Bigg Boss 15: अभिजीत और राखी सावंत की हुई लड़ाई, हसबैंड रितेश को बताया ‘भाडे़ का पति’

कलर्स के रियलिटी शो बिग बॉस 15 में इन दिनों VIP और NON VIP के बीच जंग देखने को मिल रही है. वहीं इस बीच फिनाले की रेस भी शुरु हो गई है, जिसके चलते शो में जमकर घमासान देखने को मिल रहा है. इसी बीच शो का नया प्रोमो सामने आया है, जिसमें राखी सावंत (Rakhi Sawant) और अभिजीत बिचकुले के बीच लड़ाई देखने को मिल रही है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

रितेश को कही ये बात

 

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शो में वाइल्ड कार्ड के रुप में एंट्री करने वाले राखी सावंत और उनके पति रीतेश सिंह खबरों में छाए हुए हैं. जहां सोशलमीडिया पर लोग उन्हें कैमरामैन का दर्जा दे रहे हैं. लेकिन शो के मेकर्स (Colors Tv Instagram) द्वारा रिलीज किए गए प्रोमो में अभिजीत बिचकुले, राखी सावंत के पति रितेश को ‘भाडे़ का पति’ कह रहे हैं, जिसके कारण राखी गुस्से में नजर आ रही हैं और घर में तोड़फोड़ करती दिख रही हैं.

 

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तलाक की बात हुई वायरल

इसके अलावा सोशलमीडिया पर इन दिनों कुछ मीम्स वायरल हो रहे हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि शो में ही राखी सावंत कुछ दिनों में अपने पति रितेश को तलाक देती नजर आने वाली हैं. वहीं हाल ही में राखी सावंत की हुई लड़ाई के बाद फैंस ये कयास सच मानते नजर आ रहे हैं.

बता दें, शो में इन दिनों टिकट टू फिनाले की रेस जारी होने वाली है. जहां हाल ही के एपिसोड में नौमिनेशन भी दिखाए जा रहे हैं, जिसके चलते शो में लड़ाईयां भी देखने को मिल रही है. वहीं तेजस्वी और करण कुंद्रा की रोमांटिक लव स्टोरी भी फैंस का दिल जीत रही हैं.

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आधुनिक बीवी: भाग 2- क्या धर्मपाल की तलाश खत्म हो पाई

लेखक- प्रमोद कुमार शर्मा

रेणु जब नहा कर वापस आई तब तक मैं ने फायर प्लेस में आग जला ली थी. हम ने एक हिंदी फिल्म का कैसेट लगाया और देखने लगे. इतने में फोन की घंटी बजी. रेणु ने रिसीवर उठाया और ऊपर जा कर बातें करने लगी. वह करीब आधे घंटे बाद नीचे आई तो मैं ने पूछा, ‘‘किस का फोन था?’’

वह बोली, ‘‘कल की पार्टी में एक दक्षिण भारतीय महिला मिली थी, उसी का फोन था. सुषमा के बारे में ही बातें होती रहीं कि कैसे वह बड़ी बेशर्मी से पाल के गले में बांहें डाल कर शराब पी रही थी.’’

मैं ने बात को आगे न बढ़ाया, उठ कर वीडियो बंद कर दिया और चाय बनाने लगा.

चाय पीने के बाद मैं ऊपर जा कर लेट गया. मुझे छुट्टी के दिन दोपहर बाद थोड़ी देर सोना बड़ा अच्छा लगता है.

जब मेरी आंख खुली तो देखा कि रेणु भी मेरे पास ही सो रही है. मैं उसे सोता छोड़ कर नीचे चला आया और टैलीविजन देखने लगा.

लगभग 1 घंटे बाद रेणु भी नीचे आई और रसोई में जा कर रात के खाने का प्रबंध करने लगी. मैं ने रेणु से कहा कि यदि बर्फ पड़नी बंद न हुई तो लगता है, कल औफिस जाना मुश्किल हो जाएगा.

करीब 8 बजे हम ने खाना खाना और फिर से हिंदी फिल्म देखने लगे. 10 बजे के आसपास हम सोने चले गए.

सुबह उठ कर मैंने देखा कि बर्फ तो पड़नी बंद हो गई है, पर सड़कें अभी बर्फ से ढकी हुई हैं. मेरा औफिस घर से केवल 5-6 मील की दूरी पर है, सो औफिस जाने का निश्चय किया.

औफिस में ज्यादा लोग नहीं आए थे. शाम 5 बजे मैं वापस घर आ गया. रेणु ने चाय बनाई तथा डाक ला कर दी. पूरा सप्ताह ही बीत गया. शुक्रवार की शाम को रीता का फोन आया. उस ने अपने यहां अगले दिन रात के डिनर पर आने का निमंत्रण दिया. हमारा चूंकि अगले दिन कहीं जाने का प्रोग्राम नहीं था, सो ‘हां’ कर दी.

रीता के घर जब पहुंचे तो यह जान कर बड़ा अचंभा हुआ कि पाल वहां निमंत्रित नहीं है. रीता ने अन्य भारतीय परिवारों को भी बुलाया हुआ था. पार्टी में भी सुषमा के बारे में चर्चा होती रही. महिलाओं को इस बात का बड़ा दुख था कि उन्होंने कभी सुषमा जैसा फैशन क्यों नहीं किया या खुल कर लोगों के सामने शराब क्यों नहीं पी. रात को जब हम घर लौटे तो रेणु ने कार में फिर से सुषमा पुराण दोहराना चाहा, पर जब मैं ने उस में कोई दिलचस्पी न दिखाई तो उसे चुप हो जाना पड़ा.

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अगले दिन रेणु ने पाल को फोन किया और उसे घर आने को कहा. लेकिन उस ने यह कह कर मना कर दिया कि उन्हें घर के लिए फर्नीचर वगैरा खरीदने जाना है. पर शाम को करीब 8 बजे वे दोनों अचानक हमारे घर आ पहुंचे.

‘‘अरे, तुम तो खरीदारी के लिए जाने वाले थे?’’ मैं ने पाल से पूछा.

‘‘वहीं से तो आ रहे हैं,’’ वह बोला. उस ने बाद में बताया कि फर्नीचर तो खरीद नहीं पाए क्योंकि सुषमा ने और सामान खरीदने में ही इतने पैसे लगा दिए. हमारे यहां वे लोग रात के खाने तक रुके और फिर घर चले गए.

रेणु ने मुझे बाद में बताया कि पाल ने अपनी पत्नी को 2 हजार डौलर की हीरे की अंगूठी दिलवाई है. उस की असली शिकायत यह थी कि मैं ने कभी हीरे की अंगूठी खरीद कर उसे क्यों नहीं दी. उस ने मुझे कई और ताने भी दिए.

3-4 महीने यों ही गुजर गए. एक दिन औफिस में पाल का फोन आया कि वह मुझ से कुछ बात करना चाहता है. मैं ने उसे शाम को घर आने को कहा तो बोला, ‘‘नहीं, मैं केवल तुम से एकांत में मिलना चाहता हूं.’’

मुझे जल्दी एक मीटिंग में जाना था, सो कहा, ‘‘अच्छा, औफिस के बाद पब्लिक लाइब्रेरी में मिलते हैं.’’

वह इस के लिए राजी हो गया. मैं ने रेणु को फोन कर दिया कि शाम को जरा देर से आऊंगा.

शाम को मैं जब लाइब्रेरी में पहुंचा तो पाल वहां पहले से ही बैठा था. इधरउधर की बातें करने के बाद उस ने मुझ से 5 हजार डौलर उधार मांगे. वह मुझ से कुछ ज्यादा ही कमाता था और काफी समय से नौकरी भी कर रहा था. उस ने अभी तक घर भी नहीं खरीदा था, किराए के फ्लैट में ही रहता था. भारत भी उस ने कभी पैसे भेजे नहीं थे क्योंकि उस के घर वाले बहुत समृद्ध थे. मैं ने पूछा, ‘‘तुम्हें पैसों की ऐसी क्या आवश्यकता आ पड़ी? क्या घर खरीदने जा रहे हो?’’

वह बोला, ‘‘नहीं यार, जब से सुषमा आई है, तब से खर्च कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है. उस ने 3-4 महीने में इतनी खरीदारी की है कि सारे पैसे खर्च हो गए हैं. अब वह नई कार खरीदने को कह रही है.’’

‘‘तो उस में क्या बात है, किसी भी कार डीलर के पास चले जाओ. वह पैसे का प्रबंध करा देगा.’’

वह बोला, ‘‘अब तुम से क्या छिपाऊं. मेरे ऊपर करीब 10-12 हजार डौलर का वैसे ही कर्जा है. यह सब जो हम ने खरीदा है, सब उधार ही तो है. अब जब क्रैडिट कार्ड के बिल आ रहे हैं तो पता चल रहा है.’’

मैं ने आगे कहा, ‘‘पाल, बुरा मत मानना, पर जब तुम्हारे पास इतने पैसे नहीं थे तो इतना सब खरीदने की क्या जरूरत थी?’’

‘‘मेरी नईनई शादी हुई है और सुषमा आधुनिक विचारों की है. चाहता हूं कि मैं उसे दुनियाभर की खुशियां दे दूं, जो आज तक किसी पति ने अपनी पत्नी को न दी हों,’’ उस ने अजीब सा उत्तर दिया.

मैं ने पाल को समझाना चाहा कि उसे अपनी जेब देख कर ही खर्च करना चाहिए और कुछ पैसा बुरे समय के लिए बचा कर रखना चाहिए. पर असफल ही रहा.

अगले दिन मैं ने पाल को 5 हजार डौलर का चैक दे दिया. घर से पिताजी का पत्र आया कि मेरी छोटी बहन मंजु का रिश्ता तय हो गया है तथा 1 महीने के बाद ही शादी है. घर में यह आखिरी शादी थी, सो हम दोनों ने भारत जाने का निश्चय किया और शादी से 2 दिन पहले भारत पहुंच गए. 5-6 वर्ष बाद भारत आए थे. सबकुछ बदलाबदला सा लग रहा था. ऐसा लगा कि भारत में लोगों के पास बहुत पैसा हो गया है. लोग पान खाने के लिए भी सौ रुपए का नोट भुनाते हैं.

शादी में एक सप्ताह ऐसे बीत गया कि समय का पता ही न चला. शादी के बाद कुछ और दिन भारत में रह कर हम वापस अमेरिका लौटे. अगले दिन रविवार था सो, खूब डट कर थकान मिटाई. शाम को बाजार खाने का सामान लेने गए. सुपर मार्केट में अचानक रीता से मुलाकात हुई. मुझ से नमस्कार करने के बाद वह रेणु से बातें करने लगी. बातोंबातों में पता लगा कि पाल के हाल कुछ अच्छे नहीं हैं.

मैं ने घर जा कर पाल को फोन मिलाया तो वह बोला, ‘‘अरे, तुम कब आए?’’

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‘‘कल रात ही आए हैं,’’ मैं ने उत्तर दिया. इधरउधर की बातें करने के बाद उस ने बताया कि उस के औफिस में करीब 50 आदमियों की छंटनी होने वाली है और उस का नाम भी उस सूची में है.

अमेरिका में यह बड़ा चक्कर है. स्थायी नौकरी नाम की कोई चीज यहां नहीं है. जब जरूरत होती है, तो मुंहमांगी तनख्वाह पर रखा जाता है लेकिन जब जरूरत नहीं है तो दूध में गिरी मक्खी की तरह से निकाल दिया जाता है.

मैं ने पाल को समझाते हुए कहा कि उसे अभी से दूसरी नौकरी की तलाश करनी चाहिए, लेकिन वह बहुत ही घबराया हुआ था. फिर मैं ने कहा, ‘‘ऐसा करो, तुम लोग यहां आ जाओ, बैठ कर बातें करेंगे.’’

8 बजे के आसपास पाल और सुषमा आ गए. सुषमा तो रेणु के पास रसोई में चली गई, पाल मेरे पास आ कर बैठ गया. उस ने बताया कि उस पर पहले करीब 15 हजार डौलर का कर्ज था. लेकिन कार लेने के बाद वह 35 हजार डौलर तक पहुंच गया है. यदि नौकरी चली गई और जल्दी से दूसरी नहीं मिली तो क्या होगा?

मैं ने उसे धीरज बंधाते हुए कहा, ‘‘अभी तो 2 महीने तक तुम्हारी कंपनी निकाल ही नहीं रही, तुम इलैक्ट्रिकल इंजीनियर हो और इस लाइन में बहुत नौकरियां हैं. चिंता छोड़ कर प्रयत्न करते रहो.’’

जब उस ने मुझ से मेरे पैसों के बारे में कहना शुरू किया तो मैं ने उसे एकदम रोक दिया, ‘‘मेरे पैसों की तुम बिलकुल चिंता मत करो. जब तुम्हारे पास होंगे, तब दे देना, नहीं होंगे तो मत देना.’’

मैं ने पाल को एक सुझाव और दिया कि सुषमा को भी कहीं नौकरी करनी चाहिए. रात का खाना खाने के बाद वे दोनों अपने घर चले गए.

2 महीने बाद पाल की नौकरी छूट गई तो मुझे बड़ा दुख हुआ. मैं ने 2-3 कंपनियों में पता लगाया, पर कुछ बात न बनी. पाल बहुत हताश हो गया था. उन्हीं दिनों उस के पिताजी का भारत से पत्र आया कि उन के एक मित्र का लड़का न्यूजर्सी स्टेट में पढ़ने आ रहा है. पाल से उन्होंने उस की सहायता करने को लिखा था. जिस यूनिवर्सिटी में वह लड़का पढ़ने आ रहा था, वह हमारे घर के पास ही थी. पाल ने मुझे उसे हवाईअड्डे से लिवा लाने को कहा तो मैं उसे ले आया. उस का नाम अरुण था. पाल अगले दिन उसे यूनिवर्सिटी ले गया तथा उस का रजिस्ट्रेशन वगैरा सब करा दिया.

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GHKKPM: शादी के बाद सेट पर लौटे ‘विराट-पाखी’, नई जोड़ी को मिला शानदार वेलकम

बीते दिनों सीरियल गुम है किसी के प्यार में (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) के विराट और पाखी के किरदार में नजर आने वाले नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा की शादी की फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हुई थी, जिसके बाद अब ये जोड़ी दोबारा सेट पर लौट आए हैं, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर छा गई हैं. आइए आपको दिखाते हैं फोटोज…

सेट पर लौटा कपल

हाल ही में नील भट्ट यानी विराट (Neil Bhatt) ने अपने औफिशियल इंस्टग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें शादी के बाद नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा (Neil Bhatt and Aishwarya Sharma) सीरियल गुम है किसी के प्यार में के सेट पर वापस नजर आने वाले हैं, जिसमें शो की टीम दोनों का धमाकेदार वेलकम करते नजर आ रहे हैं.

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नील-ऐश्वर्या ने काटा केक

सेट पर पहुंचे न्यूली मैरिड कपल की एंट्री के लिए शो के सितारों ने नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा (Neil Bhatt and Aishwarya Sharma) का शानदार वेलकम किया. वहीं इस दौरान दोनों ने केक भी काटा. साथ ही सभी सितारों के साथ मिलकर कपल ने जमकर मस्ती भी की. वहीं इस दौरान नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा की फैमिली भी सेट पर नजर आईं.

सई को होगा विराट पर शक

सीरियल की बात करें तो  (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में हाल ही विराट चौह्वाण निवास वापस लौट आया है, जिसके बाद उसका बदला बिहेवियर सई को परेशान कर रहा है. वहीं अपकमिंग एपिसोड में श्रुति, विराट को रात में फोन करती नजर आएगी, जिसके बाद सई को विराट पर शक होने लगा है. इसी के चलते पाखी (Aishwarya Sharma), सई को भड़काती नजर आएगी.

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टाइल्स फ्लोरिंग: खूबसूरत भी किफायती भी

कमरे के फर्श का कमरे के इंटीरियर को खूबसूरत बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान होता है. इसीलिए अब लोग कमरे की सीलिंग, दीवारों और अन्य साजसज्जा के सामान के साथसाथ फर्श की सजावट पर भी ध्यान दे रहे हैं. यह ध्यान सिर्फ फर्श की सुंदरता बढ़ाने पर ही नहीं, बल्कि उस की साफसफाई और खुद की सेहत के मद्देनजर भी है.

दरअसल, फर्श कमरे का वह हिस्सा होता है, जो बहुत जल्दी गंदा होता है और यदि उसे समयसमय पर साफ न किया जाए तो कमरे की खूबसूरती में धब्बे के समान हो जाता है.

पर आज की व्यस्त जीवनशैली में खूबसूरती और सफाई दोनों में तालमेल बैठाना मुश्किल होता है. ऐसे में सही फर्श का चुनाव बहुत फायदेमंद रहता है. बाजार में वुडन, लैमिनेटेड, कारपेट टाइल्स सहित कई विकल्प फर्श की रौनक बढ़ाने के लिए उपलब्ध हैं. इन में टाइल्स एक ऐसा विकल्प है जिस के साथ सफाई, सौंदर्य और सेहत तीनों का सही तालमेल बैठाया जा सकता है.

आइए, जानते हैं टाइल्स फ्लोरिंग के क्या फायदे हैं:

– सीमेंट या मार्बल वाला फर्श जल्दी खराब हो जाता है. इसी तरह जहां सीमेंट फ्लोरिंग में दरारें पड़ सकती हैं, वहीं मार्बल फ्लोर पर दागधब्बे जल्दी पड़ते हैं, जबकि टाइल्स फर्श को सख्त आधार देती हैं.

बाजार में टाइल्स के 2 विकल्प हैं- पहला सिरैमिक और दूसरा पोर्सिलेन. यदि इन्हें फर्श पर सही तरीके से लगाया जाए और सही देखभाल की जाए तो ये फर्श की खूबसूरती को लंबे समय तक कायम रखती हैं.

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– अन्य फ्लोरिंग विकल्पों की अपेक्षा टाइल्स फ्लोरिंग सेहत के नजरिए से भी फायदेमंद है. यदि टाइल्स को अच्छी तरह साफ किया जाए तो इन में रोगाणुओं आदि के पनपने की संभावना भी खत्म हो जाती है. टाइल्स फ्लोर कमरे के अंदर की वायु की गुणवत्ता को भी बनाए रखता है.

– टाइल्स को भट्टों में उच्च तापमान पर पकाया जाता है, इसलिए इन में वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वोलाटाइल और्गेनिक कंपाउंड) के होने की संभावना भी खत्म हो जाती है. इस से कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के होने का खतरा भी खत्म हो जाता है.

–  टाइल्स की तीसरी सब से बड़ी खासीयत यह है कि इन पर दागधब्बे नहीं लगते. इन्हें साफ करने के लिए नौनएब्रैसिव औैर नौनऐसिडिक प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल होता है. टाइल्स को साफ करने का सब से आसान तरीका है कि टाइल्स को साबुन के पानी से धोया जाए.

– फर्श पर टाइल्स लगवाने का खर्चा भी अन्य डिजाइनर फ्लोर के खर्चे से काफी कम आता है. साथ ही टाइल्स के टूटने और खराब होने का डर भी नहीं होता है. इसलिए जब तक चाहें तब तक इन्हें फर्श पर लगाए रखा जा सकता है.

– टाइल्स वैसे तो बहुत मजबूत होती हैं और आसानी से इन में दरार नहीं आती, फिर भी अगर दरार आ जाए तो टूटी टाइल को आसानी से रिप्लेस किया जा सकता है.

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अब स्पाइनल ट्यूमर का इलाज है आसान

रीढ़ की हड्डी का ट्यूमर एक गंभीर समस्या है. इसका सही समय पर उचित इलाज न किया जाए, तो यह लकवा का कारण बन सकता है. ट्यूमर्स कई प्रकार के होते हैं और उनके इलाज भी भिन्न-भिन्न हैं.

कई प्रकार के ट्यूमर्स के ठीक होने की संभावना आज कुछ वर्ष पूर्व के मुकाबले कहीं अधिक है. ये ट्यूमर नियोप्लाज्म नामक नए टिश्यूज की अस्वाभाविक वृद्धि हैं. सामान्यत: नियोप्लाज्म टिश्यूज दो तरह के होते हैं, बिनाइन (जो कैंसरग्रस्त नहीं होते) या मैलिग्नेंट (जो कैंसरग्रस्त होते हैं). किसी अन्य अंग से फैलने वाला कैंसर मेटास्टेसिस ट्यूमर हो सकता है.

स्पाइनल ट्यूमर कैसे पहचानें :

  • पीठ और टांगों का दर्द हो सकता है.
  • टांगों या बांहों में कमजोरी होना और इनमें सुन्नपन महसूस करना.
  • सियाटिका की समस्या और आंशिक रूप से लकवा लगना.
  • मल-मूत्र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.

जांच और इमेजिंग तकनीक एम.आर. आई. जांच से पता चलता है कि ट्यूमर तंत्रिकाओं या नव्रस पर कहां-कहां तक दबाव डाल रहा है. इसके अलावा सी.टी. स्कैन, टेक्नीशियम बोन स्कैन, सी.टी. गाइडेड बायोप्सी या एफएनएसी द्वारा भी ट्यूमर की जांच की जाती है.

इसके अलावा स्कैन जांच से पेट के कैंसर की विभिन्न अवस्थाओं का पता लगाना संभव है.

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ये हैं उपचार के विकल्प :

इसका इलाज इस बात पर निर्भर होता है कि ट्यूमर का प्रकार (बिनाइन या है या मैलिग्नेंट या कैंसरस), कैसा है और उसकी अवस्था कैसी है. मरीज की संभावित उम्र और उसका सामान्य स्वास्थ्य कैसा है. इन सभी बातों को मद्देनजर रखकर ही उपचार की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाती है.

स्पाइनल ट्यूमर सर्जरी :

यदि ट्यूमर नर्व्‍स पर दबाव न डाल रहा हो, इस स्थिति में पर्क्‍यूटेनियस स्टेबिलाइजेशन तकनीक से सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी द्वारा चिकित्सा की जाती है. यदि ट्यूमर तंत्रिका पर दबाव डाल रहा हो, तो इस स्थिति में सबसे पहले दबाव हटाने के लिए सर्जरी द्वारा ट्यूमर को निकाला जाता है. इसके बाद कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी दी जाती है.

कीमोथेरेपी : कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि में बाधा डालकर उन्हें नष्ट करने वाली दवाओं के प्रयोग से कैंसर का इलाज और नियंत्रण किया जाता है.

रेडिएशन थेरेपी : आज रेडियोथेरेपी की सबसे सुरक्षित तकनीक लीनियर एक्सेलेटर उपलब्ध है, जो स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बगैर ट्यूमर की कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट कर देती है. त्रि-आयामी यानि कि 3डी इमेज गाइडेड रेडिएशन थेरेपी द्वारा कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करके, ट्यूमर को छोटा करके उसको बढ़ने से रोका जाता है.

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जिंदगी: क्यों अभिनव से नफरत करने लगी सुनैना

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कुछ सच शादी के बारे में

व्हाट्सऐप पर शादी को ले कर यह जोक काफी चर्चित हुआ, ‘जो लोग जल्दबाजी में बिना सोचेसमझे शादी का फैसला कर लेते हैं वे अपनी आगे की जिंदगी बरबाद कर लेते हैं, लेकिन जो लोग बहुत सोचसमझ कर शादी करते हैं वे भी क्या कर लेते हैं?’

सच, मजाकमजाक में इस जोक ने शादी का सच बयान कर दिया है. शादी एक जुआ ही तो है. या तो आप का चुनाव सही होगा या फिर नहीं. तो इस से पहले कि आप गठबंधन में बंधने का मन बना लें और 7 वचनों का आदानप्रदान करें, जरा इन बातों पर भी गौर कर लें जो ‘पोस्ट मैरिज बदलाव’ के बारे में हैं और जिन के बारे में आप के मातापिता, दोस्तयार, शुभचिंतक नहीं बताने वाले. अगर आप शादी का लड्डू चख चुके हैं, तो भी इन्हें पढ़ ही लीजिए ताकि आप यह सोचना बंद कर सकें कि यार हमारी रिलेशनशिप में क्या गलत है या हम दोनों में से कौन गलत है, जो गाड़ी बारबार पटरी से उतर जाती है.

जस्ट चिल, यह सब कुछ नौर्मल है, शादी के बाद आदर्श और अवश्यभावी फेज हैं ये:

शादी हर समस्या का समाधान नहीं

भारतीय समाज में शादी को कुछ इस तरह महिमामंडित किया गया है कि हम यह यकीन कर बैठते हैं कि शादी हर समस्या का रामबाण इलाज है. शादी के बाद सब कुछ अपनेआप ठीक हो जाएगा, तो कोई हैरानी की बात नहीं कि दुलहन बनी लड़की यह उम्मीद अपनी पलकों पर सजा लेती है कि उस की जिंदगी शादी के बाद जन्नत बन जाएगी. चांदी के दिन और सोने की रातें होंगी. उस का प्रिंस चार्मिंग उसे एक प्रिं्रसेस की तरह ट्रीट करेगा. बेशक कुछ हद तक ऐसा होता भी है. जिंदगी खुशनुमा होती है, बदलती है, लेकिन शादी से यह उम्मीद न रखें कि यह आप की जिंदगी की हर कमी को पूरा कर देगी, क्योंकि शादी के बाद आप को एक अदद पति ही मिलता है, अलादीन का चिराग नहीं.

दो जिस्म मगर एक जान हैं हम

यह कहना, सुनना, गुनगुनाना बेहद रोमांटिक, हसीन और सच्चा लगता है. मगर वास्तविकता में एक सक्सैसफुल मैरिज वह होती है जहां 2 अलगअलग व्यक्तित्व अपनी रिलेशनशिप को जीवंत और कामयाब बनाए रखने के लिए एकसाथ, लगातार, सामान रूप से प्रयास करते हैं. एकदूसरे के इर्दगिर्द घूमते रहना और शादी के बाद अपनी जिंदगी यह कहते बिताना कि  ‘तेरे नाम पे शुरू तेरे नाम पे खत्म’ एक बोरिंग, आउटडेटेड तरीका है मैरिड लाइफ बिताने का.

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हमेशा अपने पार्टनर को आकर्षक नहीं पाएंगे

शादी के बाद एक वक्त ऐसा भी आएगा जब आप मानसिक धरातल पर, भावनात्मक रूप से एकदूसरे से जुड़े रहेंगे, एकदूसरे के प्रति वफादार रहेंगे, मगर हो सकता है कि आप दोनों के बीच फिजिकल अट्रैक्शन की कमी हो जाए. मतलब कि जो पति आप को पहले रितिक रोशन सा डैशिंग नजर आता था, जिस की फिजिक पर से आप की आंखें नहीं हटती थीं, वह अब आप की आंखों के आकर्षण का केंद्र बिंदु न रहे. इस की 2 वजहे हो सकती हैं. पहली शारीरिक बदलाव. जैसे वजन का बढ़ना, क्योंकि आप भी मानती होंगी कि पति के दिल का रास्ता उस के पेट से हो कर गुजरता है और आप ने यह रास्ता अपना कर उन्हें गुब्बारा बना दिया और दूसरी मानसिक बदलाव जैसे कहते हैं न, घर की मुरगी दाल बराबर, तो रोजरोज उन्हें देखने पर कुछ खास कशिश महसूस न होती हो. खैर, कारण जो भी हों, लेकिन ऐसा होने पर घबराएं नहीं. अपने पार्टनर को आकर्षक नहीं पाने का मतलब यह हरगिज नहीं होता कि आप का प्यार खत्म हो गया है. यह शादी के बाद का एक अस्थाई दौर है. यह भी गुजर ही जाएगा.

प्यार में डूबे रहने की स्टेज की समाप्ति

हम सब जानते हैं हनीमून फ्रेज यानी हैप्पिली एवरआफ्टर अथवा लव फौरएवर के बारे में. लेकिन यह फीलिंग परमानैंट नहीं होती और कई बार तो शादी के कुछ समय बाद एक ऐसा दौर भी आ जाता है कि जब प्यार महसूस होना तो दूर आप स्वयं ही हैरान हो कर खुद से पूछ बैठते हैं कि यार मैं ने इस बंदे से शादी क्यों की? इस में ऐसा क्या खास देख लिया मैं ने?

आप के साथ भी ऐसा हो सकता है, पर रिलैक्स, हर मैरिड कपल इस दौर से कभी न कभी गुजरता है. आप भी गुजर जाएंगे. फिर वक्त बीतने पर एकदूसरे को अच्छी तरह समझने के बाद आप की शादीशुदा जिंदगी में खूबसूरत कागजी फूलों की जगह हकीकत की पथरीली, मगर ठोस जमीन पर सच्चे प्यार के फूल खिलेेंगे, जिन की खुशबू आप की जिंदगी को महका देगी.

कभीकभी पार्टनर से चिढ़, नफरत हो जाना

यहां हम नफरत शब्द का इस्तेमाल शाब्दिक रूप से नहीं कर रहे हैं. लेकिन हां एक ऐसा समय आता है जब हम उन बातों की वजह से ही अपने पार्टनर से चिढ़ने लग जाएं, जिन बातों पर फिदा हो कर से अपना जीवनसाथी चुना था या यह कह लीजिए कि उन की खूबियां ही बाद में आप को उस की खामियां लगने लगें. जैसे उस का सैंस औफ ह्यूमर, उस की हाजिरजवाबी या सब की मदद को सदा तत्पर रहना अथवा क्रिकेट, फुटबौल को ले कर छाया जनून.

फिर भी आप उन बातों को बदलने की कोशिश न करें. आप का जीवनसाथी जैसा है उसे उसी रूप में उन्हें अपनाएं. आखिरकार यह वही व्यक्ति है जिसे आप ने शिद्दत से चाहा था.

अपने पार्टनर से कैसे ट्रीट करें

यह एक और पौपुलर नोशन है. आप पति से यह उम्मीद करती हैं कि वे आप के फैवरेट रोमांटिक हीरो की तरह आप से पेश आएं. जो मौकेबेमौके प्यार भरी बातें करता, लाल गुलाब पेश करता है या मिडनाइट सरप्राइज प्लान करता है.

लेकिन एक सच यह भी है कि अगर आप अपनी शादी में रोमांस को जिंदा रखना चाहती हैं, तो अपने पति को उस तरीके से ट्रीट करें, जो तरीका आप खुद के लिए चाहती हैं. कहने का मतलब यह कि आप उन्हें वैसे सरप्राइज दीजिए, जिन्हें पाने की चाहत आप को है. उन के लिए कैंडल लाइट डिनर अरेंज करें जो आप को भी पसंद है. गुडमौर्निंग किस दीजिए रोज, जो आप खुद पाना चाहती हैं. एक बार उन्हें इस की आदत पड़ने दीजिए, फिर आप को खुद ही रिटर्न ट्रीट मिलनी शुरू हो जाएगी.

शादी हमेशा खुशियों भरी नहीं होती

यह जाननासमझना औैर स्वीकरना आवश्यक है और यह भी कि वक्त जैसेजैसे गुजरता जाएगा हमेशा कोईर् न कोई ऐसा इश्यू आप दोनों के बीच आ खड़ा होेगा, जिस पर आप एकमत नहीं होंगे. लेकिन आप को इन सब से डील करना सीखना होेगा. ऐसा बहुत बार होगा कि पार्टनर की बातें, हरकतें आप को हैरान कर दें. आप उन की मेरी मरजी वाले ट्रैक से परेशान हो जाएं, लेकिन कुछ भी हो, आप को सब्र से काम लेना होगा. कुछ वक्त लें, कुछ उन्हें दें, अपने ईगो को बीच में न आने दें. समस्या जैसी भी हो, सुलझ ही जाएगी.

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एक बच्चा टूटती शादी को नहीं बचा सकता

सच तो यह है कि एक मुश्किल दौर से गुजरते कपल के बीच एक नन्हेमुन्ने की मौजूदगी हालात, तनाव को और बढ़ा देती है. अगर आप को यह सदियों पुरानी दादी, नानी की आजमाई गोल्डन ऐडवाइज मिले कि हैव ए किड ऐंड सेव योर मैरिज यानी जल्दी से एक बच्चा प्लान करो औैर देखो कैसे सब कुछ ठीक हो जाता है, तो इस सलाह पर अमल न करें, क्योंकि यह मुश्किल का हल नहीं, बल्कि मुश्किलें बढ़ाने वाला कदम साबित होगा. एक बच्चे को दुनिया में लाना बहुत बड़ा दायित्व होता है. इस का निर्णय तभी लिया जाना चाहिए जब आप दोनों उस की परवरिश के लिए पूरी तरह तैयार हों.

सच यही है कि शादी हर सवाल का जवाब नहीं होती, बल्कि यह तो अपनेआप में एक पहेली होती है, जिस का हल तभी निकलता है जब दोनों अपने अहं और स्वार्थ का त्याग कर एक इकाई बन जाते हैं.

प्यार को प्राथमिकता दें

दरअसल, पतिपत्नी के मध्य टकराव ही वैवाहिक जीवन के लिए अभिशाप बनता है. जहां ईगो का टकराव न हो, वहां वैवाहिक जीवन निरंतर सफलता के साथ चलता है. एक कारण यह भी है कि जहां अपेक्षाएं ज्यादा हों, वहां अगर उन की पूर्ति नहीं होती, तो प्रतिदिन नई समस्याएं उत्पन्न होती हैं. वैवाहिक जीवन की सफलता के लिए आवश्यक है कि परिस्थितियां कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों, पतिपत्नी के मध्य प्रेम हमेशा कायम रहे. पतिपत्नी एक सिक्के के दो पहलू होते हैं, इसलिए दोनों को ही अपने अहम के टकराव से बचना चाहिए और प्रेम के मूलमंत्र पर अमल करना चाहिए, क्योंकि दांपत्य जीवन अगर सहज नहीं है, तो पारिवारिक जीवन भी परेशानियों का केंद्र बन जाता है.

-ऋचा पांडे, अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट औफ इंडिया एवं ग्लोबल ऐंबैसेडर सिरोज यूनाइटेड (यूएसए)

एकदूसरे की भावनाओं को समझें

पतिपत्नी को हमेशा एकदूसरे के साथ क्वालिटी टाइम बिताने का प्रयास करना चाहिए. जरूरी है कि वे साथ में कुछ समय बैठें, बातें करें. एकदूसरे की भावनाओं को समझें, एकदूसरे को प्रोत्साहित करें. मगर अपनी इनडीविजुअल आईडैंटिटी को भी मैंटेन रखें. दूसरे को अपने जैसा बनाने का प्रयास कतई न करें. जिंदगी के महत्त्वपूर्ण निर्णय एकदूसरे के साथ बैठ कर ही लें.

-डा. गौरव गुप्ता, मनोवैज्ञानिक, तुलसी हैल्थकेयर

शादी से जुड़े कुछ तथ्य

विवाह एक अनूठा बंधन है, जिस में 2 व्यक्ति 7 फेरे ले कर एकदूसरे के साथ सदा के लिए जुड़ जाते हैं. पर क्या वाकई यह बंधन इतना ही मजबूत होता है? या फिर कुछ ऐसे तथ्य भी हैं, जिन से आप वाकिफ नहीं. आइए, आप को रूबरू कराते हैं, शादी से जुड़े ऐसे ही तथ्यों से:

– नौकरी, बच्चे, टीवी, इंटरनैट, हौबीज व घरपरिवार की जिम्मेदारियों की वजह से एक औसत दंपती दिन में केवल 4 मिनट ही अकेले एकदूसरे के साथ वक्त बिता पाते हैं.

– 25 साल से कम उम्र में शादी होने पर तलाक का खतरा ज्यादा होता है. महिला यदि पुरुष से काफी बड़ी है, तो भी तलाक की संभावना बढ़ जाती है. जबकि पुरुष काफी बड़ा हो तो ऐसा होने की संभावना कम रहती है.

– एक व्यक्ति का शैक्षिक स्तर इस बात पर काफी प्रभाव डालता है कि वह शादी किस उम्र में करेगा. अधिक पढ़ेलिखे लोग सामान्यतया या अधिक उम्र में शादी करते हैं जबकि कम पढ़ेलिखों की शादी जल्दी होती है.

– एक अध्ययन में पाया गया है कि वे महिलाएं जिन के यहां घर के कामों का संतुलित विभाजन होता है और जिन के पति अपने हिस्से का काम बखूबी निभाते हैं, ज्यादा खुश व संतुष्ट दिखती हैं. बनिस्बत कि वे महिलाएं जिन्हें अपने पति से इस संदर्भ में शिकायत रहती है.

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– 15 साल के लंबे अध्ययन में पाया गया कि शादी से पूर्व एक व्यक्ति की प्रसन्नता का स्तर शादी के बाद उस की सफल और खुशहाल वैवाहिक जिंदगी का अच्छा सूचक है. दूसरे शब्दों में स्वयं विवाह व्यक्ति की प्रसन्नता की वजह नहीं होता.

– बर्थ और्डर भी कहीं न कहीं आप के विवाह की सफलता/असफलता निर्धारित करते हैं. सब से ज्यादा सफल शादियां वे रही हैं, जहां भाइयों में सब से बड़ी बहन की शादी बहनों में सब से छोटे भाई के साथ हुई. जबकि 2 पहली संतानों के बीच हुई शादी कम निभ पाती है.

– शादी और सगाई की अंगूठी बाएं हाथ की चौथी उंगली में पहनी जाती है. रोम में लोग यह विश्वास करते थे कि इस उंगली की एक खास वेन सीधी दिल तक जाती है.

– न्यूयौर्क यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के मुताबिक, ठिगने व्यक्ति ज्यादा गंभीरता से शादी निभाते हैं और अपने ठिगनेपन को कंपेनसेट करने के लिए अधिक कमाते हैं.

– गरिमा पंकज 

Winter Special: झटपट बनाएं पाइनएपल शीरा

पाइनएपल शीरा सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. इस डिश में प्रोटीन के साथ-साथ विटामिन ए है जो की सेहत के लिए बहुत जरूरी है. इसके साथ-साथ इसमें आयरन की भी मात्रा है. कुल मिलाकर यह एक टेस्टी रेसिपी है और इसे बनाना बहुत आसान है.

बनाने में लगने वाला समय: 30 मिनट

सामग्री

पिसा हुआ पाइनएपल

चीनी

घी

सूजी

फैट फ्री दूध

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केसर मिला हुआ दूध

इलाएची पाउडर

विधि

सबसे पहले पिसे हुए पाइनएपल को गर्म कर लें. इसमें थोड़ी सी चीनी डालें. चीनी डालने के बाद इसे अच्छी तरह से मिला लें और तीन से चार मिनट तक मिला लें. एक चीज का ध्यान रखना होगा कि आपके पाइनएपल पके हुए होने चाहिए, क्योंकि अगर पाइनऐपल कच्चे हुए तो इसका स्वाद कड़वा हो जाएगा. तीन से चार मिनट तक पकाने के बाद यह मिश्रण तैयार हो जाएगा.

अब आप सूजी को तैयार करेंगी. इसके लिए आप एक पैन में घी गर्म कर उसमें सूजी डाल दें. अब इसे गुलाबी रंग होने तक धीमी आंच पर अच्छी तरह से भूनें.

जब सूजी गुलाबी रंग का हो जाए तो इसमें दो कप लो फैट दूध और दो कप पानी डालें. अब इसे गाढ़ा होने तक पकाएं. पकाने के बाद इसमें स्वाद के अनुसार सूगर सब्सचीट्युट पाउडर डाल कर पकाते रहें. इसके बाद इसमें पाइनएपल का मिश्रण डाल दें और धीमी आंच पर हिलाते रहें.

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अब सूजी और पाइनएपल के गाढ़े पेस्ट में केसर डालें. केसर डालने से पहले उसे दो-तीन चम्मच दूध में गर्म कर लें. अब आखिर में इसमें इलाएची डालें. इस तरह से आपका शीरा तैयार हो गया. इसे एक बाउल में निकाल लें.

अब आप इसे गरमा-गरम परोसिए. इसे सजाने के लिए आप उपर से बादाम डाल सकती हैं.

जैसी Skin वैसा Face Pack

समयसमय पर फेस पैक का इस्तेमाल करने से त्वचा स्वस्थ और कोमल बनी रहती है. रक्तसंचार भी सुचारु रहता है. यह त्वचा के लिए एक सर्वोत्तम टौनिक है. अगर इसे हफ्ते में 1-2 बार नियम से लगाया जाए तो त्वचा बहुत सुंदर हो जाती है. वैसे तो बाजार में फेस पैक तैयार मिलते हैं, लेकिन आप चाहें तो घर पर भी स्वयं फेस पैक तैयार कर सकती हैं. किस त्वचा के लिए कैसा फेस पैक चुनें, आइए जानते हैं:

सूखी त्वचा के लिए

– 1 चम्मच चंदन पाउडर, 1 चम्मच शहद, 1 चम्मच दूध पाउडर व 1 चम्मच गुलाबजल मिला कर पेस्ट बनाएं और पूरे चेहरे व गले पर लगा कर सूखने दें. कम से कम 20 मिनट बाद कुनकुने पानी से धो लें.

– 1-1 चम्मच बादाम रोगन, बेसन व मलाई मिला कर पेस्ट बनाएं. चेहरे और गरदन पर 15-20 मिनट तक लगाए रखें, उस के बाद गरम पानी से धो लें.

– औलिव औयल की 1-2 बूंदें 2 चम्मच मैदे में मिला कर पेस्ट तैयार कर आधे घंटे तक चेहरे पर लगाए रखें. सूखने पर पानी या गुलाबजल से धो लें.

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सामान्य त्वचा के लिए

– 2 बादाम भिगो कर पीस लें. उस में 2 चम्मच दूध, 1 चम्मच गाजर और संतरे का रस मिला कर चेहरे और गरदन पर गाढ़ागाढ़ा लेप करें. आधे घंटे बाद धो लें. यह झांइयां दूर करेगा और त्वचा भी कोमल हो जाएगी.

– 1 चम्मच शहद में आलमंड औयल की कुछ बूंदें मिला कर चेहरे और गले पर लगाएं. 10 मिनट बाद पानी से धो लें. इस से त्वचा कोमल होती है और झुर्रियां भी कम होती हैं.

– 2 चम्मच आटे में दूध, हलदी मिलाएं, फिर उस में थोड़ा सा गुलाबजल डाल कर चेहरे पर लगाएं. 15 मिनट बाद कुनकुने पानी से धो लें.

– थोड़े से आटे में पानी, 1 चम्मच शहद मिला कर चेहरे पर लगाएं. 15-20 मिनट बाद कुनकुने पानी से चेहरे को धो लें.

तैलीय त्वचा के लिए

– 1×1/2 चम्मच मुलतानी मिट्टी में 1×1/2 चम्मच नीबू का रस व 1/2 चम्मच शहद मिलाएं. पेस्ट बना कर चेहरे पर लगाएं. 20 मिनट बाद हलके गरम पानी से धो लें.

– मसूर की दाल व चावल को दरदरा पीस कर उस में चंदन पाउडर, मुलतानी मिट्टी, संतरे के छिलकों का पाउडर व 2 चम्मच खीरे का रस मिला कर पेस्ट बनाएं और चेहरे पर लगाएं. जब सूख जाए तो ठंडे पानी से धो लें.

– जौ का पाउडर थोड़ा सा, 2 चम्मच नीबू का रस, थोड़ा सा दूध सब को मिला कर चेहरे पर लगाएं. सूखने पर धो लें. इस से चेहरे का रक्तसंचार ठीक होता है और त्वचा भी साफसुथरी हो जाती है.

– खीरे को कस कर उस में नीबू रस की कुछ बूंदें और 1 चम्मच गुलाबजल मिलाएं. इसे कपड़े के 2 टुकड़ों के बीच रख कर चेहरे पर लगाएं.

15-20 मिनट के बाद साफ कर लें.

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सावधानी

फेस पैक लगाते समय ध्यान रहे कि यह तय समय से अधिक समय न लगा रहे और इसे आंखों के चारों तरफ कभी न लगाएं. उन पर रुई के फाहों को ठंडे पानी से भिगो कर रख लें.

बिलखता मौन: भाग 1- क्यों पास होकर भी मां से दूर थी किरण

‘पता नहीं क्या हो गया है इस लड़की को? 2 दिनों से कमरे में बंद बैठी है. माना स्कूल की छुट्टियां हैं और उसे देर तक बिस्तर में रहना अच्छा लगता है, किंतु पूरे 48 घंटे बिस्तर में भला कौन रह सकता है? बाहर तो आए, फिर देखते हैं. 2 दिनों से सबकुछ भुला रखा है. कई बार बुला भेजा उसे, कोई उत्तर नहीं. कभी कह देती है, आज मेरी तबीयत ठीक नहीं. कभी आज भूख नहीं है. कभी थोड़ी देर में आती हूं. माना कि थोड़ी तुनकमिजाज है, किंतु अब तक तो मिजाज दुरुस्त हो जाना चाहिए था. हैरानी तो इस बात की है कि 2 दिनों से उसे भूख भी नहीं लगी. एक निवाला तक नहीं गया उस के अंदर. पिछले 10 वर्षों में आज तक इस लड़की ने ‘रैजिडैंशियल केअर होम’ के नियमों का उल्लंघन कभी नहीं किया. आज ऐसा क्या हो गया है?’’ केअर होम की वार्डन हैलन बड़बड़ाए जा रही थी. फिर सोचा, स्वयं ही उस के कमरे में जा कर देखती हूं कहीं किरण की तबीयत तो खराब नहीं. डाक्टर को बुलाना भी पड़ सकता है. हैलन पंजाब से आई ईसाई औरत थी और 10 सालों से वार्डन थी उस केअर होम की.

वार्डन ने कई बार किरण का दरवाजा खटखटाया. कोई उत्तर न पा वह झुंझलाती हुई अधिकार से बोली, ‘‘किरण, दरवाजा खोलो वरना दरवाजा तोड़ दिया जाएगा.’’ किरण की ओर से कोई उत्तर न पा कर वार्डन फिर क्रोध से बोली, ‘‘दरवाजा क्यों नहीं खोलती? किस का शोक मना रही हो? बोलती क्यों नहीं.’’

‘‘शोक मना रही हूं, अपनी मां का,’’ किरण ने रोतेरोते कहा. फिर फूटफूट कर रोने लगी.

इतना सुनते ही वार्डन चौंक पड़ी. सोच में पड़ गई, मां, कौन सी मां? जब से यहां आई है, मां का तो कभी जिक्र तक नहीं किया. वार्डन ने गहरी सांस ले अपने को संभालते हुए बड़े शांत भाव से कहा, ‘‘किरण बेटा, प्लीज दरवाजा तो खोलो.’’

कुछ क्षण बाद दरवाजा खोलते ही किरण वार्डन से लिपट कर दहाड़दहाड़ कर रोने लगी. धीरेधीरे उस का रोना सिसकियों में बदल गया.

‘‘किरण, ये लो, थोड़ा पानी पी लो,’’ वार्डन ने स्नेहपूर्वक कहा.

नाजुक स्थिति को समझते हुए वार्डन ने किरण का हाथ अपने हाथ में ले उस से प्यार से पूछा, ‘‘किरण, अपनी मां से तो तुम कभी मिली नहीं? आज ऐसी क्या बात हो गई है?’’

सिसकियां भरतेभरते किरण बोली, ‘‘मैं मां से कहां मिलना चाहती थी. अभी भी कहां मिली हूं. न जाने यह कब और कैसे हो गया. अब तो मैं चाह कर भी मां से नहीं मिल सकती.’’ इतना कह कर किरण ने गहरी सांस ली.

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वार्डन ने उसे आश्वासन देते हुए कहा, ‘‘जो कहना है कहो, मेरे पास तुम्हारे लिए समय ही समय है.’’

वार्डन का कहना भर था कि किरण के मुंह से अपने जीवन का इतिहास अपनेआप निकलने लगा, ‘‘पैदा होने से अब तक रहरह कर मेरे कानों में मां के तीखे शब्द गूंजते रहते हैं, ‘तू कोख में क्या आई, मेरे तो करम ही फूट गए.’ ऊपर से नानी, जिन्होंने मां को एक पल भी चैन से नहीं जीने दिया, मां से संबंधविच्छेद के बाद भी कभीकभार हमारे घर आ धमकतीं. फिर चालू हो जाती उन के तानोंउलाहनों की सीडी, ‘न सुखी, तू जम्मी ओ वी कुड़ी’. हुनतां तू अपने देसी बंदे नाल व्याण जोगी वी नई रई. कुड़ी अपने बरगी होंदी ते बाकी बच्यां नाल रलमिल जांदी. लबया वी कौन? दस्दयां वी शर्म आंदी ऐ.’’ आंसू भर आए थे एक बार फिर किरण की आंखों में.

‘‘मिसेज हैलन, मुझे नानी का हरदम कोसना, मां की बेरुखी से कहीं अधिक खलता था. ऐसा लगता जैसे वे मुझे नहीं, मेरे मांबाप को गालियां दे रही हों. मेरे मोटेमोटे होंठ, तंगतंग घुंघराले बाल, सभी को बहुत खटकते थे. मैं अकसर क्षुब्ध हो कर मां से पूछती, ‘इस में मेरा क्या कुसूर है?’ मैं दावे से कह सकती हूं कि अगर नानी का बस चलता तो मेरे बाल खींचखींच कर सीधे कर देतीं. मेरे होंठों की प्लास्टिक सर्जरी करवा देतीं. मुझे नानी जरा भी नहीं भाती थीं. दरवाजे से अंदर घुसते ही उन का शब्दों का प्रहार शुरू हो जाता, ‘नी सुखीये ऐस कुड़ी नूं सहेड़ के, तू अपनी जिंदगी क्यों बरबाद कर रई ए. दे दे किसी नूं, लाह गलयों. जद गल ठंडी पै जावेगी, तेरा इंडिया जा के ब्याह कर दयांगे. ताकत देखी है लाल (ब्रिटिश) पासपोर्ट दी. जेड़े मुंडे ते हथ रखेंगी, ओईयों तैयार हो जावेगा.’

‘‘दिनरात ऐसी बातें सुनसुन कर मेरे प्रति मां के व्यवहार में रूखापन आने लगा. एक दिन जब मैं स्कूल से लौटी ही थी कि घंटी बजी. मेरे दरवाजा खोलते ही सामने एक औरत खड़ी थी, बोली, ‘हाय किरण, मैं, ज्योति आंटी, तुम्हारी मम्मी की सहेली.’

‘‘मां, आप की सहेली, ज्योति आंटी आई हैं,’’ मैं ने मम्मी को आवाज दी.

‘‘‘हाय ज्योति, तुम आज रास्ता कैसे भूल गई हो?’

‘‘‘बहुत दिनों से मन था तुम्हारे साथ बैठ कर पुरानी यादों को कुरेदने का.’

‘‘‘आओ, अंदर आओ, बैठो. बताओ, आजकल क्या शगल चल रहा है. 1 से 2 हुई या नहीं?’ मां ने पूछा.

‘‘‘न बाबा न, मैं इतनी जल्दी इन झंझटों में पड़ने वाली नहीं. जीभर के मजे लूट रही हूं जवानी के. तू ने तो सब मजे स्कूल में ही ले लिए थे,’ ज्योति ने व्यंग्य से कहा.

‘‘‘मजे? क्या मजे? वे मजे तो नुकसानदेह बन गए हैं मेरे लिए. सामने देख,’ मां ने मेरी ओर इशारा करते हुए कहा.

‘‘इतना सुनते ही मैं दूसरे कमरे में चली गई. मुझे उन की सब बातें सुनाई दे रही थीं. बहुत तो नहीं, थोड़ाथोड़ा समझ में आ रहा था…

‘‘‘सुखी, तुझे तो मैडल मिलना चाहिए. तू ने तो वह कर दिखाया जो अकसर लड़के किया करते हैं. क्या गोरा, क्या काला. कोई लड़का छोड़ा भी था?’ ज्योति आंटी ने मां को छेड़ते हुए कहा.

‘‘‘ज्योति, तू नहीं समझेगी. सुन, जब मैं भारत से आई थी, उस समय मैं 14 वर्ष की थी. स्कूल पहुंचते ही हक्कीबक्की सी हो गई. यहां का माहौल देख कर मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं. तकरीबन सभी लड़केलड़कियां गोरेचिट्टे, संगमरमरी सफेद चमड़ी वाले, उन के तीखेतीखे नैननक्श. नीलीनीली हरीहरी आंखें, भूरेभूरे सोने जैसे बाल, उन्हें देख कर ऐसा लगता था मानो लड़के नहीं, संगमरमर के बुत खड़े हों. लड़कियां जैसे आसमान से उतरी परियां. मेरी आंखें तो उन पे गड़ी की गड़ी रह जातीं. शुरूशुरू में उन का खुलापन बहुत अजीब सा लगता था. बिना संकोच के लड़केलड़कियां एकदूसरे से चिपटे रहते. उन का निडर, आजाद, हाथों में हाथ डाले घूमते रहना, ऐसा लगता था जैसे वे शर्म शब्द से अनजान हैं. धीरेधीरे वही खुलापन मुझे अच्छा लगने लगा. ज्योति, सच बताऊं, कई बार तो उन्हें देख कर मेरे मन में भी गुदगुदी होती. मन मचलने लगता. उन से ईर्ष्या तक होने लगती थी. तब मैं घंटों अपने भारतीय होने पर मातम मनाती. बहुत कोशिशें करने के बावजूद मेरे मन में भी जवानी की इच्छाएं इठलाने लगतीं. आहिस्ताआहिस्ता यह आग ज्वालामुखी की भांति भभकने लगी. एक दिन आखिर के 2 पीरियड खाली थे. मार्क ने कहा, ‘सुखी, कौफी पीने चलोगी?’ मैं ने उचक कर झट से हां कर दी. क्यों न करती? उस समय मेरी आंखों के सामने वही दृश्य रीप्ले होने लगा. तुम इसे चुनौती कहो या जिज्ञासा. मुझे भी अच्छा लगने लगा. धीरेधीरे दोस्ती बढ़ने लगी. मार्क को देख कर जौर्ज और जौन की भी हिम्मत बंधी. कई लड़कों को एकसाथ अपने चारों ओर घूमते देख कर अपनी जीत का एहसास होता. इसे तुम होल्ड, कंट्रोल या फिर पावर गेम भी कह सकती हो. अपने इस राज की केवल मैं ही राजदार थी.’

‘‘‘सुखी, तुम कौन से जौर्ज की बात कर रही हो, वही अफ्रीकन?’

‘‘‘हां, वह तो एक जिज्ञासा थी. उसे टाइमपास भी कह सकती हो. न जाने कब और कैसे मैं आगे बढ़ती गई. आसमान पर बादलों के संगसंग उड़ने लगी. पढ़ाई से मन उचाट हो गया. एक दिन पता चला कि मैं मां बनने वाली हूं. घर में जो हंगामा हुआ, सो हुआ. मुझे स्कूल छोड़ना पड़ा. सभी लड़कों ने जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया. मैं भी किस पर हाथ रखती. मैं तो खुद ही नहीं जानती थी. किरण का जन्म होते ही उसे अपनाना तो दूर, मां ने किसी को उसे हाथ तक नहीं लगाने दिया. जैसे मेरी किरण गंदगी में लिपटी छूत की बीमारी हो. इस के बाद मेरी मां के घर से क्रिसमस का उपहार तो क्या, कार्ड तक नहीं आया.’’’

‘‘किरण, तुम्हें यह सब किस ने बताया?’’ वार्डन ने स्नेहपूर्वक पूछा.

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‘‘उस दिन मैं ने मां और ज्योति आंटी की सब बातें सुन ली थीं. जल्दी ही समय की कठोर मार ने मुझे उम्र से अधिक समझदार बना दिया. मां जो कभीकभी सबकुछ भुला कर मुझे प्यार कर लेती थीं, अब उन के व्यवहार में भी सौतेलापन झलकने लगा. जो पैसे उन्हें सोशल सिक्योरिटी से मिलते थे, उन से वे सारासारा दिन शराब पी कर सोई रहतीं. घर के काम के कारण कईकई दिन स्कूल नहीं भेजतीं. सोशलवर्कर घर पर आने शुरू हो गए. सोशल सर्विसेज की मुझे केयर में ले जाने की चेतावनियों का मां पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. शायद मां भी यही चाहती थीं. मां हर समय झुंझलाई सी रहतीं. मुझे तो याद ही नहीं कि कभी मां ने मुझे प्यार से बुलाया हो या फिर कभी अपने संग बिस्तर में लिटाया हो. मैं मां की ओर ललचाई आंखों से देखती रहती. ‘एक दिन मां ने मुझे बहुत मारा. शाम को वे मुझे अकेला छोड़ कर दोस्तों के संग पब (बीयर बार) में चली गईं. उस वक्त मैं केवल 8 वर्ष की थी. घर में दूध के सिवा कुछ खाने को नहीं था. बाहर बर्फ पड़ रही थी. रातभर मां घर नहीं आईं. न ही मुझे डर के मारे नींद. दूसरे दिन सुबह मैं ने पड़ोसी मिसेज हैंपटन का दरवाजा खटखटाया. मुझे डरीडरी, सहमीसहमी देख कर उन्होंने पूछा, ‘किरण, क्या बात है? इतनी डरीडरी क्यों हो?’

‘‘मम्मी अभी तक घर नहीं आईं,’ मैं ने सुबकतेसुबकते कहा.

‘‘‘डरो नहीं, अंदर आओ.’

‘‘मैं सर्दी से ठिठुर रही थी. मिसेज हैंपटन ने मुझे कंबल ओढ़ा कर हीटर के सामने बिठा दिया. वे मेरे लिए दूध लेने चली गईं. 20 मिनट के बाद एक सोशलवर्कर, एक पुलिस महिला के संग वहां आ पहुंची. जैसेतैसे पुलिस ने मां का पता लगाया.

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