डिनर के बाद महेश ने उर्मी को उस के घर छोड़ दिया. बिस्तर पर लेट कर उर्वशी अपनी योजना को सफल होता देख खुश हो रही थी, किंतु आगे अब क्या और कैसे करना है, यह उस के समक्ष चुनौतीभरा कठिन प्रश्न था.
दूसरे दिन उर्वशी ने महेश को फोन कर के कहा, ‘‘हैलो महेश मैं 1 सप्ताह के लिए अपने घर जा रही हूं…’’
महेश ने बीच में ही उसे टोकते हुए कहा, ‘‘उर्मी, 1 सप्ताह, मैं कैसे रहूंगा तुम्हारे बिना?’’
‘‘महेश हमेशा साथ रहना है तो यह जुदाई तो सहन करनी ही होगी. मैं हमारी शादी की बात करने जा रही हूं, आखिर मुझे भी तो जल्दी है न.’’
उर्वशी के मुंह से यह बात सुन कर महेश खुश हो गया. उर्वशी अपने घर चली गई, महेश से यह कह कर कि उसे फोन नहीं करना.
1 सप्ताह का कह कर गई उर्वशी 15 दिनों तक भी वापस नहीं आई.
इधर महेश की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. उर्वशी यही तो चाहती थी, अभी तक
सबकुछ उस की योजना के मुताबिक ही हो रहा था. 15 दिनों बाद उर्वशी वापस आई और उस ने महेश को फोन लगा कर बोला, ‘‘महेश एक बहुत ही दुखद समाचार ले कर आई हूं, शाम को डिनर पर मिलो तो तुम्हें सब विस्तार से बताऊंगी.’’
शाम को डिनर पर उर्वशी को उदास देख कर महेश ने पूछा, ‘‘क्या हुआ उर्मी? घर पर मना तो नहीं कर दिया न?’’
बहुत ही उदास मन से उर्वशी ने उसे बताया, ‘‘महेश मेरे पापा ने मेरी शादी तय कर दी है.’’
‘‘यह क्या कह रही हो उर्मी? तुम से बिना पूछे वे ऐसा कैसे कर सकते हैं?’’
‘‘मुझे नहीं पता था महेश कि मेरे महल्ले में रहने वाला राकेश बचपन से मुझे प्यार करता है. मैं ने तो कभी उस के साथ बात भी नहीं करी. एक दिन उस ने मेरे पापा से मिल कर कहा मैं आप की बेटी से बहुत प्यार करता हूं और उस से शादी करना चाहता हूं. मैं उस के लिए कुछ भी कर सकता हूं.
‘‘मेरे पापा ने यों ही उस से पूछ लिया कि क्या कर सकते हो तुम उस के लिए?
‘‘राकेश ने कुछ देर सोच कर कहा कि मैं शादी से पहले ही अपना बंगला, सारी दौलत आप की बेटी के नाम कर सकता हूं.
‘‘मेरे पापा चौंक गए और उन्होंने कहा कि यह क्या कह रहे हो? कथनी और करनी में बहुत फर्क है.
‘‘तब महेश उस ने सच में अपना बंगला मेरे नाम पर लिख दिया हालांकि मेरे पापा ने उसे मना भी किया. पापा के मुंह से यह सब सुनने के बाद मैं कुछ कह ही नहीं पाई, क्योंकि मेरे मम्मीपापा दोनों बहुत ही खुश थे.
‘‘मुझे समझते हुए उन्होंने कहा कि उर्मी जो लड़का तुम्हें इतना प्यार करता है, सोचो तुम्हें कितना खुश रखेगा. मैं कुछ नहीं कह पाई महेश.
महेश ने बौखला कर कहा, ‘‘इस में कौन सी बड़ी बात है उर्मी, मैं भी अपनी पूरी दौलत तुम्हारे नाम कर सकता हूं.
प्यार के आगे दौलत की औकात ही क्या और फिर तुम भी तो मेरी ही रहोगी न.’’
अपनी योजना को सफल होता देख उर्वशी ने खुश हो कर कहा, ‘‘मैं जानती हूं महेश, लेकिन राकेश ने तो अपनी सारी दौलत मेरे नाम कर दी है, उसे कैसे मना करें?’’
‘‘उर्वशी तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारे पापा से मिल कर उन्हें समझऊंगा और जो कुछ भी राकेश ने दिया है उसे वापस कर देंगे.’’
इस तरह बातें करते हुए दोनों ने डिनर पूरा किया और फिर महेश ने उर्वशी को घर छोड़ दिया. महेश की पत्नी पूजा को उस के अफेयर के बारे में पता था. इसीलिए उन के घर में रोज झगड़ा होता रहता था.
महेश जैसे ही अपने घर पहुंचा पूजा ने गुस्से में पूछा, ‘‘इतनी देर कहां थे महेश? कोई फोन नहीं, कोई खबर नहीं, आखिर ऐसा क्यों कर रहे हो? तुम्हें क्या लगता है, मुझे कुछ पता नहीं, धोखा देना और गलतियां करना तो तुम्हारी आदत ही है.’’
पूजा बहुत ही स्वाभिमानी लड़की थी. उस ने महेश की इस हरकत के लिए उसे धिक्कारते हुए कहा, ‘‘महेश तुम एकसाथ 2 लड़कियों को धोखा दे रहे हो. कौन है उस से मुझे कोई मतलब नहीं, मुझे मतलब है तुम से और यह धोखा तुम मुझे दे रहे हो. मैं तुम्हारे जैसे घटिया धोखेबाज इंसान के साथ नहीं रह सकती. मैं उन लड़कियों में से नहीं हूं, जो पति को परमेश्वर मान कर इस तरह के अत्याचार घूंघट में रह कर ही सहन कर लेती हैं. यदि तुम्हें मुझ से नहीं किसी और से प्यार है तो मैं तुम्हें आजाद करती हूं. इतने सालों में शायद मेरा प्यार तुम्हें कम पड़ गया. अच्छा ही हुआ हमें अभी तक कोई संतान नहीं हुई वरना शायद मेरे पैरों में बेडि़यां पड़ जातीं.’’
महेश पूजा की बातों का कोई जवाब नहीं दे पाया. उस पर तो अभी केवल उर्मी के प्यार का नशा चढ़ा हुआ था. उर्वशी के मन में चल रहे षड्यंत्र से अनजान महेश उसी के साथ उस के मातापिता के पास गया. वहां पहुंच कर महेश ने उर्मी के पिता के समक्ष अपने प्यार का इजहार किया और शादी का प्रस्ताव रखा.
किंतु उर्वशी के पिता विवेक ने उसे टोकते हुए कहा, ‘‘यह संभव नहीं है, मैं ने उर्मी का रिश्ता तय कर दिया है, वह लड़का राकेश उसे बहुत प्यार करता है. मेरे मना करने के बाद भी उस ने अपनी सारी दौलत इस के नाम कर दी है, मैं उसे कैसे मना कर सकता हूं महेश? ’’
‘‘लेकिन उर्मी तो मुझ से प्यार करती है न अंकल, राकेश से नहीं. यह तो उर्मी के साथ भी अन्याय ही होगा. यदि आप अपनी बेटी को खुश देखना चाहते हैं तो आप वह रिश्ता तोड़ दीजिए, मैं उर्मी से बहुत प्यार करता हूं और उस के बिना जी नहीं पाऊंगा. मैं भी अपनी पूरी दौलत उर्मी के नाम लिखने को तैयार हूं.’’
विवेक अब कुछ नहीं कह पाए और उन्होंने हां कह दी, क्योंकि इस षड्यंत्र में वे शुरू से ही उर्वशी के साथ थे.
महेश बहुत ही जोश में था, वह तुरंत ही वहां से जाने लगा और जातेजाते उस ने उर्मी से कहा, ‘‘उर्मी आई लव यू, तुम्हारे लिए मैं कुछ
भी कर सकता हूं कुछ भी. मैं कल ही अपने वकील को साथ ले कर वापस आऊंगा और अपनी पूरी जायदाद तुम्हारे नाम कर दूंगा. फिर हमें विवाह के बंधन में बंधनेसे कोई भी रोक नहीं पाएगा.’’
1 दिन की कह कर गया महेश 3 दिन तक वापस नहीं आया और न ही उस का कोई फोन आया. इधर उर्वशी और उस के मातापिता बेचैन होने लगे, उन्हें लगने लगा कि महेश कहीं कुछ समझ तो नहीं गया.
उर्वशी बारबार उसे फोन कर रही थी, किंतु उस का फोन स्विच औफ ही आ रहा था. देखतेदेखते पूरा सप्ताह बीत गया, किंतु महेश नहीं आया तब उर्वशी घबरा कर वापस देवास आ गई और महेश से मिलने उस के शोरूम पहुंच गई.
सेल्समैन ने उसे देखते ही कहा, ‘‘उर्मी मैडम महेश सर के मातापिता की कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई है. यह समाचार मिलते ही वह जबलपुर चले गए और उन का मोबाइल भी बंद आ रहा है.’’
इतना सुन कर उर्वशी ने खेद व्यक्त किया और अपने घर चली गई. उस के मन में यह संतोष था कि जैसा वह सोच रही थी वैसा कुछ नहीं है. महेश को कुछ भी पता नहीं चला, उस की योजना असफल नहीं हुई.
1 सप्ताह और बीतने के बाद महेश देवास वापस आया और सब से पहले उर्मी से मिलने उस के घर पहुंच गया.