गलत बीमा पौलिसी बेचे जाने पर बैंकिंग लोकपाल में करें शिकायत

बैंक में जाते ही बैंक और इंश्योरेंस कंपनियों के अधिकारी ग्राहकों से म्युचुअल फंड में निवेश या इंश्योरेंस पौलिसी खरीदने के लिए दबाव बनाते हैं. जानकारी के लिए बता दें कि ऐसा करना कानून के बिल्कुल भी खिलाफ नहीं है, क्योंकि बैंकों को थर्ड पार्टी प्रोडक्ट बेचने की अनुमति होती है. हालांकि, म्युचुअल फंड में निवेश या इंश्योरेंस पौलिसी खरीदने के बाद अगर आपको शिकायत आती है तो इसमें बैंक कोई मदद नहीं करता है. वास्तव में बैंक इससे अपना पल्ला झाड़ता है.

ऐसे में अबतक अगर आपने बैंक से इंश्योरेंस पौलिसी खरीदी है और उससे संबंधित कोई शिकायत है तो आपको इंश्योरेंस कंपनी या इश्योरेंस औम्बडस्मैन (लोकपाल) के पास जाना होता था. साथ ही थर्ड पार्टी प्रोडक्ट्स की बिक्री, जो बैंकों को फीस-आधारित राजस्व लाती थी, बैंकिंग लोकपाल के दायरे से बाहर थी.

जल्द ही यह नियम बदलने वाला है. एक अधिसूचना के अनुसार अगर बैंक ग्राहकों को गलत थर्ड पार्टी प्रोडक्ट्स बेचता है तो ग्राहक सीधे बैंकिंग लोकपाल के पास जा सकते हैं. अधिसूचना के मुताबिक आरबीआई का कहना है कि उसने बैंकिंग लोकपाल स्कीम 2006 का दायरा बढ़ा दिया है. अब इसमें बेची गई इंश्योरेंस पौलिसी में खामी, म्युचुअल फंड और बैंकों की ओर औफर किए गए थर्ड पार्टी प्रोडक्ट्स शामिल होंगे.

बैंकिंग लोकपाल योजना बैंकों की ओर से औफर की गई सेवाओं से संबंधित शिकायतों के समाधान को सक्षम करती है और इस तरह की शिकायतों के निपटान की सुविधा उपलब्ध कराती है.

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आरबीआई केवल लोकपाल का दायरा ही नहीं बढ़ाया है, बल्कि नए नियमों की मदद से इसका अधिकार क्षेत्र भी बढ़ा दिया है. इससे पहले तक बैंकिंग लोकपाल केवल 10 लाख रुपये तक का और्डर पास कर सकता था. यह अब बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है. इसके अलावा बैंकिंग लोकपाल शिकायतकर्ता के पैसे और समय के नुसकसान, उत्पीड़न और मानसिक कष्ट के लिए एक लाख रुपये का अधिकतम मुआवजा दे सकता है.

जानिए बैंकिंग लोकपाल को किस स्थिति में शिकायत कर सकते हैं-

  • किसी थर्ड पार्टी फाइनेंशियल प्रोडक्ट की गलत या अनुचित बिक्री
  • प्रोडक्ट की बिक्री के समय पर पर्याप्त जानकारी न देना
  • शिकायत निवारण प्रक्रिया का का गैर प्रकटीकरण
  • बैंक की ओर से बिक्री के बाद सेवा को सुविधाजनक बनाने में देरी या इनकार

कैसे करें शिकायत

कानून के मुताबिक बैंक की हर शाखा को बैंकिंग लोकपाल के औफिस का पता दिखाना जरूरी है. शिकायतकर्ता औनलाइन और औफलाइन दोनों माध्यमों से शिकायत दाखिल कर सकता है. शिकायत में नुकसान का स्तर और मांगे गये मुआवजे की प्रकृति स्पष्ट करनी होती है.

लेकिन आपको बता दें कि बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करने से पहले शिकायतकर्ता को आधिकारिक रूप से बैंक के पास शिकायत फाइल करनी होगी. इसके बाद 30 दिनों तक इंतजार करना होगा. अबतक स्थिति यह थी कि अगर बैंक ने किसी को गलत इंश्योरेंस पौलिसी या म्युचुअल फंड स्कीम की बिक्री की है तो वह केवल इंश्योरर या फंड हाउस के ही पास जा सकता था.

आपको बता दें कि बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज कराने पर कोई फीस नहीं लगती है और न ही किसी वकील के पास जाना पड़ता है. आप एक अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से अपने केस का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं.

ताकि चेहरा रहे खिला खिला

खूबसूरत फिगर के साथ दमकती त्वचा की मल्लिका बनना कौन नहीं चाहता. पर इसके लिए आपको कई सारे एक्सपेरिमेंट के बजाय सही ब्यूटी टिप्स की जरूरत है. अगर आप भी फेयर और ग्लोंइग त्वचा पाना चाहती हैं तो ये कुछ टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं.

बाहर से ही नहीं अंदर से बने खूबसूरत

ब्यूटी एक्सपर्ट का मानना है कि आप जो कुछ खाते हैं, उसका असर आपकी त्वचा पर साफ दिखता है. इसलिए जितना हो सकें कम मसाले वाले भोजन खाएं, फास्टफूड से परहेज करें. त्वचा को हाइड्रेटेड रखने के लिए रोजाना 8 ग्लास पानी पिएं. इसके साथ ही अपने डाइट में ताजे फल और सलाद जरूर शामिल करें.

अच्छी क्वालिटी के प्रौडक्ट्स का इस्तेमाल

अपनी त्वचा की देखभाल के लिए हमेशा अच्छे क्वालिटी के प्रौडक्ट्स का इस्तेमाल करना चाहिए. ताकि त्वचा को मेकअप से कोई नुकसान न पहुंचें और आपकी त्वचा हमेशा दिखें खिली खिली.

सोने से पहले मेकअप अच्छी तरह साफ करें

सोने से पहले अपने चेहरे से मेकअप साफ करना कभी ना भूलें. इसके लिए वो अच्छे पोर क्लींजर का इस्तेमाल करना अच्छा रहेगा, ताकि मेकअप त्वचा के रोमछिद्रों में न रह जाए. इतना ही नहीं एजिंग इफेक्ट्स को कम करने के लिए भी अच्छी गुणवत्ता वाले ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना बेहतर विकल्प है.

गर्मियों में प्रेगनेंसी के दौरान पिएं ये 5 तरह के जूस

गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान अपने खाने पीने का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है. गर्मी काफी बढ़ गई है ऐसे में ज्यादा कुछ खाने का मन नहीं होता. सही खानपान ना होने की वजह से शिशु को कई पोषक तत्व नहीं मिल पातें. अगर इन दिनों आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है तो आपको ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. ऐसे में आप जितना हो सके ताजा फलों के जूस का सेवन करें. इससे आप ना केवल स्वस्थ महसूस करेंगी बल्कि आपको भरपूर विटामिन व मिनरल भी मिलेगा. लेकिन ऐसे में कौन सा जूस पीना ज्यादा फायदेमंद होगा इसके बारें में हम आपको इस लेख में बता रहे हैं.

संतरा या मौसमी

गर्भावस्था के दौरान संतरा या मौसमी का जूस पीने से आपको भरपूर विटामिन मिलते हैं. इस जूस में फौलिक एसिड होता है जो शिशु के विकास में लाभकारी होता है. इससे आपके शिशु की मांसपेशियां विकसित होने में मदद मिलती है. साथ ही इसके प्रभाव से आपके शिशु को संक्रमण का भी खतरा नहीं रहता है.

किवी का जूस

कीवी विटामिन, मिनरल, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्त्रोत होता है जो प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर के लिए लाभकारी होता है. इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व पेट से जुड़ी समस्या को दूर करने में कारगर होते हैं.

गाजर या चुकुंदर का जूस

इस जूस में भरपूर मात्रा में विटामिन मिलते हैं. जिससे आपको थाकावट दूर करने में मदद मिलती है. यह जूस आपका एनर्जी लेवल बढ़ाता है. साथ ही आपके शरीर में होने वाली खून की कमी को भी दूर करता है.

अंगूर का जूस

इसमें एंटीआक्सीडेंट होता है और आपके शरीर को पोषण मिलता है, जिससे आपका बच्चा सेहतमंद रहता है. अंगूर का जूस को आप पानी व किसी और फ्रूट जूस में मिलाकर भी पी सकती हैं. इससे आपको जरूरी पोषण व विटामिन मिलते हैं.

सेब का जूस

ऐसे समय में सेब का जूस भी काफी फायदेमंद होता है. सेब में आयरन होता है जो कि खून बढ़ाने और रक्त संबन्धी बीमारियों को दूर करने में फायदेमंद होता है. ऐसे में इस जूस को पीने से आपका हिमोग्लोबिन ठीक मात्रा में रहता है जो कि आपके शिशु को भी रक्त की मात्रा देने में सहायक होता है.

अधिक जिम्मेदारी से मुझमें अधिक आत्मविश्वास आ गया है : अनुष्का शर्मा

‘रब ने बना दी जोड़ी’ फिल्म से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने वाली अनुष्का शर्मा अब प्रोड्यूसर भी बन चुकी हैं. उन्हें पहला ब्रेक डिजाइनर वैंडील रोड्रिक ने अपनी पोशाक के साथ एक फैशन वीक में दिया. वे मौडल बन कर ही संतुष्ट थी, लेकिन एक दिन उन्हें यशराज बैनर का फोन आया तो वे दिल्ली से मुंबई पहुंच गईं. यशराज के एक औडिशन में ही उन्हें चांस और 3 फिल्मों का कैंट्रैक्ट मिला. उन की जिंदगी बदल गई. उन्होंने धीरेधीरे सफलता की सीढ़ियां चढ़ीं और आज कामयाबी के शिखर पर पहुंच चुकी हैं. उन्हें कई अवार्ड मिल चुके हैं.

2010 में ‘रब ने बना दी जोड़ी’ के लिए ‘बैस्ट फीमेल डेब्यू’ का और 2011 में फिल्म ‘बैंड बाजा बारात’ के लिए ‘बैस्ट ऐक्ट्रैस’ का अवार्ड उन के लिए काफी अहमियत रखता है. काम के इस सफर में अनुष्का, क्रिकेट प्लेयर विराट कोहली से एक विज्ञापन के दौरान मिलीं. धीरेधीरे दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं और फिर 11 दिसंबर, 2017 को दोनों इटली में शादी के बंधन में बंध गए. फिल्म निर्माता भी हैं अभिनेत्री के अलावा निर्माता बन कर अनुष्का ने कई फिल्में बनाईं. वे कहती हैं, ‘‘निर्माता बनने की इच्छा पहले नहीं थी, समय के साथ पैदा हुई. यह सही है कि अभिनेत्री होने पर अधिक जिम्मेदारी नहीं होती. उन से सिर्फ अच्छे अभिनय की मांग निर्माता निर्देशक करते हैं, लेकिन जब आप खुद निर्माता बनते हैं, तो जिम्मेदारी अधिक होती है. आप ही को सभी निर्णय लेने पड़ते हैं. सब को साथ ले कर चलना पड़ता है. लेकिन अगर टीम अच्छी हो और हर बात को आसानी से समझती हो, तो कोई मुश्किल नहीं.”

‘‘पहली फिल्म के बाद मैं ने यह महसूस किया कि अधिक जिम्मेदारी से मुझ में अधिक आत्मविश्वास आ गया है, जिस से अधिक काम कर पाती हूं. ‘फिल्लौरी’ फिल्म को मैं ने अपने भाई कर्नेश शर्मा के साथ मिल कर प्रोड्यूस किया. मैं ने निर्माता बनने के लिए कोई योजना नहीं बनाई थी. यह अपनेआप हो गया.’’ अपनी इच्छा बताते हुए अनुष्का कहती हैं, ’’अगर मुझे कोई सुपर पावर मिले तो मैं ‘ट्रू सैंस औफ फ्रीडम’ को बदलना चाहती हूं यानी जो लोग अपनेआप को सब से अधिक होनहार समझते हैं, दूसरों को नहीं, इस से लाइफ बड़ी तनावपूर्ण हो जाती है. अगर उन की सोच बदले, तो वे खुद खुश रहने के साथसाथ दूसरों को भी खुश रख सकते हैं.’’

फ्रूटी एंड टेस्टी बाइट्स : आमूर जैलपीनो का तंदूरी झींगा

आमूर जैलपीनो का तंदूरी झींगा

सामग्री

• 4 प्रौंस • 40 ग्राम हंग कर्ड • 50 ग्राम फ्रैश मैंगो प्यूरी • 20 ग्राम ताजा क्रीम • 10 ग्राम अदरक का पेस्ट • 10 ग्राम कालीमिर्च कुटी हुई • 10 ग्राम यलो चिली पाउडर • 10 ग्राम जैलपीनो • गार्निशिंग के लिए चिली औयल • थोड़ी सी धनियापत्ती कटी • नमक स्वादानुसार.

विधि

प्रौंस की ऊपरी परत उतार कर उन्हें दही, अदरक के पेस्ट, क्रीम, मैंगो प्यूरी, कालीमिर्च, व चिली पाउडर के पेस्ट में 1/2 घंटा मैरीनेट करें. फिर इन्हें सीख में सैट कर के तंदूर में पकाएं. पकने के बाद चिली औयल और धनियापत्ती से सजा कर गरमगरम सर्व करें.

व्यंजन सहयोग : सेलिब्रिटी शैफ अजय चोपड़ा

इंजीनियरिंग से दूरी, फिर भी मेक इन इंडिया

देश को महान बनाने का सपना कोई देख रहा है, ऐसा सोचना भूल जाएं. वह रामायण और महाभारत की परीकथाओं की बात कर सकता है, समुद्र पर पुल और लाक्षागृह बनाने का बखान कर सकता है पर असल में, कुछ बड़ा नहीं कर सकता. महान बनाने के लिए देश को इंजीनियर चाहिए जो नया सोच सकें, दूर की सोच सकें. यह गुण हमारे यहां है लेकिन कितनों में, यह इस बात से साफ है कि देश के इंजीनियरिंग कालेज फटाफट बंद हो रहे हैं. जिस देश के पगपग पर नए निर्माण की जरूरत है वहां हर दिन एक इंजीनियरिंग कालेज बंद हो रहा है. खरपतवार की तरह खुले कालेज अब लगातार कम हो रहे हैं और उन की विशाल बिल्डिंगें सायंसायं कर रही हैं. 4 वर्षों में 3 लाख सीटें कम हो गई हैं. इसी साल मेक इन इंडिया के नारों के बावजूद, 80,000 सीटें और 200 कालेज कम हो गए हैं. जो कालेज चल रहे हैं उन में कितने घिस रहे हैं, यह अंदाजा लगाना कठिन है.

एक समय देश में 20 लाख इंजीनियरिंग छात्रों की जगह थी, आज केवल 7.9 लाख छात्रों ने 2016-17 में प्रवेश लिया. इंजीनियरिंग से मोहभंग होने का कारण यह है कि हमारे यहां हाथ से काम करने की आदत ही नहीं. हमारे इंजीनियरों की दफ्तरों में बैठ कर काम करने की आदत है. वे कंप्यूटरों पर दक्ष तो हैं पर धूप, पानी, धुएं या अंधेरी खानों के नहीं. ये काम तो हमारे यहां हमेशा नीची जाति के लोग करते रहे हैं और वे इन 20 लाख सीटों के लायक फीस भर ही नहीं सकते. उन की पहले की शिक्षा ऐसी नहीं कि वे आज की कठिन तकनीक को समझ सकें. विदेशों में मिलने वाली नौकरियां भी कम होने लगी हैं क्योंकि चीन से इंजीनियर भारी संख्या में मिल रहे हैं. चीन हर साल 47 लाख छात्रों को साइंस, टैक्नोलौजी, इंजीनियरिंग और मैथमैटिक्स के विशेषज्ञ बना रहा है जो हमारे छात्रों से कहीं ज्यादा योग्य, तेज, दक्ष, मेहनती व दूरदर्शी हैं. हमारे छात्र तो ‘थ्री इडियट’ फिल्म की तरह पूजापाठी हैं, अंगूठियां पहनने वाले हैं, दानदक्षिणा के भरोसे पास होने वाले हैं.

इस तरह के इंजीनियर स्वाभाविक है कि काम पर आते ही निकम्मे साबित हो जाते हैं. कुछ हजार जरूर वर्ल्डक्लास होंगे पर बाकी बस किसी तरह कामचलाऊ हैं. यह किसी भी सड़क पर 4 मील चलने पर पता चल जाएगा, विदेशी गाड़ी में चलने पर भी, सड़क की खराब बनावट के चलते, खड़खड़ आवाज आएगी, 4 में से 3 ट्रैफिक लाइटें काम नहीं कर रही होंगी, बिजली के तार लटके या टूटें दिखेंगे, सड़क के किनारे खराब हालत में भारी भरकम क्रेन ट्रेलर दिख जाएंगे, गुजरते ट्रक आड़ेतिरछे चल रहे होंगे और सड़क की बत्तियां आमतौर पर गुल होंगी.

हालत तो यहां तक है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के कार्यालयों के सामने का राजपथ भी इंजीनियरिंग की फेल्योर का महान नमूना है जहां हर कोने पर कुछ न कुछ बेतरतीब नजर आएगा. देश में इंजीनियरों की नहीं, पुजारियों की भरमार हो रही है. हम मेक इन इंडिया में केवल हवनकुंड बनाएंगे, ऐसा महसूस किया जा रहा है.

मैं जैसी दिखती हूं वैसी हूं नहीं : हिबा नवाब

मात्र 7 साल की उम्र में बरेली की गलियों से निकल कर छोटे परदे पर छा जाने का जो सपना बरेली की बरफी यानी 21 साल की हिबा ने देखा था, वह पूरा होता दिख रहा है. वह 7 साल की उम्र से ऐक्टिंग कर रही हैं. हिबा को यह चांस भी बिना किसी तैयारी के मिला.

वह बताती हैं कि एक बार पापा के साथ मुंबई घूमने गई थी. वहां किसी टीवी शो का औडिशन चल रहा था. मैं ने औडिशन दिया और जब घर आई तो पता चला कि मेरा सिलैक्शन हो गया है. 2008 में आए एक टीवी शो ‘फिर कोई है’ से ऐक्टिंग की शुरुआत करने वाली हिबा ने ‘यह रिश्ता क्या कहलाता है,’ ‘तेरे शहर में,’ ‘भाग बकूल भाग’ के बाद अब वह सब टीवी के नए कौमेडी शो ‘जीजा जी छत पर हैं’ में चुलबुली इलायची की भूमिका निभा रही हैं, शो के प्रमोशन के मौके पर दिल्ली आई हिबा से उस की पर्सनल लाइफ और कैरियर पर बातचीत हुई. पेश हैं, मुख्य अंश :

ऐक्टिंग करने से पढ़ाई पर तो कोई फर्क नहीं पड़ा?

ऐक्टिंग और पढ़ाई दोनों साथसाथ करने में कुछ मुश्किलें तो सामने आई हैं. ऐक्टिंग की वजह से मेरी पढ़ाई पूरी तरह से डिस्टर्ब हुई है, लेकिन ऐक्टिंग का जो कीड़ा दिमाग में घुस चुका था उसे बाहर निकालना काफी मुश्किल था. जब मैं हाईस्कूल में थी, तभी चैनल ‘वी’ के एक शो के लिए मुझे कौल आई, यह शो पूरी तरह टीनएजर्स पर बेस्ड था. इस बारे में घर पर जब पापा को बताया तो उन्होंने मुझे पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा, लेकिन मैं ने शो में काम करने की जिद पकड़ ली, जिस के लिए उन्हें आखिर हां करनी पड़ी. शो की शूटिंग के दौरान जब मेरा हाईस्कूल का रिजल्ट आया, तो सैट पर सब मुझे चिढ़ाते थे कि देखो, टैंथ पास आ गई.

आप बड़ी स्लिमट्रिम हैं, खुद को कैसे मेंटेन रखती हैं?

मैं हमेशा बौडी के लिए सूटेबल डाइट लेती हूं. रैगुलर वर्कआउट करती हूं, काम से चाहे कितनी भी थक जाऊं, लेकिन ऐक्सरसाइज करना कभी नहीं छोड़ती. पिछले दिनों डेंगू होने से मैं हौस्पिटल में एडमिट रही जिस की वजह से कुछ ज्यादा ही स्लिम हो गई हूं.

शौपिंग का शौक है?

बहुत ज्यादा, जब भी फ्री होती हूं शौपिंग के लिए निकल जाती हूं. मुझे विंडो शौपिंग पसंद है. आप लोगों को कुछ फैशन टिप्स देना चाहेंगी, क्योंकि समर का मौसम आ रहा है?

इस मौसम में पिंक, लाइट ब्लू, यलो, गोल्डन कलर ट्राई कर सकती हैं. हां, पेस्टल कलर हमेशा हौट रहते हैं. इन कलर्स का उपयोग आप वैडिंग पर भी कर सकती हैं. अगर फेयर कौंप्लैक्शन है तो ब्राइट कलर बहुत सूट करेगा.

बरेली जाने पर अब कैसा लगता है?

मुंबई मैं 10 साल की उम्र में ही आ गई थी, लेकिन जब टीवी पर आने के बाद पहली बार मैं अपने शहर बरेली अपने स्कूल गई तो वहां के सभी स्टूडैंट्स और टीचर मुझे वीवीआईपी की तरह ट्रीट कर रहे थे. यह सब देख मुझे अजीब लगा, क्योंकि मैं चाइल्ड आर्टिस्ट थी और बरेली में मुझे इतना स्पैशली ट्रीट किया जाना कुछ हजम नहीं हो रहा था. यही हाल मुंबई के एक स्कूल में भी मेरे साथ हुआ. मैं आज भी अपने शहर को नहीं भूल पाई हूं, जब भी फ्री होती हूं तो वहां जाने की कोशिश करती हूं.

अधिकतर कैरेक्टर में हिबा बड़ी नौटी और चुलबुली हैं, क्या पर्सनल लाइफ में भी ऐसी ही हैं?

बिलकुल नहीं, जो भी मुझे करीब से जानता है उसे पता है कि मैं कितनी संजीदा हूं. मुझे जोर से बोलना बिलकुल पसंद नहीं है. मैं बड़ी शांत हूं. कैरेक्टर के अनुसार खुद को ढालना पड़ता है. इस शो के कैरेक्टर में बहुत से रंग हैं, इस में एक कलाकार के लिए बहुतकुछ करने को है, क्योंकि शो की कैरेक्टर में जो चुलबुलापन है वह मेरे अंदर कहीं भी नहीं है. एक बात तो यह है कि मुझे वह सब करने को मिल रहा है जो रियल लाइफ में कभी नहीं कर सकती. शो ‘जीजा जी छत पर हैं’ कि इलायची खांटी दिल्ली के चांदनी चौक की रहने वाली है इसलिए इस कैरेक्टर के लिए पहले मैं नर्वस थी, लेकिन दिल्ली के दोस्तों ने मेरी भाषा सुधारने में मेरी मदद की और आज मैं भी दिल्ली की और मेरी टोन भी दिल्ली वाली हो गई है.

किस तरह के रोल पसंद हैं?

मैं ने बचपन में ही ऐक्टिंग करना शुरू कर दिया था. मैं हमेशा ही नएनए तरह के रोल करना पसंद करती रही हूं. शो ‘भाग बकुल भाग’ में मुझे टीना का रोल मिला था यह मेरे लिए एक चैलेंजिंग रोल था, क्योंकि इस में मुझे दर्शकों को हंसाना था.

एक ऐक्टर के लिए दर्शकों को हंसाना काफी चैलेंजिंग होता है. लेकिन मैं ने हर मुश्किल रोल को एक चैलेंज मान कर स्वीकार किया और शो का पौपुलर होना इस बात का संकेत है कि मैं अब कौमेडी भी कर सकती हूं.

शाहरुख के साथ डेट पर हिबा कहती हैं कि शाहरुख खान मेरे फेवरिट स्टार हैं. मैं उन के साथ लद्दाख जाना चाहती हूं. अगर कोई मुझ से पूछे कि आप किस के साथ डेट पर जाना चाहती हैं, तो मैं पहला नाम उन्हीं का लूंगी. उन की फिल्म ‘दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे’ मेरी फेवरिट मूवी है.

फेवरिट ऐक्ट्रैस जब उन से उन की पसंदीदा टीवी ऐक्ट्रैस के बारे में पूछा जिसे वह फौलो करती है, तो हिबा ने जैनिफर विंगेट का नाम लिया. उस ने कहा कि जैनिफर बहुत अच्छी आर्टिस्ट हैं और उन के पास कुछ ऐसा है जो दर्शकों को आसानी से अपनी ओर आकर्षित करता है. हिबा ने बताया, ‘‘मैं उन के टैलीविजन शोज देखना पसंद करती हूं. मैं ने उन का शो ‘दिल मिल गए’ का लगभग हर एपिसोड देखा है और यह मुझे बहुत अच्छा लगता है.’’

फुजूलखर्ची जब लगता है कि ज्यादा खर्च हो रहा है तब मैं मार्केट जा कर सिर्फ मम्मी को फोन कर के बताती हूं कि मम्मी, मैं यह खरीद रही हूं. इस के बाद क्या होता है, यह सभी को पता है. मेरी मम्मी फुजूलखर्ची के सख्त खिलाफ हैं.

पर्ल के साथ गुटरगूं हिबा और ऐक्टर पर्ल वी पुरी को अकसर साथ देखा जाता था. खबरें यह भी आई थीं कि हिबा और पर्ल आपस में डेटिंग कर रहे हैं. पर कुछ दिनों के पर्ल के साथ उपेन पटेल की पूर्व गर्लफ्रैंड करिश्मा तन्ना नजर आने लगी थी, लेकिन कुछ समय बाद करिश्मा से भी रिश्ता टूटने के बाद पर्ल अपनी पुरानी गर्लफ्रैंड हिबा के साथ फिर नजर आने लगे हैं.

भारतीय युवाओं का टूटता अमेरिकी सपना

भारतीय युवाओं का अमेरिकी सपना अब धीरेधीरे टूट रहा है. जिन मूल भारतीयों को अमेरिकी नागरिकता मिल चुकी है उन्हें तो खैर कुछ नहीं हो रहा पर जिन्हें अमेरिका की नागरिकता नहीं मिली और एच-1-बी वीजा पर सालों से वहां कार्य कर रहे हैं उन का जीवनस्तर खतरे में है. इन इमीग्रैंटों को 2015 में बराक ओबामा ने तोहफे में पति या पत्नी के होने पर उन्हें भी अमेरिका में काम करने की टैंपरेरी इजाजत दे दी थी. नतीजतन, इन भारतीयों की आय दोगुनी हो गई थी. पर जिन कारणों से नरेंद्र मोदी को भारत में जरूरत से ज्यादा वाहवाही मिली वही अमेरिका में मौजूद हैं. अमेरिका का गोरों का एक संपन्न वर्ग अपने को अमेरिका का पुश्तैनी मालिक समझता है और कालों, भूरों, पीलों, एशियाइयों, अफ्रीकियों, लैटिनों आदि को गुलाम मानता है. यह वर्ग कहता है कि ये सब लोग अमेरिका आएं, पर न बराबरी मांगें, न सुविधाएं मांगे. वे केवल सेवा करें और जब सेवा करने लायक न रहें तो अपने मूल देश चले जाएं.

जैसे भारतीय सवर्णों ने जम कर हल्ला मचा कर वोटरों को भ्रमित किया, वैसे ही गोरे कट्टरों ने अमेरिकियों को या तो डरा दिया या बहका दिया और अल्पमत में होते हुए भी डोनाल्ड ट्रंप को जितवा दिया जो अब एच-1-बी वीजा के पर कतरने को उतारू है. अब एच-1-बी वीजा की संख्या ही कम नहीं हो रही, टैंपरेरी वीजा की सहूलियत खत्म भी की जा रही है. ऐसे में हजारों पत्नियां और सैकड़ों पति अब नौकरी खो बैठेंगे. अमेरिका अपने नागरिकों की बेरोजगारी का दोष इन बाहरी लोगों पर मढ़ रहा है ठीक वैसे ही जैसे भारत में ऊंची जातियां आरक्षण को योग्यता का हनन करने का दोषी मान रही हैं. अब अमेरिका जाने का सपना ही नहीं टूट रहा है, बल्कि जो अमेरिका में घर बना कर वर्षों से रह रहे हैं उन्हें लग रहा है कि उन्हें गंदे, बदबूदार, पिछड़े, भीड़भाड़ वाले देश में लौटना पड़ेगा जहां न नौकरियां है न इज्जत.

अमेरिका में दोयम दर्जे का निवासी होने पर भी उन्हें जो अवसर व स्तर प्राप्त था उस का अंश भी उन्हें अपने देश में न मिलेगा. यह भारतीयों के साथ ही नहीं, दूसरे कई कम विकसित देशों के साथ भी होगा. लेकिन, चूंकि भारतीयों को टैक्नोलौजी के क्षेत्र में बहुत सी नई नौकरियां मिली थीं, सो, उन्हें कुछ ज्यादा ही दर्द होगा. अमेरिकी अपने फैसले में गलत नहीं हैं. अमेरिकी नागरिकता पाने के बाद भी बहुत से विदेशी मूल के लोग दोहरी मानसिकता में जीते हैं. वे अपनी संस्कृति अमेरिकियों पर थोपते हैं. मंदिर, मसजिद तो बनवाते ही हैं, दूसरों को कहते रहते हैं कि यह करो, यह न करो. भारतीय बीफ के खिलाफ तो मुसलिम हलाल मीट का हल्ला मचाते हैं. वे अपने अलग त्योहार मनाते हैं. वे अपने देशों के नेताओं, धर्मगुरुओं की अगवानी करते फिरते हैं. उन्हें अमेरिकी क्यों पालें जो 2-3 पीढि़यों के बाद भी अमेरिका के नहीं बन पाए.

बालों से जुड़ी इन सामान्य समस्याओं का समाधान आप भी जानिए

एक दिन में 30 से 50 और हफ्ते में 300 से 500 बाल  झड़ते हैं. इस के कई कारण होते हैं. दरअसल, बालों की जड़ें बहुत नाजुक होती हैं. हमारे शरीर में जो भी बीमारी होती है उस का प्रभाव बालों पर पड़ता है. बीमारी होने के 3-4 महीने बाद भी हमारे बालों की समस्या लगातार चलती रहती है.

बालों के  झड़ने का कारण

अकसर डिलीवरी के बाद महिलाओं के बाल  झड़ने की समस्या पैदा हो जाती है. इस की निम्न वजहें हैं :

इन्फेक्शन : इन्फेक्शन के कारण बालों पर प्रभाव पड़ता है और बाल  झड़ने लगते हैं. अधिकतर बाल किडनी और यूरिन इन्फेक्शन के कारण  झड़ते हैं.

हारमोनल इनबैलेंस : हारमोंस में बदलाव आने के कारण बाल  झड़ते हैं. डायबिटीज के कारण भी बाल  झड़ते हैं.

ड्रग्स और केमिकल : ड्रग्स या केमिकल लेने के कारण भी उन का साइड इफेक्ट होता है और बाल  झड़ते हैं. अधिक दवा लेना जैसे कि एंटी थायराइड ड्रग्स, पेन किलर लेने पर भी बाल  झड़ते हैं. कैंसर के मरीजों के बाल अधिक  झड़ते हैं.

तनाव : ज्यादा काम का बो झ होना, ज्यादा सोचना और टेंशन से भी बाल  झड़ते हैं.

बालों को कस कर बांधना : हेयरस्टाइल जैसे कि टाइट पोनीटेल जिस में बालों की जड़ खिंचती हो, बालों के  झड़ने का कारण होता है.

वंशानुगत : बाल  झड़ने का कारण वंशानुगत भी होता है.

उपचार

समय पर भोजन लेना चाहिए.

खाने में अधिकतर प्रोटीन लेना चाहिए जैसे कि दूध, अंडे की सफेदी, मीट, दाल आदि.

हरी सब्जियां, फ्रूट्स व सलाद अधिक मात्रा में लें. अगर 50 से 150 बाल प्रतिदिन  झड़ते हों तो 1 दिन में 3 कप दूध लें.

विटामिन की टेबलेट लें.

बाल ज्यादा  झड़ते हों तो डाक्टर की सलाह लें.

बालों में रूसी

हमेशा बालों में तेल लगे रहने पर.

सही शैंपू का इस्तेमाल न करने पर.

बालों की जड़ों में रूखापन होने पर.

धूल व प्रदूषण के कारण.

तनाव व काम का बो झ होना.

उपचार

धूलमिट्टी से बालों को बचाएं.

सही शैंपू का इस्तेमाल करें.

हफ्ते में 2 बार बाल धोएं.

तेल का इस्तेमाल बालों को धोने से 2 घंटे पहले करें. अगर डैंड्रफ 2 से 3 हफ्ते में खत्म न हो तोएंटी डैंड्रफ शैंपू हफ्ते में 2 बार इस्तेमाल करें. इस से 1 महीने में आप का डैंड्रफ कंट्रोल हो जाएगा. इस के बाद हफ्ते में एक बार इस का इस्तेमाल करें.

सनफ्लावर आयल और औलिव आयल हफ्ते में 2 बार रात को सोने से पहले बालों की जड़ों में लगाएं और दूसरे दिन शैंपू करें.               

– निक्की बावा, स्पा ट्रीट, भोपाल

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