शिशु के विकास के लिए ब्रेस्टफीडिंग है जरुरी

स्तनपान शिशु के पोषण और विकास के लिए बहुत आवश्यक है, इसलिए हर साल इसे पूरे अगस्त महीने सेलिब्रेट किया जाता है, ताकि अधिक से अधिक माएं अपने बच्चों को स्तनपान करायें. नेशनल ब्रेस्टफीडिंग मंथ(राष्ट्रीय स्तनपान माह)की वजह से आज काफी महिलाएं सजग हुई है, जो अच्छी बात है. कोविड-19 के बीच स्तनपान को लेकर महिलाओं ने चिंता जताईहै, पर डॉक्टर्स समय-समय पर इसकी उपयोगिता को बताते हुए इस चिंता को कम करने में कामयाब रहे. इस बारें में मुंबई की कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल की स्त्री रोग और प्रसूतिरोग विशेषज्ञ डॉ. नेहा पवार ने स्तनपान,मां और शिशु के संपर्क के महत्व पर कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां दी है, जो निम्न है,

  • नई माताओं, जिन्हें कोविड-19 संक्रमण का सन्देह है या पॉजिटिव पाई गई है, उनके बीच स्तनपान कराने और न कराने को ले कर काफी दुविधा की स्थिति देखी गई,हालांकि डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देश बताते हैं कि नई माताएं पहले दिन से ही शिशुओं को स्तनपान करा सकती हैं. प्रसव के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराना शुरू कर देना चाहिए और प्रसव के बाद 6 महीने तक स्तनपान निश्चित ही जारी रखना चाहिए.

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  • माताओं को अनिवार्य रूप से हाथ की स्वच्छता (हैंड हाइजीन) का पालन करने की आवश्यकता होती है. बच्चे को संभालने से पहले और बाद में, उन्हें न्यूनतम 40 सेकंड के लिए अपने हाथ धोने की आवश्यकता होती है. स्तनपान कराने के दौरान मास्क पहनना चाहिए.
  • शिशुओं को कोविड​​ 19 संक्रमण का जोखिम बहुत कम होता है,स्तनपान से जुड़े लाभों की ताकत इस जोखिम को और कम कर देती हैं, क्योंकि स्तन का दूध शिशुओं के पोषण का सबसे अच्छा स्रोत है और बच्चे में इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करता है. इसके अलावा अगर बच्चे में कोविड-19 संक्रमण के कुछ लक्षण विकसित होते भी है, तो भी माताओं को स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए.
  • मां और बच्चे को भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचना चाहिए और केवल डॉक्टर के पास जाने के लिए ही बाहर जाना चाहिए. मां को पर्याप्त आराम मिले, और अन्य संक्रमणों के संपर्क से बचाव निश्चित करने के लिए बच्चे के साथ देखभाल करने वाला केवल एक व्यक्ति और मां ही होनी चाहिए.
  • मां को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहने के लिए पर्याप्त पानी और तरल पदार्थ लेते रहने चाहिए और सभी प्रकार के भोजन को शामिल करके संतुलित आहार लेना चाहिए.
  • यदि मां अस्वस्थ है और उसे लगातार सर्दी और खांसी है, तब भी वह आवश्यक सावधानी बरतते हुए स्तनपान करवा सकती है. हालांकि, अगर मां बहुत बीमार है, तो मां का दूध एक कटोरी में निकाल कर बच्चे को दिया जा सकता है. इसके अलावा वेट नर्सिंग, जहां कोई नर्स मां के बदले बच्चे को स्तनपान करासकें,एक बार स्वास्थ्य बेहतर होने के बाद मां स्तनपान फिर से शुरू कर सकती है.
  • शुरुआती छह महीनों के दौरान फॉर्मूला दूध, पानी और शहद, बॉटल्स, पेसिफायर्स से बचा जाना चाहिए, क्योंकि बच्चे के संक्रमित होने की अधिक संभावना होती है, खासकर फॉर्मूला दूध के कारण.

स्तनपान से लाभ

इसके आगे डॉक्टर नेहा कहती है कि स्तनपान के लाभ कई है, जिसका फायदा माँ को मिलता है, जो निम्न है,

  • एक तरफ जहां स्तन के दूध से बच्चे को बहुत लाभ होता है, वहीं मां को अतिरिक्त कैलोरी बर्न होती है, जो गर्भावस्था के वजन को तेज़ी से कम करने में मदद मिलता है.
  • स्तनपान की गतिविधि ऑक्सीटोसिन हार्मोन जारी करती है, जो गर्भाशय को प्री-प्रेग्नेंसी साइज में लौटाने में सहायता करती है.

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  • बच्चे को स्तनपान कराने के लिए किसी प्रकार की निश्चित सूची नहीं होती,शिशु के मांग के अनुसार स्तनपान कराया जाना चाहिए, जब बच्चे को भूख लगे उसे स्तनपान कराएं,
  • लगातार स्तनपान कराने से मां और बच्चे के बीच मजबूत बोन्डिंग का विकास होता है.
  • मां और बच्चे के बीच शुरुआती और स्किन टू स्किन कॉन्टैक्टबच्चे के संपूर्ण विकासमें उपयोगी होता है,पूरे दिन और रात मां और शिशु को एक साथ रहने की कोशिश करनी चाहिए. खासकर जन्म के तुरंत बाद और स्तनपान के दौरान ये नजदीकियां शिशु में सुरक्षा और आत्मविश्वास का आभास करवाती है, जिसका असर बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास पर पड़ता है.

Serial Story: धोखा (भाग-2)

दूसरे दिन सुबह जब सब नाश्ता कर रहे थे तो रश्मि ने रोहन से कहा, ‘‘सुनिए, मेरे खयाल में अब तो काफी दिन हो चुके हैं, अगर शालिनी का काम बाकी है तो वह किसी गर्ल्स होस्टल में इंतजाम कर लेगी?’’

‘‘क्यों ऐसी भी क्या जल्दी है?’’ रोहन ने कहा.

‘‘बात कुछ नहीं बस बच्चों के ऐग्जाम सिर पर हैं… उन की पढ़ाई नहीं हो पा रही… फिर मेहमान कुछ दिन के ही अच्छे होते हैं.’’

‘‘कैसी बातें कर रही हो रश्मि? क्या शालिनी से यह सब कहते ठीक लगेगा? फिर एक तो वह तुम्हारी सहेली है… इस नए शहर में कहां जाएगी?’’

‘‘कहीं भी जाए या कहीं भी इंतजाम करे यह हमारी सिरदर्दी नहीं,’’ रश्मि ने कुछ झल्ला कर कहा.

‘‘ठीक है कुछ दिन और देखो या तो वह कोई इंतजाम कर लेगी या फिर मैं  ही उस का कोई इंतजाम कर दूंगा. तुम परेशान न हो,’’ रोहन उसे दिलासा दे कर औफिस चला गया.  रोहन का सारा दिन उधेड़बुन में बीता. अब उसे शालिनी का साथ अच्छा लगने लगा था. वह उस के बिना नहीं रहना चाहता था, परंतु रश्मि का क्या इलाज किया जाए? बहुत सोचने के बाद रोहन ने एक उपाय सोचा. उस ने शहर से बाहर बनी नई कालोनी में एक मकान किराए पर लिया और उस में शालिनी को शिफ्ट कर दिया.

एक बार को शालिनी हिचकिचाई. कहा, ‘‘रोहन, क्या यह ठीक होगा?’’

‘‘देखो शालिनी तुम्हारा कोई नहीं है और अब न ही मैं तुम्हारे बिना रह सकता हूं. तुम बताओ क्या तुम मेरे बिना रह पाओगी? इतने दिन साथ गुजारने के बाद क्या हम दोनों को एकदूसरे की आदत नहीं हो गई है?’’

‘‘यह तो ठीक है, परंतु रश्मि और बच्चे. ऊपर से यह समाज क्या हमें जीने देगा?’’ शालिनी कुछ सोचते हुए बोली.

‘‘देखो शालिनी अब मेरीतुम्हारी बात बहुत बढ़ गई है. अब न तो मैं तुम्हें छोड़ सकता हूं और न ही तुम्हारे बिना रह सकता हूं. तुम्हारी तो तुम ही जानो पर मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि तुम्हारे विचार भी यही हैं.’’

‘‘वह सब तो ठीक है, परंतु रश्मि मेरी सहेली है और उस के साथ यह अन्याय होगा.’’

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‘‘तुम्हें अब सिर्फ अपने और मेरे बारे में सोचना है शालिनी,’’ रोहन ने बात खत्म करते हुए कहा, ‘‘अब देखो इस शहर में कितने ही लोगों से तुम्हें मिलवा दूंगा, जिन्होंने न सिर्फ 2-2 शादियां कर रखी हैं वरन दोनों निभा भी रहे हैं.’’

‘‘परंतु लोग क्या कहेंगे?’’ शालिनी बोली.

‘‘देखो शालिनी, अब तुम कुछ मत सोचो. सोचो तो सिर्फ अपनी नई जिंदगी के बारे में.’’  रोहन की बात सुन कर शालिनी ने उस से सोचने के लिए 2 दिन का समय मांगा.

‘‘ठीक है, मैं चलता हूं. तुम्हारी जरूरत का सारा सामान यहां है.’’  रोहन घर पहुंचा तो रश्मि और बच्चे उसे अकेला देख कर बहुत खुश हुए. उन्होंने सोचा कि शालिनी चली गई है अपने शहर.

रश्मि ने मुसकराते हुए पूछा, ‘‘आज अकेले? क्या शालिनी वापस चली गई?’’

रोहन चुप रहा और अपने कमरे में कपड़े चेंज करने चला गया. रश्मि कुछ सोचती रह गई. जब वह वापस आया तो रश्मि ने फिर दोहराया, ‘‘आप ने बताया नहीं कि शालिनी वापस चली गई क्या?’’  ‘‘देखो रश्मि, तुम ने चाहा कि शालिनी यहां से चली जाए और वह चली गई. अब वह कहां गई और क्यों गई, इस से तुम्हें मतलब नहीं होना चाहिए. रहा मेरे जल्दी आने का प्रश्न तो आज मैं यह फैसला कर के आया हूं कि अब मैं शालिनी से शादी कर रहा हूं. तुम साथ रहोगी या अलग यह फैसला तुम्हें करना है.’’  रश्मि और बच्चे यह सुन कर हैरान रह गए.

‘‘तुम्हें पता भी है कि तुम क्या कह रहे हो?’’ रश्मि ने लगभग चीखते हुए कहा. दोनों बच्चे शलभ और रीतिका डर गए. तभी रश्मि को लगा कि उन्हें बच्चों के सामने ये सब बातें नहीं करनी चाहिए. अत: उस ने सामान्य होने की कोशिश की और बच्चों से कहा, ‘‘बेटा, आप अपने कमरे में जा कर पढ़ाई करो.’’

अब बच्चे इतने भी छोटे नहीं थे कि वे अपनी मां की बात न समझ सकें. दोनों  सिर झुकाए अपने कमरे में चले गए.  ‘‘हां, अब बताओ कि तुम क्या कह रहे थे? तुम्हें शालिनी से शादी करनी है? तुम इतनी बड़ी सजा मुझे कैसे दे सकते हो? सिर्फ तुम्हारे कारण मैं अपने मातापिता और घरपरिवार को छोड़ कर आई थी.’’

‘‘हां तुम आई थीं पर यह फैसला भी तुम्हारा था. फिर मैं कब मना कर रहा हूं, क्या बिगड़ जाएगा अगर शालिनी भी हमारे साथ रहे?’’ रोहन ने कहा.  ‘‘यह कभी नहीं हो सकता रोहन, तुम मुझे इतना बड़ा धोखा नहीं दे सकते.’’

‘‘धोखा, जो धोखा करता है उसे धोखा ही तो मिलता है. यही दुनिया का सत्य है. तुम ने भी तो अपने मातापिता को धोखा दिया था. तुम्हारी मां असमय गुजर गईं. वे क्या जी पाईं और पिताजी? वे भी जैसे जी रहे हैं वह जीना नहीं होता. क्या तुम ने उन के लिए सोचा? आज बात करती हो धोखे की.’’

‘‘उस की वजह भी तुम थे रोहन… तुम ने तो मुझे न घर का छोड़ा और न घाट का,’’ रश्मि ने सिर थामते हुए कहा.

‘‘अब यह फैसला तुम्हारा है रश्मि तुम साथ रहो या अलग. हां यह जरूर है कि तुम्हारे और बच्चों के खर्च का पैसा मैं तुम्हें देता रहूंगा,’’ रोहन ने कहा.

‘‘बस करो रोहन… तुम क्या दोगे, जाओ आज मैं ने तुम्हें शालिनी दी, तुम्हारा नया घर, नई पत्नी, तुम्हें मुबारक… मुझे तुम से कुछ नहीं चाहिए. चले जाओ यहां से अभी इसी वक्त,’’ रश्मि ने चिल्ला कर कहा तो रोहन चला गया.  रश्मि की आंखों के सामने सब कुछ घूमने लगा. उस की बनाई दुनिया, उस का घर, उस के सपने सब कुछ भरभरा कर ढह गया.  तभी बिल्ली ने कूद कर फ्लौवर पौट गिरा दिया तो रश्मि की तंद्रा भंग हुई.

‘‘फिरफिर क्या हुआ रश्मि,’’ मैं ने पूछा.

‘‘होना क्या था रोहन मुझे अधर में छोड़ कर चला गया और आज मैं अपने बच्चों के साथ अकेले जिंदगी गुजार रही हूं. सारे दुख, सारा अकेलापन अपने अंदर समेटे चलती जा रही हूं बस.’’

‘‘परंतु कब तक?’’ मैं ने पूछा.

‘‘जब तक जीवन है… न मैं हारूंगी, न रोहन के पास जाऊंगी और न ही अपने पिता के पास.’’

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‘‘चल जाने भी दे. जब भी कभी तू अकेलापन महसूस करेगी मुझे अपने करीब पाएगी.’’  उधर रोहन ने शालिनी से शादी कर ली और अपने नए घर में मगन हो गया. धीरेधीरे उन का रिश्ता सभी को मालूम हो गया. सामने तो कोई कुछ नहीं कहता था, परंतु पीठ पीछे सभी उस की बुद्धि पर तरस खाते, ‘‘देखो रोहन ने इस उम्र में अपनी इतनी सुंदर, सुघड़ पत्नी व 2 बच्चों को छोड़ कर नई शादी कर ली,’’ नरेंद्रजी बोले.  ‘‘भई, हम तो रश्मि भाभी के बारे में सोचते हैं… वे अकेली ही हर हालात का सामना कर रही हैं,’’ निरंजन कुछ सोचते हुए बोले.  ऐसा नहीं था कि रोहन को इन सब बातों का पता नहीं था, परंतु वह बड़ी चतुरता से सफाई दे देता था.  एक दिन रोहन लौटा तो उस के हाथ में शिमला के 2 टिकट थे. घर में घुसते ही  चिल्लाया, ‘‘शालिनी… ओ शालू देखो मैं क्या लाया हूं?’’

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Serial Story: धोखा (भाग-4)

दवा चलती रही. रोहन हर संभव कोशिश करता कि शालिनी खुश रहे. पर कहीं न कहीं से कुछ ऐसा हो जाता कि शालिनी को रश्मि का बुझा चेहरा और रितिका के शब्द याद आ जाते. उस की हालत बद से बदतर होती जा रही थी. अब इस बात की चर्चा आसपास भी होने लगी थी. अभी दोपहर को वह बालकनी में खड़ी थी कि रूहेला ने इशारा करते हुए नीलिमा से कहा, ‘‘सुना है शालिनी न्यूरोलौजिस्ट के पास गई थीं. उन्हें कुछ दिमागी बीमारी है.’’  ‘‘अरे भई किसी का बुरा कर के कोई सुखी हुआ है कभी? मुझे तो बेचारी रश्मि पर तरस आता है. इस ने उस का पति छीन कर उसे और उस के 2 बच्चों के साथ बुरा किया. अब भरेगी भी तो यही,’’ नीलिमा बोलीं.

इतना सुन कर शालिनी कमरे में आ गई और आते ही बस्तर पर पड़ गई. जब लंच के लिए रोहन आया तो उस ने देखा और तुरंत उसे ले कर डाक्टर के यहां गया.  डाक्टर साहब चिंतित हो कर बोले, ‘‘रोहन इतनी दवा के बावजूद शालिनी में कोई सुधार नहीं हो रहा है. मुझे लगता है कि इन्हें हौस्पिटीलाइज करना पड़ेगा.’’

‘‘कुछ भी कीजिए डाक्टर साहब, परंतु शालिनी को ठीक कर दीजिए.’’

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उसी समय डाक्टर ने शालिनी को दाखिल कर लिया.  रोहन अब तिहरी मुसीबत में फंस गया. एक तरफ उस का काम, दूसरी तरफ घर और अब अस्पताल भी सुबहशाम जाना. वह बुरी तरह थक चुका था. उस दिन के बारे में सोचता जब वह शालिनी को ले कर घर और बच्चों को छोड़ कर आया था. विवाहेतर संबंधों का सच अब उस की समझ में अच्छी तरह से आ रहा था, परंतु क्या हो सकता था. अब गले पड़े ढोल को बजाने के सिवा कोई चारा नहीं था. न तो वह शालिनी को छोड़ कर वापस रश्मि के पास जा सकता था और शालिनी थी कि वह ठीक होने का नाम ही नहीं ले रही थी. खैर जैसेतैसे वह अपनी तीनों जिम्मेदारियां निभाने की कोशिश कर रहा था.  एक दिन रश्मि बाजार गई वहीं उसे कविता मिली. दोनों ही बड़ी गर्मजोशी से मिलीं. तभी कविता बोली, ‘‘चल, बहुत दिनों के बाद मिली हैं कहीं बैठ कर कौफी पीती हैं.’’

‘‘नहीं कविता, जल्दी घर जाना है. बच्चों के पेपर चल रहे हैं,’’ रश्मि ने जवाब दिया.

‘‘चल भी न… कितने दिनों बाद तो मिली हैं… थोड़ी गपशप हो जाएगी,’’ और फिर दोनों एक कैफे हाउस में चली गईं.  बातें करतेकरते बात शालिनी पर आ कर ठहर गई. अचानक कविता बोली, ‘‘सुना है रश्मि आजकल रोहन बहुत परेशानी में है.’’

‘‘क्यों? अब तो उसे खुश रहना चाहिए. उस ने शालिनी से शादी भी कर  ली जो वह चाहता था और मैं भी उस से कोई वास्ता नहीं रखती जिस का उसे डर था…’’

‘‘अरे, यह सब तो ठीक है परंतु सुना है शालिनी डिप्रैशन में आ गई है और आजकल सिटी अस्पताल में दाखिल है.’’

‘‘डिप्रैशन में वह? परंतु उसे तो वह सब प्राप्त है जिस की उस को चाह थी… अब उसे और क्या चाहिए? देखा जाए तो डिप्रैशन में तो मुझे आना चाहिए… मेरा तो सब कुछ उस ने छीन लिया है. खैर, छोड़ो सब समय का खेल है नहीं तो मैं क्यों अपना घर छोड़ कर रोहन के साथ घर बसाती? पर कविता यह तो बता कि तुझे कैसे पता चला कि वह सिटी अस्पताल में दाखिल है?’’

‘‘अरे मैं तो इन के एक दोस्त को देखने गई थी तो वहां रोहन मिले थे. वही बता रहे थे.’’

‘‘अच्छा किस वार्ड में है? रूम नंबर क्या है?’’ रश्मि ने पूछा.

‘‘क्यों अब भी तुझे उस से मिलने जाना है?’’ कविता ने पूछा.

‘‘हां, यार सोच रही हूं मिल लेती हूं. कुछ भी हो वह मेरी सहेली है और उस की देखभाल करने वाला कोई भी तो नहीं. उस की करनी उस के साथ और मेरी करनी मेरे साथ,’’ कह रश्मि शालिनी का रूम नंबर ले कर घर आ गई.  शलभ और रितिका ने उस से बहुत मना किया, परंतु उस ने यही कहा कि इस सारे किस्से में जितनी गुनहगार शालिनी है उस से कहीं अधिक गुनहगार रोहन है और इस का खमियाजा अकेली शालिनी उठा रही है.  अकेले दिन वह शालिनी से मिलने अस्पताल पहुंची. वहां उस ने देखा कि शालिनी चीखचिल्ला रही है. तभी डाक्टर आए और उसे नींद का इंजैक्शन लगा दिया. धीरेधीरे शालिनी नींद के आगोश में चली गई. रश्मि वहां रखी कुरसी पर बैठ कर गहरी सोच में डूब गई. उसे शालिनी पर बड़ा तरस आ रहा था.  वह सोच रही थी क्या यह वही शालिनी है, जो उस के पास आई थी तब कितनी निर्मल, कितनी खुशमिजाज और सुंदर थी और आज ऐसे पड़ी है बेचारी… रश्मि का दिमाग कुछ कह रहा था और दिल कुछ और. दिल तो कह रहा था कि यह उस की सहेली है उसे ऐसी हालत में नहीं छोड़ना चाहिए, मगर दिमाग में तो चल रहा था कि उस ने उस के साथ क्या किया था. वह बड़ी दुविधा में पड़ी थी, परंतु उस के पैर डाक्टर के कैबिन की तरफ चल पड़े.

‘‘डाक्टर साहब मैं अंदर आ सकती हूं?’’ रश्मि ने पूछा.

‘‘यस, कम इन,’’ डाक्टर बोले.

उस ने डाक्टर साहब से शालिनी के बारे में सारी जानकारी ली और उसे डिस्चार्ज करा लिया. अगले दिन जब रोहन शालिनी के कमरे में पहुंचा तो शालिनी वहां नहीं थी. उस ने नर्स से पूछा तो उस ने बताया कि कल कोई मेम साहब आई थीं. अपने को उस का दूर का रिश्तेदार बता रही थीं. वे ही उसे अपने साथ ले गई हैं.  रोहन ने बहुत खोजबीन की, परंतु कुछ हासिल न हुआ. उस ने बहुत हंगामा भी किया, किंतु कुछ हाथ न लगा तो उस ने डाक्टर को धमकी दी कि वह लापरवाही के तहत पुलिस में एफआईआर दर्ज कराएगा परंतु डाक्टर ने उसे न जाने क्या पट्टी पढ़ाई कि वह चुपचाप अपने घर चला गया.  रोहन घर पहुंचा तो उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह अब क्या करे. उस का तो यह हाल हो गया कि धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का. खाली घर उसे काटने को दौड़ रहा था. एक ओर शालिनी जिस का कुछ पता न था तो दूसरी ओर रश्मि उस के पास जाने का उस में साहस न था.

एक डर यह भी रोहन को सता रहा था कि कहीं कोई शालिनी के बारे में न पूछ ले. शालिनी कहां गई कहां नहीं, उसे यह पता नहीं था. कहीं उस का कोई रिश्तेदार न आ धमके. रोहन अपने स्तर पर चुपचाप उस की खोजबीन में लगा था. इसी उधेड़बुन में वह चला जा रहा था. देखा सामने से रश्मि आ रही है. वह उस से बचना चाहता था कि वह सामने आ गई और उसे देख कर बोली, ‘‘कैसे हो रोहन?’’

‘‘ठीक हूं,’’ रोहन ने जवाब दिया.

‘‘और शालिनी कैसी है?’’

‘‘प्रश्न सुन कर रोहन को काटो तो खून नहीं. सारी बातें यहीं पूछोगी…

रश्मि चलो कहीं बैठ कर कौफी पीते हैं,’’ रोहन ने कहा.

‘‘इस की जरूरत नहीं,’’ रश्मि बोली.

‘‘रश्मि सच तो यह है कि शालिनी की तबीयत बहुत खराब थी. उसे मैं ने सिटी अस्पताल में दाखिल कराया था, किंतु पता नहीं उस की कौन सी दूर की रिश्तेदार वहां आई और मेरी गैरमौजूदगी में उसे अपने साथ ले गई.’’

‘‘फिर तुम ने ढूंढ़ा नहीं शालिनी को?’’

‘‘बहुत ढूंढ़ रहा हूं, परंतु कुछ पता नहीं चल रहा,’’ रोहन परेशान सा बोला.

‘‘अब क्या करोगे? पुलिस में रिपोर्ट करोगे?’’

‘‘यही तो नहीं कर सकता हूं.’’

‘‘क्यों?’’ रश्मि ने पूछा.

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‘‘क्योंकि डाक्टर और उस की अनजानी रिश्तेदार मुझे धमकी दे रहे हैं कि वह मुझे दफा 420 के केस में फंसा देंगे, क्योंकि एक पत्नी  और बच्चों के होते हुए मैं ने दूसरी शादी की. मैं ने तुम्हारे साथ बहुत बुरा किया… मुझे माफ कर दो रश्मि.’’  ‘‘रोहन तुम तो वह इनसान हो जो किसी का भी सगा नहीं हो सकता न मेरा और न शालिनी का. जानना चाहते हो शालिनी कहां है? वह मेरे पास है और धीरेधीरे स्वास्थ्य लाभ कर रही है. किंतु अब वह तुम्हारी सूरत भी नहीं देखना चाहती. जैसे ही वह ठीक हो जाएगी वापस दिल्ली चली जाएगी… और तुम अपना स्वयं सोच लो.’’  रोहन कोई जवाब देता उस से पहले ही रश्मि उस की नजरों से दूर जा चुकी थी. उस के चेहरे पर संतोष की रेखा थी. जो धोखा रोहन ने उसे दिया था आज उस का जवाब उस ने दे दिया था.

Serial Story: धोखा (भाग-3)

‘‘क्या लाए हैं?’’ शालिनी ने पूछा.

‘‘सोचो क्या हो सकता है?’’

शालू मुसकरा कर बोली, ‘‘क्या होगा सिनेमा के टिकट होंगे या फिर होटल में डिनर का औफर.’’

‘‘नहीं डार्लिंग, हम कल 1 हफ्ते के लिए शिमला जा रहे हैं. क्या नजारा होगा तुम कल्पना भी नहीं कर सकतीं. चलो फटाफट पैकिंग कर लो.’’  दूसरे दिन जब वे शिमला पहुंचे तो लगभग सारे होटल बुक थे और फिर औटो वाले की सहायता से जो होटल मिला उसे देख कर रोहन को जबरदस्त झटका लगा. वही होटल और तो और वही कमरा जहां वह पहली बार रश्मि को ले कर आया था.

उसे सकते में देख कर शालिनी बोली, ‘‘क्या हुआ, आप कहां खो गए?’’

‘‘कुछ नहीं बस यों ही जरा सोच रहा था कि देखो वक्त भी क्याक्या खेल दिखाता है. अभी कुछ दिन की तो बात है. मैं किसी काम से शिमला में आया था और उस वक्त भी यही होटल और तो और यही कमरा था शालिनी,’’ रोहन ने आधा झूठ और आधा सच बोला. वह उसे यह कैसे बताता कि यहां इसी कमरे में उस ने और रश्मि ने अपना हनीमून मनाया था. झूठ तो उस ने कह दिया, किंतु उस का मन उखड़ गया था.  दूसरे दिन दोनों घूमने निकल गए. यह भी अजीब बात थी जिस रश्मि को छोड़ कर शालिनी के लिए वह बेताब था और उस के साथ शादी कर के उस के साथ हनीमून मनाने आया था उसे छोड़ कर हर जगह उसे रश्मि नजर आ रही थी. वह काफी परेशान हो रहा था. उस के अंदर यह बदलाव शालिनी भी महसूस कर रही थी, परंतु उस ने सोचा कि हो सकता है कोई औफिस की बात उसे परेशान कर रही हो. उस ने बहुत पूछा भी परंतु उस ने उसे टाल दिया.  आज उसे लगा कि 2-2 नावों पर सवार होना कितना कठिन है. होटल आ कर वह बिस्तर पर ढेर सा हो गया.

‘‘क्या बात है रोहन, काफी थकेथके से लग रहे हो और काफी परेशान भी?’’

रोहन ने कहा, ‘‘हां थक तो गया हूं… ऐसा करते हैं शालिनी वापस चलते हैं.’’

‘‘क्यों?’’

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‘‘बस, औफिस का एक जरूरी काम याद आ गया… जाना जरूरी है, फिर कभी प्रोग्राम बना लेंगे.’’

‘‘ठीक है,’’ शालिनी बोली और फिर पैकिंग करने लगी. दूसरे दिन वापस आ गए. सब काम अपने ढर्रे पर चलने लगे.

एक दिन रोहन व शालिनी शौपिंग के लिए गए तो उन्होंने रितिका को देखा. वह अपनी सहेली के साथ स्कूटी पर जा रही थी. तभी एक बाइक सवार ने उस की स्कूटी में टक्कर मार दी और वे दोनों गिर पड़ीं. रोहन और शालिनी उस की तरफ दौड़े. उसे उठाने के लिए शालिनी ने हाथ बढ़ाया तो उस ने बड़ी नफरत से उस का हाथ झटक दिया.

शालिनी ने कहा, ‘‘रितिका, तुम ठीक तो हो?’’

‘‘तुम तो ठीक हो… मैं ठीक हूं या नहीं इस से तुम्हें क्या फर्क पड़ता है,’’ रितिका ने गुस्से और नफरत से कहा.

‘‘ऐसा न कहो बेटा… मैं तुम्हारी मां के समान हूं,’’ शालिनी ने कुछ मायूसी से कहा.

‘‘आप जानती हैं कि मां क्या होती है? कभी आप ने जाना मां को? मां तो बस देना ही जानती है और आप ने तो बस छीनना ही जाना है… हम से हमारे पापा को छीना, हमारे घर की सुखशांति छीनी, मेरी मां का सुहाग छीना, आप क्या जाने मां और मां के त्याग को.’’  ‘‘रितिका क्या तुम ने बात करने की तमीज छोड़ दी,’’ रोहन ने चिल्लाते हुए कहा.

‘‘पापा, मैं ने तो सिर्फ बात करने की तमीज छोड़ी है, किंतु आप ने तो हम सब को छोड़ दिया,’’ और सिसकते हुए रितिका अपने जख्म को बिना देखे चली गई.  दोनों का मूड खराब हो गया था. दोनों वापस घर आ गए. दूसरे दिन रोहन अपने  औफिस चला गया. शालिनी के कानों में रितिका के कहे शब्द हथौड़े की तरह पड़ रहे थे. ‘जानती हो मां क्या होती है? तुम ने तो बस छीना है… तुम ने मेरे पापा को छीना है, हमारे घर की सुखशांति छीनी है.’

‘‘छीनी है… छीनी है… छीनी है… हां मैं ने अपनी सहेली का घर उजाड़ा है… उसे बरबाद कर दिया है, मैं दोषी हूं,’’ एकाएक शालिनी अपना सिर पकड़ कर जोरजोर से चिल्लाई.

तभी अचानक रोहन आ गया. बोला, ‘‘क्या हुआ शालू, तुम चिल्ला क्यों रही थीं? क्यों परेशान लग रही हो?’’

‘‘कुछ खास नहीं बस यों ही कुछ पुरानी यादें याद हो आई थीं. मगर तुम कैसे आ गए?’’

‘‘वे अपने कुछ जरूरी कागजात घर भूल गया था… शालिनी लिफाफे में कुछ कागज थे… तुम ने देखे क्या?’’

‘‘नहीं तो? कहां रखे थे?’’

‘‘अलमारी में थे. जरा देखो तो,’’ रोहन ने कहा और फिर सोफे पर बैठ गया. शालिनी बैडरूम की तरफ थी. थोड़ी दूर ही चली थी कि गिर पड़ी.

‘‘अरे, क्या हुआ?’’ रोहन तेजी से उस की तरफ लपका. शालिनी को उठा कर बैड पर लिटाया और पानी ला कर उस के चेहरे पर छींटे मारने लगा. शालिनी ने धीरे से आंखें खोलीं.

‘‘क्या हुआ शालू? तबीयत खराब थी तो मुझे बताया होता. मैं पहले तुम्हें डाक्टर के पास ले जाता. खैर, कोई बात नहीं, अब चलते हैं.’’

‘‘नहीं रोहन, मुझे नहीं जाना डाक्टर के पास. कोई खास बात नहीं है… मैं ठीक हूं.’’

रोहन उस का माथा सहलाने लगा, ‘‘देखो शालिनी, लगता है अकेलेपन की वजह से तुम्हारी तबीयत खराब हो गई है… कुछ व्यस्त रहा करो.’’

‘‘रोहन मैं ने बहुत गलत काम किया है न… बहुत बड़ी गलती की है.’’

‘‘कौन सी गलती शालू?’’

‘‘मैं ने अपनी सहेली का पति छीना… उस का घर उजाड़ा दिया… उस की हाय लगेगी मुझे.’’

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‘‘हम ने कोई गलत काम नहीं किया है शालू… हम ने प्यार किया है… दोनों एकसाथ जीवन गुजारना चाहते हैं… शादी की है क्या गलत किया है? मैं ने तो रश्मि को भी कहा था कि वह हमारे साथ रहे. क्या 2 पत्नियां एकसाथ नहीं रह सकतीं और यदि नहीं तो हम क्या कर सकते हैं? मैं तो उस का खर्चा भी उठाने को तैयार था, किंतु वह ज्यादा स्वाभिमानी बनना चाहती है तो उस में हमारा क्या दोष?’’  उस के बाद रोहन उसे समझाबुझा कर वापस अपने औफिस चला गया. शालिनी ने एक नौवल उठाया, परंतु उस का मन फिर किसी भी काम में नहीं लगा. बारबार उसे रितिका की बात याद आ रही थी. उस का मन फिर किसी भी काम नहीं लगा. बारबार उसे रितिका की बात याद आ रही थी. उस का मन भी बारबार उसे ही दोषी मान रहा था. जैसेतैसे शाम हुई और रोहन औफिस से आ गया. उस ने चाय बनाई और दोनों अपनाअपना कप ले कर टैरेस में आ गए.

‘‘क्या बात है, आज कुछ परेशान दिखाई दे रही हो?’’

‘‘कुछ नहीं, बस यों ही मन नहीं लग रहा.’’

‘‘चलो तो आज कहीं घूमफिर आते हैं… तुम्हारा मन भी बहल जाएगा,’’ और फिर दोनों तैयार हो कर बाहर निकल गए. पास ही एक पार्क था. दोनों जा कर नर्म घास पर बैठ गए.

अभी कुछ देर ही हुई थी उन्हें वहां बैठे तभी एक तरफ कुछ शोर सा हुआ.  उत्सुकतावश दोनों भी वहां पहुंच गए. बड़ा ही अजीब नजारा था. एक औरत अपने पति के साथ मारपीट कर रही थी. उन्होंने कारण पूछा तो पता चला कि उस ने अपने पति को दूसरी औरत के साथ पकड़ लिया था. यह कहने को तो एक साधारण बात थी, परंतु इस बात ने शालिनी के मनमस्तिष्क पर उलटा प्रभाव डाला. उस के दिमाग में रश्मि का चेहरा घूम गया. उसे और गिल्टी महसूस होने लगी.  अब यह रोज का नियम हो गया था कि शालिनी चुपचाप अपने काम निबटा कर उदास सी रहती. उस की इस हालत से रोहन परेशान रहने लगा. जो जीवन उन्होंने चुना था वह उन्हें बजाय खुशी देने के परेशानी देने लगा और हद तो तब हुई जब शालिनी न सिर्फ डिप्रैशन में, बल्कि आक्रामक भी हो गई. छोटीछोटी बातों पर नाराज हो जाना, गुस्से में कोई भी चीज उठा कर फेंक देना उस का नियम बन गया.  एक दिन तो छोटी सी कहासुनी पर शालिनी ने कप उठा कर रोहन को दे मारा. तब रोहन को लगा कि अब कुछ ठीक नहीं है. वह उसे ले कर न्यूरोलौजिस्ट के पास गया.  डाक्टर ने शालिनी की जांच कर के कहा, ‘‘रोहन, शालिनी के दिमाग को कोई सदमा लगा है, जिस की वजह से इन की यह दशा हुई है,’’ फिर डाक्टर ने कुछ दवाएं लिखीं और कहा, ‘‘इन्हें ज्यादा से ज्यादा खुश रखने की कोशिश करें.’’

आगे पढ़ें- रोहन हर संभव कोशिश करता कि…

Serial Story: धोखा (भाग-1)

हमेशाखुद भी खुश रहने वाली तथा औरों को भी खुश रखने वाली रश्मि को न जाने आजकल क्या हुआ है कि हमेशा खोईखोई सी रहती, पूछने पर टाल जाती.  आखिर जब मुझ से रहा न गया तो एक दिन मैं उसे पकड़ कर बैठ गई और फिर पूछा, ‘‘रश्मि, आज मैं तुझे छोड़ने वाली नहीं, बता न आखिर हुआ क्या है?’’

‘‘कुछ भी नहीं कविता, तू तो यों ही परेशान हो रही है.’’

‘‘कुछ तो हुआ है, तू बताती क्यों नहीं? देख आज मैं तुझे छोड़ने वाली नहीं.’’

‘‘जाने भी दे… अपने लिए मैं किसी को दुखी नहीं करना चाहती,’’ रश्मि ने कुछ उदास स्वर में कहा.

‘‘रश्मि, तू मुझे अब अपना नहीं मानती, ऐसा लगता है. देख हमारी दोस्ती आज की नहीं है और मरते दम तक हम दोस्त रहेंगे.’’

‘‘वह तो है.’’

‘‘देख अपना दुख मुझे नहीं बताएगी तो किसे बताएगी?’’ उस के कंधे पर हाथ रखते हुए मैं ने कहा.

‘‘हां, तुझ से तो बताना पड़ेगा वरना मेरा दम घुट जाएगा,’’ रश्मि बोली, ‘‘तू तो जानती है कि क्या कुछ नहीं गुजरा मुझ पर परंतु वक्त का खेल समझ कर सब स्वीकार करती रही. रोहन 2 बच्चे दे कर मुंह मोड़ गया और दूसरी शादी कर ली. मैं ने सह लिया. सब रिश्तेदार 1-1 कर के चले गए. किसी ने भी यह नहीं सोचा कि मैं अपने 2 बच्चों के साथ कैसे जीऊंगी? क्या करूंगी? वह तो भला हो नेहा का जिन्होंने अपने पति से कह कर मुझे यह नौकरी दिलवा दी और मेरे घर की गाड़ी चल पड़ी.’’

‘‘यह तो मैं भी जानती हूं और तेरे साहस की मिसाल मैं ही नहीं, बल्कि जितने भी परिचित हैं, सब देते हैं,’’ मैं ने उसे सहारा देते हुए कहा, ‘‘पर अब जब सब कुछ ठीक हो गया, फिर तेरी उदासी की बात समझ में नहीं आ रही. इतना सब कुछ सहते हुए भी तूने अपना जीवन बड़ी जिंदादिली से जीया ही नहीं, उस के हर पल को महसूस भी किया,’’ मैं ने कहा, ‘‘अपने बच्चों के कैरियर को बहुत ऊपर पहुंचाया. यही नहीं कालोनी में अच्छी इज्जत भी कमाई. अब तो सब ठीक है, फिर क्या बात है?’’

‘‘तू ठीक कह रही है पर एक बात तो है न कि कब्र का हाल मुरदा ही जानता है,’’ उस ने कुछ हंसते हुए कहा.

‘‘अच्छा ऐसा क्या है? देख बहुत देर हो गई अब रुक मत.’’

रश्मि खयालों में खो गई. मानो उस का जीवन उस के सामने चलचित्र की तरह घूम रहा हो…

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रोहन का उस की जिंदगी में आना… वह उस की तरफ यों खिंचती चली गई जैसे पतंग के साथ डोर. दुनिया के रिवाज सब उस के लिए बेमानी हो गए थे. मम्मीपापा ने कितना डांटा था. जमाने की ऊंचनीच सब समझाई थी. पर वह तो जैसे दीवानी हो गई थी जैसे ही मोबाइल की घंटी बजती बस उसे रोहन ही दिखाई देता और वह पागलों की तरह दौड़ी चली जाती. पापा गुस्सा होते, मम्मी अपना वास्ता देतीं, पर उस के लिए सब बेकार था सिवा रोहन के.  एक दिन जब वह रोहन से मिलने जा रही थी तो पापा ने डांटते हुए कहा, ‘‘तुम नहीं मानोगी… क्या है उस आवारा लफंगे में जो तुम्हें कुछ दिखाई नहीं दे रहा?’’

‘‘पापा मैं उस से बहुत प्यार करती हूं और उस के बिना नहीं रह सकती.’’

‘‘बहुत पछताओगी तुम… बेटा मान जाओ वह अच्छा लड़का नहीं है,’’ पापा ने समझाते हुए कहा.

‘‘पापा वह मेरी जिंदगी है,’’ रश्मि जिद करते हुए बोली.

‘‘तो खत्म कर दो अपनी जिंदगी,’’ झल्लाते हुए पापा बोले.

‘‘क्या कह रहे हो जी? कुछ भी हो रश्मि हमारी इकलौती बेटी है,’’ मम्मी बोलीं.

‘‘उसी का तो फायदा उठा रही है… पर जीते जी कैसे कुएं में धकेल दें अपनी बेटी को?’’

‘‘पापा कुछ भी हो मैं रोहन से ही शादी करूंगी.’’

‘‘तो फिर अपना चेहरा हमें कभी न दिखाना,’’ पापा क्रोध से बोले.

‘‘ऐसा मत कहो मैं अपनी बेटी के बिना नहीं रह सकूंगी,’’ मम्मी ने सिसकते हुए कहा.

‘‘चुप रहो. तुम्हारे ही लाड़ का नतीजा हमें भुगतना पड़ रहा है,’’ पापा गरजते हुए बोले. और रश्मि सब को अनदेखा कर रोहन के साथ चली गई. बाद में पता चला कि दोनों ने शादी कर ली है और झांसी में बस गए हैं. भानू प्रताप ने अपने सीने पर पत्थर रख लिया परंतु उन की पत्नी चंद्रिका बेटी की याद में बीमार पड़ गईं और एक दिन उस की याद को अपने साथ लिए दुनिया से विदा हो गईं.   उधर रश्मि रोहन के साथ बहुत खुश थी. लेकिन जब उसे अपने मातापिता की  याद आती तो उदास हो जाती. शुरूशुरू में रोहन उस का बहुत ध्यान रखता था. समय के साथ वह 1 बेटी और 1 बेटे की मां बन गई.

कुछ दिनों से रश्मि नोट कर रही थी कि रोहन अब उस का उतना ध्यान नहीं रखता जितना पहले रखता था. कुछ दिन तो इसे हलके में लिया. सोचा शायद काम का बोझ ज्यादा है, परंतु फिर यह रोज का नियम बन गया.

‘‘रोहन, आजकल तुम बहुत व्यस्त रहने लगे हो,’’ रश्मि ने कुछ उदास हो कर कहा.

‘‘भई घर चलाना है तो काम तो करना ही पड़ेगा,’’ रोहन ने कहा.

‘‘काम तो पहले भी होता था, पर आजकल कुछ ज्यादा हो रहा है क्या?’’

रोहन टाल कर चला गया. पर आज रश्मि ने इसे कुछ ज्यादा ही गंभीरता से लिया. अब तो रात को भी देर से आना रोहन का नियम बन गया था. रश्मि पूछने की कोशिश करती तो झगड़ा होने लगता.  उस दिन तो हद ही हो गई… उस की सहेली आई थी. मुसकराते हुए रश्मि ने पहले तो परिचय कराया, ‘‘रोहन, यह मेरी सहेली है. शिमला से आई है. यहां इसे कुछ काम है. करीब हफ्ता भर रहेगी.’’

‘‘रश्मि यह मेरा घर है कोई धर्मशाला नहीं जो कोई भी यहां आ कर रहे.’’

रश्मि देखती रह गई.

‘‘रोहनजी आप चिंता न करें मैं मैनेज कर लूंगी,’’ शालिनी ने कहा.

‘‘अरे नहीं, मैं तो मजाक कर रहा था,’’ रोहन ने हंसते हुए कहा.  सब ने इसे मजाक में ले लिया, पर रश्मि नहीं जानती थी कि उस ने अपने लिए कितनी

बड़ी खाई खोद ली है. जो रोहन रोज देर रात आता था, वह शाम की चाय घर में ही पीने लगा. शुरू में तो रश्मि खुश हुई. पर फिर धीरेधीरे उसे समझ में आने लगा कि रोहन उस के लिए नहीं बल्कि शालिनी के लिए जल्दी आता है. चाय पीने के बाद दोनों ही किसी न किसी बहाने निकल जाते. कभी बाहर से खाना खा कर आते कभी उसे आदेश दे कर बनवाते.

‘‘मम्मी, ये आंटी और कितने दिन रहने वाली हैं?’’ एक दिन रश्मि के बेटे शलभ ने पूछा.

‘‘क्यों बेटे, आंटी से तुम्हें क्या तकलीफ है?’’ रश्मि ने पूछा.

‘‘मम्मी जब देखो आप आंटी की सेवा में लगी रहती हो जैसे वे कोई नवाब हों,’’ शलभ ने कुछ चिढ़ते हुए कहा.

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‘‘हां मम्मी और वे तो कोई काम नहीं करतीं. बस पापा से बातें करती रहती हैं जैसे वे ही इस घर की मालिक हों.’’

‘‘बेटा ऐसा नहीं कहते. वे मेहमान हैं, उन्हें कुछ काम है यहां. जब हो जाएगा तो चली जाएंगी,’’ रश्मि ने बच्चों को तो दिलासा दे दिया, किंतु अपने को न समझा सकी. सारी रात बड़ी बेचैनी में काटी और फैसला किया कि सुबह शालिनी और रोहन से बात करेगी.

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Review: जानें कैसी है बॉबी देओल की Web Series ‘आश्रम’

रेटिंगः तीन

निर्माताः प्रकाश झा प्रोडक्शन

निर्देशकः प्रकाश झा

कलाकारः बॉबी देओल, चंदन राय सान्याल, अदिति सुधीर पोहणकर, दर्शन कुमार, अध्ययन सुमन.

अवधिः लगभग छह घंटे 45 मिनट, चालिस से पचास मिनट के नौ एपीसोड

ओटीटी प्लेटफार्मः एमएक्स प्लेअर

राजनीति व सामाजिक मुद्दों पर बेहतरीन फिल्मों के सर्जक के रूप में पहचान रखने वाले निर्माता निर्देशक प्रकाश झा ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘जी 5’’पर कुछ दिन पहले आयी फिल्म ‘‘परीक्षा’’ने लोगों के दिलों तक अपनी पहुॅच बना ली थी, मगर यह बात उनकी ‘‘एम एक्स प्लेअर’’पर 28 अगस्त से प्रसारित वेब सीरीज ‘‘आश्रम’’को लेकर नहीं कहा जा सकता. अभी ‘आश्रम’’के पहले सीजन का भाग एक ही आया है, जिसके 40 से 50 मिनट के बीच के नौ एपीसोड यानीकि लगभग पौने सात घंटे हैं.

खुद को भगवान का दर्जा देकर धर्म, अंध विश्वास व आस्था के नाम पर मासूमों की भावनाओं का हनन करने वाले धर्म के तथाकथित ठेकेदारों व उनके अनुयायियों का पर्दाफाश करने वाली वेब सीरीज ‘‘आश्रम’’लेकर आए हैं प्रकाश झा. इसमें विश्वास पर आघात, शडयंत्र की राजनीति, सच्चाई के कैसे दफन किया जाता है, आदि का बेहतरीन चित्रण है.

कहानीः

कहानी शुरू होती है उत्तर भारत के एक गांव की दलित लड़की परमिंदर उर्फ पम्मी( अदिति सुधीर पोहणकर) से. जिसे कुश्ती के दंगल में विजेता होते हुए भी उसे नहीं बल्कि उंची जाति की लड़की को विजेता घोषित किया जाता है. शाम को एक शादी के लिए घोड़ी पर बैठकर उंची जति के मोहल्ले से गुजरने पर उसके भाई को उंची जाति के लोग पीट पीटकर अधमरा कर देते हैं. अस्पातल में उसका इलाज नही हो रहा है, तब निराला बाबा(बॉबी देओल) यानी कि काशीपुर वाले बाबा जी का आगमन होता है, लड़के का इलाज होता है, इससे मुख्यमंत्री सुंदरलाल हरकत में आ जाते हैं और उंची जाति के लोगों को गिरफ्तार करने का आदेश देते हैं, मगर बाबा अपना पैंतरा खेलकर मामला रफादफा कर देते हैं और पम्मी उनकी भक्त हो जाती है. उधर मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार करते हुए जंगल की जमीन एक बिल्डर ‘‘मिश्रा गोबल प्रोजेक्ट’’को देते हैं, जहंा पर खुदाई में एक नर कंकाल मिलता है, पुलिस इंस्पेक्टर उजागर सिंह(दर्शन कुमार) अपने सहयोगी साधू( विक्रम कोचर) के साथ जंाच शुरू करते हैं. मुख्यमंत्री के दबाव पर उजागर सिंह को जांच से रोका जाता है. उधर पूर्व मुख्यमंत्री हुकुम सिंह(सचिन श्राफ) वहां पहुॅचकर जांच की मांग करते हैं. नर कंकाल की फोरंसिक जांच कर डाक्टर नताशा कटारिया अपनी रिपोर्ट बनाती हैं.

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पुलिस के दबाव में वह रिपोर्ट नहीं बदलती. इस नर कंकाल के मिलने से निराला बाब उर्फ काशीपुर वाले बाबा उर्फ गरीबों के बाबा परेशान हैं कि उनकी असलियत सामने न आ जाए. तो वहीं कुर्सी बचाए रखने के लिए मुख्यमंत्री सुंदर लाल, हुकुम सिंह के साथी दिलावर सहित कुछ लोगों को अपने साथ कर लेता है. अब पम्मी अपने भाई शक्ति के साथ बाबा के आश्रम में काम करते हुए वहीं रहने लगती है. मुख्यमंत्री के आदेश पर बाबा के खिलाफ जंाच जारी है. उजागर सिंह मोहिनी की हत्या की जांच कर रहा है. आई जी शर्मा जांच करते हुए बाबा सिंह की पूर्व पत्नी के पास पहुंच जाते हैं, जो कि बताती हैं कि बाबा का असली नाम मोंटी सिंह है और उनके सहयोगी भूपेंदर सिंह उर्फ भोपी(चंदन रॉय सान्याल) भी गलत काम कर रहे थे, इसलिए वह उन्हे छोड़कर अपने बेटों के साथ अलग रह रही है. काशीपुर वाले बाबा जी की पत्नी ने तीन अरब का मकान लंदन में खरीद कर देने की मांग की है, बाबा देना नहीं चाहते. अब भोपी एक गणिका यानी कि कालगर्ल लूसी की मदद से होटल के कमरे में लूसी संग आई जी शर्मा का सेक्स करते हुए वीडियो बनवाकर आई जी शर्मा को धमकाते हैं, आई जी शर्मा डरकर सारी जांच रपट मूल सबूतों के साथ बाबा के चरणों में रख देते हैं. पर बाद में खबर मिलती है कि वह आश्रम के अस्पताल में आईसीयू में भर्ती हैं.

उधर हुकुमसिंह को काशीपुर वाले बाबा जी का चुनाव में वरदहस्त चाहिए. क्योंकि बाबा जी के 44 लाख अनुयायी हैं. इसलिए आश्रम में नारी सशक्तिकरण के नाम पर आयोजित 1100 लड़कियों के सामूहिक विवाह का आयोजन होता है, जिसमें हुकुमसिंह मुख्य अतिथि बनकर आते हैं और एक करोड़ ग्यारह लाख एक सौ इक्कीस रूपए आश्रम को देते हैं. इसी समारोह में शक्ति को एक वेश्या बबिता(त्रिधा चैधरी)के साथ जबरन विवाह करना पड़ता है. फिर बंद कमरे में बाबा जी तीन करोड़ रूपए के बदले में एक सीट की दर से हुकुमसिंह को बीस सीटें जितवाकर देने का सौदा करते हैं. उधर हुकुम सिंह चालाकी से मुख्यमंत्री व मिश्रा ग्लोबल के बीच हुए भ्रष्टाचार के दस्तावेज हासिल कर मीडिया में हंगामा कर देते हैं. उजागर सिंह की जांच के चलते बाबा व भूपी खुद को फॅंसते हुए पा कर गृहमंत्री से बात कर एक हरिजन पुलिस इंस्पेक्टर हरिचरन दास का प्रमोशन करवाकर उजागर सिंह के उपर बैठवा देते हैं, जो कि उजागर सिंह के खिलाफ ही काररवाही करने लगता है. उधर आश्रम की ही लड़की कविता(अनुरीता झा ) भी इंस्पेक्टर उजागर सिंह से मिलती है, पर बाद में कविता को बंदी बनाकर आश्रम में डाल दिया जाता है. अब बाबा अपने रास्ते से डाॅक्टर नताषा व मोहिनी की बहन सुहानी को हटाने की चाल चलते है. उजागर इन्हे बचाते हुए अपनी जांच जारी रखता है. तो वहीं बाबा अपने आश्रम के साथ युवा पीढ़ी को जोड़ने के लिए बॉलीवुड गायक टीका सिंह(अध्ययन सुमन ) को मजबूरन अपने साथ आने पर मजबूर करते हैं.

लेखनः

वेब सीरीज ‘‘आश्रम’’ में प्रकाश झा ने अपनी पुरानी फिल्मों के सारे मसाले भरे हैं. पूरी सीरीज आयोध्या में तैयार किए गए एक आश्रम व आउटडोर में फिल्मायी गयी है.
इस वेब सीरीज में इस बात का उत्कृष्ट चित्रण है कि किस तरह इमानदार पुलिस अफसरो पर राजनीतिज्ञ, नौकरशाही व धर्म के ठेकेदार दबाव डालकर उन्हे उनका काम करने से रोकते है. इसमें जाति गत विभाजन का भी संुदर चित्रण है. यानी कि वेब सीरीज ‘‘आश्रम’’ जातिगत राजनीति के लिए अनैतिकता की गहन अंतर्धारा के साथ स्वच्छ रूपक का काम करती है. इसमें डेमोक्रेसी/लोकतंत्र पर भी कटाक्ष किया गया है. कुत्सित राजनीति का स्याह चेहरा लोगों के सामने लाने में लेखक व निर्देशक सफल रहे हैं. पहले एपीसोड में ही दर्षक समझ जाता है कि ‘काशीपुर वाले बाबा’कोई संत या महात्मा या समाज सुधारक नहीं, बल्कि एक चालाक, तेजतर्रार, धूर्त, धर्म को निजी स्वार्थ के लिए उपयोग करने वाला कौनमैन है. एक संवाद-‘‘एक बार जब आप आश्रम में आते हैं, तो आप कभी वापस नही जा सकते. ’ निराला बाबा और आश्रम के संबंध में बहुत कुछ कह जाता है. नारी सशक्तिकरण के नाम पर पितृसत्तात्मक सोच व सेक्स के भूखे भेड़िए क्या करते हैं, उसका भी एक आइना है.

एपीसोड नंबर पांच में पुलिस आई जी शर्मा और लूसी के बीच का पूरा प्रकरण बेवकूफी भरा है. और आई जी शर्मा को लूसी द्वारा होटल में बुलाने के बाद ही समझ में आ जाता है कि अब क्या होने वाला है. इससे दर्शक की रूचि कम होती है. यह पूरा प्रकरण महज सेक्स व बोल्ड दृश्य परोसने के लिए ही रखा गया है. बोल्ड सेक्स दृश्यों व गंदी गालियों का भरपूर समावेश किया गया है. और ऐसे दृश्य महज सेक्स को भुनाने के लिए ही रखे गए हैं, इससे फिल्मकार का नेक मकसद कमजोर हो जाता है.

सुखद बात यही है कि धर्म की आड़ में तथाकथित धर्म गुरूओं की काली दुनिया के खतरनाक रहस्य दर्शकों के सामने आते हैं और यह भी पता चलता है कि वोट बैंक की राजनीति के चलते किस तरह ऐसे भ्रष्ट धर्मगुरूओं को राजनेताओं और शासन का वरदहस्त हासिल रहता है. लेकिन‘हिंदू फोबिया’वाले नाराज हो सकते हैं.

निर्देशनः

प्रकाश झा एक बेहतरीन निर्देशक हैं, इसमें कोई दो राय नही. वह इससे पहले भी राजनीति, पुलिस महकमे व आरक्षण आदि पर फिल्में बना चुके है और लोग उनकी फिल्मों के प्रश्ंासक भी है. मगर इस वेब सीरीज के कई दृश्यांे मंे प्रकाश झा की निर्देशकीय छाप नजर नही आती है. कुछ दृश्य बेवकूफी भरे व बहुत ही निराश करने वाले है. किरदार काफी हैं. कुछ किरदारों का चरित्र चित्रण कमतर नजर आता है.
कुछ एपीसोड बहुत धीमी गति से आगे बढ़ते हैं. इन्हे एडीटिंग टेबल पर कसे जाने की जरुरत थी.

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अभिनयः

चालाक, तेजतर्रार, धूर्त, धर्म को निजी स्वार्थ के लिए उपयोग करने वाले, शांतचित्त, काॅनमैन काशीपुर वाले यानी कि निराला बाबा के किरदार में बॉबी देओल ने काफी मेहनत की है. मगर ‘सेके्रड गेम’के बाबा यानीकि पंकज त्रिपाठी से तुलना करने पर वह काफी पीछे रह जाते हैे. कई दृश्यों में वह निराश करते है. पर कुछ दृश्यों में कृटिल बाबा के रूप में उन्होने शानदार अभिनय किया है. निराला बाबा के सहयोगी और हर गलत काम को अंजाम देने के चक्रब्यूह को रचने वाले भूपेंद्र सिंह उर्फ भूपी के किरदार में चंदन राॅय सान्याल ने सशक्त अभिनय किया है. पम्मी के किरदार में अदिति सुधीर पोहरणकर के अभिनय का लोग कायल बन जाते हैं. इमानदारी से सच की तलाश में जुटे पुलिस इंस्पेक्टर उजागर सिंह अपने ही महकमे के लोगों के दबाव के चलते किस तरह अपने काम को करने में मजबूर व बेबस होता है, इसका सजीव चित्रण अपने अभिनय से दर्शन कुमार ने किया है. तो वहीं निडर व सत्य को सामने लाने के दृढ़ प्रतिज्ञ डाक्टर नताशा के किरदार में अनुप्रिया गोयंका ने शानदार अभिनय किया है. बबिता के किरदार मेे त्रिधा चैधरी लोगों का ध्यान खींचने में सफल रही है. ड्ग एडिक्ट गायक टिंका सिंह के किरदार में अध्ययन सुमन ने ठीक ठाक अभिनय किया है. विक्रम कोचर, तन्मय रंजन, जहांगीर खान व अन्य कलाकार भी अपनी अपनी जगह सही हैं.

सुष्मिता सेन की छोटी बेटी के बर्थडे पर ब्वॉयफ्रेंड रोहमन ने लिखी ये बात

बौलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन अक्सर सुर्खियों में रहती हैं. बीते दिनों अपनी फिल्म आर्या को लेकर फैंस ने जहां उनकी तारीफ की थी तो वहीं अब ब्वौयफ्रेंड रोहमन शॉल के साथ उनकी कैमेस्ट्री फैंस को काफी पसंद आ रही हैं. दरअसल, आज यानी 28 अगस्त को सुष्मिता सेन की छोटी बेटी अलीशा का बर्थडे है, जिसके चलते सुष्मिता के ब्वॉयफ्रेंड रोहमन शॉल ने बहुत ही प्यारा मैसेज सोशलमीडिया पर शेयर किया है. आइए आपको दिखाते हैं रोहमन शौल का खास मैसेज…

रोहमन ने सुष्मिता के लिए कही ये बात

रोहमन ने अलीशा के साथ फोटो शेयर कर लिखा,  थैंक्यू सुष्मिता मुझे लाइफ का बेस्ट गिफ्ट देने के लिए. आई लव यू मेरी गबड़ू(अलीशा). हैप्पी बर्थडे अलीशा. वहीं रोहमन के इस पोस्ट पर सुष्मिता ने रिप्लाए करते  किया, अलीशा तुम्हें बहुत प्यार करती है. हम बहुत खुशनसीब हैं कि आप हमारी लाइफ में हैं. आई लव यू.

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बेटी के लिए लिखा मैसेज

सुष्मिता ने अलीशा के लिए बर्थडे मैसेज लिखा, हैप्पी बर्थडे मेरी अलीशा. आज हम 11 साल के हो गए हैं. तुम मैजिकल हो मेरी छोटी परी. मैं बहुत खुशनसीब हूं कि मुझे तुम्हारी मां बनने का मौका मिला. मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं अलीशा.

 

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#SushmitaSen with her mate #romanshaw 🔥 yesterday papped outside their home #viralbhayani @viralbhayani

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कुछ दिनों पहले एक इंटरव्यू के दौरान सुष्मिता ने कहा था, ‘शुरुआत में रोहमन कुछ कारणों से चलते अपनी उम्र छिपाई थी. मैं उनसे पूछती थी कि आपकी उम्र कितनी है? आप बहुत यंग लगते हो. वह कहते थे गेस करो? बाद में मैंने महसूस किया कि वह मुझसे कितने यंग है, इसलिए वह इन सब बातों में नहीं पड़ना चाहते थे. मुझे ऐसा लगता है कि ऐसे मिलना हमारी किस्मत में था’.

बता दें,  हाल ही में सुष्मिता सेन ने ब्वॉयफ्रेंड रोहमन के साथ अपने रिलेशनशिप के 2 साल पूरे होने का जश्न मनाया था. साथ ही एक पोस्ट के जरिए अपने प्यार का इजहार किया था.

‘कुमकुम भाग्य’ में काम कर चुकी इस एक्ट्रेस ने पिता पर लगाए गंभीर आरोप, Video Viral

कोरोनावायरस के कहर के बीच महिलाओं पर होने वाले क्राइम की संख्या बढ़ रही है. वहीं टीवी इंडस्ट्री के सितारे में भी इसका शिकार हो रहे हैं. दरअसल, कुछ समय पहले ही सोशलमीडिया के जरिए सीरियल ‘कुमकुम भाग्य’ में काम कर चुकी एक्ट्रेस तृप्ति शंखधर ने भी अपने पिता पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. आइए आपको बताते हैं पूरा मामला…

इंस्टाग्राम पर शेयर किया वीडियो

‘कुमकुम भाग्य’ फेम एक्ट्रेस तृप्ति शंखधर ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है जिसमें उन्होंने दावा किया है कि उनके पिता एक्ट्रेस को जान से मारना चाहते हैं. वीडियो में तृप्ति शंखधर कहती नजर आ रही हैं कि, ‘मैं तृप्ति शंखधर बरेली यूपी की रहने वाली हूं. मेरे पिता का नाम रतन शंखधर है. कुछ देर पहले ही उन्होंने मेरा मर्डर करने की कोशिश की है. उन्होंने बाल पकड़कर मुझे बहुत मारा है.’

 

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Suna Toh Tha Papa Ke Liye Pari Hoti hai unki Betiyan 😔 . Even a famous TV actress being forced, think about thousands of girls being forced for marriage 😔 Raise Your Voice🤞 • • • • • • • Turn On Post Notifications • . @spotboye_in @bhaiyanireporter @instabollywood22 @repivedlife @ibollywoodcity @mankrit7610 @the_unseen_content @triptishankhdhar . • #girlpower #girlfreedom #powerofgirl #womenrights #womanpower #womenfreedom #actor #selflove #freedom #freedomforever #girliyapa #beti #laxmi #devi #mata #maa #village #teenagers #dream #dreamcometrue #gunjansaxena #kanganaranaut #kumkumbhagya #sritijha #triptishankhdhar #tvactor . #TheRealPixel #With #TheRealHeart

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अत्याचार के सबूत सोशलमीडिया पर किए शेयर


अपने जख्म दिखाते हुए तृप्ति शंखधर ने कहा कि, ‘उन्होंने मुझे घायल कर दिया है. मैं अपनी मर्जी से घर से भागी हूं. हो सकता है कि मेरे पिता पुलिस थाने में जाकर ये कह दें कि मेरा किडनैप हो गया है. जैसे ही मैं उनको मिलूंगी वो मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे. वो मुझे एक्ट्रेस बनाना चाहते हैं लेकिन अब तक मेरी केवल एक ही फिल्म रिलीज हुई है.’

 

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she’s safe now!!!! Thank you UP POLICE for supporting her🙏🙏🙏💓💓💓#uppolice @triptishankhdhar

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शादी के लिए कर रहें हैं मजबूर

आगे तृप्ति शंखधर ने कहा कि, ‘करियर में सफल न होने के बाद अब वो मुझे 28 साल के लड़के से शादी करने को मजबूर कर रहे हैं. मैं अभी केवल 19 साल की हूं. मेरी मदद कीजिए. यूपी पुलिस मेरी कोई मदद नहीं करेगी. मैंने पुलिस से बात करने की कोशिश की है लेकिन कुछ नहीं हो सका. अब मेरे पास कोई रास्ता नहीं बचा है.’

बता दें,  कुमकुम भाग्य के अलावा एक्ट्रेस तृप्ति शंखधर ने ‘परमावतार श्री कृष्ण’, ‘जिंदगी यू टर्न’, ‘कसौटी जिंदगी के 2’ और देव 2 जैसे टीवी सीरियल्स में काम कर चुकी हैं. वहीं फिल्मी दुनिया की बात करें तो वह फिल्म ‘जजमेंटल है क्या’ में भी एक छोटा से किरदार में नजर आ चुकी हैं.

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 साफ हाथों से करें सेहत की शुरुआत

चाहे घर की गतिविधि हो या फिर बाहर की, हर काम में हाथों का ही इस्तेमाल होता है. ऐसे में भले ही हम सोचें कि हम ने तो किसी गंदी चीज को हाथ नहीं लगाया फिर भी हाथ क्यों धोने?? हैं, तो आप को बता दें कि रोगाणु और बैक्टीरिया ऐसे होते हैं, जिन्हें हम देख नहीं पाते, लेकिन वो हमारे हाथों में हर समय रहते हैं और जब हम अनजाने में ही इन हाथों से अपने चेहरे, नाक, मुंह को टच कर लेते हैं तब संक्रमित होने की संभावना काफी बढ़ जाती है. कोरोना के इस दौर में हाथों को सैनिटाइज कर संक्रमण के खतरे को काफी हद तक रोका जा सकता है.

क्या है ये हैंड सैनिटाइजर्स

हैंड सैनिटाइजर में क्लोरहेक्सिडाइन और इथेनॉल जैसे रासायनिक तत्व होते हैं, जो वायरस और बैक्टीरिया की बाहरी सतह यानी प्रोटीन लेयर पर हमला करते हैं. हर जगह सोप से हाथ धोना संभव नहीं होता. ऐसे में हैंड सैनिटाइजर आप को संक्रमण फैलाने वाले वायरस से हर जगह सुरक्षा देता है.

बच्चों की सुरक्षा के लिए जरूरी

ज्यादातर बच्चे जुकाम खांसी के चलते स्कूल में अनुपस्थिति रहते हैं. बच्चे बैक्टीरिया और वायरस से फैलने वाले संक्रमण से जल्दी प्रभावित होते हैं इसलिए उन्हें हैंड सैनिटाइजर और हाथों को साफ रखने का महत्त्व समझाना बहुत जरूरी है.

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सेंटर्स फौर डिजीज कंट्रोल के अनुसार जब भी आप खाना बनाएं, कूड़ा को हाथ लगाएं, पालतू जानवरों को खाना खिलाएं तब खासतौर पर हाथों को साफ करें, क्योंकि आप की एक छोटी सी लापरवाही से आप के साथसाथ आप के परिवार को भी इंफैक्शन हो सकता है.

बड़े गु्रप में जर्म्स को स्प्रैड होने से रोके

मीटिंग में हो या फिर क्लास रूम में या फिर शौपिंग प्लेस पर, सब जगह भीड़भाड़ ही होती है. ऐसे में हम अपने मूवमैंट को तो नहीं रोक सकते लेकिन बड़ी आसानी से रोगाणु को फैलाव होने से रोक सकते हैं, वह भी हैंड सैनिटाइजर के इस्तेमाल से. इस से आप भय रहित माहौल में काम भी कर पाएंगे, क्योंकि कहीं पर भी टच होने पर हैंड सैनिटाइजर से हाथों को साफ करने का विकल्प जो है आप के पास.

सैनिटाइजर का इस्तेमाल कैसे करें

भले ही आप कितना भी अच्छा सैनिटाइजर क्यों न इस्तेमाल कर लें, लेकिन अगर उसे लगाने का तरीका ठीक नहीं होगा तो वह उतना असर नहीं दिखा पाएगा, जितना दिखाना चाहिए.

ऐसे में जब आप हैंड सैनिटाइजर को हाथों पर अप्लाई करें तो सब से पहले एक हाथ की हथेली पर अप्लाई कर के उसे अच्छे से दोनों हाथों में लगाते हुए उंगलियों के बीच में भी तब तक अप्लाई करें जब तक वह ड्राई न हो जाए. अमेरिकन कैमिकल सोसाइटी का कहना है कि हाथों का साफ होना या नहीं होना इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप के हाथ कितने गंदे हैं. अगर हाथों में चिपचिपाहट है तब सैनीटाइजर नहीं बल्कि साबुन कारगर होता है, क्योंकि सैनिटाइजर से ग्रीसी गंदगी साफ नहीं होती है इसलिए हाथों को सही तरीके से सैनिटाइज करना भी बहुत जरूरी होता है.

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फेमस बौलीवुड सैलिब्रिटी शिल्पा शेट्टी कुंद्रा हैंड सैनिटाइजर का महत्त्व बताते हुए कहती हैं, ‘‘आज के समय में खुद को साफ और सुरक्षित रखना बेहद जरूरी हो गया है. मुझे इस बात की खुशी है कि मैं टूसैनिज जो कि एरिस लाइफ साइसेंज का हिस्सा है, उन के साथ जुड़ कर इस सलाह को लोगों तक पहुंचा रही हूं. मैं आप सब से यह अनुरोध करूंगी कि आप अपने हाथों को लगातार सैनिटाइज करते रहें ताकि आप और आप के प्रियजन बीमारी से दूर रहें और स्वस्थ रहें.’’

ब्लैक सीड औयल बालों व स्किन के लिए बेस्ट

कलोंजी का तेल जिसे ब्लैक सीड आयल भी कहते हैं , काफी असरदार होता है. इसे लोग न सिर्फ खाना बनाने में इस्तेमाल करते हैं बल्कि ये आपकी खूबसूरती को भी बढ़ाने का काम करता है. जिसे बहुत कम लोग जानते हैं. लेकिन यकीन मानिए अगर आपने इसे एक बार इस्तेमाल करके देख लिया फिर तो आप इसके गुण गए बिना रह नहीं पाएंगे. असल में ब्लैक सीड में एन्टिओक्सीडैंट्स प्रॉपर्टीज होती हैं . रिसर्च में यह साबित हुआ है कि ब्लैक सीड आयल से स्किन और हेयर का टेक्सचर इम्प्रूव होने के साथ साथ ये आपकी इम्युनिटी को भी बूस्ट करने का काम करता है.

ब्लैक सीड आयल को एंटीबैक्टीरियल , कोलेस्ट्रोल फाइटिंग एबिलिटीज , ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने और वजन को कम करने के लिए भी जाना जाता है. ये बॉडी को डीटॉक्स करने का भी काम करता है. यहां तक कि ये एक्ने से लड़ने, स्किन टेक्सचर को इम्प्रूव करके स्किन टोन को सुधारने का भी काम करता है. इसलिए वर्षों से इसे कास्मेटिक प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल किया जा रहा है. आइए जानते हैं इस बारे में डर्मेटोलोजिस्ट पूजा नागदेव से कि ब्लैक सीड आयल स्किन और बालों के लिए किस तरह से फायदेमंद साबित होता है.

1. फाइट स्किन इन्फेक्शन

स्किन इंफेक्शन जैसे सोरायसिस और एक्जिमा की प्रॉब्लम आम है. ऐसे में जब भी आपको इसकी समस्या हो तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि आप ब्लैक सीड आयल को अपनी स्किन पर अप्लाई करें. 2 – 3 दिनों में ही आपको रिजल्ट दिखने लगेगा. क्योंकि इसमें एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल प्रॉपर्टीज होने के कारण ये स्किन की इर्रिटेशन को दूर कर उसे सोफ्ट और नौरिश करने का काम जो करता है.

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आप इसे पाउडर की फॉर्म में बना कर भी स्टोर करके रख सकते हैं . फिर हफ्ते में 2 बार इससे स्क्रब करके आप डेड स्किन को रिमूव करके क्लियर व सॉफ्ट स्किन पा सकते हैं साथ ही इससे एक्ने की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा.

2. स्कैल्प हेल्थ

ब्लैक सीड आयल में एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटीफंगल और एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होने के कारण ये स्कैल्प की हैल्थ को मैंटेन रखने का काम करता है. ये डैंड्रफ की समस्या से भी निजात दिलवाकर आपकी स्कैल्प को क्लीन व स्मूद बनाता है. ये स्कैल्प के मोइस्चर और आयल प्रोडक्शन को बैलेंस करने में भी सक्षम माना जाता है.

3. बालों की ग्रोथ के लिए फायदेमंद

इसमें निगेल्लोने और थैमोक्विनोने होता है, दोनों पॉवरफुल एंटीहिस्टामिनेस होते हैं. ये स्कैल्प के ब्लड सर्कुलेशन को इम्प्रूव करने हेयर ग्रोथ को नेचुरल तरीके से बढ़ाने का काम करते हैं. इससे किसी भी तरह से बालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है.

4. बालों को झड़ने से रोके

ब्लैक सीड आयल में सभी जरूरी न्यूट्रिएंट्स होते हैं , जो हेयर फोलिकल्स को पोषण देने का काम करते हैं. जिससे जब बालों को भोजन मिलने लगता है तो बाल झड़ने की समस्या धीरे धीरे कम होने लगती है और साथ ही बालों की खोई शाइन भी वापिस आने लगती है.

5. सफेद बालों की समस्या से छुटकारा दिलवाए

सफेद बाल किसे पसंद होते हैं. लेकिन बढ़ती उम्र, हार्मोनल बदलावों व बालों को पोषण नहीं मिलने की वजह से किसी न किसी उम्र में सबको इसका सामना करना ही पड़ता है. ऐसे में ब्लैक सीड आयल में लिनोलेइक एसिड होने के कारण ये हेयर फोलिकल्स में पिग्मेंट सेल्स की कमी को रोकने का काम करता है. इसलिए अगर आप सफेद बालों की समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं तो रोजाना ब्लैक सीड आयल से बालों की मसाज करें.

6. बालों की चिपचिपाहट को रोकें

कई बार बालों में बिना आयल लगाए भी वो ऐसे लगते हैं जैसे उनमें तेल लगाया हुआ हो. जिससे न सिर्फ हमें अनकम्फर्टेबले फील होता है बल्कि हमारी सुंदरता में भी कमी आ जाती है. ऐसे में ब्लैक सीड आयल आपके स्कैल्प में अत्यधिक आयल को उत्पन्न होने से रोकता है. इससे आपके बाल हमेशा क्लीन व खूबसूरत नजर आते हैं.

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7. प्रदूषण से बालों को बचाए

रोज़ाना हमारा धूलमिट्टी व प्रदूषण से संपर्क होने के कारण बाल रूखे , डल व बेजान से दिखने लगते हैं. ऐसे में हमें समझ नहीं आता कि कैसे हम अपने खूबसूरत बालों की खोई रंगत को वापिस लाएं. तो आपको बता दें कि ब्लैक सीड आयल में एन्टिओक्सीडैंट्स गुण होने के कारण ये बालों को फ्री रेडिकल्स व पोलुशन के कारण होने वाले नुकसान से बचाने का काम करते हैं . जिससे स्कैल्प की हैल्थ मेन्टेन रहती है. इसलिए चाहे हेयर प्रॉब्लम हो या फिर स्किन प्रॉब्लम ब्लैक सीड आयल से पाएं इनसे निजात. आप ब्लैक सीड आयल में कोकोनट आयल, शहद, ओलिव आयल मिलाकर भी इसे अप्लाई कर सकते हैं.

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