ज्योति एकाएक फूटफूट कर रो उठी, ‘‘मैं आप को ऐसे घुटघुट कर जीते नहीं देख सकती. आप मेरे दिल में बसे हैं. मैं बदनसीब आप के जीवन में खुशियां भरने के बजाय दुख, चिंता और तनाव भरने का कारण बनती जा रही हूं. मैं ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि मेरा प्रेम आप की परेशानी का कारण बन जाएगा. मेरी सम झ में नहीं आता कि मैं क्या करूं? मैं आप को ऐसे उदास और परेशान नहीं देख सकती.’’
‘‘तुम्हारी आंखों से बहते आंसू देख कर मेरे दिल को बहुत पीड़ा होती है, ज्योति. रोओ मत प्लीज,’’ प्रकाश की बांहों में कैद होने के बावजूद ज्योति का रोना बहुत देर तक बंद नहीं हुआ.
निशा ने प्रकाश का उतरा चेहरा देख कर चिंतित स्वर में पूछा, ‘‘क्या तबीयत ठीक नहीं है? इतनी देर कैसे लग गई घर आने में?’’
‘‘तुम सब हत्यारे हो,’’ प्रकाश रुंधे गले से बोला, ‘‘तुम सब ने मेरी ज्योति को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया- वह आज मु झे अकेला छोड़ कर बहुत दूर चली गई मु झ से.’’
‘‘हमें जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं आप. उस की आत्महत्या के लिए वह खुद जिम्मेदार थी अपने जीवन को उल झाने के लिए. दूसरों के लिए कांटे बोने वाले का अंत सदा ही दुख और पीड़ा से भरा होता है. इसे ही कहते हैं इंसाफ.’’
‘‘हम सब के मुकाबले वह कहीं ज्यादा नेक और सरल इंसान थी. निशा, मैं ही उस की जिंदगी में न आया होता तो वह आज जिंदा होती. ज्योति, ज्योति, तुम क्यों मु झे अकेला छोड़ कर चली गईं,’’ अपने हाथों में मुंह छिपा कर प्रकाश फूटफूट कर रोने लगा तो निशा पैर पटकती रसोई की तरफ चली गई.
अपनी बेटी के सगाई समारोह की समाप्ति के बाद अकेले में निशा प्रकाश से उल झ पड़ी, ‘‘खुशी के मौके पर आज दिनभर क्यों मुंह लटकाए रहे आप? सब मेहमानों को मु झ पर हंसने का मौका देने में आप को क्या मजा आता है?’’
‘‘मैं ऐसा कोई गलत प्रयास जानबू झ कर नहीं करता, निशा,’’ प्रकाश ने थकेहारे स्वर में जवाब दिया.
‘‘लेकिन आप की उदास सूरत देख कर तो लोग यही अंदाजा लगाते हैं न कि आप अभी तक अपनी मृत प्रेमिका को भूले नहीं हैं. मैं तुम्हें खुश और संतुष्ट नहीं रख सकती, इस कारण वे मु झ पर हंसते हैं.’’
‘‘ज्योति की यादों को भुलाना मेरे वश में होता तो मैं वैसा जरूर करता, निशा. मेरे कारण तुम खुद को परेशान करना छोड़ दो, प्लीज.’’
‘‘आप हंसनामुसकराना फिर से शुरू कर दीजिए,’’ निशा का स्वर कुछ कोमल हो उठा, ‘‘ज्योति की याद में अगर ऐसे उदास और बु झेबु झे रहेंगे तो आप का हाई ब्लडप्रैशर और ज्यादा बिगड़ता चला जाएगा.’’
‘‘अब और ज्यादा जीना नहीं चाहता मैं, मेरी फिक्र न किया करो,’’ प्रकाश का स्वर इतना टूटा और उदासी से भरा था कि निशा को अपना गला भर आया महसूस हुआ.
अपनी बहू के हाथ से पानी का गिलास ले कर निशा ने प्रकाश को पकड़ाया और चिंतित स्वर में बोली, ‘‘अपनी दवा ले लीजिए, आप की घबराहट और बेचैनी जल्दी ही कम हो जाएगी.’’
दवा खाने के बाद प्रकाश ने गहरी सांस छोड़ कर कहा, ‘‘अब दवा खाखा कर मैं ऊब चुका हूं, निशा. पता नहीं कब इन गोलीकैप्सूलों से छुटकारा मिलेगा.’’
‘‘आप कोशिश करें तो जल्दी ही आप की तबीयत में सुधार होने लगे,’’ निशा की आंखों में अचानक आंसू छलक आए, ‘‘देखिए, अब तो घर में बहू भी आ गई है. मु झ से तो आप जीवनभर नाराज रहे. नहीं की मैं ने आप की सेवा, मैं यह मान लेती हूं, पर अब तो बहू है घर में, उसे सेवा करने दीजिए. उस के कारण हंसाबोला कीजिए. मैं आप की आंखों के सामने आना ही बंद कर दूंगी. पर मैं आप से हाथ जोड़ कर विनती करती हूं कि खुश रहा करिए. ज्योति की मौत के बाद से आप एक बार भी तो सही ढंग से कभी नहीं हंसे.’’
‘‘ज्योति की आत्महत्या ने मेरे अंदर तक तोड़ डाला, कुछ ऐसा महत्त्वपूर्ण सदा के लिए चला गया कि मु झे अपना जीवन नीरस और बेकार लगने लगा है. सच तो यही है कि उसे भी मैं सुख नहीं दे पाया और तुम्हें भी परेशान रखा है आज तक. अब मु झे मौत ही…’’
निशा ने प्रकाश के मुंह पर हाथ रख दिया और फिर रोंआसी आवाज में बोली, ‘‘ऐसी बात मुंह से मत निकालिए. अगर आप को कुछ हो गया, तो मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊंगी.’’
‘‘मेरी बिगड़ी हालत के लिए तुम खुद को जिम्मेदार मानना बंद कर दो, निशा.’’
‘‘अगर मु झे बहुत पहले यह अंदाजा हो गया होता कि ज्योति से अलग हो कर आप की सेहत इतनी खराब हो जाएगी कि आप जीने की चाह और उत्साह भी खो देंगे तो मैं आप को आजादी दे देती. ज्योति के चले जाने के बाद भी तो आप मु झे नहीं मिल पाए. यों साथसाथ रहने से क्या होता है,’’ कहतेकहते निशा सुबकने लगी थी.
प्रकाश ने निशा का हाथ थपथपा कर बेबस स्वर में कहा, ‘‘मैं ऐसा करती, अगर ऐसा होता… ऐसे वाक्य सोचनेविचारने से कोई फायदा नहीं होता. अपने दिल, अपने अहंकार, अपने स्वार्थ और अपनी कामनाओं के हाथों हम सब मजबूर हैं. ये मजबूरियां हम से जानेअनजाने सबकुछ करा लेती हैं. बाद में पछताने और आंसू बहाने से कुछ नहीं होता.’’
‘‘हमारा जीवन बेहतर गुजर सकता था अगर मैं कुछ सम झदारी से काम लेती,’’ निशा बोली.
‘‘यह बात मु झ पर भी लागू होती है, सभी पर लागू होती है, निशा, लेकिन अतीत तो सदा के लिए हाथ से निकल कर खो जाता है. इस तरह सोच कर खुद को दुखी न करो. अब सोने की कोशिश करो,’’ हाथ बढ़ा कर प्रकाश ने बत्ती बु झा दी, पर उन दोनों की आंखों से नींद बहुत देर तक दूर रही थी.
अस्पताल के आपातकालीन वार्ड के पलंग पर लेटे प्रकाश से निशा ने हौसला बढ़ाते हुए कहा, ‘‘डाक्टर महेश शहर के सब से काबिल हृदय रोग विशेषज्ञ हैं. उन के द्वारा लिखी दवाओं के शुरू होते ही आप जल्दी ठीक होने लगेंगे.’’
‘‘2 बार दिल का दौरा पड़ चुका है मु झे. अब मैं क्या ठीक होऊंगा,’’ प्रकाश के होंठों पर उदास सी मुसकान उभरी.
‘‘उदासी और निराशा का शिकार हो कर आप ने अपने शरीर को घुन लगा लिया. ज्योति को भूल जाने की कभी दिल से कोशिश ही नहीं की आप ने. आप की यही नासम झी आज आप को यहां तक ले आई. कम से कम अब तो…’’ भावावेश का शिकार होने के कारण निशा का गला अचानक रुंध गया था.
‘‘तुम ठीक ही कह रही हो, निशा. ज्योति ने जिस दिन आत्महत्या की उसी दिन से मेरी जीने की चाह जाती रही. अपनी मौत का साया मु झे अब अपने सिर मंडराता साफ दिख रहा है, पर मेरी मौत के दिन की उलटी गिनती तो ज्योति की मौत के साथ ही शुरू हो गई थी. मेरी नासम िझयों के लिए तुम मु झे माफ कर देना.’’ प्रकाश की आवाज तभी उस के सिर के ऊपर लगी मशीन से निकलने वाले खतरे के अलार्म की आवाज में दब गई थी.
डाक्टर और नर्सों की भीड़ को प्रकाश की तबीयत संभालने के प्रयास में जीजान से लगा देख निशा का चेहरा अपने पति की संभावित मौत की आशंका से पीला पड़ गया और वह बेहद दुखी व कांपती आवाज में बुदबुदा उठी, ‘‘तुम खुशकिस्मत हो, प्रकाश. तुम्हें जीवन के एक मोड़ पर ज्योति का सच्चा प्यार मिला तो सही. मैं बदकिस्मत न तुम्हें प्रेम कर पाई, न तुम्हारा प्यार पा सकी. वक्त रहते न मैं ने खुद को बदला न तुम्हें ज्योति को सौंपने की सम झदारी दिखाई. तुम भी मु झे माफ कर देना.’’
निशा की बात पूरी होने के साथ ही प्रकाश के बीमार दिल ने सदा के लिए धड़कना बंद कर दिया था.