैग, बारिश में गीले हो कर खराब हो जाते हैं. अत: इन्हें अवौइड करें.

इन्हें भी आजमाएं

इन के अलावा गुलाबी, नारंगी, पीच आदि रंगों के ब्राइट शेड्स भी इस मौसम में आजमा सकती हैं. पारदर्शी रंगबिरंगे रेनकोट, रंगीन स्पोर्ट शूज, वेजिस और गम बूट्स को इस मौसम में अपनाया जा सकता है. पोल्का प्रिंट्स, जिओमैट्रिकल प्रिंट्स और फ्लोरल प्रिंट्स का जलवा इस मौसम में फैशन की प्रेमियों को दीवाना बना देगा. ड्रैस के रंग से मेल खाते फैशनेबल कलरफुल स्लीपर्स भी अपनाए जा सकते हैं.

जींस टीशर्ट पर चौड़ी बैल्ट की जगह पतली बैल्ट लगाएं. लड़कियों के लिए नीलैंथ फ्रौक, फ्लोरल प्रिंट स्कर्ट आदि मौनसून के बेहतरीन परिधान होंगे. सूती, शिफौन से बनी ड्रैसेज को युवा ज्यादा पसंद करेंगे. आंखों की सुरक्षा व थकान से बचने के लिए धूप के चश्मे की हर मौसम में मांग होती है. कपड़ों के साथ बालों के स्टाइल को भी दें नया लुक.

फुटवियर

मौनसून के सीजन में बाजार में फुटवियर के ढेरों विकल्प मिल जाएंगे, जो बरसात में भी आप के स्टाइल में चार चांद लगा देंगे. बाजार रंगीन फ्लिपफ्लौप, फ्लोटर, रेन बूट्स और प्लास्टिक चप्पलों से भरा पड़ा है. ये फुटवियर लाल, नीले, पीले, हरे सभी रंगों में मौजूद हैं. इस के अलावा फ्लौवर प्रिंट व अन्य आकर्षक डिजाइनों में भी फुटवियर मिल जाएंगे, जो हैपनिंग लुक देंगे और मौनसून सीजन में भी आप कुछ हट कर दिखेंगे. यदि मौनसून में अपने लिए फुटवियर की शौपिंग करने जा रही हैं, तो स्टाइल के साथसाथ पैरों के आराम का भी ध्यान जरूर रखें.

Food Special: फैमिली के लिए बनाएं मूंगफली के पकौड़े

पकौड़े खाने का असली मजा बारिश के मौसम में ही है. प्याज के, आलू के, मिर्ची के पकौड़े तो आपने पहले भी खाए होंगे लेकिन आज हम आपको मूंगफली के पकौड़े बनाना सिखाएंगे. बनाने में आसान और खाने में टेस्टी हैं ये मूंगफली के पकौड़े.

साम्रगी

1 कप पोहा

1 कप मूंगफली के दाने

1 कप बेसन

3 चम्मच हरा धनिया

1/2 चम्मच धनिया पाउडर

1/2 चम्मच लाल मिर्च पाउडर

3 हरी मिर्च (बारीक कटी हुई)

नमक स्वादनुसार

तेल जरूरत के मुताबिक

विधि

सबसे पहले पोहे में 1 कप पानी डालकर उसे अलग से रख दें. ताकि पोहा अच्छे से भींग जाए. अब एक कटोरे में बेसन और थोड़ा पानी डालकर इसका गाढ़ा घोल तैयार कर लें.

घोल को अच्छे से फेंटने के बाद इसमें धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, हरी मिर्च, नमक और धनिया पत्ता डालकर एक बार फिर अच्छी तरह से मिक्स कर लें.

पोहे से अतिरिक्त पानी निकाल दें. तैयार किए हुए बेसन के घोल में भीगे हुए पोहे डाल दें.

इसके बाद इसमें मूंगफली के दाने भी दाल दें. अब इन सारे मिक्सचर को अच्छे से मिलाकर पकौड़े के लिए बैटर तैयार कर लें.

एक कड़ाही में तेल गर्म कर पकौड़ों को कड़ाही में डालें. पकौड़ों को पलट-पलटकर अच्छे गोल्डन ब्राउन होने तक तलें. पकौड़ों के गोल्डन ब्राउन होते ही गैस बंद कर दें और पकौड़ों को प्लेट में निकाल लें. आपके गरमा-गरम मूंगफली के पकौड़े तैयार हैं.

लॉन्ग टर्म सेविंग के लिए ऐसे करें Invest

लॉन्ग टर्म सेविंग के लिए इन्वेस्टमेंट करना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे आपकी कमाई बढ़ जाएगी. सेविंग करने से पहले अपना इन्वेस्टमेंट प्लान जरूर बनाएं, जिससे आपका मंथली बजट भी न बिगड़े और सेविंग करने से इनकम में भी बढ़ोत्तरी हो जाए. जानिए ऐसे ही कुछ इन्वेस्टमेंट ऑप्शन के बारे में जो आपकी कमाई को लॉन्ग टर्म में काफी बढ़ा देंगे.

बचत के साथ निवेश भी जरूरी

आपको सिर्फ बचत ही नहीं करना है बल्कि बचत को सही प्रकार और सही जगह निवेश करना भी जरूरी है. इसकी वजह है कि निवेश ही एक मात्र माध्यम है, जिसकी मदद से आप रुपए की गिरती कीमत से खुद को सुरक्षित कर सकते हैं. साथ ही ऐसा निवेश आपको भविष्य में भी सुरक्षा प्रदान करता है.

साल की शुरुआत में ही लॉन्ग टर्म गोल तय कर लें. इसी तरह इन्वेस्टमेंट प्लानिंग करें ताकि आपको टैक्स में ज्यादा से ज्यादा छूट मिल सके. इसके लिए आप मेडिकल इन्श्योरेंस ले सकते हैं,एनपीएस या पीपीएफ में निवेश कर सकते हैं. इसके अलावा अगर आपकी फैमिली में बेटी है तो उसके नाम से सुकन्या समृद्धि अकाउंट खोल सकते हैं जिस पर आप साल भर में अच्छी खासी सेविंग कर सकते हैं.

स्मॉल सेविंग से करें शुरुआत

इन्वेस्टमेंट प्लानिंग इस तरह से करें की हर महीने आपकी थोड़ी बहुत सेविंग हो सके. इसके लिए अगर आपने पहले से किसी तरह की कोई सेविंग प्लान दिमाग में तैयार नहीं किया है तो उसके बारे में पहले से पता करें और उसके बाद इन्वेस्‍टमेंट का खाका तैयार करें. शादी के बाद इस तरह का प्लानिंग करना बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे आपको इमरजेंसी के वक्त पैसों की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

बैंक में खोल सकते हैं आरडी अकाउंट

आप अपने बैंक की मदद से एक आरडी अकाउंट खोल सकते हैं. आरडी अकाउंट आप उसी बैंक में खोलें जिसमें आपका पहले से सेविंग अकाउंट हो. ऐसा इसलिए है, क्योंकि इससे आपको केवाईसी दुबारा से नहीं करवानी पड़ेगी. आप बैंक में अपने आरडी अकाउंट को सेविंग अकाउंट से लिंक करा सकते हैं. इससे आपके सेविंग अकाउंट से एक निश्चित रकम आरडी अकाउंट में ऑटोमैटिक तरीके से ट्रांसफर हो जाएगी, जिससे आपको बैंक में हर महीने चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. आप 100 रुपए प्रति माह की छोटी सी रकम से इस तरह का अकाउंट खोल सकते हैं.

ईपीएफ में करें निवेश

इंप्लॉई प्रॉविडेंट फंड (ईपीएफ) बचत और निवेश का एक बेहतरीन जरिया है. यह आपकी सैलरी आपके हाथ आने से पहले ही काट लिया जाता है. यह दूसरे निवेश माध्यमों के मुकाबले लंबी अवधि के लिए होता है. इसके दो फायदे होते हैं, पहला टैक्स सेविंग और दूसरा बेहतर रिटर्न. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह भी है कि इसके लिए आपको कोई खास कोशिश भी नहीं करनी पड़ती.

टर्म लाइफ इन्श्योरेंस पॉलिसी

खरीदें टर्म लाइफ प्लान वाली इन्श्योरेंस पॉलिसी खरीदना आपके लिए लॉन्ग टर्म में फायदेमंद होता है. हमसे से ज्यादातर लोग पॉलिसी लेने से बचते हैं, लेकिन इसको लेकर आप जीवन में आने वाले कई बड़े खर्चों को प्रीमियम अमाउंट से पूरा हो सकता. मकान खरीदना, बच्चों की हाई एजुकेशन, उनकी शादी,रिटायरमेंट के बाद हर महीने मिलने वाली इनकम और एक्सीडेंट व बड़े ऑपरेशन के दौरान होने वाले खर्चों को आप इस पॉलिसी के अमाउंट से कवर हो सकते हैं.

पोस्‍ट ऑफिस की एनएससी

पोस्‍ट ऑफिस की नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट एक बेहतर ऑप्‍शन साबित हो सकता है. पोस्‍ट ऑफिस से आप 1000 रुपए से 10,000 रुपए तक की एनएससी अपने अलावा परिवार के अन्य सदस्यों के लिए भी खरीद सकते हैं. पोस्‍ट ऑफिस की यह स्‍कीम देश के किसी भी पोस्‍ट ऑफिस से खरीदी जा सकती है.

गोल्‍ड बांड

सरकार ने गोल्‍ड बांड स्कीम को लॉन्‍च किया हुआ है. इसमें 2 ग्राम गोल्ड से लेकर अधिकतम 500 ग्राम तक गोल्ड पर बांड लेने का ऑप्शन है. आप अपनी पत्‍नी को सोने का सिक्‍का, गहने न खरीद कर गोल्‍ड बांड दे सकते हैं. गोल्‍ड बांड पर आपको 2.75 फीसदी की दर से सालाना ब्‍याज ऑफर किया जाएगा. इस पर रिटर्न भी मिलेगा. हालांकि इसके रिटर्न पर आपको टैक्स चुकाना होगा.

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