कोरोना और सिमरन

लेखक-रंगनाथ द्विवेदी 

सिमरन अपनी शादी की कुछ सालों तक कितनी खुश थी. सिद्धार्थ को अपने पति के तौर पर पाकर मानो उसने दुनिया पाली हो, लेकिन हमेशा जिंदगी का रंग एक सा नहीं रहता, उसके रंग भी बदलते रहते हैं. क्योंकि सिमरन की जिंदगी इस कायनात की आखिरी तस्वीर नहीं, इसकी और भी तस्वीरें हैं, इसके और भी रंग हैं, जो बदलते रहते हैं. कुछ ऐसा ही बदलाव उसकी जिंदगी में  कोरोना जैसी महामारी से आएगा, उसको इसकी कतई उम्मीद न थी. लेकिन किसी को दुनिया पूरी और मुकम्मल नहीं मिलती. ऐसा सिमरन के साथ भी हुआ. उसको भी उसकी दुनिया मुकम्मल नहीं मिली. कोरोना ने उसके तमाम वे  रंग छीन लिए, जो ना जाने कितनी सिमरन के रहे होंगे.

सिमरन की सारी खुशी, सारे सपने,  सारे अरमान कोरोना की भेंट चढ़ गए. उसके सारे अरमानों को कोरोना वायरस ने ना चाह कर भी हमेशा के लिए लॉकडाउन कर दिया. यह दुनिया कोरोना को परास्त कर लेगी,  लेकिन हां ना जाने मुझे जैसी कितनी सिमरन इस टीस पीड़ा और दर्द के वह जख्म हमेशा हरे रहेंगे जो कोरोना ने दिये है .अब तो  हमेशा के लिए उसके मन में अपने पति को खोने की ये  नागफनी दिल में चूभेगी और यह चुभन हमेशा सिमरन को कोरोना की याद दिलाते रहेगे और हमेशा सिमरन सिसकती रहेगी.

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सिमरन उस पल को याद कर भावुक हो उठती है , जब वे मुंबई घर से कमाने के लिए जा रहे थे तो कुछ समय निकालकर वे कमरे में जब आये तो उन्होंने अपनी सिमरन को बाहों में भरकर उसके माथे का चुंबन लिया और बड़े ही प्यार से मेरी जान कहा था तो उसे क्या पता था कि यह सिमरन की माथे भाग लिया उसके सुहाग का आखिरी चुंबन होगा. अगर वे जानती तो कभी भी उन्हें कमाने के लिए मुंबई ना जाने देती किसी न किसी तरीके से उन्हें रोक लेती लेकिन अचानक चीन से फैले कोरोना ने बहुतों को अपनी चपेट में ले लिया. उसी चपेट में सिमरन की खुशियों की दुनिया भी आ गई.

कोरोना ने बस सिमरन का सुहाग ही नही बल्कि दो मासूम बच्चो के सर से उनके पिता  का असमय साया भी छीन लिया. उनके बुढ़े माँ-बाप के सहारे की एकलौती लाठी को हमेशा के लिये तोड़ दिया. इसके साथ ही जवान बहन की शादी के लाल जोड़े भी रो उठे. कोरोना वायरस का जब तक पता चलता तब तक सिमरन की दुनिया हमेशा के लिए तबाह व बर्बाद हो गई. सिमरन को ये तकलीफ रही की वे उस समय उनके पास न थी.

अब सिमरन को अपने सुन्दर व खूबसूरत चेहरे को मेकप नही, बल्कि सिमरन को अपने पति के यादों के आंसू उसके पूरे चेहरे को सैनिटाइज कर रहे हैं. उसका अब अपने पति की यादों के कोरोना वायरस से बाहर निकल पाना या बच  पाना मुमकिन नहीं.

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आने वाला कल सिमरन के हौसले वह उसके जिम्मेदारियों का है. उसे केवल कोरोना वायरस के यादों के अलावा एक हकीकत जीना है, अपने बच्चों के लिए, बुढ़े सास-ससुर के लिए,

अपनी ननद के लिये, फिर एक लंबे अंतराल के बाद समस्त जिम्मेदारियों के इतर फिर वही याद, वही कोरोना वायरस और उसके पति का उसके माथे पर लिया हुआ आखरी चुंबन. उसके पास यही यादों की वे पूंजी होगी, जिसके सहारे वे–“अपने जिंदगी की आखिरी सांस लेगी”.

घर को रखें वैक्यूम क्लीन

धूल-मिट्टी कई तरह की बीमारियों का कारण बनती है. इस से बचने के लिए हर कोई हर तरह से अपने घर को साफ रखने की पूरी कोशिश करता है. लेकिन केवल झाड़ू पोंछे से हम पूरी तरह घर की साफ सफाई नहीं कर सकते, क्योंकि वह केवल ऊपरी रूप से होती है और उस में समय भी ज्यादा लगता है. वैक्यूम क्लीनर साफसफाई करने का एक ऐसा साधन है, जो परदों, कारपेट, सोफे आदि में छिपी धूल-मिट्टी को अपने पिकअप ब्रश से बाहर खींच लेता है.

आज के धूल-मिट्टी से भरे वातावरण और भागतीदौड़ती जिंदगी में वैक्यूम क्लीनर के बिना किसी भी घर की कल्पना कर पाना मुश्किल है. पुराने ढंग से साफसफाई कर के आप धूल-मिट्टी को तो साफ कर लेते हैं, लेकिन कोने में इकट्ठा होने वाली धूल को साफ नहीं कर पाते. धूल के यही छोटे-छोटे कण ऐलर्जी व बीमारियों का कारण बन जाते हैं. ऐसी स्थिति में केवल वैक्यूम क्लीनर वाले घर ही पूर्ण रूप से साफ कहे जा सकते हैं. वैक्यूम क्लीनर समय की बचत करने के साथ-साथ साफ-सफाई को आसान बना देता है.

वैक्यूम क्लीनर के प्रकार

बाजार में कई तरह के वैक्यूम क्लीनर उपलब्ध हैं, जो अलग-अलग शेप व साइज में हैं. वैक्यूम क्लीनर खरीदते समय हर किसी को अपनी जरूरत को ध्यान में अवश्य रखना चाहिए व प्रोडक्ट से जुड़ी सारी जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए. ये हैं अलग-अलग तरह के वैक्यूम क्लीनर :

अपराइट वैक्यूम क्लीनर : यह बहुत पावरफुल क्लीनर माना जाता है. यह कारपेट से भी धूल-मिट्टी को बाहर निकाल देता है.

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कैनीस्टर : यह अपराइट वैक्यूम क्लीनर से थोड़ा छोटा होता है और अलगअलग रेंज में मार्केट में उपलब्ध है. यह फर्श, सीढ़ी, टाइल्स, लकड़ी के फ्लोर, दीवारों, छतों आदि को साफ करता है.

हेपा वैक्यूम क्लीनर : यह क्लीनर उन घरों के लिए ज्यादा उपयोगी सिद्ध होता है, जिन घरों में पालतू जानवर होते हैं, क्योंकि जानवरों के बाल झड़ते रहते हैं, जो घर में कहीं भी इधर-उधर गिरते हैं. इस से अस्थमा जैसी बीमारी होने की संभावना होती है. यह वैक्यूम क्लीनर कारपेट, फ्लोर आदि की पूरी तरह साफ-सफाई करता है.

हैंडहेल्ड वैक्यूम क्लीनर : यह साइज में छोटा व वजन में हलका होता है. ज्यादातर हैंडहेल्ड वैक्यूम क्लीनर बिना तार के होते हैं, जो बैटरी से चलते हैं. इन का प्रयोग कार, किचन की अलमारियों, सोफे के कोने वगैरह को साफ करने के लिए किया जाता है.

इस के ब्रैंड

यूरिका फोर्ब्स : यह भारत में सब से अधिक बिकने वाला ब्रैंड है.

एलजी : यूरिका फोर्ब्स के बाद भारत में बिकने वाला दूसरा बड़ा ब्रैंड है, जिस के अभी बाजार में 2-3 मौडल उपलब्ध हैं.

मोदी होवर : यह ब्रैंड अब इंडियन मार्केट में भी उपलब्ध है. यह वैक्यूम क्लीनर ब्रैंड पूरी दुनिया में पौपुलर है. यूएस के इस ब्रैंड ने अब भारत के मोदी ग्रुप से हाथ मिला लिया है, जिस के माध्यम से अब यह भारत में भी पौपुलर हो रहा है.

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जब करें इस्तेमाल

– वैक्यूम क्लीनर का जब प्रयोग न हो रहा हो, तो उस समय उसे बिजली के बोर्ड से निकाल कर रखें.

– वैक्यूम क्लीनर घर के बाहर या गीले फर्श के लिए प्रयोग नहीं किया जाता, इसलिए इस का प्रयोग ऐसे किसी स्थान पर न ही करें, जिस से बिजली का झटका लगने का कोई डर न रहे.

– वैक्यूम क्लीनर बहुत नाजुक होता है. वह एक बार गिरने या पानी पड़ने से खराब हो सकता है, इसलिए इस का प्रयोग बहुत ध्यान से करना चाहिए.

– वैक्यूम क्लीनर को बच्चों से दूर रखें.

– वैक्यूम क्लीनर नुकीली चीजें साफ करने के लिए इस्तेमाल न करें.

पहल: शीला के सामने क्या था विकल्प

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जब बच्चों के पेट में हो कीड़े की शिकायत

बच्चों के पेट में कीड़े होना आम बात है. बचपन में वे इतने समझदार नहीं होते हैं कि खुद का भला-बुरा समझ पाएं. उन्हें जो दिखता है वही खा लेते हैं. कहीं भी खेलते हैं. इन सब गतिविधियों में वे अपनी सफाई का ठीक से खयाल नहीं रख पाते हैं. यही कारण है कि वे संक्रमित मिट्टी खा लेते हैं या संक्रमित पानी पीते हैं. संक्रमित पानी या मिट्टी खाने से बच्चों के पेट में कीड़े पैदा होते हैं. ये कीड़े या कृमि जमीन पर नंगे पैर चलने से भी शरीर में फैल सकते हैं. निम्न कारणों से बच्चों के पेट में कीड़े होते हैं.

संक्रमित मिट्टी खाने से

पेट में कीड़े होने की कई वजहें हो सकती हैं. पर बचपन में बच्चे मिट्टी अधिक खाते हैं और वह मिट्टी भी संक्रमित होती है. जब बच्चे संक्रमित मिट्टी में खेलते हैं या नंगे पैर या घुटनों के बल मिट्टी पर चलते हैं तो हुकवर्म नाम की क्रीमि बच्चे की त्वचा के संपर्क में आती और फिर बच्चों के शरीर में प्रवेश कर जाती हैं. इससे पेट में संक्रमण फैलता है. इसके अलावा बच्चों के नाखूनों में जब संक्रमित मिट्टी जमी होती है, तब भी उनके पेट में कीड़े हो जाते हैं.

अधपका भोजन

बच्चों के पेट में कीड़े होने का एक प्रमुख कारण अधपका भोजन खाना भी हो सकता है. इसके अलावा, अगर सब्जियों को पकाने से पहले ठीक से धोया न गया हो तब भी संक्रमण फैलाने वाले कीड़ों के अंडे सब्जियों पर चिपके रह जाते हैं. सब्जियों के अलावा जो लोग मांस खाते हैं, उन जीवों में हुकवर्म, व्हिपवर्म और राउंडवर्म के अंडे हो सकते हैं. ये अंडे बच्चों के पेट में संक्रमण पैदा करते हैं.

दूषित पानी

दूषित पानी में संक्रमण फैलाने वाले कीड़े हो सकते हैं. बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक मजबूत नहीं होती है, जिस वजह से दूषित पानी का असर उन पर अधिक पड़ता है.

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सफाई न रखना

अपने आसपास के स्थानों को साफ न रखने पर कीड़ों का संक्रमण अधिक बढ़ जाता है. जब संक्रमित स्थानों के संपर्क में बच्चे आते हैं तो उनके पेट में भी यह संक्रमण फैलता है, जिससे बच्चों को परेशानी होती है.

कमजोर प्रतिरोधक क्षमता

बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों के मुकाबले कमजोर होती है. इसलिए उनमें संक्रमण जल्दी फैलता है. इस वजह से बच्चों की ज्यादा देखभाल जरूरी है.

लक्षण

  • बच्चे का स्वभाव चिड़चिड़ा होना
  • पेट में दर्द होना
  • बच्चे का वजन घटना
  • बच्चे के मल द्वार पर खुजली होना
  • उल्टी आना या उल्टी आने जैसा महसूस होना
  • बच्चे में खून की कमी होना
  • दस्त होना या भूख न लगना
  • दांत पीसना भी पेट में कीड़े होने का एक लक्षण है
  • मूत्रमार्ग में संक्रमण होना, जिससे बार-बार पेशाब आना
  • बच्चे के मल से खून आना

उपचार

डी-वर्मिंग

पेट में कीड़ों की संख्या अधिक हो जाने से आंतों में अवरोध पैदा हो सकता है. ऐसे में डाक्टरी सलाह लेना जरूरी है. डाक्टर जांच के बाद कीड़ों के डी-वर्मिंग की प्रक्रिया शुरू करते हैं. जिसके बाद वे जरूरी दवाएं देते हैं. डाक्टरी सलाह के अलावा कुछ घरेलू नुस्खे भी हैं, जिन्हें आप चिकित्सक की सलाह से बच्चों को दे सकते हैं.

तुलसी

पेट के कीड़ों को मारने का तुलसी एक आयुर्वेदिक उपचार है. अगर आपके बच्चे को भी पेट में कीड़े हो गए हैं, तो आप तुलसी के पत्तों का रस दिन में दो बार बच्चे को दें. इससे रोग में आराम मिलेगा.

प्याज

आधा चम्मच प्याज का रस दिन में दो से तीन बार पिलाने से समस्या में आराम मिलता है.

शहद

शहद में दही मिला कर चार से पांच दिन तक इसका सेवन बच्चे को कराएं. इससे पेट के कीड़े खत्म होंगे.

गाजर

कीड़े चाहें बड़ों के पेट में हों या बच्चों के पेट में, गाजर दोनों के लिए लाभदायक है. सुबह खाली पेट गाजर खाने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं.

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सुझाव

  • घर को साफ रखें. अच्छे कीटनाशक का प्रयोग करें.
  • बच्चे का डायपर समय-समय पर बदलें.
  • बच्चों को चप्पल पहना कर रखें.
  • बच्चों को कीचड़ में न खेलने दें.
  • साफ और सूखी जगह पर ही खेलने दें.

Bigg Boss 15: अभिजीत और राखी सावंत की हुई लड़ाई, हसबैंड रितेश को बताया ‘भाडे़ का पति’

कलर्स के रियलिटी शो बिग बॉस 15 में इन दिनों VIP और NON VIP के बीच जंग देखने को मिल रही है. वहीं इस बीच फिनाले की रेस भी शुरु हो गई है, जिसके चलते शो में जमकर घमासान देखने को मिल रहा है. इसी बीच शो का नया प्रोमो सामने आया है, जिसमें राखी सावंत (Rakhi Sawant) और अभिजीत बिचकुले के बीच लड़ाई देखने को मिल रही है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

रितेश को कही ये बात

 

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शो में वाइल्ड कार्ड के रुप में एंट्री करने वाले राखी सावंत और उनके पति रीतेश सिंह खबरों में छाए हुए हैं. जहां सोशलमीडिया पर लोग उन्हें कैमरामैन का दर्जा दे रहे हैं. लेकिन शो के मेकर्स (Colors Tv Instagram) द्वारा रिलीज किए गए प्रोमो में अभिजीत बिचकुले, राखी सावंत के पति रितेश को ‘भाडे़ का पति’ कह रहे हैं, जिसके कारण राखी गुस्से में नजर आ रही हैं और घर में तोड़फोड़ करती दिख रही हैं.

 

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तलाक की बात हुई वायरल

इसके अलावा सोशलमीडिया पर इन दिनों कुछ मीम्स वायरल हो रहे हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि शो में ही राखी सावंत कुछ दिनों में अपने पति रितेश को तलाक देती नजर आने वाली हैं. वहीं हाल ही में राखी सावंत की हुई लड़ाई के बाद फैंस ये कयास सच मानते नजर आ रहे हैं.

बता दें, शो में इन दिनों टिकट टू फिनाले की रेस जारी होने वाली है. जहां हाल ही के एपिसोड में नौमिनेशन भी दिखाए जा रहे हैं, जिसके चलते शो में लड़ाईयां भी देखने को मिल रही है. वहीं तेजस्वी और करण कुंद्रा की रोमांटिक लव स्टोरी भी फैंस का दिल जीत रही हैं.

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आधुनिक बीवी: भाग 2- क्या धर्मपाल की तलाश खत्म हो पाई

लेखक- प्रमोद कुमार शर्मा

रेणु जब नहा कर वापस आई तब तक मैं ने फायर प्लेस में आग जला ली थी. हम ने एक हिंदी फिल्म का कैसेट लगाया और देखने लगे. इतने में फोन की घंटी बजी. रेणु ने रिसीवर उठाया और ऊपर जा कर बातें करने लगी. वह करीब आधे घंटे बाद नीचे आई तो मैं ने पूछा, ‘‘किस का फोन था?’’

वह बोली, ‘‘कल की पार्टी में एक दक्षिण भारतीय महिला मिली थी, उसी का फोन था. सुषमा के बारे में ही बातें होती रहीं कि कैसे वह बड़ी बेशर्मी से पाल के गले में बांहें डाल कर शराब पी रही थी.’’

मैं ने बात को आगे न बढ़ाया, उठ कर वीडियो बंद कर दिया और चाय बनाने लगा.

चाय पीने के बाद मैं ऊपर जा कर लेट गया. मुझे छुट्टी के दिन दोपहर बाद थोड़ी देर सोना बड़ा अच्छा लगता है.

जब मेरी आंख खुली तो देखा कि रेणु भी मेरे पास ही सो रही है. मैं उसे सोता छोड़ कर नीचे चला आया और टैलीविजन देखने लगा.

लगभग 1 घंटे बाद रेणु भी नीचे आई और रसोई में जा कर रात के खाने का प्रबंध करने लगी. मैं ने रेणु से कहा कि यदि बर्फ पड़नी बंद न हुई तो लगता है, कल औफिस जाना मुश्किल हो जाएगा.

करीब 8 बजे हम ने खाना खाना और फिर से हिंदी फिल्म देखने लगे. 10 बजे के आसपास हम सोने चले गए.

सुबह उठ कर मैंने देखा कि बर्फ तो पड़नी बंद हो गई है, पर सड़कें अभी बर्फ से ढकी हुई हैं. मेरा औफिस घर से केवल 5-6 मील की दूरी पर है, सो औफिस जाने का निश्चय किया.

औफिस में ज्यादा लोग नहीं आए थे. शाम 5 बजे मैं वापस घर आ गया. रेणु ने चाय बनाई तथा डाक ला कर दी. पूरा सप्ताह ही बीत गया. शुक्रवार की शाम को रीता का फोन आया. उस ने अपने यहां अगले दिन रात के डिनर पर आने का निमंत्रण दिया. हमारा चूंकि अगले दिन कहीं जाने का प्रोग्राम नहीं था, सो ‘हां’ कर दी.

रीता के घर जब पहुंचे तो यह जान कर बड़ा अचंभा हुआ कि पाल वहां निमंत्रित नहीं है. रीता ने अन्य भारतीय परिवारों को भी बुलाया हुआ था. पार्टी में भी सुषमा के बारे में चर्चा होती रही. महिलाओं को इस बात का बड़ा दुख था कि उन्होंने कभी सुषमा जैसा फैशन क्यों नहीं किया या खुल कर लोगों के सामने शराब क्यों नहीं पी. रात को जब हम घर लौटे तो रेणु ने कार में फिर से सुषमा पुराण दोहराना चाहा, पर जब मैं ने उस में कोई दिलचस्पी न दिखाई तो उसे चुप हो जाना पड़ा.

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अगले दिन रेणु ने पाल को फोन किया और उसे घर आने को कहा. लेकिन उस ने यह कह कर मना कर दिया कि उन्हें घर के लिए फर्नीचर वगैरा खरीदने जाना है. पर शाम को करीब 8 बजे वे दोनों अचानक हमारे घर आ पहुंचे.

‘‘अरे, तुम तो खरीदारी के लिए जाने वाले थे?’’ मैं ने पाल से पूछा.

‘‘वहीं से तो आ रहे हैं,’’ वह बोला. उस ने बाद में बताया कि फर्नीचर तो खरीद नहीं पाए क्योंकि सुषमा ने और सामान खरीदने में ही इतने पैसे लगा दिए. हमारे यहां वे लोग रात के खाने तक रुके और फिर घर चले गए.

रेणु ने मुझे बाद में बताया कि पाल ने अपनी पत्नी को 2 हजार डौलर की हीरे की अंगूठी दिलवाई है. उस की असली शिकायत यह थी कि मैं ने कभी हीरे की अंगूठी खरीद कर उसे क्यों नहीं दी. उस ने मुझे कई और ताने भी दिए.

3-4 महीने यों ही गुजर गए. एक दिन औफिस में पाल का फोन आया कि वह मुझ से कुछ बात करना चाहता है. मैं ने उसे शाम को घर आने को कहा तो बोला, ‘‘नहीं, मैं केवल तुम से एकांत में मिलना चाहता हूं.’’

मुझे जल्दी एक मीटिंग में जाना था, सो कहा, ‘‘अच्छा, औफिस के बाद पब्लिक लाइब्रेरी में मिलते हैं.’’

वह इस के लिए राजी हो गया. मैं ने रेणु को फोन कर दिया कि शाम को जरा देर से आऊंगा.

शाम को मैं जब लाइब्रेरी में पहुंचा तो पाल वहां पहले से ही बैठा था. इधरउधर की बातें करने के बाद उस ने मुझ से 5 हजार डौलर उधार मांगे. वह मुझ से कुछ ज्यादा ही कमाता था और काफी समय से नौकरी भी कर रहा था. उस ने अभी तक घर भी नहीं खरीदा था, किराए के फ्लैट में ही रहता था. भारत भी उस ने कभी पैसे भेजे नहीं थे क्योंकि उस के घर वाले बहुत समृद्ध थे. मैं ने पूछा, ‘‘तुम्हें पैसों की ऐसी क्या आवश्यकता आ पड़ी? क्या घर खरीदने जा रहे हो?’’

वह बोला, ‘‘नहीं यार, जब से सुषमा आई है, तब से खर्च कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है. उस ने 3-4 महीने में इतनी खरीदारी की है कि सारे पैसे खर्च हो गए हैं. अब वह नई कार खरीदने को कह रही है.’’

‘‘तो उस में क्या बात है, किसी भी कार डीलर के पास चले जाओ. वह पैसे का प्रबंध करा देगा.’’

वह बोला, ‘‘अब तुम से क्या छिपाऊं. मेरे ऊपर करीब 10-12 हजार डौलर का वैसे ही कर्जा है. यह सब जो हम ने खरीदा है, सब उधार ही तो है. अब जब क्रैडिट कार्ड के बिल आ रहे हैं तो पता चल रहा है.’’

मैं ने आगे कहा, ‘‘पाल, बुरा मत मानना, पर जब तुम्हारे पास इतने पैसे नहीं थे तो इतना सब खरीदने की क्या जरूरत थी?’’

‘‘मेरी नईनई शादी हुई है और सुषमा आधुनिक विचारों की है. चाहता हूं कि मैं उसे दुनियाभर की खुशियां दे दूं, जो आज तक किसी पति ने अपनी पत्नी को न दी हों,’’ उस ने अजीब सा उत्तर दिया.

मैं ने पाल को समझाना चाहा कि उसे अपनी जेब देख कर ही खर्च करना चाहिए और कुछ पैसा बुरे समय के लिए बचा कर रखना चाहिए. पर असफल ही रहा.

अगले दिन मैं ने पाल को 5 हजार डौलर का चैक दे दिया. घर से पिताजी का पत्र आया कि मेरी छोटी बहन मंजु का रिश्ता तय हो गया है तथा 1 महीने के बाद ही शादी है. घर में यह आखिरी शादी थी, सो हम दोनों ने भारत जाने का निश्चय किया और शादी से 2 दिन पहले भारत पहुंच गए. 5-6 वर्ष बाद भारत आए थे. सबकुछ बदलाबदला सा लग रहा था. ऐसा लगा कि भारत में लोगों के पास बहुत पैसा हो गया है. लोग पान खाने के लिए भी सौ रुपए का नोट भुनाते हैं.

शादी में एक सप्ताह ऐसे बीत गया कि समय का पता ही न चला. शादी के बाद कुछ और दिन भारत में रह कर हम वापस अमेरिका लौटे. अगले दिन रविवार था सो, खूब डट कर थकान मिटाई. शाम को बाजार खाने का सामान लेने गए. सुपर मार्केट में अचानक रीता से मुलाकात हुई. मुझ से नमस्कार करने के बाद वह रेणु से बातें करने लगी. बातोंबातों में पता लगा कि पाल के हाल कुछ अच्छे नहीं हैं.

मैं ने घर जा कर पाल को फोन मिलाया तो वह बोला, ‘‘अरे, तुम कब आए?’’

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‘‘कल रात ही आए हैं,’’ मैं ने उत्तर दिया. इधरउधर की बातें करने के बाद उस ने बताया कि उस के औफिस में करीब 50 आदमियों की छंटनी होने वाली है और उस का नाम भी उस सूची में है.

अमेरिका में यह बड़ा चक्कर है. स्थायी नौकरी नाम की कोई चीज यहां नहीं है. जब जरूरत होती है, तो मुंहमांगी तनख्वाह पर रखा जाता है लेकिन जब जरूरत नहीं है तो दूध में गिरी मक्खी की तरह से निकाल दिया जाता है.

मैं ने पाल को समझाते हुए कहा कि उसे अभी से दूसरी नौकरी की तलाश करनी चाहिए, लेकिन वह बहुत ही घबराया हुआ था. फिर मैं ने कहा, ‘‘ऐसा करो, तुम लोग यहां आ जाओ, बैठ कर बातें करेंगे.’’

8 बजे के आसपास पाल और सुषमा आ गए. सुषमा तो रेणु के पास रसोई में चली गई, पाल मेरे पास आ कर बैठ गया. उस ने बताया कि उस पर पहले करीब 15 हजार डौलर का कर्ज था. लेकिन कार लेने के बाद वह 35 हजार डौलर तक पहुंच गया है. यदि नौकरी चली गई और जल्दी से दूसरी नहीं मिली तो क्या होगा?

मैं ने उसे धीरज बंधाते हुए कहा, ‘‘अभी तो 2 महीने तक तुम्हारी कंपनी निकाल ही नहीं रही, तुम इलैक्ट्रिकल इंजीनियर हो और इस लाइन में बहुत नौकरियां हैं. चिंता छोड़ कर प्रयत्न करते रहो.’’

जब उस ने मुझ से मेरे पैसों के बारे में कहना शुरू किया तो मैं ने उसे एकदम रोक दिया, ‘‘मेरे पैसों की तुम बिलकुल चिंता मत करो. जब तुम्हारे पास होंगे, तब दे देना, नहीं होंगे तो मत देना.’’

मैं ने पाल को एक सुझाव और दिया कि सुषमा को भी कहीं नौकरी करनी चाहिए. रात का खाना खाने के बाद वे दोनों अपने घर चले गए.

2 महीने बाद पाल की नौकरी छूट गई तो मुझे बड़ा दुख हुआ. मैं ने 2-3 कंपनियों में पता लगाया, पर कुछ बात न बनी. पाल बहुत हताश हो गया था. उन्हीं दिनों उस के पिताजी का भारत से पत्र आया कि उन के एक मित्र का लड़का न्यूजर्सी स्टेट में पढ़ने आ रहा है. पाल से उन्होंने उस की सहायता करने को लिखा था. जिस यूनिवर्सिटी में वह लड़का पढ़ने आ रहा था, वह हमारे घर के पास ही थी. पाल ने मुझे उसे हवाईअड्डे से लिवा लाने को कहा तो मैं उसे ले आया. उस का नाम अरुण था. पाल अगले दिन उसे यूनिवर्सिटी ले गया तथा उस का रजिस्ट्रेशन वगैरा सब करा दिया.

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GHKKPM: शादी के बाद सेट पर लौटे ‘विराट-पाखी’, नई जोड़ी को मिला शानदार वेलकम

बीते दिनों सीरियल गुम है किसी के प्यार में (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) के विराट और पाखी के किरदार में नजर आने वाले नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा की शादी की फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हुई थी, जिसके बाद अब ये जोड़ी दोबारा सेट पर लौट आए हैं, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर छा गई हैं. आइए आपको दिखाते हैं फोटोज…

सेट पर लौटा कपल

हाल ही में नील भट्ट यानी विराट (Neil Bhatt) ने अपने औफिशियल इंस्टग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें शादी के बाद नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा (Neil Bhatt and Aishwarya Sharma) सीरियल गुम है किसी के प्यार में के सेट पर वापस नजर आने वाले हैं, जिसमें शो की टीम दोनों का धमाकेदार वेलकम करते नजर आ रहे हैं.

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नील-ऐश्वर्या ने काटा केक

सेट पर पहुंचे न्यूली मैरिड कपल की एंट्री के लिए शो के सितारों ने नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा (Neil Bhatt and Aishwarya Sharma) का शानदार वेलकम किया. वहीं इस दौरान दोनों ने केक भी काटा. साथ ही सभी सितारों के साथ मिलकर कपल ने जमकर मस्ती भी की. वहीं इस दौरान नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा की फैमिली भी सेट पर नजर आईं.

सई को होगा विराट पर शक

सीरियल की बात करें तो  (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में हाल ही विराट चौह्वाण निवास वापस लौट आया है, जिसके बाद उसका बदला बिहेवियर सई को परेशान कर रहा है. वहीं अपकमिंग एपिसोड में श्रुति, विराट को रात में फोन करती नजर आएगी, जिसके बाद सई को विराट पर शक होने लगा है. इसी के चलते पाखी (Aishwarya Sharma), सई को भड़काती नजर आएगी.

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टाइल्स फ्लोरिंग: खूबसूरत भी किफायती भी

कमरे के फर्श का कमरे के इंटीरियर को खूबसूरत बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान होता है. इसीलिए अब लोग कमरे की सीलिंग, दीवारों और अन्य साजसज्जा के सामान के साथसाथ फर्श की सजावट पर भी ध्यान दे रहे हैं. यह ध्यान सिर्फ फर्श की सुंदरता बढ़ाने पर ही नहीं, बल्कि उस की साफसफाई और खुद की सेहत के मद्देनजर भी है.

दरअसल, फर्श कमरे का वह हिस्सा होता है, जो बहुत जल्दी गंदा होता है और यदि उसे समयसमय पर साफ न किया जाए तो कमरे की खूबसूरती में धब्बे के समान हो जाता है.

पर आज की व्यस्त जीवनशैली में खूबसूरती और सफाई दोनों में तालमेल बैठाना मुश्किल होता है. ऐसे में सही फर्श का चुनाव बहुत फायदेमंद रहता है. बाजार में वुडन, लैमिनेटेड, कारपेट टाइल्स सहित कई विकल्प फर्श की रौनक बढ़ाने के लिए उपलब्ध हैं. इन में टाइल्स एक ऐसा विकल्प है जिस के साथ सफाई, सौंदर्य और सेहत तीनों का सही तालमेल बैठाया जा सकता है.

आइए, जानते हैं टाइल्स फ्लोरिंग के क्या फायदे हैं:

– सीमेंट या मार्बल वाला फर्श जल्दी खराब हो जाता है. इसी तरह जहां सीमेंट फ्लोरिंग में दरारें पड़ सकती हैं, वहीं मार्बल फ्लोर पर दागधब्बे जल्दी पड़ते हैं, जबकि टाइल्स फर्श को सख्त आधार देती हैं.

बाजार में टाइल्स के 2 विकल्प हैं- पहला सिरैमिक और दूसरा पोर्सिलेन. यदि इन्हें फर्श पर सही तरीके से लगाया जाए और सही देखभाल की जाए तो ये फर्श की खूबसूरती को लंबे समय तक कायम रखती हैं.

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– अन्य फ्लोरिंग विकल्पों की अपेक्षा टाइल्स फ्लोरिंग सेहत के नजरिए से भी फायदेमंद है. यदि टाइल्स को अच्छी तरह साफ किया जाए तो इन में रोगाणुओं आदि के पनपने की संभावना भी खत्म हो जाती है. टाइल्स फ्लोर कमरे के अंदर की वायु की गुणवत्ता को भी बनाए रखता है.

– टाइल्स को भट्टों में उच्च तापमान पर पकाया जाता है, इसलिए इन में वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वोलाटाइल और्गेनिक कंपाउंड) के होने की संभावना भी खत्म हो जाती है. इस से कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के होने का खतरा भी खत्म हो जाता है.

–  टाइल्स की तीसरी सब से बड़ी खासीयत यह है कि इन पर दागधब्बे नहीं लगते. इन्हें साफ करने के लिए नौनएब्रैसिव औैर नौनऐसिडिक प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल होता है. टाइल्स को साफ करने का सब से आसान तरीका है कि टाइल्स को साबुन के पानी से धोया जाए.

– फर्श पर टाइल्स लगवाने का खर्चा भी अन्य डिजाइनर फ्लोर के खर्चे से काफी कम आता है. साथ ही टाइल्स के टूटने और खराब होने का डर भी नहीं होता है. इसलिए जब तक चाहें तब तक इन्हें फर्श पर लगाए रखा जा सकता है.

– टाइल्स वैसे तो बहुत मजबूत होती हैं और आसानी से इन में दरार नहीं आती, फिर भी अगर दरार आ जाए तो टूटी टाइल को आसानी से रिप्लेस किया जा सकता है.

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अब स्पाइनल ट्यूमर का इलाज है आसान

रीढ़ की हड्डी का ट्यूमर एक गंभीर समस्या है. इसका सही समय पर उचित इलाज न किया जाए, तो यह लकवा का कारण बन सकता है. ट्यूमर्स कई प्रकार के होते हैं और उनके इलाज भी भिन्न-भिन्न हैं.

कई प्रकार के ट्यूमर्स के ठीक होने की संभावना आज कुछ वर्ष पूर्व के मुकाबले कहीं अधिक है. ये ट्यूमर नियोप्लाज्म नामक नए टिश्यूज की अस्वाभाविक वृद्धि हैं. सामान्यत: नियोप्लाज्म टिश्यूज दो तरह के होते हैं, बिनाइन (जो कैंसरग्रस्त नहीं होते) या मैलिग्नेंट (जो कैंसरग्रस्त होते हैं). किसी अन्य अंग से फैलने वाला कैंसर मेटास्टेसिस ट्यूमर हो सकता है.

स्पाइनल ट्यूमर कैसे पहचानें :

  • पीठ और टांगों का दर्द हो सकता है.
  • टांगों या बांहों में कमजोरी होना और इनमें सुन्नपन महसूस करना.
  • सियाटिका की समस्या और आंशिक रूप से लकवा लगना.
  • मल-मूत्र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.

जांच और इमेजिंग तकनीक एम.आर. आई. जांच से पता चलता है कि ट्यूमर तंत्रिकाओं या नव्रस पर कहां-कहां तक दबाव डाल रहा है. इसके अलावा सी.टी. स्कैन, टेक्नीशियम बोन स्कैन, सी.टी. गाइडेड बायोप्सी या एफएनएसी द्वारा भी ट्यूमर की जांच की जाती है.

इसके अलावा स्कैन जांच से पेट के कैंसर की विभिन्न अवस्थाओं का पता लगाना संभव है.

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ये हैं उपचार के विकल्प :

इसका इलाज इस बात पर निर्भर होता है कि ट्यूमर का प्रकार (बिनाइन या है या मैलिग्नेंट या कैंसरस), कैसा है और उसकी अवस्था कैसी है. मरीज की संभावित उम्र और उसका सामान्य स्वास्थ्य कैसा है. इन सभी बातों को मद्देनजर रखकर ही उपचार की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाती है.

स्पाइनल ट्यूमर सर्जरी :

यदि ट्यूमर नर्व्‍स पर दबाव न डाल रहा हो, इस स्थिति में पर्क्‍यूटेनियस स्टेबिलाइजेशन तकनीक से सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी द्वारा चिकित्सा की जाती है. यदि ट्यूमर तंत्रिका पर दबाव डाल रहा हो, तो इस स्थिति में सबसे पहले दबाव हटाने के लिए सर्जरी द्वारा ट्यूमर को निकाला जाता है. इसके बाद कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी दी जाती है.

कीमोथेरेपी : कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि में बाधा डालकर उन्हें नष्ट करने वाली दवाओं के प्रयोग से कैंसर का इलाज और नियंत्रण किया जाता है.

रेडिएशन थेरेपी : आज रेडियोथेरेपी की सबसे सुरक्षित तकनीक लीनियर एक्सेलेटर उपलब्ध है, जो स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बगैर ट्यूमर की कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट कर देती है. त्रि-आयामी यानि कि 3डी इमेज गाइडेड रेडिएशन थेरेपी द्वारा कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करके, ट्यूमर को छोटा करके उसको बढ़ने से रोका जाता है.

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