ये शानदार स्मार्ट टूल्स बनाएं किचन को कूल

वर्किंग कल्चर होने के कारण आज महिलाओं का शैड्यूल इतना बिजी हो गया है कि वे खाना बनाने पर ज्यादा समय नहीं दे पाती हैं. मन होने के बावजूद सब्जियां वगैरा काटने के झंझट से बचने के लिए शौर्टकट तरीका ही अपनाना पसंद करती हैं. ऐसे में वे कम समय में ज्यादा चीजें और अपनी पसंद का खाना बना सकें इस के लिए पेश हैं स्मार्ट किचन टूल्स:

क्विक चौपिंग एेंड डाइसिंग

फूड चौपर: सब्जियों को मिनटों में काट कर आप के समय की बचत करते हैं फूड चौपर. यही नहीं सब्जियां भी एक ही साइज की कटती हैं. न किचन गंदी होने का झंझट, न ही हाथ कटने का डर और काम करने में भी काफी आसानी. तो हुआ न मैजिक फूड चौपर. कीमत भी पौकेट फ्रैंडली यानी यह आप को 300 से 500 में आसानी से मिल जाएगा.

चौपर स्लाइसर डाइसर: आप पार्टियों आदि में बहुत ही डैकोरेटिव वे में सलाद को सजा देख सोचती होंगी कि काश मैं भी घर पर ऐसा सलाद तैयार कर सकती. जी हां, आप भी घर पर ऐसा सलाद डिफरैंट शेप वाले डाइसर से तैयार कर सकती हैं.

फ्रैश जूस कुछ ही पलों में

इलैक्ट्रौनिक जूसर से जूस निकालने के झंझट से बचने के लिए अधिकांश लोग बाहर से ही जूस पीना पसंद करते हैं. लेकिन वे इस बात से अनजान रहते हैं कि इस से जूस का तापमान बढ़ जाता है जो सेहत के लिए सही नहीं होता. मैन्युअल जूसर से जूस निकालना काफी आसान ही नहीं होता, वरन वह टेस्टी व सेहतमंद भी होता है. फिर जूसर को धोने में भी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती. बस मन किया और तैयार कर लिया जूस. आप को क्व150 से ले कर क्व400 तक अच्छा जूसर मिल जाएगा.

फटाफट करें लंच की तैयारी

पूरी मेकर: घर में ज्यादा मेहमान आ जाएं और आप यह सोचसोच कर परेशान हैं कि खाने में क्या बनाया जाए तो घबराएं नहीं. पूरी मेकर से मिनटों में तैयार करें ढेरों पूरियां और वह भी बिना किसी की मदद लिए. यकीन मानिए इस से बनी पूरियां मेहमानों को आप की तारीफ करने को मजबूर कर देंगी और फिर कीमत भी सिर्फ 300 से 500 के बीच.

रोटी मेकर दे रोटियों को परफैक्ट शेप: रोटियों को परफैक्ट शेप देना बड़ा मुश्किल काम होता है. ऐसे में आप ने लंच के लिए डिशेज तो एक से बढ़ कर एक तैयार कर लीं लेकिन रोटियां कहीं टेड़ीमेड़ी न बन जाएं यह सोच कर घबरा रही हैं तो शांत हो जाएं, क्योंकि रोटी मेकर है न, जो रोटियों को परफैक्ट शेप देने के साथसाथ आप का समय भी बचाएगा.

सेहत वाले शेक्स मिनटों में 

हैंड ब्लैंडर: परिवार का कोई सदस्य कब क्या फरमाइश कर दे कुछ कहा नहीं जा सकता और फिर आप की भी कोशिश उन्हें हैल्दी चीजें परोसने की रहती है, तो फिर सोचना कैसा. उन्हें रोज हैंड ब्लैंडर से उन की पसंद के शेक्स सर्व कर उन्हें सेहतमंद बनाएं. बजट की चिंता भी नहीं क्योंकि यह आप को वाजिब कीमत में मिल जाएगा.

इस तरह के स्मार्ट किचन टूल्स अपना कर आप जो समय बचाएंगी वही आप का अपनों के साथ बिताया क्वालिटी टाइम बन जाएगा.

हम सुधरने वाले नहीं

हर खराब चीज के लिए भाजपा सरकार को दोष देना तो ठीक न होगा पर जब मोदी हर अच्छी बात के लिए अपनी पीठ खुद थपथपा सकते हैं, तो उन के शासनकाल में होने वाली कमी, कमजोरी या खराबी के लिए उन्हें ही गाल आगे करने होंगे.

शहरों का प्रदूषण आज देश के लिए सब से भयंकर बीमारी है. यह भूख की तरह की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया के 15 सब से गंदे शहरों में से 14 भारत में हैं. इन 14 (बाकी की तो छोडि़ए) की औरतों को बीमारियों, मैले कपड़ों, कीच होती दीवारों, चिटकते फर्शों, कीटों, मच्छरों व मक्खियों के लिए सरकार को ही कोसना होगा.

2014 में दुनिया के सब से गंदे 15 शहरों में से भारत के 3 ही शहर थे. स्वच्छता अभियान की पोल खोलती यह रिपोर्ट बताती है कि अब 4 सालों में 11 शहर और जुड़ गए हैं. गंगा किनारे बसा कानपुर सब से गंदा है. यमुना किनारे बसा फरीदाबाद 2 नंबर पर है, तो गंगा के किनारे बसा वाराणसी शहर 3 नंबर पर. तीर्थस्थान गया जहां 4 नंबर पर है, वहीं गंगा किनारे बसा पटना 5 नंबर पर. नरेंद्र मोदी की सीट दिल्ली 6 नंबर पर है और योगी आदित्यनाथ का आश्रम लखनऊ 7 नंबर पर है.

वृंदावन मथुरा से थोड़ा दूर आगरा 8 नंबर पर है. श्रीनगर जो कहते नहीं अघाता था कि स्वर्ग यहीं है 10 नंबर पर है. दक्षिण भारत के किसी भी राज्य में गंदे 15 शहरों में कोई भी शहर नहीं है. 15 में से 14 के 14 भारतीय जनता पार्टी की सरकारों के हाथों में हैं.

यह चाहे सही है कि गंदगी पिछली सरकारों की भी देन है पर जब वाहवाही लूटने के लिए पिछली सरकार के अच्छे योगदान को अनदेखा करोगे तो थूथू भी सुनोगे.

बच्चों के अच्छे नंबर आए हैं, तो तारीफ पत्नी को मिलेगी, खराब नंबर आए हैं, तो उन के दादादादी को तो नहीं कोसा जाएगा न.

ये शहर गंदे इसलिए हैं कि गंद को उठाना हमारे यहां आज भी बेहद गंदा काम समझा जाता है. भारत में अब दलित भी यह काम करने में आनाकानी करने लगे हैं, क्योंकि इस काम का आर्थिक ही नहीं सामाजिक असर भी है. दूसरे देशों में यह काम वहां के अनपढ़, गरीब या बाहर के आए लोग कर रहे हैं पर इस काम को करने वाले सामाजिक बहिष्कार के शिकार नहीं होते.

यहां का सफाई कर्मचारी इस काम को जन्मजात बोझ समझता है. उस का मन ही नहीं है इस में और हो भी क्यों? घर में रह रही विधवा को यदि सफेद कपड़े पहना कर सीढि़यों के नीचे वाली कोठरी दोगे तो वह घर की रक्षा तो करेगी नहीं, मन मार कर काम करेगी, केवल जीने भर के लिए.

गंदगी ऊंचे फैलाते हैं, तो उस के निबटान का जिम्मा भी उन्हें ही उठाना होगा. हाथ से नहीं उठाना तो मशीनें हैं न आज. पर ऊंचे तो कूड़ा फैलाना जन्मजात पौराणिक हक मान कर चल रहे हैं और यही दुर्दशा की वजह है.

भूल जाइए कि हम सुधरने वाले हैं. हम और भी गंदे होंगे और अस्थमा, स्किन डिजीज, इन्फैक्शन, कैंसर आदि रोग सुरसा की तरह बढ़ेंगे ही. जो अंधविश्वासी हैं वे भले महा हवन करा लें, पर होगा तभी कुछ जब हर जना दस्ताने पहन कर अपना व दूसरों का कूड़ा उठाने को तैयार होगा.

ऐसे बचेगी दिल्ली

दिल्ली में सीलिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट का लचीला न होना एक अच्छा संकेत है. दिल्ली की ही नहीं हर शहर की हालत बुरी हो रही है. बाबुओं और नेताओं को अपनी जेबें भरने की चिंता है, नागरिकों, औरतों, बच्चों, बूढ़ों की नहीं. शहरों में रोजगार मिलने और सिर पर साए की तलाश में आए लोगों ने पहले से रह रहे लोगों का जीवन तो नर्क बना ही डाला, अपने लिए भी कूड़े के ढेरों पर रहने, खाने, काम करने का अभ्यास कर लिया. ऐसा लगता है कि दिल्ली जैसे शहरों में सिर्फ जानवर रहते हैं और इन जानवरों में भी गंदगी पसंद सूअर ही ज्यादा हैं.

दुकानदारों और मकानदारों की मांग के आगे झुकते चले जाते खुद को कामदार कहने वाले नेताओं को तो भजनपूजन व प्रवचन से ही फुरसत नहीं है और उन के मातहतों को हलवापूरी खाने और हर नागरिक, दुकानदार और अतिक्रमण करने वाले से पैसा वसूलने से. दिल्ली जैसे शहरों को सुधारा नहीं जा सकता यह बेमतलब की बात है. दुनिया के कितने ही गरीब देशों की राजधानियां दिल्ली से कहीं ज्यादा अच्छी हैं और हमारे यहां तो प्रधानमंत्री कार्यालय के 1 किलोमीटर के दायरे में सड़कों पर कच्ची दुकानें, बड़े दफ्तरों के आगे टिन के गार्डरूम, पटरियों पर पंप हाउस, आड़ेतिरछे पेड़पौधे दिख जाएंगे.

लगता ही नहीं कि नागरिक सेवाओं की चिंता इस 1 किलोमीटर में भी म्यूनिसिपल कौरपोरेशन, दिल्ली सरकार या मोदी सरकार को है. यह 1 किलोमीटर स्वच्छ भारत अभियान की पोल खोलने के लिए काफी है. चूंकि सुप्रीम कोर्ट के कई जजों के घर इस दायरे में हैं, उन की चिंता सही है.

दिल्ली को सुधारने के लिए थोड़ा लचीलापन, थोड़ी दूरदर्शिता व थोड़ी सूझबूझ चाहिए जो हमारे नौकरशाहों और नेताओं दोनों में ही नहीं है. दिल्ली को सुधारने के लिए एक तो इसे बहुमंजिला बनाना होगा, दोहरेतीहरे बेसमैंटों में पार्किंग हो और ऊपर वर्टिकल गार्डन से लगते 20-25 मंजिला मकान. 2-3 मंजिलों में दुकानें, दफ्तर हों ताकि लोगों को दूर न जाना पड़े. बड़े प्लाटों पर तो 2-3 मंजिलों में स्कूल तक खोले जा सकते हैं ताकि लिफ्ट का उपयोग बढ़े, सड़कों और वाहनों का नहीं.

दिल्ली को साफ करने के लिए बड़े सीवरों का प्लान करना होगा, इतने बड़े कि उन में आदमी चल सकें. यह 2-3 सदी पहले यूरोप के कई शहरों में बन चुके हैं. तकनीक कोई कठिन नहीं है. अब जब मैट्रो बनाना आ सकता है, तो सीवर क्यों नहीं बन सकते? सड़कों पर भीड़ कम करने के लिए अतिक्रमण तो हटे ही, मल्टी लेवल सड़कें भी प्लान की जाएं. चौड़ी सड़कें इतनी लाभदायक नहीं होतीं जितनी दोमंजिला या तीनमंजिला. यह तकनीक भी उपलब्ध है और शहरी जमीन के अधिग्रहण के मुआवजे से शायद सस्ती पड़ेगी.

लोगों पर कानून लादने की जगह सरकार अपने लिए नियम बनाए. हर कानून में यह प्रोवीजन हो कि सरकारी कर्मचारी पर क्या करने और क्या न करने पर क्या जुरमाना लगेगा. शहर तब ठीक होगा जब उस से मलाई खा रहे लोगों को भी अदालतों के चक्कर काटने पड़ें. केवल नागरिकों को दंड देना अदालतों का काम नहीं है.

फ्रूटी एंड टेस्टी बाइट्स : टैको कुल्फी

टैको कुल्फी

सामग्री

  • 120 ग्राम पिघला मक्खन • 45 ग्राम अंडे का सफेद भाग • 160 ग्राम आइसिंग शुगर
  • 100 ग्राम आटा • 50 ग्राम दूध • कुल्फी (केसर)

विधि

मक्खन, चीनी और अंडे के सफेद भाग को मिला कर इस में आटा डालें व अच्छी तरह मिक्स करें. अब इस में दूध डाल कर घोल तैयार करें. उसे मोल्ड में डाल कर 180 डिग्री सेंटीग्रेड पर बेक करें. ठंडा कर टुकड़ों में काट लें और टैको शैल में सजा कर सर्व करें.

व्यंजन सहयोग : सेलिब्रिटी शैफ अजय चोपड़ा                       

 

मैं जब भी अपने अंडरआर्म्स वैक्स कराती हूं, वहां दाने हो जाते हैं और ईचिंग होती है. कृपया बताएं कि ऐसा क्यों होता है व इस से बचने के क्या उपाय हैं.

सवाल
मेरी समस्या वैक्सिंग के बाद होने वाली खुजली को ले कर है. मैं जब भी अपने अंडरआर्म्स वैक्स कराती हूं, वहां दाने हो जाते हैं और ईचिंग होती है. कृपया बताएं कि ऐसा क्यों होता है व इस से बचने के क्या उपाय हैं?

जवाब
कई बार हम जो डियोड्रैंट प्रयोग करते हैं वह भी अंडरआर्म्स में ईचिंग व दानों का कारण बन जाता है. इस के अलावा वैक्सिंग से भी कई बार ईचिंग हो जाती है. आप हमेशा प्रोफैशनल सैलून से वैक्सिंग कराएं. वैक्सिंग कराने से पहले प्रीवैक्स लोशन लगाएं. अगर त्वचा अधिक सैंसिटिव हो, तो सैंसिटिव स्किन औयल का प्रयोग भी अंडरआर्म्स में करें. इस से आप की समस्या का समाधान हो जाएगा.

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वैक्सिंग के नए तरीके

त्वचा को खूबसूरत, कोमल और अनचाहे बालों से आजाद बनाने के लिए वैक्सिंग से बेहतर कोई विकल्प नहीं. वैक्सिंग से न केवल अनचाहे बाल रिमूव होते हैं वरन टैनिंग जैसी समस्या भी दूर होती है. वैक्सिंग कराने के बाद सामान्यतया त्वचा कम से कम 2 सप्ताह तक मुलायम रहती है. जो बाल फिर से उगते हैं, वे भी बारीक और कोमल होते हैं. नियमित वैक्सिंग कराने से 3-4 सप्ताह तक बाल नहीं आते. समय के साथ बालों का विकास भी कम हो जाता है.

एल्प्स ब्यूटी क्लीनिक की डायरैक्टर भारती तनेजा के अनुसार वैक्स कई तरह की होती हैं:

सौफ्ट वैक्स यानी रैग्युलर वैक्स

यह सब से ज्यादा कौमन और इस्तेमाल की जाने वाली वैक्स है, जो शहद या चीनी के घोल से तैयार की जाती है. हेयर रिमूव करने के साथसाथ यह टैनिंग को भी रिमूव करती है और साथ ही स्किन को सौफ्ट व ग्लौसी बनाती है.

चौकलेट वैक्स

इस वैक्स की मदद से स्किन पोर्स बड़े हो जाते हैं, जिस से बाल आसानी से निकल जाते हैं और ज्यादा दर्द भी नहीं होता. इस के अलावा चौकलेट के अंदर स्किन सूदिंग तत्त्व पाए जाते हैं, जो बौडी को रिलैक्स करते हैं. कोको पाउडर बेस्ड इस वैक्स से बाल पूरी तरह रिमूव हो जाते हैं और स्किन सौफ्ट व स्मूद नजर आती है. इस वैक्स को कराने से रैड पैचेज पड़ने के आसार भी न के बराबर रह जाते हैं. यह वैक्स सैंसिटिव स्किन के लिए भी अच्छी साबित होती है. इस के अलावा चौकलेट का अरोमा बहुत ही आकर्षक होता है, जो विशेष आनंद की अनुभूति कराता है.

ऐलोवेरा वैक्स

ऐलोवेरा के पल्प से बनी यह वैक्स स्किन को नरिश करने के साथसाथ रिजुविनेट भी करती है. यह बौडी के सैंसिटिव एरिया जैसे अंडरआर्म्स और बिकिनी पार्ट के लिए काफी अच्छी होती है.

ब्राजीलियन वैक्स

यह भी हार्ड वैक्स का ही एक टाइप है, जिसे विशेष तौर पर बिकिनी एरिया के लिए ही बनाया गया है. इस से सभी जगह के अनचाहे बालों को जैसे आगे, साइड, पीछे और बीच में से रिमूव किया जाता है. वैक्सिंग के दर्द को कम करने के लिए इस वैक्स को जल्दी करना जरूरी होता है.

लिपोसोल्यूबल वैक्स

यह वैक्स औयल बेस्ड होती है. बालों की जड़ों पर तो इस की ग्रिप अच्छी होती ही है, साथ ही यह स्किन पर भी डैलिकेट होती है. इस वैक्स को इस्तेमाल करने से पहले स्किन पर औयल लगाया जाता है और बालों को रिमूव करने के लिए छोटीछोटी स्ट्रिप्स यूज की जाती हैं. यह वैक्स बहुत गरम भी हो जाए, तो भी स्किन को कोई नुकसान नहीं होता है.

इन बातों का भी रखें ध्यान

स्किन लेजर क्लीनिक के डर्मेटोलौजिस्ट डाक्टर मुनीष पाल कहते हैं कि वैक्सिंग कराने से पहले और बाद में कुछ सावधानियां जरूरी हैं. वैक्सिंग कराते समय त्वचा जल सकती है, लाल हो सकती है, त्वचा का संक्रमण हो सकता है. जहां वैक्सिंग की है वहां दर्द होना, त्वचा में जलन, त्वचा के रंग में बदलाव आना, फफोले पड़ना, त्वचा का टैक्स्चर बदल जाना, खुजली होना जैसी समस्याएं भी हो जाती हैं.

चेहरे पर वैक्सिंग

चेहरे पर अत्यधिक बाल होना कुछ महिलाओं के लिए बहुत बड़ी समस्या हो जाती है. कुछ पार्लर इस से छुटकारा पाने के लिए वैक्सिंग कराने की सलाह देते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि चेहरे पर वैक्सिंग कराना नुकसानदायक हो सकता है. चेहरे की त्वचा बहुत मुलायम होती है इसलिए समय से पहले झुर्रियां पड़ सकती हैं. अगर बाल मोटे हैं तो लेजर हेयर रिमूवल सर्वश्रेष्ठ विकल्प है. आप ब्लीचिंग का विकल्प भी चुन सकती हैं. वैक्सिंग से हेयर फौलिकल्स को बहुत नुकसान पहुंचता है जिस से संक्रमण और सूजन हो सकती है. इस के कारण दाग भी पड़ सकते हैं जिन का उपचार करना कठिन होता है.

वैक्सिंग के पहले

वैक्सिंग कराने से पहले इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है:

– वैक्सिंग करने वाले के हाथ बिलकुल साफ होने चाहिए.

– जिस हिस्से की वैक्सिंग करनी है वह भी पूरी तरह साफ होना चाहिए.

– वैक्सिंग किसी अच्छे पार्लर में ही कराएं.

– ध्यान रखें कि वैक्स और पट्टियां अच्छे ब्रैंड की हों.

– वैक्सिंग कराने से 1 दिन पहले त्वचा की स्क्रबिंग करें. यह मृत त्वचा को बाहर निकाल देती है, जो हेयर फौलिकल्स को बंद कर देती है, जिस के कारण हेयर इनग्रोन की समस्या हो सकती है.

वैक्सिंग के बाद

वैक्सिंग कराने के तुरंत बाद त्वचा लाल हो सकती है और उस पर रैशेज दिखाई दे सकते हैं, जो कुछ घंटों बाद अपनेआप गायब हो जाते हैं. यह हिस्टामिन रिऐक्शन के कारण होता है, क्योंकि वैक्सिंग बालों को जड़ों से निकाल देती है. यह बहुत जरूरी है कि उस क्षेत्र को साफ और बैक्टीरिया मुक्त रखा जाए.

– वैक्सिंग कराने के 24 घंटे बाद तक धूप में न निकलें.

– 12 घंटे तक कोई सनबाथिंग नहीं.

– 24 घंटे तक क्लोरीन युक्त स्विमिंग पूल में स्विमिंग न करें.

– स्पा और सोना बाथ भी न लें.

– कोई भी खुशबू वाली क्रीम न लगाएं वरना जलन हो सकती है.

– त्वचा पर बैक्टीरिया के विकास को रोकने के लिए टीट्री युक्त उत्पाद लगाएं.

– अगर वैक्सिंग के बाद त्वचा लाल हो गई हो तो 1/2 कटोरी वसारहित दूध में 1/2 कटोरी ठंडा पानी मिलाएं. इस में पेपर टौवेल भिगोएं और उसे त्वचा पर रखें. कुछकुछ घंटों में यह तब तक दोहराती रहें जब तक आराम न मिले. दूध में पाया जाने वाला लैक्टिक ऐसिड त्वचा को आराम पहुंचाता है.

– इनग्रोन हेयर ग्रोथ को रोकने के लिए वैक्स किए क्षेत्र पर तुरंत बर्फ लगाएं. इस से रोमछिद्र बंद हो जाएंगे और बैक्टीरिया का प्रवेश रुक जाएगा. कुछ देर बाद वैक्स किए क्षेत्र को सैलिसिलिक ऐसिड युक्त क्लींजर से धो लें.

– अगर वैक्सिंग के बाद जलन हो रही है, तो ऐलोवेरा युक्त क्रीम लगाएं. ध्यान रहे कि इस में अलकोहल नहीं होना चाहिए. जलन को कम करने के लिए बर्फ का इस्तेमाल भी कर सकती हैं.

– वैक्सिंग कराने के तुरंत बाद जिम न जाएं, क्योंकि इस से चिकनी त्वचा पर बैक्टीरिया फैलने का खतरा अधिक होता है.

– वैक्सिंग कराने के कुछ घंटों बाद तक टाइट कपड़े न पहनें, क्योंकि इस से त्वचा पर रगड़ लग सकती है और उस में जलन हो सकती है.

जरूरी सावधानियां

– किसी भी बड़े समारोह से ठीक पहले वैक्सिंग न कराएं, क्योंकि आप अंदाजा नहीं लगा सकतीं कि आप की त्वचा वैक्सिंग के प्रति क्या प्रतिक्रिया देगी.

– अगर आप वैक्सिंग कराती हैं, तो बीचबीच में शेव न करें. इस से बाल कड़े हो जाते हैं और वैक्सिंग करने में समस्या आती है. जिन्हें त्वचा संबंधी कोई समस्या है जैसे ऐक्जिमा, कहीं से त्वचा कटी हुई है या घाव है उन्हें वैक्सिंग से दूर रहना चाहिए.

– अगर वैक्सिंग कराने के 24 घंटे बाद तक त्वचा में दर्द या जलन हो तो तुरंत किसी त्वचारोग विशेषज्ञ को दिखाएं.

लेजर तकनीक

डाक्टर मुनीष पाल के मुताबिक अगर आप अपने चेहरे या शरीर के अनचाहे बालों से छुटकारा पाना चाहती हैं, तो वैक्सिंग या लेजर का विकल्प चुनें, क्योंकि इन में त्वचा शेविंग की तुलना में अधिक समय तक मुलायम रहती है.

लेजर के बाद कुछ महिलाओं में फिर से बालों का विकास होता है. लेकिन बालों के विकास का काल हर किसी में अलगअलग हो सकता है. लेजर ट्रीटमैंट के बाद जो बाल आते हैं वे पतले, मुलायम और हलके रंग के होते हैं. इसलिए लेजर को अनचाहे बालों से छुटकारा पाने का सब से अच्छा विकल्प माना जाता है. लेजर उपचार की कितनी सीटिंग्स लेनी होंगी और कितना खर्च आएगा यह इस पर निर्भर करता

है कि शरीर के किस भाग की त्वचा से बाल निकालने हैं और वहां बालों का विकास कितना है.

गौडफादर ना होने पर अच्छा काम चुनने की कोशिश करें : उर्वशी रौतेला

2015 में ‘मिस दीवा’ का खिताब जीत चुकीं उर्वशी ‘मिस इंडिया यूनिवर्स’ का प्रतिनिधित्व भी कर चुकी हैं. खूबसूरत वादियों वाले उत्तराखंड में जन्मीं उर्वशी ‘मिस टीन इंडिया 2009’ और ‘मिस एशियन सुपर मौडल 2011’ का खिताब भी अपने नाम कर चुकी हैं.

जो मिला दिल से किया उर्वशी को जो भी औफर मिलते गए, वे करती गईं. फिर चाहे भूमिका छोटी सी ही क्यों न हो. यही वजह है कि इंडस्ट्री में अकेली हो कर भी उन्होंने कुछ फिल्में अपने नाम की हैं. मसलन, ‘सनम रे’, ‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’, ‘काबिल’, ‘हेट स्टोरी 4’ आदि.

उर्वशी कहती हैं, ‘‘बाहर से आने पर अगर आप का कोई गौडफादर न हो तो जो मिलता है उसी में से अच्छा चुन लेना पड़ता है. मैं केवल ऐक्टिंग ही नहीं, डांस भी अच्छा जानती हूं. मैंने डांस के 11 फौर्म सीखे हैं. जैसे भरतनाट्यम, जैज, बैले, बौलीवुड डांस आदि. इसीलिए मुझे किसी भी फौर्म का डांस करने में परेशानी नहीं होती है.’’

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जब फिल्म ‘काबिल’ में ‘हसीनों का दीवाना…’ गाने में डांस के लिए बुलाया, तो मुझे बहुत खुशी हुई थी. डांस मेरा ऐक्स्ट्रा टेलैंट है और अभिनय मेरा पैशन है. यों शुरु हुआ सफर यहां तक पहुंचने में उर्वशी को अधिक संघर्ष नहीं करना पड़ा.

उर्वशी बताती हैं, ‘‘मैं ने कई ब्यूटी पेजैंट खिताब जीते तो लोगों में मेरी पहचान बनी. जिस से मुझे मौडलिंग और ऐक्टिंग के औफर मिलने लगे. इंडस्ट्री में भाई भतीजावाद है, लेकिन अगर आप के अंदर प्रतिभा है, तो आप उसे कभी न कभी अवश्य बाहर लाने में समर्थ हो जाएंगे.’’

उर्वशी को फैशन बहुत पसंद है और इसे वे खुद क्रिएट करती हैं. उन का कहना है, ‘‘मुझे क्रिएटिविटी बहुत पसंद है. ड्रैस में भी मैं खुद ही कुछ न कुछ क्रिएट करती रहती हूं. मुझे वर्साचे की पोशाकें पहुत पसंद हैं. मैं बहुत फूडी हूं. हर तरह के व्यंजन पसंद हैं. मां के हाथों का बना खाना बहुत पसंद है. मैं जंक फूड नहीं खाती, हैल्दी फूड लेती हूं. साथ ही हैल्थ ट्रेनिंग नियमित करती हूं.’’

उर्वशी निर्देशक संजय लीला भंसाली और राजू हिरानी के साथ काम करने की इच्छा रखती है. उर्वशी अपने ‘उर्वशी रौतेला फाउंडेशन’ के तहत गरीब बच्चों को हर तरह की सुविधा देती

पर्यटकों को लुभाता लिथुआनिया

लिथुआनिया का खूबसूरत टाउन विल्नुस प्राचीन विरासतों के साथ आधुनिकता में भी पीछे नहीं है. विल्नुस शहर की नींव रखने वाले गैडीमिनास के नाम पर बना यह टाउन बेहद आकर्षक पर्यटन स्थल है, सैलानी यहां आ कर भावविभोर हो जाते हैं.

लिथुआनिया में जहांजहां भवननिर्माण हैं वे इलाके भी घने, ऊंचे पेड़ों से घिरे हुए हैं ताकि प्राकृतिक वातावरण बना रहे. एक दौर में प्रैसिडैंशियल पैलेस रह चुका यह शाही ठिकाना अब खूबसूरत म्यूजियम में तबदील हो चुका है.

यहां पर 7 से 10 यूरो प्रतिदिन के हिसाब से होटल उपलब्ध होते हैं जो सस्ते होने के साथसाथ साफसुथरे भी होते हैं. यहां बंकबैड वाले कमरे होते हैं जिन में एक बड़े से कमरे में एकसाथ 7-8 लोगों के रहने का इंतजाम होता है. इन में एक किचन और 2-3 बाथरूम की सुविधा होती है. यहां ठहरने वाले लोग किचन में अपना सामान ले कर खुद खाना बना सकते हैं. इन की बुकिंग पर्यटक यहां आने से पहले औनलाइन भी करा सकते हैं. हम भी यहां पहले से बुक किए गए होटल में रुके और 2 दिन विल्नुस शहर के मुख्य दर्शनीय स्थलों को देखने का आनंद उठाया.

विल्नुस के दर्शनीय स्थल

ओल्ड टाउन : विल्नुस के ओल्ड टाउन का वास्तुशिल्प और म्यूजियम देखने लायक है. यहां लिथुआनियन ज्यूयिश के इतिहास के चिह्न देखे जा सकते हैं, जो यहां आने वालों को 14वीं

शताब्दी की याद दिलाते हैं. यूनेस्को ने तो इस टाउन को विल्नुस शहर के हृदयस्थल की संज्ञा दे कर इस का महत्त्व और भी बढ़ा दिया है. यह टाउन छोटा लेकिन भीड़भाड़ रहित है. पर्यटक यहां एक ओर प्राचीन शिल्पनिर्माण देख कर हैरान होते हैं तो दूसरी ओर लिथुआनियन खाने का मजा लेने से नहीं चूकते.

सैंट एनीस चर्च : विल्नुस के इस चर्च की खूबसूरती और शिल्पनिर्माण से प्रभावित हो कर नैपोलियन ने कहा था कि ‘यदि संभव होता तो मैं इसे अपनी हथेली पर उठा कर अपने साथ पैरिस अवश्य ले जाता.’

सैंट्स पीटर ऐंड पौल चर्च : बाहर से प्राचीन व सामान्य दिखने वाले इस चर्च के भीतरी भाग में अद्भुत शिल्पनिर्माण है. पर्यटक यहां आ कर भावविभोर हो जाते हैं.

केजीबी म्यूजियम : मशहूर केजीबी म्यूजियम में वे सेल हैं जहां कम्यूनिज्म के शत्रु समझे जाने वालों पर बेहद अमानवीय अत्याचार किए जाते थे. यहां दिल दहला देने वाला सन्नाटा पर्यटकों को मासूम लोगों के सिरों को आरपार करती गोलियों की आवाज के साथ उन की चीखों का क्षणभर के लिए मानव का मानव के प्रति कू्ररता का आभास जरूर करवाता है, जिसे यहां फोटो प्रदर्शनी, उस समय इस्तेमाल की गई गोलियां, गोलाबारूद, हथियारों व इस्तेमाल किए गए अन्य सामान द्वारा प्रदर्शित किया गया है.

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गैदीमिनास टावर : विल्नुस शहर की सुंदरता को पर्यटक गैदीमिनास टावर से निहार सकते हैं. वास्तव में लिथुआनिया के इतिहास में ग्रैंड ड्यूक गैदीमिनास एक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति था जिस ने विल्नुस शहर की नींव रखी थी और इस टावर को बनाया था. इस टावर पर पर्यटक पैदल और एलिवेटर से भी जा सकते हैं.

गेट औफ डौन : विल्नुस शहर की सुरक्षा हेतु 16वीं शताब्दी में बनाई गई दीवार के शुरू में 9 दरवाजे हुआ करते थे. इस का वास्तुशिल्प देखते ही बनता है.

मनी म्यूजियम : चूंकि यह देश जनवरी 2015 से यूरोपीय यूनियन का सदस्य बन चुका है और अब यहां की करैंसी यूरो है, इसलिए इस म्यूजियम में जनवरी 2015 से पहले प्रचलित लिथुआनियन करैंसी लीटास के अलावा विश्व की कई प्रसिद्ध करैंसियों को सहेज कर रखा गया है. प्राचीनकाल में प्रचलित सोनेचांदी के सिक्कों व अन्य कई कीमती धातुओं के सिक्कों को भी प्रदर्शन के लिए रखा गया है.

इस के अतिरिक्त 13वीं सदी की याद दिलाता विल्नुस कैथेडरल, बरनारडाइन चर्च और चर्च औफ होली स्प्रिट जैसे स्थल भी देखने योग्य हैं. विल्नुस में रुकने के बाद हम लिथुआनिया के दूसरे सब से बड़े शहर कौनस, जो हमारा गंतव्य स्थान भी था, की ओर रवाना हो गए.

लिथुआनियन शीतोष्ण जलवायु वाला देश है, सो, यहां भरपूर वर्षा होती है. परिणामस्वरूप यहां हर जगह हरियाली ही हरियाली नजर आती है. जंगलों को यहां सहेज कर रखा गया है. जहां भी भवननिर्माण है वह जगह ऊंचेऊंचे, घने, जंगली पेड़ों से घिरी हुई है. ऐसा लगता है मानो जंगलों के बीच भवनों का निर्माण किया गया है.

घने जंगलों के बीच बने घरों में रहने वाले लोगों को स्वच्छ वायु तो मिलती ही है, उन्हें प्रकृति का सान्निध्य भी मिलता है. यहां घने जंगली पेड़ों के बीचोंबीच कुछकुछ दूरी पर बैंच लगाई गई हैं जो इन को पार्कनुमा बना देती हैं.

खुले मैदानों में जंगली घास और फूल अपनेआप हर वर्ष उगते रहते हैं जो देखने में बहुत सुंदर लगते हैं. यही घास जब बड़ी हो जाती है तो उसे मशीनों से काट दिया जाता है. सड़कों के किनारे सेब, चैरी, नाशपाती इत्यादि फलों के पेड़ दिखाई देते हैं.

लिथुआनिया में कहीं भी भारत जैसी भीड़भाड़ देखने को नहीं मिलती. इस देश की कुल आबादी 30 लाख है. यहां सभी सरकारी बसें बिजली चालित हैं. बसों का टाइमटेबल हर बसस्टैंड पर लगा होता है और बसें टाइम से स्टैंड पर पहुंच जाती हैं. देश पूरी तरह से साफसुथरा व सुव्यवस्थित है. यहां पुलिस हर समय चौकन्नी रहती है. निजी वाहन सिर्फ पार्किंगप्लेस पर ही खड़े किए जाने अनिवार्य होते हैं. पार्किंग के लिए किराया चार्ज करने के लिए आटोमैटिक मशीनें लगी हुई हैं.

किसी भी किस्म की असुविधा होने पर पुलिस को फोन करने पर पुलिस तुरंत कार्यवाही करती है और इस के लिए पुलिस द्वारा शिकायतकर्ता से उस की न तो कोई व्यक्तिगत जानकारी मांगी जाती है और न ही पुलिस उस से किसी प्रकार की पूछताछ करती है.

शहरों में तो लोग देखने को मिल भी जाते हैं, लेकिन गांवों में तो आंखें मनुष्यों को देखने को तरस जाती हैं. बस, दिखाई देते हैं तो सिर्फ खेत ही खेत. गांवों के घर सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं. फलदार पेड़ों से घिरे हर घर में अपना छोटा तालाब और वर्षा के पानी को सुरक्षित रखने के लिए हौद जरूर बनाए हुए हैं.

ऐतिहासिक प्रैसिडैंशियल पैलेस : कौनस के ओल्ड टाउन में ऐतिहासिक प्रैसिडैंशियल पैलेस पर्यटकों को अकर्षित करता है. इस भवन का निर्माण 1860 में किया गया था. वर्ष 1920 में विल्नुस जब आंतरिक युद्ध से जूझ रहा था तब सरकारी कामकाज चलाने के लिए राजधानी को कौनस में स्थानांतरित कर, राष्ट्रपति को यह महल आवंटित किया गया था. आजकल इस महल को आर्ट औफ म्यूजियम में तबदील कर दिया गया है. यहां तत्कालीन राष्ट्रपति के दस्तावेज, सिक्के, स्टैप, निजी जरूरत के दैनिक सामान इत्यादि रखा गया है. इस के अतिरिक्त फोटो प्रदर्शनी द्वारा उस दौर का इतिहास दर्शाया गया है.

सैरामिक्स म्यूजियम : कौनस टाउन हौल के बेसमैंट में स्थित प्रसिद्ध सैरामिक्स म्यूजियम है. पर्यटकों को यहां प्राचीनकाल में प्रयोग में लाए जाने वाले मिट्टी के बरतनों के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है.

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ओपन एयर म्यूजियम : लिथुआनिया की 4 मुख्य संस्कृतियों को दर्शाता यह अपनी तरह का अद्भुत म्यूजियम है. यह एक खुले बड़े मैदान में बनाया गया है. यहां लिथुआनिया के पुराने घरों के निर्माण, उन में रहने वाले लोगों की आदतों और उन के रहनसहन के बारे में दर्शाया गया है. यहां प्राचीनकाल के औजारों, खिलौनों, बरतनों को भी रखा गया है.

डैविल म्यूजियम : इस म्यूजियम में अलगअलग प्रकार के शैतानों की मूर्तियां रखी हुई हैं और लिथुआनिया के पौराणिक इतिहास को भी दिखाया गया है.

चिडि़याघर : पूरे लिथुआनिया में सिर्फ इसी शहर में चिडि़याघर है. इसलिए छुट्टी वाले दिन यहां खासी भीड़ रहती है. यह सैंटर सिटी में स्थित है. यहां देशविदेशों से लाए गए हर प्रकार के पशुपक्षी, समुद्री जीवजंतु हैं. यहां शेर, जिराफ, गैंडा, ऊंट, भालू, जैबरा, बंदर इत्यादि बहुत से बड़बड़े जानवरों से ले कर छोटे से छोटे समुद्री जीवों को मिला कर लगभग 2,900 प्रजातियां हैं. यहां भारतीय तोते और मोर भी हैं.

भारतीय मोर के साथ जब यहां के सफेद मोर भी काली घटाओं को देख कर नाचने लगते हैं, तो अनायास ही दर्शक अपनेअपने कैमरे में इन तसवीरों को लेना नहीं भूलते.

ऐडवैंचर पार्क : यहां वैज्ञानिक तरीके से पूरी तरह सुरक्षित बाधाएं बनाई गई हैं. ये बाधाएं पेड़ों को एकदूसरे से स्टील के मोटेमोटे तारों से बांध कर जमीन से कई फुट ऊंची बनाई गई हैं. बाधाएं पार करने से पहले लोगों को सुरक्षा बैल्ट पहना दी जाती है और सुरक्षित हो कर खेल का आनंद लेने के लिए आवश्यक निर्देश भी दिए जाते हैं. यहां आने वाला छोटाबड़ा व्यक्ति इन बाधाओं को पार कर खेल का भरपूर आनंद लेता है.

इस के अतिरिक्त म्यूजियम औफ द हिस्ट्री औफ लिथुआनियन, मैडिसन ऐंड फौर्मेसी, कौनस बोटैनिकल गार्डन, वर्जिन मैरी चर्च, चर्च औफ सैंट फ्रांसिस, जेबियर चर्च और मेकोलस जिलनकास आर्ट म्यूजियम इत्यादि भी पर्यटकों को यहां आने के लिए आकर्षित करते हैं.

गलत बीमा पौलिसी बेचे जाने पर बैंकिंग लोकपाल में करें शिकायत

बैंक में जाते ही बैंक और इंश्योरेंस कंपनियों के अधिकारी ग्राहकों से म्युचुअल फंड में निवेश या इंश्योरेंस पौलिसी खरीदने के लिए दबाव बनाते हैं. जानकारी के लिए बता दें कि ऐसा करना कानून के बिल्कुल भी खिलाफ नहीं है, क्योंकि बैंकों को थर्ड पार्टी प्रोडक्ट बेचने की अनुमति होती है. हालांकि, म्युचुअल फंड में निवेश या इंश्योरेंस पौलिसी खरीदने के बाद अगर आपको शिकायत आती है तो इसमें बैंक कोई मदद नहीं करता है. वास्तव में बैंक इससे अपना पल्ला झाड़ता है.

ऐसे में अबतक अगर आपने बैंक से इंश्योरेंस पौलिसी खरीदी है और उससे संबंधित कोई शिकायत है तो आपको इंश्योरेंस कंपनी या इश्योरेंस औम्बडस्मैन (लोकपाल) के पास जाना होता था. साथ ही थर्ड पार्टी प्रोडक्ट्स की बिक्री, जो बैंकों को फीस-आधारित राजस्व लाती थी, बैंकिंग लोकपाल के दायरे से बाहर थी.

जल्द ही यह नियम बदलने वाला है. एक अधिसूचना के अनुसार अगर बैंक ग्राहकों को गलत थर्ड पार्टी प्रोडक्ट्स बेचता है तो ग्राहक सीधे बैंकिंग लोकपाल के पास जा सकते हैं. अधिसूचना के मुताबिक आरबीआई का कहना है कि उसने बैंकिंग लोकपाल स्कीम 2006 का दायरा बढ़ा दिया है. अब इसमें बेची गई इंश्योरेंस पौलिसी में खामी, म्युचुअल फंड और बैंकों की ओर औफर किए गए थर्ड पार्टी प्रोडक्ट्स शामिल होंगे.

बैंकिंग लोकपाल योजना बैंकों की ओर से औफर की गई सेवाओं से संबंधित शिकायतों के समाधान को सक्षम करती है और इस तरह की शिकायतों के निपटान की सुविधा उपलब्ध कराती है.

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आरबीआई केवल लोकपाल का दायरा ही नहीं बढ़ाया है, बल्कि नए नियमों की मदद से इसका अधिकार क्षेत्र भी बढ़ा दिया है. इससे पहले तक बैंकिंग लोकपाल केवल 10 लाख रुपये तक का और्डर पास कर सकता था. यह अब बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है. इसके अलावा बैंकिंग लोकपाल शिकायतकर्ता के पैसे और समय के नुसकसान, उत्पीड़न और मानसिक कष्ट के लिए एक लाख रुपये का अधिकतम मुआवजा दे सकता है.

जानिए बैंकिंग लोकपाल को किस स्थिति में शिकायत कर सकते हैं-

  • किसी थर्ड पार्टी फाइनेंशियल प्रोडक्ट की गलत या अनुचित बिक्री
  • प्रोडक्ट की बिक्री के समय पर पर्याप्त जानकारी न देना
  • शिकायत निवारण प्रक्रिया का का गैर प्रकटीकरण
  • बैंक की ओर से बिक्री के बाद सेवा को सुविधाजनक बनाने में देरी या इनकार

कैसे करें शिकायत

कानून के मुताबिक बैंक की हर शाखा को बैंकिंग लोकपाल के औफिस का पता दिखाना जरूरी है. शिकायतकर्ता औनलाइन और औफलाइन दोनों माध्यमों से शिकायत दाखिल कर सकता है. शिकायत में नुकसान का स्तर और मांगे गये मुआवजे की प्रकृति स्पष्ट करनी होती है.

लेकिन आपको बता दें कि बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करने से पहले शिकायतकर्ता को आधिकारिक रूप से बैंक के पास शिकायत फाइल करनी होगी. इसके बाद 30 दिनों तक इंतजार करना होगा. अबतक स्थिति यह थी कि अगर बैंक ने किसी को गलत इंश्योरेंस पौलिसी या म्युचुअल फंड स्कीम की बिक्री की है तो वह केवल इंश्योरर या फंड हाउस के ही पास जा सकता था.

आपको बता दें कि बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज कराने पर कोई फीस नहीं लगती है और न ही किसी वकील के पास जाना पड़ता है. आप एक अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से अपने केस का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं.

ताकि चेहरा रहे खिला खिला

खूबसूरत फिगर के साथ दमकती त्वचा की मल्लिका बनना कौन नहीं चाहता. पर इसके लिए आपको कई सारे एक्सपेरिमेंट के बजाय सही ब्यूटी टिप्स की जरूरत है. अगर आप भी फेयर और ग्लोंइग त्वचा पाना चाहती हैं तो ये कुछ टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं.

बाहर से ही नहीं अंदर से बने खूबसूरत

ब्यूटी एक्सपर्ट का मानना है कि आप जो कुछ खाते हैं, उसका असर आपकी त्वचा पर साफ दिखता है. इसलिए जितना हो सकें कम मसाले वाले भोजन खाएं, फास्टफूड से परहेज करें. त्वचा को हाइड्रेटेड रखने के लिए रोजाना 8 ग्लास पानी पिएं. इसके साथ ही अपने डाइट में ताजे फल और सलाद जरूर शामिल करें.

अच्छी क्वालिटी के प्रौडक्ट्स का इस्तेमाल

अपनी त्वचा की देखभाल के लिए हमेशा अच्छे क्वालिटी के प्रौडक्ट्स का इस्तेमाल करना चाहिए. ताकि त्वचा को मेकअप से कोई नुकसान न पहुंचें और आपकी त्वचा हमेशा दिखें खिली खिली.

सोने से पहले मेकअप अच्छी तरह साफ करें

सोने से पहले अपने चेहरे से मेकअप साफ करना कभी ना भूलें. इसके लिए वो अच्छे पोर क्लींजर का इस्तेमाल करना अच्छा रहेगा, ताकि मेकअप त्वचा के रोमछिद्रों में न रह जाए. इतना ही नहीं एजिंग इफेक्ट्स को कम करने के लिए भी अच्छी गुणवत्ता वाले ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना बेहतर विकल्प है.

गर्मियों में प्रेगनेंसी के दौरान पिएं ये 5 तरह के जूस

गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान अपने खाने पीने का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है. गर्मी काफी बढ़ गई है ऐसे में ज्यादा कुछ खाने का मन नहीं होता. सही खानपान ना होने की वजह से शिशु को कई पोषक तत्व नहीं मिल पातें. अगर इन दिनों आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है तो आपको ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. ऐसे में आप जितना हो सके ताजा फलों के जूस का सेवन करें. इससे आप ना केवल स्वस्थ महसूस करेंगी बल्कि आपको भरपूर विटामिन व मिनरल भी मिलेगा. लेकिन ऐसे में कौन सा जूस पीना ज्यादा फायदेमंद होगा इसके बारें में हम आपको इस लेख में बता रहे हैं.

संतरा या मौसमी

गर्भावस्था के दौरान संतरा या मौसमी का जूस पीने से आपको भरपूर विटामिन मिलते हैं. इस जूस में फौलिक एसिड होता है जो शिशु के विकास में लाभकारी होता है. इससे आपके शिशु की मांसपेशियां विकसित होने में मदद मिलती है. साथ ही इसके प्रभाव से आपके शिशु को संक्रमण का भी खतरा नहीं रहता है.

किवी का जूस

कीवी विटामिन, मिनरल, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्त्रोत होता है जो प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर के लिए लाभकारी होता है. इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व पेट से जुड़ी समस्या को दूर करने में कारगर होते हैं.

गाजर या चुकुंदर का जूस

इस जूस में भरपूर मात्रा में विटामिन मिलते हैं. जिससे आपको थाकावट दूर करने में मदद मिलती है. यह जूस आपका एनर्जी लेवल बढ़ाता है. साथ ही आपके शरीर में होने वाली खून की कमी को भी दूर करता है.

अंगूर का जूस

इसमें एंटीआक्सीडेंट होता है और आपके शरीर को पोषण मिलता है, जिससे आपका बच्चा सेहतमंद रहता है. अंगूर का जूस को आप पानी व किसी और फ्रूट जूस में मिलाकर भी पी सकती हैं. इससे आपको जरूरी पोषण व विटामिन मिलते हैं.

सेब का जूस

ऐसे समय में सेब का जूस भी काफी फायदेमंद होता है. सेब में आयरन होता है जो कि खून बढ़ाने और रक्त संबन्धी बीमारियों को दूर करने में फायदेमंद होता है. ऐसे में इस जूस को पीने से आपका हिमोग्लोबिन ठीक मात्रा में रहता है जो कि आपके शिशु को भी रक्त की मात्रा देने में सहायक होता है.

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