खिलाड़ियों के खिलाड़ी: भाग 1- क्या थी मीनाक्षी की कहानी

राज्य के चीफ सैक्रेटरी विशाल दिल्ली से आए कुछ उच्च अधिकारियों के साथ हाईलेवल और मोस्ट सीक्रेट मीटिंग में अपना मोबाइल साइलैंट तथा वाइब्रेट मोड पर रख कर बैठे हुए थे. मीटिंग की अध्यक्षता राज्य के मुख्यमंत्री कर रहे थे. मीटिंग शुरू हुए आधा घंटा हुआ था कि उन के सामने उन का रखा मोबाइल वाइब्रेट हुआ.

विशाल ने देखा कि मोबाइल की एक्स्ट्रा लार्ज स्क्रीन पर ‘एम एन’ ये 2 अक्षर बारबार उभर रहे थे. विशाल को यह समझने में देर न लगी कि यह मीनाक्षी नाईक की कौल है. एसी रूम होने के बावजूद विशाल के माथे पर पसीने की बूंदें फैल गईं, उस ने धीरे से अपनी जेब से रूमाल निकाल कर माथे पर फेर दिया, फिर सब से नजरें चुराते हुए ‘मैं मीटिंग में हूं’ लिख कर मैसेज भेज दिया.

विशाल की आंखों के सामने ‘एम एन’ अर्थात मीनाक्षी नाईक की मदहोश करने वाली मोहक छवि उभर आई जिस ने पिछले कुछ समय से उस की नींद हराम कर दी थी. शहर के एक कुख्यात गुंडे अरुण नाईक की पत्नी मीनाक्षी अपने पति के मुकदमे के सिलसिले में करीब 4 साल पहले एक दिन उस से मिलने उस के औफिस आई थी जब वह राज्य के सचिव के पद पर आसीन था.

जब मीनाक्षी नाईक पहली बार उस की केबिन में दाखिल हुई थी तब वह उसे देखते ही रह गया था. विशाल की नजरें मीनाक्षी के चेहरे से हटने का नाम नहीं ले रही थीं. उस ने अपनी जिंदगी में पहली बार इतनी खूबसूरत महिला देखी थी. बड़ेबड़े कजरारे नशीले नैन, गुलाब की पंखुडियों से रसभरे होंठ, उफनता वक्षस्थल जहां से साड़ी का पल्लू किंचित नीचे खिसक गया था जिसे वह उचित स्थान पर स्थिर करने की असफल कोशिश कर रही थी. काली और घनी रेशमी जुल्फों की लटें उस के चांद से चेहरे पर अठखेलियां करते हुए कभी आंखों, तो कभी गालों, तो कभी लरजते लबों को छू रही थीं जिन्हें वह बारबार कभी अपने कोमल हाथ से तो कभी अपनी सुराही सी गरदन से झटक कर हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन हर बार उसे नाकामयाबी ही मिल रही थी.

मीनाक्षी ने मुसकराते हुए कहा, ‘गुडमौनिंग सर.’

मीनाक्षी नाईक की मधुर और खनकती आवाज से विशाल की तंद्रा टूटी, वह संभलते हुए बोला, ‘यस, यस वैरी गुडमौर्निंग, प्लीज हैव ए सीट.’

‘थैंक्यू सर,’ कहते हुए मीनाक्षी कुरसी पर बैठ गई. अब मीनाक्षी विशाल के बिलकुल समीप आ गई थी.

‘बोलिए मैडम, मैं आप की क्या सहायता कर सकता हूं,’ मीनाक्षी के चेहरे से नजर हटाते हुए विशाल ने कहा.

‘सर, मैं पहले अपना परिचय देना चाहूंगी. मैं मीनाक्षी नाईक, अरुण नाईक की पत्नी हूं. मैं अपने पति पर चल रहे मुकदमे के सिलसिले में आप से सहायता मांगने आई हूं.’

अरुण नाईक का नाम सुनते ही विशाल की भौंहें तन गईं. वह क्रोधित होते हुए बोला, ‘तो तुम नाईक गैंग के मुखिया अरुण नाईक की पत्नी हो जिस ने पुलिस और सरकार की नाक में दम कर रखा है. शार्पशूटर अरुण नाईक के अपराधों का कोई हिसाब नहीं है. मु?ो माफ करना इस बारे में मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता,’ कहते हुए विशाल ने दोनों हाथ जोड़ दिए.

‘सर, मेरी बात तो सुनिए. इस मामले को प्रैस ने जरूरत से ज्यादा उछाला है. दरअसल,’ मीनाक्षी अपनी बात पूरी भी न कर पाई थी कि तभी विशाल की केबिन में उन के सहायक ने आ कर बताया कि मुख्यमंत्री ने उन्हें तुरंत बुलाया है. इसी बीच मीनाक्षी ने विशाल का विजिटिंग कार्ड ले लिया और उन से विदा लेते हुए वह केबिन से बाहर आ गई.

मीनाक्षी नाईक केबिन से बाहर जरूर चली गई थी मगर उस की मादक और मोहक छवि युवा अफसर विशाल की नजरों के सामने बारबार आ रही थी. विशाल की पत्नी दिल्ली में थी, वह मायानगरी में अकेला ही रह रहा था. बैठेबैठे न जाने उस के मन में ऐसेवैसे विचार आने लग गए. वह अपनेआप को संयमित रखने की नाकाम कोशिश करता रहा. उस का काम में भी मन नहीं लग रहा था. विशाल सोचने लगा कि राज्य के ज्यादातर मंत्री भी तो भ्रष्ट हैं. वे कई बार उस से अपने रिश्तेदारों या यारदोस्तों के फेवर में काम करवाते रहते हैं. फिर उस के विभाग के छोटेमोटे अफसर भी तो दूध के धुले नहीं हैं.

काश, वह मीनाक्षी की पूरी बात सुन लेता. उसे अपनेआप पर गुस्सा आने लगा. दोचार दिन बीत गए. न तो मीनाक्षी का फोन आया न ही वह दोबारा मिलने औफिस में आई. शिकार खुद चल कर आया था और उस ने सुनहरा मौका गंवा दिया था. उस की फाइल ले कर रख लेता, फिर टिपिकल सरकारी अफसर की तरह ‘अभी देख रहा हूं’, ‘कोशिश कर रहा हूं’, ‘मैं ने ऊपर बात कर ली है’, ‘आगे बात हो रही है’, ‘कुछ वक्त लगेगा’, ‘मामला थोड़ा पेचीदा है मगर तुम्हारा काम हो जाएगा’ आदि जुमलों में तो वह भी माहिर है.

एक दिन दोपहर में विशाल लंच से फारिग हो कर अपनी केबिन में सुस्ताते हुए किसी पत्रिका के पन्ने पलट रहा था. तभी टेबल के एक कोने में रखे मोबाइल की घंटी बजी. उस ने लपक कर मोबाइल उठाया. उधर से आवाज आई-

‘हैलो सर, मैं मीनाक्षी बोल रही हूं.’

मधुर आवाज सुन विशाल की सुस्ती पलभर में फुरती में बदल गई. ‘हां, बोलो मीनाक्षी, उस दिन मु?ो मुख्यमंत्री ने बुला लिया था, इसलिए मैं तुम्हारी बात ध्यान से नहीं सुन सका. फिर औफिस में दिनभर काम का टैंशन भी रहता है.’

‘कोई बात नहीं सर, मैं दोबारा आ जाती हूं. अगर आप बुरा न मानें तो मैं फाइल ले कर शाम को आप के बंगले पर आ जाऊं?’

विशाल मन ही मन खुश होते हुए बोला, ‘नेकी और पूछपूछ.’ फिर उस ने अपने उतावलेपन व उत्साह पर अंकुश रखते हुए गंभीर स्वर में कहा, ‘ठीक है, वैसे मैं बंगले पर किसी को बुलाता नहीं हूं, पर तुम आ जाना.’

‘ओके सर, मैं आज शाम को आती हूं,’ कहते हुए मीनाक्षी ने फोन काट दिया.

बंगले पर पहुंच कर विशाल ने सब से पहले अपने किचन स्टाफ को वीआईपी गैस्ट के आने की सूचना दी. फिर अन्य कर्मचारियों को बारबार यहांवहां न घूमने की सख्त हिदायत दी. रात को 8 बजे मीनाक्षी खूबसूरत गुलदस्ते के साथ विशाल के बंगले पर पहुंच गई.

विशाल ने धन्यवाद देते हुए गुलदस्ता स्वीकार किया. गुलदस्ता लेते वक्त मीनाक्षी के कोमल हाथों का जादुई स्पर्श उस के रोमरोम को रोमांचित कर गया. विशाल ने गुलदस्ता मेज पर रखा और मीनाक्षी को सोफे पर अपने करीब बैठने का इशारा किया. मीनाक्षी झक कर सोफे पर बैठने लगी तो उस की साड़ी का पल्लू उस के उभरे हुए वक्षस्थल से हट गया, जिसे उस ने तुरंत संभाला. पर विशाल की पैनी नजरों ने इस नजारे को कैद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

औपचारिक बातों के बाद मीनाक्षी अपने बैग से मुकदमे से संबंधित फाइल निकालने लगी. तो विशाल ने उस का हाथ पकड़ते हुए कहा, ‘अरे, रहने दो मीनाक्षी. इसे बाद में देख लेंगे. तुम पहली बार हमारे आशियाने में आई हो, पहले डिनर करेंगे, फिर तुम्हारी फाइल देख लेंगे.’

डाइनिंग हौल में डिनर लग चुका था. डिनर करने से पहले हौट डिं्रक की भी व्यवस्था थी. विशाल ने मीनाक्षी को डिं्रक की ओर चलने का इशारा किया तो पहले तो उस ने आनाकानी की, मगर विशाल के खास आग्रह करने पर वह मना नहीं कर सकी और अपने हाथ में पैग ले लिया.

मीनाक्षी अपने प्लान में कामयाब हो रही थी. वह पूरी तैयारी के साथ यहां पर आई थी. उस ने विशाल कुमार से हुई पहली मुलाकात में ही उस की नजरों में छलकती उस की ‘खास मंशा’ को भांप लिया था. कहते हैं कि औरतों में ‘सिक्स्थ सैंस’ भी होता है जो पुरुष की आंखों के भावों को अनायास ही समझ लेता है.

मीनाक्षी ने अपने बालों में लगे गजरे के बीच एक ‘हाई पावर माइक्रो कैमरा’ छिपाया था जिस का आकार हेयरपिन की तरह था. पहले जाम टकराए, मीनाक्षी ने बड़े प्यार से विशाल को दोएक जाम ज्यादा पिला दिए और स्वयं बेसिन में हाथ धोने के बहाने अपना प्याला खाली कर देती. इस के बाद डिनर हुआ और डिनर के बाद दोनों बैडरूम में पहुंच गए.

नशे में धुत विशाल भूखे भेडि़ए की तरह उस पर टूट पड़ा था. मीनाक्षी ने बहुत ही सावधानी से शूटिंग कर ली. फिर बाथरूम जाने का बहाना बना कर कैमरेरूपी हेयरपिन को अपने पर्स में संभाल कर रख दिया.

आगे पढ़ें- अपने पति की रिहाई के एक दिन बाद…

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पति-पत्नी और वो: भाग 3- साहिल ने कौनसा रास्ता निकाला

तीनों की कुछ सम झ में नहीं आया.

‘‘एक गुरुमंत्र है बेटा, अपनी सास को खुश कर लो, बीवी फ्री में खुश रहेगी और बोनस में अपनी सास को खुश रखेगी. हो गए न एक तीर से तीन निशाने.’’

‘‘वह कैसे? मतलब कि हम क्या करें,’’ तीनों को साहिल के कहे में काफी गहरा रहस्य दिखाई पड़ रहा था.

साहिल ने तीनों के साथ सिर जोड़ कर अपनी बात सम झाई तो तीनों को

सम झ में आ गई.

‘‘और तब भी बात न बनी तो?’’ तीनों ने शंका जाहिर की.

‘‘तो कौन सा भूचाल आ जाएगा, जो चल रहा है वह तो चल ही रहा है.’’

‘‘तेरी बात कुछकुछ सम झ में आ रही है यार. उन से और उन की बातों से पलायन करने के बजाय क्यों न सामना किया जाए,’’ तीनों ने अपनेअपने ढंग से यह बात कही.

‘‘मगर प्यार से,’’ साहिल ने बात में

संशोधन किया.

तीनों दोस्त एकदूसरे की गलबहियां करते घर की तरफ प्रस्थान कर गए.

रूपम घर पहुंचा तो रास्ते से सासूमां की पसंद की पेस्ट्री खरीद कर ले जाना नहीं भूला. जैसे ही अंदर पहुंचा सासूमां के दर्शन लाबी में ही हो गए. वे टीवी पर अपना मनपसंद सीरियल देख रही थीं. आज रूपम उन को अनदेखा कर बैडरूम में जाने के बजाय उन की बगल में सोफे पर बैठ गया. चेहरे पर मनभावन मुसकान खिंची थी. सासूमां तो सासूमां, रिमी भी हैरान…

‘‘जल्दी कैसे आ गए? तुम तो बोल

कर गए थे कि देर से आऊंगा?’’ रिमी आश्चर्य

से बोली.

‘‘हां जल्दी काम खत्म हो गया. सोचा वर्किंग डेज में तो मम्मीजी के साथ बैठने का टाइम ही नहीं मिल पाता, आज छुट्टी का दिन उन के साथ बिताया जाए. मम्मीजी लीजिए आप की पसंद की पेस्ट्री लाया हूं.’’

‘‘मेरी पसंद, पता है तुम्हें?’’ मम्मीजी की आवाज आश्चर्य से भरी थी.

‘‘हां क्यों नहीं, कई बार बताया रिमी ने,’’ वह प्लेट में पेस्ट्री रख मम्मीजी को देता हुआ बोला.

प्लेट लेते हुए मम्मीजी की आंखों में अनायास ही तरलता घुल गई थी. अब उन की जबान नहीं सिर्फ आंखें बोल रही थीं.

‘‘और रिमी जल्दी से तैयार हो जाओ,

बाहर चलते हैं… जब से मम्मीजी आई हैं, उन्हें ठीक से कहीं घुमाया भी नहीं है. आज डिनर भी बाहर ही करेंगे.’’

‘‘अरे नहीं बेटा, इस की कोई जरूरत नहीं. आज छुट्टी का दिन… तुम्हें भी तो आराम की जरूरत है.’’

पर रूपम ने मम्मीजी को जबरदस्ती कर तैयार होने भेज दिया. रिमी उसे घायल करने वाली मुसकान से देख रही थी.

सौरभ जब घर पहुंचा तो उस की सासूमां डाइनिंगटेबल पर बैठी मटर छील रही थीं. आज सौरभ कुरसी खींच कर उन के सामने बैठ गया. बैंक से रिटायर्ड सास के हर समय पैसे बचाने के तरीकों पर भाषण सुनने से बचते सौरभ को मस्त अंदाज में सामने बैठते देख सौरभ की सासूमां प्रफुल्लित हो गईं.

‘‘मम्मीजी सोचता हूं, आज आप से उन स्कीमों की जानकारी ले ही लूं इत्मीनान से. आप सही कहती हैं, हमें भविष्य के बारे में सोचना चाहिए. मु झे तो कुछ ठीक से याद रहता नहीं, आप जिया को इस बार ठीक से सम झा दीजिए, फिर विचार करते हैं, एक दिन बैठ कर,’’ सौरभ साथ में मटर छीलता हुआ बोला.

सासूमां चारों खाने चित्त. हर समय उन के उपदेशों से भागने वाला सौरभ खुद ही यह टौपिक उठा लाया था. बोलीं, ‘‘नहीं बेटा मैं क्या बताऊंगी भला, तुम तो खुद ही बहुत सम झदार हो.’’

‘‘मु झ में इतनी सम झ कहां मम्मीजी, इतना व्यस्त रहता हूं कि किसी बात का ध्यान ही नहीं रहता. आप इस बार जिया को ठीक से सम झा कर जाना सबकुछ और खाने में क्या बना रही हैं आप आज आप के बनाए मटरपनीर का तो जवाब नहीं. अपने जैसी कुकिंग जिया को भी सिखा दीजिए, आप के जैसी सुघड़ता नहीं है आप की बेटी में,’’ सौरभ मंदमंद मुसकराता हुआ बोला.

मम्मीजी फूल कर कुप्पा हो गईं और जिया,  झूठमूठ के गुस्से वाली मीठी मुसकराहट से उसे निहार रही थी.

सुमित घर पहुंचा तो मांबेटी सिर जोड़े अपनी ही गुफ्तगू में व्यस्त थीं ‘पता

नहीं क्या साजिश चल रही है मेरे खिलाफ,’ सुमित ने सोचा पर प्रत्यक्ष में मुसकराहट बिखेर दी.

‘‘अरे तुम कैसे जल्दी आ गए?’’ शानिका उसे देख आश्चर्य से बोली.

‘‘क्यों क्या मैं जल्दी नहीं आ सकता, क्यों मम्मीजी? आखिर मम्मीजी के लिए भी तो मेरा कोई फर्ज बनता है. सोचता हूं 2 दिन का प्रोग्राम आसपास का घूमने का बना लेते हैं, अच्छी आउटिंग हो जाएगी.’’

‘‘क्या?’’ शानिका आश्चर्यचकित रह गई. मम्मीजी अपरोक्ष व वह परोक्ष रूप से जानती थी कि मम्मीजी के नाम पर सुमित घर से दूर रहने की कोशिश करता है.

‘‘हां… हां… कितनी मुश्किल से आ पाती है मम्मीजी, मैं तब तक फ्रैश हो कर आता हूं, तुम मम्मीजी के साथ मिल कर डिसाइड करो कि कहां चलना है,’’ कह कर उन्हें आश्चर्यचकित छोड़ सुमित बैडरूम की तरफ चला गया.

तीनों दोस्तों ने अगले कुछ दिन समस्या से भागने के बजाय समस्या का सामना कर अपनीअपनी सासूमां को खुश कर रुखसत किया.

तीनों की बीवियां एकदम प्रसन्नचित्त थीं अपनेअपने पति के बदले अंदाज पर और उन की प्रतिक्रिया कुछ इस प्रकार थी:

‘‘बहुत दिनों से मम्मीजी नहीं आई हैं, आप को तो कुछ ध्यान ही नहीं रहता उन का. अब मैं ही बात करती हूं उन से किसी दिन.’’

‘‘अरे पर मम्मीजी तो अभीअभी रह कर गई हैं. अभीअभी कैसे आएंगी?’’ तीनों दोस्त अनजान भोले बन कर कह रहे थे.

‘‘मैं आप की सास की नहीं अपनी सास की बात कर रही थी,’’ कहते हुए उन की बीवियों ने समस्त चाशनी अपने स्वरों में उंडेल दी थी.

सुन कर अगले दिन तीनों दोस्त फूलों का गुलदस्ता ले कर साहिल से मिलने चले गए.

‘‘मान गए… अब जब भी पतिपत्नी के बीच किसी की भी सास ‘वो’ के रूप में फंसेगी, तब तुम्हारे ही बताए नक्शेकदम पर चलेंगे,’’ तीनों एकसाथ बोल पड़े.

तीनों सिर  झुकाए साहिल के सामने खड़े थे और वह हाथ बढ़ा कर उन्हें आशीर्वाद दे रहा था.

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इस दिन रिलीज़ होगी ‘मिर्ज़ापुर’ फ़ेम दिव्येंदु की फ़िल्म ‘मेरे देश की धरती’

सामाजिक बदलाव के उद्देश्य से बनने वाली और दर्शकों को सोचने पर मजबूर करने वाली फ़िल्मों का चलन अब ज़ोर पकड़ता जा रहा हैं. ऐसी ही फ़िल्मों की फ़ेहरिस्त में अब श्रीकांत भासी के नेतृत्ववाले प्रतिष्ठित फ़िल्म प्रोडक्शन हाउस ‘कार्निवल मोशन पिक्चर्स’ द्वारा बनाई गई फ़िल्म ‘मेरी देश की धरती’ का नाम भी‌ शुमार हो गया है. एक अहम सामाजिक विषय पर बनी इस फ़िल्म को अब एक नई तारीख़ यानि 6 म‌ई‌, 2022 को‌ देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज करने का ऐलान कर दिया गया है. उल्लेखनीय है कि फ़िल्म में दिव्येंदु के अलावा अनुप्रिया गोयंका, अनंत विधात और राजेश शर्मा भी अहम भूमिकाओं में नज़र आएंगे.

‘मेरी देश की धरती’ ग्रामीण और शहरी भारत के बीच पैदा हुई व दिनों-दिन बढ़ती खाई और आज के समसामायिक हालात को बख़ूबी रेखांकित करती है. फ़िल्म समस्याओं की जड़ में जाने कोशिश करती है जिसमें दिखाया गया है कि कैसे आज के युवा समाज में बदलाव लाने की ज़िम्मेदारी उठाते हुए ग्रामीण वास्तविकताओं व ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा बन जाते है. वैसे भारत एक कृषि प्रधान देश है और देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का बहुत बड़ा योगदान है, मगर आज के बदले हुए हालात में देश के युवा शहरों की ओर पलायन करने और वहां रोज़गार तलाशने के लिए मजबूर है. इस फ़िल्म में दो अलग-अलग वास्तविकताओं को एक केंद्रबिंदु पर लाने की सार्थक कोशिश की गई है.

फ़िल्म‌ के नायक दिव्येंदु शर्मा कहते हैं, “हमारे लिए यह देखना बड़ा ही दिलचस्प रहेगा कि प्रेरणा भाव से भरपूर और एक बेहतरीन संदेश देनेवाली हमारी फ़िल्म को दर्शक कैसा प्रतिसाद देते हैंl ‘मेरे देश की धरती’ फ़िल्म से जुड़े तमाम लोगों और दर्शकों दोनों के नज़रिए से यह एक बेहद अहम फ़िल्म है.अब हमारा सपना जल्द ही बड़े पर्दे पर साकार होने जा रहा है, तो ऐसे‌ में हमारी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं हैl”

फ़िल्म‌ की रिलीज को लेकर बेहद उत्साहित दिव्येंदु आगे कहते हैं, “विभिन्न फ़िल्म समारोहों में फ़िल्म के प्रदर्शन से हमें फ़िल्म के विषय और कहानी को लेकर बहुत ही बढ़िया प्रतिसाद मिला है. हम 6 मई को रिलीज़ होने जारी अपनी फ़िल्म की रिलीज़ के बाद इस तरह की उम्मीद आम‌ दर्शकों से भी रखते हैं. देश में कृषि व्यवसाय की पृष्ठभूमि पर बनी ‘मेरे देश की धरती’ एक बेहतरीन फ़िल्म है जिसमें कॉमेडी का भी भरपूर तड़का लगाया गया है. मैं चाहता हूं यह फ़िल्म जल्द से जल्द दर्शकों के सामने हो ताक़ि मैं उनकी प्रतिक्रियाएं जान सकूं.”

फ़िल्म के निर्देशक फ़राह हैदर फ़िल्म की ख़ासियतों पर ग़ौर करते हुए कहते हैं, “वास्तविकता के धरातल पर बुनी गयी इस फ़िल्म की कहानी दो इंजीनियरिंग छात्रों की हैरत भरी दास्तां को अलग ढंग से बयां करती है. दो ऐसे दोस्त जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद खेती-किसानी में रुचि दिखाते हैं और जीवन में एक नई राह पर चल पड़ते हैं. आज के दौर में कई ऐसे युवा हैं जो ख़ुद को इस फ़िल्म की कहानी से रिलेट कर पाएंगे. दरअसल, हममें से हर‌ कोई फ़िल्म के हरेक किरदार की जज़्बाती कहानी से ख़ुद को जुड़ा हुआ महसूस करेगा. हमें इस बात की बेहद ख़ुशी है कि बड़ी शिद्दत और मेहनत से बनाई गई यह फ़िल्म अब 6 मई, 2022 को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज़ होने जा रही है.”

निर्माता वैशाली सारवणकर कहती हैं, “हम सभी इस फ़िल्म की रिलीज़ और लोगों की प्रतिक्रिया को जानने को लेकर बेहद उत्साहित हैं. यह एक ऐसी पारिवारिक फ़िल्म है जिसमें कृषि जीवन को जज़्बाती ढंग से पेश किया गया है. यकीनन, यह फ़िल्म लोगों के दिलों-दिमाग पर गहरा प्रभाव डालेगी. इस फ़िल्म में बेहद प्रतिभाशाली कलाकार हैं और फ़िल्म से जुड़ी टीम ने एक बेहतरीन फ़िल्म बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. हम बेसब्री से दर्शकों के समक्ष इसे पेश करने और लोगों की प्रतिक्रिया जानने का इंतज़ार कर रहे हैं.”

डॉ. श्रीकांत भासी द्वारा प्रस्तुत इस फ़िल्म के निर्देशन की बागडोर फ़राज़ हैदर ने संभाली है जबकि इस फ़िल्म का निर्माण ‘कार्निवल मोशन पिक्चर्स’ की वैशाली सारवणकर द्वारा किया जा रहा है. एक बार फिर से याद दिला दें कि ‘मेरे देश की धरती’ 6 मई, 2022 को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है.

15 साल पहले ऐसा था Anupama का परिवार, सामने आई प्रीक्वल की फोटोज

सीरियल अनुपमा जहां फैंस का दिल जीतता जा रहा है तो वहीं जल्द ही अनुपमा की जिंदगी के अनकहे पन्नों से जुड़ी अनुपमा के प्रीक्वल फैंस को नजर आने वाला है. इसी बीच प्रीक्वल में अनुपमा के लुक से लेकर कैसा होगा शाह हाउस इसकी फोटोज भी सामने आ गई है. आइए आपको दिखाते हैं 15 साल पहले के अनुपमा के परिवार की वायरल फोटोज…

अनुपमा और वनराज का दिखा 15 साल पुराना लुक

 

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अनुपमा के मेकर्स जल्द ही शो का प्रीक्वल यानी ‘अनुपमा-नमस्ते अमेरिका’ लेकर आ रहे हैं, जिसमें अनुपमा और वनराज की शादी के 10 सालों के सफर की अनकही कहानी दिखाई जाएगी. हालांकि ये एक 11 एपिसोड की सीरीज होगी, जो डिजनी हॉट पर दिखाया जाएगा. वहीं अब इसी से जुड़ी कुछ फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसमें अनुपमा के लुक में रुपाली गांगुली का यंग वर्जन नजर आ रहा है. हालांकि इस लुक में भी रुपाली गांगुली बेहद खूबसूरत लग रही हैं. इसके अलावा वनराज और अनुपमा, छोटी उम्र के तोषू और समर के साथ भी दिखाई दे रहे हैं.

कुछ ऐसा था पहले शाह हाउस

जहां अनुपमा और वनराज के लुक में बदलाव देखने को मिला है तो वहीं 15 साल पहले शाह निवास का नजारा भी अलग-अलग देखने को मिल रहा है. दरअसल, घर में पुराने जमाने का टीवी होने के साथ हर एक कोना पुराने स्टाइल का दिख रहा है. वहीं आंगन में केवल तुलसी का पौधा और राधा-कृष्ण जी की फोटो नजर आ रही है.  इसके अलावा बा का झूले से लेकर अनुपमा-वनराज का कमरा भी चेंज लग रहा है.

बता दें, टीवी पर चल रहे सीरियल अनुपमा में वनराज से अलग होकर अपनी नई जिंदगी की शुरुआत होते हुए अनु को दिखाया गया है. लेकिन इस प्रीक्वल में वनराज और अनुपमा के बीच दूरियां कैसे आईं इसकी झलक देखने को मिलने वाली है.

Hrithik Roshan ने थामा Saba Azad का हाथ तो ट्रोलर्स ने कही ये बात

बौलीवुड एक्टर ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan) की लव लाइफ किसी से छिपी नहीं है. बीते दिनों जहां एक्टर की रयूमर्ड गर्लफ्रैंड सिंगर सबा आजाद (Saba Azad) रोशन फैमिली संग क्वालिटी टाइम बिताती नजर आईं थीं तो वहीं अब वह खुल्लम खुल्ला अपने प्यार का इजहार करते हुए ऋतिक रोशन का हाथ थामे नजर आईं हैं. हालांकि इसके कारण उन्हें ट्रोलिंग का शिकार भी होना पड़ रहा है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

हाथ थामे दिखे एक्टर

 

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बीते दिनों एक्टर ऋतिक रोशन और सिंगर सबा आजाद के डेटिंग की खबर सुर्खियों में थीं, जिसका कारण दोनों का साथ कई जगहों पर नजर आना था. हालांकि कपल ने कभी अपने प्यार का इजहार नहीं किया. लेकिन अब एक वीडियो सोशलमीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें मुंबई एयरपोर्ट पर एक्टर ऋतिक रोशन अपनी रयूमर्ड गर्लफ्रेंड सबा आजाद के साथ स्पॉट होते दिख रहे हैं. वहीं वीडियो में खास बात है कि ऋतिक, सबा आजाद का हाथ थामे चलते नजर आ रहे हैं.

 

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लोगों ने किया ट्रोल

वीडियो देखते ही जहां एक्टर के फैंस उनकी तारीफ और बधाई देते नजर आ रहे हैं तो वहीं कुछ लोग उन्हें ट्रोल करते दिख रहे हैं. दरअसल, वीडियो में ट्रोलर्स कमेंट करते हुए बुढ़ापे का प्यार की बात कह रहे हैं. वहीं कई लोग उनके रिश्ते में उम्र के फासले का भी मजाक उड़ा रहे हैं.

एक्स वाइफ भी नहीं रही पीछे

 

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जहां बीते दिन एक्टर ऋतिक रोशन अपनी रयूमर्ड गर्लफ्रैंड का हाथ थामे नजर आए तो वहीं अब उनकी एक्स वाइफ सुजैन खान (Sussanne Khan) भी एयरपोर्ट पर उनके रयूमर्ड बॉयफ्रेंड अर्सलान गोनी (Arshlan Goni) के साथ दिखीं, जिसके चलते वह भी ट्रोलिंग का शिकार हो रही हैं.

बता दें, साल 2000 में शादी के बंधन में बंधने वाले ऋतिक रोशन ने साल 2014 में अपनी 14 साल की शादी को तोड़ने का फैसला किया था. हालांकि दोनों ने तलाक के बाद भी दोस्त रहने की बात कही थी, जिसके चलते दोनों कई बार अपने बच्चों के साथ नजर आते हैं.

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वीडियो क्रेडिट- Viral Bhayani

कोरोना वायरस के जाल में: क्या हुआ गरिमा के साथ

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तो कहलाएंगी Wife नं. 1

आजकल अगर आप पत्नियों से यह पूछें कि पति पत्नी से क्या चाहता है तो ज्यादातर पत्नियों का यही जवाब होगा कि सौंदर्य, वेशभूषा, मृदुलता, प्यार. जी हां, काफी हद तक पति पत्नी से नैसर्गिक प्यार का अभिलाषी होता है. वह सौंदर्य, शालीनता, बनावट और हारशृंगार भी चाहता है. पर क्या केवल ये बातें ही उसे संतुष्ट कर देती हैं?

जी नहीं. वह कभीकभी पत्नी में बड़ी तीव्रता से उस की स्वाभाविक सादगी, सहृदयता, गंभीरता और प्रेम की गहराई भी ढूंढ़ता है. कभीकभी वह चाहता है कि वह बुद्धिमान भी हो, भावनाओं को समझने वाली योग्यता भी रखती हो.

बहलाने से नहीं बनेगी बात

पति को गुड्डे की तरह बहलाना ही पत्नी के लिए पर्याप्त नहीं. दोनों के मध्य गहरी आत्मीयता भी जरूरी है. ऐसी आत्मीयता कि पति को अपने साथी में किसी अजनबीपन की अनुभूति न हो. वह यह महसूस करे कि वह उसे सदा से जानता है और वह उस के दुखसुख में हमेशा उस के साथ है. पतिपत्नी के प्यार और वैवाहिक जीवन में यह आत्मिक एकता जरूरी है. पत्नी का कोमल सहारा वास्तव में पति की शक्ति है. यदि वह सहृदयता और सूझबूझ से पति की भावनाओं का साथ नहीं दे सकती, तो वह सफल पत्नी नहीं कहला सकती. पत्नी भी मानसिक तृष्णा अनुभव करती है. वह भी चाहती है कि वह पति के कंधे पर सिर रख कर जीवन का सारा बोझ उतार फेंके.

बहुतों का जीवन प्राय:

इसलिए कटु हो जाता है कि वर्षों के सान्निध्य के बावजूद पति और पत्नी एकदूसरे से मानसिक रूप से दूर रहते हैं और एकदूसरे को समझ नहीं पाते हैं. बस यहीं से शुरू होती है दूरी. यदि आप चाहती हैं कि यह दूरी न बढ़े, जीवन में प्रेम बना रहे तो निम्न बातों पर गौर करें:

यदि आप के पति दार्शनिक हैं तो आप दर्शन में अपनी जानकारी बढ़ाएं. उन्हें कभी शुष्क या उदास मुखड़े से अरुचि का अनुभव न होने दें.

यदि आप कवि की पत्नी हैं, तो समझिए वीणा के कोमल तारों को छेड़ते रहना आप का ही जीवन है. सुंदर बनी रहें, मुसकराती रहें और  सहृदयता से पति के साथ प्रेम करें. उन का दिल बहुत कोमल और भावुक है, आप की चोट सहन न कर पाएगा.

आप के पति प्रोफैसर हैं तो आटेदाल से ले कर संसार की प्रत्येक समस्या पर हर समय व्याख्यान सुनने के लिए प्रसन्नतापूर्वक तैयार रहें.

यदि आप के पति धनी हैं, तो उन के धन को दिमाग पर लादे न घूमें. धन से इतना प्रभावित न हों कि पति यह विश्वास करने लगे कि सारी दिलचस्पी का केंद्र उस की दौलत है. आप दौलत से बेपरवाह हो कर उन के व्यक्तित्व की उस रिक्तता को पूरा करें जो हर धनिक के जीवन में होती है. विनम्रता और प्रतिष्ठतापूर्वक दौलत का सही उपयोग करें और पति को अपना पूरा और सच्चा सान्निध्य दें.

यदि आप के पति पैसे वाले न हों तो उन्हें केवल पति समझिए गरीब नहीं. आप कहें कि आप को गहनों का तो बिलकुल शौक नहीं है. साधारण कपड़ों में भी अपना नारीसौंदर्य स्थिर रखें. चिंता और दुख से बच कर हर मामले में उन का साथ दें.

हमेशा याद रखें कि सच्चा सुख एकदूसरे के साथ में है, भौतिक सुखसुविधाएं कुछ पलों तक ही दिल बहलाती हैं.

जानें कैसे करें Arthritis से बचाव

क्या आप को हैरानी हुई है कि छरहरी महिलाएं भी कमजोर और अस्वस्थ क्यों हो जाती हैं?

क्या आप ने कभी सोचा है कि सब का खयाल रखने वाली परिवार की कोई सदस्य अकसर बीमार क्यों पड़ जाती है?

एक दशक पहले तक हैजा, टीबी और गर्भाशय का कैंसर महिलाओं को होने वाली सेहत से जुड़ी मुख्य समस्याएं थीं. इन दिनों नई बीमारियां, जैसे कार्डियो वैस्क्यूलर डिजीज, डायबिटीज और आस्टियोआर्थराइटिस जैसे रोग 30 वर्ष से अधिक आयुवर्ग की युवा महिलाओं में फैले हुए हैं.

आर्थराइटिस फाउंडेशन की ओर से हाल ही में हुए अध्ययन के अनुसार, यह अनुमान लगाया गया है कि 2013 तक देश में लगभग 3.6 करोड़ लोग आस्टियोआर्थराइटिस रोग से प्रभावित हो जाएंगे. कम आमदनी वाले वर्ग की 30-60 वर्ष की भारतीय महिलाओं के बीच हुए एक अध्ययन में अस्थि संरचना के सभी महत्त्वपूर्ण जगहों पर बीएमडी (अस्थि सघनता) विकसित देशों में दर्ज किए गए आंकड़ों से काफी कम थी, जिस के साथ अपर्याप्त पोषण से होने वाले आस्टियोपेनिया (52%) और आस्टियोपोरोसिस (29%) की मौजूदगी ज्यादा थी. अनुमान है कि 50 वर्ष से अधिक की 3 में से 1 महिला को आस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर का अनुभव होगा.

इन दिनों कम शारीरिक सक्रियता वाली जीवनशैली की वजह से दबाव संबंधी कारक और मोटापा जोखिम पैदा करने वाले कुछ ऐसे कारक हैं जिन का संबंध आस्टियोआर्थराइटिस जैसी समस्याओं से माना जाता है. इसलिए, यदि कोई स्वस्थ जीवन जीना चाहता है तो जरूरी है कि वह अपनी हड्डियों की देखभाल पर विशेष ध्यान दे. आस्टियोआर्थराइटिस की रोकथाम और काम व जीवन के बीच स्वस्थ संतुलन कायम करने के लिए यहां ऐसे टिप्स बताए जा रहे हैं, जिन पर महिलाओं को ध्यान देना चाहिए.

1. भोजन के सही विकल्प

सब्जियों, जैसे लहसुन, प्याज और हरे प्याज से भरपूर आहार तकलीफदेह आस्टियोआर्थराइटिस के उपचार में मदद कर सकता है. ऐसा भोजन लें जो विटामिन ई से भरपूर हो, जैसे स्ट्राबैरी, बैगन, गोभी, पालक, बंदगोभी और खट्टे फल संतरा, मौसमी आदि.

2. जीवनशैली में बदलाव

कई बार महिलाएं ऊंची एड़ी के या गलत किस्म के सैंडल पहनती हैं, जिस के नतीजे के तौर पर घुटनों के जोड़ पर दबाव पड़ता है. घुटने के आस्टियोआर्थराइटिस से बचने के लिए, डाक्टरों द्वारा अंदरूनी सोल वाले विशेष जूते पहनने की सलाह दी जाती है, जो जल्दीजल्दी चलनेफिरने के  लिए शरीर को जरूरी सहारा दे सकते हैं.

3. सुडौल शरीर

यह देखा गया है कि महिलाओं में आस्टियोआर्थराइटिस का प्रमुख कारण मोटापा और अस्वस्थ जीवनशैली है. इसलिए महिलाओं के लिए यह बेहद जरूरी है कि वे गंभीरता से वजन घटाने के उपाय अपनाएं और उन्हें अपनी दैनिक जीवनशैली में शमिल करें. योग, हलके व्यायाम, जैसे पैदल चलना और बोलिंग (एक खेल) करना आदि बेहतर विकल्प हो सकते हैं. रोगग्रस्त महिला को बागबानी, सीढि़यां चढ़ने आदि जैसे कामों से दूर रहना चाहिए, क्योंकि ये काम घुटनोें के जोड़ों पर भार डालते हैं.

4. घरेलू उपाय

कोई भी महिला खुद की देखभाल के तरीकों को भी अपना सकती है, जैसे गरम सिंकाई वाला पैड इस्तेमाल करना, गरम पानी से स्नान या जोड़ों के दर्द से राहत के लिए बर्फ के टुकड़ों से सिंकाई करना.

5. उपचार के वैकल्पिक तरीके

कई लोग रोग से जुडे़ दर्द, अकड़न, दबाव और बेचैनी से राहत पाने के लिए उपचार के वैकल्पिक तरीके, जैसे 5 इंजैक्शन का उपचार या विस्को सप्लीमैंटेशन अपनाते हैं. आस्टियोआर्थराइटिस के विरुद्ध भी हाएलगन जोड़ों के बीच घुटने में इंजैक्शन देना एक ऐसा तरीका है, जो रोगियों में आस्टियोआर्थराइटिस की शुरुआत और प्रगति को रोकता है. यह आस्टियोआर्थराइटस के उपचार के लिए दर्दमुक्त, गुणवत्ताशाली निदान विधि है. हाएलगन थेरैपी में 1 सप्ताह के अंतराल में 5 इंजैक्शन शामिल होते हैं, जिन्हें जोड़ों में सामान्य द्रव का लचीलापन व लुब्रिकेशन जैसी खूबियां दोबारा पैदा करने के लिए सीधे घुटने के जोड़ों में लगाया जाता है. हाएलगन आस्टियोआर्थराइटिस की 1-3 अवस्था के रोगियों के लिए एक आदर्श उपचार है.

6. अंतिम विकल्प

जब दर्द सहन से बाहर हो जाए और जब अवस्था में घुटने काम करने लायक न रहें तो पीडि़त व्यक्ति को घुटना बदलवाने की शल्यचिकित्सा करवानी पड़ती है. यह तब की जाती है जब दूसरे उपचार काम नहीं करते हैं. इस अवस्था में जोड़ों में हुई टूटफूट को एक्सरे में देखा जा सकता है.

– डा. ए.वी. शर्मा, प्रमुख आर्थोपैडिक सर्जन, आर. के. हौस्पिटल

वजन कम करते ही बदला ‘भोली पंजाबन’ Richa Chadha का अंदाज

बौलीवुड एक्ट्रेस ऋचा चड्ढा (Richa Chadha) अपने रिलेशनशिप को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. वहीं बीते दिनों उनकी शादी की खबर भी सोशलमीडिया पर छाई हुई थी. इसी बीच एक्ट्रेस ने नया फोटोशूट फैंस के साथ शेयर किया है, जिसमें वह बोल्ड लुक में नजर आ रही हैं. वहीं फैंस का कहना है कि ऋचा चड्ढा ने काफी वजन कम कर लिया है. आइए आपको दिखाते हैं फोटोशूट की झलक…

वजन कम करके दिखाया बोल्ड अंदाज

 

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एक्ट्रेस ऋचा चड्ढा के नए फोटोशूट की बात करें तो डीप ने क वाली थाई-हाई स्लिट ड्रेस में वह बेहद खूबसूरत लग रही हैं. फैंस को ऋचा चड्ढा का बोल्ड अवतार काफी पसंद आ रहा है. वहीं खबरों की मानें तो एक्ट्रेस ने लगभग 15 किलो वजन कम कर लिया है, जिसके चलते वह फोटोशूट में फिटनेस दिखाती नजर आ रही हैं. हालांकि फोटोज को देखकर फैंस भी उनके वेट ट्रांसफौर्मेशन का अंदाजा लगा रहे हैं.

 

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फैशन है खास

 

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इंडियन हो या वेस्टर्न ऋचा चड्ढा हर लुक कैरी करती हैं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लगती हैं. हालांकि अब वेट ट्रांसफौर्मेशन के बाद ऋचा चड्ढा का लुक बेहद खास होने वाला है, जिसका अंदाजा एक्ट्रेस के इस बोल्ड फोटोशूट से लगाया जा सकता है.

फुकरे 3 में आएंगी नजर

 

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फिल्म ‘फुकरे’ में ‘भोली पंजाबन’ का किरदार निभाने वाली ऋचा चड्ढा अपने इस रोल के लिए काफी पौपुलर हैं. वहीं खबरे हैं कि जल्द ही ‘फुकरे’ 3 भी दर्शकों का दिल जीतने के लिए आने वाली है. हालांकि अभी फिल्म की शूटिंग चल रही हैं

 रिलेशनशिप के चलते बटोरती हैं सुर्खियां

 

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एक्ट्रेस ऋचा चड्ढा, अली फजल संग रिलेशनशिप में हैं, जिसके चलते वह सुर्खियों में रहती हैं. हालांकि सोशलमीडिया पर अक्सर उनकी शादी की खबरें आती रहती हैं. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि दोनों साल 2022 में शादी करने वाले हैं. लेकिन देखना होगा कि एक्ट्रेस कब शादी के बंधन में बंधती हैं.

Mutual Fund में कब और कैसे करें निवेश

अपने रोजमर्रा के खर्चों के बीच छोटीमोटी बचत तो हम सब कर ही लेते हैं, मगर फायदा तो तब है जब बचत के साथसाथ निवेश की भी आदत डाली जाए. जब निवेश की बात आती है तो ज्यादातर लोगों के दिमाग में शेयर मार्केट में पैसे लगाने का खयाल आता है. जबकि असलियत तो यह है कि यदि आप को शेयर बाजार में पैसे लगाने का अनुभव नहीं है तो यह आप के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है. फाइनैंशियल प्लानर, अनुभव शाह के मुताबिक नए निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश करना एक बेहतरीन विकल्प है. ऐसा नहीं है कि म्यूचुअल फंड में निवेश करने में कोई जोखिम नहीं, पर शेयर बाजार में निवेश की तुलना में यह फिर भी कम जोखिम भरा है.

आइए, जानते हैं कि इक्विटी में निवेश की तुलना में म्यूचुअल फंड क्यों है बेहतर:

क्या है

आप म्यूचुअल फंड में निवेश करें इस से पहले आप को शेयर और म्यूचुअल फंड के बीच का फर्क पता होना चाहिए. जब आप शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं, तो इस का मतलब है कि आप एक सार्वजनिक कंपनी के शेयर तब खरीद रहे हैं जब उन की कीमत कम है और कीमत बढ़ने पर इन्हें बेच देंगे. हालांकि म्यूचुअल फंड में निवेश करने का मतलब यह है कि आप का फंड मैनेजर आप के द्वारा निवेश की गई रकम को बौंड, शेयर, डिबैंचर जैसे निवेश के अलगअलग विकल्पों में लगाता है. ऐसे में म्यूचुअल फंड का रिटर्न अलगअलग प्रतिभूतियों पर हो रहे मुनाफे पर निर्भर करेगा.

जोखिम

म्यूचुअल फंड और शेयर इक्विटी में निवेश दोनों में ही जोखिम है. हालांकि जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो यह जोखिम थोड़ा कम हो जाता है. जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आप के पास का निवेश विभिन्न प्रकार के निवेश उपकरणों में किया जाता है. यदि एक उपकरण का प्रदर्शन खराब है तो दूसरे का अच्छा हो सकता है. ऐसे में जोखिम कम हो जाता है. इक्विटी में निवेश का सब से बड़ा नुकसान यह है कि यदि शेयर बाजार नीचे जा रहा है तो आप को उसी अनुपात में नुकसान भी होता है. कुल मिला कर आप के निवेश का प्रदर्शन किसी एक कंपनी के शेयरों के प्रदर्शन तक ही सीमित रह जाता है.

नए निवेशकों के लिए बेहतर

जो लोग पहली बार निवेश कर रहे हैं और उन्हें शेयर बाजार का अनुभव नहीं, ऐसे निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड बेहतर है. म्यूचुअल फंड में निवेश करने के बाद इस के प्रबंधन की सारी जिम्मेदारी फंड मैनेजर की होती है. इस के लिए निवेशक को परेशान नहीं होना पड़ता. हालांकि इस के लिए निवेशक को समयसमय पर इस के प्रबंधन के लिए फीस चुकानी पड़ती है. जहां तक इक्विटी शेयर में निवेश की बात है तो इस के लिए पर्याप्त रिसर्च की जरूरत पड़ती है और यदि घाटा होता है तो सारी जिम्मेदारी आप की होती है.

जटिल

म्यूचुअल फंड की तुलना में इक्विटी शेयर में निवेश करना काफी जटिल है. साथ ही इस में समय भी काफी लगता है. शेयर में निवेश करने की स्थिति में हर पल बाजार की स्थिति और शेयर के भाव पर नजर रखनी पड़ती है. जबकि म्यूचुअल फंड में निवेश करने की स्थिति में यह काम फंड मैनेजर का होता है.

डाइवर्सिफिकेशन

एक अच्छा निवेशक वही होता है, जो मुनाफा कमाने के लिए केवल एक तरह के निवेश विकल्प और सैक्टर पर निर्भर न रहे. विभिन्न सैक्टरों और निवेश के विकल्पों में पैसा लगाना ही डाइवर्सिफिकेशन कहलाता है. म्यूचुअल फंड में निवेशक को डाइवर्सिफिकेशन का विकल्प मिलता है, जबकि ऐसा इक्विटी शेयर के साथ नहीं है.

सावधानी

अकसर देखा गया है कि म्यूचुअल फंड या फिर अन्य किसी विकल्प में निवेश के दौरान लोग लापरवाही से दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर देते हैं. ऐसा करने से आप मुसीबत में पड़ सकते हैं. लिहाजा, हस्ताक्षर करने से पहले पौलिसी से संबंधित दस्तावेज ध्यान से पढ़ें.

दस्तावेज जमा करते वक्त एड्रेस पू्रफ देते समय अपना स्थाई पता दें. सभी प्रकार के पत्राचार में यह काम आएगा.

आप के निवेश से संबंधित सारी स्टेटमैंट आप को बड़ी आसानी से ईमेल पर मिल सकती है. लिहाजा ईमेल एड्रेस का कौलम भरते वक्त सतर्क रहें.

म्यूचुअल फंड में निवेश के दौरान फंडों का प्रबंधन करना फंड मैनेजर की जिम्मेदारी होती है. इस का मतलब यह नहीं कि आप अपने निवेश की सुध ही न लें. समयसमय पर अपने निवेश की समीक्षा करते रहें. यदि आप इस के प्रदर्शन से संतुष्ट न हों तो फंड मैनेजर बदलने पर विचार करें.

म्यूचुअल फंड भी कई प्रकार के होते हैं. उदाहरण के तौर पर डेट, इक्विटी, लिक्विड म्यूचुअल फंड आदि. लिहाजा, इस में निवेश से पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि आप ने जिस म्यूचुअल फंड में निवेश किया है वह कौन सा है और विभिन्न परिस्थितियों में इस का प्रदर्शन कैसा होगा.

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