Serial Story: निर्णय (भाग-3)

रात में जब ताऊजी टीवी बंद कर के अपने कमरे में चले जाते तो वह अपना मनपसंद सीरियल, गाने या फिर पिक्चर लगा लेती. परंतु उसे परेशान करने के लिए वे फिर से लौट कर वहां आ जाते और झट चैनल बदल देते. अनावश्यक घंटों ऊंघते हुए हाथ में रिमोट ले कर चैनल बदलते रहते. कभी भूलवश टीवी की आवाज अधिक हो जाती तो चीखते हुए हाजिर हो जाते, ‘‘महारानीजी, आज आप सोने देंगी या रात्रिजागरण का कार्यक्रम करवाओगी. ‘‘मैडमजी आप तो जवान हैं. मैं 65 साल का बूढ़ा हूं… अब इतना दमखम तो बचा नहीं कि रात भर जाग सकूं.’’

पूर्वा तुरंत टीवी बंद कर के सोने का अभिनय करती और मन ही मन टीवी से दूर रहने का निश्चय करती. मगर 2-4 दिन बाद उस का मन मचल उठता और रिमोट हाथ में उठा लेती.

वहां रहते हुए लगभग 2 साल हो चुके थे. अपनी कंपनी और सैलरी दोनों से वह खुश थी, परंतु ये ताऊजी तो पूरी तरह से हाथ धो कर उस के पीछे पड़े रहते थे.

कुछ दिनों से ताऊजी अखबार के वैवाहिक विज्ञापनों में निशान लगाने में व्यस्त थे. एक दिन पूर्वा ने उन्हें ताईजी से कहते सुना, ‘‘अब तो इस ने बहुत रुपए जमा कर लिए होंगे. उन्हीं पैसों से इस की शादी कर देंगे.’’

उस ने उन विज्ञापनों को देखा, जिन पर निशान लगे थे. उन में से कोई 40 वर्ष का था तो कोई विधुर. यहां तक कि एक मंदबुद्धि भी था. अब वह परेशान हो उठी थी कि ताऊजी ने तो हद ही पार कर दी. वह परेशान हो उठी थी. इस समस्या का सामना वह कैसे करे. उस का औफिस में भी मन नहीं लगता था. तभी एक दिन किसी लड़के को उस के औफिस का पता बता कर वहां भेज दिया. उस समय उस की स्थिति बहुत विचित्र हो गई. फ्रैंड्स के बीच उस का खूब मजाक बना. वह बिफर पड़ी थी. घर पहुंचते ही ताईजी से लिपट कर बिलख पड़ी.

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जब वह काफी देर रो ली तो उन्होंने उसे तसल्ली देते हुए कहा, ‘‘देखो बिटिया, तुम्हारे ताऊजी की सब बेवकूफियां हम जानते हैं. तुम अपने औफिस के किसी लड़के को पसंद करती हो तो बताओ, मैं तुम्हारा साथ दूंगी.’’ ताईजी ने प्यार से अपने हाथ से उसे खाना खिलाया था. रात में जब वह लेटी तो उस की नींद उड़ी हुई थी. उसे अपने कालेज के मस्ती भरे दिन याद आ रहे थे. वह बीटैक में फ्रैशर थी. रैगिंग के डर से कांप रही थी. उसे अपने सीनियर को प्रोपोज कर के किस करना था. उस की आंखें बरस पड़ी थीं.

उस के आंसू देख कर एक सीनियर को उस पर दया आ गई. उस ने शालीनतापूर्वक अपनी हथेली उस के सामने रख कर किस करने को कहा. उस दिन वह आसानी से बच गई थी. वह सीनियर शशांक था. उसी दिन से वह उस का दोस्त बन गया. दोनों साथ पढ़ाई करते, कौफी पीते, साथ घूमते. उस की सारी समस्याओं का हल शशांक चुटकियों में कर देता.

धीरेधीरे न जाने कब शुरू हो गया मोबाइल पर कभी न खत्म होने वाला लंबीलंबी बातों का सिलसिला. जिस दिन दोनों एकदूसरे को न देखते या बात न करते सब कुछ अधूराअधूरा लगता. शायद इसी को प्यार कहते हैं, परंतु अभी तो दोनों के सामने अपनाअपना कैरियर था. यह सिलसिला लंबे समय तक चलता रहा था. शशांक की फाइनल परीक्षा हो चुकी थी. वह बहुत खुश था. उस का कैंपस सलैक्शन भी हो चुका था. बस प्लेसमैंट मिलना था. उस की जाने की तैयारी चल रही थी. वह उदास हो उठी थी. तब उस ने गंभीर हो कर उसे शादी के लिए प्रोपोज कर दिया. बस इसी बात को ले कर वह उस से नाराज हो गई और उस से बातचीत बंद कर दी.

जब जाने का समय आया तो शशांक उस से मिलने आया. उस ने प्रौमिस किया कि दोनों दोस्त बने रहेंगे, उस से अधिक कुछ नहीं. वह सिलसिला आज भी चल रहा था. शशांक को बैंगलुरु में पोस्टिंग मिली थी. वह गुड़गांव में थी, इसलिए मुलाकातें तो मुश्किल हो गई थीं, पर औनलाइन चैटिंग और फोन पर मस्ती चलती रहती थी.

अब जब ताऊजी उस की शादी की कोशिश करने लगे हैं और ताईजी भी उस से उस के मनपसंद लड़के के बारे में पूछ रही हैं तो उस के लिए प्यार की मीठीमीठी घंटियां बजने लगीं. शशांक जैसा जीवनसाथी ही तो उसे अपने लिए चाहिए पर उस ने तो इन दिनों उस से इस संबंध में कोई बात ही नहीं की. उस का मन तरंगित हो उठा… मगर क्षण भर में ही उसे अपने सपने टूटते से लगे, क्योंकि शशांक एसटी कोटे से था. पापा और ताऊजी दोनों को ही अपने ब्राह्मणत्व का बड़ा गुमान था. इस विषय को ले कर वे पक्के रूढि़वादी थे. कई दिनों तक वह अनिर्णय की स्थिति में रही.

अब वह करे तो क्या करे? मांपापा की आंखों में तैरती खुशियों की चमक, ममतामयी ताईजी का पलपल प्यार से गले लगा कर कहना कि मेरी लाडो को दुनियाजहां की सारी खुशियां मिलें. परंतु ताऊजी उसे संदिग्ध लगते थे. वे फोन पर फुसफुसाते हुए न जाने किस गुणाभाग में लगे रहते थे. पूर्वा को दूरदूर तक कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था. वह ताऊजी की फुसफुसाहटों पर अपने कान लगाए रहती. उसे पूरा विश्वास था कि ताऊजी उस की शादी फिक्स करवाने के एवज में अवश्य कोई लंबा हाथ मार रहे होंगे. वह चुपके से उन के कागज टटोलती, उन का फोन चैक करती कि कोई एसएमएस उसे पढ़ने को मिल जाए, परंतु वह अपने शक को सच में परिवर्तित करने में सफल नहीं हो पा रही थी.

पूर्वा को ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे किसी दलदल में धंसती जा रही है जहां से निकलना कठिन है. वह इसी उलझन में थी. तभी उसे ऐसा अनुभव हुआ कि शशांक ने उस की हथेलियों को पकड़ लिया है और उसे दलदल से बाहर निकाल लिया है. वह उस के साथ भागती जा रही है. वह चौंक कर अपने चारों ओर देखने

लगी, क्योंकि वह अब भी अपनी हथेलियों में उस के हाथों के स्पर्श को महसूस कर रही थी. उस ने शरमाते हुए अपनी हथेलियों को स्वयं ही चूम लिया जैसे वे अपनी नहीं वरन शशांक की हों. उस का दिल जोरजोर से धड़क रहा था. शशांक जैसे उस के रोमरोम में समाया हो. अब वह उस के बिना एक पल भी नहीं रह सकती थी.

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उस के मन की ऊहापोह एवं अनिर्णय की स्थिति समाप्त हो चुकी थी. वह ताऊजी के लिए अपने भावी जीवन की बलि नहीं चढ़ा सकती. उस ने तुरंत शशांक को फोन मिला कर पूछा, ‘‘मुझ से शादी करोगे?’’

शशांक खुशी से उछल पड़ा, ‘‘डियर, इस दिन का तो मैं कब से इंतजार कर रहा था. बताओ मैं कब आऊं?’’ उस का दिल बल्लियों उछल रहा था.

ताऊजी के रुद्र रूप को सोच आज पूर्वा मुसकरा उठी थी. अंतत: वह ताऊजी के जाल से आजाद होने जा रही थी. अब उस के मन में न ताऊजी का डर था और न ही मम्मीपापा का. वह ममतामयी ताईजी की शुक्रगुजार थी. उन्होंने सदा उस का साथ दिया.

पूर्वा के सिर से बड़ा बोझ उतर चुका था. वह तय कर चुकी थी कि वह अपने निर्णय पर अडिग रहेगी. इस घुटन भरी जिंदगी से आजाद हो कर खुली हवा में सांस लेगी. वह मंदमंद मुसकरा उठी थी.

WELCOME 2021: नए साल के रंग, सितारों के संग

साल 2021 नई खुशियों के साथ प्रवेश कर चुका है. विश्व में हर कोई अच्छी और नई जीवन शैली के साथ आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे है. साल 2021 उम्मीदों और चुनौतियों का है,क्योंकि पूरे विश्व को वैक्सीनेशन के साथ अपने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का है. फिर से नॉर्मल जीवन जीने की चाहत में सभी देश लगे हुए है. एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में भी काम शुरू हो चुका है, लेकिन अभी भी बहुत ख़राब दौर से इंडस्ट्री गुजर रही है, उसे फिर से नार्मल बनाने की दिशा में सभी कलाकार दिन रात काम कर रहे है, ऐसे में सेलेब्रिटी के नए साल के रेजोल्यूशन भी पिछले कई सालों से अलग है, आखिर क्या है, उनकी सोच और संकल्प? आइये जाने. 

अनिरुद्ध दवे

अभिनेता अनिरुद्ध दवे कहते है कि मेरा नए साल का संकल्प किताबें पढना और अधिक से अधिक लिखना है. मैं अपनी प्रोडक्शन कंपनी को, जो पिछले साल काफी नुक्सान झेली है, उसे अगले लेवल तक ले जाना चाहता हूं. 

 

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अविनाश मिश्रा 

 

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धारावाहिक ‘ये तेरी गलियां’ फेम अभिनेता अविनाश मिश्रा कहते है कि मैं कभी संकल्प इसलिए नहीं लेता, क्योंकि मुझे विश्वास है कि कोई भी उसे पूरे साल में पूरा नहीं कर पाता, लेकिन इस साल मैं अपने काम पर अधिक फोकस रहने की संकल्प लिया है.

अंगद हसिजा 

 

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अभिनेता अंगद हसिजा का कहना है कि मेरा रेजोल्यूशन थोडा अद्भुत है, क्योंकि मैं इस साल की पहली तारीख से शाकाहारी बनने जा रहा हूं, जो मेरे लिए असंभव है, क्योंकि मैं वर्कआउट के दौरान चिकन और अंडे लेता था, ल्र्किन अभी मुझे कुछ ऑर्गेनिक फल और सब्जियां खाने की इच्छा है. अभी तक किसी को मेरे इस संकल्प के बारे में पता नहीं है, पर मैं इतना श्योर हूं कि जब मेरे परिवार को इसका पता चलेगा, तो उन्हें शॉक लगेगा. 

रोहित चौधरी \

rohit

अभिनेता रोहित कहते है कि हर कोई कोविड 19 की इस महामारी से बाहर निकलना चाहता है, क्योंकि इस बीमारी की वजह से पिछले साल सारे काम काज रुक गए थे और वह इस साल पूरा होगा. साथ ही काम भी पहले जैसे शुरू होने की उम्मीद है. मेरा संकल्प है कि कोरोना संक्रमण से सभी आज़ाद हो जाए और मैं अपने इनकम्पलीट प्रोजेक्ट को पूरा कर सकूँ. तभी सफलता सबके हाथ लग पाएगी. 

सृष्टि जैन 

 

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अभिनेत्री सृष्टि जैन कहती है कि मैं हर साल रेजोल्यूशन लेती हूं और उसे तोड़ देती हूं, लेकिन इस साल मैं उसे पूरा करने की कोशिश करुँगी. मेरा संकल्प हमेशा पोजिटिव रहना और हर दिन एक अच्छा इंसान बनने की कोशिश करना है. मेरे विचार से विश्व में भी सकारात्मक सोच और अच्छे सोच के लोग है. मैं उसमें अपने विचार को जोड़ना चाहती हूं. 

राजेश कुमार 

 

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कॉमेडी की दुनिया में अपनी एक छाप छोड़ चुके अभिनेता राजेश कुमार का कहना है कि मैं इस साल हर तरीके की वेब सीरीज को करने की इच्छा रखता हूं. मेरा सबसे बड़ा संकल्प है कि मैं सभी निर्माता , निर्देशक से एक निगेटिव रोल देने के लिए कहूंगा. इसके अलावा मैं पिछले 3 वर्षों से फार्मिंग में लगा हुआ हूं. इस साल मैं उगाये गए चीजो के लिए सही मार्केटिंग करूँगा और कई कृषकों को अपने साथ जोडून्गा. इसे मैं बिहार और मुंबई के आसपास के क्षेत्रों में परिचित करवाने की कोशिश करूँगा. 

शरद मल्होत्रा 

अभिनेता शरद कहते है कि मेरा संकल्प हर तीसरे महीने में कोलकाता जाने की है, जो मैं इस साल पेंड़ेमिक की वजह से नहीं जा पाया. 

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विजयेन्द्र कुमेरिया 

मेरा नए साल का संकल्प डिजिटल की दुनिया को एक्स्प्लोर करना है, इसमें मैं एक्टिंग और प्रोडक्शन दोनों में काम करने की कोशिश में हूं, क्योंकि अभी फ्यूचर डिजिटल का ही है. मुझे उम्मीद है कि मैं अपने मकसद में कामयाब होऊंगा.

विजय पुष्कर 

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अभिनेता विजय पुष्कर का कहना है कि इस साल का मेरा संकल्प काम पर ध्यान देना है, जिसे मैंने 9 महीने में पेंड़ेमिक और लॉकडाउन की वजह से खोया है. अभिनय मेरा पैशन है और कैमरे के आगे आना मुझे बहुत अच्छा फील कराता है. इसके अलावा इस साल मैं पोजिटिव रहना, पोजिटिव जीवन-यापन करना और पॉजिटिव चीजों को आकर्षित करना चाहता हूं.

प्रणिता पंडित 

pranita

मेरा नए साल का रेजोल्यूशन वजन कम करना और शेप में आना है. काम शुरू करने के साथ-साथ मैं अपने जीवन में भी सामंजस्य चाहती हूं. मैं देश महामारी मुक्त देखना चाहती हूं. इसके अलावा मैं एम् बी ए की पढाई पूरी करना चाहती हूं.  

अलविदा 2020- सारा अली खान से लेकर श्रद्धा कपूर तक, ड्रग्स मामले में कंट्रोवर्सी का शिकार हुए ये सितारे

जब सेलेब्रिटी पर आई मुसीबत- 2020 बॉलीवुड के लिए कितना ख़ास रहा और कितना नहीं, ये तो वहीं सेलेब्रिटी समझ सकते हैं, जिन्होनें इसे झेला. नई दुनिया में कदम रखने से लेकर दुनिया को अलविदा करने तक का 2020 का ये सफ़र अधूरा रहेगा अगर हम सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद ड्रग के मामले पर बात न करें. असल में ये 2020 का सबसे बड़ा चर्चित मामला रहा जिसने तूल पकड़ा. बात जब ड्रग कनेक्शन्स की जांच में आई तो छोटी से बड़ी उस हर सेलेब्रिटी का नाम सामने आया, जिससे उनके फैंस निराश हो गये. तो चलिए अब जानते हैं 2020 में ड्रग से जुड़े सेलेब्रिटी के बारे में भी.

1. दीपिका पादुकोण- दीपिका के फैंस को तब झटका लगा जब दीपिका का नाम ड्रग्स के मामले में सामने आया. जहां दीपिका की मैनेजर करिश्मा प्रकाश का नाम भी समाने आया था. बता दें दीपिका की अपनी मैनेजर से चैट वायरल हुई थी जिसमें वो ‘माल’ के बारे में पूछ रही थीं. मामले को लेकर दीपिका से एनसीबी ने भी पूछताछ की थी.

2. सारा अली खान- बॉलीवुड के नवाब सैफ अली खान की बेटी और एक्ट्रेस सारा अली खान का नाम भी ड्रग्स के मामले में सामने आया था. हालांकि एनसीबी की पूछताछ में उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत के साथ अपने रिलेशन की बात भी कबूली थी. उन्होंने ये भी बताया की शूटिंग के दौरान उन्होंने सुशांत को ड्रग्स लेते हुए देखा भी था.

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3. अर्जुन कपूर- बॉलीवुड अभिनेता अर्जुन कपूर भी इस आरोप से खुद को नहीं बचा पाए. जब घंटों तक शक के आधार पर अर्जुन से एनसीबी ने पूछताछ की तो उन्होंने ड्रग लेने की बात से साफ़ इंकार कर दिया.

4. श्रद्धा कपूर- लाखों दिलों की धड़कन बॉलीवुड अभिनेत्री श्रद्धा कपूर के लिए भी 2020 कम मुश्किलों भरा नहीं रहा है. एनसीबी ने जब श्रद्धा कपूर से पूछताछ की तो उन्होंने इस बात से पर्दा उठाते हुए बताया कि उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत को शूटिंग के दौरान वैनिटी में ड्रग्स लेते हुए पकड़ा था.

5. भारती सिंह- हंसी ठिठोली करने वाली भारती सिंह भी 2020 की इस मुसीबत से नहीं बच पायीं. एनसीबी ने भारती के घर में में छापेमारी कर गांजा बारामद किया था. और उन्होंने ड्रग्स लेने की बात भी कबूली. इसके लिए भारती और उनके पति को गिरफ्तार भी किया गया था.

6. प्रितिका चौहान- टीवी एक्ट्रेस प्रितिका चौहान का नाम ड्रग्स मामले में सामने आया था. जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था. उनके उपर ड्रग्स लेने और सप्लाई करने का आरोप लगाया गया था.

7. रिया चक्रवर्ती- जैसे-जैसे बॉलीवुड में ड्रग्स को लेकर मामले सामने आए, वैसे-वैसे कई सेलेब्रिटी के नाम भी सामने आये. जिसमें रिया चक्रवर्ती का नाम सबसे ऊपर रहा. जब से सुशांत की मौत हुई उसके बाद से ही रिया पर लगातार आरोप लगते रहे. कड़ाई से एनसीबी ने जब पूछताछ की तो रिया ने ड्रग की सप्लाई और लेने की बात कबूली. जिसके लिए रिया को जेल की हवा भी खानी पड़ी.

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8. रकुल प्रीत सिंह- ड्रग्स मामले में जब रिया चक्रवर्ती का नाम सामने आया तो उनकी साथ रकुल प्रीत सिंह की चैट भी सोशल मिडिया पर वायरल हुई. एनसीबी की पूछताछ में उन्होंने चैट को माना और बताया की चैट 2018 की थी. उन्होंने बताया कि एक बार रिया उनके घर पर ड्रग्स छोड़कर चली गयी थीं, जिसके लेकर रकुल ने उन्हें मैसेज किया था.

तो देखा आपने कि कैसे 2020 बॉलीवुड के लिए शाॅकिंग से भरा रहा. ये साल ही कुछ ऐसा था, जिसे ये सितारे कभी चाहकर भी नहीं भुला पायेंगे.

अलविदा 2020: गौहर से लेकर नेहा कक्कड़ तक, इस साल शादी के बंधन में बंधे ये 9 सेलेब्स

जिस साल का बेसब्री से इंतजार था, वो अब आ गया है. लेकिन अभी बात करते हैं 2020 की जिसमें कुछ ख़ुशी के पल भी गुज़रे, जो छोटे पर्दे से बड़े पर्दे में देखने को मिले.

बात 2020 की हो, तो ये साल ना सिर्फ कोरोना माहामारी के बीच गुजरा, बल्कि बहुत सी ऐसी बातें हुईं जो कभी आंखों को नम कर गयीं, तो कभी मन में ख़ुशी भर गयीं. कुछ ऐसा रहा खट्टे-मीठे और सुख-दुख के पलों से भरा रहा था ये साल. लेकिन इस इस साल कई सेलेब्रिटी ने एक दूसरे का हाथ थामकर नई जिंदगी की शुरुआत की.

जिन्होनें थामा एक दूजे का हाथ- 2020 ऐसे सेलेब्रिटी के लिए यादगार बन गया जिनको अपने जीवनसाथी मिल गये. जिन्होनें नई जिन्दगी में कदम रखा. चलिए जानते हैं उन सेलेब्रिटी के बारे में जिन्होने शादी करके अपने लिए 2020 यादगार बना लिया और वो इसी मीठी यादों के साथ अपने लाइफ पार्टनर के साथ इस साल को अलविदा कहेंगे.

1. रोहनप्रीत सिंह और नेहा कक्कड़

रोहनप्रीत सिंह और नेहा कक्कड़ की शादी साल की सबसे चर्चित शादियों में से एक है. दोनों को ‘नेहू द व्याह’ में एक दूसरे से प्यार हुआ. और दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया. पहले चंडीगढ़ फिर दिल्ली में शादी के कार्यक्रम किया गये. जिसके बाद मुम्बई में रिसेप्शन भी किया गया.

 

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2. काजल अग्रवाल और गौतम किचलू-

 

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बॉलीवुड एक्ट्रेस काजल अग्रवाल ने अपने बॉयफ्रेंड गौतम किचलू से 30 नवंबर को शादी कर ली. अपनी शादी के बाद, उन्होंने अपने दोस्तों और परिवार के लिए एक रिसेप्शन भी आयोजित किया.

3. हार्दिक पांड्या और नतासा स्टैंकोविक-

2020 जाते जाते क्रिकेटर हार्दिक पांड्या ने फैंस को झटका दे दिया. हार्दिक ने अपनी गर्लफ्रेंड नतासा स्टैंकोविक के साथ ना सिर्फ शादी की घोषणा की, बल्कि पापा बनने की गुड न्यूज़ भी दे डाली. हालंकि उनके इस सरप्राइज का फैंस की तरफ से मिला जुला रिएक्शन सामने आ रहा है.

4. आदित्य नारायण और श्वेता अग्रवाल-

 

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साल में रोहनप्रीत और नेहा की शादी के बाद आदित्य और श्वेता की शादी ने फैंस को खुश कर दिया. दोनों दस सालों से एक दूसरे को प्यार करते थे. दोनों की शादी ककी तस्वीरें भी सोशल मिडिया पर खूब वायरल हो रही हैं.

5. राणा दग्गुबाती और मिहिका बजाज-

 

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राणा दग्गुबाती और मिहिका बजाज ने 8 अगस्त, 2020 को शादी के बंधन में बंध गए. युगल की प्रेम कहानी पूरी तरह से आकर्षक है. गाँठ बाँधने से पहले वे पारिवारिक मित्र थे.

6. कुनाल वर्मा और पूजा बनर्जी-

इस साल टीवी अभिनेत्री पूजा बनर्जी ने भी कुणाल वर्मा के साथ शादी के बंधन में बंध गयीं. दोनों की शादी की पिक्स फैंस को खूब भा रही हैं.

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7. नीति टेलर और परीक्षित बावा-

 

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टेलीविजन अभिनेत्री नीति टेलर ने अपने मंगेतर परीक्षित बावा के साथ अगस्त में शादी कर ली. इस समारोह में उनके मम्मी-पापा और करीबी परिवार के सदस्य ही सिर्फ मौजूद थे.

8. मनीष रायसिंह और संगीता चौहान-

 

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छोटे पर्दे के फेम मनीष रायसिंहन ने इस साल जून के महीने में संगीता चौहान के साथ अपनी जिन्दगी की नई पारी शुरू कर दी. दोनों की शादी मुंबई के गुरुद्वारे में सम्पन्न हुई. जहां उमके करीबी और माता-पिता ने अपना आशीर्वाद दिया.

9.  शहिर शेख और रुचिका कपूर-

टेलीविजन के मशहूर एक्टर शहिर शेख ने कुछ दिन पहले अपनी गर्लफ्रेंड रुचिका कपूर से कोर्ट मैरिज कर ली. शादी में सिर्फ परिवार के लोग ही शामिल हुए. बता दें रुचिका एकता कपूर की फिल्म डिविजन की हेड हैं.

ये साल जितना शॉकिंग रहा है उतना ही रॉकिंग भी रहा है. फिलहाल अपने फैंस के लिए ये सेलेब्रिटी हर गम भुलाकर नये साल को एंजॉय कर रहे हैं.

अलविदा 2020: सुशांत से लेकर इरफान खान तक, इन सितारों ने कहा दुनिया को अलविदा

फिल्मी सितारों ने जितनी खुशियां समेटीं, उतना ही दुगना दुख भी झेला है. 2020 साल में बहुत से बड़े सेलेब्रिटिज़ ने हमेशा के लिए अपने फैंस और पूरी दुनिया को अलविदा कह दिया. कुछ सितारों ने कोरोना महामारी के चपेट में आकर हम सबका साथ छोड़ा, तो कुछ ने अलग वजहों से. तो चलिए अब जानते हैं उन सितारों की बारे में जो अब सिर्फ एक याद बनकर रह गये हैं.

1. इरफ़ान खान बॉलीवुड की दुनिया के बसे चहेते अभिनेता इरफान खान ने 29 अप्रैल 2020 को अंतिम सांस ली. उन्हें एक संक्रमण के साथ धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अभिनेता कई सालों से न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से जूझ रहे थे. इरफान ने कमर्शियल फिल्मों के जरिये दुनियाभर के लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई थी.

2. ऋषि कपूर बॉलीवुड में फिल्म बॉबी से दर्शकों के दिल में अपनी जगह बनाने वाले अभिनेता ऋषि कपूर ने 30 अप्रैल 2020 को दुनिया को अलविदा कह दिया. 2018 में पहली बार उन्हें अपने कैंसर के बारे में पता चला था. ऋषि कपूर अपने दशक की फिल्मों में रोमांटिक हीरों के रूप में भी अपनी जगह बनाई.

3. सुशांत सिंह राजपूत बॉलीवुड के यंग और डैशिंग एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने न सिर्फ फैंस को बल्कि पूरे बॉलीवुड जगत को शॉक कर दिया. उनके फैंस और करीबी इस बात को एक्सेप्ट नहीं कर पा रहे थे कि अब उनका सुपर हीरो उनके बीच नहीं रहा. 14 जून बॉलीवुड के लिए ब्लैक डे से कम नहीं था. सुशांत टीवी धारावाहिक “पवित्रा रिश्ता” से अपने करियर की शुरुवात की थी.

4. दिव्या भटनागर– टीवी एक्ट्रेस दिव्या भटनागर, ये रिश्ता क्या कहलाता है फेम का कोविड -19 के कारण 11दिसंबर को निधन हो गया. उनको कार्डियक अरेस्ट हुआ था. जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 7 दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई.

 

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5. समीर शर्मा टीवी एक्टर समीर शर्मा को 6 अगस्त 2020 को, उन्हें मलाड में अपनी रसोई की छत से लटका पाया गया. वह फरवरी 2020 में अपने किराए के इस अपार्टमेंट में शिफ्ट हो गए थे. बिल्डिंग का सिक्योरिटी गार्ड उनकी मृत्यु की खबर देने वाला पहला व्यक्ति था. स्थानीय पुलिस द्वारा ये सुसाइड का मामला माना गया.

6. सरोज खान बॉलीवुड को अपने इशारों में नचाने वाली कोरियोग्राफर सरोज खान ने 2 जुलाई 2020 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. सरोज खान बॉलीवुड में मास्टरजी कहलाने की शौकीन थीं. सरोज खान का निधन बॉलीवुड के लिए तगड़ा झटका था.

7. गायक एसपी बालसुब्रमण्यमअभिनेता एसपी बालासुब्रह्मण्यम का निधन 74 साल की उम्र में 25 सितंबर को कोरोनावायरस के कारण हो गया. अगस्त के पहले सप्ताह में कोविड -19 से संक्रमित होने के बाद, उनकी हालत बिगड़ी. उसके बाद उन्हें आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया था. वह अपनी अंतिम सांस तक वेंटिलेटर पर रहे. भारतीय संगीत में उनके अद्वितीय योगदान के लिए प्रशंसक उन्हें याद करेंगे. उन्होंने 40,000 से अधिक गाने के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया.

8. वाजिद खान बॉलीवुड में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली संगीतकार जोड़ी साजिद-वाजिद की जोड़ी 1 जून को तब टूट गयी जब दिल का दौरा पड़ने से साजिद खान का निधन हो गया. साजिद-वाजिद को सलमान खान अभिनीत “दबंग” फिल्मों में उनके गीतों के लिए जाना जाता है.

9. भूपेश कुमार पंड्या

थिएटर के व्यक्तित्व और अभिनेता भूपेश कुमार पंड्या का 23 सितंबर को फेफड़ों के कैंसर से लड़ाई के बाद निधन हो गया. भूपेश ने विक्की डोनर और हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी जैसी फ़िल्मों में अभिनय किया.

10. आसिफ बसरा बॉलीवुड एक्टर आसिफ बसरा ने 12 नवंबर को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में आत्महत्या कर ली थी. जहां वह लगभग चार साल से रह रहे थे. “ब्लैक फ्राइडे”, “परजानिया”, “जब वी मेट” और “काई पो चे” जैसी कई अन्य फिल्मों में शानदार भूमिका निभाने वाले आसिफ हम हमारे बीच नहीं रहे.

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11. आशालता वबगांवकर

वयोवृद्ध अभिनेता आशालता वाबगांवकर का 22 सितंबर को 79 वर्ष की आयु में सतारा में निधन हो गया. वाबगांवकर ने वो सात दिन, अहिस्ता अहिस्ता, शौकीन, अंकुश और नमक हलाल जैसी फिल्मों में काम किया था.

12. राहत इंदौरी

कवि और गीतकार राहत इंदौरी का निधन 11 अगस्त को कार्डियोरैसपाइरेटरी अरेस्ट के कारण हो गया था. अपनी कई प्रसिद्ध कविताओं के अलावा, उन्हें “चोरी चोरी नज़रें मिलीं” (करीब), “बूम्ब्रो” (मिशन कश्मीर), “ये रिश्ता क्या कहलाता है ”(मीनाक्षी),“ दिल को हजार बार ”(मर्डर) आदि में गीतों के लिए जाना जाता था.

13. अस्तद देबू समकालीन भारतीय नृतक अस्तद देबू एक ऐसे व्यक्तित्व हैं नृत्य की कई तकनीक के बारे में जानकारी थी. इनका निधन 10 दिसंबर हुआ. वह लिम्फोमा नाम की बिमारी से पीड़ित थे. जो एक तरह के ब्लड कैंसर को विकसित करता है. देबो ने कथक के साथ-साथ कथकली के भारतीय शास्त्रीय नृत्य रूपों में एक अद्वितीय संलयन नृत्य के रूप में अपना प्रशिक्षण दिया.

इनके अलावा भोजपुरी अभिनेता अनुपमा पाठक, दिग्गज बॉलीवुड अभिनेत्री कुमकुम, बॉलीवुड निर्देशक रजत मुखर्जी, मशहूर अभिनेता जगदीप जिनको सूरमा भोपाली के नाम से जाना जाता है, सुशील गौड़ा, फिल्म निर्माता हरीश शाह, टेलीविजन अभिनेता जागेश मुकाती, कन्नड़ कलाकार चिरंजीवी सरजा, फिल्म निर्माता-पटकथा लेखक बासु चटर्जी, बॉलीवुड निर्माता अनिल सूरी,दिग्गज गीतकार योगेश गौड़, टेलीविजन अभिनेत्री प्रीता मेहता, अभिनेता मोहित बघेल, अनुभवी अभिनेत्री निम्मी, वयोवृद्ध गीतकार अभिलाष, कन्नड़ हास्य कलाकार रॉकलाइन, मलयालम अभिनेता और डबिंग कलाकार प्रबेश चकलाकाल, तमिल अभिनेता फ्लोरेंट सी परेरा, वयोवृद्ध ओडिया अभिनेता अजय दास दास , तेलुगु टीवी अभिनेत्री श्रावणी कोंडापल्ली, तेलुगु अभिनेता जया प्रकाश रेड्डी, वयोवृद्ध संगीत संगीतकार एस मोहिंदर, वयोवृद्ध असमिया गायिका अर्चना महंता, वयोवृद्ध फिल्म निर्माता एबी राज, निर्देशक-अभिनेता शशिकांत कामत, मलयालम अभिनेता और डबिंग कलाकार प्रबेश चकलाक्कल का भी इस बीते साल 2020 में निधन हो गया.

मुसकुराता नववर्ष: भाग-1

कावेरी लंचबाक्स पैक कर उसे अपने बैग में रखने के लिए बढ़ी ही थीं कि उन का बेटा दौड़ता हुआ आया और दरवाजे से ही चिल्ला कर बोला, ‘‘अम्मां, गांव में पिताजी का इंतकाल हो गया.’’

कावेरी ने सुना पर बात को अनसुना कर वे अपना काम करती रहीं. यद्यपि पति के मरने की खबर से एक क्षण को मन में कुछ जरूर हुआ था, किंतु उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई.

‘‘आप सुन रही हैं न?’’ यह कह कर सुंदरम ने मां का कंधा पकड़ उन्हें झकझोरा तो कावेरी उसे एकटक निहारती रहीं, मानो पूछ रही हों कि तू क्यों झकझोरझकझोर कर यह कह रहा है.

छोटा बेटा भी तब तक वहां आ गया था और क्रोध से मां को घूरने लगा, मानो वे उस की अपराधिनी हों, ‘‘पिता कल रात को गुजर गए हैं और आप यह सुन कर भी दफ्तर जाने की तैयारी में हैं?’’

कावेरी चुपचाप फाइलें उठा कर बैग में सहेजने लगीं. उन का दिल सुन्न था. न उस में स्पंदन, न संवेदन की कोई लहर थी. उन का हृदय मरुस्थल सा बन चुका था.

छोटे बेटे ने अपनी पत्नी की ओर देख कर कहा, ‘‘रोओ…चिल्लाओ…छाती पीटो… माथा पटको…अपने अनाथ होने की दुहाई दो…’’ इस पर भी अम्मां की कोई प्रतिक्रिया न देख कर छोटे बेटे मुन्नूस्वामी ने पूछा, ‘‘अम्मां, तुम दफ्तर जा रही हो…’’

कावेरी अपना पर्स और बैग उठा कर घर से निकल गईं.

बसों की भीड़भाड़ में भी कावेरी का मन शांत रहा. दफ्तर में भी उन्होंने किसी से कुछ नहीं बताया और रोज की तरह अपना काम करती रहीं.

कावेरी के दफ्तर चले जाने से उन की दोनों भाभियां मन ही मन काफी नाराज थीं. बड़ी भाभी अमलू तड़प उठी और उस ने देवरानी वल्ली को खूब भड़काया. एक बजतेबजते दफ्तर में अमलू भाभी ने फोन कर बता दिया कि कावेरी के पति की रात को मौत हो गई है.

‘तुम्हारे पति का कल रात देहांत हो गया और तुम दफ्तर आ गईं?’’ मैनेजर ने कहा.

कावेरी के इस व्यवहार से दफ्तर के लोगों को समझ में आ गया कि कहीं कुछ गड़बड़ है. दफ्तर में दबी जबान से चर्चा होने लगी.  कावेरी को दफ्तर का वातावरण अजनबी सा लगने लगा तो वे घर आ गईं. घर में आसपड़ोस के लोग जमा थे. उन की भाभियां और बहुएं उन के बुरे व्यवहार को ले कर चर्चा कर रही थीं. घर का दृश्य देख कावेरी को समझते देर न लगी कि अमलू भाभी किस बात को ले कर इतना फसाद खड़ा कर रही हैं.

कावेरी को देखते ही बेटा सुंदरम पास आ कर बोला, ‘‘अम्मां, हम सब जा रहे हैं. तुम चलोगी?’’

‘‘तुम सब का मरने वाले के साथ कौन सा रिश्ता है जो मेरा जीवन यातनाओं से भरते जा रहे हो…आज तक तुम ने अपने बाप की शक्ल देखी…आज 35 साल के बाद सब चेत रहे हैं… जिस से मेरा नाता तुम सब ने मिल कर तुड़वा दिया था. आज मेरे सूखे जख्म क्यों छील कर हरे कर रहे हो?’’

‘‘नहीं, कावेरी,’’ बड़े भाई ने समझाते हुए कहा, ‘‘जो हुआ सो हुआ…तुम्हारी ससुराल से यह खबर आई है, अगर खबर न आई होती तो बात दूसरी थी.’’

‘‘आखिर है तो वह तुम्हारे दोनों बेटों का पिता…’’ छोटे भाई ने जोड़ा.

दोनों बहुएं यह नहीं चाहती थीं कि बाहर का कोई बात बनाए. इसलिए कहा, ‘‘देखो, अम्मां, अब पिताजी जीवित नहीं हैं. मरते समय उन्होंने अपने भाई से अपनी पत्नी और बच्चों से मिलने की बात कही भी होगी तो हमें क्या पता? मां, अगर आप जाएंगी तो उन की आत्मा को शांति मिलेगी कि मेरी पत्नी ने मुझे माफ कर दिया, मेरा अंतिम संस्कार भी किया. आप की आने वाली पीढ़ी यानी पोतेपोतियों के सुखमय जीवन के लिए आप का चलना जरूरी है.’’

‘‘आप सब जाइए और दुनियादारी निभाइए,’’ कावेरी ने कहा, ‘‘मैं न दुनियादारी निभाऊंगी और न आप की बातों में आऊंगी.’’

यह सुनने के बाद बड़ी भाभी अमलू ने सिर धुनना शुरू किया और जोरजोर से कावेरी को ताने देने लगीं. दूसरी भाभी भी बड़ी के मुताबिक छाती पीटने लगीं. घर में चीखनेचिल्लाने की आवाजें गूंजने लगीं.

दोनों भाइयों के जोर देने पर अनमनी सी कावेरी उठीं और बोलीं, ‘‘आप को मेरा जीवन नरक में ढकेल कर खुशी होती है तो चलो,’’ इतना कह चप्पल पहन वे घर से बाहर आ गईं.

35 साल पहले जिस घर को छोड़ कर कावेरी गई थीं उस घर में पति कुमरेशन की लाश जमीन पर पड़ी थी. शराब पीपी कर उन का शरीर बड़ा भद्दा और स्याह पड़ चुका था. दूर से देखने पर किसी कोढ़ी की लाश लगती थी. उस पर मक्खियां भिनभिना रही थीं. कावेरी ने एक नजर लाश पर डाली और मन घृणा से भर गया था. इतना ऊंचा पद और पैसा होते हुए भी कुत्ते की मौत…इस पियक्कड़ को क्या पता कि सारा पैसा छोटा भाई खा गया था. कावेरी का मन भर आया. वे बाहर आ गईं.

‘‘क्रियाकर्म, दाहसंस्कार, रीतिनीति नहीं निभाओगी, भाभी?’’ कावेरी के देवर ने पूछा.

‘‘आज तक तुम ने किया है, आगे भी तुम ही करो,’’ इतना कह कर कावेरी खामोश हो गईं.

उन के मन में पति के मरने का तनिक भी अफसोस न था. रिश्तेदारों ने उन को बिठा कर सिर पर पानी डाला, पहनने को साधारण सी साड़ी दी और विधवा को लगाने वाली भभूत लगाई.

दाहसंस्कार करते समय पोतीपोते मृतक कुमरेशन के इर्दगिर्द खड़े कर दिए गए. दाहसंस्कार कर शाम 7 बजे सब घर आ गए थे. बड़े बेटे सुंदरम ने बताया कि दाहसंस्कार का सारा इंतजाम उन्हें (अम्मां को) ही करना है. कावेरी क्षुब्ध हो उठीं.

‘‘मुझे कुछ नहीं करना है. मैं इस आदमी को नहीं जानती. जब मेरे दफ्तर के पीछे रहते हुए भी यह कभी मुझ से मिलने नहीं आया, न कभी पता लगाया कि बच्चे कैसे हैं, कितने बड़े हो गए हैं? क्या कर रहे हैं? आज मेरे दोनों बच्चे काबिल और बेहतर जीवन जी रहे हैं तो अपने बाप के कारण नहीं बल्कि मेरे कारण क्योंकि मैं खुद रातदिन मेहनत करती रही, किसी ने मुझे मदद की…’’

‘‘पर अम्मां,’’ मुन्नूस्वामी ने टोका.

‘‘तू चुप कर,’’ कावेरी चीखीं, ‘‘तू क्या उस की तरफदारी कर रहा है? तू ने तो अपने पिता की शक्ल तक नहीं देखी. आज ही देखी है न…फिर कौन सा पिता और कौन सा चाचा…

‘मर गया तो क्रियाकर्म हमें करना है और जिंदा था तो सब उस का था…’ कावेरी ने भाभियों के तेवर देखे तो समझ गईं कि ये बदला लेना चाहती हैं, अत: एकाएक चिल्लाईं, ‘‘तुम मुझे विधवा देखना चाहती हो न, ठीक है आज से तुम सब अपने मन की करो. मैं कुछ नहीं बोलूंगी.’’

आगे पढ़ें- तेरहवीं तक प्रतिदिन पौ…

मुसकुराता नववर्ष: भाग-3

कावेरी की सास मरने से 1 साल पहले चोरी से उस से मिलने आई थीं. उस के जेवर लौटाते हुए उन्होंने कहा था, ‘तेरी हिम्मत की दाद देती हूं. औरतों को हमेशा भोगने की चीज ही समझा जाता रहा है, हमारी बिरादरी की औरतों ने ऐसा ही जीवन जिया है. उन की दुनिया को बड़ी चतुराई से घर की चारदीवारी में सीमित रखने की साजिश पुरुषों द्वारा आज भी रची जा रही है और आज भी वे शोषण की शिकार हैं.’

वे थोड़ी देर को रुकीं फिर कहने लगीं, ‘अनुशासन, हया, तमीज सब औरतों के ही आभूषण हैं. पुरुष कितना भी अनैतिक और अशोभनीय आचरण करे, उस के चरित्र पर कभी कलंक नहीं लगाया जाता जैसे कि वह सामाजिक अनुशासन के परे है. समाज के सभी स्तरों पर औरतों के ऊपर अकथनीय उत्पीड़न होता है.’ फिर उन्होंने बातों का रुख बदला, ‘तू ने सुंदरम को वकील बना दिया. यह तेरी हिम्मत की बात है. भाइयों से कभी पैसे की मदद नहीं मांगी. शादी भी भाई की लड़की से न कर वकालत पास लड़की से की यह और भी खुशी की बात थी.’ ‘छोटे मुन्नूस्वामी को लाइब्रेरियन बना दिया और उस की शादी भी भाई की लड़की से नहीं की. यह भी शान की बात है. छोटी बहू को काम पर लगवा दिया. आज की महंगाई के चलते सब काम अच्छी तरह निबटा दिया. मैं तुम्हें आज प्रणाम करती हूं. ये गहने ले.’

‘नहीं, अम्मां,’ कावेरी बोली, ‘आप ने मेरी हर बात को समझा और मुझ से मिलने आईं, यही मेरे लिए काफी है. ये गहने आप ही रखिए. कभी आड़े वक्त आप के काम आएंगे,’ फिर थोड़ा रुक कर आगे बोली, ‘क्या एक सवाल आप से कर सकती हूं…’

‘हां,’ उन्हें शायद अंदेशा हो गया था.

‘मां हो कर भी आप ने घर में ऐसा वातावरण क्यों बनने दिया था?’

वे बहुत देर तक गंभीर बनी रहीं फिर बोलीं, ‘तुझे यह पता है न कि हमारे यहां ज्यादातर पुरुष के कम से कम 2 घर होते ही हैं. यह सामाजिक प्रथा मान्यता प्राप्त थी. संध्या समय खूब बनावशृंगार कर औरतों का मंदिर में प्रिय को मिलने जाना, और मैं इस प्रथा के खिलाफ थी, उस का अंत करना चाहती थी किंतु पुलिसकर्मी हो कर भी तेरे दादा व नाना, पिता सब बढ़ावा देते रहे और अपना अधिकार समझ कर खुलेआम इस अनैतिकता को करते रहे,’ कह कर वे चुप हो गईं…

‘अब तो सबकुछ बदल चुका है. समाज में बहुत बदलाव आ गया है, अम्मां.’

‘मैं ने मन पर एक बड़ा पत्थर रख कर जीवन से समझौता कर लिया था, किंतु तू ने बहादुरी से काम लिया क्योंकि तू पढ़ीलिखी थी.’

‘जीवन साहस का नाम है, अम्मां,’ कावेरी बोली, ‘अगर आप साहस करतीं तो आज न आप के पुत्र की दुर्दशा होती और न मेरी गृहस्थी टूटती. अब मैं उसे अपना पति नहीं मानती. उस के मरने पर मैं किसी प्रकार का शोक नहीं मनाऊंगी.’

‘ठीक है,’ अम्मां ने कहा और इसी के साथ कावेरी उठ कर बैठ गई. घड़ी पर नजर डाली तो 4 बजने वाले थे. अब उस का मन बेचैन नहीं था. मन ही मन विचार उत्पन्न हुए कि दुनिया का सब से बड़ा आश्चर्य क्या है? यक्ष के प्रश्न वाला प्रसंग मन में उठा.

यक्ष के इस प्रश्न पर युधिष्ठिर ने जवाब दिया, ‘हम में से प्रत्येक को इस बात की जानकारी है कि जब हम पैदा हुए हैं तो एक दिन मरना भी पडे़गा, फिर भी यही माने बैठे हैं कि हम सदा के लिए जिंदा रहेंगे. आज पति नाम का जीव शरीर छोड़ कर चला गया है तो कल मुझे भी जाना ही होगा.’

इस तथ्य से मुक्त होने में मानव तब तक अक्षम है जब तक कि वह अपनी सोच अथवा मानसिक स्तर को ऊर्ध्वमुखी न बनाए. जीवन भी ऐसा ही सत्य है और मृत्यु भी, जिस का सामना हम सभी को कभी न कभी करना ही होगा. इस दुनिया में पैदा हुई हर चीज का अंत है. जीवन हर क्षण में हमें मृत्यु के करीब ला रहा है. हम बूढ़े होना नहीं चाहते किंतु होते जाते हैं. हम अपने शरीर को अपना मानते हैं किंतु यह तो हमारा नहीं है.

मुझे अब क्या करना चाहिए…विचार पलटा. हमारा इस धरा पर आवागमन चलता रहेगा. हर दिन सूर्य निकलता है तो डूबता भी है. बड़ी बात तो यह है कि हर वक्त नया बन कर निकलता है. प्रकृति का यह नियम कब कौन बदल सका है. इसलिए मुझे भी हर दिन नए सूर्य की तरह जीना चाहिए. उसे आने वाले नववर्ष से प्रेरणा मिलने लगी. हर साल एक नया साल के रूप में आता है. मैं ने अपने हिस्से की तमाम जिम्मेदारियां निभा दी हैं.

मैं आज तक अनभिज्ञ रही. आज से और ज्यादा काम करूंगी. क्या जरूरत है बीती जिंदगी की गलतियों पर विचार कर कोसना. मेरी जो बची जिंदगी है उसे और ऊर्जावान बना कर कुछ अपने बच्चों, कुछ खुद के लिए और कुछ इस धरा के लिए कर पाऊं यही तो नियति है.

मंदिर के घंटे ने 4 बजाए. दर्शनार्थियों की भीड़ उद्घोष के साथ मंदिर के मुख्यद्वार की ओर चल पड़ी. कोरा पाखंड. जिस ने पत्नी को जीवन भर दुख दिए उस को पंडेपुरोहित भी दानदक्षिणा के लालच में आसानी से श्रेष्ठ जन साबित कर देते हैं. यह धोखेबाजी औरतों को बहुत महंगी पड़ती है. कावेरी ने तमाम मलिनता को परे फेंक दिया. कमरे में देखा तो सारा परिवार उसी तरह थकामांदा सोया था. उस ने केसरी बार्डर वाली साड़ी निकाली. नहाधो कर तैयार हुई. कुमकुम लगाई. पर्स खोल कर चैकबुक निकाली. बड़ेछोटे सब के नाम 2-2 हजार के चैक काटे. साथ ही एक पत्र लिखा :

‘मेरे बच्चो,

‘मैं बस स्टैंड के बाहर की सीढि़यों पर बैठी हूं, सूर्य की प्रथम किरण के फूटते ही मेरे मन का अंधकार मिट गया है. जन्ममरण हमारी नियति है इसलिए सब लोग घूमेंफिरें, जो खरीदफरोख्त करनी है, करें. किसी को अब और मायूस हो कर बैठने की जरूरत नहीं है. ‘आज नया वर्ष है. इस नए वर्ष का स्वागत नई सोच से करें. ‘मैं जिस तरह प्रतिदिन रहती आई हूं वैसे ही रहूंगी.

आप की कावेरी.’

प्रात: 7 बजे के आसपास जब परिवार के सदस्य उठे और पत्र पढ़ा तो उन के मन में भी नया प्रकाश हुआ. कल तक जो कावेरी को दोषी करार दे रहे थे, उस के परिपक्व विचार देख सब के सब नकारात्मक मार्ग से सकारात्मक मार्ग की ओर सोचने लगे. एक नई खुशी की लहर घरपरिवार में फैल गई. ऐसी खुशी जो बिलकुल नई तरह की थी. सब ने देखा, केसरी साड़ी पहने सजीधजी अम्मां बस स्टैंड की सीढि़यों के पास बैठी थीं और एकटक सूर्य को देख रही थीं. सब दौड़ते हुए उन के पास पहुंच गए और उन्हें गले से लगा कर प्यार करने लगे.

आज सूर्य की किरणें नई आभा बिखेर रही हैं.

मुसकुराता नववर्ष: भाग-2

तेरहवीं तक प्रतिदिन पौ फटने से पहले ससुराल के रिश्तेनाते वाले कावेरी पर पानी डालते. उन का हर दिन अलगअलग फूलों से शृंगार करते किंतु पहनने को 2 साडि़यां ही देते. किसी चीज को छूना उन के लिए मना था. 12वें दिन मुंहअंधेरे ही उठ कर गले का मंगलसूत्र दूध में डलवा दिया गया और मुंह छिपा कर घर के एक कोने में बिठा दिया गया.

तेरहवीं के बाद मंगलसूत्र तिरुपति की हुंडी में डालने के लिए परिवार एकसाथ जाना चाहता था पर दूरदर्शी बड़े भाई ने समझदारी से काम किया. वे अपनी छोटी बहन के दिल का हाल जानते थे. वे कावेरी को और टूटते नहीं देखना चाहते थे. इसलिए उन्होंने ऐसी तारीख निश्चित की जिस से काम भी हो जाए और आने वाले नए साल की सुखदाई सुबह भी हो जाए.

कावेरी पिछले 35 साल के जीवन में  जाने कैसेकैसे कंटीले रास्तों को पार कर चुकी थीं. उन्होंने कमरे में झांका तो सारा परिवार गहरी नींद में सो रहा था. खिड़की खोल कर बाहर देखा तो सड़क पर उन के जीवन की भांति सन्नाटा छाया था. हां, भाभियों के चेहरे संतुष्ट प्रतीत हो रहे थे.

हवा तेज चल रही थी. खिड़की के पट जोरजोर से हिलने लगे. उन्हें अंदर तक किसी अज्ञात भय ने घेर लिया. उन्होंने झट उठ कर खिड़की बंद कर दी. मन में उठ रहा शोर बढ़ता जा रहा था. सांयसांय की आवाज मानो मरे पति की हो जो मुंह चिढ़ा कर कह रही हो, ‘क्यों, घर छोड़ कर भाग गई थी न. आज मेरी विधवा बनी है.’ और इस के साथ ही अतीत के वे दिन कावेरी की आंखों के सामने साकार होने लगे.

अमलू भाभी की जिद के चलते ही मातापिता ने इस रिश्ते के लिए हां की थी क्योंकि कुमरेशन भाभी का चचेरा भाई था और कावेरी की सुंदरता पर मुग्ध था. उस ने अमलू भाभी को उपहार में साडि़यां, गहने दे कर पटा लिया था.

कुमरेशन पुलिस विभाग में कर्मचारी था. आसपड़ोस वालों ने तारीफ करते हुए कहा था, ‘कावेरी ने क्या तकदीर पाई है. लड़का अच्छी सरकारी नौकरी के साथसाथ हृष्टपुष्ट व रूपवान भी है.’ भाभी की मां ने कहा था, ‘उपहारों से घर भर जाएगा और कुमरेशन तो एक काबिल पुलिस वाला है.’

शादी के बाद कावेरी की घरगृहस्थी खूब जमी. सास ज्यादा न बोलतीं. मशीन की तरह घर का सारा काम करती रहतीं. कावेरी भी उन का पूरा हाथ बटाती. सुंदरम 2 साल का था और मुन्नूस्वामी 2 माह का था. एक दिन सास ने कहा, ‘आज कुछ मेहमान आने वाले हैं. अच्छी तरह से तैयार हो जाना’ और उन की आज्ञानुसार वह तैयार हो गई थी. घर में जो मेहमान के नाम पर आए वे सारे के सारे ऐयाश थे. देर रात तक खातेपीते रहे. उस दिन से यह हर रोज का नियम बन गया.  आएदिन शराब की बोतलें, सोडा, मछली आदि लाई जाती और मां बनाया करतीं. जब वे आते उस समय कुमरेशन ड्यूटी पर होते. कावेरी जब भी इस बारे में पति से कुछ कहना चाहती तो वे बिना सुने उठ कर चल पड़ते.

एक दिन सास ने जब कहा, ‘कावेरी, उस के साथ पिक्चर जा कर देख आ,’ तो वह भौचक्की हो सास की तरफ देखती रह गई.

‘मुझे पिक्चर देखना पसंद नहीं है, मां. मेरा बच्चा बहुत छोटा है,’ यह कह कावेरी सास की बात टाल गई.

2 दिन बाद कुमरेशन ड्यूटी से घर आए तो मां की बातें सुन कर झुंझला उठे. ‘तुम ने इसे समझाया नहीं कि इसे पिक्चर जाना चाहिए था, क्या वे इसे खा जाते?’

पति के मुंह से यह सुन कर कावेरी को काठ मार गया. उस रात इसी बात को ले कर पतिपत्नी दोनों में खूब बहस छिड़ी. बात मारपीट पर उतर आई थी. कावेरी समझ नहीं पा रही थी कि पुलिस विभाग में काम करने वाला उस का पति उसे गलत काम करने को क्यों कह रहा है. पत्नी को दासी समझने वाला कुमरेशन आदेशात्मक स्वर में बात करता रहा, ‘2 बच्चों की मां बन चुकी हो परंतु जीवन में पति का फायदा कैसे करना है, यह पता नहीं,’ बालों को पकड़ कर कहा था, ‘ऐ सुन, जो मां कहती हैं वैसा कर. मुझे यह अच्छी नौकरी ही नहीं अपने परिवार को भी बचा कर रखना है.’

‘तो ईमानदारी से काम कीजिए…’

‘क्या…मुझे पाठ पढ़ाती है… पुलिस वाले को…’

कावेरी पति की ओर देखती रह गई.

‘ऐसे क्या देख रही है…’ कहतेकहते उस का सिर दीवार पर दे मारा था. बहुत चोट लगी थी. सिर से खून बहने लगा था.

उस दिन से दोनों के बीच तनाव बढ़ने लगा और दूरियां भी. हर रोज जलसे मनाए जाते. दोपहर तक मछली, चिकन, अंडे, सोडा शराब की बोतलें आ जातीं. देवर इन्हें ला कर कमरे में रख देता. धीरेधीरे कावेरी की सहनशक्ति का हृस होने लगा. मेहमानों की सेवा में लगी कावेरी जब भी बच्चा रोता तो वह उन्हें छोड़ कर बच्चे को उठा लेती, दूध पिलाती. एक दिन कमरे से बाहर आने में देर होती देख पति खूब झल्लाए और मुन्नूस्वामी और सुंदरम को उठा कर घर के बाहर पटक दिया.

कावेरी तब पहली बार बिफरी थी, ‘आप बच्चों को इस तरह क्यों पटक रहे हैं. घड़ी देखी है. पौने 12 बज रहे हैं. मैं अब कमरे से बाहर नहीं आऊंगी.’ और दोनों बच्चों को ले वह अंदर आ गई थी. कमरा बंद कर लिया. उस दिन जीवन में जो तूफान आया तो उस ने जीवन की धारा ही बदल दी. बंद कमरे में कावेरी यही सोचती रही कि मायके जा कर क्या कहेगी? ऐयाश लोग कब किस को क्या कह दें, पता थोड़े ही चलता है. दहेज मैं कम नहीं लाई… फिर…ऐसी हरकतें क्यों…

कावेरी घृणा, क्रोध से भर उठी. पतिपत्नी का पवित्र रिश्ता… उसे घुटन होने लगी. अगर घर में पैसे चाहिए तो वह कमा कर लाएगी, ट्यूशनों से कमाएगी किंतु अपने चरित्र में दाग नहीं लगने देगी.

मुन्नूस्वामी के 2 साल पूरे होते ही उस ने नौकरी ढूंढ़नी शुरू कर दी. नौकरी पब्लिक लाइब्रेरी में मिल गई थी. वह भी पूरे 1,500 रुपए की. इसे सुन कर सास सब से ज्यादा खुश हुई थीं. पहली बार उन के चेहरे पर सच्ची मुसकान थी. तब यह नौकरी और तनख्वाह बहुत बड़ी मानी जाती थी. अब छोटीछोटी बात भी घर में उठने लगी. एक दिन कावेरी पुस्तकालय से बाहर निकली तो लाइब्रेरी के एक कर्मचारी को उस ने समझाया कि चाबी कहां जमा करनी है. पति ने यह देखा तो वे आगबबूला हो उठे.

‘कावेरी, किसी पराए मर्द के साथ बातें करते तुझे शर्म नहीं आती?’ उस ने तब पति को बहुत समझाया कि वह कर्मचारी है और लाइबे्ररियन होने के नाते उसे समझाना होता है. उस दिन कुमरेशन ने उसे खूब पीटा और खिन्न हो कर वह दोनों बच्चों को ले कर मायके आ गई. पिता को जब पता चला तो उन्होंने अपना सिर पीट लिया. दोनों भाइयों ने उसे ससुराल नहीं जाने दिया. यद्यपि कावेरी ने भाइयों को समझाया था कि जा कर पता तो लगाओ कि सचाई क्या है. किंतु किसी ने कुछ न सुना. रिश्ता तोड़ दिया गया.

आगे पढ़ें- कावेरी की सास मरने से…

बतौर नर्स कोरोना मरीजों की देखभाल कर चुकी एक्ट्रेस शिखा मल्होत्रा बनीं वोलिनी की ब्रांड अंबेसडर

शाहरुख खान के साथ फिल्म “फैन”, तापसी पन्नू के साथ फिल्म “रनिंग शादी “तथा फिल्म “कांचली” में बताओ हीरोइन अभिनय कर अपनी एक अलग पहचान बना लेने वाली अभिनेत्री शिखा मल्होत्रा एक प्रशिक्षित नर्स भी हैं . इसी वजह से कोरोना महामारी के दौरान छह माह तक वह मुंबई के एक अस्पताल में बतौर नर्स करोना मरीजों की देखभाल का काम मुफ्त में किया. यहां तक कि कोरोना मरीजों की देखभाल करते करते वह स्वयं को रोना की चपेट में आ गई थी.उनके इस सामाजिक और मानवीय सेवा के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, अभिनेत्री कैटरीना कैफ़, सोनू सूद , शत्रुघन सिन्हा के साथ ही नीति आयोग ने बहुत प्रसंशा की थी .

उन्हीं शिखा मल्होत्रा को वोलिनी ने 2 वर्ष के लिए ब्रांड अंबेसडर नियुक्त किया है.पिछले दिनो लोकप्रिय विज्ञापन फ़िल्मों की निर्देशिका कोपल नथानी ने वोलिनी रियल हीरोज़ सीरिज़ के लिए एक विज्ञापन फ़िल्म का शूट किया था, जिसे हाल में कई न्यून चैनल और मनोरंजन टीवी चैनल पर प्रसारित किया जा रहा हैं. हिंदी , अंग्रेज़ी, मराठी , गुजराती , तेलगू , तमिल कन्नड़ , मलयालम के साथ ही कई अन्य भाषाओं में भी रिलीज़ किया गया हैं .

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इस संबंध में शिखा मल्होत्रा ने कहा,” मैं वोलिनी जैसे भरोसेमन्द ब्रांड से जुड़कर बहुत खुश हूँ . वोलिनी की दर्द से तुरंत आराम का एक भरोसा दशकों से हैं मैं इसी लेगसी को प्रमोट करूँगी . उम्मीद हैं कि ब्रांड के नए क़ैपेन लोगों को पसंद आएगा.”

विज्ञापन का लिंक : https://youtu.be/wsYuaeDDv7Q

वैसे कोरोनावायरस से स्वस्थ होने के बाद शिखा मल्होत्रा ने पुनः कोरोनावायरस के मरीजों की देखभाल के लिए नर्स के तौर पर काम करने की इच्छा जाहिर की. मगर वह अस्पताल में नर्स के तौर पर नहीं बल्कि पैरालाइज मरीज के तौर पर पहुंची. पहले उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में ,फिर कूपर अस्पताल में भर्ती किया गया था. इन दिनों वह के एम अस्पताल में भर्ती हैं. शिखा मल्होत्रा ने अस्पताल से कहा है कि अभी उन्हें स्वस्थ होने में समय लगेगा . शरीर का दाहिना हिस्सा अभी तक काम नहीं कर रहा है . लेकिन शिखा मल्होत्रा को उम्मीद है कि वह जल्द ही स्वस्थ हो जाएंगी.

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पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहने वाली एक्ट्रेस चारू असोपा इन दिनों पति राजीव सेन और उनकी फैमिली संग दुबई में वेकेशन एंजौय करती नजर आ रही हैं, जिसकी फोटोज और वीडियोज वह अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लगातार शेयर कर रही हैं. लेकिन हाल ही में चारू असोपा का एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है, जिसमें वह सुष्मिता सेन के बौयफ्रेंड रोहमन शौल संग मस्ती करती नजर आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो…

क्रिसमस पर शेयर किया था वीडियो

दुबई में न्यू ईयर सेलिब्रेट करने पहुंची चारु असोपा और ननद सुष्मिता सेन (Sushmita Sen) और उनके बॉयफ्रेंड रोहमन शॉल (Rohman Shawl) समेत पूरी फैमिली इन दिनों सेलिब्रेशन के मूड में नजर आ रही है. वहीं कुछ समय पहले अपनी पूरी फैमिली के साथ चारु असोपा क्रिसमस सेलीब्रेट करती नजर आई थी, जिस दौरान उन्होंने एक वीडियो शेयर भी की थी, जिसमें चारु असोपा अपनी ननद सुष्मिता सेन के बॉयफ्रेंड रोहमन शॉल को जीजू कहती नजर आईं थीं. वहीं रोहमन शॉल, सुष्मिता सेन के भाई राजीव सेन के गले मिलते भी नजर आए थे.

 

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सोशलमीडिया पर छाया वीडियो

 

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चारु असोपा के इस वीडियो को देखने के बाद जहां फैंस हैरान हैं तो वहीं सोशलमीडिया पर वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. वहीं इस वीडियो में चारु असोपा अपने पति राजीव सेन और सुष्मिता सेन के साथ जमकर डांस करती भी नजर आ रही हैं.

 

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बता दें, सुष्मिता सेन अपने और रोहमन शॉल के रिलेशनशिप को लेकर काफी गंभीर हैं, हालांकि वह अपने इस रिश्ते को फैंस और मीडिया से छिपाकर रखना पसंद नही करती. इसीलिए वह अक्सर वेकेशन हो या कोई सेलिब्रेशन साथ में नजर आते हैं. वहीं रोहमन सुष्मिता और उनकी बेटियों के साथ भी काफी टाइम बिताते भी नजर आते हैं.

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