‘पुष्पा 2’ के लिए 300 करोड़ रुपए, फीस के मामले में Allu Arjun ने सलमान को पछाड़ा

बौलीवुड में अल्लू अर्जुन की फिल्म पुष्पा ने 3 साल पहले धमाल मचा दिया था. साउथ की फिल्म पुष्पा को डब फिल्म के तौर पर हिंदी औडियंस द्वारा बहुत सहारा सराहा गया. जिसके पास सुकुमार के निर्देशन में बन रही फिल्म पुष्पा 2 का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार है. इस फिल्म में अल्लू अर्जुन (Allu Arjun) की हीरोइन रश्मिका मंदाना ही है . जैसेजैसे फिल्म की रिलीज डेट सामने आ रही है जो इसी साल दिसंबर के पहले हफ्ते में सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली है, पुष्पा 2 को लेकर कई सारी बातें सामने आ रही हैं.

जिसके तहत एक खास खबर सामने आई है. अल्लू अर्जुन ने पुष्पा 2 के लिए जो पारिश्रमिक लिया है वह पुष्पा के पारिश्रमिक से डबल है. प्राप्त सूत्रों के अनुसार अल्लू अर्जुन ने फिल्म पुष्पा के लिए 100 से 125 करोड़ के बीच पारिश्रमिक लिया था.

लेकिन अब खबर है अल्लू अर्जुन ने पुष्पा 2 के लिए 300 करोड़ के करीब पारिश्रमिक लिया है. जिसके बाद पारिश्रमिक के मामले में अल्लू अर्जुन ने सलमान खान शाहरुख खान, प्रभास, और रजनीकांत सबको पीछे छोड़ दिया है. अब देखना यह है अल्लू अर्जुन की पुष्पा 2 बौक्स औफिस पर पैसा वसूल फिल्म बनती है या नहीं. साउथ के सुपरस्टार अल्लू अर्जुन की फिल्म पुष्पा 2 बौलीवुड पर कितना भारी पड़ती है ? ये तो आने वाला वक्त ही बता पाएगा.

कोरियोग्राफर Geeta Kapur को सलमान खान के साथ है बड़ा वाला क्रश

51 वर्षीय प्रसिद्ध करोड़पति कोरियोग्राफर गीता कपूर (Geeta Kapur) जो गीता मां के नाम से डांस शोज में प्रसिद्ध है. वह अभी तक कुंवारी है. शादी न होने के पीछे कई सारी वजह है इन सभी वजह में गीता मां की मां की खराब सेहत भी शामिल थी जिसकी वजह से भी मां की देखभाल के चक्कर मे गीता मां ने शादी नहीं की.

हाल ही में जब उनको शादी के लिए सवाल पूछा गया. तो उन्होंने बताया कि फिलहाल वह शादी के लिए अथार्त लांग टर्म रिलेशनशिप के लिए मेंटली तैयार नहीं है.

गीता के अनुसार एक बार वह लिव इन रिलेशनशिप में रहने के बारे में जरूर सोच सकती हैं. लेकिन शादी को लेकर उन्होंने अभी कुछ सोचा नहीं है. गीता का मानना है वह जब होनी होगी तो कोई नहीं रोक पाएगा. अपने पहले क्रश के बारे में बताते हुए गीता का कहना है सलमान खान उनका बहुत बड़ा वाला क्रश है और यह बात सलमान भी जानते हैं.

गीता ने पुरानी यादों को ताजा करते हुए बताया. एक बार जब सलमान ने उनसे बात की थी तो वह इतनी भावुक हो गई थी कि उनको रोना आ गया था. गीता कपूर के आल टाइम पसंदीदा ऐक्टर सलमान खान हैं जिन पर वह जान छिड़कती हैं. गीता के अनुसार ऐसा नहीं है कि उन्हें कभी किसी से प्यार नहीं हुआ या वह रिलेशनशिप में नहीं रही. उनकी जिंदगी में कुछ लोग आये गए लेकिन प्यार वाला मामला फिट नहीं हुआ. शायद यही वजह है कि वह अभी तक कुंवारी है और हाल फिलहाल उनका शादी का कोई इरादा भी नहीं है. गीता के अनुसार रब ने अगर जोड़ी बनाई है तो शादी भी हो जाएगी और वह टीकाऊ और लंबे समय तक चलने वाली शादी होगी.

Bigg Boss 18 की गिरती टीआरपी को संभालने के लिए हुई इस मौडल की एंट्री, क्या हौट अंदाज से जीत पाएंगी दर्शकों का दिल

कलर्स चैनल के अति चर्चित रियलिटी शो बिग बौस के सारे सीजन के अभी तक के बिग बौस सीजन में सबसे खराब टीआरपी बिग बौस 18 (Bigg Boss 18) की रही है . 45 दिन होने के बावजूद बिग बौस 18 के प्रतियोगी दर्शकों को रिझा नहीं पा रहे हैं. लिहाजा बिग बौस को हौट बनाने के लिए और टीआरपी बढ़ाने के लिए कलर्स चैनल वालों ने तड़का लगाने की कोशिश शुरू कर दी है. जिसके चलते ठंडा बिग बौस को हौट करने के लिए तीनतीन नए प्रतियोगियों की बिग बौस 18 में वाइल्ड कार्ड एंट्री हुई है.

जिसके बाद सारे लड़के प्रतियोगी तो बहुत खुश नजर आ रहे हैं, लेकिन लड़कियों को टेंशन आना शुरू हो गया है. क्योंकि ग्लैमर का तड़का, इन 3 वाइल्ड कार्ड एंट्री ने आलरेडी शुरू कर दिया है जिसकी शुरुआत आज से यानी 19 नवंबर से होगी. प्रोमोज में ये तीनों कन्याएं सैक्सी अंदाज में ठुमके लगाती नजर आ रही हैं.

यह नए वाइल्ड कार्ड प्रतियोगी कुछ इस प्रकार है..

बिग बौस 18 की पहली वाइल्ड कार्ड एंट्री एडिन रोज (Edin Rose) हैं जो कि एक मौडल और ऐक्ट्रैस है वह साउथ के सुपरस्टार रवि तेजा के साथ काम कर चुकी हैं. दूसरी प्रतियोगी यामिनी मल्होत्रा है जिन्होंने पौपुलर शो गुम है किसी के प्यार में, में काम किया है. तीसरी प्रतियोगी अदिती मिस्त्री हैं, जो फिटनेस इनफ्लुएंसर और बिजनेस वूमेन भी है,जो सोशल मीडिया पर अपने हौट एंड सौक्सी अंदाज को लेकर काफी पौपुलर है. अब यह तीन वाइल्ड कार्ड एंट्री बिग बौस 18 की टीआरपी को कितना संभाल पाएंग , यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

TMKOC : जेठालाल और शो के प्रोड्यूसर के बीच हुई हाथापाई, अब दिलीप जोशी ने तोड़ी चुप्पी

तारक मेहता का उल्टा चश्मा (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) दर्शकों का फेवरेट शो है. इस शो के हर कलाकार अपने किरदार से लोगों के बीच फेमस हैं. तारक मेहता के जेठालाल यानी दिलीप जोशी (Dilip Joshi) को लेकर मीडिया में बड़ी खबर सामने आई थी. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक दावा किया गया था कि सेट पर जठेलाल और शो के प्रोड्यूसर असित मोदी (Asit Modi) के बीच हाथापाई हुई. खबरों के मुताबिक जेठालाल ने शो के निर्माता से कुछ दिनों के लिए छुट्टी मांगी थी, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया. दोनों के बीच तीखी लड़ाई हुई और इसी बीच जेठलाल को असित मोदी का कौलर खींचने पर आ गये थे. तो वहीं अब जेठालाल यानी दिलीप जोशी का आया ताजा बयान ने सबको चौंका दिया है.

जेठालाल ने इस विवाद को बताया अफवाह

दिलीप जोशी ने इस विवाद को अफवाह बताया है. जेठलाल ने एक बयान जारी करते हुए कहा है, कि , ‘मैं बस इन सभी अफवाहों के बारे में सब कुछ साफ करना चाहता हूं. मेरे और असित भाई के बारे में मीडिया में कुछ ऐसी कहानियां हैं जो पूरी तरह से झूठी हैं और ऐसी बातें सुनकर मुझे वाकई दुख होता है.  ऐक्टर ने आगे कहा कि ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ एक ऐसा शो है जो मेरे और लाखों प्रशंसकों के लिए बहुत मायने रखता है और जब लोग बेबुनियाद अफवाहें फैलाते हैं तो इससे न केवल हमें बल्कि हमारे वफादार दर्शकों को भी दुख होता है.

शो नहीं छोड़ रहे जेठालाल

जेठालाल ने आगे कहा कि पहले मेरे शो छोड़ने की अफवाह सामने आई थी. जो पूरी तरह से फेक थी. अब तो ऐसा लगता है कि शो को बदनाम करने के लिए नई कहानी आती रहती है.

मीडिया से दिलीप जोशी ने की गुजारिश

‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के जेठालाल ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘हम सभी इस शो को सर्वश्रेष्ठ बनाने की अपनी प्रतिबद्धता में एक साथ खड़े हैं और मैं बस यही चाहता हूं कि मीडिया ऐसी दुखद कहानियों को छापने से पहले तथ्यों की पुष्टि करने के लिए एक पल ले. आइए इस शो द्वारा इतने सारे लोगों के लिए लाई गई सकारात्मकता और खुशी पर ध्यान दें. हमेशा हमारा समर्थन करने के लिए हमारे प्रशंसकों का धन्यवाद, यह वास्तव में दुनिया का मतलब है.’

पैबंद: क्या रमा ने पति को छोड़ दिया

घंटी बजी तो दौड़ कर उस ने दरवाजा खोला. सामने लगभग 20 साल का एक नवयुवक खड़ा था.

उस ने वहीं खड़ेखडे़ दरवाजे के बाहर से ही अपना परिचय दिया,”जी मैं मदन हूं, पवनजी का बेटा. पापा ने आप को संदेश भेजा होगा…”

“आओ भीतर आओ,” कह कर उस ने दरवाजे पर जगह बना दी.

मदन संकोच करता हुआ भीतर आ गया,”जी मैं आज ही यहां आया हूं. आप को तकरीबन 10 साल पहले देखा था, तब मैं स्कूल में पढ़ रहा था.

“आप की शादी का कार्ड हमारे घर आया था, तब मेरे हाईस्कूल के  ऐग्जाम थे इसलिए आप के विवाह में शामिल नहीं हो सका था. मैं यहां कालेज की पढ़ाई के लिए आया हूं और यह लीजिए, पापा ने यह सामान आप के लिए भेजा है,”कह कर उस ने एक बैग दे दिया. बैग में बगीचे के  ताजा फल, सब्जियां, अचार वगैरह थे.

उस ने खूब खुशी से आभार जता कर बैग ले लिया और उस को चायनाश्ता  वगैरह सर्व किया.

इसी बीच उस ने जोर दे कर कहा,”तुम यहीं पर रहो. मैं तुम्हारे पापा को कह चुकी हूं कि सबकुछ तैयार मिल जाएगा. तुम अपनी पढ़ाईलिखाई पर ध्यान देना.”

मदन यह सुन कर बस एक बार में ही मान गया मानों इसी बात को सुनने के  लिए बैचेन था. वह उठा और जल्दी से अपना सब सामान, जो उस ने बाहर बरामदे मे रखा था भीतर ले आया.

उस दिन मदन अपना कमरा ठीक करता रहा. कुछ ही देर बाद वह वहां अपनापन महसूस करने लगा था मगर उस का दिल यहां इतनी जल्दी लग जाएगा यह उस ने सोचा ही नहीं था.

अगले दिन मदन को उस ने अपने पति से मिलवाया. मदन हैरान रह गया कि वे मकान के सब से पिछले कमरे मे खामोश लेटे हुए थे.

‘कमाल है, कल दोपहर से रात तक इन की आवाज तक सुनाई नहीं दी,’मदन सोचता रहा .

उस ने मदन की सोच में व्यवधान डालते हुए कहा,”दरअसल, बात यह है कि यह दिनभर तो सोते रहते हैं  और रातभर जागते हैं. मगर कल कुछ ऐसा हुआ कि दिनभर और रातभर सोते ही रहे.”

वह मदन के आने से बहुत ही खुश थी. 2 लोगों के सुनसान घर में कुछ रौनक तो हो गई थी.

1 सप्ताह बाद एक दिन मदन रसोई में आ कर उस का हाथ बंटाने लगा तो वह हंस कर बोली,”अभी तुम बच्चे हो. तुम्हारा काम है पढ़ना.”

जवाब में उस ने कहा,”हां, पढ़ना तो मेरा काम जरूर है मगर इतना भी बच्चा नहीं हूं मैं, पूरे 21 बरस का हूं…”

उस ने आश्चर्य से देखा तो मदन बोला,”12वीं में 1 साल खराब हो गया था इसलिए वरना अभी कालेज में सैकेंड ईयर में होता.”

“हूं…” कह कर वह चुप हो गई.

एक दिन बातोंबातों में मदन ने उस से पूछा,”आप के पति को क्या हुआ है? वे कमरे में अकसर क्यों रहते हैं?”

“वे बिलकुल फिट थे पहले तो. अच्छाखासा कारोबार देख रहे थे. हमारा सेब और चैरी का बगीचा है.  उस से बहुत अच्छी आमदनी होती है.

“हुआ यह कि ये पिछले साल ही पेड़ से गिर पड़े. सब इलाज करा लिया है… कंपकंपा कर चल पाते हैं फिलहाल तो.

“10 कदम चलने में भी पूरे 10 मिनट लगते हैं. इसलिए अपने कमरे में ही चहलकदमी करते हैं. सप्ताह में 2 दिन फिजियोथेरैपी कराने वाला आता है बाकी फिल्में देखते हैं, उपन्यास पढ़ते हैं.

“धीरेधीरे ठीक हो जाएंगे. डाक्टर ने कहा है कि समय लगेगा पर फिर आराम से चलने लगेंगे.”

“ओह…”

मदन ने यह सुन कर उन की तरफ देखा. वह जानता था कि मुश्किल से 4-5 साल ही हुए होंगे इन के विवाह को. उस ने अंदाज लगाया और अपनी उंगली में गिनने लगा.

वह फिर बोली,”हां 4 साल हो गए हैं इस अप्रैल में. याद है ना तुम्हारी 10वीं के पेपर चल रहे थे तब.

“और उस से पहले भी मैं आप से नहीं मिला था. शायद 7वीं में पढ़ता था तब एक बार आप को देखा था. आप पापा के पास कुछ किताबें ले कर आई थीं.”

“हां…हां… तब तुम्हारे पापा मेरे इतिहास के शिक्षक थे और मैं उन को किताबें लौटाने आई थी. उस के बाद मैं दूसरे स्कूल में जाने लगी थी और तुम्हारे पापा मेरे अध्यापक से मेरे भाई बन गए थे.”

दिन गुजरते रहे. मदन को वहां रहते 5 महीने हो गए थे. वह यों तो लड़कपन के उबड़खाबड़ रास्ते पर ही चल रहा था लेकिन यह साफ समझ गया था कि इन दोनों की खामोश जिंदगी में फिजियोथेरैपिस्ट के अलावा वही है जो थोड़ाबहुत संगीत की सुर, लयताल पैदा कर रहा था.

मदन ने देखा था कि बगीचे में काम करने वाले ठेकेदार वगैरह भी एकाध बार आए थे और कोई बैंक वाला भी आता था, पर कभीकभी.

मदन आज बिलकुल ही फुरसत में था इसलिए वह गुनगुनाता हुआ रसोई में गया और चट से उस की दोनों आंखें बंद कर के उस के कानों में मुंह लगा कर बोला,”रमा, आज मैं कर दूंगा सारा काम. तुम इधर आओ…यहां बैठो, इस जगह…” और वह हौलेहौले रमा के मुलायम, अभीअभी धुले गीले और खुशबूदार बालों को लगभग सूंघता हुआ उस को एक कुरसी पर बैठाने लगा लेकिन रमा उस को वहां बैठा कर खुद उस की गोद में आसीन हो गई.

दोनों कुछ पल ऐसे ही रहे. न हिलेडुले  न कुछ बोले बस, चुपचाप एकदूसरे को महसूस करते रहे. 2 मिनट बीते होंगे कि कहीं से कुछ खांसने की सी आवाज आई तो दोनों चौंक गए और घबरा कर रमा ने मदन को अपनेआप से तुरंत अलग किया हालांकि मदन की इच्छा नहीं थी कि वह उस से अलग हो.

मदन मन ही मन बीती दोपहर की उस मधुर बेला को अचानक याद करने लगा और उस के चेहरे पर एक शरारती मुसकान तैर गई. रमा ने यह सब ताड़ लिया था वह उस के दाहिने गाल पर एक हलकी सी चपत लगा कर और बाएं गाल पर मीठा सा चुंबन दे कर उठ खड़ी हुई.

उसी पल मदन भी यह फुसफुसाता हुआ कि दूसरे गाल से इतनी नाइंसाफी क्यों, अपनी जगह से खड़ा हो गया और उस के बगल में आ कर  काम करने लगा.

रमा के बदन में जैसे बिजली कौंध रही थी. वह कितनी प्रफुल्लित थी, यह उस का प्यासा मन जानता था. वह तो ऐसे अद्भुत अनुभव को तरस ही गई थी मगर मदन ने उस का अधूरापन दूर कर दिया था. तपते  रेगिस्तान में इतनी बरसात होगी और इतनी शानदार वह खुद बीता हुआ  कल याद कर के पुलक सी उठी थी.

खांसने की आवाज दोबारा आने लगी थी. वह 2 कप चाय ले कर मदन को प्यार से देखती हुई वहां से निकली और पति के कमरे तक पहुंच गई. मदन चाय की चुसकियां लेते हुए  अपने लिए नाश्ता बनाने लगा.

उस ने जानबूझ कर 2 बार एक छोटी कटोरी फर्श पर गिराई मगर रमा उस के इस इशारे को सुन कर भी उस के पास नहीं गई.

पति की दोनों हथेलियों को सहलाती हुई रमा उन में मदन की देह को महसूस करती रही और अपनेआप से बोलती रही,’प्यार हमारे जीवन में बिलकुल इसी तरह आना चाहिए किसी उन्मुक्त झरने की तरह,’उस के भीतर गुदगुदहाट सी मदहोशी छा रही थी.

लेकिन रमा इस बात से बिलकुल ही  बेखबर थी कि पति को उस का अनजाना सा स्पर्श उद्वेलित कर रहा था. वे कल से एक नई रमा को देख कर हैरान थे.

इस पूरे हफ्ते रमा ने और भी कुछ नयानया सा रूप दिखाया था. वह उन की तरफ पीठ कर के लेटती थी मगर अब तो वे दोनों बिलकुल आमनेसामने होते थे.

यह वही रमा है… वे हैरान रह गए थे. उन को याद आ रहा था कि जिस को अपने पति की इतनी सी गुजारिश भी नागवार गुजरती थी, जब वे कहते थे कि रमा मेरी दोनों हथेलियां थाम लो ना… रमा वे कुछ सैकेंड अनमने मन से उन को अपने हाथों में पकड़ लेती और फिर करवट ले कर गहरी नींद में खो जाती थी.

अब आजकल तो चमत्कार हो रहा था. रमा जैसे नईनवेली दुलहन सी बन चुकी थी और उस के ये तेवर और अंदाज उन को चकित कर रहे थे.

मदन भी जो शुरूशुरू में उन से कभीकभार ही एकाध सैकेंड को ही  मिलता था, वह अब कंधे भी दबा रहा था, चाय भी पिला रहा था.

एक दिन रसोई से कुछ अजीब सी आवाजें आ रहीं थीं जैसे 2 लोग लड़ाई कर रहे हों लेकिन बगैर कुछ बोले वे पहले तो हैरान हो कर कल्पना करते रहे फिर छड़ी के सहारे हौलेहौले वहां तक पहुंचे तो देख कर स्तब्ध ही रह गए. वहां 2 दीवाने एकदूसरे मे खोए हुए थे और इतना कि उन दोनों में से किसी एक को भी उन के होने की आहट तक नहीं थी.

वे वापस लौट गए तो कुछ कदम चलने के बाद अपने कमरे के पास ही अचानक ही लड़खङा गए.

खट…की सी आवाज आई. इस आवाज से मदन चौंक गया था मगर रमा की किलकारी गूंज उठी थी,”10 कदम में भी उन को पूरे 10 मिनट लगते हैं…”

और फिर 2 अलगअलग आवाजों की  खिलखिलाहट कोई दैत्य बन कर रसोई से दौड़ कर आई और अपना रूप बदल लिया. अब वह छिछोरी हंसी उन के कानों में गरम तेल बन कर दिल तक उतरती चली गई. सीने की जलन से तड़प कर वे चुपचाप लेट गए. आंखें बंद कर लीं, दोनों मुट्ठियां कस कर भींच ली और लेटे रहे मगर किसी भी हालत में एक आंसू तक नहीं बहने दिया.

रमा को जो जीवन एक लादा हुआ जीवन लग रहा था अब वही जीवन फूल सा, बादलों सा, रूई के फाहे सा लग रहा था. वह मदन के यहां आने को कुदरत के किसी करिश्मे की तरह मान चुकी थी.

मदन को यहां 1 साल पूरा होने जा रहा था और रमा अब खिल कर निखरनिखर सी गई थी.

सुबहशाम और रातरात भर पूरा जीवन मस्ती से सराबोर था. बस एक ही अजीब सी बात हो रही थी…

रमा ने गौर किया कि इन दिनों पति शाम को जल्दी सो जाते हैं. इतना ही नहीं वे अपने दोनों हाथ तकिए में बिलकुल छिपा कर रखते हैं.

सहारा: सुलेखा के आजाद ख्याल ने कैसे बदली उसकी जिंदगी

‘‘शादी…यानी बरबादी…’’ जब उस की मां ने उस के सामने उस की शादी की चर्चा छेड़ी तो सुलेखा ने मुंह बिचकाते हुए कहा था, ‘‘मां मुझेशादी नहीं करनी है, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रह कर तुम्हारा देखभाल करना चाहती हूं.’’

‘‘नहीं बेटा ऐसा नहीं कहते,’’ मां ने स्नेहभरी नजरों से अपनी बेटी की ओर देखा.

‘‘मां मुझेशादी जैसी रस्मों पर बिलकुल भरोसा नहीं… विवाह संस्था एकदम खोखली हो चुकी है… आप जरा अपनी जिंदगी देखो, शादी के बाद पापा से तुम्हें कौन सा सुख मिला है? पापा ने तो तुम्हें किसी और के लिए तलाक…’’ कहती हुई वह अचानक रुक गई और फिर आंसू भरे नेत्रों से मां की ओर देखने लगी.

मां ने दूसरी तरफ मुंह घुमा अपने आंसुओं को छिपाने की कोशिश करते हुए बोलीं, ‘‘अरे छोड़ो इन बातों को… इस वक्त ऐसी बातें नहीं करते और फिर लड़कियां तो होती ही हैं पराया धन. देखना ससुराल जा कर तुम इतनी खो जाओगी कि अपनी मां की तुम्हें कभी याद भी नहीं आएगी,’’ और फिर बेटी को गले लगा कर उस के माथे को चूम लिया.

मालती अपनी बेटी को बेहद प्यार करती हैं. आज 20 वर्ष हो गए उन्हें अपने पति से अलग हुए, जब मालती का अपने पति से तलाक हुआ था तब सुलेखा सिर्फ 5 वर्ष की थी. तब से ले कर आज तक उन्होंने सुलेखा को पिता और मां दोनों का प्यार दिया. सुलेखा उन की बेटी ही नहीं उन की सुखदुख की साथी भी थी. अपने टीचर की नौकरी से जितना कुछ कमाया वह अपनी बेटी पर ही खर्च किया. अच्छी से अच्छी शिक्षादीक्षा के साथसाथ उस की हर जरूरत का खयाल रखा. मालती ने अपनी बेटी को कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी भले खुद कितना भी कष्ट झेलना पड़ा हो.

आज जब मालती अपनी बेटी से उस की शादी कर ससुराल विदा करने की बात कर रही थीं तो भी उन्होंने अपने दर्द को अपनी बेटी के आगे जाहिर नहीं होने दिया ताकि उसे कोई कष्ट न हो.

सुलेखा आजाद खयालोंकी लड़की है और उस की परवरिश भी बेहद आधुनिक परिवेश में हुई है. उस की मां ने कभी किसी बात के लिए उस पर बंदिशें नहीं लगाईं.

सुलेखा ने अपनी मां को हमेशा स्वतंत्र और संघर्षपूर्ण जीवन बिताते देखा है. ऐसा नहीं कि उसे अपनी मां की तकलीफों का अंदाजा नहीं है. वह बहुत अच्छी तरह जानती है कि चाहे कुछ भी हो, कितना भी कष्ट उन्हें ?ोलना पड़े, ?ोल लेंगी परंतु अपनी तकलीफ कभी उस के समक्ष व्यक्त नहीं करेंगी.

सुलेखा की शादी से इस तरह बारबार इनकार करने पर मालती भावुक हो कर कहतीं, ‘‘बेटा तू क्यों नहीं समझती… तुझेले कर कितने सपने संजो रखे हैं मैं ने और तुम कब तक मेरे साथ रहोगी… एक न एक दिन तुम्हें इस घर से विदा तो होना ही है,’’ और फिर हंसते हुए आगे बोलती हैं, ‘‘और तुम्हें एक अच्छा जीवन साथी मिले इस में मेरा भी तो स्वार्थ छिपा हुआ है… कब तक मैं तुम्हारे साथ रहूंगी. एक न एक दिन मैं इस दुनिया को अलविदा तो कहूंगी ही… फिर तुम अकेली अपनी जिंदगी कैसे काटोगी?’’ कहते हुए उन का गला भर्रा गया.

योगेंद्र एक पढ़ालिखा लड़का है और एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर है. उस के परिवार में उस के मांबाप, भैयाभाभी के अलावा उस की दादी है जो 80 या 85 साल की है. मालती को अपनी बेटी के लिए यह रिश्ता बहुत पसंद आया है. उन्हें लगा कि उन की बेटी इस भरेपूरे परिवार में खुशहाल जिंदगी जीएगी… यहां पर तो सिर्फ उन के सिवा उस के साथ सुखदुख को बांटने वाला कोई और नहीं… वहां इतने बड़े परिवार में उन की बेटी को किसी बात की कमी नहीं और फिर उन्होंने अपनी बेटी का रिश्ता तय कर दिया.

मालती अपनी जिंदगीभर की सारी जमापूंजी यहां तक की अपने सारे जेवर भी शादी का खर्चा जुटाने हेतु बेच दिए ताकि बड़ी धूमधाम से अपनी बेटी को ससुराल विदा कर सकें. बेटी के ससुराल वालों को किसी भी बात की कोई परेशानी न हो. इस बात का पूरापूरा खयाल रखा गया. आखिर एक ही तो बेटी थी उन की और उसी की खातिर तो उन्होंने वर्षों से पाईपाई जमा कर रखी थी.

विदाई के वक्त सुरेखा की आंखों से तो आंसू थम ही नहीं रहे थे. उस ने धुंधली आंखों से मां और उस घर की ओर देखा जिस में उस का बचपन बीता था.

‘‘अरे, पूरा पल्लू माथे पर रखो,’’ ससुराल में गृहप्रवेश के वक्त किसी ने जोर से ?िड़कते हुए कहा और फिर उस के माथे का पल्लू उस की नाक तक खींच दिया.’’

‘‘आंखें पल्लू में ढक गईं… मैं देख कैसे पाऊंगी…’’ उस ने हलके स्वर में कहा.

तभी अचानक अपने सामने उस ने नीली साड़ी में नाक तक घूंघट किए अपनी जेठानी को देखा जिस ने बड़ों के सामने शिष्टाचार की परंपरा की रक्षा करने हेतु घूंघट अपनी नाक तक खींच रखा था.

‘‘तुम्हें तुम्हारी मां ने कुछ सिखाया नहीं कि बड़ों के सामने घूंघट किया जाता है?’’ यह उस की सास की आवाज थी.

‘‘आप मेरी मां की परवरिश पर सवाल न उठाएं,’’ सुलेखा की आवाज में थोड़ी कठोरता आ गई.

‘‘तुम मेरी मां से तमीज से बात करो,’’ योगेंद्र गुस्से से सुलेखा की ओर देखते हुए चिल्लाया.

सुलेखा ने तिलमिला कर गुस्से से योगेंद्र की ओर देखा.

‘‘अरे, नई बहू दरवाजे पर कब तक खड़ी रहेगी… इसे कोई अंदर क्यों नहीं ले आता,’’ दादी सास ने सामने के कमरे पर लगे बिस्तर पर से बैठेबैठे ही आवाज लगाई. दरवाजे पर जो कुछ हो रहा था उसे सुन पाने में वे असमर्थ थीं वैसे भी उन के कानों ने भी उन के शरीर के बाकी अंगों के समान ही अब साथ देना छोड़ दिया था. मौत तो कई बार आ कर दरवाजे से लौट गई थी क्योंकि उन्हें अपने छोटे पोते की शादी जो देखती थी. अपनी लंबी उम्र तथा घर की उन्नति के लिए कई बार बड़ेबड़े पंडितों को बुला कर बड़े से बड़े कर्मकांड करवा चुकी हैं ताकि मौत को टाला जा सके.

उन्हीं पंडितों में से किसी ने कभी यह भविष्यवाणी की कि उन के छोटे पोते  की शादी के बाद उन की मृत्यु का होना लगभग तय है और उसे टालने का एकमात्र उपाय यह है कि जिस लड़की की नाक पर तिल हो उसी लड़की से इन के छोटे पोते की शादी कराई जाए. अत: सुलेखा की नाक पर तिल का होना ही उसे उस घर की पुत्रवधू बनने का सर्टिफिकेट दादीजी द्वारा प्रदान कर दिया गया था. अब उन्हें बेचैनी इस बात की हो रही थी कि पंडितजी द्वारा बताए गए मुहूर्त के भीतर ही नई बहू का गृहप्रवेश हो जाना चाहिए वरना कहीं कुछ अनिष्ट न हो जाए.

मगर घूंघट पर छिड़े उस विवाद ने अब तूल पकड़ना शुरू कर दिया था.

‘‘आप मुझ से ऐसे बात कैसे कर सकते हैं?’’ सुलेखा गुस्से से चिल्लाते हुए बोली.

‘‘तुम्हें अपने पति से कैसे बात करनी चाहिए क्या तुम्हारी मां ने तुम्हें यह भी नहीं सिखाया?’’ घूंघट के अंदर से ही सुलेखा की जेठानी ने आग में घी डालते हुए कहा.

‘‘अरे इसे तो अपने पति से भी बात करने की तमीज नहीं है,’’ सुलेखा की सास ने गुस्से में कहा.

‘‘आप मुझेतमीज मत सिखाइए,’’ सुलेख का स्वर भी ऊंचा हो गया.

‘‘पहले आप अपने बेटे को एक औरत से बात करने का सलीका सिखाइए…’’

‘‘सुलेखा…’’ योगेंद्र गुस्से में चीख पड़ा.

‘‘चिल्लाइए मत… चिल्लाना मुझेभी आता है,’’ सुलेखा ने भी उसी अंदाज में चिल्लाते हुए कहा.

‘‘इस में तो संस्कार नाम की कोई चीज ही नहीं है… पति से जबान लड़ाती है,’’ सास ने फटकार लगाते हुए कहा.

‘‘आप लोगों के संस्कार क्या हैं… नई बहू से कोई इस तरह से बात करता है?’’ सुलेखा ने भी चिल्लाते हुए कहा.

‘‘तुम सीमा लांघ रही हो…’’ योगेंद्र चिल्लाया.

‘‘और आप लोग भी मुझेमेरी हद न सिखाएं…

‘‘सुलेखा…’’ और योगेंद्र का सुलेखा पर हाथ उठ गया.

सुलेखा गुस्से से तिलमिला उठी. साथ में उस की आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी और फिर आंसुओं के साथसाथ विद्रोह भी उठ खड़ा हुआ.

अचानक उस के पैर डोल गए और फिर नीचे रखे तांबे के कलश से  उस के पैर जा उछल कर और वह कलश उछल कर सीधा दादी सास के सिर से जा टकराया और दादी सास इस अप्रत्याशित चोट से चेतनाशून्य हो कर बिस्तर पर लुढ़क गईं. चारी तरफ कुहराम मच गया.

‘‘देखो तो जरा नई बहू के लक्षण… कैसे तेवर हैं इस के. गुस्से में दादी सास को ही कलश दे मारा,’’ लोग कानाफूसी करने लगे.

सुलेखा ने नजर उठा कर देखा तो सामने के कमरे में बिस्तर पर दादी सास लुढ़की हुई थीं. उन का सिर एक तरफ को झका हुआ था. यह दृश्य देख कर सुलेखा की सांसें जैसे क्षणभर के लिए रुक गईं.

‘‘अरे हाय यह क्या कर दिया तुम ने,’’ सुलेखा की जेठानी अपने सिर के पल्लू को पीछे की ओर फेंकती हुई दादी सास की ओर दौड़ पड़ीं.

सुलेखा को तभी अपनी जेठानी का चेहरा दिखा. उस के होंठों पर लाल गहरे रंग की लिपस्टिक लगी हुई थी तथा साड़ी की मैचिंग की ही उस ने बिंदी अपने बड़े से माथे पर लगा रखी थी. आंखों पर नीले रंग का आईशैडो भी लगा रखा था तथा गले में भारी सा लटकता हुआ हार पहना था. उन का यह बनावशृंगार उन के अति शृंगार प्रिय होने का प्रमाण पेश कर रहा था.

सुलेखा भी दादी सास की स्थिति देख कर घबरा गई और आगे बढ़ कर उन्हें संभालने की कोशिश में अपने पैर आगे बढ़ा पाती उस से पहले ही योगेंद्र उस का हाथ जोर से पकड़ कर खींचते हुए उसे पीछे की ओर धकेल देता है. वह पीछे की दीवार पर अपने हाथ से टेक बनाते हुए खुद को गिरने से बचा लेती है.

‘‘कोई जरूरत नहीं है तुम्हें उन के पास जाने की. जहां हो वहीं खड़ी रहो,’’ योगेंद्र ने यह बात बड़ी ही बेरुखी से कही.

अपने पति के इस व्यवहार से उस का मन दुखी हो गया. वह उसी तरह दीवार के सहारे खुद को टिकाए खड़ी रह गई. उस की आंखों से आंसू बहने लगे. वह मन ही मन सोचने लगी कि जिस रिश्ते की शुरुआत इतने अपमान और दुख के साथ हो रही है उस रिश्ते में अब आखिर बचा ही क्या है. जो आज नए जीवन की शुरुआत से पहले ही उस का इस कदर अपमान कर रहा है, जिस मानसिकता का प्रदर्शन उस के पति और उन के घर वालों ने किया जितना कुंठित विचारधारा इन सबों की है वैसी मानसिकता के साथ वह अपनी जिंदगी नहीं गुजार पाएगी.

उस के लिए वहां रुक पाना अब मुश्किल हुआ जा रहा था और इस सब से ज्यादा अगर कोई चीज उसे ज्यादा तकलीफ पहुंचा रही थी तो वह था योगेंद्र का उस के प्रति व्यवहार. कहां तो वह मन में सुंदर सपने संजोए अपनी मां के घर से विदा हुई थी. अपने जीवनसाथी के लिए जिस सुंदर छवि को उस ने संजोया था वह अब एक झटके में ही टूटतीबिखरती नजर आ रही थी.

सभी तरफ कुहराम मचा हुआ था. तभी कोई डाक्टर को बुला लाता है. आधे घंटे के  निरीक्षण के बाद डाक्टर बताते हैं, ‘‘चिंता की कोईर् बात नहीं सभी कुछ ठीकठाक है. मैं ने दवा दे दी है जल्द ही इन्हें होश आ जाएगा.’’

दादी सास मौत के मुंह से बच निकलती हैं.

‘‘अरे अब क्या वहीं खड़ी रहेगी महारानी… कोई उसे अंदर ले कर आओ,’’ सास ने बड़े ही क्रोध में आवाज लगाई.

‘‘नहीं, मैं अब इस घर में पैर नहीं रखूंगी,’’ सुलेखा ने दृढ़ता से कहा.

‘‘क्या कहा… कैसी कुलक्षणी है यह… अब और कोईर् कसर रह गईर् है क्या…’’ सास ने क्रोध से गरजते हुए कहा.

‘‘अब ज्यादा नाटक मत करो… चलो अंदर चलो…’’ योगेंद्र ने उस का हाथ जोर से खींच कर कहा.

‘‘नहीं मैं अब आप के घर में एक पल के लिए भी नहीं रूकूंगी,’’ कह सुलेखा ने एक झटके में योगेंद्र के हाथ से अपना हाथ छुड़ा लिया, ‘‘जिस व्यक्ति ने मेरे ऊपर हाथ उठाया, जिस के घर में मेरी इतनी बेइज्जती हुई अब मैं वहां एक पल भी नहीं रुक सकती,’’ कहते हुए सुलेखा दरवाजे से बाहर निकल अपनी मां के घर चल दी.

सुलेखा मन ही मन सोचती जा रही थी कि जिस रिश्ते में सम्मान नहीं उसे पूरी उम्र कैसे निभा पाऊंगी… जो परंपरा एक औरत के खुल कर जीने पर भी पाबंदी लगा दे, जिस रिश्ते में पति जैसा चाहे वैसा सुलूक करे और पत्नी के मुंह खोलने पर भी पाबंदी हो वैसे रिश्ते से तो अकेले ही जिंदगी जीना बेहतर है. मां ने तो सारी जिंदगी अकेले ही काटी है बिना पापा के सहारे के… उन्होंने तो मेरे लिए अपनी सारी खुशियों का बलिदान किया है सारी उम्र उन्होंने मुझे सहारा दिया है अब मैं उन का सहारा बनूंगी.’’

मैं अपनी पत्नी की ख्वाहिश को पूरा नहीं कर पा रहा हूं, इसलिए हमारे बीच लड़ाई होती है…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं सेना में कार्यरत विवाहित पुरुष हूं. समस्या यह है कि रोजाना अपनी पत्नी से 2 घंटे बात करने के बाद भी मेरी पत्नी की शिकायत दूर नहीं होती, जबकि ऐसा करने से न तो मेरी नींद पूरी हो पाती है और न ही मैं अपनी कार्यालय संबंधी जिम्मेदारियों को सही ढंग से निभा पाता हूं.

मैं अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता हूं लेकिन रोजाना ज्यादा से ज्यादा उस से बात करने की उस की ख्वाहिश को पूरा न करने के कारण हमारे बीच अधिकतर लड़ाई हो जाती है. मैं क्या करूं ताकि हमारा प्यार बना रहे व पत्नी मेरी परेशानी को समझ भी सके.

जवाब

आप की समस्या का कारण आप की पत्नी का अकेलापन और आप दोनों के बीच की दूरी है जिस की वजह से आप की पत्नी को आप से शिकायत रहती है. आप अपनी पत्नी को अपनी मजबूरी प्यार से समझाएं, साथ ही उस की मनोस्थिति को भी समझें.

चूंकि सेना की नौकरी के कारण आप अपनी पत्नी से कम ही मिल पाते हैं. ऐसे में आप की पत्नी उस कमी को आप से ज्यादा से ज्यादा बात कर के पूरा करना चाहती है. आप अपनी पत्नी को सुझाव दें कि वह स्वयं को अपनी किसी रुचि के कार्य में व्यस्त करे ताकि उस को आप की कमी न खले. ऐसा करने से उस का अकेलापन दूर होगा और आप दोनों के बीच का प्यार बना भी रहेगा.

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क्या आप अपने रिलेशन को ले कर अकसर चिंतित रहते हैं? अगर हां तो इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है. आप की चिंता का कारण आप का स्वयं का ऐटिट्यूड अथवा आप दोनों की कैमिस्ट्री हो सकती है. ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रख कर आप वैवाहिक जीवन को सुचारु रूप से चला सकते हैं:

कम्यूनिकेशन: अपनी भावनाएं, विचार, समस्याएं एकदूसरे को बताएं. वर्तमान और भविष्य के बारे में बात करें. दूसरे को बताएं कि आप दोनों के बारे में क्या प्लान करते हैं. बोलने के साथ सुनना भी जरूरी है. मौन भी अपनेआप में संवाद है. अपने हावभाव, स्पर्श में भी साथी के प्रति प्यार व आदर प्रदर्शित करें.

सारी उम्मीदें एक ही से न रखें: अगर आप अपने साथी से गैरवाजिब उम्मीदें रखेंगे तो आप का निराश होना लाजिम है. पार्टनर से उतनी ही उम्मीद रखें जितनी वह पूरी कर सके. बाकी उम्मीदें दूसरे पहलुओं में रखें. पार्टनर को स्पेस दें. उस की अच्छाइयोंबुराइयों को स्वीकारें.

बहस से न बचें: स्वस्थ रिश्ते के लिए बहस अच्छी भी रहती है. बातों को टालते रहने से तिल का ताड़ बन जाता है. मन में रखी उलझनों को बढ़ाएं नहीं, बोल डालें. आप का साथी जब आप से झगड़ रहा हो तो चुप्पी न साधें और न ही बुरी तरह से प्रतिक्रिया दें. ध्यान से सुनें और इत्मिनान से समझें. हाथापाई या गालीगलौच तो कतई न करें.

खराब व्यवहार को दें चुनौती: कभी भी साथी के खराब व्यवहार से आहत हो कर अपना स्वाभिमान न खोएं. कई बार हम साथी के व्यवहार से इतने हैरान हो जाते हैं कि अपनी पीड़ा बयां करने के बजाय स्वयं को अपराधी महसूस करने लगते हैं या मान लेते हैं. साथी आप को शारीरिक/मानसिक रूप से चोट पहुंचाता है तो भी आप उसे मना नहीं करते. यह गलत है. खराब व्यवहार न स्वीकारें. इस से रिश्ते में ऐसी दरार पड़ जाती है जो कभी नहीं पटती.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

दही सेव की सब्जी है बहुत टैस्टी, आज ही करें ट्राई

दही से बनी हर चीज मन को ठंडक और सेहत के लिए अच्छी होती है. इसीलिए आज हम आपको बताएंगे दही को सब्जी के रूप में बदलकर आप आपकी फैमिली के वाहवाही कैसे बटोरें. साथ ही अपनी फैमिली की सेहत का हेल्दी और टेस्टी डिश से ख्याल कैसे रखें…

हमें चाहिए…

1 कप दही

1/2 छोटा चम्मच हल्दी

1/2 छोटा चम्मच देगी मिर्

1 हरीमिर्च बारीक कटी

एक-चौथाई छोटा चम्मच गरममसाला

1/2 छोटा चम्मच जीरा

1/2 छोटा चम्मच राई

थोड़े से करीपत्ते

एक-चौथाई छोटा चम्मच हींग

एक-चौथाई कप मोटे सेव

1 छोटा चम्मच तेल

नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

एक पैन में तेल गरम कर जीरा, राई और करीपत्ते डाल कर भूनें. अब हींग मिलाएं और खुशबू आने तक भूनें. फिर सारे मसाले डालें.

फेंटा दही डालें और लगातार चलाते हुए 2 मिनट तक पकाएं. सेव मिला कर आंच बंद कर दें. धनियापत्ती से सजा कर गरमगरम परोसें.

Dance ऐसा कि मेहमान भी हो जाएं फिदा, लेकिन गरिमा बनाए रखना है जरूरी

आजकल शादी में दुलहन के डांस (Dance) का ट्रैंड शुरू हो गया है. दुलहनें अपनी ही शादी में सजधज कर खूब डांस करती हैं. कुछ दुलहनें अपने डांस में नए ट्रैंड्स अपना कर इसे खास बना देती हैं जबकि कुछ डांस करने की लाइन क्रौस कर देती हैं और लोगों के बीच चर्चा का विषय भी बन जाती हैं.

लेकिन अगर इस खास मौके पर आप डांस करना चाहती हैं और इस पल को यादगार बनाना चाहती हैं, तो आप का डांस ऐसा हो जो शादी की गरिमा बनाए रखे और सभी को आप का दीवाना बना दे, तो यहां यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि दुलहन का डांस उस के व्यक्तित्व, पारिवारिक मूल्यों और शादी के माहौल से मेल खाता हो.

डांस में गरिमा बनाए रखना

दुलहन का डांस करते हुए स्टेज पर आना आज की शादियों का एक खास हिस्सा बन गया है. यह न केवल एक नए ट्रैंड का हिस्सा है, बल्कि यह आधुनिक दुलहनों की सोच, आत्मविश्वास और उन के अपने तरीके से खुशी मनाने की भावना को भी दर्शाता है. यह एक ऐसा पल होता है जो शादी को और भी खास बना देता है.

लेकिन यह जरूरी है कि डांस ऐसा हो जो सुंदरता और परंपरा को बनाए रखते हुए प्रस्तुत किया जाए. दुलहन का डांस एक मनोरंजन का माध्यम होते हुए भी गरिमा और शालीनता का प्रतीक होना चाहिए ताकि सभी मेहमानों के लिए वह एक प्रेरणादायक और आनंददायक अनुभव बने.

गाना चुनें संभल कर

दुलहन के लिए यह जरूरी है कि वह अपने डांस के लिए सही गाना डिसाइड करे. पुराने गाने जैसे ‘मधुबन में राधिका नाचे..’ या ‘घर मोरे परदेसिया..’ शादी के माहौल के लिए बहुत सही हैं. ऐसे गानों पर डांस कर के आप सब का मन मोह सकती हैं और शादी की पवित्रता और पारंपरिकता भी बनी रहती है.

ऐसे गानों का चयन करना चाहिए जो संस्कृति और परंपरा से मेल खाते हों. हलकेफुलके और पारंपरिक गाने शादी की गरिमा को बनाए रखते हैं. फूहड़ या भद्दे शब्दों वाले गानों से बचना चाहिए ताकि समारोह का माहौल सकारात्मक और सुखद बना रहे.

बोल्ड मूव्स बिग नो

डांस मूव्स का चयन करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि वे अधिक बोल्ड या भड़कीले न हों. सभ्य और सुंदर मूव्स शादी के माहौल के लिए ज्यादा सही होते हैं. यह जरूरी है कि दुलहन के हावभाव में आत्मविश्वास और खुशियों की झलक हो, ताकि हरकोई उसे देख खुश हो सके.

खयाल रखें

दुलहन का डांस केवल उस के लिए नहीं होता, बल्कि यह पूरे परिवार और समाज के सामने प्रस्तुत किया जाता है. इसलिए इसे तैयार करते समय यह विचार करना जरूरी है कि यह हर आयुवर्ग के लिए उपयुक्त और सराहनीय हो. एक ऐसा डांस जो समाज में सकारात्मक संदेश दे, हमेशा याद रखा जाता है और प्रेरणा बनता है.

खास हो पहनावा

डांस के लिए दुलहन का पहनावा भी बहुत मायने रखता है. लहंगा, साड़ी या अनारकली जैसे पारंपरिक पहनावे डांस के लिए सही होते हैं, क्योंकि वे न केवल सुंदर दिखते हैं बल्कि आरामदायक भी होते हैं. दुलहन को ऐसे परिधान पहनने चाहिए जो उसे सहज महसूस कराएं और डांस के दौरान किसी भी प्रकार की असुविधा से बचाएं.

आत्मविश्वास रखें

डांस करते समय सब से जरूरी चीज है आत्मविश्वास. चाहे पहली बार डांस कर रही हों या पहले से डांस का अनुभव हो, आत्मविश्वास से भरा डांस हर किसी को आकर्षित करता है.

दुलहन को डांस करने में मजा आना चाहिए क्योंकि वह दिन उस का है और वह पल उस की खुशियों का प्रतीक है.

परिवार साथ हो तो क्या बात

दुलहन का डांस और भी खास हो जाता है जब उस में परिवार और दोस्तों की भागीदारी हो. चाहे वह मातापिता के साथ हो या दोस्तों के साथ, ग्रुप डांस शादी की खुशियों को बढ़ा देता है और एकता का संदेश देता है.

Skin Care Tips : स्किन को नुकसान पहुंचा सकते हैं ये 5 क्लीनिंग टूल्स, आप भी करती हैं इनका इस्तेमाल?

Skin Care Tips : आज के समय में लगभग हर किसी के बाथरूम में कुछ क्लीनिंग टूल्स जरूर होते हैं.अधिकांश लोग यही मानते हैं कि इन टूल्स के उपयोग से वे न सिर्फ मैल और गंदगी को पूरी तरह से ​शरीर से हटा पाएंगे बल्कि उन की स्किन भी अच्छी होगी.लेकिन यही सोच उन के लिए घातक हो सकती है.

 

दरअसल, बाथरूम में उपयोग किए जाने वाले 5 सब से कौमन क्लीनिंग टूल्स की कोई जरूरत ही नहीं होती क्योंकि ये स्किन के लिए फायदेमंद नहीं नुकसानदायक होते हैं.

तो फिर कौन से हैं ये टूल्स, आइए जानते हैं…

लूफा से खराब हो सकती है स्किन

हाल ही में मशहूर डर्मेटोलौजिस्ट डाक्टर आंचल पंत ने अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर लोगों को सचेत किया.आंचल ने बताया कि अधिकांश लोग लूफा का उपयोग करते हैं.लेकिन ऐसा करना गलत है.इस की जगह आप को एएचए और बीएचए से अपनी स्किन को हलके हाथों से ऐक्सफोलिएट करना चाहिए.डाक्टर के अनुसार लूफा स्किन को नुकसान पहुंचाता है और स्किन के डार्क स्पौट्स को और भी खराब स्थिति में ला देता है.लूफा में बैक्टीरिया पनपने का खतरा भी रहता है.

फुट स्पून से न रगड़ें पैर

अकसर लोग फटी एड़ियों को ठीक करने के लिए फुट स्पून का उपयोग करते हैं.लेकिन यह तरीका गलत है.इस से आप की एड़ियां और भी खराब हो सकती हैं.इस की जगह आपको कुनकुने पानी में अपने पैरों को कुछ देर के लिए रखना चाहिए.उस के बाद कपड़े से उन्हें सुखाएं और कोई अच्छी क्रीम लगाएं.इस से फटी एड़ियां अपनेआप ठीक हो जाएंगी।

फेस क्लीनर टूल्स

इन दिनों लोग ​चेहरे को डीप क्लीन करने के लिए कई प्रकार के फेस क्लीनर टूल उपयोग करते हैं.कुछ सौफ्ट ब्रश से बने होते हैं तो कुछ सिलिकौन से.लेकिन ये सभी आप की स्किन को नुकसान पहुंचाते हैं.इस से स्किन बैरियर्स डैमेज हो जाते हैं.स्किन को साफ करने के लिए आप के हाथ ही काफी हैं.

आप डबल ​क्लीनिंग का भी उपयोग कर सकते हैं.फोम फेसवाश का उपयोग करें.

क्यूटिकल कटर का इस्तेमाल न करें

डाक्टर आंचल के अनुसार, क्यूटिकल्स को काटना बड़ी गलती है.क्यूटिकल्स आप के नाखूनों को सुर​क्षा देता है लेकिन आज के समय में अधिकांश लोग इन्हें क्यूटिकल कटर से काट लेते हैं.इस के कारण आप के नाखूनों को नुकसान पहुंचता है.इसलिए इन से दूर रहें.

कौटन स्वाब से बचें

कान साफ करने के लिए लोग कौटन स्वाब का उपयोग करते हैं.लेकिन इस से कान साफ नहीं होता, उलटा गंदगी और अंदर चली जाती है.इसलिए इन का उपयोग नहीं करना चाहिए.कान अपनेआप साफ हो जाते हैं.इस में कुछ डाल कर साफ करने की जरूरत नहीं होती.

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