फैशन को धर्म से जोड़ना गलत

हिजाब, बुरका, परदा, घूंघट वैसे तो सामाजिक नियमों से बंधे हैं और इन्हें न अपनाने वाले अपने धर्म से अलग नहीं करे जाते पर यह पक्का है कि कुछ को छोड़ कर ज्यादातर औरतें इन्हें अपनी सामाजिक व पारिवारिक गुलामी का रूप ही मानती हैं.

अरब देशों की बहुत सी पढ़ीलिखी युवतियां जो अपने देश में हिजाब या बुरका पहनने को मजबूर रहती हैं, यूरोप के देशों में पहुंचते ही उन्हें बक्सों में बंद कर अपने रूपसौंदर्य पर इतराने का लोभ नहीं छोड़ पातीं.

भारत के कट्टरपंथी घरों से निकलते ही औरतों का परदा या घूंघट सिर से खिसक कर कंधों पर आ गिरता है और उन के गहरे काले बालों का सौंदर्य जगमग करने लगता है.

यह कहना कि औरतें इन्हें खुदबखुद अपनी सामाजिक संस्कृति बचाने के लिए अपनाती हैं, सच नहीं है. सिर पर क्या पहना जाए यह औरतों का अपना स्वविवेक है. एक समय दक्षिण भारत में बालों में फूल लगाने का चलन था पर कोई अनिवार्यता न थी. उत्तर भारत में भी इस का खूब फैशन था पर आज नहीं है.

एक समय लड़कियों ने साधना कट बाल कटवाए थे तो फिर हेयर स्विचों का जमाना आया था. आज नहीं है. जब इन्हें इस्तेमाल करा जा रहा था तो कोई जोरजबरदस्ती नहीं थी. अपनी स्वतंत्रता थी. अच्छा लगे तो करें वरना छोड़ दें.

यूरोप के बहुत से देशों में हवा में लंबे बाल न उड़ें इसलिए स्कार्फ पहनना फैशन था. आज ऐसे हेयर कैमिकल आ गए हैं कि शाम तक बाल बिखरते नहीं हैं और स्कार्फ का प्रयोग न के बराबर हो गया है. सर्दियों में ठंड से बचने के लिए आदमीऔरत दोनों कैप पहनते हैं और गरमियों में नहीं. यह फैशन और सुविधा का मामला है.

इसलाम जबरन औरतों को हिजाब और पुरुषों को स्कल पहनने को मजबूर कर रहा है. इसलाम के प्रचारक इसे सामाजिक व धार्मिक पहचान का हिस्सा मान रहे हैं जबकि यह मानसिक गुलामी का एक स्वरूप है. आप जो पहनते हैं यदि वह किसी नियम से बंधा है, तो इस का अर्थ यह है कि आप उस नियम को बनाने या लागू करने वालों के और आदेशों को भी मानेंगे ही. तभी पुलिस, सेना व बड़ी फैक्टरियों के मजदूरों में एक ड्रैस होती है. यह विभिन्नता को कम करने का मानसिक तरीका है. पर पुलिस, सेना या फैक्टरियां यह नहीं कहतीं कि घर में भी निर्धारित कपड़े पहने जाएं, हिजाब, बुरका, परदा और घूंघट समर्थक 24 घंटे इन का प्रयोग अनिवार्य मानते हैं.

अगर फ्रांस जैसे देश इन का विरोध कर रहे हैं, तो सही कर रहे हैं, स्कूलों, कालेजों व दफ्तरों में धार्मिक या सामाजिक रूप से अलग दिखाने वाले निशान अपनाने पर रोक होनी चाहिए, फिर चाहे व तिलक हो या टोपी.

इन 5 तरीकों से चाकू की धार को तेज करिए अपने ही घर पर

रसोई के काम को जल्द समाप्त करने के लिए हम तेज़ धार वाले चाकूओं का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन कुछ दिनों के बाद चाकू मंद हो जाता है. ऐसे में चीज़ों को काटना मुश्किल हो जाता है. इसलिए, आज हम चाकू की धार को तेज़ करने के कुछ आसान तरीके लेकर आए हैं. आप अपने आम चाकू को पत्थर या ईंट पर रगड़ कर तेज़ कर सकते हैं. लेकिन कुछ विशेष चाकू केवल शापनर की सहायता से तेज होते हैं. इसलिए आपको अपने चाकू का प्रकार भी पता होना चाहिए.

चाकू को तेज़ करने के बाद, उसे गर्म पानी के डिटर्जेंट के घोल में डुबाएं. फिर 15 मिनट के बाद, चाकू को डिटर्जेंट के घोल से निकालकर एक कप पानी व आधा कप विनगर के घोल में डुबाएं. यह उपाय आपके चाकू को जंग से बचाएगा एवं उसके ब्लेड को चमकदार बनाएगा. अतः इन तरीकों पर एक नज़र डालें और दिए गए उपकरणों की मदद से इन्हें आज़माएं.

1. स्टील या लोहे की शीट

चाकू की धार को तेज़ करने के लिए स्टील की या लोहे की शीट खरीदें. काम शुरू करने से पहले शीट को पानी से धोएं और पोंछ कर गर्म होने के लिए धूप में रखें. जब यह शीट अच्छे से गर्म हो जाए, इस पर चाकू की धार तेज़ करना आरंभ करें. घर्षण के कारण चिंगारियां उठेंगी, इसलिए ध्यान से काम करें.

2. लोहे का रॉड

शीट ना होने पर आप लोहे के रॉड का इस्तेमाल कर सकते हैं. रेस्तरां में लोहे के रॉड का उपयोग मांस-मछली को काटने के लिए किया जाता है. इस उपकरण से चाकू को तेज करना बहुत आसान है.

3. ग्रेनाइट

चाकू को तेज़ करने के लिए रसोई के स्लैब पर लगे ग्रेनाइट के पत्थर को भी काम में लाया जा सकता है. चाकू को पत्थर पर रखें और ब्लेड के दोनों हिस्सों को पत्थर पर 20 सेकंडों के लिए लगातार रगड़ते रहें. इस प्रक्रिया में भी आपको चिंगारियां उठती नज़र आएंगी.

4. एक चाकू शार्पनर खरीदें

खराब हुए चाकू को तेज करने के लिए आप बाज़ार से चाकू शार्पनर (नाइफ शार्पनर) खरीद सकते हैं. हालांकि, ये शापनर बहुत महंगे होते हैं और केवल कुछ प्रकार के चाकूओं को ही तेज़ करते हैं.

5. ईंट

ईंट के माध्यम से अपने चाकू को नवीन करना एक आसान व सरल उपाय होगा. मकान को खडा करने वाली यह छोटी सी चीज़ आपके आस-पास ही मौजूद होती है.

ये 5 स्टैप्स कहें आंटी लुक को बाय बाय

अरे, रोमा क्या हुआ तुझे? इस उम्र में ही आंटी नजर आने लगी हो. चेहरे पर झुर्रियां तो आंखों के नीचे काले घेरे. ऐसे ही सवालों से कहीं आप का भी न हो सामना, इस के लिए जरूरी है कि आप समय के साथ चलें. आप का खानपान तो सही होना ही चाहिए, साथ ही ऐंटीऐजिंग टिप्स पर भी ध्यान देना जरूरी होगा, जिन के बारे में बता रही हैं मशहूर ब्यूटी ऐक्सपर्ट और एल्प्स की ऐग्जिक्यूटिव डायरैक्टर इशिका तनेजा.

ऐंटीऐजिंग सीटीएमपी: 40 साल के बाद त्वचा ड्राई हो जाती है. ऐसे में क्लींजिंग के लिए नरिशिंग क्लींजिंग मिल्क या फिर क्लींजिंग क्रीम का इस्तेमाल करें. ये त्वचा को रूखा किए बिना डीप क्लीन करते हैं. बढ़ती उम्र की निशानियों में आम समस्या ओपन पोर्स यानी खुले रोमछिद्रों की होती है. समय के साथ ओपन पोर्स बढ़ जाते हैं, जिस के चलते स्किन पर ऐजिंग दिखती है. इन पोर्स को कम करने के लिए क्लींजिंग के बाद टोनिंग जरूर करें. ध्यान रहे कि अलकोहल युक्त टोनिंग प्रोडक्ट त्वचा से नमी चुरा लेता है, इसलिए इस से बचने के लिए लाइकोपिन युक्त टोनर्स का इस्तेमाल करें. नमी की कमी से चेहरे पर झुर्रियां दिखती हैं. इस की रोकथाम के लिए त्वचा पर मौइश्चराइजर जरूर लगाएं. धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन लगाना न भूलें.

मेकअप ट्रिक्स: एक उम्र के बाद आईब्रोज नीचे की तरफ झुकने और हलकी होने लगती हैं. ऐसे में आंखों को उठाने के लिए आईपैंसिल की मदद से आर्क बना लें और अगर आर्क बना हुआ है तो उसे पैंसिल से डार्क कर लें. इस से आंखें उठी हुई और बड़ी नजर आएंगी. उम्र बढ़ने के साथसाथ आंखों के आकार में भी बदलाव आता है. त्वचा में कुदरती नमी और लचीलेपन में कमी आने के कारण आंखें पहले से थोड़ी छोटी हो जाती हैं. ऐसे में लिक्विड आईलाइनर की बजाय पैंसिल आईलाइनर या फिर आईलैश जौइनर का इस्तेमाल करना ठीक रहता है. आईलाइनर की एक पतली सी लाइन लगा कर स्मज कर लें और ध्यान रखें कि वह ड्रूपिंग न हो, बल्कि ऊपर की ओर उठी हुई हो. वाटरलाइन पर व्हाइट पैंसिल लगाएं, क्योंकि इस से आंखें बड़ी नजर आती हैं. होंठों पर ब्राइट शेड की लिपस्टिक लगा कर अपनी उम्र से 10 साल छोटी दिख सकती हैं.

नाइट रेजीम: जितना जरूरी दिन में सीटीएमपी यानी क्लींजिंग, टोनिंग, मौइश्चराइजिंग ऐंड प्रोटैक्शन है, उतना ही जरूरी रात में सीटीएमएन यानी नरिशमैंट है. अपनी त्वचा को रोज रात में क्लीन करने के बाद नरिश करने के लिए एएचए सीरम या आमंड औयल का इस्तेमाल करें. एएचए यानी अल्फा हाईड्रौक्सी ऐसिड फलों से निकाले गए ऐसिड होते हैं, जो त्वचा में तेजी से कोलोजन बना कर उस पर झुर्रियां पड़ने से बचाते हैं और आंखों के नीचे का कालापन दूर करने में भी मदद करते हैं. इस सीरम के रोजाना इस्तेमाल से साइन औफ ऐजिंग कम होंगे, साथ ही त्वचा निखरी व जवां भी नजर आएगी. फिर चेहरे पर बादाम तेल से मसाज करें. मसाज से रक्तसंचार बेहतर होता है. नतीजतन त्वचा नमीयुक्त व खिलीखिली बनती है.

डाइट में शामिल करें सुपर फूड्स: फूड हैबिट्स का खूबसूरती से गहरा संबंध है. सेहतमंद त्वचा के लिए डाइट में सुपर फूड्स जैसे गाजर, टमाटर, संतरा, ऐवोकैडो, सामन फिश, चिया बीज आदि शामिल करें. इन का भरपूर सेवन ऐजिंग से दूर रखता है. 

पानी पीएं भरपूर: दिन में 12 से 15 गिलास पानी जरूर पीएं. पानी के अधिक सेवन से शरीर में मौजूद जहरीले पदार्थ तो बाहर निकलते ही हैं, साथ ही त्वचा में नमी भी बनी रहती है. पानी के साथसाथ छाछ, जूस या नारियल पानी को भी अपनी डाइट में शामिल करें.

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मेरी उम्र 35 वर्ष है. मुझे कंप्यूटर पर काम करने के बाद गरदन का दर्द तेज हो जाता है. क्या इस से छुटकारा पाने का कोई इलाज है.

सवाल
मेरी उम्र 35 वर्ष है. मुझे पूरा सप्ताह कंप्यूटर पर काम करने के बाद अकसर खासकर शुक्रवार की शाम से गरदन का दर्द तेज हो जाता है. क्या इस से छुटकारा पाने का कोई इलाज है?

जवाब
कंप्यूटर पर ज्यादा देर तक काम करने से पीठ, गरदन और कंधों का दर्द होने लगता है. आप दर्द से 3 तरीकों से निबट सकते हैं- बैठने की मुद्रा सुधार कर, ऐडजस्टेबल फर्नीचर का इस्तेमाल कर और कंप्यूटर के अति इस्तेमाल को कम करने वाली कुछ रोजाना की आदतें अपना कर.

सब से पहले अपनी कुरसी को इस तरह ऐडजस्ट करें कि आप के पांव जमीन से सटे रहें और आप की जांघें जमीन के समांतर रहें.

आप के घुटने और कूल्हे समान लैवल में होने चाहिए या फिर घुटने आप के कूल्हों से थोड़ा ऊपर. जरूरत पड़े तो फुटस्टूल का इस्तेमाल करें या कुरसी की ऊंचाई ऐडजस्ट कर लें. इसी तरह आप की कुहनियां भी 90 डिग्री के कोण पर होनी चाहिए ताकि आप को कंधे न झुकाने पड़ें.

कुहनियों और कलाइयों को टेबल पर सपोर्ट मिलना चाहिए. कीबोर्ड को थोड़ा तिरछा रखने से जोड़ों पर बेवजह दबाव कम होगा.

गरदन झुकाने से बचने के लिए आप की स्क्रीन आप की आंखों के ठीक सामने होनी चाहिए. हर घंटे बाद ब्रेक लेते रहें या आसपास टहलें. कंधों और गरदन को घुमाने वाले कुछ व्यायाम कर लें. यदि फिर भी समस्या बनी रहे तो डाक्टर से संपर्क करें.

मैंने बौयफ्रैंड के साथ कई बार सैक्स किया है. क्या विवाह के बाद मेरे पति को मेरे विवाहपूर्व सैक्स संबंधों के बारे में पता चल जाएगा.

सवाल
मैं 20 वर्षीय युवती हूं. मेरे बौयफ्रैंड ने मेरे साथ कई बार सैक्स किया है. अब मेरा विवाह होने वाला है. मैं यह जानना चाहती हूं कि क्या विवाह के बाद मेरे पति को मेरे विवाहपूर्व सैक्स संबंधों के बारे में पता चल जाएगा, मैं क्या करूं? सलाह दें.

जवाब
जिस उम्र में आप को अपना ध्यान कैरियर में लगाना चाहिए था उस उम्र में आप ने शारीरिक संबंध बना कर गलती की है. वैसे भी आप ने बौयफ्रैंड के साथ सैक्स संबंध रजामंदी से बनाए थे तो अब क्यों डर रही हैं? विवाह पूर्व सैक्स संबंधों के बारे में पति को तब तक पता नहीं चलेगा जब तक आप खुद नहीं बताएंगी. लोगों के बीच यह आम धारणा है कि जब भी कोई युवती सैक्स संबंध बनाती है तो उसे ब्लीडिंग होती है और यही उस के वर्जिन यानी कुंआरे होने का मापदंड होता है जबकि यह धारणा गलत है क्योंकि जहां कई महिलाओं में कौमार्य झिल्ली होती ही नहीं, वहीं कुछ में यह इतनी मुलायम और लचीली होती है कि बचपन में खेलतेकूदते समय ही फट जाती है. अगर आप के पति आप की वर्जिनिटी पर सवाल उठाएं तो उन्हें यही समझाएं.

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सैक्स: मजा न बन जाए सजा

पहले प्यार होता है और फिर सैक्स का रूप ले लेता है. फिर धीरेधीरे प्यार सैक्स आधारित हो जाता है, जिस का मजा प्रेमीप्रेमिका दोनों उठाते हैं, लेकिन इस मजे में हुई जरा सी चूक जीवनभर की सजा में तबदील हो सकती है जिस का खमियाजा ज्यादातर प्रेमी के बजाय प्रेमिका को भुगतना पड़ता है भले ही वह सामाजिक स्तर पर हो या शारीरिक परेशानियों के रूप में. यह प्यार का मजा सजा न बन जाए इसलिए कुछ बातों का ध्यान रखें.

सैक्स से पहले हिदायतें

बिना कंडोम न उठाएं सैक्स का मजा

एकदूसरे के प्यार में दीवाने हो कर उसे संपूर्ण रूप से पाने की इच्छा सिर्फ युवकों में ही नहीं बल्कि युवतियों में भी होती है. अपनी इसी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए वे सैक्स तक करने को तैयार हो जाते हैं, लेकिन जोश में होश न खोएं. अगर आप अपने पार्टनर के साथ प्लान कर के सैक्स कर रहे हैं तो कंडोम का इस्तेमाल करना न भूलें. इस से आप सैक्स का बिना डर मजा उठा पाएंगे. यहां तक कि आप इस के इस्तेमाल से सैक्सुअल ट्रांसमिटिड डिसीजिज से भी बच पाएंगे.

अब नहीं चलेगा बहाना

अधिकांश युवकों की यह शिकायत होती है कि संबंध बनाने के दौरान कंडोम फट जाता है या फिर कई बार फिसलता भी है, जिस से वे चाह कर भी इस सेफ्टी टौय का इस्तेमाल नहीं कर पाते. वैसे तो यह निर्भर करता है कंडोम की क्वालिटी पर लेकिन इस के बावजूद कंडोम की ऐक्स्ट्रा सिक्योरिटी के लिए सैक्स टौय बनाने वाली स्वीडन की कंपनी लेलो ने हेक्स ब्रैंड नाम से एक कंडोम बनाया है जिस की खासीयत यह है कि सैक्स के दौरान पड़ने वाले दबाव का इस पर असर नहीं होता और अगर छेद हो भी तो उस की एक परत ही नष्ट होती है बाकी पर कोई असर नहीं पड़ता. जल्द ही कंपनी इसे मार्केट में उतारेगी.

ऐक्स्ट्रा केयर डबल मजा

आप के मन में विचार आ रहा होगा कि इस में डबल मजा कैसे उठाया जा सकता है तो आप को बता दें कि यहां डबल मजा का मतलब डबल प्रोटैक्शन से है, जिस में एक कदम आप का पार्टनर बढ़ाए वहीं दूसरा कदम आप यानी जहां आप का पार्टनर संभोग के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करे वहीं आप गर्भनिरोधक गोलियों का. इस से अगर कंडोम फट भी जाएगा तब भी गर्भनिरोधक गोलियां आप को प्रैग्नैंट होने के खतरे से बचाएंगी, जिस से आप सैक्स का सुखद आनंद उठा पाएंगी.

कई बार ऐसी सिचुऐशन भी आती है कि दोनों एकदूसरे पर कंट्रोल नहीं कर पाते और बिना कोई सावधानी बरते एकदूसरे को भोगना शुरू कर देते हैं लेकिन जब होश आता है तब उन के होश उड़ जाते हैं. अगर आप के साथ भी कभी ऐसा हो जाए तो आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों का सहारा लें लेकिन साथ ही डाक्टरी परामर्श भी लें, ताकि इस का आप की सेहत पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े.

पुलआउट मैथड

पुलआउट मैथड को विदड्रौल मैथड के नाम से भी जाना जाता है. इस प्रक्रिया में योनि के बाहर लिंग निकाल कर वीर्यपात किया जाता है, जिस से प्रैग्नैंसी का खतरा नहीं रहता. लेकिन इसे ट्राई करने के लिए आप के अंदर सैल्फ कंट्रोल और खुद पर विश्वास होना जरूरी है.

सैक्स के बजाय करें फोरप्ले

फोरप्ले में एकदूसरे के कामुक अंगों से छेड़छाड़ कर के उन्हें उत्तेजित किया जाता है. इस में एकदूसरे के अंगों को सहलाना, उन्हें प्यार करना, किसिंग आदि आते हैं. लेकिन इस में लिंग का योनि में प्रवेश नहीं कराया जाता. सिर्फ होता है तन से तन का स्पर्श, मदहोश करने वाली बातें जिन में आप को मजा भी मिल जाता है, ऐंजौय भी काफी देर तक करते हैं.

अवौइड करें ओरल सैक्स

ओरल सैक्स नाम से जितना आसान सा लगता है वहीं इस के परिणाम काफी भयंकर होते हैं, क्योंकि इस में यौन क्रिया के दौरान गुप्तांगों से निकलने वाले फ्लूयड के संपर्क में व्यक्ति ज्यादा आता है, जिस से दांतों को नुकसान पहुंचने के साथसाथ एचआईवी का भी खतरा रहता है.

यदि इन खतरों को जानने के बावजूद आप इसे ट्राई करते हैं तो युवक कंडोम और युवतियां डेम का इस्तेमाल करें जो छोटा व पतला स्क्वेयर शेप में रबड़ या प्लास्टिक का बना होता है जो वैजाइना और मुंह के बीच दीवार की भूमिका अदा करता है जिस से सैक्सुअल ट्रांसमिटिड डिजीजिज का खतरा नहीं रहता.

पौर्न साइट्स को न करें कौपी

युवाओं में सैक्स को जानने की इच्छा प्रबल होती है, जिस के लिए वे पौर्न साइट्स को देख कर अपनी जिज्ञासा शांत करते हैं. ऐसे में पौर्न साइट्स देख कर उन के मन में उठ रहे सवाल तो शांत हो जाते हैं लेकिन मन में यह बात बैठ जाती है कि जब भी मौका मिला तब पार्टनर के साथ इन स्टैप्स को जरूर ट्राई करेंगे, जिस के चक्कर में कई बार भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. लेकिन ध्यान रहे कि पौर्न साइट्स पर बहुत से ऐसे स्टैप्स भी दिखाए जाते हैं जिन्हें असल जिंदगी में ट्राई करना संभव नहीं लेकिन इन्हें देख कर ट्राई करने की कोशिश में हर्ट हो जाते हैं. इसलिए जिस बारे में जानकारी हो उसे ही ट्राई करें वरना ऐंजौय करने के बजाय परेशानियों से दोचार होना पड़ेगा.

सस्ते के चक्कर में न करें जगह से समझौता

सैक्स करने की बेताबी में ऐसी जगह का चयन न करें कि बाद में आप को लेने के देने पड़ जाएं. ऐसे किसी होटल में शरण न लें जहां इस संबंध में पहले भी कई बार पुलिस के छापे पड़ चुके हों. भले ही ऐसे होटल्स आप को सस्ते में मिल जाएंगे लेकिन वहां आप की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं होती.

हो सकता है कि रूम में पहले से ही कैमरे फिट हों और आप को ब्लैकमैल करने के उद्देश्य से आप के उन अंतरंग पलों को कैमरे में कैद कर लिया जाए. फिर उसी की आड़ में आप को ब्लैकमेल किया जा सकता है. इसलिए सावधानी बरतें.

अलकोहल, न बाबा न

कई बार पार्टनर के जबरदस्ती कहने पर कि यार बहुत मजा आएगा अगर दोनों वाइन पी कर रिलेशन बनाएंगे और आप पार्टनर के इतने प्यार से कहने पर झट से मान भी जाती हैं. लेकिन इस में मजा कम खतरा ज्यादा है, क्योंकि एक तो आप होश में नहीं होतीं और दूसरा पार्टनर इस की आड़ में आप के साथ चीटिंग भी कर सकता है. हो सकता है ऐसे में वह वीडियो क्लिपिंग बना ले और बाद में आप को दिखा कर ब्लैकमेल या आप का शोषण करे.

न दिखाएं अपना फोटोमेनिया

भले ही पार्टनर आप पर कितना ही जोर क्यों न डाले कि इन पलों को कैमरे में कैद कर लेते हैं ताकि बाद में इन पलों को देख कर और रोमांस जता सकें, लेकिन आप इस के लिए राजी न हों, क्योंकि आप की एक ‘हां’ आप की जिंदगी बरबाद कर सकती है.

सैक्स के बाद के खतरे

सैक्स के बाद के खतरे

ब्लैकमेलिंग का डर

अधिकांश युवकों का इंट्रस्ट युवतियों से ज्यादा उन से संबंध बनाने में होता है और संबंध बनाने के बाद उन्हें पहचानने से भी इनकार कर देते हैं. कई बार तो ब्लैकमेलिंग तक करते हैं. ऐसे में आप उस की ऐसी नाजायज मांगें न मानें.

बीमारियों से घिरने का डर

ऐंजौयमैंट के लिए आप ने रिलेशन तो बना लिया, लेकिन आप उस के बाद के खतरों से अनजान रहते हैं. आप को जान कर हैरानी होगी कि 1981 से पहले यूनाइटेड स्टेट्स में जहां 6 लाख से ज्यादा लोग ऐड्स से प्रभावित थे वहीं 9 लाख अमेरिकन्स एचआईवी से. यह रिपोर्ट शादी से पहले सैक्स के खतरों को दर्शाती है.

मैरिज टूटने का रिस्क भी

हो सकता है कि आप ने जिस के साथ सैक्स रिलेशन बनाया हो, किसी मजबूरी के कारण अब आप उस से शादी न कर पा रही हों और जहां आप की अब मैरिज फिक्स हुई है, आप के मन में यही डर होगा कि कहीं उसे पता लग गया तो मेरी शादी टूट जाएगी. मन में पछतावा भी रहेगा और आप इसी बोझ के साथ अपनी जिंदगी गुजारने को विवश हो जाएंगी.

डिप्रैशन का शिकार

सैक्स के बाद पार्टनर से जो इमोशनल अटैचमैंट हो जाता है उसे आप चाह कर भी खत्म नहीं कर पातीं. ऐसी स्थिति में अगर आप का पार्टनर से बे्रकअप हो गया फिर तो आप खुद को अकेला महसूस करने के कारण डिप्रैशन का शिकार हो जाएंगी, जिस से बाहर निकलना इतना आसान नहीं होगा.

कहीं प्रैग्नैंट न हो जाएं

आप अगर प्रैग्नैंट हो गईं फिर तो आप कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगी. इसलिए जरूरी है कोई भी ऐसावैसा कदम उठाने से पहले एक बार सोचने की, क्योंकि एक गलत कदम आप का भविष्य खराब कर सकता है. ऐसे में आप बदनामी के डर से आत्महत्या जैसा कदम उठाने में भी देर नहीं करेंगी.

 

आपका दिल जीतने के लिये काफी है हेलसिंकी

फिनलैंड विश्व का सर्वाधिक ईमानदार और भ्रष्टाचारमुक्त देश है. फिनलैंड के निवासियों को फिन्स कहा जाता है जो  उत्कृष्ट वास्तुशिल्प, कला, विज्ञान और तकनीकी कौशल से संपन्न हैं. पूर्व में रूस, उत्तर में नार्वे तथा दक्षिण में स्वीडन से घिरे फिनलैंड का नैसर्गिक सौंदर्य पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है.

भूगोलविदों के अनुसार यहां 1,88,000 झीलें और लगभग इतने ही द्वीप हैं. ध्रुवीय छोर पर स्थित फिनलैंड वर्ष में 2 महीने हिमाच्छादित रहता है जिस के कारण दिन में घटाटोप अंधकार रहता है. आसमान में सूरज का नामोनिशान नहीं दिखाई देता. उस दौरान तकरीबन संपूर्ण विश्व के पर्यटक यहां पर नौर्दर्न लाइट्स का अद्वितीय नजारा देखने के लिए एकत्रित होते हैं. पाइन और फर के पेड़ों के बीच से छन कर आती हरीपीली रोशनी धरती पर अलौकिक दृश्य प्रस्तुत करती है. शांत, विनम्र फिनलैंडवासी न तो शीतऋतु के अंधकार से प्रभावित होते हैं और न ही ठंड से.

पौराणिक मिथक के अनुसार, कोर्वाटन टुरी पर्वत पर सांता क्लास का घर है. यहां सांता क्लास से मिलने के इच्छुक लोगों की वजह से पर्यटन उद्योग में निरंतर वृद्धि हो रही है.

फिनलैंड में गिनेचुने शहर हैं जो पूरी तरह से योजनाबद्ध व सुविधासंपन्न हैं. बाल्टिक सागर के तट पर बसा हेलसिंकी फिनलैंड की राजधानी और सब से बड़ा शहर है. यह बाल्टिक की बेटी कहलाता है. वास्तव में हेलसिंकी के विशाल उद्योग, विराट बंदरगाह, पुराने भव्य शिल्प, वैभव संपन्नता में बाल्टिक सागर का बहुमूल्य योगदान है.

यही नहीं, हेलसिंकी के अल्पकालीन संघर्षपूर्ण इतिहास के लिए भी बाल्टिक ही उत्तरदायी है. शहर में स्कैंडेनेवियन सभ्यता, संस्कृति के अवशेष आज भी विद्यमान हैं. डाउनटाउन पर स्कैंडेनेवियन प्रभाव प्रतिबिंबित होता है.

सदियों तक पड़ोसी देशों के आधिपत्य में रहने तथा पश्चिमी, पूर्वी व दक्षिणी सभ्यताओं को आत्मसात करने के बाद फिनलैंडवासियों की स्वतंत्र पहचान 19वीं सदी में स्थापित हुई. स्वाधीनता प्राप्ति के बाद उन्होंने कहा, ‘‘हम स्वीड्स नहीं हैं, रूसी बनना नहीं चाहते, हमें फिन ही रहना है.’’

हेलसिंकी नगर की स्थापना रूस के जार निकोलस प्रथम के आदेश पर जरमन वास्तुशिल्पी कार्ल एंजल लुडविग ने की थी. निकोलस की कल्पना के अनुरूप लुडविग ने शहर की भव्य इमारतों, चौकचौराहों को शिल्पाकृतियों से सजा दिया. कई बार आगजनी, महामारी तथा विध्वंसकारी युद्ध होने के बावजूद हेलसिंकी ने अपनी गौरवमय सुंदरता को सुरक्षित रखा है.

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315 द्वीपों से बना यह शहर सागर पर ही बसा है. द्वीपों को जोड़ने के लिए पुल हैं तथा एक द्वीप से दूसरे द्वीप पर नावों के जरिए पहुंचा जा सकता है. आधुनिक हेलसिंकी शांत व विकासशील नगर है. निर्जन झाडि़यों तथा काष्ठनिर्मित घरों का स्थान नवशिल्प से सज्जित भवनों ने ले लिया है.

हेलसिंकी का चप्पाचप्पा वहां के वास्तुविदों के अद्भुत शिल्प कौशल का परिचायक है. उन्होंने वहां के सामान्य भवनों को भी फिनलैंड के विशिष्ट स्मारकों में परिवर्तित कर दिया. 1914 में निर्मित रेलवे स्टेशन इस का अद्वितीय उदाहरण है.

वास्तुशिल्पी एलेल सारिनेन ने इस की परिकल्पना 1905 में की थी तथा इस का निर्माणकार्य 1919 में पूरा हुआ था. गुलाबी रंग के ग्रेनाइट से बना गोलाकार रेलवे स्टेशन अपनी तांबे से मढ़ी छत, 160 फुट ऊंचे घंटाघर के साथ नगर के सौंदर्य में चारचांद लगा रहा है. प्रवेशद्वार के दोनों ओर एमिल विक्सट्राम द्वारा निर्मित मशालवाहक विराट मूर्तियों का युगल गंभीर मुद्रा में खड़ा है.

रेलवे स्टेशन हेलसिंकी को पूरे फिनलैंड से जोड़ता है. शहर की सैर शुरू करने के लिए यह सर्वोत्तम स्थान है. अधिकांश दर्शनीय स्थलों की सैर पैदल ही की जा सकती है. नगरीय परिवहन सेवा यहीं से आरंभ होती है. मैट्रो भी यहीं से चलती है. इस के समीप अनेक बसें आ कर रुकती हैं. रेलवे स्टेशन के सामने सभी ट्राम्स आ कर रुकती हैं. हेलसिंकी नगर में पर्यटकों के लिए अनेक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व प्राकृतिक स्थल आकर्षण के केंद्र हैं.

मेनरहम गली : रेलवे स्टेशन के उत्तरपूर्व में मेनरहम गली हेलसिंकी के एस्प्लेनेड के अंतिम छोर तक जाती है. सैंट्रल रेलवे स्टेशन का डिजाइन एलेल सारिनेन ने तैयार किया था. 48 मीटर ऊंचे क्लौक टावर वाली यह एक शानदार इमारत है. इस के आसपास थोड़े महंगे लेकिन उच्च श्रेणी के रैस्टोरैंट हैं. पोस्टऔफिस से आगे फिनिश इतिहास के महानायक मार्शल मेनरहम की घोड़े पर सवार भव्य प्रतिमा है. इस के ठीक पीछे समकालीन कला संग्रहालय कीएसमा है. गली में अनेक विशाल स्टोर तथा बढि़या होटल हैं.

एटेनियम (फिनिश राष्ट्रीय कला संग्रहालय) : हेलसिंकी रेलवे स्टेशन के दक्षिण में फिनिश राष्ट्रीय कला संग्रहालय यानी एटेनियम है. यहीं पर फिनिश एकेडमी औफ आर्ट है. एटेनियम में फिनलैंड की सर्वोत्कृष्ट ऐतिहासिक कलाकृतियों के साथसाथ समकालीन कलाकृतियों का संग्रह भी है. विदेशी चित्रकारों में प्रमुख हैं, रेम्ब्रां व विंहसेंट वान-गाग तथा 650 अन्य प्रख्यात अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों की कृतियां हैं. स्कलप्चर हौल में प्रख्यात शिल्पकारों, वी वेलरगन, डब्लू आल्टोनेन, डब्लू रुनेबर्ग और एस हिल्डेन की शिल्पाकृतियां रखी हैं.

कनसाली म्यूजिओ (फिनिश राष्ट्रीय संग्रहालय): मैनरथिमिंटी रोड पर वर्ष 1912 में रोमांटिक शैली में निर्मित कनसाली म्यूजिओ यानी फिनिश राष्ट्रीय संग्रहालय है. संग्रहालय में फिन्स की सभ्यता, संस्कृति से संबद्ध विपुल सामग्री संग्रहीत है.

फिन्लैंडिया हौल : यह हेलसिंकी का म्यूनिसिपल म्यूजियम है. इस के उत्तर में टूलू खाड़ी के तट पर फिन्लैंडिया हौल है. यहां पर कई विशिष्ट आकर्षण के केंद्र हैं. चौड़ी वेनेशियन सीढि़यां ग्राउंडफ्लोर को प्रमुख सभागार तथा चैबेर म्यूजिक हौल से जोड़ती हैं. सभागार के उत्तर में एक मनोरम उद्यान है. यहां पर शतरंज के बड़ेबड़े बोर्ड और मोहरे रखे हुए हैं.

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फिन्लैंडिया हौल के उत्तर में टूलोनहटी झील के शिखर पर पुराना ट्रेड फेयर हौल है और उस से आगे है 1938 में निर्मित ओलिंपिक स्टेडियम. यहां पर 72 मीटर ऊंचे टावर से नगर का मनमोहक दृश्य दिखाई देता है. द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू होने से पहले फिनलैंड में ओलिंपिक खेलों का आयोजन होना था परंतु युद्ध के कारण खेल स्थगित हो गए. बाद में वर्ष 1952 में यहां पर ओलिंपिक खेलों का आयोजन किया गया.

कोस्कुसपिस्टो (सैंट्रल पार्क) : हेलसिंकी का सैंट्रल पार्क नगर के मध्य स्थित विशाल पार्क है. यह 10 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है. पार्क में फूलों की अपेक्षा जंगली पौधे अधिक हैं.

कौपाटोरी : यह हेलसिंकी का प्रमुख योजनाबद्ध स्क्वायर है. यह उत्तरी यूरोप की प्रसिद्ध बाहरी मार्केट में से एक है. बाल्टिक सागर के किनारे स्थित यह मार्केट वसंत से पतझड़ तक खुला रहता है.

चारदीवारी से घिरे सुओमेनलीना किले के सभी 6 द्वीप हेलसिंकी के अंतरंग भाग हैं. देखने पर ये दूर दिखाई देते हैं लेकिन नौका से वहां आसानी से पहुंचा जा सकता है.

बाल्टिक में रूस को पहुंचने से रोकने के लिए 18वीं सदी के मध्य में स्वीडन ने इस किले का निर्माण करवाया था. 1808-1809 के स्वीडनरूस युद्ध में किले पर रूसियों का आधिपत्य हो गया था. आधिपत्य के बाद 1918 में उन्होंने इस का विस्तार कर और अधिक सुदृढ़ किया और फिनिश नाम सुओमेनलीना रखा. यह सांस्कृतिक तथा आमोदप्रमोद के कार्यस्थल के रूप में नवनिर्मित किया गया.

हेलसिंकी के भव्य सीनेट स्क्वायर के मध्य जार अलेक्जैंडर की कांस्य प्रतिमा स्थापित है. यहां से मार्केट स्क्वायर तक पर्यटकों के लिए अनेक दर्शनीय स्थल हैं. प्रैसिडैंट्स पैलेस तथा गार्डहाउस के बीच से एक गली अलेक्स्नटेरीरिकटु तक जाती है.

इस के बाईं तरफ फिनिश इतिहास की गवाह अनेक इमारतें हैं. अलेक्स्नटेरीरिकटु के दाईं तरफ हाउस औफ नोबेलिटी है. दूसरी तरफ फिनिशि लिटरेरी सोसायटी का परिसर तथा गवर्नमैंट पैलेस है.

फिन्स लोग विनम्र व शांत स्वभाव के होते हैं. बाह्म सभ्याचार के लिए उन को सौरी कहना अथवा क्षमा चाहता हूं जैसे वाक्य कहने नहीं आते. बड़ी गलती हो जाने पर वे विनम्रतापूर्वक अन्तीक्सी कहते हैं. फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी की सैर कुल मिला कर पर्यटकों को मुग्ध कर देती है.

यहां करें निवेश, कुछ ही साल में चार गुना हो जाएगा आपका पैसा

आमतौर पर लोग ऐसे निवेश विकल्प की तलाश में रहते हैं जहां उनका पैसा तेजी से बढ़ता रहे. ऐसे में लोग शेयर बाजार और म्युचुअल फंड का चयन करते हैं. लेकिन जब बात जोखिम रहित निवेश की आती है तो ऐसे में निवेश विकल्प सीमित हो जाते हैं. हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको कुछ ऐसे विकल्पों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जहां पर आप जोखिम रहित निवेश कर सकते हैं और अपने निवेश को तीन से चार गुना तक बढ़ा सकते हैं.

जोखिम रहित निवेश के लिहाज से एफडी को सबसे बेहतर माना जाता है, जिसकी सेवाएं भारतीय बैंक और पोस्ट औफिस दोनों देते हैं, हालांकि दोनों की ओर से मुहैया कराई जाने वाली ब्याज दर में अंतर होता है.

पोस्ट औफिस फिक्स्ड डिपौजिट (FD): अगर आप पोस्ट औफिस में एफडी कराते हैं तो आपको 1 से 5 साल की एफडी पर 6.8 से 7.6 फीसद की दर से ब्याज मिल सकता है. यह जानकारी इंडिया पोस्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध है. जोखिम रहित निवेश और रिटर्न के लिहाज से यह एक अच्छा विकल्प माना जाता है.

फिक्स्ड डिपौजिट बैंक: सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एसबीआई में 5 से 10 साल के लिए फिक्स्ड डिपौजिट कराने पर 6.75 फीसद का ब्याज मिल रहा है. वहीं सीनियर सिटीजन के लिए यह दर 7.25 फीसद है. ऐसे में अगर आप इसमें 5 लाख का निवेश करते हैं तो रूल औफ 72 के हिसाब से 72/6.75= 10.66, करीब 11 साल में आपका पैसा डबल हो जाएगा. वहीं अगर आप अपनी एफडी की मैच्योरिटी पीरियड को बढ़वाते हैं तो आपको और भी ज्यादा पैसा मिल सकता है.

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पोस्ट औफिस फिक्स्ड डिपौजिट में कितने दिन में डबल होगा आपका पैसा?

यह जानने के लिए रूल औफ 72 का इस्तेमाल किया जाता है. 72/7.6= 9.5, यानी 10 साल से कम समय में आपका पैसा दोगुना हो जाएगा, वहीं अगर आप अपने फिक्स्ड डिपौजिट की अवधि बढ़वाकर 20 तक ले जाते हैं तो यह आपके लिए काफी ज्यादा फायदेमंद रहेगी. यानी अगर आप पोस्ट औफिस की एफडी में निवेश करते हैं तो 20 साल से कुछ कम समय में आपका निवेश लगभग चार गुना हो सकता है. यानी अगर आपने 3 लाख रुपए निवेश किया है तो 20 साल बाद यह रकम 12 लाख हो सकती है.

इसके अलावा पोस्ट औफिस में भी ऐसी कई बचत योजनाएं चलती हैं, जिनमें पैसा जमा करके आप उसे 20 साल के भीतर तीन से चार गुना कर सकते हैं. जानिए पोस्ट औफिस की ऐसी ही स्कीम के बारे में..

पोस्ट औफिस टाइम डिपौजिट अकाउंट (TD): इस अकाउंट में अवधि के हिसाब से अलग अलग ब्याज दर मुहैया करवाया जाता है. इंडिया पोस्ट की वेबसाइट के मुताबिक 1 साल के अकाउंट पर 6.6 फीसद का ब्याज, 2 साल के अकाउंट पर 6.7 फीसद का ब्याज, 3 साल के अकाउंट पर 6.9 फीसद का ब्याज और 5 साल के अकाउंट पर 7.4 फीसद का ब्याज मुहैया करवाया जाता है. यहां पर अधिकतम 5 साल के लिए पैसा जमा किया जा सकता है, लेकिन 5 साल पूरा होते ही इसे दोबारा 5 साल के लिए जमा करके आगे बढ़ाया जा सकता है. ऐसे में अगर आप इसमें 2 लाख रुपए का निवेश करते हैं तो रूल औफ 72 के मुताबिक 10 साल से कुछ कम समय में आपका पैसा दोगुना हो सकता है. वहीं अगर आप अपनी एफडी की मैच्योरिटी को 20 साल तक ले जाते हैं तो आपका पैसा चार गुना भी हो सकता है.

नेशनल सेविंग सार्टिफिकेट (NSC): नेशनल सेविंग स्कीम भी एक शानदार जोखिम रहित निवेश योजना है. यहां पर 7.6 फीसद का सालाना ब्याज मुहैया करवाया जाता है. इसकी मैच्योरिटी अवधि भी 5 साल और 10 साल के लिए होती है. यहां पर साढ़े नौ वर्षों में आपका पैसा दो गुना हो सकता है. इसमें किए गए निवेश पर आप 1.5 लाख रुपए तक का सालाना टैक्स भी बचा सकते हैं.

हर बार कुछ नया एक्स्प्लोर करना चाहती हूं : गीतांजलि थापा

मौडलिंग से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री गीतांजलि थापा सिक्किम की हैं. उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि वह अभिनेत्री बनेंगी, लेकिन एक आडिशन ने उनकी जिंदगी बदल दी और वह इस क्षेत्र में आ गयीं. इसमें उनका साथ दिया, उनके माता-पिता ने, जिन्होंने उनके हर फैसले का स्वागत किया. स्वभाव से हंसमुख गीतांजलि ने हिंदी फिल्मों में डेब्यू फिल्म ‘आई डी’ से किया. जिसमें उनके काम को सराहना मिली और उन्हें लौस एंजिलस फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड मिला. हालांकि उन्होंने लीक से हटकर फिल्में की, पर उन्हें कई पुरस्कार बेहतरीन एक्टिंग के लिए मिले हैं. फिल्म ‘लायर्स डाइस’ भी उसकी ऐसी ही फिल्म है, जिसके लिए उन्हें साल 2013 में बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल फिल्म अवार्ड मिला. वह शांत और दृढ़ हैं और हर फिल्म को सोच समझकर साईन करती हैं. इन दिनों उनकी फिल्म ‘बाइस्कोपवाला’ रिलीज पर है. पेश है उससे हुई बातचीत के कुछ अंश.

इस फिल्म को चुनने की खास वजह क्या है?

पहले आडिशन हुआ और मैं चुन ली गयी. जब मैंने इसकी स्क्रिप्ट पढ़ी, तो मेरे रोंगटें खड़े हो गए. ये एक बहुत ही अच्छी कहानी है. बचपन में मैंने टैगोर की काबुलीवाला की कहानी पढ़ी थी. उसकी एक्सटेंडेड कहानी है. जो काफी रुचिकर है. इसमें मैंने मिनी की भूमिका निभाई है. अधिकतर फिल्में पुरुष प्रधान होती है, ऐसे में इसमें मुझे मुख्य भूमिका के अलावा बहुत कुछ करने को मिल रहा है, जो मेरे लिए अच्छा है.

फिल्मों में आना इत्तफाक था या शुरू से शौक था?

इत्तफाक ही था. मैं दिल्ली में सिक्किम से पढ़ने आई थी. वहां मेरे एक दोस्त ने आडिशन के लिए बुलाया, मैं गयी और चुन ली गयी और काम मुंबई में था, इसलिए मुंबई आ गई. यहां आने पर मैंने सोचा कि मैं यहीं रहकर कुछ काम करुंगी. मैं आडिशन देने लगी और कई अच्छी फिल्में जैसे आई डी और लायर्स डाइस मिली. जिसमें मुझे कई पुरस्कार भी मिले. इस दौरान मुझे कई अच्छे लोग मिले जिन्होंने एक्टिंग, साउंड, कैमरा फेसिंग, डायरेक्शन, प्रोडक्शन आदि सबके बारें में बताया, इससे मुझे फिल्मों की बारीकियों को सीखने के मौके के साथ हिम्मत भी मिली और मैं इस क्षेत्र में आ गयी.

लीक से हटकर फिल्में करने की वजह क्या है?

मैंने अधिकतर इंडिपेंडेंट फिल्में की है जो अब तक करीब 8 है. मुझे अच्छी फिल्मों में एक्टिंग करना है, फिर चाहे माध्यम कुछ भी हो फर्क नहीं पड़ता. मैं बाहर से हूं, मेरा कोई गौड फादर नहीं, इसलिए जो भी फिल्म मेरे पास आती है, उसमें से मैं अच्छा चुन लेती हूं और मेरे हिसाब से मेरा चुनाव सही भी है.

पुरस्कार आपको कितना मोरल सपोर्ट देते हैं?

मैंने इसके लिए मेहनत की है. जब पुरस्कार मिलता है तो गौरवान्वित महसूस करती हूं. इससे मेरे माता-पिता भी बहुत खुश होते हैं. मैं उनको खुश देखना चाहती थी और ये अहसास मुझे नेशनल अवार्ड मिलने के बाद मिला.

बाहर से आकर काम करना कितना मुश्किल था? माता-पिता ने कैसे सहयोग दिया?

मुश्किल नहीं था, क्योंकि मैं दिल्ली पढ़ने आई थी. वहां भी मेरा कोई नहीं था. मेरे माता-पिता ने हमेशा मुझे अपना कैरियर चुनने की आजादी दी है. मैं जो भी काम करूं उसमें खुश रहूं यही वे चाहते हैं. बेटी या बेटा इस तरह की मानसिकता वे कभी नहीं रखते. ये पूरे परिवार के बच्चों के लिए सिक्किम में लागू होता है. हां इतना जरुर था कि फिल्म इंडस्ट्री में कोई नहीं था, इसलिए वे इस फील्ड को जानते नहीं थे, पर उन्होंने मुझे मानसिक और आर्थिक रूप से बहुत सहयोग दिया. अभी वे मेरी कामयाबी से खुश हैं.

अभी किस तरह का संघर्ष करना पड़ रहा है?

संघर्ष तो चलता ही रहेगा. एक अच्छी फिल्म का मिलना भी बड़ी बात होती है. कई बार ऐसा होता है कि मुझे स्क्रिप्ट पसंद आई पर निर्देशक को मैं पसंद नहीं. इस तरह का संघर्ष चलता ही रहता है और मैं अच्छी से अच्छी भूमिका निभाना चाहती हूं. हर बार नया एक्स्प्लोर करना चाहती हूं. अब तक मैंने जो भूमिका निभाई है, उससे अलग निभाना पसंद करती हूं.

कास्टिंग काउच का सामना करना पड़ा?

कुछ खास नहीं, लेकिन कुछ लोग ऐसा कहते थे कि आपका चेहरा इंडियन नहीं. ये सही है कि मैं ईस्ट से हूं और मेरा चेहरा इंडियन गर्ल की तरह नहीं, इसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं, लेकिन मुझे काम मिला और अच्छा काम मिला. वहीं संघर्ष पहले था, जो अब नहीं है. एक विज्ञापन में तो अंत में मुझे कहा गया कि मेरी स्किन टोन ‘डस्की’ है. ऐसी मूर्खतापूर्ण बातों का सामना मुझे कई बार करना पड़ा, लेकिन इससे मेरे अंदर आत्मविश्वास और अधिक बढ़ा है.

कोई ड्रीम प्रोजेक्ट है?

नया कुछ भी काम करना चाहती हूं और हर दिन जब भी शूट पर जाना हो तो एक एक्साइटमेंट हो, कि मुझे काम पर जाना है और वही मेरा ड्रीम है.

आउटसाइडर होने के नाते अच्छा काम मिलना कितना मुश्किल होता है?

मैं इसपर विश्वास नहीं करती, मुझे काम मिला है. इसके अलावा मैं बहुत ट्रेवल करती हूं और अच्छे लोगों से मिलती हूं. मैंने अच्छी फिल्में भी की है और मैं गर्वित हूं कि मुझे अच्छा काम मिलता गया. मैं अच्छी रीजनल फिल्में करने की इच्छा रखती हूं.

खाली समय में अभिनय के अलावा क्या करना पसंद करती हैं?

मैं बहुत पढ़ती और ट्रेवल करती हूं और वह मुझे पसंद है.

आप कितनी फूडी और फैशनेबल हैं? तनाव होने पर क्या करती हैं?

मैं फूडी हूं और खाना खुद बनाना पसंद करती हूं. मैं पास्ता अच्छा बना लेती हूं. मैं अपने कम्फर्ट के  हिसाब से कपड़े पहनती हूं. तनाव होने पर खाना बनाती और खाती हूं.

यूथ को क्या मेसेज देना चाहती हैं?

जो सोचे, उसे करें और अपने फैसले पर अडिग रहें.

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