तुम बहुत अच्छे और सच्चे इंसान हो… अपना यह फैसला बदलने का दुख मुझे हमेशा रहेगा. बिट्टू नहीं जानता, सुधांशु की बातों में आ कर उस ने किस इंसान को खो दिया है. आई एम सौरी, यश.’’ मानसी धीरे से बोली.
यश ने एक ठंडी सांस ली. वह सिर झकाए बैठा था, ‘‘बिट्टू से मैं ने बहुत प्यार किया था. मुझे उस में अपना बचपन नजर आता था. फिर तुम से मिला. तुम मेरे लिए बहुत खास हो. इतनी खास कि मैं सारा जीवन तुम्हारा इंतजार कर सकता हूं और करूंगा भी क्योंकि मैं अपने दिल से मजबूर हूं. मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं है, तुम्हारी जगह मैं होता तो शायद यही करता.’’
मानसी के लिए अब वहां रुकना मुश्किल हो रहा था. दोनों की आंखों के कोने नम होने लगे थे और बिछड़ने का पल तो यों भी कष्ट देने वाला होता ही है और बिछड़ना भी वह कि जिस में फिर मिलने की कोई उम्मीद ही न हो.
यह फैसला मानसी के लिए आसान तो नहीं था. कहीं दिल कराहा था, यादों ने हलचल मचाई थी, आंखें रातदिन रोई थीं तब कहीं जा कर यह फैसला हुआ था.
मानसी घर पहुंची तो बिट्टू ने उस की लाल आंखों और उतरे चेहरे को बड़े ध्यान से देखा, लेकिन वह तेजी से अपने कमरे में चली गई.
1 हफ्ते बाद मानसी के पापा ने बताया कि यश अपना सारा बिजनैस बेच कर हमेशा के लिए कनाडा चला गया. वह आज उन से मिलने आया था. मानसी ने नोट किया बिट्टू यह सुन कर काफी रिलैक्स हो गया था.
फिर मानसी का जीवन बहुत सूना हो गया. वह अपने काम में व्यस्त रहती. बिट्टू का व्यवहार बदल गया था. अब वह उस से हंसनेबोलने की कोशिश करता. लेकिन मानसी का दिल जैसे मर गया था. पतझड़ तो बहुत चुपके से उस के जीवन में आ गया था. दिन बेहद उदास बीतने लगे. वह बहुत अकेलेपन की शिकार थी. उसे लगता यश उसे बहुत याद करता होगा. फोन की हर घंटी उसे चौंका देती.
एक दिन जब बिट्टू ने कहा कि वह अपनी छुट्टियां अपने पापा के साथ अमेरिका में बिताना चाहता है तो उस ने अपने जवान होते बेटे को जाने से नहीं रोका. 2 महीने की जगह वह इस बार 1 महीने में ही वापस लौट गया, लेकिन इस बार उस का मूड अपने पापा की वजह से बहुत खराब था. उस के पापा ने एक अमीर विधवा अंगरेज औरत से तीसरी शादी कर ली थी. इस बार सुधांशु ने बिट्टू को भी खास लिफ्ट नहीं दी थी. अब की बार वह बहुत डिस्टर्ब था. अब वह धीरेधीरे अपनी नजरों से चीजों को देखने और समझने लगा था. काफी समय बीत गया. मानसी के मम्मीपापा भी नहीं रहे थे. घर में दोनों मांबेटा ही रहते थे.
एक दिन सुधांशु का फोन आया तो मानसी ने बिट्टू को फोन पर चिल्लाते हुए सुना, ‘‘मैं आप को अच्छी तरह जान गया हूं. आप के लिए पैसे से बढ़ कर कुछ नहीं है. अब आप मुझे गलत गाइड नहीं कर सकते. आज के बाद मुझे फोन मत करना,’’ कह कर उस ने गुस्से से रिसीवर
रख दिया.
मानसी ने यह सब सुना तो उस का दिल बहुत दिनों बाद कुछ हलका हुआ.
बिट्टू एकदम से बड़ा हो गया था. नानानानी की मृत्यु के बाद वह काफी अपसैट सा रहता. अपना खाली समय वह मानसी के साथ बिताता. उसे अब मानसी की चिंता रहने लगी थी.
एक दिन वह चुपचाप मां की गोद में सिर रख कर लेट गया, बोला, ‘‘मम्मी, आप ने मेरे लिए बहुत त्याग किया है पता नहीं मैं कभी इस त्याग के बदले में कुछ कर पाऊंगा भी या नहीं.’’
मानसी को उस पर प्यार आ गया. उस के जख्म भी हरे होने लगे, ‘‘बेकार की बातें मत मत सोचो, चलो, सो जाओ.’’
मानसी अपने कमरे में आ गई. उस की आंखों से आंसू बहने लगे. कई बार दिल जिद्दी बच्चे की तरह एडि़यां रगड़रगड़ कर रोने लगता तो ऐसे समय में उसे कौन चुप कराए?
कुछ दिनों बाद मानसी औफिस से लौटी तो बिट्टू ने उसे देखते ही कहा, ‘‘मम्मी, कल मेरा एक दोस्त लंच पर आ रहा है. आप बहुत अच्छी तरह तैयार होना. सुंदर सी साड़ी पहनना,’’ और फिर उस के गले में बांहें डाल कर प्यार करने लगा तो मानसी को हंसी आ गई.
अगले दिन रविवार था. उस के दोस्त को 1 बजे जाना था. अचानक बिट्टू को कुछ चीजें लाना याद आया तो वह अभी आया कह कर बाजार चला गया. दरवाजे की घंटी बजी तो मानसी बिट्टू के दोस्त को देख कर खड़ी की खड़ी रह गई. कई सालों का लंबा समय उन दोनों के बीच आ गया था. मानसी अपलक यश को निहार रही थी और यश मानसी को.
मानसी के मुंह से इतना ही निकला, ‘‘तुम यहां कैसे?’’
यश ने उस का हाथ पकड़ कर उसे सोफे पर बैठाया और बड़े प्यार से देखते हुए कहा, ‘‘मेरे दोस्त ने फोन कर के मुझे बुलाया या तो मुझे तो आना ही था. मैं ने जिसे अपना बिजनैस दिया था उसी से बिट्टू ने मेरा फोन नंबर ले कर मुझे फोन किया. वह कल मुझे लेने एयरपोर्ट आया था. मेरे गले लग कर बहुत रोया. बहुत बदल गया है. बारबार माफी मांग रहा था.’’
तभी बिट्टू आ गया. उस के चेहरे पर बच्चों जैसा भोलापन और खुशी थी. यश
बोला, ‘‘देखो मानी, मेरे दोस्त का कद अब मेरे जितना हो गया है.’’
बिट्टू आगे बढ़ा और मानसी के घुटनों पर हाथ रखता हुआ नीचे बैठ गया और बोला, ‘‘मम्मी, कई दिनों से अंकल की याद आ रही
थी. अंकल के साथ जो समय बिताया था सब याद आ रहा था. एक फैसला आज से 5 साल पहले आप ने मेरे कारण किया था तो एक
फैसला क्या मैं आप के बारे में नहीं कर सकता? मम्मी, यश अंकल सचमुच मेरे बैस्ट फ्रैंड हैं. देखो, मेरे एक फोन करने पर आ गए. मैं ने अंकल से फोन पर इतना ही कहा था कि
अंकल, लौट आइए, मुझे आप की जरूरत है. हैं न, मम्मी अंकल अच्छे?’’ और अचानक बिट्टू ने मानसी का हाथ पकड़ कर उठा दिया और यश को भी पास लाते हुए बोला, ‘‘मम्मी, हम तीनों साथसाथ कितने अच्छे लग रहे हैं’’ और फिर तीनों हंस दिए. तीनों को लग रहा था अब खुशियों ने दस्तक दे दी है.