Summer Special: आंध्र प्रदेश के 5 खूबसूरत समुद्र तट

आंध्र प्रदेश को प्रकृति ने कई समुद्र तट उपहार में दिए हैं, जिन की तट रेखा बंगाल की खाड़ी से लगती है. छुट्टियों में दक्षिण भारत के कुछ खूबसूरत समुद्र तटों का आनंद लेने के लिए अपनी यात्रा की योजना बना लें…

1. येरादा समुद्र तट

येरादा समुद्र तट, जिस की तटरेखा आंध्र प्रदेश की दूसरी सब से बड़ी तट रेखा है. यह पहाड़ियों और बंगाल की खाड़ी से घिरा है. यह घरेलू और विदेशी पर्यटकों की छुट्टियां बिताने की पसंदीदा जगह है. यह समुद्र तट हरी-भरी वनस्पतियों और नर्म सुनहरी रेत से सजा है, जिस के बीच ब्लैक मोर्स हिल पर डौल्फिंस नोज लाइटहाउस स्थित है. इस स्थान की खूबसूरत छटा को निहारने के लिए प्रकृति प्रेमियों के यहां आने का उपयुक्त समय अक्तूबर से मार्च के बीच है.

2. रामकृष्ण समुद्र तट

रामकृष्ण समुद्र तट ‘आर के बीच’ के नाम से लोकप्रिय है. यह विशाखापट्टनम के लोकप्रिय स्थानों में से एक है. यह खूबसूरत समुद्र तट भारत के कोरोमंडल तट का विस्तार है. देश के विभिन्न हिस्सों से पर्यटक समुद्र स्नान, वाटर स्पोर्ट्स एवं तट रेखा के किनारे-किनारे तेज चलने के लिए इस स्थान पर आते हैं. रामकृष्ण समुद्र तट के चारों ओर कई बेहतरीन पर्यटन स्थल हैं जैसे ऐक्वेरियम, विशाखा म्यूजियम, सबमैरिन म्यूजियम और वाटर मैमोरियल.

3. कलिंगपटनम समुद्र तट

कलिंगपटनम समुद्र तट आंध्र प्रदेश के प्राचीन बंदरगाह शहरों में से एक है, जो खूबसूरत लोक शैली के मंदिरों, आकर्षक रंगों में रंगे बंगलों और फूलदार वृक्षों से सुशोभित है. यहां का पानी नीला है और समुद्र तट स्वच्छ है, जिस की छटा इस की सुनहरी रेत के चलते और अधिक बढ़ जाती है. इस समुद्र तट को ‘ओपन रोड सी’ के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि सड़क समुद्र तक पहुंच कर समाप्त हो जाती है. कलिंगपटनम का समुद्र तट आराम के पल बिताने के लिए सब से उपयुक्त स्थान है.

4. ऋषिकोंडा समुद्र तट

ऋषिकोंडा बीच लोगों के घूमनेफिरने के लिए उपयुक्त स्थान है. यह छोटा है व एकांत में स्थित है. दूर तक फैली रेत और समुद्र की आनंददायक लहरें इस समुद्र तट को यकीनन देखने लायक बनाती हैं. इस का स्वच्छ, निर्मल नीला पानी स्नान करने वालों को लुभाता है, लेकिन तीव्र धाराओं के चलते यहां तैरने पर प्रतिबंध है. ऋषिकोंडा समुद्र तट की शांति व नीरवता अद्भुत है.

5. भीमुनिपटनम समुद्र तट

भीमुनिपटनम समुद्र तट आंध्र प्रदेश के उत्कृष्ट पर्यटन स्थलों में से एक है. इस समुद्र तट का माहौल शांत एवं निर्मल है. यह यहां आने वालों के लिए संपूर्ण मनोरंजन भी सुनिश्चित करता है. एक तरफ हरेभरे नारियल के पेड़ तो दूसरी तरफ इस की सुनहरी रेत इसे आकर्षक रूप प्रदान करती है. डच कब्रिस्तान, प्राचीन क्लौक टावर, लाइटहाउस, पेंट की हुई मूर्तियों की विभिन्न प्रदर्शनियां और बौद्ध सन्यासियों की विभिन्न प्रदर्शनियां इसे जिंदादिल बनाती हैं. कुछ शांतिपूर्ण पल बिताने के इच्छुक पर्यटकों के लिए यह बेहद शांतिप्रद जगह है.

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तलाक के बाद- भाग 2: क्या स्मिता को मिला जीवनसाथी

राजीव तिलमिला कर रह गया था. फिर भी वह शांत भाव से बोला, ‘मांबाप हमारे ऊपर बोझ नहीं हैं. यह हमारा पुश्तैनी घर है. उन से अलग रह कर मेरा खर्च दोगुना हो जाएगा. यह बात तुम्हारी समझ में नहीं आती?’

‘तो क्या तुम मेरा और अपना खर्चज़्नहीं उठा सकते?’

‘उठा सकता हूं, मगर अलग रह कर नहीं,’ राजीव ने साफसाफ कहा.

‘तुम मेरा खर्च नहीं उठा सकते तो शादी क्यों की थी? समझ में नहीं आता, लोग कमाते एक धेला भी नहीं, लेकिन सुंदर पत्नी की कामना करते हैं. इस से अच्छा तो कुंआरे रहते?’

‘स्मिता, तुम बात का बतंगड़ क्यों बना रही हो. मेरे पापा को इतनी पैंशन मिलती है कि वे अपना खर्चज़्खुद उठा सकें. वे मेरी तनख्वाह का एक पैसा नहीं लेते, लेकिन जो शौक तुम ने पाल रखे हैं, उन में मेरी तनख्वाह 15 दिन भी नहीं चलती. बाक़ी महीने का खर्च कहां से आएगा. खाने के अलावा घर के और भी खर्चेज़्हैं.’

‘यह तुम जानो, यह तुम्हारा घर है. घर का खर्चज़्चलाना भी तुम्हारा काम है.’

‘सही है, लेकिन अनापशनाप खर्चों से घर नहीं चलता, बल्कि बरबादी आती है.’

‘तो मैं अनापशनाप खर्चज़्करती हूं, खाना ही तो खाती हूं, और क्या? मैं सब समझती हूं, पैसे बचा कर मांबाप को देते हो. अब ऐसा नहीं चलेगा. आइंदा से तनख्वाह मेरे हाथ में रखा करोगे, तब मैं देखती हूं, घरखर्चज़्कैसे नहीं चलता.’

राजीव मान गया. उस ने अगले महीने की पूरी तनख्वाह स्मिता के हाथ में रख दी, ‘यह लो, इस में 5 हजार रुपए निकाल देना. मैं ने एक पौलिसी ले रखी है. इस के अलावा मेरा स्कूल आनेजाने का खर्च 3 हजार रुपए है. बाकी तुम रख लो और घर चलाओ.’

राजीव को 8 हजार रुपए दे कर बाकी पैसे स्मिता ने रख लिए. पैसे हाथ में आते ही वह मनमानी पर उतर आई. बिना कुछ सोचेविचारे उस ने खानेपीने की चीजों और अपने लिए कपड़े खरीद कर एक हफ्ते में ही राजीव की पूरी तनख्वाह खत्म कर दी.

‘तुम्हें तनख्वाह इतनी कम मिलती है, मुझे पता नहीं था. वह तो एक हफ्ते भी नहीं चली,’ स्मिता ने जैसे राजीव पर एहसान करते हुए कहा, ‘बाकी महीना कैसे चलेगा?’

राजीव ने तब भरी निगाहों से उसे देखा था, ‘40 हजार रुपए कम नहीं होते. इतने में 10 आदमी बड़े आराम से एक महीना दालरोटी खा सकते हैं. लेकिन तुम्हारी बेवकूफी से 40 हजार रुपए एक हफ्ते में खर्च हो गए. अब घर में बैठ कर दालरोटी खाओ.’

राजीव की आवाज सख्त नहीं थी, लेकिन उस में थोड़ी तल्खी थी. उसे लगा कि राजीव उसे डांटेगा, इसलिए वह पहले ही लगभग चीख कर बोली, ‘पता नहीं कैसे भिखमंगों के घर में मांबाप ने मुझे ब्याह दिया. इतने अच्छेअच्छे रिश्ते मेरे लिए आए थे, लेकिन उन्हें यह टुटपुंजिया स्कूलमास्टर पसंद आया.’

‘स्मिता, तुम हालात को समझने की कोशिश करो. अमीर से अमीर आदमी भी होटल का खाना खाने से एक दिन कंगाल हो जाता है. तुम घर में खाना बना लिया करो.’

‘मैं इस घर के किचन में अपनी आंखें नहीं फोड़ूंगी. मुझे कहीं से भी पैसे ला कर दो, लेकिन मुझे पैसे चाहिए. मैं एक भिखारिन की तरह इस घर में नहीं रह सकती,’ और वह पैर पटकती हुई बैडरूम में चली गई.

रात में राजीव उसे मना रहा था, ‘स्मिता, मैं समझ सकता हूं कि शादी के पहले तुम्हारी अलग जिंदगी थी, लेकिन शादी के बाद हर लड़की को ससुराल की हालत के अनुसार खुद को ढालना पड़ता है.’

‘मुझे उपदेश देने की जरूरत नहीं है. अगर तुम मेरा खर्च नहीं उठा सकते तो मुझे तलाक दे दो. अभी भी मुझे अच्छा घरवर मिल जाएगा,’ स्मिता ने एेंठ कर कहा.

राजीव तब सन्न रह गया था. इस मुद्दे पर उस ने स्मिता से कोई बहस नहीं की.

स्मिता रोज राजीव से पैसे की मांग करती, लेकिन वह मना कर देता.

एक दिन खीझ कर स्मिता ने कहा, ‘कंगाल आदमी, लो संभालो अपना घर, मैं जाती हूं.’ उस ने तैश में अपने कपड़ेलत्ते समेटे और जातेजाते फिर बोली, ‘जिस दिन मेरे खर्चज़्लायक कमाने लगो, मुझे विदा कराने आ जाना, लेकिन उस के पहले मांबाप से अलग रहने का इंतजाम कर लेना.’

राजीव और उस की मां ने उसे कितना मनाने की कोशिश की, यह याद आते ही स्मिता की आंखों में आंसू आ गए. सोचसोच कर वह दुखी होने लगी, लेकिन अब दुखी होने से क्या फायदा? आज जिस हालत में वह थी, उस की जिम्मेदार तो वह खुद थी.

पार्क की बैंचों पर और पेड़ों के नीचे अब लड़केलड़कियों की तादाद बढ़ने लगी थी. स्मिता ने अपने चारों तरफ  निगाह डाली. लड़के और लड़कियां खुले प्यार का आदानप्रदान कर रहे थे. उस ने एक लंबी सांस ली. उसे कुछ अजीब सा लगने लगा था और वह उठ कर पार्क के बाहर आ गई. शाम होने में अभी थोड़ी देर थी. उस ने अपने घर की तरफ का रुख किया.

रास्ते पर चलते हुए वह फिर उन्हीं विचारों में खो गई, जिन विचारों के दरिया से वह न जाने कितनी बार तैर कर बाहर आई थी.

पति का घर छोड़ कर अपने मायके आई तो मांबाप को बहुत हैरानी हुई. भाई भी परेशान हो गया. सब ने मिलबैठ कर उस से कारण पूछा, तो उस ने बस इतना कहा, ‘अब मैं उस कंगाल घर में नहीं जाऊंगी. आप लोगों ने अपने मन की कर ली, मुझे ब्याह कर आप लोग अपनी जिम्मेदारी से फ्री हो गए. लेकिन अब मुझे अपने ढंग से जीवन जीने दो. मैं राजीव से तलाक चाहती हूं.’

‘तलाक…’ सब के मुंह से एकसाथ निकला. कुछ देर सब मुंहबाए स्मिता का मुंह देखते रहे. फिर मां ने पूछा, ‘ऐसा क्या हो गया तुम्हारे साथ ससुराल में, जो 2 महीने बाद ही तुम तलाक लेने पर उतर आई?’

‘यह पूछो कि क्या नहीं हुआ? छोटे और गरीब लोगों के घर में मुझे ब्याहते हुए आप को शर्म नहीं आई? आप ने यह तक नहीं सोचा कि उस घर में आप की बेटी गुजारा कैसे करेगी? इतने प्यार से मुझे पालपोस कर बड़ा किया. मेरी हर जरूरत पूरी की, ऊंची शिक्षा दी. इस के बाद भी क्या मेरी जिंदगी में वही टुच्चा घर बचा था.’

‘बेटा, यह क्या कह रही हो? वे तुम्हारा खर्च क्यों नहीं उठा पा रहे हैं. तुम्हारे ऐसे कौन से खर्चे हैं, जो उन के बूते में नहीं हैं. अच्छाखासा खातापीता परिवार है,’ उस के पिता ने पूछा.

‘बेटी, ऐसी क्या बात हो गई जो तुम अपने पति से तलाक लेना चाहती हो? हमें कुछ बताओ तो हमें पता भी चले. मैं ने तुम्हें यह शिक्षा तो नहीं दी थी. बस, अलग रहने के लिए कहा था,’ उस के जवाब देने के पहले ही मां ने सवाल दाग दिया.

‘मैं ने कह दिया कि मुझे उस घर में अब लौट कर नहीं जाना, बस. मैं तलाक ले कर दूसरी जगह शादी करूंगी, इस बार खुद घरबार देख कर,’ उस ने अपना अंतिम फैसला सुना दिया. उस ने न किसी की सुनी, और न किसी की चलने दी. तब उस के पिता नौकरी करते थे, भाई भी नौकरी करने लगा था. मां गृहिणी थी. उस के खानेपीने की कोई परेशानी नहीं थी.

मायके लौटने के दूसरे महीने ही उस ने वकील से सलाह ले कर कोर्टज़्में तलाक का मुकदमा दायर कर दिया. नोटिस मिलने पर राजीव उस से मिलने आया था. वह उस से घर लौट कर चलने के लिए बहुत मिन्नत कर रहा था, लेकिन स्मिता ने उस से साफसाफ कह दिया था, ‘क्या आप ने अलग घर ले लिया है?’

‘नहीं स्मिता, मैं अपने मांबाप से अलग रहने के बारे में सोच भी नहीं सकता. बचकानी हरकत मत करो. इस से हम दोनों का जीवन बरबाद हो जाएगा.’

लेकिन उस ने समझने की कोशिश नहीं की. ऐंठ कर बोली, ‘तो फिर तलाक के लिए तैयार रहो.’

आगे पढ़ें- स्मिता तब यह बात नहीं समझी थी…

ब्रैस्ट कैंसर का शिकार हुई टीवी एक्ट्रेस Chhavi Mittal, शेयर किया मैसेज

बौलीवुड हो या टीवी एक्ट्रेसेस खुलकर अपनी बीमारियों का खुलासा नहीं कर पाती. लेकिन अब समय बदल गया है. एक्ट्रेसेस अपने दर्द को फैंस के साथ शेयर करने से नहीं कतरातीं. इसी बीच एक्ट्रेस छवि मित्तल (Chhavi Mittal) ने अपनी ब्रैस्ट कैंसर से जूझने की बात फैंस के साथ शेयर की है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

एक्ट्रेस को हुआ कैंसर

 

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तुम्हारी दिशा, नागिन, विरासत और घर की लक्ष्मी बेटियां जैसे टीवी शोज का हिस्सा रह चुकीं एक्ट्रेस छवि मित्तल ने अपने औफिशियल इंस्टाग्राम पर एक फोटो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा- ‘डियर ब्रेस्ट, यह पोस्ट तुम्हारी तारीफ में है. पहली बार मैंने तुम्हारा जादू देखा था जब तुमने मुझे बहुत खुशी दी थी. लेकिन तुम्हारा महत्व और बढ़ गया जब तुमने मेरे दोनों बच्चों को फीड किया. आज तुम्हारे साथ खड़े होने की मेरी बारी है, जब तुम से एक ब्रेस्ट कैंसर से लड़ रहा है. ऐसा होना अच्छी बात नहीं है, लेकिन इसके लिए मेरे हौसले पस्त करने की जरूरत नहीं है. यह आसान नहीं है, लेकिन यह बहुत मुश्किल भी नहीं होना चाहिए. हो सकता है कि मैं फिर से वैसी न दिखूं, लेकिन इससे मुझे अलग महसूस कराने की जरूरत नहीं है. सभी ब्रेस्ट कैंसर सरवाइवर्स को चीयर्स. आपको पता नहीं है कि आज मैं आपसे कितनी प्रेरणा लेती हूं.’

फैंस ने की दुआ

 

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एक्ट्रेस छवि मित्तल के पोस्ट शेयर करते ही फैंस और सेलेब्स के दुआओं भरे मैसेज देखने को मिल रहे हैं. वहीं फैंस उन्हें हौंसला रखने की बात कह रहे हैं. बता दें, एक्ट्रेस को अपनी बीमारी का पता 20 दिन पहले लगा था, जिसके बाद पूरी जांच पड़ताल के बाद उनके बीमारी के इलाज की तैयारी की गई.

 

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बता दें, टीवी एक्ट्रेस छवि मित्तल से पहले कई सेलेब्स इस बीमारी का दर्द झेल चुकी हैं, जिसमें बौलीवुड एक्टर आयुष्मान खुराना की वाइफ ताहिरा कश्यप, टीवी एक्ट्रेस शगुफ्ता अली को ब्रैसर कैंसर हुआ था. हालांकि कई सालों के बाद इन सेलेब्स ने जंग जीत ली है.

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Anupama की शादी के दिन वनराज करेगा सुसाइड! पढ़ें खबर

टीआरपी चार्ट्स में पहले नंबर पर बना रहने वाला सीरियल अनुपमा (Anupama) में इन दिनों रोमांस और शादी का माहौल देखने को मिल रहा है. हालांकि काव्या और वनराज के बीच दूरियां भी देखने को मिल रही है, जिसके चलते अपकमिंग एपिसोड में मेकर्स बड़ा ट्विस्ट लाने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

 पाखी भी हुई शादी में शामिल

 

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अब तक आपने देखा, अनुपमा अपनी शादी के खर्च के लिए बापूजी को चेक देती है. वहीं अनुपमा, बापूजी से शादी में अपने अरमानों को पूरा करने के लिए कहती है, जिसे सुनकर इमोशनल हो जाते हैं. वहीं पाखी भी अनुपमा की शादी में शामिल होने के लिए तैयार हो जाती है, जिसे सुनकर अनुपमा बेहद खुश होती है. दरअसल, बा, वनराज और तोषू के अलावा पाखी भी अनुपमा की शादी के खिलाफ होती है. लेकिन समर और किंजल के समझाने पर उसे गलती का एहसास हो जाता है.

 

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वनराज करेगा सुसाइड

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि बा और वनराज के अलावा शाह परिवार के सभी लोग अनुपमा की शादी की रस्मों में शामिल होंगे. वहीं वनराज से तंग आकर काव्या काव्या तलाक लेने का फैसला करेगी. वहीं अपनी जिंदगी में नाकाम होता देख वनराज परेशान होता नजर आएगा. इसी बीच खबरे हैं कि अनुपमा और अनुज की शादी के दिन वनराज नींद की गोलियां खाकर सुसाइड करने की कोशिश करेगा, जिसके चलते एक बार बा का अनुपमा पर गुस्सा परसेगा और वह शादी की रस्मों को खराब कर देंगी.

 

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तोषू को ये बात कहेगा वनराज

 

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इसके अलावा आप देखेंगे कि पाखी के शादी में शामिल होने की बात सुनकर तोषू, मां अनुपमा की ख्याल रखना और मालविका का नौकरी रखने जैसी पुरानी बाते याद करेगा. वहीं वनराज का अपमान करना भी उसे याद आएगा. दूसरी तरफ, वनराज, तोषू से मिलकर  कहेगा कि पाखी के शादी में शामिल होने के लिए सहमत होने की खुशी उसने अनुपमा की खुशी चेहरे पर देखी. इसी लिए वह तोषू को भी शादी में शामिल होने के लिए कहता है और पिता के नक्शे कदम पर चलने के लिए मना करता है.

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कुछ महीनों से सीढि़यां चढ़ने में मेरी सांस बहुत फूलने लगती है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 42 वर्षीय कामकाजी महिला हूं. पिछले कुछ महीनों से सीढि़यां चढ़ने में मेरी सांस बहुत फूलने लगती है. मैं क्या करूं?

जवाब-

सांस फूलने का मतलब है कि शरीर को पर्याप्त मात्रा में औक्सीजन नहीं मिल पा रही है, जिस से फेफड़ों पर दबाव पड़ता है और वे औक्सीजन पाने के लिए सांस की गति को बढ़ा देते हैं. सांस फूलने की समस्या कई कारणों से हो सकती है जिन में मोटापा, हृदयरोग, शरीर में पानी की कमी, श्वसनतंत्र से संबंधित समस्याएं जैसे छाती का संक्रमण, ब्रोंकाइटिस, सांस की नली में रुकावट, अस्थमा, फेफड़ों का कैंसर आदि. इस के उपचार के लिए इस का कारण जानना बहुत जरूरी है. आप किसी डाक्टर को दिखाएं. अगर समय रहते इस समस्या का उपचार नहीं किया जाए तो यह घातक हो सकती है.

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पहले तो हार्ट अटैक बड़ी उम्र के लोगों में देखा जाता था पर पिछले 2 सालों से कम उम्र के युवा इसका शिकार होने लगे हैं. स्टडी है कि हर मिनिट में 3 से 4 भारतीय जिनकी उम्र 30 से 50 के मध्य है वो एक सीवियर हार्ट अटैक से गुजरते हैं .साउथ एशिया के लोग अन्य किसी भी जगह के लोगों की अपेक्षा ज्यादा हार्ट अटैक झेलते हैं .क्योंकि ये हाई ब्लड प्रेशर, टाइप टू डायबिटीज और बढ़े कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित होते हैं.आखिर क्या कारण है कि युवा इतनी कम उम्र में दिल के मरीज़ हो जा रहे हैं तो आइए इसके कारण जानते हैं.

मानसिक तनाव –

आजकल युवा मानसिक रूप से अधिक परेशान होते हैं .धैर्य की कमी और काम के दौरान य्या उसकी वजह से होने वाले तनाव के कारण एंग्जायटी डिसऑर्डर होंना एक आम समस्या हो गई है .एंग्जायटी के कारण स्ट्रेस के लिए जिम्मेदार हार्मोन कार्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है जिस से हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है.

लाइफ स्टाइल –

आजकल के युवाओं की जीवन शैली बहुत ही अलग हो गई है जिसके कारण उन्हें कईं बीमारियों का सामना करना पड़ता है जिनमे हार्ट अटैक भी एक है. देर रात तक जागना और काम करना सुबह सुबह सोना ये सब हाइपरटेंशन को बढ़ा देता है जिस से हार्ट अटैक की संभावना को बढ़ जाती है.बहुत देर तक फिजिकल वर्क नहीं करना भी सेहत पर विपरीत प्रभाव डालता है.आजकल समय की कमी के कारण चलना फिरना न के बराबर हो गया है.एक्सरसाइज नहीं करने से डायबिटीज और ओबेसिटी का खतरा बढ़ जाता है.जब ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ता है तो क्लॉट होने के चांस बढ़ जाते हैं जिस से हार्ट अटैक आ सकता है.ये आर्टरीज की दीवारों में सूजन का कारण बनता है जिस से हार्ट अटैक हो सकता है. घर से आफिस गाड़ी में जाना और वहाँ भी बैठे हुए काम करना भी सेहत के लिए हानिकारक है.वैसे ही हमारे देश को डायबिटीज कैपिटल के रूप में जाना जाता है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- क्यों होते हैं कम उम्र में हार्ट अटैक

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

शादी के बाद भी जिएं आजादी से

स्वाति की नईनई शादी हुई है. वह मेहुल को 5 सालों से जानती है. दोनों ने एकदूसरे को जानासमझा तो दोनों को ही लगा कि वे एकदूसरे के लिए ही बने हैं. फिर अभिभावकों की मरजी से विवाह करने का निर्णय ले लिया. लेकिन आजाद खयाल की स्वाति ने विवाह से पहले ही मेहुल के सामने अपनी सारी टर्म्स ऐंड कंडीशंस ठीक वैसे ही रखीं जैसे कोई बिजनैस डील करते समय 2 लोग एकदूसरे के सामने रखते हैं. हालांकि ये लिखी नहीं गईं पर बातोंबातों में स्पष्ट कर दी गईं.

आइए, जरा स्वाति की टर्म्स ऐंड कंडीशंस पर एक नजर डालते हैं:

  1. शादी के बाद भी मैं वैसे ही रहूंगी जैसे शादी से पहले रहती आई हूं. मसलन, मेरे पढ़ने, पहननेओढ़ने, घूमनेफिरने, जागनेसोने के समय पर कोई पाबंदी नहीं होगी.
  2. तुम्हारे रिश्तेदारों की आवभगत की जिम्मेदारी मेरी अकेली की नहीं होगी.
  3. अगर मुझे औफिस से आने में देर हो जाए, तो तुम या तुम्हारे परिवार वाले मुझ से यह सवाल नहीं करेंगे कि देर क्यों हुई?
  4. मुझ से उम्मीद न करना कि मैं सुबहसुबह उठ कर तुम्हारे लिए पुराने जमाने की बीवी की तरह बैड टी बना कर कहूंगी कि जानू, जाग जाओ सुबह हो गई है.
  5. मेरे फाइनैंशियल मैटर्स में तुम दखल नहीं दोगे यानी जो मेरा है वह मेरा रहेगा और जो तुम्हारा है वह हमारा हो जाएगा.
  6. अपने मायके वालों के लिए जैसा मैं पहले से करती आ रही हूं वैसा ही करती रहूंगी. इस पर तुम्हें कोई आपत्ति नहीं होगी. मेरे और अपने रिश्तेदारों को तुम बराबर का महत्त्व दोगे.

स्वाति की इन टर्म्स ऐंड कंडीशंस से आप भी समझ गए होंगे कि आज की युवती विवाह के बाद भी पंछी बन कर मस्त गगन में उड़ना चाहती है. पहले की विवाहित महिला की तरह वह मसालों से सनी, सिर पर पल्लू लिए सास का हुक्म बजाती, देवरननद की देखभाल करती बेचारी बन कर नहीं रहना चाहती. दरअसल, आज की युवती पढ़ीलिखी, आत्मविश्वासी, आत्मनिर्भर है. वह हर स्थिति का सामना करने में सक्षम है. अपने किसी भी काम के लिए पति या ससुराल के अन्य सदस्यों पर निर्भर नहीं है. इसीलिए वह विवाह के बाद भी अपनी आजादी को खोना नहीं चाहती.

जिंदगी की चाबी हमारे खुद के हाथ में

आज की पढ़ीलिखी युवती विवाह अपनी मरजी और अपनी खुशी के लिए करती है. वह नहीं चाहती कि विवाह उस की आजादी की राह में रोड़ा बने. वह अपनी आजादी की चाबी पति या ससुराल के दूसरे सदस्यों को सौंपने के बजाय अपने हाथ में रखना चाहती है. वह चाहती है कि अगर सासससुर साथ रहते हैं, तो वे उस की मदद करें. पति और वह मिल कर बराबरी से घर की जिम्मेदारी उठाएं. आज की युवती का दायरा घर और रसोई से आगे औफिस और दोस्तों के साथ मस्ती करने तक फैल गया है. वह जिंदगी का हर निर्णय खुद लेती है. फिर चाहे वह विवाह का निर्णय हो, पसंद की नौकरी करने का हो अथवा विवाह के बाद मां बनने का.

रहूंगी लिव इन की तरह

आज की युवती के लिए विवाह का अर्थ बदल गया है. अब उस के लिए विवाह का अर्थ पाबंदी या जिम्मेदारी न हो कर आजादी हो गया है. आज वह विवाह कर के वे चीजें अपनाती है, जो उसे अच्छी लगती हैं और उन्हें सिरे से नकार देती है, जो उस की आजादी की राह में रुकावट बनती हैं. मसलन, व्यर्थ के रीतिरिवाज, त्योहार और अंधविश्वास, जो उस के जीने की आजादी की राह में बाधा बनते हैं उन्हें वह नहीं अपनाती. वह उन रीतिरिवाजों और त्योहारों को मनाती व मानती है, जो उसे सजनेसंवरने और मौजमस्ती करने का मौका देते हैं. वह अपने होने वाले पति से कहती है कि हम विवाह के बंधन में बंध तो रहे हैं, लेकिन रहेंगे लिव इन पार्टनर की तरह. हम साथ रहते हुए भी आजाद होंगे. एकदूसरे के मामलों में दखल नहीं देंगे. एकदूसरे को पूरी स्पेस देंगे. एकदूसरे के मोबाइल, लैपटौप में ताकाझांकी नहीं करेंगे. हमारी रिलेशनशिप फ्रैंड्स विद बैनिफिट्स वाली होगी, जिस में तुम यानी पति फ्रैंड विद बैनिफिट पार्टनर की तरह रहोगे, जिस में कोई कमिटमैंट नहीं होगी. हमारा रिश्ता फ्रीमाइंडेड रिलेशनशिप वाला होगा, जिस में कोई रोकटोक नहीं होगी. जब हमें एकदूसरे की जरूरत होगी, हम मदद करेंगे, लेकिन इस मदद के लिए कोई एकदूसरे को बाध्य नहीं करेगा. हमारे बीच पजैसिवनैस की भावना नहीं होगी. मैं अपने किस दोस्त के साथ चैटिंग करूं, किस के साथ घूमनेफिरने जाऊं इस पर कोई पाबंदी नहीं होगी.

आजादी मांगने व देने के पीछे का कारण

युवतियों में शादी को ले कर आए इस बदलाव के पीछे एक कारण यह भी है कि उन्होंने अपनी दादीनानी और मां को घर की चारदीवारी में बंद अपनी इच्छाओं व खुशियों को मारते देखा है. वे अपनी हर खुशी के लिए पति पर निर्भर रहती थीं. लेकिन आज स्थिति विपरीत है. आज की पढ़ीलिखी व आत्मनिर्भर युवतियां चाहती हैं कि जब वे बराबरी से घर के काम और आर्थिक मोरचे को संभाल रही हैं, तो वे विवाह के बाद आजाद क्यों न रहें? क्यों वे विवाह के बाद पति और ससुराल के बाकी सदस्यों की मरजी के अनुसार अपनी जिंदगी जीएं? आज की पढ़ीलिखी युवतियां अपनी शिक्षा व योग्यता को घर बैठ कर जाया नहीं होने देना चाहतीं. वे चाहती हैं कि जब पति घर से बाहर व्यस्त है, तो वे घर बैठ कर क्यों उस के आने का इंतजार करें और अगर वह औफिस के बाद अपने दोस्तों के साथ मौजमस्ती करने का अधिकार रखता है तो उन्हें भी विवाह के बाद ऐसा करने का पूर्ण अधिकार है.

दूसरी ओर पति भी चाहता है कि उस की पत्नी विवाह के बाद छोटीछोटी आर्थिक जरूरतों के लिए उस पर निर्भर न रहे. अगर पत्नी कामकाजी नहीं है, तो उस के घर आने पर घरपरिवार की समस्याओं का रोना उस के सामने रो कर उसे परेशान न करे, इसलिए वह उसे आजादी दे कर अपनी आजादी को कायम रखना चाहता है. तकनीक ने भी आज युवतियों को आजाद खयाल का होने में मदद की है. तकनीक के माध्यम से वे दूर बैठी अपने दोस्तों से जुड़ी रहती है और अपनी आजादी को ऐंजौय करती हैं. पति भी चाहता है कि वह व्यस्त रहे ताकि उस की आजाद जिंदगी में कोई रोकटोक न हो.

आजादी के नाम पर गैरजिम्मेदार न बनें

विवाह के बाद आजाद बन कर मस्त गगन में उड़ने की चाह रखने वाली युवती को ध्यान रखना होगा कि कहीं वह आजादी के नाम पर गैरजिम्मेदार तो नहीं बन रही? उस की आजादी से उस के घरपरिवार, बच्चों पर कोई बुरा प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है, क्योंकि सिर्फ अपनी टर्म्स ऐंड कंडीशंस पर जीना आजादी नहीं, अपनी बात मनवाना आजादी नहीं, महज घर से बाहर निकल कर मल्टीटास्किंग करना ही आजाद खयाल का होना नहीं. विवाह बंधन नहीं, जिस में आप आजादी चाहते हैं. विवाह का अर्थ एकदूसरे के सुखदुख में भागीदार होना है. पढ़नेलिखने, आत्मनिर्भर होने का अर्थ जरूरी नहीं कि आप नौकरी ही करें. आप चाहें तो अपने आसपास के बच्चों को मुफ्त शिक्षा दें. अपनी घर की जिम्मेदारियां सुचारु रूप से निभाएं. आजादी का अर्थ है विचारों की स्वतंत्रता, पढ़नेलिखने की स्वतंत्रता, निर्णय लेने की आजादी, अपने ढंग से घर चलाने की आजादी, अभिव्यक्ति की आजादी, रुढियों व दकियानूसी विचारों से आजादी, अपना जीवन संवारने की आजादी न कि कर्तव्यों से भटकने की आजादी. प्रकृति ने महिला व पुरुष को अपनीअपनी योग्यता के अनुसार जिम्मेदारियां सौंपी हैं. उन्हीं जिम्मेदारियों का अपनी सीमाओं में रह कर पालन करना ही सही माने में आजादी है, जिस से प्रकृति का संतुलन भी कायम रहेगा और कोई किसी की आजादी का भी उल्लंघन नहीं करेगा. इसलिए सामाजिक दायरे में रह कर अपनी क्षमताएं पहचान कर अपने दायित्वों को निभाना ही सही में आजादी है.

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Summer Special: अमरकंटक में बरसता है नेचर का वरदान

अमरकंटक में प्रकृति रोमांचित करती है. घने जंगल कान में फुसफुसाते हैं. आध्यात्म और धर्म इस नगरी में एक खास आयाम जोड़ते हैं. दरअसल, यह ऐसी जगह भी है, जो दो बड़ी नदियों नर्मदा और सोन का उद्गम स्थल भी है. इनके उद्गम को देखेंगे, तो लगेगा ही नहीं कि छोटे-छोटे कुंडों से निकलकर काफी दूर तक बहुत पतली धारा में बहने वाली ये नदियां देश की संस्कृति और धार्मिकता और विकास में खास जगह रखती हैं.

पहाड़ों पर बसा अमरकंटक

अमरकंटक ऊंचे पहाड़ों और घने जंगलों के बीच बसी सुंदर-सी जगह है. प्रकृति की तमाम संपदाओं से युक्त अमरकंटक काफी ऊंचाई पर है. यहां खदानें भी हैं और वाटरफॉल भी. अब यहां नए-नए मंदिर बन गए हैं. नर्मदा और सोन के करीब टहलने से, आपको शांति का अनुभव होगा. पहाड़ों के अदृश्य स्रोतों से नर्मदा और सोन का निकलना किसी अचरज से कम नहीं लगता है.

यहां एक और नदी भी निकलती है, उसका नाम जोहिला है. कुछ लोग जब यहां आते हैं और इन नदियों के उद्गम में जल की हल्की- फुल्की कुलबुलाहट के बीच इन्हें देखते हैं तो सोच नहीं पाते कि ये वही नदियां हैं, जो हजारों किमी.का सफर तय करती हैं. सोनमुदा नर्मदा कुंड से 1.5 किमी. की दूरी पर मैकाल पहाड़ियों के किनारे पर है. सोन नदी 100 फीट ऊंची पहाड़ी से एक झरने के रूप में यहां से गिरती है.

धार्मिक महत्व

पहले अमरकंटक शहडोल जिले में था. अब यह अनूपपुर जिले में है. समुद्र तट से कोई 1065 मीटर की ऊंचाई पर. विंध्य व सतपुड़ा की पर्वत शृंखला और मैकाल पर्वत शृंखला के बीचों बीच बसा हुआ. यहां पर्वत, घने जंगल,मंदिर, गुफाएं जल प्रपात हैं.

यहां आते ही हवा में ताजगी और शुद्धता का अहसास होने लगता है. यहां के जंगलों के बारे में कहा जाता है कि ये जड़ी-बूटियों का खजाना हैं. यहां का शांत वातावरण आमतौर पर सैलानियों को मंत्रमुग्ध कर देता है. यहां के अपने आंचलिक लोकगीत भी हैं. कालिदास भी यहां आए और यहां के कायल हो गए. उनके मेघदूत के बादल इसी नगरी के ऊपर से गुजरते हैं.

धार्मिक पर्यटकों को नर्मदाकुंड मंदिर, श्रीज्वालेश्वर महादेव, सर्वोदय जैन मंदिर, सोनमुदा, कबीर चबूतरा, कपिलाधारा, कलचुरी काल के मंदिर पर आना अच्छा लगेगा. नर्मदा कुंड के पास भी कई मंदिर हैं. सबका अपना महत्व है. जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ ने भी यहां आकर तप किया था. कंबीरपंथियों को भी यह जगह खासी प्रिय है, क्योंकि वे इसे कबीर से जोड़कर भी देखते हैं, यहां एक कबीर चबूतरा भी है. कबीर चबूतरे के ठीक नीचे एक जल कुंड है जिसके बारे में कहा जाता है कि सुबह की किरणों के साथ ही यहां के जलकुंड का पानी दूध की तरह सफेद हो जाता है.

कैसे जाएं

रेल: शहडोल रेलवे स्टेशन 80 किलोमीटर दूर है

पेंड्रा रोड रेलवे स्टेशन 45 किमी. दूर है.

हवाई अड्डा: जबलपुर अमरकंटक से करीब 200 किलोमीटर है

रोड: अमरकंटक जाने के लिए आपको लगातार बसें और गाड़ीयां मिल जायेंगी

कपिलधारा भी जाए

अमरकंटक की यात्रा बगैर कपिलधारा देखे अधूरी रहेगी. यहां 100 फीट की ऊंचाई से पानी गिरता है. धर्मग्रंथों में कहा गया है कि कपिल मुनि यहां रहते थे. कपिल मुनि ने सांख्य दर्शन की रचना इसी स्थान पर की थी. कपिलधारा के निकट की कपिलेश्वर मंदिर भी बना है. इस जगह के आसपास कई गुफाएं हैं, जहां अब भी साधु-संत ध्यानमग्न देखे जा सकते हैं.यहां धुनी पानी यानी गर्म पानी का झरना भी है. इसके बारे मे कहा जाता है कि यह झरना औषधीय गुणों से भरपूर है. ऐसा ही एक और झरना है दूधधारा, जो काफी लोकप्रिय है. ऊंचाई से गिरते इस झरने का जल दूध के समान प्रतीत होता है, इसीलिए इसे दूधधारा या दुग्धधारा के नाम से जाना जाता है.

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8 TIPS: नेचुरल प्रौडक्ट से करें स्किन की देखभाल

आज की भागतीदौड़ती जिंदगी में महिलाओं को अपनी त्वचा का ध्यान रख पाना बहुत मुश्किल है. ऐसे में उन्हें प्राकृतिक प्रसाधनों मसलन हलदी, चंदन, केसर, मलाई, ऐलोवेरा, बादाम, व्हाइट लिली और गुलाबजल से भरपूर प्रोडक्ट की तलाश रहती है. क्योंकि यही वे तत्त्व हैं जो त्वचा को अच्छी तरह से नरिश कर के उन्हें खूबसूरत बनाते हैं. आइए जानते हैं इन तत्त्वों की विशेषताएं.

1. हलदी

हलदी सब से सस्ता और अच्छा बौडी स्क्रबर है.  ऐंटीसैप्टिक, ऐंटीबैक्टीरियल और ऐंटीइनफ्लेमैट्री गुणों से भरपूर हलदी में करक्यूमिन नामक तत्त्व पाया जाता है. इस में मौजूद यलो पिगमैंट  त्वचा को निखारने का काम करते हैं. हलदी में एेंटी औक्सीडैंट भी होते हैं जो त्वचा को फ्री रैडिकल्स के आक्रमण से सुरक्षित रखने का काम करते हैं.

2. व्हाइट लिली

ऐंटीपिगमैंटेशन, व्हाइटनिंग और ब्लीचिंग जैसे गुणों से भरपूर व्हाइट लिली में ग्लायकोलिक ऐसिड पाया जाता है, जो डैड स्किन व ऐजिंग स्पौट्स को हलका करने में मददगार होता है. व्हाइट लिली जैल से युक्त क्रीम के इस्तेमाल से सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें भी त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचा पातीं.

3. ऐलोवेरा

ऐलोवेरा एक प्राकृतिक मौइश्चराइजर है. यह हर तरह के स्किन टाइप के लिए लाभदायक है. यह सैल रिन्यूअल प्रौसेस को तो बढ़ाता ही है साथ ही इस में मौजूद हीलिंग प्रौपर्टीज स्किन सैल्स मुलायम रखती हैं और त्वचा को चमकदार बनाती हैं.  ऐलोवेरा जैल में कूलिंग और ऐंटीइनफ्लेमैट्री प्रौपर्टीज की मौजूदगी भी त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद है. त्वचा को हाइड्रेट रखने के लिए इस में विटामिन सी और विटामिन ई भी पाए जाते हैं.

4. चंदन

चंदन में मौजूद लाइटनिंग और कूलिंग एजेंट त्वचा के अंदर तक जा कर उस में निखार के साथ चमक भी लाते हैं. साथ ही यह ऐंटीसैप्टिक भी है. इसलिए चोट या फिर जलनेकटने पर भी इसे दवा की तरह लगाया जा सकता है. चंदन के तेल से मसाज करने से ब्लड सर्कुलेशन भी अच्छा हो जाता है जिस से त्वचा पर झुर्रियां नहीं पड़तीं.

5. केसर

चंदन की तरह ही केसर में भी लाइटनिंग एजेंट मौजूद रहते हैं, जो त्वचा का रंग निखारते हैं और उसे ग्लोइंग बनाते हैं. प्रदूषण, धूलमिट्टी से होने वाले स्किन इन्फैक्शन से त्वचा को बचाने में भी केसर सुरक्षा कवच का काम करता है, क्योंकि इस में ऐंटी बैक्टीरियल प्रौपर्टीज भी पाई जाती हैं.

6. मलाई

मलाई जितनी सेहत के लिए फायदेमंद होती है उतनी ही त्वचा के लिए जरूरी भी होती है. मलाई में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है जो त्वचा को चमकदार बनाता है, साथ ही फुंसियों से मुक्ति दिलाता है. इस की चिकनाई से त्वचा की खुश्की दूर हो जाती है.

7. बादाम

बादाम त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद है. इस को खाने से जहां दिमाग तेज होता है, वहीं बादाम का तेल त्वचा पर लगाने से त्वचा का रंग साफ और चमकदार हो जाता है. बादाम में एल्फा टोकोफेरल सब्सटैंस होता है जो विटामिन ई का एक मजबूत स्रोत होता है. विटामिन ई त्वचा को नरिश करता है.

8. गुलाबजल

अरोमा थेरैपी के लिए सब से उपयोगी माने जाने वाले गुलाबजल में ऐस्ट्रिंजैंट होता है जो स्किन टोनर का काम करता है. इस के रोजाना इस्तेमाल से चेहरे की झुर्रियां कम हो जाती हैं और त्वचा यूथफुल लगने लगती है.

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Udariyaan: क्या खत्म होगी फतेह-तेजो की प्रेम कहानी, प्रोमो वायरल

सीरियल उड़ारियां (Udariyaan) में तेजो और फतेह की लव स्टोरी फैंस का दिल जीत रही है. लेकिन शो के नए प्रोमो ने फैंस को चौंका दिया है. दरअसल, मेकर्स द्वारा रिलीज किए गए नए प्रोमो में तेजो की जान जाते हुए नजर आ रही है. आइए आपको बताते हैं प्रोमो में क्या है खास…

क्या खत्म होगी तेजो की कहानी

सीरियल उड़ारियां के मेकर्स ने कहानी को दिलचस्प बनाने के लिए और दर्शकों को चौंकते हुए एक प्रोमो शेयर किया है, जिसमें तेजो आग के बीच फंसी हुई नजर आ रही है. वहीं प्रोमो के आखिरी में तेजो की फोटो पर माला चढ़ते हुए नजर आ रही है. प्रोमो देखने के बाद फैंस कयास लगा रहे हैं कि सीरियल में तेजो का ट्रैक खत्म होने वाला है, जिसके चलते जैस्मिन, तेजो को मारने वाली है. हालांकि फैंस शो के नए ट्रैक का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

 

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अंगद होगा किडनैप

अब तक आपने देखा कि सीरियल में फतेह और तेजो की सगाई की तैयारियां होती नजर आती हैं. वहीं जैस्मिन भी फतेह और तेजो के अलद करने के लिए अपनी चाले चलता हुआ नजर आती है. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि फतेह, तेजो से मिलने के लिए भेष बदलकर जाएगा तो वहीं रास्ते में अंगद को किडनैप कर लिया जाएगा.

बता दें, सीरियल उड़ारियां की टीआरपी को बढ़ाने के लिए मेकर्स सीरियल की कहानी को और भी ज्यादा दिलचस्प बनाने में लगे हैं, जिसके चलते वह पूरी कोशिश कर रहे हैं कि सीरियल के ट्रैक में नए ट्विस्ट लाने के लिए तैयार है. हालांकि देखना होगा कि तेजो की मौत के बाद सीरियल में मेकर्स कौनसा नया ट्विस्ट लाते हैं और क्या फैंस को तेजो की मौत का नया ट्विस्ट पसंद आएगा.

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