Food Special: लंच में बनाएं पनीर मिक्स वेज

पनीर खाना किसे पसंद नही होता है. नाम सुनते ही दिमाग में ढ़ेरों तरीके के व्यंजन सामने आने लगते है. बड़ों के साथ-साथ बच्चों को भी यह काफी पंसद आती है. बच्चो के लंच में पनीर से बनी कोई भी डिश दे दें. वो पूरा चट कर ही आएगें. आज हम आपको पनीर के साथ कुछ हरी सब्जियों को मिक्स कर बेहद टेस्टी और हेल्दी डिश बनाना बता रहे है. जिसे बनाकर खिलानें पर सभी आपकी तारीक करना नहीं भूलेगें. जानिेए बनाने की विधि के बारें में.

सामग्री

  • 1. दो कप यानी की 100 ग्राम चौकोर आकार में कटा हुआ पनीर
  • 2. एक कप कटी हुई फूलगोभी
  • 3. एक कप कटी हुई बारीक कटी हुई गाजर
  • 4. एक कप कटी हुई शिमला मिर्च
  • 5. एक कप कटा हुआ टमाटर
  • 6. आधा कप हरी मटर
  • 7. एक प्याज बारीक कटी हुई
  • 8. एक चम्मच अदरक-लहसुन का पेस्ट
  • 9. दो हरी मिर्च कटी हुई
  • 10. आधा चम्मच धनिया पाउडर
  • 11. आधा चम्मच हल्दी पाउडर
  • 12. एक चौथाई चम्मच लाल मिर्च पाउडर
  • 13. एक चम्मच जीरा
  • 14. आधा चम्मच गरम मसाला
  • 15. एक चुटकी हींग
  • 16. आवश्यकतानुसार तेल
  • 17. स्वादानुसार नमक
  • 18. गार्निश के लिए बारीक कटी हुई धनिया

पनीर मिक्स वेज बनाने के विधि

  • सबसे पहले एक कढ़ाई में तेल गर्म करें. जब तेल गर्म हो जाए तो उसमें प्याज, हरी मिर्च, लहसुन-अदरक का पेस्ट डालकर अच्छी तरह से फ्राई करें. जब ये ब्राउन कलर का हो जाए तब इसमें टमाटर, धनिया पाउडर, हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर और नमक डालकर अच्छी तरह से मिलाकर धीमी आंच में 5 मिनट तक पकाएं.
  • इसके बाद देखें कि मासालों से तेल निकलने लगा है तो इसमें सभी सब्जियां डालकर अच्छी तरह से मिक्स करें और धीमी आंच में कम से कम 10 मिनट तक किसी ढक्कन से ढक कर पकाएं. साथ ही इसे बीच-बीच में चलातें रहें जिससे कि यह जले न . इसके बाद देखें कि अगर सब्जी थोडी पक गयी हो तो ढक्कन हटा दें और इसमें गरम मसाला डालें और इसके पानी को धीमी आंच में सुखने दें.
  • इसके बाद इसमें पनीर डालें और धीमें से मिलाए और 5 मिनट तक पकने दे. इसके बाद गैस बंद कर दें. आपकी पनीर वेज सब्जी बनकर तैयार है. इसे सर्विंग बाउल में निकाल कर बारीक कटी हरी धनिया से गार्निश करके सर्व करें.

दूसरी बार मां बनेंगी Debina Bonnerjee, शेयर किया फोटो

टीवी एक्ट्रेस देबिना बनर्जी (Debina Bonnerjee) अपनी बेटी और पति गुरमीत चौधरी (Gurmeet Choudhary) के साथ नए-नए पोस्ट शेयर करती रहती हैं, जिसके चलते कई बार उन्हें ट्रोलिंग का सामना भी करना पड़ता है. हालांकि इस बार उन्होंने अपने फैंस को चौंका दिया है. दरअसल, एक्ट्रेस ने बेटी के जन्म के कुछ ही महीनों बाद दूसरी प्रैग्नेंसी  (Debina Bonnerjee Second Pregnancy) का ऐलान कर दिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

दूसरी बार मां बनेंगी देबीना

 

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एक्ट्रेस देबिना बनर्जी और गुरमीत चौधरी ने फैंस और दोस्तों को सोशलमीडिया पोस्ट के जरिए दूसरी प्रैग्नेंसी की खबर सुनाई है. दरअसल, पोस्ट में देबिना बनर्जी अपने हाथ में सोनोग्राफी रिपोर्ट लिये पति गुरमीत चौधरी और बेटी लियाना को गले नगाते हुए दिख रही हैं. वहीं इस पोस्ट के साथ एक्ट्रेस ने लिखा, “कुछ फैसले पहले से ही तय होते हैं, जिसे कोई भी बदल नहीं सकता है. यह सच में एक आशीर्वाद है. हमें पूरा करने के लिए जल्द ही कोई आने वाला है.”

 

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फैंस और सेलेब्स ने लुटाया प्यार

 

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गुरमीत चौधरी और देबिना बनर्जी के इस ऐलान के बाद सेलेब्स और फैंस दोनों को बधाई देते हुए दिख रहे हैं. माही विज से लेकर एक्ट्रेस रश्मि देसाई कपल पर प्यार बरसा रहे हैं. वहीं फैंस भी दोनों को बधाई दे रहे हैं. हालांकि हर बार की तरह कई लोग उन्हें ट्रोल भी करते दिख रहे हैं.

अप्रैल में बनीं थीं मां

 

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गुरमीत चौधरी और देबिना बनर्जी अपनी शादी के कई साल बाद साल 2022 के अप्रैल में ही बेटी के माता-पिता बने हैं. वहीं देबिना बनर्जी बेटी लियाना के चलते कई बार सोशलमीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार भी हो चुकी हैं. हालांकि एक्ट्रेस ने ट्रोलर्स को करारा जवाब दिया था. इसी के साथ हाल ही में कपल ने बेटी लियाना के अन्नप्राशन का वीडियो भी फैंस के साथ शेयर किया था.

GHKKPM: सई के घर छोड़ते ही फैंस का विराट पर फूटा गुस्सा, पढ़ें खबर

स्टार प्लस के सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) में जल्द ही 8 साल का लीप नजर आने वाला है, जिसके बाद विराट, सई और विराट की जिंदगी बदलती हुई नजर आएगी. वहीं इसका प्रोमो भी फैंस को काफी पसंद आ रहा है. हालांकि लेटेस्ट एपिसोड के चलते #Sairat फैंस का गुस्सा बढ़ गया है और वह पाखी और विराट पर गुस्सा निकालते दिख रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

सई ने छोड़ा घर

अब तक आपने देखा कि विराट और भवानी, पाखी को जेल से निकाल कर घर ले आते हैं. जहां सई अपने वादे के चलते चौह्वाण निवास से अपने बेटे के साथ निकलने की बात कहती है, जिसके चलते बड़ा हंगामा होता है. दरअसल, सई ने पाखी को जेल से छुड़ाने से पहले कहा था कि अगर पाखी को किसी ने भी छुड़वाया और दोबारा घर में वापस लौटी तो वह चौह्वाण निवास छोड़कर अपने बच्चे विनायक के साथ चली जाएगी. हालांकि विराट उसकी एक नहीं सुनता.

 

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फैंस को आया गुस्सा

सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin Upcoming Episode) के अपकमिंग एपिसोड में जहां सई और विराट के बीच झगड़ा होते हुए नजर आने वाला है, जिसके चलते विराट, सई को सम्राट की मौत का जिम्मेदार कहेगा और उसे अनाथ कहकर बुलाएगा. वहीं फैंस का गुस्सा इस बात से और बढ़ गया है और वह विराट और पाखी के रिश्ते को कोस रहे हैं और कह रहे हैं कि विराट के लिए पत्नी से ज्यादा जरुरी भाभी हो गई है, जिसके चलते फैंस मेकर्स की क्लास लगा रहे हैं. वहीं सई को किसी और के साथ नई जिंदगी की शुरुआत करने की बात कह रहे हैं.

बता दें, सीरियल गुम हैं किसी के प्यार में के मेकर्स कई बार ट्रोलिंग का शिकार हो चुकी हैं. वहीं फैंस शो को बॉयकॉट करने के लिए भी कह चुके हैं. हालांकि मेकर्स सीरियल की कहानी को नया ट्विस्ट देने के चलते अब शो में लीप लाने वाले हैं, जिसके चलते सई का एक्सीडेंट होते हुए नजर आएगा.

Senco Teej Special: तीज के मौके पर सास को दे खूबसूरत गहनों का तोहफा

सास-बहू का रिश्ता बेहद खास होता है, जिसे संवारने के लिए थोड़ी सी कोशिश जरुरी है. भारतीय तीज त्यौहार वो मौका होते हैं जो इन रिश्तों को और करीब लाते हैं. ऐसा ही एक मौका होता है हरितालिका तीज का जहां बहू अपनी सास को बतौर गिफ्ट सुहाग की निशानियां जैसे जेवर और साड़ियां देती हैं.

ज्वैलरी तो हर औरत की पहली पसंद होती है. इसीलिए सेन्को लाया है लेटेस्ट गोल्ड एंड डायमंड्स सेट के कलेक्शन, जिसे आप गिफ्ट करके अपनी सास का दिल जीत सकती हैं.

सेन्को के इस खास कलेक्शन में आपको मिलेंगे एक से बढ़कर एक गोल्ड एंड डायमंड के हैवी नेकलेस, ईयरिंग और झुमके, कंगन, रिंग्स और बहुत कुछ…

सेन्को तीज स्पेशल कॉन्टेस्ट…

आपकी तीज को डबल स्पेशल बनाने के लिए इस बार सेन्को लाया है एक खास मौका, जहां आपको मिल सकते हैं सेन्को की तरफ से खूबसूरत तोहफे, बस आपको लेना होगा सेन्को तीज स्पेशल कॉन्टेस्ट में हिस्सा और देनें होंगे कुछ सवालों के सही जवाब…

सही जवाब देनें वाले चुनिंदा यूजर्स को मिलेगा एक स्पेशल सरप्राइज तो फिर देर किस बात की, नीचे दिए बैनर पर क्लिक कीजिए और बनिए इस कॉन्टेस्ट का हिस्सा और शानदार ईनाम के साथ अपनी तीज को बनाएं यादगार…

कैसे बांझपन का कारण बन सकता है गर्भाशय फाइब्रॉयड

अगर गर्भाशय में किसी भी तरह का  सिस्ट या फाइब्रॉएड है तो ऐसी स्थिति में माँ बनना सम्भव नहीं हो पाता . इसके अलावा ओवरी सिंड्रोम, खून की कमी आदि कई ऐसी बीमारियां है जो हमे देखने मे तो छोटी लगती है पर बच्चा पैदा करने के लिए यही सब समस्याएं बहुत बड़ी बन जाती है.

गर्भाशय में विकसित होने वाले गैर-कैंसरकारी (बिनाइन) गर्भाशय फाइब्रॉयड, महिलाओं के बांझपन के सबसे प्रमुख कारणों में से एक हैं. इस बारे में बता रही हैं डॉ रत्‍ना सक्‍सेना, फर्टिलिटी एक्‍सपर्ट, नोवा साउथेंड आईवीएफ एंड फर्टिलिटी, बिजवासन.

गर्भाशय फाइब्रॉयड, फैलोपियन ट्यूब को बाधित करके या निषेचित अंडे को गर्भाशय में प्रत्यारोपित करने से रोककर प्रजनन क्षमता को बिगाड़ सकता है. गर्भाशय में जगह कम होने के कारण, बड़े फाइब्रॉयड भ्रूण को पूरी तरह से विकसित होने से रोक सकते हैं. फाइब्रॉयड प्लेसेंटा के फटने के जोखिम को बढ़ा सकता है क्योंकि प्लेसेंटा फाइब्रॉयड द्वारा अवरुद्ध हो जाता है और गर्भाशय की दीवार से अलग हो जाता है, जिसकी वजह से भ्रूण को ऑक्सीजन और पोषक तत्व कम मात्रा में मिलते हैं. इससे, समय से पहले जन्म या गर्भपात की संभावना काफी बढ़ जाती है.

गर्भाशय फाइब्रॉयड, गर्भाशय की मांसपेशियों के ऊतकों के बिनाइन (गैर-कैंसरकारी) ट्यूमर हैं. उन्हें मायोमा या लेयोमायोमा के रूप में भी जाना जाता है. फाइब्रॉयड तब बनते हैं जब गर्भाशय की दीवार में एकल पेशी कोशिका कई गुना बढ़ जाती है और एक गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर में बदल जाती है.

फाइब्रॉयड छोटे दाने के आकार से लेकर बड़े आकार के हो सकते हैं, जो गर्भाशय को विकृत और बड़ा करते हैं. फाइब्रॉयड का स्थान, आकार और संख्या निर्धारित करती है कि क्या वे लक्षण पैदा करेंगे या इलाज कराने की जरूरत है.

गर्भाशय फाइब्रायॅड, उनके स्थान के आधार पर वर्गीकृत किये जाते हैं. फाइब्रॉयड को तीन बड़ी श्रेणियों में विभाजित गया है:

1-सबसेरोसल फाइब्रॉयड:

यह गर्भाशय की दीवार के बाहरी हिस्से में विकसित होता है. इस तरह के फाइब्रॉयड ट्यूमर बाहरी हिस्से में विकसित हो सकते हैं और आकार में बढ़ सकते हैं. सबसेरोसल फाइब्रॉयड, ट्यूमर आस-पास के अंगों पर दबाव बढ़ाने लगता है, जिसकी वजह से पेडू (पेल्विक) का दर्द शुरूआती लक्षण के रूप में सामने आता है.

2-इंट्राम्यूरल फाइब्रॉयड:

इंट्राम्यूरल फाइब्रॉयड गर्भाशय की दीवार के अंदर विकसित होता है और वहां बढ़ता है. जब इंट्राम्यूरल फाइब्रॉयड का आकार बढ़ता है तो उसकी वजह से गर्भाशय का आकार सामान्य से ज्यादा हो जाता है. जैसे-जैसे इन फाइब्रॉयड्स का आकार बढ़ता है, उसकी वजह से माहवारी में रक्तस्राव ज्यादा होता है, पेडू (पेल्विक) में दर्द और बार-बार पेशाब जाने की समस्या हो जाती है.

3-सबम्यूकोसल फाइब्रॉयड:

ये फाइब्रॉयड गर्भाशय गुहा की परत के ठीक नीचे बनते हैं. बड़े आकार के सबम्यूकोसल फाइब्रॉयड, गर्भाशय गुहा के आकार को बढ़ा सकता है और फेलोपियन ट्यूब को अवरुद्ध कर सकता है, जिसकी वजह से प्रजनन में समस्याएं होने लगती हैं. इससे जुड़े लक्षणों में शामिल है, माहवारी में अत्यधिक मात्रा में रक्तस्राव और लंबे समय तक माहवारी आना.

कैसे पहचान करें-

पेडू की जांच, लैब टेस्ट और इमेजिंग टेस्ट के जरिये गर्भाशय फाइब्रॉयड का पता लगाया जाता है. इमेजिंग टेस्ट का इस्तेमाल, गर्भाशय की असामान्यताओं का पता लगाने के लिये किया जाता है. इसमें पेट का अल्ट्रासाउंड, योनि का अल्ट्रासाउंड और हिस्टेरोस्कोपी शामिल होती है. हिस्टेरोस्कोपी के दौरान हिस्टेरोस्कोप नाम की एक छोटी, हल्की दूरबीन को सर्विक्स के जरिये गर्भाशय में डाला जाता है. स्लाइन इंजेक्शन के बाद, गर्भाशय गुहा फैल जाएगी, जिससे स्त्रीरोग विशेषज्ञ गर्भाशय की दीवारों और फेलोपियन ट्यूब के मुख की जांच कर पाती हैं. कुछ मामलों में एमआरआई जैसे इमेजिंग टूल्स की जरूरत पड़ सकती है.

उपचार

गर्भाशय फाइब्रॉयड की दवाएं,उन हॉर्मोन्स को लक्षित करती हैं जोकि मासिक चक्र को नियंत्रित करता है, ताकि माहवारी के अत्यधिक रक्तस्राव जैसे लक्षण का उपचार किया जा सके. वैसे तो दवाएं, फाइब्रॉयड को हटा नहीं पातीं, लेकिन उन्हें छोटा कर देती हैं. फाइब्रॉयड्स को हटाने की सर्जरी में पारंपरिक सर्जरी की प्रक्रिया और कम से कम चीर-फाड़ वाली सर्जरी शामिल होती है. “लेप्रोस्कोपिक गाइनकोलॉजिक सर्जरी” जैसी सर्जरी न्यूनतम चीर-फाड़ वाली प्रक्रियाएं होती हैं, जिन्हें बिना ओपन कट किए, गर्भाशय फाइब्रॉयड को सावधानीपूर्वक निकालने के लिये किया जाता है. कैमरे के साथ एक छोटी-सी ट्यूब वाले लेप्रोस्कोप जैसे सर्जरी के उपकरणों को डालने के लिये एक छोटा-सा चीरा लगाया जाता है. इससे स्त्रीरोग विशेषज्ञ को मॉनिटरिंग स्क्रीन पर गाइनेकोलॉजिक अंगों को हर तरफ से देखने में मदद मिलती है. छोटा-सा चीरा लगाकर लेप्रोस्कोपिक सर्जरी करने से दर्द कम होता है और सुरक्षा बढ़ती है, साथ ही साथ ऑपरेशन के बाद की समस्याएं जैसे संक्रमण का दर कम होता है, खून कम बहता है और कम से कम फाइब्रोसिस का निर्माण होता है. सर्जरी के बाद, रोगियों को गर्भधारण के बारे में सोचने से पहले कम से कम एक महीने तक गर्भनिरोधक गोलियां लेने की सलाह दी जाती है.

गर्भाशय फाइब्रॉयड, उच्च एस्ट्रोजन स्तर, गर्भाशय संकुचन, और ओव्यूलेशन डिसफंक्शन जैसी असामान्यताओं का कारण बनता है. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि फाइब्रॉयड फैलोपियन ट्यूब को अवरुद्ध करके और निषेचित अंडे को गर्भाशय में प्रत्यारोपित करने से रोककर प्रजनन क्षमता को बिगाड़ सकता है. इसलिये, फाइब्रॉयड को खत्म करने के लिये उचित और समय पर उपचार महत्वपूर्ण है.

अब मैं समझ गई हूं: क्या रिमू के परिवार को समझा पाया अमन

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Food Special: बच्चों के लिए बनाएं मक्के के मफिन्स

बारिश के मौसम में क्या हर मौसम में मक्के से कई तरह की पकवान बनाए जातें है. जैसे मक्के की रोटी और साग की बात तो ही अलग है उसी तरह अगर मक्के से कुछ हल्का मीठा बन जाए तो फिर बात ही क्या है तो फिर देर किस बात की घर में ही बनाइए मक्के के मफिन्स. यह खाने में बहुत ही टेस्टी और साथ ही हेल्दी भी होते हैं. आप चाहे तो इन्हें बच्चों के टिफिन में भी रख सकती हैं. वो भी बड़े चाव से इन्हें खाएगें.

सामग्री

1. एक कप मक्के का आटा

2. एक कप मैदा

3. एक कप चीनी पाउडर

4. चौथाई छोटी चम्मच बेकिंग पाउडर

5. एक चौथाई छोटी चम्मच बेकिंग सोडा

6. एक कप दही

7. आधा मक्खन

8. एक छोटी चम्मच वनीला एसेंस

9. एक कप टूटी-फ्रूटी

यूं बनाएं

– सबसे पहले एक बडे़ बाउल में मक्के का आटा, मैदा, पाउडर चीनी, बेकिंग पाउडर और बेकिंग सोडा मिलाकर मिक्स कर लें फिर एक दूसरे बाउल में दही, मक्खन, वनीला एसेंस डालकर अच्छे से मिलातें हुये फैंट लें अब इसें पहले बाउल के मिश्रण डालकर अच्छी तरह से मिलाते हुए इसमें टूटी-फ्रूटी डालकर भी मिला ले.

– अब मफिन्स मेकर ले और उनके अंदर से बटर लगाकर चिकना कर लीजिए और सांचों में  तैयार मिश्रण डालकर ओवन को 180 डिग्री से.ग्रे. पर प्रिहीट पर करते हुए मफिन्स ट्रे को ओवन में रख दीजिए और 180 डि. से. पर 10 मिनट के लिए सैट कर दे.

– 10 मिनिट बाद चैक करिए की मफिन्स अच्छे से गोल्डन ब्राउन हो गए हैं कि नही यदि हो गए हैं तो मफिन्स बनकर के तैयार हो गए है. अब इन्हें बाहर निकालकर थोड़ा ठंडा होने के बाद एक प्लेट में निकाल लीजिए.

फेस्टिव सीजन में साड़ी खरीदने के 7 टिप्स

अवनी लगभग प्रत्येक खास अवसर पर साड़ी खरीदती है परन्तु इसके बाद भी जब भी कहीं जाना होता है उसके पास पहनने को साड़ी ही नहीं होती.

इसी प्रकार रक्षा जब भी बाजार जाती है साड़ी जरूर लेकर आती है परन्तु फिर भी हमेशा यही कहती रहती है मेरे पास तो पहनने को कोई ढंग की साड़ी ही नहीं है सब आउट ऑफ फैशन हो गईं हैं.

इस प्रकार की समस्या से हर वो महिला रूबरू होती है जो बिना सोचे समझे बस साड़ी खरीदना है यह सोचकर साड़ी खरीदती हैं. साड़ी भारतीय स्त्रियों का प्रमुख परिधान है. भले ही आज साड़ी का चलन कम हो गया हो परन्तु खास अवसरों पर आज भी महिलाएं साड़ी पहनना ही पसन्द करतीं हैं. साड़ी में महिलाओं का व्यक्तित्व निखर जाता है साथ ही साड़ी प्रत्येक शेप की महिला पर फबती है. आज बाजार में भांति भांति के फेब्रिक और डिजाइन्स में साड़ियां उपलब्ध हैं. बनारसी, चंदेरी, बांधनी महेश्वरी, पोचमपल्ली, कांजीवरम, शिफॉन, जैसी साड़ियां अपने प्रान्त की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करतीं है. साड़ियां कॉटन, सिल्क, सेमी सिल्क और सिंथेटिक जैसे अनेकों फेब्रिक में उपलब्ध हैं. फेस्टिव सीजन प्रारम्भ हो चुका है इस दौरान हम फेस्टिव सीजन पर पहनने के लिए साड़ी खरीदते हैं. आज हम आपको साड़ी खरीदने के कुछ ऐसे टिप्स बता रहे हैं जो साड़ी खरीदने में आपके लिए बहुत मददगार साबित होंगे और एक बार खरीदी गई आपकी साड़ी सालों साल तक पुरानी नहीं होगी-

1. -फैशन को करें नजरंदाज

फैशन तो आता जाता रहता है इसलिए साड़ी खरीदते समय फैशन पर ध्यान न दें. उदाहरण के लिए आज सिमर डिजाइन्स की सिमरी साड़ियां फैशन में हैं परन्तु कुछ समय पहले तक चमकीले बॉर्डर वाली साड़ियां फैशन में थीं. इसलिए फैशन को नजरंदाज करके आप चंदेरी, चिकन, बनारसी और शिफॉन जैसी एवरग्रीन फैब्रिक की साड़ियां खरीदें जो कभी आउट ऑफ फैशन नहीं होतीं.

2. कढाई है फॉरएवर एवरग्रीन

फेब्रिक कोई भी हो पर उस पर रंग बिरंगे धागों से उकेरी गयी फूल पत्तियां और विविध डिजाइन्स साड़ी की खूबसूरती में चार चांद लगा देतीं हैं. इन साड़ियों की विशेषता है कि इन्हें आप बर्थडे, एनिवर्सरी जैसे हल्के फुल्के  अवसरों के साथ साथ शादी ब्याह जैसे बड़े अवसरों पर भी आसानी से कैरी कर सकते हैं.

3. सस्ते के फेर में न पड़ें

जैसा कि हम अपने बड़ों से सुनते आए हैं कि “महंगा रोये एक बार, सस्ता रोये बार बार” भले ही आप चार के स्थान पर दो या एक ही साड़ी खरीदें परन्तु अच्छे फेब्रिक,  ब्रांड और अच्छी दुकान से ही खरीदें ताकि किसी भी प्रकार की दुर्घटना की आशंका न रहे.

4. नकल से बचें

अपनी सहेली या रिश्तेदार की देखादेखी साड़ी खरीदने की अपेक्षा अपनी आवश्यकता और पसन्द को ध्यान में रखकर ही साड़ी खरीदें क्योंकि अक्सर दूसरों की नकल करके खरीदी गई साड़ी बाद में हमे ही पसन्द नहीं आती इसलिए साड़ी खरीदने जाने से पहले आप खुद सुनिश्चित कर लें कि आपको कैसी, किस फेब्रिक की और कितने बजट की साड़ी खरीदनी है.

5. सिल्क है सदाबहार

सिल्क एक ऐसा फैब्रिक है जो कभी भी आउट ऑफ फैशन नहीं होता. यद्यपि प्योर सिल्क काफी मंहगा और हर किसी के बजट में नहीं आ पाता परन्तु आजकल बाजार में सेमी सिल्क, पेपर सिल्क, आर्टिफिशियल सिल्क जैसे अनेकों विकल्प मौजूद हैं जो देखने में सिल्क जैसे ही लगते हैं परन्तु इनके दाम सिल्क की अपेक्षा कम होते हैं.

6. रंग का रखें ध्यान

हर रंग की साड़ी हर किसी पर अच्छी नहीं लगती. सामान्यतया यह माना जाता है कि गोरे और सांवले रंग पर डार्क रंग तथा गहरे रंग की स्किन पर हल्के रंग अच्छे लगते हैं.परन्तु कई बार कुछ रंग हर स्किन टोन पर अच्छे लगते हैं इसलिए साड़ी खरीदते समय अपनी पसन्द के साथ साथ अपने ऊपर फबने वाले रंगों का भी ध्यान रखें.

7. कॉटन और प्लेन भी है खास

यदि आप कैरी कर सकतीं हैं तो कॉटन फेब्रिक से बेहतर कुछ नहीं है क्योकि ये काफी बजट फ्रेंडली होतीं हैं. साथ ही इन्हें पहनकर आप किसी भी अवसर पर अपने व्यक्तित्व में चार चांद लगा सकतीं हैं. किसी भी रंग की प्लेन साड़ी पर आप हैवी ब्लाउज पेयर करके अपनी कम बजट की साड़ी को भी खास बना सकतीं हैं.

रखें कुछ बातों का ध्यान

-साड़ी कोई भी हो उसकी उचित देखभाल अवश्य करें क्योंकि अक्सर देखभाल के अभाव में महंगी से महंगी साड़ियां भी पहनने लायक नहीं रहतीं.

-शिफॉन एक बहुत नाजुक फेब्रिक है, प्योर शिफॉन की साड़ियां बहुत महंगी भी होतीं हैं इन्हें प्रयोग करने के बाद ड्राइक्लीन कराकर पॉली बेग में डालकर या सूती कपड़े में लपेटकर ही रखें वरना इनमें कीड़ा लग जाता है और साड़ी को फाड़ देता है. ये शरीर के पसीने से भी काली पड़ जातीं हैं.

-साड़ी खरीदते समय दुकानदार से उसके रंग और फेब्रिक के बारे में अच्छी तरह पूछताछ कर लें साथ ही उसे ड्राइक्लीन कराना है अथवा हैंडवाश कर सकते हैं यह जानकारी भी लें लें.

-यदि आपका बच्चा छोटा है तो आप कॉटन जॉर्जटबऔर शिफॉन जैसे नाजुक फेब्रिक की साड़ी खरीदने से बचें क्योंकि छोटे बच्चों के साथ इनके फटने की संभावना बढ़ जाती है.

ऐसे संभालें रिश्तों की डोर

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मनुष्य की जिंदगी आत्मकेंद्रित हो कर रह गई है, संयुक्त परिवार का स्थान एकल परिवार ने ले लिया है, कामकाजी दंपती अवकाश में नातेरिश्तेदारों के यहां जाने के बजाय घूमने जाना अधिक पसंद करते हैं. इस का दुष्परिणाम यह होता है कि उन के बच्चे नानानानी, दादादादी, चाचा, ताऊ, बूआ जैसे महत्त्वपूर्ण और निजी रिश्तों से अपरिचित ही रह जाते हैं. यह कटु सत्य है कि इंसान कितना ही पैसा कमा ले, कितना ही घूम ले परिवार और मित्रों के बिना हर खुशी अधूरी है. मातापिता, भाईबहन, दोस्तों की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता. इसीलिए रिश्तों को सहेज कर रखना बेहद आवश्यक है.

जिस प्रकार अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए हम धन का इन्वैस्टमैंट करते हैं उसी प्रकार रिश्तेनातों की जीवंतता बनाए रखने के लिए भी समय, प्यार, परस्पर आवागमन और मेलमिलाप का इन्वैस्टमैंट करना बहुत आवश्यक है. इन के अभाव में कितने ही करीबी रिश्ते क्यों न हों एक न एक दिन अपनी अंतिम सांसें गिनने ही लगते हैं, क्योंकि निर्जीव से चाकू का ही यदि लंबे समय तक प्रयोग न किया जाए तो वह अपनी धार का पैनापन खो देता है. फिर रिश्ते तो जीवित लोगों से होते हैं. यदि उन का पैनापन बनाए रखना है तो सहेजने का प्रयास तो करना ही होगा.

परस्पर आवागमन बेहद जरूरी

रेणु और उस की इकलौती बहन ने तय कर रखा है कि कैसी भी स्थिति हो वे साल में कम से कम 1 बार अवश्य मिलेंगी. इस का सब से अच्छा उपाय उन्होंने निकाला साल में एक बार साथसाथ घूमने जाना. इस से उन के आपसी संबंध बहुत अधिक गहरे हैं. इस के विपरीत रीता और उस की बहन पिछले 5 वर्षों से आपस में नहीं मिली हैं. नतीजा उनके बच्चे आपस में एकदूसरे को जानते तक नहीं.

वास्तव में रिश्तों में प्यार की गर्मजोशी बनाए रखने के लिए एकदूसरे से मिलनाजुलना बहुत आवश्यक है. जब भी किसी नातेरिश्तेदार से मिलने जाएं छोटामोटा उपहार अवश्य ले जाएं. उपहार ले जाने का यह तात्पर्य कदापि नहीं है कि उन्हें आप के उपहार की आवश्यकता है, बल्कि यह तो परस्पर प्यार और अपनत्व से भरी भावनाओं का लेनदेन मात्र है.

संतुलित भाषा का करें प्रयोग

कहावत है आप जैसा बोएंगे वैसा ही काटेंगे. यदि आप दूसरों से कटु भाषा का प्रयोग करेंगे तो दूसरा भी वैसा ही करेगा. मिसेज गुप्ता जब भी मिलती हैं हमेशा यही कहती हैं कि अरे रीमा तुम्हें तो कभी फुरसत ही नहीं मिलती. जरा हमारे घर की तरफ भी नजर कर लिया करो. इसी प्रकार मेरी एक सहेली को जब भी फोन करो तुरंत ताना मारती है कि अरे, आज हमारी याद कैसे आ गई?’’

एक दिन मैं अपनी एक आंटी के यहां मिलने गई. जैसे ही आंटी ने गेट खोला तुरंत तेज स्वर में बोलीं कि अरे प्रतिभा आज आंटी के घर का रास्ता कैसे भूल गईं. उन का ताना सुन कर मेरे आने का सारा जोश हवा हो गया. जबकि मेरे घर के नजदीक ही रहने के बाद भी वे स्वयं न कभी फोन करतीं और न ही आने की जहमत उठाती है. आपसी संबंधों में इस प्रकार के कटाक्ष और व्यंग्ययुक्त भाषा की जगह सदैव प्यार, अपनत्व और विनम्रतायुक्त मीठी वाणी का प्रयोग करें. सदैव प्रयास करें कि आप की वाणी या व्यवहार से किसी की भावनाएं आहत न हों.

संबंध निभाएं

गुप्ता दंपती को यदि कोई बुलाता है तो वे भले ही 10 मिनट को जाएं पर जाते जरूर हैं. कई बार नातेरिश्तेदारों या परिचितों के यहां कोई प्रोग्राम होने पर हम अकसर बहाना बना देते हैं या मूड न होने पर नहीं जाते. यह सही है कि आप के जाने या न जाने से उस प्रोगाम पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, परंतु आप का न जाना संबंधों के प्रति आप की उदासीनता अवश्य प्रदर्शित करता है. यदि किसी परिस्थितिवश आप उस समय नहीं जा पा रहे हैं तो बाद में अवश्य जाएं. किसी भी शुभ अवसर पर जाने का सब से बड़ा लाभ यह होता है कि आप अपने सभी प्रमुख नातेरिश्तेदारों और परिचितों से मिल लेते हैं, जिस से रिश्तों में जीवंतता बनी रहती है.

करें नई तकनीक का प्रयोग

मेरे एक अंकल जो कभी हमारे मकानमालिक हुआ करते थे, उन की आदत है कि वे देश में हों या विदेश में हमारे पूरे परिवार के बर्थडे और हमारी मैरिज ऐनिवर्सरी विश करना कभी नहीं भूलते. उस का ही परिणाम है कि हमें उन से दूर हुए 6 साल हो गए हैं, परंतु हमारे संबंधों में आज भी मिठास है. आज का युग तकनीक का युग है. व्हाट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, वीडियो कौलिंग आदि के माध्यम से आप मीलों दूर विदेश में बसे अपने मित्रों और रिश्तेदारों से संपर्क में रह सकते हैं. सभी का प्रयोग कर के अपने रिश्ते को सुदृढ़ बनाएं. कई बार कार्य की व्यस्तता के कारण लंबे समय तक परिवार में जाना नहीं हो पाता. ऐसे में आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर के आप अपने रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने का प्रयास अवश्य करें.

करें गर्मजोशी से स्वागत

घर आने वाले मेहमानों का गर्मजोशी से स्वागत करें ताकि उन्हें एहसास हो कि आप को उन के आने से खुशी हुई है. शोभना के घर जब भी जाओ हमेशा पहुंच कर ऐसा लगता है कि हम यहां क्यों आ गए? न मुसकान से स्वागत, न खुश हो कर बातचीत, बस उदासीन भाव से चायनाश्ता ला कर टेबल पर रख देती हैं, आप करो या न करो उन की बला से. इस के विपरीत हम जब भी अनिमेशजी के यहां जाते हैं उन पतिपत्नी की खुशी देखते ही बनती है. घर में प्रवेश करते ही खुश हो कर मिलना, गर्मजोशी से स्वागत करना, उन के हावभाव को देख कर ही लगता है कि हां हमारे आने से इन्हें खुशी हुई है.

आप के द्वारा किए गए व्यवहार को देख कर ही आगंतुक दोबारा आने का साहस करेगा.

छोटीछोटी बातों का रखें ध्यान

नमिता के चचिया ससुर आए थे. उसे याद था कि चाचाजी शुगर के पेशैंट हैं. अत: जब वह उन के लिए बिना शकर की चाय ले कर आई तो उस की इस छोटी सी बात पर ही चाचाजी गद्गद हो उठे. रीता की जेठानी आर्थ्राइटिस की मरीज है. अत: उन्हें बाथरूम में ऊंचा पटड़ा चाहिए होता है. उन के आने से पूर्व उस ने उतना ही ऊंचा पटड़ा बाजार से ला कर बाथरूम में रख दिया. जेठानी ने जब देखा तो खुश हो गई.

अर्चना के यहां जब भी कोई आता है वह प्रत्येक सदस्य की पसंद का पूरापूरा ध्यान रखती है. उस के यहां जो भी आता है उस की कोशिश होती है कि उन्हीं की पसंद का भोजन, नाश्ता आदि बनाया जाए.

समय दें

किसी भी मेहमान के आने पर उसे भरपूर समय दें, क्योंकि सामने वाला भी तो अपना कीमती वक्त निकाल कर आप से मिलने पैसे खर्च कर के ही आया है. अनीता जब परिवार सहित अपने भाई के यहां 2-4 दिनों के लिए गई तो भाई अपने औफिस चला गया और भाभी किचन और इकलौते बेटे में ही व्यस्त रही. बस समय पर खाना, नाश्ता टेबल पर लगा दिया मानो किसी होटल में रुके हों. अगले दिन भाई ने औफिस से अवकाश तो लिया पर अपने घर के काम ही निबटाता रहा. अनीता और उस के परिवार के पास बैठ कर 2 बातें करने का किसी के पास वक्त ही नहीं था. 2 दिन एक ही कमरे में बंद रहने के बाद वे अपने घर वापस आ गए, इस कसम के साथ कि अब कभी भी भाई के घर नहीं जाना. इस प्रकार का व्यवहार आपसी संबंधों में कटुता घोलता है. संबंध सदा के लिए खराब हो जाते हैं.

कई बार अपने सब से करीबी का ही जानेअनजाने में किया गया कठोर व्यवहार हमें अंदर तक आहत कर जाता है. अपने साथ किए गए लोगों के अच्छे व्यवहार का सदैव ध्यान रखें और मन को दुखी करने वाले व्यवहार को एक क्षणिक आवेश मान कर भूलना सीखें, क्योंकि जिंदगी आगे बढ़ने का नाम है.

जैसी स्किन वैसी देखभाल

मौसम बदलने लगा है और आने वाले फुहारों के मौसम यानि मौनसून के दौरान हवा में ज्यादा नमी से आपको परेशानी हो सकती है. विशेषरूप से उन्हें जिन की त्वचा तैलीय या मिश्रित होती है. पसीने और तेलस्राव के कारण तैलीय त्वचा और अधिक तैलीय व सुस्त लगने लगती है. जब मौसम गरम और नमीयुक्त होता है तब लाल चकत्ते, फुंसियां, खुले रोमकूप जैसी समस्याएं पैदा होती हैं और गंदगी त्वचा पर जमने लगती है.

तरोताजा त्वचा के लिए

पसीने और तेल से मुक्त होने के लिए मौनसून में त्वचा को साफ और तरोताजा करना बहुत जरूरी होता है. स्क्रब की सहायता से रोमकूपों की गहरी सफाई करने से त्वचा अवरुद्ध नहीं होती और मुंहासों से भी बचाव होता है. टोनिंग के जरिए भी त्वचा को तरोताजा बनाने और रोमकूपों को बंद करने में मदद मिलती है.

फेशियल स्क्रब का प्रयोग सप्ताह में 2 बार करें. इसे चेहरे पर लगाएं और धीरेधीरे गोलाई में त्वचा पर रगड़ें. फिर साफ पानी से धो लें. आप चाहें तो दही में चावल का आटा या पिसे बादाम मिला कर घर में ही फेशियल स्क्रब तैयार कर सकती हैं. स्क्रब में सूखे नीबू का चूर्ण या फिर संतरे के छिलकों का चूर्ण भी मिला सकती हैं.

– ध्यान रखें कि मुंहासे और संवेदनशील त्वचा होने पर स्क्रब का प्रयोग न करें. मुंहासों से छुटकारा पाने के लिए ओट्स और अंडे की सफेदी के मिश्रण का सप्ताह में 2 बार प्रयोग करें.

– इस मौसम में फूलों से बने किसी त्वचा टौनिक या फ्रैशनर का इस्तेमाल उपयोगी साबित होता है. गुलाबजल एक नैसर्गिक टोनर है. रुई पैड को गुलाबजल में भिगो कर या त्वचा टौनिक को फ्रिज में रखें. त्वचा को स्वच्छ और तरोताजा बनाने के लिए इससे चेहरे को साफ करें. घर से बाहर निकलते समय नम टिशू साथ ले जाएं. नम टिशू से चेहरा साफ करने के बाद कौंपैक्ट पाउडर लगाएं. इस से त्वचा की ताजगी बढ़ेगी और वह तैलीय भी नजर नहीं आएगी.

– अगर लाल चकत्ते, मुंहासे या फुंसियां हों तो सुबह और रात रोज 2 बार औषधीय साबुन या क्लींजर से चेहरा धोएं. एक कसैला लोशन खरीदें और उस में बराबर मात्रा में गुलाबजल मिला लें. रुई की सहायता से इस से दिन में 4-5 बार चेहरा साफ करें. फुंसियों पर चंदन का पेस्ट लगाएं.

– बारिश के मौसम में चेहरे को सादे पानी से कई बार धोएं. दिन भर त्वचा पर जो मैल एकत्रित हो जाती है उस की सफाई रात में जरूर करें. मौनसून के दिनों में शरीर से पानी पसीने के रूप में बाहर निकलता है. इसलिए शरीर में पर्याप्त पानी मौजूद रहे, इस के लिए अधिक मात्रा में पानी पीएं.

– गरम चाय की जगह आइस टी में नीबू रस और शहद मिला कर पीएं.

– त्वचा सामान्य हो या तैलीय, ऐसे फेसवाश का प्रयोग करें, जिस में नीम और तुलसी जैसे तत्त्व हों.

सही निखार पाना है, तो अपनी त्वचा के प्रकार के अनुसार ही उस की साफसफाई का ध्यान भी रखना होगा.

तैलीय त्वचा

त्वचा के तैलीय होने से अकसर मुंहासों, फुंसियों और लाल चकत्तों की समस्या हो

जाती है.

त्वचा की सफाई : बेसन और दही का पेस्ट तैयार कर चेहरे पर लगाएं. 20 मिनट के बाद चेहरे को धो लें. सूखी पुदीनापत्ती का चूर्ण भी इस पेस्ट में मिला सकती हैं.

तैलीय त्वचा के लिए टोनर : गुलाबजल और खीरे का रस बराबर मात्रा में ले कर चेहरे पर लगाएं. 20 मिनट बाद चेहरा पानी से धो लें.

सामान्य त्वचा

बादाम का चूर्ण दही में मिला कर चेहरे पर लगाएं. 15 मिनट बाद पानी से इसे गोलाकार मलें. फिर चेहरा पानी से धो लें.

– 2 चम्मच शहद, थोड़ाथोड़ा दूध, गुलाबजल और सूखे नीबू के चूर्ण का पेस्ट बनाएं. इसे हफ्ते में 2 या 3 बार चेहरे और गरदन पर लगाएं. 20 मिनट के बाद धो लें.

शुष्क त्वचा

2 चम्मच बादाम चूर्ण में 1 चम्मच शहद मिला कर चेहरे पर लगाएं और 5 मिनट बाद हलके हाथ से रगड़ने के बाद चेहरे को पानी से धो लें.

सामान्य एवं शुष्क त्वचा के लिए टोनर : 100 एमएल गुलाबजल में 1/2 चम्मच ग्लिसरीन मिला कर कांच की बोतल में भर कर अच्छी तरह हिला लें. फिर फ्रिज में रख दें. रोज इस्तेमाल करें.

शुष्क त्वचा के लिए मास्क : 3 चम्मच चोकर, 1 चम्मच बादाम चूर्ण और 1 अंडे की सफेदी को मिला कर उस में 1-1 चम्मच शहद और दही डाल कर पेस्ट तैयार करें. इसे सप्ताह में 1 या 2 बार चेहरे पर लगाएं. आधे घंटे के बाद चेहरा धो लें.

मुंहासों वाली त्वचा

अगर त्वचा तैलीय है और जल्दीजल्दी मुंहासे निकलते हैं, तो तैलीय क्रीम और मौइश्चराइजर का इस्तेमाल न करें. अगर त्वचा सूखी महसूस होती है तो अकसर यह ऊपरी परत की कृत्रिम शुष्कता होती है. इस से छुटकारा पाने के लिए निम्न तरीके अपनाएं :

– औषधीय क्लींजर या फेसवाश से सफाई करें. मुंहासे पर चंदन का पेस्ट लगाएं या चंदन के पेस्ट को गुलाबजल के साथ मिला कर पूरे चेहरे पर लगाएं. 20-30 मिनट के बाद चेहरे को पानी से धो लें.

– नीम के कुछ पत्तों को 4 कप पानी में हलकी आंच पर 1 घंटे तक उबालें. रात भर उसे छोड़ दें. सुबह छान कर पानी से चेहरा धोएं और पत्तियों का पेस्ट बना कर चेहरे पर लगाएं.

क्या करें

दिन में ठंडे पानी से चेहरे को कई बार धोएं.

– रोमकूपों को बंद करने के लिए शीतल त्वचा टौनिक या गुलाबजल से टोन करें.

– सप्ताह में एक फेशियल स्क्रब का 2 बार प्रयोग करें.

. मेकअप, पसीने और तेल को हटाने के लिए रात में त्वचा की सफाई करें.

. त्वचा को ताजगी प्रदान करने के लिए कई बार चेहरे को नम टिशू से पोंछें.

क्या न करें

– भुना या भारी स्टार्च युक्त आहार लेने से बचें.

– तैलीय और मुंहासों वाली त्वचा के लिए क्रीम या मौइश्चराइजर का प्रयोग न करें.

– साबुन और पानी से दिन में 3 बार से अधिक मुंह न धोएं.

– हाथों को धोए बिना चेहरा न छुएं और न ही मुंहासों या फुंसियों को कुरेदने की कोशिश करें.

मौनसून फेस पैक

– मुलतानी मिट्टी चेहरे को ठंडक पहुंचाती है और तेल को सोखती है. 1 चम्मच मुलतानी मिट्टी को गुलाबजल में मिला कर चेहरे पर लगाएं. 15-20 मिनट बाद चेहरा धो लें.

– खीरे के रस या गूदे में 2 चम्मच मिल्क पाउडर और 1 अंडे की सफेदी मिलाएं. फिर ब्लैंडर में पेस्ट बनाएं. चेहरे और गरदन पर लगाएं. आधे घंटे के बाद चेहरा धो लें.

– नीबू के रस को पानी में मिला कर आइस क्यूब ट्रे में रख कर फ्रीज करें. जब भी ताजगी की जरूरत महसूस हो, एक क्यूब को चेहरे पर हलके से फिराएं और फिर रुई से पोछ लें. इस से तैलीय पदार्थ कम होता है और त्वचा को ताजगी मिलती है.

– अंडे की सफेदी, नीबू रस और शहद को मिला कर चेहरे पर मास्क की तरह लगाएं. 20 मिनट बाद चेहरा धो लें.

– 1 चम्मच शहद, 15 बूंदें संतरे का रस, 1 चम्मच ओट्स और 1 चम्मच गुलाबजल को मिलाएं. इसे चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट के बाद चेहरा धो लें. इससे तैलीय पदार्थ दूर होते हैं और चमक बढ़ती है.

– सेब, पपीता, संतरा जैसे फलों को मिला कर चेहरे पर लगाया जा सकता है. 20-30 मिनट के बाद चेहरा पानी से धो लें.

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