Lingerie स्टोर करने के 5 आसान टिप्स

कभी व्यस्तता के चलते तो कभी आलस के कारण ज्यादातर महिलाओं का वार्डरोब अस्तव्यस्त रहता है. ऐसे में सब से ज्यादा मुश्किल आती है अंडरगारमैंट्स को मैनेज करने में.

जानिए, कुछ टिप्स जो अंडरगारमैंट्स के रखरखाव में आप के काम आएंगे.

1. पुरानी लिंजरी हटा दें

अगर ब्रा अब आप को फिट नहीं आती, अंडरवियर आप को चुभ रही है या एक अच्छे फिट के लिए आप को लगातार ब्रा को ऐडजस्ट करना पड़ता है, तो समझ लें कि इन्हें विदाई देने का समय आ गया है. वैसे भी फिटनैस और सेहत को ध्यान में रखते हुए लिंजरी को निश्चित अंतराल पर बदलते रहना चाहिए.

2. 2 समूहों में विभाजित करें

अधिकतर महिलाओं के पास 2 प्रकार की ब्रा होती हैं- मोल्ड के साथ या उस के बिना. इन दोनों प्रकार की ब्रा को व्यवस्थित करने से आधी समस्या का हल हो जाएगा. बस अपनी ब्रा को 2 समूहों में विभाजित करें. बिना मोल्ड की ब्रा को फोल्ड कर के रखना आसान होता है. लेकिन मोल्ड वाली ब्रा को फोल्ड करते समय सावधानी बरतें, क्योंकि वह नाजुक होती है. दोनों को अलग अलग सैट बना कर रखें.

3. दराज में व्यवस्थित करें

हालांकि ब्रा के एक कप को दूसरे में डालना और फिर सारी ब्रा एकसाथ रखना आकर्षक हो सकता है. लेकिन ऐसा न करें. ऐसा करने से ब्रा के मोल्ड का आकार बिगड़ सकता है. अपनी सभी मोल्ड वाली ब्रा को एकदूसरे के आगेपीछे लगा कर पंक्तिबद्ध करें और उन्हें दराज में व्यस्थित करें.

4. लिंजरी ट्रैवल बैग

यदि आप यात्रा में अपने सभी पसंदीदा अंतर्वस्त्र ले जाना चाहती हैं, तो लिंजरी के लिए बनाए गए ट्रैवल बैग्स में इन्हें स्मार्टली पैक करें. इस विशेष बैग में आप की लिंजरी का शेप भी नहीं बिगड़ेगा.

5. एकसाथ लटका दें

दराज में जगह की कमी है, तो आप ब्रा अलमारी में एकसाथ लटका सकती हैं. आप को बस इतना करना होगा कि कपड़ों के हैंगर को एकदूसरे के नीचे हुक कर दें. जब भी आप अलमारी खोलेंगी तो आसानी से इन्हें इस्तेमाल के लिए निकाल सकेंगी.

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ब्राइट कलर्स पहनते समय रखें इन 5 बातों का ध्यान

फैशन की तो दुनिया ही रंगीन है. ब्राइट या फिर ब्राइट कलर्स का जितना इस्‍तेमाल फैशन स्टेज पर किया जाता है उतना असल जिंदगी में कर पाना मुश्किल है.

फैशन को फॉलो करने वाली लड़कियां भी कई बार ब्राइट कलर्स को बहुत आत्मविश्वास के साथ नहीं पहन पाती हैं. रंगों की इसी उलझन को सुलझाने के लिए 5 खास टिप्स.

1. वॉर्डरोब से बाहर निकालें ब्राइट पिंक ड्रेस

कॉकटेल पार्टी हो या फिर फ्रेंड की शादी का संगीत, दोस्‍तों के साथ हैंगऑउट प्‍लान हो या फिर गर्ल्‍स डे ऑउट फन. मस्‍तीभरी इन जगहों के लिए ब्राइट पिंक ड्रेस से बेहतर कुछ नहीं. इसे कैरी करें रॉयल ब्‍लू हाई हील्‍स या पम्‍प्स के साथ. ड्रेस से मैचिंग लिप-कलर आपको फ्रेश और क्‍यूट दिखने में करेगा मदद. इस ड्रेस के साथ सिल्‍वर क्‍लच और सिल्‍वर हाई हील भी मैच की जा सकती हैं.

2. ब्राइट प्रिंट को मैच करें सिंगल ब्राइट सॉलिड के साथ

आपके पास ब्राइट प्रिंट कलर की शर्ट या फिर टॉप है तो इसे नॉर्मल ब्‍लू डेनिम के साथ पहनने की जगह सिंगल ब्राइट सॉलिड लोअर के साथ मैच करें. जैसे अगर आपकी शर्ट पर ब्‍लू कलर का प्रिंट है तो इसे मैच करें ब्राइट सॉलिड ब्‍लू पैंट के साथ या फिर आपकी टी शर्ट पर ग्रीन कलर के फ्लावर हैं तो इसे मैच करें उसी कलर की जींस या स्‍कर्ट के साथ. कॉलेज लुक और ऑफिस में फ्राइडे लुक के लिए यह कॉम्‍बो बहुत अच्‍छा रहेगा. मेकअप लाइट ही रखें. लिप-कलर के साथ आप प्रयोग कर सकती हैं.

3. ब्‍लैक के साथ मैच करें

80 के फैशन में ब्राइट कलर्स की ड्रेस को ब्‍लैक कलर की लेगी के साथ मिक्‍स एंड मैच करने का बहुत चलन था. पिछले दिनों यह फैशन फिर से वापस आया है. अब आप अपनी ब्राइट ब्‍लू ड्रेस या ब्रॉयफ्रेंड शर्ट के साथ ब्‍लैक लेगी को कैरी कर सकती हैं. इस तरह के कॉम्‍बो के साथ विंग्‍ड आईलाइनर और स्‍मोकी आईज मेकअप बहुत जंचता है. इस ड्रेस को बन स्‍टाइल या हाई पोनी के साथ कंप्‍लीट करें.

4. ब्राइट को मिक्‍स करें दूसरे ब्राइट के साथ

संडे फन के लिए ड्रेस नहीं चुन पा रही हों तो आप अपनी वॉर्डरोब के कोने में पड़ी ब्राइट येलो शर्ट को रॉयल ब्‍लू पैंट या फिर बैंगनी कलर की जींस के साथ कैरी कर सकती हैं. इसी तरह के और ब्राइट कलर को आप अपनी पसंद के अनुसार चुन सकती हैं. रेड लिप-कलर आपको फ्रेश लुक देने के लिए काफी है.

5. ब्राइट फुटवि‍यर देगें आपको स्‍टेटमेंट लुक

ब्राइट कलर की ड्रेसेज के बारे में तो खूब बात हो गई पर आपके ब्राइट कलर शूज का क्या. लाइट और डल कलर की ड्रेसेज के साथ आप इन शूज या फुटवियर को आराम से मैच कर सकती हैं. ऑफिस, कॉलेज या फिर पार्टी के दौरान आपके ब्राइट कलर के फुटवि‍यर आपको स्‍टेटमेंट लुक देने के लिए काफी हैं.

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Summer Special: डिनर में फैमिली को खिलाएं मटर मसाला

अगर आपको एक अच्छा और हेल्दी खाना अपनी फैमिली को खिलाना है और एक नई रेसिपी से अपनी फैमिली और दोस्तों के बीच अपनी एक पहचान बनानी है तो हमारी मसाला मटर की रेसिपी को घर पर जरूर ट्राई करें.

हमें चाहिए

2 कप हरे मटर

1 बड़ा बारीक पिसा हुआ टमाटर

1 बड़ा (बारीक कटा) प्याज़

1 बड़ा चम्मच लहसुन-अदरक का पेस्ट

1/2 छोटा चम्मच जीरा

1 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर

लाल मिर्च पाउडर- स्वादानुसार

2 – 3 हरी मिर्च

1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर

1/2 छोटा चम्मच गरम मसाला

1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर

तेल, मक्खन और हरा धनिया– इच्छानुसार

ऐसे बनाएं…

-मटर मसाला बनाने के लिए मटर को करीब 4 घंटे भिगोकर रखें. इसके बाद नमक डालकर उबाल लें तथा पानी को निचोड़ कर अलग रख दें.

-अब कुकर में तेल डालें और गरम हो जाने पर उसमे जीरा तड़काएं. फिर बारीक कटा प्याज़ और कटी हरी मिर्च डालें. प्याज़ व मिर्च भुन जाए, तो अदरक-लहसुन का पेस्ट डालें.

-इसे हलके हाथ से चलाते रहें. इसके बाद धनिया, हल्दी, मिर्च पाउडर और सभी सूखे मसालों का पाउडर डालें. अब इन्हें हल्की आंच पर चलाते रहें.

-ध्यान रखें कि मसाले भुनना चाहिए, इन्हें तली में न लगने दें. भुन जाने पर पिसा टमाटर डालें. जब तेल किनारी छोड़ने लगे, तो मटर डालकर अच्छी तरह चलाएं. अब जितनी ग्रेवी चाहिए, उस हिसाब से पानी डालकर कुकर बंद कर दें. कुकर की 2-3 सीटी लें.

-मटर मसाला को निकालकर, मक्खन व धनिया डालकर सर्व करें. अगर करी खट्टी चाहते हों, तो कुकर खुलने के बाद डेढ़ चम्मच अमचूर पाउडर डाल सकते हैं. या सर्व करते समय ऊपर से नीबू निचोड़ें और अच्छी तरह मिक्स करके सर्व करें.

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पटाक्षेप- भाग 3: क्या पूरी हुई शरद और सुरभी की प्रेम कहानी

सगाई के बाद तो शरद अकसर ही उस के घर आनेजाने लगा था, अब उसे अपनी ससुराल में कभी भी आने का परमिट जो मिल गया था. इस एक महीने में वह सुरभि के साथ एक पूरा जीवन जीना चाहता था. अधिक से अधिक समय वह अपनी मंगेतर के साथ बिताना चाहता था. दोनों कभी मूवी देखने चले जाते, कभी दरिया के किनारे हाथों में हाथ डाले घूमते नजर आते, भविष्य के सुंदर सपने संजोते अपनी स्वप्नों की दुनिया में विचरण करते थे. पहले तो सुरभि को शर्म सी आती थी लेकिन अब घूमनेफिरने का लाइसैंस मिल गया था. सभी लोग बेफ्रिक थे कि ठीक भी है, दोनों एकदूसरे को अच्छी तरह समझ लेंगे तो जिंदगी आसान हो जाएगी.

वह दिन भी आ गया जब शरद को बेंगलुरु वापस जाना था. वह भावविह्वल हो रही थी. शरद उसे अपने से लिपटाए दिलासा दे रहा था. बस, कुछ ही दिनों की तो बात है, फिर हम दोनों एक हो जाएंगे. जहां मैं वहां तुम. हमारे ऊपर कोई बंधन नहीं होगा. और सुरभि ने उस के सीने में अपना मुंह छिपा लिया. शरद उस का मुंह ऊपर उठा कर बारबार उस के होंठों पर अपने प्यार की मुहर अंकित कर रहा था. शरद चला गया उसे अकेला छोड़ कर यादों में तड़पने के लिए.

विवाह जाड़े में होना था और अभी तो कई माह बाकी थे. फोन पर बातों में वह अपने विरह का कुछ इस प्रकार बखान करता था कि सुरभि के गाल शर्म से लाल हो उठते थे. वह उस की बातों का उत्तर देना चाहती थी किंतु शर्म उस के होंठों को सी देती थी. नीमा अकसर उसे छेड़ती और वह शरमा जाती.

अक्तूबर का महीना भी आ गया था. घर में जोरशोर से शादी की तैयारियां चल रही थीं. मांपापा पूरेपूरे दिन, उसे इस मौल से उस मौल टहलाते थे. उस की पसंद की ज्वैलरी और साडि़यां आदि खरीदने के चलते क्लासेज छूट रही थीं. जब वह कुछ कहती तो मां बोलतीं, ‘अब ससुराल में जा कर ही पढ़ाई करना.’ वह चुप रह जाती थी.

नवंबर का महीना भी आ गया. तैयारियों में और भी तेजी आ गई थी. निमंत्रणपत्र भी सब को जा चुके थे कि तभी उन पर गाज गिरी. शरद ने अपने पापा को सूचना दी कि उस ने अपने साथ ही कार्यरत किसी सोमा रेड्डी से विवाह कर लिया है.

सुरभि टूट गई. उसे शरद पर बेहद यकीन था. शरद उसे इस प्रकार धोखा देगा, यह तो उस ने सपने में भी नहीं सोचा था. वह शरद, जो उसे अपनी आंखों से ओझल भी नहीं होने देना चाहता था. उस के बालों से अठखेलियां करता, कभी कहता, तुम्हारी झील सी गहरी आंखों में मैं डूबडूब जाता हूं, सागर की लहरों सा लहराता तुम्हारा बदन मुझे अपने में समेटे लिए जा रहा है. ऐसे कैसे धोखा दे सकता है वह उसे? वह खुद से ही सवाल करती.

शरद के पापा बहुत ही लज्जित थे और हाथ जोड़ कर सुरभि के परिवार से अपने बेटे के धोखे की माफी मांग रहे थे. और नीमा…वह तो सुरभि से नजरें मिलाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रही थी. लेकिन अब इन बातों से फायदा भी क्या था? निराशा के अंधकार में वह नई राह तलाशने की कोशिश करती, लेकिन हर राह शरद की ओर ही जाती थी. उस के आगे तो सड़क बंद ही मिलती थी. और वह अंधेरों में भटक कर रह जाती थी.

कहीं से प्रकाश की एक भी किरण नजर नहीं आती थी. अब वह नातेरिश्तेदारों व मित्रों से नजरें चुराने लगी थी. जबकि मां उसे समझाती थी, ‘बेटा, तेरा कोई दोष नहीं है, दोष तो हमारा है जो हम ने उस धोखेबाज को पहचानने में भूल की.’

2 माह बाद ही पापा ने उस का विवाह अवलंब से कर दिया. अवलंब इनकम टैक्स औफिसर थे और बहुत ही सुलझे हुए व्यक्तित्व के थे. पापा ने उन से शरद और सुरभि की कोई भी बात नहीं छिपाई थी और परिवार के सम्मान की खातिर ही उस ने इस विवाह को स्वीकार कर लिया था. अवलंब सही माने में अवलंब थे. उन्होंने कभी भी उसे इस बात का आभास तक न होने दिया कि वे उस के अतीत से परिचित हैं और उन्होंने उसे अपने प्यार से लबरेज कर दिया. अब उसे शरद की याद भी न के बराबर ही आती थी. वह अवलंब का साया बन गई थी.

2 वर्षों बाद ही उस के जीवन की बगिया में अवलंब के प्यार का एक फूल खिला, अनंत, उस का बेटा. वह अपनेआप को दुनिया की सब से खुशनसीब स्त्री समझने लगी थी. अवलंब का बेशुमार प्यार और अनंत की किलकारियों से वह अपने अतीत के काले अध्याय को भूल चुकी थी, लेकिन नियति उस पर हंस रही थी. तभी तो 2 दिनों के दिमागी बुखार से अवलंब उसे अलविदा कह कर उस के जीवन से बहुत दूर चला गया और अब वह अपने बेटे के साथ अकेली रह गई.

अवलंब के औफिस में ही उसे नौकरी मिल गई. वह अकेली ही चल पड़ी उस डगर पर जो नियति ने उस के लिए चुनी थी. उसे अपने पति के हर उस सपने को पूरा करना था जो उन्होंने अनंत के लिए देखे थे. उसे अनंत का भविष्य संवारना था. उसे आकाश की अनंत ऊंचाइयों तक पहुंचाना था. अनंत था भी बड़ा ही मेधावी, सदा अव्वल रहने वाला. पीछे पलट कर उस ने कभी देखा ही नहीं और लगातार तरक्की की ओर बढ़ता गया.

सिडनी में अनंत को फैलोशिप मिल गई थी और उस के उज्जवल भविष्य के लिए सुरभि ने बिना नानुकुर किए उसे विदेश भेज दिया, वहां उसे नेहा मिली, जिस से वह विवाह करना चाहता था. और जिस की मंजूरी सुरभि ने फौरन ही दे दी. उस का मन उसे भटका रहा था. यदि वास्तव में नेहा शरद की ही बेटी हुई, तो क्या वह शरद का सामना कर सकेगी? क्यों उस ने यह रिश्ता स्वीकार कर लिया, अब क्या वह अनंत को मना कर दे इस शादी के लिए, लेकिन सबकुछ इतना आसान भी तो नहीं था. अब यदि अनंत ने इनकार का कारण पूछा तब क्या वह अपने ही मुंह से अपने अतीत को बयां कर सकेगी जिस ने उस के जीवन के माने ही बदल दिए थे, शरद की बेटी को क्या वह दिल से स्वीकार कर सकेगी, कहीं ऐसा न हो कि शरद के प्रति उस के प्रतिकार का शिकार वह मासूम बच्ची बने. नहींनहीं, शरद का बदला वह नेहा से कैसे ले सकती थी. वह बेटे का दिल भी तो नहीं तोड़ सकती थी. वरना, वह भी नेहा की नजरों में शरद के समान ही गिर जाएगा.

उस ने अनंत को फोन किया. ‘‘हैलो,’’ दूसरी तरफ से अनंत का स्वर उभरा.

‘‘बेटा, तुम नेहा से वहीं शादी कर के इंडिया आ जाओ. मैं यहां एक ग्रैंड रिसैप्शन दे दूंगी ताकि सभी रिश्तेदारों से बहू का परिचय भी हो जाए और हां, नेहा के मांपापा को विशेष निमंत्रण दे देना.’’

Anupama-Anuj की हुई शादी, वीडियो और फोटोज वायरल

रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) स्टारर सीरियल अनुपमा (Anupmaa) की कहानी इन दिनों दर्शकों का दिल जीत रही हैं. जहां फैंस अनुपमा-अनुज (Gaurav Khanna) की शादी देखने के लिए बेताब हैं तो वहीं एक के बाद एक आने वाली शादी की रुकावटों के कारण मेकर्स को खरी खोटी सुना रहे हैं. इसी बीच सीरियल के सेट से अनुज-अनुपमा की शादी (Anupama-Anuj Wedding) की फोटोज और वीडियोज वायरल हो गई हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

अनुपमा की ऐसी होगी एंट्री

अब तक आपने देखा कि मालविका को अचानक शादी छोड़कर विदेश जाना पड़ता है, जिसके चलते अनुज शादी रोकने की बात करता है. हालांकि मालविका के समझाने पर वह मान जाता है, जिसके बाद शादी के लिए अनुपमा तैयार होती नजर आती हैं. वहीं मेकर्स ने भी शादी से जुड़ा एक प्रोमो रिलीज कर दिया है, जिसमें अनुज और अनुपमा दुल्हा-दुल्हन के गेटपम में नजर आ रहे हैं. अनुज-अनुपमा को देखकर फैंस खुश हैं और उनकी हस्बैंड वाइफ की कहानी देखने के लिए बेताब नजर आ रहे हैं.

अनुज ने भरी अनुपमा की मांग

 

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मेकर्स द्वारा रिलीज किए गए प्रोमो के बीच सीरियल के सेट से एक और वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें अनुज, अनुपमा की मांग भरता हुआ नजर आ रहा है. वहीं इस वीडियो को देखकर फैंस अनुपमा-अनुज की जोड़ी को रॉयल कपल कहते हुए बधाई देते हुए नजर आ रहे हैं.

 

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खूबसूरत था अनुपमा का लुक

शादी के बीच रुपाली गांगुली ने अपने फैंस के लिए अनुपमा के वेडिंग लुक की झलक दिखाई है, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही हैं. फैंस एक्ट्रेस के इस नए लुक की तारीफें कर रहे हैं. वहीं नई नवेली दुल्हन के नए लुक में देखने की बात कहते हुए नजर आ रहे हैं. इसी के साथ दर्शक सीरियल में आने वाले अपकमिंग ट्विस्ट को देखने के लिए बेताब नजर आ रहे हैं.

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‘वूमन इम्पॉवरमेट ’ की जरुरत को लेकर क्या कहती हैं Simrithi Bhatija, पढ़ें इंटरव्यू

मुंबई से सटे थाणे जिले के अंतर्गत एक छोटा सा शहर उल्हासनगर है.  इस शहर में सिंधी समुदाय के लोगों की ही बस्ती है. यह वह लोग हैं, जो कि बंटवारे के ेवक्त यहंा आकर बस गए थे. यह सभी निम्न मध्यमवर्गीय या मध्यमवर्गीय लोग हैं. इन परिवारों में लड़कियों पर कई तरह की पाबंदियंा लगी हुई थी. लेकिन एक सिंधी मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की सिम्रिथि भटीजा ने बचपन से ही ‘मिस इंडिया’ के अलावा फिल्म अभिनेत्री बनने का सपना देखना शुरू कर दिया था. उसके माता पिता ने अपनी कम्यूनिटी के विरोध के बावजूद अपनी बेटी का हौसला बढ़ाया. सिम्रिथि बचपन से कई तरह के खेल खेलने के अलवा नृत्य सीखती रही.  अपनी बेटी के उज्ज्वल भविष्य को गति देने के लिए सिम्रिथि के पिता ने उल्हासनगर से निकलकर मुंबई के मुलुंड उपनगर में रहना शुरू किया और अपनी बेटी को जयहिंद कालेज में पढ़ने के लिए भेजा. अंततः बहुमुखी प्रतिभा की धनी सिम्रिथि भटीजा ने सितंबर 2019 में टोक्यो, जापान में संपन्न ‘‘मिस इंडिया इंटरनेशनल ’’ का खिताब अपने नाम किया. फिर कुछ म्यूजिक वीडियो किए और अब बतौर हीरोईन उनकी पहली फिल्म ‘‘धूप छंाव’’ प्रदर्शन के लिए तैयार है. तो वहीं अब सिम्रिथि भटीजा अपनी सिंधी कम्यूनिटी और छोटे शहरों की लड़कियों के अंदर जागरूकता लाने के लिए काम कर रही हैं. वह हर सप्ताह उल्हासनगर जाकर वहंा की लड़कियों से बात करती हैं, उन्हे सेल्फ डिफेंस व रैंप वॉक करना सिखाती हैं. सिम्रिथि भटीजा राष् ट्ीय स्तर की एथलिट भी हैं.

प्रस्तुत है सिम्रिथि भटीजा से हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंश. .

क्या कोई ऐसा घटनाक्रम था, जिसकी वजह से आपके मन में ‘मिस इंडिया’ बनने की बात आयी थी?

-ऐसा तो कुछ नही हुआ. पर बचपन से ही मेरे मम्मी व डैड ने मुझे हर छोटी सी बात के लिए मेरा हौसला बढ़ाया. जब मैं दो वर्ष की थी, तभी से उन्होने मुझे डांस सिखवाना शुरू कर दिया था. दो वर्ष की उम्र से ही डांस करती आ रही हूं. तो डांस,  एक्सप्रेशन,  अदाकारी सब कुछ तभी सेे मेरे साथ चिपक गया. मुझे फिजिकल एक्टीविटी भी पसंद है. मैं स्पोर्ट्स खिलाड़ी भी हूं. मैं राष्ट्ीय स्तर पर फेनसिंग एथलिट खिलाड़ी रही हूं. मैं राज्य स्तर की ‘रोलबॉल ’ खिलाड़ी हूं. मैने राज्य स्तर पर स्कीपिंग खेल है. राज्य स्तर पर स्केटिंग किया है. स्कूल के दिनों में राष्ट्ीय स्तर पर डंास किया है. मैने बहुत कुद किया है. क्योंकि मेरे माता पिता हमेशा कहते थे कि, ‘इंसान को सब कुछ करना चाहिए. ’उस वक्त उनकी बातों पर गुस्सा आता था, पर अब समझ में आया कि इंसान का हर तरह का काम करना जरुरी होता है. पर नृत्य पूरी जिंदगी करनी है यह बात तो मेरे दिमाग में बैठी हुई है.  अभी मैं फिल्म की शूटिंग करती हूं, तो अभिनय के साथ मेरे नृत्य और व्यक्तित्व पर गौर किया जाता है. मेरा अपना व्यक्तित्व है, इसलिए मुझे ‘मिस इंडिया’ भी बनना ही था. मुझे संजना संवरना पसंद है. खुद को ग्लैमरस व अच्छे लुक में लोगों के सामने पेश करना अच्छा लगता है.

मैं छोटे शहर उल्हासनगर में रहती थी, तो वहां के लोगों के बीच इतनी अवेयरनेस नही है. उन्हे मॉडलिंग या ‘मिस इंडिया’ को लेकर कोई समझ नही है. सिंधी लोगों की सोच होती है कि दिन रात मेहनत करते हुए काम करो और आगे बढ़ते जाओ. उनकी नजर में मॉडलिंग व फिल्म इंडस्ट्ी अच्छी नही है. सिंधी परिवारों में कोई भी अपने कम्फर्ट लेबल से बाहर नही निकलना चाहता. लेकिन मेरे मन में अपने समुदाय की लड़कियों के लिए प्रेरणास्रोत बनना था. मंै हरलड़की को बताना चाहती हूं कि हम तरह के सपने देखें और मेहनत करें, तो हर सपने पूरे हो सकते हैं. यह भी सच है कि मैने यह सब पा लिया क्योंकि मेरे माता पिता बहुत सपोर्टिब रहे. उन्होने कहीं कोई मेनमीख नही निकाली.

तो ‘मिस इंडिया’ के सपने का क्या हुआ?

-2017 में 18 वर्ष की होते ही मैंने ‘मिस इंडिया’ के लिए कोशिश शुरू कर दी थी. मैं अपनी एक दोस्त की सलाह पर ‘मिस मुंबई’ प्रतियोगिता का हिस्सा बनी. और मैं विजेता भी बनी. उसके बाद मुझे यकीन हो गया कि मैं ‘मिस इंडिया’ भी बन सकती हूं. मैने ‘कोकोबेरी’ को ज्वॉइन कर ट्ेनिंग शुरू की. फिर मैं ‘मिस इंडिया’ प्रतियोगिता का हिस्सा बनी. 2017 व 2018 में ‘मिस इंडिया’ प्रतियोगिता के लिए मेरा चयन ही नहीं हो पाया. मगर मैने अपनी हिम्मत नहीं हारी. 2019 में मैने ‘मिस इंडिया इंटरनेशनल ग्लैम एंड सुपर मॉडल इंडिया’ में हिस्सा लिया. और विजेता बनी.  यह यात्रा आसान नही थी.

मिस इंडिया इंटरनेशनल. . . ’बनने तक आपने क्या क्या सीखा?

-मुझे पता था कि यह यात्रा आसान नही है. इंसान के तौर मानसिक व शारीरिक स्टेबिलिटी चाहिए. हमें बाहर से बहुत आसान लगता है, मगर बहुत दबाव रहते हैं. लेकिन इस तरह की प्रतियोगिताओं में आप किस तरह से चलते हो, आप किस तरह से बोलते हैं, आपका व्यक्तित्व,  आप किस तरह खुद को पेश करते हैं, सहित सब कुछ मायने रखता हैं. इसलिए हर एक बात पर ध्यान देना अनिवार्य हो जाता है. इस मुकाम को पाना बहुत कठिन था. पर मैंने मेहनत की और सफलता दर्ज करा ली. मैं महत्वाकांक्षी हूं. मुझे पता है कि मुझे क्या करना है. ‘मिस इंडिया इंटरनेशनल. . ’ जीतने के बाद मुझ पर बहुत बड़ा दबाव था. लोग आज भी मेरे बारे में कहते हैं-‘‘ए सिंधी गर्ल हू बिकम मिस इंडिया इंटरनेशनल’.

अब मैं भले ही उल्हासनगर में नहीं रहती हूं, लेकिन मेरे परिवार के तमाम सदस्य वहीं रहते हैं और मैं अक्सर उल्हासनगर जाती रहती हूं. मैं सिंधी व छोटे शहर की हर लड़की के अंदर जागरूकता लाने के लिए अपनी तरफ से काफी कुछ कर रही हूं. वहां के लोगों के लिए मैं सुपर स्टार हूं. ‘मिस इंडिया’ बनते ही मुझे उल्हासनगर में हमारे समुदाय के तमाम लोगो ने बुलाकर मेरा सम्मान किया. मेरे ‘मिस इंडिया इंटरनेशनल’ बनने के बाद मेरी पहल पर तमाम सिंधी परिवार के लोगों ने अपनी लड़कियों को इस दिशा में आगे बढ़ने व आॅडीशन देने की छूट दी. यानी कि अब सिंधी समुदाय के बीच एक जागरूकता आयी है.

मुझे अपने समुदाय की लड़कियों के अंदर चेतना जगानी थी कि वह सभी यह सब कर सकती हैं, यह काम मैं लगातार कर रही हूं. अब तो मैं अपने समुदाय की उन लड़कियांे को मुफ्त में ट्ेनिंग भी दे रही हूं, जो मिस मुंबई या मिस इंडिया बनना चाहती हंै. मेरे मन में हमेशा यह रहा है कि कुछ बनने के बाद समाज को वह किसी न किसी रूप में वापस भी देना है. मुंबई में जब हम किसी भी सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से पहले इस तरह की ट्ेनिंग देने वाली एजंसी के पास जाते हैं, तो यह सभी बहुत बड़ी रकम ऐंठते हैं. तो मैने आज तक जो कुछ भी सीखा है, वह मैं दूसरी लड़कियों को सिखा रही हूं.

राष्ट्ीय स्तर की खिलाड़ी होने के बावजूद आपने खेल की बजाय अभिनय को कैरियर बनाने का निर्णय क्यों लिया?

-मैं खुद को फुल इंटरटेनर मानती हूं और बचपन से ही मुझे फिल्म इंडस्ट्री में कुछ करने की इच्छा रही है. मेरे डांस या स्पोटर्स महज शौक रहा है. मैने कैरियर उस क्षेत्र में बनाने का निर्णय लिया, जिसमें मैं अपना हजार प्रतिशत दे सकूं. मुझे पता था कि मुझे एक बेहतरीन अभिनेत्री बनना है, जिसके लिए आवश्यक गुण मेरे अंदर हैं. नृत्य को कलाकार की सबसे बड़ी खूबी है. स्पोटर्स तो मैं अपने आपकों फिट रखने के लिए खेलती थी. आज भी स्पोटर््स खेलना मेरा शौक है. वर्कआउट करना भी मुझे पसंद है. लेकिन मेरा अंतिम लक्ष्य हमेशा अभिनय ही रहा है. अभिनय के साथ बहुत कुछ आता है. कभी कभी कलाकार को शारीरिक ताकत की भी जरुरत होती है. मसलन, फाइटिंग दृश्यों को निभाते समय शारीरिक ताकत होनी ही चाहिए. म्यूजिक वीडियो करते समय नृत्य में महारत होना काम देता है. यदि मैं डांस व स्पोटर््स न कर रही होती, तो अभिनय में जो सफलता मिली है, वह मिलना ज्यादा कठिन हो जाता. स्पोटर्स खेलने से इंसान के अंदर स्पोर्टसमैन शिप आती है. हर खिलाड़ी हार को भी अच्छे से स्वीकार करना जानता है. यह खूबी फिल्मी ुदुनिया के लिए अत्यावश्क है. क्योंकि यहां हर बार आपको स्वीकार किया जाए, यह जरुरी नही है. यहां रिजेक्शन काफी होते हैं और हमें रिजेक्शन को हैंडल करना भी आना चाहिए. बॉलीवुड सदैव मेरा पहला प्यार रहा है. बॉलीवुड गाने बजते हैं, तो मेरे कान खड़े हो जाते हैं. बहुत खुशी मिलती है. स्पोटर््स संघर्ष करने के अलावा अनुशासित रहना भी सिखाता है. एक सेल्फ आत्मविश्वास पैदा होता है.

जब आपने अभिनय को कैरियर बनाने का निर्णय लिया, तो आपका किस तरह का संघर्ष रहा?क्या ‘मिस इंडिया इंटरनेशनल’ का खिताब जीतना मददगार बना?

-जी हॉ!देखिए, मैने पहले ही कहा कि मुझे लगता था कि मेरी पर्सनालिटी ‘मिस इंडिया’ बनने लायक है. इसके अलावा मैं अपने समुदाय व छोटे शहरों की लड़कियों के लिए प्रेरणास्रोत बनना चाहती थी कि यदि मैं ‘मिस इंडिया’ बन सकती हॅंू, तो वह क्यांे नहीं? ‘मिस इंडिया इंटरनेशनल’ का खिताब जीतते ही मेरे सामने कई आपॉच्युर्निटी ख्ुाल गयीं. अब मैं ‘मिस मुंबई’ नही ‘मिस इंडिया इंटरनेशनल’ थी. यानी कि राष्ट्ीय स्तर पर मेरी एक पहचान बन गयी थी. इस प्रतियोगिता के लिए मैं जापान में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही थी. वहा पर मुझे मेरे नाम से नही बल्कि ‘मिस इंडिया’ कह कर ही बुलाया जा रहा था. इसलिए अभिनय कैरियर में ज्यादा संघर्ष नही रहा. मेरी अपनी एक के्रडीबिलिटी है. लोग मानकर चलते हैं कि यदि कोई लड़की ‘मिस इंडिया’ है, तो इसके मायने यह हुए कि उसके अंदर कुछ तो टैलेंट है.

अभिनय कैरियर की शुरूआत कैसे हुई?

-वैसे तो कालेज के दिनों में ही मैने नाटकों में अभिनय करना शुरू कर दिया था. ‘मिस इंडिया’बनने के बाद मैने ‘मेरा हाल’, ‘की लग दी तेरी’ सहित कई पंजाबी म्यूजिक वीडियो किए. हिंदी म्यूजिक वीडियो ‘धीरे धीरे कदम’ किया है. इन्ही म्यूजिक वीडियो के चलते मेरी मुलाकात हेमंत सरन जी से हुई, जिन्होने मुझे फिल्म ‘‘धूप छांव’’ में हीरोईन बना दिया. जो कि बहुत जल्द प्रदर्शित होने वाली है.

तो आपने फिल्मों में अभिनय करने के लिए ‘‘धूप छांव’’स्वीकार कर ली ?

-ऐसा नही है. मैं एक ऐसी इंसान हूं, जो कि किसी भी काम को करने से पहले दस बार सोचती हूंू. ‘धूप छंाव’ से पहले भी मेरे पास कुछ फिल्मांे के आफर आए थे, पर मैने नहीं किए. मैं हर चीज के लिए बहुत  तैयार हूं. एक बात मैने देखी कि जब मैं किसी काम के लिए बहुत ज्यादा तैयारी कर लेती हूं,  तो वह काम नही होता है. मैने 2017 में ‘मिस ंइडिया’ के लिए काफी तैयारी की थी, पर वह नहीं हो पाया था. दो वर्ष बाद सितंबर 2019 में मैने टोक्यो, जापान में बड़ी सहजता से ‘मिस इंडिया इंटरनेशनल’ का खिताब हासिल किया. तो जब भी अच्छा अवसर आए, उसे जाने नही देना चाहिए. इंसान को मानकर चलना चाहिए कि आप ख्ुाद अपनी जिंदगी के अच्छी या बुरी चीजों को तय नही कर सकते. आपको वही मिलना है, जो पहले से आपकी तकदीर में लिखा हुआ है. जब मेरे पास फिल्म ‘धूप छांव’ का आफर आया और किरदार के बारे में संक्षिप्त जानकारी मिली तो वह रोचक लगी. फिर पूरी कहानी सुनी तो उसने मुझे इसे करने के लिए प्रेरित किया. यह ऐसी पारिवारिक कहानी है, जो कई दशकों से फिल्मों से गायब हो गयी है. फिर मैने आॅडीशन दिया. उसी वक्त ‘कारोना’ शुरू हो गया. मैं सब कुछ भूल गयी. लगभग एक वर्ष ऐसे ही बीत गया. फिर जब शूटिंग शुरू करने की इजाजत मिली, तब मुझे पुनः याद किया गया. हमने शूटिंग की और अब फिल्म बनकर तैयार है.

फिल्म ‘‘धूप छांव’’ क्या है?

-धूप छांव एक इमोशन है. इस फिल्म में भी यही है. यह एक परिवार की कहानी है. परिवार के अंदर चीजें उपर नीचे होती हैं, मगर खुशी भी परिवार ही देता है. परिवार के लोगों की परछाई हमारे उपर होती है या जब वह हमारे आस पास होते हैं, तो हमें ख्ुाशी मिलती ही है.

फिल्म ‘‘धूप छांव’’ के किरदार को लेकर क्या कहेंगी?

-मैने इसमें सिमरन का किरदार निभाया है. सिमरन शादी से पहले मेरी टाइप की लड़की है. उसका व्यक्तित्व काफी हद तक मेरे जैसा ही है. सिमरन महत्वाकांक्षी लड़की है, उसे सब कुछ करना है. वह ‘क्रेजी लव’ है. सिमरन पागल प्रेमी है. प्यार करेगी तो शिद्दत से करेगी. वह बहुत ही ज्यादा स्ट्रांग है. तो मैं भी ऐसी ही हूं. सिमरन अपने परिवार को कैसे हैंडल करती हैं, किस तरह अपने परिवार के लिए ताकत बनती है, उसी की कहानी है. परिवार के अंदर बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव घटित हो रहे हंै, पर अकेले सिमरन सभी को ंसंभालती नजर आएगी. वह झगड़ने की बजाय हर चीज को संभाल रही है. उसके पास कुछ जिम्मेदारियंा हैं.  वह सिर्फ अपने बच्चों को और अपने पति को सहारा देना चाहती.

इस फिल्म में सिमरन के किरदार में कई शेडस हैं. कालेज गोइंग लड़की से शादीश्ुादा औरत, फिर मां और फिर शादी शुदा बच्चो की मंा तक का मेरा किरदार है.

एक ही किरदार में इतने शेड्स निभाना आपके लिए कितना सहज रहा?

-मैने सिमरन का किरदार निभाते हुए काफी इंज्वॉय किया. मैंने इस फिल्म के लिए तीस दिन शूटिंग की और यह तीस दिन मेरी जिंदगी के अति बेहतरीन दिन रहे. इन तीस दिनों मैने अपने आपको बहुत अधिक जाना . मुझे अपनी क्षमता को परखने का अवसर मिला. मैने समझा कि मैं अपनइमोश्ंास को किस हद तक लेकर जा सकती हॅंू. 22 वर्ष की उम्र में 42 वर्ष की औरत का किरदार निभाने के लिए उतनी मैच्योरिटी आनी आवश्यक है. फिल्म का एक हिस्सा वह है, जहंा मेरी अपनी हम उम्र का सिमरन का बेटा है. तो ऐसे में मुझे अपने अभिनय से किरदार की मैच्योरिटी को दिखाना ही था. यह सब करते हुए मैने काफी इंज्वॉय किया. इसलिए शूटिंग के तीस दिन की यात्रा बहुत बेहतरीन रही. इस किरदार को निभाने में मेरे आब्जर्वेशन की आदत ने काफी मदद की. बहुत कुछ मैने अपनी मां से सीखा. मै सेट पर सोचती थी कि बचपन मे मै जो काम कर रही थी, वही अब 40 साल की उम्र में भी करुंगी, तो उसमें कहीं न कहीं मैच्योरिटी होगी. वैसे 22 वर्ष की उम्र में 42 वर्ष की और युवा बेटे की मां का किरदार निभाना आसान नहीं था. उस तरह के इमोश्ंास को लाना आसान नहीं था. फिल्म के निर्देशक हेमंत सरन ने भी कफी कुछ सिखाया.

कोई दूसरी फिल्म कर रही हैं?

-जी हॉ! अभी एक दक्षिण भारत में तमिल  फिल्म कर रही हूं. इसके पहले शिड्यूल की शूटिंग हो गयी है. इसके निर्देशक शंाति चंद्रा हैं. इससे अधिक इस फिल्म के संदर्भ में अभी कुछ बताना ठीक नहीं होगा.

अक्सर देखा जाता है कि सौंदर्य प्रतियोगिताएं जीतने के बाद लड़कियंा किसी न किसी एनजीओ के साथ मिलकर समाज सेवा से जुड़े कुछ काम करने लगती हैं?

-जी हॉ!ऐसा है. मैं भी मुंबई से सटे थाणे के एक ‘ओमन इंम्पावरमेंट’ के लिए काम करने वाले एनजीओ के साथ मिलकर काम कर रही हूं. ओमन इम्पॉवरमेंट के लिए कुछ प्रोजेक्ट किए हैं. मुझे मिक्स मार्शल आर्ट पसंद हैं. मैं लड़कियों को ‘सेल्फ डिफेंस’ करना सिखाती हूं. मैं उन्हे प्रोफेशनल गाइडेंस के साथ मिक्स मार्शल आर्ट सिखाती रहती हूं. मैने ‘बलात्कार पीड़िता’ लड़कियों के अंदर के आत्मविश्वास को जगाकर उन्हे फिर से नई जिंदगी शुरू करने के लिए प्रेरित किया. जिनके साथ मेंटल या शारीरिक अब्यूज हुआ था, उन्हे सेल्फ डिफेंस सिखाया. मैं हर लड़की के अंदर खुद का ताकतवर व्यक्तित्व बनाने के प्रति जागरूक करने की कोशिश करती रहती हूं. रैंप वॉक और सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की भी ट्ेनिंग देती हूं. मेरे लिए खुशी की बात है कि एक वक्त जिस ‘मिस मुंबई’ की मैं प्रतिस्पर्धी थी, आज उसी की मैं निदेशक हूं. मैं ‘मिस नई मुंबई’ की रैंप वॉक ट्रेनर हूं. और पूरे शो की कोरियोग्राफी करती हूं.

ओमन इम्पावरमेंट को लेकर आपकी अपनी सोच क्या है?

-मेरी राय में ‘ओमन इम्पॉवरमेट ’ की जरुरत ही नही होनी चाहिए. आज की तारीख में औरतंे हर क्षेत्र में काफी आगे निकल गयी हैं. हमने ‘मैन इम्पावरमेट’ नही सुना.  सिर्फ ‘ओमन इम्पॉवरमेंट’ ही सुना है. ऐसा इसलिए है क्योंकि अभी भी औरतों को पिछड़़ा हुआ माना जाता है. इसी सोच को बदलने की जरुरत है. ‘ओमन इम्पावरमेट’ के नारे लगाने की जरुरत नही है. जबकि अब तो यह सभी के सामने है. जिस काम को पुरूष कर रहे हैं, उसी काम को उनसे ज्यादा बेहतर तरीके से औरतें कर रही हैं. औरतें अपने कैरियर में निरंतर सफलता दर्ज करा रही हैं. ‘ओमन इम्पावरमेंट’ का शब्द ही गलत है. सभी को एक समान देखा जाना चाहिए. नारीवाद नही बल्कि समानता की बात की जानी चाहिए. हमें यह नही भूलना चाहिए कि आज भी औरतें समानता के लिए लड़ रही हैं. अभी भी लोगों के अंदर जागरूकता आनी बाकी है. उल्हासनगर सहित छोटे शहरो में आज भी औरतों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है.

कुछ औरतों के नारी स्वतंत्रता व ओमन इम्पॉवरमेंट का अर्थ खुले आम‘शराब व सिगरेट पीना हो गया है?

-इसीलिए कह रही हूं कि ‘ओमन इम्पावरमेंट’ शब्द ही गलत है. जरुरत है हर अवसर को एक समान दृष्टि से देखने की. आज पुरूष जिस पोजीशन पर है, उसी पोजीशन पर कोई औरत है, तो उसे समान रूप से देखा जाए. उसकी इज्जत की जाए. उसे पुरूष के बराबर ही पारिश्रमिक राशि दी जाए. ओमन इम्पॉवरमेंट का अर्थ पार्टी करना, पब में शराब पीना वगैरह कदापि नही है.

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Summer Special: गर्मियों में बीमारियों से बचने के उपाय

सर्दियों की तरह गर्मियां भी मौसमी बीमारियों के साथ आती हैं. गर्मी में होने वाली गर्मी से थकावट, लू लगना, पानी की कमी, फूड पॉयजनिंग आम बीमारियां हैं. अगर हम कुछ सावधानियां बरतें तो इन बीमारियों से बचा जा सकता है.

हीट एग्जॉशन

हीट एग्जॉशन गर्मी की एक साधारण बीमारी है जिसके दौरान शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से 40 डिग्री सेल्सियस तक होता है. चक्कर आना, अत्यधिक प्यास लगना, कमजोरी, सिर दर्द और बेचैनी इसके मुख्य लक्षण हैं.

उपाय

इसका इलाज तुरंत ठंडक देना और पानी पीकर पानी की कमी दूर करना है. अगर हीट एग्जॉशन का इलाज तुरंत न किया जाए तो हीट-स्ट्रोक हो सकता है, जो कि जानलेवा भी साबित हो सकता है.

हीट-स्ट्रोक

इसमें शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है, जो कि अंदरुनी अंगों की कार्यप्रणाली को नष्ट कर सकता है. हीट-स्ट्रोक के मरीजों को शरीर का तापमान बहुत ज्यादा होता है, त्वचा सूखी और गर्म होती है, शरीर में पानी की कमी, कन्फयूजन, तेज या कमजोर नब्ज, छोटी-धीमी सांस, बेहोशी तक आ जाने की नौबत आ जाती है.

उपाय

हीट-स्ट्रोक से बचने के लिए दिन के सबसे ज्यादा गर्मी वाले समय में घर से बाहर मत निकलें. अत्यधिक मात्रा में पानी और जूस पीएं, ताकि शरीर में पानी की कमी न हो. ढीले-ढाले और हल्के रंग के कपड़े पहने.

फूड पॉयजनिंग

गर्मियों में आम तौर पर फूड पॉयजनिंग हो जाती है. गर्मियों में अगर खाना साफ-सुथरे माहौल में न बनाया जाए तो उसके दूषित होने का खतरा बढ़ जाता है. इसके साथ ही पीने का पानी भी दूषित हो सकता है. अत्यधिक तापमान की वजह से खाने में बैक्टीरीया बहुत तेजी से पनपते हैं, जिससे फूड पॉयजनिंग हो जाती है. सड़क किनारे बिकने वाले खाने-पीने के सामान भी फूड पॉयजनिंग के कारण बन सकते हैं.

उपाय

फूड पॉयजनिंग से बचने के लिए बाहर जाते वक्त हमेशा अपना पीने का पानी घर से ले के चलें.

बाहर खुले में बिक रहे कटे हुए फल खाने से परहेज करें. गर्मी में शरीर में पानी की कमी से बचने के और शरीर में पानी की मात्रा को पर्याप्त बनाए रखने के लिए अत्यधिक मात्रा में तरल पदार्थ पिएं. खास तौर खेल-कूद की गतिविधियों के दौरान इस बात का ध्यान रखें. प्यास लगने का इंतजार न करें. हमेशा घर में बना हुआ नींबू पानी और ओआरएस का घोल आस-पास ही रखें. एल्कोहल और कैफीन युक्त पेय पदार्थों का परहेज करें, इनके सेवन से भी शरीर में पानी की कमी होती है.

तेज अल्ट्रा वायलेट किरणों और धूप से बचने के लिए धूप के चश्मे और हैट का प्रयोग करना भी काफी लाभप्रद साबित हो सकता है.

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Summer Special: डिनर में परोसें जायकेदार बैंगन का भर्ता

दाल-चावल या पराठे के साथ यदि बैंगन का भर्ता परोसा जाए तो स्वाद दोगुना हो जाता है. तो आप भी इसे बनाने का जायकेदार तरीका सीखें.

सामग्री

एक बड़ा बैंगन

एक प्याज बारीक कटा हुआ

2 टमाटर बारीक कटे हुए

2 हरी मिर्च बारीक कटी हुई

एक चम्मच लहसुन-अदरक पेस्ट या बारीक कटे

2 चुटकी हींग

आधा छोटा चम्मच राई

आधा छोटा चम्मच जीरा

स्वादानुसार लाल मिर्च पाउडर

धनिया पाउडर 2 चम्मच

आधा छोटा-चम्मच हल्दी पाउडर

एक छोटा चम्मच गरम मसाला

आधी कटोरी बारीक कटा हरा धनिया

स्वादानुसार नमक

तेल

बारीक कटे हरे धनिया सजाने के लिए

विधि

भर्ता बनाने के लिए बैगन को धोकर पानी सुखा लीजिए. इसके बाद बैंगन के चारों ओर तेल लगाकर चिकना कर लीजिए.

फिर, बैंगन में 3 से 4 जगह चाकू से छेद करके इन छेद में हींग भर दीजिए. गैस औन कीजिए और इस पर जाली स्टैंड लगाइए और बैंगन को भूनने के लिए जाली स्टैंड पर रख दीजिए.

थोड़ी-थोड़ी देर में बैंगन को धुमाते रहिए और ऎसे ही चारों तरफ बैगन को घुमाकर भून लीजिए.

इसी बीच मसाला तैयार कर लीजिए. इसके लिए मिक्सर जार में टमाटर को बड़े-बड़े टुकड़ों में काटकर डाल दीजिए. साथ में हरी मिर्च को दो भाग करते हुए काट दीजिए और अदरक को भी मोटा मोटा काट कर जार में डालकर पेस्ट तैयार कर लीजिए.

बैंगन को बीच-बीच में दबाकर चेक कर लीजिए कि यह सही से भुना या नही. जब यह आसानी से दबने लगे, गैस बंद कर दीजिए और इसे एक प्लेट में रख लीजिए. बैंगन को थोडा़ ठंडा होने दीजिए. बैंगन को छील लिजिए और छिले हुए बैंगन को एक प्याली में रख लीजिए.

पैन में तेल डाल कर गरम कीजिए. गरम तेल में बची हुई हींग और जीरा डाल दीजिए, जीरा चटखने के बाद, हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर और बारीक कटा हुआ अदरक डालकर मसाले को हल्का सा भून लीजिए.

इस मसाले में टमाटर-मिर्च-अदरक का पेस्ट और लाल मिर्च पाउडर डालकर मिला दीजिए. मसाले को तब तक भूनिए जब तक कि मसाले के ऊपर तेल न तैरने लगे.

मसाला भुन जाने के बाद, इसमें गरम मसाला और नमक भी डालकर मिक्स कर दीजिए. साथ ही भुने हुए बैंगन को काटकर मसाले में डालकर अच्छे से मिला दीजिए.

भर्ते में थोड़ा सा हरा धनिया डालकर मिक्स कर लीजिए. फिर भर्ते को 3 से 4 मिनिट ढककर धीमी आग पर पकने दीजिए ताकि मसाले अच्छे से बैंगन में मिक्स हो जाएं.

4 मिनिट बाद, बैगन का भर्ता बनकर तैयार है. गैस बंद कर दीजिए और भर्ते को प्लेट में निकाल लीजिए. सब्जी के ऊपर हरे धनिये को डाल कर सजाइए. गरमागरम बैगन का भर्ता परांठे, चपाती या नान किसी के भी साथ परोसिए और खाइए.

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बच्चों में डालें अच्छी आदतें

बचपन से ही बच्चों को अच्छी आदतें और व्यवहार सिखाना जरूरी है. कच्ची उम्र में बच्चे जो सीखते हैं वह आगे चल कर उन की दिनचर्या व व्यवहार का हिस्सा बन जाता है.

साफसफाई की आदत

शेमरौक प्रीस्कूल की ऐग्जीक्यूटिव डायरैक्टर एवं शेमफोर्ड फ्यूचरिस्टिक स्कूल की फाउंडर डायरैक्टर मीनल अरोड़ा कहती हैं कि बच्चों में व्यक्तिगत स्तर पर साफसफाई की आदत डालने की कम उम्र से ही शुरूआत करने की जरूरत होती है. बचपन से ही बच्चों में निम्न आदतें डाल कर आप उन्हें साफसफाई के प्रति सजग बना सकती हैं:

– बच्चे के दिन की शुरुआत हाथमुंह धोने से कराएं.

– उसे अपने दांत 2 से 3 मिनट तक सही ढंग से साफ करने को कहें ताकि उस के दांत कैविटी मुक्त रहें. दिन में 2 बार ब्रश करने को आदत बनाएं.

– हर भोजन से पहले और बाद में साबुन से हाथ धोने की आदत डालें.

– बच्चे को अपने नाखून छोटे रखने को कहें, क्योंकि बड़े नाखूनों में गंदगी जमा हो जाती है, जिस से संक्रमण का खतरा रहता है.

– खांसते या छींकते समय टिशू पेपर या रूमाल मुंह या नाक पर रखना सिखाएं.

– धुले और प्रैस किए गए कपड़े पहनने को कहें.

– कूड़ा हमेशा कूड़ेदान में ही डालने की आदत डालें.

– बतौर जिम्मेदार अभिभावक बच्चे को समझाएं कि खुद को साफसुथरा रखने के साथसाथ अपने घर, महल्ले और पासपड़ोस को भी साफ रखना चाहिए.

– बच्चे को अपनी चीजें जैसे खिलौने, किताबें आदि सही जगह रखने की शिक्षा दें.

– उंगली, पैंसिल, पैन, रबड़ जैसी चीजों को नाक या मुंह में न डालने की शिक्षा दें.

– बच्चें को सिखाएं कि वह सड़कों पर कूड़ाकचरा न डालें. बाहर जाते समय साथ एक पेपर बैग ले जाने को कहें ताकि कचरा कहीं खुले में न डालना पड़े.

घर से करें शुरुआत

कई बच्चों को नैपकिन व नाइफ का इस्तेमाल करना नहीं आता, तो कुछ को खाना खाते वक्त जोर से आवाज करने की आदत होती है. पेरैंट्स होने के नाते आप को अपने बच्चों को रेस्तरां, सामाजिक आयोजनों में ले जाने से पहले टेबल पर बैठने और खाने के तरीकों के बारे में सिखाना चाहिए. नन्हे बच्चों में टेबल मैनर्स और खाने के शिष्टाचार सिखाने की शुरुआत घर से ही करनी चाहिए.

टेबल मैनर्स का प्रयोग बच्चे घर से बाहर कर सकें, इस के लिए उन्हें पहले घर पर प्रैक्टिस कराएं. अगर बच्चे रेस्तरां में या किसी के घर पर खाने की टेबल पर कोई गलती कर रहे हैं, तो उन्हें वहां डांटें या उन पर चीखेंचिल्लाएं नहीं, घर आ कर आराम से प्यार से समझाएं.

शुरू में ऐसे रेस्तरां में ले जाएं जहां बहुत ज्यादा भीड़ न हो ताकि वे आप के द्वारा सिखाए गए टेबल मैनर्स पर सहजता से अमल कर सकें. अगर आप के बच्चे टेबल मैनर्स का पालन करते हैं, तो उन की तारीफ करें ताकि वे आगे भी इन नियमों का पालन करें.

बचपन से बच्चों को मैनर्स सिखाना बहुत जरूरी है, क्योंकि जैसेजैसे बच्चे बड़े होंगे, सोशल गैटटुगैदर में ये मैनर्स उन्हें आत्मविश्वास दिलाएंगे.

जरूरी टेबल मैनर्स

– बच्चों को सिखाएं कि किस तरह उन्हें छोटेछोटे टुकड़े तोड़ कर, खाने को अच्छी तरह चबा कर और मुंह बंद कर के खाना खाना है. साथ ही यह भी सिखाएं कि पानी पीते व भोजन करते समय अनावश्यक आवाज न करें. ऐसी आदत भी डालें कि प्लेट में उतना ही खाना लें जितना खा सकें या पहले थोड़ा ही लें. जरूरत हो तो बाद में ले लें ताकि खाने को बरबाद होने से बचाया जा सके.

– खाना खाते समय किस बरतन में क्या खाना है, इस की जानकारी भी छोटी उम्र से ही दें जैसे सूप के लिए बड़े चम्मच और डैजर्ट के लिए छोटे चम्मच. इसी तरह ग्रेवी वाली डिश के लिए कटोरी का इस्तेमाल करना सिखाएं.

– बच्चों को यह भी सिखाएं कि अगर उन्हें खाने की कोईर् चीज टेस्टी लगती है, तो उन्हें उसे बनाने वाले की तारीफ कैसे करनी चाहिए, साथ ही अगर कोई चीज अच्छी न लगे तो किस तरह विनम्रतापूर्वक यह बताना कि उन्हें वह डिश पसंद नहीं आई.

– बच्चों को बताएं कि अपने घर में भी और किसी और के घर में भी खाना खाने के बाद अपनी प्लेट खुद उठा कर सिंक में रखें.

– किसी भी रैस्टोरैंट में जाने पर बच्चों को नैपकिन का इस्तेमाल करना सिखाएं. नैपकिन का यूज मुंह या हाथ पोंछने के लिए ही करें.

– बच्चों को टेबल पर बैठने के मैनर्स भी सिखाएं. उन्हें बताएं कि हाथों को टेबल पर रखें. उन्हें यह भी बताएं कि खाना खाते वक्त उन के हाथों की पोजिशन ऐसी हो कि साथ बैठे लोगों को दिक्कत न आए.

– उन्हें बताएं कि खाना खाते समय बातें न करें. यह भी सिखाएं कि भोजन करते समय नाइफ को राइट और फौर्क को लैफ्ट हैंड से पकड़ें. खाना खत्म होने के बाद पानी के गिलास में हाथ न धोएं और अगर वे खाना खा चुके हों तब भी तुरंत टेबल से न उठें. सब के भोजन समाप्त होने का इंतजार करें.

– अपने घर पर ही शुरू से ही अलगअलग तरह की कटलरी का प्रयोग करना सिखाएं. बच्चों को प्लेट से भोजन को चम्मच से मुंह के पास ला कर खाने को कहें. उन्हें बताएं कि अगर डाइनिंग टेबल पर उन्हें कोई डिश चाहिए तो पास बैठे व्यक्ति से डिश पास करने को कह दें न कि टेबल की दूसरी ओर हाथ बढ़ा कर खुद लेने की कोशिश करें.

सिखाएं टेबल मैनर्स

बच्चों को किसी पब्लिक प्लेस पर ले जाना किसी मुसीबत से कम नहीं होता खास कर तब जब वे शरारती हों. कई बार तो बच्चे बाहर जा कर खाने की टेबल पर इतना आतंक मचाते हैं कि औरों के सामने आप को शर्मिंदा होना पड़ता है. कुछ बच्चे खाना खाते समय एक जगह टिक कर नहीं बैठते, इधरउधर भागते रहते हैं. क्रौकरी के साथ छेड़छाड़ करते रहते हैं. कभी टेबल पर पानी गिरा देते हैं तो कभी खाना, जिस से मेजबानों को बहुत परेशानी होती है. इसलिए कम उम्र से ही बच्चों को टेबल मैनर्स सिखाएं ताकि घर या बाहर आप को शर्मिंदगी का सामना न करना पड़े.

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मुखड़े पर चार-चांद लगाते बॉलीवुड हसीनाओं के सनग्लासेस

सोशल मीडिया हो, प्रमोशन हो या फिर कोई इवेंट अक्सर बॉलीवुड हसीनाएं स्टाइलिश सनग्लासेस में नजर आती हैं. अगर आप भी बॉलीवुड सेलिब्रिटीज की तरह क्लासी और स्मार्ट लुक चाहती है तो ऐसे सनग्लासेस का इस्तेमाल करे जो इस गर्मी में फैशन के साथ आपकी आंखों को धूल मिट्टी, जलन और इचिंग से  सुरक्षित रखे.

बॉलीवुड हसीनाओं के सनग्लासेस

 

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तेज धूप से अपने आपको बचाने और स्टाइलिश दिखाने के लिए आप बॉलीवुड हसीनाओं के सनग्लासेस ट्राई कर सकती है जो आपकी खूबसूरती बढ़ाने के साथ-साथ आंखों की सुरक्षा भी करे. आइए जानते है कुछ ऐसे सनग्लासेस के बारे में जो आपको तेज़ धूप से बचाएंगे साथ ही खूबसूरती बढ़ाने में भी चार चांद लगाएंगे.

शहनाज गिल का ब्लैक सनग्लासेस

 

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आपने हाल ही में पंजाब की कैटरीना कैफ के नाम से मशहूर और बिग बॉस फेम् शहनाज गिल  का एयरपोर्ट लुक देखा होगा जिसमें उन्होंने ब्राउन कलर के स्लीव्स लेस टॉप और वाइट प्लाजो पेंट के साथ ब्लैक सनग्लासेस लगाया हुआ था  उनका ये लुक काफी वायरल हो रहा है. खुले बालों के साथ काला चश्मा उनके लुक को और भी हॉट बना रहा था आप भी शहनाज के लुक को अपना कर गुड लुकिंग दिख सकती है.

 

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मलाइका अरोड़ा का सनग्लासेस में बोल्ड लुक-

हाल ही में मलाइका को कही बाहर जाते हुए स्पॉट किया गया. जिसमें वो एकदम नए अंदाज में दिखाई दे रही . मलाइका ने जिम ट्रैक सूट के ऊपर ब्लैक जैकेट पहनी है. इसके साथ  व्हाइट शूज और ब्लैक सन ग्लासेस के साथ उनका लुक और भी बोल्ड दिख रहा हैं. स्टाइलिश ड्रेस के साथ काला चश्मा लोगों का दिल लूट रहा है.

आलिया भट्ट का स्टाइलिशसनग्लासेस-

शादी से पहले आलिया भट्ट  को उनके जुहू वाले घर के सामने कार में स्पॉट किया गया आलिया काला चश्मा लगाए नजर आई. कार में बैठी आलिया भट्ट की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आग की तरह वायरल हो चुकी हैं.

आखों को सुरक्षित रखें एंटी ग्लेयर सनग्लासेस-

 

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बात अगर आंखों की सुरक्षा की हो तो  सिर्फ स्टाइल ही नही धूप में आपकी आंखों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करते है पोलराइज्ड एंटी ग्लेयर सनग्लासेस इनके लेंस में मौजूद छोटी-छोटी हॉरिजॉन्टल स्ट्राइप्स उस चमक को बीच में रोक देती हैं, जो ग्लास से टकराकर आपकी आंखों तक पहुंचती है. गर्मियों के सीजन में इस स्टाइलिश एक्सेसरीज की डिमांड बहुत रहती है. इसको लगा कर आप बहुत ही ज्यादा स्मार्ट और गुड लुकिंग भी दिखेंगे.

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