अपने रोजमर्रा के खर्चों के बीच छोटीमोटी बचत तो हम सब कर ही लेते हैं, मगर फायदा तो तब है जब बचत के साथसाथ निवेश की भी आदत डाली जाए. जब निवेश की बात आती है तो ज्यादातर लोगों के दिमाग में शेयर मार्केट में पैसे लगाने का खयाल आता है. जबकि असलियत तो यह है कि यदि आप को शेयर बाजार में पैसे लगाने का अनुभव नहीं है तो यह आप के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है. फाइनैंशियल प्लानर, अनुभव शाह के मुताबिक नए निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश करना एक बेहतरीन विकल्प है. ऐसा नहीं है कि म्यूचुअल फंड में निवेश करने में कोई जोखिम नहीं, पर शेयर बाजार में निवेश की तुलना में यह फिर भी कम जोखिम भरा है.

आइए, जानते हैं कि इक्विटी में निवेश की तुलना में म्यूचुअल फंड क्यों है बेहतर:

क्या है

आप म्यूचुअल फंड में निवेश करें इस से पहले आप को शेयर और म्यूचुअल फंड के बीच का फर्क पता होना चाहिए. जब आप शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं, तो इस का मतलब है कि आप एक सार्वजनिक कंपनी के शेयर तब खरीद रहे हैं जब उन की कीमत कम है और कीमत बढ़ने पर इन्हें बेच देंगे. हालांकि म्यूचुअल फंड में निवेश करने का मतलब यह है कि आप का फंड मैनेजर आप के द्वारा निवेश की गई रकम को बौंड, शेयर, डिबैंचर जैसे निवेश के अलगअलग विकल्पों में लगाता है. ऐसे में म्यूचुअल फंड का रिटर्न अलगअलग प्रतिभूतियों पर हो रहे मुनाफे पर निर्भर करेगा.

जोखिम

म्यूचुअल फंड और शेयर इक्विटी में निवेश दोनों में ही जोखिम है. हालांकि जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो यह जोखिम थोड़ा कम हो जाता है. जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आप के पास का निवेश विभिन्न प्रकार के निवेश उपकरणों में किया जाता है. यदि एक उपकरण का प्रदर्शन खराब है तो दूसरे का अच्छा हो सकता है. ऐसे में जोखिम कम हो जाता है. इक्विटी में निवेश का सब से बड़ा नुकसान यह है कि यदि शेयर बाजार नीचे जा रहा है तो आप को उसी अनुपात में नुकसान भी होता है. कुल मिला कर आप के निवेश का प्रदर्शन किसी एक कंपनी के शेयरों के प्रदर्शन तक ही सीमित रह जाता है.

नए निवेशकों के लिए बेहतर

जो लोग पहली बार निवेश कर रहे हैं और उन्हें शेयर बाजार का अनुभव नहीं, ऐसे निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड बेहतर है. म्यूचुअल फंड में निवेश करने के बाद इस के प्रबंधन की सारी जिम्मेदारी फंड मैनेजर की होती है. इस के लिए निवेशक को परेशान नहीं होना पड़ता. हालांकि इस के लिए निवेशक को समयसमय पर इस के प्रबंधन के लिए फीस चुकानी पड़ती है. जहां तक इक्विटी शेयर में निवेश की बात है तो इस के लिए पर्याप्त रिसर्च की जरूरत पड़ती है और यदि घाटा होता है तो सारी जिम्मेदारी आप की होती है.

जटिल

म्यूचुअल फंड की तुलना में इक्विटी शेयर में निवेश करना काफी जटिल है. साथ ही इस में समय भी काफी लगता है. शेयर में निवेश करने की स्थिति में हर पल बाजार की स्थिति और शेयर के भाव पर नजर रखनी पड़ती है. जबकि म्यूचुअल फंड में निवेश करने की स्थिति में यह काम फंड मैनेजर का होता है.

डाइवर्सिफिकेशन

एक अच्छा निवेशक वही होता है, जो मुनाफा कमाने के लिए केवल एक तरह के निवेश विकल्प और सैक्टर पर निर्भर न रहे. विभिन्न सैक्टरों और निवेश के विकल्पों में पैसा लगाना ही डाइवर्सिफिकेशन कहलाता है. म्यूचुअल फंड में निवेशक को डाइवर्सिफिकेशन का विकल्प मिलता है, जबकि ऐसा इक्विटी शेयर के साथ नहीं है.

सावधानी

अकसर देखा गया है कि म्यूचुअल फंड या फिर अन्य किसी विकल्प में निवेश के दौरान लोग लापरवाही से दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर देते हैं. ऐसा करने से आप मुसीबत में पड़ सकते हैं. लिहाजा, हस्ताक्षर करने से पहले पौलिसी से संबंधित दस्तावेज ध्यान से पढ़ें.

दस्तावेज जमा करते वक्त एड्रेस पू्रफ देते समय अपना स्थाई पता दें. सभी प्रकार के पत्राचार में यह काम आएगा.

आप के निवेश से संबंधित सारी स्टेटमैंट आप को बड़ी आसानी से ईमेल पर मिल सकती है. लिहाजा ईमेल एड्रेस का कौलम भरते वक्त सतर्क रहें.

म्यूचुअल फंड में निवेश के दौरान फंडों का प्रबंधन करना फंड मैनेजर की जिम्मेदारी होती है. इस का मतलब यह नहीं कि आप अपने निवेश की सुध ही न लें. समयसमय पर अपने निवेश की समीक्षा करते रहें. यदि आप इस के प्रदर्शन से संतुष्ट न हों तो फंड मैनेजर बदलने पर विचार करें.

म्यूचुअल फंड भी कई प्रकार के होते हैं. उदाहरण के तौर पर डेट, इक्विटी, लिक्विड म्यूचुअल फंड आदि. लिहाजा, इस में निवेश से पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि आप ने जिस म्यूचुअल फंड में निवेश किया है वह कौन सा है और विभिन्न परिस्थितियों में इस का प्रदर्शन कैसा होगा.

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