मंदिर जरूरी या रोजगार

देश कब क्या सोचे, क्या चिंता करे, क्या बोले, क्या सुने यह भी अब पौराणिक युग की तरह देश का एक वर्ग जो धर्म की कमाई पर जिंदा ही नहीं मौजमस्ती और शासन कर रहा है तय कर रहा है. देश के सामने जो बेरोजगारी की बड़ी समस्या है. उस पर ध्यान ही नहीं देने दिया जा रहा. धर्मभक्तों के खरीदे या बहकाए गए टीवी चैनल या ङ्क्षप्रट मीडिया बेरोजगारों को दुर्दशा की ङ्क्षचता नहींं कर रहे उन की हताशा को आवाज नहीं दे रहे.

हर साल करोड़ों युवा देश में बेरोजगारों की गिनती में बढ़ रहे हैं पर उन के लायक न नौकरियां है, न काम धंधे. यह गनीमत है कि आज जो युवा पढ़ कर बेरोजगारों की लाइनों में लग रहे हैं, वे अपने मांबाप 2 या ज्यादा से ज्यादा 3 बच्चे में से एक है और मांबाप अपनी आय या बधन से उन्हें पाल सकते हैं. 20-25 साल तक के ही नहीं, 30-35 साल तक के युवाओं को मातापिता घर में बैठा कर खिला सकते हैं क्योंकि इस आयु तक आतेआते इन मांबाप के अपने खर्च कम हो जाते हैं.

पर यह बेरोजगारी आत्मसम्मान और अपना विश्वास पर गहरा असर कर रही है और अपनी हताशा को ढंकने के लिए ये युवा बेरोजगार धर्म का झंडा ले कर खड़े हो जाने लगे हैं. ये भी भक्तों की लंबी फौज में शामिल हो रहे है और भक्ति को देश निर्माण का काम समझ कर खुद को तसल्ली दे रहे हैं कि वे कमा नहीं रहे तो क्या. देश और समाज के लिए कुछ तो कर रहे हैं.

आज अगर विवाह की आयु धीरेधीरे बढ़ रही है और नए बच्चों की जन्म दर तेजी से घट रही है तो बढ़ा कारण यही है कि बेरोजगार युवाओं को विवाह करने से डर लग रहा है कि वे अपना बोझ तो मांबाप पर डाल रहे है बीवी और बच्चों को भी कैसे डालें.

घर समाज में सब एक समान नहीं होते. कुछ युवाओं को अच्छा काम मिल भी रहा है. अर्थव्यवस्था के कुछ सेक्टर काफी काम कर रहे हैं. खेती में अभी तक कोई विशेष मंदी नहीं आई है और इसलिए फूड प्रोसीङ्क्षसग और फूड सप्लाई का काम चल रहा है. रिटेङ्क्षलग और डिलिवरी के काम बड़े हैं. पर ये काम बेहद कम तकनीक के हैं और इन में भविष्य न के बराबर है.

आज का युवा बेरोजगारी या आधीअधूरी सी नौकरी के कारण अपनी कमाई में घर भी नहीं खरीद पा रहा है.

ये समस्या आज की चर्चा में नहीं आने दी जा रही क्योंकि ये धर्म द्वारा संचालित शासन की पोल खोलती हैं. निरर्थक मामलों को लिया जा रहा है और जो उठाए गए फालतू के विषयों पर ताॢकक बना देते हैं क्योंकि चर्या का विषय बेरोजगारी जैसे विषय धर्म, दान दक्षिणा, मंदिर, स्वामियों, यज्ञों, आरतियों, मंदिर कैरीडोरों की ओर मुड जाती है.

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Summer Special: 5 लो कैलोरी रेसिपीज

भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत का खयाल रखने के लिए स्वाद से समझौता क्यों? हम आप को बता रहे हैं कुछ ऐसी रेसिपीज जो जायकेदार भी हैं और सेहतमंद भी…

1. नारियल इडली

सामग्री

1 कटोरी बेसन,

1/4 कटोरी सूजी,

1 कटोरी नारियल कसा,

1 छोटा चम्मच ईनो,

1/2 छोटा चम्मच नमक,

1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर.

सामग्री बघार के लिए

1 छोटा चम्मच तेल,

6 पत्ते मीठा नीम,

1 छोटा चम्मच राई,

4 हरीमिर्चें लंबाई में कटी,

1 छोटा चम्मच शकर,

1/2 छोटा चम्मच नीबू का रस.

विधि

बेसन में सूजी, नमक और नारियल डाल कर गाढ़ा घोल बनाएं. ईनो मिला कर इडली पात्र में रख कर इडली बनाएं. गरम तेल में बघार की सारी सामग्री डाल कर 2 बड़े चम्मच पानी डालें. जब उबाल आ जाए तो आंच बंद कर दें. तैयार इडली को एक प्लेट में रखें और ऊपर से नारियल और बघार डाल कर सर्व करें.

2. खीरा डिलाइट

सामग्री

4 खीरे, 50 ग्राम पनीर,

2 बड़े चम्मच दही,

जरूरतानुसार बारीक कटी शिमलामिर्च,

1/2 छोटा चम्मच चाटमसाला,

1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर,

1 बड़ा चम्मच चुकंदर कसा,

जरूरतानुसार धनियापत्ती कटी.

विधि

खीरे को छील कर 2-2 इंच के टुकड़ों में काट लें. बीज निकाल दें. बीच से थोड़ा खोखला कर लें. एक बाउल में दही, पनीर, चाटमसाला, शिमलामिर्च, धनियापत्ती और कालीमिर्च को अच्छी तरह मिलाएं. प्रत्येक खोखले खीरे में तैयार सामग्री भरें. चुकंदर से सजा कर सर्व करें.

3. मल्टीग्रेन पीनट खमण

सामग्री

2 कटोरी मल्टीग्रेन आटा,

1 कटोरी बेसन,

1/2 कटोरी मूंगफली पिसी,

1/2 कटोरी लौकी कसी,

1 छोटा चम्मच नमक,

1 छोटा चम्मच अदरक व हरीमिर्च पेस्ट,

1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर.

सामग्री बघार के लिए

1 छोटा चम्मच तेल,

2 हरीमिर्चें कटी,

1/4 छोटा चम्मच राई,

4-5 पत्ते मीठा नीम,

1 छोटा चम्मच ईनो.

विधि

आटे में बेसन, मूंगफली, लौकी, अदरक व हरीमिर्च पेस्ट और हलदी पाउडर डाल कर पानी की सहायता से गाढ़ा घोल तैयार करें. इस में ईनो डाल कर खमण पात्र में रख कर भाप में पका कर खमण बनाएं. ठंडा होने पर चौकोर टुकड़ों में काटें. गरम तेल में बघार की सारी सामग्री डालें. फिर खमण पर डाल कर सर्व करें.

4. ब्रैड स्प्राउट पोहा

सामग्री

4 ब्राउन ब्रैडस्लाइस,

1 कप अंकुरित मूंग,

1 प्याज बारीक कटा,

2 हरीमिर्चें बारीक कटी,

1 टमाटर कटा,

1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर,

1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर,

1 छोटा चम्मच नीबू का रस,

1/4 छोटा चम्मच गरममसाला पाउडर,

1 बड़ा चम्मच भुनी मूंगफली दरदरी कुटी,

1 बड़ा चम्मच तेल,

थोड़ी सी धनियापत्ती कटी.

विधि

ब्रैडस्लाइस के किनारे काट कर अलग कर दें. स्लाइस को छोटेछोटे टुकड़ों में काट लें. गरम तेल में कटे प्याज, हरीमिर्च और टमाटर, सारे मसाले और फिर मूंग डाल दें.

5 मिनट तक ढक कर पकाएं ताकि मूंग पक जाए. अब कटे ब्रैड के टुकड़े, मूंगफली, नीबू का रस और नमक डाल कर अच्छी तरह चलाएं. धनियापत्ती से सजा कर सर्व करें.

5. बेसन पनीर सैंडविच

सामग्री

1 कटोरी बेसन,

2 कटोरी दही,

1 कटोरी पानी,

1/4 छोटा चम्मच नमक,

1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर,

50 ग्राम पनीर,

1 बड़ा चम्मच खसखस भुनी,

1 बड़ा

चम्मच टोमैटो सौस,

1 छोटा चम्मच चाटमसाला.

विधि

बेसन में नमक, हलदी व दही मिलाएं. इसे एक नौनस्टिक कड़ाही में डाल कर गाढ़ा होने तक पकाएं. तैयार मिश्रण को एक थाली में फैला कर ठंडा होने दें. पनीर के पतले स्लाइस काट लें. इन के दोनों ओर चाटमसाला बुरक लें. अब तैयार बेसन के मिश्रण के भी स्लाइस काट लें और एक ओर टोमैटो सौस लगा लें. एक प्लेट में बेसन का स्लाइस रख कर पनीर का स्लाइस रखें, फिर ऊपर से दूसरा बेसन का स्लाइस रखें और दोनों ओर खसखस में लपेटें. तैयार सैंडविच चाय या कौफी के साथ सर्व करें.

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Eye Sight का गुपचुप चोर ‘ग्लूकोमा’

क्या आपने कभी अपनी आंखों में ऐसा दबाव महसूस किया है, जिससे तेज सिरदर्द हुआ हो और आंखें लाल हो उठी हो?आपने किसी वस्तु को देखते समय उसके चारों ओर इंद्रधनुषी रंग बिखरे देखे है?क्या आँखों पर जोर के साथ आपको मिचली भी आती है? ये ग्लूकोमा के लक्षण हो सकते है,जो दुनिया में अंधेपन का दूसरा सबसे आम कारण है, ऐसा अंधापन जिसे रोका जा सकता है. यह एक ऐसी बीमारी है, जो आईज ऑप्टिक नर्व यानि आंखों की एक ऐसी तंत्रिका को नुकसान पहुंचाती है, जो मस्तिष्क से जुड़ती है और जिससे हमें देखने में मदद मिलती है. ग्लूकोमा आंख में बढ़े हुए दबाव से संबंधित हो सकता है, जिसे इंट्राओकुलर प्रेशर के रूप में जाना जाता है.

ग्लूकोमा के रोगी अधिक

इस बारें में भोपाल के एएसजी आई हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.नेहा चतुर्वेदी कहती है कि बढ़ती उम्र के साथ ये रोग बढ़ता है और 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोग ग्लूकोमा के लिए सबसे अधिक संवेदनशील होते है. यह अनुमान है कि भारत में 40 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 1.1 करोड़ रोगी है, जिसमें वृद्ध लोगों में ग्लूकोमा अधिक दिखाई पड़ा है, वहीं अलग-अलग आयु वालों के लिए इस बीमारी का नाम भी अलग ही है.

  • नवजात शिशु में इस बीमारी के होने पर इसे ’जन्मजात ग्लूकोमा’ कहा जाता है,
  • कम उम्र (3-10 वर्ष) में इसे ’विकासात्मक ग्लूकोमा’ कहा जाता है,
  • ‘किशोर ग्लूकोमा’ 10-40 वर्ष की आयु के बीच के समूह को होने वाले ग्लूकोमा को कहा जाता है. .

होती है कई बार वंशानुगत

डॉ. नेहा आगे कहती है कि कई अन्य बीमारियों की तरह, ग्लूकोमा भी वंशानुगत हो सकता है, सिर या आंख के क्षेत्र में आघात, आंखों में बूंदों या मौखिक दवा के रूप में लंबे समय तक स्टेरॉयड का इस्तेमाल करना भी इस नेत्र विकार का कारण बन सकता है. ग्लूकोमा आमतौर पर कोई चेतावनी वाले लक्षण नहीं दिखाता, यह धीरे-धीरे विकसित होता है और हल्के-हल्के दृष्टि कमजोर करता जाता है. इसलिए, इसे ’आँखों का गुपचुप चोर’ या ‘साइलेंट थीफ ऑफ साइट’ भी कहा जाता है. ग्लूकोमा की वजह से दृष्टि के नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती, ऐसे में हाई रिस्क वाले लोगों के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ से नियमित जांच करवाना बहुत जरूरी हो जाता है. नियमित जांच में ऑप्टिक नर्व स्ट्रक्चर और आई प्रेशर की जांच की जाती है और जरूरी हुआ तो नर्व की टेस्टिंग के लिए कुछ परीक्षणों का सुझाव दिया जाता है. इनमेंविजुअल फील्ड टेस्टिंग,कॉर्नियल मोटाई और ऑप्टिक नर्व की ओसीटी स्कैन शामिल है. ये परीक्षण न केवल ग्लूकोमा के निदान की पुष्टि करने में मदद करते है, बल्कि रोग से होने वाले आँखों की नुकसान की मात्रा निर्धारित करते हुए स्थिति को संभालने में मदद करते है.

एनाटोमिकली अलग संरचना 

हालाँकि प्रत्येक आंख की एनाटोमिकलस्ट्रक्चर अलग होती है, ऐसे में दो प्राथमिक प्रकार के ग्लूकोमा खास तौर पर होते है, ओपन-एंगल ग्लूकोमा (ओएजी), जिसमें धीमी और स्पर्शोन्मुख शुरुआत होती है और एंगल-क्लोजर ग्लूकोमा (एसीजी), जो ओकुलर दबाव में तीव्र वृद्धि का कारण बनता है.

अपनाएं प्रिवेंटिव तरीका

डॉ मानती है कि वर्तमान में ग्लूकोमा का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है लेकिन रोगी में विजन और फील्ड के अधिक नुकसान को रोकने के लिए विभिन्न उपचारों और थिरेपी के द्वारा नेत्र विकार का प्रबंधन किया जा सकता है. आंखों के दबाव को वांछित स्तर तक कम करने के लिए कई विकल्प उपलब्ध है. रोग शुरुआती चरण में है, तो नियमित रूप से उपयोग करने के लिए कोई आई ड्रॉप निर्धारित कररोग को नियंत्रित किया जा सकता है. जिन्हें इससे भी लाभ नहीं होता है उन रोगियों में आई सर्जरी भी एक विकल्प है, जो रोग के विकास को धीमा करने या रोकने में मदद करती है. ओलोजन इम्प्लांट, वाल्व सर्जरी, मिनिमली इनवेसिव ग्लूकोमा सर्जरी (एमआईजीएस), लेजर सर्जरी के उपयोग के साथ स्टैंडर्ड फिल्टरिंग सर्जरी जैसे सर्जरी के विभिन्न उपचार विकल्प हैं जिन्हें डॉक्टर की सलाह के बाद करवाया जा सकता है.

सुने डॉक्टर की

रोगी और डॉक्टर मिलकर ही ग्लूकोमा का सही इलाज तय कर सकते है.जरुरत के आधार पर उपचार निर्धारित करने के बाद नेत्र रोग विशेषज्ञ आपको जो भी निर्देश दें, उनका लगातार पालन करने की जरूरत होगी. नियमित जांच, सालाना या छह महीने में आंखों की पूरी जांच, एंटीऑक्सीडेंट खाद्य पदार्थों से भरपूर संतुलित आहार खाकर स्वस्थ वजन बनाए रखना, मधुमेह को नियंत्रण में रखना, कैफीन के अधिक सेवन से बचना और धूम्रपान विकार से लड़ने में मदद करने जैसे कुछ एहतियाती उपाय बरतने पड़ते है. इसके अलावाकुछ केसेज में रोगी से शीर्षासन व्यायाम न करने की सलाह दी जाती है और अचानक ज्यादा मात्रा में पानी न पीने की सलाह भी दी जाती है, क्योंकि इससे आंखों पर दबाव बढ़ सकता है.

अंत में यह कहना सही होगा कि आपको जरा सा भी ग्लूकोमा के लक्षण दिखाई पड़ने पर, तुरंत उपचार की कोशिश करें, ताकि आप दृष्टि हानि से बच सकें. इसके लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ के साथ नियमित जांच, निर्धारित दवा को लेना जैसे उपाय आजमाने ही होंगे.इससे  रोगी को स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलेगी. इसके अलावा, स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता भी ग्लूकोमा को नियंत्रित करने की एक कुंजी है.

रिश्तों की परख

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जब अफेयर का राज पकड़ा जाए

बेंगलुरु के एक 31 वर्षीय सौफ्टवेयर इंजीनियर को काफी समय से अपनी पत्नी पर शक था कि उस का किसी के साथ अफेयर चल रहा है और वह ये सब छिपा कर उसे धोखा दे रही है. इंजीनियर को कई बार घर से सिगरेट के कुछ टुकड़े मिलने के साथसाथ और भी कई ऐसी चीजें मिली थीं जिन से पत्नी पर शक और पुख्ता हो गया था. इन सब के बावजूद जब पत्नी ने अपने संबंध की बात नहीं कबूली तो उस ने अपनी पत्नी की गतिविधियों को ट्रैक करने की ठानी.

इस के लिए उस ने लिविंग रूम की घड़ी के पीछे एक कैमरा सैट किया, लेकिन उस की यह कोशिश नाकाम रही.

दूसरी बार उस ने 2 अन्य कैमरे लिविंग रूम में डिफरैंट ऐंगल्स पर सैट किए. साथ ही अपनी पत्नी के फोन को अपने लैपटौप पर ऐप के माध्यम से और रिमोट सैंसर से कनैक्ट किया, जिस से उसे पत्नी के फोन की चैट कनैक्ट करने में आसानी हुई और वौइस क्लिप के माध्यम से पता चला कि उस की पत्नी अपने बौयफै्रंड से कंडोम लाने की बात कह रही थी. उस ने कैमरों की मदद से बैडरूम में उन्हें संबंध बनाते हुए भी पकड़ा.

इन्हीं पुख्ता सुबूतों के आधार पर पति ने तलाक का केस फाइल किया. अदालत में पत्नी ने भी अपनी गलती स्वीकारी, जिस के आधार पर दोनों का तलाक हुआ.

ऐसा सिर्फ एक मामला नहीं बल्कि ढेरों मामले देखने को मिलते हैं जिन में बिस्तर पर रंगेहाथों अवैध संबंध बनाते पकड़े जाने पर या तो रिश्ता टूट जाता है या फिर ब्लैकमेलिंग की जाती है. इतना ही नहीं आप समाज की नजरों में भी गिर जाएंगे.

ऐसा भी हो सकता है कि आप का कोईर् फ्रैंड आप को रिलेशन बनाते हुए पकड़ ले. भले ही आप उसे दोस्ती का वास्ता दें लेकिन अगर उस का दिमाग गलत सोच बैठा तो वह आप को इस से बदनाम कर के आप को कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ेगा. ऐसे में अगर आप पार्टनर के साथ संबंध बनाने की इच्छा रखते भी हैं तो थोड़ी सावधानी बरतें ताकि आप ब्लैकमेलिंग का शिकार न होने पाएं.

1. करीबी का रूम न लें

आप का बहुत पक्का फ्रैंड है और आप उस पर ब्लाइंड ट्रस्ट कर के अपने फ्रैंड का रूम ले लें और बेफिक्र हो कर सैक्स संबंध बनाने लगें. लेकिन हो सकता है कि फ्रैंड ने पहले से ही रूम में कैमरा वगैरा लगाया हो, जिस से बाद में वह ब्लैकमेल कर के आप से पैसा ऐंठे या फिर आप के पार्टनर से सैक्स संबंध बनाने की ही पेशकश कर दे. ऐसे में आप बुरी तरह फंस जाएंगे. इसलिए करीबी का रूम न लें.

2. सस्ते के चक्कर में न फंसें

हो सकता है कि आप सस्ते के चक्कर में ऐसे होटल का चुनाव करें जिस की इमेज पहले से ही खराब हो. ऐसे में आप का वहां सैक्स संबंध बनाना खतरे से खाली नहीं होगा. वहां आप के अंतरंग पलों की वीडियो बना कर आप को ब्लैकमेल किया जा सकता है.

3. नशीले ड्रिंक का सेवन न करें

पार्टनर्स को नशीले पदार्थ का सेवन कर के सैक्स संबंध बनाने में जितना मजा आता है, उतना ही यह सेहत और सेफ्टी के लिहाज से सही नहीं है. ऐसे में जब आप नशे में धुत्त हो कर संबंध बना रहे होंगे तब हो सकता है आप का कोईर् फ्रैंड आप को आप के पेरैंट्स की नजरों से गिराने के लिए ये सब लाइव दिखा दे. इस से आप अपने पेरैंट्स की नजरों में हमेशाहमेशा के लिए गिर जाएंगे.

4. न लगने दें किसी को भनक

अगर आप अपने पार्टनर के साथ संबंध बनाने का मन बना चुके हैं तो इस की भनक अपने क्लोज फ्रैंड्स को न लगने दें वरना वे भी सबक सिखाने के लिए आप को अपने जाल में फंसा सकते हैं.

5. कहीं रूम में कैमरे तो नहीं

जिस होटल में या फिर जिस भी जगह पर आप गए हैं वहां रूम में चैक कर लें कि कहीं घड़ी, अलमारी वगैरा के पास कैमरे तो सैट नहीं किए हुए हैं. अगर जरा सा भी संदेह हो तो वहां एक पल भी न रुकें वरना आप के साथ खतरनाक वारदात हो सकती है.

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#aliakishaadi: साड़ी में कमाल लगती हैं आलिया भट्ट, देखें 5 परफेक्ट लुक

बौलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट (Alia Bhatt) और एक्टर रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) जल्द ही शादी के बंधन में बंधने वाले हैं, जिसके चलते वह इन दिनों सुर्खियों में हैं. वहीं फैंस उनके शादी की रस्मों के शुरु होने और कपल के लुक को देखने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इसी बीच हम आपके लिए लेकर आए हैं आलिया भट्ट के साड़ी लुक्स (Alia Bhatt Saree Looks) की झलक, जिन्हें आप अपने वेडिंग हो या पार्टी, हर फंक्शन में ट्राय कर सकती हैं. आइए आपको दिखाते हैं आलिया भट्ट के वेडिंग से लेकर सिंपल साड़ी लुक्स की झलक…

साउथ लुक में खूबसूरत लगती हैं आलिया

 

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इन दिनों बनारसी साड़ियों का फैशन काफी ट्रैंड में हैं. बौलीवुड अदाकाराएं अक्सर इस लुक को फ्लौंट करती नजर आती हैं. वहीं बीते दिनों आलिया भट्ट एक फैमिली फंक्शन में साउथ स्टाइल में बनारसी साड़ी के साथ बालों में गजरा लगाए नजर आईं थीं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं. फैंस को आलिया भट्ट का ये अंदाज काफी पसंद आया था.

 

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प्लेन साड़ी के साथ ट्रैंडी ज्वैलरी

 

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भारी साड़ियां अक्सर लोगों को पसंद आती हैं. लेकिन अगर समर वेडिंग की बात करें तो हल्का कलर हो या मटीरियल, लोग लाइट ही पसंद करते हैं. वहीं अगर किसी वेडिंग फंक्शन में अपनी लाइट वेट वाली साड़ी को हैवी लुक देना हो तो आलिया की ये वाइट साड़ी के साथ हैवी ग्रीन झुमके बेस्ट औप्शन साबित होंगे. इस लुक को आप समर वेडिंग या पार्टी में ट्राय कर सकती हैं.

 

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 शिफौन की साड़ी करें ट्राय

 

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बीते दिनों अपनी फिल्म गंगूबाई के लिए एक्ट्रेस आलिया भट्ट एक से बढ़कर एक साड़ी ट्राय करती नजर आईं थीं. उन्हीं में से एक शिफौन पैटर्न की साड़ी ने फैंस का ध्यान खींचा था. क्रीम कलर की शिफौन साड़ी के साथ औक्साइड ज्वैलरी और बालों में गुलाब लगाएं एक्ट्रेस बेहद खूबसूरत लग रही थीं, जिसके चलते वह सुर्खियों में थीं.

बंधनी साड़ी को दें मौर्डन लुक

 

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आजकल मार्केट में कई तरह की साड़ी मौजूद हैं. वहीं बंधनी साड़ी भी काफी ट्रैंड में चल रही हैं. आलिया भट्ट ने भी ये साड़ी ट्राय की है. हैवी काम वाली बंधनी साड़ी के साथ आलिया सिंपल ग्रीन मांगटीका लगाएं बेहद खूबसूरत लग रही हैं.

 

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पलटवार : भाग 2- जब स्वरा को दिया बहन और पति ने धोखा

‘‘नहीं तो, रोज ही तो खाना वापस आता है. मैं ने सोचा क्यों बरबाद किया जाए और श्रेया तो यों भी फिगर कौंशस है. वह तो दोपहर में जूस आदि ही लेती है. ऐसे में खाना बनाने का फायदा ही क्या?’’ स्वरा ने तनिक कटाक्ष के साथ कहा, ‘‘और हां अमित, घर की डुप्लीकेट चाबी लेते जाना क्योंकि आज शाम को मैं घर पर नहीं मिलूंगी. मेरा कहीं और अपौइंटमैंट है.’’

‘‘कहां?’’ अमित को आश्चर्य हुआ. उन के विवाह को 2 वर्ष बीत चले थे. कभी भी ऐसा नहीं हुआ था कि अमित आया हो और स्वरा घर पर न मिली हो.

‘‘अरे, मैं तुम्हें बताना भूल गई थी, विशेष आया हुआ है,’’ स्वरा के स्वर में चंचलता थी.

‘‘कौन विशेष? क्या मैं उसे जानता हूं?’’ अमित ने तनिक तीखे स्वर में पूछा.

‘‘नहीं, तुम कैसे जानोगे. कालेज में हम दोनों साथ थे. मेरा बैस्ट फ्रैंड है. जब भी कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम कालेज में होता था, हम दोनों का ही साथ होता था. क्यों श्रेया, तू तो जानती है न उसे,’’ स्वरा श्रेया से मुखातिब हुई. श्रेया का चेहरा बेरंग हो रहा था, धीमे से बोली, ‘‘हां जीजू, मैं उसे जानती हूं. वह घर भी आता था. आप की शादी के समय वह कनाडा में था.’’

‘‘अरे, स्वरा ने तो कभी अपने किसी ऐसे दोस्त का जिक्र भी नहीं किया,’’ अमित के स्वर में रोष झलक रहा था.

‘‘यों ही नहीं बताया. अब भला अतीत के परदों को क्या उठाना. जो बीत गया, सो बीत गया,’’ स्वरा ने बात समाप्त की और तैयार होने के लिए चली गई. अमित तथा श्रेया भौचक एकदूसरे को देख रहे थे.

‘यह कौन सा नया रंग उस की पत्नी उसे दिखा रही थी.’ अमित हैरान था, सोचता रह गया. वह तो यही समझता था कि स्वरा पूरी तरह उसी के प्रति समर्पित है. उसे तो इस का गुमान तक न था कि स्वरा के दिल के दरवाजे पर उस से पूर्व कोई और भी दस्तक दे चुका था और वह बंद कपाट अकस्मात ही खुल गया.

‘‘जीजू चलें?’’ श्रेया तैयार खड़ी थी.

‘‘आज मैं औफिस नहीं जाऊंगा, तुम अकेली ही चली जाओ,’’ अमित ने अनमने स्वर में कहा और अपने कमरे में चला गया. भड़ाक, दरवाजा बंद होने की आवाज से श्रेया चिहुंक उठी. ‘तो क्या जीजू को ईर्ष्या हो रही है विशेष से,’ वह सोचने को विवश हो गई.

इधर अमित बेचैन हो रहा था. वह सोचने लगा, ‘मैं पसीनेपसीने क्यों हो रहा हूं. आखिर क्यों मैं सहज नहीं हो पा रहा हूं. हो सकता है दोनों मात्र दोस्त ही रहे हों. तो फिर, मन क्यों गलत दिशा की ओर भाग रहा है. मैं क्यों ईर्ष्या से जल रहा हूं और फिर पिछले 2 वर्षों में कभी भी स्वरा ने ऐसा कुछ भी नहीं किया जिस से मेरा मन सशंकित हो. वह पूरी निष्ठा से मेरा साथ निभा रही है, मेरी सारी जरूरतों का ध्यान रख रही है. मेरा परिवार भी उस के गुणों और निष्ठा का कायल हो चुका है. तो फिर, ऐसा क्यों हो रहा है.

‘क्या तू ने उस के प्रति पूरी निष्ठा रखी?’ उस के मन से आवाज आई, ‘क्या श्रेया को देख कर तेरा मन डांवाडोल नहीं हो उठा, क्या तू ने श्रेया के संग ज्यादा अंतरंगता नहीं दिखाई? कितने दिनों से तू ने स्वरा को अपने निकट आने भी नहीं दिया, क्यों? आखिर क्यों? क्या तेरे प्यार में बेवफाई नहीं है?’

‘नहींनहीं, मेरे प्यार में कोई भी बेवफाई नहीं’, वह बड़बड़ा उठा, ‘श्रेया हमारी मेहमान है. उस का पूरी तरह खयाल रखना भी तो हमारा फर्ज है, इसीलिए स्वरा को श्रेया के साथ, उसी के कमरे में सोने के लिए कहा ताकि उसे अकेलापन न लगे. मेरा ऐसा कोई बड़ा अपराध भी नहीं है.’ अमित ने स्वयं को आश्वस्त किया लेकिन शंका का नाग फन काढ़े जबतब खड़ा हो जाता था.

शाम के 7 बज गए. ‘कहां होगी, अभी तक आई नहीं, अमित कल्पनाओं के जाल में उलझता जा रहा था. क्या कर रहे होंगे दोनों, शायद फिल्म देखने गए होंगे. फिल्म, नहींनहीं, आजकल कैसीकैसी फिल्में बन रही हैं, पता नहीं दोनों स्वयं पर काबू रख पा रहे होंगे भी, या नहीं. अमित का मन उद्वेलित हो रहा था, जी में आ रहा था कि अभी उठे और दोनों को घसीटते हुए घर ले आए. शादी मुझ से, प्यार किसी और से. अरे, जब उसी का साथ निभाना था तो मना कर देती शादी के लिए,’ अमित का पारा सातवें आसमान पर चढ़ता जा रहा था.

‘अब तो सिनेमा भी खत्म हो गया होगा, फिर कहां होंगे दोनों, क्या पता किसी होटल में गुलछर्रे उड़ा रहे हों. आखिर विशेष होटल में ही तो ठहरा होगा. हो सकता है दोनों एक भी हो गए हों,’ उस का माथा भन्ना रहा था. तभी मोबाइल बज उठा, ‘अरे, यह तो स्वरा का फोन है. अच्छा तो जानबूझ कर छोड़ गई है ताकि मैं उसे कौल भी न कर सकूं. देखूं, किस का फोन है.’ उस ने फोन उठाया. स्वरा के पापा का फोन था. ‘‘हैलो’’ उस का स्वर धीमा किंतु चुभता हुआ था.

‘‘अरे बेटा अमित, मैं बोल रहा हूं, स्वरा का पापा. कैसे हो बेटा? स्वरा कहां है? जरा उसे फोन देना.’’

‘‘स्वरा अपने किसी दोस्त के साथ बाहर गई है. मैं घर पर ही हूं. बताइए, क्या बात है?’’ अमित के स्वर में खीझ स्पष्ट थी.

‘‘गुड न्यूज है. तुम्हें भी सुन कर खुशी होगी. अरे भई, श्रेया का विवाह निश्चित हो गया है. बड़ा ही अच्छा लड़का मिल गया है. अब श्रेया को नौकरी छोड़नी पड़ेगी क्योंकि लड़का कनाडा में सैटल्ड है. वह तो अचानक ही आ गया, घर भी आया था. हम उसे पहले से जानते हैं. विशेष नाम है उस का. स्वरा के साथ ही तो पढ़ता था.’’

अब यह कौन सा मित्र है स्वरा का जो अचानक ही आ गया और जिस का नाम भी विशेष ही है, और जो श्रेया से विवाह करने को भी राजी हो गया, अमित सोचने पर विवश हो गया. ‘‘अच्छा, बड़ी खुशी हुई. वैसे स्वरा का एक कोई और भी मित्र है विशेष, जो यहां आया हुआ है और पूरे दिन से स्वरा उसी के साथ है, अभी तक घर नहीं लौटी,’’ अमित का स्वर व्यंग्यात्मक था लेकिन उधर से फोन पर टूंटूं की आवाज आ रही थी. शायद नैटवर्क चला गया था.

आने दो स्वरा को, आज फैसला करना ही होगा. आखिर वह चाहती क्या है. अरे जब उसी के साथ रंगरेलियां मनानी थीं तो मुझ से विवाह क्यों किया. मेरे प्यार में उसे क्या कमी नजर आई, जो वह दूसरे के साथ समय बिता रही है. मैं चुप हूं, इस का मतलब यह तो नहीं कि मुझे कुछ बुरा नहीं लग रहा है. और ये विशेष, बड़ा चालाक लगता है, इधर स्वरा से संबंध बनाए हुए है और उधर श्रेया से विवाह करने को भी तैयार है. मतलब यह कि अपने दोनों हाथों में लड्डू रखना चाहता है. आखिर यह क्या रहस्य है, कहीं वो दोनों को तो मूर्ख नहीं बना रहा है.

डोरबैल बज उठी. उस ने दरवाजा खोला. स्वरा ही थी. दरवाजा खोल वह कमरे में आ कर चुपचाप लेट गया. स्वरा ने अंदर आ कर देखा, कमरे में अंधेरा है और अमित लेटा हुआ है. ‘‘अरे, अंधेरे में क्यों पड़े हो, लाइट तो जला लेते.’’ उस ने स्विच औन करते हुए कहा.

‘‘रहने दो स्वरा, अंधेरा अच्छा लग रहा है. हो सकता है रोशनी में तुम मुझ से आंखें न मिला सको’’, उस के स्वर में तड़प थी.

‘‘क्यों, ऐसा क्या हो गया है जो मैं तुम से आंखे न मिला सकूंगी,’’ स्वरा ने तीखे स्वर में कहा.

‘‘तुम अच्छी तरह जानती हो, क्या हुआ है और क्या हो रहा है. मैं बात बढ़ाना नहीं चाहता. मुझे नींद आ रही है, लाइट बंद कर दो, सोना चाहता हूं,’’ कह कर उस ने करवट बदल लिया.

स्वरा मन ही मन मुसकरा उठी, ‘तो तीर निशाने पर लगा है, जनाब बरदाश्त नहीं कर पा रहे हैं.’ उस ने भी तकिया उठा लिया और सोने की कोशिश करने लगी.

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भ्रम भंग: भाग 2- क्या अभय को सजा दिला पाई लतिका

रात को खाना खाते समय लतिका ने हमेशा की तरह भाई नकुल को सब बता दिया. हालांकि नकुल 2-3 साल ही लतिका से बड़ा था पर ज्यादातर बाहर रहने वाले पिता ने बेटी की सारी जिम्मेदारी बेटे को ही सौंप रखी थी. वह लतिका का भाई कम पिता अधिक था और उस के रहते लतिका भी अपने को बहुत सुरक्षित अनुभव करती थी.

नकुल को लतिका की चिंता भी बहुत रहती थी. अगर कालिज या पुस्तकालय से लौटने में उसे जरा भी देर हो जाती तो फौरन साइकिल से लतिका को खोजने निकल पड़ता था. कई बार लतिका उसे पुस्तकालय से आती हुई उन सुनसान रास्तों पर मिली है फिर दोनों भाईबहन पैदल ही साथसाथ आए हैं.

खाने के बाद जब लतिका अपने कमरे में पढ़ने चली गई तो कुछ देर बाद एक फाइल में कुछ कागज लिए नकुल उस के पास आया और उस के बिस्तर पर ही बैठ गया.

‘‘पहचानो इन चित्रों को. पुलिस के रिकार्ड से इन की फोटोकापी कराई है.’’

एकदम चौंक पड़ी लतिका, ‘‘अरे, यह तो अभय, परमजीत और योगी हैं. इन का रिकार्ड पुलिस में?’’ अचरज से उस की आंखें फैल गईं.

‘‘अच्छे लोग नहीं हैं ये पुलिस की नजरों में,’’ नकुल बोला, ‘‘अब तक कई अपराधों को अंजाम दे चुके हैं. अनेक लड़कियां इन की हवस का शिकार हुई हैं. ये पहुंच वाले बड़े लोगों के बिगड़ैल बेटे हैं. अभय तो शहर के प्रसिद्ध नेता का लड़का है. मेरी सलाह है कि तुम इन लोगों से दूर ही रहो. हम लोग इतने साधन संपन्न नहीं हैं कि इन का कुछ बिगाड़ पाएंगे.’’

‘‘जानते हो नकुल,’’ लतिका गंभीर स्वर में बोली, ‘‘मैं तुम्हें पापा के बराबर ही मान देती हूं. सवाल सिर्फ उम्र का नहीं है जिस तरह तुम मेरी रक्षा करते हो, मेरा खयाल रखते हो, मेरी चिंता करते हो, उस सब का महत्त्व मैं समझती हूं. कोई भी लड़की तुम्हारे जैसे भाई को पा कर धन्य हो सकती है. मैं ने आज तक कभी तुम्हारी सलाह की अनदेखी नहीं की. पर भैया, मैं अभय को पसंद करती हूं.’’

‘‘अभय के जाते समय जो चमक तुम्हारी आंखों में मैं ने देखी थी उसे देख कर ही मैं समझ गया था,’’ नकुल बोला, ‘‘इसलिए यह सच भी तुम्हारे सामने रखा है वरना यह रिकार्ड मेरे पास काफी दिनों से है और मैं ने तुम्हारे सामने नहीं रखा था.’’

‘‘ठीक है भाई, मैं सावधान रहूंगी,’’ लतिका ने कुछ सोच कर कहा.

इश्क एक अजीब तरह का बुखार है. आंखों से चढ़ता है और शरीर के सारे अंगप्रत्यंग को कंपकंपा देता है. इतना सब जानने, सुनने के बावजूद लतिका अभय की सूरत को दिलोदिमाग से निकाल नहीं पाती थी. शरीर इस कदर उत्तेजित हो जाता था कि वह अपने तनाव और उत्तेजना को शांत करने के लिए अनेक उपाय करती थी. फिर उस मुक्ति के बाद वह देर तक हांफती हुई बिस्तर पर निढाल पड़ी रहती थी.

दूसरे दिन सुबह लतिका कालिज जाने लगी तो नकुल ने नाश्ते की मेज पर उस से कहा, ‘‘देखो, गलत रास्ते पर तुम बहुत आगे निकल जाओ उस से पहले ही मैं ने तुम्हें आगाह कर दिया है. आशा है तुम मेरी बात मानोगी.’’

रात को जो कुछ अभय को ले कर सोते समय लतिका ने अपने शरीर के स्तर पर महसूस किया था, उस के बाद वह नकुल की बात को बहुत मन से नहीं मान पाई थी. अभय को ले कर उस के मन में अभी भी कहीं कमजोर भावना थी.

कालिज जाते समय लतिका ने जल्दीजल्दी अखबार की खास खबरों पर नजरें दौड़ाईं तो अचानक एक खबर पढ़ कर वह हड़बड़ा गई, ‘‘नकुल भाई, यह खबर पढ़ो.’’

शहर के पास वाले कसबे में एक एकांत मकान के बूढ़े पतिपत्नी की हत्या कर सारी जमापूंजी लूट ली गई.

‘‘बेचारे ये बूढ़े दंपती तो अब अकसर ही मारे जाते हैं. कभी उन के अपने ही बच्चे उन्हें जमीनजायदाद पर कब्जा पाने के लिए मार देते हैं तो कभी बदमाश, लुटेरे यह काम कर देते हैं,’’ नकुल बोला, ‘‘कोई खास बात नहीं है. अब तो यह रोज की बात हो गई है.’’

‘‘खास बात है, नकुल,’’ लतिका कुछ सोच कर बोली, ‘‘मैं कल इसी कसबे में अभय और परमजीत के साथ गई थी और जिस मकान का विवरण यहां छपा है उस मकान के सामने अभय और परमजीत बहुत देर तक न केवल रुके बल्कि उन्होंने मोटरसाइकिल से उस मकान के कई चक्कर भी लगाए थे.’’

‘‘लेकिन हमारे पास पुलिस को देने के लिए सुबूत क्या है?’’ नकुल बोला, ‘‘फिर तुम खुद उन के साथ थीं. खामखा पुलिस तुम्हें भी लपेटेगी. इसलिए इस मामले में चुप रहना बेहतर होगा.’’

उस घटना के बाद काफी दिनों तक अभय, परमजीत और योगी कालिज में दिखाई नहीं दिए. अखबार में छपी वह घटना कुछ दिन चर्चा का विषय भी बनी रही पर जल्दी ही दूसरी घटनाओं की तरह वह भी भुला दी गई.

लतिका केंद्रीय पुस्तकालय आतीजाती रही. नोट्स लेती रही. प्रो. चोपड़ा के दिशा- निर्देशन में फ्रांस की महान उपन्यासकार बोऊवा के उपन्यासों और उन के समाजदर्शन, स्त्री की स्वतंत्रता संबंधी विचारों का मंथन करती रही. इस बीच वह चोपड़ा साहब से बोऊवा की पुस्तकों पर लंबी बहस भी करती रहती थी.

लतिका के प्रयास और मेहनत को देख कर प्रो. चोपड़ा बहुत खुश हो कर बोले, ‘‘पहले इस लघु शोध को पूरा कर लो. एम.ए. के बाद मैं तुम्हें इसी विषय पर दीर्घ शोध ग्रंथ लिखने का काम दूंगा.’’

‘‘धन्यवाद सर, आप ने मुझे इस योग्य समझा,’’ कह कर जब वह चोपड़ा साहब के बंगले से बाहर निकली तो कनक मुसकराई, ‘‘बूढ़े पर तो दिल नहीं आ गया मेरी गुल की बन्नो का?’’

‘‘कनक, मैं धर्मवीर भारती की कहानी की कुबड़ी नहीं हूं,’’ बेसाख्ता, ठहाका लगा कर लतिका हंसी, ‘‘तू जानती है कि मैं अपने मन में अभी भी अभय को पसंद करती हूं.’’

‘‘इस के बावजूद कि पास के कसबे में हुई बूढ़े दंपती की हत्या और लूट में पुलिस को उन लोगों पर ही संदेह है.’’

‘‘मेरा विश्वास है कि अंत में सब ठीक हो जाता है,’’ लतिका बोली.

‘‘क्यों जीते जी जलती आग में कूद कर जान देने पर उतारू है, लतिका.’’

बूढ़े दंपती की हत्या का मामला जब रफादफा हो गया तो अभय, परमजीत और योगी फिर कालिज में दिखाई देने लगे.

एक दिन लतिका को रास्ते में रोक कर अभय हंसहंस कर उस से बातें कर रहा था और वह भी उस की बातों में रुचि ले रही थी कि परमजीत निकट आया और बड़े आदर से उस ने लतिका को नमस्कार किया तो उसे अच्छा लगा. कोई कुछ भी कहे, ये लड़के उस से तो हमेशा ही तमीज से पेश आते हैं.

जब परमजीत जाने लगा तो अभय ने जेब से एक परची निकाल कर परमजीत को देते हुए कहा, ‘‘योगी को दे देना.’’

लतिका ने यह सोच कर ध्यान नहीं दिया कि लड़कों की आपस की बातों में वह क्यों पड़े.

कालिज के बाद जब वह चाय वगैरह पीने कैंटीन पहुंची तो एक सीट पर किसी लड़की से बात करते योगी को देखा. लेकिन वह जल्दी ही उठ गया और काउंटर पर जा कर चायनाश्ते के पैसे देने लगा. वह लड़की भी उस के साथ थी. दोनों कुछ जल्दी में थे.

लतिका ने देखा, पर्स निकालते समय योगी की जेब से एक कागज का टुकड़ा निकल कर गिरा है. वह लपक कर गई और झुक कर उसे उठा लिया. वेटर ने उस के लिए चाय, पानी और डोसा मेज पर लगा दिया था. वह उस परची को ले कर अपनी मेज पर आ गई. उसे यह पहचानते देर न लगी कि यह वही परची है जो अभय ने योगी को देने के लिए परमजीत को दी थी. परची में लिखा था:

‘‘रात 8 बजे के करीब सी.एल. से एक मुरगी निकलेगी. बाएं रास्ते से जाते समय आज उसे हलाल करना है.’’

डोसा खाती लतिका कई बार उस परची को पढ़ गई पर ‘मुरगी के हलाल’ करने का मतलब वह ठीक से समझ नहीं पाई. सी.एल. का मतलब भी उस की समझ में बहुत देर के बाद आया कि हो न हो यह सेंट्रल लाइब्रेरी की बात है. इतना समझ में आते ही वह एकदम हड़बड़ा गई. इस का मतलब मुरगी कोई और नहीं या तो खुद लतिका है या उस जैसी कोई अन्य लड़की, क्योंकि रात के 8 बजे तक लगभग सभी लड़कियां वहां से निकल आती हैं.

लतिका की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. वह अपने को बचाने के लिए आज पुस्तकालय न जाए पर जो हलाल होने वाली लड़की है उसे कैसे बचाए. फिर मन में एक फैसला ले कर वह वहां से चल दी.

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मोस्ट अवेटिड फिल्म ‘Jersey’ की स्टार कास्ट ने दिल्ली में किया प्रमोशन

हाल ही में शाहिद कपूर और मृणाल ठाकुर अपनी जल्द रिलीज होने वाली फिल्म ‘जर्सी’ के प्रमोशन के सिलसिले में दिल्ली के पंचतारा होटल ली मेरिडियन पहुंचे. लगभग दो साल बाद फिल्मों में वापसी कर रहे शाहिद कपूर फिल्म ‘जर्सी’ में संघर्षशील क्रिकेटर के रोल में नजर आने वाले हैं.

आपको बता दें कि ‘जर्सी’ साउथ की इसी नाम से बनी पॉपुलर फिल्म का हिंदी रीमेक है. यह एक स्‍पोर्ट्स ड्रामा है, जिसमें एक क्र‍िकेटर के संघर्ष को दिखाया गया है. फिल्म में दिखाया है कि कैसे एक खिलाड़ी राजनीति के कारण क्रिकेट छोड़ देता है. स्पोर्ट्स कोटे से मिली नौकरी भी चली जाती है. उसका सात साल का बेटा एक जर्सी की फरमाइश करता है. जर्सी खरीदने के लिए रुपये चाहिए. इस रकम के बंदोबस्त के लिए वह फिर मैदान में उतरता है, तो इस बार सफलता उसके कदम चूमती है. लेकिन, मैच जीतने के बाद उसके दिल की धड़कनें थम जाती हैं. यह फिल्म 14 अप्रैल को बॉक्स ऑफिस पर दस्तक देने जा रही हैं.

 

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शाहिद ने बताया, ‘मैंने इस फिल्म के लिए अपने पिता (पंकज कपूर, जो इस फिल्म में शाहिद के कोच की भूमिका निभा रहे हैं) से बहुत कुछ सीखा. मैंने वास्तव में सेट पर लोगों से पंजाबी में बात करने के लिए कहा, ताकि मैं उन्हें सुन सकूं, क्योंकि भाषा को सुन—बोलकर ही इसे आत्मसात किया जा सकता है. इसे वास्तविक स्पर्श देने के लिए हमने फिल्म के एक हिस्से की शूटिंग पंजाब में की है क्योंकि जब आप उस माहौल में शूटिंग करते हैं, तो अभिनय करना और सीखना अपेक्षाकृत और आसान हो जाता है.’

फिल्म में शाहिद कपूर के अपोजिट मृणाल ठाकुर हैं. मृणाल और शाहिद पहली बार किसी फिल्म में साथ काम कर रहे हैं.  मृणाल ने बताया, ”जर्सी’ में मैं एक मजबूत महिला का किरदार निभा रही हूं. मुझे उम्मीद है कि हर महिला इस किरदार के साथ खुद को जोड़ने में सक्षम होगी, क्योंकि खुद को पीड़ित और प्रताड़ित करने के बजाय वह चमकने में सक्षम है.’

फिल्म का ट्रेलर तो पिछले साल नवंबर में ही रिलीज कर दिया गया था, जिसे दर्शकों की तरफ से शानदार रिस्पॉन्स मिला था. अब देखना ये है इस फिल्म को दर्शकों का कितना प्यार मिलता है.

Alia Bhatt के औनस्क्रीन पिता Shiv Subrahmanyam का निधन

बौलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट (Alia Bhatt) की जहां जल्द शादी होने की खबरे हैं तो वहीं उनके पिता के रोल में नजर आ चुके एक्टर शिव सुब्रमण्यम (Shiv Subrahmanyam) का निधन हो गया है. दरअसल, दिग्गज एक्टर और अवौर्ड विनर पटकथा लेखक शिव सुब्रमण्यम का बीमारी के चलते निधन हो गया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर….

फिल्म निर्माता ने दी जानकारी

आलिया भट्ट और अर्जुन कपूर की फिल्म ‘2 स्टेट्स’ में नजर आ चुके एक्टर शिव सुब्रमण्यम का निधन रविवार रात हो गया. दरअसल, फिल्म निर्माता हंसल मेहता ने एक्टर के निधन की खबर शेयर करते हुए लिखा, “गहन और हार्दिक दुख के साथ, हम आपको सबसे प्रतिष्ठित और महान एक्टर में से एक के निधन की सूचना देना चाहते हैं – हमारे सबसे प्यारे शिव सुब्रह्मण्यम. अविश्वसनीय रूप से प्रतिभाशाली, उन्हें व्यक्तिगत रूप से बहुत प्यार और सम्मानित किया गया था. पेशेवर रूप से भी. हम उनकी पत्नी दीया, उनके माता, पिता, रोहन, रिंकी और परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं. भानु चिट्टी और शिव के परिवार के सभी और उनके दोस्तों और उनके फैंस को संवेदना.

सेलेब्स और फैंस ने दी श्रद्धांजलि

निधन की खबर मिलते ही एक्टर के फैंस और सेलेब्स ने सोशलमीडिया के जरिए श्रद्धांजलि दी है. खबरों की मानें तो एक्टर का अंतिम संस्कार आज यानी सोमवार को होने वाला है. कई हिंदी फिल्मों और वेब सीरीज का हिस्सा रह चुके हैं, जिनमें ‘मीनाक्षी सुंदरेश्वर’, ‘नेल पॉलिश’, ‘2 स्टेट्स’, ‘हिचकी, ‘रॉकी ​​हैंडसम’, ‘स्टेनली का डब्बा’ जैसी फिल्म शामिल हैं. हालांकि फिल्म 2 स्टेट्स के जरिए एक्टर शिव को काफी पौपुलैरिटी मिली थी. दरअसल, फिल्म में एक्टर ने आलिया भट्ट के पिता का किरदार निभाया था, जिसे फैंस ने काफी पसंद किया था. वहीं लोगों में उनकी पौपुलैरिटी बढ़ गई थी.


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