सरकारी मकान और औरतों का फैसला

एक जमाना था जब किसी भी तरह की पक्की छत लोगों को स्वीकार थी या आज लाइफ स्टाइल के साथ मजबूती और टिकाऊ भी मकान में होना जरूरी हो गया है. जहां पहले दिल्ली डेवलेपमैंट अथौरिटी के मकानों को अलाट कराने के लिए हजार तरह की सिफारिशें लगाई जाती थीं और रिश्वतें दी जाती थीं अब ये मकान लौटाए जा रहे हैं और हाल में 27′ लोगों ने अपने मकान लेने से इंकार कर दिया.

ये सरकारी मकान अब सस्ते तो नहीं रह गए थे उलटे इन की बनावट खराब है और यह पक्का है कि इनकी रखरखाव पर डीडीए कोई ध्यान न देगा क्योंकि डीडीए अपने लिए जीता है, चलता है, काम करता है. जनता के लिए नहीं. घरों के चलाने वाली औरतों ने अब खराब मकान लेने से इंकार कर दिया चाहे वे वर्षों इन का इंतजार कर चुकी हो.

आज की औरत को डीडीए ही नहीं देश भर की सरकारें कम न समझें. शिक्षा और आजादी ने उन्हें इतनी समझ दे दी है कि अकेलेे होते घरों में वे पहली धुरी हैं और उन के पति. पिता या बेटे बाद में आते हैं. घर को चलाने के लिए आवश्यकताओं की समझ उन्हें है और घर ही चुनौतियों का सामना उन्होंने ही करना है. अब वे इंकार करना जानती है और डीडीए यह सब करोड़ों का नुकसान सह कर समझ रही है.

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आज की औरतें मकान के रखरखाव पर बहुत ज्यादा चूजी होती जा रही हैं और अब जैसा है चलेगा की भावना खत्म होती जा रही है. मकानों में प्राइवेट बिल्डरों की बाढ़ आ गई है और डीडीए जैसे सरकारी संस्थाएं अब निरर्थक हो गई हैं. औरतों को अब सरकारी बाबू नहीं चाहिए जिस के सामने वे गिड़गिड़ाएं, उन्हें अब सप्लायर चाहिए जो उन की मर्जी से काम करे, जो उन की सुने और उन की शिकायत दूर करे.

सरकारी मकान तो एक उदाहरण है कि किसी की भी मोनोपोंली असल में भीषण में होती है आज यही टैक्नोलौजी में हो रहा है जिस में कुछ कंपनियों ने एकाध्धिककार कर के दिमाग और जानकारी पर वैसा ही कब्जा कर लिया है जैसा भवनों और मकानों की जमीनों पर 30 साल पहले सरकार का था. आम जनता और विशेषत औरतों की एक पीढ़ी ने बहुत बुरे मकानों में अपने जीवन के कीमती साल बर्बाद करें क्योंकि सरकार को अपनी चलाने की पड़ी थी.

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आज सरकार सुधरी है, ऐसी नहीं लगता. सरकार आज भी घरों के आसपास में ऐसा ढंग से नहीं रख पा रही है और शहर में कुछ वीआईपी इलाकों को छोडक़र सब दूसरी जगहों को बुरी तरह निग्लैक्ट किया जा रहा है क्योंकि औरतों ने राकेश टिकैत की तरह धरने देने शुरू नहीं किए हैं. अगर शाहीन बाग और किसान मोर्चो की तरह कालोनी सुधार मोर्चे लगने शुरू हो जाएं तो ही शहरी जीवन सुधरेगा. कुछ हफ्तों की मेहनत बाकी जीवन को सुधार देगी.

इन टिप्स को आजमाएं और घर में ही अदरक उगाएं

अगर आप अदरक की चाय पीने की शौकीन हैं या अदरक सब्जी में डालकर खाना पसंद करती हैं तो सावधान हो जाइये, हो सकता है कि आप जहर खा रही हों. देश की सबसे बड़ी आजादपुर मंडी के आसपास 6 अदरक गोदामों पर छापे मारकर दिल्ली प्रशासन ने करीब 450 लीटर तेजाब पकड़ा है. इससे अदरक को धोकर चमकाने का काम चल रहा था.

तेजाब से चमकाया जा रहा था अदरक

मंडी में बरामद तेजाब से गंदी और भद्दे अदरक को चमकाया जा रहा था, क्योंकि बाजार में जब भी आप अदरक खरीदने जाएंगी तब आप वही अदरक खरीदेंगी जो देखने में अच्छा लग रहा हो. एक लीटर तेजाब से करीब 400 किलो अदरक धोकर चमका दी जाती है. तेजाब से धोने से उसके ऊपर का भद्दा हिस्सा या छिलका निकल जाता और अदरक चमकने लगता है.

ये खबर आग की लपटों की तरह फैल रही है. इस खबर के आते ही कई लोगों ने अदरक खाना छोड़ दिया है. लेकिन अगर आप अदरक खाने की शौकीन हैं और आपको इसकी तलब हो रही है तो चलिए आपके इस समस्या का हम समाधान कर देते हैं.

आप अदरक को अपनी सुविधानुसार खुले मैदान या गमले में उगा सकती हैं. आप घर पर अदरक उगाने के ये तरीके अपनाएं, हमारा दावा है इस अच्छी जैविक उपज के साथ ही आपकी चाय और खाने का स्वाद बढ़ जाएगा और आपकी तलब खत्म हो जाएगी.

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अदरक के प्रकंद को चुनें

सबसे पहले अदरक का अच्छा प्रकंद चुनें. यदि आप बिल्कुल नए सिरे से शुरुआत कर रही हैं तो बाजार से अदरक की जड़ ले लें. पूर्ण विकसित आंख या विकसित कलियों वाली जड़ लें. घर पर अदरक उगाने का यह सबसे अच्छा तरीका है.

गमले को तैयार करें

अगर आपके घर में बगीचे की व्यवस्था है तब तो आप इसे खुले मैदान में ही उगाएं. अगर आप गमले में ही अदरक उगाना चाहती हैं तो गहरे गमले को मिट्टी से भर लें. ढीली मिट्टी लें ताकि पानी डालने पर यह पैक नहीं हो. मिट्टी में खाद या कम्पोस्ट मिला दें. गमले में पानी का निकास एकदम सही रहना चाहिए. आप एक गमले में अदरक के तीन टुकड़े रख सकती हैं.

नमी

जब आप अदरक को जमीन पर उगा रही हैं तो धरती की नमी का फायदा उठाने के लिए उचित कदम उठायें. आप सूखी पत्तियों से इसे ढक सकती हैं. यदि आपकी मिट्टी कठोर है तो आप पानी के निकास के लिए मेड़बंदी भी कर सकती हैं.

पानी देना

अदरक के पौधे में पानी देते समय सावधानी रखें. उगाने के कुछ समय बाद धीरे और कम पानी दें. जब यह फूटता दिखे तो पानी थोड़ा ज्यादा दें. सर्दियों में जब इनका विकास कम होता है तो पानी ना दें.

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फर्टिलाइजर

जैविक खाद का प्रयोग करें। हमें जैविक अदरक उगनी है इसलिए एक हिस्सा मिट्टी और एक हिस्सा खाद मिला लें. इससे कलियां स्वस्थ और जल्दी विकसित होंगी. यदि आप इसे गमले में उगा रही हैं तो अपनी आवश्यकता अनुसार खाद मिलाएं.

तापमान

अदरक को गर्मी पसंद है. आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे यदि आप इसमें गर्मी में लगभग 75-85 °F तापमान में उगाएंगी. ठन्डे वातावरण में इनकी वृद्धि में रूकावट होगी. अदरक उगाते समय यह बात जरूर ध्यान रखें.

घुंघरू: भाग 4- राजा के बारे में क्या जान गई थी मौली

लेखक – पुष्कर पुष्प  

राजा समर सिंह को पता चला, तो वे स्वयं मौली के पास पहुंचे. उन्होंने उसे पहले प्यार से समझाने की कोशिश की, फिर भी मौली कुछ नहीं बोली, तो राजा ने गुस्से में कहा, ‘‘तुम्हें महल ला कर हम ने जो इज्जत बख्शी है, वह हर किसी को नहीं मिलती… और एक तुम हो, जो इस सब को ठोकर मारने पर तुली हो. यह जानते हुए भी कि अब तुम्हारी लाश भी राखावास नहीं लौट सकती. हां, तुम अगर चाहो, तो हम तुम्हारे वजन के बराबर धनदौलत तुम्हारे मातापिता को भेज सकते हैं. लेकिन अब तुम्हें हर हाल में हमारी बन कर हमारे लिए जीना होगा.’’

मौली को मौत का डर नहीं था. डर था तो मानू का. वह जानती थी, मानू उस के विरह में सिर पटकपटक कर जान दे देगा. उसे यह भी मालूम था कि उस की वापसी संभव नहीं है. काफी सोचविचार के बाद उस ने राजा समर सिंह के सामने प्रस्ताव रखा, ‘‘अगर आप चाहते हैं कि मैं आप के महल की शोभा बन कर रहूं, तो मेरे लिए पहाड़ों के बीचवाली उस झील के किनारे महल बनवा दीजिए, जिस के उस पार मेरा गांव है.’’

अपने इस प्रस्ताव में मौली ने 2 शर्तें भी जोड़ीं. एक यह कि जब तक महल बन कर तैयार नहीं हो जाता, राजा उसे छुएंगे तक नहीं और दूसरी यह कि महल में एक ऐसा परकोटा बनवाया जाएगा, जहां से वह हर रोज अपनी चुनरी लहराकर मानू को बता सके कि वह जिंदा है. मानू उसी के सहारे जीता रहेगा.

मौली, मानू को जान से ज्यादा चाहती है, यह बात समर सिंह को अच्छी नहीं लग रही थी. कहां एक नंगाभूखा लड़का और कहां राजमहल के सुख. लेकिन मौली की जिद के आगे वह कर भी क्या सकते थे. कुछ करते, तो मौली जान दे देती. मजबूर हो कर उन्होंने उस की शर्तें स्वीकार कर लीं.

राखावास के ठीक सामने झील के उस पार वाली पहाड़ी पर राजा ने महल बनवाना शुरू किया. बुनियाद कुछ इस तरह रखी गई कि झील का पानी महल की दीवार छूता रहे. झील के 3 ओर बड़ीबड़ी पहाडि़यां थीं. चौथी ओर वाली छोटी पहाड़ी की ढलान पर राखावास था. महल से राखावास या राखावास से महल तक आध कोस लंबी झील को पार किए बिना किसी तरह जाना संभव नहीं था.

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उन दिनों आज की तरह न साधनसुविधाएं थीं, न मार्ग. ऐसी स्थिति में चंदनगढ़ से 7 कोस दूर पहाड़ों के बीच महल बनने में समय लगना स्वाभाविक ही था. मौली इस बात को समझती थी कि यह काम एक साल से पहले पूरा नहीं हो पाएगा. और इस एक साल में मानू उस के बिना सिर पटकपटक कर जान दे देगा. लेकिन वह कर भी क्या सकती थी, राजा ने उस की सारी शर्तें पहले ही मान ली थीं.

लेकिन जहां चाह होती है, वहां राह निकल ही आती है. मोहब्बत कहीं न कहीं अपना रंग दिखा कर ही रहती है. मौली के जाने के बाद मानू सचमुच पागल हो गया था. उस का वही पागलपन उसे चंदनगढ़ खींच ले गया. मौली के घुंघरू जेब में डाले वह भूखाप्यासा, फटेहाल महीनों तक चंदनगढ़ की गलियों में घूमता रहा. जब भी उसे मौली की याद आती, जेब से घुंघरू निकाल कर आंखों से लगाता और जारजार रोने लगता. लोग उसे पागल समझ कर उस का दर्द पूछते, तो उस के मुंह से बस एक ही शब्द निकलता मौली.

मानू चंदनगढ़ आ चुका है, मौली भी इस तथ्य से अनभिज्ञ थी और समर सिंह भी. उधर मानू ने राजमहल की दीवारों से लाख सिर टकराया, पर वह मौली की एक झलक तक नहीं देख सका. महीनों यूं ही गुजर गए.

राजा समर सिंह जिस लड़की को राजनर्तकी बनाने के लिए राखावास से चंदनगढ़ लाए हैं, उस का नाम मौली है, यह बात किसी को मालूम नहीं थी. राजा स्वयं उसे मालेश्वरी कह कर पुकारते थे. उस की सेवा में दासदासियां रहती थीं. एक दिन उन्हीं में से एक दासी ने बताया, ‘‘नगर में एक दीवाना मौलीमौली पुकारता घूमता है. पता नहीं कौन है मौली, उस की मां, बहन या प्रेमिका. बेचारा पागल हो गया है उस के गम में. न खाने की सुध, न कपड़ों की. एक दिन महल के द्वार तक चला आया था, पहरेदारों ने धक्के दे कर भगा दिया. कहता था, इन्हीं दीवारों में कैद है मेरी मौली.’’

मौली ने सुना तो कलेजा धक्क से रह गया. प्राण गले में अटक गए. लगा, जैसे बेहोश हो कर गिर पड़ेगी. वह संज्ञाशून्य सी पलंग पर बैठ कर शून्य में ताकने लगी. दासी ने उस की ऐसी स्थिति देख कर पूछा, ‘‘क्या बात है? आप मेरी बात सुन कर परेशान क्यों हो गईं? आप को क्या, होगा कोई दीवाना. मैंने तो जो सुना था, आप को यूं ही बता दिया.’’

मौली ने अपने आप को लाख संभालना चाहा, लेकिन आंसू पलकों तक आ ही गए. दासी पलभर में समझ गई, जरूर कोई बात है. उस ने मौली को कुरेदना शुरू किया, तो वह न चाहते हुए भी उससे दिल का हाल कह बैठी. दासी सहृदय थी. मौली और मानू की प्रेम कहानी सुनने और उन के जुदा होने की बात सुन उसका हृदय पसीज गया. मौली ने उस से निवेदन किया कि वह किसी तरह मानू तक उस का यह संदेश पहुंचा दे कि वह उस से मिले बिना न मरेगी, न नाचेगी. वह वक्त का इंतजार करे. एक न एक दिन दोनों का मिलन होगा जरूर. जब तक मिलन नहीं होता, तब तक वह अपने आप को संभाले. प्यार में पागल बनने से कुछ नहीं मिलेगा.

दासी ने जैसेतैसे मौली का संदेश मानू तक पहुंचाया भी, लेकिन उस पर उस की बातों का कोई असर नहीं हुआ.

उन्हीं दिनों एक अंग्रेज अधिकारी को चंदनगढ़ आना था. राजा समर सिंह ने अधिकारी को खुश करने के लिए उस की खातिरदारी का पूरा इंतजाम किया. महल को विशेष रूप से सजाया गया. नाचगाने का भी प्रबंध किया गया. राजा समर सिंह चाहते थे कि मौली अपनी नृत्य कला से अंग्रेज रेजीडेंट का दिल जीते. उन्होंने इस के लिए मौली से मानमनुहार की, तो उस ने शर्त बता दी, ‘‘मानू नगर में मौजूद है, उसे बुलाना पड़ेगा. वह आ कर मेरे पैरों में घुंघरू बांध देगा, तो मैं नाचूंगी.’’

समर सिंह जानते थे कि जो बात मौली की नृत्यकला में है, वह किसी दूसरी नर्तकी के नृत्य में हो ही नहीं सकती. अंग्रेज रेजीडेंट को खुश करने की बात थी. राजा ने मौली की शर्त स्वीकार कर ली. मानू को ढुंढ़वाया गया. साफसफाई और स्नान के बाद नए कपड़े पहना कर उस का हुलिया बदला गया.

अगले दिन जब रेजीडेंट आया, तो पूरी तैयारी के बाद मौली को सभा में लाया गया. सभा में मौजूद सब लोगों की निगाहें मौली पर जमी थीं और उस की निगाहें उस सब से अनभिज्ञ मानू को खोज रही थीं. मानू सभा में आया, तो उसे देख मौली की आंखें बरस पड़ीं. मन हुआ, आगे बढ़ कर उस से लिपट जाए, लेकिन चाह कर भी वह ऐसा न कर सकी. करती, तो दोनों के प्राण संकट में पड़ जाते. उस ने लोगों की नजर बचा कर आंसू पोंछ लिए.

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आंसू मानू की आंखों में भी थे, लेकिन उसने उन्हें बाहर नहीं आने दिया. खुद को संभाल कर वह ढोलक के साथ अपने लिए नियत स्थान पर जा बैठा. मौली धीरेधीरे कदम बढ़ा कर उस के पास पहुंची, तो मानू थोड़ी देर अपलक उस के पैरों को निहारता रहा. फिर उस ने जेब से घुंघरू निकाल कर माथे से लगाए और मौली के पैरों में बांध दिए. इस बीच मौली उसे ही निहारती रही. घुंघरू बांधते वक्त मानू के आंसू पैरों पर गिरे, तो मौली की तंद्रा टूटी. मानू के दर्द का एहसास कर उस के दिल से आह भी निकली, पर उस ने उसे जैसेतैसे जज्ब कर लिया.

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बहन का सुहाग: भाग 2- क्या रिया अपनी बहन का घर बर्बाद कर पाई

लेखकनीरज कुमार मिश्रा

दोनों में नजदीकियां बढ़ गई थीं. राजवीर सिंह का रुतबा विश्वविद्यालय में काफी बढ़ चुका था और निहारिका को भी यह अच्छा लगने लगा था कि एक लड़का जो संपन्न भी है, सुंदर भी और विश्वविद्यालय में उस की अच्छीखासी धाक भी है, वह स्वयं उस के आगेपीछे रहता है.

थोड़ा समय और बीता तो राजवीर ने निहारिका से अपने मन की बात कह डाली, ‘‘देखो निहारिका, अब तक तुम मेरे बारे में सबकुछ जान चुकी हो… मेरे घर वालों से भी तुम मिल चुकी हो… मेरा घर, मेरा बैंक बैलेंस, यहां तक कि मेरी पसंदनापसंद को भी तुम बखूबी जानती हो…

“और आज मैं तुम से कहना चाहता हूं कि मैं तुम से शादी करना चाहता हूं और मैं यह भी जानता हूं कि तुम इनकार नहीं कर पाओगी.”

बदले में निहारिका सिर्फ मुसकरा कर रह गई थी.

‘‘और हां, तुम अपने मम्मीपापा की चिंता मत करो. मैं उन से भी बात कर लूंगा,‘‘ इतना कह कर राजवीर सिंह ने निहारिका के होंठों को चूमने की कोशिश की, पर निहारिका ने हर बार की तरह इस बार भी यह कह कर टाल दिया कि ये सब शादी से पहले करना अच्छा नहीं लगता.

राजवीर सिंह ने खुद ही निहारिका के घर वालों से बात की. वह एक पैसे वाले घर से ताल्लुक रखता था, जबकि निहारिका एक सामान्य घर से.
निहारिका के मम्मीपापा को भला इतने अच्छे रिश्ते से क्या आपत्ति होती और इस से पहले भी वे निहारिका के मुंह से कई बार राजवीर के लिए तारीफ सुन चुके थे. ऐसे में उन्हें रिश्ते को न कहने की कोई वजह नहीं मिली.

ग्रेजुएशन करते ही निहारिका की शादी राजवीर सिंह से तय हो गई.

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और शादी ऐसी आलीशान ढंग से हुई, जिस की चर्चा लोग महीनों तक करते रहे थे. इलाके के लोगों ने इतनी शानदार दावत कभी नहीं खाई थी. बरात में ऊंट, घोड़े और हाथी तक आए थे.

शादी के बाद निहारिका के सपनों को पंख लग गए थे. इतना अच्छा घर, सासससुर और इतना अच्छा पति मिलेगा, इस की कल्पना भी उस ने नहीं की थी.

‘‘राजवीर… जा, बहू को मंदिर ले जा और कहीं घुमा भी ले आना,‘‘ राजवीर को आवाज लगाते हुए उस की मां ने कहा.

राजवीर और निहारिका साथ घूमतेफिरते और अपने जीवन के मजे ले रहे थे. रात में वे दोनों एकदूसरे की बांहों में सोए रहते.

सैक्स के मामले में राजवीर किसी भूखे भेड़िए की तरह हो जाता था. वह निहारिका को ब्लू फिल्में दिखाता और वैसा ही करने के लिए उस पर दबाव डालता.

निहारिका को ये सब पसंद नहीं था. राजवीर के बहुत कहने पर भी वह ब्लू फिल्मों के सीन को उस के साथ नहीं कर पाती थी. कई बार तो निहारिका को ऐसा करते समय उबकाई सी आने लगती.

ये राजवीर का एक नया और अलग रूप था, जिस से निहारिका पहली बार परिचित हो रही थी.

अपनी इस समस्या के लिए निहारिका ने इंटरनैट का सहारा लिया और पाया कि कुछ पुरुषों में पोर्न देखने और वैसा ही करने की कुछ अधिक प्रवत्ति होती है और यह बिलकुल ही सहज है.

निहारिका ने सोचा कि अभी नईनई शादी हुई है, इसलिए  अधिक उत्साहित है. थोड़ा समय बीतेगा, तो वह मेरी भावनाओं को भी समझेगा, पर बेचारी निहारिका को क्या पता था कि ऐसा कभी नहीं होने वाला था.

शादी के 5 महीने बीत चुके थे. निहारिका की छोटी बहन रिया अपने पापा आनंद रंजन के साथ निहारिका से मिलने आई थी. पापा आनंद रंजन तो अपनी बेटी निहारिका से मिल कर चले गए, पर रिया निहारिका के पास ही रुक गई थी.

राजवीर सिंह ने निहारिका के पापा आनंद रंजन को बताया कि वे सब आगरा जाने का प्लान बना रहे हैं और इस में रिया भी साथ रहेगी, तो निहारिका को भी अच्छा लगेगा.

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निहारिका के पापा आनंद रंजन को कोई आपत्ति नहीं हुई.

रिया के आने के बाद तो राजवीर के चेहरे पर चमक और भी बढ़ गई थी, बढ़ती भी क्यों नहीं, दोनों का रिश्ता ही कुछ ऐसा था. अब तो दोनों में खूब चुहलबाजियां होतीं. अपने जीजा को छेड़ने का कोई भी मौका रिया अपने हाथ से जाने नहीं देती थी.

वैसे भी रिया को हमेशा से ही लड़कों के साथ उठनाबैठना, खानापीना अच्छा लगता था और अब जीजा के रूप में उसे ये सब करने के लिए एक अच्छा साथी मिल गया था.

एक रात की बात है, जब खाने के बाद रिया अपने कमरे में सोने के लिए चली गई तो उसे याद आया कि उस के मोबाइल का पावर बैंक तो जीजाजी के कमरे में ही रह गया है. अभी ज्यादा देर नहीं हुई थी, इसलिए वह अपना पावर बैंक लेने जीजाजी के कमरे के पास गई और दरवाजे के पास आ कर अचानक ही ठिठक गई. दरवाजा पूरी तरह से बंद नहीं था और अंदर का नजारा देख रिया रोमांचित हुए बिना न रह सकी. कमरे में जीजाजी निहारिका के अधरों का पान कर रहे थे और निहारिका भी हलकेफुलके प्रतिरोध के बाद उन का साथ दे रही थी और उन के हाथ जीजाजी के सिर के बालों में घूम रहे थे.

किसी जोड़े को इस तरह प्रेमावस्था में लिप्त देखना रिया के लिए पहला अवसर था. युवावस्था में कदम रख चुकी रिया भी उत्तेजित हो उठी थी और ऐसा नजारा उसे अच्छा भी लग रहा था और मन में देख लिए जाने का डर भी था, इसलिए वह तुरंत ही अपने कमरे में लौट आई.

कमरे में आ कर रिया ने सोने की बहुत कोशिश की, पर नींद उस की आंखों से कोसों दूर थी. वह बारबार करवट बदलती थी, पर उस की आंखों में दीदी और जीजाजी का आलिंगनबद्ध नजारा याद आ रहा था. मन ही मन वह अपनी शादी के लिए राजवीर सिंह जैसे गठीले बदन वाले बांके के ख्वाब देखने लगी.

किसी तरह सुबह हुई, तो सब से पहले जीजाजी उस के कमरे में आए और चहकते हुए बोले, ‘‘हैप्पी बर्थ डे रिया.‘‘

‘‘ओह… अरे जीजाजी, आप को मेरा बर्थडे कैसे पता… जरूर निहारिका  दीदी ने बताया होगा.’’

‘‘अरे नहीं भाई… तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की का बर्थडे हम कैसे भूल सकते हैं?‘‘ राजवीर की आंखों में शरारत तैर रही थी.

‘‘ओह… तो आप ने मुझ से पहले ही बाजी मार ली, रिया को हैप्पी बर्थडे विश कर के…‘‘ निहारिका ने कहा.

‘‘हां… हां… भाई, क्यों नहीं… तुम से ज्यादा हक है मेरा… आखिर जीजा हूं मैं इस का,‘‘ हंसते हुए राजवीर बोला.

कमरे में एकसाथ तीनों के हंसने की आवाजें गूंजने लगीं.

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शाम को एक बड़े होटल में केक काट कर रिया का जन्मदिन मनाया गया. बहुत बड़ी पार्टी दी थी राजवीर ने और राजनीतिक पार्टी के कई बड़े नेताओं को भी इसी बहाने पार्टी में बुलाया था.

रिया आज बहुत खूबसूरत लग रही थी. कई बार रिया को राजवीर सिंह के साथ खड़ा देख लोगों ने उसे ही मिसेज राजवीर समझ लिया और जबजब कोई रिया को मिसेज राजवीर कह कर संबोधित करता तो एक शर्म की लाली उस के चेहरे पर दौड़ जाती.

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तनाव, चिंता, अनिद्रा और दर्द से निजात दिलाए कैनबिस मेडिसिन

आज के समय में कोविड की वजह से महिलाओं पर दोहरी जिम्मेदारी आ गई है. अब उन्हें घर के काम के साथ-साथ घर पर ही स्थित ऑफिस, बच्चों व परिवार, सबको संभालना पड़ता है. सभी जानते हैं कि महिला परिवार की मुख्य पिलर होती है, लेकिन वे घर परिवार की जिम्मेदारी में इस कदर उलझ कर रह जाती हैं, तब वे खुद की केयर करना भूल ही जाती हैं.

चाहे उन पर कोई ध्यान दे या न दे, उन्हें सबकी चिंता रहती है. और इसी भागदौड़ में वे अंदर से खुद को थकाथका , बीमार व तनावग्रस्त महसूस करने लगती है. छोट-छोटी बातों पर भी वे परेशान हो जाती हैं, जो सीधे तौर पर उनके तनाव को दर्शाने का काम करता है. ऐसे में हम सबकी यह जिम्मेदार है कि हम अपनी केयरगिवर की हेल्थ का पूरा ध्यान रखें और उनकी परेशान समझने की कोशिश करें. तभी परिवार खुशहाल रह पाएगा.

कोविड ने किया प्रभावित

कोविड महामारी ने वैसे तो हर किसी की शारीरिक व मानसिक हेल्थ को बिगाड़ने का काम किया है, लेकिन इससे महिलाएं सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं. क्योंकि काम व परिवार के हर सदस्य की केयर करने के कारण सबसे ज्यादा उनकी ही मानसिक, शारीरिक व इमोशनल हैल्थ पर असर पड़ा है. इसके वजह से उन पर तनावल, चिंता, अनिद्रा और दर्द का खतरा सबसे अधिक है. लेकिन केयर गिवर्स यानी महिलाओं के लिए ऐसे समय में दूसरों और खुद की केयर करने के प्रति बैलेंस बनाकर चलने की जरुरत है, ताकि वे तनाव, चिंता, अनिद्रा और दर्द से खुद को दूर रखकर खुद का व अपनों का अच्छे से ध्यान रख पाएं. ऐशे में सविकल्प साइंसेज की दवाएं उनकी परेशानी दूर करने में उनका साथ दे सकती हैं.

कहते हैं कि ढूंढने पर समस्याओं का समाधान मिल ही जाता है. ऐसे में सविकल्प साइंसेड एक ऐसा विश्वसनीय ब्रांड है, जो आपकी हर परेशानी को समझता है और आपको घर बैठै इलाज मुहैया करवाता है, वह भी जाने माने डॉक्टरों के द्वारा. तो जानते हैं सविकल्प साइंसेज के प्रौडक्ट्स के बारे में

क्या है सविकल्प साइंसेज

सविकल्प साइंसेज का मुख्यालय नई दिल्ली, भारत में स्थित है. इसके संस्थापक सदस्य कनाडा, स्विट्जरलैंड, अमेरिका तक में हैं. बता दें कि सविकल्प साइंसेड एक रिसर्च एंड डेवलवमेंट आधारित कैनाबिस मेडिसिन और जीवन विज्ञान कंपनी है.

यह भारच और अन्य देशों में कैनबिस मेडिसिन आधारित स्वास्थय कल्याण के मार्ग का नेतृत्व करने की तलाश में है. सविकल्प साइंसेज कैनबिस मेडिसिन के माध्यम से स्वास्थ्य और उपचाप को बढ़ावा देने का काम करता है.

सविकल्प साइंसेज की दवाएं तनाव, चिंता, अनिद्रा और दर्द को दूर करने की दिशा में प्रयासरत है. अधिक जानकारी के लिए विजिट करें: www.savikalpa.com

मेडिकली व साइंटिफिकली एप्रूवड

हम सभी चाहते हैं कि हम सामान्य जीवन जिएं, लेकिन आज स्ट्रेस हम सब पर हावी है, जो ढेरों समस्याओं का कारण बन रहा है. ऐसे में सविकल्प साइंसेज आपके मन को शांत रखने के साथ-साथ आपको एक आसान सोलूशन के द्वारा तनाव, चिंता, अनिद्रा और दर्द से निजात पाने में मदद करता है. बता दें कि कैनबिस मेडिसिन बिल्कुल नई अवधारणा है, जिससे शायद आप भी अभी परिचित न भी हों. लेकिन अगर आप इसके एक बार मेडिकल लाभ जान गए तो आप अपनों व खुद की परेशानियों को दूर करने के लिए इसे अपनाएं बिना नही रह पाएंगे.

सविकल्प साइंसेज एक आधुनिक हैल्थ व वेलनेस कंपनी है, जो कई बीमारियों से राहत पहुंचाने के लिए आयुर्वेद में निहित मेडिकल कैनबिस सोलूशन पर आधारित है. कैनबिस पौधे का इस्तेमाल औषधि के रुप में किया जाता है. सविकल्प साइंसेज का मानना है कि पौधों से प्राप्त दवाएं पूरी तरह से सेफ होने के साथ आपको परेशानी से बाहर निकालने में मदद कर सकती हैं. सविकल्प साइंसेज इस दिशा में डाबर रिसर्च फाउंडेशन जैसी भारत की प्रमुख दवा अनुसंधान संस्था के साथ काम कर रहा है.

कैनबिस ट्रीटमेंट में इस्तेमाल होने वाली दवाओं में कैनाबिनोइड्स नामक एक्टिव फार्मास्यूटिकल तत्व होते हैं, जिनमें अनेक कुदरती औषधिक तत्व पाए जाते हैं. ये ट्रीटमेंट नेचुरल है.

टेलीमेडिसिन से पाएं घर पर केयर

आज की बिजी लाइफस्टाइल में सभी के पास समय का अभाव है. ऐसे में सविकल्प साइंसेज आपको घर बैठे ट्रीटमेंट की सुविधा प्रदान करता है. वो भी ऑनलाइन क्लिनिक के माध्यम से 3 इजी स्टेप्स में

स्टेप 1: बस 2 मिनट के अंदर आप अपने मोबाइल से ऑनलाइन अपॉइंटमेंट बुक करें.

स्टेप 2: चयनित टाइम पर एक्सपर्ट डॉक्टर से वीडियो कॉल के जरिए आप अपनी प्रौब्लम शेयर करें.

स्टेप 3: डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवा को आप www.savikalpa.com से खरीद सकते हैं.

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Udaariyaan: खतरे में पड़ेगी फतेह की जान, जैस्मिन और तेजो आएंगी साथ

कलर्स का सीरियल उडारियां इन दिनों दर्शकों का दिल जीत रहा है. तेजो  (Priyanka Chahar Choudhary) और फतेह (Ankit Gupta) की कहानी दर्शकों को काफी पसंद आ रहा है. हाल ही में फतेह का जैस्मिन  (Isha Malviya) को दिया धोखा उसके लिए मुसीबत ले आया है. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में फतेह की जान खतरे में पड़ने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे (Udaariyaan Latest Episode)…

जैस्मिन हुई होटल से बाहर

 

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अब तक आपने देखा कि तेजो अपनी जिंदगी में आगे बढ़कर अंगद मान और उसकी बेटी के साथ वक्त बीताती नजर आ रही है. वहीं फतेह अपनी जिंदगी में आगे बढ़ता हुआ नजर आ रहा है, जि सके चलते वह कुछ गुंडों से मारपीट करता नजर आ रहा है. इसके बाद वह तेजो से प्यार का इजहार न कर पाने के लिए इमोशनल नजर आता है. दूसरी तरफ जैस्मिन को भी पैसे न चुकाने के कारण मालिक होटल से धक्के मारकर निकाल देता है.

 

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फतेह को लगेगी गोली

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि फतेह गुंड़ों से भिड़ जाएगा, जिसके चलते एक गुंडा फतेह पर गोली चला देगा. इसी के चलते फतेह को गोली लग जाएगी और वह घायल हो जाएगा. वहीं जैस्मिन और तेजो, फतेह की तलाश करती नजर आएंगी. इसी दौरान अंगद मान भी तेजो के लिए फतेह को ढूंढेगा, जिसके बाद तेजो और फतेह की लव स्टोरी फैंस को देखने को मिलने वाली है.

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अनुज के प्यार को अपनाने के लिए कहेगा वनराज, Anupama से कहेगा ये बात

सीरियल अनुपमा (Anupama) इन दिनों टीआरपी चार्ट्स में पहले नंबर पर बना हुआ है. वहीं मेकर्स भी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि सीरियल पहले नंबर पर ही बना रहे, जिसके चलते उन्होंने शो का नया प्रोमो रिलीज (Anupama New Promo)कर दिया है. वहीं इस प्रोमो से फैंस को काफी खुशी होने वाली है. आइए आपको बताते हैं प्रोमो में क्या है खास…

 अनुपमा से वनराज कहेगा ये बात

 

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शो के मेकर्स ने नया प्रोमो रिलीज कर दिया है, जिसमें वनराज, अनुपमा को अनुज के प्यार को अपनाने के लिए कहता नजर आ रहा है. दरअसल, प्रोमो में डौक्टर अनुज के ठीक होने की बात कहते हैं, जिसके बाद अनुपमा खुश होती नजर आ रही है और कह रही है कि वह 26 साल तक उससे बिना किसी उम्मीद के प्यार करता रहा और वह आज तक उसके प्यार को नहीं अपना पाई. वहीं वनराज, अनुपमा की खुशी देखकर कहता है कि अब उसे अपनी जिंदगी में आगे बढ़कर अनुज की तरफ प्यार का हाथ बढाना चाहिए, जिसे सुनकर अनुपमा हैरान रह जाती है.

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अनुपमा देगी अनुज का साथ

 

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दूसरी तरफ अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज की हालत ठीक हो जाएगी, लेकिन अनुपमा उसका बिजनेस संभालेगी. लेकिन इस बीच अनुज की लाइफ में ऩए शख्स की एंट्री भी होगी, जिसके चलते सीरियल की कहानी में दिलचस्प मोड़ आता नजर आएगा. वहीं बापूजी के बाद वनराज, बा को अनुपमा और अनुज के रिश्ते के लिए मनाता नजर आएगा.

 

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अनुज के एक्सीडेंट से टूटी अनुपमा

अब तक आपने देखा कि अनुज (Gaurav Khanna) जहां अपने प्यार का इजहार करता है तो वहीं अनुपमा और उसपर गुंडे हमला कर देते हैं, जिसके बाद अनुज गुंडों से लड़ता नजर आता है. हालांकि गुंडे उसके सिर पर वार कर देते हैं, जिसके कारण वह बेहोश हो जाता है. लेकिन अनुपमा उसे गाड़ी में तुरंत अस्पताल ले जाती है, जिसके बाद डौक्टर अनुज के सीरियस होने की बात कहते हैं और अनुपमा (Rupali Ganguly) टूट जाती है. वहीं वह समर और जीके को फोन मिलाती है. लेकिन फोन नहीं लग पाता और वह वनराज (Sudhanshu Panday) को फोन लगाती है और पूरी बात बताती है, जिसके बाद वनराज अस्पताल आता है.

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मां बनने के बाद बदला Nusrat Jahan का अंदाज, फैंस कर रहे हैं तारीफें

अक्सर सुर्खियों में रहने वाली लोकसभा सांसद और एक्ट्रेस नुसरत जहां (Nusrat Jahan) का फैशन फैंस के बीच चर्चा में रहता है. इंडियन हो या वेस्टर्न हर लुक में नुसरत जहां का अंदाज काफी खूबसूरत लगता है. लेकिन अब मां बनने के बाद नुसरत जहां का नया अंदाज सामने आया है, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं. आइए आपको दिखाते हैं नुसरत जहां (Nusrat Jahan Looks) के लुक्स की झलक…

साड़ी लुक की शेयर की फोटो

 

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हाल ही में बेटे को जन्म देने वाली पर्सनल लाइफ को लेकर नुसरत जहां सुर्खियों में हैं. इसी बीच नुसरत जहां ने अपनी साड़ी अंदाज फैंस के साथ शेयर किया है. दरअसल, नुसरत जहां ने अपने औफिशियल सोशल मीडिया अकाउंट पर कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिसमें वह साड़ी पहने नजर आ रही हैं. वहीं फैंस उनके इस लुक की तारीफें कर रहे हैं.

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लुक था खास

 

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दरअसल, नुसरत जहां ने हरे रंग की साड़ी कैरी की थी, जिस पर सीक्वेंस का काम किया गया था, जो बेहद खूबसूरत लग रहा था. वहीं इस लुक के साथ हैवी एंब्रॉइडरी ब्लाउज और हरी चूड़ियां, हैवी ईयररिंग्स कैरी की थी. इसके साथ खूबसूरत मेकअप नुसरत जहां के लुक्स पर चार चांद लगा रहा था. वहीं फैंस उनके फिटनेस और फैशन की तारीफ कमेंट्स में करते नजर आ रहे हैं.

इंडियन लुक से जीतती हैं फैंस का दिल

 

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नुसरत जहां की फिटनेस और फैशन दोनों ही फैंस को पसंद करते हैं. साड़ी से लेकर वेस्टर्न अंदाज देखने लायक होता है, जिसे सोशलमीडिया पर वह शेयर करती रहती हैं. इस लुक को देखकर फैंस जहां तारीफें करते हैं तो वहीं उनके फैशन टिप्स को कैरी भी करती हैं.

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लोकतंत्र और धर्म

धर्म और संस्कृति के नाम पर जो शोषण सदियों से औरतों का हुआ है वह जनतंत्र या लोकतंत्र के आने के बाद ही रुका था पर अब फिर षड्यंत्रकारी धर्म के दुकानदार अपनी विशिष्ट अलग प्राचीन संस्कृति के नाम पर पुरातनी सोच फिर शोप रहे हैं जिस में औरतें पहली शिकार होती है. अफगानिस्तान में तालिबानी शासन में तो यह साफ ही है. पर भारत में भी अनवरत यत्र, हवन, प्रवचनों, तीर्थ यात्राओं, पूजाओं, श्री, आरतियों, धाॢमक त्यौहारों के जरिए लोकतंत्र की दी गई स्वतंत्रता को जमकर छीना जा रहा है. अमेरिका भी आज बख्शा नहीं जा रहा जहां चर्चा की जमकर वकालत की वजह गर्भधत पर नियंत्रण लगाया जा रहा है जो असल में औरत के सेक्स सुख का नियंत्रण है और जो औरत को केवल बच्चे पैदा करने की मशीन बनाता है, एक कर्मठ नागरिक नहीं.

कल्चरल रिवाइवलिज्म के नाम पर भारत में देशी पोशाक, देशी त्यौहार, जाति में विवाह, कुंडली, मंगल देव, वास्तु, आरक्षण के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है जो धर्म के चुंगल से निकालने वाले लोकतंत्र को हर कमजोर कर रही है और मंदिरमसजिद गुरुद्वारे धर्म को मजबूर कर रही हैं. इन सब धर्म की दुकानों में औरतों को पल्ले की कमाई तो चढ़ानी ही होती है उन्हें हर बार अपनी लोकतांत्रिक संपत्ति का हिस्सा भी धर्म के दुकानदार को देकर अपना पड़ता है. यह चाहे दिखवा नहीं है क्योंकि ये सारे धर्म की दुकानें पुरुषों द्वारा अपने बनाए नियमों और तौरतरीकों से चलती है और इस में मुख्य जना जो पूजा जाता है. वह या तो पुरुष होता है या हिंदू धर्म किसी पुरुष की संतान या पत्नी होने के कारण पूजा जाता है. भाभी औरत का वजूद नहीं रहता और यह मतपेटियों तक पहुंचता है.

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लोकतंत्र सिर्फ वोट देने का अधिकार नहीं है. लोकतंत्र का अर्थ है सरकार और समाज को चलाने का पुरुष के बराबर का सा अधिकार. इस देश में इंदिरा गांधी, जयललिता और ममता बैनर्जी जैसी नेताओं के बावजूद देश का लोकतंत्र पुरुषों को गुलाम रहा है और धर्म के आवरण में फिर उसी रास्ते पर हर रोज बढ़ रहा है.

नरेंद्र मोदी की सरकार में औरतों की उपस्थिति न के बराबर है. 2014 में सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री पर ये चाह रखी थी तो उन्हें न चुने जाने के बाद उन को विदेश मंत्री की जगह वीजा मंत्री बना कर दर्शा दिया गया कि औरतों की कोई जगह नहीं है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन अपने हर वाक्य में जय श्री राम नहीं जय नरेंद्र मोदी बोलती हैं ताकि उन की गद्दी बची रहे. यह एक पढ़ीलिखी, सुघड़, सुंदर, स्मार्ट और हो सकता है कमाऊ पत्नी की तरह जो हर बात में उन से पूछ कर बताऊंगी का उत्तर देती हैं. लोकतंत्र का आखिरी अर्थ है कि हर औरत चाहे दफ्तर में हो, राजनीति में हो, स्कूल में हो या घर में आप फैसले खुद ले सकें.

लोकतंत्र का लाभ औरतों को मिले इस की लंबी लड़ाई स्त्री और पुरुष विचारकों ने 18वीं व 19वीं शताब्दी में लड़ी पर 20वीं के अंत में व 21वीं के प्रारंभ की शताब्दी में यह लड़ाई कमजोर हो गई है. आज अमेरिका की औरतें गर्भपात केंद्रों पर धरने दे रही हैं और भारत की कर्मठ आजाद गुजराती औरतें अपना सकें. पुरुष गुरुओं के नव रही हैं.

लोकतंत्र का अर्थ आॢथक आजादी भी है जो शून्य होती जा रही है. हर उस औरत की महिमा गाई जाती है जिस ने ऊंचा स्थान पाया हो पर यह भी बता दिया जाता है कि यह उस के पिता या पत्नी के कारण मिला है. जिन महिला अधिकारियों के खिलाफ  आजकल कुछ आॢथक अपराध के मामले चल रहे हैं उन की परतें खोलने पर साफ दिख रहा है कि असल बागडोर तो पतियों के हाथों में ही थी.

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लोकतंत्र की भावना को कुचलने में धर्म का ही बड़ा स्थान है क्योंकि पूंजीवाद तो औरतों को बड़ा ग्राहक मानता है. इज्जत देता है और इसलिए लोकतंत्र की रक्षा करता है. धर्म को वेवकूद औरतें चाहिए जिन्हें हांका जा सके और वे अपने एजेंट धरधर भेजते है. लोकतंत्र का कोई एजेंट नहीं है, लोकतंत्र को छलनी करने के सैनिकों की पूरी फौज है. कब तक बचेगा लोकतंत्र और कब तक आजाद रहेंगी औरतें, देखने की बात है. अभी तो क्षितिज पर अंधियारे बादल दिख रहे हैं.

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