बीहू की शांति: भाग 3-पर्सी दोस्ती की आड़ में लड़की को क्यों फंसता था?

कुछ दिनों तक मोबाइल पर बातचीत के बाद मुलाकात तय हुई. वे तीनों होटल में गए जहां पर पर्सी ने जम कर लेस्बियन कल्चर की सपोर्ट में भाषणबाजी करी.

अब तक पर्सी समझ चुकी थी कि उसे क्या करना है, ‘‘तो लेस्बियन इतने अच्छे हैं तो आ जाओ न हमारे साथ,’’ कहते हुए अपने होंठ शांति के होंठों से चिपका दिए पर्सी ने. शांति ने अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़ दिया. इस समय उस के शरीर पर पर्सी और बीहू अपना सारा प्रेम निछावर कर रही थीं.

शांति ने चरम सुख एक बार नहीं बल्कि 2-2 बार अनुभव किया. प्यासी धरती आज पानी की बूंदों से तृप्त हो रही थी.

उस दिन शर्म की दीवार क्या गिरी फिर तो आए दिन का खेल ही हो गया. अब तीनों जब भी मिलते, जवानी का मजा लेते और बदले में शांति बीहू और पर्सी को पैसे भी दे कर जाती. शांति को बीहू और पर्सी का साथ बहुत अच्छा लग रहा था और अब शांति पहले से ज्यादा खुश नजर आ रही थी पर उस की यह खुशी ज्यादा दिन तक नजर नहीं आई जब एक दिन पर्सी ने घबराते हुए शांति को बताया कि जिस होटल में वे तीनों मजा करने जाते थे वहां के कमरे में शायद स्पाई कैमरा लगा हुआ था और उस कैमरे में हमारी सभी की सैक्स करते समय के न्यूड वीडियो कैद हो गए हैं और अब उस होटल का मालिक हमे ब्लैकमेल कर रहा है और वीडियो को इंटरनैट पर लीक न करने के 2 लाख रुपए मांग रहा है.

‘‘पर कैसा वीडियो है वह और हैं कहां?’’ शांति ने पूछा तो पर्सी ने उसे अपने मोबाइल पर एक अनजान नंबर से आया वीडियो दिखाया जिस में शांति पूरी तरह से नग्न हो कर बिस्तर पर लेटी हुई है जबकि बीहू उस के पैरों को सहला रही है.

शांति दंग रह गई थी. वह किसी भी हालत में यह नहीं चाहती थी कि उस के चरित्र पर कोई लांछन लगा सके पर यहां तो उस का पूरा वीडियो ही बना हुआ है.

शांति ने बीहू को मिलने के लिए बुलाया और एक ही सांस में सारी घटना कह सुनाई. पर्सी भी साथ में थी.

‘‘पर इस बात की क्या गारंटी है कि ब्लैकमेलर एक बार हम से पैसा ले कर दोबारा हम से पैसे नहीं मांगेगा?’’ शांति ने कुछ सोचते हुए कहा.

पर्सी के चेहरे पर बड़ा आत्मविश्वास सा दिखाई दिया जब उस ने कहा कि एक बार पैसे मांगने के बाद वह दोबारा पैसे नहीं मांगेगा.

वैसे तो बीहू जानती थी कि आए दिन लड़केलड़कियों के सैक्स स्कैंडल

इंटरनैट पर अपलोड होते रहते हैं पर फिर भी किसी तरह की बदनामी न हो इसलिए वह भी यही चाहती थी कि बात रफादफा कर दी जाए हालांकि 2 लाख रुपए की रकम छोटी नहीं होती पर फिर मरता क्या न करता.

शांति और बीहू ने 2 लाख रुपए मिल कर किसी तरह पर्सी को दिए ताकि वह उस होटल के मकानमालिक अर्थात उस ब्लैकमेलर को दे सके. फिर कई हफ्तों तक उन लोगों में कोई मुलाकात करना ठीक नहीं समझ.

अभी 6 महीने ही गुजरे थे कि पर्सी ने एक बार फिर से घबराए स्वर में शांति को बताया कि वह ब्लैकमेलर मुझे फोन कर के फिर से पैसे मांग रहा है.

इस बार शांति को पर्सी की बात पर थोड़ा शक हुआ, ‘‘पर उस का फोन बारबार तुम्हारे पास ही क्यों आ रहा है हम में से किसी के पास क्यों नहीं आता.’’

शांति के इस सवाल से सकपका गई पर्सी. उसे इस प्रश्न की आशा न थी, इसलिए उस ने बात बदलते हुए कहा कि हमें जल्द ही कुछ करना चाहिए वरना हम सब बदनाम हो जाएंगे.

आखिर बीहू और शांति के पास कोई पैसों का पेड़ तो था नहीं. वे दोनों परेशान दिखी पर न जाने क्यों शांति को पर्सी की बात पर शक हो रहा था. उस ने शाम को पर्सी से फिर से उस के कमरे पर मिलने को कहा और यह भी कहा कि उसे अपनी इज्जत तो बचानी ही है. अत: कैसे भी हो वह पैसे ले कर आएगी.

शाम को पर्सी, बीहू और शांति एकसाथ थीं. शांति अपने साथ 2 लाख रुपए बैग में ले कर आई थी और बहुत परेशान हो रही थी कि कहीं यह ब्लैकमेलर उस का वीडियो वायरल न कर दे.

पर्सी ने पैसे देख कर उसे भरोसा दिलाया कि वह घबराए नहीं. पैसे दे देंगे तो वह कुछ नहीं करेगा.

शांति के आग्रह पर अपनी टैंशन कम करने के नाते तीनों ने जम कर शराब पी और

पार्टी करी. शराब पी कर सब से पहले पर्सी लुढ़क गई क्योंकि शांति ने चुपके से सिर्फ पर्सी की शराब में ही नींद की गोलियां मिलाई थीं और खुद बीहू और शांति सिर्फ नशे में होने का नाटक भर कर रही थीं. उन दोनों ने पर्सी की उंगली की बायोमीट्रिक छाप से पर्सी का मोबाइल अनलौक किया और उस की छानबीन करी, उस के चैट्स खंगाले और जो समाने आया उस से वे दोनों दंग रह गईं.

पर्सी के अनेक लड़कों और लड़कियों से संबंध थे. वह लेस्बियन होने का दिखावा करती और फिर लड़कियों को अपने जाल में फंसा कर उन के आपसी संबंध का न्यूड वीडियो बना कर बाद में उन्हीं को ब्लैकमेल करती.

शांति को उसी दिन शक हो गया था जब उस के सवाल पर पर्सी के चेहरे का रंग उड़ गया था. तभी उस ने अपने मन की बात बीहू से शेयर करी और तभी दोनों ने मिल कर पूरी प्लानिंग से  पार्टी वाला प्रोग्राम बनाया.

बीहू और शांति ने पर्सी को बैड के सिरहाने से बांध दिया और उस के मोबाइल से ही पुलिस को फोन कर के पर्सी के बारे में सबकुछ बता दिया. पर्सी का पता भी बता दिया. पुलिस द्वारा फोन करने वाले की पहचान पूछे जाने पर सिर्फ ‘एक पीडि़त’ कह कर फोन काट दिया.

बीहू को पर्सी ने धोखे में रखा और अपने जाल में फंसाया. बीहू कभी पर्सी को माफ नहीं करेगी और अब शायद किसी अनजाने पर इतनी जल्दी भरोसा भी नहीं कर पाएगी.

‘‘तुम चाहो तो मुझ पर भरोसा कर सकती हो क्योंकि मैं भी एक सताई हुई औरत हूं,’’ शांति ने जैसे बीहू के मन की बात पढ़ ली थी.

बीहू के चेहरे पर मुसकराहट थी. उस ने कमरे से अपना सारा सामान उठाया और शांति के साथ एक अनजान शहर की ओर जाने वाली बस में बैठ गई.

अब बीहू को किसी ड्रामा स्कूल से नाटक के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं थी. अपने अनुभवों से वह जान चुकी थी कि यहां पर सब तरफ एक नाटक चल रहा है जिस में लोग अपना असली चेहरा छिपाए रहते हैं और नकली चेहरा जनता को दिखाते हैं.

बीहू और शांति बाकी का जीवन एकदूसरे के असली चेहरे के साथ बिताएंगी जबकि दुनिया के सामने उन का नकली चेहरा ही होगा.

पुरुषों द्वारा किसी न किसी रूप में पीडि़त महिलाएं आज आजाद हो चुकी थीं. समाज उन के रिश्ते को ‘अननैचुरल’ भी कह सकता है पर सच तो यह था कि अब बीहू को शांति मिल चुकी थी और अब शांति के साथ बीहू थी.

बीहू की शांति: भाग 2-पर्सी दोस्ती की आड़ में लड़की को क्यों फंसता था?

लेस्बियन संबंधों के बारे में सिर्फ पढ़ा भर ही था बीहू ने पर पिछली रात अनुभव भी कर लिया.

‘‘कल रात जो भी हुआ वह ठीक नही था,’’ बीहू ने कहा.

‘‘क्या ठीक नहीं था, लेस्बियन होना कोई नई बात नहीं, हर जगह होता है यह और फिर लड़कों के साथ सैक्स करने से तो अच्छा है, कम से कम बच्चे पैदा होने का तो कोई डर नहीं रहता,’’ यह बात पर्सी ने इस अंदाज से कही थी कि बीहू भी मुसकरा उठी.

बीहू को भी तो लड़कों से दर्द के अलावा कुछ नहीं मिला था पर ऐसा नहीं था कि अपने लेस्बियन होने के गुण को बीहू ने एक ही रात में स्वीकार कर लिया था पर यह तो सच था कि पहली बारिश के बाद जिस तरह से माहौल हलकाफुलका सा हो जाता है वैसा ही हलकापन जरूर महसूस किया था बीहू ने.

शायद इसी कारण अब बीहू कुछ नए किरदारों में भी फिट बैठ रही थी और ‘थिएटर दिवस’ पर रवींद्रालय में आने वाले एक विशेष कार्यक्रम के लिए बीहू और पर्सी ने जम कर मेहनत करी थी. एक प्ले तैयार किया था जिस में यह संदेश था कि औरत किसी तरह से मर्द पर आश्रित नहीं, बच्चा पैदा करने के लिए भी नहीं.

इस प्ले में तमाम तथ्य दिए गए थे जिन से दर्शकों को लगा कि अगर पुरुष पूरी तरह से हिंसक या बलात्कारी बनते जा रहे हैं तो फिर महिलाओं को उन का बहिष्कार कर देना चाहिए और चाहे इस के लिए उन्हें लेस्बियन कल्चर ही क्यों नहीं अपनाना पढ़े.

मगर क्या पुरुषविहीन समाज संभव है? अगर हां तो यह कैसे हो पाएगा? इस प्रश्न के साथ इस प्ले को खत्म किया गया था.

दर्शकों की तालियां बता रही थीं कि उन लोगों को ड्रामा बहुत पसंद आया. सभी कलाकारों ने एकसाथ स्टेज पर आ कर सभी दर्शकों का अभिनंदन किया.

बीहू और पर्सी अपने चेंजिंगरूम में आ कर अभी बैठे  ही थे कि दरवाजे पर खटखट की आवाज आई तो बीहू ने दरवाजा खोला. देखा सामने 30-35 साल की एक शादीशुदा औरत खड़ी थी जो देखने से ही काफी पैसे वाली लग रही थी.

वह बड़ी बेपरवाही से अंदर आ गई और सोफे में धंस गई. अपना परिचय देते हुए उस ने बताया कि उस का नाम शांति है. उस ने उन दोनों की ऐक्टिंग की जम कर तारीफ करी और लेस्बियन कल्चर पर खूब सवालजवाब करने लगी. शांति की सारी बातों के जवाब पर्सी ने बखूबी दिए.

शांति का मिजाज बहुत खुला हुआ और दोस्ताना था जातेजाते वह अपना मोबाइल नंबर भी दे गई और जल्दी ही फिर मिलने का वादा भी कर गई.

उस ने अपना वादा जल्द ही निभाया जब  फोन कर के पर्सी और बीहू को ‘सन ऐंड

शाइन’ नाम के रेस्तरां में बुलाया जहां का तेली भाजा (एक बंगाली डिश)बहुत प्रसिद्ध था. रेस्तरां में शांति जिस तरह से खाने का और्डर दे रही थी उस से वह खाने की शौकीन तो लगी ही, साथ ही साथ बीहू और पर्सी को यह भी पता चल गया कि वह काफी खुले विचारों वाली है.

‘‘पर मुझे ऐसे पैसे का क्या करना,’’ शांति जैसे आज अपना दुख कह ही देना चाहती थी और उस ने अपना सारा दुख बयां कर ही दिया.

शांति और उस के पति बाबुल की शादी एक लव मैरिज थी जोकि भावावेश के चलते करी गई. बाबुल एक ब्राह्मण परिवार से था और शांति एक लोहार परिवार से. दोनों कालेज में थे तभी दोनों में प्यार हुआ. बाबुल एक दिलफेंक लड़का था. दोनों में जिस्मानी संबंध बन गए और शांति को गर्भ ठहर गया.

जब शांति ने बाबुल को इस बारे में बताया तो उस ने इसे अपना बच्चा मानने से ही इनकार कर दिया और उसे नीच जाति का कह कर उलटा आरोप शांति के चरित्र पर ही लगाने लगा. शांति ने रोते हुए सारी बात अपने भाई और घर वालों को बताई. उस के घर वालों ने पुलिस की मदद ली और पुलिस ने ईमानदारी से काम करते हुए बाबुल और उस के मातापिता के समक्ष शांति से शादी करने का प्रस्ताव रखा. पुलिस के दबाव और बदनामी के डर से बाबुल ने शांति से शादी कर ली.

अब घर में पैसा और नौकरचाकर किसी चीज की कमी नहीं है. कमी है तो बस बाबुल के प्रेम की, महीनों बीत जाते हैं वह शांति को छूता तक नहीं और बाबुल के मांबाप बातबात में शांति को लोहार की बेटी होने का ताना देते रहते हैं. उसे लगता है कि उस की जरूरत किसी को नहीं.

इसीलिए जब मैं ने आप का वह प्ले देखा तब मैं ने सोचा कि कितना अच्छा हो अगर इस दुनिया से ये निर्दयी पुरुष खत्म ही हो जाएं.’’

पर्सी और बीहू ने उसे धैर्य बंधाया. बातों का दौर कुछ देर तक चलता रहा. अब समय चलने का हो गया था. तीनों बाहर निकले तो शांति ने उन दोनों को अपनी गाड़ी में ही लिफ्ट दे दी.

बीहू और पर्सी पीछे वाली सीट पर बैठ गईं और शांति भी आगे न बैठ कर उन्हीं के साथ पीछे वाली सीट पर बैठ गई.

तीनों चुप थीं कार में कोई बंगाली संगीत बज रहा था. तभी पर्सी का हाथ शांति की जांघ पर रेंगने लगा. कुछ देर शांति कुछ नहीं बोली फिर उस की सवालिया नजरें पर्सी की ओर उठीं तो पर्सी ने भी निगाहों से ही उसे चुप बैठने को कह दिया, शांति पुरुष संसर्ग की प्यासी थी. फिर भी उसे पर्सी का स्पर्श भा रहा था.

पर्सी और बीहू की मंजिल आ गई थी. दोनों के कमरे को जान और पहचान लिया था शांति ने. जब शांति ने अगली बार मिलने की इच्छा जताई तो पर्सी ने वार्डन की दुहाई देते हुए किसी और जगह मिलने को कहा.

बीहू की शांति: भाग 1- पर्सी दोस्ती की आड़ में लड़की को क्यों फंसता था?

ऐसा बिलकुल नहीं था कि उसे लड़कों से हमेशा से नफरत थी. बचपन से ले कर इंटरमीडिएट तक वह लड़कों के साथ पढ़ी. उस के बाद विश्वविद्यालय तक लड़के ही तो उस के साथी थे. कुछ लड़के बहुत केयरिंग थे सच्चे दोस्तों जैसे पर कुछ लड़के लड़कियों से दोस्ती सिर्फ उन के शरीर तक ही रखते थे.

उस तरह के लड़के, पुरुष हर जगह टकराए, स्कूल, बाजार, रिश्तेदारी, सभी जगह चुभती निगाहें और कुहनियां.

किशोरावस्था में अपनी उम्र से दोगुने अंकल के द्वारा अपने साथ हुए यौन शोषण की भयानक यादों को कितनी मुश्किल से भुला पाई थी बीहू और अगर उस समय मां और पापा की सपोर्ट नहीं मिलती तो वह कब की आत्महत्या कर चुकी होती.

परिवार वालों का साथ पाने से बीहू मजबूत बनी रही और उस ने विश्वास रखा कि अगर उस के साथ गलत हुआ है तो उस की गलती नहीं बल्कि उस व्यक्ति की है जिस ने उस के साथ गलत किया है. सजा तो उस आदमी को मिलनी चाहिए.

बड़ी होती बीहू जानेअनजाने में लड़कों से अपनेआप को दूर ही रखने लगी. लड़कों की मौजूदगी उस के लिए दमघोटू बनने लगी. शादियों, पार्टियों में जाने से भी गुरेज करती थी बीहू और अगर जाए भी तो पापा के साए में ही खानापीना कर के वापस घर आ जाना. यही उस का पार्टी ऐंजौय करने का तरीका था.

पापा भी बीहू के चारों तरफ एक सुरक्षित सा घेरा बनाए रहते थे. धीरेधीरे युवा होती बीहू के मन में लड़कों के प्रति एक रीतापन सा छा गया जबकि लड़कियों की संगत उसे सुहाती थी.

बीहू के पापा की सरिया बनाने की फैक्टरी थी. पैसों की कोई कमी नही थी. अत:

बीहू ने पहले तो कौमर्स से ग्रैजुएशन किया और  फिर अपने अंदर की भावनाओं को व्यक्त करने के लिए थिएटर में काम करना चाहा जिस के लिए उस ने कोलकाता में जा कर ‘ललित स्कूल औफ ड्रामा’ में थिएटर की बारीकियां सीखने के लिए दाखिला ले लिया. यह डिप्लोमा 2 साल का था. बीहू को वहां रहने के लिए एक अच्छे कमरे की तलाश थी जो ड्रामा स्कूल से बहुत दूर न हो.

‘‘वैल तुम तो यूपी से आई है. हमारे स्कूल में यूपी का एक और लड़की है पर्सी नाम का. हम तुम्हें उस से मिलवा देंगे. तुम्हें उस से काफी मदद मिलेगी,’’ ड्रामा स्कूल के सिक्यूरिटी औफिसर ने बीहू से कहते ही मोबाइल पर एक नंबर डायल कर दिया. उधर से कोई बात करने लगा. बातचीत पर्सी से हो रही थी जिसे यह बताया जा रहा था कि अगर उसे रूमपार्टनर की जरूरत है तो वह आ कर बीहू से मिल सकती है क्योंकि बीहू भी उत्तर प्रदेश की है और पर्सी भी वहीं की है इसलिए कोलकाता में उत्तर प्रदेश वालों की आपस में खूब बनेगी.

वैसे तो बीहू को एकाकी रहना अधिक खलता नहीं था पर यहां परदेश में कोई अपने उधर का मिलना अच्छा लग रहा था उसे और अनजान पर्सी के लिए उस के दिल में पहले से ही एक सौफ्ट कौर्नर सा बन चुका था.

बीहू कुरसी पर बैठी हुई थी कि सामने से एक मौडर्न सी लड़की आती दिखाई दी, जिस ने टीशर्ट के ऊपर एक लूजर सी जैकेट डाल रखी थी. उस के बाल कटे हुए थे जोकि पूरी तरह लापरवाही से बिखरे हुए थे. पर्सी को देख कर ही एक टौमबौय जैसी फीलिंग आ रही थी.

आते ही पर्सी ने बीहू की तरफ हाथ बड़ाया, ‘‘मैं मुरादाबाद से हूं और तुम?’’

‘‘मैं नोएडा से,’’ बीहू ने जवाब दिया.

‘‘थिएटर के शौक ने हम दोनों को बड़ी दूर ला दिया, पर अब तुम मिल गई हो तो थोड़ा अकेलापन कम लगेगा,’’ पर्सी बहुत जल्दी मिक्सअप हो गई जैसे वह बीहू को पहले से जानती हो.

पर्सी एक महत्त्वाकांक्षी लड़की थी. वह एक मध्यवर्गीय परिवार से थी और फिल्मों में काम करना चाहती थी, पर जहां भी ट्राई किया हर आदमी ने उस का शोषण ही करना चाहा. फिर फिल्म इंडस्ट्री में कोई गौडफादर नहीं होने के कारण पर्सी ने पैसे कमाने के लिए थिएटर की ओर रुख किया. जिस दिन पर्सी के पास खूब ढेर सारे पैसे हो जाएंगे उस दिन वह वापस अपने घर लौट जाएगी. जहां जा कर वह अपनी 2 छोटी बहनों की पढ़ाईलिखाई और मांबाप की जिम्मेदारी निभाएगी.

बीहू बहुत अधिक सामान ले कर नहीं आई थी. सिर्फ एक बड़ा सा ब्रीफकेस था जो आसानी से कैब में रख लिया गया और ड्राइवर ने जीपीएस में पहुंचने का स्थान साकेत नगर डाल दिया. बहुत दूर नहीं था साकेत नगर, मात्र 15 मिनट की ड्राइविंग के बाद ही मंजिल आ गई दोनों की.

कैब का बिल देने में खुद पर्सी ने देर नहीं करी और बीहू को ले कर फट से अपने कमरे की ओर बढ़ चली.

बीहू ने फोन पर सब ठीक होने की जानकारी अपने मांबाप को दी और उस दिन थकी होने के कारण जल्दी सो गई. अगले दिन क्लास थी, जहां पर बीहू ने बड़ी सहजता से सारे किरदार निभा लिए, उस की किरदारों में जमने की क्षमता को देख कर पर्सी भी हैरान रह गई थी. आज पहले दिन ही अपने सीनियर्स और साथी कलाकारों की वाहवाही लूटी ली थी बीहू ने. पर बीहू सिर्फ उदासी भरे किरदार ही अच्छे से निभा पाती थी जबकि उसे कई बार सर ने यह बताया कि थिएटर का एक अच्छा कलाकार बनने के लिए यह जरूरी है कि वह हर तरह का किरदार निभाए.

बीहू ने सर की बात का कोई विरोध नहीं किया और पर्सी और बीहू दोनों कौफी पी कर अपने कमरे में चली आईं.

आज मौसम खराब था. रहरह कर बिजली कड़क जाती थी. बीहू खिड़की से बाहर देख रही थी. तभी बारिश के एक झोके ने उसे खिड़की बंद कर देने पर मजबूर कर दिया.

‘‘बिलकुल इसी खिड़की की तरह तुम ने अपने को बंद कर रखा है बीहू, कम औन यार, कुछ तो खुलो कोई बौयफ्रैंड. कोई गर्लफ्रैंड,’’ पर्सी ने बीहू के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा तो बीहू के अंदर का दर्द जाग उठा और वह कुछ न कह पाई. शब्द घुट कर रह गए और सिसकी निकल पड़ी.

उस की सिसकी सुन कर पर्सी समझ गई कि बीहू ने बहुत कुछ अपने अंदर छिपा रखा है. उस ने बीहू से कुछ नहीं कहा. उस पूरी रात बीहू पर्सी से लिपट कर सोई.

भले ही बीहू के मन में कुछ नहीं था पर इस तरह से लिपट कर सोने को पर्सी ने एक मौन आमंत्रण माना और अगले दिन जब बीहू सोने चली तो खुद पर्सी उस से लिपट गई और उस की पीठ को सहलाने लगी. पीठ से उस के हाथ बीहू की जांघ के आसपास हरकत करने लगे थे.

बीहू पहले तो थोड़ी असहज लगी पर जल्द ही उसे पर्सी का अपने यौननांगों के इतने निकट आना अच्छा लग रहा था. बीहू पर्सी की गरम सांसों को अपने अंगों में महसूस कर सकती थी और पर्सी के हाथ लगातार बीहू के शरीर पर हरकत करते रहे जब तक बीहू चरम पर नहीं पहुंच गई. उस के बाद पर्सी ने भी चरम सुख प्राप्त कर लिया.

सार्वजनिक: तन्मय ने तमन्ना के साथ खेला घिनौना खेल?

गुड विल सोसायटी के टावर नंबर 1 के टौप फ्लोर के कोने वाले फ्लैट में तन्मय और तमन्ना रहते हैं. एकदम एकांत फ्लैट. अपनी निजता का ध्यान रखते हुए उन्होंने यह फ्लैट मार्केट रेट से अधिक किराए पर लिया. नौजवानों के दिल कुछ जुदा ढंग से धड़कते हैं और उन के धड़कने के लिए पूरी आजादी भी चाहिए.

उन के सामने का टावर नंबर 2 था. थोड़ी दूरी अवश्य थी. निजता को ध्यान में रखते हुए सोसायटी के विभिन्न टावरों के बीच दूरी थी. दूरी तो अवश्य थी लेकिन बालकनियां आमनेसामने थीं. बालकनी में खड़े हो कर हाथ हिला कर हायहैलो हो जाती थी.

टावर नंबर 2 में तन्मय के फ्लैट के सामने वाले फ्लैट में एक अधेड़ दंपती सविता व राजेश अपने 2 छोटे बच्चों के संग रहते थे. शाम के समय उन के बच्चे सोसायटी के पार्क में खेलते और सविता बालकनी से उन पर नजर रखती थी. कहने को तो तन्मय और तमन्ना अपने को पति पत्नी कहते थे लेकिन उन का कोई विधिवत विवाह नहीं हुआ था. वास्तव में वे दोनों लिव इन पार्टनर थे. किराया आधाआधा देते थे और घर का सारा खर्च भी आधाआधा उठाते थे. सोसायटी में वे किसी से बातचीत नहीं करते थे और अपनी दुनिया में मस्त और व्यस्त रहते थे. दोनों के पास फ्लैट की 1-1 चाबी होती थी.

जो जब चाहे बिना डोरबैल बजाए घर में प्रवेश करते थे. सविता को उन दोनों का व्यवहार अजीब लगता था. न मांग में सिंदूर न ही कोई मंगलसूत्र? न ही चूडि़यां. हमेशा जींसटौप में तमन्ना दिखाई देती थी और कभीकभी मिनीस्कर्ट और हौट पैंट में आतेजाते दिखाई देती. राजेश समझता कि हम ने उन का क्या करना है. तू दूसरों के बारे में मत सोच,अपने परिवार पर ध्यान दे.

सविता भी तपाक से उत्तर देती. उस का हौटपैंट के साथ ब्लाउज से भी छोटा टौप पहनना नंगापन है. बैडरूम में जो मरजी पहने या न पहने, मैं ने क्या करना है. कम से कम घर से बाहर तो ढंग के कपड़े पहने. हमारे छोटेछोटे बच्चे हैं, कल वे ऐसे कपड़े पहनें तो क्या आप बरदास्त करोगे?

राजेश के पास इस का कोई उत्तर नहीं था. अत: बात घुमाई, ‘‘उन का प्रेम को दर्शाने का एक तरीका है. आजकल के युवा ऐसे कपड़े पहन कर रिझते हुए प्रेम करते हैं.’’

‘‘तो आप कहना चाहते हो, मैं ने आप को कभी नहीं रिझया?’’

‘‘तोबातोबा मेरे कहने का यह मतलब थोड़े था. तुम आज भी जालिम कातिल लगती हो.’’

‘‘फिर थोड़ी सी सब्जी फ्रूट ले आओ.’’

मुसकराते हुए सोसायटी के बाहर मदरडेयरी के बूथ चला गया. सब्जीफ्रूट खरीदने के बाद राजेश सोसायटी के गेट पर घुस रहा था तभी तमन्ना ओला कैब से उतरी. चुस्त जींसटौप, ऊंची ऐड़ी के सैंडल और आंखों पर बड़ा सा चश्मा पहने लंबे डग भरते हुए चल रही थी. राजेश उस की मटकती कमर देखता धीरेधीरे उस के पीछे चल रहा था. ऊपर बालकनी में खड़ी सविता सब देख रही थी.

फ्लैट के भीतर पहुंचते ही सविता ने राजेश को आड़े हाथों लिया, ‘‘पतली कमर का मजा ले आए?’’

‘‘तोबातोबा क्या बात कर रही हो.’’ ‘‘मुझे अभी चश्मा नहीं लगा है. अंधेरे में भी दूर तक दिखाई देता है.’’

‘‘मुझे तेरी शादी के टाइम वाली कमर याद आ गई. मैं बस तुलना कर रहा था. तेरी कमर ज्यादा पतली थी.’’

सविता सब समझती थी. हर मर्द की तरह राजेश भी खूबसूरत लड़की को देखता रह जाता. तमन्ना ने अपने फ्लैट का दरवाजा खोला. भीतर तन्मय डाइनिंग टेबल पर ही बोतल के साथ बैठा था. तमन्ना ने एक बीयर की बोतल खोली और गट से पी गई.

‘‘क्या बात है, मेरी जानेमन नाराज सी लग रही है?’’

‘‘एक तो औफिस वालों ने काम का प्रैशर डाला हुआ है. ऊपर से सोसायटी में घुसो तो साले खड़ूस ऐसे पीछे चलते हैं, जैसे कोई लड़की कभी देखी न हो.’’

तन्मय ने तमन्ना को अपने गले लगाते हुए गालों पर एक प्यार भरा चुंबन अंकित किया, ‘‘तू है ही इतनी सैक्सी. बेचारे बुड्ढों को गोली मार.’’

तमन्ना तन्मय से शारीरिक हो गई. ड्राइंगरूम की बालकनी का दरवाजा खुला था. खिड़की पर भी कोई परदा नहीं था.कमरे की लाइट में दोनों के हिलतेडुलते जिस्म की स्पष्ट छवि अपनी बालकनी में खड़ी सविता को दिखाई दे रही थी, ‘‘जो बंद कमरे में होना चाहिए, खुलेआम हो रहा है. आग लगे ऐसी जवानी को,’’ बड़बड़ाती हुई सविता अपने कमरे में चली गई.

सविता सही बड़बड़ा रही थी कि निगोड़ी जवानी को आग लगे. तन्मय और तमन्ना जवानी के जोश में होश खो बैठे थे. न अपना होश था न समाज की फिक्र. धड़ल्ले से बिना शादी के एकसाथ रहते हुए जीवन आजादी के साथ बिना रोकटोक के मस्ती के साथ जी रहे हैं.

1 घंटे बाद भी तन्मय और तमन्ना मदहोश थे. यही हाल उन का पिछले 2 वर्ष से चल रहा था जब से वे दोनों लिव इन में रह रहे हैं.

तमन्ना पिछले कुछ दिनों से औफिस के काम में इतनी व्यस्त रही, उसे टूर पर भी जाना पड़ा. 10 दिन का टूर बना. काम 7 दिन में ही समाप्त हो गया. वैसे तो हररोज रात को दोनों की फोन पर बातचीत होती, लेकिन मिलन नहीं हो रहा था. काम जल्दी खत्म होने पर कंपनी की अनुमति से तमन्ना जल्दी वापस रवाना हो गई. वह तन्मय को सरप्राइज देना चाहती थी.

उस ने अपने वापस आने का कार्यक्रम तन्मय को नहीं बताया.

जैसे ही तमन्ना ने अपनी चाबी से फ्लैट का दरवाजा खोला उस के खुद के लिए सरप्राइज तैयार था. तन्मय एक अन्य लड़की के साथ शारीरिक था. उन को देखते ही तमन्ना एकदम स्तब्ध हो गई. उसे उस पल कुछ नहीं सूझ.

तमन्ना को अचानक देखते ही तन्मय के होश उड़ गए. उसे तमन्ना के आने की कतई उम्मीद नहीं थी.

तन्मय और लड़की भौचक्के देखते रहे. लड़की अपने वस्त्र समेटने लगी. तमन्ना के हाथ में सूटकेस ट्रौली थी. उस ने उठा कर दोनों के ऊपर फेंक मारी. सूटकेस लड़की को लगा. वस्त्र उस के हाथ से छूट गए. एक खूंख्वार शेरनी की तरह तमन्ना उस लड़की पर झपटी और उस का हाथ पकड़ कर खींचा. लड़की छूटने की कोशिश कर रही थी. तन्मय को कुछ समझ नहीं आया कि वह क्या करे.

तमन्ना उस लड़की को खींच कर दरवाजे तक ले गई. दरवाजा खोला और बाहर धकेल दिया और फिर दरवाजा बंद कर दिया. वैसे तो फ्लैट कोने वाला था. उसी फ्लोर के दूसरे फ्लैट में एक किट्टी पार्टी थी जहां सम्मिलित होने सविता 3 और हमउम्र अधेड़ महिलाओं के साथ लिफ्ट से बाहर निकली.

तमन्ना की चीखनेचिल्लाने की आवाज के साथ गंदी गालियां उन्होंने सुनी. वे सभी रुक कर तमन्ना के फ्लैट की ओर देखने लगीं. फ्लैट के दरवाजे पर एक लगभग नग्न अवस्था में बदहवास लड़की अपने को छिपाने की असफल कोशिश कर रही थी.

फ्लैट के भीतर तन्मय और तमन्ना के झगड़ने की आवाज भी आ रही थी. सविता के साथ बाकियों को भी कुछ समझ नहीं आया. तभी दरवाजा खुला. तमन्ना गुस्से में अपशब्द बकते हुए तन्मय को धक्का दे रही थी, ‘‘तेरी हिम्मत कैसे हुई इस के साथ हमबिस्तर होने की?’’

अब तन्मय भी बोल उठा, ‘‘कौन सी तू ने मेरे साथ शादी की है जो बीवी वाला रोब झड़ रही है? मैं किस के भी साथ रहूं, तू कौन होती है मुझ से पूछने वाली, मैं तुझ से पूछता हूं तू कहां जाती है, कहां रहती है?’’

‘‘इस फ्लैट का आधा किराया देती हूं.’’

अब सविता और बाकी महिलाओं को सारा माजरा समझ आ गया. जिस फ्लैट में किट्टी पार्टी थी, वहां से एक चादर ला कर उस लड़की का तन ढक कर फ्लैट के अंदर ले गए. तमन्ना ने फ्लैट का दरवाजा बंद कर दिया. तन्मय बाहर खड़ा रहा.

महिलाओं की आंखें उसे घूर रही थीं. उस की नजर झुकी हुई थी. सविता से रुका नहीं गया. वह दो टूक बोल ही उठी, ‘‘दोनों के बारे में कुछ बताएगा या फिर बुत बन कर दोनों से पिटेगा?’’

तन्मय ने सिर्फ लोअर पहना हुआ था. वह सीढि़यों से नीचे भाग गया. महिलाओं ने उस लड़की से पूछताछ की. लड़की रो पड़ी. उस के कपड़े और पर्स फ्लैट के अंदर था.

सविता ने फ्लैट की डोरबैल बजाई. तमन्ना ने दरवाजा खोला. उसे कोई शर्म नहीं थी. उलटा सविता चढ़ गई, ‘‘क्या है? फिल्म देख ली न और क्या देखना है. मेरे मुंह मत लगना.’’

सविता चुपचाप लौट गई, ‘‘नंगों से तो कुदरत भी डरती है. हमारी क्या औकात है,’’ किट्टी पार्टी वाले फ्लैट में घुस गई.

‘‘इस नंगीमुंगी लड़की को दफा करो. जहन्नुम में जाएं तीनों. बेशर्मी की हद है. अपनी पार्टी क्यों खराब करें. शो मस्ट गो औन.’’

‘‘मैं कहां जाऊं?’’ लड़की गिड़गिड़ाने लगी.

‘‘चादर हम ने दी है. एक बार तमन्ना से अपने कपड़े मांग ले.’’

उस लड़की ने डोरबेल बजाई. हालांकि तमन्ना खुद लिव इन में थी लेकिन तन्मय को दूसरी लड़की के साथ देख नहीं सकी. उस ने लिव इन को तोड़ने का निश्चय कर लिया. तमन्ना ने उसे कपड़े नहीं दिए. बालकनी में गई और उस के कपड़ों में आग लगा दी.

‘‘आज तो इस को नंगा घूमना पड़ेगा,’’ जलते हुए कपड़े बालकनी से नीचे फेंक दिए. उस का पर्स खोल कर क्रैडिटडैबिट कार्ड तोड़ कर फेंक दिए. नकद नोटों को भी आग लगा दी और पर्स नीचे फेंक दिया.

सोसायटी में सब की जबान पर यही प्रसंग था कि फ्लैट मालिक को फोन किया जाए,

ऐसे किराएदार सोसायटी में नहीं चलेंगे. इनको हटाना होगा. तमन्ना अपना आपा खो चुकी थी. उस ने तन्मय के सारे कपड़े बालकनी में रखे और आग लगा दी. तन्मय का लैपटौप बालकनी से नीचे फेंक दिया. आग देखते सोसायटी के लोग घबरा गए. उन्होंने पुलिस और फायर ब्रिगेड को फोन किया. कुछ नौजवान आगे बढ़े. फ्लैट का दरवाजा तोड़ा गया.

पुलिस आई तमन्ना को काबू किया.आग बुझाई गई. पुलिस तमन्ना और लड़की को पुलिस स्टेशन ले गई. एक कौंस्टेबल की ड्यूटी लगा दी. जैसे तन्मय आए, पुलिस स्टेशन ले आए. महिला पुलिस ने लड़की को पहनने को कपड़े दिए. सब के परिवार को बुलाया गया. तन्मय और तमन्ना के परिवार दिल्ली से बाहर रहते थे. उन्हें नहीं मालूम था. पता चल गया. पूरी सोसायटी में बदनाम अलग हो गए. परिवार की नजरों में गिर गए. चाहे जितने आधुनिक बन जाएं, भारतीय समाज में गुपचुप तो सबकुछ स्वीकार्य है लेकिन खुल्लमखुल्ला नहीं.

तन्मय सिर्फ लोअर में घूम रहा था. आधी रात को जैसे सोसायटी के गेट के पास आया. तैनात कौंस्टेबल उसे पुलिस स्टेशन ले गया.

तमन्ना ने तन्मय को खूब खरीखोटी सुनाई. हाथापाई हो गई. सोसायटी में एक सज्जन टीवी चैनल में कार्यरत थे. वे लाइव कवरेज के लिए पुलिस स्टेशन पहुंच गए. अपनी बदनामी से बचने के लिए उस लड़की ने तन्मय पर धोखा, फुसलाना, विवाह के ?ांसे में शारीरिक संबंधों के आरोप जड़ दिए.

तमन्ना ने भी ऐसे आरोप जड़ दिए. अगर तन्मय उस के प्रति निष्ठावान नहीं है तब आसानी से उसे किसी और लड़की के साथ रहने लायक नहीं छोड़ेगी. मन ही मन उसने ठान लिया था.

बैडरूम में होने वाला सीन सार्वजनिक हो गया. टीवी चैनल पर कवरेज हो गई. तन्मय के लिए लिव इन एक खेल था, दो नावों पर सवार तन्मय बचने के लिए गोते लगा रहा था.

किसी से नहीं कहना: उर्वशी के साथ उसके टीचर ने क्या किया?

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शारदा मैम: भाग 3-आखिर कार्तिक को किसने ब्लैकमेल किया ?

टेबल पर लग गया था. सभी हंसीमजाक करते हुए खाना खाने में व्यस्त हो गए. खाना खातेखाते ही तय हुआ कि कार्तिक और तनुजा कुछ घंटों के लिए बाहर जाएंगे आपस में बात करने के लिए. खाना खातेखाते कार्तिक ने सोच लिया था कि तनुजा को सबकुछ बता दे या फिर यह रिश्ता टूटे या बचे.

‘‘बेटा कार्तिक, शारदा मैम को भी साथ ले जाओ. शारदा मैम यहां की लोकल है,’’ कार्तिक की मम्मी दीपा बोली,

‘‘क्यों नहीं, मैं गाड़ी निकाल लेती हूं,’’ शारदा मैम बोली.

‘‘हम दोनों बाइक से चले जाएंगे,’’ कार्तिक बोला, ‘‘क्यों परेशान कर रही हो शारदा मैम को.’’

‘‘अरे कैसी परेशानी? चलो आ जाओ,’’ कह कर शारदा मैम बाहर चली गईं.

जब कार्तिक और तनुजा अपार्टमैंट के नीचे पहुंचे, तब तक शारदा मैम ड्राइविंग सीट पर जम गई थीं.

‘‘क्या चक्कर है कार्तिक?’’ तनुजा ने सवाल किया. कार्तिक कुछ कहता उस से पहले ही शारदा मैम चिल्लाई, ‘‘आओ गाड़ी में बैठो.’’

दोनों कार की पिछली सीट पर जा कर बैठ  गए.

‘‘शादी हो रही है तुम दोनों की, शरमाते रहोगे क्या? बोलो कहां चलेंगे?’’ शारदा ने साइड मिरर से कार्तिक को देखा.

‘‘गेट वे औफ इंडिया?’’ शारदा मैम ने पूछा.

‘‘वहीं चलते हैं,’’ कार्तिक बोला.

समंदर की लहरों का शोर लोगों की भीड़, फेरी वालों की आवाजें आ रही थीं.

‘‘चलो आओ भी,’’ शारदा मैम गाड़ी पार्क कर के आ रही थीं. तभी शारदा मैम का मोबाइल बज उठा. वे ऐक्सक्यूज मी कहती हुई थोड़ी दूरी पर चली गईं.

उसी समय तनुजा के मोबाइल पर मैसेज की आवाज आने लगी. तनुजा ने देखा ढेर सारी पिक हैं. अभी लोड नहीं हो पा रही थीं.

‘‘क्या हुआ तनुजा?’’ कार्तिक ने पूछा.

‘‘कुछ नहीं नैट की प्रौब्लम है, कोई अननोन नंबर है,’’ तनुजा ने कहा.

‘‘बताओ तो. अरे यह तो शारदा मैम का नंबर है. सुबह ही तो लिया था उन्होंने तुम से,’’ कार्तिक बोला.

‘‘अरे हां, शायद मैं सेव नहीं कर पाई,’’ तनुजा बोली.

कार्तिक ने तनुजा के हाथ को अपने हाथों में ले लिया. तनुजा को अच्छा लगा, सुकून भरा स्पर्श. दोनो बैंच पर बैठ गए.

‘‘मुंबई कितना सुंदर है,’’ तनुजा ने गेट वे औफ इंडिया को निहारते हुए कहा.

‘‘हां वाकई बहुत सुंदर है,’’ कार्तिक बोला.

इसी बीच तनुजा के मोबाइल में पिक्स लोड हो गई थीं.

‘‘देखें शारदा मैम ने कैसी पिक्स ली हैं,’’ कहते हुए तनुजा ने मोबाइल कार्तिक के सामने कर दिया, ‘‘अरे यह क्या?’’ तनुजा बोली.

‘‘क्या हुआ?’’ कार्तिक घबरा गया.

‘‘तुम खुद ही देख लो,’’ तनुजा बोली.

कार्तिक ने देखा उस के और शारदा मैम की न्यूड पिक्स सब तनुजा के सामने थीं.

‘‘कार्तिक यह क्या है?’’ कह कर वह एकदम चुप हो गई. सामने से शारदा मैम को आते देख लिया था.

‘‘क्या बात है तनुजा? कोई प्रौब्लम?’’ शारदा मैम मुसकराईं.

‘‘अब क्या बचा है यह सब देखने के बाद,’’ तनुजा बोली.

‘‘क्यों? अच्छा, पिक्स जो भेजी तुम्हें.’’

‘‘हां, वही पिक्स, ये सब क्या है?’’ तनुजा की आवाज ऊंची होने लगी थी, ‘‘कार्तिक क्या है ये सब? तुम्हारा संबंध शारदा मैम से है पहले बता देते तो हम मुंबई नहीं आते.’’

कार्तिक की आंखों में आंसू आ गए, वह डर गया. फिर बोला, ‘‘ऐसा कुछ नही है तनुजा. विश्वास करो मेरा.’’

‘‘कार्तिक जो सच है वह बता दो,’’ शारदा मैम बोलीं.

‘‘कार्तिक, शारदा मैम तुम्हारी मां की उम्र की हैं, इन के साथ… अरे, इन के साथ…’’

‘‘तनुजा यह क्या बोल रही हो?’’ शारदा मैम बोली.

‘‘तो फिर ये क्या है सब?’’ तनुजा की आवाज गुस्से से कांप रही थी.

‘‘अरे बाबा, यह तुम को इसलिए बताया ताकि तुम्हें मुंबई का माहौल पता चल जाए,’’ शारदा मैम बोली.

‘‘मतलब?’’ तनुजा समझ नहीं पाई.

‘‘मतलब यहां खुला माहौल है, शादी के बाद तुम को पता चलता कि हमारे सैक्सुअल रिलेशन हैं तो तुम्हें बुरा लगता. इसलिए बता दिया.’’

‘‘ऐसा कुछ नहीं है. प्लीज, मेरा विश्वास करो,’’ कार्तिक रो पड़ा.

‘‘चलो मैं निकलती हूं. आप दोनों टैक्सी या लोकल से आ जाना. कोई काम आ गया है मुझे, दोनों को फ्री छोड़ कर जा रही हूं,  बाय टेक केयर,’’ कह कर मुसकराती हुई शारदा मैम चल गईं.

शारदा मैम सोच रही थीं कि अब तो तनुजा शादी करने से रही. मजा आ गया. अब तक वे थोड़ीबहुत बात कर रहे थे. वह भी नहीं करेंगे. अपनी जीत पर खुश होते हुए वे घर आ गईं.

शारदा को अकेला देख कर कार्तिक की मम्मी और बाबूजी दोनों चौंक गए, ‘‘अरे आप अकेलीं? कार्तिकतनुजा कहां है?’’

‘‘अरे, बहनजी दोनों को थोड़ी देर अकेला भी रहने दो, मैं कहां बीच में रहती कबाब में हड्डी की तरह,’’ शारदा मैम बोलीं. वे सोच रही थीं, आते ही दोनों का रिश्ता टूटना तय है.

कुछ घंटे बाद कार्तिक, तनुजा दोनों एकदूसरे का हाथ थामे घर आ गए.

‘‘आ गए तुम दोनों?’’ दीपा बोली.

‘‘हां मम्मी आ गए हम दोनों,’’ तनुजा मुसकराई.

उस की मुसकराहट देख कर शारदा मैम जल गईं, उन की समझ में कुछ नहीं आया कि दोनों गेटवे औफ इंडिया पर तो झगड़ रहे थे. अब यह क्या हुआ?

‘‘क्या सोचने लगीं शारदा मैम?’’ कार्तिक बोला.

‘‘कुछ नहीं, कुछ नहीं,’’ कह कर शारदा मैम उठ कर जाने लगीं.

‘‘शारदा मैम अभी रुकिए न, थोड़ी देर.’’

‘‘नहीं, मैं चलती हूं, फिर आऊंगी,’’ शारदा मैम बोलीं.

‘‘आएंगी नहीं आप, जाएंगी सीधा जेल,’’ कहते हुए लेडीज पुलिस घर के अंदर आ गई.

पुलिस को देखते ही शारदा मैम घबरा गईं, ‘‘क्यों क्या हुआ? यह पुलिस?’’

‘‘क्या हुआ आप नहीं जानतीं? लेडीज इंस्पैक्टर ने शारदा मैम का हाथ पकड़ा और उसे ले जाने लगीं.

‘‘मगर मैं ने किया क्या है?’’ शारदा मैम एकदम घबरा गईं, डर से कांप उठीं.

‘‘तुम ने कार्तिक का यौन उत्पीड़न किया है, उसे ब्लैकमेल कर रही हो इतने समय से. कार्तिक ने रिपोर्ट लिखवाई है… सुबूत के तौर पर वीडियो दिए हैं.’’

शारदा मैम की शर्म के मारे आंखें नीची हो गईं. वे नजरें ऊंची नहीं कर पाईं.

‘‘शर्म आनी चाहिए तुम्हें,’’ लेडीज इंस्पैक्टर गुस्से से चिल्लाईं.

‘‘मुझे माफ कर दो प्लीज,’’ वे हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाने लगीं.

इंस्पेक्टर बोलीं, ‘‘वीडिओ डिलीट करो और जेल जाने के लिए तैयार रहो.’’

‘‘नहींनहीं प्लीज मुझे माफ कर दो,’’ शारदा मैम बोलीं.

इंस्पैक्टर बोलीं, ‘‘ऐसा करो लिखित में दो कि तुम ने इतने सालों से कार्तिक का यौन उत्पीड़न कर ब्लैकमेल किया है… माफी मांगो.’’

‘‘ठीक है पर फिर मुझे जेल तो नही भेजेंगे?’’ शारदा मैम बोलीं.

‘‘नहीं,’’ इंस्पैक्टर बोलीं.

कार्तिक तुंरत अंदर से एक कागज ले आया. शारदा मैम ने तुरंत ही सब

लिख दिया. फिर इंस्पैक्टर को कागज देती हुई बोलीं, ‘‘प्लीज मुझे गिरफ्तार न करें.’’

‘‘बिलकुल नही करेंगे,’’ इंसेक्टर बोलीं,

‘‘आप खुद अपनी गलती स्वीकारें इसलिए यह खेल खेला गया था. मैं कार्तिक के फ्रैंड की वाइफ हूं.’’

कार्तिक और तनुजा के मम्मीपापा की समझ में कुछ नहीं आ रहा था.

फिर तनुजा ने बताया, ‘‘शारदा मैम ने कार्तिक को घर बुलाया था. किसी काम से

जब आप लोनावाला गए थे. वहां  झूठी धमकी दे कर जबरदस्ती कार्तिक के साथ सैक्सुअल रिलेशन बना लिए थे. उसी वीडियो से ये उसे ब्लैकमेल करती रही. पहला रिश्ता भी इसी ने तुड़वाया था,’’ तनुजा ने संक्षिप्त में समझया.

सब यह सुन कर आश्चर्य में थे कि बेटे की उम्र के लड़के के साथ?

‘‘मम्मी गंदे लोग कहीं भी हो सकते हैं,’’ तनुजा ने आगे बताया, ‘‘जब ये हमें छोड़ कर यहां आ गई थीं तब कार्तिक ने सब बताया और मैं ने विश्वास किया कार्तिक पर. फिर कार्तिक के फ्रैंड से मिल कर यह योजना बनाई.’’

‘‘प्लीज, तनुजा यह विश्वास बनाए रखना,’’ कार्तिक की आंखों में आंसू थे.

‘‘हम पुलिस वाला उपाय नहीं करते तो ये परेशान करती रहतीं. अपनी गलती नहीं मानतीं,’’ तनुजा बोली,

‘‘तनुजा तुम वाकई समझदार निकली. हम तो समझ ही नहीं पाए शारदा मैम को.’’

शारदा मैम शर्म के मारे भाग खड़ी हुईं.

शारदा मैम: भाग 2- आखिर कार्तिक को किसने ब्लैकमेल किया ?

दूसरे दिन कार्तिक सुबह लेट उठा. रात को नींद नहीं आई ठीक से. बाबूजी मौर्निंग वाक पर गए हुए थे. अपार्टमैंट के नजदीक गार्डन था. बाबूजी वहीं जाया करते थे. कभीकभी मां भी चली जाती थी. बाबूजी गार्डन से आए तो कार्तिक नहा कर रैडी हो चुका था. मां नाश्ते की तैयारी कर रही थी. बाबूजी ने आते ही खुशी के मारे कार्तिक को बुलाया.

कार्तिक बोला, ‘‘बाबूजी क्या हुआ बड़े खुश हैं?’’

‘‘हां, बात ही कुछ ऐसी है खुशी की. दीपा तुम भी किचन से बाहर आओ.’’

‘‘क्या हुआ?’’ दीपा किचन से बाहर आतेआते बोली.

‘‘गार्डन में गांव से फोन आया था. अपने पड़ोसी हैं रमेशजी उन की लड़की वाराणसी में रह कर पढ़ाई कर रही है तनुजा. उस के रिश्ते के लिए उन्होंने कहा. अगर तनुजाकार्तिक एकदूसरे को पसंद कर लेते हैं तो दोनों की शादी की जा सकती है,’’ बाबूजी की खुशी साफ चेहरे पर झलक रही थी.

‘‘यह तो बहुत बड़ी शुभ खबर है,’’ दीपा बोली.

‘‘मगर मां पहले भी एक जगह रिश्ता टूट चुका है. फिर टूट जाएगा,’’ कार्तिक टैंशन में था.

‘‘ऐसे कैसे टूट जाएगा? बारबार क्यों टूटेगा,’’ अब बाबूजी भी टैंशन में थे.

‘‘मैं बस बता रहा था कि कहीं यह रिश्ता भी टूट गया तो?’’ कार्तिक बोला.

‘‘ऐसा कुछ नहीं होता है. तुम टैंशन फ्री रहो,’’ मां बोली, ‘‘चलो नाश्ता करो मैं टेबल पर नाश्ता लगाती हूं,’’ मां ने भी खुशी के मारे हलवा भी बना लिया था.

कार्तिक सोच रहा था, इस बार भी शारदा मैम तक बात जाएगी और वह पहले रिश्ते की तरह रिश्ता तुड़वा देगी. पहले भी उस ने ऐसा ही किया था. लड़की वालों को बता दिया था कि कार्तिक आवारा और लफंगा है. शराबी और बिगडैल है. लड़की वालों ने बिना सोचेसमझे रिश्ता तोड़ दिया. शारदा मैम ने उन को यह भी बोला कि एक बार उस से भी जबरदस्ती करने की कोशिश की थी. आप की लड़की की जिंदगी बरबाद हो जाएगी. ये सब बातें उस लड़की ने बताईं जिस के साथ रिश्ता होने वाला था. अपनी जीत पर खुश हुई थी शारदा मैम. देखती हूं शादी कैसे होती है?

‘‘मां,’’ कार्तिक ने दीपा को आवाज लगाई.

‘‘बोल,’’ दीपा बोली.

‘‘मां जब तक बात पक्की नहीं होती है तब तक तुम किसी को मत बोलना प्लीज,’’ कार्तिक बोला.

‘‘अरे, खुशी की खबर है. अपने जो पड़ोसी हैं उन्हें तो बताएंगे न. जब बात पक्की करेंगे तो घर में कुछ लोग होने चाहिए. गांव से अब कोई नहीं आ पाएगा. शादी में आएंगे सब,’’ दीपा ने बताया.

मां को कौन समझए कार्तिक टैंशन में था.

दूसरे ही दिन रमेशजी का फोन आ गया कि वे हफ्तेभर बाद आ रहे हैं. यदि

तनुजाकार्तिक एकदूसरे को पसंद कर लेते हैं तो बात पक्की कर देंगे.

मांबाबूजी खुशी के मारे तैयारी में जुट गए. मां ने अपने पड़ोसियों को न्योता दे दिया, खबर भी कर दी कि हफ्तेभर बाद लड़की वाले बात पक्की करने आ रहे हैं.

‘‘कार्तिक डार्लिंग बात ही पक्की हो रही है शादी नहीं,’’ मां के खबर देने के बाद ही शारदा मैम के मोबाइल से मैसेज आ गया, ‘‘हमारा प्रेम तो अमर है. हम कैसे दूर हो सकते हैं?’

जब कार्तिक ने मैसेज का जवाब नहीं दिया तो सीधी कार्तिक के घर आ गई. दीपा उस से बड़ी प्रभावित थी उन की फराटेदार अंगरेजी से. वे मुंबई की लोकल थी. इसलिए कहीं भी आनाजाना होता तो दीपा शारदा मैम के साथ ही जाती थी.

‘‘कोई हैल्प की जरूरत हो तो बताना प्लीज,’’ शारदा मैम बोली.

‘‘जी जरूर बताएंगे आप को,’’ दीपा बोली.

‘‘कार्तिक बेटा नर्वस क्यों हो?’’ शारदा मैम ने कार्तिक के गालों को सहला दिया.

‘‘बेटा, छि:… छि:… कितनी घटिया औरत है,’’ कार्तिक ने मन में कहा.

आखिरकार वह दिन आ गया जब तनुजा के परिवार वाले आए. बुधवार के दिन वे सवेरे पहुंच गए थे. 4 कमरों का बड़ा फ्लैट था. इसलिए किसी को कोई परेशानी नहीं हुई रुकने की.

तनुजा ने तो कार्तिक को देखते ही फैसला ले लिया कि कार्तिक से शादी के लिए हां कर देगी. लगभग 23 वर्षीय तनुजा देखने में सुंदर थी, साथ ही कार्तिक के मातापिता के स्वभाव से भी परिचित थी. वाराणसी में पड़ोसी थे दोनों, इसलिए तालमेल बैठाने में कोई परेशानी नहीं आएगी.

सफर की थकान के कारण कार्तिक की मां ने नाश्ता तनुजा के परिवार वालों को रूम में ही पहुंचा दिया. तय हुआ कि दोपहर के खाने के पहले बात पक्की करने की रस्म पूरी कर ली जाए. तनुजा के परिवार वालों ने भी तैयारी पूरी कर ली थी मिठाई, ड्राईफ्रूट, कपड़े आदि सब तैयार थे. तनुजा ने पिंक कलर की साड़ी के साथ मोतियों का सैट पहना था. जब वह तैयार हो कर बाहर आई तो कार्तिक देखता रह गया कि कितनी प्यारी लग रही है तनुजा.

‘‘क्या देख रहे हो कार्तिक?’’ तनुजा बोली.

‘‘कुछ नहीं,’’ कह कर कार्तिक भी मुसकरा दिया. पड़ोसी आ गए थे. पड़ोसियों में शारदा मैम भी आ चुकी थीं. भड़कीली साड़ी के साथ गहरा मेकअप किए.

‘‘हाय कार्तिक… कैसे हो बेटे?’’ कहतेकहते उस ने कार्तिक को गले लगाया फिर तनुजा से बोलीं.

‘‘कैसे लग रहे हैं हम दोनों?’’

‘‘मतलब?’’ तनुजा समझ नहीं पाई.

‘‘अरे यार, कार्तिक भी बेटे जैसा है मेरे, मांबेटे की जोड़ी कैसी लग रही है?’’ शारदा मैम बोली.

कार्तिक एकदम से दूर हटा और बोला, ‘‘मैं किचन में देखता हूं, कुछ काम हो मां को.’’

‘‘अरे मैं हूं,’’ शारदा मैम बोली.

‘‘मैं देख लूंगी डियर,’’ कह कर उस ने कार्तिक के गानों को सहला दिया,’’ बड़े प्यारे, हैंडसम लग रहे हो, हमें भूल मत जाना, पुराने दोस्तों को,’’ कहती हुई किचन में चली गई.

तनुजा कुछ समझ नहीं पा रही थी. वह उस के व्यवहार को ले कर चुप रही.

दोनों परिवार खुश थे. कार्तिक ने तनुजा ने रिश्ते के लिए हां कर दी थी. मुंह मीठा कराने के साथ ही शगुन के साथ दोनों परिवार वाले आशीर्वाद देने लगे थे. पड़ोसी भी खुश थे.

‘‘चलो अब लंच की तैयारी की जाए. टेबल पर सजा दिया जाए खाना,’’ कहती हुई दीपा किचन में चली गई. हाथ बंटाने के लिए तनुजा की मम्मी भी किचन में आ गई. पीछेपीछे शारदा मैम भी आ गईं.

दीपा ने कहा, ‘‘शारदा मैम से हमारे अच्छे संबंध हैं.’’

‘‘अच्छा लगा आप से मिल कर,’’ तनुजा की मम्मी बोली.

‘‘रियली,’’ शारदा मैम इतराईं.

‘‘अरे, कार्तिक.’’

‘‘जी मैम,’’ किचन में आता हुआ कार्तिक बोला,

‘‘देखो मुंबई के तौरतरीके सब सिखा देना तनुजा को, रहना यहीं है मुंबई में,’’ शारदा मैम बोली.

‘‘वह खुद ही सीख लेगी, मैम, स्मार्ट है, ऐजुकेटेड है तनूजा.’’

‘‘अच्छाजी, हम से ज्यादा स्मार्ट नहीं,’’ कह कर शारदा मैम ने बाईं आंख दबाई.

तनुजा को अजीब सा लग रहा था.

‘‘तनुजा अपना मोबाइल नंबर दो न प्लीज, अभी जो पिक है वह भेजूंगी,’’ शारदा मैम बोली.

‘‘मैं पिक भेज दूंगा तनुजा को,’’ कार्तिक बोला.

‘‘अरे, तुम कहां आ रहे हो लेडीज में,’’ तुम बाहर जाओ शारदा मैम बोली. फिर तनुजा से मोबाइल नंबर ले लिया.

शारदा मैम: भाग 1- आखिर कार्तिक को किसने ब्लैकमेल किया ?

मुंबई, सपनों की ऊंची उड़ान मुंबई, सपनों का शहर मुंबई, कहते हैं मुंबई शहर में व्यक्ति भूखा उठता है, लेकिन भूखा सोता नहीं है. लाखों युवकयुवतियां आंखों में सपनों के दीप जलाए मुंबई पहुंचते हैं. लेकिन कुछ युवकयुवतियों के सपने पूरे होते हैं और कुछ के सपने दम तोड़ देते हैं. कई मौत को भी गले लगा लेते हैं क्योंकि यथार्थ का धरातल बड़ा कठोर होता है. संघर्ष से घबरा जाते हैं. प्रेम, प्यार, रोमांस संघर्ष और सपनों का गवाह बनता है मुंबई का मरीन ड्राइव. प्रेमियों और संघर्षरत लोगों की मनपसंद जगह मरीन ड्राइव.

आज मरीन ड्राइव की भीड़ में शाम के समय एक युवक बैठा था. सड़क की तरफ पीठ किए समंदर की तरफ चेहरा. समंदर की लहरें किनारों से टकरा कर शोर मचाती हुई वापस समंदर में मिल जाती थीं. कुछ लहरें ज्यादा जोशीली हुईं तो युवक के पैरों को भिगो कर चली जातीं. छोटीछोटी चट्टानों के पीछे छिपे केकड़े रहरह कर ?ांक लेते थे समंदर को, फिर दुबक जाते थे बड़ेबड़े पत्थरों के पीछे.

लगभग 25 वर्ष के उस युवक का नाम कार्तिक था. चेहरे पर चिंता और सोच की परछाईं थी. हवा उस के माथे पर बिखरे बालों को थोड़ा और बिखेर देती थी. चेहरे पर हलकीहलकी

दाढ़ी थी. लंबी नाक, कमान सी खिंची आंखों में तनाव भी झलक रहा था. खिलता हुआ रंग और लंबा कद.

रोशनी से झिलमिल करती गगनचुंबी इमारतें. समंदर का पानी रोशनी में झिलमिल कर रहा था. कार्तिक शायद खयालों में इतना डूबा था कि उसे बज रहे मोबाइल की आवाज भी सुनाई नहीं दे रही थी. मोबाइल की मधुर ध्वनि लगातार शोर कर रही थी. तभी फेरी वाला लड़का जो वहीं घूमघूम कर पौपकौर्न बेच रहा था, वह रुक गया. एक पल रुका फिर कार्तिक के पास जा कर बोला, ‘‘साहब, आप का मोबाइल बज रहा है उठाते क्यों नहीं? मरने के इरादे से बैठे हो क्या?’’

कार्तिक अचानक हड़बड़ा गया. देखा तो सामने फेरी वाला था, ‘‘क्यों

मरने का क्यों सोचूंगा?’’ कार्तिक गुस्से में बोला.

‘‘अरे साहब, कितनी देर से इधर बैठे हैं आप. बहुत से लोग आते हैं मरने को यहां.’’

‘‘तो फिर मोबाइल उठाओ,’’ फेरी वाला बोला और फिर आवाज लगाता हुआ चला गया.

‘‘हां ठीक है,’’ कार्तिक ने मोबाइल उठा लिया, मोबाइल पर शारदा मैम का नाम चमक रहा था, ‘‘डार्लिंग कहां हो?’’

कार्तिक का मन हुआ मोबाइल उठा कर समंदर में फेंक दे और खुद भी समंदर में कूद जाए. फिर बोला, ‘‘बोलिए मैम.’’

‘‘कब तक आओगे? प्यास लगी है.’’

‘‘घंटेभर में आऊंगा,’’ कार्तिक बोला.

‘‘ओके मैं इंतजार करती हूं.’’

कार्तिक ने अपनी बाइक उठाई, मुंबई की लंबीलंबी सड़कों पर बाइक हवा से बातें करने लगी. साथ ही साथ वह सोचता जा रहा था, काश, मेरी बाइक किसी बड़ी गाड़ी से टकरा जाए, मैं मर जाऊं. क्या करूं? खुद ही गाड़ी किसी गाड़ी से भिड़ा देता हूं. तभी अचानक उस के दिमाग ने सवाल किया कि अपनी जान क्यों गंवाना चाहता है? शारदा मैम को निबटा दें.

हां, यही सही है. इन विचारों में डूबतेउतराते उसे भूख महसूस होने लगी. उस ने बाइक को चौपाटी की तरफ मोड़ दिया.

चौपाटी पर तो मेला सा लगा रहता है. उस ने बाइक एक स्टाल पर रोकी और भेलपूरी और कुछ सैंडविच का और्डर दिए. एक ठंडे पानी की बोतल का और्डर दिया. लड़का ठंडे पानी की बोतल ले आया. सब से पहले उस ने पानी की बोतल खोल कर आधी बोतल से खुद का चेहरा धो लिया, फिर आधी बोतल का पानी पी गया. फैला हुआ पानी रेत में समा गया था. तब तक लड़का प्लेटें टेबल पर सजा गया था. उस ने एक थम्सअप भी मंगवाई. फिर स्नैक्स खाने लगा. खातेखाते उस की आंखों के सामने शारदा मैम का चेहरा घूमने लगा कि यहां से जाते ही शारदा मैम की वासना की आग ठंडी करनी पड़ेगी. उसे घिन सी महसूस होने लगी.

‘‘साहब कुछ और लाऊं?’’ लड़के ने पूछा.

‘‘नहींनहीं, अब कुछ नहीं,’’ कह कर कार्तिक ने स्टाल वाले को पैसे दिए और चल दिया.

जब ग्रांट रोड के उस अपार्टमैंट में पहुंचा तो बहुत देर हो चुकी थी. उस ने सोचा शारदा मैम सो गई होगी. थर्ड फ्लोर पर उस का घर था. सैकंड फ्लोर पर शारदा मैम का. उस 7 माले के अपार्टमैंट ‘प्लाजा’ में जीवन जाग रहा था. यों भी मुंबई नहीं सोती.

वह जल्दीजल्दी सीढि़यां चढ़ने लगा थर्ड माले पर जाने के लिए लिफ्ट की क्या जरूरत? सैकंड माला क्रौस करने वाला ही था कि मोबाइल बज उठा, ‘‘कहां पहुंचे डार्लिंग?’’ शारदा मैम की आवाज आई.

मजबूरन फिर वह सैकंड माले पर फ्लैट नंबर 204 के सामने खड़ा था.

‘‘चले आओ दरवाजा खुला है तुम्हारे इंतजार में,’’ शारदा मैम ड्राइंगरूम में ही सोफे पर अधलेटी थी. सामने शराब की बोतल थी. मतलब आधी बोतल पी चुकी है. कार्तिक घबराया.

‘‘सोच क्या रहे हो? आओ, बची हुई शराब तुम्हारा इंतजार कर रही है,’’ शारदा ने अपनी ?ानी नाइटी को थोड़ा ऊंचा किया पैरों की तरफ से.

‘‘मुझे नहीं पीनी शराब,’’ कार्तिक बोला.

‘‘कोई बात नहीं, मत पीयो… आओ मेरी बांहों में,’’ शारदा बेशर्मी से बोली.

‘‘मुझे फ्री करो मैम, तुम्हारे कारण मैं टैंशन में हूं,’’ कार्तिक गिड़गिड़ाया, ‘‘मेरा वीडियो डिलीट करो.’’

‘‘अरे, हो जाएगा डिलीट वीडियो. आओ, ऐंजौय कर लो,’’ कह कर शारदा उसे कंधे से पकड़ कर बैडरूम में घसीट सी ले गई.

लगभग घंटेभर बाद जब कार्तिक अपने घर जाने के लिए सीढि़यां चढ़ रहा था तो शर्म से गड़ा जा रहा था. फ्लैट की कौलबैल पर उंगली रखता तब तक दरवाजा खुल गया था. मां इंतजार कर रही थी.

कार्तिक मां से नजरें बचाता हुआ अपने रूम में चला गया. कार्तिक की मां दीपा बेटे को परेशान देख बोली, ‘‘बेटा बात क्या है क्यों टैंशन में है?’’

‘‘कुछ नहीं मां,’’ कार्तिक बोला.

‘‘देख बेटा, तू रिश्ता टूटने से टैंशन में है. बहुत से रिश्ते आएंगे. रिश्ते तो बनते और बिगड़ते हैं. हो सकता है कहीं दूसरी लड़की का रिश्ता ज्यादा अच्छा हो.’’

हालांकि टैंशन उन को भी था, लेकिन बेटे के सामने जाहिर नहीं करना चाहती थी. महीनाभर पहले कार्तिक के रिश्ते के लिए लड़की वाले आए थे. सब फाइनल हो गया था. कार्तिक ने भी लड़की पसंद कर ली थी, लेकिन लड़की वालों ने अचानक बिना किसी कारण के रिश्ता तोड़ दिया. लेकिन कार्तिक जानता था कि लड़की वाले रिश्ता क्यों तोड़ रहे हैं.

‘‘मां अब मैं सोना चाहता हूं,’’ कार्तिक बोला.

‘‘ठीक है बेटा, लेकिन टैंशन मत रख, जौब जौइन करने वाला है, उसी की चिंता कर,’’ कह कर दीपा अपने रूम में चली गई.

कार्तिक ने दरवाजा बंद किया और सीधा वाशरूम में गया. बहुत देर तक नहाता रहा और रोता रहा, लेकिन आंसू पानी में मिल कर पानी जैसे ही हो गए. नहा कर आया तो थोड़ा सा मन हलका था. कार्तिक बिस्तर पर लेटा तो लगभग सालभर पहले के वे पुराने दिन याद आ गए. संडे का दिन था. मां और बाबूजी सुबह ही लोनावाला के लिए निकले थे.

अगले 2 दिन वहीं रहने वाले थे. उन के एक फैमिली मित्र भी वहां सपरिवार आने वाले थे तो इन 3 दिनों में कार्तिक फ्री था. जौब के लिए कोशिश जारी थी. उसे पता था कि जौब के बाद तो वही रूटीन लाइफ हो जाएगी इसलिए वह 3 दिन अपने दोस्तों के साथ घूमनेफिरने में बिताना चाहता था. वह कुछ साल पहले ही मुंबई आ कर रहने लगे थे. बाबूजी का पुश्तैनी मकान आदि वाराणसी के पास गांव में था. बाबूजी वाराणसी में सरकारी जौब में थे. कार्तिक इकलौता बेटा था. वह मुंबई में रहना चाहता था. जौब के लिए भी वहीं कोशिश कर रहा था. इसलिए बेटे का मन रखने के लिए अपनी नौकरी के रिटायरमैंट के बाद ग्रांट रोड पर उन्होंने एक फ्लैट खरीद लिया था. कभीकभी गांव भी चले जाते थे.

कार्तिक वाशरूम से नहा कर निकला ही था कि सैकंड फ्लोर पर रहने वाली शारदा मैम दरवाजा धकेल कर सीधी घर में घुस गई. भीगेभीगे से कार्तिक को देखती रही. 25 वर्षीय कार्तिक उसे भा गया. वह लगभग 62 वर्षीय महिला थी. पति उस के विदेश में थे बेटे के पास. वे कभीकभी आते थे. सभी उन को शारदा मैम कह कर बुलाते थे तो कार्तिक भी शारदा मैम कहता था.

‘‘जी बोलिए,’’ कार्तिक ने पूछा.

‘‘मम्मी कहां है तुम्हारी?’’ शारदा ने पूछा.

‘‘लोनावाला गए हैं,’’ कार्तिक का जवाब था.

‘‘मेरी किचन में सिलैंडर खत्म हो गया है उसे चेंज करना है,’’ शारदा मैम बोली.

‘‘आप चलिए मैं आता हूं,’’ कार्तिक बोला और फिर थोड़ी देर बाद चेंज करने के बाद शारदा मैम के घर पहुंच गया.

रसोई में जा कर गैस सिलैंडर बदला और हाथ धोने के लिए वाशरूम में गया ही था कि पीछे से शारदा मैम ने उसे पकड़ लिया.

‘‘अरेअरे यह क्या है?’’ कार्तिक बोला.

‘‘क्या होता है यह, नहीं समझते,’’ कह कर शारदा मैम ने उस पर चुंबनों की बरसात शुरू कर दी थी.

‘‘शर्म नहीं आती, आप को,’’ कार्तिक बोला, ‘‘मैं बेटे के बराबर हूं आप के.’’

‘‘कैसी शर्म? अकेली लेडीज समझ कर रेप की कोशिश कर रहे थे,’’ शारदा ने रंग बदला.

‘‘क्या बकवास है?’’ कार्तिक घबराया.

‘‘चलो सैक्स करो मेरे साथ, नहीं तो पुलिस को बुला लूंगी और शोर मचा दूंगी कि तुम ने जबरदस्ती करने की कोशिश की,’’ शारदा मैम बोली.

उस दिन की मजबूरी उस के गले का फंदा बनती चली गई. वह घबरा गया था.

जौब, पुलिस के चक्कर और शारदा के जाल में फंसता चला गया.

किसी से नहीं कहना: भाग 5- उर्वशी के साथ उसके टीचर ने क्या किया?

बैल बजते ही उर्वशी ने दरवाजा खोला और सामने महेश को देख कर ठंडी सांस ली. महेश उस के कंधे पर सिर रख कर रोने लगा.

उर्वशी ने उसे सांत्वना देते हुए पूछा, ‘‘महेश फोन क्यों नहीं उठाया तुम ने? मैं ने तुम्हें कितने फोन किए?’’

‘‘उर्मी मैं बाइक पर था, जब मुझे इस ऐक्सीडैंट का समाचार मिला, यह सुनते ही मेरे हाथ से मोबाइल गिर गया और पीछे से आ रही कार का पहिया उस के ऊपर से निकल गया. मैं होश में नहीं था, घर जा कर मैं ने कार ली और सीधे जबलपुर चला गया. मैं ने अपने मातापिता को खो दिया उर्मी, मैं बहुत अकेला महसूस कर रहा हूं. तुम जल्दीसेजल्दी मेरे जीवन में पूरी तरह से आ जाओ.’’

‘‘हां महेश, यह हमारे लिए बहुत ही दुखभरा समय है. कुछ दिनों बाद पापा के पास जा कर हम फिर से बात करेंगे.’’

‘‘उर्मी मैं चाहता हूं कि पापा के पास पहुंचने से पहले ही पूरी जायदाद तुम्हारे नाम कर दूं.’’

उर्वशी ने मन ही मन खुश होते हुए ऊपरी मन से कहा, ‘‘नहीं महेश उस की जरूरत नहीं है.’’

‘‘उर्मी मैं ने पापा से वादा किया है और उसे पूरा तो करना ही है.’’

1 सप्ताह के अंदर महेश ने अपनी पूरी जायदाद उर्वशी के नाम कर दी.

यह देख कर उर्वशी ने पूछा, ‘‘महेश, तुम इतना प्यार करते हो मुझ से?’’

‘‘हां उर्मी मैं ने तुम्हारा प्यार पाने के लिए, अपनी पत्नी को भी हमेशाहमेशा के लिए छोड़ दिया है. अब हमारे बीच कोई नहीं आ सकता.’’

महेश से यह सब सुन कर उर्वशी को सुकून का ऐसा एहसास हुआ, जिस की चाहत वर्षों से उस के दिल में हलचल मचाए हुए थी.

जायदाद के कागज साथ में ले कर उर्वशी और महेश भोपाल पहुंच गए. उर्वशी के मातापिता ने महेश का बहुत स्वागत किया और उसे सांत्वना दी.

महेश ने कहा, ‘‘पापा, मैं ने अपनी पूरी जायदाद उर्मी के नाम कर दी है.’’

अपनी बेटी की योजना को सफल करने के लिए विवेक ने उन दोनों की शादी की तारीख 20 दिन बाद की तय कर दी.

उर्वशी ने मनहीमन कुदरत से कहा कि यह केवल मेरा बदला मात्र है जो एक नारी को अपने स्वाभिमान की रक्षा करने के लिए मजबूर कर रहा था. मेरी लुटी हुई इज्जत तो मुझे वापस नहीं मिल सकती, किंतु इस पापी को उस पाप की सजा जरूर मिलनी चाहिए, जो इस ने 10 वर्ष की छोटी सी नासमझ बच्ची पर किया था.’’

शादी की तारीख तय होते ही महेश और उर्वशी वापस देवास पहुंच गए.

विवाह के 1 सप्ताहपूर्व उर्वशी ने महेन्श के घर जा कर कहा, ‘‘महेश, मैं तुम से शादी नहीं करना चाहती.’’

‘‘यह क्या कह रही हो उर्मी? अब तो हमारी शादी के लिए सभी तैयार हैं?’’

‘‘शादी? कैसी शादी, तुम ने कभी अपने जीवन के भूतकाल को याद किया है महेश? एक 10 वर्ष की नन्ही बच्ची के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए, कभी सोचा था?’’

‘‘यह क्या कह रही हो तुम? कौन 10 साल की बच्ची?’’

‘‘महेश क्या तुम उस का नाम भूल गए? वही उर्वशी जिसे इंटर स्कूल कंपीटिशन के बहाने उस के मातापिता के विश्वास को तोड़ कर, उस के साथ तुम ने बलात्कार किया था. उस नन्ही बच्ची के जीवन को ऐसी जगह घसीट कर ले आए थे, जहां से वह आज तक बाहर नहीं निकल पाई.

‘‘मैं वही उर्वशी हूं महेश और मैं तुम से प्यार नहीं, बेइंतहा नफरत करती हूं. तुम्हें उस तड़पती हुई, कमजोर बच्ची पर जरा सी भी दया नहीं आई थी. उस का भविष्य कैसा होगा, तुम ने नहीं सोचा, वह रो रही थी और तुम अपनी मनमानी कर रहे थे. किसी से नहीं कहना यही सिखा रहे थे न मुझे. तुम्हें अब कोई नहीं मिलेगा महेश, न मैं और न ही तुम्हारी पत्नी.

‘‘तुम तो अपनी पत्नी के साथ भी वफा नहीं कर पाए. तुम्हारी गलतियों का प्रायश्चित्त तो हो ही नहीं सकता. यह सजा भी तुम्हारे लिए बहुत कम है बाकी सजा तो शायद तुम्हें कुदरत ही दे पाएगी.

‘‘अपनी पत्नी को वापस बुलाने की कोशिश भी मत करना, क्योंकि 10 वर्ष की बच्ची का बलात्कार करने वाले के साथ वह कभी नहीं रहेगी.’’

उर्वशी के मुंह से यह बात सुन कर महेश सकपका गया. काटो तो खून नहीं  उस की ऐसी हालत हो रही थी.

उस के घराए हुए चेहरे को देख कर उर्वशी ने कहा, ‘‘हां महेश मेरे इस षड्यंत्र में मेरे पापामम्मी के अलावा तुम्हारी पत्नी पूजा भी शामिल थी. मैं ने बहुत पहले ही उसे सबकुछ बता दिया था. तुम्हें यह बात पता नहीं चले, इसलिए उस ने वही किया जो मैं ने उसे करने को कहा. अब यह घर मेरा है महेश, तुम यहां से चले जाओ और अपनी शकल मुझे कभी मत दिखाना.’’

उस मकान, उस दौलत से उर्वशी को कोई मतलब नहीं था. वह तो केवल उस के बदले की जीत थी. उस मकान को उर्वशी ने अनाथाश्रम को दे दिया. महेश की पत्नी से मिल कर उसे धन्यवाद कहा और वापस अपने मम्मीपापा के पास चली गई. फिर उर्वशी ने अपनी जिंदगी की एक नई शुरुआत करी. न कोर्ट, न कचहरी, यह थी स्वाभिमान की लड़ाई जो उर्वशी ने जीत कर दिखाई.

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