दिलकश दक्षिण भारत ब्यूटी कौरिडोर बेंगलुरु, मैसूर और ऊटी

देश में यों तो पर्यटन के सैकड़ों ठिकाने हैं लेकिन दक्षिण भारत के टूरिस्ट स्पौट्स टूरिज्म एजेंसियों और घुमक्कड़ों की रेटिंग में सब से अव्वल रहते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि साउथ इंडिया में देश के हर मौसम, मिजाज और माहौल के हिसाब से ऐसी कई जगहें हैं जो दुनियाभर के ठौर ठिकानों का सारा आनंद एक ही जगह मुहैया करा देती हैं.

अगर आप साउथ इंडिया का रुख कर रही हैं तो किसी एक शहर घूमने के बजाय एक कौरिडोर को कवर करें ताकि आप को बिना कोई बड़ा रास्ता या रूट बदले घूमने की नई नई जगहें और शहर मिल जाएं. इस मामले में दक्षिण भारत का ब्यूटी कौरिडोर सब से उचित विकल्प है. इस रूट में आप बेंगलुरु घूमने जाते हैं तो आप को इस कौरिडोर में आगे चल कर मैसूर, ऊटी और कूर्ग भी घूमने को मिलेंगे. यह रूट दक्षिण के सब से सुंदर रूटों में शुमार है, जहां एकसाथ आप को बहुतकुछ देखने को मिल जाएगा. यदि आप बेंगलुरु में हैं तो यहां से मैसूर मात्र 149 किलोमीटर की दूरी पर है. मैसूर से ऊटी 125 किलोमीटर है और ऊटी से कूर्ग 107 किलोमीटर है. हालांकि कई पर्यटक बेंगलुरु से मैसूर तो आ जाते हैं लेकिन उस के बाद ऊटी जाने के बजाय कूर्ग जाते हैं. आप के पास दोनों विकल्प हैं. लगभग 20-30 किलोमीटर का फर्क है मैसूर से. फिर देर किस बात की, उठाइए अपना बैग और निकल पडि़ए इस ब्यूटी कौरिडोर को नापने.

बेंगलुरु के हाईटैक दर्शन : देश की सिलीकौन वैली और आईटी सिटी के नाम से मशहूर कर्नाटक का हाईटैक शहर बेंगलुरु नैचुरल और टैक्नो टच के फ्यजून से लैस है जहां ऐतिहासिक स्थलों, मंदिरों, मौल, गगनचुंबी इमारतें सब देखने को मिल जाते हैं. यहां से मुथयाला माधुवु, मैसूर, श्रवणबेल गोला, नागरहोल, बांदीपुर, रंगनाथिटु, बेलूर और हैलेबिड जैसे पर्यटन स्थलों तक भी आसानी से पहुंचा जा सकता है.

1537 में बसे इस शहर में कब्बन पार्क और संग्रहालय ऐतिहासिक महत्व के हैं. इस के अलावा सचिवालय, गांधी भवन, टीपू सुल्तान का सुमेर महल, बांसगुडी तथा हरे कृष्ण मंदिर, लाल बाग, बेंगलुरु पैलेस, साईं बाबा का आश्रम, नृत्यग्राम, बनेरघाट अभयारण्य कुछ ऐसे स्थल हैं जहां घूम कर आप बेंगलुरु का मिजाज पूरी तरह से समझ जाते हैं.

यहां के दक्षिण में बसवनगुडी मंदिर का निर्माण करीब 500 साल पहले कराया गया था. यहां 15 फुट ऊंची और 20 फुट लंबी नंदी की प्रतिमा है और इसे ग्रेनाइट के सिर्फ एक चट्टान के जरिए बनाया गया है. पूजापाठ के चक्कर में पड़ने के बजाय इस की स्थापत्यकला और हिस्टोरिकल फैक्टर के लिए इसे देखा जा सकता है. ऐसे ही शिव मंदिर, उत्तर बेंगलुरु के राजाजीनगर में स्थित कृष्ण और राधा का मंदिर दुनिया का सब से बड़ा इस्कौन मंदिर है.

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पिरामिड वैली : बेंगलुरु से करीब 30 किलोमीटर दूर पिरामिड वैली में नैचुरल ब्यूटी का दीदार होगा. प्राकृतिक सुंदरता, पहाडि़यां, जल निकाय आदि इस की खूबसूरती में चारचांद लगा देती हैं.

चुन्ची फौल्स और बन्नेरुघट्टा जैव उद्यान : अपने नाम की तरह अनूठे इस झरने की दूरी बेंगलुरु से

55 किलोमीटर है. पिकनिक के शौकीनों की यह मनपसंद जगह है. इसी के पास बन्नेरुघट्टा जैव उद्यान करीब 104 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. इस के तहत वन विभाग के अनेक श्रेणी

के संरक्षित वन हैं. 1971 में स्थापित इस उद्यान में प्रकृति रिजर्व, चिडि़याघर, बच्चों का पार्क, मत्स्यालय, मगरमच्छ पार्क, संग्रहालय, तितली पार्क, सांप पार्क और यहां तक कि पालतू जानवर भी हैं.

इनोवेटिव फिल्म सिटी : यह जगह पर्यटन में मनोरंजन तलाशने वालों के लिए है. बेंगलुरु मैसूर स्टेट हाइवे-17 पर बनी फिल्मसिटी सुबह 10 बजे से शाम 6:30 बजे तक खुलती है. एक व्यक्ति का 299 से 499 रुपए तक का पास बनता है जिस में इनोवेटिव स्टूडियो,  म्यूजियम, 4डी थिएटर, टौडलर डेन, लुइस तुसाद वैक्स म्यूजियम और थीमबेस्ड रैस्टोरैंट घूम सकते हैं. वन्नाडो सिटी डायनासोर वर्ल्ड भी रोमांचित करता है.

वेनकटप्पा आर्ट गैलरी : आर्ट्स प्रेमियों के लिए यहां की आर्ट गैलरी में लगभग 600 पेंटिग्स प्रदर्शित की गई हैं. पेंटिंग्स के अलावा यहां नाटकीय प्रदर्शनी का कलैक्शन भी शानदार है.

बेंगलुरु पैलेस : इस पैलेस की वास्तुकला तुदौर शैली पर आधारित है. जाहिर है करीब 800 एकड़ में फैले इस महल को बेंगलुरु का सब से आकर्षक पर्यटन कहना गलत नहीं होगा. इस के आगे एक गार्डन है, जिसे इंगलैंड के विंसर कास्टल की तर्ज पर बनाया गया है.

नेहरू प्लैनेटेरियम : नेहरू प्लैनेटेरियम 1989 में नगर निगम द्वारा स्थापित किया गया था. आकाशगंगाओं का विशाल रंगचित्र इस तारामंडल के प्रदर्शनी हौल में दिखाई देता है. साइंस सैंटर और एक विज्ञापन पार्क भी यहां है.

टीपू पैलेस : अगर आप को टीपू पैलेस देखना है तो चले आइए बेंगलुरु के सब से व्यस्त मार्केट कृष्णा राजेंद्र नगर (केआर मार्केट). यह पैलेस बेंगलुरुमैसूर राज मार्ग पर है. इतिहास की जानकारी रखने वालों को यह जगह खासी भाती है. इस महल की वास्तुकला व बनावट मुगल जीवनशैली को दर्शाती है. इस पैलेस का निर्माण हैदर अली ने करवाया जबकि इसे पूरा टीपू सुल्तान ने किया था. यह पूरे राज्य में निर्मित कई खूबसूरत महलों में से एक है.

आजकल धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले टीपू के नाम को इतिहास से मिटा देने पर उतारू हैं. यहां आएं तो खुद टीपू सुल्तान के बारे में कुछ जानकारी अवश्य लें.

रामनगरम : बेंगलुरु से मैसूर जाते हुए शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर राजमार्ग पर स्थित रामनगरम काफी दिलचस्प जगह है. फिल्म ‘शोले’ की शूटिंग यहीं हुई थी. अगर आप भी इस फिल्म के दीवाने हैं तो चले आइए रामनगरम. इसे रेशम का शहर भी कहा जाता है. यह बेंगलुरु के दक्षिण पश्चिम में लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. कनार्टक के अन्य भागों की तरह यहां भी गंग, चोल, और मैसूर के राजाओं ने राज किया. वर्ष 1970 के दौरान ‘शोले’ फिल्म की शूटिंग इस स्थान पर हुई और इस स्थान को प्रसिद्धि मिली.

मैसूर की शाही सैर

बेंगलुरु से करीब 150 किलोमीटर दूर बसा मैसूर रंगीन सांस्कृतिक माहौल, शाही किस्सों और खानेपीने के  दिलचस्प ठिकानों से लैस है. विश्व में अपनी तरह का अकेला सेंट फिलोमेना चर्च मैसूर में ही स्थित है.

मैसूर पैलेस : इसे महाराजा पैलेस के नाम से भी जानते हैं. हिंदू और मुसलिम वास्तुशिल्प का अनूठा संगम यह महल धूसर रंग के ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित है. गोल गुबंद सोने के पत्र से जड़ा हुआ है. यहां का प्रमुख आकर्षण है मैसूर की आकृति का स्वर्ण सिंहासन.

जगनमोहन पैलेस : वर्ष 1861 में बने इस पैलेस को मैसूर पैलेस के पास ही देखा जा सकता है. फिलहाल इसे आर्ट के शौकीनों के लिए एक रौयल आर्ट गैलरी में बदल दिया गया है.

वृंदावन गार्डन : प्राकृतिक सौंदर्य और आधुनिक तकनीक का संगम वृंदावन गार्डन शहर के केंद्र से 19 किलोमीटर दूर है. कावेरी नदी के पास स्थित इस गार्डन को कृष्णाराज सागर बांध के नीचे बनाया गया है जो अपनेआप में उत्कृष्ट इंजीनियरिंग का नायाब नमूना है. यहां आ कर डासिंग फौआरे और बोटिंग का लुत्फ उठाना न भूलें.

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बांदीपुर वन्यप्राणी उद्यान: वन्यजीव का लुत्फ उठाने वाले बांदीपुर वन्यप्राणी उद्यान जरूर देखें. यहां बारहसिंगे, चितकबरे हिरण, हाथी, बाघ और तेंदुओं को प्रकृति के साथ अठखेलियां करते देखा जा सकता है. शहर से 80 किलोमीटर दूर स्थित इस उद्यान की सैर हाथी, जीप या ट्रक के अलावा नाव द्वारा भी की जा सकती है. जून से सितंबर तक यह उद्यान अनेक प्रकार के पक्षियों के कलरव से गूंजता रहता है. यह कई प्रजातियों के पशुपक्षियों से भरा पड़ा है. उद्यान में सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक भ्रमण किया जा सकता है.

सोमनाथपुरम मंदिर : दक्षिण भारत के मंदिर पूजापाठ के कर्मकांड से लैस हैं, इसलिए इस क्षेत्र में न पड़ें लेकिन इन की बनावट और वास्तुकला के लिए सोमनाथपुरम मंदिर को एक बार निहार सकते हैं.

चामुंडी हिल्स : मैसूर से 11 किलोमीटर दूर और तकरीबन 34,89 फुट ऊंचाई पर है चामुंडी हिल्स. कहते हैं कि करीब 300 साल पहले इसे मोटर मार्ग के जरिए बनाया गया था. 1,000 कदम चढ़ाई से पहाडि़यों के ऊपर तक जा कर आप को रोमांच महसूस होगा.

ऊटी की नैचुरल ब्यूटी

उत्तर भारतीय जब भी साउथ इंडिया जाते हैं, उन की घुमक्कड़ी की लिस्ट में ऊटी सब से ऊपर होता है. मैसूर से ऊटी 125 किलोमीटर है. कई साल पहले मिथुन चक्रवर्ती जब अपना फिल्मी कैरियर छोड़ ऊटी में होटल व्यापारी बन जा बसे तब यह इलाका खास चर्चा में रहा. फिल्म की शूटिंग के लिए यह सब से अच्छी जगह मानी जाती है. नीलगिरी की पहाडि़यों में बसा ऊटी तमिलनाडु का सब से उम्दा हिल स्टेशन है.

बोटैनिकल गार्डन : करीब 22 एकड़ में फैले बोटैनिकल गार्डन में 650 से भी ज्यादा दुर्लभ किस्म के पेड़पौधों के साथसाथ अद्भुत और्किड, रंगबिरंगे लिली के फूल, खूबसूरत झाडि़यां व 2,000 साल पुराने पेड़ के अवशेष देखने को मिलते हैं. बौटनी में दिलचस्पी रखने वालों के लिए यह किसी संग्रहालय से कम नहीं है. मई के महीने में ग्रीष्मोत्सव में शरीक होंगे तो और मजा आएगा. तब फूलों की प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिन में स्थानीय प्रसिद्ध कलाकार भाग लेते हैं.

ऊटी झील : ऊटी लेक में बाग और झील का अद्भुत संगम दिखता है. लेक के चारों ओर फूलों की क्यारियों में इंद्रधनुषी रंगों के फूल यहां की खूबसूरती में चारचांद लगाते हैं. झील में मोटरबोट, पैडलबोट और रो-बोट्स में बोटिंग का लुत्फ भी उठाया जा सकता है. ढाई किलोमीटर लंबी इस लेक में फिशिंग का अनुभव शानदार है.

डोडाबेट्टा चोटी : नीलगिरी के सब से ऊंचे पर्वत का रुतबा लिए डोडाबेट्टा चोटी से पूरे शहर का विहंगम नजारा देखते ही बनता है. प्रकृति का पैनोरोमा शौट लेना हो तो यही से लें.

कालहट्टी जलप्रपात : झरनों के मामले में साउथ इंडिया का कोई मुकाबला नहीं है. जाहिर है ऊटी का कालहट्टी जलप्रपात भी ऐसा ही एक नायाब प्रपात है. 100 फुट ऊंचा यह प्रपात ऊटी से केवल 13 किलोमीटर की दूरी पर है. झरना देखने के बाद कालहट्टीमसिनागुडी की ढलानों पर जानवरों की अनेक प्रजातियां, मसलन चीते, सांभर और जंगली भैंसा देखना न भूलें.

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कोटागिरी हिल : ऊटी से 28 किलोमीटर की दूरी पर यह हिल चाय बागानों के चलते आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. नीलगिरी के 3 हिल स्टेशनों में से यह सब से पुराना है. ऊटी और कून्नूकी के मुकाबले यहां की आबोहवा ज्यादा सुहावनी मानी जाती है. यहां आए तो यहीं के रिसोर्ट में रुक कर प्रकृति की गोद में जाएं.

कूर्गसोती पहाडि़यों पर बसा धुंध का जंगल

ब्यूटी कौरिडोर के इस आखिरी पड़ाव में आप चाहें तो ऊटी से पहले यानी मैसूर से सीधे यहीं आ कर फिर ऊटी जा सकते हैं या फिर ऊटी के बाद आखिर में इस मनोरम स्थल का लुत्फ उठा सकते हैं. मैसूर से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कूर्ग को कोडागू भी कहा जाता है. इस का अर्थ है सोती पहाडि़यों पर बसा धुंध जंगल. स्कौटलैंड और इंडिया के नाम से मशहूर कूर्ग को देखने के लिए देशदुनिया से लोग आते हैं.

नागरहोल वाइल्डलाइफ सैंचुरी : जंगल का रोमांच तलाश रहे हैं तो मादिकेरी से करीब 110 किलोमीटर

दूर नागरहोल वाइल्डलाइफ सैंचुरी है. यहां बिजोन, हाथी, हिरण, सांभर, मंगूज, लोमड़ी, बाघ, पैंथर या कोबरा जैसे कई जानवर व पक्षी दिख जाते हैं. फोरैस्ट डिपार्टमैंट के सौजन्य से सुबह व शाम जंगल सफारी की जा सकती है.

तलाकावेरी : ऐंडवैंचर के शौकीन यहां आ कर मध्य जून से मध्य सितंबर के दौरान कावेरी नदी में वाटर राफ्टिंग का मजा ले सकते हैं.

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मादिकेरी फोर्ट : 19वीं शताब्दी के महल मादिकेरी फोर्ट में एक मंदिर, गिरजाघर, जेल और छोटा संग्रहालय है. यहां से मादिकेरी के खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों को निहारा जा सकता है.

राजा सीट : यह पार्क सनसैट के मनोरम नजारे के लिए जाना जाता है. हरीभरी घाटी और धुंध में छिपे पहाड़ों का अनूठा सौंदर्य देख कर आप की थकान दूर हो जाती है. पार्क में लेजर शो, कौफी के पौधे आकर्षण का बड़ा केंद्र हैं.

निसारगधमा : हिंदी फिल्मों में इस आइलैंड को कई बार दिखाया गया है मादिकेरी से 30 किलोमीटर की दूरी पर बसे निसारगधमा जाने के लिए पुल से गुजरना पड़ता है. पिकनिक स्पौट बन चुके इस अड्डे में बोटिंग और हाथी की सवारी का अलग आनंद है.

अब्बे फौल्स : आकर्षक जलप्रपातों की लिस्ट में मादिकेरी से 8 किलोमीटर दूर स्थित अब्बे फौल्स का नाम भी शुमार है. झरने की कलकल करती ध्वनि, पास में ही कौफी, इलायची के पौधों की खुशबू और पक्षियों की चहचहाचट का मधुर संगीत भला कहां मिलेगा.

बहरहाल, यह पूरी ट्रिप जल्दी पहुंचने के लिए नहीं है, बल्कि आप को बेंगलुरु से मैसूर, ऊटी और कूर्ग के बीच के मुख्य आकर्षणों से अवगत कराने के लिए है. इसलिए, बिंदास जाइए इस ब्यूटी कौरिडोर की सैर पर और बनाइए अपनी इस यात्रा को हमेशा के लिए यादगार.

ब्यूटी कौरिडोर-कहां शुरू कहां खत्म : ब्यूटी कौरिडोर के लिए आप बेंगलुरु से अपनी यात्रा आरंभ करें. फिर मैसूर, ऊटी होते हुए कूर्ग में पर्यटन को विराम दें. बेंगलुरु से मैसूर 149 किलोमीटर है तो मैसूर से ऊटी 125 किलोमीटर दूर है. यहां से फिर करीब 107 किलोमीटर दूर कूर्ग आता है.

बेंगलुरु : बेंगलुरु इंटरनैशनल एयरपोर्ट शहर के बीच से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित है जो बंगलौर सैंट्रल रेलवे स्टेशन से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर है. कई प्रमुख शहरों से यहां के लिए नियमित रूप से उड़ानें भरी जाती हैं. बेंगलुरु में 2 प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं – बंगलौर सिटी जंक्शन रेलवे स्टेशन और यशवंतपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन. ये स्टेशन भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़े हुए हैं. यहां कई बस टर्मिनल भी हैं.

कब और कैसे जाएं मैसूर: यहां सितंबर से फरवरी तक आना सही रहता है. निकटतम हवाई अड्डा बेंगलुरु  है, जोकि मैसूर से 140 किलोमीटर दूर है. यहां से मैसूर जाने के लिए रेल, बस और टैक्सी की सुविधाएं उपलब्ध हैं.

कैसे जाएं ऊटी : कोयंबटूर यहां का निकटतम हवाई अड्डा है. सड़कों द्वारा यह तमिलनाडु और कर्नाटक के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ा है, परंतु यहां आने के लिए कन्नूर से रेलगाड़ी या टौय ट्रेन ही जाती है. ऊटी में उदगमंडलम रेलवे स्टेशन है.

कैसे जाएं कूर्ग: नजदीकी एयरपोर्ट मंगलोर है. नजदीकी रेलवे स्टेशन मैसूर (120 किलोमीटर) और मंगलोर हैं. बेंगलुरु, मैसूर, मंगलोर और हासन (करीब 150 किलोमीटर) से नियमित बस सेवाएं और टैक्सी उपलब्ध हैं.

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रेड कार्पेट पर छा गया प्रियंका चोपड़ा का विदेशी अवतार

बौलीवुड की देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा अपनी अदाओं, अपने काम और अपनी हाजिर जवाबी के लिए इंटरनेशनल स्‍टेज पर भारत का नाम ऊंचा कर रही हैं. इन दिनों अपने अमेरिकन टीवी शो ‘क्‍वांटिको 3’ के प्रमोशन में लगी प्रियंका मंगलवार को न्‍यूयौर्क में हुए मेट गाला इवेंट में शिरकत करती नजर आईं.

मेट गाला 2018 के रेड कार्पेट पर प्रियंका का अंदाज देखने ही वाला था. बता दें कि पिछले साल मेट गाला में प्रियंका एक लंबी ट्रेल वाले खूबसूरत कौलर गाउन में नजर आई थीं और उनके इस अंदाज के लिए उनकी खासी तारीफ हुई थी. इतना ही नहीं, इंटरनेट पर प्रियंका के इस गाउन पर काफी मीम्‍स भी बने थे, जिनमें से कुछ प्रियंका ने भी शेयर किए. इस साल भी प्रियंका फैशन डिजाइनर राल्‍फ लौरेन के वेलवेट गाउन में नजर आईं.

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इस साल मेट गाला की थीम ‘हैवनली बौडीज: फैशनल ऐंड द कैथोलिक इमेजिनेशन’ थी और इस थीम में प्रियंका चोपड़ा काफी खूबसूरत अंदाज में दिखीं. महरून रंग के इस स्‍ट्रैपलेस वेलवेट गाउन के साथ प्रियंका ने गोल्‍डन कलर का हुडी (टोप) पहना है जो उनके कंधे तक खूबसूरत तरीके से फैला है. डिजाइनर राल्‍फ लौरेन का यह गाउन कई तरह के रंगबिरंगे मोतियों से सजाया गया है और पूरी तरह हाथों से बनाया गया है.

बता दें कि इस इवेंट में प्रियंका चोपड़ा का यह तीसरा साल है. प्रियंका के अलावा बौलीवुड की प्रसिद्ध एक्‍ट्रेस दीपिका पादुकोण भी इस इवेंट का हिस्‍सा बनीं. दीपिका पादुकोण मेट गाला में रेड कलर के हाई स्लिट गाउन में दिखीं. एक साइड से औफ शोल्डर और दूसरी साइड से थोड़ा उठे हुए शोल्डर के साथ उनके गाउन को एक ड्रामेटिक अंदाज में डिजाइन किया गया. दीपिका के इस गाउन को प्रबल गुरुंग ने डिजाइन किया है. वहीं उनके हेयर स्टाइलिस्ट हैरी जोश ने उन्हें इस बार लुक दिया है.

बता दें कि ‘मेट गाला’ फंड इकट्ठा करने के लिए किया जाने वाला इवेंट है, जो हर साल न्‍यूयौर्क में आयोजित होता है. इस इवेंट से इकट्ठा किया गया फंड न्‍यूयौर्क के मेट्रोपौलिटियन म्‍यूजियम औफ आर्ट की बेहतरी के लिए इस्‍तेमाल किया जाता है. हर साल इस इवेंट में दुनियाभर में प्रसिद्ध सेलीब्रिटीज इकट्ठा होते हैं.

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ईशा की बेटी का यह क्यूट पोज देखकर आप भी हो जाएंगे उसके दिवाने

इन दिनों बौलीवुड इंडस्ट्री में स्टारकिड्स का बोलबाला है. इनपर हर किसी की नजरे बनी रहती है. जैसे ही स्टारकिड्स की कोई फोटो सोशल मीडिया पर आती है, वायरल होने लगती है. अब इस केटेगरी में ईशा देओल की बेटी का नाम भी शामिल हो गया है. बौलीवुड अदाकारा ईशा दओल ने हाल ही में अपनी बेटी राध्या की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की है.

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ईशा के फोटो शेयर करते ही सोसल मीडिया पर फैंस के अच्छे कमेंट्स आने शुरू हो गए हैं. लोग राध्या की तारिफ करते हुए उसे ईशा की कार्बन कौपी बता रहे हैं. इस तस्वीर में राध्या बेहद ही क्यूट लग रही हैं और कैमरा को देखते हुए पोज दे रही हैं. अगर आपने राध्या की यह तस्वीर अभी तक नहीं देखी है तो इस तस्वीर को देखकर आप भी उनके दीवाने होने वाले हैं.

अपनी शादी के 5 साल बाद ईशा ने बेटी राध्या को जन्म दिया. ईशा ने कहा कि अपनी बेटी के लिए उनको उनकी मां हेमा मालिनी और उनकी बहन अहाना का काफी सपोर्ट मिल रहा है. ईशा ने कहा, मुझे आज भी मेरे पेरेंट्स का रिएक्शन याद है, जब मैंने उन्हें अपनी प्रेगनेंसी के बारे में बताया था. उन्होंने कहा, मैंने 3 महीने तक अपने परिवार को इस बारे में कुछ नहीं बताया था लेकिन जब मैंने उन्हें बताया था तो उन्होंने कहा था कि उन्हें यह पहले से मालूम हैं, क्योंकि वह भी एक मां हैं. बता दें कि बौलीवुड अदाकार ईशा देओल जल्द ही फिल्मों में कमबैक करने वाली हैं. वह शोर्ट फिल्म केकवौक से वापसी कर रही हैं.

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फ्रूटी एंड टेस्टी बाइट्स : बालिनेज रा मैंगो प्रौंस

सामग्री रा मैंगो स्ला की

• 100 ग्राम कच्चे आम के टुकड़े • 3 ग्राम फ्रैश रैड चिली जूलिएन • 10 ग्राम गाजर कटी • 4 पत्तियां काफिरलाइम की • 15 ग्राम धनियापत्ती कटी • 10 ग्राम पात्र जिग्गेरी • 10 एमएल सेब का सिरका.

सामग्री फ्राई की

• 250 ग्राम मीडियम आकार के प्रौंस • 20 ग्राम प्याज का जूलिएन • 5 ग्राम अदरक का जूलिएन • थोड़ा से करी पत्ते • 10 ग्राम अंकुरित फलियां • 10 ग्राम हरा प्याज • 5 ग्राम मूंगफली भुनी • 10 एमएल लाइट सोया सौस • 5 एमएल फिश सौस • 15 ग्राम भीगी गिलास नूडल्स • 8 ग्राम मद्रास करी पाउडर • थोड़ी सी पुदीनापत्ती कटी • 20 एमएल औयल • 2 चम्मच पानी • नमक स्वादानुसार.

विधि

रा मैंगो स्ला बनाने के लिए सारी सामग्री को अच्छी तरह मिक्स कर के 2 घंटों के लिए एक तरफ रख दें. फिर एक कड़ाही में तेल डाल कर प्याज, अदरक और कड़ी पत्ते डाल कर 2 मिनट तक भूनें. फिर इस में प्रौंस और अंकुरित फलियों में 2 चम्मच पानी डाल कर पकने तक चलाएं. फिर मूंगफली, काजू, सोया सौस, फिश सौस, नमक, हरा प्याज, नूडल्स, मद्रास करी पाउडर डाल कर अच्छी तरह मिक्स करें. जब प्रौंस मिक्सचर अच्छी तरह पक जाए तो उसे आंच से उतार कर उस में रा मैंगो स्ला डाल कर 10 सैकंड तक पकाएं फिर धनिया व पुदीनापत्ती से सजा कर सर्व करें.

– व्यंजन सहयोग : सेलिब्रिटी शैफ अजय चोपड़ा 

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श्मशानघाट का सौंदर्यीकरण : सब को करनी है स्वर्ग की यात्रा

पहले अर्थी को कंधा देना नेक कार्य माना जाता था पर अब औपचारिकता हो गई है. अब तो घर से मुक्तिवाहन तक और श्मशान घाट के प्रवेशद्वार से चितास्थल तक सांकेतिक कंधे देना प्रचलन में आ गया है. अधिकांश मुक्तिवाहन नगरनिगम के ‘राइटअप’ हो चुके ट्रकों का परिमार्जित संस्करण होते हैं. शहरों के बेतरतीब विकास को देख कर लगता है कि इन का विकास श्मशान घाट यानी कब्रिस्तान को केंद्र मान कर किया गया है. आदमी कहीं जाए या न जाए, पर यहां तो सभी को आना है. जैसे शासन की नीति है कि स्कूल सभी को जाना है, वैसे ही आदमी की नियति है कि अंत में सभी को यहीं आना है. जिस प्रकार 2 किलोमीटर के दायरे में प्राइमरी स्कूल का शासकीय प्रावधान है, जिस से बच्चों को अधिक न चलना पड़े, वैसे ही 5 किलोमीटर के दायरे में श्मशान केंद्र होना चाहिए, जिस से ले जाने वालों को आत्मिक शांति मिल सके, जाने वाला तो चिरशांति को प्राप्त हो ही जाता है.

ऐसे ही, मुक्तिधाम की यात्रा पर दिवंगत पिताजी की अर्थी को ले कर मुक्तिवाहन से मंत्रीजी रवाना हुए. अभी कुछ ही आगे बढ़े थे कि अर्थी हिली, एक चमचा प्रकार का प्राणी बोला, ‘‘माननीय पिताजी लौट आए.’’ सभी अर्थी को देखने लगे, मंत्रीजी ने माथा छुआ, ठंडा था, नाक के आगे उंगली की, श्वास नदारद. वे गमगीन हो गए. इतने में अर्थी के साथसाथ वाहन में सवार अन्य लोग भी हिले, फिर तो हिलनेडुलने का सिलसिला चल निकला. किसी ने पंडितजी से पूछा, ‘‘पंडितजी, पिताजी स्वर्ग ही गए हैं न?’’ पंडितजी बोले, ‘‘सौ प्रतिशत, कनागत में प्राण छोड़े हैं, स्वर्ग के दरवाजे खुले मिलेंगे.’’

‘‘पर, स्वर्ग का रास्ता बहुत खराब है,’’ मंत्रीजी धीरेधीरे बोले. ‘‘आप के हाथ में है श्रीमान. आप वसुधा के इंद्र हैं, यहां पर स्वर्गमार्ग का निर्माण कर सकते हैं. इहलोक के साथसाथ परलोक में भी आप की कीर्तिपताका फहरेगी,’’ पंडितजी ने प्रशस्तिवाचन किया.

मंत्रीजी विचारमग्न हो गए. उन्हें इस घटना ने अंदर तक हिला दिया. जैसेतैसे अंतिम संस्कार संपन्न हुआ, तेरहवीं भी धूमधाम से संपन्न हुई. प्रशासन ने मंत्रीजी की भावनाओं के अनुरूप स्वर्गमार्ग के निर्माण की योजना प्रस्तुत की जो शासन द्वारा स्वीकृति को प्राप्त हुई. स्वर्गमार्ग का प्रचार जोरशोर से किया गया- ‘संवेदनशील शासन की पहचान, अब स्वर्ग जाना आसान.’ मार्ग के शुभारंभ हेतु माननीय मंत्रीजी के साथ प्रशासन व सम्माननीय नागरिक श्मशान घाट में उपस्थित थे. यहां की समस्याओं के समाधान हेतु यहीं बैठक आयोजित की गई. वरिष्ठ संघ के अध्यक्ष ने माइक संभाला और बोले, ‘‘राजा हो, रंक हो, सभी को यहां आना है. यह हमारे शासन की, माननीय मंत्रीजी की संवेदनशीलता है कि वे मुर्दों की भी चिंता करते हैं. जिंदा लोग तो अपनी यात्रा कैसे भी पूरी कर लेते हैं, पर मुर्दा बेचारा क्या कर सकता है? न चल सके, न बोल सके? कैसे अपनी व्यथा कहे? उस की व्यथा को शासन ने अनुभूत किया और हमारे आदरणीय मंत्रीजी के सदप्रयासों से यह शुभ घड़ी आई. हम उन्हें हार्दिक धन्यवाद देते हैं कि अब हम निश्ंिचत हो कर मर सकेंगे, धन्यवाद.’’

श्मशान घाट तालियों से गूंज उठा, एक आक्रोशित युवा नागरिक ने माइक पकड़ा और बोला, ‘‘सर, यह तो ठीक है पर हमें यहां की समस्याओं पर भी ध्यान देना चाहिए. हम यहां आते हैं, कभीकभी हमें एकदो घंटे इंतजार भी करना पड़ता है. समय ही सोना है, जिन्हें सोना था वे तो हमेशा के लिए सो गए, पर हमें समय का सदुपयोग करना सीखना होगा. श्मशान घाट में एक साइबर कैफे हो, जिस से समय का सदुपयोग हो सके.’’

‘‘अवश्य, तुम्हारा मन नहीं भटकेगा, चैटिंग भी होगी और सैटिंग भी, दुख से प्रभावित नहीं होंगे, अच्छा सुझाव है,’’ नगीना बाबू बोले. ‘‘पुराने लोग, पुरानी बातें,’’ कुछ नवयुवक एकसाथ बोले.

‘‘शांत युवको, शांत. आप तरुण हैं, आप वर्तमान हैं, ये अतीत,’’ मंत्रीजी अब बुजुर्गवार की ओर देखते हुए बोले, ‘‘इन की सुननी पड़ेगी, चाचा, साइबर कैफ का सुझाव अच्छा है. और कोई सुझाव युवको?’’ ‘‘सर, स्वर्ग में एक स्पा भी खुल जाए तो अच्छा रहे, यहीं से फ्रैश हो कर बाहर निकलें,’’ एक आधुनिक युवक बोला.

‘‘स्विमिंग पूल और भी अच्छा रहेगा, नहाने के साथ ऐक्सरसाइज भी हो जाएगी.’’ ‘‘सत्य वचन’’, पंडितजी ने समर्थन किया, फिर बोले, ‘‘श्मशान घाट जाने से व्यक्ति अशुद्ध हो जाता है. पूर्वकाल में घाट पर स्नान करने का विधान था. घाट शब्द इसी का सूचक है, जैसे नर्मदा के घाट, गंगा के घाट वैसे ही श्मशान घाट, यहां मृत शरीर अग्नि स्नान करता है और हम जल स्नान.’’

तभी मंत्रीजी को किसी ने एक पर्ची थमा दी, पढ़ कर वे गंभीर स्वर में बोले, ‘‘भाइयो और बहनो, आवागमन निरंतर प्रक्रिया है, कल हम वहां थे, आज यहां हैं, कल कहां होंगे, कुछ नहीं पता.’’ एक अंतिम यात्रा का जुलूस वहां से गुजरा. मंत्रीजी भावविह्वल हो गए, ‘‘ये जो हमें छोड़ कर जा रहे हैं, हमारे बचपन के मित्र हैं.’’ फिर पर्ची देखते हुए बोले, ‘‘रामदयाल जी, राम की इन पर दया हो गई, अपने पास बुला लिया. हमें अभी और भुगतना है, सो, हम यहां हैं. इन के बेटे, हो सकता है, हमें न जानते हों, पर हम जानते हैं. मैं ने इन्हें बचपन में खिलाया है.’’ ‘प्रभु, आप अंतर्यामी हैं, घटघट वासी हैं,’ नगीना बाबू मन ही मन बोले फिर कहा, ‘‘आप को कौन नहीं जानता, मान्यवर. यहां का एकएक वोटर जानता है. किसी महान आत्मा ने ही यह नश्वर शरीर धारण किया है श्मशान को आबाद करने के लिए.’’

‘‘यह समय महिमामंडन का नहीं, हम श्रद्धांजलि दे कर आते हैं,’’ कहते हुए मंत्रीजी ने मृतशरीर पर पुष्पांजलि अर्पित की, हाथ जोड़े, आंखें बंद कीं, सिर झुकाया. अभी तक राम नाम सत्य है, के नारे लग रहे थे, एकाएक नारों का स्वर बदला, अब ‘मंत्रीजी जिंदाबाद, रामदयाल अमर रहें. मंत्रीजी संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं, मंत्रीजी अमर रहे,’ के नारे लगने लगे. ‘मंत्रीजी अभी मरे कहां हैं, जो अमर रहेंगे,’ नगीना बाबू सोच रहे थे.

मंत्रीजी नारों से ऊर्जा ग्रहण कर रहे थे. ऊर्जा अश्रुरूप में बह निकली. सभी भावविह्वल हो गए. रामदयाल के पुत्र व सगेसंबंधी अचंभित थे कि पापा की मित्रता मंत्रीजी से थी और उन्होंने बताया भी नहीं, कितने सिद्धांतवादी थे, मित्रता का दुरुपयोग नहीं किया. 2 बेरोजगार बेटे और एक कुंआरी बेटी छोड़ कर गए. किसी से कुछ नहीं मांगा. बेटों के हृदय में आशा की किरण फूटी. संवेदना जागी. मंत्रीजी की ओर देखते हुए वे रो पड़े, ‘‘चाचाजी, पापा तो रहे नहीं, अब आप ही सहारा हैं.’’ ‘‘बिलकुल, कभी भी आ जाना, हम हैं न,’’ मंत्रीजी ने दिलासा दी.

रामदयाल के बड़े भैया गंभीर हो गए. उन्होंने मंत्रीजी की बचपन की शक्ल याद करने की कोशिश की. असफल रहे तो हाथ जोड़ कर बोले, ‘‘भैया रामू तो रहा नहीं, अब तुम्हीं हो, तुम्हारी दोस्ती की चर्चा तो गलीगली में थी, क्या जोड़ी थी सुदामाकृष्ण की. रामू जातेजाते कह गया था, ‘भैया, हर काम का शुभारंभ मंत्रीजी करते हैं. अगर मैं मर जाऊं तो मुझे पहली लकड़ी मेरा दोस्त मंत्री दे, उसे भी याद आ जाएगा रामदयाल नहीं रहा.’ ’’

मंत्रीजी अचकचा गए. फिर बात संभालते हुए बोले, ‘‘हम किसी का अधिकार नहीं छीनते. लकड़ी देने का पहला अधिकार पुत्र को है. वही देंगे. जल्दी करें, विलंब अच्छा नहीं. राम नाम सत्य है.’’ यह कह कर मंत्रीजी ने हाथ जोड़े. वह अंतिम यात्रा आगे बढ़ गई. मंत्रीजी वापस लौट आए, फिर सिर उठा कर बोले, ‘‘सब नियति है, जो होना था, होगा पर शो मस्ट गो औन. हां, आगे कहिए?’’

‘‘सर, साइबर कैफे, स्विमिंग पूल तो ठीक हैं, पर बजट में प्रावधान नहीं है,’’ नगर निगम के अधिकारी बोले. ‘‘सड़क का प्रावधान था क्या? पर बन रही है न. सब हो जाएगा. आप सोचिए मत, सोचने का काम हमारा है. आप आदेशों का पालन करें. हमारे यहां सोचने की बहुत बुरी बीमारी है. चपरासी सोचता है औफिस हम चला रहे हैं. साहिब सोचते हैं हम, समय कहता है सब हम से चलता है,’’ मंत्रीजी ने समझाया.

‘और आप समझते हैं कि देश हम चला रहे हैं. वह तो रामभरोसे चल रहा है,’ अधिकारी मन ही मन कुड़कुड़ाते हुए सोच रहा था, प्रत्यक्ष में बोला, ‘‘सर, ठीक है.’’ ‘‘पंडितजी, आप बताइए, आप तो श्मशान आते ही रहते हैं,’’ मंत्रीजी ने बात आगे बढ़ाई.

‘‘देखिए श्रीमान, हम ने अभी तक 15,001 शरीरों का अंतिम संस्कार कराया है.’’ ‘‘फिर तो आप गिनीज बुक औफ वर्ल्ड रिकौर्ड्स में प्रविष्टि क्यों नहीं भेज देते,’’ नगीना बाबू ने सुझाव दिया.

पंडितजी मुसकराए, ‘‘यह तो हमारा कर्म है, सांसारिक वस्तुओं से हमें क्या? हमारे यजमान हमें जीवित होने पर देते हैं और उन की संतानें मृत्यु पश्चात. श्रीमानजी, आप जैसे पुरुष मिलते कहां हैं? एक सत्यवादी हरिश्चंद्र थे जिन्होंने श्मशान अपनाया और एक आप कलियुग के हरिश्चंद्र. आप धन्य हैं. शास्त्रों में लिखा है, मुत्युपरांत आत्माएं कुछ समय यहीं निवास करती हैं. देखिए कैसा वीरान है यह घाट, हमारे पूर्वजों की आत्माएं कितना कष्ट उठाती होंगी? क्यों न इस के सौंदर्यीकरण की सोची जाए, जिस से आत्माओं को अच्छा वातावरण मिल सके.’’ ‘‘क्यों नहीं, क्यों नहीं? अवश्य, अच्छा सुझाव है. बताइए, कितनी जमीन है, क्या व्यय आएगा?’’ मंत्रीजी ने पूछा.

‘‘सर, 20 एकड़, एक एकड़ में क्रियाकर्म, सभाएं होती हैं, जीवंत हैं, शेष 19 एकड़ अनुपयोगी है, मृतप्राय है,’’ नगरनिगम अधिकारी बोले. ‘‘इस मृतप्राय जमीन का इलाज किया जाए, इस में प्राण फूंके जाएं?’’ मंत्रीजी बोले.

‘‘सर, पैसा? निगम घाटे में है,’’ अधिकारी ने हस्तक्षेप किया. ‘‘आप यहां के हैं नहीं, आप क्या जानें यहां का दर्द, काम में अड़ंगे न लगाएं, पैसे का इंतजाम हम करेंगे,’’ मंत्रीजी तल्ख लहजे में बोले.

तभी एक सूटबूटधारी उठ कर बोला, ‘‘सर, मैं डैवलपमैंट वर्ल्ड का सीनियर कंसल्टैंट, हमारे प्रोजैक्ट रशिया, लेटिन अमेरिका, फ्रांस जैसे 50 देशों में चल रहे हैं. इंडिया में हम ने इंट्रोड्यूज किया है. पीपीपी मोड, यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप में यहां डैवलपमैंट किया जा सकता है. जमीन हमारी, डैवलपमैंट उन का, साथ में आय भी, 19 एकड़ लैंड वह भी सिटी के सैंटर में, मौल बन सकता है, औफिस खुल सकते हैं. श्मशान घाट चमन हो जाएगा. ब्यूटीफुल श्मशान. फाउंटेन लग जाएंगे, आत्माएं लोग नहाएंगी, साइलैंट जोन डैवलप करेंगे, जोनल प्लानिंग ठीक रहेगी, क्रिएशन जोन, इंटरटेंमैंट जोन, बिजनैस जोन, मीटिंग जोन, सबकुछ. जब अर्थी श्मशान घाट में प्रवेश करेगी, फूलों की वर्षा होगी. सर, इट्स अ ब्यूटीफुल आइडिया, ग्रेट. यू आर ग्रेट. हाऊ सैंसिबल यू आर. आदेश हो तो प्रोजैक्ट तैयार करें.’’

सभी मंत्रमुग्ध हो कर सुन रहे थे. मंत्रीजी नगरनिगम के अधिकारी को समझाते हुए बोले, ‘‘देखो, जहां चाह, वहां राह, पैसे का भी इंतजाम हो गया. चलिए, टैंडर निकालिए, कुछ सीखें, विजन बढ़ाएं, संसार में क्या हो रहा है, देखें. फाइल के कीड़े न बनें. चलिए, प्रोजैक्ट बनाएं, सब का आभार.’’ और मंत्रीजी उठ गए. ‘यह पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप क्या होती है?’ नगीना बाबू सोच रहे थे.

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विकास बनाम गरीबी : कैसा होगा हमारा भविष्य

किसी देश की गरीबी कुछ सप्ताहों या महीनों में खत्म नहीं हो सकती. एक देश का विकास करने में वर्षों नहीं, दशकों लगते हैं. यूरोप, अमेरिका, चीन, सिंगापुर, मलयेशिया, थाईलैंड को लंबा समय लगा था गरीबी की चपेट में से निकलने के लिए. इसीलिए 2014 में विकास की आभा पर जब चुनाव लड़ा गया था तो बहुत सी उम्मीदें जगी थीं पर आज केंद्र सरकार के कार्यकाल के लगभग 4 साल पूरे होने पर भी विकास की कोई किरण नजर नहीं आ रही.

भारत अमेरिकी डौलर में 1890 के आसपास की प्रतिव्यक्ति आय का देश है, इसे प्रगति कर चीन के बराबर पहुंचने में भी दशकों लगेंगे और यदि चीन की उन्नति होती रही तो संभव है कि हम कभी उस स्तर पर पहुंच ही न पाएं. चीन की प्रतिव्यक्ति आय 8,000 डौलर है और अमेरिका व यूरोप में प्रतिव्यक्ति आय 30,000 से 60,000 डौलर है. चीन, यूरोप और अमेरिका की प्रगति की दर धीमी है पर 2 प्रतिशत की दर से भी वे हर साल 300 से 600 डौलर प्रतिव्यक्ति अमीर हो जाते हैं और भारत 6-7 प्रतिशत की दर से भी महज 100-125 डौलर अतिरिक्त कमा पाता है.

देश में हर तरफ बेकारी है, खाली बैठेठाले लोग सारे देश में दिखते हैं जो देश की सामाजिक संरचना की पोल ही खोलते हैं. यहां उत्पादकता बढ़ाने पर कोई काम हो नहीं रहा. बुलेट ट्रेनों या 8 लेन की सड़कों से गरीबी नहीं हटेगी क्योंकि ये कुछ अमीरों की विलासिता के लिए हैं. दूसरों को दिखाने के लिए गगनचुंबी इमारतें और विदेशी गाडि़यां ठीक हैं पर जब तक हर गरीब का कायाकल्प नहीं होगा, देश के विकसित होने का सवाल ही नहीं उठता.

विकास की राह में सब से बड़ा अड़ंगा सरकार की अकर्मण्यता और सामाजिक सोच है. आज सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक नीतियां सब एक विशेष विचारधारा वालों के हाथों में आ गई हैं और सामाजिक, धार्मिक परंपराएं हावी होने लगी हैं जिन में केवल ऊंचे अमीरों की सुनी जाती है, आम गरीब की नहीं. सरकार की हर दूसरी नीति ऐसी है जो चुने लोगों को विकास के नाम पर एक नया अनूठा एकाधिकार दे रही है जबकि आम लोगों को इस की कीमत चुकानी पड़ रही है.

मोबाइल आज हर हाथ में आ गया है पर इस के साथ कोई और ठोस उत्पादक प्रक्रिया क्या जुड़ी है? गप मारने, गाने सुनने, वीडियो देखने के अलावा क्या यह डिवाइस किसी काम की है? अगर पहले लोग 2 घंटे आपस में मिलबैठ कर बातें करते थे तो आज 6 घंटे मोबाइल पर लगे रहते हैं. यह विकास की नहीं, विनाश की राह है.

सरकार ने घंटेघडि़यालों का व्यापार मोबाइलों से चमकाया है. मोबाइलों से सरकार हर नागरिक पर नजर रख रही है पर वह हर नागरिक को ज्यादा मेहनत करने के मौके नहीं दे रही. मोबाइल पर आप के खर्च का ब्योरा तो मिलता है पर आय बढ़ाने के स्रोत नहीं. उलटे मोबाइलों से लूट बढ़ गई है. जीएसटी और नोटबंदी ने भी कुछ इसी तरह की ऐक्सरसाइज कराई. गरीबी से लड़ाई में ये सैनिकों को भटकाने, नशा कर के चुप रहने के साधन बन गए हैं. यह सब हमारे भविष्य की छाया है – काली, धुंधली.

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तो क्या सरकार ही है बेरोजगारी बढ़ने की जिम्मेदार

आंकड़ों के अनुसार देश में बेरोजगारी बढ़ रही है. सरकार के इस दावे के बावजूद कि भारत दुनिया की सब से तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है, बेरोजगारी के संकट में कोई कमी नहीं आने वाली. देश में छिपी बेरोजगारी तो बहुत ज्यादा है क्योंकि हमारे यहां 1 कमाए 5 खाएं की परंपरा आज भी चल रही है. बहुत से बेरोजगार आधाअधूरा काम कर के अपनेआप को कमाऊ मान लेते हैं.

बेरोजगारी बढ़ने की जिम्मेदार सरकार ही हो, जरूरी नहीं. किसी भी अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी की जड़ उस की उत्पादकता में होती है. यदि जनसंख्या उत्पादक होगी तो थोड़े से लोग बहुतों के लायक खाना, मकान, कपड़ा जुटा सकते हैं और बाकी व्यर्थ के विलासिता वाले कामों में लग कर अपने को कामकाजी मान सकते हैं, लेकिन यदि उत्पादकता कम होगी तो ज्यादा लोग उसी जमीन या उन्हीं कारखानों में लगेंगे और वे केवल अपने लायक ही सामान पैदा कर सकेंगे या बना सकेंगे.

अमीर देशों में प्रतिव्यक्ति उत्पादकता कृषि, औद्योगिक व सेवा क्षेत्रों में बहुत ज्यादा है और वहां जनसंख्या की 2 से 5 प्रतिशत लोगों की बेरोजगारी भी सरकार के लिए चिंता का विषय होती है. इस के उलट हमारे यहां स्पष्ट व अस्पष्ट बेरोजगारी के आंकडे़ भयावह हैं और गांवों में कृषि पर आधारित बेरोजगारी भी बढ़ रही है. इस का अर्थ है कि देश में ह्यूमन कैपिटल का बेहद नुकसान हो रहा है. देश की अर्थव्यस्था में 10 प्रतिशत से कम योगदान देने वाली कृषि पर 50 प्रतिशत आबादी निर्भर है.

कठिनाई यह है कि देश में सोच है कि यहां रोजगार उसे माना जाता है जहां बिना काम किए पैसा मिले. यहां सरकारी नौकरी ही सर्वोत्तम मानी जाती है चाहे उस का अर्थव्यवस्था के लिए कुछ लाभ न हो. यहां लूट के माल में बंटवारा सर्वोत्तम काम माना जाता है और वही सफल रोजगार माना जाता है जो मुफ्त की खा सके. यह हमारी उस पौराणिक संस्कृति की देन है जिस में काम करने वाले लोग समाज के सब से निम्न हैं और लूटने वाले पंडेपुजारी सब से ऊंचे.

इस समस्या का हल आसान नहीं है क्योंकि मानसिकता बदलने में कई पीढि़यां लगती हैं. अंगरेज हमें बदल नहीं पाए और हमारे नेताओं का तो कहना ही क्या है? वे तो लूट के देवताओं के पुजारी हैं.

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मुहासों से पाए झटपट छुटकारा

हममे से कई लोगों को मुहांसे होते हैं और यह बेहद ही आम बात है. लेकिन अगर ठीक तरीके से इसका उपचार ना करें तो ये जाते जाते हमारे चेहरे पर काले दाग धब्बे छोड़ जाते हैं. जिन्हें निकालना मुश्किल होता है. लेकिन अगर आप भी मुहांसो से परेशान हैं तो ये उपाय हम कास तौर पर आपके लिए ही लेकर आए हैं. ये उपाय अनाकर ना सिर्फ आप चेहरे के मुहांसे बल्कि उसके दाग भी पूरी तरह से मिटा सकती हैं.

मुंहासे को कैसे रोके

तले हुए, मसालेदार आहार को कम मात्रा में खाए.

पूरा नींद ले.

पानी अधिक मात्र में पिए.

चेहरे की त्वचा को बार बार धोते रहे और बिलकुल स्वच्छ रखे.

कास्मेटिक का उपयोग कम से कम करें.

चेहरे पर नाखून ना लगाएं.

मुहासों से छुटकारा पाने के उपाय

-कील मुंहासे के इलाज में जो बहुत ही असरकारक है वो नीम है. नीम के पत्ते को पीस दे और उसमें हल्दी मिला के चेहरे पर लगाये.

-हफ्ते में कम से कम दो बार भाप लें. बाप लेते समय रुई या कपड़े से चेहरा घिसते जाइए ताकि मेल, मृत कोशिका और तेल सभी निकल जाए.

-गुलाब की पंखुड़ी को पीस दे और निम्बू के रस के साथ अपने चेहरे पर घिसे और ३० मिनट के बाद धो दे.

-एलोवेरा का रस, मुल्तानी मिटटी और हल्दी का मिश्रण पिम्पल्स पर लगाये.

-लहसुन को पीस कर निम्बू का रस मिलाये, दो तीन बूंद हाइड्रोजन पेरोक्साइड डाले और इस को चेहरे पर मल दे.

-लहसुन को पीस कर निम्बू का रस मिलाये, दो तीन बूंद हाइड्रोजन पेरोक्साइड डाले और इस को चेहरे पर मल दे.

-जिनके चेहरे पर कील बहुत ज्यादा हो गए हैं. वह इस उपाय को जरूर अपनाएं काफी फायदा मिलेगा.

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सुबह खाली पेट पानी पीने के फायदे, आप भी जानिए

बहुत से लोगों में सुबह उठकर खाली पेट पानी पीने की आदत होती है. ये एक अच्छी आदत है जिसे हर किसी को अपनाना चाहिए. इससे हमारी सेहत को ढेर सारे फायदे मिलते हैं. हमारे शरीर की 70 प्रतिशत प्रक्रियाएं बिना पानी के नहीं हो सकतीं. ऐसे में शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी होना बेहद जरूरी है. इन सबके अलावा सुबह खाली पेट पानी पीने से पेट की सारी गंदगी बाहर निकल जाती है, खून साफ होता है. चेहरे पर चमक आने के साथ और भी कई फायदें हैं. इसलिए हर किसी को सुबह खाली पेट कम से कम 4-5 गिलास पानी पीने की कोशिश करनी चाहिए.

विषाक्त पदार्थों को करता है बाहर

रात के समय सोने के बाद जब हमारा शरीर आराम की स्थिति में होता है तब शरीर में कई तरह के टौक्सिन एकत्रित हो जाते हैं. ऐसे में जब आप सुबह उठने के बाद खाली पेट में पानी पीते हैं तो शौच के साथ ही टौक्सिन शरीर के बाहर निकल जाते हैं.

मेटाबौलिज्म होता है दुरुस्त

खाली पेट पानी पीने से व्यक्ति के शरीर का मेटाबौलिज्म स्तर 24% बढ़ जाता है. यह उन लोगों के लिए काफी अच्छा होता है जो सभी तरह के खाने या मसालेदार खाने को नहीं खा सकते हैं. मेटाबौलिज्म बढ़ने के कारण व्यक्ति का पाचन तंत्र भी अच्छे से कार्य करता है. जिसके कारण व्यक्ति कुछ भी खाए वह आसानी से पच जाता है.

मोटापा घटता है

सुबह उठते ही खाली पेट पानी पीने से व्यक्ति के शरीर से कई तरह के ऐसे विषैले पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं जो वजन बढ़ने के लिए जिम्मेदार हैं. इनके निकलने से व्यक्ति के शरीर की पाचन क्रिया सुचारू रूप से चलने लगती है और वजन बढ़ने की संभावना कम हो जाती है.

सीने में जलन से निजात

पेट में एसिड एकत्रित होने के कारण ही सीने में जलन और खाने का ठीक से न पच पाना जैसी समस्या होती है. जब भी व्यक्ति खाली पेट पानी पीता है तो पानी इस तरह के एसिड को नीचे भेजता है और इस तरह की समस्या से धीरे धीरे निजात मिल जाता है.

पथरी से आराम

खाली पेट पानी पीना पथरी की समस्या और ब्लैडर के इन्फेक्शन की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए काफी फायदेमंद है.

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बालों को डैंड्रफ से बचाना है तो हेयर स्पा की ये तकनीक अपनाएं

प्रदूषित वातावरण और व्यस्त दिनचर्या से उपजता स्ट्रैस बालों पर भी कुप्रभाव डाल रहा है. इस से बालों का गिरना, उन का बेजान होना, उन में डैंड्रफ होना जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. ऐसे में बालों की खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए हेयर स्पा एक बेहतर ट्रीटमैंट है. दरअसल, हेयर स्पा तकनीक बालों को नरिशमैंट देने के साथसाथ उन्हें हैल्दी व चमकदार भी बनाती है.

क्या है हेयर स्पा

हेयर स्पा में क्रीम, तेल और पानी द्वारा बालों को गहराई तक हाइड्रेट और रिलैक्स किया जाता है. हेयर स्पा में करीब 45 मिनट से ले कर 1 घंटा तक लगता है. हेयर स्पा के दौरान की जाने वाली मसाज और हौट टौवेल थेरैपी द्वारा ब्लडसर्कुलेशन बढ़ाया जाता है और बालों का डिटौक्सीफिकेशन किया जाता है.

हेयर स्पा की प्रक्रिया

ब्यूटी ऐक्सपर्ट मीनू अरोड़ा बताती हैं कि अलगअलग समस्याओं और अलगअलग तरह के बालों के लिए अलगअलग तरह का स्पा किया जाता है यानी हर हेयर टैक्स्चर के लिए हेयर स्पा ट्रीटमैंट अलग होता है. बालों का टैक्स्चर खराब हो, वे रूखे व बेजान हो रहे हों, गिर रहे हों, डैंड्रफ हो तो हेयर स्पा बेहद फायदेमंद साबित होता है. डैंड्रफ की स्थिति में अरोमा स्पा समस्या को दूर करने में मददगार होता है.

हेयरफौल के लिए स्पा: कोई भी हेयर स्पा करने से पहले जांच लें कि सिर की त्वचा में कोई इन्फैक्शन न हो. उस के बाद बालों की प्रकृति के अनुसार शैंपू कर लें. मसलन, रूखे बालों के लिए कंडीशनरयुक्त शैंपू करें. फिर 200 मिलीलिटर पानी में बेसिल औयल में अरोमा औयल की 2-3 बूंदें मिला लें. फिर बालों की पार्टिंग करते हुए बेसिल औयल से तैयार स्प्रे को बालों में लगाएं. इस के बाद नारियल तेल में पचौली औयल की 4-5 बूंदें व 2 छोटे चम्मच कैस्टर औयल मिला कर हलके हाथों से मसाज करें. ध्यान रहे मसाज शुरू करने से पहले फोरहैड पर क्रीम या औलिव औयल से मसाज करना न भूलें. ऐसा क्लाइंट को रिलैक्स करने के लिए किया जाता है. बालों में अरोमा औयल की मसाज से ब्लडसर्कुलेशन सही होता है व बालों को न्यूट्रीशन मिलता है, जिस से उन की जड़ें मजबूत होती हैं. साथ ही हेयरफौल भी रुकता है और बालों की ग्रोथ सही हो जाती है. मसाज के बाद बालों को हौट टौवेल से स्टीम दें. इस से क्यूटिकल्स खुल जाते हैं और औयल जड़ों तक पहुंचता है. फिर शैंपू करें.

अब पैक बनाएं. पैक में 2 छोटे चम्मच मेथीदाना पिसा हुआ, 2 चम्मच भुना जीरा, 4-5 घंटे पहले दूध में भिगो लें. इस के अलावा एक अन्य बाउल में 1 छोटा चम्मच रीठा, 1 छोटा चम्मच शिकाकाई, 1 छोटा चम्मच अश्वगंधा, 1 छोटा चम्मच प्याज का रस, 1 छोटा चम्मच त्रिफला व 1 छोटा चम्मच संतरे के सूखे छिलकों का पाउडर मिला लें. अब उस में दूध में भिगोए हुए केसर के 2 रेशे डालें. केसर पैक में 5 मिनट पहले ही डालें. इस पैक में 1 बड़ा चम्मच औलिव औयल तथा 1 छोटा चम्मच ब्राह्मी डालना न भूलें. इस पैक को बालों की जड़ों व बालों में लगाएं. आधे घंटे बाद बालों को शैंपू से धो लें. इस पूरी प्रक्रिया से बालों का नवीनीकरण होता है और बाल नरममुलायम, चमकदार व मजबूत हो जाते हैं. बाल गिरना भी बंद हो जाते हैं.

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