romantic story in hindi
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तेल स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक बुनियादी घटक है. हमारे दैनिक जीवन में इस का नियमित इस्तेमाल किया जाता है और इस के लाभदायक तत्त्व हमारे जीवन में गहरा प्रभाव डालते हैं. तेल न सिर्फ हमारी त्वचा को सुंदर बनाता है, बल्कि इंसोमनिया, हृदय रोगों, मधुमेह, याददाश्त में कमजोरी, गुर्दे के रोग, कोलेस्ट्रौल और कैंसर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से भी लड़ता है.
नारियल का तेल
नारियल तेल के ओस्टियोपोरोसिस, गुर्दे और यकृत की बीमारियों, दांतों के क्षय रोग, मधुमेह, हृदय रोगों, त्वचा संक्रमण, प्रोस्टेट के बढ़ने, पुरानी सूजन, पेट के अल्सर, कब्ज,सिस्टिक फाइब्रोसिस, डर्माटाइटिस और एग्जिमा जैसी घातक बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करने में असाधारण लाभ देखे गए हैं. नारियल तेल की सूजन रोकने और रोग प्रतिरक्षण के नियमन की क्षमता को मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कैंसर, आटोइम्यून बीमारी और हृदय रोगों के नियंत्रण में उल्लेखनीय रूप से प्रभावकारी पाया गया है. राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट ऐंड रिसर्च सेंटर के सीनियर मैडिकल ओंकोलौजिस्ट डा. विनीत तलवार कहते हैं, ‘‘नारियल तेल के एंटीऔक्सीडेंट गुणों के साथ एंटीइंफ्लामेटरी और रोग प्रतिरोधक नियामक कार्य कैंसर को रोकने में प्रभावी हैं. हालांकि तथ्य यह है कि इस से इस का कोई सीधा संबंध नहीं है.’’नारियल तेल के लाभों की सूची का कोई अंत नहीं है. यह हेपेटाइटिस सी, दाद, खसरा और निमोनिया जैसे बैक्टीरिया, मूत्र मार्ग के संक्रमण और कवक जैसे विषाणुओं को मारने की बेशुमार शक्ति के साथ डाक्टरों को चकित करता रहा है. नारियल तेल जिन समस्याओं में कारगर है, वे सभी एंटीबायोटिक और दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हैं. इन समस्याओं में नारियल तेल काफी प्रभावकारी पाया गया है. तेल में मौजूद मीडियम चेन फैटी एसिड (एमसीएफए) को महत्त्व दिया गया है, क्योंकि वे आप के प्रतिरोधक तंत्र को मूलत: मजबूत करते हैं, साथ ही वे हमारे चारों ओर मौजूद बैक्टीरिया, विषाणुओं, कवक और परजीवियों को मारते हैं. यह निश्चित रूप से अविश्वसनीय लगता है, लेकिन कुछ चिकित्सकों ने रोगी के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए उन के इलाज में नारियल तेल को शामिल करना शुरू कर दिया है. नारियल तेल इन घातक बीमारियों के खिलाफ लड़ने के अलावा वजन को कम करने में भी सहायता करता है, जो विश्व में हर दूसरे मनुष्य की सब से सामान्य समस्या है. हालांकि नारियल तेल एक वसा है लेकिन यह वजन नहीं बढ़ाता है, बल्कि यह वजन को कम करने में आप की मदद करता है.
जब नारियल तेल आप के शरीर में एक बार पच जाता है तो इस के तुरंत बाद कार्बोहाइड्रेट की तरह यह ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है. यह आप के थायरायड के कार्यकलाप में सुधार करता है, आप के चयापचय को नियंत्रित करने वाली ग्रंथि में सुधार करता है और अंत में, प्रचुर मात्रा में एमसीएफए के कारण आप के चयापचय को आश्चर्यजनक रूप से बढ़ाता है. एमसीएफए थर्मोजेनिक (कैलोरी को जलाने वाला) प्रभाव पैदा करता है, जहां यह अधिक गरमी पैदा करने के लिए त्वरित दर पर अधिक कैलोरी को जलाता है. इसलिए आप अपनी उम्मीद से अधिक तेजी से अवांछित वसा को हटा सकते हैं. थर्मोजेनिक प्रभाव वास्तव में आप को अधिक गरम महसूस कराता है और दिन भर ऊर्जावान बनाए रखता है.
नारियल के तेल के लाभ
मसाज बंद करने के बाद भी यह लंबे समय तक आप की त्वचा को नमी युक्त रखता है.
आप की त्वचा के विषाक्त पदार्थों को हटाने का कार्य करता है.
यह एंटीऔक्सीडेंट से भरपूर है.
समय से पहले उम्र बढ़ने को कम करता है.
यह सुखदायक होता है और तनाव को कम करने में सहायता करता है.
धमनियों में चोट की घटना को कम करता है और इस तरह एथरोस्क्लेरोसिस को रोकने में सहायता करता है.
यह वजन कम करने का बहुत अच्छा टौनिक है.
पैंक्रियाटाइटिस के उपचार में इसे लाभदायक माना जाता है.
पाचनतंत्र में सुधार में सहायता करता है.
आप की ऊर्जा और प्रतिरोधकता बढ़ाता है.
संक्रमण होने पर इस का इस्तेमाल करने पर यह चोट से सुरक्षा प्रदान करता है और इसे ठीक होने में मदद करता है.
गुर्दे और पित्त की थैली की बीमारी को रोकने में सहायता करता है.
रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है और इंसुलिन के स्राव में सुधार करता है.
एचआईवी और कैंसर के रोगियों की विषाणु के प्रति संवेदनशीलता को कम करने में भूमिका निभाता है.
जैतून का तेल
जैतून का तेल तरल सोना (लिक्विड गोल्ड) के रूप में जाना जाता है. इस का इस्तेमाल न सिर्फ खाना पकाने के लिए बल्कि सुंदरता बढ़ाने, घरेलू उपचार और सफाई के लिए हर जगह किया जाता है. जैतून का तेल एक प्राकृतिक रस है जो स्वाद, सुगंध, विटामिन और जैतून के फल के गुणों को संरक्षित रखता है. यह एकमात्र वनस्पति तेल है जिसे फल से ताजा निकालने के बाद आसानी से इसी रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. जैतून के तेल को ‘सुपर आहार’ माना जाता है, क्योंकि इस में बीमारियों से लड़ने वाले एंटीऔक्सीडेंट, विटामिन ई, ओलिक अम्ल, पौलीफिनौल, मोनो संतृप्त वसा और अच्छी स्वास्थ्यवर्द्धक वसा जैसे प्राकृतिक घटक होते हैं.
दरअसल, जैतून के असीमित स्वास्थ्य फायदों का संबंध कोलेस्ट्रौल को कम करने, दर्द को कम करने, मधुमेह को रोकने, आर्थराइटिस के दर्द को कम करने, कैंसर से सुरक्षा प्रदान करने और हृदय को सुरक्षा प्रदान करने से रहा है. जैतून तेल के लाभकारी स्वास्थ्य प्रभाव एकल संतृप्त फैटी अम्ल की अधिक मात्रा और एंटीऔक्सीडेंट पदार्थों की अधिक मात्रा दोनों के कारण होते हैं. अध्ययनों में देखा गया है कि जैतून तेल एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रौल के स्तर को नियंत्रित कर और एचडीएल (अच्छा) कोलेस्ट्रौल के स्तर को बढ़ा कर हृदय रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है. जैतून का तेल हमारे पेट में बहुत अच्छी तरह पच जाता है. वास्तव में, जैतून के तेल के सुरक्षात्मक कार्य अल्सर और गैस्ट्राइटिस पर लाभदायक प्रभाव डालते हैं. जैतून का तेल पित्त की पथरी के बनने की आशंका को कम करता है.
कैंसर में सहायक
स्पेन के शोधकर्ताओं का सुझाव है कि अपने आहार में जैतून के तेल को शामिल करने पर कैंसर की रोकथाम में लाभ मिलता है. डा. तलवार कहते हैं, ‘‘जैतून तेल से से वृहदांत्र (कोलोन), स्तन और त्वचा कैंसर की घटना के कम होने की पुष्टि हुई है. यह अन्य लाभों के साथसाथ स्तन कैंसर के इलाज के बाद रोगी के ठीक होने का अच्छा स्रोत भी है.’’
जैतून के तेल के लाभ
कोलेस्ट्रौल को कम करने में सहायता करता है.
दर्द को कम करता है.
कैंसर और हृदय रोगियों की बहुत सहायता करता है.
आर्थराइटिस के दर्द में आराम पहुंचाता है.
मधुमेह की रोकथाम करता है.
स्ट्रेच मार्क्स को कम करता है.
आप की त्वचा को पोषण देता है.
बाल गिरने को कम करता है.
सरसों का तेल
सरसों तेल की आंतरिक खपत पर कई देशों में प्रतिबंध लगाया जा रहा है, जबकि यह सर्दियों के दौरान मालिश के लिए सब से अच्छा तेल है. इस में खाना पकाने के अन्य तेलों की तुलना में कम संतृप्त वसा होती है. सरसों के तेल में मूलत: ओलिक अम्ल, फैटी अम्ल, लिनोलिक अम्ल और इरूसिक अम्ल होते हैं. इस में पर्याप्त मात्रा में विटामिन, एंटीऔक्सीडेंट के अलावा कोलेस्ट्रौल को कम करने के गुण होते हैं. सरसों के तेल को आप के हृदय को स्वस्थ रखने के लिए अच्छा माना जाता है. डा. मेहता कहते हैं, ‘‘सरसों का तेल सब से स्वास्थ्यप्रद खाद्य तेलों में से एक है, क्योंकि इस में संतृप्त फैटी अम्ल की न्यूनतम मात्रा और एकल संतृप्त और बहु असंतृप्त फैटी अम्ल की अधिक मात्रा होती है, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा है.’’
सरसों के तेल के लाभ
कोरोनरी हृदय रोग से पीडि़त होने से बचाव करता है.
मानव शरीर को विषाक्त रहित करता है.
सिर में मालिश करने पर बाल गिरने को रोकता है.
पाचन और उत्सर्जन तंत्र उत्तेजित करता है.
कवक रोधी के रूप में इस्तेमाल होता है.
प्रतिरोधकता को बनाने में सहायता करता है.
खांसी और ठंड के इलाज में लाभदायक है.
दांतों को कीटाणुओं से सुरक्षा प्रदान करता है.
बादाम का तेल
बादाम ऐसे काष्ठ फल के लिए जाना जाता है, जो मानव शरीर के लिए आवश्यक है. बादाम का तेल स्वास्थ्यप्रद पाचन तंत्र और कोलेस्ट्रौल को कम करने का एक उत्कृष्ट उपाय है. यह मैग्नीशियम और कैल्सियम जैसे आवश्यक खनिजों का खजाना है. आर्टेमिस हास्पिटल के न्यूरोलोजी विभाग के प्रमुख और वरिष्ठ कंसल्टेंट डा. प्रवीण गुप्ता कहते हैं, ‘‘बादाम मानव तंत्रिका तंत्र को बढ़ाने वाले विटामिन ई और डी के साथसाथ वसा और अन्य पोषक घटकों का भरपूर स्रोत है.’’ अनुसंधानकर्ताओं ने पुष्टि की है कि रोजाना कुछ बादाम खाने से आप की याददाश्त बढ़ती है. इस के स्वास्थ्यवर्द्धक लाभों के अलावा, बादाम तेल त्वचा को पोषण और बालों को स्वस्थ रखने में काफी सहायता करता है. ताजे क्रीम में मिला कर या इसे फेस स्क्रब के रूप में इस्तेमाल करने से यह त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाता है.
बादाम तेल के लाभ
रंगरूप में सुधार करता है और चमक बरकरार रखता है.
त्वचा की जलन और सूजन कम करता है.
काले घेरे को हलका करता है.
फटे हुए होंठ और शरीर के रैशेज को ठीक करता है.
बालों को लंबा, मजबूत, मोटा और चमकदार बनाता है.
मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को पोषण देता है.
बुद्धि क्षमता और सहनशीलता को बढ़ाता है.
बादाम के तेल का इस्तेमाल तनावपूर्ण मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है.
खजूर का तेल
खजूर का तेल इलेइस गीनीनसुइस पेड़ के फल से प्राप्त होता है, जिसे अफ्रीकन औयल पाम ट्री भी कहा जाता है. 50% संतृप्त वसा और 50% असंतृप्त वसा युक्त यह तेल वनस्पति तेल में सर्वाधिक बहुउपयोगी तेलों में से है. खजूर के तेल का फैटी अम्ल नारियल तेल की तरह वास्तव में उतना ही हानिकारक नहीं है जितना लोग विश्वास करते हैं, बल्कि इस के कई स्वास्थ्य लाभ हैं. यह मीडियम चेन ट्राइग्लिसराइड (एमसीटी) है जो माता के दूध, उष्णकटिबंधीय तेल और दुग्ध वसा में पाया जाता है. शरीर के लिए इस का पाचन बहुत आसान होता है और यह ऊर्जा के प्रभाव को बढ़ाता है. एमसीटी वैसे लोगों के पोषण का मूल्यवान स्रोत है जो अन्य वसा को आसानी से पचा नहीं सकते हैं, साथ ही एथलीट जिन्हें अत्यधिक प्रभावी ऊर्जा की जरूरत होती है. वनस्पति तेल के रूप में, खजूर का तेल कोलेस्ट्रौल रहित भोजन है. यह 39% ओलिक अम्ल (ओमेगा-9) और 10% लिनोलिक अम्ल (ओमेगा-6) के साथ एक पूरी तरह संतुलित वसा है. यह आवश्यक फैटी अम्ल आप के शरीर में रक्त कोलेस्ट्रौल के स्तर को कम करने में सहायता करता है.स्वादरहित और गंधरहित इस तेल के त्वचा, जोड़, हड्डी में और अन्य स्वास्थ्य लाभ हैं, जो हमारे दैनिक दिनचर्या के लिए जरूरी हैं.
खजूर के तेल के लाभ
बीटा कैरोटिंस से परिपूर्ण है और कैरोटिनौयड्स का सब से परिपूर्ण प्राकृतिक स्रोत है जो एक प्रभावकारी एंटीऔक्सीडेंट होने के लिए जाना जाता है.
खजूर के तेल में पाया जाने वाला टोकोट्रिनोल्स कैरोटिड धमनी के रुकावट को खत्म करने और साथ ही प्लेटलेट एकत्रीकरण में समर्थ हो सकता है और इस तरह स्ट्रोक, आर्टेरियोस्क्लेरोसिस और हृदय रोग से संबंधित अन्य घटनाओं को कम करता है.
खजूर के तेल से परिपूर्ण आहार रक्त के थक्के बनने की प्रवृत्ति को कम करते हैं.
पिछले कई सालों से स्मार्ट फोनों ने दुनिया को अपनी गिरफ्त में इस तरह ले लिया है मानो स्मार्टफोन का न होना, सूर्य का सुबह न निकलना हो. पढ़ेलिखे डाक्टर, विचारक, नेता हों या अधपढ़े मजदूर, छात्र, किसान सभी सारे दिन स्मार्टफोन में उलझे रहते हैं. स्मार्टफोन पर तरहतरह की जानकारी उपलब्ध है, गेम्स हैं, पढऩे की सामग्री है, वीडियो हैं, फिल्में हैं. वहीं, स्मार्टफोन बिजली खाते हैं, डेटा खाते हैं और सब से बड़ी बात यह है कि ये आम आदमी का समय खाते हैं.
हाथ में स्मार्टफोन हो तो हर समय क्या टैंप्रेचर है, यह देखा जाता है. सुबह से कितने स्टैप चल लिए, यह देखा जाता है. करीना कपूर और आलिया भट्ट ने आज क्या पहना, यह देखा जाता है. बिल स्मिथ ने औस्कर पुरस्कार के दौरान क्रिस रौक को किस तरह चांटा मारा, यह देखा जाता है. यूक्रेन के नष्ट होते शहर देखे जाते हैं. जिंद की लडक़ी का नाच देखा जाता है. मोदी का भाषण देखा जाता है. वृंदावन का आडंबर देखा जाता हैं. हिंदूमुसलिम विवाद की झलकियों का तमाशा देखा जाता है.
सारा दिन यही सब देखने में गुजर जाता है. इस से मिलता क्या है? बड़ा सा जीरो. जिंदगी सुधारने की कोई बात स्मार्टफोन पर शायद ही देखी जाती हो. यह तो वह झुनझुना है जो हाथ में है, तो बजाते रहो और खुश होते रहो. इसलिए अब लोग फिर डंब फोन पर लौटने लगे हैं. सीधे सिर्फ टैक्सट मैसेज और फोन कौल करने वाले नोकिया के फोन अब सफल लोग फिर तेजी से खरीद रहे हैं क्योंकि इन से उन का समय बच रहा है. हां, उन्हें अपने खास कामों के लिए बैग में आईपैड या कंप्यूटर रखना पड़ता है पर हर समय स्मार्टफोन के नोटिफिकेशन की पुंगपुंग से फुरसत मिल जाती है.
स्मार्टफोन स्मार्ट तो हैं पर जैसे हर स्टैंडअप कौमेडियन के शो में पिछले मजाकों के अलावा कुछ नहीं मिलता वैसे ही स्मार्टफोन का अनचैलेंज भंडार हर यूजर को और अधिक बेवकूफ बनाता है क्योंकि वह दिमाग की मैमोरी में बेकार फैक्ट्स इस कदर ठूंस देता है कि कुछ सोचनेविचारने का समय ही नहीं मिलता.
स्मार्टफोन से सही इंफौर्मेशन मिल सकती है, यह ऐसा कहना है कि शहर के बाहर बने कूड़े के ढेर में बहुत सी लगभग नई चीजें भी मिल सकती हैं. सवाल है, यह कौन करेगा. आज तो आप ने कुछ जानने के लिए गूगल पर नीदरलैंड टाइप किया नहीं कि कितनी ही साइटों पर नीदरलैंड के विज्ञापन दिखने लगेंगे. आप ने किडनी के बारे में जानने के लिए कुछ टाइप किया नहीं कि आप का स्मार्टफोन डाक्टरों के मैसेजों से भरने लगेगा जो आप की किडनी की रिपेयरिंग सस्ते में करा देने का वादा करेंगे.
स्मार्टफोन आप की गुलामी की निशानी है जिस में फोन की सुविधा और कुछ काम कीर ऐपों के बदले आप हर समय पब्लिसिटी के शिकार बने रहते हैं. स्मार्टफोन नए धर्म की तरह है जो आप को बेवकूफ बनाने के लिए स्वार्थहीन, परिश्रम, बड़ों के आदर जैसे कुछ वाक्य सुनाने के बदले आप से मोटा धन ही नहीं वसूलते, आप को किसी को जान से मारने के लिए उकसा भी देते हैं और अपनी जान देने को तैयार भी कर देते हैं. स्मार्टफोन हाथ में हो, तो आप को रेल की पटरियां क्रौस करते हुए आती ट्रेन की आवाज सुनाई नहीं देती. वहीं, वहां चलाने के दौरान स्मार्टफोन पर बात करना शुरू कर आप किसी को मार भी सकते हैं. यह भी सही है कि आज की मौजूदा स्थिति में स्मार्टफोन हम सब की जरूरत बन चुके हैं और अब इन से छुटकारा पाने का प्रयास करना गहरे काले अंधेरे में रोशनी की लाइन दिखने जैसा है.
कैंटीन से बाहर निकली तो शाम के 6 बज रहे थे. तेजतेज कदमों से वह केंद्रीय पुस्तकालय की तरफ चल दी. वहां तक पहुंचने में उसे आधा घंटा लगा. उस ने पहुंचते ही पुस्तकालय के सभी कमरों में एक बार घूम कर पढ़ रहे लड़केलड़कियों को देखा. उन में वह लड़की भी दिखाई दी जो योगी के साथ कैंटीन में थी. बेहद सुंदर चेहरेमोहरे की उस लड़की को देख कर वह सकुचाई कि कहीं यही तो वह मुरगी नहीं जिसे आज हलाल करने का इन लोगों ने इरादा बनाया है.
‘‘मैं यहां बैठ सकती हूं?’’
लतिका के इस सवाल को सुन कर लड़की ने एक बार को ऊपर निगाह उठा कर देखा और फिर पढ़ने में डूब गई.
‘‘आप का नाम पूछ सकती हूं?’’ लतिका ने पूछा.
‘‘क्यों?’’ मुसकरा दी वह.
‘‘इसलिए कि मैं तुम से कुछ कहना चाहती हूं.’’
‘‘पर मैं तो आप को जानती नहीं.’’
‘‘मुझे जानना जरूरी भी नहीं है,’’ लतिका बोली, ‘‘लेकिन आप का यहां से उठ कर अभी घर चले जाना ज्यादा जरूरी है.’’
इस से पहले कि वह लड़की और कोई सवाल पूछे लतिका ने धीरे से पर्स से कागज की वह परची निकाल कर उसे पढ़वा दी.
‘‘आप जिस लड़के के साथ कैंटीन में थीं उस की जेब से निकल कर यह परची गिरी है. उस के 2-3 साथी हैं, यह आप भी जानती होंगी.’’
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लड़की के काटो तो खून नहीं. चेहरा एकदम सफेद पड़ गया. डरीसहमी हिरनी की तरह वह लतिका को देखती रही फिर किसी तरह बोली, ‘‘तभी योगी का बच्चा मुझ से चिकनीचुपड़ी बातें करता रहा था. मुझे खूब नाश्ता कराया और कहा कि पुस्तकालय में देर तक पढ़ती हो तो भूख लग आती होगी, अच्छी तरह खापी कर जाओ.’’
वह एकदम उठ कर खड़ी हो गई, ‘‘किताबें रख कर आती हूं. मुझे डर लग रहा है. आप साथ चल सकती हैं?’’
‘‘बशर्ते इस परची का जिक्र कभी मुंह पर मत लाना और मेरे बारे में उन लोगों को न बताना कि मैं ने तुम्हें आज यहां से निकाल दिया.’’
घर आ कर लतिका ने सारी बात नकुल को बताई तो वह गंभीर हो कर बोला, ‘‘उस लड़की को बचाया तो अच्छा किया लेकिन अगर उस ने उन लोगों से कभी यह बात कह दी तो वे लोग तुम्हारी जान के दुश्मन हो जाएंगे.’’
एक दिन कालिज में लतिका को अभय ने एक परची थमाई और बोला, ‘‘मुझे एक काम से अभी जाना है. प्लीज, लतिका, इस परची को तुम परमजीत को दे देना. पता नहीं वह कालिज में कितनी देर बाद आए.’’
‘‘अभय, तुम्हारा कोई काम करने में मुझे खुशी होती है.’’
‘‘जानता हूं, इसलिए तुम पर विश्वास भी करता हूं और कभीकभी छोटा सा काम भी सौंप देता हूं,’’ कहता हुआ अभय मोटरसाइकिल स्टार्ट कर चला गया.
बहुत देर तक उस परची को लतिका पढ़ती रही पर वह कुछ समझ नहीं पाई. सिर्फ एक पता लिखा हुआ था और पते के अंत में 9 की संख्या लिखी हुई थी. उस ने उस पते को वैसा का वैसा ही अपने पास लिख लिया और कालिज के बाहर ही एक बैंच पर बैठी पढ़ती रही ताकि परमजीत को देख सके.
लगभग डेढ़ घंटे बाद परमजीत आया तो लतिका ने उसे वह परची दे दी. परमजीत ने परची पढ़ी और फाड़ कर फेंक दी. फिर देर तक हंसता हुआ उस से बातें करता रहा. जब वह उठ कर कक्षा में चली गई तो वह भी कहीं चला गया. उस के जाते ही लतिका लपकी हुई आई और उस ने परची के फटे सारे टुकडे सावधानी से बटोर लिए और एक कागज में पुडि़या बना कर अपने पास रख लिए.
घर आ कर उस ने वे सारे कागज के टुकड़े नकुल को दिए और उस में क्या लिखा था यह नकुल को पढ़ा दिया. नकुल सावधान हुआ. तुरंत लतिका को ले कर थाने गया और अपने उस नौजवान पुलिस अफसर से मिला जो शोध मेें उस की बहुत मदद कर रहा था.
लतिका से मिल कर उसे भी प्रसन्नता हुई और वह बोला, ‘‘आप च्ंिता न करें. आज मैं इन लड़कों को रंगेहाथ पकड़ूंगा. फिर भले ही मेरी नौकरी क्यों न चली जाए.’’
पुलिस अफसर ने सिपाहियों को सावधान किया. कुछ हथियार लिए. फिर सब को जीप में साथ ले कर वह उस पते पर पहुंच गया जो लतिका ने लिख रखा था. इस सब में 8 बज गए. दरवाजे में लगी घंटी बजाई तो देर तक दरवाजा नहीं खुला. आखिर कोई काफी कठिनाई से चलता हुआ गैलरी में आया और उस ने पूछा, ‘‘कौन?’’
‘‘पुलिस. दरवाजा खोलिए. आप से मिलना जरूरी है,’’ उस अफसर ने कहा.
बहुत समझाने पर उस बूढ़ी औरत ने दरवाजा खोला. पुलिस के साथ एक लड़की को देख कर वह महिला कुछ संतुष्ट हुई. लतिका ने तुरंत उस वृद्धा का हाथ पकड़ा और उसे भीतर ले जा कर सारी बात समझाई. फिर भी वह बूढ़ी महिला पुलिस की कोई मदद करने को तैयार नहीं हुई. उस का बारबार एक ही कहना था कि मैं ऐसा नहीं करूंगी. वे हत्यारे मुझे मार डालेंगे. पड़ोस के कसबे में भी एक बूढ़े दंपती को हत्यारों ने ऐसे ही मार डाला था. आप लोग यहां रहें जरूर पर मैं दरवाजा नहीं खोलूंगी, उन्हें अंदर नहीं आने दूंगी, वे मुझे मार डालेंगे.’’
बहुत देर तक समझानेबुझाने पर वह तैयार हुई कि दरवाजा खोल देगी पर वे लोग पिछले कमरे में जहां छिपें वहां से आने में कतई देर न करें वरना वे बदमाश उस की जान ले लेंगे.
रात लगभग 9 बजे घंटी बजी. सब सावधान हो गए.
बूढ़ी महिला फिर भय से कांपने लगी पर किसी तरह टसकती हुई दरवाजे तक पहुंची, ‘‘कौन है?’’
‘‘हम हैं, नानी, तुम्हारे पोते.’’ एक आवाज बाहर से आई. लतिका ने आवाज पहचान ली. यह अभय की आवाज थी. लतिका की भी आंखें भय से फैल गईं. अभी तक वह भ्रम में रही थी. अभय का जादू उस के सिर पर सवार था पर आज उस का भ्रम भंग हो गया.
दरवाजा खुलते ही अभय ने एकदम चाकू उस बूढ़ी औरत की गरदन पर रख दिया और बोला, ‘‘बुढि़या, जल्दी से हमें बता कि माल कहांकहां रखा है. अगर न बताया तो हम तुझे अभी मार देंगे. फिर सारे घर को खंगाल कर सब ले जाएंगे. पास के कसबे की घटना सुनी है कि नहीं तू ने? उन लोगों ने बताने में आनाकानी की तो हम ने उन्हें नरक में भेज दिया और सब ले लिया. तू भी अगर नरक में जाना चाहती है तो मत बता वरना चुपचाप साथ चल और सब माल हमारे हवाले कर दे.’’
बुढि़या को ले कर वे लोग आगे बढ़े ही थे कि झपट कर सारे सिपाही और पुलिस अफसर हथियार ताने पिछले कमरे से निकल कर वहां आ गए. उन के साथ लतिका व नकुल को देख कर अभय सकपका गया. परमजीत और योगी भागने की कोशिश करने लगे पर हथियारबंद सिपाहियों ने उन्हें पकड़ लिया और अभय को तुरंत हथकडि़यां पहना दीं.
अभय गरजा, ‘‘तुम ने अपनी मौत मोल ले ली, लतिका. हम देख लेंगे तुम्हें.’’
‘‘देख लेना बच्चू, पर पहले तो अपने दिए गए अभी हाल के बयान का यह टेप सुन लो जिस में तुम ने पास के कसबे के बूढ़े दंपती की हत्या की और लूट को स्वीकारा है,’’ पुलिस अफसर ने हंस कर कहा, ‘‘दूसरे, इस जगह वारदात करने के इरादे से अपने ही हाथ के लिखे इस परचे को पढ़ो जिसे परमजीत ने फाड़ कर टुकड़ेटुकड़े कर वहीं फेंक दिया था.’’
सबकुछ देख कर परमजीत और योगी तो लगभग गिड़गिड़ाने लगे पर अभय के चेहरे पर जरा भी शिकन नहीं थी, ‘‘तुम चाहे जो कर लो इंस्पेक्टर, हमारा बाप नेता है. वह घुड़क देगा तो तुम्हारे सारे होश ठिकाने लग जाएंगे.’’
‘‘वह सब तो अब अदालत में देखेंगे. फिलहाल तो तुम पुलिस के साथ थाने की हवालात में चलो,’’ पुलिस अफसर उन्हें साथ ले गया.
जाते समय लतिका और नकुल से बोला, ‘‘तुम लोग फ्रिक मत करना. डरने की जरूरत नहीं है. ऐसे जाने कितने अपराधियों को मैं ने सीधा किया है.’’
फिर अनायास ही लतिका का हाथ पकड़ कर धीरे से दबाया और कहा, ‘‘धन्यवाद देना चाहता हूं आप को. आप मदद न करतीं तो ये लोग कभी रंगेहाथों न पकड़े जाते.’’
कुछ दिनों बाद पुलिस अफसर लतिका और नकुल से मिलने उन के घर आया तो लतिका के पिता भी घर पर ही थे. खूब सत्कार किया उन का. फिर किसी तरह अपने संकोच को भूल कर पुलिस अफसर ने लतिका के पिता से कुछ कहने का साहस बटोरा, ‘‘मेरे मांबाप नहीं हैं. इसलिए यह बात मुझे ही आप से करनी पड़ रही है. अगर आप लोगों को एतराज न हो तो मैं लतिका जैसी बहादुर युवती से शादी करना चाहूंगा.’’
‘‘आप ने तो हम लोगों के मन की बात कह दी, इंस्पेक्टर,’’ बहुत खुश हुए लतिका के पिता, ‘‘अब विश्वास हो गया कि मेरी बेटी इस कांड के बाद सुरक्षित रह सकेगी वरना हम लोग भयभीत थे कि बदमाशों को सजा दिलवा कर कहीं हम लोग जान न गंवा बैठें.’’
‘‘जिम्मेदार नागरिकों के प्रति कुछ हमारी भी जिम्मेदारियां हैं, सर,’’ अफसर ने कहा तो सब मुसकराने लगे और लतिका लजा कर भीतर चली गई.
मीनाक्षी विजयी मुद्रा में देररात अपने घर पहुंची. 2 ही दिनों के बाद विशाल का फोन आ गया कि उस ने डीआईजी से बात कर ली है. अरुण नाईक की जल्दी ही रिहाई हो जाएगी. डीआईजी के प्रमोशन के लिए विशाल ने ही मुख्यमंत्री से सिफारिश की थी, इसलिए उसे यकीन था कि डीआईजी उस का यह काम जरूर कर देंगे. डीआईजी को भी विशाल के उपकारों का कर्ज उतारना था, उन्होंने विशाल का काम कर दिया और कुछ ही दिनों में अरुण नाईक जेल से रिहा हो गया.
अपने पति की रिहाई के एक दिन बाद विशाल ने मीनाक्षी को फोन किया, ‘मीनाक्षी तुम्हारा काम हो गया है न, मुझे धन्यवाद देने नहीं आओगी?’
‘आऊंगी न सर, जरूर आऊंगी. आप ने जो काम किया है उस का दाम भी तो चुकाना पड़ेगा न,’ मीनाक्षी ने हंसते हुए कहा.
‘ठीक है, कल शाम को आ जाना. हम तो तुम्हारा बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. मीनाक्षी, तुम ने तो हम पर जादू कर दिया है,’ खुशी से उछलते हुए विशाल ने कहा.
विशाल और मीनाक्षी की दोस्ती गहरी होती जा रही थी जिस का पूरापूरा फायदा अरुण नाईक उठा रहा था. वह अपनी रिहाई के बाद शहर में सांड की तरह घूमने लगा और छोटेमोटे अपराध करने शुरू कर दिए. अरुण नाईक को भी यह यकीन हो गया था कि अब मीनाक्षी अपनी पहुंच से उस को बचा लेगी. उधर मीनाक्षी ने विशाल के साथ अपनी खास दोस्ती का फायदा उठाना शुरू कर दिया. अब उस का उठनाबैठना हाई सोसाइटी में होने लग गया था. वह अफसर या किसी भी मंत्री की केबिन में सहज शिरकत कर सकती थी. मगर विशाल इस बात से अनजान था.
एक दिन विशाल ने बातोंबातों में मीनाक्षी से कहा, ‘मीनाक्षी, चीफ सैक्रेटरी का मेरा प्रमोशन अटका हुआ है. मेरी फाइल उन के पास पड़ी हुई है. फिर आजकल मुख्यमंत्री महोदय मुझ से नाराज चल रहे हैं. एक बार मैं तुम्हें उन से इंट्रोड्यूस करवाना चाहता हूं. क्या तुम उन से मिलना चाहोगी? एक बार उन से तुम्हारी दोस्ती हो जाएगी तो तुम्हें आगे बहुत फायदा होता रहेगा और मेरी फाइल भी…’
विशाल अपनी बात समाप्त करे इस से पहले मीनाक्षी मुसकराते हुए बोली, ‘समझ गई विशाल, मैं और किसी के लिए नहीं पर तुम्हारे लिए उन से जरूर मिलूंगी.’ यह कहते हुए वह विशाल की बांहों में झम गई.
मीनाक्षी को यह पता था कि 2-3 साल पहले मुख्यमंत्री की पत्नी का निधन हो गया था, उन का एक ही बेटा है जो यूएस में पढ़ाई कर रहा है. मुख्यमंत्री अकेले ही रहते हैं. एक दिन विशाल ने अपने जन्मदिन की छोटी सी पार्टी में मुख्यमंत्री से मीनाक्षी की मुलाकात करवा दी. विशाल ने देखा कि मुख्यमंत्री मीनाक्षी को ऐसे देख रहे थे मानो वे नजरों से ही उसे निगल जाएंगे. विशाल के चेहरे पर मुसकान की एक महीन लकीर फैल गई. कुछ ही दिनों बाद मीनाक्षी और मुख्यमंत्री में मुलाकातें बढ़ने लगीं. मीनाक्षी ने मुख्यमंत्री पर अपने हुस्न का ऐसा जादू किया कि 4 दिनों में ही विशाल राज्य का चीफ सैक्रेटरी बन गया.
अपने प्रमोशन से अपार खुश विशाल तो अब मीनाक्षी की उंगलियों पर नाचने लगा था. वहीं, मीनाक्षी के पास वीडियोरूपी दोचार ब्रह्मास्त्र थे जिन का उपयोग वह आपातकालीन हालात में कर सकती थी.
एक दिन मीनाक्षी ने विशाल को फोन किया. ‘हैलो विशाल, कौंग्रेचुलेशन. पार्टी कब दे रहे हो?’
‘थैंक्यू मीनाक्षी, तुम ने तो कमाल कर दिया. जो फाइल 6 महीने तक नहीं हिल रही थी, उसे तुम ने 6 दिनों में निबटा दिया. ग्रेट जौब, तुम बताओ पार्टी कब चाहिए?’
‘शुभस्य शीघ्रम. कल ही हो जाए.’
‘व्हाई नौट, मीनाक्षी.’
अब तो मीनाक्षी की आएदिन पार्टियां हो रही थीं. कभी किसी अफसर के साथ तो कभी किसी मंत्री के साथ, कई बार मुख्यमंत्री भी उसे अपने बंगले पर बुला लेते. अब मीनाक्षी का रहनसहन बदल गया था. अरुण नाईक ने भी महसूस किया कि मीनाक्षी के बरताव में अब बदलाव आ रहा है, मगर उस ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया. वह तो अपनी अपराध की दुनिया में निश्ंिचत हो कर मौजमस्ती लूटने में मशगूल था. उसे पता था कि अब मीनाक्षी की पहुंच मुख्यमंत्री तक है, तो उस का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता.
मगर इधर मीनाक्षी के दिमाग में अलग खिचड़ी पक रही थी. वह अब अरुण की करतूतों से तंग आ चुकी थी. उस के छोटेमोटे अपराधों के कारण जबजब उसे जेल हो जाती थी या उस पर मुकदमा चलता था तबतब उसे छुड़ाने के लिए उसे कभी किसी पुलिस के आला अफसर या मंत्री के साथ हमबिस्तर होना पड़ता था. एक दिन उस ने अपने मन की बात विशाल को बताई कि वह अरुण से अब दूर होना चाहती है. उस के आपराधिक जीवन से अब उसे घृणा हो गई है. विशाल कुमार की मदद से उस ने एक योजना बनाई कि किसी मुठभेड़ में फर्जी एनकाउंटर से अरुण का सफाया कर दिया जाए.
पहले तो विशाल ने इस के लिए स्पष्ट रूप से मना कर दिया, पर मीनाक्षी ने जब उसे एक वीडियो क्लिप की झलक दिखाई तो उस के पसीने छूट गए. वह घबरा कर बोला, ‘मीनाक्षी, यह वीडियो तुम ने कब शूट किया?’
मीनाक्षी ने मुसकराते हुए कहा, ‘जनाब, यह तो अपनी पहली मुलाकात का वीडियो है. ऐसे और भी वीडियो मेरे पास हैं. इसलिए, तुम मेरे रास्ते से अरुण को हटाने का इंतजाम कर दो, वरना ये वीडियो वायरल करने में मुझे ज्यादा समय नहीं लगेगा.’
विशाल के पैरोंतले की जमीन खिसकने लगी. उस ने गिडगिड़ाते हुए कहा, ‘मीनाक्षी, प्लीज इसे डिलीट कर दो. मैं तुम्हारा काम कर दूंगा.’
‘डोंट वरी विशाल, पहले मेरा यह काम कर दो, फिर मैं इसे तुम्हारे सामने ही डिलीट कर दूंगी,’ मीनाक्षी ने शरारती मुसकान बिखेरते हुए कहा.
विशाल का गला सूख गया, बदन पसीने से तरबतर हो गया. उस के सामने अंधकार छा गया. उसे नहीं पता था कि मीनाक्षी ने कोई वीडियो बनाया है. विशाल ने तुरंत हाथपैर मारना शुरू कर दिया. अपने डीआईजी दोस्त से बात की. फिर मुख्यमंत्री को जैसेतैसे पटाया. अरुण इन दिनों पुलिस कस्टडी में ही था. उसे तारीख के मुताबिक कोर्ट ले जाना पड़ता था. पुलिस मौके की तलाश में थी.
एक दिन पुलिस अरुण को उस की बीमार मां से मिलवाने के लिए गांव ले जा रही थी. रात को लौटते समय अरुण लघुशंका के बहाने पुलिस वैन से उतरा. उस ने उतरते समय एक पुलिस अधिकारी की पिस्तौल छीन ली और जंगल में भाग गया. वह पुलिस पर गोली चलाने लगा. जवाबी कार्रवाई में पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में अरुण ढेर हो गया. इस बार विशाल के नसीब से मुठभेड़ असली हुई जिस में अरुण नाईक मारा गया. मगर प्रैस ने इस मामले को नकली एनकाउंटर बता कर बहुत उछाला. कुछ दिनों तक मामला मीडिया में छाया रहा, बाद में धीरेधीरे ठंडा हो गया.
मीनाक्षी को पता नहीं चल सका कि अरुण नाईक की मौत फर्जी एनकाउंटर में हुई है या वह पुलिस पर गोलियां चलाते समय जवाबी कार्रवाई में मारा गया मगर इस का सारा श्रेय विशाल ने ले लिया. मीनाक्षी ने भी यह मान लिया कि विशाल के इशारे पर ही अरुण नाईक का सफाया किया गया है.
अरुण नाईक की मौत के बाद मीनाक्षी ने उस की सारी जायदाद बेच कर दूसरे शहर में बसने का मन बना लिया. वह चाहती थी कि अब वह एक साफसुथरी जिंदगी जिए. जब अरुण नाईक के गैंग के बाकी गुंडों को इस बारे में पता चला तो वे मीनाक्षी से उस जायदाद में अपना हिस्सा मांगने लगे. उन का कहना था कि वे अरुण नाईक के लिए ही काम करते थे, हफ्तावसूली और फिरौती से प्राप्त सारी रकम अरुण के पास जमा होती थी. वे उसी के लिए तो किसी का अपहरण, हत्या, मारपीट आदि करते थे. बंटवारे को ले कर गैंग के लोगों में मारपीट हो गई और गोलियां भी चलीं. मीनाक्षी ने सभी को समझने की कोशिश की. मगर सभी एकदूसरे की जान लेने पर उतारू हो रहे थे.
मीनाक्षी ने इस मामले में विशाल की मदद लेना उचित समझ. इसीलिए वह बारबार विशाल को फोन लगा रही थी.
‘‘मिस्टर विशाल, तुम्हारा ध्यान कहां है?’’ मुख्यमंत्री ने क्रोधित हो कर तेज आवाज में कहा तो विशाल अतीत से वर्तमान में लौटे, बोले, ‘‘सर कहीं नहीं, बस यों ही थोड़ा ध्यान भटक गया था फैमिली मैटर में.’’
मीटिंग खत्म होने के बाद विशाल ने मीनाक्षी को फोन लगाया, ‘‘क्या बात है मीनाक्षी, मैं मुख्यमंत्री के साथ एक मीटिंग में बिजी था.’’
‘‘विशाल, मैं इन गुंडों के बीच बुरी तरह फंस गई हूं. मुझे इन से छुटकारा दिलाओ यार, नहीं तो मैं एक दिन सब को गोली मार दूंगी,’’ गुस्से से तमतमाते हुए मीनाक्षी ने कहा.
‘‘ओह, मीनाक्षी, थोड़ा धीरज रखो. मैं ने डीआईजी से बात कर ली है. वे एक दिन सब को अंदर डाल देंगे. तब तुम आराम से रहना. अपनी सारी जायदाद भी बेच देना,’’ विशाल ने समझते हुए कहा.
मगर मीनाक्षी राजी नहीं हुई. वह जानती थी कि विशाल का एक फ्लैट खाली पड़ा है जिस में वह इन गुंडों का खात्मा होने तक कुछ दिनों के लिए रह सकती है. मगर विशाल नहीं चाहता था कि मीनाक्षी इस फ्लैट में रहे. यह फ्लैट उस के औफिस के ठीक सामने वाली बिल्ंिडग में था.
आगे पढ़ें- एक दिन रात को करीब 2 बजे…
कहानी- लक्ष्मी प्रिया टांडि
‘‘मां, ओ मां, कहां हो तुम? जल्दी यहां आओ. एक बहुत बड़ी खुशी की खबर है,’’ खुशबू के खुशी से डूबे हुए स्वर मेरे कानों से टकराए तो मैं बिस्तर छोड़ कर उठने लगी क्योंकि मैं यह अच्छी तरह से जानती थी कि अब अपनी खबर सुनाए बगैर वह मु़झे छोड़ेगी नहीं.
‘‘मां…मां… मैं बहुत खुश हूं. आप भी खबर सुन कर बहुत खुश होंगी,’’ खुशबू ने मेरी बांह पकड़ कर मुझे चक्करघिन्नी सा गोलगोल घुमा दिया.
‘‘अरे, पहले बता तो सही कि ऐसी क्या बात है जो तू यों खुशी से बावली हुई जा रही है,’’ मैं उसे रोकते हुए बोली.
‘‘मां, अभीअभी अंकल का फोन आया था कि अपनी निशा मां बनने वाली है और उस की गोदभराई की रस्म के लिए हमें बुलाया है. उन्होंने यह भी कहा कि सब से पहले आप ही निशा की गोद भरेंगी. मैं जाती हूं यह खबर निखिल को सुनाने,’’ कह कर खुशबू निखिल के कमरे की ओर दौड़ पड़ी जो रविवार होने की वजह से अब तक सो रहा था.
ओह, कितनी खुशी की खबर है पर मुझ से ज्यादा खुश तो खुशबू है. आखिर निशा उस की ननद कम और सखी ज्यादा जो है. आज यह कहते हुए मुझे फख्र होता है कि खुशबू बहू होते हुए भी मेरे लिए निशा से कहीं अधिक प्यारी बेटी बन गई है. मैं डाइनिंग टेबल की कुरसी पर बैठ जाती हूं. और न चाहते हुए भी मेरा मन अतीत की यादों में खोने लगा.
मेरे जीवन में खुशबू के आने से पहले मुझे क्याक्या नहीं सहना पड़ा था. जीना किसे कहते हैं, शायद मैं भूल चुकी थी और जिंदगी बिताने की रस्म भर अदा कर रही थी. यों तो विधवा के लिए समाज के बनाए नियमों को मैं ने सहज अंगीकार कर लिया था. बचपन से विधवाओं को ऐसी ही बेरंग जिंदगी जीते देखती आई थी सो मन की छोटीछोटी इच्छाओं का दमन करने में मुझे थोड़ी तकलीफ तो होती थी पर दुख नहीं. नियम और परंपरा के नाम पर मेरे ऊपर परिवार वालों का शिकंजा कसा हुआ था.
हालांकि मैं चाहती तो अपने बच्चों के साथ एक छोटा सा घर किराए पर ले कर अलग रह सकती थी पर एक कम उम्र की विधवा को 2 छोटे बच्चों के साथ अकेले रहने पर क्याक्या परेशानी हो सकती थी इस का अंदाजा मुझे अच्छी तरह से था. इसलिए समाज में खुले घूमने वाले भूखे भेडि़यों से खुद को सुरक्षित रखने के लिए मुझे ससुराल वालों का ताना सुनना ज्यादा बेहतर और आसान लगा था.
देखते ही देखते पढ़ाई समाप्त कर निखिल एक मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय में प्रोफेसर नियुक्तहो गया. अब ससुराल वालों की नजरों में मेरी कुछ इज्जत बन गई थी. इधर मेरी ननद अपने पति और ससुराल वालों से झगड़ कर मायके रहने आ धमकी थी. ननद अपने साथ बहुत सारे जेवरात ले कर आई थी और शायद चंद्रहार के साथ सोने की तगड़ी भी जेठानी को देने का लालच दिया था. इसलिए दोनों की आपस में खूब छनती थी और ननद का मायके में डटे रहना जेठानी को बुरा नहीं लगता था.
निखिल की नौकरी लगने के बाद घर में पहला धमाका तब हुआ जब उस ने अपनी बिरादरी से अलग पंजाबी लड़की से विवाह करने का ऐलान किया. विवाह हो भी गया. प्रथा के अनुसार खुशबू पूरे परिवार के लिए कपड़ों के साथ कुछ न कुछ तोहफे भी लाई थी. खूबसूरत साडि़यों ने जेठानी और ननद की नाराजगी को बहुत हद तक कम कर दिया था.
सब से मिलने के बाद खुशबू की नजरें कुछ ढूंढ़ने लगीं. मैं यह सब अंदर कमरे में बैठी परदे की ओट से देख रही थी. चांद सी सुंदर बहू को देख कर मैं मुग्ध थी. मैं यह बिलकुल ही भूल चुकी थी कि अभी थोड़ी देर पहले घर वालों के बीच जा कर अपनी बहू को आशीर्वाद न दे पाने की वजह से मैं कितनी दुखी थी. क्या करती एक विधवा के लिए शुभ काम में शामिल होना वर्जित जो था. पर अपनी ममता को मैं मार न सकी. इसलिए दूल्हादुलहन के रूप में बेटेबहू को देखने की इच्छा मन में लिए परदे के पीछे छिप कर खड़ी हो गई.
तभी खुशबू के प्रश्न ने घर वालों को चौंका दिया, ‘निखिल, मां कहां हैं? क्या वह हमें आशीर्वाद नहीं देंगी?’ फिर वह कुछ ऊंची आवाज में बोली, ‘मां, कहां हो तुम? सब ने मुझे आशीर्वाद दिया, सिर्फ तुम्हीं ने नहीं. किसी कारण से मुझ से नाराज हो तो मैं वचन देती हूं कि तुम्हारी सारी नाराजगी दूर कर दूंगी.’
सभी सकते में आ गए क्योंकि एक तो उन्हें नई बहू के रूप में खुशबू का अपनी सास को ‘तुम’ कह कर संबोधित करना नागवार गुजरा. दूसरे, इस तरह के व्यवहार से खुशबू का दबंग स्वभाव उजागर हो चुका था जो शायद उस के हित में नहीं था लेकिन मैं तो यह संबोधन सुन कर निहाल हुई जा रही थी.
बात यह नहीं थी कि मैं ने मां का संबोधन पहली बार सुना था. हां, खुशबू से ऐसे संबोधन की मैं ने कल्पना नहीं की थी. मैं सोचा करती थी कि मेरी बहू भी और बहुओं की तरह मुझे ‘मांजी’ पुकारा करेगी. शायद इसीलिए एक पराईजाई कन्या का सिर्फ ‘मां’ कहना और आप की जगह बेटी की तरह तुम कह कर संबोधित करना एक अनजाने सुख से मुझे सराबोर कर गया.
फिर भी अंधविश्वास के मकड़जाल को तोड़ कर मैं उस नववधू को आशीर्वाद देने के साथ आलिंगन में भर लेने का साहस न जुटा पाई थी. तभी ननद की बातों ने मेरा ध्यान भंग किया, ‘बेटी, तुम तो जानती ही हो कि मेरे भैया इस दुनिया में नहीं हैं. सो इस समय भाभी यहां आ कर तुम्हें आशीर्वाद नहीं दे सकतीं.’
मैं ने अच्छी तरह अनुभव किया कि ननद ने एक एस.पी. की बेटी से बात करने के लिए अपने स्वभाव के विपरीत बोलने में कितनी कठिनाई से अपने शब्दों को चाशनी में डुबोया था.
ननद की बातें सुन कर खुशबू ने हठी बच्चे की तरह अपना फैसला सुनाया था, ‘फिर ठीक है, मैं भी तब तक अन्न का एक दाना अपने मुंह में नहीं डालूंगी जब तक यहां आ कर मां मुझे आशीर्वाद नहीं दे देतीं.’
सभी बहू को समझासमझा कर थक गए पर 2 घंटे तक वह अपनी बात पर डटी रही. मैं ने भी अंदर परदे की ओट से उस की कितनी मिन्नतें कीं कि वह सब की बात मान ले. पर वह गजब की हठी निकली. इस बात के लिए सब मन ही मन खुशबू को कोस रहे थे कि वह एस.पी. की बेटी थी, ऐसी बित्ते भर की लड़की की क्या मजाल जो वह मेरी जेठानी और ननद जैसी वीरांगनाओं के सामने डटी रहती. चूंकि सब के मन में यह बात गहरे पैठी हुई थी कि नई दुलहन ससुराल में छींक भी दे तो अच्छीभली आफत खड़ी हो सकती है.
आगे पढ़ें- हम दोनों की पलकें भीग उठीं. उफ, मैं…
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सीरियल ‘गुम हैं किसी के प्यार में’ के कपल सई और विराट के बीच आए दिन झगड़ा होता रहता है. हालांकि ये रील लाइफ के झगड़े की जगह इस बार रियल लाइफ कपल यानी नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा के बीच लड़ाई देखने को मिली है. दरअसल, एक्ट्रेस ऐश्वर्या शर्मा ने सीरियल के सेट पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उनके पति नील उन्हें मनाते हुए नजर आ रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं मजेदार वीडियो की झलक….
पति से गुस्सा हुईं एक्ट्रेस
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हाल ही में ऐश्वर्या शर्मा ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें एक्ट्रेस गुस्से में नजर आ रही हैं तो वहीं उनके पति यानी नील भट्ट डांस करके उन्हें मनाने की कोशिश करते दिख रहे हैं. इस वीडियो के कैप्शन में ऐश्वर्या शर्मा ने लिखा कि जब मैं नील भट्ट पर गुस्सा होती हूं. वहीं इस वीडियो पर एक्टर नील ने मजेदार कमेंट करते हुए लिखा है कि हाहाहा मान जाना चाहिए था ना कितने प्यार से मना रहा था. दोनों की इस मजेदार वीडियो देखकर फैंस भी रिएक्शन दे रहे हैं.
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#reels बनाती हैं ऐश्वर्या
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एक्ट्रेस ऐश्वर्या शर्मा सेट पर कई reels शेयर करती रहती हैं. वह पति नील भट्ट हो या भवानी के रोल में नजर आने वाली किशोरी सहाने, सेट पर हर सेलेब्स के साथ फनी रिल्स शेयर करती रहती हैं. फैंस को एक्ट्रेस का ये अंदाज काफी पसंद आता है, जिसके चलते उनकी फैन फौलोइंग भी बढती नजर आ रही है.
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सीरियल में आएगा नया ट्विस्ट
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अपकमिंग अपडेट की बात करें तो सीरियल गुम हैं किसी के प्यार में इन दिनों सम्राट और पाखी के बीच लड़ाई देखने को मिल रही है. दरअसल, सम्राट अपने रिश्ते को आगे बढ़ाने की कोशिश करेगा. लेकिन पाखी उससे दूर होती जाएगी. वहीं सई को शिवानी बुआ के लवर राजीव के बारे में पता चल जाएगा. हालांकि वह विराट को नहीं बताएगी. लेकिन वह उसका पीछा करते हुए राजीव को गिरफ्तार कर लेगा.
बौलीवुड एक्टर शाहिद कपूर (Shahid Kapoor) की जल्द ही एक्ट्रेस मृणाल ठाकुर संग फिल्म ‘जर्सी’ रिलीज होने वाली है. इसके चलते वह प्रमोशन और इंटरव्यू में काफी बिजी चल रहे हैं, जिसके कारण वह फैमिली संग कम बिता पा रहे हैं. वहीं एक इंटरव्यू में उन्होंने अपनी वाइफ मीरा राजपूत और बच्चों से जुड़ा एक किस्सा शेयर किया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…
घर से निकाल देते हैं बीवी और बच्चे
फिल्म के प्रमोशन्स के दौरान एक इंटरव्यू में अपनी वाइफ और बच्चों के बारे में बात करते हुए एक्टर शाहिद कपूर ने मजेदार किस्सा शेयर करते हुए कहा कि हर रोज ऐसा होता है जब मेरी वाइफ मीरा राजपूत (Mira Rajput) और उनके बच्चे यानी मीशा और जैन मिलकर उन्हें घर से बाहर निकाल देते हैं, लेकिन वह किसी न किसी तरह वापस आ ही जाते हैं.
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बेटी को लेकर कही ये बात
मजाक वाइफ और बच्चों के बारे में शाहिद ने कहा कि “रोज अपने बीवी और बच्चों के सामने, ऐसा लगता है कि मेरी कोई औकात ही नहीं है. लेकिन मैं फिर भी घर में रह रहा हूं अभी भी. मैं घर से सात साल से निकला नहीं, मतलब निकला था पर आ गया वापस.” वहीं बेटी मीशा पर प्यार लुटाने वाले शाहिद कपूर ने कहा कि मेरी एक बेटी है और उसने स्कूल जाना शुरू कर दिया है. वहीं जब वह घर पर नहीं होती है तो मुझे अजीब महसूस होता है.
बता दें, मीरा राजपूत और शाहिद कपूर की शादी को 7 साल हो गए हैं. लेकिन दोनों का रिश्ता आज भी मजबूत हैं. कपल की दोस्ती देखकर फैंस दोनों की तारीफ करते नहीं थकते. वहीं सोशलमीडिया के जरिए फैंस के साथ जुड़े रहने वाले शाहिद अक्सर वाइफ संग वीडियो और फोटोज शेयर करते हैं, जिसे देखकर फैंस दोनों की कैमेस्ट्री की काफी तारीफ करते हुए नजर आते हैं.
अगर आप अपनी फैमिली के लिए लंच या डिनर में टेस्टी रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो Sunrise Pure के प्रौडक्ट से बनीं पिंडी चना की ये रेसिपी ट्राय करना ना भूलें.
कितने लोगों के लिए : 4
तैयारी में समय : 8 से 10 घंटे
बनाने में समय : 30- 40 मिनट
सामग्री
– 2 कप रात भर भिगोया हुआ काबुली चना
– 2 बड़े प्याज(बारीक कटे हुए)
– 2 टमाटर(बारीक कटे हुए)
– 5-6 हरी मिर्च(बारीक कटे हुए)
– 1 टेबल स्पून अदरक का पेस्ट
– 1 टेबल स्पून लहसुन पेस्ट
– 2 टी बैग
– 1 बड़ा चम्मच सूखे अनारदाने
– 2 टी स्पून धनिया के दाने
– 1/2 टी स्पून Sunrise Pure हल्दी पाउडर
– 1½ टी स्पून Sunrise Pure लाल मिर्च पाउडर
– 1 टी स्पून Sunrise Pure चना मसाला
– ½ टी स्पून Sunrise Pure गरम मसाला
– 1/2 टी स्पून Sunrise Pure अमचूर
– 4 टेबल स्पून घी
– 1½ टी स्पून जीरा
– 2 टेबल स्पून जीरा पाउडर
– गार्निशिंग के लिए धनिया पत्ती और नींबू
– नमक स्वादानुसार
विधि
– एक पैन लें. उसमें टी बैग और नमक रख कर चनें को सॉफ्ट होने तक पकायें.
– पक जाने के बाद टी बैग को हटा दें. एक बाउल में चनें निकाल लें.
– अब पैन में अनार के दाने, धनिया दाने, Sunrise Pure का 1/2 टी स्पून हल्दी पाउडर, 1/2 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर, अमचूर डालकर भून लें.
– एक कढ़ाई में 3 टेबल स्पून घी को गर्म कर लें. इसमें 1 टी स्पून जीरा डालकर हल्का भूनें. कटे प्याज डालें और गोल्डन होने तक भूनें.
– अब इस मिश्रण में चना और हल्का सा नमक डालकर मिक्स करें.
– एक अलग से पैन में 1 टेबल स्पून घी को गर्म करें. इसमें बाकी बचा जीरा डालें, हल्का पकायें. अब इसमें कटे टमाटर को डाल कर भूनें. कटी हरी मिर्च और नमक को डाल कर पका लें. टमाटर पिघल जाने तक पकायें.
– 1 ग्लास पानी मिलाकर इसे 2 मिनट तक पकायें. अब इसमें छोले मसाला और गरम मसाला डाल कर अच्छी तरह से मिक्स कर लें.
– करीब 15 मिनट तक धीमी आंच पर पकायें. धनिये की पत्ती और नींबू के साथ गार्निश करें और गरमागरम पूरियों के साथ परोसें.
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हम सभी जानते हैं कि बीमारियां कोई सूचना देकर नहीं आती हैं, इसलिए समझदार लोग समय पर ही अपने लिए एक अच्छी हेल्थ पौलिसी खरीद लेते हैं. वहीं अगर आप किसी खास बीमारी से ग्रसित हैं तो भी बाजार में आपके लिए तरह तरह की पौलिसियां मौजूद हैं. एक्सपर्ट मानते हैं कि हमें अपने लिए हेल्थ पौलिसी का चुनाव काफी सोच समझकर करना चाहिए. हम अपनी इस खबर में आपको बताने जा रहे हैं कि हेल्थ पौलिसी की खरीद के दौरान आपको किन सावधानियों को बरतना चाहिए.
एक्सपर्ट की राय
जानकारो का मानना है कि एक अच्छी हेल्थ पौलिसी खरीदने से पहले सबसे पहले इसकी कवरेज जान लें. साथ ही यह सुनिश्चित कर लें कि इसके दायरे में कौन-कौन सी बीमारियां और बेनिफिट्स नहीं आते हैं. इसके पैनल में जो भी अस्पताल हैं उनकी टौप लिमिट क्या है, उसमें डौक्टर के विजिट के चार्जेस, आईसीयू में भर्ती होने के घंटों पर कोई लिमिट तो नहीं है. यह भी जांच कर लें कि किन-किन स्थितियों में पौलिसी धारक क्लेम का हकदार नहीं होता है.
पहले से चल रही बीमारियां
इंश्योरर ऐसा मानकर चलते हैं कि अगर कोई बड़ी उम्र में हेल्थ पौलिसी खरीद रहा है तो जरूर कोई बीमारी होगी. अपने जोखिम को कम करने के लिए वे प्री एग्जिंस्टिंग क्लौज में पौलिसी को डाल देते हैं. इसमें आमतौर पर तीन से चार साल तक का वेटिंग पीरियड होता है. इसलिए हमेशा कोशिश करें कि ऐसी पौलिसी का चयन करें जिसमें वेटिंग पीरियड कम हो, फिर चाहे उसके लिए आपको ज्यादा प्रीमियम ही क्यों न देना पड़ें.
आंशिक भुगतान
इसे को-पेमेंट भी कहा जाता है. यह वो राशि होती है जो पौलिसी धारक हौस्पिटालाइजेशन के दौरान अदा करता है, शेष क्लेम की गई राशि इंश्योरर भुगतान करता है. आपको बता दें कि वरिष्ठ नागरिकों के अधिकांश हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में को-पेमेंट अनिवार्य होती है. हालांकि, कुछ इंश्योरर को-पेमेंट की राशि फिक्स्ड रखते हैं. जबकि कुछ एक रेंज निर्धारित कर देते हैं. यह 10 से 20 फीसद के बीच होती है. ऐसे प्लान को खरीदें जिसमें को-पेमेंट का क्लौज न हो.
अस्पताल के किराये की सीमा
कुछ हेल्थ प्लान में सीमित किराये की कैप लगाई होती है. पौलिसी के तहत अस्पताल के कमरे की निश्चित राशि तय होती है. अगर मरीज इससे ज्यादा का कमरा लेता है तो इंश्योरर मरीज से अस्पताल के कुल बिल इस अतिरिक्त राशि को चार्ज करता है. उदाहरण के तौर पर अगर कमरे का किराया 4000 रुपये प्रतिदिन है और मरीज 5000 रुपये प्रतिदिन का कमरा लेता है. तो रुम के किराये में 20 फीसद का इजाफा हो गया. अब अगर अस्पताल का कुल बिल 50,000 रुपये है तो इंश्योरर यह 20 फीसद का अतिरिक्त चार्ज कुल बिल में लगा देगा. इससे मरीज को 2000 रुपये की जगह 10,000 रुपये देने पड़े जाते हैं. इसलिए ऐसा प्लान खरीदें जिसमें अस्पताल के कमरे के किराये पर कोई सीमा नहीं है.
रेस्टोरेशन बेनिफिट
हर एक हेल्थ प्लान में एक सम एश्योर्ड लिमिट होती है जो कि पौलिसी धारक के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है. इस सम एश्योर्ड की एक साल में क्लेम करने की सीमा होती है. यदि सम एश्योर्ड से ज्यादा का खर्चा आता है तो पौलिसी धारक को खुद देना पड़ता है. लेकिन अगर आपने हेल्थ प्लान रेटोरेशन बेनिफिट के साथ लिया हुआ है तो इंश्योरर सम एश्योर्ड को रीस्टोर करके रख देगा ताकि अगर उसी साल में फिर से पौलिसी धारक बीमार होता है तो सम एश्योर्ड मिल जाए.
जानकारी के लिए बता दें कि रेटोरेशन बेनिफिट केवल उस स्थिति में मिलेगा जब एक ही साल में अलग अलग बीमारी का ट्रीटमेंट हुआ हो. एक साल के भीतर एक ही बीमारी के लिए सम एश्योर्ड नहीं मिलता. उदाहरण के तौर पर आपकी पांच लाख की पौलिसी है. आप बीमार होते हो और दो लाख रुपये का इस्तेमाल कर लेते हो. अब अगर आप उसी साल में फिर से बीमार पड़ते हो तो इंश्योरर वापस सम एश्योर्ड को बढ़ाकर पांच लाख कर देगा.
अस्पतालों का नेटवर्क
हेल्थ पौलिसी डौक्यूमेंट में अस्पतालों के पास उनके कोऔडिनेटर्स की एक लिस्ट होती है. पौलिसीधारक को इस लिस्ट को ध्यान से पढ़ना चाहिए. साथ ही यह देखना चाहिए कि आपके घर के आसपास कौन कौन से अस्पताल हैं. अगर आप ऐसे किसी अस्पताल में भर्ती होते हों जो कि लिस्ट में नहीं है तो मरीज को कैशलैस ट्रीटमेंट नहीं मिलेगा. अस्पताल का कुल बिल मरीज को अपनी जेब से भरना होगा. उसके बाद उसे यह राशि रींबर्स की जाएगी.