शरशय्या- भाग 2 : त्याग और धोखे के बीच फंसी एक अनाम रिश्ते की कहानी

लेखक- ज्योत्स्ना प्रवाह

उस की नींद बहुत कम हो गई थी, उस के सिर पर हाथ रखा तो उस ने झट से पलकें खोल दीं. दोनों कोरों से दो बूंद आंसू छलक पड़े.

‘‘शिबू के लिए काजू की बरफी खरीदी थी?’’

‘‘हां भई, मठरियां भी रखवा दी थीं.’’ मैं ने उस का सिर सहलाते हुए कहा तो वह आश्वस्त हो गई.

‘‘नर्स के आने में अभी काफी समय है न?’’ उस की नजरें मुझ पर ठहरी थीं.

‘‘हां, क्यों? कोई जरूरत हो तो मुझे बताओ, मैं हूं न.’’

‘‘नहीं, जरूरत नहीं है. बस, जरा दरवाजा बंद कर के तुम मेरे सिरहाने आ कर बैठो,’’ उस ने मेरा हाथ अपने सिर पर रख लिया, ‘‘मरने वाले के सिर पर हाथ रख कर झूठ नहीं बोलते. सच बताओ, रानी भाभी से तुम्हारे संबंध कहां तक थे?’’ मुझे करंट लगा. सिर से हाथ खींच लिया. सोते हुए ज्वालामुखी में प्रवेश करने से पहले उस के ताप को नापने और उस की विनाशक शक्ति का अंदाज लगाने की सही प्रतिभा हर किसी में नहीं होती, ‘‘पागल हो गई हो क्या? अब इस समय तुम्हें ये सब क्या सूझ रहा है?’’

‘‘जब नाखून बढ़ जाते हैं तो नाखून ही काटे जाते हैं, उंगलियां नहीं. सो, अगर रिश्ते में दरार आए तो दरार को मिटाओ, न कि रिश्ते को. यही सोच कर चुप थी अभी तक, पर अब सच जानना चाहती हूं. सूझ तो बरसों से रहा है बल्कि सुलग रहा है, लेकिन अभी तक मैं ने खुद को भ्रम का हवाला दे कर बहलाए रखा. बस, अब जातेजाते सच जानना चाहती हूं.’’

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‘‘जब अभी तक बहलाया है तो थोड़े दिन और बहलाओ. वहां ऊपर पहुंच कर सब सचझूठ का हिसाब कर लेना,’’ मैं ने छत की तरफ उंगली दिखा कर कहा. मेरी खीज का उस पर कोई असर नहीं था.

‘‘और वह विभा, जिसे तुम ने कथित रूप से घर के नीचे वाले कमरे में शरण दी थी, उस से क्या तुम्हारा देह का भी रिश्ता था?’’

‘‘छि:, तुम सठिया गई हो क्या? ये क्या अनापशनाप बक रही हो? कोई जरूरत हो तो बताओ वरना मैं चला.’’ मैं उन आंखों का सामना नहीं करना चाहता था. क्षोभ और अपमान से तिलमिला कर मैं अपने कमरे में आ गया. शिबू ने जातेजाते कहा था, मां को एक पल के लिए भी अकेला मत छोडि़एगा. ऐसा नहीं है कि ये सब बातें मैं ने पहली बार उस की जबान से सुनी हैं, पहले भी ऐसा सुना है. मुझे लगा था कि वह अब सब भूलभाल गई होगी. इतने लंबे अंतराल में बेहद संजीदगी से घरगृहस्थी के प्रति समर्पित इला ने कभी इशारे से भी कुछ जाहिर नहीं किया. हद हो गई, ऐसी बीमारी और तकलीफ में भी खुराफाती दिमाग कितना तेज काम कर रहा था. मेरे मन के सघन आकाश से विगत जीवन की स्मृतियों की वर्षा अनेक धाराओं में होने लगी. कभीकभी तो ये ऐसी मूसलाधार होती हैं कि उस के निरंतर आघातों से मेरा शरीर कहीं छलनीछलनी न हो जाए, ऐसा संदेह मुझ को होने लगता है. परंतु मन विचित्र होता है, उसे जितना बांधने का प्रयत्न किया जाए वह उतना ही स्वच्छंद होता जाता है. जो वक्त बीत गया वह मुंह से निकले हुए शब्द की तरह कभी लौट कर वापस नहीं आता लेकिन उस की स्मृतियां मन पर ज्यों की त्यों अंकित रह जाती हैं.

रानी भाभी की नाजोअदा का जादू मेरे ही सिर चढ़ा था. 17-18 की अल्हड़ और नाजुक उम्र में मैं उन के रूप का गुलाम बन गया था. भैया की अनुपस्थिति में भाभी के दिल लगाए रखने का जिम्मा मेरा था. बड़े घर की लड़की के लिए इस घर में एक मैं ही था जिस से वे अपने दिल का हाल कहतीं. भाभी थीं त्रियाचरित्र की खूब मंजी खिलाड़ी, अम्मा तो कई बार भाभी पर खूब नाराज भी हुई थीं, मुझे भी कस कर लताड़ा तो मैं भी अपराधबोध से भर उठा था. कालेज में ऐडमिशन लेने के बाद तो मैं पक्का ढीठ हो गया. अकसर भाभी के साथ रिश्ते का फायदा उठाते हुए पिक्चर और घूमना चलता रहा. इला जब ब्याह कर घर आई तो पासपड़ोस की तमाम महिलाओं ने उसे गुपचुप कुछ खबरदार कर दिया था. साधारण रूपरंग वाली इला भाभी के भड़कीले सौंदर्य पर भड़की थी या सुनीसुनाई बातों पर, काफी दिन तो मुझे अपनी कैफियत देते ही बीते, फिर वह आश्चर्यजनक रूप से बड़ी आसानी से आश्वस्त हो गई थी. वह अपने वैवाहिक जीवन का शुभारंभ बड़ी सकारात्मक सोच के साथ करना चाहती थी या कोई और वजह थी, पता नहीं.

भाभी जब भी घर आतीं तो इला एकदम चौकन्नी रहती. उम्र की ढलान पर पहुंच रही भाभी के लटकेझटके अभी भी एकदम यौवन जैसे ही थे. रंभाउर्वशी के जींस ले कर अवतरित हुई थीं वे या उन के तलवों में साक्षात पद्मिनी के लक्षण थे, पता नहीं? उन की मत्स्यगंधा देह में एक ऐसा नशा था जो किसी भी योगी का तप भंग कर सकता था. फिर मैं तो कुछ ज्यादा ही अदना सा इंसान था. दूसरे दिन नर्स के जाते ही वह फिर आहऊह कर के बैठने की कोशिश करने लगी. मैं ने तकिया पीछे लगा दिया.

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‘‘कोई तुम्हारी पसंद की सीडी लगा दूं? अच्छा लगेगा,’’ मैं सीडी निकालने लगा.

‘‘रहने दो, अब तो कुछ दिनों के बाद सब अच्छा और शांति ही शांति है, परम शांति. तुम यहां आओ, मेरे पास आ कर बैठो,’’ वह फिर से मुझे कठघरे में खड़ा होने का शाही फरमान सुना रही थी.

‘‘ठीक है, मैं यहीं बैठा हूं. बोलो, कुछ चाहिए?’’

‘‘हां, सचसच बताओ, जब तुम विभा को दुखियारी समझ कर घर ले कर आए थे और नीचे बेसमैंट में उस के रहनेखाने की व्यवस्था की थी, उस से तुम्हारा संबंध कब बन गया था और कहां तक था?’’

‘‘फिर वही बात? आखिरी समय में इंसान बीती बातों को भूल जाता है और तुम.’’

‘‘मैं ने तो पूरी जिंदगी भुलाने में ही बिताई है,’’ वह आंखें बंद कर के हांफने लगी. फिर वह जैसे खुद से ही बात करने लगी थी, ‘‘समझौता. कितना मामूली शब्द है मगर कितना बड़ा तीर है जो जीवन को चुभ जाता है तो फांस का अनदेखा घाव सा टीसता है. अब थक चुकी हूं जीवन जीने से और जीवन जीने के समझौते से भी. जिन रिश्तों में सब से ज्यादा गहराई होती है वही रिश्ते मुझे सतही मिले. जिस तरह समुद्र की अथाह गहराई में तमाम रत्न छिपे होते हैं, साथ में कई जीवजंतु भी रहते हैं, उसी तरह मेरे भीतर भी भावनाओं के बेशकीमती मोती थे तो कुछ बुराइयों जैसे जीवजंतु भी. कोई ऐसा गोताखोर नहीं था जो उन जीवजंतुओं से लड़ता, बचताबचाता उन मोतियों को देखता, उन की कद्र करता. सब से गहरा रिश्ता मांबाप का होता है. मां अपने बच्चे के दिल की गहराइयों में उतर कर सब देख लेती है लेकिन मेरे पास में तो वह मां भी नहीं थी जो मुझे थोड़ा भी समझ पाती.

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Romantic Story: कैसा यह प्यार है -भाग 3

लेखिका- प्रेमलता यदु 

यह पल मेरे लिए अत्यंत दुखद एवं आश्चर्य से परिपूर्ण था. आखिर कोई इतना अभिमानी कैसे हो सकता है. लायब्रेरी कार्ड बनाने के दौरान ज्ञात हुआ कि अनादि एम कौम फाइनल ईयर में है और वह इस कालेज का मेघावी छात्र है. उस पर फर्स्ट ईयर से ले कर फाइनल ईयर तक की लड़कियां मरती हैं. वह इस कालेज की शान व लड़कियों की जान है. पढ़ाईलिखाई, खेलकूद से ले कर सांस्कृतिक गतिविधियां सब में उस की जबरदस्त पकड़ है. इतनी जानकारी पर्याप्त थी उस के इस अप्रत्याशित बेरुखे बरताव को समझने के लिए.

सैशन स्टार्ट हो चुका था. मैं अपनी पढ़ाई, प्रैक्टिकल, थ्योरी इन सब पर ध्यान देने लगी. अलगअलग फैकल्टी होने के बावजूद अनादि से मेरा सामना रोज़ ही हो जाता. मैं अनादि को देख भावुक हो जाती. मुझे इस बात का डर था कहीं मेरे दिल में हिलोरे मार रहा प्यार, नज़रों से इज़हारे मोहब्ब्त का राज़ ज़ाहिर न कर दे, इसलिए मैं सदा अपनी पलकें झुकाए चुपचाप आगे निकल जाती. वह भी मुझे तिरछी नजरों से देखता, फिर व्यंग्यात्मक मुसकान के साथ अकड़ता हुआ चला जाता.

सैशन बीतने को था, फाइनल एग्जाम की डेट्स आ ग‌ई थीं, लेकिन अब तक मैं अनादि से हाले दिल न कह पाई थी. कहती भी कैसे, उस की बेवजह की बेरुखी व अहम आड़े आ जाते जो मुझे कुछ कहने या करने की इजाजत न देते.

एग्जाम से पहले कालेज में फाइनल ईयर के स्टूडैंट्स के लिए फेयरवेल पार्टी का आयोजन किया गया, जिस में सभी छात्रछात्राओं ने बड़ी ही शिद्दत से शिरकत की. पार्टी हौल में बज रहे इंस्ट्रूमैंटल म्यूजिक पर सभी के पांव डांसफ्लोर पर थिरक रहे थे. अनादि तो न जाने कब से डांस कर रहा था. हर लड़की उस के संग डांस करना चाह रही थी और वह भी हर किसी के साथ डांस करने में मगन था. उस का यह बेबाकपन मुझे हैरान और परेशान कर रहा था. दिल के हाथों मजबूर क‌ई बार खुद ही मेरे कदम अनादि की ओर उठते और फिर थम जाते. मैं नहीं चाहती थी अपने आत्मसम्मान को ताक में रख कर उस के करीब जाऊं.

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झुंझलाहट में मैं पार्टी बीच में ही छोड़ आई और रूही को फोन पर सारा वृतांत सुनाने बैठ गई. अपने जीवन में घटित हो रहे पलपल की खबर मैं रूही को देती. रूही हर बार कुछ ऐसा कहती कि मैं फिर अनादि में खोने लगती. इस दफा भी रूही अनादि के पक्ष में ही बोली- “अनादि केवल पार्टी एंजौय कर रहा था. उस ने तो किसी लड़की को मजबूर नहीं किया अपने साथ डांस करने को. यदि वे लड़कियां खुद ही उस के पास जा रही थीं तो वह क्या करता, तेरी तरह पार्टी छोड़ कर चला जाता.”

मैं ने रूही को कोई जवाब नहीं दिया लेकिन मुझ में गुस्सा और चिढ़ इतना भरा था कि मैं तीन दिनों तक कालेज नहीं गई यह जानते हुए कि इस के बाद प्रिप्रेशन लीव लग जाएगी. तीसरे दिन शाम को तकरीबन पांचसाढ़ेपांच बजे डोरबैल बजी. उस वक्त बाबूजी औफिस से आए नहीं थे. अम्मा किचन में थीं. जय हौल में और मैं मुंह फुलाए अपने रूम में औंधी पड़ी थी. दरवाजा जय ने खोला और उस ने मुझे आवाज़ लगाई- “दीदी, तुम्हारे कालेज से कोई आया है.”

यह सुनते ही मैं फौरन उठ हौल में आ गई और जय वहां से चला गया. मैं ने देखा, सामने अनादि का फ्रैंड हाथों में व्हाइट लिफाफा लिए खड़ा है. मुझे देख वह मेरी ओर लिफाफा बढ़ाते हुए बोला- ” यह अनादि ने भेजा है.”

यह सुनते ही मैं ने लपक कर वह लिफाफा लगभग उस के हाथों से छीन लिया. अनादि ने मेरे लिए भेजा है, इस खुशी में मैं शिष्टाचार ही भूल ग‌ई. मैं ने उसे बैठने तक को नहीं कहा. वह थोड़ी देर खड़ा रहा, फिर “अच्छा, चलता हूं” कह वह चला गया.

मैं तुरंत अपने कमरे में आई और बिना रुके तेज सांसों के साथ लिफाफा खोलने लगी. लिफाफे में से हौल परमिट कार्ड निकला जो एग्जाम में बैठने के लिए अनिवार्य होता है. मैं अधीर हो लिफाफा को यह सोच कर उलटपुलट करने लगी कि शायद अनादि ने कुछ भेजा हो या इस में मेरे लिए कुछ लिखा हो लेकिन ऐसा कुछ नहीं था उस लिफाफे में. केवल हौल परमिट कार्ड ही था. उस को एक तरफ फेंक मैं धड़ाम से फिर पलंग पर लेट गई.

प्रिप्रेशन लीव शुरू हो गई थीं. कालेज जाना बंद हो गया था और फिर कुछ ही दिनों में फाइनल एग्जाम भी प्रारंभ हो गए. अलग फैकल्टी होने की वजह से एग्जाम के दौरान अनादि से आमनासामना नहीं होता. एग्जाम समाप्त हो गया और हम दादी के पास गांव आ ग‌ए. यहां गांव में मैं घंटों छत पर इस आशा में बैठी रहती कि शायद अनादि गांव आएगा लेकिन वह नहीं आया.

अब दादी की परियों वाली कहानियां भी अच्छी न लगतीं. शरारत करने का भी जी न करता. अचानक मेरे अंदर आए इस बदलाव से मैं स्वयं हैरान थी क्या प्यार में वाक‌ई ऐसा होता है… गरमी की छुट्टियां समाप्त हो गईं और हम घर लौट आए. फिर वही सिलसिला आरंभ हो गया, मैं रोज बुझेमन से कालेज जाती और फिर घर लौट आती.

सपनों की हसीन दुनिया से अब मैं हकीकत के धरातल पर आ पहुंची थी जहां वैसा कुछ भी नहीं था जैसा दादी अपनी कहानियों में सुनाया करतीं. मैं जान चुकी थी किस्सेकहानियां केवल किताबों में ही सच हुआ करते हैं, यथार्थ में नहीं. जब सपने सचाई की असलियत से टकराते हैं तो सारे ताश के पत्तों की तरह एक छोटी सी फूंक से ढह कर बिखर जाते हैं.

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अनादि को देखे पूरा वर्ष बीत गया था. बहुत प्रयासों के बाद भी अनादि की कोई जानकारी मेरे पास न थी. वह होस्टलर था और पढा‌ई पूरी करने के बाद वह यहां से चला गया. लेकिन उस के प्रति मेरे दिल में पनपा प्रेम कम होने के बजाय पूर्णमासी के चांद की भांति दिनोंदिन बढ़ने लगा. उस वक्त रूही थी जो मुझे भावनात्मक संबल प्रदान कर टूटने से बचाए हुए थी.

एक रोज जब मैं कालेज से घर आई, अम्मा ने मुझे गले से लगा लिया. मैं समझ न पाई क्या हुआ, फिर अम्मा मेरे सिर पर हाथ फेरती हुई बोलीं- “पीहू, तू कितना भागोवाली है.”

मैं अश्चार्य से अम्मा को देखने लगी तो वे मेरा माथा चूमती हुई बोलीं- “तेरे लिए एक बहुत अच्छा रिश्ता आया है. लड़का जयपुर में बैंक अधिकारी है. आज शाम वह अपने मातापिता के साथ घर आ रहा है.”

यह सुनते ही मेरे पैरोंतले जमीन खिसक गई. मेरे नयन भीग गए. और मैं काफी देर तक रोती रही. रूही को बारबार फोन करने लगी लेकिन वह फोन रिसीव नहीं कर रही थी.

निर्धारित समय पर सब आ गए. लेकिन मैं अपने कमरे से बाहर न निकली. कुछ देर बाद अम्मा मेरे कमरे में आईं. मुझे और कमरे को अव्यवथित देख कर बोलीं- “अरे पीहू, यह क्या… तुम ने कमरे का क्या हाल बना रखा है और तू अब तक तैयार नहीं हुई. अच्छा चल अब, जल्दी से अपने बालों को संवार ले. लड़का तुझ से मिलना चाहता है. वह टेरेस में है जा उस से मिल ले.”

मैं बालों को बिना संवारे सूजी आंखों के साथ तमतमाती हुई टेरेस पर पहुंची. सामने औफ व्हाइट शर्ट और एश कलर की जींस पहने एक डैशिंग लड़का खड़ा था. मेरी आंखें चौड़ी हो गईं और मैं अपलक उसे देखती रही, यह तो अनादि है. मैं कुछ कहती, इस से पहले उस का मोबाइल बज उठा और उस ने फोन मेरी ओर बढ़ा दिया. मैं स्तब्ध रह गई. फोन पर रूही थी. मेरे हैलो कहते ही वह हंसती और शरारती अंदाज में बोली- “सपनों का राजकुमार मुबारक हो…”

रूही ने मुझे बताया अनादि तो अपना दिल उसी दिन हार बैठा था जब उस ने मुझे पहली बार छत पर अपने गीले बालों को झटकते देखा था. लेकिन वह मेरी जिंदगी में आने से पूर्व स्वयं को इस लायक बनाना चाहता था कि वह अम्मा, बाबूजी से मेरा हाथ मांग सके. रूही से बात कर के सारी बातें साफ हो चुकी थीं. रूही के फोन रखते ही मैं आंखों में असीम प्यार लिए हुए अनादि की ओर देखने लगी.

अनादि मेरी दोनों हथेलियों को थामते हुए बोला- “और कुछ जानना है?”

मैं ने हौले से न में सिर हिला दिया. बादलों में चांद निकल आया था. चांदनी रात थी. चांद की शीतल रोशनी हम पे पड़ने लगी. तारे जगमगा रहे थे. रात की रानी और रजनीगंधा की मदहोश कर देने वाली खुशबू फिज़ा को खुशगवार बना रही थी. बादल ने चांदसितारों की चादर हम पे तान दी और मैं अपने सपनों के राजकुमार की बांहों में सिमटने लगी.

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शाह हाउस में आते ही काव्या बनाएगी नया प्लान, इन 2 लोगों को करेगी घर से बाहर

सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में काव्या और वनराज की शादी के ट्रैक के बीच सीरियल एक बार फिर टीआरपी चार्ट्स में पहले पायदान पर पहुंच गया है, जिसके चलते मेकर्स सीरियल की कहानी में नया ट्विस्ट लाने की जमकर तैयारियों में जुट गए हैं. दरअसल, मेकर्स काव्या की शाह हाउस में एंट्री होते ही धमाकेदार हंगामा दिखाने की तैयारी में हैं. जहां काव्या, अनुपमा से बदला लेने का नया प्लान बनाएगी तो वहीं अनुपमा की जिंदगी की नई शुरुआत होती नजर आएगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अनुपमा के हिस्से भी आया शाह हाउस

 

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अब तक आपने देखा कि बापूजी और बा ने शाह हाउस को अपने बेटे वनराज और बेटी के अलावा अनुपमा के नाम भी किया है, जिसके कारण काव्या का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया है. वहीं बा का अनुपमा का पहले स्वागत करना काव्या को बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रहा है. वहीं इसका गुस्सा अपकमिंग एपिसोड में शाह परिवार के एक-एक सदस्य पर निकलते हुए दिखने वाला है.

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काव्या को सुनाएगी बा

काव्या से शादी करने के बाद जहां वनराज उखड़ा-उखड़ा रहने लगा है, तो वहीं काव्या को नई बहू होने का दर्जा नहीं मिल पाया है, जिसके कारण आगे जाकर कहानी में बवाल देखने को मिलने वाला है. दरअसल, अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि काव्या के घर में एंट्री होते ही पूजा की माला टूट जाएगी, जिसके कारण बा कहेगी कि नई बहू के घर में कदम पड़े नहीं कि अपशगुन हो गया है, जिसे सुनते ही काव्या गुस्से में नजर आएगी और अनुपमा को सलाह देगी कि वह अब इस घर की बहू नहीं है. वहीं काव्या को जवाब देते हुए अनुपमा कहेगी कि वह सालों से इस घर की बहू है और ये परिवार भी उसका है, जिसे सुनते ही काव्या का पारा चढ़ जाएगा.

काव्या लेगी बदला

 

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दूसरी तरफ खबरों की मानें तो वनराज और उसके परिवार का बर्ताव देखकर काव्या उनके खिलाफ नया प्लान बनाती हुई नजर आने वाली है. काव्या ऐसा तमाशा करती नजर आएगी, जिससे शाह परिवार तंग हो जाएगा. वहीं काव्या एक-एक करके सभी लोगों को शाह हाउस से निकालने का प्लान बनाएगा, जिसमें पहला शिकार बा और बापू जी होंगे. हालांकि अनुपमा, काव्या की चालों का करारा जवाब देगी और पूरी कोशिश करेगी कि परिवार को टूटने से बचा ले.

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REVIEW: कीर्ति कुल्हारी का शानदार अभिनय दिखाती ‘शादीस्तान’

रेटिंगः ढाई स्टार

निर्माताःफेमस डिजिटल स्टूडियो

निर्देशकः राज सिंह चैधरी

कलाकारः कीर्ति कुल्हारी, मेधा शंकर, निवेदिता भट्टाचार्य, केके मेेनन, रंजन मोदी, अजय जयनाथ, अपूर्व डोगरा, निशंक वर्मा व अन्य.  

अवधिः एक घंटा तेंतिस मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः डिज्नी हॉट स्टार

दो पीढ़ियों के बीच विचारों का टकराव सामान्य सी बात है. इस मुद्दे पर सैकड़ों फिल्में बन चुकी हैं. मगर लेखक निर्देशक राज सिंह चैधरी अपनी फिल्म‘‘शादीस्थान’’में दकियानूसी, सामंती व पितृसत्तात्मक सोच तथा आधुनिक सोच के टकराव का मुद्दा उठाते हुए फिल्म को जिस तरह से मनोरंजक कहानी के सॉंचे में ढाला है, उसमें गंभीरता व गहराई का अभाव खलता है. ‘‘शादीस्थान’’ ग्यारह जून की शाम से ‘डिज्नी हॉटस्टार’ पर स्ट्रीम हो रही है.

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कहानीः

फिल्म की कहानी एक रूढ़िवादी परिवार की मुंबई से अजमेर तक की सड़क यात्रा है. कहानी शुरू होती है मुंबई से. जहां संजय शर्मा(राजन मोदी ) गुस्से में हैं, क्योंकि उन्हें अपने भांजे चोलू की शादी में हवाई जहाज पकड़कर पत्नी कमला शर्मा (निवेदिता भट्टाचार्य )व बेटी आर्शी शर्मा(मेधा शंकर) के साथ अजमेर पहुंचना है, मगर फ्लाइट छूट गयी. जिसके लिए वह बेटी आर्शी शर्मा को दोषी मानते हैं. चोलू की शादी में संगीत पार्टी मुंबई से निजी बस से जा रही होती है, चोलू के कहने पर संजय शर्मा अपनी पत्नी व बेटी के साथ इसी बस में सवार हो जाते हैं. गुस्सैल संजय शर्मा को बस में मौजूद म्यूजीशियन का रंग ढंग पसंद नही आता. बस में गायिका साशा(कीर्ति कुल्हारी)और उसके बैंड के सदस्य,  अपूर्व डोगरा (फ्रेडी),  जिम्मी (शेनपेन खिमसर) और इमाद (अजय जयंती)हैं. यह सिगरेट पीते हैं, बियर पीते हैं. गाना गाते हैं. पुराने व दकियानूसी ख्यालों के संजय शर्मा को बस के अंदर का माहौल पसंद नही आता. परिणामतः संस्कृति व संवेदनाओं का टकराव होता है. धीरे धीरे कहानी स्पष्ट होती है कि आर्शी आज रात 18 वर्ष की पूरी होगी. उसके पिता ने उसकी शादी बिना उससे पूछे अजमेर में ही बुआ के कहने पर तय कर दी है, जबकि अभी वह शादी नही करना चाहती. इसीलिए वह अजमेर भी नही आना चाहती थी. इसीलिए आर्शी शर्मा अपनी सहेली के घर चली गयी थी. मगर फोन पर मॉं के रोने से उसने अपना निर्णय बदल दिया और घर वापस आ गयी और इसी चक्कर में फ्लाइट छूटी थी. बस रास्ते में टाइगर (के के मेनन) के होटल में रूकती है, उस वक्त संजय शर्मा अपनी दीदी के किसी काम को करने के लिए उदयपुर शहर जाते हैं. उस वक्त जहां साशा व कमला शर्मा, साशा व आर्शी शर्मा, इमाद और आर्शी शर्मा के बीच बातचीत होती है. यहां पारिवारिक व सामाजिक ढांचे में बंधी कमला शर्मा और आजाद ख्याल की साशा के बीच बातचीत होती है. पर जैसे ही इमाद,  आर्शी को 18 वर्ष पूरे होने यानीकि जन्मदिन की बधाई देता है,  वैसे ही संजय शर्मा वहां पहुॅच जाते हैं और इमाद पर आग बबुला होते हैं, इमाद उन्हे ऐसा जवाब देता है कि वह गुमसुम रहने लगते हैं. अजमेर में छोलू की शादी में पहुंचते है. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं और फिल्म की कहानी को शादीस्थान पर एक नया अंजाम मिलता है.

लेखन व निर्देशनः

फिल्मकार राज सिंह चैधरी इस बात के लिए बधाई के पात्र हैं कि उन्होने समाज में टैबू या यॅू कहें कि कलंक समझे जाने वाले विषय को फिल्म में उठाया है, जिसके बारे में सतत बातें की जानी चाहिए,  लेकिन फिल्म का अंत आम फिल्मों की ही तरह है. संजय शर्मा का हृदय परिवर्तन जिस तरह से होता है, वह गले नही उतरता. यदि राज सिंह चैधरी ने थोड़ा गहराई व गंभीरता से इस फिल्म को बनाया होता, तो लड़कियों व औरतों की आजादी तथा समाज के चक्रव्यूह में फंसे लोगों की चेतना जगाने को लेकर अति बेहतरीन फिल्म बन सकती थी. पर कमजोर पटकथा के चलते फिल्म अपने दर्शकों को सही मायने में नही जोड़ पाती. जबकि फिल्मकार ने बिना किसी भाषण बाजी के सामंती,  दकियानूसी व पितृ सत्तात्मक सोच रखने वाले पुरूषों पर चोट करने की कोशिश जरुर की है. नारीवाद का मसला नही है, मगर फिल्मकार ने इस मुद्दे को बड़ी साफगोई से उठाया है कि वर्तमान समय की लड़कियां किस तरह पारिवारिक व सामाजिक जकड़न से बाहर निकलने को बेताब हैं. तो वहीं टाइगर के होटल के प्रांगण में पेय पदार्थ के प्रभाव में मॉं बेटी का नृत्य बनावटी नजर आता है.

फिल्म के कुछ संवाद बेहतर बन पड़े हैं. मसलन-साशा का संवाद-‘हम जैसी औरतें लड़ाई करती हैं, ताकि आप जैसी औरतों को अपनी दुनिया में लड़ाई न करनी पड़े. ’’

फिल्म में राहुल भाटिया व नकुल शर्मा का संगीत कथानक के अनुरूप व कर्ण प्रिय है.

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अभिनयः

महिलाओं के अधिकारों के लिए मजबूत नेतृत्व वाली महिला साशा के किरदार को कीर्ति कुल्हारी ने बेहतर तरीके से निभाया है, पर कुछ दृश्यों में वह मजबूर नजर आती हैं. पितृसत्ता की सोच और अपनी बेटी से परेशान संजय शर्मा के किरदार में अभिनेता राजन मोदी तथा विवेकशील और बुद्धिमान कमला के किरदार में निवेदिता भट्टाचार्य भी अपनी छाप छोड़ जाती हैं. छोटी सी भूमिका में के के मेनन अपनी छाप छोड़ जाते हैं.

Summer Special: बच्चों के लिए घर पर बनाएं Candy

इस समय ऑनलाइन क्लासेज के कारण बच्चे पूरे समय घर पर ही हैं. घर में रहते हुए बच्चे ही नहीं बड़ों को भी हरदम भूख सताती ही रहती है ऐसे में उन्हें चाहिए होता है कुछ छोटा मोटा जिसे वे चलते फिरते खा सकें. कैंडी अर्थात खट्टी मीठी गोलियां जो बच्चों को बेहद पसंद आती हैं ये बाजार में ऑरेंज, मैंगो, कोको जैसे अनेकों फ्लेवर में मिलतीं हैं. बाजार में मिलने वाली कैंडी की अपेक्षा घर में बनने वाली कैंडी बहुत स्वास्थ्यवर्धक और हाइजीनिक होती है तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाते हैं-

शकर की कैंडी

कितने लोंगों के लिए             10

बनने में लगने वाला समय        30 मिनट

मील टाइप                             वेज

सामग्री

शकर                     3 बड़े चम्मच

पानी                      2 टेबलस्पून

नीबू का रस             1 टेबलस्पून

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कालीमिर्च पाउडर     1/4 टीस्पून

अदरक का रस          1 टेबलस्पून

शहद                        1 टेबलस्पून

विधि

एक पैन में शकर, पानी, नीबू का रस, काली मिर्च, और अदरक का रस मिलाकर मध्यम आंच पर पकाएं. जब उबाल आने लगे तो शहद मिलाकर मिश्रण के गाढ़ा होने तक पकाएं. जब मिश्रण जमने लायक हो जाये तो गैस बंद कर दें. सिलिकॉन के मोल्ड में भरकर फ्रिज में रख दें. यदि सिलिकॉन मोल्ड नहीं है तो सिल्वर फॉयल या बटर पेपर पर चम्मच से छोटी छोटी कैंडी जमाकर फ्रिज में रख दें. 1 घण्टे बाद मोल्ड से निकालकर एयरटाइट जार में भरकर रखें.

,फलों की कैंडी(तरबूज, ऑरेंज, आम)

सामग्री

फलों का रस              1 कप

जिलेटिन                    2 टेबलस्पून

शहद                         2 टेबलस्पून

विधि

सभी सामग्री को एक साथ मिलकर गैस पर  धीमी आंच पर तब तक पकाएं जब तक कि जिलेटिन घुल न जाये. लगभग 1 मिनट बाद गैस से उतारकर मोल्ड में डालें. जमने पर एयरटाइट जार में भरकर रखें.

खट्टी मीठी कैंडी

सामग्री

नीबू या आम का रस          1/2 कप

पानी                                 1/2 कप

शकर                                 1 कप

जिलेटिन                           2 टेबलस्पून

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विधि

पैन में रस , शकर, पानी और जिलेटिन को मिलाकर लगातार चलाते हुए पकाएं जब मिश्रण गाढ़ा होकर पैन के किनारे छोड़ने लगे तो मोल्ड्स में डालकर फ्रिज में रखें. लगभग 1 घण्टे बाद अच्छी तरह जम जाने पर एयरटाइट जार में भरकर प्रयोग करें.

बच्चों को सिखाएं इंटरनेट एटीकेट्स

कोरोना काल के बाद से बच्चों से कुछ हद तक दूर रहने वाला इंटरनेट अब उनकी जरूरत बन गया है. आज उनकी एकेडमिक क्लास से लेकर समर कैम्प और हॉबी क्लासेज सभी ऑनलाइन ही हो रहीं हैं ऐसे में अब इंटरनेट, लेपटॉप और मोबाइल उनकी जिंदगी का एक आवश्यक हिस्सा बन चुका है. यूं तो तकनीक के मामले में बच्चे बड़ो से काफी आगे होते हैं परन्तु इंटरनेट के खतरों और उसे यूज करते समय बरतने वाली सावधानियों से वे अनजान रहते हैं इसलिए उन्हें इंटरनेट एटिकेट्स का बताया जाना अत्यंत आवश्यक है-

-बच्चों के द्वारा प्रयोग में लाये जा रहे गजेट्स में पेरेंटल फीचर का उपयोग अवश्य करें  ताकि एडल्ट कंटेंट से वे बचे रहें.

-उन्हें बताएं कि नेट पर किसी से भी घर का पता, मोबाइल नम्बर, ईमेल एड्रेस तथा व्यक्तिगत जानकारी  न शेयर करें.

-गेम खेलते समय आने वाले पॉप अप, एड या साइट पर क्लिक न करें.

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-स्क्रीन पर दिखने वाले किसी अनजान लिंक पर क्लिक न करने के स्थान पर केवल परिचित लोगों को ही कॉन्टेक्ट करें.

-किसी भी प्रकार की सेल्फी आदि को पोस्ट न करें क्योंकि आजकल नेट से किसी भी फोटो को लेकर उसका दुरुपयोग किया जाना कठिन कार्य नहीं है.

-अक्सर अभिभावक स्वयम तो टी वी और मोबाइल में लगे रहते हैं परन्तु बच्चों से उनसे दूर रहने को कहते हैं इसके स्थान पर खुद को भी स्क्रीन से दूर रखकर उनके साथ समय व्यतीत करें.

-ऑनलाइन क्लास के समय बच्चों से अटेंटिव और प्रजेंटबल रहने को कहें क्योंकि आगे आने वाले समय में अधिकांश कार्य ऑनलाइन ही होंगे इसलिए उनमें अभी से इसकी आदत डाल दें.

-प्रयोग करने के बाद बैटरी कम होने पर गजेट्स को चार्ज करके यथास्थान रखने की आदत विकसित करें.

-यदि आप वाई फाई के स्थान पर मोबाइल डाटा का प्रयोग करतीं हैं तो बच्चों को प्रयोग करने के बाद इंटरनेट बंद करने की आदत सिखाएं.

-अंत में बच्चा जब भी इंटरनेट का प्रयोग करे आप अप्रत्यक्ष रूप से उस पर नजर रखें, साथ ही इंटरनेट का बहुत अधिक प्रयोग करने के स्थान पर उन्हें रचनात्मक कार्यों में व्यस्त करने का प्रयास करें.

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लहंगा पहनकर Rubina Dilaik ने दिखाईं अदाएं, फैंस हुए फिदा

टीवी की पौपुलर एक्ट्रेसेस में से एक रुबीना दिलैक (Rubina Dilaik) आए दिन अपनी फोटोज और वीडियोज को लेकर सोशलमीडिया पर छाई रहती हैं. वहीं फैंस के लिए वह सोशलमीडिया पर एक्टिव रहना भी पसंद करती हैं. फैशन हो या डांस रुबीना दिलैक का हर अंदाज फैंस को पसंद आता है. वहीं हाल ही में फैंस को समर वेडिंग पार्टी लुक की झलक दिखाई है, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं रुबीना दिलैक की लेटेस्ट फोटोज…

समर वेडिंग के लिए परफेक्ट है लुक

 

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हाल ही में रुबीना दिलैक ने सोशलमीडिया पर कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही हैं. खूबसूरत लहंगे के साथ स्टाइलिश पेस्टल ब्लाउज औक उसके साथ मैहरून वेलवेट बूट्स एक्ट्रेस के लुक पर चार चांद लगा रहे हैं. वहीं इन फोटोज को शेयर करते हुए रुबीना दिलैक ने लिखा… लाइफ एक सुंदर डांस है.’

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सीरियल से जीता है फैंस का दिल

 

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सीरियल शक्ति अस्तित्व के एहसास की में किन्नर सौम्या के रोल में रुबीना दिलैक आज घर-घर में पहचान बना चुकी हैं. वहीं सौम्या का अंदाज और लुक फैंस के बीच आज भी पौपुलर है, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं.

सूट में लगती हैं खूबसूरत

 

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हाल ही में अनारकली ब्लैक सूट के साथ रेड कलर के दुपट्टे में रुबीना दिलैक ने फोटोज शेयर की थीं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं. उनका ये लुक फैंस को काफी पसंद आया था.

फैंस को देती हैं फैशन टिप्स

 

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बिग बौस का खिताब अपने नाम करने वालीं एक्ट्रेस रुबीना दिलैक का फैशन शो में बेहतरीन देखने को मिला था. इंडियन हो या वेस्टर्न हर लुक में फैंस ने उन्हें पसंद किया था. वहीं रुबीना भी अपने फैंस को खुश करने औऱ फैशन टिप्स देने का एक भी मौका नहीं छोड़ती.

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Health Tips: Nails से जानिए सेहत का राज

गलत खान-पान और गलत जीवनशैली का प्रभाव हमारे शरीर पर हमेशा पड़ता है, जिसे हम नहीं जान पाते और जब तक इस बारें में पता चलता है, तब तक बहुत देर हो जाती है. हमारे नाखून भी ऐसे ही है, जो हमारे शरीर की आधी बीमारी को बताने में सफल होते है. असल में नाखून हमारे शरीर में किस चीज की कमी है या कौन सी बिमारी दस्तक दे रही है, उसकी कंडीशन क्या है आदि सभी बातें आसानी से बता देती है. इसके अलावा सालों साल आप क्या खा रहे है या किसे अधिक खा रहे है, इन सबका असर नाखूनों पर पड़ता है. नाखून की सतह पर सफेद दाग या धब्बे या नाखूनों का ‘ब्रिटल’ होना या नीला पड़ जाना, उसके आकार में परिवर्तन होना आदि शामिल है.

इस बारें में मुंबई की ‘द स्किन इन’ की डर्मेटोलोजिस्ट डा. सोमा सरकार बताती है कि नाखूनों की सहायता से मिनरल्स, विटामिन्स की कमी के अलावा मालन्युट्रिशन, थाइरोइड डिसआर्डर, एनीमिया, कार्डियाक डिसीज, लंग्स डिसआर्डर आदि बीमारियों का पता आसानी से लगाया जाता है. हेल्दी नाखून का रंग हमेशा हल्का गुलाबी होता है. हर दिन हेल्दी नाखून 0.003 मिलीमीटर से 0.01 मिलीमीटर तक बढ़ता है, लेकिन ये व्यक्ति की उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है. कम उम्र में नाखून जल्दी बढ़ते है जबकि अधिक उम्र होने पर इसके बढ़ने की रफ्तार कम हो जाती है. ठंडी में नाखून जल्दी नहीं बढ़ पाते, जबकि गर्मी के मौसम में ये जल्दी बढ़ते है. यहां कुछ बातें निम्न है, जिसे जानना जरुरी है,

– अगर नाखून के आकार तोते की चोंच के तरह हो रहे है तो, व्यक्ति को कार्डिएक की बीमारी या लंग्स डिसआर्डर होने की संभावना होती है,

– नाखून की सतह पर सफेद स्पाट या लकीरे होने पर बायोटिन की कमी होती है, बायोटिन हमारे शरीर में उपस्थित बैड कोलेस्ट्रोल को घटाकर शरीर को उर्जा प्रदान करती है, इसके अलावा ऐसे नाखून लीवर सम्बन्धी बिमारी की ओर इशारा करते है, इसके लिए फ्रेश वेजिटेबल्स और सलाद का खाना लाभदायक होता है.

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– कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन्स की कमी से नाखून ‘ब्रिटल’ हो जाते है, इसमें नाखून के ऊपर से पपड़ी निकलने लगते है, असल में ऐसे नाखूनों में ब्लड सर्कुलेशन कम होता है, ऐसे नाखून वाले व्यक्ति अधिकतर थाइरोइड या आयरन की कमी के भी शिकार होते है, जिसे समय रहते इलाज करना जरुरी है, एग, फिश, बादाम, आलमंड्स आदि का सेवन भी इसमें लाभदायक होता है.

– नीले रंग के नाखून वाले अधिकतर व्यक्ति श्वास की बिमारी, निमोनिया या दिल से सम्बंधित बिमारियों से पीड़ित होने की संभावना होती है.

– पीले नाखून वाले व्यक्ति अधिकतर पीलिया के शिकार होते है, इसके अलावा सिरोसिस और फंगल इन्फेक्शन जैसी बीमारियां उन्हें हो सकती है, धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के नाखून भी पीले या बदरंग हो जाते है.

– आधे सफेद और आधे गुलाबी रंग के नाखून वाले व्यक्ति को किडनी से सम्बंधित बीमारियां हो सकती है, ऐसे नाखून खून की कमी को भी संकेत देती है.

– सफेद रंग के नाखून लीवर से सम्बंधित बिमारियों जैसे हेपेटाइटिस की खबर देते है.

– कई बार नाखूनों के आस-पास की त्वचा सूखने लगती है, इसे अनदेखा न करें, ये विटामिन सी, फोलिक एसिड या प्रोटीन की कमी से होती है, इसलिए अपने आहार में प्रोटीनयुक्त पदार्थ, पत्तेदार सब्जियां आदि लें.

इसके आगे डा. सोमा कहती है कि महिलाएं खासकर पानी में अधिक काम करती है. इसलिए उनमें नाखून की बिमारी अधिक देखी जाती है, ऐसे में उन्हें अपने नाखूनों की देखभाल अच्छी तरह से करनी चाहिए, जो निम्न है.

– काम करने के बाद हल्के गरम पानी से नाखूनों को साफ करने के बाद, नेल क्रीम या किसी भी कोल्ड क्रीम से अपने नाखूनों को मोयास्चराइज करें.

-एसीटोन युक्त नेल रिमूवर से नेलपॉलिश कभी साफ न करें.

– नाखूनों को समय-समय पर काटकर उसे नेल फाइलर द्वारा साफ करें.

– नेल पालिश लगाने से पहले नेल हार्डर लगाकर नेलपालिश लगायें, जिससे नाखून केमिकल से सुरक्षित रहे.

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– नाखून की बाहरी त्वचा का खास ध्यान रखें, नेल क्यूटिकल्स ही नाखूनों को फंगल और बेक्टेरिया के इन्फेक्शन से बचाते है.

– खाने में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स वाले पदार्थ अधिक लें.

नाखून, हेयर और स्किन हमारे अंदर की स्वस्थता को प्रतिबिंबित करते है, इसलिए उसमें आये किसी भी परिवर्तन को नजरंदाज नहीं करना चाहिए और समय रहते डाक्टर की सलाह ले लेनी चाहिए.

बच्चों के आपसी झगड़े को कंट्रोल करने के 7 टिप्स

रश्मि अपने बच्चों के परस्पर होने वाले झगड़े से हरदम इतनी परेशान रहती है कि कभी कभी वह गुस्से में कहने लगती है कि उसने दो बच्चे पैदा करके ही जीवन की बहुत बड़ी गल्ती की है. रश्मि ही नही प्रत्येक घर में आजकल अभिभावक बच्चों के रोज रोज होने वाले झगड़ों से परेशान हैं. एक तो वैसे भी कोरोना के कारण सभी स्कूल लंबे समय से बंद हैं ऊपर से लॉक डाउन के कारण बच्चे भी घरों में कैद रहने को मजबूर हैं. वास्तव में देखा जाए तो बच्चों का परस्पर झगड़ना उनके समुचित विकास की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. परन्तु अक्सर घर के कामकाज में उलझी रहने वाली माताएं परेशान होकर अपना भी आपा खो देतीं हैं जिससे समस्या गम्भीर रूप धारण कर लेती है. यहां पर प्रस्तुत हैं कुछ टिप्स जिनका प्रयोग करके आप बच्चों के झगड़े को आराम से निबटा सकतीं हैं-

1-बच्चों के कार्य, व्यवहार और पढ़ाई की बाहरी या घर के ही दूसरे बच्चे से कभी तुलना न करें क्योंकि प्रत्येक बच्चे का अपना पृथक व्यक्तित्व होता है.

2-बच्चे किसी भी उम्र के क्यों न हों आप उनसे उनकी उम्र के अनुसार घर के कार्य अवश्य करवाएं इससे वे व्यस्त भी रहेंगे और कार्य करना भी सीखेंगे.

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3-बच्चा यदि आपसे कुछ कहे तो उसे ध्यान से सुनें फिर समझाएं बीच में टोककर उसे शान्त कराने का प्रयास न करें.

4-टी. वी और खिलौने बच्चों में झगड़े का प्रमुख कारण होते हैं, इसलिए उनके बीच में  खिलौनों का बंटवारा कर दें और टी वी देखने का समय निर्धारित कर दें.

5-वे चाहे जितना भी लड़ें झगड़ें परन्तु आप अपना आपा खोकर हाथ उठाने या चीखने चिल्लाने की गल्ती न करें अन्यथा आपको देखकर वे भी परस्पर वैसा ही व्यवहार करेंगे.

6-किसी अतिथि अथवा दूसरे बच्चों के सामने  अपने बच्चे को डांटने से बचें….बाद में उसे प्यार से समझाने का प्रयास करें.

7-आप स्वयम भी आपसे में न झगड़कर बच्चों के सामने आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करें क्योंकि अनेकों रिसर्च में यह सिद्ध हो चुका है कि बच्चे अपने माता पिता का अनुकरण करते हैं.

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मेरे बेटे के दूध के दांत में कीड़ा लगा है, क्या यह इलाज जरूरी है?

सवाल

मेरे 9 वर्षीय बेटे के दूध के दांत में कीड़ा लगा है. घर में सभी बड़ों का कहना है कि हमें अनावश्यक ही उस का इलाज कराने के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए. दूध का दांत है निकल ही जाना है. पर जब जब किसी कारण हम उसे बच्चों के डाक्टर के पास ले जाते हैं, तो वह हमें इस का इलाज कराने की सलाह देता है. क्या यह इलाज सचमुच जरूरी है?

जवाब

आप के बेटे का डाक्टर बिलकुल सही सलाह दे रहा है. दांत में कीड़ा लगे रहने से बच्चे के स्वास्थ्य पर कई तरह से बुरा असर पड़ सकता है. उस के मुंह से बास आने से दूसरे बच्चे उस से कन्नी काटने लग सकते हैं, बच्चे को भोजन चबाने में दिक्कत हो सकती है, जिस के चलते उस के जबड़े का विकास ठीक से नहीं हो पाएगा. यह इन्फैक्शन दांत की मज्जा से जबड़े की हड्डी में भी फैल सकता है. इतना ही नहीं, कुछ नए शोध अध्ययनों के अनुसार इस के फलस्वरूप आगे चल कर शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव भी देखने में आ सकते हैं. अत: समय से इलाज करा लेने से बच्चा इन सब परेशानियों से आसानी से बच सकता है.

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बच्चों को भी साफसफाई और स्वस्थ आदतों के बारे में समझाना चाहिए. साफसुथरा रहने से वे न केवल स्वस्थ रहेंगे, बल्कि उन का आकर्षण और आत्मविश्वास भी बढ़ेगा. बचपन की आदतें हमेशा बनी रहती हैं इसलिए जरूरी है कि वे बचपन से ही हाइजीन के गुर सीखें.

ओरल हाइजीन

ओरल हाइजीन प्रत्येक बच्चे की दिनचर्या का एक प्रमुख अंग होना चाहिए. ऐसा करने से बच्चा कई बीमारियों जैसे कैविटी, सांस की बदबू और दिल की बीमारियों से बचा रहेगा.

क्या करें

– बच्चे ध्यान रखें कि रोजाना दिन में 2 बार कम से कम 2 मिनट के लिए अपने दांतों को ब्रश से साफ करें. खासतौर पर खाना खाने के बाद सफाई बहुत ही जरूरी है.

– बच्चे कम उम्र से ही रोजाना ब्रश और कुल्ला करने की आदत डालें.

– टंग क्लीनर से जीभ साफ करना सीखें.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- बच्चे को हैल्दी और ऐक्टिव बनाए रखने के लिए ये 9 आदतें जरूर सिखाएं

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