आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को ‘स्मार्ट फोन

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि तकनीक के प्रयोग से कार्य करने में आसानी व पारदर्शिता आती है. इसके इस्तेमाल से कार्य क्षेत्र में दक्षता आती है. यह कार्य को सम्पादित करने वाले व्यक्ति को सम्मान का पात्र भी बनाती है. आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को दिया जा रहा स्मार्ट फोन उनकी कार्य पद्धति को स्मार्ट बनाएगा. इसके माध्यम से आप सब आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री शासन-प्रशासन एवं जनविश्वास जीतकर अपनी पहचान बना सकती हैं.

मुख्यमंत्री जी ने लोकभवन में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा आयोजित आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को ‘स्मार्ट फोन’ एवं आंगनबाड़ी केन्द्र के लिए ‘ग्रोथ मॉनीटरिंग डिवाइस’ वितरण कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. मुख्यमंत्री जी ने अपने कर कमलांे द्वारा 20 आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को ‘स्मार्ट फोन’ एवं 10 आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को ‘ग्रोथ मॉनीटरिंग डिवाइस’ प्रदान किये. उन्होंने ‘एक संग मोबाइल एप’ लॉन्च किया. इस अवसर पर एक लघु फिल्म प्रदर्शित की गयी.

इस अवसर पर प्रदेश में पोषण अभियान के अन्तर्गत आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को तकनीक से जोड़ने व उनकी कार्य सुविधा के लिए 1,23,000 ‘स्मार्ट फोन’ एवं बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए 1,87,000 ‘ग्रोथ मॉनीटरिंग डिवाइस’ वितरित किये जा रहे हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सामान्य रूप से कहने के लिए यह केवल ‘स्मार्ट फोन व ‘ग्रोथ मॉनीटरिंग डिवाइस’ के वितरण का कार्यक्रम हो सकता है, लेकिन इसकी गूंज सुशासन के लक्ष्य को प्राप्त करने में नींव के पत्थर के रूप में है. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का संकल्प है कि पारदर्शी और ईमानदार सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तकनीक के माध्यम से शासन की योजनाओं को प्रत्येक नागरिक तक पहुंचाया जाए. इसके लिए आवश्यक है कि ऐसे संसाधन उन लोगों को उपलब्ध कराए जाएं, जो शासन की योजनाओं को अन्तिम पायदान के व्यक्ति तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों के प्रति लोगों में सम्मान व आदर का भाव बढ़ा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किसी भी व्यक्ति या संस्था की पहचान विपत्ति व आपत्ति के समय पता चलती है. जो व्यक्ति संकट आने पर भाग खड़ा हो, सहयोग न करे वह, कितना भी बड़ा, सम्पन्न व बुद्धिमान हो, अगर उसकी बुद्धिमत्ता व उसका ऐश्वर्य लोक कल्याण व समाज कल्याण के उपयोग में नहीं आ रहा है, तो उसका कोई महत्व नहीं है. संकट के समय सहयोगात्मक व लोक कल्याणकारी कार्य करने वाला ही महत्वपूर्ण होता है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोरोना की द्वितीय लहर के समय प्रदेश सरकार द्वारा निर्णय लिया गया कि प्रत्येक ग्राम व शहरी मोहल्लों में एक निगरानी समिति बनायी जाएगी. अप्रैल, 2021 में प्रदेश में निगरानी समितियां गठित की गयीं. इनके द्वारा घर-घर जाकर एक-एक व्यक्ति की पहचान कर संदिग्ध व्यक्ति को मेडिसिन किट उपलब्ध करायी गयी. इनकी सूची बनाकर अगले 24 घण्टे के अन्दर आर0आर0टी0 की टीम द्वारा जांच कराने की कार्यवाही की गयी. इस कार्य में 10 से 12 लोगों की एक टीम का गठन किया गया था, जिसमें आंगनबाड़ी, आशा वर्कर, ए0एन0एम0, ग्राम प्रधान, पार्षद, सहित ग्राम्य विकास, नगर विकास, पंचायतीराज तथा राजस्व विभाग के कर्मी शामिल थे.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोरोना वर्करों एवं निगरानी समितियों के सहयोग से प्रदेश में कोरोना नियंत्रित स्थिति में है. प्रदेश में कोरोना नियंत्रण एक मॉडल के रूप में सामने आया है कि किस प्रकार सामूहिक प्रयासों से एक महामारी को नियंत्रित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं हुआ है, इसके पूर्व, राज्य सरकार इंसेफेलाइटिस के सफल नियंत्रण का मॉडल प्रस्तुत कर चुकी है. वर्ष 1977 से वर्ष 2017 तक पूर्वी उत्तर प्रदेश के 07 जनपदों सहित प्रदेश के कुल 38 जनपदों में इन्सेफेलाइटिस रोग से मौतें होती थीं. इसमें अकेले बस्ती व गोरखपुर जनपद में प्रत्येक वर्ष डेढ़ से दो हजार बच्चों की असमय मृत्यु हो जाती थी. प्रदेश सरकार द्वारा किये गये प्रयासों से पूर्वी उत्तर प्रदेश में इन्सेफेलाइटिस रोग से होने वाली 95 से 97 प्रतिशत मृत्यु को नियंत्रित किया जा चुका है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोरोना महामारी को नियंत्रित करने में कोरोना वॉरियर्स, खास तौर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री, आशा, ए0एन0एम0 ने अत्यन्त सराहनीय कार्य किया है. उन्होंने कहा कि अच्छा कार्य करेंगे, तो समाज आपको सम्मान देगा. यही भूमिका आपको आगे बढ़ाएगी. कार्य करने से व्यक्ति शारीरिक रूप से मजबूत, मानसिक रूप से परिपक्व तथा आत्मविश्वास से भरपूर होता है. प्रदेश सरकार द्वारा प्रत्येक जनपद में कुपोषित बच्चों, गर्भवती महिलाओं के लिए पोषाहार तैयार करने के लिए संयंत्र स्थापित किया जा रहा है. उसकी क्वॉलिटी की जांच की व्यवस्था की जा रही है. यह प्रदेश में मातृ मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर को कम करने व देश के औसत के समकक्ष लाने में मदद करेगा. इससे राज्य सरकार की दवा एवं अन्य खर्चाें में बचत होगी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पिछले दिनों पोषण माह के कार्यक्रम में मैंने कहा था कि आंगनबाड़ी या आशा वर्कर का जितना पिछला मानदेय बकाया है, उसका तत्काल भुगतान किया जाए. विभाग ने उसकी कार्यवाही प्रारम्भ की है. यह पिछला वाला था. अभी सरकार उनको और भी देने जा रही है. आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री अपनी पूरी तन्मयता से कार्य कर रही हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 में एक्साइज के क्षेत्र में हावी गिरोह को पारदर्शी कार्यपद्धति एवं नीतियों को लाकर पूरी तरह से समाप्त किया. जब भ्रष्टाचार के सभी रास्ते बन्द कर दिये जाते हैं, तो विकास अपने आप बढ़ता हुआ दिखायी देता है. प्रदेश सरकार द्वारा सर्वांगीण विकास की नींव को रखने का कार्य किया जा रहा है. प्रत्येक आंगनबाड़ी केन्द्र के भवन का निर्माण कराया जा रहा है. इन आंगनबाड़ी भवनों को बाद में प्री-प्राइमरी के रूप में बनाने पर सरकार गम्भीरता से विचार कर रही है.

इस अवसर पर कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए महिला कल्याण बाल विकास एवं पुष्टाहार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती स्वाती सिंह ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों ने बड़ी निष्ठा से कार्य किया. मुख्यमंत्री जी नेे वर्ष 2017 में प्रदेश की बागडोर संभालते ही, राज्य में गुड गवर्नेंस लाए. इस गुड गवर्नेंस का आधार ई-गवर्नेंस है. मुख्यमंत्री जी की मान्यता है कि जब तक आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को ई-गवर्नेंस से नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक गुड गवर्नेंस की सोच को साकार नहीं किया जा सकता. इसके दृष्टिगत आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को ‘स्मार्ट फोन’ तथा सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों को ‘ग्रोथ मॉनीटरिंग डिवाइस’ प्रदान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ‘एक संग मोबाइल एप’ आंगनबाड़ी केन्द्रों को सामुदायिक भागीदारी का एक मंच प्रदान करेगा, जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति एवं संस्था अपनी सहायता प्रदान कर सकता है.

इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 श्री नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव महिला कल्याण एवं बाल विकास श्रीमती एस0 राधा चौहान, प्रमुख सचिव महिला कल्याण एवं बाल विकास श्रीमती वी0 हेकाली झिमोमी, सूचना निदेशक श्री शिशिर, निदेशक राज्य पोषण मिशन श्री कपिल सिंह, निदेशक बाल विकास सुश्री सारिका मोहन सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

यूपी के हर जिले में मेडिकल कॉलेज का संकल्प

प्रदेश में 16 जिलों में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए सरकार की आकर्षक नीति की वजह से देश के कई बड़े संस्थानों ने पहल की है. इन जिलों में मेडिकल कॉलेज बनने से आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए पांच नवंबर तक आवेदन मांगे हैं. विभाग की ओर से http://etender.up.nic.in वेबसाइट पर टेंडर जारी कर दिया गया है. सरकार की ओर से निजी निवेशकों को कई तरह की छूट भी दी जा रही है.

चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 16 जिलों में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए कैबिनेट की मुहर लगने के बाद हाल ही में नीति जारी की थी और तीन तरह के विकल्प उपलब्ध कराए थे. हर विकल्प के लिए नियम और शर्तें अलग हैं. निजी क्षेत्र के निवेशक अपनी जमीन या सरकारी जमीन पर भी मेडिकल कॉलेज खोल सकते हैं. खास बात यह है कि विभाग ने इन सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए जमीन पहले से चिह्नित कर आरक्षित कर ली है.

चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए कई बड़े निवेशकों ने इच्छा जाहिर की है. विभाग की ओर से नीति जारी कर दी गई है. निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से निविदा प्रक्रिया के तहत निवेशकों का चयन किया जाएगा. सीएम योगी के निर्देश पर पूरी प्रक्रिया को तीव्र गति से पूरा किया जा रहा है.

हर साल मिलेंगे 16 सौ नए डॉक्टर, 10 हजार लोगों को मिलेगी नौकरी

प्रदेश में 16 जिलों में बनने वाले मेडिकल कॉलेजों से हर साल 16 सौ नए डॉक्टर मिलेंगे. साथ ही इन मेडिकल कॉलेजों में करीब 10 हजार लोगों को नौकरी मिलेगी. इसके अलावा इन मेडिकल कॉलेजों में लोगों के उपचार के लिए करीब छह हजार नए बेड उपलब्ध होंगे. इन मेडिकल कॉलेजों में आम लोगों को भी उच्च स्तरीय सहुलियत मिलेगी.

सीएम योगी ने इन जिलों में भी मेडिकल कॉलेज खोलने का लिया है संकल्प

प्रदेश में 16 जिलों बागपत, बलिया, भदोही, चित्रकूट, हमीरपुर, हाथरस, कासगंज, महराजगंज, महोबा, मैनपुरी, मऊ, रामपुर, संभल, संतकबीरनगर, शामली और श्रावस्ती में सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेज नहीं हैं. हालांकि इन जिलों में जिला अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी की सुविधा उपलब्ध है. इन जिलों में स्वास्थ्य सुविधाओं में और इजाफा करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हर जिले में मेडिकल कालेज का खोलने का संकल्प लिया है.

‘निर्भया-एक पहल’ 75,000 महिलाओं के लिए जागरूकता कार्यक्रम

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी कल 29 सितम्बर, 2021 को यहां मिशन शक्ति के अन्तर्गत ‘निर्भया-एक पहल’ कार्यक्रम का शुभारम्भ करेंगे. इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी द्वारा ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ के विशेष आवरण तथा विशेष विरूपण का विमोचन भी किया जाएगा.

‘निर्भया-एक पहल’ कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदेश के सभी 75 जनपदों मेें प्रति जनपद 1,000 महिलाओं का एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम तथा 03 दिवसीय कौशल क्षमता विकास प्रशिक्षण संचालित किया जाएगा. 75,000 महिलाओं को इस कार्यक्रम के माध्यम से लाभान्वित किया जाएगा.

प्रदेश के सभी 75 जनपदों में कल सम्बन्धित जनपद के ओ0डी0ओ0पी0 उत्पाद के सम्बन्ध में भारतीय डाक विभाग के सहयोग से एक विशेष कवर तथा विशेष विरूपण का अनावरण एवं विमोचन किया जाएगा. इस प्रकार, एक ही दिवस और समय पर प्रदेश में 75 विशेष आवरण जारी किए जाएंगे. यह सभी आवरण देश के विभिन्न डाक घरों में भेजे जाएंगे, जिससे प्रदेश के ओ0डी0ओ0पी0 उत्पादों को व्यापक राष्ट्रीय पहचान मिलेगी.

पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बक्सी जगबंधू की वीरता की दास्तान होगा सीरियल ‘विद्रोही‘

देश की आजादी का 75 वां वर्ष चल रहा है. हमें यह आजादी कई निःस्वार्थ भावी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान से मिली है. मगर तमाम ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ऐसे भी हैं,जिनका नाम कुछ लोगों ने इतिहास के पन्नों में दर्ज ही नही होने दिया. ऐसे ही उड़ीसा के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बक्सी जगबंधू हैं. अब ‘स्टार प्लस’’ अक्टूबर माह से प्रसारित होने वाले सीरियल  ‘विद्रोही‘ में भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बक्सी जगबंधू की वीरता व महानता का चित्रण करने जा राह है. ज्ञातब्य है कि अंग्रेजों ने इनकी कहानी को इतिहास की रचना का हिस्सा नहीं बनने दिया था.

सीरियल ‘‘विद्रोही’ का निर्माण गाथा फिल्म्स, एलएलपी द्वारा बनाए जा रहे सीरियल ‘‘विद्रोही ’’ में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बक्सी जगबंधू का किरदार बहुमुखी अभिनेता शरद मल्होत्रा निभा रहे है. इसमें हेमल इंगले,सुलगना पाणिग्रही की भी अहम भूमिकाएं होंगी.

अभिनेता शरद मल्होत्रा एक दशक से अधिक समय से टेलीविजन इंडस्ट्री का हिस्सा हैं और विभिन्न सीरियलों में अपने अभिनय का जलवा विखेरते हुए हर बार प्रशंसा बटोरते रहे हैं.

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इस स्वतंत्रता सेनानी के किरदार को निभाने की चर्चा चलने पर अभिनेता शरद मल्होत्रा बताते हैं-‘‘यह एक अद्भुत किरदार  है.  जब किरदार में अपार संभावनाएं होती हैं, तो स्वतः ही अभिनेता का काम एक बड़ी जिम्मेदारी बन जाता है.  एक अभिनेता को हमेशा अच्छे कंटेंट की भूख होती है और‘विद्रोही‘ जैसा सीरियल हर दिन नहीं बनता है.  लेकिन जिस चीज ने मुझे कहानी की ओर आकर्षित किया, वह थी बक्सी जगबंधु के चरित्र की निस्वार्थता और मैं चाहता था कि देश उड़ीसा की भूमि के इस महान नायक के बारे में जाने. ऐसे सीरियल की अपनी चुनौतियाँ होती हैं, जिसे सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए कि आप केवल अपने द्वारा निभाए जा रहे किरदार को न सिर्फ स्वीकार करें, बल्कि इसे एक प्रामाणिक अनुभव देने के लिए उस अवधि की छोटी बारीकियों को भी समझना होगा. मैं इस सीरियल का हिस्सा बनकर खुद को बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं.  मैं इस किरदार को पर्दे पर निभाने के लिए बहुत उत्साहित हूं क्योंकि मेरे किरदार में बहुत विविधताएं हैं.  इन सबसे बढ़कर, मैं सेट पर वापसी  करके और इस नए सामान्य में शूटिंग करके बहुत खुश हूं.  मुझे उम्मीद है कि दर्शक और प्रशंसक मुझपर अपना प्यार और सराहना जारी रखेंगे क्योंकि मैं एक नए सफर की शुरुआत कर रहा हूं. ‘‘

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अस्पताल में एडमिट हुईं Shweta Tiwari, जानें क्या है बात

टीवी इंडस्ट्री से बीते दिनों बुरी खबर से फैंस शौक्ड हैं. इसी बीच खबर हैं कि टीवी एक्ट्रे श्वेता तिवारी (Shweta Tiwari) अस्पताल में एडमिट हो गई हैं, जिसके चलते फैंस काफी परेशान है. वहीं श्वेता के एक्स हस्बेंड अभिनव कोहली मजाक उड़ाते नजर आ रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

अस्पताल में एडमिट हुईं श्वेता

 

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खबरों की मानें तो खतरों के खिलाड़ी के 11वें सीजन में नजर आ चुकीं श्वेता तिवारी (Shweta Tiwari) को हाल ही कमजोरी और लो ब्लड प्रेशर की शिकायत के चलते अस्पताल (Shweta Tiwari hospitalised) में एडमिट होने पड़ा है. दरअसल, बीते कई दिनों से श्वेता तिवारी काफी बिजी चल रही थीं. वहीं उनकी टीम ने एक ऑफिशल स्टेटमेंट जारी करते हुए बताया है कि लगातार ट्रैवल, मौसम में बदलाव और पूरी तरह आराम ना कर पाने के कारण श्वेता की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में एडमिट करवाना पड़ा है. इसी बीच सेलेब्स और फैंस उनकी सेहत ठीक होने की कामना कर रहे हैं.

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एक्स हस्बैंड ने उड़ाया मजाक

 

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एक्ट्रेस श्वेता तिवारी के अस्पताल में एडमिट होने की खबर से उनके पूर्व पति अभिनव कोहली (Abhinav Kohli) ने एक पोस्ट शेयर करते हुए  जहां जल्द ठीक होने की कामना की है तो वहीं उनके Weight Loss करने पर ताना मारा है. दरअसल, अभिनव ने अपने पोस्ट में लिखा, ‘मेरे और मेरे लड़के के आपस में मिलने और साथ रहने के हक की लड़ाई अपनी जगह है और कोर्ट में चल रही है, पर भगवान करे कि श्वेता जल्दी से तंदरुस्त हो जाए. एक्टर बेचारे आप सबके सामने सुंदर बनने के चक्कर में और आप सबका और ज्यादा प्यार पाने के लिए, जरूरत से ज्यादा बॉडी बनाते रहते हैं. कम से कम खाना खाते रहते हैं और फिर एक दिन उनका दिल थक जाता है.’ इसी बयान पर श्वेता तिवारी के फैंस गुस्से में हैं और उनके इस पोस्ट पर जमकर खरी खोटी सुनाते हुए कमेट्स कर रहे हैं.

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नशे में धुत अनुज को संभालेगी Anupama तो वनराज कहेगा ये ओछी बात

सीरियल अनुपमा में फैमिली ड्रामा दर्शकों का दिल जीत रहा है. वहीं टीआरपी चार्ट्स में भी यह पहले नंबर पर बना हुआ है. इसी मेकर्स सीरियल की कहानी में ऐसा मोड़ लाने वाले हैं, जिससे अनुपमा अपने परिवार से दूर होने का फैसला करने वाली है. वहीं समर इस सफर में उसका साथ देता नजर आएगा. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

वनराज का एक बार फिर अनुपमा पर तीखा वार

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि वनराज और अनुज नशे में धुत हो जाएंगे और एक दूसरे के साथ होटल में चले जाएंगे. जहां पर काव्या, वनराज को अपने कमरे में ले जाएगी. वहीं अनुपमा, अनुज की हेल्प करते हुए उसे कमरे में छोड़ेगी और अपने कमरे में लौट जाएगी. दूसरी तरफ सुबह उठकर वनराज और काव्या, अनुपमा को अनुज के कमरे के बाहर देखेंगे और एक बार फिर वनराज तीखा वार करते हुए अनुपमा से कहेगा कि अगर वह दोनों यहां नहीं होते तो दोनों की रात खास होती, जिसे सुनकर अनुज और अनुपमा गुस्से से भर जाएंगे.

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समर-अनुपमा होंगे शाह हाउस से दूर

खबरों की मानें तो जल्द ही अनुपमा एक बड़ा फैसला लेने वाली है, जिसकी वजह बा और वनराज होंगे. दरअसल, मुंबई से घर आकर काव्या-वनराज, अनुपमा के खिलाफ बातें बोलेंगे, जिसके चलते शाह परिवार में हंगामा होगा. वहीं अनुपमा ये सब देखकर फैसला करेगी कि अब वह शाह निवास में नहीं रहेगी. लेकिन समर उसका साथ देते हुए उसके साथ घर छोड़ने की बात कहेगा. हालांकि अनुपमा उसे मना करेगी. लेकिन वह नहीं मानेगा. दूसरी तरफ अनुपमा-समर को दर-दर भटकता देख अनुज उसे सहारा  देगा और अपने घर पर रहने के लिए कहेगा.

अनुज को पड़ी डांट

अब तक आपने देखा कि अनुपमा और अनुज मुंबई में अपनी डील फाइनल करते हैं, जो कि कामयाब भी होती है. इसी के चलते दोनों पब में भी पहुंचते हैं. वहीं वनराज और काव्या भी पब में पहुंच जाते हैं, जिसे देखकर अनुपमा नाखुश होती है. हालांकि वह वनराज को इग्नोर करती नजर आती है. इसी दौरान वनराज, अनुज और अनुपमा के रिश्ते पर एक बार फिर तंज कसता है, जिसे सुनकर अनुज भड़क जाता है और दोनों के बीच हाथापाई की नौबत आ जाती है. लेकिन अनुपमा बात संभालते हुए अनुज को डांटती है और अनुज बात को सुन भी लेता है, जिससे अनुज का अनुपमा के लिए प्यार और गहरा हो जाता है.

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जब Air Conditioner हो लगाना

याद कीजिए अपने दादा या दादी को, जो आंगन में बैठे हाथ से पंखा हिलाते हुए गरमी को मात देने की कोशिश किया करते थे. उस के बाद बिजली का आविष्कार हुआ और हाथ के पंखों की जगह सीलिंग फैंस ने ले ली. इसे एक बड़ा कदम माना गया. वक्त बदला और सीलिंग फैन के साथसाथ कूलर भी गरमी से लड़ने का एक कारगर जरिया बन गए. सूरज की तपिश जब अपने चरम पर होती तो कूलर हमें राहत पहुंचाते. मगर इन के साथ भी एक समस्या रहती. कूलर की हवा अपनी ओर करने के लिए घरों में छोटेमोटे झगड़े होना आम बात थी. लेकिन अब कूलर और सीलिंग फैन भी धीरेधीरे बीते जमाने की बात होते जा रहे हैं और नए जमाने में एअरकंडीशनर गरमी से बचने और लड़ने में इनसान की मदद कर रहे हैं.

एक दौर था जब एअरकंडीशनर सिर्फ धनाढ्य वर्ग के उपभोग तक ही सीमित थे. वे लोग, जो बिजली के लंबेचौड़े बिलों का भुगतान करने में सक्षम थे, वही एसी के बारे में विचार करते थे. लेकिन बीते कुछ वर्षों में यह धारणा पूरी तरह से टूट चुकी है. आज यह अमीरी के दायरे को तोड़ता हुआ जरूरत की श्रेणी में पहुंच चुका है. आज लगभग हर घर के ड्राइंगरूम में एसी एक जरूरत बन गया है. आज हर कोई अपनी जीवनशैली को आरामदायक बनाना चाहता है और इस पर होने वाला खर्च अमीरी नहीं बल्कि जरूरत मान लिया गया है और एसी भी इसी श्रेणी में आता है. भारत में बड़े मध्यवर्गीय बाजार के कारण सभी उपभोक्ता कंपनियां अपने उत्पादों की कीमत इन्हें ध्यान में रख कर तय करती हैं.

बाजार में प्रतिस्पर्धा के बढ़ने का फायदा भी आम उपभोक्ता को मिल रहा है. कंपनियां अब सस्ती कीमत और बेहतर तकनीक के उत्पाद बेचने को मजबूर हैं, क्योंकि वे किसी भी कीमत पर इस बाजार में अपने पांव कमजोर नहीं करना चाहतीं. बाजार में विंडो एसी, स्प्लिट एसी और सेंट्रलाइज एसी जैसी तमाम किस्में मौजूद हैं और इस में हर ग्राहक वर्ग के हितों का ध्यान रखा गया है. इन में से विंडो एसी भारतीय ग्राहक वर्ग में खासतौर पर पसंद किए जाते हैं. इन्हें लगाना भी बेहद आसान है और इन की हवा भी आसपास के कमरों को ठंडा करती है. यह सब इन की शानदार क्षमता और आधुनिक तकनीक के कारण ही संभव होता है.

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बिजली के बिल में कटौती

बीते दिनों एक खबर आई थी कि मुंबई में एक आफिस में एसी की खपत कम करने के लिए अपने कर्मचारियों को टाई पहन कर आने से मना कर दिया गया था. कंपनी का तर्क था कि इस से बिजली के बिल में कटौती करने में मदद मिलेगी. एसी लेने के बाद उस की वजह से आने वाला बिजली का बिल सब से बड़ी चिंता होती है, लेकिन कुछ टिप्स अपना कर आप भी अपने बिजली के बिल में कटौती कर सकते हैं :

अपने कमरे और घर के आकार को ध्यान में रख कर ही एसी की खरीदारी करें. बेहतर होगा कि इस मामले में आप किसी जानकार की सलाह लें. याद रखें, ज्यादा बड़ा एसी यानी बिजली की ज्यादा खपत.

एसी का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा सेट कर के रखें. इस से आप को अपने बिजली के बिल में कटौती करने में मदद मिलेगी.

एसी चलाते समय यह ध्यान रखें कि कमरे के सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद हों. इस से कमरे को ठंडा होने में कम समय लगेगा.

एसी को हर समय चलाने के बजाय थोड़े समय के लिए चलाएं और एक बार कमरा ठंडा होने के बाद एसी को बंद कर दें.

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5 Festive Makeup टिप्स

त्योहारों की अपनी ही उमंग होती है, जिस में डूब कर मन खुशियों से सराबोर रहता है. इस खुशी में तब और भी निखार आ जाता है जब बिन बोले किसी की आंखें बहुत कुछ बोल देती हैं. जब किसी को देख कर लगता है कि चंद टूटे सितारे उस के मदमाते हुस्न की कैद में आने के लिए कुछ पलकों पर बिखर गए, कुछ होंठों पर सिमट गए. यही तो वह खूबसूरती है, जो बाकी लोगों से उसे खास दिखाती है.

अगर आप भी त्योहारों में औरों से खास दिखना चाहती हैं, तो आइए जानें फैस्टिव मेकअप लुक की जानकारी ताकि त्योहार के मौके पर जब आप मेकअप कर के घर से निकलें तो लोग आप को देखते ही रह जाएं.

सौफ्ट लुक

अवसर चाहे पारंपरिक त्योहारों का हो या फिर फैस्टिवल के समां को बांधती थीम पार्टी का, सौफ्ट गर्लिश लुक हर मौके पर खूबसूरत दिखता है. इस लुक के लिए आप लाइट पिंक शेड का इस्तेमाल कर सकती हैं.

स्टैप-1

चेहरे पर फ्लालैस इफैक्ट के लिए सूफले का इस्तेमाल करें और गालों पर खूबसूरती की छटा बिखेरने के लिए पिंक ब्लशऔन लगाएं.

स्टैप-2

आंखों पर चार्मिंग एहसास जगाने के लिए पिंक आईशैडो लगाएं और लोअर लैशेज पर काजल लगा कर स्मज कर लें. इस ओवरआल लुक पर कंट्रास्ट जगाने के लिए ब्लू लाइनर लगा सकती हैं. पलकों पर मसकारा लगा कर उन्हें कर्ल कर लें.

स्टैप-3

लिप्स पर पिंक शेड की लिपस्टिक या ग्लौस का इस्तेमाल इस पूरे मेकओवर में चार चांद लगाएगा.

स्टैप-4

अपने इस लुक को हलका ट्रैडिशनल टच देने के लिए मैसी ब्रेड, फ्रैंच ब्रेड या डच ब्रेड बना सकती हैं. ब्रेड्स बनाने से पहले  बालों में कलरफुल रिबन या ऐक्सटैंशन लगा लें. स्टाइलिश व फैशनेबल ब्रेड्स के बीच ये कलरफुल स्ट्रैंड्स बेहद खूबसूरत दिखेंगी.

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लाइट रैडिएंट

जब बात हो रही है चारों ओर रोशनी के उजाले की तो चेहरे पर इस की झलक दिखनी जरूरी हो जाती है. इस लुक में सब कुछ हलका, ग्लौसी व रैडिएंट नजर आएगा.

स्टैप-1

परफैक्ट स्किन टोन के लिए लाइट बेस लगाएं.

स्टैप-2

अपनी ड्रैस से मैचिंग लाइट शेड को आंखों पर लगाएं और फिर उस के ऊपर वैसलीन का हलका सा टच दें. लाइनर के बजाय मसकारा का डबल कोट लगाएं.

स्टैप-3

चीकबोंस को हाईलाइट करने के लिए उन पर वैसलीन लगा कर अच्छी तरह ब्लैंड कर लें.

स्टैप-4

लिपस्टिक लगाएं और ऊपर से लिप बाम लगा कर उन्हें ग्लौसी लुक दें.

स्टैप-5

बालों को स्ट्रेट करवा कर खुला छोड़ सकती हैं. अपने हेयरस्टाइल में थोड़ा सा स्टाइल ऐड करने के लिए फ्रंट से फ्रिंज निकाल लें और उसे टैंपरेरी हेयर चौक की मदद से कलर कर लें, क्योंकि इन दिनों कलरफुल फ्रिंज फैशन में है.

विंग्ड आईलाइनर ऐेंड बोल्ड लिप्स

रैट्रो इरा की अभिनेत्रियों के जलवों को अपने फैस्टिवल में मिक्स करना चाहती हैं, तो यह लुक आप के लिए बिलकुल परफैक्ट है:

स्टैप-1

अपनी आंखों पर मैटेलिक ब्लू, ब्लैक, ग्रीन या कौपर शेड से विंग्ड लाइनर लगाएं और वाटर लाइन पर ब्लैक आई पैंसिल के बजाय व्हाइट पैंसिल का इस्तेमाल करें. विंग्ड लाइनर की सब से बड़ी खासीयत यह है कि आप अपने लुक को अपनी मरजी के मुताबिक लाइट या लाउड दिखा सकती हैं.

स्टैप-2

फेस पर क्लीयर लुक के लिए मूज व रोज टिंट जगाने के लिए ब्लशऔन जरूर लगाएं.

स्टैप-3

बोल्ड लिप्स आप को कौन्फिडैंट एहसास देते हैं. ऐसे में आप रैड, कोरल और हौट पिंक जैसे फैशनेबल शेड्स को अपनी लिपस्टिक के तौर पर चुन सकती हैं.

स्टैप-4

बालों में फिशटेल या रिवर्स फिशटेल बनाएं. चमकीली इस रात की चमक को अपने बालों पर जगाने के लिए पर्ल, स्वरोस्की या नग जडि़त स्टड्स को चोटी के बीच में भी लगा सकती हैं.

ऐलिगैंट सोशलाइट लुक

किसी खास अवसर के लिए कुछ हट कर और शानदार मेकअप की तलाश में हैं, तो ऐंलिगैंट लुक आप के लिए सही चयन होगा. आजकल लिप मेकअप पर काफी फोकस किया जा रहा है.

स्टैप-1

चेहरा फेसवाश से साफ करने के बाद थपथपा कर सुखाएं. फिर एसपीएफ युक्त मौइश्चराइजर लगाएं. इस के बाद अपनी रंगत के मुताबिक बेस लगाएं. अच्छी तरह ब्लैंड करें ताकि पैची नजर न आए.

स्टैप-2

अब आंखों को डिफाइन करने के लिए उन के भीतरी कोनों से ले कर लैशलाइन बरौनियों के आखिरी कोने तक वन स्ट्रोक डिफाइनिंग आईलाइनर लगाएं. पलकों पर न्यूट्रल कौपर आईशैडो लगाएं. अच्छी तरह ब्लैड करें. बरौनियों को घना और आकर्षक दिखाने के लिए परफैक्ट मसकारे के 2 कोट लगाएं.

मसकारा लगाते समय नीचे देखें और मसकारा ब्रश को बरौनियों पर रोल कर के लगाएं. इस से मसकारा हर लैश पर लग जाएगा. एक जगह जमा नहीं होगा.

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स्टैप-3

थोड़ा ग्लैम टच देने के लिए उसी शेड का एक लिप बाम होंठों पर लगाएं. यह न सिर्फ अतिरिक्त चमक देगा, बल्कि लिप कलर को लंबे समय तक टिका रहने में मदद भी करेगा. गोल्डन स्पार्कल लिप्स के लिए ब्रोंज शिमर न्यूड लिए ग्लौस लगाएं.

स्टैप-4

होंठों को आकर्षक बनाने के लिए स्टैंडआउट लिप बाम से मोटी रेखा (आउटलाइन) बनाएं. बीच का हिस्सा खाली रहने दें. कुछ सैकंड बाद उसी शेड को बीच की खाली जगह पर अच्छी तरह भरें.

स्टैप-5

इस लुक को कंप्लीट करने के लिए नाखूनों पर वैल्वेट रोप नेल इनैमल लगाएं.

स्टैप-6

ब्लो ड्राई करने के बाद टोंग की सहायता से कर्ल करें. सारे बालों को उंगलियों की सहायता से पीछे की तरफ ले जाएं और क्लचर से टक करें.

ब्रोंज क्रेज

आंखों और गालों पर किया जाने वाला यह मेकअप स्टनिंग लुक देता है.

स्टैप-1

फेस पर बीबी क्रीम लगाएं और ब्लशऔन के बजाय चीक्स पर ब्राउंजिंग करें. ऐसा करने से आप का चेहरा पतला नजर आएगा.

स्टैप-2

ब्रोंज शेड के आईशैडो के साथ अपनी आइज को ब्रोंज टच दें.

स्टैप-3

आइज के आउटर कौर्नर पर ब्राउन शेड से कंटूरिंग करने के बाद आंखों के नीचे काजल स्मज कर के लगाएं. अपने लुक को सैक्सी लुक देने के लिए लाइनर व मसकारा जरूर लगाएं.

स्टैप-4

ब्रौंजिश शेड की लिपस्टिक लगा कर लिप्स को स्टनिंग लुक दें. बालों में सौफ्ट कर्ल्स करवा लें. चेहरे पर बाल न आएं, इस के लिए साइड पार्टीशन कर के कोई भी सुंदर सी क्लिप लगा लें.

कलर स्मोकी

रियल और फ्लालैस लुक के लिए स्मोकी मेकअप का चलन बढ़ रहा है.

स्टैप-1

अपनी स्किन को फ्लालैस लुक देने के लिए टिंटिड मौइश्चराइज लगा लें. ऐसा करने से स्किन मौइश्चराइज्ड व स्किनटोन इवन नजर आएगी.

स्टैप-2

गालों पर पीच शेड का ब्लशऔन लगाएं, साथ ही चीक्स पर हाईलाइट जरूर करें.

स्टैप-3

फैशन और लेटैस्ट मेकअप मंत्र के अनुसार आप अपनी ड्रैस से मैचिंग कलर को आंखों पर ऐड कर के उसे ब्लैक या ग्रे शेड के साथ मर्ज कर दें. ऐसा करने से आप की आंखों पर कलर स्मोकी लुक छा जाएगा.

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स्टैप-4

क्योंकि आई मेकअप डार्क है, तो ऐसे में चेहरे पर मेकअप का बैलेंस बनाए रखने के लिए लिप्स पर लाइट शेड जैसे बेबी पिंक या लाइट पीच ही लगाएं.

स्टैप-5

इन दिनों मैसी लुक इन है. ऐसे में आप बालों में मैसी साइड लो बन बना सकती हैं. चेहरे पर मेडअप लुक के बजाय नैचुरल लुक लाने के लिए जूड़े से कुछ लटों को जरूर निकाल दें. ऐसा करने से चेहरे पर रियल लुक नजर आएगा.

इशिका तनेजा

ऐग्जीक्यूटिव डाइरैक्टर, एल्प्स ब्यूटी क्लीनिक

शादी से पहले शारीरिक संबंध

आजकल लगभग सभी समाचारपत्रों और पत्रिकाओं में पाठकों की समस्याओं वाले स्तंभ में युवकयुवतियों के पत्र छपते हैं, जिस में वे विवाहपूर्व शारीरिक संबंध बना लेने के बाद उत्पन्न हुई समस्याओं का समाधान पूछते हैं.

विवाहपूर्व प्रेम करना या स्वेच्छा से शारीरिक संबंध बनाना कोई अपराध नहीं है, मगर इस से उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर विचार अवश्य करना चाहिए. इन बातों पर युवकों से ज्यादा युवतियों को ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में उन्हें दिक्कतों का सामना न करना पड़े :

विवाहपूर्व शारीरिक संबंध भले ही कानूनन अपराध न हो, मगर आज भी ऐसे संबंधों को सामाजिक मान्यता नहीं है. विशेष कर यदि किसी लड़की के बारे में समाज को यह पता चल जाए कि उस के विवाहपूर्व शारीरिक संबंध हैं तो समाज उस के माथे पर बदचलन का टीका लगा देता है, साथ ही गलीमहल्ले के आवारा लड़के लड़की का न सिर्फ जीना दूभर कर देते हैं, बल्कि खुद भी उस से अवैध संबंध बनाने की कोशिश करते हैं.

युवती के मांबाप और भाइयों को इन संबंधों का पता चलने पर घोर मानसिक आघात लगता है. वृद्ध मातापिता कई बार इस की वजह से बीमार पड़ जाते हैं और उन्हें दिल का दौरा तक पड़ जाता है. लड़की के भाइयों द्वारा प्रेमी के साथ मारपीट और यहां तक कि प्रेमी की जान लेने के समाचार लगभग रोज ही सुर्खियों में रहते हैं. युवकों को तो अकसर मांबाप समझा कर सुधरने की हिदायत देते हैं, मगर लड़की के प्रति घर वालों का व्यवहार कई बार बड़ा क्रूर हो जाता है. प्रेमी के साथ मारपीट के कारण लड़की के परिवार को पुलिस और कानूनी कार्यवाही तक का सामना करना पड़ता है.

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अधिकतर युवतियों की समस्या रहती है कि उन्हें शादीशुदा व्यक्ति से प्यार हो गया है व उन्होंने उस से शारीरिक संबंध भी कायम कर लिए हैं. शादीशुदा व्यक्ति आश्वासन देता है कि वह जल्दी ही अपनी पहली पत्नी से तलाक ले कर युवती से शादी कर लेगा, मगर वर्षों बीत जाने पर भी वह व्यक्ति युवती से या तो शादी नहीं करता या धीरेधीरे किनारा कर लेता है. ऐसे किस्से आजकल आम हो गए हैं.

इस तरह के हादसों के बाद युवतियां डिप्रेशन में आ जाती हैं व नौकरी छोड़ देती हैं. इस से उबरने में उन्हें वर्षों लग जाते हैं. कई बार युवक पहली पत्नी के होते हुए भी दूसरी शादी कर लेते हैं. मगर याद रखें, ऐसी शादी को कानूनी मान्यता नहीं है और बाद में बच्चों के अधिकार के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ सकती है जिस का फैसला युवती के पक्ष में आएगा, इस की संभावना बहुत कम रहती है.

शारीरिक संबंध होने पर गर्भधारण एक सामान्य बात है. विवाहित युवती द्वारा गर्भधारण करने पर दोनों परिवारों में खुशियां मनाई जाती हैं वहीं अविवाहित युवती द्वारा गर्भधारण उस की बदनामी के साथसाथ मौत का कारण भी बनता है.

अभी हाल ही में मेरी बेटी की एक परिचित के किराएदार के घर उन के भाई की लड़की गांव से 11वीं कक्षा में पढ़ने के लिए आई. अचानक एक शाम उस ने ट्रेन से कट कर अपनी जान दे दी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि लड़की गर्भवती थी. उसे एक अन्य धर्म के लड़के से प्यार हो गया और दोनों ने शारीरिक संबंध कायम कर लिए, मगर जब लड़के को लड़की के गर्भवती होने का पता चला तो वह युवती को छोड़ कर भाग गया. अब युवती ने आत्महत्या का रास्ता चुन लिया. ऐसे मामलों में अधिकतर युवतियां गर्भपात का रास्ता अपनाती हैं, लेकिन कोई भी योग्य चिकित्सक पहली बार गर्भधारण को गर्भपात कराने की सलाह नहीं देगा.

अधिकतर अविवाहित युवतियां गर्भपात चोरीछिपे किसी घटिया अस्पताल या क्लिनिक में नौसिखिया चिकित्सकों से करवाती हैं, जिस में गर्भपात के बाद संक्रमण और कई अन्य समस्याओं की आशंका बनी रहती है. दोबारा गर्भधारण में भी कठिनाई हो सकती है. अनाड़ी चिकित्सक द्वारा गर्भपात करने से जान तक जाने का खतरा रहता है.

युवती का विवाह यदि प्रेमी से हो जाता है तब तो विवाहोपरांत जीवन ठीकठाक चलता है, मगर किसी और से शादी होने पर यदि भविष्य में पति को किसी तरह से पत्नी के विवाहपूर्व संबंधों की जानकारी हो गई तो वैवाहिक जीवन न सिर्फ तबाह हो सकता है, बल्कि तलाक तक की नौबत आ सकती है.

विवाहपूर्व शारीरिक संबंधों में मुख्य खतरा यौन रोगों का रहता है. कई बार एड्स जैसा जानलेवा रोग भी हो जाता है. खास बात यह है कि इस रोग के लक्षण काफी समय तक दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन बाद में यह रोग उन के पति और होने वाले बच्चे को हो जाता है. प्रेमी और उस के दोस्तों द्वारा ब्लैकमेल की घटनाएं भी अकसर होती रहती हैं. उन के द्वारा शारीरिक यौन शोषण व अन्य तरह के शोषण की आशंकाएं हमेशा बनी रहती हैं.

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युवती का विवाह यदि अन्यत्र हो जाता है और वैवाहिक जीवन ठीकठाक चलता रहता है, घर में बच्चे भी आ जाते हैं, लेकिन यदि भविष्य में बच्चों को अपनी मां के किसी दूसरे पुरुष से संबंधों के बारे में पता चले तो उन्हें गंभीर मानसिक आघात पहुंचेगा, खासकर तब जब बच्चे टीनएज में हों. मां के प्रति उन के मन में घृणा व उन के बौद्धिक विकास पर भी इस का असर पड़ता है.

इन संबंधों के कारण कई बार पारिवारिक, सामाजिक व धार्मिक विवाद व लड़ाईझगड़े भी हो जाते हैं, जिन में युवकयुवती के अलावा कई और लोगों की जानें जाती हैं. इस के बावजूद यदि युवकयुवती शारीरिक संबंध बना लेने का निर्णय कर ही लेते हैं, तो गर्भनिरोधक विशेषकर कंडोम का प्रयोग अवश्य करें, क्योंकि इस से गर्भधारण व यौन संक्रमण का खतरा काफी हद तक खत्म हो जाता है.

आसमान छूते अरमान : चंद्रवती क्या अपने अरमान पूरे कर पायी

चंद्रो बस से उतर कर अपनी सहेलियों के साथ जैसे ही गांव की ओर चली, उस के कानों में गांव में हो रही किसी मुनादी की आवाज सुनाई पड़ी.

‘गांव वालो, मेहरबानो, कद्रदानो, सुन लो इस बार जब होगा मंगल, गांव के अखाड़े में होगा दंगल. बड़ेबडे़ पहलवानों की खुलेगी पोल, तभी तो बजा रहा हूं जोर से ढोल. देखते हैं कि मंगलवार को लल्लू पहलवान की चुनौती को कौन स्वीकार करता है. खुद पटका जाता है कि लल्लू को पटकनी देता है. मंगलवार शाम4 बजे होगा अखाड़े में दंगल.’‘‘देख चंद्रो, इस बार तो तेरा लल्लू गांव में ही अखाड़ा जमाने आ गया,’’ एक सहेली बोली.

‘‘धत्… चल, मैं तुझ से बात नहीं करती,’’ चंद्रो ने कहा.

‘‘अब तू हम से क्या बात करेगी चंद्रो. अब तो तू उस के खयालों में खो जाएगी,’’ दूसरी सहेली बोली.

चंद्रो ने शरमा कर दुपट्टे में अपना मुंह छिपा लिया. तब तक उस का घर भी आ चुका था. वह अपनी सहेलियों को छोड़ कर तेजी से घर के दरवाजे की ओर बढ़ गई.

चंद्रो का पूरा नाम चंद्रवती था. वह कभी छुटपन में लल्लू की सहपाठी रही थी, तभी उन के बीच प्यार का बीज फूट गया था. चंद्रवती को चंद्रो नाम देने वाला भी लल्लू पहलवान ही था.

चंद्रवती को पढ़नेलिखने, गीतसंगीत और डांस में ज्यादा दिलचस्पी थी. उस के अरमान बचपन से ही ऊंचे थे. लल्लू पहलवानी का शौक रखता था. पढ़ाई में उस की इतनी दिलचस्पी नहीं थी, जितनी अखाड़े में जोरआजमाइश करने की.

फिलहाज, चंद्रवती हिंदी साहित्य में एमए कर रही थी. यह उस का एमए का आखिरी साल था. उस का कालेज गांव से 14-15 किलोमीटर दूर शहर में था. अपनी सहेलियों के साथ वह रोज ही बस से कालेज जाती थी. उस के मातापिता उस के लिए अच्छे वर की तलाश कर रहे थे.

लल्लू पहलवान को कुश्ती लड़नेका शौक ऐसा चढ़ा था कि पढ़ाई बहुत पीछे छूट गई थी. लेकिन पहलवानी में उस ने अपनी धाक जमा ली थी. 40-50 किलोमीटर दूर तक के गांवों में उस की बराबरी का कोई पहलवान न था. अब वह पेशेवर पहलवान बन चुका था और अच्छी कमाई कर रहा था.

चंद्रवती रातभर लल्लू की यादों में खोई रही. वे बचपन की यादें और अब अल्हड़ जवानी. चंद्रवती को लल्लू से मिले कई साल हो चुके थे, लेकिन उस का वह बचपन का मासूम चेहरा अभी भी आंखों में समाया हुआ था.

मंगलवार को शाम 4 बजे तक अखाड़े में तिल धरने की भी जगह न बची थी. औरतों को बिठाने के लिए अखाड़ा समिति ने अलग से इंतजाम किया था. पहली कुश्ती मुश्किल से 5 मिनट चली. लल्लू ने कुछ देर तक तो पहलवान के साथ दांवपेंच दिखाए और फिर उसे कंधे पर उठा कर अखाड़े का जो चक्कर लगाया, तो तालियों की बरसात होने लगी.

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कुछ देर बाद पांच मुकाबले हुए और सब का हाल पहले पहलवानों जैसा ही हुआ.

अब लल्लू के चेहरे पर थकान साफ नजर आ रही थी. उसे सभी मुकाबलों में जीत मिलने का इनाम मिल चुका था.

जब सब गांव वाले जाने लगे, तो चंद्रवती की सहेलियां उसे लल्लू से मिलाने के लिए जबरन पकड़ कर ले गईं.लल्लू भीड़ से घिरा हुआ था, फिर भी सहेलियां चंद्रवती को लल्लू से मिलाने पर आमादा थीं. यह काम किया चंद्रवती की सहेली मधु के भाई माधवन ने. उस ने लल्लू से कान में जा कर कहा, ‘‘तुम्हारी कोई रिश्तेदार उधर खड़ी है. वह एक मिनट के लिए तुम से मिलना चाहती है.’’

लल्लू उठ कर गया, तो वहां 5-6 लड़कियां खड़ी थीं. लेकिन उन में से उसे कोई भी अपनी रिश्तेदार नजर नहीं आई. उस ने पूछा, ‘‘कहां है मेरी रिश्तेदार?’’

‘‘पहलवानजी, अपनी रिश्तेदार को भी नहीं पहचानते. बड़े पहलवान हो गए हो, इसलिए बचपन के रिश्ते को ही भूल गए,’’ चंद्रवती की एक सहेली इंदू ने उलाहना देते हुए कहा.

चंद्रवती का दिल जोरजोर से धड़क रहा था कि कहीं लल्लू उसे भूल ही न गया हो. तब मधु ने कहा, ‘‘किसी चंद्रो को जानते हो तुम? कोई चंद्रो पढ़ती थी तुम्हारे साथ बचपन में?’’

चंद्रो का नाम सुनते ही लल्लू का चेहरा खिल उठा. उस के मुंह से अनायास ही निकला, ‘‘अरे चंद्रो, हां, कहां है मेरी चंद्रो?’’

यह सुनते ही चंद्रो शरमा कर अपनेआप में ही मिसट गई. सहेलियां मुसकरा पड़ीं और लल्लू भी अपने उतावलेपन पर शर्मिंदा हो गया. कुछ ही दिनों में चंद्रवती लल्लू के घरआंगन को महकाने के लिए आ गई. कुछ दिन तक तो लल्लू चंद्रवती के प्यार में ऐसा खोया रहा कि पहलवानी के सारे दांवपेंच भूल गया. दोनों एकदूसरे को पा कर बहुत खुश थे.

उन दोनों की गृहस्थी बड़े आराम से पटरी पर चल रही थी. उन्हीं दिनों गांव में पंचायत चुनाव आ गए. लल्लू की राजनीति में कोई दिलचस्पी न थी, लेकिन चंद्रवती को राजनीति विरासत में मिली थी. उस के दादा अपने गांव में कई साल प्रधान रहे थे और अब उस के चाचा राम सिंह अपने गांव के प्रधान थे.

गांव वालों का लल्लू को प्रधान बनाने का इशारा था, लेकिन चुनाव आयोग ने उन के गांव के प्रधान का पद औरत के लिए रिजर्व कर दिया था.

लल्लू को पूरा गांव अपने पक्ष में लग रहा था, इसलिए वह चाह कर भी मना नहीं कर सका और उस ने चंद्रवती को चुनावी मैदान में उतार दिया. चुनाव एकतरफा रहा और चंद्रवती मालिनपुर गांव की प्रधान बन गई. शुरूशुरू में प्रधान के सारे काम लल्लू ही देखता था, लेकिन किसी कागज पर दस्तखत करने हों या फिर ग्राम प्रधानों की बैठक में जाना हो, तब चंद्रवती का जाना जरूरी हो जाता था.

चंद्रवती पढ़ीलिखी थी, अफसरों से बात करना ठीक से जानती थी, ग्राम प्रधान के अपने हकों को भी वह अच्छी तरह समझती थी. धीरेधीरे ग्राम प्रधानी का कामकाज उस के हाथों में आने लगा और लल्लू किनारे लगने लगा.

अब चंद्रवती पराए मर्दों से शरमाती न थी. उसे कहीं अकेले जाना पड़ता, तो वह लल्लू की बाट न जोहती थी. किसी को चंद्रवती से मिलना होता, तो वह उस से सीधा मिलता. लल्लू सिर्फ दरबारी बन कर रह गया था, सिंहासन पर चंद्रवती बैठी थी.

प्रधानों के संघ में चंद्रवती जितनी खूबसूरत और पढ़ीलिखी कम ही औरतें थीं, इसलिए प्रधान संघ का सचिव पद पाने में वह कामयाब हो गई. चंद्रवती के अरमान अब आसमान छूने लगे थे. वह मर्दों को दुनिया में मुकाम हासिल करने के गुर सीखने लगी. लंगोट के कच्चे मर्द को एक ही मुसकान से कैसे पस्त किया जा सकता है, यह वह अच्छी तरह जान गई थी.

अब चंद्रवती हमेशा बड़े नेताओं और अफसरों से मेलजोल बढ़ाने के मौके तलाशने लगी. यह वह सीढ़ी थी, जिस पर चढ़ कर वह अपनी इच्छाओं के आसमान पर पहुंच सकती थी.

एक बार प्रदेश सरकार का मंत्री भूरेलाल जिले के दौरे पर आया, तो उस की पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उस का दौरा मालिनपुर में ही लगा दिया.चंद्रवती अपने दबदबे से मालिनपुर में तरक्की के अनेक काम करवा चुकी थी. जिसे देखने के लिए मंत्री को ग्राम प्रधान से मिलने की इच्छा और बढ़ गई.

चंद्रवती ने पहले से ही मंत्री के लिए नाश्ते का इंतजाम घर पर ही कर रखा था. भूरेलाल का स्वागत करने के लिए चंद्रवती सजीधजी दरवाजे पर ही खड़ी थी. वह खूबसूरती के भूखे इन मर्दों को अच्छी तरह से जानती थी.

चंद्रवती के रूप को देख कर भूरेलाल की आंखें चौंधिया गईं. चंद्रवती ने बैठक को भी ऐसा सजाया था कि भूरेलाल देखता ही रह गया. जब चंद्रवती भूरेलाल के सामने बैठी, तो वह गांव की तरक्की के काम की बात भूल कर उस की खूबसूरती को देखने में मगन हो गया.

जब चंद्रवती ने अपने सुकोमल हाथों और एक मोहन मुसकान से उसे चाय की प्याली पकड़ाई, तब जा कर भूरेलाल की नींद टूटी.

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भूरेलाल गांव का दौरा कर के चला तो गया, पर उस का दिल मालिनपुर में ही अटक कर रह गया. शाम को ही मंत्री भूरेलाल ने फोन कर के चंद्रवती को उस की ‘अच्छी चाय’ के लिए धन्यवाद दिया.

चंद्रवती जान गई थी कि तीर निशाने पर लगा है. उस ने योजनाएं बनानी शुरू कर दीं कि मंत्री भूरेलाल से क्याक्या काम करवाने हैं और आगे बढ़ने के लिए इस सीढ़ी का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है.

अब मालिनपुर गांव में तरक्की का जो भी छोटाबड़ा काम होता, उस का उद्घाटन भूरेलाल के ही हाथों होता. भूरेलाल चंद्रवती को पार्टी के कार्यक्रमों में शिरकत करने के लिए बुलाने लगा.

जल्दी ही भूरेलाल ने चंद्रवती की ताजपोशी खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष पद पर करवा दी. फिर तो चंद्रवती को नीली बत्ती की गाड़ी मिल गई.

ओहदा बढ़ते ही चंद्रवती आजाद पंक्षी हो गई. लल्लू पहलवान ने उसे घोंसले में ही कैद रखने के लिए उस के पर कतरने की काफी कोशिश की, लेकिन चंद्रवती के सामने उस की अब बिसात ही क्या थी.

एक दिन भूरेलाल ने मौका देख कर कहा, ‘‘चंद्रवतीजी, आप खूबसूरत होने के साथसाथ काबिल भी हो. कोशिश करो, तो विधायक भी बन सकती हो.’’

चंद्रवती ने इतराते हुए कहा, ‘‘मंत्रीजी, ऐसे दिन हमारे कहां?’’

‘‘हम तुम्हारे साथ हैं न. बस, तुम्हें साथ देने की जरूरत है,’’ भूरेलाल ने आखिरी शब्द चंद्रवती के हाथ पर हाथ रखते हुए कहा. चंद्रवती मंत्री भूरेलाल के एहसानों से इतना दब चुकी थी कि वह कोई विरोध न कर सकी, सिर्फ अपना हाथ पीछे खींच लिया.

भूरेलाल ने सकपकाते हुए कहा, ‘‘चंद्रवती, देखो राजनीति करने के लिए बहुतकुछ कुरबान करना पड़ता है. अब देखो विधायक का टिकट पाना है, तो अनेक नेताओं से मिलना ही पड़ेगा. अब मैं तुम्हें प्रदेश अध्यक्ष से मिलवाना चाहता हूं, उस के लिए तुम्हें लखनऊ तो चलना ही पड़ेगा. घर जा कर सोचना और ‘हां’ और ‘न’ में जवाब देना. वैसे तो तुम समझदार हो ही.’’

चंद्रवती इस ‘हां’ और ‘न’ का मतलब अच्छी तरह समझती थी. घर पहुंचने पर वह कुछ दुविधा में थी. लल्लू से जब उस ने लखनऊ जा कर प्रदेश अध्यक्ष से मिलने की बात कही, तो उस ने कहा, ‘‘चंद्रवती, धीरेधीरे चलो, तुम उड़ रही हो. हम जितना ऊंचे उड़ते हैं, उतना नीचे भी गिरते हैं.’’

लेकिन चंद्रवती को लल्लू की बात समझ में नहीं आई. उसे लगा कि पहलवानी करतेकरते लल्लू का दिमाग भी छोटा हो गया है. विधायक बनना है, तो कुछ कुरबानी तो देनी ही पड़ेगी.

चंद्रवती प्रदेश अध्यक्ष से मिलने के लिए लखनऊ जाने की तैयारी करने लगी. बुझे मन से लल्लू भी उस के साथ लखनऊ गया.भूरेलाल ने उन के ठहरने का इंतजाम पहले से ही एक होटल में कर दिया था.

अगले दिन भूरेलाल चंद्रवती को लेने होटल गया. चंद्रवती उस के साथ कार में बैठ कर प्रदेश अध्यक्ष से मिलने चली गई. लल्लू को यह बात नागवार गुजरी.

प्रदेश अध्यक्ष भी चंद्रवती की खूबसूरती को निहारता रह गया. मंत्री भूरेलाल ने चंद्रवती की तारीफ के पुल बांध दिए. प्रदेश अध्यक्ष ने चंद्रवती को विधायक का टिकट देने के लिए विचार करने का आश्वासन दिया. चंद्रवती को लगा, जैसे उसे विधायकी का टिकट मिल ही गया.

इस के बाद तो चंद्रवती पार्टी के नेताओं और मंत्रियों के घर और दफ्तर के चक्कर काटने में ही मशगूल हो गई. मंत्री भूरेलाल ने उसे बता दिया था कि जितने नेता और मंत्री उस के टिकट की सिफारिश कर देंगे, उस का टिकट उतना ही पक्का.

अब चंद्रवती अपना ज्यादा समय लखनऊ में ही बिताने लगी थी. उसे लल्लू की अब कोई चिंता नहीं थी. लल्लू भी इस बात को अच्छी तरह से समझ चुका था कि चिडि़या अब उस के हाथ से निकल चुकी है.

भूरेलाल राजनीति का तो मंजा हुआ खिलाड़ी था ही, इश्कमिजाजी का भी वह शौकीन था. वह जानता था कि चंद्रवती उस के जाल में फंस चुकी है. उस ने खादी के विदेशों में प्रचारप्रसार के लिए यूरोपीय देशों का 20 दिन का टूर बनाया और चंद्रवती का नाम भी टूर में जाने वाले लोगों की लिस्ट में शामिल था. लल्लू के विरोध के बावजूद चंद्रवती भूरेलाल के साथ टूर पर गई.

चंद्रवती को लगता था कि भूरेलाल ही वह सहारा और सीढ़ी है, जो उसे उस की मंजिल तक पहुंचाएगा. यूरोप के 20 दिन के टूर में चंद्रवती ने अपना सबकुछ भूरेलाल को सौंप दिया.

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इधर लल्लू इतना दुखी हो चुका था कि चंद्रवती से तलाक लेने के अलावा उसे और कोई रास्ता न सूझता था. उस ने तलाकनामा के लिए वकील से कागजात तैयार करा लिए. चंद्रवती इस के लिए खुशी से तैयार थी. न अब उसे गांव पसंद था और न लल्लू ही.

चंद्रवती भूरेलाल के जरीए और मंत्रियों से मिली. अब उस की पौबाहर थी. सुबह से शाम तक न जाने कितने लोग उसे सैल्यूट मारते. एक फोन पर वह मंत्रियों और अफसरों से लोगों के काम करवाती. ऐसा लगता, जैसे चंद्रवती प्रदेश में अलग सरकार चला रही हो.

लेकिन राजनीति में किस का सूरज कब उग जाए और कब डूब जाए, कौन कह सकता है. चंद्रवती की हनक देख कई लोग उस के विरोधी हो गए. वे चंद्रवती को फंसाने की ताक में लग गए. मीडिया भी उस की हनक से हैरान था.

एक दिन चंद्रवती और भूरेलाल की जरा सी लापरवाही से उन के अंतरंग संबंधों की तसवीरें विरोधियों के हाथ पड़ गईं. फिर मीडिया तक जाने में इसे कितनी देर लगती.

अगले ही दिन 2 काम हो गए. खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष पद से चंद्रवती को बरखास्त कर दिया गया. कहां तो वह विधायक बनने का सपना देख रही थी, प्रदेश अध्यक्ष ने उस की पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ही रद्द कर दी. मंत्रियों, नेताओं और अफसरों ने उस का मोबाइल नंबर तक अपने मोबाइलों से निकाल दिया.

भूरेलाल के मंत्री पद पर बन आई, तो उस ने चंद्रवती से अपने संबंधों को विरोधियों की साजिश और मीडिया के गंदे मन की उपज बताया. उस ने सार्वजनिक रूप से ऐलान किया कि वह चंद्रवती को केवल एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में जानता है, उस से ज्यादा उस का चंद्रवती से कोई लेनादेना नहीं है.

चंद्रवती ने इतने दिनों में जो बेनामी दौलत कमाई थी, उस से उस ने लखनऊ में एक बंगला तो खरीद ही लिया था. लेकिन राजनीतिक रुतबा खत्म होते ही उस की सारी शानोशौकत पर रोक लग गई. अब उस का दरबार सूना हो चुका था.

जल्दी ही चंद्रवती को अर्श से फर्श पर गिरने का एहसास हो गया. इस बेकद्री और अकेलेपन के चलते वह तनाव की शिकार हो गई. नींद की गोलियां उस का सहारा बनीं.

भूरेलाल उस के फोन को उठाता तक न था. तब एक दिन उस से मिलने वह उस के दफ्तर पहुंच गई. अर्दली ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वह ‘मैडम’ ही कहता रह गया और वह उस के दफ्तर में पहुंच गई. उस के वहां पहुंचते ही भूरेलाल उस पर बिफर पड़ा, ‘‘तेरी यहां आने की हिम्मत कैसे हुई?’’

‘‘भूरेलाल, मैं ने तुझ पर अपना सबकुछ लुटा दिया और अब कहता है कि मेरी यहां आने की हिम्मत कैसे हुई?’’

‘‘बकवास बंद कर. जो औरत अपने आदमी को छोड़ कर दूसरों के साथ हमबिस्तर हो, वह किसी की नहीं होती.’’

‘‘और जो मर्द अपनी औरत को छोड़ दूसरी औरतों के साथ गुलछर्रे उड़ाए, वह किस का होता है?’’

‘‘दो कौड़ी की औरत… जबान लड़ाती है… गार्ड, बाहर निकालो इसे.’’

इस से पहले कि गार्ड चंद्रवती को बाहर निकालता, चंद्रवती ने पैर में से चप्पल निकाली और भूरेलाल के सिर पर दे मारी.

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भूरेलाल के गाल पर इतनी चप्पलें पड़ीं कि उस का चेहरा लाल हो गया. उस का कान और होंठ फट गया. नाक से भी खून बहने लगा. जब तक गार्ड और दूसरे लोग चंद्रवती को रोकते, भूरेलाल की काफी फजीहत हो चुकी थी.

भूरेलाल ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उस की ऐयाशी का नतीजा इतना खतरनाक होगा. मामले को दबाए रखने के लिए पुलिस को कोई सूचना नहीं दी गई.

कुछ दिन बाद खबर आई कि चंद्रवती की उस के घर पर ही मौत हो गई. पोस्टमार्टम के लिए लाश भेजी गई, लेकिन उस की मौत में नींद की दवाओं का ज्यादा सेवन करना बताया गया.

जब चंद्रवती का दाह संस्कार किया जा रहा था, तब लल्लू को उस की लाश से अरमानों का धुआं उड़ता नजर आ रहा था.

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