ब्राइडल लुक में दिखीं Anupama, फैंस कह रहे हैं ये बात

सीरियल अनुपमा (Anupama) में नजर आने वाली रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly Birthday) ने बीते दिनों अपना 45वां बर्थडे सेलिब्रेट किया. जहां इस मौके पर फैंस ने एक्ट्रेस को बधाई दी तो वहीं एक्ट्रेस ने भी रिटर्न गिफ्ट के तौर पर फैंस को अपने ब्राइडल लुक की झलक दिखाई. वहीं इस लुक को देखते ही फैंस कयास लगा रहे हैं कि ये लुक अनुपमा का वेडिंग लुक (Rupali Ganguly Bridal Look) है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल फोटोज और वीडियो…

ब्राइडल लुक में दिखी अनुपमा

 

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अनुपमा के रोल में नजर आने वाली रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly)ने हाल ही में अपना एक लुक शेयर किया है, जिसमें वह लहंगा और ब्राइडल ज्वैलरी पहने नजर आ रही हैं. वहीं इस लुक को कैरी करते हुए वह शरमाते हुए पोज दे रही है. अनुपमा यानी रुपाली गांगुली का ये लुक देखकर बर्थडे की बधाई देते हुए फैंस उनकी तारीफें करते नहीं थक रहे हैं औऱ उन्हें जल्दी अनुज से शादी करने के लिए कहते नजर आ रहे हैं.

 

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अनुज के आने के बाद बदला अंदाज

 

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सीरियल में अनुज कपाड़िया की एंट्री के बाद काफी कुछ बदल गया है. वहीं इसका असर अनुपमा पर भी पड़ा है. सीधे साधे सिंपल लुक में नजर आने वाली अनु इन दिनों स्टाइलिश लुक में नजर आ रही हैं. चाहे वह कोई कौंपीटिशन हो या फैस्टिवल, अनुपमा का लुक खास नजर आता है. फैंस को अनुपमा में यह बदलाव काफी पसंद आ रहा है. हालांकि वह अनुज और अनुपमा के रोमांस के साथ-साथ शादी का भी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

 

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रुपाली भी नहीं हैं कम

 

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अनुपमा के रोल में नजर आने वाली रुपाली गांगुली भी इन दिनों फोटोशूट करवाती नजर आ रही हैं, जिसमें एक्ट्रेस का लुक बेहद स्टाइलिश और खूबसूरत लग रहा है. मौर्ड्न हो या इंडियन हर लुक में रुपाली गांगुली बेहद खूबसूरत लग रही हैं.

खुदगर्ज मां: क्या सही था शादी का फैसला

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सुसाइड का कारण बनता अकेलापन

आकड़े बताते हैं कि आम घरों को किसी बाहर वाले के हमलावर से हुई किसी अजीज की हत्या से कम और किसी अजीज की आत्महत्या से ज्यादा डरना चाहिए. भारत समेत 113 देशों के आंकड़ों से पता चलता है कि दक्षिणी अमेरिका को छोड़ दें तो लगभग सब जगह सूसाइड ज्यादा जानलेवा हैं बजाए मर्डर के. जापान में प्रति लाख पौपुलेशन में से 1412 लोग आत्महत्या से मरते हैं और दूसरों के हाथों मर्डर से सिर्फ 0.25 परसैंट मर्डर और सूसाइड में 57 गुना का फर्क है.

भारत में हर लाख पर 11.3 सूसाइड हो रहे हैं और 2.2 मई पाकिस्तान जिसे हम आमतौर पर ला एंड  आर्डर में निखट्टू समझते हैं. मर्डर 8.8 प्रति लाख पर सूसाइड 3.8 प्रति लाख. मतलब कि पाकिस्तान का प्रशासन अपराध रोकने में ज्यादा कामयाब है पर लोगों के खुद मरने से नहीं रोक पाता. बांग्लादेश का गुणगान करे रूका नहीं जा पाता कमेटी वहां मर्डर भी कम 4.7 प्रति लाख और सूसाइड भी कम 2.4 प्रति लाख है. इन 3 दक्षिणी एशियाई देशों में भारत सब से निखद है और हल्ला मचाने में नंबर वन.

सब से ज्यादा चौंकाने वाला आंकड़ा अमेरिका का है जहां गन खरीदना आसान है और जहां की हर फिल्म सीरियल या नौवल में हत्या ही मुख्य बात होती है. वहां भई रेट 4.9 प्रति लाख है और सूसाइट रेट 11.7 प्रति लाख. यूरोपीय देशों मं जहां गन आसानी से स्टोरों में नहीं मिलती मर्डर रेट कम है. 1.3 प्रति लाख फ्रांस में, 0.7 प्रति लाख स्पेन में 1.0 प्रति लाख ब्रिटेन में.

अपनी जान देना असल में समाज की पोल खोलता है और मर्डर रेट शासन की. दक्षिणी अमेरिका के वैंजूएला जैसे देश में इस कदर माफिया और गैंगबाजी है कि वहां मर्डर रेट 49.9 प्रति लाख है और जापान में लोग इस कदर डिप्रैशन और लोमीनैस के शिकार है कि सूसाइड रेट 14.2 और साउथ कोरिया में 19.5 प्रति कोर्स है.

सूसाइड रेट ज्यादा होने का मतलब है कि कोई जना इतना परेशान अकेला है कि उसे जीने का कोई मकसद नजर नहीं आता. जापान और साउथ कोरिया में पैसे की कमी नहीं है. खाने पीने की कमी नहीं है, गरीबी नहीं है, वहां जीने का मकसद नहीं रह गया. इन दोनों देशों में अकेले वृद्धों की गिनती बढ़ती जा रही है. तलाक ज्यादा हो रहे हैं. बिना शादी किए लोगों की गिनती बढ़ रही है. वहां पुलिस से डर लगता है पर उस से ज्यादा खाली सन्नाटेदार घर से डर लगता है.

भारत में यह स्थिति एक वर्ग विशेष में तेजी से बढ़ रही है. आज बड़ी आयु के युवाओं की गिनती तेजी से बढ़ रही है जो अकेले पड़ गए हैं, जिन के पास पैसे हैं पर कोई हंसने बोलने के लिए नहीं. इस वर्ग के लोगों को घर में घुस कर मारने वाले अपराधी से डर नहीं है. दिनोंदिन कोई न बोलने वाले से डर है.

यह दुर्दशा सिर्फ बूढ़ों की नहीं है जिन्हें अकेले छोड़ कर बच्चे गायब हो गए हैं. यह युवाओं की भी है जिन्हें ब्रेकअप और मांबाप भाईबहन छोड़ गए हैं. घर होने के बावजूद, खाने में कमी न  होने के बावजूद डिप्रेशन होना बड़ी बात नहीं है अगर बात करने के लिए सिर्फ डिलीवरी बौय हो. औन लाइन व्यापार तो बस्ती के नुक्कड़ के मौर्य पौय स्टोर के मालिक से भी नाता तोड़ रहा है. टैक्नोलौजी हरेक पर भारी पड़ रही है क्योंकि बिना ट्यूशन कौंटैक्ट के बहुत कुछ मोबाइल या कंप्यूटर पर किया जा रहा है.

ग्लोबल वाकिंग और रूसी हमले से परेशान दुनिया को इन अकेले सुसाइड करने वालों की फिक्र नहीं है. पुलिस के लिए ये समस्या नहीं है क्योंकि सिर्फ मृत की लाश को ठिकाने के अलावा उन्हें कुछ नहीं करना होता. समाज को चिंता नहीं है क्योंकि ये सुसाइड करने वाले के हैं जो पहले ही समाज से कह चुके हैं, अकेले में छिप गए हैं.

शादी में न करें जल्दबाजी

शादी को ले कर हमारे समाज में 2 बातें प्रचलित हैं- छोटी उम्र में शादी और चट मंगनी पट ब्याह. लेकिन इन्हीं 2 कारणों से कई बार शादीशुदा जीवन में परेशानियां झेलनी पड़ जाती हैं. आखिर शादी जैसा अहम निर्णय, जिस से हमारा पूरा जीवन बदल जाता है, उसे लेने में जल्दबाजी क्यों?

कच्ची उम्र की कम समझदारी और कम तजरबा हमारे आने वाले जीवन में ऐसा विष घोलने की क्षमता रखता है, जिस से मीठे के बजाय कड़वे अनुभव हमारी यादों में जुड़ते जा सकते हैं. शादी सिर्फ 2 प्यार करने वालों का मिलन नहीं, अपितु यह ऐसे 2 इंसानों को एक बंधन में बांधती है जिन की परवरिश, शख्सीयत, भावनाएं, शिक्षा और कई बार भाषा भी भिन्न होती है. कभीकभी तो शादी के जरीए 2 अलग संस्कृतियों का भी मेल होता है.

ऐसे बंधन को बांधने से पहले समझदारी इसी में है कि एकदूसरे की पसंदनापसंद, जिंदगी के लक्ष्यों, एकदूसरे के परिवारों के बारे में जानने के लिए ज्यादा वक्त दिया जाए. धैर्य के साथ अपने होने वाले साथी को अच्छी तरह जानने में ही अक्लमंदी है. टैक्सास विश्वविद्यालय के प्रोफैसर टेड हस्टन के अनुसार विवाह के धागे को जोड़ने से पहले अपनी आंखें खोल कर अपने साथी की अच्छाइयां तथा कमियां भली प्रकार तोल लेनी चाहिए.

सही कारणों के लिए ही करें शादी

हां करने से पहले जांच लें कि आप हां क्यों करना चाहती हैं. कहीं इसलिए तो नहीं कि परिवार वाले कह रहे हैं या फिर उम्र हो रही है अथवा आप की सहेलियों की शादियां हो रही हैं? ध्यान रहे कि इस नए रिश्ते को निभाना आप को है. इसलिए अच्छी तरह विचार कर के निर्णय लें.

उर्मिला आज भी पछताती है कि क्यों उस ने कालेज में चूड़े पहनने के चाव में शादी की इतनी जल्दी मचाई. चूड़े तो पहन लिए पर जल्द ही गलत आदमी से शादी करने का दंड उसे भुगतना पड़ा. जिस उम्र में उसे अपनी शिक्षा की ओर ध्यान देना चाहिए था, उस उम्र में उठाए गलत कदम के कारण वह स्वावलंबी नहीं बन पाई और अब गलत पति को सहने के सिवा उस के पास कोई और चारा नहीं.

आर्थिक मजबूती परख लें: 18 की होते ही रचना ने अपने ही संगीत शिक्षक से भाग कर शादी कर ली. किंतु तोतामैना का यह रोमांस अल्पायु निकला. कारण? उस का पति केवल उसे ही संगीत सिखाता था. उस के पास और कोई विद्यार्थी नहीं था. जल्द ही पैसे की तंगी ने शादी के रिश्ते से संगीत गायब कर दिया. जब गृहस्थी का भार पड़ा तो दोनों ही अपने निर्णय पर पछताए.

यदि आप का होने वाला पति घरगृहस्थी के खर्च उठाने में असमर्थ है तो शादी का डूबना तय समझिए.

स्वभाव जांचना बेहद जरूरी: अकसर लड़कियां सुनहरे ख्वाब संजोते समय अपने प्रेमी या मंगेतर का स्वभाव जांचना दरकिनार कर बैठती हैं. कुछ ये सोचती हैं कि अभी उन का रिश्ता मजबूत नहीं है. इसीलिए वह उन से इस प्रकार बात कर रहा है तो कुछ सोचती हैं कि शादी के बाद वे अपने हिसाब से अपने पति का स्वभाव बदल लेंगी. दोनों स्थितियों में नुकसान लड़की का होता है. यह बात तय है कि शादी के बाद कोई किसी का स्वभाव नहीं बदल सकता. जो जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार करना आवश्यक है. यदि आप का प्रेमी या मंगेतर गुस्सैल है तो शादी के बाद उस के गुस्से का निशाना अकसर आप को ही बनना पड़ेगा. इसलिए ऐसे इंसान से शादी न करें, जिस का अपने गुस्से पर काबू न हो.

एकदूसरे का प्यार आंकना: जब भी मिलें या बातचीत करें तब यह अवश्य परखें कि क्या आप के होने वाले पति का प्यार आप के लिए सच्चा है? क्या उसे आप की भावनाओं की कदर है? क्या वह आप की खुशी के लिए कदम उठाता है? क्या वह अपने मन की बात आप से करता है? और जो बातें आप उस से करती हैं, क्या वह उन्हें अपने तक रख पाता है?

इसी प्रकार अपनी भावनाएं भी परखनी जरूरी हैं. क्या आप उसे प्यार करती हैं? यदि नहीं तो अभी शादी के लिए आगे बढ़ना गलत रहेगा. गृहस्थ जीवन के सागर में बहुत ऊंचीनीची लहरें आती हैं. ऐसे समय में एकदूसरे के प्रति प्रेम ही गृहस्थी की नैया को डूबने से बचाता है.

जबान संभाल कर:

पहली स्थिति:

पत्नी: मेरे दफ्तर में आजकल कुछ टैंशन चल रही है. लगता है कुछ लोगों को निकाला जाएगा.

पति (मखौल उड़ाते हुए): तब तो तुम्हारा नंबर जरूर लगेगा.

दूसरी स्थिति:

पत्नी: मेरे दफ्तर में आजकल कुछ टैंशन चल रही है. लगता है कुछ लोगों को निकाला जाएगा.

पति: अच्छा? तुम किसी बात की चिंता मत करना. हम दोनों मिल कर इस गृहस्थी को सुचारु रूप से चला लेंगे. मैं तुम्हें कुछ अच्छे कैरियर कंसल्टैंट के नंबर दूंगा, तुम उन से बात करना. यदि तुम्हारी नौकरी चली भी जाती है, तो वे नई नौकरी पाने में तुम्हारी मदद करेंगे.

शादी 2 ऐसे लोगों को जोड़ती है जो एकदूसरे से अलहदा हैं. वे जिस तरह अपनी बात रखते हैं उस का असर काफी हद तक उन के शादीशुदा जीवन पर पड़ता है. वे या तो बातबात पर नुक्स निकाल सकते हैं और शिकायत कर सकते हैं या फिर प्यार से एकदूसरे का हौसला बढ़ा सकते हैं. जी हां, अपनी बातों से हम या तो अपने जीवनसाथी को चोट पहुंचा सकते हैं या उस के जख्मों पर मरहम लगा सकते हैं. अपनी जबान पर लगाम न लगाने से शादीशुदा जीवन में भारी तनाव पैदा हो सकता है.

मातापिता बनने से पहले: शादी के बाद अगला पड़ाव होता है संतान. एक संतान का आगमन पतिपत्नी के रिश्ते को पूरी तरह बदल देता है. एक ओर जहां पत्नी मां बनते ही अपना पूरा ध्यान बच्चे पर केंद्रित कर देती है, वहीं पति अकसर पत्नी के जीवन में आए इस बदलाव में अपना पुराना स्थान खोजता रहता है. मातापिता बनने से पूर्व यह जरूरी है कि पतिपत्नी के आपसी रिश्ते का गठबंधन मजबूत हो चुका हो ताकि जब नए रोल को निभाने का समय आए तो एकदूसरे के प्रति किसी गलतफहमी की गुंजाइश न रहे.

एक बैंक की मैनेजर ऋतु गोयल कहती हैं, ‘‘जब मेरी बेटी ने अपनी पसंद से शादी करने की इच्छा जताते हुए मुझे अपने बौयफ्रैंड के बारे में बताया तो मैं ने उस से पूछा कि सब से पहले 10 जरूरी गुणों के बारे में सोचो जो तुम अपने जीवनसाथी में देखना चाहोगी. अगर तुम्हारे बौयफ्रैंड में सिर्फ 7 गुण दिखते हैं तो खुद से पूछो कि क्या तुम रोजाना उन 3 कमियों को बरदाश्त कर पाओगी? अगर तुम्हारे मन में जरा भी शक है, तो कोई भी कदम उठाने से पहले अच्छी तरह सोच लेना.’’

यह सच है कि आप को हद से ज्यादा की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. अगर आप शादी करना चाहते हैं, तो यह सचाई ध्यान में रखें कि आप को ऐसा साथी कभी नहीं मिलेगा, जिस में कोई खोट न हो और जो आप से शादी करेगा उसे भी ऐसा साथी नहीं मिलेगा, जिस में कोई खोट न हो. ‘जल्दबाजी में शादी करो और इत्मीनान से पछताओ’ कहावत को चरितार्थ करने में समझदारी नहीं है.

कंपैटिबिलिटी क्विज

कंपैटिबिलिटी में 3 बातें खास होती हैं- आपसी मित्रता व समझौता करने की क्षमता, एकदूसरे के प्रति सहानुभूति व एकदूसरे की आवश्यकताओं की पूर्ती करने का माद्दा. इस क्विज को सुलझाएं. इस से आप जान पाएंगी कि आप दोनों शादी के लिए कितने तैयार हैं:

(1) आप दोनों को ले कर विचारविमर्श करते हैं:

क. कभीकभी

ख. आएदिन

ग. कभी नहीं

घ. हमेशा.

सही जवाब है हमेशा. यदि आप दोनों शादी को ले कर गंभीर हैं तो विवाह संबंधी विचारविमर्श आप दोनों की सूची में होना चाहिए.

(2) साथी का मुझे छोड़ कर चले जाने का विचार मात्र ही मुझे:

क. उदास कर देता है

ख. चैन देता है

ग. मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता

घ. मैं बुरी तरह टूट कर बिखर जाऊंगी.

सही जवाब है उदास कर देता है. यदि आप का रिश्ता स्वस्थ है तो आप का पूरा वजूद केवल अपने साथी के इर्दगिर्द नहीं घूमेगा. आप के रिश्ते में एक संतुलन होगा. आप अपने साथी को चाहेंगी अवश्य, किंतु चाहने और आवश्यकता होने में फर्क होता है.

(3) शादी मेरे लिए:

क. फिल्मों की तरह रोमानी है

ख. बेहद कठिन राह है

ग. इतनी कठिन भी नहीं

घ. परिश्रम व मजे का तालमेल है.

सही जवाब है परिश्रम व मजे का तालमेल. शादी में मेहनत जरूर लगती है पर वह नामुमकिन नहीं. शादी को सफल बनाने के लिए उस की ओर लगातार ध्यान देना चाहिए.

(4) अपने साथी को देख कर मैं:

क. उत्साहित व प्रसन्न हो जाती हूं

ख. मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता

ग. घबराने लगती हूं

घ. थोड़ाबहुत खुश होती हूं.

सही जवाब है उत्साहित व प्रसन्न हो जाती हूं. यदि आप को अपने साथी को देखने से शादी से पहले खुशी नहीं मिलती है तो बाद में क्या होगा. यह बात सच है कि शादी का खुमार समय के साथ कम होता जाता है और उसे बरकरार रखने के लिए मेहनत करनी पड़ती है. इसलिए शुरुआत उत्साह व खुशी से होनी चाहिए.

(5) खास मुद्दों पर हम दोनों:

क. कभी चर्चा नहीं करते हैं

ख. कभीकभार चर्चा कर लेते हैं

ग. रोज चर्चा करते हैं

घ. तभी चर्चा करते हैं जब बात हाथ से बाहर हो जाए.

सही जवाब है कभीकभार चर्चा कर लेते हैं. जिंदगी में इतना कुछ घटित होता रहता है कि यदि आप चर्चा नहीं करते हैं तो अभी आप शादी के लिए तैयार नहीं हैं और यदि आप रोज चर्चा करते हैं तो आप के रिश्ते में तनाव अधिक है और मस्ती कम. अच्छा रिश्ता मस्तीभरा तथा गंभीर बातों का मिलाजुला रस होता है.

(6) प्रेम मेरे लिए:

क. लेनदेन की सुंदर अभिव्यक्ति है

ख. मेरा खयाल रखने के लिए साथी की खोज है

ग. अपने साथी का ध्यान रखना

घ. किसी और की तरह बन जाना.

सही जवाब है लेनदेन की सुंदर अभिव्यक्ति. प्यार में केवल एक ही साथी दूसरे का खयाल रखे यह मुमकिन नहीं. प्यार समझौते का दूसरा नाम है, जिस में दोनों तरफ से आदानप्रदान होना आवश्यक है.

खिलाड़ियों के खिलाड़ी: भाग 1- क्या थी मीनाक्षी की कहानी

राज्य के चीफ सैक्रेटरी विशाल दिल्ली से आए कुछ उच्च अधिकारियों के साथ हाईलेवल और मोस्ट सीक्रेट मीटिंग में अपना मोबाइल साइलैंट तथा वाइब्रेट मोड पर रख कर बैठे हुए थे. मीटिंग की अध्यक्षता राज्य के मुख्यमंत्री कर रहे थे. मीटिंग शुरू हुए आधा घंटा हुआ था कि उन के सामने उन का रखा मोबाइल वाइब्रेट हुआ.

विशाल ने देखा कि मोबाइल की एक्स्ट्रा लार्ज स्क्रीन पर ‘एम एन’ ये 2 अक्षर बारबार उभर रहे थे. विशाल को यह समझने में देर न लगी कि यह मीनाक्षी नाईक की कौल है. एसी रूम होने के बावजूद विशाल के माथे पर पसीने की बूंदें फैल गईं, उस ने धीरे से अपनी जेब से रूमाल निकाल कर माथे पर फेर दिया, फिर सब से नजरें चुराते हुए ‘मैं मीटिंग में हूं’ लिख कर मैसेज भेज दिया.

विशाल की आंखों के सामने ‘एम एन’ अर्थात मीनाक्षी नाईक की मदहोश करने वाली मोहक छवि उभर आई जिस ने पिछले कुछ समय से उस की नींद हराम कर दी थी. शहर के एक कुख्यात गुंडे अरुण नाईक की पत्नी मीनाक्षी अपने पति के मुकदमे के सिलसिले में करीब 4 साल पहले एक दिन उस से मिलने उस के औफिस आई थी जब वह राज्य के सचिव के पद पर आसीन था.

जब मीनाक्षी नाईक पहली बार उस की केबिन में दाखिल हुई थी तब वह उसे देखते ही रह गया था. विशाल की नजरें मीनाक्षी के चेहरे से हटने का नाम नहीं ले रही थीं. उस ने अपनी जिंदगी में पहली बार इतनी खूबसूरत महिला देखी थी. बड़ेबड़े कजरारे नशीले नैन, गुलाब की पंखुडियों से रसभरे होंठ, उफनता वक्षस्थल जहां से साड़ी का पल्लू किंचित नीचे खिसक गया था जिसे वह उचित स्थान पर स्थिर करने की असफल कोशिश कर रही थी. काली और घनी रेशमी जुल्फों की लटें उस के चांद से चेहरे पर अठखेलियां करते हुए कभी आंखों, तो कभी गालों, तो कभी लरजते लबों को छू रही थीं जिन्हें वह बारबार कभी अपने कोमल हाथ से तो कभी अपनी सुराही सी गरदन से झटक कर हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन हर बार उसे नाकामयाबी ही मिल रही थी.

मीनाक्षी ने मुसकराते हुए कहा, ‘गुडमौनिंग सर.’

मीनाक्षी नाईक की मधुर और खनकती आवाज से विशाल की तंद्रा टूटी, वह संभलते हुए बोला, ‘यस, यस वैरी गुडमौर्निंग, प्लीज हैव ए सीट.’

‘थैंक्यू सर,’ कहते हुए मीनाक्षी कुरसी पर बैठ गई. अब मीनाक्षी विशाल के बिलकुल समीप आ गई थी.

‘बोलिए मैडम, मैं आप की क्या सहायता कर सकता हूं,’ मीनाक्षी के चेहरे से नजर हटाते हुए विशाल ने कहा.

‘सर, मैं पहले अपना परिचय देना चाहूंगी. मैं मीनाक्षी नाईक, अरुण नाईक की पत्नी हूं. मैं अपने पति पर चल रहे मुकदमे के सिलसिले में आप से सहायता मांगने आई हूं.’

अरुण नाईक का नाम सुनते ही विशाल की भौंहें तन गईं. वह क्रोधित होते हुए बोला, ‘तो तुम नाईक गैंग के मुखिया अरुण नाईक की पत्नी हो जिस ने पुलिस और सरकार की नाक में दम कर रखा है. शार्पशूटर अरुण नाईक के अपराधों का कोई हिसाब नहीं है. मु?ो माफ करना इस बारे में मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता,’ कहते हुए विशाल ने दोनों हाथ जोड़ दिए.

‘सर, मेरी बात तो सुनिए. इस मामले को प्रैस ने जरूरत से ज्यादा उछाला है. दरअसल,’ मीनाक्षी अपनी बात पूरी भी न कर पाई थी कि तभी विशाल की केबिन में उन के सहायक ने आ कर बताया कि मुख्यमंत्री ने उन्हें तुरंत बुलाया है. इसी बीच मीनाक्षी ने विशाल का विजिटिंग कार्ड ले लिया और उन से विदा लेते हुए वह केबिन से बाहर आ गई.

मीनाक्षी नाईक केबिन से बाहर जरूर चली गई थी मगर उस की मादक और मोहक छवि युवा अफसर विशाल की नजरों के सामने बारबार आ रही थी. विशाल की पत्नी दिल्ली में थी, वह मायानगरी में अकेला ही रह रहा था. बैठेबैठे न जाने उस के मन में ऐसेवैसे विचार आने लग गए. वह अपनेआप को संयमित रखने की नाकाम कोशिश करता रहा. उस का काम में भी मन नहीं लग रहा था. विशाल सोचने लगा कि राज्य के ज्यादातर मंत्री भी तो भ्रष्ट हैं. वे कई बार उस से अपने रिश्तेदारों या यारदोस्तों के फेवर में काम करवाते रहते हैं. फिर उस के विभाग के छोटेमोटे अफसर भी तो दूध के धुले नहीं हैं.

काश, वह मीनाक्षी की पूरी बात सुन लेता. उसे अपनेआप पर गुस्सा आने लगा. दोचार दिन बीत गए. न तो मीनाक्षी का फोन आया न ही वह दोबारा मिलने औफिस में आई. शिकार खुद चल कर आया था और उस ने सुनहरा मौका गंवा दिया था. उस की फाइल ले कर रख लेता, फिर टिपिकल सरकारी अफसर की तरह ‘अभी देख रहा हूं’, ‘कोशिश कर रहा हूं’, ‘मैं ने ऊपर बात कर ली है’, ‘आगे बात हो रही है’, ‘कुछ वक्त लगेगा’, ‘मामला थोड़ा पेचीदा है मगर तुम्हारा काम हो जाएगा’ आदि जुमलों में तो वह भी माहिर है.

एक दिन दोपहर में विशाल लंच से फारिग हो कर अपनी केबिन में सुस्ताते हुए किसी पत्रिका के पन्ने पलट रहा था. तभी टेबल के एक कोने में रखे मोबाइल की घंटी बजी. उस ने लपक कर मोबाइल उठाया. उधर से आवाज आई-

‘हैलो सर, मैं मीनाक्षी बोल रही हूं.’

मधुर आवाज सुन विशाल की सुस्ती पलभर में फुरती में बदल गई. ‘हां, बोलो मीनाक्षी, उस दिन मु?ो मुख्यमंत्री ने बुला लिया था, इसलिए मैं तुम्हारी बात ध्यान से नहीं सुन सका. फिर औफिस में दिनभर काम का टैंशन भी रहता है.’

‘कोई बात नहीं सर, मैं दोबारा आ जाती हूं. अगर आप बुरा न मानें तो मैं फाइल ले कर शाम को आप के बंगले पर आ जाऊं?’

विशाल मन ही मन खुश होते हुए बोला, ‘नेकी और पूछपूछ.’ फिर उस ने अपने उतावलेपन व उत्साह पर अंकुश रखते हुए गंभीर स्वर में कहा, ‘ठीक है, वैसे मैं बंगले पर किसी को बुलाता नहीं हूं, पर तुम आ जाना.’

‘ओके सर, मैं आज शाम को आती हूं,’ कहते हुए मीनाक्षी ने फोन काट दिया.

बंगले पर पहुंच कर विशाल ने सब से पहले अपने किचन स्टाफ को वीआईपी गैस्ट के आने की सूचना दी. फिर अन्य कर्मचारियों को बारबार यहांवहां न घूमने की सख्त हिदायत दी. रात को 8 बजे मीनाक्षी खूबसूरत गुलदस्ते के साथ विशाल के बंगले पर पहुंच गई.

विशाल ने धन्यवाद देते हुए गुलदस्ता स्वीकार किया. गुलदस्ता लेते वक्त मीनाक्षी के कोमल हाथों का जादुई स्पर्श उस के रोमरोम को रोमांचित कर गया. विशाल ने गुलदस्ता मेज पर रखा और मीनाक्षी को सोफे पर अपने करीब बैठने का इशारा किया. मीनाक्षी झक कर सोफे पर बैठने लगी तो उस की साड़ी का पल्लू उस के उभरे हुए वक्षस्थल से हट गया, जिसे उस ने तुरंत संभाला. पर विशाल की पैनी नजरों ने इस नजारे को कैद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

औपचारिक बातों के बाद मीनाक्षी अपने बैग से मुकदमे से संबंधित फाइल निकालने लगी. तो विशाल ने उस का हाथ पकड़ते हुए कहा, ‘अरे, रहने दो मीनाक्षी. इसे बाद में देख लेंगे. तुम पहली बार हमारे आशियाने में आई हो, पहले डिनर करेंगे, फिर तुम्हारी फाइल देख लेंगे.’

डाइनिंग हौल में डिनर लग चुका था. डिनर करने से पहले हौट डिं्रक की भी व्यवस्था थी. विशाल ने मीनाक्षी को डिं्रक की ओर चलने का इशारा किया तो पहले तो उस ने आनाकानी की, मगर विशाल के खास आग्रह करने पर वह मना नहीं कर सकी और अपने हाथ में पैग ले लिया.

मीनाक्षी अपने प्लान में कामयाब हो रही थी. वह पूरी तैयारी के साथ यहां पर आई थी. उस ने विशाल कुमार से हुई पहली मुलाकात में ही उस की नजरों में छलकती उस की ‘खास मंशा’ को भांप लिया था. कहते हैं कि औरतों में ‘सिक्स्थ सैंस’ भी होता है जो पुरुष की आंखों के भावों को अनायास ही समझ लेता है.

मीनाक्षी ने अपने बालों में लगे गजरे के बीच एक ‘हाई पावर माइक्रो कैमरा’ छिपाया था जिस का आकार हेयरपिन की तरह था. पहले जाम टकराए, मीनाक्षी ने बड़े प्यार से विशाल को दोएक जाम ज्यादा पिला दिए और स्वयं बेसिन में हाथ धोने के बहाने अपना प्याला खाली कर देती. इस के बाद डिनर हुआ और डिनर के बाद दोनों बैडरूम में पहुंच गए.

नशे में धुत विशाल भूखे भेडि़ए की तरह उस पर टूट पड़ा था. मीनाक्षी ने बहुत ही सावधानी से शूटिंग कर ली. फिर बाथरूम जाने का बहाना बना कर कैमरेरूपी हेयरपिन को अपने पर्स में संभाल कर रख दिया.

आगे पढ़ें- अपने पति की रिहाई के एक दिन बाद…

ये भी पढ़ें- गली नंबर 10: कौनसी कटु याद थी उसे के दिल में

पति-पत्नी और वो: भाग 3- साहिल ने कौनसा रास्ता निकाला

तीनों की कुछ सम झ में नहीं आया.

‘‘एक गुरुमंत्र है बेटा, अपनी सास को खुश कर लो, बीवी फ्री में खुश रहेगी और बोनस में अपनी सास को खुश रखेगी. हो गए न एक तीर से तीन निशाने.’’

‘‘वह कैसे? मतलब कि हम क्या करें,’’ तीनों को साहिल के कहे में काफी गहरा रहस्य दिखाई पड़ रहा था.

साहिल ने तीनों के साथ सिर जोड़ कर अपनी बात सम झाई तो तीनों को

सम झ में आ गई.

‘‘और तब भी बात न बनी तो?’’ तीनों ने शंका जाहिर की.

‘‘तो कौन सा भूचाल आ जाएगा, जो चल रहा है वह तो चल ही रहा है.’’

‘‘तेरी बात कुछकुछ सम झ में आ रही है यार. उन से और उन की बातों से पलायन करने के बजाय क्यों न सामना किया जाए,’’ तीनों ने अपनेअपने ढंग से यह बात कही.

‘‘मगर प्यार से,’’ साहिल ने बात में

संशोधन किया.

तीनों दोस्त एकदूसरे की गलबहियां करते घर की तरफ प्रस्थान कर गए.

रूपम घर पहुंचा तो रास्ते से सासूमां की पसंद की पेस्ट्री खरीद कर ले जाना नहीं भूला. जैसे ही अंदर पहुंचा सासूमां के दर्शन लाबी में ही हो गए. वे टीवी पर अपना मनपसंद सीरियल देख रही थीं. आज रूपम उन को अनदेखा कर बैडरूम में जाने के बजाय उन की बगल में सोफे पर बैठ गया. चेहरे पर मनभावन मुसकान खिंची थी. सासूमां तो सासूमां, रिमी भी हैरान…

‘‘जल्दी कैसे आ गए? तुम तो बोल

कर गए थे कि देर से आऊंगा?’’ रिमी आश्चर्य

से बोली.

‘‘हां जल्दी काम खत्म हो गया. सोचा वर्किंग डेज में तो मम्मीजी के साथ बैठने का टाइम ही नहीं मिल पाता, आज छुट्टी का दिन उन के साथ बिताया जाए. मम्मीजी लीजिए आप की पसंद की पेस्ट्री लाया हूं.’’

‘‘मेरी पसंद, पता है तुम्हें?’’ मम्मीजी की आवाज आश्चर्य से भरी थी.

‘‘हां क्यों नहीं, कई बार बताया रिमी ने,’’ वह प्लेट में पेस्ट्री रख मम्मीजी को देता हुआ बोला.

प्लेट लेते हुए मम्मीजी की आंखों में अनायास ही तरलता घुल गई थी. अब उन की जबान नहीं सिर्फ आंखें बोल रही थीं.

‘‘और रिमी जल्दी से तैयार हो जाओ,

बाहर चलते हैं… जब से मम्मीजी आई हैं, उन्हें ठीक से कहीं घुमाया भी नहीं है. आज डिनर भी बाहर ही करेंगे.’’

‘‘अरे नहीं बेटा, इस की कोई जरूरत नहीं. आज छुट्टी का दिन… तुम्हें भी तो आराम की जरूरत है.’’

पर रूपम ने मम्मीजी को जबरदस्ती कर तैयार होने भेज दिया. रिमी उसे घायल करने वाली मुसकान से देख रही थी.

सौरभ जब घर पहुंचा तो उस की सासूमां डाइनिंगटेबल पर बैठी मटर छील रही थीं. आज सौरभ कुरसी खींच कर उन के सामने बैठ गया. बैंक से रिटायर्ड सास के हर समय पैसे बचाने के तरीकों पर भाषण सुनने से बचते सौरभ को मस्त अंदाज में सामने बैठते देख सौरभ की सासूमां प्रफुल्लित हो गईं.

‘‘मम्मीजी सोचता हूं, आज आप से उन स्कीमों की जानकारी ले ही लूं इत्मीनान से. आप सही कहती हैं, हमें भविष्य के बारे में सोचना चाहिए. मु झे तो कुछ ठीक से याद रहता नहीं, आप जिया को इस बार ठीक से सम झा दीजिए, फिर विचार करते हैं, एक दिन बैठ कर,’’ सौरभ साथ में मटर छीलता हुआ बोला.

सासूमां चारों खाने चित्त. हर समय उन के उपदेशों से भागने वाला सौरभ खुद ही यह टौपिक उठा लाया था. बोलीं, ‘‘नहीं बेटा मैं क्या बताऊंगी भला, तुम तो खुद ही बहुत सम झदार हो.’’

‘‘मु झ में इतनी सम झ कहां मम्मीजी, इतना व्यस्त रहता हूं कि किसी बात का ध्यान ही नहीं रहता. आप इस बार जिया को ठीक से सम झा कर जाना सबकुछ और खाने में क्या बना रही हैं आप आज आप के बनाए मटरपनीर का तो जवाब नहीं. अपने जैसी कुकिंग जिया को भी सिखा दीजिए, आप के जैसी सुघड़ता नहीं है आप की बेटी में,’’ सौरभ मंदमंद मुसकराता हुआ बोला.

मम्मीजी फूल कर कुप्पा हो गईं और जिया,  झूठमूठ के गुस्से वाली मीठी मुसकराहट से उसे निहार रही थी.

सुमित घर पहुंचा तो मांबेटी सिर जोड़े अपनी ही गुफ्तगू में व्यस्त थीं ‘पता

नहीं क्या साजिश चल रही है मेरे खिलाफ,’ सुमित ने सोचा पर प्रत्यक्ष में मुसकराहट बिखेर दी.

‘‘अरे तुम कैसे जल्दी आ गए?’’ शानिका उसे देख आश्चर्य से बोली.

‘‘क्यों क्या मैं जल्दी नहीं आ सकता, क्यों मम्मीजी? आखिर मम्मीजी के लिए भी तो मेरा कोई फर्ज बनता है. सोचता हूं 2 दिन का प्रोग्राम आसपास का घूमने का बना लेते हैं, अच्छी आउटिंग हो जाएगी.’’

‘‘क्या?’’ शानिका आश्चर्यचकित रह गई. मम्मीजी अपरोक्ष व वह परोक्ष रूप से जानती थी कि मम्मीजी के नाम पर सुमित घर से दूर रहने की कोशिश करता है.

‘‘हां… हां… कितनी मुश्किल से आ पाती है मम्मीजी, मैं तब तक फ्रैश हो कर आता हूं, तुम मम्मीजी के साथ मिल कर डिसाइड करो कि कहां चलना है,’’ कह कर उन्हें आश्चर्यचकित छोड़ सुमित बैडरूम की तरफ चला गया.

तीनों दोस्तों ने अगले कुछ दिन समस्या से भागने के बजाय समस्या का सामना कर अपनीअपनी सासूमां को खुश कर रुखसत किया.

तीनों की बीवियां एकदम प्रसन्नचित्त थीं अपनेअपने पति के बदले अंदाज पर और उन की प्रतिक्रिया कुछ इस प्रकार थी:

‘‘बहुत दिनों से मम्मीजी नहीं आई हैं, आप को तो कुछ ध्यान ही नहीं रहता उन का. अब मैं ही बात करती हूं उन से किसी दिन.’’

‘‘अरे पर मम्मीजी तो अभीअभी रह कर गई हैं. अभीअभी कैसे आएंगी?’’ तीनों दोस्त अनजान भोले बन कर कह रहे थे.

‘‘मैं आप की सास की नहीं अपनी सास की बात कर रही थी,’’ कहते हुए उन की बीवियों ने समस्त चाशनी अपने स्वरों में उंडेल दी थी.

सुन कर अगले दिन तीनों दोस्त फूलों का गुलदस्ता ले कर साहिल से मिलने चले गए.

‘‘मान गए… अब जब भी पतिपत्नी के बीच किसी की भी सास ‘वो’ के रूप में फंसेगी, तब तुम्हारे ही बताए नक्शेकदम पर चलेंगे,’’ तीनों एकसाथ बोल पड़े.

तीनों सिर  झुकाए साहिल के सामने खड़े थे और वह हाथ बढ़ा कर उन्हें आशीर्वाद दे रहा था.

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इस दिन रिलीज़ होगी ‘मिर्ज़ापुर’ फ़ेम दिव्येंदु की फ़िल्म ‘मेरे देश की धरती’

सामाजिक बदलाव के उद्देश्य से बनने वाली और दर्शकों को सोचने पर मजबूर करने वाली फ़िल्मों का चलन अब ज़ोर पकड़ता जा रहा हैं. ऐसी ही फ़िल्मों की फ़ेहरिस्त में अब श्रीकांत भासी के नेतृत्ववाले प्रतिष्ठित फ़िल्म प्रोडक्शन हाउस ‘कार्निवल मोशन पिक्चर्स’ द्वारा बनाई गई फ़िल्म ‘मेरी देश की धरती’ का नाम भी‌ शुमार हो गया है. एक अहम सामाजिक विषय पर बनी इस फ़िल्म को अब एक नई तारीख़ यानि 6 म‌ई‌, 2022 को‌ देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज करने का ऐलान कर दिया गया है. उल्लेखनीय है कि फ़िल्म में दिव्येंदु के अलावा अनुप्रिया गोयंका, अनंत विधात और राजेश शर्मा भी अहम भूमिकाओं में नज़र आएंगे.

‘मेरी देश की धरती’ ग्रामीण और शहरी भारत के बीच पैदा हुई व दिनों-दिन बढ़ती खाई और आज के समसामायिक हालात को बख़ूबी रेखांकित करती है. फ़िल्म समस्याओं की जड़ में जाने कोशिश करती है जिसमें दिखाया गया है कि कैसे आज के युवा समाज में बदलाव लाने की ज़िम्मेदारी उठाते हुए ग्रामीण वास्तविकताओं व ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा बन जाते है. वैसे भारत एक कृषि प्रधान देश है और देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का बहुत बड़ा योगदान है, मगर आज के बदले हुए हालात में देश के युवा शहरों की ओर पलायन करने और वहां रोज़गार तलाशने के लिए मजबूर है. इस फ़िल्म में दो अलग-अलग वास्तविकताओं को एक केंद्रबिंदु पर लाने की सार्थक कोशिश की गई है.

फ़िल्म‌ के नायक दिव्येंदु शर्मा कहते हैं, “हमारे लिए यह देखना बड़ा ही दिलचस्प रहेगा कि प्रेरणा भाव से भरपूर और एक बेहतरीन संदेश देनेवाली हमारी फ़िल्म को दर्शक कैसा प्रतिसाद देते हैंl ‘मेरे देश की धरती’ फ़िल्म से जुड़े तमाम लोगों और दर्शकों दोनों के नज़रिए से यह एक बेहद अहम फ़िल्म है.अब हमारा सपना जल्द ही बड़े पर्दे पर साकार होने जा रहा है, तो ऐसे‌ में हमारी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं हैl”

फ़िल्म‌ की रिलीज को लेकर बेहद उत्साहित दिव्येंदु आगे कहते हैं, “विभिन्न फ़िल्म समारोहों में फ़िल्म के प्रदर्शन से हमें फ़िल्म के विषय और कहानी को लेकर बहुत ही बढ़िया प्रतिसाद मिला है. हम 6 मई को रिलीज़ होने जारी अपनी फ़िल्म की रिलीज़ के बाद इस तरह की उम्मीद आम‌ दर्शकों से भी रखते हैं. देश में कृषि व्यवसाय की पृष्ठभूमि पर बनी ‘मेरे देश की धरती’ एक बेहतरीन फ़िल्म है जिसमें कॉमेडी का भी भरपूर तड़का लगाया गया है. मैं चाहता हूं यह फ़िल्म जल्द से जल्द दर्शकों के सामने हो ताक़ि मैं उनकी प्रतिक्रियाएं जान सकूं.”

फ़िल्म के निर्देशक फ़राह हैदर फ़िल्म की ख़ासियतों पर ग़ौर करते हुए कहते हैं, “वास्तविकता के धरातल पर बुनी गयी इस फ़िल्म की कहानी दो इंजीनियरिंग छात्रों की हैरत भरी दास्तां को अलग ढंग से बयां करती है. दो ऐसे दोस्त जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद खेती-किसानी में रुचि दिखाते हैं और जीवन में एक नई राह पर चल पड़ते हैं. आज के दौर में कई ऐसे युवा हैं जो ख़ुद को इस फ़िल्म की कहानी से रिलेट कर पाएंगे. दरअसल, हममें से हर‌ कोई फ़िल्म के हरेक किरदार की जज़्बाती कहानी से ख़ुद को जुड़ा हुआ महसूस करेगा. हमें इस बात की बेहद ख़ुशी है कि बड़ी शिद्दत और मेहनत से बनाई गई यह फ़िल्म अब 6 मई, 2022 को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज़ होने जा रही है.”

निर्माता वैशाली सारवणकर कहती हैं, “हम सभी इस फ़िल्म की रिलीज़ और लोगों की प्रतिक्रिया को जानने को लेकर बेहद उत्साहित हैं. यह एक ऐसी पारिवारिक फ़िल्म है जिसमें कृषि जीवन को जज़्बाती ढंग से पेश किया गया है. यकीनन, यह फ़िल्म लोगों के दिलों-दिमाग पर गहरा प्रभाव डालेगी. इस फ़िल्म में बेहद प्रतिभाशाली कलाकार हैं और फ़िल्म से जुड़ी टीम ने एक बेहतरीन फ़िल्म बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. हम बेसब्री से दर्शकों के समक्ष इसे पेश करने और लोगों की प्रतिक्रिया जानने का इंतज़ार कर रहे हैं.”

डॉ. श्रीकांत भासी द्वारा प्रस्तुत इस फ़िल्म के निर्देशन की बागडोर फ़राज़ हैदर ने संभाली है जबकि इस फ़िल्म का निर्माण ‘कार्निवल मोशन पिक्चर्स’ की वैशाली सारवणकर द्वारा किया जा रहा है. एक बार फिर से याद दिला दें कि ‘मेरे देश की धरती’ 6 मई, 2022 को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है.

15 साल पहले ऐसा था Anupama का परिवार, सामने आई प्रीक्वल की फोटोज

सीरियल अनुपमा जहां फैंस का दिल जीतता जा रहा है तो वहीं जल्द ही अनुपमा की जिंदगी के अनकहे पन्नों से जुड़ी अनुपमा के प्रीक्वल फैंस को नजर आने वाला है. इसी बीच प्रीक्वल में अनुपमा के लुक से लेकर कैसा होगा शाह हाउस इसकी फोटोज भी सामने आ गई है. आइए आपको दिखाते हैं 15 साल पहले के अनुपमा के परिवार की वायरल फोटोज…

अनुपमा और वनराज का दिखा 15 साल पुराना लुक

 

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अनुपमा के मेकर्स जल्द ही शो का प्रीक्वल यानी ‘अनुपमा-नमस्ते अमेरिका’ लेकर आ रहे हैं, जिसमें अनुपमा और वनराज की शादी के 10 सालों के सफर की अनकही कहानी दिखाई जाएगी. हालांकि ये एक 11 एपिसोड की सीरीज होगी, जो डिजनी हॉट पर दिखाया जाएगा. वहीं अब इसी से जुड़ी कुछ फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसमें अनुपमा के लुक में रुपाली गांगुली का यंग वर्जन नजर आ रहा है. हालांकि इस लुक में भी रुपाली गांगुली बेहद खूबसूरत लग रही हैं. इसके अलावा वनराज और अनुपमा, छोटी उम्र के तोषू और समर के साथ भी दिखाई दे रहे हैं.

कुछ ऐसा था पहले शाह हाउस

जहां अनुपमा और वनराज के लुक में बदलाव देखने को मिला है तो वहीं 15 साल पहले शाह निवास का नजारा भी अलग-अलग देखने को मिल रहा है. दरअसल, घर में पुराने जमाने का टीवी होने के साथ हर एक कोना पुराने स्टाइल का दिख रहा है. वहीं आंगन में केवल तुलसी का पौधा और राधा-कृष्ण जी की फोटो नजर आ रही है.  इसके अलावा बा का झूले से लेकर अनुपमा-वनराज का कमरा भी चेंज लग रहा है.

बता दें, टीवी पर चल रहे सीरियल अनुपमा में वनराज से अलग होकर अपनी नई जिंदगी की शुरुआत होते हुए अनु को दिखाया गया है. लेकिन इस प्रीक्वल में वनराज और अनुपमा के बीच दूरियां कैसे आईं इसकी झलक देखने को मिलने वाली है.

Hrithik Roshan ने थामा Saba Azad का हाथ तो ट्रोलर्स ने कही ये बात

बौलीवुड एक्टर ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan) की लव लाइफ किसी से छिपी नहीं है. बीते दिनों जहां एक्टर की रयूमर्ड गर्लफ्रैंड सिंगर सबा आजाद (Saba Azad) रोशन फैमिली संग क्वालिटी टाइम बिताती नजर आईं थीं तो वहीं अब वह खुल्लम खुल्ला अपने प्यार का इजहार करते हुए ऋतिक रोशन का हाथ थामे नजर आईं हैं. हालांकि इसके कारण उन्हें ट्रोलिंग का शिकार भी होना पड़ रहा है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

हाथ थामे दिखे एक्टर

 

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बीते दिनों एक्टर ऋतिक रोशन और सिंगर सबा आजाद के डेटिंग की खबर सुर्खियों में थीं, जिसका कारण दोनों का साथ कई जगहों पर नजर आना था. हालांकि कपल ने कभी अपने प्यार का इजहार नहीं किया. लेकिन अब एक वीडियो सोशलमीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें मुंबई एयरपोर्ट पर एक्टर ऋतिक रोशन अपनी रयूमर्ड गर्लफ्रेंड सबा आजाद के साथ स्पॉट होते दिख रहे हैं. वहीं वीडियो में खास बात है कि ऋतिक, सबा आजाद का हाथ थामे चलते नजर आ रहे हैं.

 

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लोगों ने किया ट्रोल

वीडियो देखते ही जहां एक्टर के फैंस उनकी तारीफ और बधाई देते नजर आ रहे हैं तो वहीं कुछ लोग उन्हें ट्रोल करते दिख रहे हैं. दरअसल, वीडियो में ट्रोलर्स कमेंट करते हुए बुढ़ापे का प्यार की बात कह रहे हैं. वहीं कई लोग उनके रिश्ते में उम्र के फासले का भी मजाक उड़ा रहे हैं.

एक्स वाइफ भी नहीं रही पीछे

 

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जहां बीते दिन एक्टर ऋतिक रोशन अपनी रयूमर्ड गर्लफ्रैंड का हाथ थामे नजर आए तो वहीं अब उनकी एक्स वाइफ सुजैन खान (Sussanne Khan) भी एयरपोर्ट पर उनके रयूमर्ड बॉयफ्रेंड अर्सलान गोनी (Arshlan Goni) के साथ दिखीं, जिसके चलते वह भी ट्रोलिंग का शिकार हो रही हैं.

बता दें, साल 2000 में शादी के बंधन में बंधने वाले ऋतिक रोशन ने साल 2014 में अपनी 14 साल की शादी को तोड़ने का फैसला किया था. हालांकि दोनों ने तलाक के बाद भी दोस्त रहने की बात कही थी, जिसके चलते दोनों कई बार अपने बच्चों के साथ नजर आते हैं.

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वीडियो क्रेडिट- Viral Bhayani

कोरोना वायरस के जाल में: क्या हुआ गरिमा के साथ

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