एक्ट्रेस साक्षी तंवर से जानें मां का बच्चे की लाइफ पर कितना होता है प्रभाव

क्या एक माँ अपनी बेटी की हत्या होते देख सकती है? क्या वह इसका बदला आज की तारीख में नहीं लेगी ? फिल्म नहीं रियल लाइफ में भी क्या कोई माँ इसका विरोध कर उसे सजा देना नहीं चाहेगी, जो महिला को कमजोर समझने की गलती करते है?प्रशासन,समाज और परिवार भी उन महिलाओं का साथ नहीं देती और जलील करती है, ऐसे में उस माँ को क्या करने की जरुरत है?ऐसी ही कुछ बातों का जिक्र कर रही थी, प्रसिद्ध टीवी अभिनेत्री साक्षी तंवर जिनकी वेब सीरीज ‘माई’ रिलीज हो चुकी है, जिसमें उनके अभिनय को बहुत तारीफ़ मिल रही है.

अभिनेत्री साक्षी तंवर ने हमेशा ही अपनी किरदार को उम्दा अभिनय से सजीव किया है, जिसे दर्शक अपनी कहानी समझ बैठते है. धारावाहिक ‘कहानी घर घर की’ सीरियल में मुख्य भूमिका ‘पार्वती’ की निभाने वाली अभिनेत्री साक्षी तंवर को आज पूरा देश जानता है. इस धारावाहिक को देश के लगभग सभी तबकों में देखा गया और पार्वती लगभग हर घर की  हिस्सा बन गयी थी.अभिनेत्री साक्षी तंवर राजस्थान की है औरउन्हें बचपन से ही अभिनय की इच्छा थी, इसलिए उन्होंने पहले कॉलेज की नाटकों में भाग लेना शुरू किया. अभिनय की शुरुआत उन्होंने यही से किया था, लेकिन इसमें निर्माता एकता कपूर की एक बड़ी ब्रेक ने उन्हें टीवी इंडस्ट्री का स्टार बना दिया. इसके बाद से उन्होंने जो भी काम किये, सभी में सफल रही.

छोटा पर्दा ही नहीं, बड़े पर्दे पर भी उनके अभिनय की चर्चा है. साक्षी ने जीवन में कभी कोई प्लानिंग नहीं की, जो काम जैसे आता गया, उसे ग्रहण करती गयी. साक्षी अपने परिवार के बेहद करीब है और हर फैसले को लेने से पहले माता-पिता से चर्चा करती है. धारावाहिक ‘बड़े अच्छे लगते हो’ में उन्होंने राम कपूर के साथ एक किसिंग सीन देकर कंट्रोवर्सी की शिकार हुई, लेकिन वह इस ओर अधिक ध्यान नहीं देती.अभी वह सिंगल मदर बन चुकी है उन्होंने एक लड़की दित्या तंवर को अडॉप्ट किया है. विनम्र और हंसमुख स्वभाव की साक्षी Netflix पर वेब सीरीज ‘माई में मुख्य भूमिका माँ की निभाई है,जो अपनी बेटी की हत्या करने वाले को सबक सिखाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. उनसे ज़ूम पर बात करना बहुत रोचक था, पेश है कुछ खास अंश.

सवाल – अभिनय की प्रेरणा कहाँ से मिली?

जवाब – मैं आईपी एस की तैयारी कर रही थी, साथ ही सॉफ्टवेर इंजीनियर का कोर्स कर रही थी और मैंने कभी अभिनय करने की कोशिश नहीं की थी, लेकिन नियति मुझे यहाँ ले आई है. मेरी दोस्त का एक म्यूजिक पर आधारित कार्यक्रम ‘अलबेला सुरबेला’ दूरदर्शन पर थी, उसकी को-एंकर नहीं आई, तो उन्होंने मुझे बुला लिया, उस समय मोबाइल नहीं थी. मैं दिल्ली में घर पर थी, उन्होंने मुझे बुलाया और मैंने उसे किया. यही से मेरी जर्नी शुरू हुई, क्योंकि मुझे देखकर लोगों ने ऑफर दिया और आज मैं यहाँ पर हूं.

सवाल – परिवार का सहयोग कितना रहा?

जवाब – परिवार का सहयोग हमेशा से रहा, इसलिए मैं इतने सालों तक काम कर पाई. मेरे परेंट्स से लेकर भाई-बहन, फ्रेंड्स सबका सहयोग किसी न किसी रूप में मिला है. सबकी सहयोग के बिना सफलता पूर्वक काम करना मुश्किल होता है.

सवाल – इस वेब सीरीज को करने की खास वजह क्या रही?

जवाब – इसकी थीम मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी, क्योंकि किसी भी माँ के लिए बच्चे की देख-भाल कितनी अहम होती है और बच्चे को कोई कुछ भी कह दें , तो माँ सबसे पहले लड़ने के लिए तैयार हो जाती है. इसकी कहानी भी वैसी ही प्रेरणादायक सभी माओं के लिए है. इसमें मेरी बेटी को मेरी आँखों के सामने एक ट्रक वाला आकर कुचल देता है, जिसे सभी एक दुर्घटना कहते है,लेकिन माँ को नहीं लगता है कि वह एक दुर्घटना है और वह पता करने की कोशिश कर रही है कि उसकी बेटी के साथ ऐसा क्यों हुआ? जब मुझे इसकी कहानी सुनाई गई तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे, क्योंकि किसी भी माँ के लिए ऐसी घटना  अकल्पनीय होता है, उसके आँखों के सामने बच्चे की मृत्यु हो जाती है. इस चरित्र का ग्राफ बहुत ही कमाल का है. एक अच्छी माँ जो सबको सम्हाल रही है, कैसे इतनी क्रूर बन जाती है,उसे दिखाया गया है.

सवाल –रियल लाइफ में आप एक सिंगल मदर है, लेकिन ऐसी माँ की भूमिका निभाना कितना चुनौतीपूर्ण था?

जवाब –निर्देशक के साथ बहुत सारे  वर्कशॉप हुए, मुख्य दृश्यों को लेकर चर्चा की गयी. साथी कलाकारों के साथ मिलकर उनके सुझाव लिए, इससे अभिनय करना आसान हो गया, क्योंकि एक सीधी-सादी औरत को क्रूर बनना आसान नहीं था.

सवाल – इस भूमिका से तो आप रिलेट नहीं कर पाती, लेकिन क्या आपके माँ बनने के बाद से इमोशन्स को समझने में आसानी हुई?

जवाब – किसी कलाकार के लिए किसी किरदार को निभाने के लिए वैसा बनने की जरुरत नहीं होती, क्योंकि मैंने बहुत कम उम्र में माँ, नानी, दादी की भूमिका निभाई है. एक कलाकार के लिए वही चरित्र चैलेंजिंग होती है, जिसका उससे कोई नाता न हो. यही अभिनय इंडस्ट्री की एक ब्यूटी है, जिसमे आप खुद से बड़ा और छोटा दोनों भूमिकाएं निभा सकते है. ये कहानी एक फिक्शनल चरित्र है और एक काल्पनिक कथा है, जिसमे बच्चे को तकलीफ पहुँचाने वाले अपराधी की सूरत क्या हो सकती है, इसे बताने की कोशिश की गयी है.

सवाल – बेटी और काम के साथ सामंजस्य कैसे कर रही है?

जवाब – बेटी के साथ बहुत अच्छा समय बीत रहा है. अभी मुझे समय भी अधिक मिल जाता है, क्योंकि अभी मैं टेलीविजन पर काम नहीं करती. बीते दो साल कोविड में मैंने बेटी और पेरेंट्स के साथ काफी समय बिताया. इसके अलावा थोड़ी अब बड़ी हो चुकी है, इसलिए थोड़ी समझदार भी है. इसके अलावा कोविड की वजह से माई फिल्म की शूटिंग थोड़े – थोड़े समय बाद हो रही थी, इससे समय काफी मिला.

सवाल – आप अपनी जर्नी से कितना संतुष्ट है, कोई मलाल रह गया है क्या?

जवाब –मैं अपनी पहली शो से ही संतुष्ट हूं, कभी मैंने इतना सोचा भी नहीं था, जितना मुझे मिला है. जो भी मेरे साथ होता गया, मैं करती गयी और दर्शकों का साथ मिलता रहा, इसलिए कोई रिग्रेट नहीं है. देखा जाय तो मैं अपनी पहली शो से ही बहुत संतुष्ट थी. मैं दर्शकों की शुक्रगुजारहूं, क्योंकि उन्होंने मेरी हर अभिनय को देखा, सराहा और मुझे हमेशा अच्छा करने के लिए प्रेरित किया.

सवाल –महिलाएं इतनी आगे बढ़ जाने के बावजूद भी उन्हें अत्याचार, घरेलू हिंसा, रेप जैसी वारदातों का सामना करना पड़ रहा है,इसकी जिम्मेदार किसे मानती है, समाज, परिवार या धर्म?

जवाब – इन समस्याओं से निपटने के लिए सबको समग्र रूप से काम करने की जरुरत है. किसी एक अकेले को जिम्मेदार मानना ठीक नहीं. समग्र रूप से काम करने पर उसका समाधान भी समग्र ही होगा.

सवाल – कई बार आपको कंट्रोवर्सी का सामना करना पड़ा, इसे कैसे लिया?

जवाब –जब आप किसी डेस्टिनेशन के लिए सफर करते है, तो रास्ते में आये स्टेशन को पीछे छोड़ देना पड़ता है और मैं भी वैसा ही करती हूं.

सवाल – आपका अपनी माँ से रिश्ता कैसा रहा है, आप क्या मिस करती है?

जवाब –माँ बेटी के रिश्ते से बढ़कर कोई दूसरा रिश्ता नहीं होता. इसे मैं तब अच्छी तरह से समझ पाई, जब मैं खुद माँ बनी. मेरी माँ सबको खाना खिलाकर खुद अंत में खाती थी, अगर किसी कारणवश घर आने में देरी होती थी, तो भी वह इन्तजार करती थी. मैंने कई बार उन्हें खा लेने के लिए कहा,पर उन्होंने हमेशा कहा कि तुम जिस दिन माँ बनोगी उस दिन इसे समझ पाओगी, ये वाकई सही था, आज मैं इसकी गहराई को समझती हूं. मैं बहुत खुशनसीब हूं, क्योंकि मैं अपनी परिवार के साथ रहती हूं. मेरी माँ और बेटी के साथ रहने का अनुभव बहुत अच्छा होता है.

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3 महीने में ही Imlie के नए आदित्य ने कहा शो को अलविदा, बताई वजह

स्टार प्लस के सीरियल ‘इमली’ (Imlie) की कहानी इन दिनों दिलचस्प मोड़ लेती नजर आ रही है. जहां इमली और आर्यन (Aryan Singh and Imlie) एक दूसरे के करीब आ रहे हैं तो वहीं आदित्य का किरदार होने वाला है. इसी बीच खबर है कि आदित्य के रोल में नजर आने वाले एक्टर मनस्वी विशिष्ठ  (Manasvi Vashist ) ने सीरियल को अलविदा कह दिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

आदित्य ने कहा शो को अलविदा

 

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आदित्य के रोल में गश्मीर महाजनी (Gashmeer Mahajani) को रिप्लेस करने वाले  एक्टर मनस्वी विशिष्ठ ने तीन महीने में ही सीरियल को अलविदा कह दिया है. दरअसल, शो छोड़ने के कारण को लेकर एक्टर ने एक इंटरव्यू में कहा है कि  ‘मेकर्स से बात हुई और उन्होंने मुझे जाने दिया. जब मैंने शो साइन किया था, तब मैंने शुरू के कुछ एपिसोड्स देखे थे और ये महसूस किया था आदित्य, मालिनी और इमली तीनों सेंट्रल कैरेक्टर्स हैं. मुझे पता था कि फहमान खान ने आर्यन के रूप में एंटर किया था और उनका शो में अहम रोल है. लेकिन जितना मुझे पता था वो कि ये शो सिर्फ इमली और आदित्य के बारे में था. हालांकि टीवी बिजनेस में कुछ भी फिक्स नहीं है और दर्शकों के हिसाब से स्क्रिप्ट में बदलाव होते रहते हैं. ट्रैक के आगे बढ़ने पर आदित्य का किरदार भी बदलने वाला था.’

 

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नेगेटिव रोल नहीं करना चाहते मनस्वी

 

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वहीं अपने रोल को लेकर एक्टर मनस्वी ने कहा कि ‘जब मैं शो में एंटर हुआ मुझे लगा कि ट्रैक इमली और मेरे कैरेक्टर पर ही फोकस करेगा. लेकिन कुछ एपिसोड्स के बाद जैसे ट्रैक आगे बढ़ा तो मुझे बताया गया कि मेरा कैरेक्टर नेगेटिव होने वाला है. मैंने पहले ही इश्क में मरजावां 2 में ग्रे शेड कैरेक्टर किया था. और अब मैं वही चीज दोबारा नहीं करना चाहता था. इसलिए मुझे लगा कि इससे आगे बढ़ना होगा. और मैं खुश हूं कि मेकर्स ने इस बात को समझा और मुझे जाने दिया.’

बता दें, सीरियल में इन दिनों इमली और आर्यन की कैमेस्ट्री फैंस को काफी पसंद आ रही है, जिसके चलते मेकर्स दोनों के रोमांस और स्टोरी पर फोकस करते नजर आ रहे हैं. वहीं कहा जा रहा है कि जल्द ही मालिनी का रोल भी सीरियल में लौटेगा. हालांकि आदित्य के रोल में मनस्वी विशिष्ठ के शो छोड़ने के बाद देखना होगा कि सीरियल की कहानी में कौनसा नया मोड़ आएगा.

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टेररिस्ट से मुकाबले को तैयार होगी अब यूपी की महिला होमगार्ड्स

यूपी की महिला होमगार्ड्स अब अपनी हिम्मत और हौसले से दुश्मन को पस्त करेंगी. किसी भी परिस्थितियों से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहेंगी. वीआईपी की आतंकियों से सुरक्षा की जिम्मेदारी और प्रमुख स्थलों की सुरक्षा भी संभालती नजर आएंगी.

प्रदेश सरकार बहुत जल्द महिला होमगार्ड्स को एंटी-टेरेरिस्ट (आंतकवाद रोधी) मॉड्यूल का प्रशिक्षण देने जा रही है. होमगार्ड विभाग को अन्य सुरक्षा बलों की तरह सशक्त बनाने की तैयारी कर रही है. सरकार ने प्रशिक्षण लेने वाले होमगार्ड्स को ड्यूटी भत्ता देने का भी बड़ा फैसला लिया है. इसके लिए विभाग के अधिकारियों को 100 दिन में प्रस्ताव बनाकर भेजने का लक्ष्य सौंपा है.

योगी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में होमगार्ड्स विभाग का कायाकल्प करने के लिए संकल्पित है. 20 प्रतिशत पदों पर महिलाओं की भर्ती के साथ ही उनके प्रशिक्षण में एंटी-टेरेरिस्ट मॉड्यूल के साथ-साथ अन आर्म्ड कम्बैट और पीएसओ ड्यूटी के मॉड्यूल को शामिल करने जा रही है. शहरी और ग्रामीण पुरुष और महिला होमगार्ड्स की प्रशिक्षण अवधि में भिन्नता को खत्म करके उसको 90 दिन किया जाएगा.

इन 90 दिनों में नए माड्यूलों को शामिल कर होमगार्ड्स की दक्षता एवं कार्यकुशलता को बढ़ाने में मदद मिलेगी. इससे शांति एवं कानून व्यवस्था तो सुदृढ़ होगी ही साथ में ड्यूटी पर नागरिकों को महिला होमगार्ड्स बेहतर सेवायें उपलब्ध करा पायेगी. सरकार ने विभागीय अधिकारियों से प्रशिक्षणरत होमगार्ड्स को ड्यूटी पर मानते हुए प्रशिक्षण भत्ते के स्थान पर ड्यूटी भत्ता देने की योजना भी बना ली है. बता दें कि यह पहला मौका है जब किसी सरकार ने होमगार्ड्स विभाग को आगे बढ़ाने के तेजी से प्रयास शुरू किये हैं. महिला और पुरुष होमगार्ड्स को भी आधुनिक प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जा रही है.

शादी की ज्वैलरी खरीदते हुए नाचने लगे अनुज-Anupamaa, देखें वीडियो

सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में जल्द ही अनुज (Gaurav Khanna) और अनुपमा (Rupali Ganguly) की शादी का सेलिब्रेशन होते हुए दिखने वाला है, जिसके चलते सीरियल में इन दिनों तैयारियां होती नजर आ रही हैं. वहीं शादी के पहले एक वीडियो में अनुपमा-अनुज सगाई की खुशी जाहिर करते नजर आ रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो की झलक…

ज्वैलरी शॉप में नाचे अनुज-अनुपमा

 

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हाल ही में शादी की तैयारियों के चलते अनुज और अनुपमा ज्वैलरी की शॉपिंग करने के दौरान नाचते नजर आए. दरअसल, अनुपमा यानी रुपाली गांगुली ने एक वीडियो (Reels) शेयर किया है, जिसमें अनुज यानी गौरव खन्ना ज्वैलरी शॉप में डांस करते हुए नजर आ रहे हैं. वीडियो में रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना पुराने गाने मैं से मीना से गाने पर गहनों की दुकान में जमकर डांस करके फैंस का दिल जीत रहे हैं. वहीं इस दौरान अनुपमा, अनुज को पसंद करने की बात कहती नजर आ रही हैं.

 

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बा की फिर लगेगी नजर

सीरियल के लेटेस्ट ट्रैक (Anupama Latest Update) की बात करें तो अनुपमा और अनुज की लव स्टोरी को पसंद करने वाले लोग दोनों की तारीफ करते दिख रहे हैं. हालांकि ये सब देखकर बा जलती हुई नजर आ रही हैं. वहीं अपकमिंग एपिसोड में जलन के चलते बा एक बार फिर अनुपमा को बद्दुआ देती हुई नजर आएंगी. दरअसल, बा अपनी बेटी डॉली को शादी का हिस्सा बनने से मना करेगी. हालांकि वह नहीं मानेगी. इसी के चलते वह शादी की रस्में खराब होने की बात कहेगी. वहीं शादी की एक रस्म में 4 लोग ना होने पर वनराज शादी का हिस्सा बनता नजर आएगा.

 

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बता दें, फैंस अनुपमा और अनुज की शादी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जिसके चलते वह सोशलमीडिया पर #MaAn कपल की फोटोज और वीडियो शेयर करते रहते हैं.

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‘सीवर पॉइंट’ को उत्तर प्रदेश सरकार ने बना दिया ‘सेल्फी पॉइंट’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा शुरू किए गए नमामि गंगे का अभियान आजादी के बाद भारत की नदी संस्कृति को पुनर्जीवित करने की महत्वपूर्ण योजना बनी. ये बातें रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक कार्यक्रम में कहीं. गंगा यात्रा कार्यक्रम में पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 25 सौ किलोमीटर के अपने लंबे प्रवाह में पांच राज्य में से यूपी में यमुना और गंगा मां का सबसे ज्यादा आशीर्वाद है. मां गंगा से जुड़ी योजनाएं पहले भी बनती थी 1986 में गंगा एक्शन प्लान कार्य शुरू भी हुआ. केंद्र व राज्य सरकारों को मिलकर इस योजना से जुड़कर कार्य करना था इस एक्शन प्लान में बिहार, बंगाल उत्तर प्रदेश तीन राज्य थे. लेकिन नमामि गंगे योजना के पहले हमने जब गंगा नदी का मूल्यांकन किया तो पता चला की गंगा सर्वाधिक प्रदूषित है.

उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि नमामि गंगे का ये अभियान यूपी में सफल हुआ. उत्तर प्रदेश के कानपुर में गंगा की स्थिति पीड़ादायक थी. इसके जल में जीव नष्ट हो जाते थे. लगातार 100 साल से सीसामऊ से रोज 14 करोड़ लीटर सीवर इसमें गिरता था.  लेकिन हमारी सरकार ने इस सीवर पॉइंट को सेल्फी पॉइंट में बदला. आज एक बूंद भी सीवर गंगा में नहीं गिरता है और जल के साथ जीव भी यहां सुरक्षित हैं. प्रयागराज के 2019 में आयोजित हुए कुंभ की सफलता की कहानी भी स्वच्छता और अविरल निर्मल गंगा की गाथा को कहती है. हमारी सरकार ने न सिर्फ गंगा मां पर बल्कि उसकी सहायक 10 नदियों पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया. प्रयागराज के कुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और गंगा के निर्मल अविरल से आचमन भी किया. उन्होंने कहा कि कोई भी योजना तब सफल होती है जब सरकार के साथ समाज भी उसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है. और इस योजना की सफलता भी हमें तभी मिली जब समाज ने हमारा साथ दिया.

गंगाजल आचमन और पूजा करने योग्य-सीएम

काशी में गंगा निर्मल दिखती है आज गंगाजल आचमन और पूजा करने योग्य हो गया है. यहां डॉल्फिन भी दिखाई देती है. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की योजना को ध्यान में रखते हुए नदियों में कचरे के प्रवाह को रोकने का कार्य किया. जिसमें से अब तक 46 में से 25 का काम पूरा हो चुका है, 19 में काम चल रहा है और दो कार्य प्रगति पर है. आज हमारी सरकार इस योजना को आगे बढ़ा रही है. शवदाह गृह को आधुनिक किया जा रहा है. तकनीक को अपनाकर निर्मल गंगा को बनाने का काम किया जा रहा है. मुझे लगता है कोई भारतीय ऐसा नहीं होगा जो गांव का नाम लेकर आचमन न करता हो. आज सरकार के साथ समाज को भी एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि सिर्फ गंगा ही नहीं गंगा के साथ उसकी 10 सहयोगी नदियों को भी ध्यान में रखकर अपना योगदान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम सबको नदियों में कूड़ा कचरा डालने से बचना होगा आज नमामि गंगे की सफलता के पीछे लोगों का बहुत बड़ा सहयोग रहा है. हमारी सरकार लगातार इन नदियों के उत्थान पर कार्य कर रही है. जो ड्रेनेज व सीवर के लिए अलग से व्यवस्था की जा रही है. साल 2019 में गंगा परिषद बैठक में हमने गंगा यात्रा निकाली, जो बिजनौर से कानपुर और कानपुर से बिजनौर तक निकली.

जनपद और राज्य स्तर पर किया गंगा समिति का गठन-सीएम

गंगा के उत्थान के साथ हम प्राकृतिक खेती और किसानों की मदद कर रहे हैं. आज गंगा के दोनों तटों पर बागवानी, गंगा नर्सरी, गंगा घाट, गंगा पार्क स्थापित हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि सर्वाधिक प्रवाह यूपी में होने के कारण आज हमारी सरकार ने दोनों तटों पर वृक्षारोपण, किसानों को फ्री में पौधा और 3 साल की सब्सिडी देने के कार्यक्रम को तेजी से चल रहे हैं. जिसको हम निरंतर युद्ध स्तर पर बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं. मेरी सभी से अपील है कि समाज गंगा की धारा को निर्मल और अविरल बनाने में आगे आए. हमारी सरकार ने गंगा समिति का गठन जनपद और राज्य स्तर पर किया है जिसके तहत लगातार कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है.

काफ्तान ड्रैस में बेबी बंप फ्लौंट करती दिखीं Sonam Kapoor, देखें फोटोज

बौलीवुड एक्ट्रेस सोनम कपूर (Sonam Kapoor) आए दिन सुर्खियों में रहती हैं. कभी ट्रोलिंग तो कभी अपने फैशन के चलते सुर्खियां बटोरने वाली एक्ट्रेस सोनम ने हाल ही में अपने नए फोटोशूट (Sonam Kapoor Pregnancy Photoshoot) की झलक फैंस को दिखाई है, जिसमें वह अपना बेबी बंप फ्लौंट करती नजर आ रही हैं. वहीं फैंस उनके इस लुक की तारीफ कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

काफ्तान पहने दिखीं सोनम कपूर

 

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हाल ही में सोनम कपूर ने अपने बेबी बंप को फ्लौंट करते हुए फोटोशूट करवाया था. वहीं इस फोटोशूट में वह ब्लैक कलर के नेट पैटर्न वाला काफ्तान पहने नजर आईं. एक्ट्रेस के इस लुक पर जहां फैंस प्यार लुटाते नजर आ रहे हैं. तो वहीं सेलेब्स उनके फैशन की तारीफ कर रहे हैं. इसी के चलते सोनम कपूर का सोशलमीडिया पर शेयर किए गए फोटोशूट की फोटोज को लाखों लाइक्स मिल चुके हैं.

पति संग बिता रही हैं वक्त

 

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फोटोशूट के अलावा एक्ट्रेस सोनम कपूर अपने डेली लाइफ के पलों को भी फैंस के साथ शेयर कर रही हैं. दरअसल, एक्ट्रेस ने हाल ही में पति आनंद अहूजा संग फोटोज शेयर की थी, जिसमें वह फ्रिल ड्रैस पहने नजर आ रही थीं. वहीं एक्ट्रेस के पति उन पर प्यार लुटाते हुए नजर आ रही थी.

प्रैग्नेंसी में शेयर कर रही हैं नए लुक

 

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फैशन क्वीन कही जाने वाली सोनम कपूर इन दिनों अपनी प्रैग्नेंसी के दिनों को एन्जौय कर रही हैं, जिसके चलते वह फैंस के साथ अपने प्रैग्नेंसी लुक शेयर कर रही हैं. हाल ही में एक्ट्रेस ने साउथ इंडियन लुक शेयर किया था, जिसमें वह बेहद एलीगेंट लग रही थीं. तो वहीं पैंट सूट में वह एक पार्टी में बेबी बंप फ्लौंट करती हुई दिखीं थीं.

 

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बता दें, एक्ट्रेस सोनम कपूर ने बीते महीने प्रैग्नेंसी का ऐलान किया था. वहीं फैंस भी जानते हैं कि एक्ट्रेस के लिए कितनी खास है. क्योंकि वह पीसीओडी की शिकार हैं. हालांकि फैंस कपल के लिए बेहद खुश हैं.

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स्मार्ट पेरैंट्स तो स्मार्ट बच्चे

सभी मातापिता अपने बच्चों को सब से आगे और सफलता की ऊंचाइयों पर देखना चाहते हैं. इस के लिए वे क्याक्या नहीं करते. सुखसुविधाओं के साधन जुटाते हैं, पौष्टिक आहार खिलाते हैं, फिर भी ऐसा क्यों होता है कि कुछ बच्चे बेहद विलक्षण बुद्धि के होते हैं तो कुछ सामान्य व औसत बुद्धि के? दरअसल, जन्म के समय बच्चे के दिमाग के सैल्स सांस लेने, दिल की धड़कन जैसी कुछ खास क्रियाओं से ही जुड़े होते हैं. मस्तिष्क का बाकी हिस्सा जन्म के 5 साल के भीतर विकसित होता है. न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के चाइल्ड स्टडी सैंटर के मैनेजिंग डायरेक्टर पी. ल्यूकास के अनुसार, ‘‘जन्म के शुरुआती 5 सालों में शिशु के जीवन में घटने वाली घटनाएं न सिर्फ उस के मस्तिष्क का तत्कालीन विकास निर्धारित करती हैं, बल्कि यह भी निर्धारित करती हैं कि आने वाले जीवन में उस का मस्तिष्क कितना विकसित होगा.’’

यद्यपि शिशु के मस्तिष्क विकास के रहस्य को विशेषज्ञ अभी भी पूरी तरह सुलझा नहीं पाए हैं, लेकिन फिर भी यह तो तय है कि अभिभावकों द्वारा किए गए प्रयास बच्चे के मस्तिष्क के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

बनें स्मार्ट पेरैंट्स

यदि आप को लगता है कि बाजार में उपलब्ध बेबी डेवलपमेंट सीडी से या जल्द से जल्द उसे प्ले स्कूल में भेजने से आप के बच्चे का दिमाग तेजी से चलने लगेगा तो आप का सोचना गलत है. विशेषज्ञों की राय में बच्चे के मस्तिष्क का विकास इस पर निर्भर करता है कि आप ने उस के साथ कितना वक्त बिताया है. जी हां, बेशक यह बच्चे पालने का पारंपरिक तरीका हो, लेकिन यह बात सही है कि कंप्यूटर, वैबसाइट्स और टीवी की तुलना में बच्चे के साथ खेले गए छोटेमोटे सरल खेल, अभिभावकों का सान्निध्य बच्चे को ज्यादा ऐक्टिव और स्मार्ट बनाता है, क्योंकि इस दौरान शिशु को जो आत्मीयता और स्नेह मिलता है उस की बराबरी कोई नहीं कर सकता.यदि आप भी अपने शिशु को स्मार्ट बेबी बनाना चाहती हैं तो पहले स्मार्ट मदर बनें और उस की स्मार्ट टीचर भी. आप के द्वारा कही गई हर बात और किया गया हर कार्य आप का नन्हामुन्ना गौर से देखसुन रहा है और उस पर उस का प्रभाव भी पड़ र हा है. इसलिए उस के सर्वश्रेष्ठ विकास के लिए निम्न बातों पर गौर करें:

जन्म से 4 माह तक

उसे कुछ पढ़ कर सुनाएं, लोरी गा कर सुनाएं. शिशु के सामने तरहतरह के चेहरे बनाएं, उसे गुदगुदी करें, बच्चे की आंखों के आगे धीरेधीरे कोई रंगबिरंगी वस्तु, खिलौना या झुनझुना घुमाएं, ऐसे गाने या पोयम्स सुनाएं, जिन में शब्दों का दोहराव हो, आप और शिशु जो भी कर रहे हैं, उसे बोल कर बताएं जैसे ‘अब हम गाड़ी में जा रहे हैं’, ‘अब हम ने आप को कार की सीट पर बैठा दिया है’, ‘अब मम्मी भी कार में बैठेंगी’ आदि.

4 से 6 माह तक

स्टफ टौयज को हग करने में शिशु की मदद करें, छोटेछोटे प्लास्टिक के ब्लाक्स शिशु के आगे रख दें और देखें कि आप का नन्हामुन्ना किस तरह उन को गिरा कर अपने लिए रास्ता बनाता है. अलगअलग रिदम वाला संगीत सुनाएं, रंगबिरंगी तसवीरों वाली किताबें दिखाएं और उस की प्रतिक्रिया देखें. कोमल, खुरदरी सतह वाली विभिन्न वस्तुएं उसे स्पर्श करने को दें ताकि उन के अंतर को वह महसूस कर सके.

6 माह से 18 माह तक

बच्चे से ज्यादा से ज्यादा बातचीत करें ताकि वह विभिन्न ध्वनियों और शब्दों में तालमेल बैठा सके. परिचितों, परिवार के सदस्यों व रोजमर्रा की उपयोग की वस्तुओं से उस का रोज परिचय कराएं, सब के नाम बारबार दोहराएं, शब्दों के दोहराव वाले गाने और पोयम्स हाथों से एक्शन कर के उसे सिखाएं, उस के साथ लुकाछिपी खेलें.

18 से 24 माह

विभिन्न वस्तुओं व रंगों की पहचान कराने वाले खेल उस के साथ खेलें जैसे कई रंगों के बीच में से किसी खास रंग की वस्तु जैसे फूल, कुरसी, उस के तकिए आदि की पहचान, उस के सामने कई सारी चीजें, जिन्हें वह रोज देखता है, रख दें और उन में से कोई भी एक चीज उठाने को कहें. जितना अधिक हो सके अपने शिशु से बातचीत करें, रंगों और कागज से अब धीरेधीरे उस की पहचान कराना शुरू करें, किसी किताब में से उसे कोई कहानी पढ़ कर सुनाएं और इस दौरान उस से कुछ न कुछ सवाल पूछते रहें जैसे कब, कहां पर क्या हुआ आदि उस के खिलौने उसे स्वयं खेलने या चलाने को दें.

24 से 36 माह

जैसेजैसे शिशु साइकिल चलाना या अन्य कोई गतिविधि बखूबी करना शुरू कर दे, उसे पर्याप्त सराहना व प्रोत्साहन दें, अपने खिलौनों से विभिन्न प्रकार के खेल खेलने को प्रोत्साहित कर उस की कल्पनाशक्ति बढ़ाएं, खेलखेल में कुछ ऐसे काम उसे करने को प्रेरित करें, जो आप असल जिंदगी में करते हैं जैसे फोन पर बात करना, गाड़ी चलाना, चाय या दूध पीना आदि. कोई कहानी पढ़ कर सुनाते हुए उस से विभिन्न सवाल पूछते रहें ताकि उस की रुचि बरकरार रहे, कुछ पढ़ कर सुनाते समय विभिन्न अक्षरों या शब्दों की पहचान कराएं, फिर उस से किताब के पेज पर उन्हें ढूंढ़ने को कहें या उन की ध्वनि से परिचय कराएं.

3 से 5 वर्ष

शिशु को अपनी चीजें दूसरों से बांटना सिखाएं, इस के लिए विभिन्न उदाहरण दें, बच्चों के लिए बनाए गए गेम्स उस के साथ खेलें, जिन से उस की सोचनेसमझने और सीखने की क्षमता में वृद्धि हो, बच्चे के द्वारा टीवी देखने के समय को दिन में 1 से 2 घंटे तक सीमित करें व उस के साथ बैठ कर टीवी देखें और उस दौरान उसे बताते रहें कि टीवी में क्या हो रहा है. यदि बच्चा रुचि दिखाता है तो किताब पढ़ने या कोई पहेली हल करने जैसे विकल्प उसे दें. बच्चे को हर छोटीबड़ी चीज करने से रोकेंटोकें नहीं, बल्कि नएनए काम स्वयं करने और अपनी जिज्ञासा स्वयं शांत करने के अवसर प्रदान करें. अपने बच्चे व उस की इच्छा को पर्याप्त सम्मान व अटेंशन दें. उस की हर बात, हर नया अनुभव, चाहे वह अजीबोगरीब ही क्यों न हो, ध्यान से सुनें. रोज अपने बच्चे के साथ कुछ फुरसत के पल जरूर बिताएं और उस से पूछें कि आज दिन भर उस ने क्या किया. बच्चे को नए काम करने, नए अनुभव लेने और उन का बखान करने के लिए भी प्रोत्साहित करें.

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पर्यटन का मतलब तीर्थ नहीं

निरंतर धर्म प्रचार का नतीजा यह है कि देशभर में हिंदू रिलिजयर्स टूरिज्म तेजी से बढ़ रहा है  और चारधाम, काशी कौरीडोर, तिरुपति, वैष्णो देवी के साथ छोटेछोटे देवीदेवताओं के आगे भी भीड़ बढ़ रही हैं. झारखंड के देवधर व ट्रौली की दुर्घटना ऐसी ही एक भीड़ का मामला है जिस में रोपवे ट्रौली का इतिहास तो जम कर हुआ पर भक्तों की लगातार ताता लगा रहने के कारण उस की मरम्मत का काम पूरा नहीं हो सका और अप्रैल में रोपवे की रोप टूटने की वजह से कई की मौत हो गई.

धर्म प्रचार की वजह से पर्यटन का मतलब तीर्थ हो गया है. हिंदू भक्तों के प्रवचनों, पंड़ों, टेलीविजन वे भक्ति चैनलों ही नहीं न्यूज चैनलों पर भी बारबार कहा जा रहा कि फलां देवी की बड़ी आस्थता है, फलां बहुत महान है, फलां जगह जाने से सारे काम सिद्ध हो जाते हैं, फलां दानपुण्य या उपवास करने से व्यापार में मंदी या घर का क्लेश दूर हो जाता है.

औरतों को खासतौर पर निशाना बनाया जा रहा है और अच्छी पढ़ीलिखी औरतों को भी या तो पकवान बनाने के लिए रसोई में धकेला जा रहा है या फिर वर्तमान व भविष्य सुधारने के लिए घर के या बाहर के पूजा घर में हर तीर्थ स्थल पर जहां पहले सन्नाटा रहता था आज हजारों की भीड़ उमडऩे लगी है क्योंकि सरकारी और गैरसरकारी प्रचार इतना जम कर  के है कि आम व्यक्ति सोचता है कि जब सब कर रहे हैं तो वह भी कर ले.

ईसाई प्रचारक संडे को काम नहीं करने देते ताकि लोग चर्च में आ कर पादरी का भाषण सुनते जाए और चलते समय दान देते जाएं. अमेरिका आज अगर पिछडऩे लगा है, वहां कालागोरा, अमीरगरीब भेद बढ़ रहा है और चीन कोरिया जैसे देश वहां की अर्थव्यवस्था पर कब्जा कर रहे हैं तो इसीलिए कि पादरियों का प्रचारतंत्र पिछले दशकों में तेज हुआ. रूस में भी कम्युनिज्म के बाद बढ़ा और आज रूस यूक्रेन युद्ध के पीदे और्थोडोक्स चर्च है जिस की शिकार हजारों रूसी औरतें हो रही हैं जिन के पति या बेटे मरे और अर्थव्यवस्था डांवाडोल हो गई.

अफगानिस्तान में इस्लामी प्रचारतंत्र का बोझा औरतें ही ढो रही है. श्रीलंका में बौद्धिसहली बनाम हिंदू तमिल झगड़े से पहले तो गृहयुद्ध हुआ फिर अब आर्थिक धमाका. ये सब धर्म प्रचार का नुकसान है जो हमारी औरतें भी झेल रही हैं.

नवरात्रों में खास खाना ही खाना बनाना होगा होगा यह औरतों के लिए आफत है. पंडोपुजारियों ने तो फतवा जारी कर दिया पर 9 दिन तक चिकन में बेमतलब का खाना बनाना धर्म का रसोई में घुसना वैसा ही है जैसे छुट्टी में किसी देवीदेवता के दर्शन करने के लिए लंबी लाइन में लगना और मीलो पैदल चलना.

यह कहना कि यह एडवेंचर है, काम से अलग है, हिंदू संस्कृति बनाए रखने का जतन है तब माना जाता जब अंत में चढ़ावा न होता. हर रिलीजिमर्स टूरिज्म का अंत चढ़ावे से होता है जो औरतें अपने घरेलू बजट स काट कर देती है.

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Diabetes में कैसी हो डाइट

आधुनिक जीवनशैली और खानपान की बदलती आदतों ने महिलाओं को जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का आसान शिकार बना दिया है. डायबिटीज उन में से एक है. आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में विश्वभर में 19-20 करोड़ महिलाएं डायबिटीज से पीडि़त हैं. अनुमान है कि 2040 तक यह संख्या बढ़ कर 31 करोड़ हो जाएगी.

डायबिटीज एक लाइलाज बीमारी है, इसे पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन अनुशासित जीवनशैली, खानपान में सुधार, नियमित वर्कआउट, तनाव से बच कर और उचित दवाइयों का सेवन कर रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित रख कर सामान्य जीवन जीया जा सकता है.

महिलाएं और डायबिटीज

बढ़ती आधुनिक सुखसुविधाओं ने महिलाओं की जीवनशैली में काफी परिवर्तन ला दिया है. इस के अलावा कामकाजी महिलाओं की लगातार बढ़ती संख्या के कारण जीवनशैली से जुड़ी हुई बीमारियों की शिकार महिलाओं के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं.

पिछले 2 दशकों में महिलाओं में डायबिटीज के मामलों में भी काफी वृद्धि हुई है. बढ़ता तनाव और घटती शारीरिक सक्रियता महिलाओं को डायबिटीज का आसान शिकार बना रही है. बदलती जीवनशैली के कारण उन की रोगप्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो रही है, जिस से वे बीमारियों की आसान शिकार बन रही हैं. डायबिटीज पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से ही प्रभावित करती है, लेकिन महिलाओं में इस के कारण जटिलताएं अधिक हो सकती हैं.

डाइट

डायबिटीज को नियंत्रित करने में खानपान सब से प्रमुख भूमिका निभाता है. दरअसल, डायबिटीज के मरीजों के लिए डायबिटिक डाइट जैसा कुछ नहीं होता है. उन्हें बैलेंस्ड डाइट का सेवन करना चाहिए. अपनी डाइट में ताजे फलों, सब्जियों, फलियों, दालों, साबूत अनाज, सूखे मेवों, बीजों सभी को शामिल करें. लेकिन डायबिटीज के मरीजों को सिर्फ इतना ध्यान रखना है कि उन्हें किस खाद्यपदार्थ को कितनी मात्रा में और कैसे खाना है.

आप गेहूं की रोटी खा सकती हैं, लेकिन ध्यान रखें वह चोकरयुक्त आटे से बनी हो. आटे में थोड़ा बेसन मिला लें तो ज्यादा बेहतर रहेगा. मल्टीग्रेन आटा भी चुन सकती हैं. आप दिन में एक बार उबले हुए और मांड निकले हुए एक छोटी कटोरी चावल भी खा सकती हैं.

रोज 200 ग्राम फल खाएं:

डायबिटीज के मरीजों के लिए सेब, संतरा, मौसमी, अंगूर, नाशपाती, पपीता जैसे फल अच्छे रहते हैं. उन्हें केले, चीकू, आम, पाइनऐप्पल जैसे फलों को खाने से बचना चाहिए. वैसे कभीकभी थोड़ी मात्रा में इन फलों का सेवन भी कर सकती हैं. रोज थोड़ी मात्रा में ड्राई फ्रूट्स का सेवन भी करें. दिन में 2 बार स्नैक्स भी लें. स्नैक्स में अंकुरित अनाज, सलाद, सूप आदि का सेवन करें. फाइबर युक्त खाद्यपदार्थों का इनटेक बढ़ा दें. फाइबर ग्लूकोस के अवशोषण को बेहतर बनाता है. रोजाना कम से कम 8 गिलास पानी पीना चाहिए.

जंक और प्रोसैस्ड फूड्स के सेवन से बचें क्योंकि इन में कैलोरी की मात्रा काफी अधिक होती है और पोषकता बिलकुल नहीं होती. इन का ग्लाइसेमिक इंडैक्स भी अधिक होता है, जिस से इन्हें खाने के बाद रक्त में शुगर का स्तर तेजी से बढ़ सकता है. चीनी, तलीभुनी चीजों, लाल मांस, चायकौफी, तंबाकू, शराब आदि के सेवन से बचें.

लाइफस्टाइल

अगर आप को डायबिटीज हो गई है तो अपने जीने के अंदाज में थोड़ा सा बदलाव लाएं. ये छोटेछोटे बदलाव आप के रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने में काफी सहायता कर सकते हैं.

अनुशासित जीवनशैली अपनाएं

अनुशासित जीवनशैली का पालन करें. नियत समय पर सोएं, जागें और खाएं. पेशेवर और पारिवारिक जीवन में संतुलन बनाए रखें. गैजेट्स के अत्यधिक इस्तेमाल से बचें. 7-8 घंटे की नींद लें. दिन में 3 बार मेगा मील खाने के बजाय 6 बार मिनी मील खाएं.

टीवी के सामने बैठ कर कभी न खाएं. इस से आप ओवर ईटिंग का शिकार हो सकती हैं. रात को सोने से 2 घंटे पहले खाना खा लें. रात को खाना खाने के बाद 15 मिनट टहलें. इस से पाचन भी अच्छा होगा और सुबह शुगर का स्तर भी सामान्य रहेगा.

नियमित रूप से वर्कआउट करें

अपनी शारीरिक सक्रियता बढ़ा दें. रोज 40-45 मिनिट अपना मनपसंद वर्कआउट करें. आप ऐरोबिक्स, साइक्लिंग, स्विमिंग, रनिंग, जौगिंग, वाकिंग आदि कर सकती हैं. नियमितरूप से वर्कआउट करने से वजन भी नहीं बढ़ेगा और रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी. वर्कआउट का रक्त में शुगर के स्तर पर 12 घंटे तक प्रभाव रहता है.

तनाव से दूर रहें

मानसिक तनाव से बचें. तनाव के कारण रक्त में शुगर का स्तर बढ़ जाता है. कुछ महिलाएं मानसिक तनाव के कारण इमोशनल ईटिंग की शिकार हो जाती हैं, जो वजन और रक्त में शुगर का स्तर बढ़ने का कारण बन जाता है. मस्तिष्क को शांत रखने के लिए मनपसंद संगीत सुनें, किताबें पढ़ें या अपना कोई और शौक पूरा करें.

वजन न बढ़ने दें

मोटापे के कारण इंसुलिन की कार्यक्षमता कम हो जाती है. मोटी महिलाओं के शरीर में इंसुलिन होता तो है, लेकिन काम नहीं कर पाता, जिस से शुगर का स्तर बढ़ जाता है. वजन कम होने से इंसुलिन की कार्यक्षमता बढ़ती है. अपना स्वस्थ वजन बनाए रखें. अगर वजन अधिक है तो उसे कम करने का प्रयास करें.

अगर रोजाना आप अपनी जरूरत से 100-150 कैलोरी का इनटेक कम करेंगी तो 1 साल में बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के अपना वजन 9-10 किलोग्राम तक कम कर लेंगी.

दवा समय पर लें

अगर डाक्टर ने कोई दवा या इंसुलिन का इंजैक्शन लेने की सलाह दी है तो उसे नियमित समय पर लें. अपने डाक्टर के संपर्क में रहें.

ध्यान रहे

डायबिटीज के मरीजों के लिए डेल्ही डायबिटीज रिसर्च सैंटर द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, सभी मरीज जिन्हें डायबिटीज है उन्हें अपना ब्लड प्रैशर 130/80 से कम रखना चाहिए और खाली पेट रक्त में शुगर की मात्रा 110 मिलीग्राम और खाना खाने के 2 घंटे बाद 150 मिलीग्राम से कम रखें.

सब से जरूरी है महिलाएं अपनी कमर का घेरा 32 इंच से कम रखें. बुरे कोलैस्ट्रौल (एलडीएल) को 100 से कम और अच्छे कोलैस्ट्रौल (एचडीएल) 50 से अधिक रखें. ये सभी सावधानियां डायबिटीज के मरीजों को लंबा और सामान्य जीवन जीने में सहायक होती हैं.

-डा. ए.के.  झिंगन

चेयरमैन, डेल्ही डायबिटीज रिसर्च सैंटर, नई दिल्ली. 

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मेरे TB होने से बेटी को कोई खतरा तो नहीं?

सवाल-

मैं 26 वर्षीय एक घरेलू महिला हूं. मु झे किशोरावस्था में टीबी हो गई थी जो ठीक हो गई थी. मेरी 1 माह की बेटी है. कहीं उस के इस बीमारी की चपेट में आने का खतरा तो नहीं है?

जवाब-

अगर गर्भवती महिला को टीबी है और वह अपना सही उपचार करा रही है तो बहुत ही कम मामलों में ऐसा देखा जाता है कि गर्भस्थ शिशु इस का शिकार हो. खतरा तब बढ़ जाता है जब गर्भवती महिला अपना उपचार ठीक तरह से नहीं कराती. आप को घबराने की बिलकुल जरूरत नहीं है क्योंकि आप का टीबी का उपचार आप के मां बनने से बहुत पहले ही हो चुका था. अपने शिशु को बीसीजी वैक्सीन लगवाएं, यह बच्चों को माइकोबैक्टीरियम ट्यूबर्कुलोसिस के संक्रमण से बचाता है.

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ट्यूबरक्लोसिस यानी कि टीबी एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है जो कि सामान्यतः हमारे फेफड़ों को प्रभावित करती है. इस घातक बीमारी का सही समय पर सही इलाज ना करने पर जान भी जा सकती है. टीबी केवल फेफड़ों को ही नहीं हमारे दिमाग को भी प्रभावित कर सकती है. ऐसे में दिमाग के ऊतकों में सूजन आ जाती है. जिसे मेनिनजाइटिस ट्यूबरक्लोसिस, मेनिनजाइटिस या ब्रेन टीबी भी कहा जा सकता है.

आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि यह बिमारी बच्चों और हर वर्ग के वयस्कों को हो सकती है. डाक्टर्स का कहना है कि भारत में टीबी के हर 70 मामलों में से बीस मरीज ब्रेन टीबी के होते हैं. आज हम आपको ब्रेन टीबी के लक्षणों और उसके उपचार के बारे में बताने जा रहे हैं.

ब्रेन टीबी के रिस्क फैक्टर्स

ज्यादा मात्रा में एल्कोहल का सेवन करने, एचआईवी एड्स, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता और डायबिटीज मेलिटस ब्रेन टीबी के प्रमुख रिस्क फैक्टर्स हैं.

ब्रेन टीबी के लक्षण

ब्रेन टीबी के लक्षण शरीर में धीरे-धीरे उबरते हैं. शुरुआत में थकान, कम तीव्रता का बुखार, हमेशा बीमार बने रहना, मिचली, उल्टी, चिड़चिडापन और आलस जैसी समस्याएं सामने आती हैं. दिन-ब-दिन ये लक्षण और भी सख्त और खतरनाक होते जाते हैं.

सही डाइट से संभव है इलाज

आपकी सही डाइट ब्रेन टीबी के इलाज में अहम भूमिका निभा सकती है. इसके लिए रोगी को अपने डाइट में ताजे फल, सब्जियां और काफी मात्रा में प्रोटीन आदि खास तरह के पोषक तत्वों को जरूर शामिल करें. इनसे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और बीमारी से लड़ने में मदद मिलती है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- ब्रेन टीबी एक खतरनाक बीमारी, जानें इसके लक्षण और उपचार

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