जानें क्या है Pendulum Lifestyle, जिसके कारण हो सकती है डामाडोल आप की जिंदगी

Pendulum Lifestyle : ‘इधर चला मैं उधर चला जाने कहां मैं किधर चला…’ गीत की ये लाइनें आजकल के युवाओं के जीवन का हिस्सा बन गई हैं क्योंकि उन्होंने जीवन जीने का ऐसा स्टाइल अपना लिया है जो उन्हें कुछ वक्त के लिए तो ठीक लगता है, लेकिन लौंग टर्म में सेहत, व्यवहार, लाइफस्टाइल, कामकाज सब पर बुरा असर डालता है.

इस लाइफस्टाइल को नाम दिया गया है ‘पैंडुलम लाइफस्टाइल’, जिस का मतलब है ऐसी जिंदगी, जो 2 विपरीत छोरों के बीच झूलती रहती है या कहें इस में व्यक्ति 2 चरम सीमाओं के बीच झूलता रहता है और स्थिरता या संतुलन नहीं बना पाता. इस में या तो हम किसी चीज को जरूरत से ज्यादा करते हैं या फिर उसे पूरी तरह से छोड़ देते हैं. यह लाइफस्टाइल हमारे काम, सेहत, रिश्ते और मानसिक शांति पर बुरा असर डाल सकती है. युवा तो इसे ‘गो विद द फ्लो’ का नाम दे रहे हैं. अब इस से उन के जीवन के फ्लो पर क्या असर पड़ता है यह समझते हैं :

क्या है पैंडुलम लाइफस्टाइल

अत्यधिक काम Vs अत्यधिक आराम : कभीकभी लोग हफ्तों तक बिना अपने खाने और सेहत का ध्यान रखे, बहुत ज्यादा काम करते हैं और फिर अचानक कुछ दिन पूरा दिन सोते हुए या बिलकुल सुस्त हो कर आराम करते हुए बिता देते हैं। उस दौरान काम को हाथ नहीं लगाते.

मूड का ऊपरनीचे होना : अत्यधिक खुशी या प्रेरणा महसूस करना और फिर उदासी या निष्क्रियता में गिर जाना यानी लोग कभी तो बहुत खुश और जोश में होते हैं, तो कभी अचानक उदास और निराश हो जाते हैं. जैसे किसी औफिस प्रोजैक्ट में व्यस्त हैं और उसे कंप्लीट करने के लिए न दिन में आराम न रात की नींद पूरी कर रहे हैं, दोस्तों के साथ वक्त बिताना और खुद को टाइम देना छोड़ दिया है, लेकिन जैसे ही वह काम पूरा होता है उस के बाद समझ नहीं पाते कि अब क्या करें, आप मूडी और चिड़चिड़े हो जाते हैं.

ऐसा स्टूडैंट लाइफ में होता है जब एक छात्र परीक्षा की तैयारी के दौरान दिनरात पढ़ाई करता है और जैसे ही परीक्षा खत्म होती है, वह दोस्तों और परिवार से दूर हो जाता है और अकेले समय बिताने लगता है.

सेहत और डाइट का उतारचढ़ाव : लोग एक समय हैल्दी डाइट और ऐक्सरसाइज का सख्ती से पालन करते हैं और कुछ ही दिनों बाद जंक फूड खाना शुरू कर देते हैं. जैसे कोई व्यक्ति जिम में 1 महीने तक रोज ऐक्सरसाइज करता है और फिर अगले 2 महीने बिलकुल वर्कआउट नहीं करता और न ही हैल्दी डाइट फोलो करता है. फिर दोबारा कुछ दिन अच्छी डाइट, वर्कआउट करता है और फिर सुस्त हो जाता है। पैंडुलम लाइफस्टाइल में यह साइकिल लगातार चलता रहता है.

रिश्तों में अस्थिरता : कभी तो लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ बहुत समय बिताते हैं, तो कभी अचानक दूरी बना लेते हैं. कोई व्यक्ति अपने पार्टनर के साथ समय बिताने के लिए अपने दोस्तों को नजरअंदाज करता है और बाद में अपने पार्टनर से दूरी बना लेता है. दोनों में कैसे बैलेंस बना कर दोनों को साथ कैसे लेकर चलें वे समझ नहीं पाते.

निर्णय लेने में झिझक : किसी एक निर्णय पर टिके रहने में दिक्कत होती है. एक व्यक्ति किसी नए काम को शुरू करता है, लेकिन थोड़े समय बाद उसे छोड़ कर कोई और काम शुरू कर देता है और इस चक्र में फंस जाता है.

यह लाइफस्टाइल क्यों होती है

संतुलन की कमी : लोग अपनी प्राथमिकताओं (priorities) को सही से तय नहीं कर पाते, जिस से जीवन में बैलेंस नहीं बन पाता. अपने टाइम को काम और परिवार के बीच कैसे बांटना चाहिए, यह मुश्किल हो जाता है.

दबाव और उम्मीदें : लोग दूसरों की उम्मीदों को पूरा करने के चक्कर में खुद को अनदेखा कर देते हैं, दूसरों से बेहतर बनने की होड़ लगी रहती है, लेकिन युवाओं को समझना होगा कि उन्हें अपना खुद का बैस्ट वर्जन बनना है न कि बेमतलब की दौड़ या भेड़चाल करनी है जिस से उन को भविष्य में कुछ हासिल नहीं होगा.

अगर आप का सहयोगी रात की नींद न ले कर, लंच छोड़ कर अपना काम पूरा कर रहा है तो जरूरी नहीं कि आप भी ऐसा ही करें। समय पर भोजन करें, पर्याप्त नींद लें. आप के संस्थान को आप के काम से मतलब है तो आप अपने काम टाइमलाइन के हिसाब से करें, खुद की सेहत का भी बराबर खयाल करें.

भावनाओं पर निर्भरता : अपने गोल को न समझ कर भावनाओं के अनुसार फैसले लिए जाते हैं, जैसे आप का काम करने का मूड या पढ़ाई का मूड नहीं तो उसे लगातार टाला जा रहा है. आखिरकार वह काम तो आप को करना है लेकिन इमोशनल फैसले करने से बाद में वह आप के लिए बर्डन बन जाता है.

पैंडुलम लाइफस्टाइल के नुकसान

फिजिकल ऐंड मैंटल बर्नआउट : लगातार ज्यादा काम करने या बेवजह सुस्ती की वजह से शरीर थक जाता है और मन परेशान रहता है.

रिश्तों में दूरी : आप के अनप्रिडिक्टेबल बिहेवियर के चलते आप के पार्टनर, दोस्तों या सहयोगी से रिश्ते खराब हो सकते हैं.

तनाव और चिंता : अस्थिरता के कारण जीवन में तनाव बढ़ता है.

इनकंसिस्टेंसी : आप के जीवन में इनकंसिस्टेंसी के चलते आप को लौंग टर्म गोल्स को अचीव करने और हैल्दी आदतों को अपनाने में दिक्कत होती है.

पैंडुलम लाइफस्टाइल से कैसे बचें

बैलेंस जरूरी है : काम और आराम के बीच सही तालमेल बनाएं. औफिस का काम खत्म करने के बाद रोज 1 घंटे का समय खुद के लिए रखें.

छोटे लक्ष्य बनाएं : बड़े बदलाव लाने के बजाय धीरेधीरे आदतें बदलें. गोल्स रियलिस्टिक हों अचीवेबल हों, ये आप का संतुलित जीवन का पहला कदम है. नई आदत या काम को शुरू करना है और आप का मन नहीं हो तो शुरू में 10 मिनट उस काम को करें, धीरेधीरे काम के टाइम को बढ़ाएं. अगर वजन कम करना है, तो शुरुआत में रोज 15 मिनट वर्कआउट करें.

रूटीन पर टिके रहें : रोजमर्रा की जिंदगी में एक रूटीन तैयार करें और उसे फौलो करें। हर दिन तय समय पर सोने और जागने की आदत डालें.

अपनों से बात करें : दोस्तों और परिवार के साथ अपनी समस्याओं को शेयर करें। अगर तनाव में हैं, तो किसी करीबी से सलाह लें या डाक्टर के पास जाएं.

ध्यान और रिलैक्सेशन तकनीक अपनाएं : मानसिक शांति के लिए ध्यान, योग या गहरी सांस लेने का अभ्यास करें। यह आप को बर्डन न लगें इस के लिए आप शुरू में 10 मिनट मैडिटेशन करें और फिर धीरेधीरे टाइम बढ़ाएं.

पैंडुलम लाइफस्टाइल सुनने में काफी फैंसी नजर आती है लेकिन इस से बचना जरूरी है, क्योंकि यह हमारी सेहत, काम और रिश्तों पर बुरा असर डालती है. एक संतुलित और स्थिर जिंदगी जीने के लिए हमें छोटेछोटे कदम उठाने चाहिए. इस से न केवल हमारा जीवन बेहतर होगा, बल्कि हमें मानसिक शांति और खुशहाली भी मिलेगी.

Cheating : मैं दोस्त की बीवी से शादी करना चाहता हूं…

Cheating : अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 22 साल का हूं. मेरा 25 साल की दोस्त की बीवी से 9 सालों से पति पत्नी जैसा ही संबंध है. मैं उस से शादी करना चाहता हूं, पर वह अपने परिवार को धोखा नहीं देना चाहती. हमारा एक बेटा भी है. मैं क्या करूं?

जवाब

दोस्त की पत्नी को पत्नी की तरह इस्तेमाल कर के आप ने खूब दोस्ती निभाई है. वह औरत आप से शादी कर के पति को धोखा नहीं देना चाहती, तो आप के साथ सो कर वह क्या कर रही है? बेटा आप का ही है, यह आप कैसे कह सकते हैं? अब शादी का नाटक करने की क्या जरूरत है? जिस दिन पकड़े गए, तो शामत आ जाएगी.

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सैक्स जानकार कैसोनोवा और क्लियोपेट्रा

29 वर्षीय प्रिया तंदुरुस्त शरीर की आकर्षक युवती है. उस की शादी हुए 3 साल हो चुके हैं, लेकिन 3 साल में उसे एक भी रात वह यौनसुख प्राप्त नहीं हो पाया, जिस की हर युवती को चाह होती है. दूसरी ओर 28 वर्षीय कामकाजी रत्ना सिंह है जिस की शादी को 2 वर्ष हुए हैं. वह अपने पति की कामुकता से परेशान है. रत्ना थकीहारी अपने काम से आती है तो रात को पति कामवर्धक औषधियों का सेवन कर उस के साथ भी नएनए प्रयोग करता है. दोनों ही स्थितियों में किसी को भी सच्चा सुख नहीं मिलता, इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने यौन जीवन में संतुलन बनाएं. अगर किसी में यौन उत्तेजना सामान्य है तो उसे अतिरिक्त दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए. यदि किसी व्यक्ति की यौन उत्तेजना में कमी है तो वह निम्न लवफूड्स का प्रयोग कर वैवाहिक सुख का आनंद ले सकता है.

एफ्रोडाइस संज्ञा एक ऐसा द्रव्य है जो समुद्र से निकली विशाल घोंघा मछली एफ्रौडाइट से प्राप्त होता है. एफ्रोडाइट को कामुकता का प्रतीक माना जाता है. इस के द्रव्य को एफ्रोडाइस कहते हैं.

एफ्रोडाइस, यौनशक्तिवर्द्धक द्रव्य है जिस से स्त्रीपुरुष में यौनशक्ति या यौन अभिरुचि उत्पन्न होती है.

प्राकृतिक रूप से हम ऐसे कुछ खाद्य पदार्थों से पहले ही परिचित हैं, जो यौन क्षमता बढ़ाते हैं, जिन में ऐसे फल व सब्जियां प्रमुख हैं जिन का आकार स्त्री व पुरुष के गुप्तांगों से मिलताजुलता है. इन फल व सब्जियों के अंदर कुछ ऐसे गुण छिपे होते हैं जो मानव की यौन क्षमता को बढ़ाने में कारगर हैं. ये सभी फल पुरुष की कामुकता से जुड़े हैं, जबकि स्त्री की कामुकता बढ़ाने के लिए चैरी, खजूर, अंजीर, खास प्रकार की मछली और सीप जैसे खाद्य पदार्थ प्रमुख हैं.

केला एक ऐसा फल है, जिस में खनिज द्रव्य और ब्रोमेलिन प्रचुर में उपलब्ध है, जो पुरुष क्षमता को बढ़ाता है और यह फल सर्वसुलभ और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. सस्ता होने के कारण इस का प्रयोग आम लोग भी आसानी से कर सकते हैं.

प्राचीन यूनान में जब अंजीर की फसल की कटाई शुरू होती थी तो रीतिरिवाज के अनुसार रतिक्रीड़ा की जाती थी. क्लियोपेट्रा को भी अंजीर बहुत पसंद थे जिन्हें वह चाव से खाती थी. सब फलों में प्राचीनतम माने गए फल द्राक्ष का संबंध भी कामोत्तेजक गतिविधि से जोड़ा जाता है. वैसे द्राक्ष का फल काफी उत्तेजक है और स्वादिष्ठ होता है.

19वीं शाताब्दी में फ्रांस में सुहागरात से पहले दूल्हे को जो भोजन दिया जाता था उस में शतावरी को विशेष स्थान दिया जाता था, जबकि काफी समय पहले एशिया के मध्यपूर्व देशों के सुलतान व अमीर उमरा गाजर को स्त्रियों की उत्तेजना बढ़ाने में सहायक मानते थे.

कुछ व्यंजनों को भी उत्तेजना बढ़ाने में सहायक माना गया है. उदाहरणस्वरूप चौकलेट. चौकलेट को परंपरागत रूप से उत्तेजक माना गया है. इसलिए सदियों पहले ईसाई पादरियों और ननों को चौकलेट खाने की सख्त मनाही थी. कच्चे घोंघों में प्रचुर मात्रा में जस्ता होता है जिस के सेवन से लंबे समय तक संभोगरत रहने की शक्ति बढ़ सकती है. भूमिगत गुच्छी यानी ट्रफल भी ऐसा ही महंगा व सुगंधित पदार्थ है.

शैंपेन को भी लंबे अरसे से प्यार का पेय माना गया है, जो शादी के अवसर पर या विजयोत्सव मनाते समय भी ऐयाश लोगों में पानी की तरह बहाया जाता है. कहा जाता है कि व्हिस्की पिलाने से औरत बहस करना बंद करती है. बियर से उसे यौन आनंद मिलता है. रम से वह सहयोग करने लगती है. शैंपेन से होश खो बैठने पर कामुक हो उठती है. केवियर एक ऐसी मछली है जो मनुष्य के शरीर में उत्तेजना बढ़ाती है. यद्यपि निश्चित रूप से यह कहना कठिन है कि ऐसा क्यों माना जाता है.

साधारणातया हम कह सकते हैं कि अधिक शक्ति बढ़ाने वाले पदार्थ दुर्लभ हैं और इन का मूल्य भी काफी है, इसी कारण लोग अधिक आनंद लेने के लिए इन के दीवाने हैं. डामैना को चाय की तरह उबाल कर नियमित एक कप पीने से हारमोंस नियंत्रण में रहते हैं और इस से शारीरिक शक्ति भी प्राप्त होती है. एक प्रकार के लालमिर्च के मसाले से एंडोर्फोंस हारमोंस भी बढ़ाता है. गरम सूप या सौस पर मिर्च छिड़क कर प्रतिदिन खाने से भी लाभ होता है. अगर युवक जिनसेंग का प्रयोग करते हैं तो कामोत्तेजना अधिक होती है. अगर युवतियां इस का प्रयोग करती हैं तो उन की भी पिपासा बढ़ जाती है. जिनसेंग प्रसिद्ध चीनी द्रव्य है जो अश्वगंधा जैसा प्रतीत होता है.

भारत और मध्यपूर्व एशियाई देशों में लहसुन जोकि एक अच्छा विषाणुनाशक भी है, सदियों से युवकों की उत्तेजना बढ़ाने के लिए लोकप्रिय है. इस की अप्रिय दुर्गंध से बचाव के लिए खाने के बाद लौंग या छोटी इलायची का प्रयोग कर सकते हैं. प्याज और शहद का मिश्रण भी उपयोगी है. अदरक, लाल रास्फरी के पत्ते और गुड़हल या जाबा कुसुम कामोत्तेजना बढ़ाने के लिए काफी प्रचलित रहे हैं.

शहद से भी यह प्रकट होता है कि इस में भी कामवर्धक गुण हैं, लेकिन ध्यान रहे कि शहद शुद्ध हो. कुछ समाज आज भी  नवविवाहितों को शहद का पान कराते हैं. फिर चांदनी रात हो आशा और अरमानों की अंगड़ाइयां लेती हुई नववधु हो, तत्पश्चात लज्जा और मर्यादा का आवरण धीरेधीरे हट रहा हो और फिर काम और रति का युद्ध शुरू हो, कैसी रोमांटिक कल्पना है? यह भी बता दें कि शहद में विटामिन  ‘बी’ और एमिनो एसिड प्रचुर मात्रा में होने के कारण यह प्राकृतिक रूप से कामोत्तेजक सिद्ध हुआ है.

मिस्र में हड्डियों का सूप यानी पाया का भी काफी चलन है. हलाल की गई भेड़ की टांग की हडिड्यों के साथ ताजा कटी प्याज, लहसुन, पुदीना, लालमिर्च आदि को एकसाथ डाल कर 2 घंटे तक मिश्रण कर जो लुगदी तैयार होती है उस का भक्षण कर न जाने कितने मध्य एशियाई तथा मिस्रवासियों ने महिलाओं पर जुल्म ढाए हैं.

कामसूत्र में नीले सूखे कमल का चूर्ण, घी और शहद एकसाथ मिला कर खाने को कहा गया है, जिस से पुरुषों में खोई हुई शक्ति दोबारा लौट आती है. इसी प्रकार भेड़ा या बकरे के अंडकोश को उबाल कर चीनी डाल कर जो पेय बनता है, इसे पीने से भी अधिक शक्ति मिलती है.

इसी तरह इत्र या सुंगधित तेल की मालिश भी सुख के लिए लाभदायक है. ग्रीष्मऋतु की एक गरम शाम को ठंडी हवा का झोंका और प्रिया का उन्मुक्त्त स्पर्श इस से अधिक उत्तेजक और क्या हो सकता है.

एक कथानुसार साम्राज्ञी नूरजहां को पानी में गुलाब की पंखडि़या मिला कर स्नान करना पसंद था. एक दिन नहाने में देर हो गई तो उस ने देखा कि पानी के ऊपर एक तरल पदार्थ तैर रहा है. वह समझ गई कि यह गुलाब की पंखडि़यों से निकला इत्र है जो दालचीनी, तेल की तरह कामोत्तेजक है. इसी तरह वनिला, चमेली, धनिया और चंदन का लेप या इत्र लगाने से भी स्त्रीपुरुष उन्मुक्त होते हैं.

शराब और नशीले द्रव्यों से कुछ हद तक कामोत्तेजना बढ़ती है, लेकिन इन का नुकसान अधिक है. ये कामोत्तेजना द्रव्य नहीं हैं. इन की छोटी खुराक शुरू की शर्म व संकोच दूर करने में सहायक होती है, लेकिन यदि कोई स्त्री या पुरुष इन का अधिक मात्रा में लंबे समय तक सेवन करता है तो आगे चल कर युवक ढीला हो जाता है तथा युवती में चरमोत्कर्ष के आनंद को ले कर कुछ समस्याएं पैदा हो सकती हैं, क्योंकि इन से मस्तिष्क प्रभावित होता है.

इसी प्रकार मारीलुआना व वियाग्रा जैसे पदार्थ भी अस्थायीरूप से यौनसुख की इच्छा या संभोग सुख थोड़ाबहुत बढ़ाते हैं. पर बेहोशी की सी हालत में. आप को  वार्निंग दी जाती है कि कृपया ड्रग्स से दूर रहें, क्योंकि अगर एक बार आप इन के आदी हो गए तो इन से पीछा छुड़ाना मुश्किल है. वियाग्रा जैसी दवाएं डाक्टर के परामर्श के बाद ही प्रयोग करें. युवतियों में भी हारमोंस की कमी को डाक्टर की सहायता से पूरी करें.

फिर आखिरी सवाल यही है कि क्या सचमुच ऐसी दवा यौनशक्ति में वृद्धि करती है. ऐसी दवा केवल तब ही लाभप्रद होती है, जब आदमी का मन भी कामवासना की तृप्ति करने में सहयोग करे.

औषधि निर्माता व विक्रेता केवल जरूरतमंदों का मात्र आर्थिक शोषण करते हैं. अगर इंसान अपने खानपान व व्यायाम पर विशेष ध्यान देते हुए प्रकृति के नियमों का पालन करे तो उस की यौन क्षमता स्वत: ही बनी रहेगी.

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या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

बिग बौस 18 फेम Shilpa Shirodkar को ‘खतरों के खिलाड़ी’ में नहीं है कोई दिलचस्पी

Shilpa Shirodkar : 90s के दशक की अभिनेत्री शिल्पा शिरोडकर जिन्होंने गोविंद से लेकर अमिताभ बच्चन सुनील शेट्टी आदि कई ऐक्टरों के साथ काम किया है. उन दिनों शिल्पा शिरोडकर ग्लैमरस और एक्सपोज करने में माहिर हीरोइन के रूप में जानी जाती थी. लेकिन बाद में शिल्पा शिरोडकर ने शादी कर ली और अमेरिका में सेटल हो गई थी. काफी अरसे बाद शिल्पा बिग बौस 18 में बतौर प्रतियोगी नजर आई, और बिग बौस पर आकर उन्होंने अपनी बड़ी उम्र का फायदा उठाते हुए मां वाला कार्ड खेला और शो के दो प्रतियोगी करण और विवियन को अपना मोहरा बना कर शो में टिके रहने का के जुगाड़ चलाया.

बहरहाल शो खत्म होने के बाद शिल्पा शिरोडकर सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं और मीडिया के सामने भी खुलकर बात करती हुई नजर आती है. इसी दौरान एक पत्रकार ने जब शिल्पा शिरोडकर से खतरों के खिलाड़ी में जाने की बात की तो शिल्पा शिरोडकर ने उस पत्रकार को घूरते हुए शैतानी मुस्कुराहट के साथ सवाल किया क्या मैं आपको खतरों के खिलाड़ी में जाने लायक लगती हूं?

शिल्पा शिरोडकर ने साफ लफ्जों में कहा मुझे खतरों के खिलाड़ी में जाने में कोई दिलचस्पी नहीं है. क्योंकि मैं ना तो स्टंट कर सकती हूं, और ना ही कीड़े मकोड़े को झेल सकती हूं. इसलिए मेरा खतरों के खिलाड़ी में जाने का सवाल ही नहीं उठता. गौरतलब है ज्यादातर बिग बौस के प्रतियोगी और ज्यादा पैसा और नाम, कमाने के चक्कर में बिग बौस के बाद खतरों के खिलाड़ी में भाग लेने चले जाते हैं. जब कि शिल्पा शिरोडकर ने खतरों के खिलाड़ी शो में जाने से साफ इनकार कर दिया है.

Kavita Kaushik करती थी मुस्लिम ऐक्टर से प्यार, पिता की वजह से हुआ ब्रेकअप

Kavita Kaushik : चंद्रमुखी चौटाला के किरदार में लोकप्रियता हासिल करने वाली कविता कौशिक अपने दबंग अंदाज के रूप में अच्छी खासी पहचान रखती हैं. सब टीवी चैनल के धारावाहिक एफआईआर में हरियाणवी पुलिस इंस्पेक्टर चंद्रमुखी चौटाला के किरदार में कविता कौशिक ने बहुत सारी लोकप्रियता बटोरी.

अपने अभी तक के अभिनय करियर में बालाजी टेली फिल्म के कुटुंब सीरियल से शुरुआत करने वाली कविता कौशिक ने घर घर की कहानी, कुमकुम, सीआईडी आदि प्रसिद्ध सीरियलों में काम करके टीवी की दुनिया में अपना एक अलग नाम बनाया. लेकिन अगर पर्सनल लाइफ की बात करें तो प्यार मोहब्बत के मामले में कविता कौशिक पूरी तरह असफल रही, कविता कौशिक ने एक इंटरव्यू में बताया कि वह 5 साल तक किसी के प्यार में थी जिनका नाम नवाब शाह था और वह धर्म से मुस्लिम थे, जो कि मेरे पिता को जरा भी पसंद नहीं था, मेरे पिता नहीं चाहते थे कि मैं मुस्लिम धर्म में शादी करूं.

मेरे पिता को शादी से सख्त ऐतराज था. गौरतलब है चंद्रमुखी चौटाला उर्फ कविता कौशिक ने पांच सालों तक नवाब शाह को डेट किया था. लेकिन 5 सालों बाद कविता का नवाब के साथ ब्रेकअप हो गया. ब्रेकअप की वजह कविता कौशिक के पिता थे जो इन दोनों की शादी नहीं चाहते थे. कविता के अनुसार क्योंकि मैं अपने पिता से बहुत प्यार करती हूं और मैं उनको दुखी नहीं कर सकती. इसलिए मैंने यह रिश्ता खत्म करना ही सही समझा.

पर्सनली कविता को मुस्लिम धर्म से कोई आपत्ति नहीं है मुझे एक इंसान से प्यार था जो मेरे दिल के करीब था वह कौनसी जाति का है इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था. लेकिन मैं अपने पिता के खिलाफ भी नहीं जा सकती थी इसलिए मैंने 2017 में रोहित विश्वास से शादी कर ली थी .

Baidyanath Mahabhringraj Tel : सर्दियों में आपके बालों का दोस्त

Baidyanath Mahabhringraj Tel : सर्दियां एक लाजवाब मौसम होने के साथ-साथ हमारे बालों के लिए कई समस्याएं भी लेकर आती हैं. बालों का झड़ना, dandruff, और बालों का कमजोर होना – ये सब सर्दियों में आम समस्या बन जाती हैं. और जब बात आती है बालों की देखभाल की, तो बैद्यनाथ महाभृंगराज तेल एक ऐतिहासिक आयुर्वेदिक उपचार है जो इन सभी समस्याओं का समाधान करता है.

सर्दियों में बालों की समस्या

सर्दियों के मौसम में ठंडी और सूखी हवा बालों को नमी से वंचित कर देती है, जिससे बालों में रूखापन आ जाता है. इस कारण बालों का झड़ना, dandruff, और split ends जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं. इसके अलावा, सर्दी के मौसम में शरीर का stress भी बढ़ जाता है, जो बालों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. इन सभी कारणों से बालों को सही पोषण देना और उनकी सही देखभाल करना बहुत जरूरी हो जाता है.

बैद्यनाथ महाभृंगराज तेल क्यों खास है?

क्योंकि यह 15  आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का अद्भुत मिश्रण है जिसमें  मुख्यतः;

  1. तिलका तेल– बालों के विकास, रूसी, समय से पहले बालों के सफेद होने में मदद करता है
  2. भृंगराज– बालोंके स्वास्थ्य के साथसाथ यह सिरदर्द और मांसपेशियों की जकड़न को ठीक करने में भी मदद करता है.
  3. चंदनलाल (Red Sandalwood)– खोपड़ी को पोषण देने में मदद करता है, Hair follicles को मजबूत करता है, संक्रमण और झड़ने से रोकता है.
  4. हल्दी– Blood circulationमें सुधार करती है, रूसी में मदद करती है, खोपड़ी के स्वास्थ्य में सुधार करती है और इसमें antioxidants होते हैं.
  5. मुलेठी– चमकलाने, बालों का गिरना कम करने और रूसी कम करने में मदद करती है.
  6. कमलफूल– यह बालों की मजबूती में सुधार करने में मदद करता है, बालों को shiny और चमकदार बनाता है, खोपड़ी को पोषण देने में मदद करता है.

महाभृंगराज तेल के फायदे 

  1. बालों की वृद्धि को बढ़ावा देता है: यह तेल scalp पर blood flow को maintain करता है, जिससे बालों की growth को बढ़ावा मिलता है.
  2. बालों  का झड़ना कम करता है: महाभृंगराज तेल बालों की जड़ों को मजबूत करता है और सर्दी के मौसम में बढ़े हुए बालों के झड़ने को रोकता है.
  3. Dandruff से छुटकारा दिलाता है: इस तेल के moisturizing गुण dandruff की समस्या को कम करने में मदद करते हैं, जो सर्दियों में रूखी त्वचा और scalp के कारण बढ़ जाती है.
  4. बालों  को मजबूती और चमक देता है: नियमित उपयोग से महाभृंगराज तेल बालों को मजबूती और चमक देता है, जिससे बाल और भी स्वस्थ और खूबसूरत नजर आते हैं.
  5. तनावमुक्ति: इस तेल से सिर की हल्की मालिश तनाव को कम करने में मदद करती है, जिससे बालों की सेहत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

बैद्यनाथ महाभृंगराज तेल का इस्तेमाल कैसे करें?

  1. तेल को हल्का गर्म करें: तेल को थोड़ा गरम करें ताकि यह scalp में अच्छी तरह से समा जाए और बालों के रोम को पोषण दे सके.
  2. सिर की हल्की मालिश करें: तेल को अपने scalp पर अच्छी तरह से मसाज करें. इससे blood flow बेहतर होगा और बालों की जड़ों को मजबूती मिलेगी.
  3. इसे कुछ समय के लिए छोड़ें: तेल को कम से कम 1-2 घंटे या रात भर के लिए छोड़ें, फिर हल्के shampoo से धो लें.

4.नियमित उपयोग करें: महाभृंगराज तेल का नियमित रूप से 2-3 बार उपयोग करने से बालों की सेहत में सुधार होगा और यह सर्दियों में भी स्वस्थ बने रहेंगे.

अंतिम विचार

महाभृंगराज तेल का उपयोग करके आप बालों का झड़ना, dandruff, और split ends से निजात पा सकते हैं, और अपने बालों को प्राकृतिक मजबूती और वृद्धि दे सकते हैं. यह आयुर्वेदिक तेल बालों की देखभाल के लिए एक बेहतरीन समाधान है, जो न केवल बालों को स्वस्थ बनाता है, बल्कि आपको मानसिक तनाव से भी राहत देता है. तो, इस सर्दी में महाभृंगराज तेल का उपयोग करें और अपने बालों को सुंदर और मजबूत बनाएं!

Short Social Story : विविध परंपरा

Short Social Story : नगरनिगम के विभिन्न विभागों में काम कर के रिटायर होने के बाद दीनदयाल आज 6 माह बाद आफिस में आए थे. उन के सिखाए सभी कर्मचारी अपनीअपनी जगहों पर थे. इसलिए सभी ने दीनदयाल का स्वागत किया. उन्होंने हर एक सीट पर 10-10 मिनट बैठ कर चायनाश्ता किया. सीट और काम का जायजा लिया और फिर घर आ कर निश्चिंत हो गए कि कभी उन का कोई काम नगरनिगम का होगा तो उस में कोई दिक्कत नहीं आएगी.

एक दिन दीनदयाल बैठे अखबार पढ़ रहे थे, तभी उन की पत्नी सावित्री ने कहा, ‘‘सुनते हो, अब जल्द बेटे रामदीन की शादी होने वाली है. नीचे तो बड़े बेटे का परिवार रह रहा है. ऐसा करो, छोटे के लिए ऊपर मकान बनवा दो.’’

दीनदयाल ने एक लंबी सांस ले कर सावित्री से कहा, ‘‘अरे, चिंता काहे को करती हो, अपने सिखाएपढ़ाए गुरगे नगर निगम में हैं…हमारे लिए परेशानी क्या आएगी. बस, हाथोंहाथ काम हो जाएगा. वे सब ठेकेदार, लेबर जिन के काम मैं ने किए हैं, जल्दी ही हमारा पूरा काम कर देंगे.’’

‘‘देखा, सोचने और काम होने में बहुत अंतर है,’’ सावित्री बोली, ‘‘मैं चाहती हूं कि आज ही आप नगर निवेशक शर्माजी से बात कर के नक्शा बनवा लीजिए और पास करवा लीजिए. इस बीच सामान भी खरीदते जाइए. देखिए, दिनोंदिन कीमतें बढ़ती ही जा रही हैं.’’

‘‘सावित्री, तुम्हारी जल्दबाजी करने की आदत अभी भी गई नहीं है,’’ दीनदयाल बोले, ‘‘अब देखो न, कल ही तो मैं आफिस गया था. सब ने कितना स्वागत किया, अब इस के बाद भी तुम शंका कर रही हो. अरे, सब हो जाएगा, मैं ने भी कोई कसर थोड़ी न छोड़ी थी. आयुक्त से ले कर चपरासी तक सब मुझ से खुश थे. अरे, उन सभी का हिस्सा जो मैं बंटवाता था. इस तरह सब को कस कर रखा था कि बिना लेनदेन के किसी का काम होता ही नहीं था और जब पैसा आता था तो बंटता भी था. उस में अपना हिस्सा रख कर मैं सब को बंटवाता था.’’

दीनदयाल की बातों से सावित्री खुश हो गई. उसे  लगा कि उस के पति सही कह रहे हैं. तभी तो दीनदयाल की रिटायरमेंट पार्टी में आयुक्त, इंजीनियर से ले कर चपरासी तक शामिल हुए थे और एक जुलूस के साथ फूलमालाओं से लाद कर उन्हें घर छोड़ कर गए थे.

दीनदयाल ने सोचा, एकदम ऊपर स्तर पर जाने के बजाय नीचे स्तर से काम करवा लेना चाहिए. इसलिए उन्होंने नक्शा बनवाने का काम बाहर से करवाया और उसे पास करवाने के लिए सीधे नक्शा विभाग में काम करने वाले हरीशंकर के पास गए.

हरीशंकर ने पहले तो दीनदयालजी के पैर छू कर उन का स्वागत किया, लेकिन जब उसे मालूम हुआ कि उन के गुरु अपना नक्शा पास करवाने आए हैं तब उस के व्यवहार में अंतर आ गया. एक निगाह हरीशंकर ने नक्शे पर डाली फिर उसे लापरवाही से दराज में डालते हुए बोला, ‘‘ठीक है सर, मैं समय मिलते ही देख लूंगा,. ऐसा है कि कल मैं छुट्टी पर रहूंगा. इस के बाद दशहरा और दीवाली त्योहार पर दूसरे लोग छुट्टी पर चले जाते हैं. आप ऐसा कीजिए, 2 माह बाद आइए.’’

दीनदयाल उस की मेज के पास खडे़ रहे और वह दूसरे लोगों से नक्शा पास करवाने पर पैसे के लेनदेन की बात करने लगा. 5 मिनट वहां खड़ा रहने के बाद दीनदयाल वापस लौट आए. उन्होंने सोचा नक्शा तो पास हो ही जाएगा. चलो, अब बाकी लोगों को टटोला जाए. इसलिए वह टेंडर विभाग में गए और उन ठेकेदारों के नाम लेने चाहे जो काम कर रहे थे या जिन्हें टेंडर मिलने वाले थे.

वहां काम करने वाले रमेश ने कहा, ‘‘सर, आजकल यहां बहुत सख्ती हो गई है और गोपनीयता बरती जा रही है, इसलिए उन के नाम तो नहीं मिल पाएंगे लेकिन यह जो ठेकेदार करीम मियां खडे़ हैं, इन से आप बात कर लीजिए.’’

रमेश ने करीम को आंख मार कर इशारा कर दिया और करीम मियां ने दीनदयाल के काम को सुन कर दोगुना एस्टीमेट बता दिया.

आखिर थकहार कर दीनदयालजी घर लौट आए और टेलीविजन देखने लगे. उन की पत्नी सावित्री ने जब काम के बारे में पूछा तो गिरे मन से बोले, ‘‘अरे, ऐसी जल्दी भी क्या है, सब हो जाएगा.’’

अब दीनदयाल का मुख्य उद्देश्य नक्शा पास कराना था. वह यह भी जानते थे कि यदि एक बार नीचे से बात बिगड़ जाए तो ऊपर वाले उसे और भी उलझा देते हैं. यही सब करतेकराते उन की पूरी नौकरी बीती थी. इसलिए 2 महीने इंतजार करने के बाद वह फिर हरीशंकर के पास गए. अब की बार थोडे़ रूखेपन से हरीशंकर बोला, ‘‘सर, काम बहुत ज्यादा था, इसलिए आप का नक्शा तो मैं देख ही नहीं पाया हूं. एकदो बार सहायक इंजीनियर शर्माजी के पास ले गया था, लेकिन उन्हें भी समय नहीं मिल पाया. अब आप ऐसा करना, 15 दिन बाद आना, तब तक मैं कुछ न कुछ तो कर ही लूंगा, वैसे सर आप तो जानते ही हैं, आप ले आना, काम कर दूंगा.’’

दीनदयाल ने सोचा कि बच्चे हैं. पहले भी अकसर वह इन्हें चायसमोसे खिलापिला दिया करते थे. इसलिए अगली बार जब आए तो एक पैकेट में गरमागरम समोसे ले कर आए और हरीशंकर के सामने रख दिए.

हरीशंकर ने बाकी लोगों को भी बुलाया और सब ने समोसे खाए. इस के बाद हरीशंकर बोला, ‘‘सर, मैं ने फाइल तो बना ली है लेकिन शर्माजी के पास अभी समय नहीं है. वह पहले आप के पुराने मकान का निरीक्षण भी करेंगे और जब रिपोर्ट देंगे तब मैं फाइल आगे बढ़ा दूंगा. ऐसा करिए, आप 1 माह बाद आना.’’

हारेथके दीनदयाल फिर घर आ कर लेट गए. सावित्री के पूछने पर वह उखड़ कर बोले, ‘‘देखो, इन की हिम्मत, मेरे से ही सीखा और मुझे ही सिखा रहे हैं, वह नक्शा विभाग का हरीशंकर, जिसे मैं ने उंगली पकड़ कर चलाया था, 4 महीने से मुझे झुला रहा है. अरे, जब विभाग में आया था तब उस के मुंह से मक्खी नहीं उड़ती थी और आज मेरी बदौलत वह लखपति हो गया है और मुझे ही…’’

सावित्री ने कहा, ‘‘देखोजी, आजकल ‘बाप बड़ा न भइया, सब से बड़ा रुपइया,’ और जो परंपराएं आप ने विभाग मेें डाली हैं, वही तो वे भी आगे बढ़ा रहे हैं.’’

परंपरा की याद आते ही दीनदयाल चिंता मुक्त हो गए. अगले दिन 5000 रुपए की एक गड्डी ले कर वह हरीशंकर के पास गए और उस की दराज में चुपचाप रख दी.

हरीशंकर ने खुश हो कर दीनदयाल की फाइल निकाली और चपरासी से कहा, ‘‘अरे, सर के लिए चायसमोसे ले आओ.’’

फिर दीनदयाल से वह बोला, ‘‘सर, कल आप को पास किया हुआ नक्शा मिल जाएगा.’’

Short Stories 2025 : तेरी मेरी जिंदगी

Short Stories 2025 : रामस्वरूप तल्लीन हो कर किचन में चाय बनाते हुए सोच रहे हैं कि अब जीवन के 75 साल पूरे होने को आए. कितना कुछ जाना, देखा और जिया इतने सालों में, सबकुछ आनंददायी रहा. अच्छेबुरे का क्या है, जीवन में दोनों का होना जरूरी है. इस से आनंद की अनुभूति और गहरी होती है. लेकिन सब से गहरा तो है रूपा का प्यार. यह खयाल आते ही रामस्वरूप के शांत चेहरे पर प्यारी सी मुसकान बिखर गई. उन्होंने बहुत सफाई से ट्रे में चाय के साथ थोड़े बिस्कुट और नमकीन टोस्ट भी रख लिए. हाथ में ट्रे ले कर अपने कमरे की तरफ जाते हुए रेडियो पर बजते गाने के साथसाथ वे गुनगुना भी रहे हैं ‘…हो चांदनी जब तक रात, देता है हर कोई साथ…तुम मगर अंधेरे में न छोड़ना मेरा हाथ …’

कमरे में पहुंचते ही बोले, ‘‘लीजिए, रूपा, आप की चाय तैयार है और याद है न, आज डाक्टर आने वाला है आप की खिदमत में.’

दोनों की उम्र में 5 साल का फर्क है यानी रामस्वरूप से रूपा 5 साल छोटी हैं पर फिर भी पूरी जिंदगी उन्होंने कभी तू कह कर बात नहीं की हमेशा आप कह कर ही बुलाया.

दोस्त कई बार मजाक बनाते कि पत्नी को आप कहने वाला तो यह अलग ही प्राणी है, ज्यादा सिर मत चढ़ाओ वरना बाद में पछताना पड़ेगा. लेकिन रामस्वरूप को कोई फर्क नहीं पड़ा. वे पढ़ेलिखे समझदार इंसान थे और सरकारी नौकरी भी अच्छी पोस्ट वाली थी. रिटायर होने के बाद दोनों पतिपत्नी अपने जीवन का आनंद ले रहे थे.

अचानक एक दिन सुबह बाथरूम में रूपा का पैर फिसल गया और उन के पैर की हड्डी टूट गई. इस उम्र में हड्डी टूटने पर रिकवरी होना मुश्किल हो जाता है. 4 महीनों से रामस्वरूप अपनी रूपा का पूरी तरह खयाल रख रहे हैं.

रूपा ने रामस्वरूप से कहा, ‘‘मुझे बहुत बुरा लगता है आप को मेरी इतनी सेवा करनी पड़ रही है, यों आप रोज सुबह मेरे लिए चायनाश्ता लाते हैं और बैठेबैठे पीने में मुझे शर्म आती है.’’

‘‘यह क्या कह रही हैं आप? इतने सालों तक आप ने मुझे हमेशा बैड टी पिलाई है और मेरा हर काम बड़ी कुशलता और प्यार के साथ किया है. मुझे तो कभी बुरा नहीं लगा कि आप मेरा काम कर रही हैं. फिर मेरा और आप का ओहदा बराबरी का है. मैं पति हूं तो आप पत्नी हैं. हम दोनों का काम हमारा काम है, आप का या मेरा नहीं. चलिए, अब फालतू बातें सोचना बंद कीजिए और चाय पीजिए,’’ रामस्वरूप ने प्यार से उन्हें समझाया.

4 महीनों में इन दोनों की दुनिया एकदूसरे तक सिमट कर रह गई है. रामस्वरूप ने दोस्तों के पास आनाजाना छोड़ दिया और रूपा का आसपड़ोस की सखीसहेलियों के पास बैठनाउठना बंद सा हो गया. अब कोई आ कर मिल जाता है तो ठीक है नहीं तो दोनों अपनी दुनिया में मस्त रहते हैं.

रामस्वरूप का काम सिर्फ रूपा का खयाल रखना है और रूपा भी यही चाहती हैं कि रामस्वरूप उन के पास बैठे रहें.

कामवाली कमला घर की साफसफाई और खाना बना जाती है जिस से घर का काम सही तरीके से हो जाता है. बस, कमला की ज्यादा बोलने की आदत है. हमेशा आसपड़ोस की बातें करने बैठ जाती है रूपा के पास. कभी पड़ोस वाले गुप्ताजी की बुराई तो कभी सामने वाले शुक्लाजी की कंजूसी की बातें और खूब मजाक बनाती है.

रामस्वरूप यदि आसपास ही होते तो कमला को टोक देते थे, ‘‘ये क्या तुम बेसिरपैर की बातें करती रहती हो. अच्छी बातें किया करो. थोड़ा रूपा के पास बैठ कर संगीत वगैरह सुना करो. पूरा जीवन क्या यों ही लोगों के घर के काम करते ही बीतेगा?’’ इस पर कमला जवाब देती, ‘‘अरे साबजी, अब हम को क्या करना है, यही तो हमारी रोजीरोटी है और आप जैसे लोगों के घर में काम करने से ही मुझे तो सुकून मिल जाता है.

‘‘आप दोनों की सेवा कर के मुझे सुख मिल गया है. अब आप बताएं और क्या चाहिए इस जीवन में?’’

रामस्वरूप बोले, ‘‘कमला, बातें बनाने में तो तुम माहिर हो, बातों में कोई नहीं जीत सकता तुम से. जाओ, अब खाना बना लो, काफी बातें हो गई हैं. कहीं आगे के काम करने में तुम्हें देर न हो जाए.’’

पूरा जीवन भागदौड़ में गुजार देने के बाद अब भी दोनों एकदूसरे के लिए जी रहे हैं और हरदम यही सोचते हैं कि कुदरत ने प्यार, पैसा, संपन्नता सब दिया है पर फिर भी बेऔलाद क्यों रखा?

काफी सालों तक इस बात का अफसोस था दोनों को लेकिन 2-4 साल पहले जब पड़ोस के वर्माजी का दर्द देखा तो यह तकलीफ भी कम हो गई क्योंकि अपने इकलौते बेटे को बड़े अरमानों के साथ विदेश पढ़ने भेजा था वर्माजी ने. सोचा था जो सपने उन की जवानी में घर की जिम्मेदारियों की बीच दफन हो गए थे, अपने बेटे की आंखों से देख कर पूरे करेंगे. पर बेटा तो वहीं का हो कर रह गया. वहीं शादी भी कर ली और अपने बूढ़े मांबाप की कोई खबर भी नहीं ली. तब दोनों ने सोचा, ‘इस से तो हम बेऔलाद ही अच्छे, कम से कम यह दुख तो नहीं है कि बेटा हमें छोड़ कर चला गया है.’

आज सुबह की चाय के साथ दोनों अपने जीवन के पुराने दौर में चले गए. जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही परंपरागत तरीके से लड़कालड़की देखना और फिर सगाई व शादी कर के किस तरह से दोनों के जीवन की डोर बंधी.

जीवन की शुरुआत में घरपरिवार के प्रति सब की जिम्मेदारी होने के बावजूद रिश्तेनाते, रीतिरिवाज घरपरिवार से दूर हमारी दिलों की अलग दुनिया थी, जिसे हम अपने तरीके से जीते थे और हमारी बातें सिर्फ हमारे लिए होती थीं. अनगिनत खुशनुमा लमहे जो हम ने अपने लिए जीए वे आज भी हमारी जिंदगी की यादगार सौगात हैं और आज भी हम सिर्फ अपने लिए जी रहे हैं.

तभी रामस्वरूप बोले, ‘‘वैसे रूपा, अगर मैं बीमार होता तो आप को मेरी सेवा करने में कोई परेशानी नहीं होती क्योंकि आप औरत हो और हर काम करने की आप की आदत और क्षमता है लेकिन मुझे भी कोई तकलीफ नहीं है आप की सेवा करने में, बल्कि यही तो वक्त है उन वचनों को पूरा करने का जो अग्नि को साक्षी मान कर फेरे लेते समय लिए थे.

‘‘वैसे रूपा, जिंदगी की धूप से दूर अपने प्यारे छोटे से आशियाने में हर छोटीबड़ी खुशी को जीते हुए इतने साल कब निकल गए, पता ही नहीं चला. ऐसा नहीं है कि जीवन में कभी कोई दुख आया ही नहीं. अगर लोगों की नजरों से सोचें तो बेऔलाद होना सब से बड़ा दुख है पर हम संतुष्ट हैं उन लोगों को देख कर जो औलाद होते हुए भी ओल्डएज होम या वृद्धाश्रमों में रह रहे हैं या दुखी हो कर पलपल अपने बच्चों के आने का इंतजार कर रहे हैं, जो उन्हें छोड़ कर कहीं और बस गए हैं.

‘‘उम्र के इस मोड़ पर आज भी हम एकदूसरे के साथ हैं, यह क्या कम खुशी की बात है. लीजिए, आज मैं ने आप के लिए एक खत लिखा है. 4 दिन बाद हमारी शादी की सालगिरह है पर तब तक मैं इंतजार नहीं कर सका :

हजारों पल खुशियों के दिए,

लाखों पल मुसकराहट के,

दिल की गहराइयों में छिपे

वे लमहे प्यार के,

जिस पल हर छोटीबड़ी

ख्वाहिश पूरी हुई,

हर पल मेरे दिल को

शीशे सी हिफाजत मिली

पर इन सब से बड़ा एक पल,

एक वह लमहा…

जहां मैं और आप नहीं,

हम बन जाते हैं.’’

रूपा उस खत को ले कर अपनी आंखों से लगाती है, तभी डाक्टर आते हैं. आज उन का प्लास्टर खुलने वाला है. दोनों को मन ही मन यह चिंता है कि पता नहीं अब डाक्टर चलनेफिरने की अनुमति देगा या नहीं.

डाक्टर कहता है, ‘‘माताजी, अब आप घर में थोड़ाथोड़ा चलना शुरू कर सकती हैं. मैं आप को कैल्शियम की दवा लिख देता हूं जिस से इस उम्र में हड्डियों में थोड़ी मजबूती बनी रहेगी.

‘‘बहुत अच्छी और आश्चर्य की बात यह है कि इस उम्र में आप ने काफी अच्छी रिकवरी कर ली है. मैं जानता हूं यह रामस्वरूपजी के सकारात्मक विचार और प्यार का कमाल है. आप लोगों का प्यार और साथ हमेशा बना रहे, भावी पीढ़ी को त्याग, पे्रम और समर्पण की सीख देता रहे. अब मैं चलता हूं, कभीकभी मिलने आता रहूंगा.’’

आज दोनों ने जीवन की एक बड़ी परीक्षा पास कर ली थी, अपने अमर प्रेम के बूते पर और सहनशीलता के साथ.

Short Family Drama : अपराजिता

Short Family Drama : न्यूयार्क से 15 घंटे की लंबी यात्रा के बाद दिल्ली एअरपोर्ट पर डौलर को रुपए में चेंज करवा कर मैं गतिमान ऐक्सप्रैस द्वारा आगरा पहुंचा तो रेलवे स्टेशन पर तमाम टैक्सी और औटो वालों ने मुझे घेर लिया. सभी अंगरेजी में बात कर रहे थे, ‘‘सर, आप को अच्छे और हर सुखसुविधा युक्त होटल में ले चलते हैं बिलकुल ताजमहल के करीब… आप बालकनी से सुबहशाम ताज के दीदार कर सकते हैं.’’

मेरा आगरे का 1 माह का प्रवास था. ताजमहल पर एक किताब लिख रहा था. 1 माह के लिए मुझे सस्ते और अच्छे होटल की तलाश थी.

मैं ने उन टैक्सी/औटो चालकों से कहा, ‘‘प्लीज, मेरा रास्ता छोड़ो मैं खुद ही गूगल पर सर्च कर लूंगा,’’ क्योंकि मुझे पता था इन सब का होटल वालों से अच्छाखासा कमीशन होता है और ये विदेशी पर्यटकों को खूब लूटते हैं.

मुझे हिंदी बोलते देख कर वे सभी दंग रह गए. न्यूयौर्क में मेरे बहुत भारतीय मित्र थे और मैं उन के परिवारों से जुड़ा था है इसलिए मैं हिंदी बोल लेता था.

‘‘सर, मैं आप की मदद करूं?’’ एक बुजुर्ग व्यक्ति ने बहुत ही शालीनता और विनम्रता से मु?ा से पूछा.

‘‘आप क्या मदद करना चाहते हैं मेरी?’’

‘‘आप किसी महंगे होटल के बजाय हमारे घर रुकें तो आप को घर जैसा माहौल, शुद्ध और स्वादिष्ठ घर के भोजन के अतिरिक्त यहां का बहुत कुछ देखने को मिलेगा.’’

‘‘घर पर?’’

‘‘जी सर क्योंकि मेरी अपनी टैक्सी है. मेरा घर ताजमहल के बिलकुल नजदीक इलाके में है. हम अपने मेहमान पर्यटकों को घर के ऊपर वाले पोर्शन में ठहराते हैं. होटल जैसी आधुनिक सुविधाएं तो नहीं हैं लेकिन हम अपनी तरफ से अपने मेहमानों की हर सुखसुविधा का खयाल रखते हैं. टैरेस से ही ताजमहल का खूबसूरत नजारा दिखता है. मैं ने यह सेवा अभी शुरू करी है. आप मेरे पहले ग्राहक हैं. अगर आप को पसंद न आए तो कोई बात नहीं मैं आप को बाध्य नहीं करूंगा.’’

मु?ो उन का प्रस्ताव पसंद आ गया क्योंकि मुझे 1 माह आगरा रहना था. उन के साथ उन की टैक्सी में बैठ गया. स्टेशन से उस इलाके तक आने में लगभग 25 मिनट लगे होंगे. उन्होंने गाड़ी एक व्यस्त चौराहे पर रोक दी और बोले, ‘‘सर, आप को यहां से थोड़ा पैदल चलना होगा क्योंकि घर तक गाड़ी नहीं जा सकती.’’

गाड़ी से उतरते ही वहां का नजारा देख कर मैं अचरज से भर उठा. शोरशराबा, झंठ बने लोगों की मीटिंगनुमा वार्त्ता. मुझे देख कर बच्चे दौड़ते हुए आए और मुझ से ‘हैलोहैलो’ बोलने लगे उन की मासूमियत देख कर मैं मुसकरा उठा और उन के साथ सैल्फी ले ली.

टैक्सी वाले अंकल का घर एक संकरी लेकिन साफसुथरी गली में था. वे मुझे दूसरी मंजिल पर ले गए. टैरेस पर एक खुला और हवादार कमरा था. कमरे में 1 डबल बैड, एक कोने में मेजकुरसी और टेबललैंप था. मेज पर ताजे फूलों का एक गुलदस्ता रखा था. एक तरफ की दीवार पर लकड़ी की अलमारी थी. सामने दीवार पर एक बहुत ही खूबसूरत हाथ द्वारा बनाई गई राधाकृष्ण की सुंदर पेंटिंग टंगी थी. पूरा कमरा कलात्मक और सुरुचिपूर्ण ढंग से सुसज्जित था.

टैरेस के एक कोने में साफसुथरा वाशरूम था. पूरे टैरेस के चारों तरफ गमलों में गुलाब, गुड़हल और अन्य अनेक तरह के फूलों के पौधे लगे थे. वहीं बीच में लकड़ी की एक आरामकुरसी भी पड़ी थी. टैरेस से ताजमहल साफ नजर आ रहा था. उस टैरेस का प्राकृतिक और स्वच्छ वातावरण देख कर मेरा मन खुश हो गया और मैं ने हामी भर दी.

पैसों का पूछा तो अंकल ने हंस कर कहा,  ‘‘सर, आप चिंता मत करिए मैं मुनासिब पैसे

ही लूंगा और आप मेरे पहले ग्राहक भी हैं मोस्ट वैलकम.’’

‘‘प्लीज अंकल, आप मुझे फर्ज है आप मेरे नाम से ही संबोधित कीजिए मुझे. अच्छा लगेगा.’’

‘‘ओ के जौर्ज, आप फ्रैश हो जाइए, फिर हम आप को ब्रेकफास्ट में आगरा की मशहूर बेडई जलेबियां खिलाएंगे.’’

थोड़ी देर में अंकल गरमगरम बेडई जलेबियं ले आए. वास्तव में बहुत स्वादिष्ठ थीं.

‘‘आज आप आराम कीजिए. जब आप का दिल करे घूमने का तब मुझे बताइए.’’

नाश्ता करने के बाद में गहरी नींद में सो गया. शाम को 4 बजे के लगभग अंकल ने कहा, ‘‘जौर्ज, आप को 2-3 बार लंच के लिए बुलाने आया था लेकिन आप इतनी गहरी नींद में थे कि आप को जगाने की हिम्मत ही नहीं हुई. प्लीज, चलिए लंच तैयार है.’’

लंच के बाद मैं अपने कमरे में आ गया और अपनी किताब लिखने लगा. शाम को 7 बजे के लगभग मुंह पर कपड़ा बांधे एक लड़की टैरेस पर आई. पौधों को पानी देते हुए वह हर पौधे को बहुत ही अपनत्व भरी दृष्टि से निहार रही थी जैसे वे पौधे नहीं उस के अपने छोटे बच्चे हों.

वह लड़की रोज सुबहशाम नियमित रूप से पानी देती. एक मां की तरह उन की देखभाल करती. एक बार अंकल के साथ चायनाश्ता ले कर आई तब पता चला कि वह उन की बेटी अपराजिता है. मुझे लगा किसी स्किन ऐलर्जी की वजह से यह मुंह पर कपड़ा बांधती है मैं उसे रोज सुबहशाम देखता हालांकि मैं ने उस का चेहरा नहीं देखा था लेकिन पेड़पौधों के प्रति उस की आत्मीयता देख कर मैं मन ही मन उस से जुड़ गया. एक लगाव सा हो गया उस से. अगर उसे आने में जरा सी भी देर हो जाती तो मैं बेचैन सा हो जाता. ऐसा महसूस होने लगा कि मैं उस से प्रेम करने लगा हूं.

एक रोज जब वह पौधों को पानी दे रही थी तो मैं चुपके से उस के पीछे जा कर शरारत भरे लहजे में बोला, ‘‘प्लीज, अपने चेहरे से नकाब तो हटाओ जरा.’’

नकाब हटा दिया तो आप आसमान से सीधे धरती पर औंधे मुंह गिर पड़ोगे विदेशी बाबू,’’ वह व्यंग्य से बोली.

‘‘कोई बात नहीं गिरने दो मुझे.’’

‘‘तो देखो मेरा खूबसूरत चेहरा,’’ मुंह से कपड़ा हटाते हुए उस ने जोर से अट्टहास किया. उस का जला बीभत्स चेहरा देख कर मेरा सर्वांग कांप उठा और होठों से हलकी सी चीख निकल गई.

‘‘अब बस दीदार कर लिया न मेरे चेहरे का?’’ कहते हुए उस ने फिर से मुंह पर कपड़ा बांध लिया और सामान्य भाव से पौधों की देखभाल में पुन: रम गई.

मैं कमरे में आ कर बिस्तर पर धम्म से गिर पड़ा. इतने दिनों से परवान चढ़ रहा प्रेम एक गुब्बारे में पिन चुभाने पर फुस्स हो गया. हिम्मत ही नहीं हुई कि उस से पुंछूं कि यह सब कब, कैसे, किस ने और क्यों किया? अजीब सी मनोस्थिति हो गई थी मेरी.

उस से मानसिक धरातल से तो जुड़ चुका था मैं लेकिन शारीरिक तौर पर कदम अपनेआप ही पीछे लौट रहे थे. पता नहीं क्यों?

शायद यह सच है कि इंसान चेहरा देख कर ही प्यार करता है. बस चेहरा खूबसूरत और आकर्षक हो और मन कैसा भी हो चलेगा. उस रोज कुछ भी लिखने की इच्छा ही नहीं हुई.

रात को अंकल से पूछा, ‘‘अपराजिता के साथ किस ने ऐसा किया है?’’

यह सुन कर अंकल एकदम खामोश हो गए. आंखों में अनकहा दर्द उभर आया. ऐसा लगा जैसे मैं ने इन के किसी पुराने घाव को कुरेद दिया हो.

‘‘जौर्ज, मेरी बेटी अपराजिता मन से बहुत ही खूबसूरत स्वभाव और व्यवहार से बहुत ही सहज सरल और उदार है. वह चेहरे से भी बहुत खूबसूरत थी,’’ कहते हुए उन्होंने अपने मोबाइल में उस का पहले का फोटो दिखाया. वाकई में वह गजब की खूबसूरत थी.

‘‘लेकिन जौर्ज यही खूबसूरती उस के लिए अभिशाप बन गई.’’

‘‘ऐसा क्या हुआ अंकल?’’

‘‘हम दोनों भाई संयुक्त परिवार में रहते थे. साधारण रूपरंग की मेरी भतीजी को कोई भी लड़के वाला देखने आता तो उस के बजाय अपराजिता को पसंद कर लेता. अपराजिता तो लड़के वालों के सामने भी नहीं पड़ती थी लेकिन उस की सुंदरता, स्वभाव, व्यवहार और गुणों के चर्चे पूरी रिश्तेदारी में थे. इस वजह से मेरी भतीजी का कहीं भी संबंध नहीं हो पा रहा था. भाभी यह सह ना सकीं और एक दिन उन्होंने घर पर ही अपराजिता के चेहरे पर तेजाब डाल दिया.’’

‘‘उफ, तो आप ने अपनी भाभी के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट नहीं लिखवाई?’’

‘‘मैं तो चाहता था लेकिन अपराजिता ने मना कर दिया. अपनी ताईजी को माफ करते हुए सभी को बोल दिया किसी सिरफिरे ने उस के साथ यह घिनौनी हरकत करी है. भाभी को अपनी गलती का बेहद पछतावा हुआ.

उस का चेहरा देख कर कोई उस से घृणा करता है तो कोई तरस खाता है. अपने नाम के अनुरूप उस ने हिम्मत नहीं हारी. ताजमहल से लगभग 3 किलोमीटर दूरी पर ‘शीरोज हैंग आउट कैफे’ से वह जुड़ गई. इस कैफे हाउस को ऐसिड अटैक की विक्टम युवतियां ही चलाती हैं. इस कैफे हाउस में कौफी के अलावा शाकाहारी व्यंजन, बुटीक और खूबसूरत कलाकृतियों का काउंटर भी है.

अपराजिता स्वभाव और व्यवहार से जितनी सहज, सरल, विनम्र और उदार है उतनी ही स्वाभिमानी भी है. किसी की दया और तरस की मुहताज नहीं है. ऐसा हो जाने के बावजूद उस के अंदर जीने की ललक है और भरपूर आत्मविश्वास भी है.’’

सारी बातें सुन कर मु?ो अपराजिता से सहानुभूति नहीं बल्कि उस के हौसले और जज्बे पर गर्व हुआ. दूसरे दिन मैं ‘शीरोज हैंग आउट’ पहुंच गया. वहां उस के जैसी बहुत सी युवतियां और महिलाएं थीं.

‘‘अपराजिता,’’ मैं ने आवाज लगाई तो वह तुरंत आ गई. उस के चेहरे पर कपड़ा नहीं बंधा था.

‘‘जौर्ज आप यहां कैसे?’’ उस ने आश्चर्य भाव से पूछा.

‘‘क्या मैं यहां नहीं आ सकता?’’ मैं ने मुसकरा कर जवाब दिया और 1 कप कौफी की मांग करी.

कौफी पीने के बाद जब मैं ने पैसे पूछे तो उस ने बेहद आत्मीयता से मुसकरा कर कहा, ‘‘सर पे एज यू विश.’’

‘‘ऐसा क्यों?’’

‘‘सर, हमारे शीरोज की यही तो खासीयत है. यहां पर एक गरीब से ले कर एक अमीर तक कौफी और व्यंजनों का लुत्फ ले सकता है.’’

अब मैं रोज वहां जाने लगा. मुझे लगने लगा कि अब मैं अपराजिता को समझने लगा

हूं. उस के व्यवहार, उस की सोच और समझ को भी. रोज शीरोज जाने और प्रतिदिन टैरेस पर मिलने से मैं धीरेधीरे उस के करीब आ गया. मानसिक रूप से मैं खुद को तैयार कर रहा था कि उस से अपने मन की बात कह सकूं लेकिन कुछ कहने से पहले ही उस का चेहरा मेरे सामने आ जाता और मेरा इरादा बदल जाता. मैं अजीब दुविधा में था. मुझे खुद ही नहीं पता था कि मैं उस से प्यार करता भी हूं या नहीं.

दिल और दिमाग में एक युद्ध चलता रहता था. दिल कहता जब उस से प्यार करता है तो उस का इजहार कर. प्रेम में बाहरी सौंदर्य नहीं आंतरिक खूबसूरती का महत्त्व होता है. दिमाग बुद्धिमतापूर्ण तर्क देता कि बेवकूफ, क्यों पड़ा है इस बीभत्स चेहरे वाली लड़की के पीछे. 24 घंटे जब इस का चेहरा देखेगा तो खुद के फैसले पर रोएगा. भाग ले यहां से.

नहींनहीं, मैं अपराजिता से प्यार करता हूं सच्चा प्यार. क्या सिर्फ चेहरे की खूबसूरती सर्वोपरि होती है? अगर खूबसूरत चेहरे वाली लड़की से शादी करने के बाद यह हादसा हो गया तो? यह सोच कर पसीनापसीना हो गया. चंचल मन और क्रियावान दिमाग ने तुरंत ठोस तर्क दे डाला. इस का इलाज भी है तलाक. दिल और दिमाग की सारी दलीलें, सु?ाव और तर्क से मेरी सोचनेसमझने की शक्ति क्षीण हो गई.

एक बार को लगा काश, अपराजिता का पहले जैसा ही खूबसूरत और आकर्षक चेहरा होता तो मैं एक पल भी न लगाता आई लव यू कहने में. खुद को अंदर से मजबूत किया प्रपोज करने के लिए. चंचल मन फिर डगमगा गया क्यों प्रपोज कर रहा हूं तेजाब पीडि़त लड़की को? मुझे तो बहुत खूबसूरत लड़कियां मिल जाएंगी क्योंकि मैं आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी होने के साथसाथ बुद्धिजीवी प्राणी भी हूं.

तभी अंदर से आवाज आई क्या हुआ चेहरा ही तो कुरूप है बाकी देह तो हृष्टपुष्ट, आकर्षक और कमनीय है. चेहरे का क्या करना. अंतरंग पलों में तो वैसे भी अंधेरा होगा. चेहरा कहां व्यवधान उत्पन्न करेगा. हां, यही सही रहेगा.

‘‘अपराजिता, आई लव यू. शादी करना चाहता हूं मैं तुम से,’’ हिम्मत बटोर कर उसे बोल ही दिया.

वह जोर का ठहाका लगा कर बोली, ‘‘अच्छा मजाक कर लेते हैं जौर्ज आप.’’

‘‘अपराजिता, मैं मजाक नहीं कर रहा बल्कि सच बोल रहा हूं.’’

‘‘आखिर ऐसा क्या देख लिया आप ने मु?ा में जो मु?ा जैसी लड़की के साथ शादी जैसा महत्त्वपूर्ण फैसला ले लिया?’’ अपनी पारखी और अनुभवी नजरें जमाते हुए उस ने तुरंत पूछा.

‘‘मुझे कुछ नहीं पता सिर्फ यह पता है मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं,’’ कहते हुए मेरी जबान लड़खड़ा गई.

मेरी चंचल और अस्थिर मनोस्थिति को वह शायद भांप गई थी. मुसकराते हुए सामान्य भाव से बोली, ‘‘जौर्ज, यह प्यार नहीं है आप के चंचल और अस्थिर मन की भावनाएं हैं जो इस समय प्रबल वेग से अति उत्साहित हो कर कठोर और ठोस सत्य के पाषाण से टक्कर लेने के लिए मचल रही हैं जबकि वे स्वयं इस का परिणाम जानती हैं. प्लीज, शांत कर के इन्हें काबू में रखिए.’’

मगर मेरे अंदर तो एक जनून सवार था उस की आकर्षक, सुगठित और कमनीय देह को पाने का जिस की वजह से मैं संयम नहीं रख पा रहा था.

‘‘चाहे तुम कुछ भी कहो अपराजिता मैं ने फैसला ले लिया है. मैं तुम से ही शादी करूंगा यहीं इंडिया में और जल्द ही मैं आज ही इस संबंध में अंकल से बात करता हूं.’’ यह सुन कर अपराजिता भावात्मक स्तर पर थोड़ी

नम्र हो गई आखिर वह भी तो एक युवती ही थी. उस के अंदर भी तो चाहत और जज्बातों का समंदर था. जौर्ज की बात सुन कर उस समंदर में पूरे वेग से भावनाएं उफान मारने लगीं और वह रोमांचित हो उठी. लजाते हुए वहां से अपने कमरे में आ गई.

रातभर नींद नहीं आई. ढेरों सपने उस की आंखों में सजने लगे. हलदी, मेहंदी, ढोलक, बरात, जयमाला, फेरे, दूल्हा फिर… वह शर्म से दोहरी हो गई. अति उत्तेजनावश तकिए को अपनी छाती से भींच लिया और कंपकंपाते होंठ स्वयं ही बुदबुदा उठे, ‘‘लव यू जौर्ज लव यू सो मच.’’

रोज हसीन मुलाकातों का दौर शुरू हो गया. विवाह तिथि निश्चित हो गई. तैयारियां शुरू हो गईं.

जौर्ज के मन की मुराद पूरी होने वाली थी और अपराजिता के सुप्त और निस्तेज पड़े सपनों में एक नई जान, उत्साह, उमंग, जोश और रोमांच चरम पर आ गया था उस के साथ शीरोज वाली उस की सभी सखियां उस से ईर्ष्या कर रही थीं. परिजन, पासपड़ोसी और रिश्तेदार सभी हैरान थे कि ऐसी लड़की को खूबसूरत विदेशी युवक ने कैसे पसंद कर लिया?

शादी से चंद रोज पहले. एक सुबह अपराजिता चाय का कप ले कर समाचारपत्र देखने लगी. मुख्य पृष्ठ पर, ‘विदेशी युवक जौर्ज ने तेजाब पीडि़ता अपराजिता से किया शादी जैसा साहसिक फैसला,’ चित्र भी वही था जो ताजमहल में जौर्ज ने उस के साथ सैल्फी ली थी. पूरा अखबार जौर्ज की इस सराहनीय और प्रशंसनीय पहल से भरा पड़ा था. कहीं जौर्ज के प्यार का जिक्र नहीं था. वह एक तेजाब पीडि़ता के लिए मसीहा बन गया था.

उस का मन खिन्न हो गया. अखबार को तोड़मरोड़ कर फेंक दिया. मन शांत करने के लिए टीवी खोला. हर न्यूज चैनल पर वही खबर जौर्ज का साक्षात्कार उस के इस कदम की सराहना, प्रशंसा. पत्रकारों को बताते हुए उस का चेहरा गर्व से दमक रहा था कि वह एक तेजाब पीडि़ता से शादी कर के उस का जीवन संवारना चाहता है. प्यार का कहीं कोई जिक्र तक नहीं. अपराजिता को लगा जैसे वह शादी कर के उस पर दया कर रहा है. क्रोध से उस की मुट्ठियां भिंच गईं और तनबदन सुलग उठा.

‘‘जौर्जजौर्ज,’’ चीखते हुए उस के कमरे में आ गई, ‘‘जौर्ज यह खबर मीडिया तक कैसे पहुंची कि आप मु?ा से शादी कर रहे हैं.’’

‘‘मैं ने यह खबर खुद मीडिया को दी है,’’ जौर्ज गौरवान्वित स्वर में बोला.

‘‘लेकिन क्यों?’’ वह जोर से चीखी जिस से उस का चेहरा और भयानक हो उठा.

उस के चेहरे को गौर से देखते हुए जौर्ज उपेक्षा से बोला, ‘‘अरे, तुम जैसी ऐसिड पीडि़ता से शादी कर रहा हूं यह बात सब को पता तो चलनी चाहिए न,’’ उस के स्वर में अहंकार भाव आ गया था.

‘‘उफ, तो यह बात है मीडिया के जरीए हीरो बनने का शौक है आप को,’’ वह व्यंग्य से बोली.

‘‘अपराजिता, मेरा तो सिर्फ यह मकसद था कि मुझे देख कर अन्य लोग भी तुम जैसी लड़कियों से शादी करने के लिए आगे बढ़ें.

उन्हें भी प्यार और परिवार मिले जिस की वे हकदार हैं.’’

‘‘प्लीज जौर्ज, आप को सफाई देने की कोई जरूरत नहीं है. आइ एम सौरी मैं आप से शादी नहीं कर सकती. यह मेरा फैसला है गुड बाय,’’ कह कर अपराजिता ने खुले आसमान में सांस ली. उस का तनमन स्वाभिमानी हवा के एक झंके से दमक उठा.

जौर्ज उसे बस देखता ही रहा. उस में साहस ही नहीं था कि वह अपराजिता से कुछ कहे.

loveyapa : आमिर के बेटे जुनैद खान को कार से ज्यादा पसंद है ऑटो रिक्शा

loveyapa :  ग्लैमर वर्ल्ड में ज्यादातर लोगों को शो बिजनेस के तहत बड़ी-बड़ी कारों में ट्रैवल करना पसंद होता है . जिसकी वजह से टीवी इंडस्ट्री के कलाकार हो या ओटीटी और फ़िल्म इंडस्ट्री से जुड़े कलाकार ही क्यों ना हो , ज्यादातर लोगो को आलीशान कारों में यात्रा करना ही पसंद होता है .

लेकिन कुछ कलाकार ऐसे भी हैं जिन्हें शो ऑफ करना पसंद नहीं होता , शो ऑफ करने के बजाय वह ऐसे यात्रा करना पसंद करते हैं जिसमें समय की बचत हो सके . और मुंबई की ट्रैफिक में फंसने के बजाय ऐसी सवारी करे जो समय पर शूटिंग स्थल तक पहुंच सके. आमिर खान के बेटे जुनैद खान जो यश राज प्रोडक्शन की फिल्म फिल्म महाराजा से पहले ही काफी लोकप्रियता हासिल कर चुके हैं , और आमिर खान के बेटे होने के चलते पहले से ही लाइमलाइट में है उसी जुनैद खान को कार के बजाय ओटो रिक्शे में ट्रेवल करना ज्यादा पसंद है ,

जुनैद खान जो कि आज कल अपनी जल्द ही रिलीज़ होने वाली फिल्म ‘लवयापा’ के प्रमोशन में व्यस्त हैं जो की 7 फरवरी 2025 को रिलीज हो रही है. जुनैद ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि उनको रिक्शा में ट्रेवल करना ज्यादा पसंद है. जुनैद के अनुसार कार में ट्रैवलिंग के टाइम समय की बर्बादी होती है . क्योंकि ऑटो रिक्शा कहीं से भी पतली गली से भी निकल जाता है जब कि कार चलाते वक्त बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है कार पार्किंग की भी प्रॉब्लम होती है. इसलिए रिक्शा बेस्ट है ,

जुनैद के अनुसार खुशी और वह एक ही समय में घर से निकले थे मैं बांद्रा से आ रहा था और खुशी लोकेशन के पास ही थी , बावजूद इसके मेरे पहुंचने के 10 मिनट बाद खुशी की कार लोकेशन पर पहुंची. इसलिए मेरी हमेशा यही कोशिश रहेगी कि जितना हो सके मैं रिक्शा में ट्रेवल करूं. गौरतलब है मुम्बई में कई सारे एक्टर अपना मुंह छुपा कर समय बचाने के लिए इन दोनों मेट्रो , बाइक या रिक्शे से ट्रेवल कर रहे हैं. ताकि उनको घंटो तक ट्रैफिक में ना फंसना पड़े. जैसे कि अक्षय कुमार हेलमेट पहनकर मोटरबाइक से शूटिंग स्थल पर पहुंचते हैं , ताकि वह समय पर भी पहुंचे और हेलमेट पहने होने से कोई उन्हें पहचान भी नही पाता.

Movie : राशा थडानी के क्रश का नाम सुनकर कियारा के छूटे पसीने

Movie : हाल ही में रवीना टंडन की बेटी राशा थडानी जो अपनी खूबसूरती के लिए फिल्मों में आने से पहले ही चर्चा में रह चुकी है . उसी राशा की पिछले हफ्ते ही रिलीज हुई फिल्म आजाद भले ही फ्लॉप हो गई ,लेकिन उस फिल्म में राशा पर फिल्माया आइटम सॉन्ग उई अम्मा सुपरहिट लिस्ट में शामिल हो गया, आजाद फिल्म भले ही खास नहीं चली लेकिन राशा थडानी अपनी खूबसूरती और डांस की वजह से डिमांड में रही .

आजाद फिल्म प्रमोशन के दौरान राशा ने जब अपने पहले सेलिब्रिटी क्रश के बारे में बताया तो सभी आश्चर्यचकित हो गए और उनका क्रश को लेकर बयान भी वायरल हो गया , क्योंकि राशा ने जिस सेलिब्रिटी का नाम लिया वह सुनकर कियारा आडवाणी तो जरूर टेंशन में आ जाएंगी. क्योंकि राशा का पहला सेलिब्रेटी क्रश कोई और नहीं बल्कि 40 वर्षीय एक्टर सिद्धार्थ मल्होत्रा है.

राशा को सिद्धार्थ बहुत ही क्यूट और हैंडसम लगते है. और राशा भविष्य में सिद्धार्थ के साथ एक फिल्म में काम करने की इच्छा रखती है. बहरहाल सिद्धार्थ मल्होत्रा की आखरी बार फिल्म योद्धा 2024 में रिलीज हुई थी जो जो बुरी तरह फ्लॉप रही.

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